ड्रग्स फ्री इंडिया पर निबंध

ड्रग्स फ्री इंडिया पर निबंध hindi essay on drugs free india नशीली दवाओं के सेवन – दुरुपयोग पर निबंध.

ड्रग्स के सेवन से नशे की लत को पूरा करना भारत की एक प्रमुख एवं व्यापक समस्या है। इस समस्या से जहाँ परिवार विघटित होता है, वहीं समाज संक्रमित होता है, तो राष्ट्र कमजोर होता है। यह मात्र एक सामाजिक समस्या ही नहीं है, अपितु चिकित्सकीय एवं मनोवैज्ञानिक समस्या भी है। एक ऐसा दलदल है, जिसमें धंसने वाला खुद तो तबाह होता ही है, साथ ही उसका पूरा परिवार भी तबाह होता है।

ड्रग्स के दुष्प्रभाव सिर्फ उस व्यक्ति को तबाह नहीं करते, जो इसके आदी होते हैं, बल्कि ये परिवार, समाज और राष्ट्र को भी जर्जर करते हैं। यही कारण है कि राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए उसे ड्रग्स से मुक्त रखना अनिवार्य है। ड्रग्स का सेवन यानी नशाखोरी की देन थ्रीडी बुराइयां हैं। पहली ‘डार्कनेस’ यानी जीवन में अंधेरा, दूसरी ‘डिस्ट्रक्शन’ यानी बर्बादी के मोड़ पर पहुँचना तथा तीसरी ‘डिवास्टेशन’ यानी सम्पूर्ण रुप से तबाही। ड्रग्स की बुराइयों एवं दुष्प्रभावों से परिवार, समाज एवं राष्ट्र को बचाने के लिए ही हमने ‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ का सपना देखा है और इस सपने को साकार करने के लिए मजबूत पहल शुरु हो चुकी है। स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ का आह्वान कर अपने मन की बात देशवासियों से साझा की है।

सामान्य अर्थों में ड्रग्स से आशय उन रासायनिक पदार्थों से है, जिन्हें लेने से मस्तिष्क पर उसकी रासायनिक प्रतिक्रिया होती है तथा शरीर और मन के सामान्य कार्यकलापों पर प्रभाव पड़ता है। ड्रग्स का सामान्य अर्थ दवा या औषधि भले ही है, लेकिन सामाजिक विज्ञानों में यह शब्द उन मादक द्रव्यों के लिए प्रयुक्त होता है, जिनका सेवन गैरकानूनी माना जाता है। इन पदार्थों का अधिक मात्रा में बार-बार सेवन किए जाने से जब व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक कार्यकलापों पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगता है, तो यह अवस्था ‘ड्रग अब्यूस’ या ‘ड्रग एडिक्शन’ कहलाती है। विडंबना यह है कि इस अवस्था में पहुंचने वाला कोई भी व्यक्ति प्रायः सामान्य जीवन जीने लायक नहीं रह पाता। वह स्वयं को शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक स्तरों पर तबाह कर लेता है। यह एक ऐसी अंधी सुरंग है, जो बर्बादी के मुहाने तक ले जाती है। भारत में ड्रग्स की समस्या का फैलाव छोटे-छोटे गांवों और कस्बों से लेकर महानगरों तक में है।

यह कहना असंगत न होगा कि समूचा देश इस समस्या से आच्छादित है। यह समस्या किसी वर्ग विशेष से भी जुड़ी नहीं है। गरीब मध्यम एवं आभिजात्य सभी वर्गों में ड्रग्स का चलन है। किसी के लिए यह मौजमस्ती का साधन एवं स्टेटस सिंबल का प्रतीक है, तो किसी के लिए थकान मिटाने का। कोई असफलता और हताशा को मिटाने के लिए ड्रग्स की ओर उन्मुख होता है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें, तो युवा वर्ग ड्रग्स की गिरफ्त में कुछ ज्यादा हैं।

युवा वर्ग ड्रग्स की अंधेरी गली में कई कारणों से प्रवेश करता है। कभी इसका कारण जीवन का एकाकीपन होता है, तो कभी भावनात्मक असुरक्षा अथवा माता-पिता से मिलने वाले प्यार में कमी। घरेलू कलह, जीवन की असफलताएं, विभिन्न कारणों से मिलने वाला तनाव, गलत संगत, एक अनूठे आनंद की अनुभूति की ललक, पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव, समस्याओं से निजात की क्षणिक अनुभूति, मित्रों का दबाव या दुष्प्रेरणा आदि वे मुख्य कारण हैं, जो युवकों तथा कभी-कभी अल्पवयस्कों तक को नशे का आदी बना देते हैं। इसक अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैले ड्रग्स माफिया के संजाल में सम्मिलित लोग भी अपना धंधा चमकाने के लिए युवकों को गुमराह कर ड्रग्स का व्यसनी बनाते हैं।

ड्रग्स के व्यसन के अनेक दुष्परिणाम सामने आते हैं। इन्हें व्यसनी खुद तो भुगतता ही है, उसका परिवार भी बर्बाद होता है। समाज और राष्ट्र भी प्रतिकूल रुप से प्रभावित होता है। ड्रग्स का दलदल इतना खतरनाक होता है कि इस दलदल में फंसने वाला व्यक्ति कहीं का नहीं रहता है। वह शारीरिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तरों पर तबाह हो जाता है। एक बार ड्रग्स का व्यसनी होने पर यह लत छूटती नहीं और इस लत का शिकार व्यक्ति जब आर्थिक रुप से खोखला हो जाता है, तब नशे की लत को पूरा करने लिए चोरीछिनैती जैसे अपराध करता है।

ऐसा भी देखा गया है कि नशे की अवस्था में पहुँचने के बाद व्यसनी हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तक कर डालते हैं। वे अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियों के शिकार भी बन जाते हैं। इनमें प्रमुख व्याधियां होती हैं – रक्तचाप में गड़बड़ी, विक्षिप्तता, पागलपन, मोतियाबिंद, अवसाद, तनाव, मनोव्यथाएं, नपुंसकता तथा श्वास संबंधी बीमारियां। अधिक अवसाद की अवस्था में व्यसनी को आत्महत्या की ओर उन्मुख होते भी देखा गया है। ड्रग्स के व्यसनी को 3 डी बुराइयां कहीं का नहीं छोड़ती। डार्कनेस (जीवन का अंधियारा), डिस्ट्रक्शन (बर्बादी) एवं डिवास्टेशन (तबाही) उसे खोखला कर देती हैं।

ड्रग्स का एक घातक पक्ष यह भी है कि इससे प्राप्त होना वाला पैसा उन आतंकवादियों के पास पहुंचता है, जो खूरेजी में आगे हैं तथा अशांति एवं अस्थिरता फैलाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेते हैं। यहाँ यह रेखांकित करना आवश्यक है कि संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार विगत वर्षों में पाकिस्तान विश्व में हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक एवं हशीश के सबसे बड़े उत्पादक व वितरक के रुप में विकसित हुआ है। पाकिस्तान में राजनेता से लेकर बड़े-बड़े फौजी अधिकारी भी ड्रग्स की तस्करी में सहयोग देते हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ाने एवं आतंकवादियों को प्रश्रय देने में किस कदर आगे है। यह कहना असंगत न होगा कि आतंकवादी जो गोलियां दागते हैं, वे ड्रग्स के पैसे से ही खरीदी जाती हैं। इस प्रकार ड्रग्स के व्यसनी परोक्ष रुप से आतंकवादियों तक पहुंचता है, जिससे खरीदे गए अस्त्र-शस्त्रों से वे खून की होली खेलते हैं।

हमारी सरकार ड्रग्स की समस्या को रोकने के लिए कानूनी स्तर पर प्रयासरत रही है। संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार चिकित्सकीय प्रयोग के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद मादक पदार्थों व वस्तुओं के उपयोग को निषिद्ध करने कि लिए वर्ष 1985 में नशीली दवाएं एवं मनोविकारी पदार्थ कानून (ND PS Act) लागू करने के साथ ही मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की पहचान, इलाज, शिक्षा, बीमारी के बाद देख-रेख, पुनर्वास व समाज में पुनर्स्थापना के लिए प्रयास किए गए, तथापि इनके सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हुए। ड्रग्स की समस्या धीरे-धीरे विकराल होती चली गई।

वस्तुतः ड्रग्स की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिसे सिर्फ कानून बनाकर नहीं निपटा जा सकता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसके निवारण के लिए विधिक प्रयासों के साथ-साथ पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर भी प्रयासों की जरुरत है। परिवार में माता-पिता का यह दायित्व बनता है कि वे अपने बच्चों को भटकाव और भ्रम से बचाने के लिए उन्हें ध्येयवादी बनाएं। ध्येय की तरफ बढ़ने में बच्चों की भरपूर मदद करें। ऐसा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जब जीवन का कोई लक्ष्य या ध्येय नहीं होता है, तो जीवन में एक प्रकार की रिक्तता आ जाती है। इस अवस्था में जीवन में ड्रग्स का प्रवेश आसान हो जाता है। ध्येय को सामने रखकर आगे बढ़ने वाले बच्चे भटकाव का शिकार नहीं होते हैं। अभिभावकों का यह दायित्व बनता है कि वे जीवन की भागदौड़ में से समय निकालें और अपना यह समय बच्चों को दें। बच्चों के साथ बैठकर सिर्फ उनकी लौकिक प्रगति पर ही चर्चा न करें, अपितु उनके मन में भी झांकें। उन्हें भरपूर भावनात्मक संरक्षण तो प्रदान करें हीं, उनकी गतिविधियों, साथ-संग पर भी नजर रखें। यदि बच्चे में कोई बदलाव दिख रहा हो, तो उसकी परख करें। ऐसा करके अभिभावक शुरु में ही बच्चे को ड्रग्स के दलदल की तरफ बढ़ने से रोक सकते हैं।

ड्रग्स की समस्या के निवारण में समाज की भी भूमिका निर्णायक हो सकती है। समाज के जिम्मेदार लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे ड्रग्स के व्यसनियों को उपेक्षित न करें और न ही उन्हें समाज से बहिष्कृत करें। ऐसे लोग सहानुभूति के पात्र होते हैं, अतः सहानुभूतिपूर्वक उनमें बदलाव लाने तथा उन्हें सही मार्ग पर लाने की चेष्टा करें। खेल, शिक्षा, संस्कृति, धर्म, मीडिया, राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे इस संदर्भ में जनजागृति लाने का काम करें। लोगों को ड्रग्स की बुराइयों से बचने का संदेश दें। इससे एक सकारात्मक वातावरण तैयार होगा, जो समस्या पर अंकुश लगाने में सहायक सिद्ध होगा।

‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ के स्वप्न को साकार करने के लिए आज समग्र प्रयासों की आवश्यकता है। व्यक्ति को स्वयं, उसके परिवार, यार दोस्तों, समाज, सरकार और कानून सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। किसी भी व्यक्ति को नशे की लत से बाहर लाना असंभव नही है। यह थोड़ा मुश्किल जरुर है। यदि समग्र प्रयास किए जाएं तो यह काम आसान हो सकता है। हमारे समक्ष ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि व्यसनी नशे की लत से बाहर आए और उन्होंने एक अच्छा नागरिक बन कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया। यकीनन एक मजबूत भारत के लिए एक आवश्यक है कि हम भारत को ड्रग्स मुक्त देश बनाएं। यह पहल शुरु भी हो चुकी है। नई सुबह करीब है।

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नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi -Drug Addiction

नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

मादक द्रव्य और नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

आज के समय में  मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओ का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ गया है। कोकीन (चरस, हशीश), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, हशीश, भांग जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके लोग अपना जीवन खराब कर रहे है।

ये पदार्थ कुछ समय के लिए नशा देते है जिसमे व्यक्ति को सुखद अनुभूति होती है, पर जैसे ही नशा खत्म होता है व्यक्ति फिर से उसे लेना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे इन पदार्थो की लत लग जाती है।

स्कूल, कॉलेजो में ड्रग्स, नशीली गोलियां चोरी छिपे बेचीं जा रही है जो युवाओं के भविष्य को नष्ट कर रही है। इन मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद जल्द ही इसकी लत लग जाती है। उसके बाद लोग चाहकर भी इसे छोड़ नही पाते हैं।

बच्चे अपनी पॉकेट मनी को खर्च करके इसे लेने लग जाते हैं। जल्द ही यह सेवन करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। आज देश के कई राज्यों में इन मादक पदार्थों/ ड्रग्स को चोरी छिपे बेचा जा रहा है।

पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में रेव पार्टिस में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। आमतौर पर पैसे वाले लोग इसका जादा शिकार होते है।

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नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

प्रमुख नशीले पदार्थ common drugs and narcotics.

कुछ प्रमुख नशीले पदार्थ –

  • कोकीन (चरस), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, भांग
  • डॉक्टर द्वारा लिखी गयी- नींद की गोलियां, तनाव, चिंता, अवसाद कम करने  वाली गोलियां
  • कफ सीरप जैसे कोरेक्स का सेवन
  • तम्बाकू वाले पदार्थ जैसे- बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा, पान मसाला
  • वाष्पशील विलायक जैसे- नेल पॉलिश रिमूवर (Nail Polish Remover), पेट्रोल,   पेंट (Paint)

मादक पदार्थ लेने के कारण   REASONS OF DRUG ABUSE

इसके पीछे निम्न कारण है-

  • आनन्द पाने के लिए युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग इसका सेवन करते हैं। इसके सेवन से कुछ समय के लिए शरीर में ताकत रहती है, मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ जाता है। लोगो को इसका प्रयोग उपयोगी लगने लगता है।
  • आजकल की महंगी जीवनशैली में माता-पिता दोनों ही पैसा कमाने के लिए नौकरियां करने लगे है। वो बच्चो का ख्याल नही रख पाते है। जादातर माता-पिता सुबह घर से निकलते है और रात में घर वापिस आते है। वो बच्चो को जेब खर्च के लिए अधिक से अधिक पैसा देते है जिससे वो ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है। कई बार बच्चे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। उन्हें सही तरह का मार्गदर्शन नही मिलने के कारण वो भटक जाते हैं।
  • अपने दोस्तों के प्रभाव में आकर बच्चे सबसे पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं। वो इसे शौक-शौक में लेते है पर जल्द ही इसकी लत लग जाती है। कई बच्चे इसको फैशन समझने लगे हैं। अमीर बच्चो में ये समस्या कुछ जादा ही है। ये नशीले पदार्थ बहुत महंगे होते है, पर अमीर घर के बच्चे इसे आसानी से खरीद लेते है।
  • कुछ लोग अपने दुःख दर्दों, जीवन की समस्याओं से पलायन करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है।
  • कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए इसका सेवन करते है।

मादक पदार्थो के सेवन का प्रभाव EFFECTS OF DRUG ABUSE

मादक पदार्थो के सेवन का निम्न दुष्परिणाम निकलता है-

  •  नशीले पदार्थो की लत लग जाने के बाद कुछ भी अच्छा नही लगता है। बार-बार नशीला पदार्थ लेने की तलब लगती है। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नही सोच पाता है। जब वो पदार्थ नही लेता है तो उसे बड़ी बेचैनी लगती है। बदन दर्द होता है। चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं।
  • इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। वो अपने रुचिकर कार्यों से भी विमुख हो जाता है।
  • नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा , आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते है।
  • मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। दूसरे लोगो के पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है।

मादक पदार्थो की लत से कैसे बचे? HOW TO OVERCOME DRUGS ADDICTION?

नशीले पदार्थो के सेवन के लिए निम्न उपाय अपनायें –

  • अपने मन में नशे की लत को छोड़ने की ठान लीजिये। मन में प्रबल इक्षा होना जरूरी है।
  • पुनर्वास केंद्र/ नशा मुक्तिकेंद्र (Rehabilitation Centre) में भर्ती होना अच्छा विकल्प है। वहां पर और भी लोग आते है। सबका इलाज एक साथ डॉक्टरों की देख रेख में किया जाता है। समूह चिकित्सा (Group Therapy) में मरीज का इलाज किया जाता है।
  • मनोवैज्ञानिक पद्धति से रोगी का इलाज किया जाता है।
  • ध्यान और योग के द्वारा भी मादक पदार्थो की लत को छोड़ा जा सकता है।
  • हर समय अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और हितैषियों के साथ रहे। जब आप उनके सामने हर समय रहेंगे तो आपको नशा करने का मौका ही नही मिलेगा।
  • नशे से ग्रस्त रोगियों को रोज डायरी लिखनी चाहिये। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जीवन की हर एक बात लिखनी चाहिये। नशा करने के बाद के दुषपरिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है की किस तरह उसकी जिन्दगी नशे से खराब हो रही है।

निष्कर्ष CONCLUSION

नशीले पदार्थो का सेवन कुछ मिनटों के लिए आनन्द देता है पर इसके दूरगामी दुष्परिणाम होते है। यह व्यक्ति को धीरे धीरे निगल जाता है और उसके जीवन को हर तरह से बर्बाद कर देता है। ऐसे लोग आये दिन लोगो से झगड़ा करने लगते है, ऑफिस या कार्यस्थल पर साथी कर्मचारियों के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार शुरू कर देते है।

काम करते हुए दुर्घटना ग्रस्त हो जाना, सस्पेंड होना, बार बार नौकरी बदलना, नौकरी छोड़ना, चिड़चिड़ा और गुस्सैल स्वभाव दिखाने से व्यक्ति का सब कुछ खत्म हो जाता है। व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। अतः हमे नशीले पदार्थो का सेवन बिलकुल नही करना चाहिये। जो लोग इस समस्या से ग्रस्त है उनको दृढ़ निश्चय करके इसे छोड़ देना चाहिये। याद रखे नशा एक जहर है।

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नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध , नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध भारत में नशे की समस्या पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

युवाओं में नशाखोरी की समस्या और समाज पर इसके प्रभाव पर स्टूडेंट्स के लिए निबंध दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.

नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi

नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

पिछले कुछ वर्षो से भारत में नशे के लिए ड्रग्स (Drugs) और मादक दवाओं (Narcotic drugs) का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. एवं इसने एक विकराल समस्या का रूप ले लिया है. एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख लोग नशे की लत के शिकार है.

जिनमे लगभग 10 लाख लोग हेरोइन के नशे की चपेट में है. गैर आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार यह संख्या 50 लाख तक भी हो सकती है.

स्कूली छात्रों के मध्य किये गये एक सर्वे में पाया गया कि भारत में नौवी क्लाश तक पहुचने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत छात्र ऐसे है. जिन्होंने एक बार किसी न किसी नशे का सेवन किया है.

राजस्थान में भी नशे की गम्भीर समस्या है राजस्थान में मुख्य रूप से डोडा पोस्त (Doda Post) ,अफीम (Opium) व अफीम से बने नशीले पदार्थो का सेवन किया जाता है.

राजस्थान परम्परिक रूप से अफीम उत्पादक है. यहाँ कोटा बारां, झालावाड़, चितोड़गढ़ उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों में अफीम की खेती की जाती है.

नारकोटिक्स सेंट्रल ब्यूरो (Narcotics central bureau) द्वारा इन क्षेत्रों में अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस जारी किये जाते है. सरकार की अफीम कृषि निति के अनुसार जितनी भी अफीम की खेती का उत्पादन होता है उसे दवाइयों में उपयोग करने के लिए सरकारी एजेंसियों को सौपा जाता है.

परन्तु सरकारी स्तर पर चार चौकसी की व्यवस्था नही होने के चलते इस निति का पूर्ण क्रियान्वयन नही हो पाता है. तथा किसान अफीम का एक बहुत बड़ा हिस्सा चोरी छिपे ड्रग माफिया को दे दिया जाता है. क्युकि अफीम का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक होने के कारण इससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है.

यह अफीम देश ही नही दुनिया के कई हिस्सों में स्मगल की जाती है. इस अफीम का एक हिस्सा पश्चिमी राजस्थान में पहुच जाता है. जहाँ विवाह, मृत्यु व अन्य सामाजिक अवसरों पर अफीम का उपयोग करने की पुरानी परम्परा है.

वर्तमान समय में यह परम्परा कुरीति का रूप ले चुकी है. पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिले विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर में अफीम Opium  का काफी प्रचलन है.

पश्चिमी राजस्थान अफीम का अंतर्राष्ट्रीय हब बन चूका है. पाकिस्तान व अफगानिस्तान को यहाँ से अफीम की सप्लाई किये जाने का कारोबार भी बड़े स्तर पर फ़ैल चूका है.

नशे के दुष्प्रभाव (Side effects of intoxication/Drug Abuse In Hindi)

नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होते है बल्कि इससे उसका पूरा परिवार तथा समाज प्रभावित होता है. ड्रग्स की लत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से अपंग बना देती है बल्कि उसकी मानसिक क्षमताओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है.

परिवार के मुखिया या परिवार के किसी सदस्य को ड्रग्स की लत जाने से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. तथा इसका असर समाज और देश पर भी पड़ता है.

नशे का गुलाम व्यक्ति तब तक जीता है, अपने आप पर, अपने परिवार तथा देश पर एक बोझ की तरह जीता है. नशे की लत लग जाने पर नशा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चोरी चकारी करता है तथा जरूरत पड़ने पर बड़े अपराधों को भी अंजाम दे देता है.

ड्रग्स माफिया नशे के आदि व्यक्तियों को कैरियर के रूप में काम में लेते है. तथा उनके माध्यम से ड्रग्स की तस्करी करवाते है वे खुद कभी भी कानून की पकड़ में नही आते है जबकि ड्रग्स का आदि व्यक्ति केवल नशे की पूर्ति के लिए सभी अनैतिक कार्य करने के लिए विवश होता है और इसका परिणाम स्वयं व उसका पूरा परिवार भुगतता है

नशे के उपयोग में लाई गई सूइया hiv का कारण बनती है जो अन्तः एड्स का रूप धारण कर लेती है. नशे के प्रभाव में व्यक्ति पागल व सुसुप्तावस्था में आ जाता है व नशे की उतेजना में अपराध तक कर बैठता है. नशे के सेवन से अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है.

भारत में मादक ड्रग्स का उपयोग बढ़ने के कारण (Due to the increase in the use of narcotic drugs in India In Hindi)

एक आंकलन के अनुसार भारत की आधे से ज्यादा संपदा केवल 50 लोगों के हाथो में है. अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब के लिए अपने परिवार को चलाना ही एक चुनौती है.

गरीब लोगों के पास अपने परिवार को मूलभूत सुविधाएं दे पाना मुश्किल हो गया है. गरीब व्यक्ति बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो समय का भोजन दे पाता है. अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाना तो बहुत दूर की बात है.

ऐसी स्थति में गरीब व्यक्ति तनाव व अवसाद में रहता है जिसके चलते कई बार अपने आपकों तनाव से मुक्त करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेता है और धीरे धीरे इसका आदि हो जाता है.

भारत में अधिकाँश युवा ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी बेरोजगार है. वे शारीरिक श्रम कर या छोटा मोटा व्यवसाय कर पर्याप्त आय अर्जित नही कर पाते है. क्युकि बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किसी छोटे व्यवसायी के लिए कोई जगह नही छोडी है.

ऐसी स्थति में युवावर्ग ड्रग्स माफिया का चंगुल में आ जाता है. तथा थोड़े से लाभ के लिए ड्रग्स कैरियर के रूप में काम करने को तैयार हो जाता है और अंतत नशे की लत का शिकार हो जाता है.

यधपि ड्रग्स की रोकथाम के लिए कठोर कानून एन डी पी एस अधिनियम बनाया गया है परन्तु इसकी पूरी तरह से पालना नही हो रही है. सरकार ने ड्रग्स की रोकथाम के लिए अनेकों एजेंसियों जैसे नारकोटिक्स, कंट्रोल ब्यूरो, केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, कस्टम आयुक्तालय, केन्द्रीय आबकारी आयुक्तालय, राज्य आबकारी विभाग आदि बनाए गये है.

परन्तु इन एजेंसियों एवं विभागों के मध्य सामजस्य का अभाव है. व ड्रग्स व नशे पर पूरी तरह से रोकथाम लगाने में विफल रहे है.

वर्तमान में व्यवसायिक गतिविधिया बढ़ने के साथ साथ ट्रांसपोर्ट के साधन जैसे ट्रक, बस, ट्रेन हवाई जहाज आदि बढ़ गये हीन सारे ट्रांसपोर्ट माध्यमो पर निगरानी नही हो पाती है. ड्रग्स माफिया इसका फायदा उठाते है और आसानी से ड्रग्स की स्मगलिंग करते है. इससे भी नशे में बढ़ोतरी हुई है.

नशे की समस्या का निवारण (Redressal problem Drug Abuse solution In Hindi)

ड्रग्स की समस्या के निवारण के लिए कठोर अफीम निति और इसका पूरा पालन सुनिनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है. अफीम की खेती चारदीवारी या पूरी तरह सरकार की निगरानी में की जानी चाहिए.

किसानों को अफीम का उचित मूल्य दिया जावें, जिससे वे आर्थिक लाभ के लिए अफीम को ड्रग्स माफिया को नही बेचे. किसानों को भी जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें नशे के दुष्प्रभाव को बताकर प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अफीम को सरकारी एजेंसियों को ही सौपे .

कुल मिलाकर एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की आवश्यकता है जहाँ एक ग्राम भी अफीम ड्रग्स तस्करों के हाथ नही पहुचे.

ड्रग्स की प्रभावी रोकथाम के लिए समाज में ख़ुफ़िया तन्त्र विकसित करने की आवश्यकता है. जो ड्रग्स की जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सम्बन्धित एजेंसी को दे.

सुचना देने वाले व्यक्तियों को पर्याप्त पुरस्कार एवं सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ऐसा करके उनका विश्वास जितने की आवश्यकता है.

ड्रग्स की रोकथाम में लगी हुई विभिन्न एजेंसियों के मध्य सामजस्य के लिए एक केन्द्रीय एजेंसी बनाई जानी चाहिए जो सभी एजेंसियों के मध्य सामजस्य के साथ साथ इसकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखे. इन एजेंसियों को सभी साधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है. और समय समय पर आवश्यक प्रक्षिक्षण दिया जाना चाहिए.

विभिन्न सरकारी एजेंसियों को उनके कार्यो के प्रति उतरदायी ठहराया जाना चाहिए एवं यदि उनके द्वारा कर्तव्य पालन में चुक की जाती है. तो उचित उदाहरणत्मक कार्यवाही की जानी चाहिय.

ड्रग्स की रोकथाम के लिए भी न्याय व्यवस्था को सुद्रढ़ किये जाने की आवश्यकता है. एन. डी. पी. एस. अधिनियम के प्रावधान अपने आप में पर्याप्त है. परन्तु इसकी पालना सुन्शिचित करवाने के लिए अनुसन्धान एजेंसियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

जिससे अनुसन्धान में रही तकनीक त्रुटी के आधार पर दोषी बचने में सफल नही हो पाए. अभियोजन को पूरी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष रखकर सजगता से पैरवी करनी चाहिए. और न्यायालय को छोटी छोटी तकनीकी त्रुटियों के आधार पर अभियुक्तगण को बरी नही किया जाना चाहिए.

ऐसी न्याय व्यवस्था कायम की जानी चाहिए जिसका समाज में यह संदेश जावे कि ड्रग्स का कारोबार करने वाला कोई भी व्यक्ति कानून के शिकंजे से नही बचेगा और उसे अवश्य ही सजा मिलेगी.

निति निर्माताओं को देश की अर्थ निति, कृषि निति और शिक्षा निति पर भी नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है.

अर्थ निति ऐसी होनी चाहिए जिससे गरीब अमीर का अंतर कम हो सके. कर चोरी पर पूरी तरह से रोकथाम लगे. काले धन का संचय नही हो और पब्लिक मनी का उपयोग राष्ट्रहित में किया जावे.

शिक्षा निति में आवश्यक बदलाव कर यह सुनश्चित किया जाना चाहिए कि उसका उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करना न होकर रोजगार हासिल करना हो.

ग्राम स्वराज्य की तर्ज पर युवाओं को व किसानों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जावे जिससे उनमे शहरों की पलायन की प्रवृति रुक सके.

ऐसा करने से गरीब किसान व युवावर्ग को नशे से दूर रखा जा सकता है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न स्थानों पर, कम से कम एक जिला स्तर पर नशामुक्ति केंद्र स्थापित करना चाहिए.

जहाँ विशेज्ञयों द्वारा नशे की लत से शिकार व्यक्तियों को परामर्श उपलब्ध करवाकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जावे और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे.

इन केन्द्रों पर आधुनिक तकनीक व सुविधाए होनी चाहिए. गरीब लोगों के लिए वे सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए. इन सुविधाओं का पर्याप्त प्रसार प्रसार होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को नशे के बारे में जानकारी मिल सके.

नशा छोड़ देने वाले व्यक्ति लो निगरानी के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे पुन; नशे की दलदल में नही फसे. ऐसे व्यक्तियों को पुनः समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए एवं उन्हें उत्पादक गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए जिससे फिर से वे नशे का रुख नही करे.

आवश्यकता होने पर ऐसे व्यक्तियों को नये रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. उनके परिवारों को प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे पुरानी बातो को भुलाते हुए खुले दिल से नशा छोड़ने वाले व्यक्ति का स्वागत करे और उसे आत्मीय व्यवहार प्रदान करे.

केवल कानून से ड्रग्स की समस्या से निजात नही पाई जा सकती है. इसके लिए जनचेतना और पुरे समाज की सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है. समाज को ड्रग्स के दुष्प्रभावो के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

और ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जहाँ न केवल आम आदमी नशे से दूर रहे बल्कि नशीले पदार्थो की तस्करी की सप्लाई की कोई भी जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सरकारी एजेंसियों को दे जिससे नशे के कारोबारियों को तुरंत सजा मिल सके.

नशे की रोकथाम के उपाय (Drug prevention measures In Hindi)

विधिक सेवा संस्थाओ का यह सामाजिक एवं विधिक दायित्व है कि वे ड्रग्स की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए. विधिक सेवा संस्थाओं को सरकारी एजेंसियों विशेज्ञयों के साथ मिलकर ड्रग्स की रोकथाम के लिए ठोस योजना निति बनानी चाहिए.

जिसके तहत आम जन को ड्रग्स की रोकथाम के लिए बने हुए कानूनों तथा समाज पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जावे. विधिक सेवा संस्थाओं के पैनल अधिवक्ता व पैरालीगल वोलेंटीयर्स सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सकते है. 

विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा स्कुल कोलेजों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते है. निबंध, पोस्टर, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कर विद्यार्थियों को जागरूक किया जावे.

विद्यार्थी विधिक सेवा व शान्ति दूत के रूप में कार्य करते हुए नशा मुक्ति का संदेश पूरे समाज में पहुचाना चाहिए. विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा नशा मुक्ति केन्द्रों का दौरा कर नशा छोड़ने वाले व्यक्तियों को आवश्यक परामर्श दिया जावें.

यदि विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने कर्तव्य की पालना नही की जाती है तो विधिक सेवा संस्थाए सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की जा सकती है.

नशे की रोकथाम के लिए हम सभी को पुरे मनोयोग से सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है एकल प्रयासों इस पर पार पाना संभव नही है.

सभी सरकारी एजेंसियों व विधिक सेवा संस्थाओं को मिलकर इस बुराई की रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए. तभी नशा मुक्ति भारत का सपना साकार हो सकेगा.

नशा मुक्ति De Addiction Meaning Drug Abuse In Hindi

एक व्यक्ति द्वारा ऐसी मादक दवाएं / नशीली दवाएं अथवा नशीली सामग्री का उपयोग करना जिससे शारीरिक/मानसिक/ मनोवैज्ञानिक क्षमताएं प्रभावित होती हो, नशाखोरी / दुर्व्यसन कहलाता हैं.

लोग प्रायः अपने आधुनिक जीवन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए गम या हर्ष का प्रदर्शन करने के लिए, अपनी समर्द्धता या स्फूर्ति अनुभव कराने के लिए नशा करते हैं.

सरकारी आकडे के अनुसार देश में 7.3 करोड़ लोग नशे का सेवन करते है तथा 70 प्रतिशत इसके अभ्यस्त हो चुके हैं. नशाखोरी के उदहारण- भांग, गांजा, चरस, शराब/ एल्कोहल, अफीम, हेरोइन, एलएसडी, मार्फीन, कोकीन आदि.

नशाखोरी के प्रकार

उद्दीपक दवाएं अपर्स/पेप पिल्स/स्पीड.

  • मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा अस्थायी स्फूर्ति आने से व्यक्ति में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हो जाता हैं. जैसे एमफोटेमाईन दवा, कोकेन (कोका के पौधे से प्राप्त क्षारतत्व- एल्केलायड) क्रैक (कोकीन क ही एक ओर रूप) अधिकतर खिलाड़ियों एवं विद्यार्थियों के द्वारा उपयोग
  • कोकीन के अधिक उपयोग से मनोवैज्ञानिक समस्याएं यथा- चिंता, तनाव, भय, अनिद्रा आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा शरीर का वजन कम हो जाता हैं.

अवसादक दवाएं / डाउनर्स

  • मस्तिष्क एवं मांसपेशियों की क्रियाशीलता को कम करती हैं जैसे शराब/ एल्कोहल, मैड्रेक्स, वेलियम, लिब्रियम आदि.
  • गोलियां अधिक उपयोग करने से आलस्य, चिड़चिड़ापन, मानसिक निष्क्रियता आदि हैं.
  • प्रायः अवसादक गोलियों में बार्बीटुरेट रसायन होते हैं. जो नीद की गोलियों में भी पाए जाते हैं.
  • इन दवाओं के अधिक सेवन से या बिना चिकित्सकीय निरिक्षण के इनका उपयोग बंद करने पर खतरे की स्थिति पैदा होती हैं.

विभ्रांति कारक दवाएं/ चेतना प्रसार दवाईयां

  • मानसिक संवेदन को तीव्र करने वाली हमारी चेतना का ढंग/ सुनने/ देखने/ अनुभव का ढंग बदलने वाली दवाईयां
  • इन दवाओं के सेवन से समय, स्थान, पहचान का बोध धीरे धीरे समाप्त हो जाता हैं. व्यक्ति को इसकी कम मात्रा में लगता है जैसे वह अधिक उंचाई पर हैं.

स्वापक दवाएं / अफीमी दवाएं

  • पोस्त के पौधे से बनने वाली दवाइयां जैसे अफीम हेरोइन, मार्फीन, मीथेडीन, पैथीडीन आदि.
  • अफीम पोस्त पौधे से तैयार होती हैं. अफीम का वैज्ञानिक नाम Lachryma Papaveris या पैपेवर सेमेइफेरम हैं. अफीम में
  • 12 प्रतिशत मार्फीन होती हैं. मार्फीन से ही हेरोइन को तैयार किया जाता हैं.
  • हेरोइन महंगी होने के कारण उसके अपरिष्कृत रूप में ब्राउन शुगर एवं स्मैक प्रयुक्त होते हैं.
  • गाँवों में अफीम का उपयोग कब्ज पैदा करने हेतु, सर्दी जुकाम से निजात हेतु, युद्ध के समय मल मूत्र रोकने हेतु एवं यौन शक्ति बढ़ाने हेतु किया जाता था. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत व्यापक रूप से इसका उपयोग होता हैं.
  • राजस्थान में चित्तौड़गढ़ अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक जिला हैं.

अन्य नशीले पदार्थ

  • भांग के पौधे से ही भांग गांजा चरस आदि प्राप्त होते हैं जिन्हें खाकर, पीकर, धुम्रपान के रूप में सेवन किया जा सकता हैं.
  • केनबिस सैटिवा के जंगली/ कृषिजात नर / नारी सभ प्रकार के पौधों की पत्तियों से भांग प्राप्त होती हैं.
  • कृषिजात नारी पौधों के फूलदार, फलदार शाखाओं को क्रमश सुखाकर व दबाकर गांजा तैयार करते हैं जो इन्ही पौधों से जो रालदार स्राव निकलता है उससे चरस/ सल्फा प्राप्त करते हैं.
  • चरस गांजे के पेड़ से ही निकला एक प्रकार का गोंद हैं जो मोम की तरह हरें पीले रंग का द्रव्य हैं.

मादक द्रव्यों के दुष्परिणाम

  • मादक पदार्थों से व्यक्ति के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता हैं.
  • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव- मानसिक अक्षमता, संवेगात्मक असंतुलन, अत्यधिक निद्रा
  • विभिन्न दुर्घटनाएं
  • अवैध व्यापार, तस्करी को बढ़ावा, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण, पारिवारिक पतन
  • आर्थिक संकट

नशाखोरी के तथ्य

  • विश्व में 1968 में अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड की स्थापना हुई. यह स्वतंत्र व अर्द्धन्यायिक संस्था है जिसका मुख्यालय वियना आस्ट्रिया हैं.
  • केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) की स्थापना नवम्बर 1950
  • विश्व में मादक द्रव्यों के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय दिवस- २६ जून

  • नशा निषेध दिवस पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध
  • नशाखोरी का युवा समाज व देश पर प्रभाव

उम्मीद करता हूँ दोस्तों नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi का यह निबंध आपको पसंद आएगा.

यदि आपको नशाखोरी के बारे में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

Very nice sir thanku….

Very inspired essay for peoples To abuse drugs

धन्यवाद हर्ष जी

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  • निबंध ( Hindi Essay)

drug free india essay in hindi

Essay on Drug Abuse in India in Hindi

भारत आज के समय में आधुनिकता को अपनाने के साथ-साथ देश के हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। परंतु आज की युवा पीढ़ी कुछ गलत आदतों के कारण अपनी तरक्की में बाधा बनते जा रहे हैं। आज के समय में लोगों का तनाव इतना बढ़ते जा रहा है, कि वह नशीली पदार्थों का सेवन करने पर मजबूर होते जा रहे हैं। आज के समय में मादक पदार्थों का सेवन युवा पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती का रूप लेते जा रहा है। नशीली पदार्थों जैसे -शराब, चरस ,गांजा, कोकीन, तंबाकू , गुटका, व्हिस्की, बियर, भांग ,ब्राउन शुगर, इत्यादि जैसे चीजों का सेवन करके लोग अपने अमूल्य जीवन को खराब करते जा रहे हैं। आज के इस तनाव भरे जीवन से छुटकारा पाने के लिए लोग इस प्रकार की नशीली पदार्थों की चपेट में आते जा रहे हैं ।जो कि हमारे आने वाले भविष्य के युवा पीढ़ियों लिए खतरा साबित हो सकता है।

नशीले पदार्थ उपयोग करने का कारण:-

आज के इस आधुनिक समय में लोगों का जीवन इतना व्यस्त और तनावपूर्ण हो गया है, कि वे अपने बारे में सोचने तक का समय नहीं निकाल पाते है। लोग अपनी तनाव भरी जीवन से छुटकारा पाने के लिए मादक पदार्थों का उपयोग करने पर मजबूर हो जाते हैं। युवा पीढ़ी और अधेड़ दोनों वर्गों के लोगों द्वारा मादक पदार्थों का सेवन किया जाता है ,मादक पदार्थ का सेवन करने से लोगों को आनंद की अनुभूति होती है ।और इसके कारण लोगों के शरीर में कुछ समय के लिए ताकत, मनोबल ,आत्मविश्वास, बढ़ जाता है।

आज के इस तनाव भरे और व्यस्त जीवन में  अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए माता-पिता दोनों ही नौकरी करते हैं ,जिसके कारण वे अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते। वे ज्यादातर सुबह नौकरी पर जाते हैं और शाम को घर आते हैं ।इसी कारण वश बच्चे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करने पर मजबूर हो जाते हैं। ज्यादातर बच्चे गलत संगति में पढ़ कर अपनी आदतें बिगाड़ लेते हैं। क्योंकि बच्चों और युवा पीढ़ियों पर संगति का असर जरूर होता है। मादक पदार्थों जैसे चीज का सेवन करने में ज्यादातर अमीर बच्चे शामिल होते हैं ,क्योंकि इस प्रकार के बच्चों का अपने माता-पिता द्वारा अच्छे से ख्याल नहीं रखा जाता। और उन्हें अच्छा मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण वे गलत संगति का शिकार हो जाते हैं।

और कुछ लोग अपनी दुख ,दर्द ,समस्या और व्यस्त भरी जीवन से तंग आकर समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नशीली पदार्थों का सेवन करने पर मजबूर हो जाते हैं। और कुछ अमीर लोग अपनी बोरियत ,अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं। अमीर लोगों के लिए नशीली पदार्थ का सेवन करना एक प्रकार का शौक है ,वह अपने पैसे खर्च करने की वजह ढूंढते हैं। जिसके कारण वे  नशीली पदार्थ का सेवन करते हैं।

भारत में नशीली पदार्थों के सेवन करने का प्रभाव:-

भारत में आज के समय में नशीले पदार्थों का सेवन करना एक आम बात  हो गया  है, परंतु  यह आज के युवा पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। नशीली पदार्थों का सेवन करने से युवा पीढ़ियों की तबीयत में खराबी  होती  है । जिसके कारण उनका भविष्य पूरा अंधकारमय बन जाता है। मादक पदार्थों का सेवन करने से निम्न प्रकार के दुष्परिणाम निकलते हैं जैसे कि:-

1. अपने तनाव को दूर करने के लिए नशीली पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण इसकी लत लग जाती हैं। जिसके कारण जब वे नशीली पदार्थ का सेवन नहीं  कर पाता तो उनकी मानसिक संतुलन खराब होने लगती हैं। बदन दर्द ,भूख ना लगना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा ,हाथ-पैर में दर्द ,शरीर कांपना, उल्टी ,भारीपन, इत्यादि जैसे समस्याओं का सामना  युवा पीढ़ियों को करना पड़ता है।

2. इन नशीली पदार्थों का लगातार सेवन करने से मनुष्य के शरीर में अलग-अलग प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं । मनुष्य के हृदय, गुरदों, मस्तिष्क ,इत्यादि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। और जिसके कारण हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है।

3. नशीली पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति अपनी सोचने समझने की शक्ति खो देता है, जिसके कारण वे दूसरे लोगों से बदतमीजी जैसे बुरे व्यवहार करने लगते हैं। महिलाओं के साथ छेड़खानी , आत्महत्या, लूटमार, हत्या, दुर्घटना ,बाल शोषण , घरेलू हिंसा, इत्यादि जैसे अपराध नशीली पदार्थों का सेवन करने के बाद होते हैं।

4. मादक पदार्थ का सेवन अधिकतर अमीर व्यक्ति करते हैं ,क्योंकि मादक पदार्थ जैसी चीजें बहुत महंगी आती हैं। परंतु आज के समय में मादक पदार्थ का सेवन एक आम व्यक्ति भी करता है , जिसके कारण मनुष्य अपने सारे पैसे खर्च कर देते हैं ,और वे चोरी करने पर मजबूर हो जाते हैं। कई बार मनुष्य मादक पदार्थ का सेवन करने के लिए अपनी जमीन, जायदाद, मकान ,गहने, घर का सामान, इत्यादि चीजों को बेच देते हैं। जिसके कारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बदतर हो जाती हैं।

नशीली पदार्थों के सेवन करने से कैसे बचें:-

आज के समय में भारत में नशीले पदार्थों का सेवन करना एक आम बात हो गया है। यह समस्या आज के समय में ज्यादातर युवा पीढ़ियों में देखी जा रही है। परंतु यह उनके भविष्य के लिए बहुत हानिकारक है इसीलिए नशीले पदार्थों के सेवन से बचने के लिए मनुष्य और सरकार दोनों को कुछ उपाय करने चाहिए जैसे कि-

1. भारत में ऐसे बहुत सारे मनोवैज्ञानिक पद्धति के रोगियों के लिए अस्पताल जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। इसीलिए मनुष्य को इस प्रकार के अस्पताल में जाकर अपने नशे की लत को छोड़ने की कोशिश करना चाहिए।

2. मनुष्य को अपने मन में नशे की लत को छोड़ने का दृढ़ संकल्प बनाना चाहिए, क्योंकि मनुष्य की इच्छा से सब कुछ संभव होता है।

3. वैज्ञानिकों द्वारा, नशा करने वाले व्यक्ति को रोज  डायरी लिखने चाहिए क्योंकि नशा करने के बाद  अपने दुष्परिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है कि वे किस तरह अपनी जिंदगी को नशे की लत के वजह से खराब कर रहे हैं । ताकि वे लज्जित होने के कारण इस आदत को छोड़ने की कोशिश कर पाएंगे।

4. व्यक्ति को एक अच्छी संगत में होना चाहिए। और उन्हें हर समय अपने रिश्तेदार ,परिवार, दोस्त, के साथ रहना चाहिए ,क्योंकि व्यक्ति हर समय अपने परिवार वालों के साथ रहेंगा तो उन्हें नशा करने का समय ही नहीं मिलेगा।

5. नशीली पदार्थ का सेवन करने वाले व्यक्ति को योगा और ध्यान करना चाहिए ,जिसके कारण उनकी मानसिक स्थिति ठीक रहेगी और वह नशीली पदार्थ के सेवन करने से छुटकारा पा सकेंगे।

6. भारत में नशा से छुटकारा दिलाने वाला अलग-अलग प्रकार के नशा मुक्ति केंद्र स्थित है। इसके अंतर्गत एक साथ कई सारे मरीजों का इलाज किया जाता है। और यह नशा छुड़ाने का सबसे अच्छा साधन है।

नशीले पदार्थ का सेवन करना एक मनुष्य के जीवन के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके सेवन से मनुष्य अपनी मानसिक संतुलन भी खो सकता है। नशीले पदार्थ एक दीमक की तरह मनुष्य के पूरे जीवन को खोखला बना देता है। नशीले पदार्थ का सेवन करने से मनुष्य को कुछ समय के लिए आनंद का आभास होगा ,परंतु इसका दुष्परिणाम उनको पूरे जीवन झेलना पड़ेगा। इसीलिए मनुष्य को अपने आप पर नियंत्रण कर के नशीले पदार्थ के सेवन करने से बचना चाहिए । क्योंकि इससे उनकी पूरे जीवन और परिवार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जिसके कारण मनुष्य का अमूल्य जीवन बर्बाद हो जाता है ।

FAQ in Hindi ( विषय के संबंध में प्रश्न):-

1 प्रश्न:- मनुष्य द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन करने का क्या कारण है?

उत्तर:- मनुष्य द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन करने का मुख्य कारण तनाव और अकेलापन है।

2 प्रश्न:- नशीले पदार्थ मनुष्य के शरीर  में किस प्रकार प्रभाव डालते हैं?

उत्तर:- नशीले पदार्थ का सेवन करने से मनुष्य के शरीर में अलग-अलग प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। तथा उनकी मानसिक संतुलन बिगड़ती है ।जिसके कारण  पागल होने का और हार्ट अटैक आने का खतरा भी बढ़ जाता है।

3. प्रश्न:- नशीले पदार्थ के कारण भारत में क्या प्रभाव पड़ रहा है?

उत्तर:- नशीले पदार्थ के कारण भारत में निवास करने वाले युवा पीढ़ियों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है। तथा भविष्य में आने वाले पीढ़ियों के लिए यह एक बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है ।जिसके कारण भारत के विकास में त्रुटि आ रही है।

4. प्रश्न:- नशीले पदार्थ का उपयोग करने से कैसे बचें?

उत्तर:- नशीले पदार्थों का उपयोग करने से बचने के लिए मनुष्य को अपने मन में दृढ़ संकल्प बनाना होगा। तथा नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने के लिए उन्हें नशा मुक्ति केंद्र जाना चाहिए। और डेली डायरी लिखना चाहिए ।इनसे उनकी नशे की लत को छोड़ने  में बहुत मदद मिलेगी।

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Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध

November 13, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में मादक पदार्थों की लत पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Drug Addiction in Hindi Language for students of all Classes in 200, 250 and 500 words.

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Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (100 Words)

हमारे युवाओं में नशीले पदार्थों की लत बहुत आम हो रही है शायद युवाओं को यह जीवन बहुत भारी लगता है। इससे बचने के बाद, वे ड्रग्स लेते हैं कभी-कभी माता-पिता स्वयं इसका कारण बन जाते हैं वे या तो बहुत सख्त हैं या उनके बच्चों में भाग लेने के लिए कोई समय नहीं है। युवाओं को उपेक्षित महसूस होता है शिक्षा की हमारी असाधारण व्यवस्था भी बड़ी वजहों में से एक है। जब युवाओं को 15-20 साल की शिक्षा के बाद कोई रोजगार पाने में असफल होते हैं, तो वे निराश हो जाते हैं और दवाओं में ले जाते हैं। नशीली दवाओं की लत एक बड़ी सामाजिक समस्या बन गई है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए कोई शॉर्ट-कट इलाज नहीं है हम अक्सर शिकायत करते हैं कि हमारे युवा गलत हो रहे हैं लेकिन, हम अपनी समस्याओं को समझने के लिए शायद ही कुछ भी करते हैं हमारी युवाओं को ड्रग्स से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका उनकी ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक तरीके से करना है। एक रोजगार आधारित शिक्षा प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (250 Words)

मादक पदार्थों की लत वर्तमान समय की गंभीर समस्याओं में से एक है। हेरोइन, हैशिश और भूरे रंग की शक्कर जैसे नशीले पदार्थों को आमतौर पर दवाएं कहा जाता है और युवा पुरुषों और महिलाओं या तो इन दवाओं को मौखिक रूप से लेते हैं या अपने धुएं में श्वास डालते हैं।

समाजशास्त्री का कहना है कि नशीली दवाओं की लत एक लत है जो पश्चिमी देशों के भारत और अन्य प्राच्य देशों में आ गई है। भारतीय पश्चिम की ओर अग्रसर हैं और नशा-नशेड़ी बन रहे हैं। आधुनिक समाज में कई परिवार-समस्याएं हैं प्यार और स्नेह शक्तियों की कमी युवाओं को ड्रग्स के आदी हो जाने के लिए कभी-कभी आदी मित्रों के दबाव में युवाओं को एक आदी बनने की आदत होती है।

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि ड्रग्स नशे की लत को दुनिया के तनावों और समस्याओं से बचने में मदद करते हैं। लेकिन वे नर्वस सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचाते हैं और नशेड़ी के मानसिक मेक-अप को तोड़ते हैं। यह मौत का कारण बनता है यहां तक कि अगर नशे की लत ड्रग्स लेने से अचानक वह मर सकता है इसलिए वापसी धीरे-धीरे किया जाना चाहिए।

नशीली दवाओं के प्यार और दया से व्यवहार किया जाना चाहिए। बेईमान व्यापारियों और नशीली दवाओं के तस्करों को नियंत्रित करने के लिए समाज को मजबूत कदम उठाने चाहिए। दुनिया भर में नशीली दवाओं के नियंत्रण के नियम हैं, फिर भी नशे की लत धीरे-धीरे बढ़ रही है। विभिन्न देशों के युवाओं के बीच एक दवा विरोधी चेतना की क्या आवश्यकता है|

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (500 Words) 

नशीली दवाओं की लत हमारे समाज में एक नई घटना नहीं है। इतिहास यह है कि आदमी हमेशा कैनबिस, हशिश, मारिजुआना जैसी दवाओं के उपयोग को जानता है। कई राजा और कलाकारों सहित महान पुरुष दवाओं को एक आदत के रूप में लेने के लिए जानते हैं एक आम आदमी ने भी एक धार्मिक समारोह के एक हिस्से के रूप में या सामाजिक परंपरा के रूप में दवाओं को भी लिया है हालांकि, इस आदत ने हाल ही में जब तक सिंथेटिक दवाओं का विकास नहीं किया था और दैनिक जीवन में बढ़ती हुई कठिनाइयों के साथ उनके डेरिवेटिव के परिणामस्वरूप दवाओं और नशीली दवाओं की एक अनियंत्रित लहर हुई है। यह आदत समाज के केवल विशेष वर्गों तक ही सीमित नहीं है। आज, लगभग हर युग, पेशे और समाज के लोग ब्राउन शुगर, कोकेन, स्मैक इत्यादि जैसे विभिन्न नामों से समाज में जाने वाली इन दवाओं के प्रभाव में आते हैं।

एक समय था जब कुंठा, खारिज और भावनात्मक गड़बड़ी का मुख्य कारण था, जिसके कारण एक व्यक्ति ने ड्रग्स ले लिया। लेकिन अब हम जिज्ञासा, सहकर्मी समूह के दबाव, साहस की भावना और कारणों की लंबी सूची तक आसानी से पहुंच सकते हैं जिसके कारण आज की पीढ़ी दवाओं के आदी बन गई है। ड्रग लेने की इस घटना से सबसे दुर्भाग्यपूर्ण गिरावट यह है कि एक व्यक्ति आसानी से इसके लिए आदत हो जाता है। सभी की आवश्यकता सिर्फ एक पफ है एक बार जब कोई व्यक्ति व्यसनी हो जाता है, तो वह नियमित रूप से ड्रग्स की नियमित आपूर्ति प्राप्त करने के लिए किसी भी तरह के अपराध करता है। वह धोखा दे सकता है, चोरी कर सकता है, झूठ बोल सकता है और कभी-कभी हत्या भी कर सकता है, ताकि वह ड्रग्स खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा दे। अगर वह दवाओं की अगली खुराक प्राप्त करने में सक्षम न हो, तो आल नशे की गहन वापसी के लक्षण ग्रस्त हैं।

उसकी नाक पानी शुरू हो जाती है, वह पेट और शरीर के ऐंठन से मिलता है, उसके शरीर में दर्द होता है, उसकी आँखें ‘जलती हुई सनसनी होती है, वह सिर दर्द को विभाजित करता है और बेहद बीमार हो जाता है। इस लत का इलाज करने का एकमात्र तरीका योग्य चिकित्सा सहायता, एक मजबूत इच्छाशक्ति और एक बहुत ही सहायक परिवार है। नशे की लत की बीमारी हमारे समाज में तेजी से फैल रही है। इसलिए, समय की जरुरत है कि युवाओं के विकास की ठीक से निगरानी करें और उनकी आदतों पर सतर्क नजर रखें। इसके अलावा, एक परिवार को बच्चों को सभी प्यार और ध्यान, समर्थन, विश्वास और प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को मानव शरीर पर दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में बता देना चाहिए। और यदि संभव हो तो उन्हें नशीली दवाओं की नस्लों को अस्पतालों को देखने के लिए ले जायें, ताकि वे किसी भी समय नशीली दवाओं के साथ प्रयोग करने की आवश्यकता महसूस न करें।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध )  को पसंद करेंगे।

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By विकास सिंह

essay on drug abuse in hindi

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का मतलब एक समय में दवाओं का अत्यधिक सेवन होता है। नशीली दवाओं के बार-बार उपयोग से नशे की लत विकसित होती है जिसमें हानिकारक परिणाम होते हैं। यह एक ऐसी समस्या है जो मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करती है जिससे इसे गंभीर नुकसान पहुंचता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, जुनूनी और दवाओं के अत्यधिक उपयोग के लिए एक शब्द है, जो इन दिनों एक आम समस्या है। दवाओं का नियमित उपयोग स्वयं हानिकारक है। यह लत की ओर जाता है और व्यवहार में परिवर्तन का कारण बनता है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग विशेष रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों जैसे कि गुर्दे की विफलता और हृदय की समस्या को भी जन्म दे सकता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (200 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं का बार-बार और अत्यधिक उपयोग है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जिससे मस्तिष्क को एक बड़ी क्षति होती है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण करने की शक्ति को बाधित करता है और ड्रग्स लेने के आग्रह का विरोध करने की उनकी क्षमता में हस्तक्षेप करता है।

ड्रग्स को शुरू में पसंद से बाहर ले जाया जाता है, हालांकि, जितना जल्दी आपको एहसास होता है, उनका विरोध करना कठिन हो जाता है। इस समस्या से उबरना मुश्किल है और यहां तक ​​कि जो लोग इसे फिर से विकसित करने का एक उच्च जोखिम खड़ा करते हैं।

निम्न के कारण होने वाले तनाव पर अंकुश लगाने के लिए लोग आमतौर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं:

  • पारिवारिक मामले
  • काम पर दबाव
  • स्कूलों और कॉलेजों में बढ़ती प्रतियोगिता
  • रिश्ते की समस्याएं
  • वित्तीय समस्याएं
  • खालीपन का एहसास
  • इसके अलावा, यह एक आनुवांशिक समस्या भी हो सकती है। जो भी कारण हो, यह समझना आवश्यक है कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग केवल समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें बढ़ाता है। इस प्रकार इससे दूर रहना ही बुद्धिमानी है। जो लोग पहले ही इस समस्या के शिकार हो चुके हैं, वे इससे उबरने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन ले सकते हैं। उचित दवा, प्रियजनों का समर्थन और दृढ़ इच्छा शक्ति नशाखोरी की अंधेरी दुनिया से बाहर ले जा सकती है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए उपचार लंबी अवधि में बढ़ाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समस्या से छुटकारा न मिले।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (300 शब्द)

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का तात्पर्य दवाओं के अत्यधिक उपयोग से है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे मुख्य रूप से मस्तिष्क को नुकसान होता है। ड्रग्स को शुरू में अलग-अलग कारणों से पसंद के कारण लिया जाता है। हालांकि, धीरे-धीरे उनका विरोध करना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग कारण हैं कि लोग दवाओं का रास्ता क्यों अपनाते हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है और इस समस्या पर अंकुश लगाने के तरीके भी हैं।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण:

पारिवारिक / संबंध समस्याएँ कई लोगों के परिवार में समस्याएं हैं। उनके लिए, नशीली दवाओं का दुरुपयोग उन समस्याओं के कारण होने वाले तनाव से एक आसान लगता है। युवा, विशेष रूप से मादक पदार्थों के सेवन से अपने संबंधों की समस्याओं से निपटने की कोशिश करते हैं।

काम का दबाव स्कूल और कॉलेज स्तर पर या कार्य स्थल पर प्रतिस्पर्धा और दवा दुरुपयोग का एक और प्रमुख कारण है।

जीन अक्सर यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति के जीन भी उसके / उसके मुड़ने वाले व्यसनी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्या आमतौर पर, परिवार में नहीं चलती है।

अकेलापन अकेलेपन या खालीपन की भावना भी एक व्यक्ति को दवाओं की ओर मुड़ने के लिए मजबूर कर सकती है।

दवा के दुरुपयोग समाधान:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न चरणों से पीड़ित लोगों को विभिन्न प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है:

उपचार में रहना दवाओं की अनुपस्थिति के अनुकूल होने के लिए रोगी के मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। यह उपचार रोगियों को दवाओं के लिए उनकी लालसा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

वापसी उपचार जो लोग दवाओं का उपयोग करना बंद कर देते हैं वे तनाव, चिंता, मनोदशा में बदलाव आदि जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए उन्हें दवाएँ दी जाती हैं।

पलायन को रोकें कई कारक हैं जो एक रिलैप्स को ट्रिगर कर सकते हैं। इन ट्रिगर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं विकसित की जा रही हैं।

निष्कर्ष:

इन दिनों ड्रग एब्यूज एक आम समस्या है। हालांकि प्रतिरोध करने में मुश्किल है, दवाओं का उपयोग उचित दवा और मार्गदर्शन के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (400 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक पुरानी बीमारी है। जो लोग नशीली दवाओं का दुरुपयोग करते हैं, वे उनके हानिकारक परिणामों के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बावजूद उनका विरोध करने में असमर्थ हैं। दवाओं का नियमित सेवन मस्तिष्क को प्रतिकूल रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और विभिन्न अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

दवाओं के भारी सेवन के कारण होने वाले मस्तिष्क परिवर्तन लगातार हो सकते हैं। इस प्रकार नशीली दवाओं की लत एक समस्या के रूप में जानी जाती है। यहाँ नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न कारणों पर एक नज़र है और इस समस्या को दूर करने के तरीके भी हैं:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किए गए हैं। यहाँ इनमें से प्रत्येक पर एक नज़र है:

पर्यावरणीय कारक किसी व्यक्ति के वातावरण में विभिन्न कारक शामिल होते हैं जैसे कि उसकी सामाजिक स्थिति, परिवार, दोस्त, पेशेवर जीवन, आदि। परिवार में समस्याएं, बुरी कंपनी, काम पर प्रतिस्पर्धा और उचित मार्गदर्शन और माता-पिता या शिक्षकों से समर्थन की कमी के कारण अक्सर नशीली दवाओं का सेवन हो सकता है।

जैविक कारक नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक आनुवंशिक समस्या भी हो सकती है। एक बच्चा नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार होने की एक उच्च संभावना रखता है यदि उसके माता-पिता में से कोई भी उसी के प्रभाव में रहा हो। कुछ मानसिक विकार भी व्यक्ति को दवाओं की ओर मोड़ सकते हैं।

आयु कारक हालांकि नशा किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन जो लोग कम उम्र में ड्रग्स लेना शुरू करते हैं, उन्हें नशे की लत लगने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके मस्तिष्क में वे क्षेत्र जो आत्म-नियंत्रण, निर्णय और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अभी भी अपने विकास के चरण में हैं। यही कारण है कि किशोरों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की संभावना अधिक होती है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का इलाज करने के तरीके

हालांकि मुश्किल है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या को ठीक करने के तरीके हैं। यहां कैसे:

विशेषज्ञ मार्गदर्शन इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर से मिलने और उचित दवा लेने का सुझाव दिया जाता है। जो लोग इस गंभीर समस्या से पीड़ित हैं, उनमें से अधिकांश को इसे नियंत्रित करने के लिए पुनर्वास केंद्र में शामिल होने की सिफारिश की जाती है।

सही खाएं और व्यायाम करें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण होने वाली क्षति को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने के लिए फिर से भरना चाहिए और यह केवल एक स्वस्थ आहार के द्वारा किया जा सकता है। खाड़ी में तनाव बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने का भी सुझाव दिया जाता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, मुख्य रूप से किसी के जीवन में भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के प्रयास के कारण होता है, यह स्वयं हानिकारक हो सकता है। इसे एक व्यक्ति की जीवनशैली को खतरा हो जाता है और उसका स्वास्थ भी इससे खराब हो जाता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (500 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं के अत्यधिक, बाध्यकारी और दोहराया उपयोग है। यह एक पुरानी बीमारी है जो मरम्मत से परे एक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रारंभ में, एक व्यक्ति पसंद से ड्रग्स लेता है। हालाँकि, कुछ समय बाद उनका विरोध करना उनके लिए लगभग असंभव हो जाता है। नशीली दवाओं की लत को नियंत्रित करना मुश्किल है और अक्सर इसे एक बीमारी के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह मुख्य रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

यह समस्या क्यों होती है?

अलग-अलग लोगों को अलग-अलग कारणों से ड्रग्स की लत लग जाती है। यहाँ कुछ मुख्य कारणों पर एक नज़र डाली गई है जो इस समस्या का कारण बनते हैं:

अकेलापन अकेलेपन की भावना को दूर करने के लिए कई लोग ड्रग्स लेते हैं। कई बार, लोगों को लगता है कि उनके पास अपने सुख और दुख साझा करने के लिए कोई नहीं है और वे अंततः इस भावना से छुटकारा पाने के लिए ड्रग्स लेते हैं।

प्रतियोगिता स्कूलों, कॉलेजों और काम पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा से दबाव पैदा होता है जिसे संभालना अक्सर मुश्किल होता है। इस दबाव को संभालने के लिए कई लोग दवाओं का सहारा लेते हैं।

रिश्ते की समस्याएं यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग का एक सामान्य कारण भी है। असफल रिश्तों के कारण होने वाली भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के लिए युवा अक्सर ड्रग्स लेते हैं।

प्रयोग बहुत से लोग, ज्यादातर किशोर सिर्फ यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि ड्रग्स का स्वाद और साथ ही उनके आफ्टर इफेक्ट्स कैसे होते हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि इस प्रयोग से पहले से ही लत लग सकती है।

जीन नशीली दवाओं का दुरुपयोग अक्सर वंशानुगत होता है। यदि माता-पिता में से कोई भी नशे का आदी है, तो बच्चे को समस्या होने का खतरा अधिक होता है।

इस समस्या पर अंकुश कैसे लगाया जाए?

हालांकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलना मुश्किल है और इस समस्या से छुटकारा पाने की बहुत अधिक संभावना है, कुछ चीजें हैं जो इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद कर सकती हैं। इन पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है:

विशेषज्ञ परामर्श यह एक डॉक्टर से परामर्श करने या बेहतर अभी भी एक पुनर्वास केंद्र में शामिल होने का सुझाव दिया जाता है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से छुटकारा मिल सके। इस समस्या का शिकार होना जितना आसान है, उससे बाहर आना भी उतना ही मुश्किल। पुनर्वास केंद्रों पर कदम दर कदम दृष्टिकोण इस मुद्दे पर अंकुश लगाने का एक प्रभावी तरीका है।

स्वस्थ खाओ दवाओं के भारी सेवन से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। खोए हुए पोषक तत्वों को फिर से भरने के लिए, एक स्वस्थ आहार का सुझाव दिया जाता है।

व्यायाम शारीरिक गतिविधियाँ जैसे जॉगिंग, डांसिंग, स्विमिंग, योगा आदि, एंडोर्फिन के विकास को बढ़ावा देते हैं, जिन्हें हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने के लिए इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है।

ड्रग एब्यूज़ एक गंभीर समस्या है। इन दिनों युवाओं में विशेष रूप से आम है, यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जो नशे के साथ-साथ उनसे जुड़े हैं। मुद्दे की संवेदनशीलता को पहचानना होगा और किसी भी स्थिति में इस अभ्यास को शुरू नहीं करना चाहिए। याद रखें, अकेलेपन, भय, चिंता और दिल टूटने जैसी समस्याओं से निपटने के बेहतर तरीके हैं।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, 600 शब्द:

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, दवाओं का अनिवार्य और अत्यधिक उपयोग, विशेष रूप से किसी व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क में परिवर्तन का कारण बनता है जो किसी व्यक्ति के लिए आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना और ड्रग्स लेने की इच्छा को रोकने के लिए उनकी शक्ति में हस्तक्षेप करना मुश्किल बनाता है।

मस्तिष्क के कामकाज में परिवर्तन अक्षम्य हैं और यही कारण है कि यह अक्सर रिलेप्स होता है। यहां तक ​​कि जो लोग ठीक हो जाते हैं, वे पुनर्प्राप्ति के वर्षों के बाद भी दवाओं की वापसी का एक उच्च जोखिम रखते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उपचार पर्याप्त प्रभावी नहीं है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपचार बंद नहीं किया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है, हालांकि डॉक्टर मरीजों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर समय-समय पर दवा बदलते रहते हैं।

क्या है ड्रग्स की लत?

अलग-अलग लोग अलग-अलग कारणों से इस आत्म-हानिकारक आदत के शिकार होते हैं। मादक पदार्थों की लत के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:

खालीपन का अहसास खालीपन का एहसास सबसे बुरा एहसास हो सकता है और अक्सर संभालना मुश्किल होता है। इन भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए, बहुत से लोग दवाओं का रास्ता अपनाते हैं। उन्हें लगता है कि ड्रग्स उन्हें शून्य को भरने में मदद करेंगे।

काम का दबाव कई छात्र अध्ययन से संबंधित तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं। इसी तरह, कॉरपोरेट कार्यालयों में इन दिनों इतना दबाव है कि लोग इसका सामना नहीं कर पा रहे हैं। काम पर होने वाले तनाव और चिंता से निपटने के लिए वे अक्सर दवाओं की ओर रुख करते हैं।

परिवार / रिश्ते की समस्या कई लोग पारिवारिक मुद्दों या रिश्ते की समस्याओं के कारण होने वाले तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं और अंततः उसी के आदी हो जाते हैं।

प्रयोग किशोर अक्सर केवल प्रयोग करने के लिए दवाओं की कोशिश करते हैं और उन्हें महसूस होने से पहले ही आदी हो जाते हैं। किशोरों को उनकी लत लगने की संभावना अधिक होती है।

जेनेटिक ड्रग की लत आनुवांशिक भी हो सकती है। अक्सर देखा गया है कि यह समस्या परिवारों में चलती है। इसलिए, अगर उनके माता-पिता ड्रग्स का सेवन करते हैं, तो बच्चों को इसकी लत लगने का खतरा अधिक होता है।

पर्चे पर उपलब्ध दवाएं डॉक्टरों द्वारा निर्धारित अधिकांश दवाएं सड़क दवाओं के समान ही नशे की लत हैं। बहुत से लोग उन्हें सुरक्षित मानते हैं और इनका बार-बार उपयोग करने से व्यसन होता है।

नशीली दवाओं की लत पर काबू पाने के उपाय:

नशा पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, यह असंभव नहीं है। दवा, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और परिवार और दोस्तों के समर्थन की मदद से, कोई भी इस समस्या को दूर कर सकता है। मादक द्रव्यों के सेवन को दूर करने में आपकी सहायता के लिए नीचे चर्चा की गई है।

डॉक्टर से सलाह लें मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पाने के लिए एक मजबूत इच्छा शक्ति की तुलना में बहुत अधिक है। यदि आपने ड्रग्स की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने का संकल्प लिया है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया गया है।

व्यायाम दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है। आप शारीरिक गतिविधियों जैसे जॉगिंग, साइकलिंग, तैराकी, नृत्य और योग को दूसरों के बीच में शामिल करके इसे काफी हद तक दूर कर सकते हैं।

स्वस्थ खाओ दवाओं के नियमित सेवन से आपका शारीरिक स्वास्थ्य ख़राब होता है। इस प्रकार भोजन करने की सलाह दी जाती है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।

लोगों से बात करें अपनी भावनाओं को खुद पर रखने के बजाय, उन्हें बाहर निकालने का सुझाव दिया जाता है। अपने मुद्दों के बारे में अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। यह ड्रग्स पर भरोसा करने के बजाय तनाव को दूर करने का एक अच्छा तरीका है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बढ़ती हुई समस्या है, खासकर युवाओं में। ऐसे कई कारण हैं जो इस समस्या का कारण बनते हैं और इसका जो प्रभाव पड़ता है वह बेहद हानिकारक है। उनके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए दवाओं के नकारात्मक नतीजों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इस समस्या की चपेट में आने वाले लोगों को एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की नारकीय दुनिया से बाहर आने के लिए उन लोगों से मदद लेनी चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Essay on Drug Free India

Students are often asked to write an essay on Drug Free India in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Drug Free India

Understanding drug abuse.

Drug abuse refers to the harmful or unhealthy use of substances, including alcohol and illicit drugs. In India, drug abuse is a serious problem affecting individuals, families, and society.

Impact of Drug Abuse

Drug abuse affects physical health, mental well-being, and social relationships. It can lead to diseases, accidents, and crime, causing a significant burden on society.

Achieving a Drug-Free India

A drug-free India requires a comprehensive approach. This includes awareness, education, counseling, treatment, and law enforcement. Everyone, from the government to individuals, has a role to play.

Role of Students

As students, you can contribute by staying drug-free, promoting healthy lifestyles, and spreading awareness about the dangers of drug abuse. Let’s work together for a drug-free India.

250 Words Essay on Drug Free India

Introduction.

India, with its rich history and diverse culture, faces a significant challenge in the form of drug abuse. A ‘Drug Free India’ is not just a slogan but a necessity for the nation’s development and the well-being of its citizens.

The Gravity of the Issue

The drug menace has deeply penetrated Indian society, affecting the youth most severely. The National Drug Dependence Treatment Centre (NDDTC) report of 2019 estimates that over 2.8% of Indians aged 10-75 years are affected by this crisis. The implications are grave, with the impact extending beyond health to socio-economic aspects, including crime and productivity loss.

Steps Towards a Drug Free India

Addressing this issue requires a multifaceted approach. Education and awareness are crucial in preventing drug abuse. Schools and colleges should incorporate drug education into their curriculum, highlighting the detrimental effects of drugs on health, relationships, and future prospects.

Government initiatives like the Narcotics Control Bureau (NCB) and the Ministry of Social Justice and Empowerment’s ‘National Action Plan for Drug Demand Reduction (2018-2023)’ are commendable steps. However, their effectiveness can be enhanced by strengthening law enforcement, improving rehabilitation facilities, and promoting research in the field.

Role of Society

Society plays a pivotal role in this endeavor. Families should foster open communication, enabling members to discuss their problems freely. Communities can organize drug-free events promoting healthy lifestyles. NGOs can contribute by offering counseling and rehabilitation services.

A ‘Drug Free India’ is a collective responsibility that requires concerted efforts from the government, educational institutions, families, and individuals. By prioritizing education, enforcement, and empathy, India can overcome this challenge, paving the way for a healthier and more prosperous future.

500 Words Essay on Drug Free India

Drug addiction is a pervasive issue that has penetrated the fabric of societies worldwide, including India. A Drug-Free India is not a mere slogan but an urgent necessity for the holistic development of the nation. The youth, the backbone of the country, are increasingly falling prey to this menace, leading to a detrimental impact on our society’s health, economy, and security.

The Current Scenario

India is grappling with a serious drug problem. The geographical location, sharing borders with drug-producing nations, makes it a transit point for drug trafficking. Furthermore, the rapid urbanization, changing social values, and increasing stress levels have made the youth more susceptible to drug addiction. Substance abuse is no longer confined to urban areas; it has spread its tentacles into rural regions, making the situation alarming.

The Impact of Drug Abuse

Drug abuse has a multifaceted impact. It not only deteriorates the physical and mental health of an individual but also disrupts the social order. It leads to increased crime rates, decreased productivity, and a surge in healthcare costs. The societal stigma associated with drug addiction further exacerbates the problem, making rehabilitation and reintegration a challenging process.

Steps Towards a Drug-Free India

Achieving a Drug-Free India requires a comprehensive approach. First, there is a need for stringent laws and their effective implementation to curb drug trafficking. The authorities need to strengthen border security and enhance international cooperation to disrupt the drug supply chain.

Second, prevention and awareness programs should be an integral part of the school curriculum. These programs should aim to educate students about the harmful effects of drugs and promote healthy coping mechanisms for stress.

Third, the government should invest in healthcare infrastructure to provide affordable and accessible treatment facilities for drug addicts. Rehabilitation centers should focus on holistic healing, including medical treatment, counseling, and skill development programs.

Role of Society and Individuals

Society and individuals play a crucial role in making India drug-free. It is essential to break the stigma associated with drug addiction and treat it as a health issue rather than a moral failing. Families should provide a supportive environment for the recovery of addicts. Individuals should take responsibility for their health and seek help when needed.

A Drug-Free India is not an unattainable dream but a realistic goal that can be achieved with collective effort. It requires the government, society, and individuals to work in unison to eradicate this menace. The journey is long and arduous, but the destination is worth the struggle. A Drug-Free India will not only ensure the well-being of its citizens but also pave the way for a prosperous and secure nation.

That’s it! I hope the essay helped you.

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Happy studying!

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Essay on Drug Addiction in Hindi Language- मादक पदार्थों की लत निबंध

In this article, we are providing information about Drugs addiction in Hindi. Essay on Drug Addiction in Hindi Language- नशे की बढ़ती प्रवृत्ति,  मादक पदार्थों की लत निबंध Drug Abuse in India Essay.

आज़ादी के लगभग 30 वर्षों तक हमारे देश में नशाखोरी को समृद्धि का प्रतीक नहीं माना जाता था और पीने वाले लोग  चोरी-छिपे या बड़े लोगों की निगाह से बचकर नशे का सेवन करते थे। आज तो इसका प्रचलन स्टेटस सिंबल बन गया है। शादी-विवाहों में ही नहीं घर की छोटी-छोटी बैठकों, जन्म-दिवस जैसी खुशी की घड़ियों में यदि शराब न परोसी गई तो सारे आयोजन  का मजा ही किरकिरा माना जाता है। नशा चाहे शराब का हो अथवा भांग, गांजा या चरस का, उसके समर्थकों की कमी  नहीं रही। फिर भी बुरी लत तो बुरी होती है। वह हमारे मन मस्तिष्क, स्वास्थ्य तथा आर्थिक स्थिति को चौपट करके रख देती है। दीवानगी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि घर-बार बर्बाद हो जाते हैं।

गांधीजी वे शराबियों की दशा से भली-भाँति अवगत थे तथा इस देश की गरीबी भी उनसे छिपी नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने नशा उन्मूलन को कांग्रेस के कार्यक्रमों में शामिल किया था। आज राजनेताओं में भी शराब की लत बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ाई जाती है। सत्ता पाने के लोभ में स्वयं नशे के विरोधी बनकर अंदर से शराब और मांस परोसकर सत्ता के नंबरदार बनना चाहते हैं। कानून के संरक्षकों की नाक के नीचे स्मैक, अफीम तथा कोकीन जैसे निषिद्ध मादक द्रव्य तथा युवकों को चौपट करनेवाली दवाइयों की बिक्री होती है। सरकार खुली शराब बेचने के लाइसेंस दे रही है। शराब की दुकानें बढ़ा रही है और खुद लाभ के लोभ में शराब की दुकानें खोल रही है। विदेशों में मदिरापान, पानी पीने के समान माना जाता है। भारत के यूवा पश्चिम की इस बुराई का अंधानुसरण करने लगा है। किंतु सरकारी ढील, बेरोजगारी और प्रशासनिक तंत्र का शिथिल और लापरवाह होना नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए जिम्मेदार है।

नशाखोरों को, चाहे वह कोई भी नशा करते हों उनको महिमामंडित करने के बजाय, उनका सामाजिक तिरस्कार किया जाना चाहिए। नशे की गैर-कानूनी बिक्री रोकने तथा बेचनेवालों को पकड़वाने के लिए जन जागरण लाया जाए। जगह-जगह नशाखोरी के खिलाफ प्रदर्शन तथा नशे की दुकानों के आगे प्रदर्शन किए जाएँ, तभी नशाखोरी की प्रवत्ति कम की जा सकती है और यदि व्यापक प्रयास किए जाएँ तो नशाखोरी का उन्मूलन भी किया जा सकता है। उन्मूलन के लिए जनता को अपनी जिम्मेदारी स्वयं निभानी होगी। नशाखोरी की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामने आना होगा। इसी में देश व समाज का हित है।

#Drug Addiction Essay in Hindi

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नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण | Best 5 Speech on Drug Abuse

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  • 1 नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 1 -Speech on Drug Abuse In Hindi
  • 2 नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 2 -Short And Long Speech On Drugs abuse In Hindi
  • 3 नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 3
  • 4 नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 4 -Speech On Drugs Abuse In Hindi For Student

नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 1 -Speech on Drug Abuse In Hindi

प्रिय छात्रों – आप सभी को हार्दिक बधाई! मैं स्कूल के सेमिनार हॉल में सभी का स्वागत करता हूँ।

आज हम यहां ड्रग्स के घातक सेवन और यह हमारे युवाओं के जीवन को कैसे नष्ट कर रहे हैं, इसके बारे में चर्चा करने आए हैं। लेकिन चर्चा शुरू होने से पहले, मैं नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर एक संक्षिप्त भाषण देना चाहता हूं और इस संवेदनशील विषय पर अपने छात्रों को ज्ञान देना चाहता हूं।

ड्रग्स, जैसा कि हम सभी जानते हैं, एक अवैध मामला है जिसे कुछ लोग पीते हैं, धूम्रपान करते हैं, इंजेक्शन लगाते हैं या मानसिक और शारीरिक प्रभावों के लिए खाते हैं। ऐसे कई छात्र हैं जो मस्ती के लिए या कई अन्य कारणों से ड्रग्स का सेवन करते हैं। ड्रग्स की बिक्री का कारोबार करने वाले लोग एक नेटवर्क बनाते हैं और मुख्य रूप से छात्रों को ड्रग्स का आदी बनाने के लिए उन्हें निशाना बनाते हैं। शुरुआत में छात्रों को मुफ्त में दवाएं बेची जाती हैं और धीरे-धीरे जब उन्हें इसकी लत लग जाती है तो वे इसे खरीदना और सेवन करना शुरू कर देते हैं। वास्तव में, छात्र भी अंततः अपने नेटवर्क का हिस्सा बन जाते हैं और उसमें काम करना शुरू कर देते हैं।

यह देखा गया है कि छात्र तनाव या अपने शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता की अनुचित अपेक्षाओं के कारण ड्रग्स का सेवन करना शुरू कर देते हैं। उनके परिवारों में भावनात्मक समर्थन और अव्यवस्था की कमी उन्हें कमजोर बनाती है और ड्रग्स पर उनकी निर्भरता को बढ़ाती है। वे इसका उपयोग अपनी मानसिक उत्तेजना की स्थिति को शांत करने के लिए करते हैं। इसके अलावा, यह गरीबी है जो कुछ छात्रों को ड्रग्स की बिक्री और लेनदेन नेटवर्क का हिस्सा बनने और अपनी पॉकेट मनी निकालने के लिए मजबूर करती है। इसलिए, यह नशा करने वाले छात्रों के एक दुष्चक्र की तरह हो जाता है, जिससे वे तब तक बच नहीं पाते जब तक कि समाज उनके बचाव के लिए नहीं आता।

दुर्भाग्य से, छात्र यह महसूस करने में विफल रहते हैं कि नशीली दवाओं के सेवन से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वे मानसिक विकार का अनुभव करने लगते हैं, उनकी बुद्धि का स्तर कम हो जाता है, घातक बीमारियों का अनुभव होता है और असमय मृत्यु हो जाती है। जब कोई पूरी तरह से नशीले पदार्थों के प्रलोभन के आगे झुक जाता है, तो उसके लिए इसके प्रभाव से उबरना बहुत मुश्किल हो जाता है, सिवाय नशीली दवाओं के पुनर्वास के केंद्रों को छोड़कर जहां वे एक नया जीवन प्राप्त करते हैं, लेकिन जिसमें एक उच्च लागत शामिल होती है। वास्तव में, कई ऐसे मामले भी हैं जहां मरीजों की सबसे खराब स्थिति के कारण पुनर्वास केंद्र भी विफल हो जाते हैं।

इसलिए, मैं सभी छात्रों से अनुरोध करता हूं कि इससे पहले कि वे अपने स्वास्थ्य, भविष्य को नष्ट कर दें और उनकी जान ले लें, इससे पहले कि वे ड्रग्स के सेवन से खुद को पूरी तरह से दूर कर लें। उन्हें छूने या उनके करीब आने की कोशिश भी न करें। नशा एक पूरी पीढ़ी को भी तबाह कर सकता है। इसलिए समझदारी से सोचें और समझदारी से काम लें। अपने भविष्य को आकार दें जो उज्ज्वल और उपलब्धियों से भरा हो। डॉक्टर अपने रोगियों को जो दवाएं निर्धारित करते हैं, उन्हें केवल एक विशिष्ट बीमारी का मुकाबला करने के लिए ही लिया जाना चाहिए अन्यथा सरकार को बाजार में इसके अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाने और हमारे युवाओं को विनाश से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं कि मादक द्रव्यों का सेवन सभी के लिए एक पूर्ण ‘नहीं’ होना चाहिए और मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे छात्र कभी भी नशीली दवाओं का सेवन करने की कोशिश नहीं करेंगे और इसके उपयोग से पूरी तरह दूर रहेंगे। याद रखें कि हमारे देश को आपकी जरूरत है क्योंकि आप इसके भविष्य और प्रगति के अग्रदूत हैं।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 2 -Short And Long Speech On Drugs abuse In Hindi

गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स – नशाबंदी के 77वें अभियान में आपका स्वागत है।

यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि कैसे हमारे संगठन के सदस्य हर दिन की गिनती करने और नशीली दवाओं की लत या नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जनता तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पहले दिन से और आज यह हमारे संगठन का 77वां अभियान है – हमने वास्तव में कभी नहीं सोचा था कि हम इतना बड़ा विकास करेंगे, यानी वर्तमान में हमारे पास 200 से अधिक लोग काम कर रहे हैं और एक जन अपील प्राप्त की है। अब तक की प्रतिक्रिया वास्तव में अच्छी रही है और हम लोगों के जीवन को अच्छे के लिए बदलने में सक्षम हैं, जो पहले ड्रग्स के प्रभाव में रहते थे।

इसलिए आज मैं जनता से अपील करना चाहूंगा कि वे खुद को नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रखें और स्वस्थ जीवन जिएं। नशीली दवाओं की लत या नशीली दवाओं के दुरुपयोग को किसी पदार्थ पर अत्यधिक निर्भरता के रूप में वर्णित किया जाता है, जो अनिवार्य रूप से इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकता बन जाती है। यह आवश्यकता इतनी विवश हो जाती है कि उस पदार्थ के बिना व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की तरह अपना जीवन नहीं जी सकता। और, जब ऐसा पदार्थ बाजार में उपलब्ध होना बंद हो जाता है तो उस व्यक्ति को पदार्थ की निकासी से पीड़ित माना जाता है।

नशीली दवाओं की लत कई विकासशील और विकसित देशों में गंभीर सामाजिक समस्याओं में से एक बन गई है और यह निर्विवाद रूप से बड़े पैमाने पर लोगों, समाज, देश और दुनिया के सर्वांगीण विकास में प्रमुख बाधा साबित होती है। हमारा देश एक प्रगतिशील देश है और यह पहले से ही बेरोजगारी, गरीबी और निरक्षरता जैसी कई अन्य गंभीर समस्याओं से ग्रसित है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या यहां की स्थिति को और भी बदतर बना देती है क्योंकि यह हमारी अर्थव्यवस्था को अपने जीवन को नष्ट करके प्रतिगामी बना देती है। युवा।

इससे भी दुखद बात यह है कि कई नशा करने वाले लोग महंगी दवाओं की इतनी खरीद नहीं कर सकते हैं कि अंत में उन्हें अपने घरों में चोरी जैसी गतिविधियों का सहारा लेना पड़ता है। ये लोग जन्मजात चोर नहीं होते, लेकिन इनका नशा इन्हें जघन्य बना देता है और इन्हें अपने शरीर को नशीले पदार्थ खिलाने के लिए अपराध करने के लिए प्रेरित करता है।

लोग विभिन्न कारणों से नशीले पदार्थों के आदी हो सकते हैं, जिनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है:

खुद को तनाव मुक्त करने के लिए

जब कोई व्यक्ति नशीली दवाओं के प्रभाव में होता है, तो वह सब कुछ भूल जाता है और एक समाधि जैसी अवस्था में प्रवेश करता है। हालांकि, बाद में लोगों को पता चलता है कि दवाओं का उपयोग केवल समस्या को बढ़ा रहा है और वास्तव में तनाव से छुटकारा पाने में उनकी मदद नहीं कर रहा है।

साथियों के दबाव से बाहर

कई बार लोग ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं क्योंकि उनके दोस्त उनके आदी हो जाते हैं। हालांकि, एक बार जब वे इसे लेना शुरू कर देते हैं, तो उनके लिए इस आदत से छुटकारा पाना वाकई मुश्किल हो जाता है।

स्टाइल स्टेटमेंट

आजकल कई किशोर सोचते हैं कि शराब पीने, धूम्रपान और यहां तक ​​कि नशीली दवाओं की लत की आदत ही उन्हें कूल दिखने और दूसरों के सामने स्टाइल स्टेटमेंट बनाने में मदद करती है। हालाँकि, यह केवल तभी होता है जब ये लोग इसके दुष्चक्र में फंस जाते हैं कि उन्हें अपने जीवन के लिए अपूरणीय क्षति का एहसास होता है।

टीनएजर्स और हर व्यक्ति को इस बात को समझना चाहिए कि नशाखोरी की आदत न सिर्फ उनके तन और मन को बहुत प्रभावित करती है, बल्कि उनके उज्जवल भविष्य को भी खत्म कर देती है। इसलिए हमें नशे को सख्ती से ‘ना’ कहना चाहिए और अपने आस-पास जागरूकता फैलाकर अपने जीवन के साथ-साथ अपने प्रियजनों के जीवन को भी बचाना चाहिए।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 3

आदरणीय प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथी छात्रों – आप सभी का हार्दिक स्वागत है! आज, प्रार्थना कक्ष में खड़े होकर, मैं इस अवसर पर मादक द्रव्यों के सेवन पर एक संक्षिप्त भाषण देना चाहूंगा।

मैं अपने प्रधानाचार्य और शिक्षकों से अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे इस विषय पर बोलने की अनुमति दें क्योंकि यह हमारे युवाओं को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की खतरनाक आदत के बारे में बताने का सही समय है। वर्तमान समय में, ऐसे कई कारक हैं जो एक व्यक्ति को मादक पदार्थों की लत का सहारा लेने के लिए प्रेरित करते हैं और उसके जीवन को दयनीय बना देते हैं। सबसे स्पष्ट कारक तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण हैं, जिन्होंने आज के युवाओं में एक नए प्रकार के व्यवहार को जन्म दिया है, यानी व्यक्तिवाद और अनुमति। आजकल लोग एकल परिवारों को पसंद करते हैं और कई मामलों में माता-पिता दोनों काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे अपनी पिछली पीढ़ियों की तुलना में कम सहनशील हो जाते हैं। लोग अपने जीवन को अलगाव में जी रहे हैं और सामाजिक होने से बचते हैं क्योंकि आधुनिक समय में तनाव उन्हें अपने निजी जीवन में वापस लेने के लिए बहुत अधिक हो गया है।

अंत में, ऐसे लोग शराब पीने, धूम्रपान, नशीली दवाओं की लत आदि की आदत में शामिल हो जाते हैं। इसके अलावा, जब कोई बच्चा घर पर संतुष्ट महसूस नहीं करता है या जब वह प्यार, स्नेह और देखभाल से वंचित हो जाता है। माता-पिता में असंतोष की भावना आती है और ऐसे बच्चे नशे की लत के शिकार हो जाते हैं और अपना जीवन पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं। इससे अधिक दुख की बात यह है कि यदि नशा करने वाले लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन की अनुमति नहीं दी जाती है, तो वह अवसाद, दर्दनाक और बेकाबू आक्षेपों के साथ-साथ उल्टी के भी शिकार हो जाता है!

यह एक स्पष्ट तथ्य है कि नशीले पदार्थों की लत कई व्यक्तियों और हमारे राष्ट्र की प्रगति के पथ को इतना बर्बाद कर रही है कि हमारे युवाओं की इस विनाशकारी आदत पर अंकुश लगाने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम राष्ट्रीय स्तर पर लोगों में जागरूकता फैलाना होगा।

हमारी भारत सरकार ने वास्तव में विभिन्न अभियान तैयार किए हैं और यहां तक ​​कि इस दिशा में सफलता हासिल करने में भी सफल रही है। जिन व्यक्तियों के परिवार और मित्र नशीले पदार्थों की लत से पीड़ित हैं, उनसे अनुरोध किया जाता है कि वे व्यसनों को उपचार प्रदान करने के लिए पुनर्वास संस्थानों और शिविरों से संपर्क करें।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और पूरी तरह से एक वर्जित के रूप में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। हालाँकि, इस आदत के लिए व्यसनी को प्रताड़ित करने या उसके साथ अमानवीय व्यवहार करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि यदि आप उस व्यक्ति को इसके इलाज के बारे में समझाने और समझाने की कोशिश करते हैं तो वह स्वेच्छा से इसे चुनने का विकल्प चुन सकता है और खुद को स्वीकार करके इस लत से छुटकारा पा सकता है। / खुद पुनर्वास केंद्रों पर।

एक व्यक्ति जो मादक द्रव्यों के सेवन का शिकार हो गया है, वह अपनी शारीरिक स्थितियों के कारण व्यसन को जारी रखने के लिए मजबूर होता है, लेकिन जल्द ही उन्हें इस आदत के बुरे प्रभाव का एहसास होता है। इन लोगों को बस एक मदद की जरूरत है और इसलिए हमें इन लोगों को उनके सामान्य जीवन में वापस लाने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन के साथ-साथ समर्थन भी प्रदान करना चाहिए।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर भाषण – 4 -Speech On Drugs Abuse In Hindi For Student

माननीय प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, साथी सहयोगियों और मेरे प्रिय छात्रों – सभी को हार्दिक बधाई!

सबसे पहले, मैं अपने सम्मानित प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्य को उनकी उपस्थिति के साथ इस भाषण समारोह की शोभा बढ़ाने और उन्हें भी अपनी स्वीकृति देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। और, सभी साथी शिक्षकों को – क्योंकि आपके सहयोग के बिना यह आयोजन संभव नहीं होता। मैं अपने प्रिय छात्रों को एक छोटी सूचना पर वांछित व्यवस्था करने के लिए बधाई देना चाहता हूं।

आज के भाषण का विषय है नशाखोरी! मैंने इस विषय पर बोलने के लिए चुना है क्योंकि इन दिनों लोगों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में सिखाने के लिए नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर कई अभियान चलाए जा रहे हैं। एक शिक्षक के रूप में, यह मेरी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम जहां भी हो सके संदेश फैलाने में उनकी मदद करें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी शुरुआत हमारे अपने स्कूल से करें।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग को हमारे तथाकथित सभ्य समाज के लिए एक अभिशाप माना जाता है। इसने हमारे समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों को प्रभावित किया है। नशीली दवाओं के अवैध उपयोग वाले लोग हर जगह पाए जाते हैं, अर्थात् शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं के बीच, अमीर और गरीब के बीच। लेकिन लगभग सभी तकनीकी और शैक्षणिक संस्थानों के छात्रावासों में रहने वाली हमारी युवा लड़कियों और लड़कों द्वारा इसका अत्यधिक अभ्यास किया जाता है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग की गंभीर स्थिति दुनिया भर में प्रचलित है और दुर्भाग्य से हमारा देश भारत इससे अधिक प्रभावित है। हमारा देश एक पारगमन देश है क्योंकि यह स्वर्ण त्रिभुज के बीच स्थित है जिसमें बर्मा, थाईलैंड और कंबोडिया शामिल हैं, जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान से मिलकर गोल्डन क्रिसेंट शामिल है – वे स्थान जहां अधिकांश दवाएं, मुख्य रूप से हेरोइन और अफीम का उत्पादन होता है। जब भी किसी गैरकानूनी गतिविधि की बात आती है तो पाकिस्तान निर्विवाद रूप से दुनिया का केंद्र बिंदु है और जहां तक ​​नशीली दवाओं के उत्पादन का संबंध है – यह केंद्र है। वास्तव में, दवाओं का एक बड़ा हिस्सा भारत के पास जाता है ताकि इसे दूसरे देशों में निर्यात किया जा सके।

यह ड्रग माफिया के नेटवर्क के माध्यम से होता है, जिसके आगे दुर्जेय तस्करों के साथ-साथ आतंकवादियों से भी संबंध हैं। इस प्रक्रिया में, दुर्भाग्य से कई युवा पुरुष और महिलाएं भी इस शैतानी गतिविधि के शिकार हो जाते हैं। पाकिस्तान आईएसआई की मदद से ड्रग माफिया की मदद से अर्जित धन के माध्यम से भारत के खिलाफ कश्मीर के क्षेत्र में छद्म युद्ध में खुद को शामिल कर रहा है। इस प्रकार, आतंकवाद और ड्रग्स बहुत मजबूत संबंध साझा करते हैं।

नशीली दवाओं की यह लत इतनी घातक है कि लोग इसके इस्तेमाल के शिकार हो जाते हैं और लगभग गुलाम बन जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इसकी नियमित खुराक नहीं मिलती है, तो वह व्यक्ति इसकी कमी महसूस करने लगता है और गंभीर दर्द से उदास हो जाता है जिससे हाथ-पैरों में संवेदना की कमी भी हो जाती है। मादक द्रव्य विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे हेरोइन, अफीम, चरस, गांजा आदि।

कुछ इंजेक्शन भी हैं जो गंभीर उनींदापन की स्थिति का कारण बनते हैं। यदि कोई नशा करने वाला व्यक्ति जरूरत पड़ने पर दवा की आवश्यक खुराक प्राप्त करने में सक्षम नहीं होता है, तो वह चोरी या किसी को शारीरिक रूप से चोट पहुँचाने आदि जैसे अनुचित साधनों का सहारा लेकर भी इसके लिए कुछ भी करने को तैयार होगा। .

इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि ड्रग्स को सख्ती से ‘नहीं’ कहें और ऐसे लोगों को पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराएं जहां उनकी स्थिति में सुधार किया जा सके इससे पहले कि यह भयानक हो और उस व्यक्ति के लिए घातक साबित हो।

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Indian Youth

Importance of the Youth voices and opinion in Improving the Quality…

Cbse vs icse syllabus – which board is better and why, the indian education system: good or bad, linguistic imbalance in higher education, lack of practical knowledge in higher education, ias without upsc: what exactly is lateral entry into the civil…, pre-school teachers deserve more respect and appreciation in terms of ‘salary’, 6 steps to establish yourself as a freelance writer, how unpaid internships exploit college students, 5 career options to choose if you know french language, social anxiety disorder in young people, 5 health issues that are quietly affecting college students, why is depression at an all time high among teenagers , 5 things everyone should know about menstrual hygiene, yoga for youth, say no to drugs.

The worst form of abuse for the human body comes from drugs. They destroy a person from inside outwards. It starts affecting the organs eventually reaching the brain and can even become fatal when taken in a large quantity or for a long time. Drugs are usually taken because they seem to be a temporary solution of a problem or they provide solace by calming the senses, but that also shows how detrimental they can prove to be to one’s health. Playing with the nervous system can never turn out to be good in the longer run.

NO-Drugs

There are various forms of drug abuse or as the bigger term is known, substance abuse. It entails drugs, alcohol and everything that makes a person high and calms their senses rendering them inactive for a couple of hours or days. The biggest myth related to drug abuse is that people who do it lack moral values which is not the case. Any person can get addicted to drugs willingly or unwillingly. The problem is some don’t find out the harm it does to their health till it is very late. Lately the youth seems to have become a major part of the population which is pro drug abuse and this could be because of any reason- the company, a temporary solution to problems or medication. Drug abuse in most cases affects the brain because if stops your nerve sells from sending and receiving the message to or from the brain, and because it is an unnatural phenome, it can hamper the way your brain functions forever.

Say No to Drugs Campaign

How to fight it?

Fight against drug abuse has been one of the most difficult struggles for mankind because getting other people to agree that drugs have a bad long term effect is very difficult. Many people believe that there is absolutely nothing bad about the intake of drugs because they keep in mind only the present situation and totally ignore the long term effect.

Talk about it – Talking about the cons of drug abuse may help you or your friends and family come out of the misconception that drugs donot harm the functioning of the brain. Talking about it will also bring out other myths that are related to drug intake and can open the eyes of many who usually treat it as a very casual thing. Putting a thought into the drug taking habit of the Indian society will help us curb the use of drugs and promote healthy living.

Rehabilitation centers – There are various rehabilitation centres across the country will help individuals in their fight against drug abuse. They help a person to get out of the habit by decreasing the dose gradually and eventually getting rid of the habit totally. Here you are not stopping the use of drugs all at once because the human body may react to it adversely and make the condition of the person even worse.

NGOs – There are NGOs which work towards spreading awareness against drug abuse. People often don’t even know that they are addicted to a particular drug. NGOs have more reach and with the help of volunteers they go to different places to spread the message against drug abuse. You could join one yourself or help your family or friend get the help they require.

Push yourself – Once you know that you are not at a very good place, try and quit. It may take a while to get used to it, you may feel like giving in to the cravings but just be strict with yourself. Also, talk to people about it, there are chances that you may slip into depression and that will only make the situation worse. To win this fight you will need support and will power.

Support the fight

Supporting the fight against drug abuse will not only help you save other people’s lives but will also bring to forth the real problem and the understanding of how deeply embedded it is into our culture. Drug abuse can be looked at as an enemy of the society, it is eating up the youth. It is engulfing more and more people every single day and getting rid of it should become our first priority. Help the people who are hanging in the middle of nowhere, talk to them, help them out of it. Most of the times the only reason people start taking drugs is because they can’t find anyone to talk to. Be that one guiding light for them and them get out of this awful habit.

Image Courtesy : https://www.jessicacosta.com/img/anti-drug-big.jpg

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Save the girl child, use public transport — save environment, buy kisan vikas patra, volunteer for swachh bharat abhiyaan, breast cancer awareness, say no to plastic bags, stop the vip culture.

Drugs are the slow addiction that kills a man slowly yet steadily. Indian youth needs to understand this fact that India needs you, be responsible enough to stand for the nation and thus say no to drugs. You are not appearing cool or hot just because you can make the rings of smoke as you breathe out the cigarette. Smack, heroine, alcohol are all going to impact you in a negative manner and it is the time for you to choose right.

I liked the way this website has presented the topic ‘Say No to Drugs’

Drugs are the major edict of the people. intake of drugs can be of many reasons. Taking drugs for fun sake or as a person have many problems in his/her life do not create solution but instead create problems which can change a persons life. The major factors leading to drug addiction are lack of parental cure and supervision, lack of moral and religious education, media and pop culture, hatred for any authority, broken homes etc…..

Want to complaint anyone who sell drug near me

Really nice this is very good . Keep going girl tumhari vajah se logo ko kuch gyan milega. 😉😉😀😀

You go girl. 😀😀😀😀

No for drugs yes for life

Hello… My Name is Shubham Verma, I am a Film Maker & a social worker. I want to make a short film on Say No to Drugs, to spread this message Globally film is the best media, So I want to make a film on Say No to Drugs, I have the best Team with the Best Script. We just need some financial help to make this project Possible, if anyone is there Who is interested to help is Free to contact me.

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Essay on “Drug Abuse and Addiction in India” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Drug Abuse and Addiction in India

Drug abuse is a complex phenomenon, which has various social, cultural, biological, geographical, historical and economic aspects. The disintegration of the old joint family system, absence of parental love and care in modern families where b0th parents are working, decline of old religious and moral values etc lead to a rise in the number of drug addicts who take drugs to escape hard realities of life. Drug use, misuse or abuse is also primarily due to the nature of the drug abused, the personality of the individual and the addict’ s immediate environment The processes of indust1ialization, urbanization and migration have led to loosening of the traditional methods of social control rendering an individual vulnerable to the stresses and Strains of modern life. The fast changing social milieu, among other factors, is mainly contributing to the proliferation of drug abuse, both of traditional and of new psychoactive substances. The introduction of synthetic drugs and intravenous drug use leading to HIV/AIDS has added a new dimension to the problem, especially in the Northeast states of the country

Drug abuse and addiction is on the rise throughout India. According to recent surveys, India has at least seventy million drug addicts. In India, the cultural values are slowly changing, the poorer class 13 suffering with economic hardship while at the same time there 13 a massive rise in the upper class, all of this combined with the dwindling support of family (due to increase work and western life) is leading to drug abuse and addiction.

Indian produced pharmaceuticals, heroin, and alcohol are amongst the most abused drugs. However, drugs like yaba, methamphetamine, ecstasy, cocaine, and crack are all becoming more abused on a daily basis throughout India.

Over the past two decades, India has seen a rise in industrialization and urbanization, which has caused large migrations to its cities This is causing their traditional culture and way of life to slowly loosen; the individual Indians and their new way of life is causing them to be very vulnerable to the stresses and strains of the modern way of life. These stresses and strains may cause the person to turn to drugs to calm their thoughts and deal with everyday life.

Trafficking and Distribution

Because India has seen such a rise in drug abuse and addiction, there is an increasing need for dealers and distributors to traffic the drugs. Many people in India are seeing this opportunity as a way to make fast and easy money. They not only risk the chance of getting caught by police and sentenced to a minimum of ten years in prison, but they are at risk for abusing or developing an addiction to the drugs. They are also at risk for becoming caught up in rivalry and drug related crimes.

By ninth grade, approximately half of Indian students have tried at least one type of drug. These youth begin to damage their physical and psychological health and their intellectual growth, especially when their curiosity turns into abuse. The youth that continue to abuse drugs will normally begin to use harder drugs and develop addictions to them. Some of them will join gangs or drug related organizations.

Most of the youth that get caught up with drugs normally do not continue education through college, and it is not uncommon for these people to end up on the streets. Most of the people who abuse or have an addiction to drugs in India are between the ages of 18 and 35. The majority of them are males, but there are a small percentage of women in India who abuse them; the number of women is slowly rising each year.

Since drug abuse and addiction in India has risen, the country has seen an increase in HIV, Tuberculosis, Hepatitis B and C, and other transmitted diseases. Injecting substances is becoming more popular amongst addicts, which is causing healthcare officials to become concerned about an even greater rise in these diseases.

Family Effects

The women and their children are facing problems as well. Many women who are married to drug abusers and addicts are subjected to domestic violence, infectious diseases, and financial problems. Eighty seven per cent of users who were in a rehab center claimed that they were violent to their wife, children, and other family members while using. Most domestic violence comes as a result of the addict needed money to buy more drugs.

India is beginning to see a rise in rehab centers across the country. However, drug use is still considered taboo and a very sensitive matter. Often times, families do not want to send their loved ones to a rehab in India, because of shame or even fear; fear that the government will find out about their loved one’s drug use.

India’s Stand

India has braced itself to face the menace of drug trafficking both at the national and international levels. Several measures involving innovative changes in enforcement, legal and judicial systems have been brought into effect. The introduction of death penalty for drug-related offences has been a major deterrent. The Narc0tic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985, were enacted with stringent provisions to curb this menace. The Act envisages a minimum term of 10 years imprisonment extendable to 20 years and fine of Rs 1 lakh extendable up to Rs 2 lakhs for the offenders. The Act has been further amended by making provisions for the forfeiture of properties derived from illicit drugs trafficking. Comprehensive strategy involving specific programmes to bring about an overall reduction in use of drugs has been evolved by the various government agencies and NGOS and is further Supplemented by measures like education, counseling, treatment and rehabilitation programmes. India has bilateral agreements on drug trafficking with 13 countries, including Pakistan and Burma. Prior to 1999, extradition between India and the United States occurred under the auspices of a 1931 treaty signed by the United States and the United Kingdom, which was made applicable to India in 1942. However, a new extradition treaty between India and the United States entered into force in July 1999. A Mutual Legal Assistance Treaty was signed by India and the United States in October 2001. India also is signatory to the following treaties and conventions:

(a) 1961 UN. Convention on Narcotic Drugs. (19) 1971 UN. Convention on Psychotropic Substances. (c) 1988 UN. Convention against Illicit Traffic in Narcotic Drugs and Psychotropic Substances. (d) 2000 Transnational Crime Convention

The spread and entrenchment of drug abuse needs to be prevented, as the cost to the people, environment and economy will be colossal. The unseemly spectacle of unkempt drug abusers dotting lanes and by lanes, cinema halls and other public places should be enough to goad the authorities to act fast to remove the scourge of this social evil. Moreover, the spread of such reprehensible habits among the relatively young segment of society ought to be arrested at all cost. There is a need for the government enforcement agencies, the non governmental philanthropic agencies, and others to collaborate and supplement each Other’s efforts for a solution to the problem of drug addiction through education and legal actions. Practically every country has its own substance abuse problem to face.

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Essay on Addictions and Future of Youth of India in English for Children and Students

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Table of Contents

Addictions are of many kinds. Some of the common addictions include drug addiction, alcohol addiction, internet addiction, gaming addiction and TV addiction. While these addictions are seen in people belonging to various age groups, the youth of India is more vulnerable to fall prey to these. Each of these addictions is equally damaging to our mental and physical well being. These addictions are ruining the future of the youth of India.

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Long and Short Essay on Addictions and Future of Youth of India in English

Below we have provided short and long essay on addiction and future of youth in India.

These addiction and future of youth in India essay are written in simple language, so that you can easily understand the narrations.

You can use any of the given essays in your school’s/college’s essay writing competition, debate or speech giving competition and leave an impression with the audience.

Short Essay on Addictions and Future of Youth of India – 200 Words

Everyone wants to be happy. No one wants to be sad and lonely. Each one of us, especially the youth of the country, is looking for some way or the other to be happy. They grow addicted to anything that gives them a high. For some it is their mobile phone, for others it can be a drug, for yet others it can be a video game and so on. They often indulge in anything that is easily accessible to them and grow addicted to it almost instantly.

The changing lifestyle of people can be blamed for the growing addictions among the youth. In the earlier times, people lived together as one big family. Joint family system was prevalent in our country. Members of the family interacted with each other and shared all their joys and sorrows. They also shared a close bond with their relatives and neighbours. This formed the basis for a healthy environment which proved to be good for the growth of their children.

But today, young kids are often left alone with house helps. Their parents do not have enough time to interact with them and inculcate good values in them. Children spend most of their time watching TV and playing mobile games and grow addicted to them. Teenagers, often start consuming drugs to relieve themselves of the increasing competition in school. They soon get addicted to them.

Addictions of different types are proving to be a threat for the youth of India.

Essay on Addictions and Future of Youth of India – 300 Words

Drug Addiction: Impacting the Well Being of Youth of India Drug addiction is a global problem. Youngsters around the world are known to consume drugs of different kinds. Unfortunately, a large number of youngsters who take drugs belong to India. This is because corruption lies at the heart of our country. Illegal supply of drugs is common in India. Drug suppliers target the youth of our country to boast their sales. Young people often fall prey to them and ruin their future.

The Youth of India: Worst Affected by Drug Addiction

Different kinds of drugs render different affect on our senses. While some make us feel confident and quicken our brain activity, others slow down our ability to think yet others take us to a different level and often cause hallucinations. Drugs of all sorts give a temporary high and thus drug addicts keep consuming these constantly to remain in that ecstatic state of mind. They do not realize the harm it is causing them.

Young Indians addicted to drugs are spoiling their lives. Drug addiction is the worst kind of addiction. It causes numerous mental and physical ailments. Young kids addicted to drugs often go into depression. In order to cope up with stress and depression, they try to consume more drugs. They keep spiralling around and are never able to leave this addiction. They lose their sense of control and become vulnerable. Many of them commit suicide or get involved in different kinds of criminal activities.

Many drug addicts suffer from health conditions such as organ damage and stroke.

Rehabilitation Centres to Overcome Drug Addiction

Many rehabilitation centres have been opened in India to help people get rid of drug addiction. Drug addiction is a serious problem. It must not be ignored. Anyone suffering from this problem should be admitted to a good rehabilitation centre to seek professional help to get rid of the addiction.

The youth of India is intelligent and promising. Its enthusiasm and energy should be put to good use. However, sadly drug addiction has taken over majority of young population of our country. Efforts must be made to overcome this problem.

Essay on Addictions and Future of Youth of India – 300 words

Addictions: Ruining the Future of Youth of India It is rightly said that, “excess of anything is bad”. Anything we do/use excessively is harmful. There should be a limit to everything. While grown up, mature individuals are capable of drawing the line the youth of the country can seldom set a limit. Young people like to explore and achieve more and more. This is a good thing if they channelize their energy in the right direction.

But unfortunately, in most cases, the things that draw the attention of the youth aren’t very good for their future and before they know they are addicted to these things. Drug addiction, mobile addiction, alcohol addiction, gaming addiction and TV addiction are among the most common types of addictions the Indian youth is suffering from.

Impact of Addiction on the Mental Health of the Youth of India

People grow addicted to different things as they like the strange and soothing impact they have on their mind. What they don’t understand is that this impact is temporary and that it can have serious consequences in the long run. The mental health of the youth of India is being impacted adversely due to different types of addictions. Here is how addictions of various sorts impact the mental health of a person:

  • It slows the brain activity. An addict is unable to think rationally and is unable to take quick/right decisions.
  • An addict is likely to become short tempered and display aggressive behaviour.
  • Some kinds of addictions such as drug and alcohol addiction cause hallucination.
  • Addictions disturb the sleep pattern of a person. Addicts often complain of lack of sleep. Many of them suffer from insomnia.
  • An addict becomes socially isolated and is likely to go into depression over the time.

Impact of Addiction on the Physical Health of the Youth of India

Different kinds of addictions have different impacts on a person’s physical health. Here are some of these:

  • Mobile and TV addicts often complain of red, itchy and swollen eyes.
  • These addicts also suffer from frequent headache and migraine.
  • These addicts are at a high risk of developing health conditions such as obesity cardiovascular diseases.
  • Drug addicts are likely to suffer from more serious health issues including damaged liver and kidney, cancer, lung problems, brain stroke and hypertension to name a few.

Thus, addictions are causing various kinds of physical and mental health problems among the youth. These problems may seem small initially; however, most of them aggravate with time and can prove to be life threatening. It is important to address them on time to save the future of the youth of India.

Essay on Addictions and Future of Youth of India – 500 Words

How to Help the Youth of India Stay Away from Addictions It has been observed that children between the age group of 10-19 in India are suffering from different types of addictions. In India, the young minds that form a part of this age group are overburdened by studies. They try to meet the expectations of their teachers and parents. They are scolded and have to suffer humiliation if they do not get good grades or behave properly.

This impacts their mind adversely. Many of them try to look for an escape from these problems as they are unable to bear the stress. They try to overcome this stress by various means and soon these means grow on to become severe addictions.

Parents Must Guide Their Children

Many students in India try to overcome their stress by way of drug intake. They gain access to drugs through their friends at school and colleges. They love the effect these substances have on them and see it as an escape from their routine problems. They soon grow addicted to them.

It is the duty of the parents to keep their kids away from these addictive substances. It is time to realize that the maddening competition in schools and colleges is ruining the future of the youth rather than improving it. The high level of competition is stressing the students and freaking them out. The focus of the parents should not be to see their children score high in the class.

Instead, it should be on raising a healthy and wise child who is able to distinguish between right and wrong. Parents must guide their children and be there for them at every step. They should hone their skills but also understand their calibre. They should not overburden them with studies and other such expectations. They must maintain a close relationship with their children.

Parents should keep a check on their children’s activities and see to it that they don’t fall prey to any kind of addiction. Any symptom or any kind of addiction should not be ignored. It must be addressed immediately. Parents need to understand that scolding their children and forcing them to leave an addiction does not help. Getting rid of any kind of addiction is a gradual process. Parents must stand by their children during this process. They should provide guidance and support to their children to help them overcome the addiction.

Schools/ Colleges must Run Awareness Programs

Schools must also run special programs to make the students aware about the harmful impact of different kinds of addictions. During these programs they should highlight the short term as well as long term impact of different kinds of addictions.

Young children adapt to both good habits and bad habits easily. When they see the negative repercussions of drugs, mobile, gaming and other kinds of addiction, they shall refrain from indulging in the same.

Schools must focus on inculcating good habits in children and not put excessive pressure on learning academic lessons.

The youth of India can stay away from different kinds of addictions and can overcome them easily if their elders guide them in the right way.

Long Essay on Addictions and Future of Youth of India – 600 words

Millions of people around the world have developed addiction of some kind or another. As if the problem of drug and alcohol addiction wasn’t grave enough, the advancement in technology has brought forth several new kinds of addictions including the social media addiction, internet addiction and gaming addiction to name a few. The youth of India has particularly been affected by all kinds of addictions. These addictions are ruining their future.

Drug and Alcohol Addiction Impacting the Future of Indian Youths

Drug and alcohol are among the few things that the youth of India are getting addicted to. This is because of the easy accessibility of these things in our country. Many youngsters have these, just for experience and soon grow addicted to them. Several cases of alcohol and drug addiction among youth have come up.

This is termed as substance abuse and causes irreparable damage to a person’s physical health and mental well being. Youngsters addicted to drug and alcohol stand at high risk of incurring cardiovascular diseases, stroke, nervous breakdown, lung diseases, lever problems, cancer and more. It also causes anger issues and depression. The addiction is life threatening.

The government of India must take stringent measures to stop illegal supply of drugs and alcohol. Strict action must be taken against anyone who sells them to teenagers.

Gaming Addiction: A Common Addiction among Youth of India

Gaming is another addiction that a lot of youngsters in India are experiencing. This addiction messes with the brain of the young people. They lose interest in their studies/work and are hooked to mobile games. Playing games continually for hours slows down the brain activity and hampers the ability to focus and learn. It also impacts analytical thinking power and decision making ability among the various other problems it causes. Gaming addicts complain of frequent headache and itchy eyes. This addiction is a big hindrance in studies.

Mobile Addiction: Impacting Young Indians

Mobile addiction is also a common addiction among the youth of the country. Different apps including the social media platforms and chatting apps keep the youngsters busy. They constantly chat with strangers online. They also post different updates on the social media just to fetch attention. Youngsters crave for attention and companionship and these apps provide them just that.

Such apps have particularly been designed to target the youth and are successfully doing so. They are cashing in big time on this addiction. The urge to check the mobile notifications and scrolling through different apps just to check any new update is extremely common among the young generation.

Mobile addiction is hampering the academic performance of the youth of India. It is also causing physical health problems such as migraine and weakened eyesight. Besides, it has cut them off from the society. They are glued to the mobile and do not pay much heed to what is happening around them.

The Future of Youth of India is at Stake

Young Indians are known for their sharp minds. Many Indians have earned fame worldwide owing to their knowledge and skills. However, various kinds of addictions seem to have taken over the bright side of their young minds in the current times. These addictions are having a negative impact on the youth of the country. It would not be wrong to say that their future seems to be at stake. Addictions are spoiling their future.

The youth of India needs to get over these addictions and get back to senses and take their life in the right direction.

Different kinds of addictions are impacting the youth of our country in different ways. It is high time they should be guided properly and denied access to things that cause severe addictions. Parents and teachers must work together to ensure the same.

Essay on Addictions and Future of Youth of India FAQs

How substance abuse affects youth and challenges for the future.

Substance abuse harms youth and poses future challenges by impacting their health, education, and relationships.

What is a few lines about addiction?

Addiction is a strong dependence on a substance or behavior, often leading to negative consequences.

What is the role of youth in drug-free India?

Youth can contribute to a drug-free India by raising awareness, resisting peer pressure, and seeking help for those in need.

What are the effects of drugs on youth?

Drug use in youth can result in health problems, academic decline, and strained relationships.

What is the impact of drugs on youth?

The impact of drugs on youth varies, affecting physical and mental health, decision-making, and overall well-being.

What is a short paragraph on drug addiction?

Drug addiction is a harmful dependency on substances that can harm one's life and relationships.

How to write an essay about drug addiction?

To write an essay on drug addiction, start with an introduction, describe its effects, discuss causes, and propose solutions for prevention and recovery.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
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  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
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  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
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  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
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  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
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  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
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  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

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उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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