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ओणम त्योहार पर निबंध Onam Festival Essay in Hindi

ओणम त्योहार पर निबंध Onam Festival Essay in Hindi

इस लेख में आप ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) हिंदी में पढ़ेंगे। ओणम त्योहार के बारे में अधिकतर परीक्षाओं में पूछा जाता है इसलिए इस निबंध में ओणम क्या है, कब है और इसे कैसे मनाते हैं तथा ओणम का महत्व व पौराणिक कथा को शामिल किया गया है।

Table of Content

भारतीय सनातन संस्कृति में पंथ और संप्रदायों की विविधता देखने को मिलती है। ओणम ऐसे ही विविधता को दर्शाने वाला त्योहार है। त्योहारों को मानव समाज का दर्पण भी कहा जाता है, क्योंकि इससे उनके रहन-सहन व शिक्षा तथा धार्मिक उन्मुखता का प्रदर्शन होता है।

भारतीय संस्कृति की गहराई को इसके त्योहारों के माध्यम से देखा जा सकता है। यह त्यौहार किसी पंथ या संप्रदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि समूचे मानव समाज को एक नवीन दिशा प्रदर्शित करने के लिए आते हैं।

जीवन के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान विष्णु अपने सभी अवतारों में जनजीवन को पुण्य तथा मानवता का संदेश देते हैं। ओणम त्यौहार में भी उनके एक प्रमुख अवतार के माध्यम से अनौचित्य क्रियाकलापों को रोककर सत्य तथा धर्म की स्थापना की पहल की गई थी।

ओणम पर्व दक्षिण भारत का एक ऐसा ही प्रसिद्ध त्योहार है जो अपनी पौराणिक कथा के माध्यम से सामान्य जनजीवन में सकारात्मकता और नवीनता का संचार करता है।

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ओणम क्या है? What is Onam in Hindi?

भारत के ज्यादातर त्योहारों के नाम संस्कृत शब्द से लिए गए हैं। ओणम शब्द भी संस्कृत शब्द श्रवणम से लिया गया है। श्रवणम 27 नक्षत्रों में से एक को दर्शाता है। मलयालम में थिरु शब्द को भगवान श्री हरि के लिए उपयोग किया जाता है और थिरुवानेम भगवान विष्णु के नक्षत्र को प्रदर्शित करता है।

भगवान विष्णु ने महान और पराक्रमी राजा बलि के अहंकार को नष्ट कर उसे पाताल में भेजा था। बलि बेहद ही बलशाली और विद्वान और न्यायप्रिय राजा था, भगवान विष्णु की लीलाओं और राजा बलि की न्यायप्रियता के कारण ही ओणम पर्व मनाया जाने लगा।

हालांकि कई ग्रंथ इस घटना को अलग अलग तरीके से बताते हैं लेकिन सभी में भगवान विष्णु द्वारा महान राजा बलि के अहंकार को नष्ट कर समाज में मानवता का भाव बढ़ाने की लीला करते हुए बताया गया है।

ओणम केरल का एक मुख्य त्यौहार है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह नव वर्ष की शुरुआत का पहला दिन है। नव वर्ष के पहले महीने को मलयालम में चिंगम कहा जाता है। पौराणिक घटनाओं से मिलती सीख को समाज में बनाए रखने के लिए ओणम त्यौहार मनाया जाता है।

ओणम कब है? When is Onam in Hindi?

ओणम को मलयाली अवधी कैलेंडर कोल्लवारम के अनुसार वर्ष का पहला दिन माना जाता है। यह हर वर्ष अगस्त या सितंबर महीने में आता है।

सन 2022 में यह 8 सितंबर को पड़ने वाला है। यह  दस दिनों तक चलने वाला एक जीवंत और मनोरंजक त्यौहार हैं। इसके 10 दिनों को बेहद अनोखे तरीके से मनाया जाता है इसलिए हर वर्ष लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है।

ओणम का महत्व Importance of Onam in Hindi

सनातन संस्कृति के अंतर्गत आने वाले हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है। दक्षिण भारत के ज्यादातर ग्रंथों ने सनातन संस्कृति की व्याख्या को लंबे समय तक संभाल कर रखा है। उन्हीं ग्रंथों में से एक से ओणम पर्व की व्याख्या मिलती है।

ओणम त्योहार जग के पालनकर्ता श्री भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। भगवान विष्णु ने कुल 10 अवतार धारण कर पृथ्वी को भय मुक्त किया है। ओणम के महत्व को दर्शाते अनेक पहलू हैं जैसे अति अहंकार से मानवता के हानि और स्वयं का विनाश ही होता है।

भगवान श्री हरि ने अपने 10 अवतारों में से एक श्री राम और श्री कृष्ण अवतार में राक्षसों का संहार कर धरती को पाप से मुक्त किया था। उन्हीं के अवतारों में से एक श्री वामन देवता इस त्यौहार के महत्व को और बढ़ा देते हैं।

ओणम त्यौहार के महत्व को तीन पहलुओं के माध्यम से जाना जा सकता है। इसके धार्मिक पहलुओं के अनुसार यह जन समूह में ईश्वर तथा उनकी अच्छाइयों के प्रति आस्था को बढ़ाकर समाज में समरसता तथा पुण्य प्रसार करने में सहायक होता है।

सांस्कृतिक पहलुओं के अनुसार यह सनातन संस्कृति के जरूरी और प्रेरणादायक घटनाओं को संकलित कर जन समूह में अपने धर्म के प्रति सजगता और दृढ़ता का संचार करता है।

आज के समय जहां पाश्चात्य ने ज्यादातर मनुष्य के दिमाग को कब्जा कर रखा है वहीं पर यह त्योहार उनकी मानसिकता पर कुठाराघात कर उन्हें सनातन के ज्ञान से अवगत करवाता है।

ओणम त्योहार के सामाजिक महत्व को बेहद आसानी से समझा जा सकता है। आज के समय हिन्दू अपनी जाति और लिंग के भेदभाव के कारण आपस में बटा हुआ है, ऐसे में यह त्यौहार ही एक माध्यम है जिसके कारण हिंदू एकत्रित होकर अपने धार्मिक त्योहारों और रहन-सहन पर गर्व अनुभव करते हैं।

इस डिजिटल युग में वर्तमान तथा आने वाली पीढ़ी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से अछूते न रह जाएं इसलिए इस त्यौहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।

ओणम कैसे मनाते हैं? How Onam is celebrated in Hindi?

पूरे भारत भर में केरल के लोग इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाते हैं। यह त्यौहार उनके लिए एक भावनात्मक जुड़ाव लेकर आता है जिसका वह पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं।

यह त्यौहार लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसलिए लोगों में इसके आने के कई दिनों पहले से उत्साह भरा रहता है। छोटे बच्चे अपने विद्यालय की छुट्टी के लिए इस त्यौहार का इंतजार करते रहते हैं।

ओणम त्योहार के कई दिनों पहले से ही लोग घरों की साफ-सफाई तथा खरीदारी करने लगते हैं। कई दिनों पहले से ही इस त्यौहार की रूपरेखा तैयार की जाने लगती है।

लोगों के उल्लास को दुगनी रफ़्तार देने के लिए सरकार के द्वारा इस त्यौहार के दिन विशेष सुरक्षा तथा तैयारी की जाती है। छोटे व्यवसाय हो या बड़े सभी बेहद खुश होते हैं क्योंकि इस त्यौहार के आने से बाजार में रौनक आ जाती है।

10 दिनों के इस त्यौहार में पहले दिन राजा बलि के पाताल लोक जाने की तैयारी की जाती है। दूसरे दिन को चिथिरा कहा जाता है। इस दिन फूलों का कालीन बनाने का रिवाज है, जिसे पुक्कलम कहते हैं। इस दिन कई जगहों पर प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं।

तीसरे दिन को चोधी कहा जाता है, इस दिन पुक्कलम के अगली परत को बनाने का कार्य किया जाता है। चौथे दिन को विशाकम कहा जाता है इसमें खासकर मनोरंजक प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं जिनमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

पांचवें दिन को अनिज्म कहा जाता है। इसमें खासकर नौका दौड़ की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। छठवें दिन को थ्रिकेता कहते हैं इस दिन से ओणम की छुट्टियां शुरू हो जाती हैं। सातवें दिन को मूलम कहा जाता है इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

आठवें दिन को पूरादम कहते हैं, इस दिन महाबली और वामन की मूर्तियों की स्थापना की जाती है तथा तरह तरह के फूलों से सजाया जाता है। नौवें दिन को ऊथ्रादोम कहते हैं इस दिन महाबली राज्य में प्रवेश करते हैं दसवे दिन को थिरोवोनम कहा जाता है इस दिन मुख्य ओणम का त्यौहार मनाया जाता है।

इस त्यौहार के दिन जनता अपने घरों को आकर्षक रूप से सजाती है। चारों ओर खुशी का वातावरण छाया हुआ होता है लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं तथा आकर्षक रंगोली बनाते हैं। घरों में भगवान विष्णु तथा राजा बलि की मूर्ति को भी रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है।

दोनों की भव्य तरीके से पूजा की जाती है। पूजा अर्चना के बाद लोग नए कपड़े पहनते हैं इसमें महिलाएं मुख्यतः सफेद कपड़ा और बालों में सफेद गजरा धारण करती है। पुरुष पारंपरिक धोती कुर्ता पहनते हैं।

पूरे दिन भर मंदिरों में भीड़ रहती है कई जगहों पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें तरह-तरह के नृत्य, नौका दौड़ और हाथियों का जुलूस निकाला जाता है।

इस दिन केरल का लोक नृत्य कथकली प्रदर्शित किया जाता है। कार्यक्रम के बाद केले के पत्ते पर भोजन किया जाता है जिसमें मुख्यतः ओनसद्या होता है तथा चार से पांच प्रकार की सब्जियां भी होती हैं और कुल 30 से भी अधिक व्यंजन होते हैं।

ओणम त्यौहार के दिन ओनकलिकालः का आयोजन होता है जिसमें पुरुषों के लिए तरह-तरह के खेलों का आयोजन किया जाता है। जिसमें तीरंदाजी भी शामिल होती है इस तरह लोग पूरे दिन भर मौज मस्ती के साथ भगवान विष्णु और राजा बलि के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।

ओणम का इतिहास और पौराणिक कथा History of Onam in Hindi

श्रीमद भगवत गीता में कहा गया है कि जब-जब धरती पर अन्याय और अत्याचार बढ़ेगा, तब-तब वे किसी न किसी अवतार में आकर धरती से अन्याय का नामोनिशान मिटा देंगे। कुछ इसी प्रकार की घटना पौराणिक कथाओं में देखने को मिलती है।

भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले प्रहलाद एक दैत्य वंश के होने के बावजूद भी भगवान के प्रति आस्था तथा भक्ति के कारण पूरे जग में प्रसिद्ध हो गए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए थे।

राजा महाबली बेहद ख्यातिवान और दानवीर राजा थे। कहा जाता है कि उनके राज्य में कोई भी अन्याय तथा दुख से पीड़ित नहीं रहता था। उनके द्वार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता था।

ठीक प्रहलाद की तरह ही राजा बली भगवान विष्णु के भक्त थे। उनकी प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी और वह भी अपनी प्रजा से उतना ही प्रेम करते थे। वे अपने राज्य के सभी व्यक्तियों की खुशियों का ख्याल रखते थे।

अपनी प्रजा का इतना ख्याल रखते रखते उनके मन में अहमभाव ने जगह बना लिया और वह खुद को बड़ा दानवीर समझने लगे। उनके इस अहम के भाव को देखकर देवता भयभीत होने लगे क्योंकि देवताओं को डर था कि राजा बलि अहम के कारण स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त ना कर ले।

सभी देवता भगवान विष्णु के पास जाकर अपने संशय को प्रदर्शित करने लगे और भगवान विष्णु से उनकी रक्षा करने के लिए विनती करने लगे। क्योंकि भगवान विष्णु बेहद ही दयावान है वह अपने भक्तों को बुराई से दूर रखते हैं।

भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया और अवतार लेकर राजा बलि का अहंकार नष्ट करने की बात कही। अपने कहे अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार में धरती पर जन्म लिया।

एक बार राजा बलि अपने राज्य में सब को दान दे रहे थे तभी वामन देवता वहां आ गए और उन्होंने बली को कुछ देने का आग्रह किया। इस बात पर राजा बलि ने कहा आपको जो चाहिए आप मांग सकते हैं।

वामन देवता ने कहा मुझे जो चाहिए आप नहीं दे सकते। इस बात पर राजा बलि ने वामन देवता का उपहास उड़ाते हुए खुद को कुछ भी देने में सक्षम बताया और खुलकर मांगने के लिए कहा।

राजा बलि की बात सुनकर वामन देवता ने सिर्फ तीन पग जमीन मांगी। इस बात से राजा बलि ने उनका और भी उपहास उड़ाया और कहा कि आप बेझिझक दुनिया की कोई भी चीज मांग सकते हैं मैं देने में सक्षम हूं।

वामन देवता ने अपनी बात दोहरा दी और तीन पग जमीन ही मांगी। राजा बलि ने उनसे अपनी मनचाही जमीन नापने की बात कही, तो उन्होंने पहले कदम में पूरी पृथ्वी को नाप लिया। दूसरे कदम में उन्होंने पूरे अंतरिक्ष को नाप लिया।

इतना देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ और तीसरे कदम उठाने से पहले ही उन्होंने वामन देवता के चरण पकड़ लिए और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। उन्हें बिलखते देखकर वामन देवता ने उन्हें माफ कर दिया लेकिन उन्हें राजगद्दी का त्याग कर पाताल जाकर राज करने के लिए कहा।

उनकी भक्ति से खुश होकर वामन देवता ने उन्हें एक वरदान मांगने को भी कहा। वरदान के रूप में राजा बलि ने वर्ष में एक बार अपनी प्रजा को देखने का वरदान मांगा और वामन देवता ने इसे मान लिया।

यही कारण है कि ओणम के दिन राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए आते थे। यह कार्यक्रम एक रिवाज बन गया और आज भी लोग इसी आस में ओणम त्योहार को मनाते हैं कि राजा बलि उनके राज्य में सभी को हंसी खुशी से परिपूर्ण देखें।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

1 thought on “ओणम त्योहार पर निबंध Onam Festival Essay in Hindi”

Very nice information खूप छान माहिती

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ओणम पर निबंध

Essay on Onam in Hindi : हम यहां पर ओणम पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में ओणम के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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ओणम पर निबंध | Essay on Onam in Hindi

ओणम पर निबंध (250 शब्द).

यह केरल के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। लोग अपने धर्म, उम्र या समुदाय के बावजूद ओणम को बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस रंग-बिरंगे त्योहार का जश्न काफी लंबे समय से चल रहा है, और यह इस आधुनिक युग में भी जारी है। ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है।

यह शब्द सत्ताईस नक्षत्रों  में से एक का तात्पर्य है। इस त्योहार के लिए कुछ अन्य शब्द भी हैं जैसे थिरु-ओणम या थिरुवोनम। थिरु भगवान विष्णु से संबंधित कुछ को संदर्भित करता है, और थिरुवोनम भगवान विष्णु के नक्षत्र को संदर्भित करता है। ओणम आमतौर पर अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार इस महीने को चिंगम के नाम से जाना जाता है। यह वार्षिक फसल उत्सव दस दिनों तक चलता है।

ओणम के दस दिन एक कार्निवल के समान होते हैं। इन उत्साही समारोहों को देखने के लिए पर्यटक केरल में आते हैं। समारोहों की कुछ बेहतरीन विशेषताओं का उल्लेख नीचे किया गया है। इस त्यौहार की सभी प्रमुख विशेषताओं में से लोक नृत्य सबसे अलग है। महिलाओं द्वारा प्रस्तुत, ये नृत्य रूप निश्चित रूप से त्योहार का प्रमुख आकर्षण हैं। कुछ पारंपरिक नृत्यों में कथकली, पुलिकली, कैकोटी काली और थुंबी थुल्लल शामिल हैं। यह एक भव्य दावत है जो त्योहार के दसवें दिन तैयार की जाती है। इस भव्य भोजन में विभिन्न प्रकार के शाकाहारी व्यंजन शामिल हैं। इसे ज्यादातर केले के पत्ते पर परोसा जाता है। ओणम साध्य के लिए परिवार कम से कम नौ से ग्यारह व्यंजन तैयार करते हैं। मंदिरों और रेस्तरां में इसके लिए तीस से अधिक व्यंजन हो सकते हैं।

ओणम पर निबंध (800 शब्द)

भारत अनेकता में एकता वाला देश हैं। भारत में कई प्रकार की जातियों के लोग रहते हैं। भारत देश में कई प्रकार के त्यौहार मनाया जाते हैं। इस देश की संस्कृति अपने आप में अलौकिक हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां हर महीने और हर दिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता हैं। ओणम भी इन त्योहारों में से एक हैं और यह प्राचीन समय से मनाया जाता हैं। ओणम के साथ साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्यौहार फूलों का त्यौहार भी मनाया जाता हैं। मलयाली तथा केरल के लोग और उनको बहुत ही ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं।

पुराणों में ओणम

ओणम का त्योहार राजा महाबली की याद तथा सम्मान में मनाया जाता हैं। लोगों का मानना है इस दिन भगवान विष्णु अपने पांचवें अवतार वामन के रूप में चिंगम मास के दिन धरती पर आकर राजा महाबली को पाताल भेजा था। ओणम सदियों से मनाया जा रहा है यह त्यौहार राजा महाबली की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता हैं।

इतिहास में ओणम

कुछ लोगों का माना है कि ओणम का प्रारंभ संगम काल में हुआ था और उनसे संबंधित उल्लेख कुलसेकरा पेरूमल में मिलता हैं। ओणम पूरे महीने चलता हैं। ओणम खासतौर पर केरल में मनाया जाता हैं। ओणम त्योहार फसलों की कटाई से संबंधित हैं परंतु यह शहरों में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।

यह त्योहार को मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम के शुरूआत में मनाया जाता हैं। ओणम चार से दस दिन तक चलता हैं।

ओणम का महत्व

ओणम फसल की कटाई के समय मनाया जाता हैं। ओणम आमतौर पर अगस्त या फिर सितंबर महीने में आता हैं। ओणम पर कई तरह के नृत्य किए जाते हैं। इस दिन केरल के लोक नृत्य कथकली का बहुत ही बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता हैं। इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों में फूलों की वेणिया लगाती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं। बहुत ही ज्यादा हैं अलग अलग तरीके के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस त्यौहार को बहुत ही ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। ओणम अपने साथ सुख, समृद्धि, आपसी सौहार्द की भावना को लेकर आता हैं।

कैसे मनाया जाता हैं ओणम

ओणम को राजा महाबली की याद मे मनाया जाता हैं। केरल पर राज करने वाले राजा महाबली बहुत ही उदार थे। राजा महाबली उदार ,धर्म परायण, सत्यवादी थे। उनके राज्य मैं धन और समृद्धि अपार मात्रा मे थी। उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ती जा रही थी। क्योंकि वह प्रजा के लिए राजा नहीं बल्कि भगवान बन चुके थे। लोग उन्हें भगवान की तरह पुजते थे। देवताओ से यह बात सही नहीं गई। इंद्र ने षड्यंत्र बनाकर विष्णु जी से सहायता मांगी। विष्णु जी ने वामन का रूप धारण करके महाबली से वचन लिया और उनको तीन पग जमीन देने के लिए कहा। महाबली की याद में ओणम मनाया जाता हैं।

उन क्षेत्रों का मालिक होना चाहता था। महाबली उनकी इच्छा मान गए। अचानक वामन विशाल हो गया। केवल दो कदमों के साथ, उसने पृथ्वी और स्वर्ग दोनों का दावा किया। उसके लिए और कोई जमीन नहीं बची थी, महाबली ने अपने वादे की रक्षा के लिए कुछ बलिदान किया। महान राजा ने भूमि के टुकड़े के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया। हालांकि उनकी एक शर्त थी। वह अपने घर लौटने की कामना करता था और हर साल एक बार अपने लोगों द्वारा उसका स्वागत किया जाता था।

ऐसा माना जाता है कि महाबली अंडरवर्ल्ड (पाताल) पर राज करते हैं। हर साल, वह अपनी प्रजा के पास जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। दस दिनों के उत्सव का अर्थ है कि दोनों लोकों के बीच आगे-पीछे यात्रा करने में लगने वाला समय। इसलिए, बहुत सम्मानित राजा का स्वागत करने के लिए ओणम को बहुत सारे उत्सवों के साथ मनाया जाता है।

ओणम का त्योहार मनाने का तरीका

सभी लोग अपने घर को दुल्हन की तरह से सजाते हैं और अपने राजा का इंतजार करते हैं और चारों तरफ दीप जलाए जाते हैं। ओणम का त्योहार 10 दिन तक मनाया जाता हैं।

  • 1.पहले दिन महाबली की पाताल से केरल आने की तैयारी की जाती हैं घरो को बहुत ज्यादा सुंदर तरीके से सजाया जाता हैं।
  • 2.दूसरे दिन चिथिरा होता है इसी फूलों का कालीन जिसे पुकलम कहते हैं इससे ओणम से पहले बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। ओणम के दिन इसे बनाने की प्रतियोगिता होती हैं।
  • 3.तीसरा दिन चोधी होता हैं। इस दिन 4-5 तरह के फुलो से पुकलम की अगली परत बनाई जाती हैं।
  • 4.चौथा दिन विशाकम होता है दिन कई प्रकार के प्रतियोगिता होने चालू हो जाती हैं।
  • 5.पांचवा दिन अनिजहम होता हैं इस दिन नौका दौड कराई जाती हैं।
  • 6.छठा दिन थिकेत होता हैं इस दिन से छुट्टी प्रारंभ हो जाती हैं।
  • 7.सातवाँ दिन मूलम होता इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा होती हैं।
  • 8.आठवां दिन पूरादम होता है इस दिन महाबली और वामन की मूर्ति घर में स्थापित की जाती हैं।
  • 9.नौवां दिन उठोदम होता हैं इस दिन महाबली केरल के प्रवेश करते हैं।
  • 10.दसवां दिन थिरूवोनम होता हैं इस दिन ओणम मनाया जाता हैं।

ओणम के दिन पुरे केरल तथा वहा के सभी घरो को दुलहन की तरह सजाया जाता हैं। हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती हैं। ओणम पर केरल की समृद्धि को व्यापक रूप में देखा जा सकता हैं। ओणम त्योहार के दिन लोक नृत्य ,दौड़, खेल -कूद होती हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। राजा महाबली बहुत ही ज्यादा दानी व्यक्ति थे। वह लोगों के आदर्श थे। ओणम के दिन अमीर लोग गरीब लोगों को दिल से दान करते हैं। ओणम का त्योहार केरल में बहुत ही ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।

दोस्तों आज हमने इसलिए अपने आप को  ओणम पर निबंध( Essay on Onam in Hindi ) के बारे में बताया है। आशा करते हैं, आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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ओणम पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - ओणम फेस्टिवल क्या है - ओणम का इतिहास - ओणम 2021 में कब मनाया जायेगा - ओणम क्यों मनाया जाता है - ओणम कहाँ मनाया जाता है - ओणम कैसे मनाते है - ओणम का महत्व - ओणम त्योहार के प्रमुख आकर्षण या कार्यक्रम क्या हैं - उपसंहार।

ओणम केरल का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। लोग इसे बहुत ही धूमधाम और शौक के साथ मनाते है। इसे केरल का राष्ट्रीय त्योहार भी माना जाता है। ओणम प्रत्येक वर्ष अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष का पहला महीना है जिसे चिंगम कहा जाता है तथा हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को में आता है, जोकि ग्रागेरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितम्बर माह में पड़ता है।

ओणम का उत्सव दस दिनों तक चलता है जिसमें सभी वर्ग लोग उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यह पर्व राजा महाबली के याद में मनाया जाता है और इस दिन को लेकर ऐसी कथा प्रचलित है कि ओणम के दिन राजा बलि की आत्मा केरल आती है। इस पर्व पर पूरे केरल राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता है और कई प्रकार के सांस्कृतिक तथा मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

ओणम केरल में मलयालियों द्वारा या दुनिया के किसी अन्य भाग में मनाया जाने वाला एक त्योहार है, जो महान राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक है। यह केरल के लिए फसल के मौसम को चिह्नित करने के लिए भी कहा जाता है। यह त्योहार दस दिनों तक चलता है और इसे एक शानदार भव्यता के साथ मनाया जाता है।

ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है, जो संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक को संदर्भित करता है। ओणम का अर्थ श्रावण (सावन) होता हैं। सावन माह में इस त्यौहार को केरल राज्य में फसलों के तैयार होने की खुशी के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार पर सावन के देवता के साथ फूलों की देवी की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेण्डर के अनुसार यह त्यौहार अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है।

हर राज्य में अपने-अपने पारंपरिक त्योहार मनाये जाते है, उसी प्रकार से केरल में ओणम का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को केरल के राजा महाबलि के स्मृति में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर जो कथा सबसे अधिक प्रचलित है, वह इस प्रकार है कि-

प्राचीन काल में राजा महाबलि वर्तमान के केरल राज्य के एक बहुत ही प्रतापी राजा थे और वह अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे। वह दानी होने के साथ ही बहुत ही पराक्रमी भी थे। अपने बाहुबल से उन्होंने तीनो लोको पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब उनके गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें सलाह दी कि वे सौ अश्वमेध यज्ञ करके इंद्र का पद प्राप्त कर लें और सदा के लिए त्रिलोक के स्वामी बन जाये। उनके आज्ञा अनुसार राजा बलि ने सौ अश्वमेध यज्ञ करना आरंभ किया उनके 99 यज्ञ तो सकुशल संपन्न हो गये।

लेकिन 100वें यज्ञ के संपन्न होने से पहले वहां भगवान विष्णु वामन रुप धारण करके प्रकट हो गये और राजा बलि से तीन पग धरती मांगी, परन्तु राजा बलि इस बात से अनिभिज्ञ थे कि वामन अवतार में उनके सामने स्वयं भगवान विष्णु खड़े है। जब राजा बलि ने उनकी मांग स्वीकार कर ली तो वामन रुपी भगवान विष्णु ने विराट रुप धारण करके दो पग में सारे लोक नाप लिये और जब तीसरे पग के लिए स्थान पूछा तो राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु तीसरे पग को आप में मस्तक पर रख दे।

भगवान वामन ने जब तीसरा पग रखा तो राजा बलि पाताल लोक चले गये। राजा बलि के इस दान और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे वर मांगने को कहा। तब राजा बलि ने कहा कि ‘हे प्रभु मैं वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का समय चाहता हुं।’ तब से ऐसा माना जाता है कि वह ओणम का ही पर्व है, जिसपर राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। यहीं कारण है कि केरल में ओणम के इस पर्व को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

ओणम का महान त्योहार आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। ओणम मुख्यतः दो कारणों से वर्ष के इस समय में मनाया जाता है। एक यह है कि यह एक बार केरल के एक महान राजा- राजा महाबली की यात्रा का समय है। एक आम धारणा के अनुसार, राजा अपने राज्य पाताल से पृथ्वी पर जाता है और अपने प्रजा को आशीर्वाद देता है जो अपने पूज्य राजा का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जब वह पृथ्वी पर पहुँचता है और अपनी दुनिया में वापस जाता है, तो पाताल के राजा महाबली के आंदोलन के साथ दस दिनों का उत्सव जुड़ा होता है। यह भी केरल में फसल का मौसम है। इस प्रकार, यह त्यौहार केरल के फसल त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है, जहाँ लोग नई फसलों के आगमन को इकट्ठा करते हैं और मनाते हैं। वर्ष 2021 में ओणम का पर्व 12 अगस्त, गुरुवार से लेकर 23 अगस्त, सोमवार तक मनाया जायेगा।

ओणम मलयाली लोगो के प्रमुख पर्वों में से एक है और इस पर्व को देश-विदेश में रहने वाले लगभग सभी मलयाली लोगो द्वारा बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। वैसे तो ओणम का सबसे भव्य आयोजन केरल में होता है, लेकिन इस पर्व को कई अन्य राज्यों में भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यदि सामान्य रुप से देखा जाये तो ओणम का पर्व खेतों में नई फसल की उपज के उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इसके साथ यह भी मान्यता है कि जिस राजा महाबली से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग में तीनों लोको को माप लिया था। वह असुरराज राजा महाबलि केरल के ही राजा था और ओणम का यह पर्व उन्हीं को समर्पित है।

ओणम भारत और दुनिया भर में मलयाली लोगों द्वारा मनाया जाता है लेकिन यह मुख्य रूप से भारत में केरल में मनाया जाता है जहां यह पर्व एक राष्ट्रीय त्योहार के बराबर है। ओणम केरल का राष्ट्रीय त्योहार भी माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इन त्योंहार में तीन दिनों के लिए राजा महाबलि पाताल लोक से पृथ्वी पर आते है और अपनी प्रजा के नई फसल के साथ उमंग तथा खुशियां लाते है। यहीं कारण है इस त्योहार पर लोग अपने घरों के आंगन में राजा बलि की मिट्टी की मूर्ति भी बनाते है। मलायाली लोगो द्वारा ओणम के पर्व को काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। केरल में लोग इस पर्व की तैयारी दस दिन पूर्व से शुरु कर देते हैं। इस दौरान लोगो द्वारा अपने घरों को साफ-सुधरा किया जाता है। ओणम का पर्व मनाने वाले लोग इस दिन अपने घरों के आँगन मे फूलों की पंखड़ुयों से सुंदर रंगोलिया बनाते हैं, स्थानीय भाषा में इन रंगोलियों को ‘पूकलम’ कहा जाता है।

इसके साथ ही इस दौरान लोग अपने घरों में राजा महाबलि की मूर्ति भी स्थापित करते है क्योंकि लोगो का मानना है कि ओणम के त्योहार दौरान राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से पृथ्वी पर वापस आते है। राजा बलि की यह मूर्ति पूलकम के बीच में भगवान विष्णु के वामन अवतार की मूर्ति के साथ स्थापित की जाती है। आठ दिनों तक फूलों की सजावट का कार्य चलता है और नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं विष्णु पूजा करते हुए इसके चारो तरफ नाचते-गाते हुए तालियां बजाती है। रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है। इसके पश्चात बच्चे वामन अवतार को समर्पित गीत गाते है। मूर्तियों के सामने दीप जलाये जाते है, पूजा-पाठ के पश्चात दसवें दिन मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है।

पूजा पाठ के साथ ही ओणम का पर्व अपने व्यंजनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस पर्व के दौरान घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है। यही कारण है कि इस बच्चे इस पर्व को लेकर सबसे अधिक उत्साहित रहते है। सामान्यतः इस दिन पचड़ी-पचड़ी काल्लम, दाव, घी, ओल्लम, सांभर आदि जैसे व्यंजन बनाये जाते हैं, जिन्हें केलों के पत्तों पर परोसा जाता है। ओणम पर बनने वाले पाक व्यंजन निम्बूदरी ब्राम्हणों के खाने के विविधता को दर्शाते हैं, जोकि उनके संस्कृति को प्रदर्शित करने का कार्य करता है। कई सारे जगहों पर इस दिन दुग्ध से बने अठारह तरह के पकवान परोसे जाते है। इस दिन उत्सव मनाने के साथ ही लोगों के मनोरंजन के लिए कथककली नृत्य, कुम्मत्तीकली (मुखौटा नृत्य), पुलीकली नृत्य (शेर की पोशाक में किया जाने वाला नृत्य) आदि जैसे नृत्यों का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नौका दौड़ तथा विभिन्न प्रकार के खेलों का भी आयोजन किया जाता है।

ओणम का त्यौहार राजा महाबली को समर्पित है, जो जन्म के समय एक असुर (उनके दिमाग में और अधिक नकारात्मक विचारों वाला) था, लेकिन एक सूर्य (उनके दिमाग में अधिक सकारात्मक विचारों वाला) था। वह अब तक का सबसे न्यायप्रिय राजा था। कोई भी जरूरतमंद कभी भी उसके दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटा। राजा महाबली के मिथक का कहना है कि राजा ने अपने वचनों पर खरा उतरने के लिए खुद के साथ-साथ हर चीज का त्याग किया।

इस प्रकार उनके बलिदान के लिए एक इनाम के रूप में उन्हें केरल के लोगों और उनके सभी अनुयायियों द्वारा ओणम त्योहार के रूप में अनंत काल के लिए याद किया गया। यदि आप भारतीय त्योहार का आनंद लेने के लिए केरल की यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा विकल्प ओणम का समय होगा। त्योहार से जुड़े रोचक अनुष्ठान ओणम के उत्सव को एक आकर्षक बनाने में योगदान करते हैं। ओणम वह पर्व होता है जब केरल में नई फसल तैयार होती है और क्योंकि प्राचीनकाल से ही भारत एक कृषि-प्रधान देश रहा है, यही कारण है कि इस दिन को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

दस दिन का ओणम त्योहार कई आयोजनों का एक अवसर है। सबसे लोकप्रिय और दिलचस्प घटनाओं में से कुछ पोक्कलम, ओनासद्या, ओनाकालिकल, वल्लमकली बोट रेस और हाथी जुलूस हैं।

ओणम-सद्या के रूप में विख्यात भोजन की पाक कला ओणम त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। केले के पत्तों पर परोसे जाने वाले इन भोजनों में पारंपरिक अचार और पापड़म और मिठाई के साथ-साथ 4 प्रकार के व्यंजन के साथ चावल शामिल होते हैं जिन्हें ‘पेसम’ कहा जाता है। ओणम पूरे केरल में बहुत ही उल्लास और मस्ती के साथ मनाया जाता है। कुछ जगहें हैं जहां त्यौहार मनाने के लिए जनसमूह इकट्ठा होता है, त्रिपुनिथुरा में, कोच्चि में एर्नाकुलम के पास, जहाँ पर आचममय उत्सव मनाया जाता है। लोग बाघ और शेर के रूप में तैयार होते हैं और त्रिशूर में स्वराज राउंड में नृत्य करते हैं। अरनमुला में नौका दौड़ त्योहार का एक अन्य प्रमुख आकर्षण है। ओणम को थिरु-ओणम या थिरुवोनम (पवित्र ओणम दिवस) कहा जाता है। त्योहार का दूसरा नाम ‘श्रवणमहोत्सव’ है।

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ओणम पर निबंध Essay on Onam in Hindi (1000+Word)

ओणम पर निबंध Essay on Onam in Hindi (1000+Word)

इस लेख में हमने ओणम पर निबंध (Essay on Onam in Hindi) लिखा है। दिए गए निबंध में ओणम पर्व क्या है तथा यह कब और कैसे मनाया जाता है। साथ ही ओणम त्योहार के महत्व तथा दिए गए ओणम पर दस पंक्तियाँ इस निबंध को आकर्षक बनाते हैं। 

Table of Contents

प्रस्तावना (ओणम पर निबंध  Essay on Onam in Hindi)

भारतवर्ष में अनेकों पंथ तथा संप्रदाय के लोग रहते हैं। इसलिए इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश भी कहा जाता है। किसी भी देश की बौद्धिक उन्नति वहां के पर्वों के माध्यम से लगाया जा सकता है।

हर धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। त्योहार यह मानव संस्कृति के दर्पण होते है। सनातन संस्कृति के त्योहार सिर्फ धर्म विशेष के लोगों के लिए नहीं वरन समूचे मानव समाज को दिशा दिखाने के लिए आते हैं।

ओणम त्योहार भी सनातन संस्कृति के उन्हीं चिन्हों में से एक हैं जो लोगों को सामाजिक उत्साह के साथ  बौद्धिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान देने आता है।

ओणम त्योहार विश्व पालनहार भगवान विष्णु की महानता का ज्ञान तथा उनके सद्गुणों का गान कराने वाला एक अनोखा पर्व है। 

ओणम क्या है? What is Onam in Hindi?

ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है जो अगस्त-सितंबर के महीने में ही आता है। 

ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है, “श्रवणं” संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक की ओर इंगित करता है। दक्षिण भारत में थिरु शब्द का उपयोग भगवान विष्णु से जुड़ी हर चीज के लिए किया जाता है।

थिरुवोनम को भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है प्रभु विष्णु ने महान राजा महाबली को अपने पैर से पाताल में दबाया था। 

इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है तथा जन समूह इस त्योहार प्रेरित तथा प्रफुल्लित होता है।

ओणम कब है? Onam Celebration Date

दूसरे सोलर कैलेंडर में इसे सिम्हा महीना भी कहते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी महीना भी कहते हैं। 

इस वर्ष ओणम 12-23 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन हर प्रकार के सद्कार्य के लिए शुभ समय माना जाता है।

ओणम क्यों मनाई जाती है? Why is Onam Celebrated in Hindi?

भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले श्री प्रहलाद जी असुर कुल में जन्म लेने के बावजूद भी अपने कर्म से हरि भक्त ही कहलाए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए।

राजा बलि की ख्याति स्वर्ग तक फैली हुई थी। वे उस वक्त दानवीर कह जाते थे क्योंकि उनके द्वार पर कोई भी इंसान दुख ही वापस नहीं जाता था।

अपनी प्रजा के लिए राजा बलि एक भगवान समान थे। प्रजा उनसे बेहद खुश थी तथा उनकी पूजा करती थी तथा वे भी अपनी प्रजा से बेहद प्रेम करते थे। उनके राज्य में अन्याय का नामोनिशान नहीं था।

लेकिन उनके अंदर अहम भाव की कुछ मात्रा पनप चुकी थी।  देवताओं ने सोचा की कहीं राजा बलि का अहम भाव स्वर्ग को छीनने की इच्छा ना प्रकट करने लगे। इसलिए वे सभी भगवान विष्णु के पास अपनी गुहार को ले गए।

भगवान अपने भक्तों को किसी भी बुराई से दूर रखते हैं। इसलिए भगवान विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अहंकार को नष्ट करने निकल पड़े।

भगवान विष्णु ने वामन अवतार धरकर राजा बलि के दरबार में पहुंचे और कुछ दान करने के लिए कहा। लेकिन अभिमान वश राजा बलि ने कहा कि आप इस संसार की कोई भी चीज मांग सकते है।

पहले तो भगवान विष्णु ने उन्हें रोका लेकिन उनके अभिमान को देखकर उन्होंने कहा कि मैं जो मांग लूंगा शायद आप वो ना दे सके। ऐसे में राजा बलि का अभिमान सातवें आसमान को छू गया और उन्होंने वामन देवता को खुलकर कुछ भी मांगने का आदेश दिया।

वामन देवता के रूप में भगवान विष्णु ने उनसे सिर्फ तीन पग की जमीन मांगी। पहले तो राजा बलि ने उनका उपहास उड़ाया और कुछ बड़ा मांगने को कहा। लेकिन वामन देवता के आग्रह पर वे मान गए और तीन कदम नापने का आदेश दिया।

वामन देवता ने अपने पहले कदम के रूप में पूरी धरती नाप दी। यह देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ। दूसरी कदम के रूप में वामन देवता ने अंतरिक्ष को नाप दिया। जैसे ही वे तीसरे कदम को उठाने चले तभी राजा बलि ने उनके चरणों को पकड़कर विलाप करना शुरू कर दिया।

उन्होंने अपने अभिमान के लिए उनसे माफी मांगी। अपने कथन अनुसार उन्होंने अपनी राजगद्दी त्याग दी और पाताल लोक में जाकर राज करने लगे।

उनके वचन पालन से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने वर्ष में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने की अनुमति मांगी। उनके इस वरदान को भगवान ने मान लिया।

ऐसा माना जाता है कि हर वर्ष ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं। केरल की प्रजा अपने राजा की याद में हर वर्ष इस त्योहार को मनाती है।

ओणम का महत्व Importance of Onam Festival in Hindi

ओणम त्योहार का सनातन संस्कृति में बहुत ही अधिक महत्व है। क्योंकि यह ऐसे उपलक्ष को इंगित करता है जिसमें जगत के पालनहार भगवान विष्णु इंसान रूप में धरती पर अवतरित हुए थे।

भगवान विष्णु जी धरती पर भगवान राम तथा भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लिए थे। वामन अवतार भी प्रभु हरि के दस अवतारों में से एक हैं इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

ओणम त्योहार का महत्व तीन अलग पहलुओं के माध्यम से हमारे सामने आता है। सामाजिक रूप से ओणम त्योहार का महत्व किसी भी त्योहार से अधिक है। इस त्योहार के दिन पूजा पद्धति तथा जनसमूह की मानसिकता में एकरूपता देखने को मिलती है।

इस दिन लोग दक्षिण भारत में रहने वाले हिंदू बिना किसी भेदभाव के संगठित होते हैं और भगवान विष्णु को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जहां एक तरफ हिंदू एकता में वृद्धि होती है वहीं दूसरी तरफ वैचारिक समरसता भी बढ़ती है।

ओणम पर्व के सांस्कृतिक महत्व के रूप में हमारे युवा तथा आने वाली पीढ़ियों को सनातन संस्कृति की विशालता तथा प्राचीनता का अनुभव विरासत में देना है। इन त्योहारों के माध्यम से ही हमें हिंदू धर्म के ज्ञान तथा विशालता का स्त्रोत प्राप्त हो सकता है।

ओणम कैसे मनाया जाता है? How is Onam Celebrated in Hindi

ओणम पर्व यह दस दिनों तक चलने वाला पर्व है लेकिन इसके आने के कई दिन पहले ही घरों व दुकानों में साफ-सफाई तथा खरीदी शुरू हो जाती है। ओणम त्योहार के दिन सभी के घरों में काफी चहल-पहल तथा उल्लास का माहौल रहता है।

पहले दिन के रूप में राजा बलि के पाताल जाने की तैयारी होती है। दुसरे तथा तीसरे दिन दिन फूलों का कालीन बनाया जाता है जिसे चिथिरा कहते हैं। चौथे दिन विशेष प्रतियोगिताएँ होती हैं जिसे विशाकम तथा पाचवे दिन नाव दौड़ की प्रतियोगिता को अनिजहम कहते हैं।

छठे दिन को थ्रिकेता कहते हैं इस दिन छुट्टियों का ऐलान होता है। सातवें दिन विशेष पूजा होती है जिसे मलुम कहते हैं। आठवें दिन भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्ति स्थापित की जाती है जिसे पुरादम कहते हैं। नौवें दिन राजा बलि केरल में प्रवेश करते हैं जिसे उठ्रादम कहते हैं। दसवे दिन होने वाली रस्मों थिरुवोनम कहते हैं।  

ओणम के दिन महिलाऐं सफ़ेद साड़ी पहनती हैं तथा बालों में सफ़ेद फूलों के गजरे लगाती है। छोटी बच्चियाँ सफ़ेद फ़्रोक या अन्य सफ़ेद वस्त्र धारण करती हैं।

पुरुष पारंपरिक धोती कुर्ते को पहनते हैं तथा माथे पर सफ़ेद चन्दन लगाते हैं। इस दिन भगवान् विष्णु की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है तथा मंदिरों में भगवान् का विशेष श्रृंगार किया जाता है।

इस दिन नृत्य तथा संगीत का भी रिवाज है नृत्य में केरल के प्रसिद्ध नृत्य “कथकली” को किया जाता है। घर के चौखट पर विशेष रंगोली बनाई जाती है।

कई जगहों पर इस दिन मेला लगाया जाता है तथा हाथियों को सजाकर विशेष जुलूस भी निकाला जाता है। पुरे भारत में जहाँ कही भी केरल के निवासी होते हैं वे सभी इस त्योहार को जरूर मनाते हैं।

ओणम त्योहार के पकवान Festival Recipe in Hindi

ओणम पर 26 पकवानों वाले सद्या को एक पत्ते पर परोसा जाता है. पुराने लोग ‘सद्या’ के हर पकवान को पत्ते पर खास तरीके व क्रम में परोसते हैं. इन व्यंजनों में कई तरह के अचार, कई तरह की सब्जियां, केले के चिप्स, कच्चे केले की मिठाई व अन्य तरह के पकवान शामिल होते हैं

ओणम पर 10 लाइन 10 Lines on Onam in Hindi

  • ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है।
  • इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है।
  • ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं।
  • ओणम पर्व यह दस दिनों तक चलने वाला पर्व है।
  • ओणम के दिन महिलाऐं सफ़ेद साड़ी पहनती हैं तथा बालों में सफ़ेद फूलों के गजरे लगाती है।
  • इस दिन भगवान् विष्णु की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है।
  • इन त्योहारों के माध्यम से ही हमें हिंदू धर्म के ज्ञान तथा विशालता का स्त्रोत प्राप्त हो सकता है।
  • इस दिन रल के प्रसिद्ध नृत्य “कथकली” को किया जाता है।
  • इस दिन मेला लगाया जाता है तथा हाथियों को सजाकर विशेष जुलूस भी निकाला जाता है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने ओणम पर निबंध (Essay on Onam in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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Essay on onam festival in hindi ओणम पर निबंध.

Read an essay on Onam Festival in Hindi language. More information on Onam Festival in Hindi. ओणम पर निबंध। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए ओणम पर निबंध हिंदी में। Essay on Onam Festival in Hindi for students. Learn more about an essay on Onam Festival in Hindi to score well in your exams.

hindiinhindi Onam Festival in Hindi

Onam Festival in Hindi

रूपरेखा : केरल राज्य का प्रमुख पर्व, ओणम से संबंधित पौराणिक कथा, पौराणिक कथा का केरलीय स्वरूप, ओणम के प्रमुख आकर्षण, ओणम का वर्तमान रूप।

भारत पर्वो का देश है। यहाँ विभिन्न ऋतुओं में अनेक धार्मिक और सामाजिक पर्व मनाए जाते हैं। देश के विभिन्न राज्यों के कुछ अपने विशेष पर्व हैं। ओणम एक ऐसा ही पर्व है जो केरल राज्य में उल्लास तथा उत्साह के साथ श्रावण मास में मनाया जाता है। केरल के नव वर्ष का आरंभ भी इसी पर्व से होता है।

प्रायः प्रत्येक धार्मिक पर्व के मूल में कोई-न-कोई पौराणिक कथा रहती है। ओणम से राजा बलि की कथा जुड़ी हुई है। ‘श्रीमद्भागवद्’ के अनुसार प्राचीनकाल में बलि एक पराक्रमी और दानशील सम्राट थे। उनकी दानशीलता की चर्चा चारों ओर फैल गई थी, जिससे देवता घबरा गए। देवताओं ने विष्णु भगवान से सहायता माँगी। विष्णु भगवान ने देवताओं की सहायता के लिए वामन (बौना) ब्राह्मण का रूप धारण किया और बलि से तीन पग भूमि दान में माँगी। बलि ने सहर्ष स्वीकृति दे दी।

अगले ही क्षण वामन ने विराट रूप धारण कर लिया। उन्होंने पहले पग में पूरी धरती और दूसरे पग में पूरा आकाश नाप लिया। तीसरे पग को रखने के लिए वामन ने और स्थान माँगा, तब राजा बलि ने अपनी पीठ को ही वामन के लिए प्रस्तुत कर दिया। भगवान विष्णु बलि की दानशीलता से बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने बलि से वर माँगने के लिए कहा। बलि ने भगवान विष्णु से हमेशा दर्शन देते रहने का वर माँगा। भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दे दिया। यह कथा संपूर्ण भारत में विख्यात है।

केरल प्रदेश में यह पौराणिक कथा कुछ विशेष रूप में मिलती है। इसके अनुसार, पाताल पहुँचने पर राजा बलि ने विष्णु से प्रार्थना की कि उन्हें वर्ष में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने का अवसर दें। विष्णु ने इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। केरलवासियों का विश्वास है कि ओणम के दिन ही राजा बलि अपनी प्रजा की खुशहाली देखने के लिए पूरे केरल प्रदेश में घूमते हैं। केरल निवासी अपने राजा बलि का हर्ष और उल्लास से स्वागत करने के लिए ही ओणम पर्व का आयोजन करते हैं।

केरल प्रदेश में ओणम का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। खेतों की हरियाली इस पर्व के उल्लास और उत्साह को अभिव्यक्त करती है। श्रावण मास में पूरे दस दिन तक ओणम का उत्सव चलता है। भादों मास के श्रवण नक्षत्र के दिन छोटा ओणम भी मनाया जाता है। ओणम के उत्सव का आरंभ घर के आँगन में रंगोली सजाने से किया जाता है। लड़कियाँ कलात्मक ढंग से रंगोली सजाती हैं। रंगोली के आकार, फूलों की संख्या और फूलों के रंगों में प्रतिदिन वृद्धि होती जाती है। बड़ी रंगोली को केरल प्रदेश की भाषा मलयालम में ‘पक्कम’ कहते हैं।

ओणम के अवसर पर लोग नए वस्त्र पहनते हैं और एक दूसरे को भेंट देते हैं। गाँवों में ओणम के दिन पीत वस्त्रधारी बाल-गोपालों की छटा निराली होती है।

ओणम स्नेह तथा सम्मान का पर्व है। इस पर्व में भेट देने के समान ही प्रीति-भोज का आयोजन भी महत्त्वपूर्ण है। केरलवासी ओणम के दिन षटरस व्यंजनों का भोज तैयार करते हैं।

इनमें पायसम (खीर), केले की नमकीन वस्तुएँ, अचार, पापड़, गाढ़ी कढ़ी, उसना चावल आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ऐसी धारणा है कि राजा बलि इस भोज को देखकर प्रसन्न होते हैं। और प्रजा की दशा से संतुष्ट होकर पाताल लोक लौट जाते हैं।

ओणम हँसी-खुशी का पर्व है, खुशहाली का पर्व है। ओणम के दिन नौका-प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। नदियों-सरोवरों पर नौका-दौड़ का आयोजन बहुत आकर्षक लगता है। नाविक नौका-गीत गाते हुए नियत ताल पर डाँड़ चलाते हैं। उनका उत्साह और नौका-संचालनकौशल देखने योग्य होता है। इस अवसर पर खेल-तमाशों, झूलों पर पेंग भरती नारियों तथा लोकनृत्यों की छवि देखते ही बनती है। ऐसा लगता है जैसे केरलवासियों की सांस्कृतिक परंपरा जीवंत हो उठी हो।

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Essay On Onam In Hindi | ओणम महोत्सव पर निबंध

Chand Patel

Essay On Onam In Hindi : भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें से एक ओणम भी है। ओणम, दक्षिण भारतीय राज्य के केरल में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है जो गर्मी के महीनों में मनाया जाता है।

ओणम क्या है?

ओणम का महत्व, परंपराएँ और रितुअएँ, ओणम के त्योहार कैसे मनाएं, ओणम के विभिन्न पहलुओं का वर्णन, ओणम के खास पकवान, ओणम के मेले और खेल, परिसर सजाने के तरीके, सामाजिक संजागरण का माध्यम, ओणम का महत्व हिन्दू परंपराओं में, ओणम का समाज में योगदान, ओणम कब मनाया जाता है, क्या ओणम सिर्फ हिन्दू धर्म में ही मनाया जाता है, क्या ओणम का कोई विशेष महत्व है, क्या ओणम में खास पकवान बनाए जाते हैं, क्या ओणम भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है.

ओणम के त्योहार में लोग आपसी एकता, साझा सदभाव, और खुशियों का आयोजन करते हैं। इसे बिल्वमंगल के स्मृति में उल्लिखित किया गया है और यह हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है। Essay On Onam In Hindi .

ओणम का महत्वपूर्ण आदर्श और संकेतिक अर्थ है। यह बेल-पत्र की पत्तियों से बनी फूलमाला, फुलजड़ी, अलंकरण, और आकर्षक रंगों की रौशनी के साथ मनाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं।

ओणम के त्योहार में विभिन्न परंपराएँ और रितुअएँ मान्यता प्राप्त हैं। लोग अपने घरों की सजावट में पुक्कलंकू, अरंपन, खिलबन, और मुगमंगल के फूल बिछाते हैं और अपने घरों को खूबसूरत बनाते हैं।

ओणम के त्योहार को मनाने के लिए विभिन्न आयोजन और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। लोग एक-दूसरे के साथ खेलते हैं, परियों के परिक्रमा करते हैं, और खास पकवान तैयार करते हैं।

  • 5 Sentences About Onam In Hindi | ओणम त्यौहार पर 5 वाक्य
  • 10 Sentences About Onam In Hindi | ओणम त्यौहार पर 10 वाक्य
  • रंगों का त्योहार : इस त्योहार में विभिन्न रंगों का खास महत्व होता है।
  • पुलिकाळं : इसमें लोग एक साथ खेलते हैं और खुशी मनाते हैं।
  • पूक्कलंकू : यह पत्तियों से बनी माला होती है जो घर की सजावट में प्रयुक्त होती है।

ओणम के त्योहार में विशेष पकवान बनाए जाते हैं जैसे कि साद्या, अवियल, पुलिकोडी, पायसम्, आदि। ये खास पकवान त्योहार की खासियत बनाते हैं और सभी का मनोबल बढ़ाते हैं।

ओणम के त्योहार में मेले और खेल भी आयोजित होते हैं। लोग इन मेलों में आकर खुशियों का आनंद लेते हैं और खेलों में हिस्सा लेते हैं।

ओणम के त्योहार में घरों को सजाने का विशेष महत्व होता है। लोग फूल, पत्तियाँ, और रंगों की रौशनी से अपने घरों को खूबसूरत बनाते हैं।

ओणम एक सामाजिक संजागरण का माध्यम भी होता है। इसमें लोग आपसी सदभाव और एकता की भावना से जुड़ते हैं और खुशियों का आयोजन करते हैं।

ओणम हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। यह भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से में शामिल है और लोग इसे उत्सवपूर्ण भावना के साथ मनाते हैं।

ओणम न केवल एक पर्व है, बल्कि यह समाज में योगदान भी करता है। यह लोगों को आपसी सदभाव, एकता, और सामाजिक संजागरण की भावना से जोड़ता है।

Essay On Onam In Hindi : ओणम एक खास पर्व है जो खुशियों और एकता की भावना को साझा करता है। इसके माध्यम से लोग आपसी सदभाव और सामाजिक संजागरण की महत्वपूर्णता को समझते हैं और इसे अपने जीवन में अपनाते हैं।

FAQs: Essay On Onam In Hindi

ओणम गर्मी के महीनों में मनाया जाता है, विशेषकर केरल में।

जी नहीं, ओणम को भारतीय समुदाय के अलग-अलग धर्मों में भी मनाया जाता है।

हां, ओणम एकता, सदभाव, और सामाजिक संजागरण की महत्वपूर्ण भावना को समझाता है।

जी हां, ओणम के त्योहार में साद्या, अवियल, पुलिकोडी, पायसम्, आदि खास पकवान बनाए जाते हैं।

हां, कुछ दूसरे देशों में भी ओणम के पर्व को मनाया जाता है, जैसे कि सिंगापुर और मलेशिया।

By Chand Patel

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essay of onam festival in hindi

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ओणम उत्सव के बारे में संपूर्ण जानकारी

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ओणम दक्षिण भारत मुख्यतया केरल राज्य का एक मुख्य त्यौहार है (Onam In Hindi)। मान्यता है कि राजा बलि जिन्हें महाबली के नाम से भी जाना जाता है वे अपनी प्रजा का हालचाल जानने पाताल लोक से धरती पर आते हैं (Onam Kya Hai)। उनके आने की खुशी में ही ओणम का त्यौहार केरल में दस दिनों तक आयोजित किया जाता है जिसमें दसवां दिन मुख्य होता है (Onam Ka Tyohar)। आज हम आपको ओणम त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे जो आप जानना चाहते हैं।

ओणम त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी (Onam Festival Essay In Hindi)

ओणम पर्व से जुड़ी कथा या इतिहास (story of onam in hindi).

हम सभी ने भगवान विष्णु के द्वारा वामन अवतार लेने तथा राजा बलि के अहंकार को दूर करने की कथा के बारे में सुना होगा। किंतु यदि हम आपको बताएं कि राजा बलि जिन्हें महाबली के नाम से भी जाना जाता है वे भगवान विष्णु के ही परम भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे तथा महादानी भी। भगवान विष्णु ने असुर शक्ति को हावी ना होने देने तथा राजा बलि के अहंकार को दूर करने के उद्देश्य से वामन अवतार लिया था (10 Sentence About Onam In Hindi)।

जब भगवान विष्णु ने बलि के अहंकार को दूर कर दिया तथा उससे उसका सारा शासन पुनः वापस ले लिया तब उन्होंने उसे पाताल लोक जाकर राज करने को कहा (Onam Kyu Manaya Jata Hai)। इसी के साथ वे बलि की दानवीरता से भी प्रसन्न थे इसलिये उन्होंने उसे कुछ मांगने को कहा। तब भगवान विष्णु ने राजा बलि की इच्छा के अनुसार उसे धरती पर एक दिन आकर अपनी प्रजा से मिलने तथा उनका सुख-दुःख जानने की अनुमति दी थी।

इसी के बाद से केरल में उनके आने की खुशी में ओणम का पर्व आयोजित किया जाता है। इस दिन वहां के लोगों की मान्यता है कि राजा बलि पाताल लोक से उनसे मिलने आते हैं तथा उनका हालचाल जानते हैं।

ओणम पर्व का उद्देश्य (About Onam In Hindi)

यह मुख्यतया किसानों व उनकी खेती से जुड़ा त्यौहार होता है जो फसलों की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है (Onam Kis State Mein Manaya Jata Hai)। इसलिये वहां के किसान इत्यादि अपनी खेती की रक्षा तथा फसलों की अच्छी उपज के लिए राजा बलि से प्रार्थना करते हैं तथा भगवान विष्णु के वामन अवतार की विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। यह सभी किसानों में एक नया जोश भरने तथा उनका आभार प्रकट करने के लिए आयोजित किया जाता है।

ओणम पर्व कब मनाया जाता है (Onam Kab Manaya Jata Hai)

इसे मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह की शुरुआत से मनाया जाता है। यह माह मलयालम कैलेंडर का प्रथम माह होता है जो अगस्त से सितंबर माह के बीच पड़ता है (Onam Kahan Manaya Jata Hai)। यह गणेश चतुर्थी की भांति 10 दिनों तक मनाया जाता है जिसमें हर दिन अलग-अलग आयोजन होते हैं। आखिरी दिन मुख्य होता है तथा उसी दिन विशेष आयोजन किया जाता है। इस दिन केरल में सार्वजानिक अवकाश भी होता है।

ओणम त्यौहार कैसे मनाते हैं (Onam Celebration In Hindi)

जैसा कि हमने आपको बताया कि यह पर्व दस दिनों में विभाजित करके मनाया जाता है जिसमें हर दिन का एक अलग महत्व है (300 Words Essay On Onam In Hindi)। इसमें घरों की सफाई करना, उन्हें सजाना, रंगोली बनाना, पुष्पों को लगाना, विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाना, भगवान की पूजा व अन्य आयोजन सम्मिलित है। आइये हर दिन के अनुसार जानते हैं।

ओणम का प्रथम दिन: अथं (Onam First Day Atham)

यह ओणम का प्रथम दिन होता है जिसे अथं के नाम से जाना जाता है। इस दिन राजा बलि के स्वागत में घरों के बाहर रंगोली को बनाने का कार्यक्रम शुरू होता है। इसे पीले रंग से बनाना शुरू किया जाता है जो कि वृत्ताकार होती है। दिन-प्रतिदिन इसके आकार को बढ़ाया जाता है।

ओणम का दूसरा दिन: चिथिरा (Onam First Day Chithira)

ओणम के दूसरे दिन को चिथिरा के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं जिस प्रकार लोग दीपावली के समय करते हैं। साथ ही रंगोली का आकार दिन के अनुसार बढ़ा दिया जाता है।

ओणम का तीसरा दिन: चोधी (Onam First Day Chodi)

ओणम के तीसरे दिन को चोधी के नाम से जाना जाता है। प्रतिदिन के अनुसार रंगोली में एक लेयर और बढ़ा दी जाती है। इसके साथ ही इस दिन सभी परिवार वाले अपने और घर के लिए खरीदारी करना शुरू कर देते हैं जिस प्रकार सभी धनतेरस के अवसर पर करते हैं।

ओणम का चौथा दिन: विशाकम (Onam First Day Vishakam)

ओणम के चौथे दिन को विशाकम के नाम से जाना जाता है। इस दिन रंगोली को बढ़ाने के साथ-साथ तरह-तरह के कार्यक्रम तथा प्रतियोगिताएं शुरू हो जाती है। जैसे कि संगीत या नृत्य का कार्यक्रम इत्यादि।

ओणम का पांचवां दिन: अनिज्हम (Onam First Day Anizham)

ओणम के पांचवें दिन को अनिज्हम के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन केरल की पवित्र नदी पम्पा पर वालमकलि नाव दौड़ (Onam Boat Race) का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी मिलकर सांप के आकार (Snake Boat Race) की लंबी नाव पर दौड़ लगाते हैं।

ओणम का छठवां दिन: थ्रिकेता (Onam First Day Thriketa)

ओणम के छठवें दिन को थ्रिकेता के नाम से जाना जाता है। इस दिन ओणम का मुख्य आयोजन शुरू हो जाता है तथा सभी विद्यालयों इत्यादि में अवकाश शुरू हो जाता है जो कि चार से पांच दिन का होता है।

ओणम का सातवाँ दिन: मूलम (Onam First Day Moolam)

ओणम का सातवाँ दिन मूलम के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूजा आरंभ हो जाती है। इस दिन मंदिरों में पूजा की जाती है और विशेष नृत्य के आयोजन भी किये जाते है।

ओणम का आठवां दिन: पूरादम (Onam First Day Pooradam)

ओणम के आठवें दिन को पूरादम के नाम से जाना जाता है। इस दिन रंगोली के आकार को प्रतिदिन की भांति बढ़ाया जाता है जो अभी तक बहुत विशाल हो चुकी होती है। इस रंगोली को पूलकम के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान वामन तथा राजा बलि की मूर्तियों को पूलकम के बीच में स्थापित कर दिया जाता है।

ओणम का नौवां दिन: उठ्रादोम (Onam First Day Uthradom)

ओणम के नौवें दिन को उठ्रादोम के नाम से जाना जाता है। यह दिन ओणम का एक मुख्य दिन होता है क्योंकि इसी दिन राजा बलि का केरल में आगमन होता है तथा वे इस पावन धरती पर प्रवेश करते हैं। इसलिये इस दिन लोग अपने घरों में विशेष पकवान इत्यादि बनाते हैं।

ओणम का दसवां दिन: थिरुवोनम (Onam First Day Thiruonam)

ओणम के दसवें तथा आखिरी दिन को थिरुवोनम के नाम से जाना जाता है। यह ओणम का सबसे मुख्य दिन है जिस दिन सभी लोग प्रातः काल जल्दी उठते हैं व स्नान करते है। स्नान इत्यादि करने के पश्चात नए वस्त्रों को पहनकर पूजा इत्यादि की जाती है।

साथ ही इस दिन नौ मुख्य व्यंजनों (Onam Food In Hindi) को तैयार करके केले के पत्ते पर रखकर परोसा जाता है। कुछ जगह पर नौ व्यंजनों की बजाएं ज्यादा व्यंजन बनाने की परंपरा है जो कि 24-25 तक होते हैं। इन व्यंजनों में मुख्य रूप से पापड़ की चिप्पस, सांभर, ओल्लम, दाव इत्यादि प्रमुख हैं।

वर्ष 2020 में ओणम का पर्व (Onam 2020)

इस वर्ष ओणम का पावन पर्व 22 अगस्त से शुरू होगा जिसका समापन 2 सितंबर को होगा।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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Essay on Onam in Hindi | ओणम पर निबंध | ओणम पर्व क्यों मनाया जाता है | Why is Onam Celebrated?

By: savita mittal

ओणम कब मनाया जाता है – When is Onam Celebrated?

ओणम पर्व मनाने के पीछे पौराणिक कारण – traditional reasons for celebrating onam, ओणम पर्व मनाने की परंपराएं – traditions of celebrating onam, ओणम पर 10 लाइन का निबंध l 10 lines essay on onam in hindi l essay on onam festival l onam l.

भारत को विभिन्‍ता में एकता का देश कहा जाता है । क्योंकि यह विभिन्न वेषभूषा, विभिन्न बोली-भाषा, विभिन्न संस्कृति और विभिन्न तीज-त्यौहार को अपने में समाया हुआ है । भारत में यदि उत्सवों, पर्वो, त्योहारों की बात की जाए तो ऐसे बहुत से पर्व, उत्सव हैं जिसे पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु कुछ ऐसे पर्व भी हैं जिसे किसी क्षेत्र विशेष या राज्य विशेष में मनाया जाता है । जैसे पंजाब में बैसाखी, तमिलनाडु में पोंगल । इसी प्रकार केरल के मलयालीय संस्कृति का एक विशेष पर्व है ओणम।

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ओणम दक्षिण, भारत विशेष कर केरल का एक प्रमुख त्यौहार और उत्सव है। जिस प्रकार पूरे भारत या यूं कहें उत्तर भारत में दीपावली का उत्सव होता है कुछ उसी प्रकार का उत्सव केरल में ओणम का होता है । केरल में इसे फ़सलों का पर्व या खुशियों का पर्व के रूप में मनाया जाता हैं । यह बहुत ही रंग-बिरंगा त्यौहार होता है क्योंकि इस पर्व पर नाना प्रकार के फूलों से रंगोली सजा कर धरती को सजाया जाता है । इस पर्व को भारत सरकार एवं रंग-बिरंगी  राज्य सरकार दोनों का विशेष सहयोग प्राप्त भी होता है केंद्र सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहा है ।

ओणम Onam

यह मलयालम महीने के चिंगम माह में मनाया जाता है जो मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है । यह पर्व हिंदी महीने के सावन-भादो मास में पड़ता है जबकि अंग्रेजी महीने के अनुसार यह अगस्त-सितंबर में होता है।

यह पर्व चिंगम महीने के थिरुओणम नक्षत्र मैं मनाया जाता है जो हिंदी महीने के श्रावण-भादो महीने के श्रवण नक्षत्र में पड़ता है । श्रवण नक्षत्र को मलयालम में ओणम कहते हैं इसलिए इस पर्व का नाम ओणम पड़ गया ।

यह पर्व हस्‍ता नक्षत्र से श्रवण नक्षत्र तक 10 दिनों तक मनाया जाता है ।

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श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के 24 अवतार हुए इन अवतारों में से एक अवतार वामन अवतार का था । वामन अवतार कथा के अनुसार- -‘’भक्त प्रहलाद का नाती राजा बलि एक बलशाली और दान वीर राजा था । वह दैत्य वंश के होने के कारण कुछ उग्र स्वभाव का था और देवताओं के प्रति वैमनस्य रखने वाला था । यही कारण है की देवताओं पर शासन करने के उद्देश्य से एक बार उन्होंने 100 यज्ञ का संकल्प किया जब 99 यज्ञ पूरा हो गया और 100वां यज्ञ चल रहा था तब देवताओं ने भगवान विष्णु के शरण में जाकर बहुत ही अनुनय-विनय किया इस प्रार्थना के कारण भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेना स्वीकार किया । 

वामन रूप में वह राजा बलि के यज्ञशाला में पहुंचा । चूँकि राजा बलि एक दान वीर था उस छोटे कद के ब्राह्मण बालक वामन को देख कर वह दान लेने का अनुग्रह किया इस पर वामन ने राजा बलि से केवल तीन पग भूमि की मांग रखी।  

राजा बलि सहर्ष तैयार हो गया और तीन पग भूमि देने का संकल्प पूरा किया । जैसे ही बामन ने संकल्प लिया वह अपना रूप बढ़ाते गये, और अपने शरीर को विशाल कर लिया इस विशाल शरीर से उन्होंने एक पग में ही सारी धरती को माप लिया तथा दूसरे पग में पूरे आकाश को माप लिया । अब तीसरे पग रखने के लिए कोई स्थान शेष नहीं बचा इस पर उन्होंने राजा बलि से पूछा कि तीसरा पग कहां रखे ? 

राजा बलि दान वीर थे और अपने वचन के पक्के भी थे उन्होंने बहुत ही विनम्रता से कहा कि प्रभु तीसरा पग मेरे सिर माथे पर रख दीजिए बामन ने ऐसा ही किया इससे राजा बलि धरती से पाताल लोक में चला गया और पाताल लोक में निवास करने लग गया । किंतु भगवान विष्णु राजा बलि के दानवीरता एवं विनम्रता से प्रसन्न हुये । 

चूँकि राजा बलि अपने प्रजा से बहुत ही स्नेह करते थे इसलिये भगवान बिष्‍णु ने राजाबली को आर्शीवाद दिया कि-‘आप वर्ष में एक बार अपने प्रजा से मिलने धरती जरूर आ सकते हो ।‘ ऐसा माना जाता है कि राजा बलि की राजधानी केरल में ही थी और चिंगम मास के श्रवण नक्षत्र को राजा बलि अपनी प्रजा अर्थात केरल वासियों से मिलने के लिए आते हैं इसलिए केरल के लोग राजा बलि के स्वागत में यह ओणम का पर्व मनाते हैं ।

ओणम Onam

यहाँ पढ़ें: essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध

ओणम का पर्व पूरे केरल राज्य में हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिस प्रकार दीपावली 5 दिनों तक मनाया जाता है और पॉंचों दिन के त्यौहार का अलग-अलग नाम होता है, ठीक उसी प्रकार ओणम का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है और प्रतिदिन के पर्व का नाम अलग-अलग होता है ।

पहला दिन- अथम कहलाता है और ऐसा माना जाता है कि इसी दिन राजा बलि पाताल से केरल के लिए प्रस्थान करते हैं । 

दूसरा दिन- चिथिरा कहलाता है इस दिन फूलों की रंगोली बनाई जाती है जिसे पुकल्लम कहते हैं । 

तीसरा दिन – चौधी कहलाता है इस दिन पुक्‍कलम में और लेयर बनाई जाती है । अर्थात जो पुक्‍कलम पहले एक लेयर का फलों का वृत्‍ताकार रंगोली था उसमें 4-5 प्रकार के फूलों से अगली लेयर बनाई जाती हैं  और यह लेयर हर एक दिन एक-एक करके बढ़ाई जाती है । 

चौथे दिन – को विशाकम कहते हैं, इस दिन से तरह-तरह की प्रतियोंगिताएं प्रारंभ होती है । 

पॉंचवे दिन – को अनिज्‍म कहते हैं इस दिन नौका प्रतियोगिता की तैयारी करते हैं । 

छठवां दिन – थ्रिकम कहलाता है इस दिन छुट्टीयां चालू हो जाती हैं । 

सातवाँ दिन – मूलम कहलाता है, इस दिन मंदिरों में स्‍पेशल पूजा पाठ आयोजित किया जाता है । 

आठवां दिन – पूरादम कहलाता है, इस दिन भगवान वामन एवं महाबली की मिट्टी की प्रतिमा घर में स्‍थापित की जाती है । 

नौवां दिन – उठ्रादुम कहलाता है मान्‍यता के अनुसार इसी दिन महाराजा बलि केरल में प्रवेश करते हैं । 

दसवां दिन – थिरूओणम कहलाता, इसी दिन मुख्‍य पर्व एवं उत्‍सव का समापन दिन होता है ।

ओणम Onam

यह पर्व केरल के एक मात्र वामन मंदिर जो त्रिक्‍काकरा में है, से प्रारंभ होता है । ओणम में प्रत्‍येक घर में पुक्‍कलम अर्थात फूलों की रंगोली डाली जाती है । पुक्‍कलम वृत्‍ताकार बनाया जाता है जिसमें हर एक दिन नया आवरण अर्थात लेयर बनाया जाता है । 

युवतियां, महिलायें सफेद साड़ी पहनकर, अपने वेणी में फूलों का गजरा लगाकर सज-धज कर इसी पुक्‍कलम के चारों ओर इक्‍कठ्ठे होकर तिरूवाथिरा कलि नृत्‍य करती हैं, यह नृत्‍य केरल का एक प्रसिद्ध नृत्‍य है । सारा दृश्‍य ऐसा लगता है मानों धरती को दुल्‍हन के रूप में सजाया गया हो और मंगल गान किया जा रहा हो । इस पुक्‍कलम के बीच में त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली तथा उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिट्टी से बनायीं जाती है। इसे प्रतिस्‍थापित कर पूजा की जाती है ।

राजा बलि अपनी प्रजा से बहुत ही स्नेह रखते थे और दानी भी थे इस कारण इस दिन धनवान लोग निर्धनों को दान करते हैं और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों, नौकरों को प्रसन्न करते हैं । मंदिरों में भी कई प्रकार से उत्सव किए जाते हैं ।

इस दिन नौकायन प्रतियोगिता विशेष तौर पर आयोजित की जाती है इसे सर्प नौका कहते हैं क्योंकि इस नौका की लंबाई की तुलना में चौड़ाई बहुत ही कम होती है और यह जब चलता है तो ऐसे लगता है कि मानो कोई सर्प चल रहा हो । सर्प नौकायन प्रतियोगिता का धूम होता है इसे राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित किया जाता है और जल सेना भी कभी-कभी नौकायन करते हैं । इस अवसर पर हाथियों का जुलूस भी निकाला जाता है ।

कुल मिलाकर यह पर्व बहुत आकर्षक, उत्‍साहवर्धक और आनंददायक होता है । इस उत्‍सव को देखने भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों से लोग बड़ी संख्‍या में आते हैं साथ ही विदेशी पर्यटक भी इस अवसर पर इस उत्‍सव का आनंद उठाते हैं । इस पर्व पर पूरे 10 दिन तक गरीब-अमीर सभी साथ मिलकर हँसी-खुशी से उत्‍सव मनाते हैं लोगों की खुशीयॉं देखने लायक होती हैं ।

इस प्रकार इस पर्व का केवल पौराणिक महत्‍व ही नहीं अपितु इसका सांस्‍कृति महत्‍व भी है । ओणम एक प्राचीन परम्‍परा है । यह लंबे समय से केवल अपनी संस्‍कृति के बल पर चल रही है । यह पर्व लोगों में ख़ुशियाँ भरता है, नई उत्‍साह के साथ जीवन को जीने की प्रेरणा देता है । भारत के विविधता में एक नया रंग भरने के साथ भारतीय संस्‍कृति को सक्षम बनाता है ।

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References Onam Wikipedia ओणम Wikipedia

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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ओणम का पर्व केरल राज्य में मनाये जाने वाले प्रमुख हिंदू पर्वों में से एक है। मलायलम पंचांग के अनुसार यह पर्व चिंगम माह तथा हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को में आता है, जोकि ग्रागेरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितम्बर माह में पड़ता है।

यह पर्व राजा महाबली के याद में मनाया जाता है और इस दिन को लेकर ऐसी कथा प्रचलित है कि ओणम के दिन राजा बलि की आत्मा केरल आती है। इस पर्व पर पूरे केरल राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता है और कई प्रकार के सांस्कृतिक तथा मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

ओणम 2024 – (Onam Festival 2024)

वर्ष 2024 में ओणम का पर्व 5 सितंबर, गुरुवार से 14 सितंबर, शनिवार तक मनाया जायेगा।

ओणम क्यों मनाते है? (Why Do We Celebrate Onam)

ओणम मलयाली लोगो के प्रमुख पर्वों में से एक है और इस पर्व को देश-विदेश में रहने वाले लगभग सभी मलयाली लोगो द्वारा बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। वैसे तो ओणम का सबसे भव्य आयोजन केरल में होता है, लेकिन इस पर्व को कई अन्य राज्यों में भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यदि सामान्य रुप से देखा जाये तो ओणम का पर्व खेतों में नई फसल की उपज के उत्सव के रुप में मनाया जाता है।

इसके अलावा इस त्योहार की एक विशेषता यह भी है कि इस दिन लोग मंदिरों में नही, बल्कि की अपने घरों में पूजा-पाठ करते। हालांकि इसके साथ ही इस पर्व से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। जिसके कारण मलयाली लोग इस पर्व को काफी सम्मान देते है।

ऐसी मान्यता है कि जिस राजा महाबली से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग में तीनों लोको को माप लिया था। वह असुरराज राजा महाबलि केरल के ही राजा था और ओणम का यह पर्व उन्हीं को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इन त्योंहार में तीन दिनों के लिए राजा महाबलि पाताललोक से पृथ्वी पर आते है और अपनी प्रजा के नई फसल के साथ उमंग तथा खुशियां लाते है। यहीं कारण है इस त्योहार पर लोग अपने घरों के आंगन में राजा बलि की मिट्टी की मूर्ति भी बनाते है।

ओणम कैसे मनाते है – रिवाज एवं परंपरा (How Do We Celebrate Onam – Custom and Tradition of Onam Festival)

मलायाली लोगो द्वारा ओणम के पर्व को काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। केरल में लोग इस पर्व की तैयारी दस दिन पूर्व से शुरु कर देते हैं। इस दौरान लोगो द्वारा अपने घरों को साफ-सुधरा किया जाता है। ओणम का पर्व मनाने वाले लोग इस दिन अपने घरों के आँगन मे फूलों की पंखड़ुयों से सुंदर रंगोलिया बनाते हैं, स्थानीय भाषा में इन रंगोलियों को ‘पूकलम’ कहा जाता है।

इसके साथ ही इस दौरान लोग अपने घरों में राजा महाबलि की मूर्ति भी स्थापित करते है क्योंकि लोगो का मानना है कि ओणम के त्योहार दौरान राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से पृथ्वी पर वापस आते है। राजा बलि की यह मूर्ति पूलकम के बीच में भगवान विष्णु के वामन अवतार की मूर्ति के साथ स्थापित की जाती है।

आठ दिनों तक फूलों की सजावट का कार्य चलता है और नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं विष्णु पूजा करते हुए इसके चारो तरफ नाचते-गाते हुए तालियां बजाती है। रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है। इसके पश्चात बच्चे वामन अवतार को समर्पित गीत गाते है। मूर्तियों के सामने दीप जलाये जाते है, पूजा-पाठ के पश्चात दसवें दिन मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है।

पूजा पाठ के साथ ही ओणम का पर्व अपने व्यंजनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस पर्व के दौरान घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है। यही कारण है कि इस बच्चे इस पर्व को लेकर सबसे अधिक उत्साहित रहते है। सामान्यतः इस दिन पचड़ी-पचड़ी काल्लम, दाव, घी, ओल्लम, सांभर आदि जैसे व्यंजन बनाये जाते हैं, जिन्हें केलों के पत्तों पर परोसा जाता है। ओणम पर बनने वाले पाक व्यंजन निम्बूदरी ब्राम्हणों के खाने के विविधता को दर्शाते हैं, जोकि उनके संस्कृति को प्रदर्शित करने का कार्य करता है। कई सारे जगहों पर इस दिन दुग्ध से बने अठारह तरह के पकवान परोसे जाते है।

इस दिन उत्सव मनाने के साथ ही लोगों के मनोरंजन के लिए कथककली नृत्य, कुम्मत्तीकली (मुखौटा नृत्य) , पुलीकली नृत्य (शेर की पोशाक में किया जाने वाला नृत्य) आदि जैसे नृत्यों का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नौका दौड़ तथा विभिन्न प्रकार के खेलों का भी आयोजन किया जाता है।

ओणम पर बनने वाले पकवान (Special Dishesh Of Onam Festival)

ओणम का पर्व अपने विविध संस्कृति के साथ ही अपने खान-पान के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस उत्सव पर विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों के साथ ही कई प्रकार के विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इन्हीं में से कुछ प्रमुख व्यंजन के विषय में नीचे जानकारी दी गयी है।

1. केले का चिप्स

6. इंजीपुल्ली

9. परिअप्पु करी

ओणम की आधुनिक परंपरा (Modern Tradition of Onam)

ओणम के पर्व में पहले के अपेक्षा कई सारे परिवर्तन हो चुके है। आधुनिक दौर में अब मनुष्य व्यस्तताओं से घिर गया है, जिसके कारण हर त्योहार का वास्तविक अर्थ खत्म होता जा रहा है। अब सभी त्योहार मात्र सिर्फ नाम के रह गये हैं और ओणम के साथ भी ऐसा ही हुआ है।

अब ओणम के पर्व को लेकर लोगो में पहले के जैसा उत्साह भी देखने को नही मिलता है। पहले के समय लोग इस दिन को अपने परिवारजनों के साथ मनाया करते थे लेकिन अब शहरों में रहने के कारण अधिकतर लोग इस दिन को अपने परिवार के साथ नही मना पाते हैं।

यह पर्व अपनत्व के सदेंश को प्रदर्शित करता है कि आखिर किस प्रकार से राजा बलि अपने प्रजा प्रेम के कारण वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने अवश्य आते हैं। इसी तरह से हमें भी प्रयास करना चाहिए कि ओणम के पर्व को हम अपने परिवारजनों के साथ अवश्य मनाये।

ओणम का महत्व (Significance of Onam Festival)

ओणम का पर्व केरल राज्य का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, इसे देश-विदेश में रहने वाले लगभग सभी मलयाली लोगो द्वारा मनाया जाता है। इस पर्व की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केरल में इस पर्व को उसी प्रकार की मान्यता प्राप्त है, जिस प्रकार की उत्तर भारत में दशहरा तथा दीपावली को।

इस पर्व पर लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अच्छे तरीके से सजाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान नौका दौड़, कथककली तथा गायन जैसे कई सारे मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है। इस दिन घरों में कई तरह के विशेष पकवान भी बनाये जाते हैं।

ओणम के दिन लोग मंदिरों में पूजा करने नही जाते है बल्कि की इस दिन वे अपने घरों में ही पूजा करते है। मलयाली लोग का मानना है कि इस दिन घर में पूजा करने घर में समृद्धी आती है। इसके साथ ही इस पर्व को लेकर यह मान्यता भी है कि ओणम के दौरान राजा बलि पाताल लोक से पृथ्वी पर आते हैं और अपनी प्रजा के लिए खुशियां लाते है।

वास्तव में ओणम वह पर्व होता है जब केरल में नई फसल तैयार होती है और क्योंकि प्राचीनकाल से ही भारत एक कृषि-प्रधान देश रहा है, यही कारण है कि इस दिन को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

ओणम का इतिहास (History of Onam Festival)

जिस प्रकार से हर राज्य में अपने-अपने पारंपरिक त्योहार मनाये जाते है, उसी प्रकार से केरल में ओणम का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को केरल के राजा महाबलि के स्मृति में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर जो कथा सबसे अधिक प्रचलित है, वह यह है कि-

प्राचीन काल में राजा महाबलि वर्तमान के केरल राज्य के एक बहुत ही प्रतापी राजा थे और वह अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे। वह दानी होने के साथ ही बहुत ही पराक्रमी भी थे। अपने बाहुबल से उन्होंने तीनो लोको पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब उनके गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें सलाह दी कि वे सौ अश्वमेध यज्ञ करके इंद्र का पद प्राप्त कर लें और सदा के लिए त्रिलोक के स्वामी बन जाये। उनके आज्ञा अनुसार राजा बलि ने सौ अश्वमेध यज्ञ करना आरंभ किया उनके 99 यज्ञ तो सकुशल संपन्न हो गये।

लेकिन 100वें यज्ञ के संपन्न होने से पहले वहां भगवान विष्णु वामन रुप धारण करके प्रकट हो गये और राजा बलि से तीन पग धरती मांगी, परन्तु राजा बलि इस बात से अनिभिज्ञ थे कि वामन अवतार में उनके सामने स्वयं भगवान विष्णु खड़े है। जब राजा बलि ने उनकी मांग स्वीकार कर ली तो वामन रुपी भगवान विष्णु ने विराट रुप धारण करके दो पग में सारे लोक नाप लिये और जब तीसरे पग के लिए स्थान पूछा तो राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु तीसरे पग को आप में मस्तक पर रख दे।

भगवान वामन ने जब तीसरा पग रखा तो राजा बलि पाताल लोक चले गये। राजा बलि के इस दान और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे वर मांगने को कहा। तब राजा बलि ने कहा कि ‘हे प्रभु मैं वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का समय चाहता हुं।’ तब से ऐसा माना जाता है कि वह ओणम का ही पर्व है, जिसपर राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। यहीं कारण है कि केरल में ओणम के इस पर्व को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

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ओणम पर निबन्ध | Essay on Onam (A Social Festival) in Hindi

essay of onam festival in hindi

ओणम पर निबन्ध | Essay on Onam (A Social Festival) in Hindi!

भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी खूबी उसकी भिन्नता में है । अनेकता में एकता भारत की सुन्दरता है । भारत में कुछ ऐसे पर्व एवं परम्पराएँ हैं जो समान रूप से सब जगह मनाए जाते हैं । किन्तु कुछ त्यौहार एवं मेले ऐसे हैं जो किसी क्षेत्र अथवा राज्य विशेष में ही मनाए जाते हैं ।

जैसे कि बैसाखी और दुर्गा पूजा । बैसाखी का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ पंजाब में मनाया जाता है । दुर्गा पूजा के दौरान पूरे बंगाल में चहल – पहल होती है । क्षेत्रीय स्तर तक मनाया जाने वाला इसी तरह का ही एक त्योहार ओणम है । यह दक्षिण भारत के राज्य केरल में उतने ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जितना उत्तर भारत में दीवाली का पर्व मनाया जाता है । केरल का यह प्रमुख त्यौहार है ।

एक पौराणिक कथा है । महाबलि नाम के एक राजा केरल में राज्य करते थे । वह एक आदर्श राजा थे । उनके राज में प्रजा सुखी थी । वह प्रजा से बहुत प्यार करते थे । वह न्यायप्रिय थे । उनके लिए सब बराबर थे । छोटे-बड़े का कोई भेदभाव नहीं था । सब जगह सुख और समृद्धि थी । महाबलि बहुत दानी थे । प्रजा उनकी प्रशंसक ही नहीं भक्त भी थी । प्रजा उन्हें भगवान मानती और उनकी पूजा करती थी । देवताओं से उनकी लोकप्रियता देखी न गई ।

एक षड्‌यंत्र रचा गया । राजा इन्द्र के अनुरोध पर विष्णु ने वामन अवतार लिया । वह ब्राह्मण का भेष बनाकर राजा बलि के पास आए । तपस्या करने के लिए राजा से तीन पग भूमि दान में माँगी । राजा बलि तो पहले ही से दानी और विशाल हृदय के थे ।

एक ब्राह्मण तपस्या के लिए भूमि माँगे और वह न दें यह कैसे हो सकता था । अत: राजा बलि ने बिना सोचे-समझे उस ब्राह्मण को जहाँ से वह चाहे, तीन पग भूमि दान लेने की अनुमति दे दी । उधर ब्राह्मण के रूप में स्वयं विष्णु भगवान थे । उन्होंने विराट रूप धारण कर लिया ।

ADVERTISEMENTS:

एक पग में भू-लोक तथा दूसरे पग में स्वर्ग-लोक नाप लिया । तीसरे पग के लिए भूमि कम पड़ गई । राजा महाबलि अपने वचन के पक्के थे । कुछ तो करना ही था, तीसरा पग नापने के लिए राजा बलि ने अपना सिर विष्णु के सम्मुख कर दिया ।

अब विष्णु ने बलि से सब कुछ प्राप्त कर लिया । अत: विष्णु ने बलि को पाताल लोक में रहने की आज्ञा सुनाई । किन्तु पाताल लोक में प्रस्थान से पूर्व बलि को एक वर माँगने की अनुमति भी दी गई । राजा बलि अपनी प्रजा को बहुत चाहते थे । अत: उन्होंने वरदान माँगा कि, उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा के सुख- दु:ख को देखने का अवसर दिया जाए । महाबलि की प्रार्थना स्वीकृत हुई ।

अत: कहते हैं कि हर वर्ष श्रवण नक्षत्र में राजा बली अपनी प्रजा को देखने आते हैं । श्रवण नक्षत्र से मलयालम भाषा में ‘ ओणम ‘ नक्षत्र कहते हैं । उस दिन वहाँ की प्रजा बहुत श्रद्धा से अपने प्रिय राजा की प्रतीक्षा करती है । उस दिन सुख और समृद्धि का ऐसा वातावरण प्रस्तुत किया जाता है जिससे राजा महाबलि को यह प्रमाण मिले यहाँ की प्रजा सुखी और प्रसन्न है । ओणम के अवसर पर धरती को सजाया जाता है । रंगोली के द्वारा धरती माँ का श्रुंगार होता है ।

रंगोली से सजी धरती पर विष्णु तथा राजा बलि की प्रतिमाएँ स्थापित की जाती है । ओणम के अवसर पर विष्णु के साथ – साथ महाबलि की पूजा भी होती है । बच्चे-जवान, तथा वुढ़े सभी इस दिन की बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं । नए-नए वस्त्र सिलवाए जाते हैं । गीत, संगीत तथा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन क्रिया जाता है । मंदिरों में उत्सव होते हैं । ओणम के अवसर पर नाव दौड़ तथा हाथियों का जुलूस लोगों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं ।

राजा महाबलि लोगों के आदर्श थे । वह दानी थे । अत: ओणम के अवसर पर धनी लोग निर्धन लोगों को खुलकर दान देले हैं । ओणम के दिन लोक नृत्य भी होते हैं । कत्थकली नृत्य केरल का लोकप्रिय नृत्य है । युवतियाँ सफेद साड़ियाँ पहनती हैं और बालों पर फूलों की वेणियाँ सजाकर नाचती है । ओणम का त्यौहार सभी धर्मो के लोगों द्वारा परस्पर प्रेम और सौहार्द्र से मनाया जाता है ।

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ओणम: क्या है ओणम का महत्व और इतिहास, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

इन दिनों पूरे घर की विशेष साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद लोग पूरे घर को फूलों से सजाते हैं..

ओणम का त्‍योहार दक्षिण भारत में खासकर केरल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

  • 10 सितंबर 2019,
  • (अपडेटेड 11 सितंबर 2019, 9:12 AM IST)

essay of onam festival in hindi

ओणम का त्‍योहार दक्षिण भारत में खासकर केरल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है. 1 सितंबर से शुरू हुआ यह त्योहार 13 सितंबर तक मनाया जाएगा. ओणम इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसकी पूजा मंदिर में नहीं बल्कि घर में की जाती है.

ओणम को मनाने के पीछे एक पौराणिक मान्यता है. कहा जाता है कि केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था. उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्योहार मनाया जाता है. ओणम पर्व का खेती और किसानों से गहरा संबंध है. किसान अपने फसलों की सुरक्षा और अच्छी उपज के लिए श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं. फसल पकने की खुशी लोगों के मन में एक नई उम्मीद और विश्वास जगाती है.

इन दिनों पूरे घर की विशेष साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद लोग पूरे घर को फूलों से सजाते हैं.  घरों को फूलों से सजाने का कार्यक्रम  पूरे 10 दिनों तक चलता है. लोग अपने दरवाजों पर फूलों से रंगोली भी बनाते हैं.

ओणम उत्सव के दौरान एक पारंपरिक दावत समारोह का आयोजन किया जाता है.  इस समारोह में मीठे व्यंजनों के अलावा नौ स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं जिनमें पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स  मुख्य रूप से बनाए जाते हैं . इन व्यंजनों को केले के पत्तों पर परोसा जाता है. लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार वालों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं.

ओणम भारत के सबसे रंगारंग त्योहारों में से एक है. इस पर्व की लोकप्रियता इतनी है कि केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में मनाती है. ओणम पर्व के दौरान नाव रेस, नृत्य, संगीत, महाभोज जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

थिरुवोणम मुहूर्त

सितंबर 10, 2019 को 11:09 बजे से थिरुवोणम नक्षत्रं आरम्भ

सितंबर 11, 2019 को 1:59 पर थिरुवोणम नक्षत्रं समाप्‍त

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ओणम त्यौहार पर निबंध (Onam Festival Essay In Hindi)

ओणम त्यौहार पर निबंध (Onam Festival Essay In Hindi)

आज   हम ओणम त्यौहार पर निबंध (Essay On Onam Festival In Hindi) लिखेंगे। ओणम त्यौहार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

ओणम त्यौहार पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Onam Festival In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

हमारे भारत की संस्कृति में कई सारे मुख्य त्योहारों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है, जो कहीं ना कहीं भारतीय संस्कृति की धरोहर से जुड़े हुए हैं। त्योहारों के माध्यम से हमारी परंपरा, शालीनता और व्यवहार के बारे में भी पता चलता है, जो देश और विदेश में हमारे देश की ख्याति का मुख्य कारण बनते हैं। भारत देश में चले आ रहे मुख्य त्योहारों में ओणम भी एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है, जो दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है।

ओणम क्या है?

ओणम मुख्य रूप से केरल का त्यौहार है, जिसे दक्षिण भारतीय लोग बहुत उत्साह के साथ मनाते है। यह केरल में रहने वाले हर समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला रंग बिरंगा त्यौहार है। जो श्रवणम नाम के संस्कृत शब्द से मिलकर बना है। इस दिन मुख्य रूप से विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और साथ ही साथ बड़े धूमधाम से त्यौहार को लोगों के बीच में मना कर खुशियां मनाई जाती हैं।

पुराणों में ओणम का मुख्य महत्व

जब भी पुराणों से ओणम के बारे में जानकारी ली जाती है, तो यही माना जाता है कि इस त्यौहार को राजा महाबली की याद में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार जब भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा महाबली को पाताल में भेजा था, उस समय राजा महाबली के उदारता के वजह से इस त्यौहार मनाने की शुरुआत की गई।  ऐसे में पुराणों में हमेशा ओणम का विशेष महत्व समझा जाता है। 

ओणम का विशेष महत्व

ओणम एक ऐसा त्यौहार है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से सितंबर के महीने में आता है, जब फसलों की कटाई का समय होता है। इस समय को खुशियां मनाई जाती है और विशेष तरीके से तैयार हुआ जाता है।

सामान्य रूप से देखा जाता है कि इस दिन औरतें इस दिन को विशेष महत्व देते हुए सफेद साड़ी पहनती हैं, अलग-अलग पकवान बनाती है और घर की शोभा बढ़ाती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर ओणम का विशेष महत्व समझा जाए, तो वह सुख समृद्धि की भावना से जुडा है। जो ओणम का त्योहार मनाने का एक सही तरीका है।

ओणम के त्यौहार को मनाने का तरीका

ओणम के त्यौहार को मनाने का कुछ विशेष तरीका है, जिसके मद्देनजर घर में रोशनी की जाती है और साथ ही साथ लोगों का अपने घर में स्वागत किया जाता है। ओणम के त्यौहार को मनाने का कुछ विशेष तरीका देखा जाता है, जिसके अंतर्गत इस त्यौहार को 10 दिनों तक मनाया जाता है और पूरे 10 दिनों तक घरों में खुशियां बांटी जाती हैं।

ओणम के शुरुआती दिनों में ऐसा माना जाता है कि राजा बलि अपनी प्रजा के साथ खुशियां बांटने पाताल लोक में आते हैं। ऐसे में बढ़-चढ़कर लोग नृत्य में हिस्सा लेते हैं और अपने घर को सजाते सवारते हैं, ताकि राजा बलि उनके घर में भी आकर खुशियां बांट सकें।

इसके बाद आगे आने वाले 2 दिन घर को फूलों से सजाया जाता है और विभिन्न प्रकार के कालीन तैयार किए जाते हैं, जिसे चिथिरा कहा जाता है। इसके बाद वाले दिन को विशाकम कहा जाता है और इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं। इन प्रतियोगिताओं में केरल के लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है  और निश्चित रूप से ही भगवान को खुश करने के लिए कई कोशिशें करते हैं।

इसके बाद आने वाले दिन में नौका दौड़ होती है, जिसे “अनिजहम” कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से नौका दौड़ की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसके बाद वाले दिन में विशेष प्रकार की पूजा की जाती है, जिसे “मालूम” कहते हैं।

जहां पर भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्ति को स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है और पूजा किए जाने वाले इस दिन को “पूरादम” कहते हैं।

ओणम में पारंपरिक वेशभूषा

ओणम के दिन महिलाएं सफेद साड़ी पहनती हैं और खुद को बहुत अच्छे से तैयार रखती हैं। इस दिन महिलाएं हमेशा सफेद फूलों के गजरे लगाती हैं और पुरुष पारंपरिक रूप से धोती कुर्ता पहनते हैं। इसी के साथ पुरुष चंदन का टीका भी लगाते हैं। इस दिन सभी मंदिरो में विशेष प्रकार की पूजा अर्चना की जाती है और पारंपरिक वेशभूषा के साथ नृत्य का आयोजन किया जाता है। 

ओणम त्योहार के विशेष पकवान

दक्षिण भारत में जब भी किसी त्योहार को मनाया जाता है, तो विशेष प्रकार का पकवान इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें मुख्य रुप से 26 पकवानों को परोसा जाता है। जिनमे सब्जियां, केले के चिप्स, केले की मिठाई, अचार शामिल होते हैं। इन सभी पकवानों को निश्चित रूप से ही केले के पत्तों पर खिलाया जाता है, ताकि पूर्वजों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

पूरे देश में मनाए जाने की प्रथा

जैसे-जैसे लोगों की सोच का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे उनके अंदर चल रही भावनाओं को अभिव्यक्त करने का जरिया आसानी से खोजा जा रहा है। जहां यह त्यौहार केरल का मुख्य त्यौहार है, वही अब इसे पूरे देश में मनाए जाने की कवायद शुरू की जा रही है। ताकि इस त्यौहार की गहराई को समझाते हुए युवा वर्ग के बीच में भी जागृति पैदा की जा सके।

इस प्रकार से हमने जाना कि ओणम का त्योहार पारंपरिक त्योहार के रूप में जाना जाता है। जो 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। जिसके माध्यम से लोग एक दूसरे के साथ मिलकर एकता और भाईचारे के साथ रहते हैं और एक दूसरे का विश्वास बनाए रखते हैं। इसके अलावा ओणम का त्योहार मन में संयम, धैर्य और प्यार की भावना को भी जागृत करता है, ताकि लोगों के बीच में प्यार, विश्वास बना रहे और इस त्योहार को सभी हंसी खुशी से मना सकें।

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तो यह था ओणम त्यौहार पर निबंध , आशा करता हूं कि ओणम त्यौहार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Onam Festival) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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ओणम पर निबंध-Essay On Onam In Hindi

essay of onam festival in hindi

ओणम पर निबंध-Essay On Onam In Points

1. ओणम एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। 2. ओणम के साथ-साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्यौहार और वर्षा के फूल का त्यौहार मनाया जाता है। 3. मलयाली और तमिल लोग ओणम को बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। 4. ओणम को चिंगम महीने में मनाया जाता है। ये मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है। यह अगस्त-सितम्बर के महीने में ही आता है। 5. ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र में राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए खुद धरती पर आते हैं। मलयालम में श्रवण नक्षत्र को ओणम कहते हैं इसी लिए इस पर्व का नाम भी ओणम पड़ गया। 6. ओणम त्यौहार के दिन कई तरह के नृत्य प्रस्तुत करने की परम्परा है। 7. इस दिन केरल का सबसे लोकप्रिय कथकली नृत्य का बहुत बड़े पैमाने पर आयोजन लिया जाता है। 8. इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों पर फूलों की वेणियों को सजाकर नृत्य करती हैं। 9. इन कार्यक्रमों में सभी लोग बहुत ही बढ़-चढकर हिस्सा लेते हैं। 10. यह चाहे साल भर में एक बार आता हो लेकिन इस दिन में यह हमें ऐसी ताजगी देकर जाता है जो हमारी धमनियों में सालभर नये पन का संचार करती रहती हैं। 11. इस त्यौहार को राजा महाबलि की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता है। 12. उन दिनों में ओणम त्यौहार पूरे महीने चलता है। ओणम को केरल में सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। 13. ओणम त्यौहार को दस दिन तक मनाया जाता है। इसमें पहला और दसवाँ दिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। 14. पहले दिन महाबली की पाताल से केरल आने की तैयारी की जाती हैं घरो को बहुत ज्यादा सुंदर तरीके से सजाया जाता हैं। 15. दूसरे दिन चिथिरा होता है इसी फूलों का कालीन जिसे पुकलम कहते हैं इससे ओणम से पहले बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। ओणम के दिन इसे बनाने की प्रतियोगिता होती हैं। 16 .तीसरा दिन चोधी होता हैं। इस दिन 4-5 तरह के फुलो से पुकलम की अगली परत बनाई जाती हैं। 17. चौथा दिन विशाकम होता है दिन कई प्रकार के प्रतियोगिता होने चालू हो जाती हैं। 18. पांचवा दिन अनिजहम होता हैं इस दिन नौका दौड कराई जाती हैं। 19. छठा दिन थिकेत होता हैं इस दिन से छुट्टी प्रारंभ हो जाती हैं। 20. सातवाँ दिन मूलम होता इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा होती हैं। 21. आठवां दिन पूरादम होता है इस दिन महाबली और वामन की मूर्ति घर में स्थापित की जाती हैं। 22. नौवां दिन उठोदम होता हैं इस दिन महाबली केरल के प्रवेश करते हैं। 23. दसवां दिन थिरूवोनम होता हैं इस दिन ओणम मनाया जाता हैं। 24. ओणम के त्यौहार पर घरों और केरल को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती है। 25. ओणम के त्यौहार में केरल की स्मृद्धि को व्यापक रूप से देखा जा सकता है। 26. ओणम का त्यौहार अपने साथ सुख-समृद्धि, प्रेम-सौहार्द और परस्पर प्यार और सहयोग का संदेश लेकर आता है।

ओणम पर निबंध-Essay On Onam In Details

भूमिका : भारत विविधता में एकता का देश है। भारत में तरह-तरह की जातियाँ और लोग रहते हैं। इस देश की संस्कृति अपने आप में आलौकिक है और अविस्मरणीय है इसका वर्णन करते हम कभी भी नहीं थकते हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर हर दिन हर महीने कोई-न-कोई त्यौहार मनाया जाता है।

ओणम भी उन त्यौहारों में से एक है। ओणम एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम के साथ-साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्यौहार और वर्षा के फूल का त्यौहार मनाया जाता है। मलयाली और तमिल लोग ओणम को बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं।

ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार है। ओणम को चिंगम महीने में मनाया जाता है। ये मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है। यह अगस्त-सितम्बर के महीने में ही आता है। दूसरे सोलर कैलेंडर में इसे सिम्हा महीना भी कहते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी महिना भी कहते हैं। जब थिरुवोणम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है उस दिन ओणम का त्यौहार होता है।

राजा महाबलि की परीक्षा : महाबलि प्रहलाद के पोते थे। प्रहलाद जो हिरण्यकश्यप असुर के बेटे थे। लेकिन फिर भी प्रहलाद विष्णु के भक्त थे। महाबलि भी प्रहलाद की तरह भगवान विष्णु के भक्त थे। समय आगे बढ़ता गया और वे बड़े होते गये।उनका साम्राज्य स्वर्ग तक फैला हुआ था इस बात से उनकी प्रजा बहुत खुश थी।

देवी देवता विष्णु भगवान की अर्चना करने लगे। विष्णु भगवान ने वामन के वेश में उनके सामने गये। विष्णु जी ने तीन पग मीन का दान माँगा था। राजा बलि इस बात को बहुत ही साधारण समझ रहे थे लेकिन यह साधारण बात नहीं थी। जब राजा बलि ने तीन पग जमीन देने के लिए हामी भर दी तो भगवान विष्णु ने अपना विराट रूप ले लिया।

उन्होंने अपने एक पग से पूरी धरती को नापा और दूसरे पग से आकाश को लेकिन तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना शरीर अर्पित कर दिया।क्योंकि राजा बलि ने अपना सब कुछ दान कर दिया था तो वे धरती पर नहीं रह सकते थे। विष्णु भगवान ने उन्हें पाताल लोक जाने के लिए कहा।

लेकिन जाने से पहले भगवान विष्णु ने उनसे एक वरदान मांगने के लिए कहा था।राजा बलि गरीबों को बहुत दान देते थे। राजा बलि अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे तो उन्होंने साल में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने का वरदान माँगा। भगवान विष्णु ने उनके इस वरदान को स्वीकार कर लिया।

ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र में राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए खुद धरती पर आते हैं। मलयालम में श्रवण नक्षत्र को ओणम कहते हैं इसी लिए इस पर्व का नाम भी ओणम पड़ गया। तभी से इस त्यौहार को ओणम के नाम से मनाया जाने लगा।

ओणम का महत्व : यह फसल उत्सव भी होता है। यह त्यौहार आमतौर पर अगस्त या फिर सितंबर के महीने में आता है। ओणम त्यौहार के दिन कई तरह के नृत्य प्रस्तुत करने की परम्परा है। इस दिन केरल का सबसे लोकप्रिय कथकली नृत्य का बहुत बड़े पैमाने पर आयोजन लिया जाता है।

इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों पर फूलों की वेणियों को सजाकर नृत्य करती हैं। ये सभी कार्यक्रम इस दिन व्यापक रूप से किये जाते हैं। इन कार्यक्रमों में सभी लोग बहुत ही बढ़-चढकर हिस्सा लेते हैं। ओणम का त्यौहार अपने साथ सुख-समृद्धि, प्रेम-सौहार्द और परस्पर प्यार और सहयोग का संदेश लेकर आता है।

ओणम त्यौहार के पीछे चाहे कोई भी कहानी हो लेकिन यह बात तो स्पष्ट हैं कि यह हमारी संस्कृति का एक आईना है। यह हमारी भव्य विरासिता का प्रतीक होता है।यह हमारे जीवन की ताजगी है। यह चाहे साल भर में एक बार आता हो लेकिन इस दिन में यह हमें ऐसी ताजगी देकर जाता है जो हमारी धमनियों में सालभर नये पन का संचार करती रहती हैं।

पुराणों में ओणम : ओणम के त्यौहार को राजा महाबलि की याद में मनाया जाता है। ओणम का त्यौहार राजा महाबलि से जुड़ा हुआ है। ओणम पर्व को राजा महाबलि के सम्मान में मनाया जाता है लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने पांचवे अवतार वामन के रूप में चिंगम मास के दिन धरती पर आकर राजा महाबलि को पाताल लोक भेजा दिया था। ओणम त्यौहार सदियों से चला आ रहा है। इस त्यौहार को राजा महाबलि की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता है।

इतिहास में ओणम : कुछ लोगों का मानना है की ओणम त्यौहार का प्रारंभ संगम काल में हुआ था। ओणम के पर्व से संबंधित उल्लेख कुलसेकरा पेरूमल के समय में मिल जाते हैं। उन दिनों में ओणम त्यौहार पूरे महीने चलता है। ओणम को केरल में सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है।

ओणम त्यौहार फसलों की कटाई से संबंधित होता है। शहर में भी इस त्यौहार को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम त्यौहार को मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम के शुरू में मनाया जाता है। ओणम त्यौहार चार से दस दिन चलता है।

ओणम के दस दिन : ओणम त्यौहार को दस दिन तक मनाया जाता है। इसमें पहला और दसवाँ दिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। केरल के सभी लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं।

1. पहला दिन : इस दिन राजा महाबलि जी पाताल से केरल जाने की तैयारियां करते हैं। इस दिन से ही ओणम त्यौहार की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। ओणम के दिन के लिए घर की सफाई होनी शुरू हो जाती है। बाजार भी मुख्य रूप रूप सजाये जाते हैं और चारों तरफ त्यौहार का माहौल बन जाता है।

2. दूसरा दिन चिथिरा होता है इस दिन फूलों का कालीन जिसे पुक्कलम कहते हैं बनाना शुरू करते हैं। पुक्कलम को ओणम त्यौहार तक बनाया जाता है। ओणम त्यौहार के दिन पुक्कलम बनाने की प्रतियोगिता रखी जाती है।

3. तीसरा दिन चोधी होता है इस दिन पुक्कलम में 4 से 5 तरह के फूलों से अगली परत बनती है।

4. चौथा दिन विशाकम होता है इस दिन से कई तरह की प्रत्योगितायें होनी शुरू हो जाती हैं।

5. पांचवां दिन अनिज्हम होता है इस दिन नाव की दौड़ की तैयारियां की जाती हैं।

6. छटा दिन थ्रिकेता होता है इस दिन से छुट्टियाँ शुरू हो जाती हैं।

7. सातवाँ दिन मूलम होता है इस दिन मन्दिरों में विशेष प्रकार की पूजा की जाती है।

8. आठवाँ दिन पूरादम होता है इस दिन महाबलि और वामन की मूर्तियाँ घर में स्थापित की जाती हैं।

9. नौवां दिन उठ्रादोम होता है इस दिन महाबलि केरल राज्य में प्रवेश करते हैं।

10. दसवाँ दिन थिरुवोनम होता है इस दिन ही ओणम त्यौहार होता है।

कैसे मनाया जाता है ओणम : ओणम को महाबलि की वजह से मनाया जाता है।केरल प्रदेश पर राज्य करने वाला महान राजा महाबलि था। माना जाता है कि महाबलि महाप्रतापी , आदर्श , धर्मपरायण और सत्पुरुष थे। माना जाता है कि उनके राज्य में सुख-स्मृद्धि की बहुलता थी।

उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी थी कि वे अपनी प्रजा के लिए राजा नहीं भगवान बन चुके थे। राज्य में प्रत्येक जगह पर उनकी पूजा होने लगी। देवता इस बात को सहन न कर सके और देवराज इंद्र ने एक षड्यन्त्र किया। देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी।

विष्णु भगवान वामन का वेश बनाकर महाबलि के सामने आये और उन्हें वचन देने के लिए विवश कर लिए उसके बाद उन्होंने उनसे केवल तीन पग जमीन मांगी।उन्हीं की याद में ओणम त्यौहार मनाया जाता है। ओणम त्यौहार के दिन पूरी जनता अपने राजा के इंतजार में अपने घरों को सजाती है।

इस दिन चारों ओर ख़ुशी का वातावरण छाया हुआ होता है। इस दिन दीप जलाये जाते हैं और वन्दनवार लगाये जाते हैं। हर प्रकार से धरती को सजाया जाता है।रंगोली से धरती को सजाया जाता है और उस धरती पर भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्तियों की स्थापना की जाती है।

दोनों की बहुत ही भव्य तरीके से पूजा की जाती है। सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार के नृत्य पेश करते हैं। मन्दिरों में बहुत ही भव्य प्रकार के उत्सव मनाये जाते हैं। बहुत से मनोरंजन के कार्यक्रम किये जाते हैं जैसे – नौका दौड़ और हाथियों का जुलूस। इन कार्यक्रमों को करने के पीछे लोगों का उद्देश्य होता है कि उनके राजा उन्हें खुश और प्रसन्न देख सकें। इस दिन सभी लोग महाबलि की याद में दिल खोलकर दान देते हैं।

उपसंहार : ओणम के त्यौहार पर घरों और केरल को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती है। ओणम के त्यौहार में केरल की स्मृद्धि को व्यापक रूप से देखा जा सकता है। ओणम त्यौहार के दिन लोक नृत्य , खेल , साँप बोत की दौड़ , गाने , स्वादिष्ट भोजन बनाए जाते हैं।

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onam festival assey in Hindi

Onam History in Hindi – ओणम त्योहार पर निबंध 2023 (ओणम की कहानी) 

ओणम त्योहार पर निबंध 2023 – नमस्कार दोस्तों, क्या आपको पता है कि ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है? ( ओणम की कहानी) Onam History in Hindi . हमारे भारतीय उपमहाद्वीप की समृद्धि और विविधता को प्रकट करने वाले त्योहारों में “ओणम” का एक विशेष स्थान है!

ओणम त्योहार भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक ऐसा आदर्श है जो दक्षिण भारतीय राज्य केरल के लोगों की अद्वितीय धार्मिकता और सांस्कृतिक गहराई दिखाता है। “ओणम” का यह पर्व एकता, स्नेह, आनंद और सामृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है! और इस त्योहार में स्वागत और समृद्धि की भावना समाहित होती है।

आज के इस लेख में हम, “ओणम” का अर्थ (Onam Meaning in Hindi), ओणम का त्योहार कब और कहा मनाया जाता है? तथा ओणम की पूरी कहानी Onam History in Hindi जानेंगे! इसके साथ ही ओणम त्योहार के मूल स्रोत, ऐतिहासिक महत्व और इससे जुड़ी रोचक कहानियां, सब कुछ हिंदी में जाएँगे!

Onam History in Hindi

विषय - सूची

ओणम का अर्थ | Onam Meaning in Hindi

“ओणम” शब्द का अर्थ “आदान – प्रदान” या फिर “स्वागत” होता है। यह शब्द मुख्य रूप से केरला प्रदेश के पर्व “ओणम” के नाम में आता है, जो एक महत्वपूर्ण और धार्मिक पर्व है जिसे सभी केरलवासियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस पर्व के दौरान लोग समृद्धि, सौभाग्य और खुशियों की कामना करते हैं और एक-दूसरे का स्वागत करते हैं।

ओणम क्या हैं? What is Onam in Hindi

“ओणम” एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो मुख्य रूप से भारतीय राज्य के केरला प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्योहार विशुद्धता, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और यह केरली संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ओणम त्योहार का मुख्य उद्देश्य भगवान वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु के यज्ञ के बारे में की जाने वाली कहानी से जुड़ा हुआ है।

यह कहानी भगवान विष्णु के यज्ञ के परिणामस्वरूप में भगवान वामन अवतार के रूप में उपस्थित होने की है, जिन्होंने महाराजा बलि के यज्ञ को रोकने के लिए उसकी प्रजा को अवश्यकतानुसार भूमि से बाहर धकेल दिया।

Onam meaning in hindi

ओणम के दौरान लोग विभिन्न प्रकार के पारंपरिक गीत और नृत्य के साथ उत्सव मनाते हैं, फूलों से बने आरंगेम (रंगमंच) बनाते हैं, विशेष रूप से साद्या नामक विशेष भोजन का आनंद लेते हैं और आपसी मित्रता और समरसता की भावना के साथ त्योहार का आनंद उठाते हैं।

ओणम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा “ पुलिक्कलं ” नामक नृत्य होता है, जिसमें लोग सजीव रंगमंच पर फूलों से बने चित्र बनाते हैं और उन्हें देखने के लिए उपयुक्त दृष्टिकोण से उन्हें देखने का आयोजन किया जाता है।

ओणम एक सामुदायिक और परिवारिक त्योहार होता है जिसमें सभी साथ मिलकर खुशियों का आनंद लेते हैं और सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्णीयता देते हैं।

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ओणम कब मनाया जाता है?  When Onam is Celebrated

ओणम” केरला प्रदेश में मनाया जाने वाला एक ऐसा प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो चिंतामणि मास के प्रथम दिन से आठवें दिन तक मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय पंचांग के अनुसार आस्तिक (सोलार) मासिक प्रतिपदा से आषाढ़ मास के पूर्णिमा तिथि तक मनाया जाता है।

इसका मुख्य उद्देश्य मौसम के उत्तराधिकारी महीने में आने वाली फसलों की शुभकामनाएँ देना और खुशियों का आनंद उठाना होता है।

ओणम के दौरान केरला में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं जिनमें गीत, नृत्य, खानपान, खेल-कूद और रंगमंच समारोह शामिल होते हैं।

यह एक सामुदायिक और परिवारिक त्योहार होता है जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और खुशियों का आनंद उठाते हैं।

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ओणम त्योहार कहाँ मनाया जाता हैं? 

ओणम” त्योहार मुख्य रूप से भारतीय राज्य के केरला प्रदेश में मनाया जाता है। केरला एक सुंदर भारतीय राज्य है जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित है और यह त्योहार यहाँ के विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में मनाया जाता है।

केरला में ओणम का महत्वपूर्ण स्थान है और यहाँ के लोग इसे खास आनंद और उत्साह के साथ मनाते हैं। त्योहार के दौरान लोग विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम और आयोजनों जैसे कि गीत, नृत्य, खेल-कूद, रंगमंच, आदि में भाग लेते हैं!

ओणम केरला की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहाँ के लोग इसे खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं, जिसमें सामाजिक समरसता और आपसी बंधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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ओणम की कहानी | Onam Story in Hindi

ओणम” के त्योहार की कहानी मुख्य रूप से महाभारत के महाराजा बलि के विचार पर आधारित है। यह कहानी “वामन अवतार” के रूप में भगवान विष्णु के यज्ञ के परिणाम के रूप में है। निम्नलिखित है:

बहुत समय पहले की बात है, भगवान विष्णु ने भगवान शिव से एक वरदान मांगा कि वह बलि राजा के यज्ञ को रोकें। बलि राजा एक उदार और दानशील राजा थे, जो अपने प्रजा की भलाई के लिए सबकुछ करते थे। उनकी राजधानी पाताललोक में थी।

भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में धरती पर आकर बलि राजा के यज्ञ में जाने का निश्चय किया। जब वह वहाँ पहुँचे, तो वामन ने बलि राजा से तीन कदम की मांग की। बलि राजा ने वामन की इस विशेष मांग को स्वीकार किया।

onam story in hindi

वामन के तीन कदमों के साथ ही वे भयंकर बड़े हो गए और वे तीन लोकों के स्वामी बन गए। लेकिन उन्होंने बलि राजा के उदार और सजग मन को प्रसन्न कर दिया और वामन ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे हमेशा उनके साथ रहेंगे और हर साल उनके यज्ञ के समय पास आएंगे।

इसी प्रकार, ओणम त्योहार की कहानी में बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार के रूप में बलि राजा के यज्ञ को रोकने के लिए उसके पास प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था।

इस आशीर्वाद के चलते ही हर साल ओणम का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और सामाजिक सद्भावना का प्रतीक दिखाते हैं।

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Onam Festival in Hindi 10 Lines

  • ओणम त्योहार केरला प्रदेश में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है।
  • यह त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार की कहानी से जुड़ा हुआ है।
  • ओणम त्योहार चिंतामणि मास के प्रथम दिन से आठवें दिन तक मनाया जाता है।
  • यह त्योहार खुशियों, समृद्धि और सौभाग्य की प्रतीक माना जाता है।
  • लोग इस त्योहार में पुलिक्कलं नामक नृत्य और आरंगेम नामक रंगीन आरंभ का आयोजन करते हैं।
  • साद्या नामक विशेष भोजन भी इस त्योहार का हिस्सा होता है।
  • ओणम का महत्वपूर्ण उद्देश्य भगवान की कृपा और बलि राजा की उदारता का प्रतीक देना होता है।

ओणम का इतिहास | Onam History in hindi essay

भारतीय उपमहाद्वीप की एक राज्य केरला, जो भगवान पारशुराम के द्वारा स्थापित किया गया था, में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार “ओणम” का विशेष महत्व है।

यह त्योहार भारतीय कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के चिंतामणि महीने के प्रथम दिन से आठवें दिन तक मनाया जाता है।

यह चिंतामणि महीना भारतीय पंचांग में माना जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु के वामन अवतार के रूप में भगवान की कृपा और बलि राजा की उदारता का प्रतीक देना होता है।

ओणम के इतिहास का संबंध महाभारत के महान किस्से से है। इसके अनुसार, बलि नामक एक दानशील और उदार राजा थे जो केरला के अधिपति थे। वे अपनी प्रजा की कल्याण के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले राजा थे।

बलि ने यज्ञों में दान करने का परिणामस्वरूप ब्रह्मा को बहुत प्रसन्न किया और ब्रह्मा ने उनसे एक वरदान मांगा जिसमें बलि को पूरा स्वर्ग देने की मांग थी।

बलि ने वरदान मांगने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसकी प्रजा और गुरुकुल के छात्र वामन ने उसे रोक लिया। वामन ने तीन कदम की मांग की, और बलि ने उसकी मांग को स्वीकार किया।

वामन के तीन कदमों के परिणामस्वरूप बलि का स्वर्ग से नीचे धरती पर उतारा गया, लेकिन उन्हें भगवान विष्णु की कृपा मिली। उनके उदारता और सजग मन की वजह से उन्हें हर साल ओणम के त्योहार में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाती है।

ओणम त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा “पुलिक्कलं” नामक नृत्य होता है, जिसमें लोग फूलों से बने आरंगेम बनाते हैं और रंगमंच पर उन्हें प्रस्तुत करते हैं।

इसके साथ ही विशेष भोजन और उत्सवी कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। ओणम त्योहार केरली समाज की एकता, सद्भावना और धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है, जो लोग मन, शरीर और आत्मा की सुख-शांति की कामना के साथ उसे मनाते हैं।

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निष्कर्ष: एक सांस्कृतिक उपहार ओणम का महत्व

तो दोस्तों आज के इस लेख में हमने ओणम का त्योहार क्यों और कब मनाया जाता है? और (ओणम की कहानी) Onam History in Hindi के बारे में विस्तार से आपको बताया! 

“ओणम” एक ऐतिहासिक महत्व और आदिकाल से चली आ रही कथाओं से भरपूर त्योहार है जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण रूप से प्रकट करता है।

यह मनोरंजन, आनंद और एकता की भावना को साझा करने का एक उत्कृष्ट और साहसिक माध्यम भी है। “ओणम” की कहानियां और परंपराएँ हमें हमारे पूर्वजों की मानवता के प्रति भरपूर स्नेह और समर्पण की याद दिलाती हैं।

इस लेख के माध्यम से, हमने “ओणम” के बारे में और ओणम क्यों और कब तथा कहा मनाया जाता है से लेकर इसके पीछे की कहानी के बारे में आपको जानकारी प्प्रदान की! उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का यह लेख पसंद आया होगा!

इस लेख को एक लाइक ज़रूर कीजिएगा ताकि हम इस तरह की और भी रोचक जानकारियाँ सबसे आप तक पहुँचाये!

इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए शुक्रिया!

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Onam Festival Story : जानिए ओणम मनाने के पीछे की कहानी है ?

Onam Festival Story : जानिए ओणम मनाने के पीछे की कहानी है ?

Onam Festival Story in Hindi : ओणम भारतीय राज्य केरल में मनाया जाने वाला एक वार्षिक हिंदू फसल उत्सव है, केरलवासियों के लिए यह एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम व राज्य का आधिकारिक त्योहार है।

ओणम का फेस्टिवल 10 दिनों तक चलता है ओर यह त्योंहार केरल की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति और परंपरा को सामने लाता है हिंदू किंवदंतियों से आकर्षित ओणम राजा महाबली ओर वामन की याद दिलाता है।

ओणम कब मनाया जाता है

ओणम महोत्सव मलयालम कैलेंडर के पहले महीने की शुरुआत में मनाया जाता है, जिसे “Chingam” कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर अनुसार अगस्त -सितंबर में और भारतीय हिंदू कैलेंडर अनुसार भाद्रपद या भादों में ये दिन आता है।

Onam ka  Tyohar 10 दिनों तक चलता है, जो Atham के दिन से शुरू होकर Thiru Onam पर समाप्त होता है। Atham ओर Thiru Onam के दिन को इस फेस्टिवल के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता हैं।

इस साल Onam Festival 2023 में, रविवार 20 अगस्त से शुरू होकर गुरुवार 31 अगस्त को समाप्त होगा।

तो आइए दोस्तो जानते है, आज  के इस लेख में ओणम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में – Onam festival Story In Hindi…

Onam Festival Story In Hindi | ओणम स्टोरी इन हिंदी

Onam Festival Story In Hindi : ऐसा माना जाता है कि एक बार एक बुद्धिमान और उदार असुर राजा, महाबली रहते थे। वह राजा अपनी प्रजा से बहुत सम्मानित था और उसके राज्य में हर कोई खुश था।

राजा महाबली की बढ़ती लोकप्रियता देख देवताओं को चुनौती महसूस होनी लगी थी। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी, क्योंकि उनकी पूजा राजा महाबली किया करता था।

तब भगवान विष्णु ने वामन नामक एक गरीब ओर बौने ब्राह्मण का अवतार लिया और सुबह की प्रार्थना के बाद राजा महाबली के राज्य में आये, ओर भेष बदलकर आए भगवान विष्णु ने उतनी ही भूमि मांगी, जितनी उनके तीन चरणों से ढँकी जा सके। राजा ने ऐसा करने का वचन दे दिया।

Onam Festival Story In Hindi

अचानक, वामन का आकार विशाल हो गया। उसने अपने एक कदम से पूरे आकाश को ढँक लिया ओर दूसरे से उसने पूरी पृथ्वी को ढँक लिया था। फिर उसने अपना तीसरा कदम रखने के लिए राजा महाबली से जगह मांगी।

तब राजा महाबली को अहसास हुआ की यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं है और उसने वामन से अपना तीसरा कदम अपने सिर पर रखने को कहा।

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तब लड़के ब्राह्मण ने ऐसा ही किया, सिर पर पैर रखते ही राजा महाबली को पाताल लोक में धकेल दिया। तब भगवान विष्णु राजा महाबली की उदारता से प्रसन्न हुए ओर उन्हें वरदान दिया।

तब अपने लोगों के साथ गहराई से जुड़े, राजा महाबली ने कहा कि वह हर साल केरल ओर उसके लोगों की यात्रा करना अपने वरदान के रुप में चाहते है, तब भगवान विष्णु ने राजा की इस इच्छा को स्वीकार किया था।

ओर हर साल यह दिन राजा महाबली की घर वापसी का दिन, जिसे हर साल ओणम | Onam Festival के रूप में मनाया जाता है।

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राजा महाबली से जुड़ी एक ओर कथा है, लेकिन यह कहानी एक अलग दृष्टिकोण के साथ है। कहा जाता है की राजा महाबली एक बुद्धिमान और विवेकपूर्ण शासक थे, इसके साथ वे बहुत अहंकारी भी थे। वह भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था और भगवान अपने भक्त को पाप से छुड़ाना चाहते थे।

तब भगवान विष्णु ने वामन नामक एक गरीब ओर बौने ब्राह्मण का अवतार लिया और राजा महाबली से भूमि का एक टुकड़ा मांगा। अहंकारी राजा ने उस गरीब ब्राह्मण से कहा की वह जितनी चाहे उतनी जमीन मांग सकता है, मांगे उसे कितनी जमीन चाहिए।

वामन गरीब ब्राह्मण ने उत्तर दिया कि महाराज उसे केवल उतनी ही भूमि चाहिए जो उसके 3 चरणों से ढकी जा सकती है। इस पर राजा हँसे ओर उसे ऐसा करने का वचन दिया।

तब वामन ब्राह्मण का आकार बढ़ गया। उसने अपने एक कदम से पूरे आकाश को व दूसरे से पूरी पृथ्वी को ढँक लिया। तब राजा महाबली ने महसूस किया कि यह कोई साधारण ब्राह्मण नही हैं।

तब राजा ने तीसरा कदम रखने के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया ओर भगवान विष्णु ने राजा को पाताल लोक में धकेल दिया।

यह राजा के लिए एक आशीर्वाद साबित हुआ, उसे जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त कर दिया। यह घटना हर वर्ष केरल में ओणम पर्व के रूप में मनाई जाती है, जिसमें लोग खुशियाँ मनाते हैं, इस पर्व पर व्यंजन बनाते हैं और खेल-खिलौनों का आनंद लेते हैं।

कुल मिलाकर, ओणम एक परंपरागत त्योहार है जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ गांव की समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।

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ओणम पर निबंध | Essay on Onam in Hindi

Essay on Onam in Hindi : हम यहां पर ओणम पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में ओणम त्यौहार की सभी जानकारी दे गयी है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

ओणम त्योहार पर निबंध - (100 शब्द)

  • ओणम त्योहार पर निबंध - (1000 शब्द)

ओणम केरल का राजकीय त्यौहार है, जो दस दिनों तक चलता है। यह त्योहार न केवल केरल राज्य में अपितु पूरे दक्षिण भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। ओणम का उत्सव प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है। ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान् विष्णु से जुड़ी हुई है. ऐसा माना जाता है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है। इस दिन केरल में प्रसिद्ध सर्प नौका दौड़ आयोजित किया जाता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को ख़ुशहाली से भर देता है। ओणम के दस दिन एक कार्निवल के समान होते हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटक केरल में आते हैं। 

ओणम पर निबंध | Essay on Onam in Hindi

ओणम त्योहार पर निबंध -(1000 शब्द)

ओणम का त्योहार केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदी कैलेंडर के मुताबिक़, ओणम का पर्व हर वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है।ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान् विष्णु से जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है। तब से केरल में हर साल राजा बलि के स्वागत में ओणम का पर्व मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पहले महाबलि नाम के एक शक्तिशाली राजा हुए। उन्होंने तीनों लोकों (भू, देव और पाताल) पर राज किया। राक्षस योनि में पैदा होने के बावजूद भी उदार चरित्र होने के कारण उन्हें प्रजा बहुत प्यार करती थी, परंतु देवता उनसे ख़ुश नहीं थे, क्योंकि महाबलि ने उन्हें युद्ध में परास्त करने के बाद देवलोक पर शासन किया था। युद्ध में परास्त सभी देवता त्राहि माम करते हुए भगवान विष्णु के द्वार पर पहुँचे और उनसे अपना साम्राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। इस पर विष्णुजी ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार का रूप धारण किया, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण बने। दरअस्ल, ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है, इसलिए वामन का रुप धारण कर भगवान विष्णु राजा महाबलि के दरबार पर पहुँचे। राजा बलि ने जैसे ही ब्राह्मण यानि भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी तभी भगवान विष्णु ने उनसे केवल तीन क़दम ज़मीन मांगी। यह सुनते ही राजा महाबलि ने हाँ कह दिया और तभी भगवान विष्णु अपने असली रूप में आ गए। उन्होंने पहला कद़म देवलोक में रखा जबकि दूसरा भू लोक में और फिर तीसरे क़दम के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा ने अपना सिर उनके आगे कर दिया। विष्णुजी जी ने उनके सिर पर पैर रखा और इस तरह महाबलि पाताल लोक पहुँच गए। राजा ने यह सब बड़े ही विनम्र भाव से किया। यह देखकर भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तब महाबलि ने कहा कि, हे प्रभु! मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे साल में एक बार लोगों से मिलने का मौक़ा दिया जाए। भगवान ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार कर लिया, इसलिए थिरुवोणम के दिन राजा महाबलि लोगों से मिलने आते हैं।

केरल में 10 दिन तक चलने वाला ओणम उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक जारी रहता है। ओणम पर्व पर राजा बलि के स्वागत के लिए घरों की आकर्षक साज-सज्जा के साथ फूलों की रंगोली और तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको भोग अर्पित करते है। इन दिन महिलाएं फूलों की रंगोली बनाती है, जिसे ओणमपुक्कलम कहते हैं। ओणम के आखिरी दिन बनाये जाये वाले पकवानों को ओणम सद्या कहते है। इसमें 26 तरह के पकवान बनाये जाती है, जिसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है। महाबली दानवीर थे, इसलिए ओणम त्यौहार में दान का विशेष महत्व होता है। लोग तरह तरह की वस्तुएं गरीबों एवं दानवीरों को दान करते है। 

1. एथम/अथम (प्रथम दिन) : इस दिन, लोग प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि क्रियाओं से निवृत्त होकर मंदिर में ईश्वर की पूजा करते हैं। इस दिन महाबली की पाताल से केरल आने की तैयारी की जाती हैं  उसके बाद लोग ओणम पुष्प कालीन (पूकलम) बनाते हैं।

2. चिथिरा (दूसरा दिन) : दूसरा दिन भी पूजा की शुरूआत के साथ शुरू होता है। उसके बाद महिलाओं द्वारा पुष्प कालीन में नए पुष्प जोड़े जाते हैं और पुरुष उन फूलों को लेकर आते हैं।

3. चोधी (तीसरा दिन) : पर्व का तीसरा दिन ख़ास है, क्योंकि थिरुवोणम को मनाने के लिए लोग इस दिन बाजार से ख़रीदारी करते हैं।

4. विसाकम (चौथा दिन) : चौथे दिन कई जगह फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। महिलाएँ इस दिन ओणम के अंतिम दिन के लिए अचार, आलू की चिप्स आदि तैयार करती हैं।

5. अनिज़ाम (पाँचवां दिन) : पांचवे नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसे वल्लमकली भी कहते हैं।

6. थ्रिकेता (छटा दिन) : इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी उम्र के लोग इसमें भाग लेते हैं। इस दिन लोग अपने क़रीबियों को ओणम की शुभकामनाएं देते हैं।

7. मूलम (सातवां दिन) : लोगों का उत्साह इस दिन अपने चरम पर होता है। इस दिन बाज़ार विभिन्न खाद्य पदार्थों से सजे होते हैं। लोग आसपास घूमने के साथ-साथ व्यंजनों की कई किस्मों का स्वाद चखते हैं और महिलाएँ अपने घरों को सजाने के लिए कई चीजें ख़रीदती हैं।

8. पूरादम (आठवां दिन) : इस दिन लोग मिट्टी के पिरामिड के आकार में मूर्तियाँ बनाते हैं। वे उन्हें ‘माँ’ कहते हैं और उनपर पुष्प चढ़ाते हैं।

9. उथिरादम (नौवां दिन) : यह दिन प्रथम ओणम के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन लोगों के लिए बेहद ही हर्षोल्लास भरा होता है, क्योंकि इस दिन लोगों को राजा महाबलि का इंतज़ार रहता है। सारी तैयारी पूरी कर ली जाती हैं और महिलाएँ विशाल पुष्प कालीन तैयार करती हैं।

10. थिरुवोणम (दसवाँ दिन) : इस दिन जैसे ही राजा महाबली का आगमन होता है लोग एक-दूसरे को पर्व की बधाई देने लगते हैं। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और जमकर आतिशबाज़ी की जाती है। इस दिन बेहद ख़ूबसूरत पुष्प कालीन बनाई जाती है। ओणम के पकवानों से थालियों को सजाया जाता है और साध्या को तैयार किया जाता है। इस दिन को दूसरा ओणम भी कहा जाता है।

उपसंहार 

ओणम को थिरुवोणम के बाद भी दो दिनों तक और मनाया जाता है अर्थात यह कुल 12 दिनों तक मनाया जाता है, हालाँकि ओणम में पहले के 10 दिन ही मुख्य होते हैं। ओणम के 11वें दिन अविट्टम मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने राजा महाबली को वापस भेजने की तैयारी करते हैं। कुछ लोग रीति-रिवाज से ओनथाप्पन मूर्ति को नदी अथवा सागर में प्रवाह करते हैं, जिसे वे अपने पुष्प कालीन के बीच इन पूरे दस दिनों तक रखते हैं। इसके बाद पुष्प कालीन को हटाकर साफ़-सफाई की जाती है, हालाँकि कुछ लोग इसे थिरुवोणम के बाद भी 28 दिनों तक अपने पास रखते हैं। इस दिन पूरे समारोह को एक विशाल नृत्य कार्यक्रम के साथ समाप्त किया जाता है।

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ओणम पर निबंध-Essay On Onam In Hindi

essay of onam festival in hindi

भूमिका : भारत विविधता में एकता का देश है। भारत में तरह-तरह की जातियाँ और लोग रहते हैं। इस देश की संस्कृति अपने आप में आलौकिक है और अविस्मरणीय है इसका वर्णन करते हम कभी भी नहीं थकते हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर हर दिन हर महीने कोई-न-कोई त्यौहार मनाया जाता है।

ओणम भी उन त्यौहारों में से एक है। ओणम एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम के साथ-साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्यौहार और वर्षा के फूल का त्यौहार मनाया जाता है। मलयाली और तमिल लोग ओणम को बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं।

ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार है। ओणम को चिंगम महीने में मनाया जाता है। ये मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है। यह अगस्त-सितम्बर के महीने में ही आता है। दूसरे सोलर कैलेंडर में इसे सिम्हा महीना भी कहते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी महिना भी कहते हैं। जब थिरुवोणम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है उस दिन ओणम का त्यौहार होता है।

राजा महाबलि की परीक्षा : महाबलि प्रहलाद के पोते थे। प्रहलाद जो हिरण्यकश्यप असुर के बेटे थे। लेकिन फिर भी प्रहलाद विष्णु के भक्त थे। महाबलि भी प्रहलाद की तरह भगवान विष्णु के भक्त थे। समय आगे बढ़ता गया और वे बड़े होते गये।उनका साम्राज्य स्वर्ग तक फैला हुआ था इस बात से उनकी प्रजा बहुत खुश थी।

देवी देवता विष्णु भगवान की अर्चना करने लगे। विष्णु भगवान ने वामन के वेश में उनके सामने गये। विष्णु जी ने तीन पग मीन का दान माँगा था। राजा बलि इस बात को बहुत ही साधारण समझ रहे थे लेकिन यह साधारण बात नहीं थी। जब राजा बलि ने तीन पग जमीन देने के लिए हामी भर दी तो भगवान विष्णु ने अपना विराट रूप ले लिया।

उन्होंने अपने एक पग से पूरी धरती को नापा और दूसरे पग से आकाश को लेकिन तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना शरीर अर्पित कर दिया।क्योंकि राजा बलि ने अपना सब कुछ दान कर दिया था तो वे धरती पर नहीं रह सकते थे। विष्णु भगवान ने उन्हें पाताल लोक जाने के लिए कहा।

लेकिन जाने से पहले भगवान विष्णु ने उनसे एक वरदान मांगने के लिए कहा था।राजा बलि गरीबों को बहुत दान देते थे। राजा बलि अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे तो उन्होंने साल में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने का वरदान माँगा। भगवान विष्णु ने उनके इस वरदान को स्वीकार कर लिया।

ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र में राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए खुद धरती पर आते हैं। मलयालम में श्रवण नक्षत्र को ओणम कहते हैं इसी लिए इस पर्व का नाम भी ओणम पड़ गया। तभी से इस त्यौहार को ओणम के नाम से मनाया जाने लगा।

ओणम का महत्व : यह फसल उत्सव भी होता है। यह त्यौहार आमतौर पर अगस्त या फिर सितंबर के महीने में आता है। ओणम त्यौहार के दिन कई तरह के नृत्य प्रस्तुत करने की परम्परा है। इस दिन केरल का सबसे लोकप्रिय कथकली नृत्य का बहुत बड़े पैमाने पर आयोजन लिया जाता है।

इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों पर फूलों की वेणियों को सजाकर नृत्य करती हैं। ये सभी कार्यक्रम इस दिन व्यापक रूप से किये जाते हैं। इन कार्यक्रमों में सभी लोग बहुत ही बढ़-चढकर हिस्सा लेते हैं। ओणम का त्यौहार अपने साथ सुख-समृद्धि, प्रेम-सौहार्द और परस्पर प्यार और सहयोग का संदेश लेकर आता है।

ओणम त्यौहार के पीछे चाहे कोई भी कहानी हो लेकिन यह बात तो स्पष्ट हैं कि यह हमारी संस्कृति का एक आईना है। यह हमारी भव्य विरासिता का प्रतीक होता है।यह हमारे जीवन की ताजगी है। यह चाहे साल भर में एक बार आता हो लेकिन इस दिन में यह हमें ऐसी ताजगी देकर जाता है जो हमारी धमनियों में सालभर नये पन का संचार करती रहती हैं।

पुराणों में ओणम : ओणम के त्यौहार को राजा महाबलि की याद में मनाया जाता है। ओणम का त्यौहार राजा महाबलि से जुड़ा हुआ है। ओणम पर्व को राजा महाबलि के सम्मान में मनाया जाता है लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने पांचवे अवतार वामन के रूप में चिंगम मास के दिन धरती पर आकर राजा महाबलि को पाताल लोक भेजा दिया था। ओणम त्यौहार सदियों से चला आ रहा है। इस त्यौहार को राजा महाबलि की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता है।

इतिहास में ओणम : कुछ लोगों का मानना है की ओणम त्यौहार का प्रारंभ संगम काल में हुआ था। ओणम के पर्व से संबंधित उल्लेख कुलसेकरा पेरूमल के समय में मिल जाते हैं। उन दिनों में ओणम त्यौहार पूरे महीने चलता है। ओणम को केरल में सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है।

ओणम त्यौहार फसलों की कटाई से संबंधित होता है। शहर में भी इस त्यौहार को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम त्यौहार को मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम के शुरू में मनाया जाता है। ओणम त्यौहार चार से दस दिन चलता है।

ओणम के दस दिन : ओणम त्यौहार को दस दिन तक मनाया जाता है। इसमें पहला और दसवाँ दिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। केरल के सभी लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं।

1. पहला दिन : इस दिन राजा महाबलि जी पाताल से केरल जाने की तैयारियां करते हैं। इस दिन से ही ओणम त्यौहार की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। ओणम के दिन के लिए घर की सफाई होनी शुरू हो जाती है। बाजार भी मुख्य रूप रूप सजाये जाते हैं और चारों तरफ त्यौहार का माहौल बन जाता है।

2. दूसरा दिन चिथिरा होता है इस दिन फूलों का कालीन जिसे पुक्कलम कहते हैं बनाना शुरू करते हैं। पुक्कलम को ओणम त्यौहार तक बनाया जाता है। ओणम त्यौहार के दिन पुक्कलम बनाने की प्रतियोगिता रखी जाती है।

3. तीसरा दिन चोधी होता है इस दिन पुक्कलम में 4 से 5 तरह के फूलों से अगली परत बनती है।

4. चौथा दिन विशाकम होता है इस दिन से कई तरह की प्रत्योगितायें होनी शुरू हो जाती हैं।

5. पांचवां दिन अनिज्हम होता है इस दिन नाव की दौड़ की तैयारियां की जाती हैं।

6. छटा दिन थ्रिकेता होता है इस दिन से छुट्टियाँ शुरू हो जाती हैं।

7. सातवाँ दिन मूलम होता है इस दिन मन्दिरों में विशेष प्रकार की पूजा की जाती है।

8. आठवाँ दिन पूरादम होता है इस दिन महाबलि और वामन की मूर्तियाँ घर में स्थापित की जाती हैं।

9. नौवां दिन उठ्रादोम होता है इस दिन महाबलि केरल राज्य में प्रवेश करते हैं।

10. दसवाँ दिन थिरुवोनम होता है इस दिन ही ओणम त्यौहार होता है।

कैसे मनाया जाता है ओणम : ओणम को महाबलि की वजह से मनाया जाता है।केरल प्रदेश पर राज्य करने वाला महान राजा महाबलि था। माना जाता है कि महाबलि महाप्रतापी , आदर्श , धर्मपरायण और सत्पुरुष थे। माना जाता है कि उनके राज्य में सुख-स्मृद्धि की बहुलता थी।

उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी थी कि वे अपनी प्रजा के लिए राजा नहीं भगवान बन चुके थे। राज्य में प्रत्येक जगह पर उनकी पूजा होने लगी। देवता इस बात को सहन न कर सके और देवराज इंद्र ने एक षड्यन्त्र किया। देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी।

विष्णु भगवान वामन का वेश बनाकर महाबलि के सामने आये और उन्हें वचन देने के लिए विवश कर लिए उसके बाद उन्होंने उनसे केवल तीन पग जमीन मांगी।उन्हीं की याद में ओणम त्यौहार मनाया जाता है। ओणम त्यौहार के दिन पूरी जनता अपने राजा के इंतजार में अपने घरों को सजाती है।

इस दिन चारों ओर ख़ुशी का वातावरण छाया हुआ होता है। इस दिन दीप जलाये जाते हैं और वन्दनवार लगाये जाते हैं। हर प्रकार से धरती को सजाया जाता है।रंगोली से धरती को सजाया जाता है और उस धरती पर भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्तियों की स्थापना की जाती है।

दोनों की बहुत ही भव्य तरीके से पूजा की जाती है। सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार के नृत्य पेश करते हैं। मन्दिरों में बहुत ही भव्य प्रकार के उत्सव मनाये जाते हैं। बहुत से मनोरंजन के कार्यक्रम किये जाते हैं जैसे – नौका दौड़ और हाथियों का जुलूस। इन कार्यक्रमों को करने के पीछे लोगों का उद्देश्य होता है कि उनके राजा उन्हें खुश और प्रसन्न देख सकें। इस दिन सभी लोग महाबलि की याद में दिल खोलकर दान देते हैं।

उपसंहार : ओणम के त्यौहार पर घरों और केरल को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती है। ओणम के त्यौहार में केरल की स्मृद्धि को व्यापक रूप से देखा जा सकता है। ओणम त्यौहार के दिन लोक नृत्य , खेल , साँप बोत की दौड़ , गाने , स्वादिष्ट भोजन बनाए जाते हैं।

राजा महाबलि लोगों के आदर्श थे वे बहुत ही दानी थे। ओणम के दिन अमीर लोग गरीबों को दिल खोलकर दान करते हैं। ओणम के दिन को लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं जिसका पता लोगों के चेहरों को देखकर लगाया जा सकता है।

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essay of onam festival in hindi

10 Lines on Onam Festival in Hindi

In this article, we are providing 10 Lines on Onam Festival in Hindi & English. In this few / some lines on Onam, you will get information about Onam Festival in Hindi. A short essay on Onam. हिंदी में ओणम पर 10 लाइनें

1. ओणम भारत के केरल राज्य में मनाया जाने वाला मुख्य त्यौहार है।

2. यर हर साल श्रावण नक्षत्र में मनाया जाता है जो कि अगस्त या सितंबर में आता है।

3. यह पर्व दस दिन तक मनाया जाता है और केरल में इस पर्व पर अवकाश रहता है।

4. इस पर्व को फसलों से भी जोड़ा गया है क्योंकि इस समय किसान बहुत खुश होते हैं क्योंकि उनकी फसल पक कर तैयार हो चुकी होती है।

5. कहा जाता है कि ओणम के पर्व पर उनके प्रिय राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर आते हैं।

6. दस दिन तक लोग घरों को सजाते हैं और अलग अलग व्यंजन बनाते हैं।

7. घरों में रंगोली बनाई जाती है जिसमें विष्णु भगवान और राजा महाबली की मुर्ति रख पूजा की जाती है।

8. नौका दौड़ और हाथियों का जुलुस निकाला जाता है।

9. मंदिरों में पूजा का विशेण आयोजन किया जाता है।

10. इस दिन केरल के लोग बहुत ही खुश होते हैं।

Few Lines on Onam in English

1. Onam is the main festival celebrated in the state of Kerala in India.

2. Every year it is celebrated in the Shravan nakshatra which comes in August or September.

3. This festival is celebrated for ten days and there is a holiday in Kerala on this festival.

4. This festival has been linked with crops as farmers are very happy at this time because their crops have got ready and ready.

5. It is said that on the festival of Onam, his beloved King Mahabali came to the land from Hades.

6. Ten days people decorate homes and make different dishes.

7. Rangoli is constructed in the houses in which the idol of Lord Vishnu and King Mahabali is worshipped.

8. Boat races and elephants are drawn out.

9. Places of worship are organized in the temples.

10. The people of Kerala are very happy this day.

10 Lines on Diwali in Hindi

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों 10 Lines on Onam Festival in Hindi (article) आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

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Essay on Onam

500+ words essay on onam.

Onam is the festival that brings together all communities in Kerela. On this day, religion , caste or creed is not of importance. One of the most popular festivals of India, people celebrate it with great zeal. Similarly, activities of this festival are famous all over India for their grand scale and delicious food. We will take a look at the various festivities and celebrations like Onam Pookalam and more.

onam

The Story Behind Onam

The harvest festival of Onam generally begins between August end and the start of September. In other words, during the Malayalam month of Chingam. We celebrate the festival to welcome the mythical King Mahabali.

It is believed that his spirit visits the state in the duration of Onam. The festival originates from the ancient times of Lord Vishnu. One day, he transformed himself into a dwarf Brahmin, Vamana.

In this avatar, he went to attend the Yaagam which King Mahabali was hosting. Thus, Vamana made a request for three feet of land. King Mahabali obliged for the same. However, then the dwarf started to grow bigger in size claiming the Earth and heaven.

As the dwarf covered the whole land, sparing nothing, King Mahabali made an offer of his own head to keep his word. However, he kept a condition that he would be allowed to visit people’s homes every year once. Thus, we celebrate it as King Mahabali’s homecoming.

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Festivities of Onam

People all over Kerala celebrate this festival for ten days. Each day of this festival carries unique importance. Thus, people celebrate each of them uniquely. The celebrations reflect the rich culture and history of Kerala. In other words, this festival is no less than a carnival of 10 days in the state.

The Onam dance is quite popular throughout the country. Some of the traditional ones that people perform are Kathakali, Pulikali/Kaduvakali, Kummatti Kali, Kaikotti Kali and more.

Similarly, the traditional snake boat race is also a major attraction during the festival. We refer to it as Vallamkali. There are 100 men on each boat who do the rowing. The race occurs at the River Pampa. Other popular races include Nehru Trophy Boat Race and the Uthrattathi Boat Race.

Another important aspect of this festival is the Onam Sadhya. It is basically a feast containing all types of vegetarian dishes. It is quite lavish and is served on the last day of the festival. A huge variety of dishes are prepared and people serve them on banana leaves.

Further, there is Onam Pookalam that is basically flower carpets. People make the flower decorations in front of their houses for welcoming King Mahabali.

All in all, Onam is a festival that unites all the people of Kerala. It is a festival that erases all the boundaries we have created. People celebrate it with joy and zeal and enjoy the days to the fullest each year.

FAQ of Essay on Onam

Question 1: Why do we celebrate Onam?

Answer 1: The harvest festival generally begins between August end and the start of September. In other words, during the Malayalam month of Chingam. We celebrate the festival to welcome the mythical King Mahabali.

Question 2: How do educational institutions celebrate Onam?

Answer 2: The educational institutions plan a lot of activities for this festival. Their aim is to make students familiar with the festival and culture. They conduct speeches, essays, flower decoration competitions making during the festival.

Question 3: What is Onam Pookalam ?

Answer 3: Pookalam is basically flower carpets. People make the flower decorations in front of their houses for welcoming King Mahabali.

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ओणम त्यौहार पर 10 वाक्य | 10 Lines About Onam Festival in Hindi

10 lines about onam festival in hindi.

10 Lines About Onam Festival in Hindi | ओणम त्यौहार पर 10 वाक्य। ओणम दक्षिण भारत राज्य केरल का एक प्रमुख त्यौहार है।  जिसे केरलवासी बहुत ही हर्षोउल्लाश के साथ मनाते है। यह त्यौहार दस दिनों तक चलता है। सभी लोग अपने घरो को दुल्हन की तरह सजाते है और भी प्रमुख चीजे जो इस अवसर पर होता है आइये जानते है ओणम त्यौहार के बारे में 10 वाक्य।

Set (1) 10 Lines About Onam Festival in Hindi

1. ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है और इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

2. ओणम के त्योहार पर केरल के लोग अपने घरों को दुल्हन की तरह सजाते हैं।

3. यह ओणम त्योहार राजा महाबली की समृद्धि और उदारता की याद में मनाया जाता है।

4. लोगों का मानना ​​है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने धरती पर आकर राजा महाबली को पाताल लोक भेजा था।

5. जबकि कुछ लोगों का मानना ​​है कि ओणम पर्व की शुरुआत संगम काल में हुई थी।

6. यह त्योहार फसलों की कटाई से संबंधित है और शहर में भी इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

7. यह त्यौहार मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम के पहले महीने की शुरुआत में मनाया जाता है।

8. यह पर्व दस दिनों तक मनाया जाता है। जिसमें पहला और दसवां दिन खास होता है।

9. इस त्योहार पर लोग गाते हैं, नाचते हैं, खेलते हैं और स्वादिष्ट खाना बनाते हैं।

10. ऐसा माना जाता है कि ओणम के दिन अमीर लोग गरीबों को उदारता से दान करते हैं।

ये भी देखें – 10 Lines on women scientists in Hindi

**************************************************

Set (2) 10 Lines About Onam Festival in Hindi

1. ओणम केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक है जिसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

2. यह केरल का एक बहुत ही प्रमुख त्योहार है और यह चिंगम के महीने में मनाया जाता है।

3. मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम पहला महीना है। जो अगस्त-सितंबर के महीने में ही आता है।

4. ऐसा माना जाता है कि ओणम का त्यौहार तब होता है जब चिंगम के महीने में तिरुवोनम नक्षत्र आता है।

5. मान्यता है कि श्रावण मास के श्रावण नक्षत्र में राजा बलि स्वयं अपनी प्रजा को देखने धरती पर आते हैं.

6. केरल में श्रवण नक्षत्र को मलयालम भाषा में ओणम कहा जाता है, इसलिए इस पर्व को ओणम के नाम से जाना जाता है।

7. ओणम फसल कटाई का त्योहार भी है। जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में आता है।

8. इस पर्व के अवसर पर विभिन्न प्रकार के नृत्य करने की परंपरा है।

9. लोकप्रिय कथकली नृत्य ओणम के दौरान बहुत बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है।

10. यह त्योहार अपने साथ प्रेम-सद्भाव, सुख-समृद्धि और आपसी प्रेम का संदेश लेकर आता है।

ये भी देखें – 10 Lines on traditional recipe in Hindi

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FAQs. on Onam Festival in Hindi

हम ओणम का त्योहार क्यों मनाते हैं.

उत्तर – ओणम केरल राज्य में मनाया जाने वाला एक वार्षिक हिंदू त्यौहार है। ऐसा मान्यता है की यह त्यौहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है जो हर वर्ष ओणम के दौरान केरल आते है। केरल और केरल के बाहर यह त्यौहार केरलवासियों के लिए एक प्रमुख वार्षिक त्यौहार में से एक है।

ओणम का संदेश क्या है?

उत्तर – ओणम त्यौहार एक खुशी का अवसर होता है, हम आपके आनंद और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है और आप हमेशा प्रकृति की प्रचुरता का आनंद लें ऐसी आशा करते है।  इस शुभ उत्सव के अवसर पर, मैं आपको और आपके परिवार को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। आप सभी के जीवन में सुख-समृद्धि सदा बनी रहे।

ओणम कब और कहाँ मनाया जाता है?

उत्तर – यह दक्षिण भारत के केरल में मनाया जाता है।  ओणम केरल के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। यह केरल राज्य का सबसे लोकप्रिय त्योहार है और प्रतिवर्ष अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है, ऐसी मान्यता है की यह एक प्रमुख फसल उत्सव भी है।

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