environmental sanitation essay in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi

Essay On Environmental Issues In Hindi पर्यावरण की समस्या इन दिनों चिंता का विषय हैं। प्रदूषण के स्तर के बढ़ने और ओजोन परत के घटने से दुनिया के सभी देश पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं। यह मुख्य रूप से है क्योंकि पर्यावरणीय गिरावट मानव जाति के अस्तित्व को खतरा पैदा करता है। पहले, किसी ने भी पर्यावरण की परवाह करने की जहमत नहीं उठाई।

Essay On Environmental Issues In Hindi

पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi ( 100 शब्दों में )

अधिकांश देशों में पर्यावरण के मुद्दों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है। कुछ अपवाद स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड जैसे देश हैं, जो पर्यावरणीय समस्याओं को समान महत्व देता है। पृथ्वी की वर्तमान स्थिति को हममें से प्रत्येक को पर्यावरण और उससे संबंधित मुद्दों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। हम में से अधिकांश, हालांकि, ऐसा नहीं करते हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरणीय क्षति के परिणाम अक्सर हमारे द्वारा महसूस नहीं किए जाते हैं। ये परिणाम आमतौर पर परिमाण में छोटे होते हैं। पर्यावरणीय गिरावट के प्रभाव एक समय के बाद हानिकारक और लंबे समय तक हो सकते हैं। पर्यावरण की लापरवाही का पता हमारी प्रथाओं के जरिए लगाया जा सकता है।

  • जेफ़ बेजोस पर 10 लाइन

पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi ( 200 शब्दों में )

सबसे पहले जब हम प्रदूषण के बारे में सोचते हैं, तो वायु और जल प्रदूषण सबसे ऊपर है। जैसा कि हम जानते हैं कि वायु और जल जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। लेकिन मानवीय गतिविधियों के कारण दोनों प्रदूषित हो रहे हैं। जो जीविका के जीवन को दुखी करता है। दूषित पानी का उपयोग करने वाले लोग कई पुरानी और घातक बीमारियों से पीड़ित हैं। वायु प्रदूषण उन्हें श्वसन संबंधी बीमारियां देता है।

इसके अलावा, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। सूर्य की रोशनी से कई हानिकारक किरणें सीधे पृथ्वी की सतह पर पहुंचती हैं क्योंकि ओजोन परत में छेद होते हैं, जिससे आंखों की कई समस्याएं और त्वचा की समस्याएं होती हैं। नदियों में फेंकने जाने वाला कचरा न केवल पानी को दूषित करता है, बल्कि नदी के बहाव को भी उथला बना देता है।

इसलिए हमें इस विशेष मुद्दे की चिंता करनी चाहिए जो भविष्य में अधिक खतरनाक साबित होगा। इसलिए हमें पर्यावरण के मुद्दों पर सकारात्मक रूप से सोचना चाहिए और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली गतिविधियों को कम करने के लिए व्यक्तियों के लिए उचित व्यवस्था और प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाना चाहिए। सरकार और मीडिया को लोगों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और लोगों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।

पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi ( 300 शब्दों में )

तेजी से बढ़ती जनसंख्या और आर्थिक विकास और शहरीकरण और औद्योगिकीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, रसायनों के उपयोग के माध्यम से कृषि का तेजी से विस्तार और गहनता, और जंगलों का विनाश, आदि भारत में प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे हैं। संसाधन में कमी, पर्यावरणीय गिरावट, जैव विविधता का नुकसान आदि प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे हैं।

भारत की पर्यावरणीय समस्याओं में विभिन्न प्राकृतिक खतरे, विशेष रूप से चक्रवात और वार्षिक मानसून बाढ़, जनसंख्या वृद्धि, व्यक्तिगत खपत, औद्योगिकीकरण, अवसंरचनात्मक विकास, खराब कृषि पद्धतियाँ और संसाधनों का असमान वितरण शामिल हैं।

  • भगत सिंह पर 10 लाइन 

पर्यावरण प्रदूषण और महत्वपूर्ण संसाधनों से संबंधित मुख्य समस्याएं स्थानीय से क्षेत्रीय और वैश्विक से भिन्न होती हैं। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से उद्योगों और मोटर वाहनों में कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने से होता है।

वाहनों और उद्योगों द्वारा जारी ये गैसें मनुष्यों, जानवरों और पौधों के लिए हानिकारक हैं, इसलिए हमें अपने आसपास की हवा को साफ रखना होगा। हमें अपने क्षेत्र के आसपास पार्क स्थापित करने और पेड़ लगाने और देखभाल करने की आवश्यकता है क्योंकि वे हमारे श्वसन साझेदार हैं।

दो मुख्य वैश्विक पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ती ग्रीनहाउस प्रभाव हैं, जो पृथ्वी के औसत तापमान को बढ़ा रही है और समताप मंडल में ओजोन की कमी का कारण बन रही है। ग्रीनहाउस प्रभाव की वृद्धि मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और सीएफसी और वनों की कटाई के बढ़ते उत्सर्जन के कारण है।

यह बारिश के पैटर्न और वैश्विक तापमान की प्रकृति में भारी बदलाव का कारण बन सकता है। साथ ही, यह जीवित जीवों को भी बहुत नुकसान पहुंचा सकता है।

व्यवस्थित योजना और उपयुक्त पहल हर व्यक्ति की भागीदारी के साथ अधिक प्रभावी होगी। यदि हम इस बारे में गहराई से चिंतित नहीं हैं, तो प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होगी जो पूरे जीवित जीवों को विलुप्त कर सकते हैं। प्रकृति के लिए प्यार और सम्मान कुछ बदलाव लाएगा।

पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi ( 400 शब्दों में )

पर्यावरण मुख्य रूप से शहरीकरण और औद्योगिक विकास के कारण प्रदूषित होता है। प्रमुख शहरों में वाहनों की बढ़ती यातायात प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके अन्य कारण दो स्टोक इंजन, पुराने वाहन, यातायात की भीड़, खराब सड़कें, पुरानी स्वचालित तकनीक और यातायात प्रबंधन प्रणाली हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

औद्योगिक प्रदूषण की समस्या अक्सर उन जगहों पर गंभीर होती है जहां पेट्रोलियम रिफाइनरी, रसायन, लोहा और इस्पात, गैर-धातु उत्पाद और कागज कारखाने और कपड़ा उद्योग स्थित हैं। यहां तक ​​कि छोटी कास्टिंग इकाइयां, रासायनिक विनिर्माण और ईंट बनाने वाले भट्टे हवा को प्रदूषित करते हैं।

मलिन बस्तियों, झुग्गियों और कम हवादार और मंद रोशनी वाले घरों और खाना पकाने के लिए घरेलू चूल्हे, लकड़ी, कोयले का उपयोग करने से भी प्रदूषण होता है। घरों में स्मोक्ड हवा का महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। वाहनों, डीजल जनरेटर, निर्माण गतिविधियों और लाउड स्पीकर शहरों में वातावरण को प्रदूषित करने के अन्य कारण हैं। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट भी प्रदूषण के अन्य स्रोत हैं।

  • बराक ओबामा पर 10 लाइन 

पर्यावरणीय क्षरण सभी जीवों के लिए हानिकारक हो गया है। प्रदूषित वातावरण से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ होती हैं। वनस्पतियों के लिए मूल्यवान वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त होने का खतरा है। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रकृति संतुलन बनाए रखती है और सभी जीवों की खाने की आदतें एक खाद्य श्रृंखला में बंध जाती हैं।

पर्यावरण नियंत्रण के टिप्स

पर्यावरण की गतिविधियों को पुस्तकों से जमीनी स्तर तक ले जाना चाहिए। यह आसपास के समुदायों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने में सक्षम करेगा। बड़े पैमाने पर लोगों को सौर ऊर्जा चालित टेबल लैंप, फ्लैश लाइट, मोबाइल चार्जर, सोलर कुकर, सोलर कार, बायो गैस प्लांट और नर्सरी आदि और कार्डबोर्ड बॉक्स और क्लॉथ बैग का इस्तेमाल करना सिखाया जाना चाहिए।

सरकार निर्माताओं के लिए वर्तमान संभावनाओं को समझकर, पर्यावरण के लिए कम से कम हानिकारक उत्पादों के निर्माण के लिए दिशानिर्देश बनाकर समुदाय को जागरूक कर सकती है। मीडिया पोस्टर और नारे लगाने और विज्ञापन के माध्यम से लोगों से संवाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग आदि से मानव अपनी जीवन शैली के बारे में पुनर्विचार कर रहा है और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। आज हमें पर्यावरण संकट के मुद्दे पर आम जनता और शिक्षित पाठकों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi ( 500 शब्दों में )

पर्यावरण सभी भौतिक, रासायनिक और जैविक कारकों की कुल इकाई है जो एक जीव या पारिस्थितिक आबादी को घेरते हैं और उनके रूप और जीवन का निर्धारण करते हैं। पर्यावरण के जैविक घटकों में सूक्ष्मजीवों से लेकर कीड़े, जानवर और पौधे और उनसे जुड़ी सभी जैविक गतिविधियां और प्रक्रियाएं शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अकार्बनिक घटकों में निर्जीव तत्व होते हैं जैसे: पहाड़, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु तत्व आदि।

सामान्य शब्दों में, यह एक इकाई है जिसमें सभी जैव और अजैविक तत्व, तथ्य, प्रक्रियाएं और घटनाएं शामिल हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। यह हमें व्याप्त करता है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इस पर निर्भर करती है। मनुष्यों द्वारा सभी क्रियाएं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार, एक जीव और पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रित संबंध भी है।

पर्यावरण में गिरावट के कारण

औद्योगिक क्रांति मशीनों का आविष्कार होने के बाद, वे गैसें पर्यावरण में हानिकारक गैसें थीं। इनमें प्रयुक्त ईंधन कार्बन मोनो-ऑक्साइड, सल्फर डि-ऑक्साइड और मीथेन जैसी हानिकारक गैसों को छोड़ता है। बारिश में घुलने पर ये गैसें एसिड बन जाती हैं जो स्मारकों और पुरानी इमारतों को दूषित कर सकती हैं।

अम्लीय वर्षा का प्रभाव फसलों और वनस्पतियों पर भी देखा जा सकता है। हवा में मिश्रित गैसें श्वसन प्रणाली के लिए हानिकारक हैं और लोग पुरानी बीमारियों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, टीबी आदि से पीड़ित होंगे।

जीवन के लिए अन्य आवश्यक प्राकृतिक संसाधन, पानी भी शहरों और कारखानों के कचरे से प्रदूषित हो रहा है। यह न केवल मानव जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि जलीय जीवन के लिए भी हानिकारक साबित हुआ है।

शहरीकरण की दौड़ में एक मानव कॉलोनी या एक विनिर्माण इकाई को बसाने के लिए कई पेड़ों को काट दिया गया है। यह सही लगता है कि लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए जंगलों को छीन लिया गया है। लेकिन सोचिए, क्या इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि यह वन्यजीव प्रणाली या पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान नहीं करेगा।

पर्यावरण प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारणों में से एक है। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रतिशत विभिन्न कारकों के कारण बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के चारों ओर तापमान में वृद्धि हुई है। इसे ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर उच्च ऊंचाई पर पिघल रहे हैं जो समुद्रों और महासागरों में पानी की मात्रा को बढ़ाते हैं। यह तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए समुद्र में भूमि को बाढ़ या सिकुड़ने के लिए एक खतरा है।

उपरोक्त सभी पर्यावरणीय मुद्दे हमारे लिए प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को महसूस करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। कोई भी संस्था या संयुक्त संघ समस्या का समाधान नहीं कर सकता है। लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन हमें व्यापक स्तर पर सोचना होगा कि हमें प्राकृतिक तरीके से नियंत्रण करने का रास्ता खोजना होगा। अन्यथा मानवों ने पीने का पानी खरीदना शुरू कर दिया है, एक दिन आएगा जब मनुष्य ऑक्सीजन खरीदने के लिए दौड़ेंगे।

  • महात्मा गांधी पर 10 लाइन 

पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi ( 600 शब्दों में )

समय बीतने और व्यापक पैमाने के रूप में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के साथ, हमने अपने ग्रह को खतरनाक स्तर तक कम कर दिया है। इसका पर्यावरण विभिन्न रोगों से ग्रस्त है। हमने समय के दौरान कई बदलाव देखे हैं। गर्मियों के सूरज का तापमान पैटर्न लुभावनी है, जबकि असमान वर्षा पैटर्न कृषि प्रथाओं को प्रभावित करता है। आजकल कई तरह के अकाल और प्राकृतिक आपदाएँ देखी जा रही हैं। भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट दुनिया में अक्सर देखे जाते हैं। ऐसी घटनाओं के कारण कई लोगों की जान चली गई।

महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दे

जैव विविधता: पृथ्वी का वातावरण हमारे ग्रह और पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीवित चीजों से बना है। यह जैव विविधता हमारे ग्रह की एक महत्वपूर्ण और जटिल विशेषता है। छोटे सूक्ष्म जीवों से लेकर लंबे जिराफ या विशालकाय हाथी पर्यावरण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पर्यावरण के मुद्दों के कारण जैव विविधता खतरे में है। जानवरों की कई प्रजातियां पहले से ही विलुप्त स्तर तक पहुंच गई हैं या पहुंच गई हैं। वन क्षेत्र का क्षय उनके निवास स्थान को खोने का मुख्य कारण है। इसका असर उनके प्रजनन पर भी पड़ता है।

जल प्रदूषण: यह कहा जाता है कि पृथ्वी की सतह का 70% हिस्सा पानी से ढका है। लेकिन यह चिंता का विषय है कि यह मानव उपयोग के लिए कितना उपयुक्त है। यह भी कहा जाता है कि पृथ्वी पर कुल पानी का केवल 3% ही ग्लेशियरों और भूजल के रूप में शुद्ध है। तेल रिसाव के साथ, हमारे जलमार्ग में प्रवेश करने वाले प्लास्टिक कचरे और जहरीले रसायनों की एक बहुतायत, हम अपने ग्रह के सबसे मूल्यवान संसाधन को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

वनों की कटाई: पौधे और पेड़ मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पेड़ सभी को ऑक्सीजन, भोजन और दवाएं प्रदान करते हैं। लोग अपनी बढ़ती मांग के लिए जंगलों की कटाई कर रहे हैं। प्राकृतिक जंगल की आग गर्मियों में एक आम घटना है। लोगों ने अधिकतम लाभ कमाने के लिए पेड़ों को अनुचित तरीके से काट दिया। आबादी को आबाद करने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है, इसलिए पेड़ों को बड़े पैमाने पर काट दिया जाता है।

प्रदूषण: प्रदूषण पर्यावरण क्षरण का प्रमुख कारण है। वायु, जल, मिट्टी, शोर, रेडियोधर्मी, प्रकाश और थर्मल प्रदूषण जैसे सभी प्रकार के प्रदूषण हमारे पर्यावरण को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। सभी प्रकार के प्रदूषण आपस में जुड़े हुए हैं और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

जलवायु परिवर्तन: ग्रीनहाउस गैसें जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण हैं। परिवहन और औद्योगिकीकरण जैसी मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि होती है, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ता है जो अंततः पृथ्वी के औसत सतह तापमान में वृद्धि का कारण बनता है।

पर्यावरणीय मुद्दों का प्रभाव

जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, हमारे कार्यों और व्यवहार में अभूतपूर्व बदलाव के बिना, हमारे ग्रह केवल 12 वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग से बहुत पीड़ित होंगे। ग्रीनहाउस गैसें जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण हैं, जो सूरज की गर्मी में फंसने और पृथ्वी की सतह को गर्म करने के लिए हैं।

ग्लेशियरों के पिघलने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि भूमि क्षेत्र को कवर कर रही है। बाढ़, सूखा और कई अन्य प्राकृतिक आपदाएं जीवन और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करती हैं। बढ़ते समुद्र के पानी का तापमान ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलीय जीवन को भी नुकसान पहुंचाता है।

मोटर वाहनों के उपयोग में कमी और सौर ऊर्जा के उपयोग से हमारे कार्बन पदचिह्न कम हो जाएंगे, क्योंकि वे उपयोग में नहीं आने पर बिजली की वस्तुओं को बंद कर देंगे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों और गंभीरता पर बहुत देर होने से पहले दुनिया को शिक्षित करना होगा।

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पर्यावरण की गंभीर समस्या कौन सी है?

वायु प्रदूषण, ठोस कचरे का प्रबंधन, पानी की किल्लत, गिरता भूजल स्तर, जल प्रदूषण, संरक्षण, वनों की गुणवत्ता और संरक्षण की कमी, जैव विविधता के नुकसान और भूमि/मृदा क्षरण भारत में प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे हैं, जिनका समाधान खोजना वर्तमान परिस्थितियों में बेहद ज़रूरी हो गया है।

पर्यावरण की प्रमुख चुनौतियां कौन कौन सी हैं?

वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन आबोहवा और समुद्री जल कार्बन से भर चुका है. … जंगलों की कटाई कई प्रकार के पौधों और जन्तुओं को आसरा देने वाले जंगल काटे जा रहे हैं. … लुप्त होती प्रजातियां … मिट्टी का क्षरण … अति आबादी

मुख्य पर्यावरण मुद्दे क्या है?

वैश्विक प्रकृति की दो मुख्य पर्यावरणीय समस्याएँ हैं ग्रीनहाउस के बढ़ते हुए प्रभाव, जिसके कारण पृथ्वी पर गर्मी बढ़ रही है और समतापमण्डल (स्ट्रैटोस्फीयर) में ओजोन का अवक्षय हो रहा है। ग्रीनहाउस प्रभाव की वृद्धि मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और CFCs के उत्सर्जन में वृद्धि के कारण और वनोन्मूलन के कारण भी होती है।

पर्यावरणीय समस्याएं हमें कैसे प्रभावित करती हैं?

पर्यावरण प्रदूषक श्वसन रोग, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कम आय वाले लोगों के प्रदूषित क्षेत्रों में रहने और असुरक्षित पेयजल की संभावना अधिक होती है। और बच्चों और गर्भवती महिलाओं को प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Environment Conservation Essay in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध हिंदी में जानेगे.

हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words

प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

#Environment Protection In Hindi #Hindi Essay On Environment Protection

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environmental sanitation essay in hindi

स्वास्थ्य और पर्यावरण (Health and Environment)

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बाहरी प्रदूषण

वायु और स्वास्थ्य, जल और स्वास्थ्य, ध्वनि और स्वास्थ्य, घरेलू पर्यावरण और प्रदूषण, सुगंध का स्वास्थ्य पर प्रभाव.

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Essay on cleanliness in hindi स्वच्छता पर निबंध.

Check out Essay on Cleanliness in Hindi or Essay on Sanitation in Hindi. What should we do to make India Clean? Today we are going to write an essay on cleanliness in Hindi and from this essay, you can take useful examples to write an essay on cleanliness in Hindi (Swachata ka Mahatva Essay in Hindi Language) स्वच्छता पर निबंध (Essay on Swachata ka Mahatva in Hindi) in a better way. Essay on Cleanliness in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.

Essay on Cleanliness in Hindi

hindiinhindi Essay on Cleanliness in Hindi

Essay on Cleanliness in Hindi 300 Words

स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण है क्योकि यह एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। अपने आस-पास स्वच्छता रखना खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वच्छ रखना है, जो हमे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। हमे हर समय खुद को शुद्ध, स्वच्छ और अच्छे कपडे पहन कर रखने चाहिए क्योकि यह समाज में आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। अपनी खुद की स्वच्छता से मनुष्य का स्वास्थ्य ढीक रहता है जिससे उसकी आयु बीमार लोगो के मुकाबले ओर बढ़ती है। इसी लिए हम सब को हमारी धरती के जीवन को संभव बनाने के लिये इसके पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को शुद्ध बनाये रखना चाहिए।

स्वच्छता के कारण ही हम मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरह से स्वस्थ रहते है। अपने भी अपने घर में यह देखा होगा कि पूजा करने से पहले माता-पिता स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होते है। माता-पिता स्वच्छता को हमारी आदत बनाना चाहते है किन्तु उनका तरीका गलत है क्योकि वो हमे स्वच्छता के उद्देश्य और फायदे तो बताते ही नहीं। हर अभिवावक को तार्किक रुप से स्वच्छता के फायदे जरूर बताने चाहिए ताकि सब स्वच्छता कि एहमियत को समझ सके। हमे रोज अपने नहाना चाहिए, नाखुनों को काटना चाहिए साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े ही पहनने चाहिए। हमे खाना खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोने चाहिए। हमे बहार के ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए।

हमे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए। हम अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध रखकर ही बहुत बीमारियों से बच सकते है। गंदगी से कई तरह के कीटाणु, बैक्टेरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते है, जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है और बीमार हो जाते है। हमे अपने माता-पिता से सीखना चाहिए कि कैसे हम अपने घर और आस-पास के वातावरण को कैसे ओर शुद्ध बना सकते है।

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स्वच्छता पर निबंध (Cleanliness Essay in Hindi)

स्वच्छता

नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य को पूरा करने के लिये एक बड़ा कदम हो सकता है हर भारतीय नागरिक का एक छोटा सा कदम। रोजमर्रा के जीवन में हमें अपने बच्चों को साफ-सफाई के महत्व और इसके उद्देश्य को सिखाना चाहिये। अच्छा स्वास्थ्य किसी के जीवन को बेहतक बना सकता है और वह हमें बेहतर तरीके से सोचने और समझने की ताकत प्रदान करता है और अच्छे स्वास्थ्य का मूल मंत्र स्वच्छता है।

स्वच्छता पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Cleanliness in Hindi, Swachhata par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द).

स्वच्छता कोई काम नहीं है, जो पैसे कमाने के लिये किया जाए बल्कि, ये एक अच्छी आदत है जिसे हमें अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के लिये अपनाना चाहिये। स्वच्छता पुण्य का काम है जिसे जीवन का स्तर बढ़ाने के लिये, एक बङी जिम्मेदारी के रुप में हर व्यक्ति को इसका अनुकरण करना चाहिये। हमें अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता, पालतू जानवरों की स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता, अपने आस-पास की स्वच्छता, और कार्यस्थल की स्वच्छता आदि करनी चाहिये। हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिये और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिये पेड़ लगाना चाहिये।

ये कोई कठिन कार्य नहीं है, लेकिन हमें इसे शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिये। ये हमें मानसिक, शारीरिक, समाजिक और बौद्धिक रुप से स्वस्थ रखता है। सभी के साथ मिलकर उठाया गया कदम एक बड़े कदम के रुप में परिवर्तित हो सकता है। जब एक छोटा बच्चा सफलतापूर्वक चलना, बोलना, दौड़ना सीख सकता है और यदि अभिभावकों द्वारा इसे बढ़ावा दिया जाए, तो वो बहुत आसानी से स्वच्छता संबंधी आदतों को बचपन में ग्रहण कराया जा सकता है।

माता-पिता अपने बच्चे को चलना सीखाते हैं, क्योंकि ये पूरे जीवन को जीने के लिये बहुत जरुरी है। उन्हें जरुर समझना चाहिये कि स्वच्छता एक स्वस्थ जीवन और लंबी आयु के लिये भी बहुत जरुरी होता है, इसलिये उन्हें अपने बच्चों में साफ-सफाई की आदत भी डालनी चाहिये। हम अपने अंदर ऐसे छोटे-छोटे बदलाव अगर ले आएं तो शायद वो दिन दूर नहीं जब पूरा भारत स्वच्छ हो। बच्चों में क्षमता होती है, कि वे कोई भी आदत जल्दी सीख लेते हैं। इस लिये उन्हे स्वच्छता का पालन करने के लिये बचपन से प्रेरित करें।

निबंध 2 (300 शब्द)

स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हम सभी के लिये बहुत जरुरी है। अपने घर, पालतू जानवर, अपने आस-पास, पर्यावरण, तालाब, नदी, स्कूल आदि सहित सबकी सफाई करते हैं। हमें सदैव साफ, स्वच्छ और अच्छे से कपड़े पहनना चाहिये। ये समाज में अच्छे व्यक्तित्व और प्रभाव को बनाने में मदद करता है, क्योंकि ये आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। धरती पर हमेशा के लिये जीवन को संभव बनाने के लिये अपने शरीर की सफाई के साथ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों (भूमि, पानी, खाद्य पदार्थ आदि) को भी साफ बनाए रखना चाहिये।

स्वच्छता हमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक हर तरीके से स्वस्थ बनाता है। सामान्यत:, हमने हमेशा अपने घर में ये ध्यान दिया होगा कि हमारी दादी और माँ पूजा से पहले स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होती हैं, तब हमें यह व्यवहार कुछ अलग नहीं लगता, क्यों कि वो बस साफ-सफाई को हमारी आदत बनाना चाहती हैं। लेकिन वो गलत तरीका अपनाती हैं, क्योंकि वो स्वच्छता के उद्देश्य और फायदे को नहीं बताती हैं, इसी वजह से हमें स्वच्छता का अनुसरण करने में समस्या आती है। हर अभिवावक को तार्किक रुप से स्वच्छता के उद्देश्य, फायदे और जरुरत आदि के बारे में अपने बच्चों से बात करनी चाहिये। उन्हे जरुर बताना चाहिये कि स्वच्छता हमारे जीवन में खाने और पानी की तरह पहली प्राथमिकता है।

अपने भविष्य को चमकदार और स्वस्थ बनाने के लिये हमें हमेशा खुद का और अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिये। हमे साबुन से नहाना, नाखुनों को काटना, साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े आदि कार्य रोज करना चाहिये। घर को कैसे स्वच्छ और शुद्ध बनाए ये हमें अपने माता-पिता से सीखना चाहिये। हमें अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिये ताकि किसी प्रकार की बीमारी न फैले। कुछ खाने से पहले और खाने के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिये। हमें पूरे दिन साफ और शुद्ध पानी पीना चाहिये, हमें बाहर के खाने से बचना चाहिये, साथ ही ज्यादा मसालेदार और तैयार पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिये। इस प्रकार हम खुद को स्वच्छ के साथ-साथ स्वस्थ भी रख सकते हैं।

Essay on Cleanliness in Hindi

निबंध 3 (400 शब्द)

स्वच्छता एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये साफ-सफाई बेहद जरुरी है। अपने आसपास के क्षेत्रों और पर्यावरण की सफाई सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिये बहुत जरुरी है। हमें साफ-सफाई को अपनी आदत में लाना चाहिये और कूड़े को हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिये, चाहिये क्योंकि गंदगी वह जड़ है जो कई बीमारियों को जन्म देती है। जो रोज नहीं नहाते, गंदे कपड़े पहनते हों, अपने घर या आसपास के वातावरण को गंदा रखते हैं, ऐसे लोग हमेशा बीमार रहते हैं। गंदगी से आसपास के क्षेत्रों में कई तरह के कीटाणु, बैक्टीरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते हैं जो बीमारियों को जन्म देते हैं।

जिन लोगों की गंदी आदतें होती हैं वो भी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों को फैलाते है। संक्रमित रोग बड़े क्षेत्रों में फैलाते हैं और लोगों को बीमार करते हैं, कई बार तो इससे मौत भी हो जाती है। इसलिये, हमें नियमित तौर पर अपने स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिये। हम जब भी कुछ खाने जाएँ तो अपने हाथों को साबुन से धो लें। अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये हमें बिल्कुल साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिये। स्वच्छता से हमारा आत्म-विश्वास बढ़ता है और दूसरों का भी हम पर भरोसा बनता है। ये एक अच्छी आदत है जो हमें हमेशा खुश रखेगी। ये हमें समाज में बहुत गौरान्वित महसूस कराएगी।

हमारे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिये स्वच्छता बहुत जरुरी है। ये व्यक्ति को प्रसिद्ध बनाने में अहम रोल निभाती है। पूरे भारत में आम जन के बीच स्वच्छता को प्रचारित व प्रसारित करने के लिये भारत की सरकार द्वारा कई सारे कार्यक्रम और सामाजिक कानून बनाए गये और लागू किये गये है। हमें बचपन से स्वच्छता की आदत को अपनाना चाहिये और पूरे जीवन उनका पालन करना चाहिये। एक व्यक्ति अच्छी आदत के साथ अपने बुरे विचारों और इच्छाओं को खत्म कर सकता है।

घर या अपने आसपास संक्रमण फैलने से बचाने और गंदगी के पूर्ण निपटान के लिये हमें ध्यान रखना चाहिये कि कूड़ा केवल कूड़ेदान में ही डालें। साफ-सफाई केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि ये घर, समाज, समुदाय, और देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है। हमें इसके महत्व और फायदों को समझना चाहिये। हमें कसम खानी चाहिये कि, न तो हम खुद गंदगी फैलाएंगे और किसी को फैलाने देंगे।

निबंध 4 (600 शब्द)

स्वच्छता किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी होता है। चाहे वह कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, हमें सदैव इसका पालन करना चाहिये। स्वच्छता कई प्रकार की हो सकती है जैसे कि, सामाजिक, व्यक्तिगत, वैचारिक आदि। हमें हर क्षेत्र में इसे अपनाना चाहिये क्यों कि सबके मायने अलग होते हैं। विचारों कि स्वच्छता हमें एक अच्छा इंसान बनाती है, तो वहीं व्यक्तिगत स्वच्छता हमें हानिकारक बिमारियों से बचाती है। इस लिये स्वच्छता के सार्वभौमिक विकास हेतु हमें सदैव प्रयासरत रहना चाहिये।

स्वच्छता का महत्व

चाहे व्यक्ति छोटा हो या बड़ा, हर उम्र में उन्हें कुछ स्वच्छता संबंधीत नियमों का पालन करना आवश्यक होता है जैसे कि, सदैव खाने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से धुलना, रोज नहाना, अपने दांतो को साफ करना, नीचे गिरे वस्तुओं को न खाना, अपने घर को साफ रखना, घर में उचित सूर्य के प्रकाश कि व्यवस्था हो, आपने नाखूनों को साफ रखना, केवल घर ही नहीं अपितु आस-पास के परिवेश को भी स्वच्छ रखना, अपने स्कूल, कॉलेज या कोई भी सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा न फैलाना। सूखे और गीले कचड़े को अलग-अलग हरे और नीले कूड़ेदान में डालना। इस प्रकार और भी कई काम हैं जिनके जरिये आप अपने अंदर स्वच्छता संबंधी आदतों को विकसित कर सकते हैं।

स्वच्छता से होने वाले फायदे

स्वच्छता के कई फायदे हैं जैसे कि स्वच्छता संबंधी अच्छी आदतें हमे कई बीमारियों से बचाती हैं। कोई भी बीमारी न केवल शरीर के लिए हानिकारक होता है, अपितु खर्च भी बढ़ा देता है। गंदे पानी व भोजन के सेवन से पीलिया, टाइफाइड, कॉलेरा जैसी खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। गंदे परिवेश मे मच्छर पनपते हैं जो मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां फैलाते हैं।

व्यर्थ के बीमारियों को बढ़ाने से अच्छा है कि हम स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन करें। ऐसा कर के हम देश के लाखों रुपये, जो बीमारियों पर खर्च होते हैं बचा सकते हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ वैचारिक स्वच्छता हमें एक अच्छा इंसान बनाता है। जो सदैव अपने विकास के साथ दूसरों का भी भला सोचता है और जब देश के सभी लोग ऐसी भावन के साथ जीने लगेंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब देश स्वच्छता के साथ-साथ प्रगति के पथ पर भी तेजी से आगे बढ़ने लगेगा।

स्वच्छता संबंधी अभियान

भारत सरकार ने स्वच्छता की आवश्यकता को समझते हुए स्वच्छ भारत नामक अभियान को भी चलाया जिसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के मौके पर की गई। पर कोई भी अभियान केवल सरकार मात्र नहीं चला सकती, आवश्यकता है वहां के नागरिकों में जागरुकता फैलाने की।

इस अभियान के तहत सरकार ने शहर एवं ग्रामीण दोनो क्षेत्रों मे स्वच्छता को बढ़ावा दिया है और पूरे भारत को खुले मे शौच मुक्त करने का प्रण लिया है। अब तक 98 प्रतिशत भारत को खुले में शौचमुक्त बनाया जा चुका है। इसी प्रकार कई अन्य अभियान हैं जैसे निर्मल भारत, बाल स्वच्छता अभियान आदि। सबका उद्देश्य भारत में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।

हम यह कह सकते हैं कि स्वच्छता हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है और स्वच्छता संबंधी आदतों से हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। और जब हमारा स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो हम अपने परिवेश कि भी सफाई आसानी से कर पाएंगे। जब हमारा पूरा परिवेश साफ रहेगा तो नतीजन देश भी साफ रहेगा और इस प्रकार एक छोटी सी कोशिश मात्र से हम पूरे देश को साफ कर सकते हैं।

हमें बच्चों में छोटे समय से स्वच्छता संबंधी आदतें डालनी चाहिए, क्यों कि वे देश के भविष्य हैं और एक अच्छी आदत देश में बदलाव ला सकता है। जिस देश के बच्चे सामाजिक, वैचारिक और व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ होंगे उस देश को आगे बढ़ने से कोइ नहीं रोक सकता। एक जिम्मेदार नागरिक बनें और देश के विकास में अपना योगदान दें। स्वच्छता अपनाएं और देश को आगे बढ़ाएं।

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Essay on Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध हिंदी में

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के बिना इंसानों का पृथ्वी पर जीवित रहना नामुमकिन है।

लेकिन फिर भी इन सबको सुरक्षित और साफ रखने में हम दिलचस्पी नही दिखाते। हमें लगता है यह सब कुदरती वरदान है जो कभी खत्म नही होगा, पर यह सही नही है।

कुदरत ने हमें यह सब वरदान के तौर पर जरूर दिया है लेकिन यदि हमने पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का ही ध्यान रखना छोड़ दिया तो यह सब भी हमसे छिन जाएगा।

Essay on Environment in Hindi में हमने इस विषय को गहराई से समझाया है। आप इन निबंधों का उपयोग अपनी परीक्षा में भी कर सकते हैं।

Table of Contents

Long And Short Essay on Environment in Hindi (300 words)

हमारी पृथ्वी पर जितने भी जीवधारी मौजूद है उन सब मे सबसे शक्तिशाली हम इंसान है लेकिन यदि प्रकृति के सभी घटक नही हो तो हम इंसानों का इधर जीवित रह पाना नामुमकिन है। प्रकृति के बाकी घटक मिलकर जिसका निर्माण करते हैं वह पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण के बारे में आज दुनियाँ में बहुत ज्यादा बातें होने लगी है क्योंकि हमारी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।

पर्यायवरण का महत्व (Importance of Environment)

इंसान स्वस्थ रहें और एक अच्छा जीवन जिये इसमे पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का बहुत अधिक महत्व है। यह कहना बिलकुल गलत नही होगा कि पृथ्वी पर जीवन की एक मात्र वजह यहाँ का पर्यावरण है।

जिस दिन यह नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगा उसी दिन से पृथ्वी पर जीवन कठिन हो जाएगा। पर्यावरण के कारण ही हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए निर्मल जल और खाने के लिए अनाज मिलता है।

पेड़-पौधे पर्यावरण का एक अहम भाग है। इनकी मौजूदगी न सिर्फ हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा करती है बल्कि मानसिक शांति के द्वार भी खोलती है।

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक हो सकें और पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के महत्व को समझ सकें इसके लिए प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की नही है बल्कि सभी लोगो को यह समझना होगा कि पर्यावरण है तो ही जीवन है।

हम सब जानते हैं कि पृथ्वी के अलावा पूरे ब्रम्हांड में दूसरे किसी ग्रह पर जीवन नही है और यदि होगा भी तो हम अब तक वहाँ नही पहुँच सकें हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि पर्यावरण बचाने के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। अन्यथा यह ग्रह हमारे रहने लायक नही बचेगा और एक बार स्थिति हमारे हाथ से निकल जाने के बाद हम कुछ नही कर सकेंगे।

हमें अपने जलस्त्रोतों को स्वच्छ बनाकर रखना जरूरी है। पॉलीथिन के उपयोग से भी वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे छोटे छोटे प्रयास एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, इसलिए सबको कोशिश करना चाहिए।

Speech On Environment in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सभी माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों.

आज मुझे खुशी हो रही है किसी मंच पर बैठकर हम सब पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) जैसे गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे हैं। और इससे भी ज्यादा हर्ष की बात यह है कि मुझे भी इस अवसर पर बोलने योग्य समझकर अपना वक्तव्य पेश करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं आभारी हूँ।

एक तरफ खुशी इस बात की है आज हम कम से कम यह तो मान रहे हैं कि हमारी पृथ्वी जिसे हम भारतीय माँ का दर्जा देते हैं, वह मुश्किल में हैं।

लेकिन दुख इस बात को लेकर है कि हम कितने गैर जिम्मेदार लोग है जो यह भी नही सोचते कि यह पृथ्वी जितनी हमारी है उतनी ही वन्य जीवों की है। इस पर उन्हें भी उतना ही अधिकार है जितना हमें।

लेकिन भगवान ने हमें बुध्दि दी है और इसी बुध्दि का उपयोग कर हमने सभी को अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया।

पृथ्वी के सभी मूल्यवान तत्वों का दोहन करने लगे, पेड़ पौधों को काटने लगें, कचरा फैलाने लगे, हवा दूषित करने लगे और जिसका नतीजा हुआ कि आज हमें यहाँ पर्यावरण को सुरक्षित करने जैसे विषय पर चर्चा करने की जरूरत पड़ रही है।

हमें यह मानना होगा कि इस पृथ्वी पर सबसे ताकतवर हम नही है। क्योंकि यदि इस पर्यावरण का योगदान हमें न मिलें तो पृथ्वी पर हम सब 1 दिन भी जिंदा नही रह पायेंगे।

पर्यावरण से हमें खाना, पानी, हवा, खनिज, लवण सब कुछ मिलता है लेकिन बदलें में हम पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) को क्या देते है?

प्रदूषित जल, जहरीली हवा, पेड़ों की कटाई, समुद्रों में फैलता प्रदूषण ये सब? कहते हैं कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से चलता है। अब आप ही बताइए हम पर्यावरण को बुरी चीज़े दे रहे हैं तो पर्यावरण हमारा भला कब तक सोचता रहेगा?

दुनियाँ की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन कोई इस पर बात नही करता। इतनी बड़ी जनसंख्या रहेगी कहाँ? वनों को काटकर? खाएगी क्या? क्या हमने कभी इस बारे में विचार किया है ?

हम सब इस वक़्त सिर्फ अपना लाभ ही सोच रहे हैं लेकिन सोचिए हमारी अगली पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी? हमारे पूर्वजों ने हमें एक स्वच्छ पृथ्वी दी थी लेकिन हम भावी पीढ़ियों के लिये एक दूषित पृथ्वी बनाने में जुटे हुए हैं।

लेकिन अब वक्त आ चुका है। यदि अभी भी नही जागे तो बहुत देर हो जाएगी। फिर हाथ मलने के अलावा और कुछ बचेगा नही। इसलिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

देश की सरकारें जो कर रही है वो उन्हें करने दीजिए, साथ मे हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ अपनी तरफ से करें। सब कुछ सरकारों के ऊपर नही छोड़ सकते।

हमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण को रोकने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह हमारे हाथ मे है। आज संकल्प करें कि कभी भी पानी मे किसी भी तरह से गंदगी नही फेकेंगे।

यदि संभव हो सकें तो घर मे सोलर पैनल लगवाएं। इससे ऊर्जा का उत्पादन भी साफ तरीके से हो पाएगा साथ मे आपके ऊपर पड़ने वाला बिजली बिल का बोझ भी कम हो जाएगा।

यकीन मानिए यदि हम सब मिलकर अपनी जीवनशैली में कुछ छोटे छोटे बदलाव कर लें तो एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है। इसके लिए जरूरी है बस इच्छाशक्ति की।

अपने वक्तव्य को मैं कुछ खूबसूरत पंक्तियों के साथ विराम दूंगा की

प्रण करो उन मंजिलों के,काँटे हम हटाएँगे ,

अपने “Environment Day” पर उसमे नए फूल हम लगाएँगे ,

हो सकेगा तो खुद को इतना मज़बूत हम बनाएँगे , कि पहले की तरह ही “Nature” में जीना फिर से हम अपनाएँगे ॥

Essay on Save Fuel for Environment and Health (500 Words)

कहते हैं हमारी पृथ्वी के नीचे प्राकृतिक संसाधन का भंडार है। इन्ही संसाधनों का उपयोग हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं।

इन्हें पहले हम जमीन से निकालते हैं, फिर शोधन प्रक्रिया के द्वारा उपयोग योग्य बनाते है, फिर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये सभी प्राकृतिक संसाधन सीमित मात्रा में ही मौजूद है। एक न एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब जीवाश्म ईंधन समाप्त जो जाएगा।

जीवाश्म ईंधन क्या है? (What is Fossil Fuel)

जब पेड़-पौधे, जीव-जंतु करोड़ो-अरबो साल तक पृथ्वी के नीचे दबे रहते हैं तो उच्च ताप और दाब के कारण वो ईंधन में परिवर्तित हो जाते हैं यही जीवाश्म ईंधन कहलाता है।

जीवाश्म ईंधन को बनने में करोड़ों वर्ष का वक़्त लगता है। जीवाश्म ईंधन एक ऐसा ऊर्जा स्त्रोत है जो एक न एक दिन समाप्त हो जाएगा।

ईंधन का संरक्षण क्यों है जरूरी? (Why is Fuel Conservation Impoartant)

हम सब को ईंधन का संरक्षण ठीक उसी तरह से करना चाहिये जैसे जल का करते हैं। हमारे ईंधन पूर्ति के मुख्य स्त्रोत जीवाश्म ईंधन है। लेकिन इसकी मात्रा तो सीमित है।

उद्योग के लिए मिलने वाली बिजली जीवाश्म ईंधन से बनती है, भारीभरकम वाहन जीवाश्म ईंधन की मदद से चलते हैं।

कहने के लिए तो आज हम पवनचक्की, सोलर पैनल जैसी कई चीज़े बना चुके हैं जो हवा, पानी और सूर्य की गर्मी से बिजली बना सकते हैं लेकिन इनसे उत्पादित होने वाली ऊर्जा की मात्रा इतनी ज्यादा नही होती कि पूरे विश्व की जरूरत को पूरा कर सकें।

इसलिए इस वक़्त सबसे बेहतर विकल्प यही है कि जीवाश्म ईंधन की बचत करें। ताकि इसका उपयोग हम लंबे वक्त तक कर सकें।

ईंधन का कम उपयोग करने पर होता है स्वास्थ्य बेहतर (Health is Better by using less Fuel)

जीवाश्म ईंधन भले ही हमारी ऊर्जा की जरूरतें पूरी करता है लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत हानिकारक है। इसके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैस निकलती हैं जो सांस संबंधी कई बीमारियों को जन्म देती हैं।

वातावरण में जब इन गैसों की अधिकता हो जाती है तो सांस लेने में घुटन महसूस होने लगती है, त्वचा में जलन होने लगती है, घबराहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याएं जन्म लेने लगती है।

पर्यावरण के लिए भी है नुकसानदायक (Harmful of the Environment)

कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन आदि गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है। इसकी वजह से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट होने लगता है जिससे वातावरण ज्यादा गर्म हो जाता है।

इन गैसों की खास बात होती है कि ये ऊष्मा को अपने अंदर संग्रहित कर लेती है और गर्म हो जाती है। इसी वजह से जब इनकी मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है तो ग्लोबल वार्मिंग होने लगता है।

ईंधन बचाने के उपाय (Ways to Save Fuel)

ईंधन बचाने के लिए हम कुछ जरूरी उपाय कर सकते हैं जैसे कि :-

  • गाड़ी हमेशा धीमी गति में चलाएं। इससे हम ईंधन की खपत होगी।
  • गाड़ी चलाते वक्त बार बार क्लच न दबाएं।
  • जब भी सड़क में चलें तो कोशिश करना चाहिए कि गाड़ी एक ही रफ्तार में चले, इससे ईंधन की बचत होती है।
  • जब भी रेड सिग्नल में खड़ें हो तो गाड़ी बंद कर दें।
  • गाड़ी का तभी उपयोग करें जब बहुत जरूरी हो, पास जाने के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग करें।
  • समय समय पर गाड़ी की सर्विसिंग जरूर करना चाहिए।
  • शाम या रात के वक़्त रास्तों में ज्यादा भीड़ नही रहती है इसलिए गाड़ी को बार बार रोकना नही पड़ता। तो कोशिश करें कि रात में गाड़ी का उपयोग ज्यादा हो दिन की तुलना में।

हमें अपने सभी निर्णय भविष्य को ध्यान में रखकर लेना चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है कि भविष्य में ऊर्जा उत्पादन के कई तरीके आ जाएंगे लेकिन अभी जितने भी तरीके मौजूद है उन सब मे जीवाश्म ईंधन सबसे ज्यादा दक्ष है। इसलिए इसका उपयोग कम से कम करें तो बेहतर है ताकि लंबे समय जीवाश्म ईंधन बचा रहे।

Essay on Environment Pollutions in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध. (2000 Words)

पर्यावरण प्रदूषण आज की एक बड़ी समस्या है। हमारी ही गतिविधियों के कारण कई ऐसे हानिकारक तत्व वातावरण में सम्मलित हो जाते हैं जिनके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कई अलग अलग प्रकार है। हर तरह के प्रदूषण का हमारे ऊपर पड़ने वाला प्रभाव भी अलग-अलग है।

पर्यावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव न सिर्फ हमारे जीवन मे पड़ रहा है बल्कि साथ में वन्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज कई जीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं।

पर्यावरण का अर्थ (Environment Meaning in Hindi)

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘परि+आवरण’ जिसका अर्थ है हमारे चारों तरफ मौजूद आवरण. पर्यावरण असल मे हमारे चारों तरफ मौजूद एक आवरण है जिसमे, चल-अचल, सजीव-निर्जीव, प्राकृतिक-अप्राकृतिक सभी चीजें आती है।

पर्यावरण की यह परिभाषा इंसानों की दृष्टि से है। अर्थात इंसान खुद को बीच मे रखकर देखता है तब पर्यावरण को इस तरह वर्णित किया जा सकता है।

हम खुद भी पर्यावरण का ही हिस्सा है। क्योंकि इस पृथ्वी में संतुलन बनाने का काम इंसान भी करते हैं। हालांकि इंसान एक बुद्धिमान जीव होने के नाते अपने हिसाब से पर्यावरण का दोहन भी कर लेता है, जिसके दुष्परिणाम सबको भुगतने पड़ते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है? (What is Environmental Pollution)

जब पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्व मिल जाते हैं जो हमारे ऊपर और प्रकृति के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं, यही घटना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्व प्रदूषक कहलाते हैं। प्रदूषक हमेशा ही मौजूद रहते हैं। ऐसा नही है कि पहले जमाने मे प्रदूषक नही होते थे लेकिन इनकी मात्रा इतनी ज्यादा नही होती थी, की हमारे ऊपर बुरा प्रभाव पड़े।

लेकिन पिछले 100 सालों में इंसानों की गतिविधियों ने प्रदूषकों की मात्रा में बहुत ज्यादा इज़ाफ़ा किया है। इसी का प्रभाव आज हमें जल, वायु, मृदा आदि प्रदूषण के तौर पर दिखाई दे रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental Pollution)

प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

प्रदूषण के जितने भी रूप में मौजूद हैं उनमें सबसे खतरनाक और सामान्य वायु प्रदूषण है। दुनिया में लोगों की तेजी से बढ़ती शहरीकरण की इच्छा इस प्रदूषण की कहीं ना कहीं एक मुख्य वजह है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ईंधन का दहन है फिर चाहे वह उद्योग धंधों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या घरेलू कामों में, वाहनों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या फिर बिजली के उत्पादन में उपयोग होने वाला ईंधन, यह सभी मिलकर पर्यावरण में मौजूद वायु को प्रदूषित कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण का स्तर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि हमारे पास आज भी जीवाश्म ईंधन का कोई विकल्प नहीं है। इस वजह से हम ना चाहते हुए भी अपने ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर है।

जीवाश्म ईंधन के दहन से कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फरडाइऑक्साइड जैसे विषैली गैस निकालती हैं, जिसका बहुत बुरा असर वातावरण पर पड़ता है।

वातावरण में इनकी मौजूदगी से ना सिर्फ हमें सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है इसके साथ ही इन गैसों की वजह से तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्रभाव वायु प्रदूषण के स्तर का बखान करने के लिए काफी है।

वायु प्रदूषण के कारण ही हमें अस्थमा, हृदय से संबंधित कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित होती है।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

कहा जाता है जल ही जीवन है लेकिन जब जीवन देने वाला यह जल ही प्रदूषित हो जाए तो फिर जीवन भला किस तरह जीवित रह पाएगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमने यह देखा है कि जल प्रदूषण की समस्या बहुत तेजी से उभर कर सामने आई है। कई सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि आज विश्व की आधी आबादी स्वच्छ जल के अभाव में अपना जीवन जी रही है।

दुनियाँ में कई ऐसे देश है जहाँ पर लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है यह सब जल प्रदूषण का एक छोटा सा उदाहरण है।

यदि जल प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो इसके दुष्परिणाम कितने भयावह होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है, इसकी छोटी सी तस्वीर हमें आज से ही दिखाई देनी शुरू हो गई है।

लेकिन असली समस्या जल प्रदूषण के कारणों को लेकर है। जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योगों से निकलने वाला औद्योगिक कचड़ा है, जिसको जल स्रोतों में ही निर्वासित कर दिया जाता है।

इसका बुरा प्रभाव ना सिर्फ जलीयजीवो के ऊपर पड़ता है बल्कि इंसानों के ऊपर भी काफी विपरीत असर पड़ता है । हम सब पीने के पानी के लिए नदियों के जल पर ही निर्भर है पर जब यही जल दूषित हो जाएगा तो इस जल को पी कर हमारे अंदर भी कई तरह की बीमारियां हो जाएगी।

जल प्रदूषण का दूसरा कारण कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है। ऐसी दवाएँ जमीन के द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं और यह सब भूमिगत जल में मिल जाती हैं।

जिससे कि वह जल भी प्रदूषित हो जाता है। समुद्री जल के प्रदूषित होने का एक सबसे बड़ा कारण पेट्रोलियम पदार्थों का पानी में मिल जाना है।

अधिकतर देशों के लिए पेट्रोलियम के आवाजाही का काम समुद्री मार्गों के द्वारा ही होता है लेकिन कभी-कभी पेट्रोलियम पदार्थ ले जाने वाले जहाजों में खराबी आ जाती हैं जिससे पूरा पेट्रोलियम पदार्थ समुद्री जल में मिल जाता है।

पेट्रोलियम और जल अघुलनशील होते हैं इसलिए यह हमेशा के लिए मौजूद रहता है।

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

मृदा प्रदूषण से तात्पर्य भूमि की उर्वरक क्षमता का घटना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज हमने कई उन्नत रसायनों का निर्माण कर लिया है जिसकी सहायता से हम फसल की पैदावार कई गुना बढ़ा सकते हैं।

लेकिन इसका दुष्प्रभाव भूमि की उर्वरक क्षमता पर दिखाई देता है। भूमि पर प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन जैसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो भूमि की उर्वरक क्षमता को बरकरार रखते हैं।

लेकिन कीटनाशकों और उत्पादन बढ़ाने वाली रसायनों के उपयोग से धीरे-धीरे यह नाइट्रोजन तत्व खत्म होते जाते हैं जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता बहुत कम हो जाती है।

भूमि की उर्वरक क्षमता घटने का दूसरा कारण है उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा है। हमें देखते हैं कि औद्योगिक कचड़े का निवारण सही तरह से नहीं किया जाता है।

उन्हें किसी जगह पर इकट्ठा करके रखा जाता है लेकिन यह कचड़ा इतना खतरनाक होता है कि किसी उपजाऊ भूमि को बंजर भूमि में बदल सकता है।

बारिश के मौसम में यही खिचड़ा बहकर अपने आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है। इन दो कारणों के अलावा तीसरा कारण वनों की कटाई है जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेड़ों में क्षमता होती है कि वह अपने आसपास की भूमि को बांध कर रखते हैं जिसे भूमि का कटाव नहीं होता पर वृक्षों की कटाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसकी वजह से भूमि का कटाव भी बढ़ने लगा है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

जब सुनने में भद्दी लगने वाली आवाज की तीव्रता 80Db से ज्यादा हो जाती है तो इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। इतनी तीव्र आवाज हमारी मनःस्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। मानसिक अशांति इसका एक बड़ा उदाहरण है। बच्चे और बुजुर्ग के ऊपर ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा असर देखने को मिलता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

यह प्रदूषण परमाणु कचरे के कारण होता है। इसे बहुत खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव एक पीढ़ी तक ही सीमित नही रहता, बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियाँ इसके बुरे प्रभाव से पीड़ित रहती हैं।

इससे कैंसर, बांझपन, अंधापन जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती है। ऐसा प्रदूषण अधिकतर परमाणु संयंत्रों के आसपास होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण का सबसे बड़ा भुक्तभोगी देश जापान है, जहाँ दो परमाणु बम 1945 में गिराए गए थे लेकिन उसका दुष्प्रभाव आज की पीढ़ियाँ भी भुगत रही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारक (Main Factors of Environmental Pollution)

पर्यावरण प्रदूषण के कई कारक होते हैं, जिनमे से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष होते हैं। कुछ कारक स्पष्ट तौर पर दिखाई दे जाते हैं जबकि कुछ कारक सीधे तौर पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नही होते लेकिन उनकी वजह से प्रदूषण करने वाले तत्व पैदा होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ कारक निम्नलिखित है:-

उद्योगों से निकलने वाला कचरा (Industrial Waste)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचरा है। जब से दुनियाँ में औधोगिकीकरण की शुरुआत हुई है तब से पर्यावरण में असंतुलन बहुत ज्यादा बढ़ा है।

अधिकतर उद्योगों में हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है , जो पानी मे मिल होता है। जब यह पानी किसी उपयोग के लायक नही बचता तब इसे नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे कि नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता है।

फिर इसी प्रदूषित जल का उपयोग हम सब करते हैं, विभिन्न प्रकार के जानवर करते हैं, जिसके फलस्वरूप हम कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

वाहनों के होने वाला प्रदूषण (Vehicle pollution)

वाहनों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है जिससे डीजल, पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत भी बढ़ रही है। इससे निकलने वाला धुंआ वातावरण में इकट्ठा हो जाता है जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पड़ रहा है।

आज हम देखते हैं कि दिल्ली जैसे कई बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या जन्म ले रही है। इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बहुत बड़ा कारण है। हालांकि सरकारी अपनी तरफ से कई तरह का प्रयास कर रही है।

भूमि पर बढ़ता केमिकल और खादो का उपयोग (Increased use of chemical and fertilizers on land)

जिस तरह से दुनियाँ की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ठीक उसी भांति खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

इसका बुरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहा है। भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह के हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मृदा की न सिर्फ उर्वरक क्षमता घट रही है बल्कि उस भूमि में उगने वाले अनाज में भी केमिकल के हानिकारक प्रभाव चले जाते हैं जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और भूमि पर पड़ता है।

तेजी से होता शहरीकरण (Rapid Urbanization)

शहर और गाँव की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। हमने देखा है कि गाँव की जीवनशैली पर्यावरण से सामजंस्य बैठाकर चलने वाली होती है, जबकि शहरों में ऐसा नही होता।

शहरों में हर व्यक्ति सिर्फ अपने सुख-सुविधाओं की फिक्र करता है। लेकिन चिंता की बात यह है आज हर कोई शहरों की तरफ भाग रहा है। इसी वजह से दुनियाँ में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।

भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि जो लोग जहाँ हैं वही रहें। लेकिन शहरीकरण की एक मात्र वजह सुख की चाह नही है, बल्कि रोजगार की जरूरत भी लोगो को शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर रही है।

जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)

1960 में पूरी दुनियाँ की आबादी 3.5 बिलियन के करीब थी, जो आज बढ़कर 8 बिलियन के करीब पहुँच चुकी है। पिछले 60 वर्षों में दुनियाँ की आबादी दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है।

इस बढ़ी हुई आबादी का दुष्प्रभाव पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) पर देखने को मिला है। लोगो के रहने के लिए जगह की जरूरत होगी, लिए वनों को काटा जा रहा है।

खाने के लिए अनाज की जरूरत होगी, इसके लिए उर्वरक बढ़ाने वाले रसायनों का उपयोग किया जा रहा है।

दुनियाँ में आज इतनी ज्यादा आबादी मौजूद है, जिनके लिए संसाधन कम पड़ रहे हैं। यदि आबादी कम होती तो इतना ज्यादा जीवाश्म ईंधन की भी खपत नही होती, जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहता।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Measures for environmental protection)

विश्व आज इस बात को समझ रहा है कि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के उपाय करना बहुत जरूरी है नही तो निकट भविष्य में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी। पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि:-

औद्योगिक कचरे का निवारण (Industrial waste disposal)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा ही है। यह कचड़ा जल, हवा, मृदा सबको प्रदूषित करता है। यदि इसका निवारण सही तरीके से किया जाने लगे तो प्रदूषण से संबंधित आधी समस्याओं का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।

लेकिन इसके पहले यह जरूरी है कि यह कचड़ा पानी मे न मिले। पानी मे मिलने के बाद यह जल प्रदूषण का कारण बनता है। इसलिए इस पर रोकथाम लगाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग (Use of Clean Energy)

वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण कोयला है और कोयले का सबसे ज्यादा उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। आज ऊर्जा उत्पादन के कई नवीनीकरण स्त्रोत है लेकिन उन्हें इतना ज्यादा उपयोग नही किया जाता।

पर अब वक्त आ गया है कि देश की सरकारों को हर घर मे सोलर पैनल लगवाने के लिए जरूरी सुविधा देनी चाहिए। लोगो को प्रोत्साहित करना चाहिये कि वो सोलर पैनल लगवाएं और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें।

वृक्षारोपण को बढ़ावा मिलें (Increased Tree Planting)

अधिक से अधिक वृक्ष (Essay on Environment in Hindi) लगाएं क्योंकि पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने में वृक्ष सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी पर्यावरण में असंतुलन का एक बड़ा कारण है।

लोग अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों की लकड़ियों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इसके लिए पूरे वृक्ष को काट देना बिल्कुल भी जायज नहीं है। इसलिए पूरे विश्व को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और पेड़ों की कटाई पर रोकथाम लगानी चाहिए

भूमिगत जल का हो संरक्षण (Protection Of Ground Water)

भूमिगत जल का स्तर लगातार (Essay on Environment in Hindi) नीचे जा रहा है इसका एक प्रमुख कारण है नलकूपों और घर-घर में बोरिंग की व्यवस्था। आज हम शहरों में देखते हैं कि घर बनने से पहले सभी व्यक्ति अपने घर में बोरिंग करवाते हैं। लेकिन इसका दुष्परिणाम यह होता है कि पानी का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। बहुत सारा व्यर्थ हो जाता है जिसका असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है। भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन घटता जा रहा है।

सामान का पुनरावृत्ति करना (Recycle Goods)

पॉलीथिन, प्लास्टिक जैसे कई अन्य चीज़े हैं जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इनका अपघटन जल्दी नही होता। यदि ये 100 वर्ष तक भी ऐसे ही खुले में पड़े रहे तो भी इसके स्वरूप में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही आएगा।

ऐसी चीज़ें धीरे धीरे मिट्टी को प्रदुषित बनाती हैं। इसलिए इनका उपयोग कम से कम करें। ऐसी चीजों का उपयोग ज्यादा करें जिन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

पानी की कम खपत करना (Low Water Consumption)

पीने योग्य पानी की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। इसलिए कहा जाता है कि जल को बचाना जरूरी है लेकिन हम आज भी जल को बर्बाद करते हैं। जहाँ जितने पानी की जरूरत होती है उससे कई गुना ज्यादा पानी उपयोग करते हैं और इस तरह पानी बर्बाद होता है। इसलिए जरूरी है कि हम सब मिलकर पानी बचाएं।

पर्यावरण पदूषण पर रोकथाम लगाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए हम सबको मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। साथ ही साथ विश्व के बड़े और विकसित देश यदि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण की दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाएं तो स्थिति बहुत जल्दी बदल सकती है।

Poems On Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविता

# 1. अपने ही घर मे डाका डाला.

रत्न प्रसविनी हैं वसुधा, यह हमको सब कुछ देती है। माँ जैसी ममता को देकर, अपने बच्चों को सेती है।

भौतिकवादी जीवन में, हमनें जगती को भुला दिया। कर रहें प्रकृति से छेड़छाड़, हम ने सबको है रुला दिया।

हो गयी प्रदूषित वायु आज, हम स्वच्छ हवा को तरस रहे वृक्षों के कटने के कारण, अब बादल भी न बरस रहे

वृक्ष काट – काटकर हम ने, माँ धरती को विरान कर डाला। बनते अपने में होशियार, अपने ही घर में डाका डाला।

बहुत हो गया बन्द करो अब, धरती पर अत्याचारों को। संस्कृति का सम्मान न करते, भूले शिष्टाचार को।

आओ हम सब संकल्प ले, धरती को हरा – भरा बनायेगे। वृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर, पर्यावरण को शुद्ध बनायेगे।

आगे आने वाली पीढ़ी को, रोगों से मुक्ति करेगे हम। दे शुद्ध भोजन, जल, वायु आदि, धरती को स्वर्ग बनायेगे।

जन – जन को करके जागरूक, जन – जन से वृक्ष लगवायेगे। चला – चला अभियान यही, बसुधा को हरा बनायेगे।

जब देखेगे हरी भरी जगती को, तब पूर्वज भी खुश हो जायेंगे। कभी कभी ही नहीं सदा हम, पर्यावरण दिवस मनायेगे।

हरे भरे खूब पेड़ लगाओ, धरती का सौंदर्य बढाओ। एक बरस में एक बार ना, 5 जून हर रोज मनाओ।

#2.. करके ऐसा काम दिखा दो…

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे। इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे। हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो, खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे। सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे। वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना, दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे। हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे। जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो, जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे। जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे। जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा, कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

#3 रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो। रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।

आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है। हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।

उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है। पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।

तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है। मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।

हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे। हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।

शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान। हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।

कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो। लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।

हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा। त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।

तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है। हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।

गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

Slogan On Environment in Hindi | पर्यावरण पर स्लोगन.

पर्यावरण के महत्व को समझाने वाले कुछ स्लोगन.

  • वृक्ष नही कटने पाएँ, हरियाली न मिटने पाए, लेकर एक नया संकल्प, हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
  • समय बर्बाद करना बेकार है पर्यावरण की सफाई सबसे अच्छा है।
  • ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये सब हैं प्रकृति के वरदान।इसे नष्ट करने के लिए तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
  • यदि हम पृथ्वी को सुंदरता और आनंद उत्पन्न करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह अंत में भोजन का उत्पादन नहीं करेगी।
  • यदि मानवता को लंबे समय तक रहना है, तो आपको पृथ्वी की तरह सोचना होगा, पृथ्वी के रूप में कार्य करना होगा और पृथ्वी होना होगा क्योंकि ये वैसी ही है जैसे आप हैं।
  • जो हम दुनिया के जंगलों (Essay on Environment in Hindi) के लिए कर रहे हैं, दरअसल वो हम अपने और एक दूसरे के लिए कर रहे हैं. ये उसका दर्पण प्रतिबिंब है।

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पर्यावरण प्रदूषण और इसके विभिन्न प्रकार

Environmental Pollution in Hindi : ईश्वर ने इस पृथ्वी कि रचना इस प्रकार से कि हैं की इस पर जीवन संतुलित रूप से चलता रहे। धरती का संतुलन बनाने में वायु, भूमि, जल, वनस्पति, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों के साथ साथ मनुष्यों का अहम योगदान हैं। लेकिन दुर्भाग्य से धरती पर असंतुलन के कारन आज पर्यावरण प्रदूषण जैसी विकट परिस्थिति पैदा हो गयी हैं। जो की हम मनुष्यों के साथ-साथ अन्य प्राणियों के लिए भी खतरे कि घंटी हैं।

पिछले कुछ वर्षों कि तुलना में आज पर्यावरण को नुकसान अधिक हो रहा हैं। जहाँ पहले पेड़-पौधों, खेत व जल स्रोतों कि संख्या अधिक थी, वहीँ अब उसकी जगह बड़े बड़े मकान, उद्योग और फैक्ट्रियों ने ले ली हैं। बड़े-बड़े बिल्डर भी अधिक से अधिक जंगलों कि कटाई करके वहां कॉलोनियां बसा रहे हैं, जिसकी वजह से पर्यावरण में बहुत ही नुकसान हो रहा हैं। सड़कों पर पहले कि तुलना में वाहनों कि संख्या में भी भारी इजाफा हुआ हैं। यह भी एक बड़ा कारण है।

Environmental Pollution in Hindi

निरंतर हमारे आसपास का वातावरण दूषित होता जा रहा हैं। वायु के साथ साथ जल प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा हैं, इन सबके साथ-साथ जगह जगह कचरे कि बदबू व ध्वनि यंत्रों कि तेज आवाजें निरंतर पर्यावरण को दूषित करने के काम काम कर रहे हैं।

आज बड़े-बड़े शहरों के साथ छोटे शहर व गाँवों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा हैं। आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि इन सबके ही कारण स्वास्थ्य से संबंधित कई नयी व पुरानी बीमारियाँ व्यापक रूप से फ़ैल रही है। इसके लिए हम सभी को नए सिरे से और सृजनात्मक विचारधारा के साथ इसका स्थायी समाधान खोजने कि जरुरत हैं। इसके लिए हम इस आर्टिकल में पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) के निवारण से सम्बन्धित ऐसे उपायों के बारे में चर्चा करेंगे।

Read Also: पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करते नारे

पर्यावरण प्रदूषण और इसके प्रकार – Environmental Pollution in Hindi

प्रदूषण क्या है.

आपके मन में यह सवाल जरुर आता होगा कि प्रदूषण का अर्थ क्या हैं? अथवा प्रदूषण क्या है? (Environmental Pollution in Hindi) तो इसका उत्तर यह हैं जब पर्यावरण में कोई भी पदार्थ कि मात्र सामान्य से अधिक हो जाती हैं तब वह पर्यावरण को दूषित करने का काम करता हैं। ऐसे में उसे प्रदूषण कहा जाता हैं।

नदियों का पानी दूषित हो जाता हैं तब वह मानव उपयोग के लिए असुरक्षित होता हैं, अधिक धुआं व धुल के कारण हमारे आसपास कि वायु दूषित हो जाती है उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु के दूषित होने से स्वांस लेने में परेशानी होने लगती हैं।

आप जानते होंगे कि फैक्ट्रियों और चिमनियों के धुंए के कारण वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता हैं। उद्योगों के कारण मृदा भी प्रदूषित होती है, इसके अलावा ध्वनि भी वातावरण को दूषित करने का काम करती है।

प्रदूषक क्या होता है?

जिन प्रदार्थों के कारण प्रदूषण होता हैं, उसको प्रदूषक कहते हैं। इसको गलत जगह, समय और मात्रा के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता हैं। प्रदूषक मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक होते हैं। हमारे नदी में नहाने और कपड़े धोने कि वजह से शरीर से निकला मैल व कपड़ों के साबून के नदियों में जाने से नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता हैं।

प्रदूषण के प्रकार – Types of Pollution in Hindi

प्रदूषण का वर्गीकरण (Environmental Pollution in Hindi) निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

  • वायु प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण 
  • ध्वनी प्रदूषण

वायु प्रदूषण क्या है – Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण प्रस्तावना – Environmental Pollution in Hindi

हम सबको ज्ञात हैं की मानव जीवन के लिए आक्सीजन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, केवल मानव जीवन ही क्यों सभी प्राणियों के लिए आक्सीजन आवश्यक चीज है। हम ऑक्सीजन को स्वांस के रूप में लेते हैं और कार्बनडाईऑक्साइडओक्सिद को छोड़ते है। पेड़ पौधों में यही प्रक्रिया उलटी होती हैं। वे दिन के समय कार्बडाईआक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

इससे वायु में ऑक्सीजन तथा कार्बनडाईआक्साइड का संतुलन बना रहता हैं। वर्तमान में अधिकांश जगह अलग-अलग प्रकार के प्रदूषक होते है जो मानव स्वास्थ के लिए नुकसानदायक होते हैं।

वायु प्रदूषण के स्रोत – Sources of Air Pollution in Hindi

मनुष्य कि अनेक गतिविधियाँ वायु प्रदूषण का कारण होती हैं, इसलिए इनकी विशेष रूप से जांच होनी चाहिए। वायु प्रदूषण जैसे वाहनों से निकलने वाले धुंए, पटाखों के जलने और कोयले आदि के धुंए से कई क्षेत्रों में जहरीला पदार्थ फैलता है।

अगर वास्तविक सच्चाई देखी जाये तो इस प्रदूषण का मुख्य कारण मनुष्य खुद ही हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे प्राकृतिक स्रोत भी जिसके कारण प्रदूषण फैलता हैं, जैसे ज्वालामुखी, जंगलों में लगने वाला आग जो कि वायु के साथ फैलकर प्रदूषण फैलाती हैं, हालाँकि यह मनुष्य के द्वारा फैलने वाले प्रदूषण कि तुलना में बेहद कम हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव – Chief Air Pollutant & their effects in Hindi

आइए, अब vayu pradushan के कुछ प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करते है।

पेड़-पौधों में भोजन प्रणाली सूर्य के प्रकाश के कारण संचालित होती है। ऐसे में जब प्रदूषण होता हैं तो पेड़ पौधों के पत्तियों के छिद्र बंद हो जाते है और उनकी स्वांस लेने कि प्रक्रिया बंद हो जाती है। जैसा कि हमने पहले चर्चा कि हैं कि मनुष्य कि स्वांस प्रणाली में पेड़ पौधों का अहम योगदान होता हैं, ऐसे में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए एक प्रकार से यह खतरा साबित होते है।

क्‍या आप जानते हैं?

1990-91 में खाड़ी युद्ध के दौरान तेल के कुओं में आग लग गयी थी। इससे अधिक मात्रा में धुआं निकला था जिस वजह से वहां के आसपास के तापमान का स्तर बढ़ गया था। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में वनस्पति नष्ट हो जाने के साथ प्राकृतिक सौन्दर्य भी समाप्त हो गया था।

वायु प्रदूषण के निवारण –  Air pollution prevention measures in Hindi

यदि हम नीचे दिए गये उपायों के सम्बन्ध में विचार करेंगे, तो जरुर इस प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं।

  • घर के अंदर धुंए तो बाहर निकलने के लिए चूल्हे पर बड़ी चिमनी का प्रयोग करें, और धुंए रहित चूल्हे का उपयोग करें।
  • आप घर में बायोगैस का प्रयोग कर सकते हैं, यहाँ धुआं रहित इंधन हैं।
  • सूर्य कि उर्जा से चलने वाला सौलर कुकर भी इसमें बहुत उपयोगी हैं।
  • बड़ी फैक्ट्रियों के चिमनियों में फिल्टर होने चाहिए ताकि विषैले पदार्थ बाहर हवा में न फैलकर अंदर ही रह जाएं।
  • जहाँ रिहायशी इलाके हो वहां फैक्ट्रियों को लगाने कि इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
  • वाहनों पर ऐसे यंत्र लगने चाहिए, जिनसे वाहनों के धुंए में प्रदूषक पदार्थों कि मात्रा कम हो सके।
  • सीसा रहित पेट्रोल का प्रयोग तथा सीएनजी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
  • कूड़े-कचरे का निपटन साफ़ तरीके से करना चाहिए, ना कि उसे जलाना चाहिए। इसका प्रयोग भूमि भराव में भी किया जा सकता हैं।
  • वातावरण में धुल न उड़े इसके लिए पक्की सडकों का निर्माण होना चाहिए। ताकि हवा साफ़ रह सके।
  • वातावरण को शुद्ध रखने में वृक्षों का अहम योगदान होता हैं, इसलिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए।
  • मृदा को सुरक्षित रखने के लिए पूरे साल कोई न कोई फसल उगाते रहना चाहिए।

जल प्रदूषण क्या है – Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण का अर्थ – Environmental Pollution in Hindi

आमतौर पर हमारे घरों में उपलब्ध होने वाला पेय जल सुरक्षित व कीटाणु रहित होता है। क्योंकि इसे नगर निगम प्राधिकारियों द्वारा फिल्टर करने के बाद ही घरों में आपूर्ति के लिए भेजा जाता हैं। इस पानी कि यह विशेषता होती हैं कि इसमें कोई गंध, स्वाद, कीटाणु व धूल नहीं होती हैं। यह पानी पीने के लिए उपयुक्त होता।

हर प्रकार का जल पीने योग्य नहीं होता हैं। आमतौर पर घर में अन्य कार्यों के लिए उपयोग होने वाला जल भी सुरक्षित नहीं होता हैं। न पीने योग्य पानी में ठोस कण पाए जाते हैं जो पानी को दूषित करते हैं।

क्या आप जानते हैं?

प्रदूषित जल रंगयुक्त हो सकता है इसमें धूल के कण हो सकते हैं, इसमें दुर्गन्ध हो सकती है और इसमें स्वाद भी हो सकता है।

जल प्रदूषण के स्रोत

इन वस्तुओं को जल में डालने के कारण जल प्रदूषित हो जाता है।

घरेलू अपशिष्ट – Domestic effluents

अलग-अलग प्रकार कि घरेलु गतिविधियों के कारण घरेलु अपशिष्ट पैदा होता हैं। वही जल जब नदियों व तालाबों के आसपास फैलता हैं या उनमें जाकर मिलता हैं तो नदियों का साफ़ पानी भी दूषित हो जाता हैं।

ओद्योगिक अपशिष्ट – Industrial effluents

विभिन्न प्रकार कि फैक्टरियों से निकलने वाला हानिकारक जल तालाबों व नदियों तथा समुन्द्रों में मिलता हैं तो इससे भी जल प्रदुषण होता है।

कृषि अपशिष्ट – Agricultural effluents

सामान्य तौर पर कृषि में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता हैं वर्ष के दौरान खेतों में बहने वाला कटाव वाला पानी साफ़ जल्द में मिल जाता हैं। बाद में वही जल नदियों, तालाबों में मिल जाता हैं, जो जल्द प्रदूषण का कारण बनता हैं।

तेल का रिसाव – Oil Pollution

कई बार ऐसा होता हैं कि तेल के टैंकरों से तेल का रिसाव होता हैं, जिसकी वजह से समुन्द्र का पानी दूषित हो जाता हैं और उसमें मौजूद समुंद्री जीव व पौधों के लिए नुकसानदायक होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव – Harmful effects of water pollution in Hindi

जो भी प्रदूषित जल का सेवन करते है, वे सभी इस जल प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। उनमें से मनुष्य, पशु और पेड़-पौधे शामिल हैं। कई बार महामारियां फैलती हैं, जिसका मुख्य कारण जल प्रदूषण भी होता हैं।

पानी में रहने वाले जीव और पेड़-पौधे भी समुंद्री जल के दूषित होने से प्रभावित होते हैं। क्योंकि समुन्द्र के पानी में ऑक्सीजन कि मात्रा कम हो जाती हैं इससे समुन्द्र में मौजूद जीव मर जाते हैं।

जल प्रदूषण के निवारण – Water pollution prevention and control in Hindi

Jal Pradushan को रोकने के लिए नीचे कुछ उपाय दिए गये हैं, जो उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

  • हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वच्छ जल स्रोत में गन्दा जल न मिले।
  • उद्योगों को वेस्ट जल को नदियों व तालाबों में डालने कि अनुमित नहीं देनी चाहिए।
  • जल स्रोत के पास और खुले में शौच नहीं करना चाहिए और इसके लिए शौचालय का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • स्वच्छ जल स्रोतों के नजदीक नहाना, कपड़े धोना तथा पशुओं को नहलाना नहीं चाहिए इसके लिए विशेष रूप से बनाये गये स्रोतों का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • कचरे को समुन्द्रों व नदियों में नहीं डालना चाहीये।
  • जल स्रोत के रूप में उपयोग लाये जाने वाले तालाब या कुएं के चारों और पक्की फर्श व मुंडेर होनी चाहिए।

मृदा प्रदूषण क्या है – Soil Pollution in Hindi

भौतिक, रासायनिक व जैविक रूप से होने वाले परिवर्तन को मृदा प्रदूषण हैं जो जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। फैक्ट्रियों के अपशिष्ट को फेंका जाता हैं तब मृदा प्रदूषित हो जाती हैं इससे वह भूमि बंजर बन जाती हैं।

इसके अलावा भूमि में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों व उर्दरकों का प्रयोग करने से यह पौधों व फलों और सब्जियों में मिल जाते हैं। इसके बाद वही रसायन हमारे भोजन के माध्यम से पेट में जाकर पाचनतंत्र को नुकसान पहुंचाता हैं।

हमारे देश में खुले में शौच और पेशाब करना सामान्य बात हैं, इसमें मौजूद कीटाणु मृदा को दूषित कर देते हैं। बारिश के समय वही मृदा स्वच्छ जल स्रोतों में जाकर मिल जाती हैं जिससे, साफ़ जल भी दूषित हो जाता हैं।

मृदा प्रदूषण के निवारण – Soil pollution control and prevention measures in Hindi

यहाँ हम मृदा प्रदूषण के कुछ निवारणों के बारे में चर्चा करेंगे जो इस प्रकार हैं।

कूड़े-कचरे का उचित निपटान

घर में ढक्कनयुक्त कूड़े दान का प्रयोग करना चाहिए, ताकि इस पर मक्खियाँ, मच्छर व कॉकरोच पैदा न हो सके। इसके साथ कूड़े के निपटान के लिए घरमे उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

कूड़े-कचरे का निपटान शहर से बाहर करना

घर के अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढे में भर दिया जाता है और इन्हें टहनियों और पौधों से ढक दिया जाता हैं ताकि इन पर मक्खियाँ और मच्छर न पनप सकें। जब ये गड्ढे भर जाते हैं तो इन्हें मिट्टी से ढक दिया जाता है।

खाद बनाना (कंपोस्टिंग)

घर के बगीचे में कूड़े को एक जगह गड्ढा खोदकर डाल देना चाहिए और उसे राख और पत्तियों से ढक देना चाहिए। धीरे-धीरे इसके नीचे कि परतें खाद बनती जाती है, बाद में उस खाद को बागवानी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

कूड़े-कचरे को जलाना

कूड़े-कचरे को इकठ्ठा जला देना उचित समाधान हैं, इसे कचरे कि मात्रा कम हो जाती हैं और उसमें मौजूद रोगाणु समाप्त हो जाते हैं।

कूड़े से निपटने के लिए भस्मीकरण तरीका बहुत अच्छा हैं लेकिन यह महंगा हैं, इसमें भारी मात्रा में इंधन का इस्तेमाल होता हैं। इसमें एक भट्टी में कचरा भरकर जला दिया जाता हैं। धीरे-धीरे कचरा राख के छोटे-छोटे ढेर में बदल जाता हैं।

हालाँकि ऊपर बताये गये तरीकों में से कोई भी कचरे से निपटने के लिए उचित तरीका नहीं हैं। प्रय्तेक तरीके के अपने-अपने गुण और दोष हैं। लेकिन हम घरों से निकलने वाले कचरे के सम्बन्ध में आसपास के लोगों को शिक्षित करके वातावरण को साफ़ सुधरा रख सकते हैं।

मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने के कुछ अन्य उपाय हैं:

  • स्वच्छ शौचालयों का प्रयोग
  • कीटनाशक तथा उर्वरकों का सीमित प्रयोग
  • पर्यावरणसहिष्णु वस्तुओं का प्रयोग

ध्वनि प्रदूषण क्या है

ध्वनि यंत्रों को तेज आवाज में चलाने से ध्वनि प्रदुषण फैलता हैं। जब भी हम संगीत अथवा मित्रों के साथ तो वार्ता का आनंद लेते हैं, लेकिन जब मशीनों और लाउडस्पीकर के शोर और यातायात कि ध्वनि सुनते हैं तो इसकी आवाज अधिक होती हैं। यह ध्वनि परेशान कर देने वाली होती हैं। और इससे ध्वनि प्रदूषण फैलता है।

ध्वनि प्रदूषण के स्रोत

अपने आस-पास देखिए और पहचानिए कि dhwani pradushan ध्वनि प्रदूषण के कौन-कौन से स्रोत आपके आस-पास विद्यमान हैं। इसमें से कुछ स्रोत इस प्रकार हो सकते हैं:

  • मोटर-वाहन, रेलगाड़ियाँ और विमान
  • लाउडस्पीकर, रेडियों तथा टेलीविजन, जब वे ऊँची आवाज में चल रहे हों।
  • उद्योग तथा मशीनें

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव

लम्बे समय तक तेज आवाजें सुनते रहने से हमारे कानों कि नसों पर दबाव बनने लगता हैं और सिरदर्द होता हैं। निरंतर ऐसा होने से धीरे-धीरे हमारे सुनने कि क्षमता कम हो जाती है। अक्सर ऐसा देखा गया हैं जो लोग फैक्ट्रियों में काम करते है या ड्राईवर, पायलट ये लोग अधिक आवाज सुनने के आदि होते हैं उनको धीमी आवाजें कम सुनाई देती है।

उनके कान का परदा खराब हो जाता है और कभी- कभी वे बहरे भी हो जाते हैं। अधिक शोर के कारण तनाव बढ़ता है और मानसिक अस्थिरता की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

ध्वनि प्रदूषण के निवारण

ध्वनि प्रदूषण पर हम पूरी तरह से तो छुटकारा नहीं पा सकते हैं, किन्तु कुछ निश्चित रूप से इसकी मात्रा को कम कर सकते हैं। इसके लिए कुछ सुझाव इस प्रकार से है।

  • रेडियो तथा टेलीविजन धीमी आवाज में चलाना।
  • लाउडस्पीकर इस्तेमाल न करना।
  • अत्यंत आवश्यक होने पर ही वाहन का हॉर्न बजाना।
  • फैक्टरियों को रिहायशी इलाकों से दूर बनाना।
  • हवाईअड्डों का निर्माण शहर से बाहर करना।

इस लेख “Environmental Pollution in Hindi” में आपने विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों तथा सभी जीवों पर उनके हानिकारक प्रभावों का अध्ययन किया है। आप इन प्रदूषणों को नियंत्रित करने के कुछ उपायों के बारे में भी जान चुके हैं। इतने अध्ययन के बाद हम यह कह सकते हैं कि प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रण में करना हमारे ही हाथ में है।

इन छोटे-छोटे प्रयासों से हम लोगों को अंधेपन व साँस के रोगों से बचा सकते हैं। हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम ध्वनि के प्रदूषण को भी बहुत कम कर दें और लोगों को बहरा होने तथा मानसिक तनावों से बचा लें। हम जल प्रदूषण को राकने के लिए सख्त नियम बना सकते हैं और इस प्रकार लोगों को दस्त, आंत्रशोथ तथा हेपेटाइटिस जैसे रोगों से बचा सकते हैं।

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Rahul Singh Tanwar

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Pollution Due To Urbanisation Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Environmental Pollution Essay in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (essay on environmental pollution in hindi), पर्यावरण प्रदूषण-समस्या और समाधान। – environmental pollution – problems and solutions.

  • प्रस्तावना,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण (वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण),
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं का वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थाओं तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुँचाता है।

तात्पर्य यह है कि जीवधारी अपने विकास, बुद्धि और व्यवस्थित जीवन-क्रम के लिए सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। किन्तु कभी-कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण-प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ हुआ है। विकासशील देशों में वायु और पृथ्वी भी प्रदूषण से ग्रस्त हो रही है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल को बहाने का प्रश्न भी एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है।

1. वायु प्रदूषण- वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। श्वांस द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं। हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं।

इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के लिए वनों को काटता है, परिणामत: वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है।

मिलों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें बढ़ती जा रही हैं। औद्योगिक चिमनियों से निष्कासित सल्फर डाइऑक्साइड गैस का प्रदूषकों में प्रमुख स्थान है। इसके प्रभाव से पत्तियों के किनारे और नसों के मध्य का भाग सूख जाता है।

वायु प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वसन सम्बन्धी बहुत-से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं।

2. जल प्रदूषण- सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक-अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं जो साधारणतया जल में उपस्थित नहीं होते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है और प्रदूषित जल कहलाता है।

3. रेडियोधर्मी-प्रदूषण- परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणविक परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है जो आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। विस्फोट के स्थान पर तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है।

एक विस्फोट के समय रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं जहाँ पर ये ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बाद में ठोस अवस्था में बहुत छोटे-छोटे धूल के कणों के रूप में वायु में फैलते रहते हैं और वायु के झोकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से अनेक मनुष्य अपंग हो गये थे। इतना ही नहीं, जापान की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गयी।

4. ध्वनि प्रदषण- अनेक प्रकार के वाहन, मोटरकार, बस जेट विमान टैक्टर आदि तथा लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन, मशीनों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि की लहरें जीवधारियों की क्रियाओं पर प्रभाव डालती हैं। .

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की सुनने की शक्ति में कमी होती है, उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती है और नाड़ी संस्थान सम्बन्धी एवं अनिद्रा का रोग उत्पन्न हो जाता है, यहाँ तक कि कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है। कुछ ध्वनियाँ छोटे-छोटे कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं, परिणामत: अनेक पदार्थों का प्राकृतिक रूप से परिपोषण नहीं हो पाता है।

5. रासायनिक प्रदूषण- प्राय: कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, घासनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

आधुनिक पेस्टीसाइडों का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि पहुँचा रहा है। जब ये वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो वहाँ पर रहने वाले जीवों पर ये घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, मानव देह भी इनसे प्रभावित होती है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण-पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने तथा उनके समुचित संरक्षण के प्रति गत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में चेतना आयी है। आधुनिक युग के आगमन व औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी, और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों तथा अन्य लोगों का इतना ध्यान ही गया था। औद्योगीकरण और जनसंख्या की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी, दोनों ही स्तरों पर पूरा प्रयास आवश्यक है। जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 के ‘जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया तथा इस कार्य हेतु बोर्ड बनाये। इन बोर्डों ने प्रदूषण के नियन्त्रण की अनेक योजनाएँ तैयार की हैं। औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक तैयार किये गये हैं।

उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नये उद्योगों को लाइसेंस दिये जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निवारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

वनों की अनियन्त्रित- कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाये गये हैं। इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि नये वनक्षेत्र बनाये जायें और जन-सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

इस प्रकार स्पष्ट है कि सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है। पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर ही हम आने वाले समय में और अधिक अच्छा और स्वास्थ्यप्रद जीवन जी सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

Pariksha Point

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi) | Environmental Pollution Essay In Hindi

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi)- इस पृथ्वी पर जो सबसे अनमोल और बेशकीमती चीज़ से है, वो है हमारा पर्यावरण। ईश्वर और कुदरत दोनों ने ही मिलकर हमारे पर्यावरण (Environment) और प्रकृति (Nature) को इस ढंग से रचा है कि इसका अनुमान लगा पाना मनुष्य के लिए शायद नामुमकिन है। हम मनुष्यों के ऊपर प्रकृति का जो एहसान है, उसे तो शायद हम कभी चुका नहीं पाएंगे लेकिन प्रकृति से जो कुछ भी हमें मिला है उसमें से कुछ अंश अगर हम प्रकृति को लौटा सकते हैं, तो यह हमारा सौभाग्य होगा। लौटाने से हमारा तात्पर्य है प्रकृति और पर्यावरण (Nature & Environment) की रक्षा करना, जिसकी प्रकृति को आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi)

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Environmental Pollution Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना.

दुनिया के शुरू होने के साथ ही प्रकृति के अद्भुत संतुलन की वजह से ही इस धरती पर जीवन बना हुआ है लेकिन आज के इस आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी की वजह से यह पूरी तरह से खतरे में है। वायु, जल और धरती ये सभी धीरे-धीरे दूषित हो रहे हैं। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे रोकने के लिए विभिन्न प्रयास भी किए जा रहे हैं। यह प्रयास हम चार भागों में विभाजित कर सकते हैं, जैसे- प्रकृति के पूरे चक्र को समझना, प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना, प्रकृति की खूबसूरती को कायम रखना और उन तरीकों से काम करना जिससे धरती का पर्यावरण साफ, शुद्ध और ताजा बना रहे तथा पर्यावरण में किसी भी तरह की कोई मिलावट न हो।

यह निबंध भी पढ़ें-

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ

पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को तो हम समझेंगे ही, लेकिन साथ में यह भी जानेंगे कि पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है? सबसे पहले पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को समझते हैं कि जिसमें किसी भी घटको में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन, जिसका हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, वह पर्यावरण कहलाता है। इस पर्यावरण में उद्योग, नगर और मानव विकास की जो प्रक्रिया होती है, उसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। पर्यावरण प्रदूषण को हम कई अलग-अलग रूपों में बांटकर देख सकते हैं। आसान शब्दों में समझें तो पर्यावरण प्रदूषण का सीधा सा अर्थ है पर्यावरण का विनाश। ऐसे कई कारण हैं जिनसे हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है। जिस पर्यावरण को हम देखते हैं वह प्रकृति और मानव द्वारा निर्मित चीजों से बना हुआ है और इन्हीं में से कुछ तत्व ऐसे हैं जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं जोकि भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।

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पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को समझने के बाद अब हम जानेंगे कि पर्यावरण प्रदूषण क्या है? या पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं? पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब हमारे द्वारा की गई अलग-अलग गतिविधियों से दूषित सामग्री पर्यावरण में मिल जाती है। यह हमारी दिनचर्या की प्रक्रिया को मुख्य रूप से बाधा पहुँचाती है और इस वजह से पर्यावरण में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। जो पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का काम करते हैं उन्हें प्रदूषक तत्व कहा जाता है। यह प्रदूषक तत्व प्रकृति में होने वाले पदार्थ भी होते हैं और मानव द्वारा की गई बाहरी गतिविधियों से भी निर्मित हो जाते हैं। यह प्रदूषक तत्व पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप में भी शामिल हो सकते हैं। इसे हम वायु प्रदुषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि कई अलग-अलग प्रदूषण के प्रकार में बांट सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

प्रकृति से हमें जीवन यापन के लिए, हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए तथा अपना विकास तेज गति से करने के लिए बहुत से प्राकृतिक संसाधन मुफ्त में मिले हैं। परंतु समय के साथ-साथ हम इतने स्वार्थी और लालची होते जा रहे हैं कि अपने उसी पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए उसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। इस बात को समझे बिना ही कि अगर हमारा पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा, तो फिर ये आने वाले समय में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य और भविष्य पर गंभीर रूप से अपना प्रभाव डालेगा। फिर एक समय ऐसा आएगा जब हम सभी के पास पृथ्वी पर जिंदा रहने के लिए कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं बचेंगे। इसीलिए हमें पर्यावरण प्रदूषण के कारण को गंभीरता से लेना होगा और जल्द से जल्द इन कारणों को दूर करना होगा। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं, जैसे-

  • औद्योगिक गतिविधियों का तेज होगा
  • वाहन का ज़्यादा इस्तेमाल 
  • तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण का बढ़ना 
  • जनसंख्या अतिवृद्धि 
  • जीवाश्म ईधन दहन 
  • कृषि अपशिष्ट 
  • कल-कारखाने 
  • वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग 
  • प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना 
  • वृक्षों को अंधा-धुंध काटना 
  • घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होना
  • खनिज पदार्थों क दोहन
  • सड़को का निर्माण 
  • बांधो का निर्माण 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार हैं। इन सभी का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। लेकिन पर्यारवण प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है, जैसे-

वायु प्रदूषण- हवा मानव, जानवर, पेड़-पौधे आदि सभी के जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हमारे इस वायुमंडल में अलग-अलग तरह की गैसें एक निश्चित मात्रा में मौजूद होती हैं और सभी जीव अपनी क्रियाओं और सांसों के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड में संतुलन बनाए रखते हैं परंतु अब ऐसा हो रहा कि मनुष्य अपनी भौतिक आवश्यकताओं की आड़ में इन सभी गैसों के संतुलन को नष्ट करने में लगा हुआ है। अगर हम शहर की वायु की तुलना, गांव की वायु से करें, तो हमें एक बहुत बड़ा अंतर दिखाई देगा। एक ओर जहाँ गांव की शुद्ध और ताजा हवा हमारे तन-मन को प्रसन्न कर देती है, तो वहीं दूसरी ओर हम शहर की जहरीली हवा में घुटन महसूस करने लगते हैं। इसके पीछ सबसे बड़ा कारण है शहरों में ऐसे संसाधनों की मात्रा में लगातार वृद्धि होना जो प्रदूषण को जन्म देते हैं।

जल प्रदूषण-  जल ही जीवन है और हम सभी के जीवन के लिए जल मुख्य घटकों में से एक है। जल के बिना हम में से कोई भी जीव जैसे मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि जिंदा रहने की कल्पना तक नहीं सकते। प्रकृति के जल में अनुचित पदार्थों या तत्वों के मिल जाने से जल की शुद्धता कम हो जाती है, जिसे हम जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण की वजह से गंभीर रोग पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और कई तरह के जीवाणु तथा वायरस पनपने लगते हैं। पानी में अलग-अलग प्रकार के खनिज, तत्व, पदार्थ और गैसें मिल जाती हैं, जिनकी मात्रा काफी होती है। अगर इन सभी की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। एक ओर तो हमने नदियों को माँ का दर्जा दिया हुआ है और उनकी पूजा करते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर हम इसमें प्रदूषित तत्वों को घोलकर कर जल की शुद्धता को नष्ट कर रहे हैं और माँ समान उन नदियों का अपमान भी कर रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण- गैर ज़रूरी और ज़रूरत से ज़्यादा आवाज़ जिसे हम शोर कहते हैं, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। अगर कोई आवाज़ हमारे लिए मनोरंजन का साधन बनती है, तो हो सकता है कि वही आवाज़ किसी दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो। बहुत ज़्यादा आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है, जिससे मनुष्य की सुनने की शक्ति धीरे-धीरे कम होती चली जाती है और अगर इसपर ध्यान न दिया जाए, तो व्यक्ति अपनी सुनने की शक्ति को पूरी तरह से भी खो सकता है। किसी भी आवाज़ को अगर एक सीमित मात्रा मैं सुना जाए, तो हमारी सेहत पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा लेकिन वही आवाज़ ज़रूरत से ज्यादा तेज हो, तो फिर उसे सहन कर पाना मुश्किल हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण से इंसान की एकाग्रता भंग होती है और फिर वह अपने किसी भी काम को पूरी तरह से एकाग्र होकर नहीं कर पाता।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण भारत में धीरे-धीरे एक चुनौती बनता जा रहा है। प्रदूषण की वजह से हम सभी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। वायु प्रदूषण के कारण वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हो रहा है। जल प्रदूषण होने की वजह से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हो रही है। मृदा प्रदूषण के होना का मतलब ऐसी मिट्टी से है जो अस्वास्थ्यकर या असंतुलित हो और जिससे पेड़-पौधे, खेत, फसल आदि की वृद्धि होने में कठिनाई हो। मृदा प्रदूषण से हरी-भरी ज़मीन भी बंजर हो जाती है। आज भारत एक नहीं बल्कि पर्यावरण प्रदूषण की तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है और उनका सामना कर रहा है। वक़्त रहते इसका समाधान मिलना बहुत ज़रूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो फिर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव से होने वाली हानि का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होगा।

पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर कई तरह से प्रभाव पड़ रहा है। यह बताना ज़रूरी नहीं है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों, पक्षियों, पेड़-पौधों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

अलग-अलग चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन और उद्योगों से निकलने वाली गैस, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैलना, प्लास्टिक डंप और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है। अगर ये तीनों तत्व ही दूषित होंगे, तो मानव शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालेंगे जिससे गंभीर रोग पैदा होंगे।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। इसलिए हमें समझना होगा कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से कैसे बचा जाए और कैसे इसका समाधान ढूंढा जाए।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान

ये तो हम सभी देख रहे हैं कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन किस कदर बढ़ती जा रही है और इसके जिम्मेदार भी सिर्फ और सिर्फ हम इंसान ही हैं। इसीलिए अब ये जिम्मेदारी भी हमारी ही बनती है कि इस समस्या का जल्द-से-जल्द ऐसा समाधान निकालें जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या जड़ से ही खत्म हो जाए। बढ़ते हुए मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों, कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से निकलने वाला अपशिष्ट और धुआँ, नालियों का गंदा पानी और वनों की अंधाधुन कटाई के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाला समय हम सभी के लिए दुःख और अशांति लेकर आएगा।

यह समस्या अगर ऐसे ही बढ़ती रही, तो इससे सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा देश प्रभावित होगा और हम सभी को एक ऐसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा, जिसके बारे में हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं वहाँ पर इस तरह की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। भारत का हर व्यक्ति आज प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या की मार तो झेल रहा है लेकिन इसे दूर करने के लिए ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो कोशिश में लगे हुए हैं। पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव बहुत ही गंभीर और हानिकारक साबित होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण हमारी सामाजिक स्थिति भी खंडित हो जाती है।

विश्व में जितनी भी प्राकृतिक गैसें मौजूद हैं उन सभी में संतुलन का बना रहना बहुत ही आवश्यक है, परन्तु आज इंसान अपने स्वार्थ और ज़रूरत के लिए पेड़ों और वनों को काटने में लगा हुआ है। आप ज़रा सोचिए अगर धरती पर एक भी पेड़ ही बचेगा, तो क्या हम ऑक्सीजन ले पाएंगे। जब हमें ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी, तो हमारा जीवित रहना मुश्किल है। पेड़ों की कमी से कार्बन-डाईआक्साइड की मात्रा ज्यादा हो जाएगी जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या अधिक बढ़ जाएगी। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों के साथ में कोई छेड़छाड़ करते हैं, तो फिर वह प्राकृतिक आपदाओं का रूप लेकर धरती पर विनाश करते हैं। यह विनाश बाढ़, आँधी, तूफान, ज्वालामुखी आदि के रूप में होता है। हम औद्योगिक विकास के लालच में प्रकृति के साथ अपने व्यवहार को भूल चुके हैं, जिस कारण हमें पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाओं, महामहारियों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर हम सही में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं, तो हमें निम्नलिखित समाधानों का प्रयोग अपने जीवन में करना होगा।

  • प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए जल्द ही हमें इस पर नियंत्रण करना होगा। हमें ज्यादा से ज्यादा वनीकरण की तरफ ध्यान देना होगा। हमें कम से कम पेड़ों की कटाई की कोशिश करनी होगी। पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे और इसके खिलाफ जाने वाले को सख्त से सख्त सजा देनी होगी।
  • सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि राजनेताओं, अभिनेताओं, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारत के हर नागरिक को पर्यावरण प्रदूषण दूर करने के प्रति ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता फैलानी होगी। जागरूकता फैलाने के लिए जनसंचार माध्यमों की मदद ली जा सकती है। आज के आधुनिक युग के वैज्ञानिकों को भी प्रदूषण को खत्म करने के लिए और भी ज़्यादा प्रयास करने होंगे।
  • हम सभी को इस बारे में सोच-विचार करना होगा कि हमारे आसपास कूड़े के ढेर और गंदगी जमा न होगा। हमें कोयला और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों का बहुत कम प्रयोग करना सीखना होगा और ऐसे विकल्प चुननें होंगे जो प्रदूषण मुक्त हों। हमें सौर ऊर्जा, सीएनजी, वायु ऊर्जा, बायोगैस, रसोई गैस, पनबिजली का ज़्यादा इस्तेमाल करना होगा। अगर हम ऐसा करते हैं, तो वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने में बहुत मदद मिल सकती है।
  • जिन कारखानों का निर्माण पहले हो चुका है अब तो उन्हें हटा पाना मुश्किल है लेकिन अब सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि जो भविष्य में बनने वाले कारखाने हैं, उन्हें शहर से दूर बनाया जाए। हम यातायात के ऐसे साधनों प्रयोग करें जिनमें से धुआं कम निकलता हो और जो वायु प्रदूषण को रोकने में मदद करें। सरकार को पेड़-पौधों और जंगलों को काटने पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए।
  • हमें नदियों में कचरे को फैकने से बचाना चाहिए। हमें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि पानी को रिसाइक्लिंग की मदद से पीने योग्य बनाएं। अगर हो सके तो प्लास्टिक के बैगों और थैलियों का इस्तेमाल करना बंद करके कपड़े और जूट के बने बैगों को प्रयोग में लाएं। पर्यावरण प्रदूषण को खत्म करने के लिए जागरूक नागरिक बने और सरकार तथा कानून द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन करते हुए इस नेक काम में अपनी भागीदारी दें।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि पिछले कई लाखों-करोड़ों वर्षों से धरती पर आज भी शुद्ध हवा और स्वच्छ बहता पानी मौजूद है, लेकिन हम कहीं न कहीं इसकी कद्र करना भूलते जा रहे हैं। हमारे दुरुपयोग के कारण ही आज सभी प्राकृतिक संसाधन प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं। जिन वैज्ञानिकों ने अपना जीवन पर्यावरण की रक्षा करने में समर्पित कर दिया है अब वह हमें समझा रहे हैं कि कैसे हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए उसकी शुद्धता को बचाना है। वह हम मनुष्यों को जागरूक कर रहे हैं कि हमें ऐसा कोई भी काम नहीं करना है जो प्रकृति का संतुलन बिगड़ने या वातावरण प्रदूषित होने का कारण बने। सबसे पहले हमें किसी भी हाल में अपने गांवों को प्रदूषित होने से रोकना होगा और इस बात का भी पूरा ख्याल रखना होगा कि शहरों का प्रदूषण गांवों के पर्यावरण को प्रदूषित न कर दे।

पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल– FAQ’s

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प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण क्या है निबंध? उत्तर- पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रूप में परिभाषित किया जाता है। सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती हैं। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से पदार्थ या ऊर्जा हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर उन्हें दूषित माना जाता है।

प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का क्या अर्थ है? उत्तर- ओडम के अनुसार, “वातावरण के अथवा जीवमंडल के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों के ऊपर जो हानिकारक प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है।” अन्य शब्दों मे हमारे पर्यावरण की प्राकृतिक संरचना एवं संतुलन मे उत्पन्न अवांछनीय परिवर्तन को प्रदूषण कह सकते हैं।

प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव क्या है? उत्तर- वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भयावह परिवर्तन होता है। वायुमंडल में हानिकारक गैसों से गले और आंखों में जलन, अस्थमा के साथ-साथ अन्य श्वसन समस्याएं और फेफड़े के कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।

प्रश्न- प्रदूषण क्या है इसके प्रकार बताइए? उत्तर- मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं, जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ये 4 तरह के प्रदूषण के होते हैं।

प्रश्न- विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है? उत्तर- विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

environmental sanitation essay in hindi

By विकास सिंह

environment pollution essay in hindi

विषय-सूचि

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (150 शब्द)

प्रस्तावना:.

पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान समय के परिदृश्य में हमारे ग्रह द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है। यह एक वैश्विक मुद्दा है, जो आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है, जिसमें तीसरी दुनिया के देश भी शामिल हैं, चाहे उनकी विकास की स्थिति कुछ भी हो।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब मानव गतिविधियाँ पर्यावरण में प्रदूषण का परिचय देती हैं, जिससे दिनचर्या की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पर्यावरण में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले एजेंटों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक पदार्थ प्रकृति में होने वाले पदार्थ हैं या बाहरी मानव गतिविधियों के कारण बनाए जाते हैं। प्रदूषक भी पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप हो सकते हैं। प्रदूषकों और पर्यावरण के घटकों में होने वाले प्रदूषण के आधार पर, पर्यावरण प्रदूषण को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. वायु प्रदुषण

2. जल प्रदूषण

3. मिट्टी/ भूमि प्रदूषण

4. ध्वनि प्रदूषण

5. रेडियोधर्मी प्रदूषण

6. ऊष्मीय प्रदूषण

निष्कर्ष:

पर्यावरण में पाया जाने वाला कोई भी प्राकृतिक संसाधन, जब इसकी पुनर्स्थापना की क्षमता से अधिक दर पर उपयोग किया जाता है, तो कमी हो जाती है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता है। इससे पर्यावरणीय गुणवत्ता में गिरावट आएगी और जैव विविधता की हानि, वनस्पतियों और जीवों की हानि, नई बीमारियों की शुरूआत और मानव आबादी में तनावपूर्ण जीवन, आदि इसका सबूत है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (250 शब्द)

पर्यावरण मानव जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बनाता है क्योंकि यही वह जगह है जहाँ हम जीवन की अनिवार्यताओं का पता लगाते हैं, जैसे, हवा, पानी और भोजन। वैश्विक औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण के कारण पर्यावरण प्रदूषण हुआ है। पर्यावरण प्रदूषण ने जानवरों, पौधों और मनुष्यों के जीवन की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित किया है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप होने वाली बीमारियों सहित खतरनाक प्रभाव। पर्यावरण प्रदूषण मूल रूप से भौतिक और जैविक दोनों प्रणालियों में पर्यावरण की प्रकृति का संदूषण है जो पर्यावरण के सामान्य कामकाज को प्रभावित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार और कारण:

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण के कारणों और घटकों के लिए विशिष्ट हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण को प्राकृतिक घटकों के आधार पर समूहों में वर्गीकृत किया गया है; वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण। पर्यावरण के दूषित पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है।

मुख्य प्रदूषक उद्योग हैं क्योंकि उद्योग वायुमंडल में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, औद्योगिक अपशिष्टों को जल प्रदूषण में भी परिवर्तित किया जाता है। अन्य प्रदूषकों में दहन से निकलने वाला धुआं, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, जो भारत में अधिक है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव:

भारत में पर्यावरण प्रदूषण एक चुनौती रही है। प्रतिकूल प्रभाव प्रदूषण के प्रकार के लिए विशिष्ट हैं, हालांकि कुछ में कटौती हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हुआ है। जल प्रदूषण से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हुई है। मृदा प्रदूषण के कारण अस्वास्थ्यकर मृदा अर्थात् असंतुलित मृदा pH होता है जो पौधे की वृद्धि का पक्ष नहीं लेता है। भारत पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह को बचाने के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। हमें पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ में पेड़ लगाना, गैर-नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग कम करना, कचरे का उचित निपटान आदि शामिल हैं। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (300 शब्द)

हमें अपनी धरती के पर्यावरण को अपनी माँ की तरह मानना ​​चाहिए। यह हमारा पोषण भी करता है। यदि जलवायु प्रदूषित हो जाती है, तो हम कैसे बच सकते हैं?

पृथ्वी हमें हमारे स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, हम और अधिक स्वार्थी होते जा रहे हैं और अपने पर्यावरण को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हम नहीं जानते कि अगर हमारा पर्यावरण अधिक प्रदूषित हो जाता है, तो यह अंततः हमारे स्वास्थ्य और भविष्य को भी प्रभावित करेगा। पृथ्वी पर आसानी से जीवित रहना हमारे लिए संभव नहीं होगा।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:

यह बताना अनावश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, अर्थात, जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

विभिन्न चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन प्रज्वलन और उद्योगों से गैसीय रिलीज, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, आदि ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैल, प्लास्टिक डंप, और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह, कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी, और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है, ये तीनों दूषित तत्व मानव के शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालते हैं और परिणामस्वरूप रोग होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। कई विष और कई और अधिक। सूची एकजुट हो रही है।

हमारी पृथ्वी हर जीवित प्राणी के लिए अस्वस्थ भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। इसलिए, हमें उन कारकों के बारे में पता होना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और हमारे भविष्य को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (500 शब्द)

हमारा पर्यावरण जीवित और निर्जीव दोनों चीजों से बना है। जीवित चीजों में जानवर, पौधे और अन्य सूक्ष्मजीव शामिल हैं, जबकि हवा, पानी, मिट्टी, धूप, आदि पर्यावरण के गैर-जीवित घटकों का निर्माण करते हैं।

जब भी हमारे परिवेश में किसी भी तरह की विषाक्तता को लंबे समय तक जोड़ा जाता है, तो यह पर्यावरण प्रदूषण की ओर जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार के प्रदूषण वायु, जल, मिट्टी, शोर, प्रकाश और परमाणु प्रदूषण हैं।

उद्योगों, घर की चिमनियों, वाहनों और ईंधन से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है। व्यर्थ औद्योगिक सॉल्वैंट्स, प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट, सीवेज आदि जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। कीटनाशकों और वनों की कटाई का उपयोग मिट्टी के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। वाहनों के अनावश्यक सम्मान, लाउडस्पीकर के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है।

यद्यपि यह प्रकाश और परमाणु प्रदूषण का एहसास करना कठिन है, लेकिन ये समान रूप से हानिकारक हैं। अत्यधिक चमकदार रोशनी कई मायनों में पर्यावरण संतुलन को खतरे में डालते हुए बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करती है। कहने की जरूरत नहीं कि परमाणु प्रतिक्रिया के नकारात्मक प्रभाव कई दशकों तक आते हैं।

सभी घटक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे-जैसे प्रकृति का चक्र आगे बढ़ता है, वैसे ही एक घटक की विषाक्तता को अन्य सभी घटकों तक भी पहुंचाया जाता है। ऐसे विभिन्न साधन हैं जिनके द्वारा पर्यावरण में प्रदूषण जारी है। हम इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते हैं।

जब बारिश होती है, तो हवा की अशुद्धियां धीरे-धीरे जल-निकायों और मिट्टी में घुल जाती हैं। जब फसलें खेतों में पैदा होती हैं, तो उनकी जड़ें दूषित मिट्टी और पानी के माध्यम से इन हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करती हैं। एक ही भोजन जानवरों और मनुष्यों दोनों द्वारा निगला जाता है। इस तरह, यह खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर पहुंच जाता है जब मांसाहारी मांसाहारियों द्वारा सेवन किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामों को गंभीर स्वास्थ्य रोगों के रूप में देखा जा सकता है। अधिक लोग श्वसन समस्याओं, कमजोर प्रतिरक्षा, गुर्दे और यकृत संक्रमण, कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। वनस्पतियों और जीवों सहित जलीय जीवन तेजी से घट रहा है। मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की गुणवत्ता बिगड़ रही है।

ग्लोबल वार्मिंग पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिसे दुनिया को सामना करने की आवश्यकता है। अंटार्कटिका में पिघलने वाले हिमखंडों के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे लगातार भूकंप, चक्रवात, आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण हुए कहर के कारण हैं। रूस में हिरोशिमा-नागासाकी और चेर्नोबिल की घटनाओं ने मानव जाति को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

इन आपदाओं के जवाब में, दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा हर संभव उपाय किया जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के खतरों और हमारे ग्रह की रक्षा की आवश्यकता के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जीने के ग्रीनर तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं। ऊर्जा-कुशल बल्ब, पर्यावरण के अनुकूल वाहन, सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग, कुछ नाम हैं।

सरकारें अधिक पेड़ लगाने, प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करने, प्राकृतिक कचरे के बेहतर पुनर्चक्रण और कीटनाशकों के कम से कम उपयोग पर जोर दे रही हैं। इस तरह की जैविक जीवन शैली ने हमें कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों को धरती से एक जीवित और स्वस्थ जगह बनाने के लिए विलुप्त होने से बचाने में मदद की है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution greatest destruction essay in hindi (600 शब्द)

पर्यावरण में एक पदार्थ की उपस्थिति जो मनुष्य, पौधों या जानवरों के लिए हानिकारक हो सकती है जिसे हम प्रदूषक कहते हैं और इस घटना को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है। पर्यावरण प्रदूषण सबसे अधिक चर्चा में से एक है, जिस पर शोध किया गया है और साथ ही आज के युग में हम सभी द्वारा इसे अनदेखा किया जाता है।

हम पहले से ही इसके बारे में बहुत कुछ जानते हैं, फिर भी हम इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत कम करने का इरादा रखते हैं। शायद हमने अभी तक इसका प्रत्यक्ष प्रभाव महसूस नहीं किया है जो पहले से ही हमारे जीवन पर पड़ा है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में WHO द्वारा एक अध्ययन किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में रहने वाले व्यक्ति के औसत जीवन में हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के 10 साल कम हो गए हैं, जिसमें दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति को सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

सीधे तौर पर कहा जाए, पर्यावरण प्रदूषण, हालांकि पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है, लेकिन इसके नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम अभी तक देखने को नहीं मिले हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार:

पर्यावरण प्रदूषण को आमतौर पर वायु प्रदूषण का संदर्भ माना जाता है। हालांकि, यह एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग हवा, मिट्टी और पानी के साथ-साथ प्रदूषण के अन्य रूपों जैसे गर्मी, प्रकाश, रेडियोधर्मी सामग्री और शोर के कारण होने वाले प्रदूषण को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण:

प्रत्येक प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों का अपना सेट है, जिनमें से कुछ को आसानी से पहचाना जा सकता है, जबकि कुछ प्रदूषण के प्रत्यक्ष स्रोत नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे समान ट्रिगर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए –

औद्योगिक कचरा – विभिन्न उद्योगों से उत्पन्न अपशिष्ट जल, वायु और मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा पानी को इस हद तक दूषित कर देता है कि ऐसे उदाहरण सामने आ गए हैं कि दुनिया के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने आस-पास दूषित पानी की उपस्थिति के कारण विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित हैं।

इसके अलावा, उद्योगों से निकलने वाले गंधक, नाइट्रोजन और कार्बन जैसे धुएँ या हानिकारक गैसें हवा के साथ मिल कर उसे दूषित कर देती हैं।

वाहन – वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर हो गया है और पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। यद्यपि वाहनों के उपयोग ने हमें बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया है, लेकिन वाहनों के उत्सर्जन से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है। वास्तव में, दुनिया के कई शहरों को विषम और यहां तक ​​कि रणनीतियों को चाक करने के लिए मजबूर किया गया है।

जहां वाहन विषम या सम दिनों पर अपने पंजीकरण संख्या के आधार पर ऐसे शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्लाई करते हैं। इसके अलावा, पेट्रोलियम ईंधन के विशाल उपयोग ने मानव जाति के लिए उपलब्ध संसाधनों को और भी कम कर मिट्टी से जीवाश्म ईंधन को कम किया है।

कृषि अपशिष्ट – लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण, कृषि उत्पादों की मांग कई गुना बढ़ गई है। इससे उत्पादकता बढ़ाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों के बड़े पैमाने पर उपयोग को बढ़ावा मिला है। हालांकि, इस प्रथा का पर्यावरण पर प्रभाव का अपना हिस्सा है। उदाहरण के लिए, भारत में पंजाब की कपास बेल्ट कपास उद्योग के लिए वरदान रही है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कीटनाशकों और रसायनों के बड़े उपयोग के कारण कैंसर के विभिन्न रूपों से पीड़ित पाया गया है।

आबादी के अतिवृद्धि और प्रौद्योगिकी प्रगति ने सभी को इष्टतम अस्तित्व के लिए संसाधनों की मांग में वृद्धि का नेतृत्व किया है हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण को उसी के लिए एक बड़ी कीमत देने के लिए मजबूर किया गया है और हम सभी को पर्याप्त रूप से जिम्मेदार होना चाहिए ।

ताकि, हमारे बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके अन्यथा भविष्य के लिए मुश्किल हो सकता है पीढ़ियों तक भी इस ग्रह पर जीवित रहते हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित प्रौद्योगिकियों के उपयोग जैसे बेहतर तरीके निश्चित रूप से एक स्वस्थ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के लिए एक विकल्प माना जा सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution greatest destruction essay in hindi (1000 शब्द)

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है और 1.3 ट्रिलियन से अधिक लोगों का घर है। यह भव्य और शानदार परिदृश्य, प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, और छुट्टी के गंतव्य के बाद सबसे अधिक मांग वाली भूमि है। लेकिन आज के समय की सबसे बड़ी चिंता देश के सामने बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर चुनौती है।

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश बताया है। देश में पर्यावरण प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण औसत भारतीय का जीवन चार साल से कम हो गया है। भारत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित की है।

भारत के सबसे प्रसिद्ध कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह जानकर हैरान कर दिया कि दिल्ली में लगभग आधे स्कूल जाने वाले बच्चे अपरिवर्तनीय फेफड़ों की दुर्बलता की स्थिति में हैं। हवा, पानी और मिट्टी में खतरनाक और जहरीले प्रदूषकों का स्तर सुरक्षित सीमा से ऊपर चला गया है। भारी औद्योगीकरण, शहरीकरण और कृषि अपशिष्ट जलाने जैसी कुछ पुरानी प्रथाओं ने भारत में पर्यावरण की दयनीय स्थिति में समान रूप से योगदान दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक:

1. वायु प्रदूषण:

नई दिल्ली, भारत की राजधानी, ने हाल ही में वैश्विक सुर्खियां बनाईं जब यह पृथ्वी पर शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित स्थानों में बदल गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार द्वारा उद्योगों से प्रदूषित उत्सर्जन का प्रबंधन करने और वैकल्पिक यातायात तंत्र का उपयोग करने के कई प्रयासों के बावजूद, वायु की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत यातायात, बिजली संयंत्र, उद्योग, अपशिष्ट जलाना, लकड़ी और लकड़ी का कोयला का उपयोग करना है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हवा में जहरीले तत्वों की एकाग्रता के लिए एक वास्तविक समय का खतरा है।

2. मृदा प्रदूषण:

भारत में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में एक शानदार वृद्धि देखी जा रही है। परिणामस्वरूप देश के सभी हिस्सों में मृदा प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय बन रहा है। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक खतरा बन गया है। उपजाऊ भूमि का क्षेत्र बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए रसायनों के उपयोग से हर गुजरते दिन खराब हो रहा है।

भारत में शहरों के विकास ने मिट्टी का उपयोग नगरपालिका के कचरे की सतत मात्रा के लिए एक सिंक के रूप में किया है। देश के आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलूरु और चेन्नई जैसे शहरों में डंप यार्ड में बड़ी मात्रा में ई-कचरे के ढेर लगे हैं। शहरों के बाहरी इलाके में डंपिंग ग्राउंड के रूप में बड़ी मात्रा में भूमि बर्बाद हो गई है। इन डंपिंग ग्राउंड को मवेशियों के लिए चारागाह के रूप में देखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप कई स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।

3. जल प्रदूषण:

भारत में, हम जल प्रदूषण के लिए नए नहीं हैं। कृषि देश के लिए प्रमुख आवश्यकता है और जाहिर तौर पर जलवायु पर पर्यावरणीय प्रभाव ने मानसून को बुरी तरह प्रभावित किया है। उद्योगों से आने वाले जहरीले रसायनों, जैसे धातुओं सहित अपशिष्ट की भारी मात्रा को नदियों और जल-निकायों में डंप किया जाता है।

भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत अनुपचारित मलजल है। भारत में कुछ गाँव अभी भी खुले में शौच का अभ्यास करते हैं जो पास के जल निकायों को प्रदूषित करता है। गंगा और यमुना को दुनिया की सबसे प्रदूषित 10 नदियों में शुमार किया जाता है।

4. शोर प्रदूषण:

शोर प्रदूषण आधुनिक भारत का एक और ज्वलंत मुद्दा है। सड़कों पर ट्रैफिक की भीड़, हार्न बजाने के शोर की आवाज, फैक्ट्री सायरन, मशीनों के चलने की तेज आवाज और लाउडस्पीकर की तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण में जबरदस्त बढ़ोतरी में योगदान देती है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण एक औसत भारतीय के लिए कई स्वास्थ्य मुद्दों का प्रकोप हुआ है।

प्रदुषण को कम करने के उपाय:

भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 170 देशों के साथ 24 नवंबर 2017 को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत ने खुद को प्रतिबद्ध किया है। भारत के प्रधान मंत्री श्री। नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने 12 मार्च 2018 को मिर्जापुर जिले में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया।

भारत ने जर्मनी के साथ भारत-जर्मन ऊर्जा कार्यक्रम – ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (IGEN-GEC) के तहत तकनीकी सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार ‘स्वच्छ गंगा’, ‘नमामि गंगे’ और ‘यमुना सफाई कार्यक्रम’ को लागू करके गंगा और यमुना नदियों की पवित्रता को बहाल करने के लिए गंभीर कदम उठा रही है।

चूंकि प्लास्टिक एक प्रमुख प्रदूषक है, इसलिए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने 23 जून 2018 से प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में प्लास्टिक सामग्री जैसे बैग, चम्मच, के विनिर्माण, उपयोग, बिक्री, संचलन और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्लेटें और अन्य डिस्पोजेबल आइटम। प्रतिबंध में पैकेजिंग सामग्री और थर्मोकोल भी शामिल हैं। हालाँकि प्लास्टिक का उपयोग दवाओं और दवाओं की पैकेजिंग, दूध और ठोस अपशिष्ट के उपचार के लिए किया जाता है

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि शहरी भारत में प्रदूषित वातावरण एक टिकने वाला बम है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए विपुल औद्योगिकीकरण ने स्पष्ट रूप से भारतीय शहरों में ताजी हवा की एक सांस को भी खतरे में डाल दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण से लड़ने के लिए कड़े कानूनों के कार्यान्वयन में सार्वजनिक भागीदारी का अभाव एक और बड़ी चिंता है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य गंभीर खतरे में है। भारत सरकार एक बड़े कैनवास पर समाधान लागू करने के लिए काम कर रही है, उदाहरण के लिए, स्वच्छ ऊर्जा पर स्विच करना, हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करने के लिए नियम, और पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में परिचितों को फैलाने के लिए अभियान चलाना।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारतीय लोगों को अपनी सदियों पुरानी प्रथाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहित करना है जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। संस्कृत का वाक्यांश “वसुधैव कुटुम्बकम” जिसका अर्थ है कि ‘दुनिया एक परिवार की तरह है’, परंपराओं की इस सुंदर और शांत भूमि को बचाने के लिए हममें से प्रत्येक के मन और दिलों में जीवित रहना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, essay on environmental pollution in hindi (1500 शब्द)

शब्दकोश द्वारा परिभाषित प्रदूषण एक पदार्थ की उपस्थिति है जो हानिकारक है या पर्यावरण पर जहरीला प्रभाव डालता है। प्रदूषण को आगे चलकर प्राकृतिक पर्यावरण के दूषित पदार्थों की शुरूआत के रूप में समझाया गया है जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बन सकता है। बुनियादी होने के लिए, पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और जो बदले में पर्यावरण में लोगों को नुकसान पहुंचाता है।

पर्यावरण प्रदूषण की घटना:

पर्यावरण प्रदूषण की घटना तब होती है जब वातावरण प्रदूषक द्वारा दूषित होता है; इससे कुछ बदलाव आते हैं जो हमारी नियमित जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। प्रदूषण के प्रमुख घटक या तत्व प्रदूषक हैं और वे बहुत भिन्न रूपों के अपशिष्ट पदार्थ हैं। प्रदूषण पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में गड़बड़ी लाता है। विकास और आधुनिकीकरण ने उनके साथ प्रदूषण में तेजी से वृद्धि की है और इसने विभिन्न मानव बीमारियों और सबसे महत्वपूर्ण ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के रूप:

जल, वायु, रेडियोधर्मी, मिट्टी, गर्मी, शोर और प्रकाश सहित पर्यावरण प्रदूषण के कई विभिन्न रूप हैं। प्रदूषण के हर रूप के लिए, प्रदूषण के दो स्रोत हैं; गैर बिंदु और बिंदु स्रोत। प्रदूषण के बिंदु स्रोतों की निगरानी, ​​निगरानी और नियंत्रण करना बहुत आसान है, जबकि गैर-बिंदु प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना काफी कठिन और कठिन है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और स्रोत:

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों और कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1. औद्योगिक गतिविधियाँ:

दुनिया भर के उद्योग, भले ही वे संपन्नता और समृद्धि लाए हों, पारिस्थितिक संतुलन में लगातार गड़बड़ी हुई है और जीवमंडल की जांच की है। प्रयोगों का गिरना, धुएं का गुबार, औद्योगिक अपशिष्ट और घूमती हुई गैसें पानी और हवा दोनों को दूषित, प्रदूषित करने के लिए एक निरंतर खतरा हैं।

औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान जल और मृदा प्रदूषण दोनों का स्रोत बन गया है। विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट नदियों, झीलों, समुद्रों और धुएं के छोड़े जाने के माध्यम से मिट्टी और हवा में प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

2. ठोस अपशिष्ट बहाना:

जब कचरे का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है तो वाणिज्यिक और घरेलू अपशिष्ट पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत होते हैं।

3. वाहन:

डीजल और पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहन धूम्रपान करते हैं और कोयले को पकाने से जो धुआं निकलता है वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करता है। सड़कों पर वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने केवल धुएं के उत्सर्जन को सहायता प्रदान की है, जब रिलीज होती है और अंततः हवा के साथ मिश्रित होती है जिसे हम सांस लेते हैं। इन विभिन्न वाहनों का धुआं काफी हानिकारक है और वायु प्रदूषण का प्राथमिक कारण है। ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करने वाले इन वाहनों से आवाज़ों का जोखिम भी है।

4. तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण:

शहरीकरण की तेजी से दर और औद्योगीकरण भी पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं क्योंकि वे पौधों और पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जो जानवरों, मनुष्यों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

5. जनसंख्या अतिवृद्धि:

विकासशील देशों में तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई है, कब्जे, बुनियादी भोजन और आश्रय की मांग बढ़ रही है। उच्च मांग के कारण, जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए वनों की कटाई तेज हो गई है।

6. जीवाश्म ईंधन दहन:

जीवाश्मों के ईंधनों का लगातार दहन कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के माध्यम से मिट्टी, हवा और पानी के प्रदूषण का स्रोत है।

7. कृषि अपशिष्ट:

कृषि के दौरान उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।

वायु प्रदुषण:

यह संभवतः पर्यावरण प्रदूषण का सबसे खतरनाक और सामान्य रूप है और इसे शहरीकरण का पर्याय माना जाता है। इसका प्राथमिक कारण ईंधन के दहन की उच्च दर है। ईंधन दहन अब घरेलू और औद्योगिक रूप से परिवहन, खाना पकाने और कुछ अन्य गतिविधियों के लिए एक बहुत ही बुनियादी आवश्यकता है। ये सभी गतिविधियाँ बड़ी संख्या में जहरीले रसायनों को वायुमंडल में छोड़ती हैं और हमारे अस्तित्व को प्रभावित और खतरे में डालकर हवा से नहीं निकालती हैं।

सल्फर ऑक्साइड को धुएं द्वारा हवा में छोड़ा जाता है और इससे हवा बहुत जहरीली हो जाती है। यह प्राथमिक रूप से कारखाने के ढेर, चिमनी, वाहनों या यहां तक ​​कि लकड़ी के लॉग के जलने जैसे कुछ सामान्य से धुएं के कारण होता है। वातावरण में सल्फर ऑक्साइड और कई अन्य गैसों के उत्सर्जन से अम्लीय वर्षा होने की क्षमता के साथ ग्लोबल वार्मिंग होती है।

इन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और इसके कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में सूखे, अनियमित बारिश और तापमान में वृद्धि हुई है। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़े के कैंसर के बेहद खतरनाक मामले जैसी स्थितियां और बीमारियां शहरों में होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण पैदा होने वाली आपदाओं के कई दुखद उदाहरणों में से एक उदाहरण भोपाल की 1984 गैस त्रासदी है। गैस त्रासदी एक गैस संयंत्र में गैस (मिथाइल आइसोसाइनेट) की रिहाई का एक परिणाम था। त्रासदी में लगभग 2,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 200,000 से अधिक लोग व्यापक श्वसन समस्याओं से पीड़ित थे।

श्वसन संबंधी बीमारियां, अस्थमा और हृदय रोगों में वृद्धि एक अड़चन के कारण हो सकती है (उदाहरण के लिए, पार्टिकुलेट जो आकार में 10 माइक्रोमीटर से नीचे हैं)। इस क्षण तक, जन्म लेने वाले शिशुओं में अभी भी जन्म दोष हैं और इसके लिए भोपाल त्रासदी को जिम्मेदार ठहराया गया है।

जल प्रदूषण:

पानी जीवन के लिए आवश्यक है; प्रत्येक जीवित प्राणी या अस्तित्व जीवित रहने के लिए पानी पर निर्भर करता है। सभी प्रजातियों के लगभग 60% पानी में रहते हैं; इसका मतलब है कि पानी का प्रदूषण एक बहुत महत्वपूर्ण प्रदूषण प्रकार है जिसे नियंत्रित किया जाना है।

बहुत सारे कारक हैं जो जल प्रदूषण में योगदान करते हैं, एक बहुत बड़ा योगदान कारक औद्योगिक प्रवाह है जिसे नदियों और समुद्रों में निपटाया जाता है और पानी के गुणों में एक बड़ा असंतुलन पैदा करता है और यह पानी के जीवों को जीने के लिए अयोग्य बनाता है। बहुत सारी बीमारियाँ भी हैं जो जल प्रदूषण के कारण होती हैं और ये रोग गैर-जलीय और जलीय दोनों प्रजातियों को प्रभावित करते हैं।

कीटनाशक जो विभिन्न पौधों पर छिड़काव किए जाते हैं, वे भूजल के प्रदूषण का एक स्रोत हैं और साथ ही, महासागरों में तेल फैलने से पानी के शरीर को गंभीर अपरिवर्तनीय क्षति हुई है। जल प्रदूषण का एक अन्य स्रोत यूट्रोफिकेशन है और यह नदियों, तालाबों या झीलों के पास बर्तन, कपड़े धोने जैसी गतिविधियों के कारण होता है; वॉशिंग डिटर्जेंट पानी में चला जाता है और अनजाने में सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को अवरुद्ध करता है और इससे पानी की ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है और यह जलमग्न हो जाता है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आगे कहा कि लगभग 80% समुद्री पर्यावरण प्रदूषण अपवाह जैसे स्रोतों से उत्पन्न होता है। पानी के प्रदूषण का समुद्री जीवन पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। एक उदाहरण का हवाला देते हुए, सीवेज के साथ रोगजनकों का विकास अच्छी तरह से होता है, जबकि पानी में होने वाले अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिक पानी की संरचना को बदल सकते हैं। यदि भंग ऑक्सीजन का स्तर कम है, तो पानी को प्रदूषित माना जाता है; घुलित ऑक्सीजन सीवेज जैसे कार्बनिक पदार्थों पर किए गए अपघटन से है जो पानी में मिलाया जाता है।

जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाकर, जल प्रदूषण मनुष्यों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाकर पूरी खाद्य श्रृंखला को दूषित कर देता है जो जलीय जीवों पर निर्भर हैं। हर जगह डायरिया और हैजा के मामलों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।

मिट्टी प्रदूषण:

इसे भूमि प्रदूषण भी कहा जाता है और यह उन रसायनों के कारण होता है जो मानव गतिविधियों के कारण मिट्टी को खराब करते हैं। कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी से नाइट्रोजन के सभी यौगिकों को हटा दिया जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए अत्यधिक अयोग्य हो जाता है। वनों की कटाई, खनन और उद्योगों से निकलने वाला कचरा भी मिट्टी को नष्ट करता है और इससे पौधों की वृद्धि बाधित होगी और मिट्टी खत्म हो जाएगी।

ठोस अपशिष्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा औद्योगिक या वाणिज्यिक अपशिष्ट है। खतरनाक अपशिष्ट को अपशिष्ट के किसी भी ठोस, तरल या कीचड़ के रूप में कहा जा सकता है, जिसमें ऐसे गुण हैं जो खतरनाक हैं या पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

उद्योगों में कीटनाशक निर्माण, पेट्रोलियम शोधन, खनन और रसायनों से जुड़े कई अन्य निर्माणों से खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं। खतरनाक कचरे केवल उद्योगों द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं; घरों में अपशिष्ट उत्पन्न होता है जो फ्लोरोसेंट रोशनी, पेंट और सॉल्वैंट्स, एरोसोल के डिब्बे, मोटर तेल और गोला बारूद की तरह खतरनाक होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:

यह एक शोर है जिसकी तीव्रता 85db से अधिक है और यह नंगे कानों तक पहुंचता है। शोर प्रदूषण विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं (जैसे उच्च रक्तचाप और तनाव) का कारण बनता है। यह कभी-कभी सुनने में एक स्थायी हानि का कारण बनता है जो कि बहुत ही विनाशकारी बात है। शोर प्रदूषण बड़े पैमाने पर उद्योगों में लाउड कंप्रेशर्स और पंपों के कारण होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण:

यह प्रदूषण के अत्यधिक खतरनाक प्रकारों में से एक माना जाता है क्योंकि प्रभाव स्थायी होते हैं। परमाणु कचरे का लापरवाही से निपटारा, परमाणु संयंत्रों में दुर्घटनाएं, आदि सभी रेडियोधर्मी प्रदूषण के उदाहरण हैं। रेडियोधर्मी प्रदूषण एक्सपोजर, कैंसर (रक्त और त्वचा), अंधापन और विभिन्न जन्म दोषों के परिणामस्वरूप बांझपन का कारण बन सकता है। यह हवा, मिट्टी और पानी को स्थायी रूप से बदल सकता है – जो प्रमुख जीवन स्रोत हैं।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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अध्ययन से पता चला पूरे उत्तर भारत में खान-पान की आदतें चिंताजनक हैं

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environment Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environment Pollution in Hindi

आज के इस लेख में हमने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environment Pollution in Hindi) प्रकाशित है। जिसे विद्यार्थी 100, 300, 500, 700, 900 शब्दों में अपने ज़रुरत अनुसार लिख कर मदद ले सकते हैं।

आप सभी जानते हो कि, हमारा पर्यावरण कितना प्रदूषित हो रहा है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों और तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। आज इस आर्टिकल में हमने आपको पर्यावरण प्रदूषण के बारे में तथा इसे रोकने के उपाय बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना Introduction

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। आज के दिन में पर्यावरण प्रदूषण हमारे लिए एक अभिशाप बन गया है।

प्रदूषण का अर्थ क्या होता है?  Definition of Pollution

प्रदूषण का अर्थ होता है हमारे पर्यावरण का दूषित होना। आज के दिन में हमारे पर्यावरण में कई प्रकार के प्रदूषण हैं।  यह एक ऐसी परिस्तिथि होती है जिसमे – ना हमें शुद्ध जल मिल पाता है, ना हमें अच्छा खाना मिल पाता है,ना हम शुद्ध वायु सांस ले पाते हैं और ना ही हम अच्छे से अपने वातावरण में रह पाते हैं।

अब आईये निचे हम आपको बताते है पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, उनके होने के कारण, पर्यावरण पर उनके प्रभाव तथा उन्हें रोकने के उपाय।  

प्रदूषण के प्रकार Types of Pollution

प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, उष्मीय प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण।

जल प्रदूषण Water pollution

कल कारखानों से निकलने वाले दूषित जल को नदियों नालों में बहा दिया जाता है। मरे हुए जीव जंतुओं की शरीर को तालाबों में नदी नालों में बहा दिया जाता है।  जिससे हमारे नदी नाले प्रदूषित हो जाते हैं। जिसके कारण लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियां होती है और कई लोगों की मौत भी हो जाती है।

जल प्रदूषण का मुख्य कारण हमारे औद्योगिक कल कारखाने हैं। खेतो के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों का उपयोग किया जाता है जिससे बारिश के दिनों में वह रासायनिक खाद्य हमारे नदी नाले तालाबों तक पहुंच जाते हैं और हमारे पानी को दूषित कर देते हैं।

वायु प्रदूषण Air Pollution

शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या अधिक होती है। कल कारखानों से निकलने वाले काले धुएं, मोटर गाड़ी आदि वाहनों से निकलने वाले काले धुएं, हमारे फेफड़े तक जाकर हमें नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या है बढ़ती हुई जनसंख्या। लोग रहने के लिए घर बनाने को हमारे वनों को काट रहे हैं जिसके कारण यह वायु प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहा है।

ध्वनि प्रदूषण Sound Pollution

कल कारख़ानों, मोटर वाहनों और लाउडस्पीकर से निकलने वाले आवाज़ से हमारे वातावरण में ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरेपन और तनाव जैसी बीमारियाँ देखने को मिल रही है।

उष्मीय या थर्मल प्रदूषण Thermal Pollution

जब एक बिजली संयंत्र मरम्मत तथा अन्य कारणों से खोला जाता है या बंद किया जाता है तो इसकी वजह से मछलियां या अन्य प्रकार के जीवाणुओं जो कि एक विशेष प्रकार के तापमान के आदी होते हैं अचानक तापमान में हुई बढ़ोतरी से मर जाते हैं। इसे थर्मल झटका कहा जाता है या उष्मीय प्रदूषण कहते है।

मिट्टी प्रदूषण Soil Pollution

मृदा प्रदूषण मानव निर्मित रासायनिक खादो कल कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ हो जो सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी में मिल कार मिट्टी को प्रभावित करते हैं जो भूमि में उर्वरकता को कम करने का कारण बनते हैं और इसे फसल के लिए अयोग्य बनता है।

प्रकाश प्रदूषण Light Pollution

प्रकाश प्रदूषण, जिसे फोटो पॉल्यूशन या चमकदार प्रदूषण के रूप में भी जाना जाता है यह कृत्रिम बाहरी प्रकाश का अत्यधिक गलत प्रयोग या आक्रमक उपयोग है। गलत तरीके का प्रकाश व्यवस्था रात के आगमन के रंग को धुँधला कर देता है। प्राकृतिक तारों का प्रकाश और सकैंडियन की लय ( ज्यादातर जीवों की 24 घंटे की प्रक्रिया) को बाधित करता है। यह पर्यावरण ऊर्जा संसाधन, वन्य जीव मानव और खगोल विज्ञान के शोध को प्रभावित करता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण Radioactive Pollution

रेडियोधर्मी पदार्थ जब, ठोस, तरल और गैस के रूप में पर्यावरण को दूषित करते हैं तो उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। इसके सबसे बड़े कारण परमाणु हथियारों का परीक्षण, एक्स रे मशीन, परमाणु विस्फोट वैज्ञानिक अनुसंसाधन एवं परमाणु इंधन के प्रयोग हैं।

निर्माण के समय होने वाले दुर्घटना के कारण यह प्रदूषण फैलता है। जिससे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो जाता है। इस प्रदूषण के कारण जीव जंतु और मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रदूषण के दुष्परिणाम Bad effects of Pollution

इन सब प्रदूषण के कारण हमारे जीवन में बहुत सारियां तकलीफ है हो रही हैं। कल कारखानों से निकलने वाले धुएं हमारे फेफड़ों तक जाकर हमें बीमार कर रही हैं। दूषित जल पीकर आदमी आज बहुत ही बीमार पड़ रहा है। हम शुद्ध सांस लेने को तरस जाते हैं।

वातावरण के इन सब प्रदूषण के कारण कोई भैरा हो रहा है ,कोई अपंग हो रहा है, सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है, और लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ना वर्षा टाइम पर हो रही है, ना सर्दी और गर्मी का ऋतु भी टाइम पर नहीं आ रहा है। प्रदूषण के कारण सूखा,  बाढ़, भूकंप, ओला आदि हो रहे हैं।

प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution

बढ़ती हुए जनसंख्या हमारे पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य करण है। कल कारखानों से निकलने वाले गैस ,विगानिका साधनों का अत्यधिक उपयोग हमारे वातावरण में प्रदूषण का करण है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जिसके कारण हमारा वायु प्रदूषित हो रहा है और हमें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। 

प्रदूषण को रोकने के उपाय Tips to Control Pollution

  • जो भी बनाये गए कारखाने हैं उन्हें अब हटाया तो नहीं जा सकता लेकिन आगे बनाए जाने वाले कारख़ानों को शहर से दूर बनाने दिया जाना चाहिए।
  • ऐसे योजनाएं और इको-फ्रेंडली गाड़ियाँ बनाना चाहिए जिससे कम धुआँ निकले और हम हमारे वायु प्रदूषण को रोक सके।
  • कार पूलिंग कर भी एक ही गाडी में कई लोग ऑफिस जा सकते हैं इससे इंधन भी बचेगा और ।
  • जंगलों के पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई को रोकना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • नदी नालों के पानी में कचरा फेंक कर दूषित नहीं करना चाहिए।
  • प्लास्टिक का उपयोग ना करके रिसाइकल होने वाले बैग, या कपड़े का थैला इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि भारत में प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है परन्तु अभी भी कई जगह छुप कर कंपनियां प्लास्टिक की थैलियाँ बना रहें हैं। ऐसे कारख़ानों को बंद कर किया जाना चाहिए।
  • किसानों को अपने खेतों में रसायानिक खादों का उपयोग बंद करना चाहिए जिससे मृदा प्रदूषण में कमी आये।

आशा करते है आपको पर्यावरण प्रदूषण पर ये निबंध अच्छा लगा होगा। हम सबको मिलकर पृथ्वी में प्रदूषण को रोकना होगा और एक सुन्दर और पर्यावरण बनाना होगा।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 200 - 500 शब्दों में

Updated On: December 28, 2023 05:14 pm IST

  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay …
  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay …

प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)

प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं। 

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण:  वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण:  वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण:  जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण:  भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है।  प्रकाश प्रदूषण:  बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण:  ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण:  ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें:  वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें:  एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं:  कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।       

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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