राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध- Essay on National Language in Hindi

In this article, we are providing an Essay on National Language in Hindi / Essay on Rashtrabhasha Hindi. राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध | Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For class 3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.  

essay on national language in hindi

Rashtra Bhasha Hindi Essay ( 300 words )

प्रस्तावना- हम भारतीय लोग बचपन से बोलना शुरू करते हैं तब पहला शब्द हमारा हिंदी का ही होता है और उस हिंदी भाषा के सहारे ही हम दुनिया के तमाम तरह के जज्बात, भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं। लेकिन जब बात आए सम्मान की तो हम हिचकते हैं हिंदी को अपनी मातृभाषा कहते हुए।

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर हम सब गर्व तो करते हैं, फिर भी हिंदी को बोलने में हमें शर्म क्यों आती हैं। हम कहीं बाहर जाकर किसी से मिलते हैं तो हिंदी के बजाय अंग्रेजी में बात करने को ज्यादा मान्यता देते हैं।

दुनिया मे बोली जाने वाली अनेकों भाषाएं है, लेकिन उनमें से एक भाषा जिसमें हम बड़ी सहजता के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं  ‘हमारी राष्ट्रभाषा कहलाती है’ । हमारी राष्ट्रभाषा पूरी दुनिया मे हमारी बोली, हमारी सभ्यता को एक पहचान देती है।

14 सितंबर वर्ष 1949 में संविधान सभा ने एक बैठक में राष्ट्रभाषा के बारे में वार्तालाप की, जिसके बाद कई राजकीय भाषाओं को राष्ट्रभाषा बनाने का सुझाव दिया गया, लेकिन उस समय भी ज्यादातर लोग हिंदी के पक्ष में खड़े थे जिसके बाद बहुमत के साथ हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया गया।

प्रत्येक वर्ष हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, इस दिन सरकारी और गैरसरकारी स्थानों पर आयोजन किए जाते हैं और बड़े-बड़े भाषण के साथ हिंदी को मां का दर्जा भी दिया जाता है।

उपसंहार- हमें चाहिए कि जो हम इज्जत हिंदी को दुनिया के सामने देने का ढोंग करते हैं, उसे असल जिंदगी में भी दें। जिससे हमारी हिंदी भाषा दुनिया में तरक्की कर सके बिल्कुल वैसे जैसे आज अंग्रेजी भाषा भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में अपनी पहचान बनाए हुए है।

Rashtrabhasha Hindi Par Nibandh ( 800 words )

प्रस्तावना- ‘राष्ट्र’ शब्द का प्रयोग किसी देश तथा वहाँ बसने वाले लोगों के लिए किया जाता है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वतंत्र अस्तित्व होता है। उसमें विभिन्न जातियों एवं धर्मों के लोग रहते हैं। विभिन्न स्थानों अथवा प्रांतों में रहने वाले लोगों की भाषा भी अलग-अलग होती है। इस भिन्नता के साथ-साथ उनमें एकता भी बनी रहती है। पूरे राष्ट्र के शासन का एक केद्र होता है। अत: राष्ट्र की एकता को और दृढ़ बनाने के लिए एक ऐसी भाषा की आवश्यकता होती है, जिसका प्रयोग संपूर्ण राष्ट्र में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जाता है। ऐसी व्यापक भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। भारतवर्ष में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। भारतवर्ष को यदि भाषाओं का अजायबघर भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी लेकिन एक संपर्क भाषा के बिना आज पूरे राष्ट्र का काम नहीं चल सकता।

सन 1947 में भारतवर्ष को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। जब तक भारत में अंग्रेज़ शासक रहे, तब तक अंग्रेज़ी का बोलबाला था किंतु अंग्रेज़ों के जाने के बाद यह असंभव था की देश के सारे कार्य अंग्रेजी में हो। जब देश के सविधान का निर्माण किआ गया तो यह प्रशन भी उपस्थित हुआ कि राष्ट्र की भाषा कौन-सी होगी ? क्योंकि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र के स्वतंत्र अस्तित्व की पहचान नहीं होगी। कुछ लोग अंग्रेज़ी भाषा को ही राष्ट्रभाषा बनाए रखने के पक्ष में थे परंतु अंग्रेज़ी को राष्ट्रभाषा इसलिए घोषित नहीं किया जा सकता था क्योंकि देश में बहुत कम लोग ऐसे थे जो अंग्रेज़ी बोल सकते थे। दूसरे, उनकी भाषा को यहाँ बनाए रखने का तात्पर्य यह था कि हम किसी-न-किसी रूप में उनकी दासता में फंसे रहें।

हिंदी को राष्ट्रभाषा  घोषित करने का प्रमुख तर्क यह है की हिंदी एक भारतीय भाषा है। दूसरे, जितनी संख्या यहां हिंदी बोलने वाले लोगों की थीं, उतनी किसी अन्य प्रांतीय भाषा बोलने वालों की नहीं। तीसरे, हिंदी समझना बहुत आसान है। देश के प्रत्येक अंचल में हिंदी सरलता से समझी जाती है, भले ही इसे बोल न सके। चौथी बात यह है कि हिंदी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में सरल है, इसमें शब्दों का प्रयोग तकपूर्ण है। यह भाषा दो-तीन महीनों के अल्प समय में ही सीखी जा सकती है। इन सभी विशेषताओं के कारण भारतीय संविधान सभा ने यह निश्चय किया कि हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा तथा देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि बनाया जाए।

हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के बाद उसका एकदम प्रयोग करना कठिन था। अत: राजकीय कर्मचारियों को यह सुविधा दी गई थी कि सन 1965 तक केद्रीय शासन का कार्य व्यावहारिक रूप से अंग्रेज़ी में चलता रहे और पंद्रह वर्षों में हिंदी को पूर्ण – समृद्धिशाली बनाने के लिए प्रयत्न किए जाएँ। इस बीच सरकारी कर्मचारी भी हिंदी सीख लें। कर्मचारियों को हिंदी पढ़ने की विशेष सुविधाएँ दी गई। शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य विषय बना दिया गया। शिक्षा मंत्रालय की ओर से हिंदी के पारिभाषिक शब्द-निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ तथा इसी प्रकार की अन्य सुविधाएँ हिंदी को दी गई ताकि हिंदी, अंग्रेज़ी का स्थान पूर्ण रूप से ग्रहण कर ले। अनेक भाषा-विशेषज्ञों की राय में यदि भारतीय भाषाओं की लिपि को देवनागरी स्वीकार कर लिया जाए तो राष्ट्रीय भावात्मक एकता स्थापित करने में सुविधा होगी। सभी भारतीय एक-दूसरे की भाषा में रचे हुए साहित्य का रसास्वादन कर सकेंगे!/

आज जहाँ शासन और जनता हिंदी को आगे बढ़ाने और उसका विकास करने के लिए प्रयत्नशील हैं वहाँ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो उसकी टाँग पकड़कर पीछे घसीटने का प्रयत्न कर रहे हैं। इन लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जो हिंदी को संविधान के अनुसार सरकारी भाषा बनाने से तो सहमत हैं किंतु उसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहते। कुछ ऐसे भी हैं जो उर्दू का निर्मूल पक्ष में समर्थन करके राज्य-कार्य में विध्न डालते रहते हैं। धीरे-धीरे पंजाब, बंगाल और चेन्नई के निवासी भी प्रांतीयता की संकीर्णता में फंसकर अपनी-अपनी भाषाओं की मांग कर रहे हैं परंतु हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसके द्वारो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।

नि:संदेह हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें राष्ट्रभाषा बनने की पूर्ण क्षमता है। इसका समृद्ध साहित्य और इसके प्रतिभा संपन्न साहित्यकार इसे समूचे देश की संपर्क भाषा का दर्जा देते हैं किंतु आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि हिंदी का प्रचार-प्रसार कैसे किया जाए ? सर्वप्रथम तो हिंदी भाषा को रोज़गार से जोड़ा जाए। हिंदी सीखने वालों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाए। सरकारी कायलियों तथा न्यायालयों में केवल हिंदी भाषा का ही प्रयोग होना चाहिए। अहिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी का अधिकाधिक प्रचार होना चाहिए। वहाँ हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशकों एवं संपादकों को और आर्थिक अनुदान दिया जाए।

उपसंहार- आज हिंदी के प्रचार-प्रसार में कुछ बाधाएँ अवश्य हैं किंतु दूसरी ओर केद्रीय सरकार, राज्य सरकारें एवं जनता सभी एकजुट होकर हिंदी के विकास के लिए प्रयत्नशील हैं। सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ बनाई गई हैं। उत्तर भारत में अधिकांश राज्यों में सरकारी कामकाज हिंदी में किया जा रहा है। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने भी हिंदी में कार्य करना आरंभ कर दिया है। विभिन्न संस्थाओं एवं अकादमियों द्वारा हिंदी लेखकों की श्रेष्ठ पुस्तकों को पुरुस्कृत किआ जा रहा है। दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा भी इस दिशा में काफी प्रयास किए जा रहे है।

# rashtra bhasha hindi essay # rastrabhasa hindi par nibandh # Short Essay on National Language in Hindi

Essay on National Flag in Hindi

Essay on National Bird in Hindi

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Essay on National Language in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi

essay on national language in hindi

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi!

राष्ट्रभाषा का अर्थ है राष्ट्र की भाषा (Language of the nation) । अर्थात् ऐसी भाषा, जिसका प्रयोग देश की हर भाषा के लोग आसानी से कर सकें, बोल सकें और लिख सकें । हमारे देश की ऐसी भाषा है हिन्दी । आजादी के पहले अंग्रेजी सरकार ने अंग्रेज के माध्यम से सारा काम चलाया किन्तु अपने देश में सबके लिए एक भाषा का होना आवश्यक है, ऐसी भाषा जो अपने देश की हो । वह भाषा केवल हिन्दी ही है ।

2. विशेषताए:

हिन्दी को संस्कृत की बड़ी बेटी कहते हैं । हिन्दी का प्रमुख गुण यह है कि यह बोलने, पढ़ने, लिखने में अत्यंत सरल है । हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान जॉर्ज ग्रियर्सन ने कहा है कि हिन्दी व्याकरण के मोटे नियम केवल एक पोस्टकार्ड पर लिखे जा सकते हैं ।

संसार के किसी भी देश का व्यक्ति कुछ ही समय के प्रयत्न से हिन्दी बोलना और लिखना सीख सकता है । इसकी दूसरी विशेषता है कि यह भाषा लिपि (Script) के अनुसार चलती है । इसमें जैसा लिखा जाता है, वैसा ही बोला जाता है ।

इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि संसार की लगभग सभी भाषाओं के शब्द इसमें घुलमिल सकते हैं । कुर्सी, आलमारी, कमीज, बटन, स्टेशन, पेंसिल, बेंच आदि अनगिनत शब्द हैं जो विदेशी भाषाओं से आकर इसके अपने शब्द बन गए हैं ।

ADVERTISEMENTS:

हिन्दी संसार के अनेक विश्वविद्यालयों (Univercities) में पढ़ाई जाती है और इसका साहित्य (Literature) भी विशाल है । इसके अलावा, हिन्दी ने देश में एकता लाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक, भारत के अधिकतर विद्वानों ने भारत की एकता और अखंडता (Unity and Integrity) के लिए हिन्दी का समर्थन किया है ।

इतने अधिक गुणों से भरपूर होकर भी हिन्दी आज अंग्रेजी के पीछे क्यों चल रही है ? इसका सबसे बड़ा कारण है ऊँचे पदों पर बैठे व्यक्ति जो अंग्रेजी के पुजारी हैं वे सोचते हैं कि अंग्रेजी न रही तो देश पिछड़ जाएगा ।

अंग्रेजी देश की अधिकतर जनता के लिए कठिन है, इसलिए वे जनता पर इसके माध्यम से अपना रौब रख सकते हैं । दूसरा कारण है- क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) के मन में बैठा भय । उन्हें लगता है कि यदि हिन्दी अधिक बड़ी तो क्षेत्रीय भाषाएँ पीछे रह जाएँगी ।

वास्तव में ये दोनों विचार गलत हैं । ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारी हिन्दी के माध्यम से देश की अधिक सेवा कर सकते हैं और जनता का प्रेम पा सकते हैं । आज अंग्रेजी क्षेत्रीय भाषाओं को पीछे धकेल (Push) रही है जबकि हिन्दी की प्रकृति (Nature) किसी को पीछे करने की नहीं, बल्कि मेलजोल की है । यदि हिन्दी का विकास होता है, तो क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास होगा ।

4. उपसंहार:

भारत की भूमि पर जन्म लेने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम भारत की भाषाओं के विकास पर बल दें और हिन्दी का विकास करके सभी भाषाओं को जोड़ने का प्रयास करें । तभी हिन्दी सचमुच राष्ट्रभाषा बन पाएगी ।

Related Articles:

  • हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध | Essay on Hindi-Our National Language in Hindi
  • राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | Essay on Hindi- Our National Language in Hindi
  • हिन्दी दिवस पर निबन्ध | Essay on Hindi Day in Hindi
  • Essay on the Indian Language System | Hindi

हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | Essay On Hindi Our National Language

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध Essay On Hindi Our National Language लेकर आए हैं.

class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 Students. के लिए आसान भाषा में भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी के बारे में शोर्ट लॉन्ग एस्से दिया गया हैं.

हमारी राष्ट्रभाषा पर निबंध Essay On Hindi Our National Language

हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | Essay On Hindi Our National Language

प्रस्तावना – भाषा मनुष्य को इश्वर द्वारा दिया गया महान वरदान हैं. पहले मनुष्य संकेतों से,  कुछ ध्वनियों से अपना मन्तव्य प्रकट करता था. 

धीरे धीरे ध्वनि चित्र बने व लिपि का निर्माण होने से बोली को भाषा होने का गौरव प्राप्त हुआ,  भाषा के कारण ही साहित्य, कला, धर्म, संस्कृति और विज्ञान आदि क्षेत्रों की मानवीय उपलब्धियाँ आज सुरक्षित रह सकी हैं.

भारत की भाषायें – भारत एक विशाल देश हैं. उसमें अनेक भाषाएँ प्रयोग की जाती हैं. भारत में बोली जाने वाली अनेक भाषाओं में से पन्द्रह मुख्य भाषाओं को भारतीय संविधान में मान्यता दी गयी हैं.

ये भाषाए तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, बंग्ला, असमिया, मराठी, गुजराती, पंजाबी, सिन्धी, कश्मीरी, उर्दू, संस्कृत तथा हिंदी हैं. इनमें हिन्दी को संविधान द्वारा भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में माना गया हैं.

राष्ट्रभाषा के लिए उपयोगी हिन्दी – राष्ट्रभाषा बनने के लिए किसी भी भाषा में कुछ विशेषताओं का होना आवश्यक हैं. वह सरल हो, जिससे अन्य भाषा भाषी उन्हें सरलता से सीख सके. वह देश की सभ्यता और संस्कृति को व्यंजित करने वाली हो.

उसका विस्तार देश के दूरस्थ विभिन्न प्रदेशों तक हो. उसका साहित्य सम्रद्ध हो. देश के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक वैज्ञानिक तथा शैक्षिक कार्यों के संचालन में उसका उपयोग सफलता के साथ हो सके.

निसंदेह हिन्दी इन सभी विशेषताओं से युक्त हैं. और भारत की राष्ट्रभाषा होने के लिए सर्वाधिक उपयोगी हैं.

राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का विकास – राष्ट्रभाषा की मान्यता प्राप्त होने पर केंद्र तथा राज्य सरकारों हिन्दी सेवी संस्थाओं तथा हिन्दी प्रेमीजनों ने उसके विकास का पूरा प्रयास किया हैं.

केंद्र में हिन्दी निदेशालय खोला गया हैं. विभिन्न प्रकार शब्दावलियों का निर्माण हुआ हैं. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दकोष तैयार हुआ हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश आदि में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ हैं.

सरकार ने अहिन्दी भाषी कर्मचारियों को हिन्दी सीखने के लिए प्रोत्साहित किया हैं. हिन्दी में टंकण तथा आशुलिपि का विकास भी हुआ हैं.

हिन्दी के विकास में गैर सरकारी संस्थाओं का योगदान – किसी भी भाषा का विकास अपनी स्वाभाविक गति से होता हैं. सरकारी प्रयास उसे कृत्रिम रूप से बढ़ावा देते हैं किन्तु उससे विशेष लाभ नहीं होता.

हिन्दी की प्रगति में सरकारी प्रयासों की अपेक्षा अन्य व्यक्तियों तथा संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण हैं. विभिन्न संस्थाएं अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी के विकास का कार्य सफलता के साथ कर रही हैं.

सिनेमा तथा दूरदर्शन का योगदान हिन्दी के प्रसार प्रचार में बहुत महत्वपूर्ण हैं. हिन्दी फिल्मों तथा दूर दर्शन के कार्यक्रमों ने देश विदेश में हिन्दी को लोकप्रिय बनाया हैं.

हिन्दी विरोध की राजनीति – राष्ट्रभाषा घोषित होने पर हिन्दी का विरोध होने लगा. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी तथा सुनीति कूमार चटर्जी ने यह कहकर हिन्दी का विरोध किया कि उसमें अंग्रेजी का स्थान लेने की क्षमता नहीं हैं.

देश की एकता के लिए अंग्रेजी का होना जरुरी हैं. हिन्दी में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शिक्षा देने के लिए शब्दावली ही नहीं हैं. इसी आधार पर अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी विरोध के आंदोलन चले.

लेकिन इन सबके पीछे राजनीति ही कारण रही अन्यथा उपर्युक्त समस्त तर्क निराधार तथा महत्वहीन ही हैं. हिन्दी तो अहिन्दी भाषी जनों में अपना स्थान निरंतर बनाती जा रही हैं.

विकास के लिए सुझाव – हिन्दी के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सुझाव हैं कि उसको अपने नैसर्गिक प्रवाह के साथ बढने दिया जाए. आवश्यकता यह हैं कि हिन्दी को नवीन ज्ञान विज्ञान के अनुरूप विकसित किया जाये.

राजकीय कार्यों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जावे. हिन्दी में उच्च कोटि के वैज्ञानिक, तकनीकी तथा शास्त्रीय ज्ञान से सम्बन्धित साहित्य की रचना हो. विश्वविद्यालयों तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी माध्यम के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए.

उपसंहार – अपनी भाषा की उन्नति से ही देश की सच्ची उन्नति होगी. भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने लिखा हैं.

निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा ज्ञान के मिटै न हिय को शूल

अतः हमारा कर्तव्य है कि हम राष्ट्रभाषा हिन्दी की उन्नति में अपना योगदान सुनिश्चित करें.

राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध Essay on Hindi Language in Hindi

देश की आजादी से पूर्व ही गांधीजी ने कहा था,यदि कोई भाषा भारत की राष्ट्रभाषा बन सकती है तो वह हिंदी ही होगी. बिना राष्ट्र भाषा के कोई भी देश गूंगा ही कहा जाएगा.

हिंदी, बंगला, उर्दू, पंजाबी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, उड़िया सहित कुल 22 भाषाओं को संविधान द्वारा राजभाषा का दर्जा दिया गया हैं , हिंदी के अलावा अन्य सभी स्थानीय भाषाएँ हैं, जिन्हें बोलने वालो की संख्या एक ही राज्य में सिमटकर रह जाती हैं.

जबकि हिंदी भारत की एक मात्र भाषा ही होगी, जिन्हें दर्जन भर राज्यों में बोला एवं समझा जाता हैं. यही वजह है कि इन्हें राजभाषा का दर्जा प्राप्त हैं. 14 सितंबर, 1949 के दिन ही भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था.

मगर बड़े दुःख का विषय है जिस भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए वह अपने ही राज्यों एवं देश में शोषित व् अपमानित हो रही हैं. हिंदी भाषी राज्यों में भी अंग्रेजी का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा हैं.

गांधीजी भारत की स्वाधीनता के साथ साथ राजभाषा, राष्ट्रभाषा अथवा सम्पर्क भाषा के रूप में किसी भारतीय भाषा को प्रतिष्ठित देखना चाहते थे.

उन्होंने पूरे देश का दौरा करके यह निष्कर्ष निकाला कि हिंदी ही एक ऐसी भाषा हो सकती हैं जिसे राजभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करने में कोई परेशानी नही होगी .

वे चाहते थे कि आजादी मिलने के बाद देश में राष्ट्रीय सरकार का काम किसी भारतीय भाषा में होना चाहिए. उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए भारत में हिंदी प्रचार सभा की स्थापना की, ताकि लोग हिंदी पढ़े और हिंदी बोलने समझने, लिखने में उन्हें कोई कठिनाई ना हो.

वे चाहते थे कि देश का नया संविधान जब बना तब गांधीजी की कही बातों को लोगों ने याद किया और संविधान के अनुच्छेद 343(1) में लिखा गया कि ” संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी’ ‘

संविधान में यह भी कहा गया कि 26 जनवरी 1950 को नया संविधान लागू होने के 15 वर्ष बाद हिंदी समग्र रूप से राष्ट्रभाषा का पद मिल जाएगा और जिन कामों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता रहा हैं.

उन सभी के लिए हिंदी का प्रयोग शुरू कर दिया जाएगा. संविधान में उक्त पंक्तियाँ लिखे जाने से पूर्व रा जर्षि टंडन, सेठ गोविन्ददास जैसे हिंदी भक्तों ने इसका विरोध किया था और कहा था

यदि हिंदी को अभी से लागू नही किया गया तो कालान्तर में कई परेशानियां आएगी और हिंदी कभी भी पूरी तरह राष्ट्रभाषा नही बन पाएगी, उस समय नेहरू जैसे कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया था और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के प्रश्न पर 15 वर्षों के लिए टाल दिया था.

नेहरू जी नही रहे, किन्तु उनके बाद प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री ने संसद में नेहरू के आश्वासन को कार्यरूप में बदलने के लिए एक बिल पेश किया, जो पास होकर कालान्तर में राजभाषा अधिनियम 1963 के रूप में जाना जाता हैं.

यह अधिनियम इतना खतरनाक सिद्ध हुआ कि आजादी के ७३ वर्ष बीत जाने के बाद भी हिंदी पूरी तरह से भारत की राष्ट्रभाषा नही बन पाई हैं. इस अधिनियम में उल्लेख किया गया हैं कि अंग्रेजी तब तक राजभाषा बनी रहेगी, जब तक दक्षिण भारत के लोग उसे हटाने की मांग नही करेगे.

हिंदी के व्यापक प्रयोग के लिए सरकारी प्रयत्न जारी हैं. जिसकी वजह से सन 1976 में सरकार ने बारह राजभाषा नियम तैयार किये. इन नियमों के अनुसार कुछ कामों के लिए हिंदी का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया हैं.

भारत सरकार द्वारा गठित संसदीय समितियों के सदस्य समय समय पर केंद्र सरकार के कार्यालयों का निरीक्षण करते हैं. इस प्रकार के निरीक्षणों से उन लोगों को काफी प्रोत्साहन मिला हैं, जो हिंदी का प्रयोग करने के लिए प्रयत्नरत हैं.

Essay on Hindi Language in Hindi In 400 Words

राष्ट्रीय एकता एवं प्रगति में हिंदी भाषा का महत्व- प्राचीनकाल से ही मनुष्य जंगलों में निवास करता था. धीरे धीरे उसने समाज में रहना आरम्भ किया और सुरक्षा की दृष्टि से समूह में रहना उपयुक्त समझा जाने लगा. कालान्तर में इन्ही समूहों कबीलों का और फिर नगर राज्यों का विकास हुआ.

राष्ट्रवाद की अवधारणा का विकास मध्यकाल से माना गया हैं. पश्चिमी विद्वान भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण अंग्रेजी शासन को मानते हैं, किन्तु यह तथ्य स्वीकार्य नही हैं.

वस्तुतः भारत में राष्ट्रवाद की भावना उतनी ही प्राचीन है जितना कि यहाँ का इतिहास. चक्रवर्ती सम्राट बनकर सम्पूर्ण भारत पर शासन करना ह मारे देश के प्राचीनकालीन राजाओं का सपना हुआ करता था.

प्राचीन काल में सं चार के साधनों का अभाव होने के कारण यदपि लम्बे समय तक भारत कभी एक सत्ता के अधीन न रह सका किन्तु यह भावना कभी मरी नही अशोक समुद्रगुप्त जैसे शासकों ने लगभग सम्पूर्ण भारत को एक शासन के अधीन ला दिया था.

एक पश्चिमी विचारक का कथन है कि किसी स्वतंत्र राष्ट्र के लिऐ राजकाज की कोई विदेशी भाषा होना वहां की सांस्कृतिक गुलामी को दर्शाता हैं. ठीक भारत में यही स्थिति हैं.

यहाँ के आमजन की भाषा हिंदी को अपमानित कर अंग्रेजी को आज राष्ट्रभाषा के सिंहासन पर स्थापित किया हुआ प्रतीत होता हैं. इस समय भारतीय संवैधानिक स्थिति में हिंदी को देखा जाए तो अनुच्छेद 343 के खंड-1 में भारत के राजकार्यों की भाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया हैं.

जिनमें देवनागरी लिपि मान्य रहेगी. अंक गणित में भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीयीकरण होगा. लेकिन इसी अनुच्छेद का अगला भाग यह कहता हैं.

अगले 15 साल यानि 26 जनवरी 1965 तक सरकारी कामकाज के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी स्वतंत्र रूप से होता रहेगा. ऐसा प्रवधान करने की एक वजह यह भी थी कि अब तक के सभी कानून तथा व्यवस्थाएं अंग्रेजो द्वारा अंग्रेजी भाषा में बनाई गई थी, अतः यकायक इतनी चीजों को हिंदी में बदलना और इसे धरातलीय रूप देना संभव भी नही था

Essay on Hindi Language in Hindi In 500 Words

1965 तक हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी का भी राजभाषा के रूप में उपयोग करने का निर्णय उस समय की परिस्थितियों के मुताबिक काफी हद तक सही भी था.

मगर जब 15 साल खत्म हो गये तथा अंग्रेजी को भारत से पूरी तरह समाप्त कर हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने का समय आया, तो दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने एक हिंसक जाल बुना और आमजन को इसकी भावनाओं के साथ जोड़कर राजनितिक रूप दे दिया गया.

क्षेत्रीय भाषा के दमन के विषय पर इस उग्र हिंदी विरोधी आंदोलन के चलते समस्त हिंदीभाषियों का सपना चूर चूर हो गया.

भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया गया हैं, यह भारत के भाषाभाषी होने की वजह हैं. यदि विभिन्न भाषाओं को बोलने वाली संख्या पर गौर करे तो भारत में सबसे अधिक लोग हिंदी बोलते हैं.

इसके पश्चात दूसरा स्थान बांगला का हैं इसके बाद मराठी, पंजाबी, गुजराती, तेलगु आदि भाषाएँ आती हैं. हिंदी राष्ट्रभाषा बनने के सभी मापदंडों को पूर्ण करती हैं. यह भारत में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हैं. 

उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम सभी भागों को एक सम्पर्क माध्यम प्रदान करने वाली भाषा हैं. दूसरा तथ्य यह भी है कि हिंदी को छोड़कर अन्य कोई ऐसी भाषा नही हैं जिन्हें दो राज्यों के लोग आपस में विचार विनिमय के लिए उपयोग कर सकते हैं. महज कुछ दक्षिणी राज्यों को छोड़कर हिंदी समस्त देश में बोली और समझी जाती हैं.

वर्तमान समय में हिंदी भारत की मातृभाषा , सम्पर्क भाषा तथा राजभाषा तो हैं ही मगर सम्पूर्ण देश को एक कड़ी में बाँधने वाली हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान भी दिया जाना चाहिए.

इस सम्बन्ध में हमारे प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का कथन उल्लेखनीय हैं उन्होंने कहा था जिस देश को अपनी मातृभाषा तथा साहित्य का गौरव नही हैं वो राष्ट्र कभी भी उन्नति नही कर पायेगा.

न केवल सरकारी प्रयासों से हिंदी को सम्मानजनक स्थान दिलाया जा सकता हैं बल्कि हम सभी क्षेत्रों में हिंदी के उपयोग तथा इसको बढ़ावा देकर भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है एस्से इन हिंदी विकिपीडिया

राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा माना जाता हैं, हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हिंदी को हमारे देश में राष्ट्रभाषा होने का सम्मान प्राप्त हैं.

भाषा को व्यक्ति द्वारा अपने विचारों एवं भावों को व्यक्त करने का मुख्य माध्यम माना जाता हैं. प्रत्येक जीव जन्तु जाति की अपनी भाषा होती हैं. उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक भाषा हैं.

व्यक्ति भाषा के द्वारा ही अन्य व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित कर सकता हैं. व्यक्ति से समाज बनता है तथा समाज से राष्ट्र का निर्माण होता हैं. हर एक राष्ट्र अथवा देश में भिन्न भिन्न भाषाएँ होती है,

परन्तु हर देश की अपनी एक राष्ट्रभाषा होती है, जिसेसे उस देश की पहचान होती है, साथ ही राष्ट्र भाषा ही अमुक देश की भाषा, संस्कृति, विचारों एवं परम्पराओं की पहचान को बनाती हैं. इस तरह हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा हैं.

वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद ही भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी को घोषित कर दिया गया. हमारे भारत देश में संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया हैं.

उस वक्त विद्वानों व बुद्धिजीवियों द्वारा दिया गया यह सम्मान विवाद का विषय न होकर इस देश के संविधान की विरासत ही हैं. हमारे देश के विशेयज्ञों द्वारा गहन सोच विचार के बाद ही हिंदी को राष्ट्र भाषा का यह दर्जा दिया गया था.

उस समय के अधिकतर विद्वानों की यही राय थी, कि चूंकि भारत के अधिकतर क्षेत्र एवं बहुत बड़ी आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा होने के कारण राष्ट्रभाषा का सम्मान प्राप्त करने की हकदार हिन्दी ही हो सकती हैं. आज के परिद्रश्य में भी हिंदी भारत के जन जन की भाषा हैं.

दूसरी तरफ आज के समय में हमारी मातृभाषा हिंदी को पग पग पर अपमानित होना पड़ रहा हैं. उसे अभी तक वों सम्मान नही मिल पाया हैं, जिसकी वों हकदार हैं तथा उसे मिलना चाहिए.

यह कटु सत्य है कि भारत को सैकड़ों वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी करनी पड़ी थी तथा इस दास्ता से निकलने के लिए एक लम्बी लड़ाई भी लडनी पड़ी थी. उस काल में प्रशासन की भाषा होने का दर्जा अंग्रेजी को प्राप्त था.

भले ही आज हम अंग्रेजों से आजाद हो गये है लेकिन बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है आज भी हम अंग्रेजी के गुलाम हैं. हमारे सिस्टम की भाषा अंग्रेजी ही हैं, आप भारत के किसी न्यायलय में जाकर इसका प्रमाण देख सकते हैं.

वहां सम्पूर्ण वार्तालाप अंग्रेजी में ही होते हैं. देश का दुर्भाग्य हैं कि न केवल हमारे राजनेता भी अंग्रेजी को वरीयता देते हैं बल्कि इस देश के पढ़े लिखे युवक व नौजवान भी अंग्रेजी बोलने पर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं.

इस बात में कोई दोराय नही हैं, कि आधुनिक विश्व की सभी भाषाएँ अपने आप में समर्द्ध एवं वैज्ञानिक हैं, व्यक्ति को अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए,

मगर किसी विदेशी भाषा का टुटा फुटा ज्ञान होने पर अपनी ही राष्ट्रभाषा हिंदी को अपमानित करना या उसका तिरस्कार करना सही नही हैं.

आज के समय में अंग्रेजी पढ़े लिखे लोगों को विद्वान समझा जाता हैं. मानते है कि जिसे अंग्रेजी आती है वो अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकता हैं. इसी विचारधारा को पालने वाले लोग हिंदी बोलने वाले को हिन तथा पिछड़ा हुआ मानते हैं.

उन्हें इस बात का इल्म नही हैं कि हिंदी भाषा विश्व की सबसे समर्द्ध भाषा हैं, जितना बड़ा अंग्रेजी का शब्दकोश हैं उससे कही गुना बड़ी हिंदी शब्दावली हैं. अंग्रेजी भाषा आप बेहद अल्प अवधि में सीखकर पारंगत हो सकते है मगर हिंदी को सीखते कई साल लग सकते हैं.

हमने अपने इतिहास में कई बार विदेशी नेताओं को अपनी ही राष्ट्रभाषा में बोलते हुए सुना होगा. क्या हमें कभी ताज्जुब हुआ, क्या हमने कभी सोचा ये अपने मातृभाषा से प्रेम करते है फिर हम क्यों एक विदेशी भाषा के तोते बने हुए हैं.

जब नरेंद्र मोदी ने कई बड़े देशों में लाखों की भीड़ को हिंदी में संबोधित किया था, तो यह हिंदी भाषा के इतिहास का अब तक सबसे स्वर्णिम पल था. मोदी सरकार के नेताओं ने न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र संघ में बल्कि अन्य देशों में भी हिंदी भाषा में अपनी बात कहकर हिंदी भाषियों का दिल जीता हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जो हिंदी प्रेमी थे. सच्चे मायनों में वे स्वदेशी प्रधानमंत्री थे. आज की भारतीय सरकार विश्व में हिंदी का प्रसार प्रचार कर रही हैं यह हमारी मातृभाषा के सम्मान का विषय हैं,

हम समस्त हिंदी प्रेमी राजनेताओं का तहे दिल से धन्यवाद करते हैं. आज की आवश्यकता है हम जन जन में हिंदी के प्रति प्रेम जगाए, माँ (मातृभाषा) के प्रति प्यार तो सभी को होता हैं मगर उसे बस जगाने की आवश्यकता हैं.

वो आप और हम सभी मिलकर कर सकते हैं. हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी हमारे देश की संस्कृति की जड़ हैं. आज हमारी संस्कृति को बचाने के लिए राष्ट्रभाषा हिंदी को जीवित रखना अत्यंत आवश्यक हैं.

इसके लिए सरकारी एवं गैर सरकारी दोनों स्तरों पर हिंदी भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए. आज हमें फिर से अपनी माँ हिंदी को माँ कहने में शर्म महसूस नही होनी चाहिए.

Rashtrabhasha Hindi Essay In Hindi | राष्ट्र भाषा हिंदी पर निबंध

किसी राष्ट्र की सर्वाधिक प्रचलित एवं स्वेच्छा से आत्मसात की गई भाषा को  राष्ट्र भाषा- Rashtrabhasha  कहा जाता हैं. हिंदी, बांग्ला, उर्दू, पंजाबी, तेलगू, तमिल, कन्नड़, मलयालम, उड़िया इत्यादि भी भारत के संविधान द्वारा मान्य राष्ट्र की भाषाएँ हैं.

इन सभी भाषाओं में  Hindi  का स्थान सर्वोपरी हैं क्योंकि यह भारत की राजभाषा भी हैं. राजभाषा वह भाषा होती हैं, जिसका प्रयोग किसी देश में राज-काज चलाने के लिए उपयोग किया जाता हैं.

वैसे तो हिंदी को संवेधानिक रूप से Rajbhasha  का दर्जा दिया गया हैं. किन्तु उन्हें यह सम्मान सैद्धांतिक रूप में प्राप्त हैं. वास्तविक रूप में राज भाषा का सम्मान प्राप्त करने के लिए इसे अंग्रेजी से संघर्ष करना पड़ रहा हैं.

एक विदेशी भाषा होने के बावजूद अंग्रेजी में राज-काज को विशेष महत्व दिए जाने और राजभाषा के रूप में अपने सम्मान को प्राप्त करने के लिए  Rashtrabhasha Hindi के संघर्ष का कारण जानने के लिए सबसे पहले हमें हिन्दी की संवैधानिक स्थिति जानना होगा.

संविधान के अनुच्छेद के अनुच्छेद 343 के खंड 1 में कहा गया हैं कि भारत संघ की राज भाषा हिंदी एवं लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजन के लिए प्रयुक्त होने वाले अंकों रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा.

खंड 2 में यह अनुबंध किया गया था कि संविधान के प्रारम्भ से पन्द्रह वर्ष की अवधि अर्थात् 26 जनवरी 1965 तक संघ के सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता रहेगा, जैसा कि पूर्व में होता था.

वर्ष 1965 तक राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग किये जाने का प्रयोजन का कारण यह था कि भारत 1947 ईस्वी से पूर्व अंग्रेजों के अधीन था.

और तत्कालीन ब्रिटिश शासन में यहाँ इसी भाषा का प्रयोग राजकीय प्रयोजन के लिए होता था. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अचानक हिंदी का प्रयोग राजकीय प्रयोजनों के लिए कर पाना व्यवहारिक रूप से संभव नही था.

इसलिए 1950 में संविधान लागू होने के बाद से अंग्रेजी के प्रयोग के लिए 15 वर्षों का समय दिया गया और यह तय किया गया कि इन पन्द्रह वर्षों में हिंदी का विकास कर इसे राजकीय प्रयोजनों के लिए उपयुक्त कर दिया जाएगा.

किन्तु ये 15 पन्द्रह वर्ष पूरे होने से पूर्व ही हिंदी को राजभाषा बनाए जाने का दक्षिण भारत के कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने व्यापक विरोध करना प्रारम्भ कर दिया. देश की सर्वमान्य भाषा हिंदी को क्षेत्रीय लाभ उठाने के ध्येय से विवादों में घसीट लेने को किसी भी दृष्टि से उचित नही कहा जा सकता हैं.

भारत में अनेक भाषा भाषी लोग रहते हैं. भाषाओं की बहुलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता हैं कि भारत के संविधान में ही 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त हैं. हिंदी भारत की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हैं. इसके बाद बांग्ला सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हैं.

इसी तरह तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम, मराठी इत्यादि अन्य भाषाएँ बोलने वालों की संख्या भी काफी हैं. भाषाओं की बहुलता के कारण भाषाई वर्चस्व की राजनीती ने भाषावाद का रूप धारण कर लिया हैं.

इसी भाषावाद की लड़ाई को  Rashtrabhasha Hindi को नुकसान उठाना पड़ रहा हैं. और स्वार्थी राजनीतिज्ञ इसको इसका वास्तविक सम्मान दिए जाने का विरोध करते रहे हैं.

देश की अन्य भाषाओं के बदले हिंदी को राजभाषा बनाए जाने का मुख्य कारण यह हैं कि यह भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा होने के साथ साथ देश की एकमात्र सम्पर्क भाषा भी हैं. ब्रिटिश काल में पूरे देश में राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता था.

पूरे देश में अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग भाषाएँ बोली जाती हैं. किन्तु स्वतंत्रता आन्दोलन के समय राजनेताओं ने यह महसूस किया कि हिंदी एक ऐसी भारतीय भाषा हैं, जो दक्षिण के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश की सम्पर्क भाषा हैं. और देश के विभिन्न भाषा-भाषी भी आपस में विचार विनिमय करने के लिए हिंदी का सहारा लेते हैं.

हिंदी की सार्वभौमिकता के कारण राजनेताओं ने हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था. हिंदी राष्ट्र के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली और समझी जाती हैं.

इसकी लिपि देवनागरी हैं, जो अत्यंत सरल हैं. और इसमें आवश्यकतानुसार देशी विदेशी भाषाओं के शब्दों को सरलता से आत्मसात करने की शक्ति हैं. यह भारत की एक ऐसी राष्ट्रभाषा हैं, जिसे पूरे देश में भावात्मक एकता स्थापित करने की पूर्ण क्षमता हैं.

आजकल पूरे भारत में सामान्य बोल चाल की भाषा के रूप में हिंदी एवं अंग्रेजी के मिश्रित रूप हिंगलिश का प्रयोग बढ़ा हैं. हिंगलिश के प्रयोग के कई कारण हैं. पिछले कुछ वर्षों में भर में व्यवसायिक शिक्षा में प्रगति आई हैं.

अधिकतर व्यवसायिक पाठ्यक्रम अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध हैं. इसलिए छात्रों के अध्ययन का माध्यम अंग्रेजी ही हैं. इस कारण छात्र हिंदी से पूर्ण रूप में निपुण नही हो पाते हैं. और हिंदी भारत में आम जन की भाषा हैं.

इसलिए अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त युवा हिंदी में बात करते वक्त अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करने के लिए बाध्य होते हैं. इसके अतिरिक्त आजकल समाचार पत्रों एवं टेलीविजन के कार्यक्रमों में भी ऐसी ही भाषा के उदाहरण मिलते हैं.

इन सबका प्रभाव आम आदमी पर पड़ता हैं. भले ही हिंगलिश के बहाने हिंदी बोलने वालों की संख्या बढ़ रही हैं. हिंगलिश का प्रचलन हिंदी भाषा की गरिमा की दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय हैं.

कुछ वैज्ञानिक शब्दों जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, साईकिल, टेलीविजन एवं अन्य शब्दों जैसे स्कूल कॉलेज स्टेशन इत्यादि तक तो ठीक हैं.

किन्तु अंग्रेजी के अत्यधिक एवं अनावश्यक शब्दों का हिंदी में प्रयोग सही नही हैं. हिंदी व्याकरण के दृष्टिकोण से एक सम्रद्ध भाषा हैं. यदि इसके पास शब्दों का अभाव होता, तब तो इसकी स्वीकृति दी जा सकती थी.

शब्दों का भंडार होते हुए भी व्यक्ति यदि इस तरह की मिश्रित भाषा का प्रयोग करते हैं, तो निश्चय ही भाषाई गरिमा के दृष्टिकोण से यह एक बुरी बात हैं.

कोई भी भाषा अपने यहाँ की संस्कृति की संरक्षक एवं वाहक होती हैं. भाषा की गरिमा नष्ट होने से उस स्थान की सभ्यता संस्कृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं.

हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाए जाने के सन्दर्भ में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था ”भारत की सारी प्रांतीय बोलियाँ जिनमें सुंदर साहित्य की रचना हुई हैं, अपने घर या प्रान्त की रानी बनकर रहे,

प्रान्त के जनगण के हार्दिक चिन्तन की प्रकाशभूमि स्वरूप कविता की भाषा होकर रहे और आधुनिक भाषाओं के हार की मध्यमणि हिंदी भारत भारती होकर विराजती रहे”

प्रत्येक देश की पहचान का एक मजबूत आधार उसकी भाषा होती हैं. और राष्ट्रभाषा की संज्ञा से अभिहित यह देश के अधिक से अधिक व्यक्तियों के द्वारा बोली जाने वाली व्यापक विचार विनिमय का माध्यम होने के कारण ही राष्ट्र भाषा का पद ग्रहण करती हैं.

राष्ट्र भाषा के द्वारा आपस में सम्पर्क बनाए रखकर देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाना भी अनिवार्य हैं.

हिंदी देश की सम्पर्क भाषा तो है ही इसे राजभाषा का वास्तविक सम्मान भी दिया जाना चाहिए. जिससे कि यह पूरे देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाली भाषा बन सके.

Hindi Bhasha के राष्ट्र भाषा अथवा राजभाषा के महत्व को कभी नकारा नही जा सकता हैं. यह भारत के विकास, राष्ट्र की एकता एवं विश्व ख्याति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. हम भी एक अच्छे नागरिक बने एवं सदा हमारे निजी जीवन में अपनी मातृभाषा हिंदी को ही वरीयता दे.

  • अनेकता में एकता पर अनुच्छेद
  • हिंदी दिवस पर स्लोगन
  • हिंदी दिवस पर शायरी

उम्मीद करता हूँ दोस्तों हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध Essay On Hindi Our National Language का यह लेख आपको पसंद आया होगा.

यदि आपको इस लेख में दी जानकारी पसंद आई हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कुछ नया पढ़ें-

Hindi Ki Dictionary

Hindi Ki Dictionary

...क्योंकि हिंदी हमारी पहचान

राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | Essay on National Language Hindi

' src=

Essay on National Language Hindi: भाषा, ध्वनि संकेतों को कहते हैं। उसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है। वह अभिव्यज्जना का एक मात्र प्रमुख साधन है। उसके बिना सम्पर्क सूत्र ही टूट जाता है। जब कोई भाषा विकसित होकर सम्पूर्ण राष्ट्र की सम्पर्क भाषा बन जाती है, तो उसे ‘राष्ट्र भाषा’ कहते हैं।

Table of Contents

Essay on National Language Hindi

हिंदी भाषा की महत्ता.

बिना राष्ट्रभाषा के कोई राष्ट्र विकसित नहीं हो सकता, एक ही भाषा की छाया में देश में एकता स्थापित होती है और देश संगठित होकर ऊपर उठता है। राष्ट्रभाषा जनता की भाषा होती है। समूचे राष्ट्र की भाषा होती है।

Essay on National Language Hindi

हमारा देश विशाल है, यहां अनेक प्रान्तों में अनेक प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। स्वतन्त्रता के बाद और समस्याओं की तरह भाषा की समस्या भी बड़े जोर शोर से उमड़ी। अंग्रेजों ने भाषा भेद, जातिभेद, धर्मभेद आदि का लाभ उठा- कर देश को विखंडित कर दिया था। देश की एकता नष्ट कर दी, स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश की एकता की समस्या भी पैदा हुई।

राष्ट्रभाषा की आवश्यकता

भाषाओं के भीतर भी एकता की समस्या पैदा हुई, आज अनेक समस्याओं के बीच देश में भाषा की समस्या हुई। अभी भी यह भाषा संघर्ष चल रहा है, गांधी जी ने राष्ट्र भाषा के पद पर हिन्दी को प्रतिष्ठित करने का सोचा था, तथा उसके लिए उन्होंने अथक प्रयत्न किया था।

ये भी पढ़ें- मुंशी प्रेमचन्द पर निबंध

साहित्य के क्षेत्र में बाबू हरिश्चन्द्र ने भी हिन्दी के विकास पर जोर दिया था। आर्य समाज ने भी हिन्दी के प्रचार के लिए सामाजिक आन्दोलन छेड़ा था। अपना राज्य, हमेशा अपनी भाषा में चलता है। उसके द्वारा ही राष्ट्र को संग- ठित किया जा सकता है, प्रायः विद्वानों और राजनीतिक नेताओं को ही राष्ट्र भाषा बनाने पर जोर दिया था।

स्वतन्त्र भारत और राष्ट्रभाषा

15 अगस्त 1947 को देश स्वतन्त्र हुआ। 14 सितम्बर 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 में यह स्वीकार किया गया कि राजभाषा हिन्दी और लिपि देव नागरी में होगी। संविधान अनुच्छेद 344 के अनुसार 5 वर्षों के बाद राष्ट्रपति ने 1955 में राजभाषा आयोग गठित किया आयोग ने 446 पृष्ठों का एक विचार पूर्ण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, भाषा का माध्यम हिन्दी स्वीकार किया गया। पर मुख्य रूप से दो विचार सामने आए।

  • डॉ० सुनीति कुमार और डॉ० सुब्बाराम ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने में जल्दी की जा रही है-सुझाव प्रस्तुत किया।
  • विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने की स्पष्ट अनुशंसाकी, उसने यह भी लिखा कि अंग्रेजी जारी रहने से देश दो भागों में बंट जाता है. 1. शासकों की भाषा अंग्रेजो और (2) शापितों की भाषा हिन्दी के सिवाय अन्य भाषाएं।
  • शिक्षा आयोग अन्तिम ने 1966 में अपने प्रतिवेदन में कहा कि बहु-संख्यक जनता के लिए अंग्रेजी सम्पर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त नहीं हो सकती, केवल हिन्दी ही उसका स्थान ले सकती है।

14 सितम्बर 1950 की भारतीय संविधान परिषद् के निर्णयानुसार 1965 में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी को प्रतिष्ठित हो जाना चाहिए था पर यह भी स्वीकार किया गया कि अंग्रेजी भी हिन्दी के साथ चलती रहेगी। अंग्रेजी का प्रयोग जब तक राज्यों के विधान मंडल हिन्दी को राजभाषा के रूप में अपनाने के लिए संकल्प ना ले लें।

संविधान में हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। पर वह अभी तक उस पद पर प्रतिष्ठित नहीं हो सकी है।

  • हमारे जननेता हिन्दी को ग्रहण करने लिए तैयार नहीं हैं।
  • उच्च पद पर प्रतिष्ठित उच्चाधिकारी हिन्दी की उपेक्षा कर रहे हैं। इसके परिणाम स्वरूप भेदमूलक विभाषा सूत्र को जन्म मिला। अहिन्दी प्रदेशों में हिन्दी के लिए दंगे और उपद्रव कारी आन्दोलन हुए। हिन्दी प्रदेशों में अंग्रेजी विरोधी आन्दोलन भी प्रतिक्रिया स्वरूप हुए। अंग्रेजी को विश्व ज्ञान का द्वार कहने वालों ने लोगों में यह प्रचार किया कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने से अहिन्दी भाषी राज्य पीछे रह जाएंगे।

हिंदी का विरोध

चारों ओर विरोध है, पर हिन्दी निरन्तर विकसित होती चली जा रही है। वह राष्ट्रभाषा, राजभाषा, साहित्य भाषा, परम्परागत आर्यभाषा, प्रादेशिक भाषा, व्यापारिक भाषा, विश्वभाषा और जनभाषा का प्रतिनिधित्व कर रही है।

विश्व के अनेकों विश्वविद्यालयों में हिन्दी की शिक्षा दी जा रही है हिन्दी में मधुरता, सरसता, ओजस्विता आदि गुण तो हैं ही, पर उसके पास विशाल प्राचीन- तम साहित्यिक सम्पत्ति है, उसके भीतर सम्पूर्ण विश्व किसी न किसी रूप में हैं। वह करुणा, मंत्री, सत्य अहिंसा, विश्व मानवता के उच्च सिद्धान्तों को वाहिका है, इसलिए भी उसका अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व है।

हिन्दी के पास क्या नहीं है, फिर भी वह अपने पद पर प्रतिष्ठित नहीं हो पा रही है, यह तो हमारे देश के राजनीतिक नेताओं को कमजोरी है। वे अपने नेतृत्व को बचाने के लिए हिन्दी की उपेक्षा करते जा रहे है। साथ ही हिन्दी को अधिकाधिक जनोपयोगी और व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है।

Essay on National Language Hindi

विद्वानों द्वारा अंग्रेजी का जो हिन्दीकरण हुआ है, उसे देखकर हिन्दी जानने वालों के प्राण भी सूचे जा रहे हैं। हिन्दी में उसकी क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द लेकर उसे अधिकाधिक लोकप्रिय और व्यवहारिक बनाना भी आवश्यक है। हिन्दी, राजभाषा बने इस पर विभिन्न विद्वानों के मत भी ध्यान देने योग्य है-

महात्मा गांधी- यदि स्वराज्य अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों का और उन्हीं के लिए होने वाला हो तो निसंदेह अंग्रेजी ही राजभाषा होगी, लेकिन अगर स्वराज्य करोड़ों भूखों मरने वालों, निरक्षरों, निरन्तर बदनों और दलितों का हो तो हिन्दी ही एकमात्र राजभाषा बन सकेगी।

सम्पूर्णानन्द- अंग्रेजी सिर पर ढोना डूब मरने के समान है।

अमृत लाल नागर- अंग्रेजी ने हमारी परम्पराएँ छिन भित्र कर हमें जंगली बना देने का भरसक प्रयत्न किया है।

के० सी० सारंगमठ- हिन्दी विरोधी नीति दक्षिण की नहीं अंग्रेजी भक्तों की नीति है।

डॉ० कामिल बुल्के- अग्रेजी यहां दासी और अतिथि के रूप में रह सकती है। बहूरानी के रूप में नहीं।

मोरारजी देसाई- जब तक इस देश का राजकाज अपनी भाषा में नहीं बनेगा, तब तक हम कह नहीं सकते कि देश में स्वराज्य है।

सुभाषचन्द बोस- हिन्दी विरोध का कोई भी आन्दोलन राष्ट्र की प्रगति में बाधक है।

हिन्दी भारत के अनेक प्राप्तों में बोली जाती है, कुछ ही प्रान्तों की भाषा हिन्दी नहीं है यदि हिन्दी राष्ट्र भाषा या सम्पर्क भाषा के रूप में अपना की जाती है, वो प्रादेशिक भाषाओं के विकास में कोई रुकावट आने की नहीं, एक सम्पर्क भाषा बनने से वैचारिक आदान प्रदान और राजकीय कामों में सरलता आएगी, स्वतन्त्रता के मिलने के बाद भी हम एक भाषा की छाया में संगठित नहीं हो सके हैं।

इसके राष्ट्रीय अभिमान भी आहत हुआ है। अंग्रेजी को छाती से चिपकाए रहना, सांस्कृतिक दासता है, स्वतन्त्र देश के लिए विदेशी भाषा का प्रयोग हास्यास्पद है। जितनी जल्दी राजभाषा के रूप में हिन्दी देश की सम्पर्क भाषा बनेगी, उतनी जल्दी देश का विकास सम्भव होगा। हमें आत्म स्वार्थ से दूर रहकर देश को बनाने के लिए हिन्दी को सम्पर्क भाषा स्वीकार करनी ही पड़ेगी, हमें शीघ्र – शीघ्र इस गलती को ठीक करना है।

1Hindi

भारत में राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषा Essay on National Language and Territorial Language in India

भारत में राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषा National and Territorial Languages in India

आईये जानते हैं भारत में राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषा क्या होती है? Essay on National Language and Territorial Language in India

Table of Content

भारत में राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषा Essay on National Languages and Territorial Languages in India

हमारे भारत देश में विभिन्न तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। भाषा मानव समाज की एक बड़ी उपलब्धि है। भाषा का मुख्य उद्देश्य सम्प्रेषण है अर्थात अपनी बात को दूसरों तक पहुँचाना । भाषा मुख से निकलने वाली विभिन्न तरह की ध्वनियाँ हैं।

भाषा न केवल बोलने का भाव है बल्कि संस्कृति को भी बताती है। यह विभिन्न तरह की बोलियों का समूह है। प्रत्येक भाषा अपने – अपने क्षेत्र को प्रदर्शित करती है। जो भाषा सबसे अधिक बोली जाती है वह उस क्षेत्र की भाषा बन जाती है। जैसे हमारे भारत देश में खड़ी बोली ही हिंदी भाषा बन गयी है।

अब हिंदी भाषा के भी अनेक रूप हैं। जैसे राजभाषा, राष्ट्रभाषा, राज्यभाषा, प्रादेशिक भाषा, संपर्क भाषा और अंतर्राष्ट्रीय भाषा। राजभाषा से तात्पर्य सरकारी राजकाल के लिए उपयोग में आने वाली भाषा से है।

राष्ट्रभाषा National Language

जैसा की नाम से ही समझ आता है कि यह राष्ट्र की भाषा होती है। कोई ऐसी भाषा जो पूरे देश में सभी को एकता का संकेत देती हो और बाँध कर रखती हो, राष्ट्रभाषा कहलाती है। राष्ट्रभाषा को लोकभाषा या लिंग्वा फ्रांका भी कहते हैं।

इस सन्दर्भ में डॉ. अम्बादास देशमुख जी ने कहा है कि

“किसी भी देश में एक से अधिक भाषाएं होती हैं किन्तु पूरे देश को एक सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा ऐसी होती है जो पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है। उसे राष्ट्रभाषा कहा जाता है।”

राष्ट्रभाषा से मतलब है है कि जिस के द्वारा हम विचार – विमर्श कर सके। जिसमें सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक विचारों को अभिव्यक्त करने की क्षमता हो। एक ऐसी भाषा जिसका प्रयोग पूरा राष्ट्र करे।

डॉ. भोलानाथ तिवारी ने भी कहा है कि

“राष्ट्रभाषा वह भाषा है, जिसका प्रयोग पूरा राष्ट्र करे।”

सामान्य भाषा में अगर कहा जाए कि जिस भाषा को राष्ट्र के लोग ज्यादा से ज्यादा उपयोग में ले अर्थात ज्यादा से ज्यादा बोले, ज्यादा से ज्यादा लिखे उसे ही राष्ट्रभाषा कहते हैं। राष्ट्रभाषा का उपयोग सार्वजनिक तौर पर होता है।

राष्ट्रभाषा में लोकप्रियता, सरलता, सर्वग्राह्यता, सुगमता, सुलभता, स्पष्टता आदि के गुण देखने को मिलते हैं। राष्ट्रभाषा अपने ही देश की कोई भाषा हो सकती है। विदेशी भाषा की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

किसी भी देश की राज्यभाषा, राजभाषा और संपर्क भाषा उस देश की राष्ट्रभाषा हो सकती है। जैसे हमारे देश की राष्ट्रभाषा – हिंदी। महात्मा गांधी जी ने राष्टभाषा की प्रमुखता बताते हुए कहा है कि

“राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।”

अष्टम अनुसूची और अनुच्छेद 344 (1 ) और 351 के अनुसार 22 भारतीय भाषाएं हैं, जो निम्न प्रकार हैं –

  • उड़िया/ओडिया
  • उर्दू               

किसी भी देश में जब बहुत सारी भाषाएं होती हैं तो कोई एक भाषा को चुना जाता है जो राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करे।

प्रादेशिक भाषा

प्रादेशिक भाषा से मतलब किसी प्रदेश की भाषा से है। प्रादेशिक भाषा के लिए एक राज्य होना जरुरी है। जबकि राष्ट्रभाषा के लिए किसी राज्य या प्रदेश का होना जरूरी नहीं है। प्रादेशिक भाषा और राज्यभाषा में ज्यादा कुछ अंतर नहीं है।

राज्य भाषा को हम प्रादेशिक भाषा के रूप में मान सकते हैं। क्योंकि प्रदेश या प्रान्त शब्द की अपेक्षा राज्य शब्द ज्यादा प्रसिद्ध है। प्रादेशिक भाषा शब्द भारत के संविधान में भाग 17 के अध्याय 2 के 345, 346 और 347 अनुच्छेद में प्रयुक्त हुआ है।

सिंधी और संस्कृत प्रादेशिक भाषा में नहीं आती हैं क्योंकि इनका अपना प्रदेश नहीं है। हिमाचल प्रदेश, हरयाणा, दिल्ली, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड इन दस राज्यों की भाषा प्रादेशिक है, यहाँ हिंदी समझी जाती है।

इन राज्यों को हिंदी राज्य कहा जाता है। ये क्षेत्र ‘क’ सूची में आते हैं। इससे यह पता चलता है कि हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली प्रादेशिक भाषा है। अंग्रेजी शब्द ‘Regional Language’ का पर्यायवाची शब्द प्रादेशिक भाषा है।

‘ख’ सूची में आने वाले क्षेत्र गुजरात – गुजराती भाषा, महारष्ट्र – मराठी भाषा, पंजाब- पंजाबी भाषा, चंडीगढ़- पंजाबी और हिंदी भाषा हैं। ये क्षेत्र अहिन्दी भाषी क्षेत्र हैं।

कुछ क्षेत्र ‘ग’ सूची में आते हैं, जिन्होंने हिंदी को नहीं अपनाया है –  

  • आंध्र प्रदेश – तेलुगु
  • तमिलनाडु- तमिल
  • कर्णाटक – कन्नड़
  • केरल – मलयालम
  • जम्मू-कश्मीर – कश्मीरी
  • नागालैंड – अंग्रेजी
  • मेघालय – अंग्रेजी
  • मणिपुर – मणिपुरी
  • त्रिपुरा – बांग्ला, अंग्रेजी
  • असम – असमिया
  • अरुणाचल प्रदेश- अंग्रेजी
  • उड़ीसा – उड़िया
  • पश्चिमी बंगाल – बांग्ला
  • सिक्किम-नेपाली, अंग्रेजी
  • पॉन्डिचेरी – तमिल, अंग्रेजी
  • मिजोरम – अंग्रेजी
  • गोवा – कोंकणी
  • दमन – दीव – गुजराती
  • लक्षदीप दीव-समूह- मलयालम
  • दादरा एवं नगर हवेली – हिंदी, गुजराती
  • अंडमान निकोबार दीप समूह – हिंदी

उपर्युक्त भाषा के प्रकारों के आधार पर हम यह जान सकते हैं कि लोग अपने विचारों और भावों को भाषा के द्वारा ही प्रदर्शित कर पाते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और अपने आपसी विचारों को एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए भाषा ही एक मात्र साधन है।

Leave a Comment Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

  • Education Diary
  • Advertising
  • Privacy Policy

Class Notes NCERT Solutions for CBSE Students

हिंदी

हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध Hindi Essay on Our National Language: Hindi

admin September 16, 2017 Essays in Hindi 14,235 Views

प्रत्येक राष्ट्र की अपनी अलग-अलग भाषाएं होती हैं। लेकिन उनका राज-कार्य जिस भाषा में होता है और जो जन सम्पर्क की भाषा होती है उसे ही राष्ट्र-भाषा का दर्जा प्राप्त होता है। भारत भी अनेक रज्य हैं। उन रध्यों की अपनी अलग-अलग भाषाएं हैं। इस प्रकार भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है लेकिन उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा है- हिन्दी। 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को यह गौरव प्राप्त हुआ।

26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान बना। हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। यह माना कि धीरे-धीरे हिन्दी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी और अंग्रेजी पर हिन्दी का प्रभुत्व होगा।

आजादी के इतने वर्षो बाद भी हिन्दी को जो गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त होना चाहिए था वह उसे नहीं मिला। अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि हिन्दी को उस का यह पद कैसे दिलाया जाए? कौन से ऐसे उपाय किए जाएं जिससे हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें।

यद्यपि हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी है, परन्तु हमारा चिंतन आज भी विदेशी है। हम वार्तालाप करते समय अंग्रेजी का प्रयोग करने में गौरव समझते हैं, भले ही अशुद्ध अंग्रेजी हो। इनमें इस मानसिकता का परित्याग करना चाहिए और हिन्दी का प्रयोग करने में गर्व अनुभव करना चाहिए। हम सरकारी कार्यालय बैंक, अथवा जहां भी कार्य करते हैं, हमें हिन्दी में ही कार्य करना चाहिए।

निमन्त्रण-पत्र, नामपट्‌ट हिन्दी में होने चाहिए। अदालतों का कार्य हिन्दी में होना चाहिए। बिजली, पानी, गृह कर आदि के बिल जनता को हिन्दी में दिये जाने चाहिए। इससे हिन्दी का प्रचार और प्रसार होगा। प्राथमिक स्तर से स्नातक तक हिन्दी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए।

जब विश्व के अन्य देश अपनी मातृ भाषा में पढ़कर उन्नति कर सकते हैं, तब हमें राष्ट्र भाषा अपनाने में झिझक क्यों होनी चाहिए। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-व्यवहार हिन्दी में होना चाहिए। स्कूल के छात्रों को हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए। जब हमारे विद्यार्थी हिन्दी प्रेमी बन जायेंगे तब हिन्दी का धारावाह प्रसार होगा। हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए:

गूंज उठे भारत की धरती, हिन्दी के जय गानों से। पूजित पोषित परिवर्द्धित हो बालक वृद्ध जवानों से।।

~ जगदीश चन्द्र त्यागी

  • Stumbleupon

Tags Easy Hindi Essays Essays for NCERT Syllabus Essays in Hindi Language Hindi Essays for 10 Class Students Hindi Essays for 11 Class Students Hindi Essays for 12 Class Students Hindi Essays for 5 Class Students Hindi Essays for 6 Class Students Hindi Essays for 7 Class Students Hindi Essays for 8 Class Students Hindi Essays for 9 Class Students Hindi Essays for CBSE Students Hindi Essays for NCERT Students Hindi Essays in Easy Language Popular Hindi Essays for CBSE Students Short Hindi Essays

Related Articles

गुड़ी पड़वा पर हिन्दी निबंध

गुड़ी पड़वा पर हिन्दी निबंध आसान भाषा में स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

ईस्टर त्यौहार पर हिंदी निबंध: आसान भाषा में स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

ईस्टर त्यौहार पर हिंदी निबंध: आसान भाषा में स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

2 weeks ago

होली: रंगों का त्यौहार Hindi Essay on Holi: Festival of Colors

होली: रंगों का त्यौहार Hindi Essay on Holi Festival

4 weeks ago

Maha Shivratri - महाशिवरात्रि त्यौहार

महाशिवरात्रि त्यौहार पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

March 7, 2024

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हिंदी निबंध

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हिंदी निबंध छात्र और छात्राओं के लिए

March 3, 2024

छत्रपति शिवाजी महाराज पर निबंध छात्रों के लिए

छत्रपति शिवाजी महाराज पर हिंदी निबंध स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

February 18, 2024

बसन्त पंचमी पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए

बसन्त पंचमी पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए

भारत कृषि प्रधान देश है। यह प्राकृतिक शोभा का भंडार है। यहाँ जितने प्रकार के …

english speaking course

Learn English at Home

Essay on Hindi Language in English (हिंदी भाषा पर निबंध)

Essay on hindi .

Let’s start the essay on hindi…

Outline of the essay

  • Our national language- Hindi
  • Hindi, our mother-tongue 
  • Conclusion of the essay 

essay on hindi

Our national language 

Hindi is our mother-tongue, our national language. It is the language that most of the north Indians relate to. The majority of the north Indians speak Hindi. There are other vernacular and regional languages too, like Marathi, Kannada, Malayalam, etc. Well, Hindi is the language we use in ou daily lives, Hindi is certainly the home language of we Indians. Hindi is a very beautiful language, its very aesthetic in its tone. Though we use English as an associate language, as in the other people from the other regions who don’t understand Hindi, they use English as a language too. They converse in English to convey their ideas to the people who majorly know Hindi or English. 

Hindi is our national language, it was adopted by the constituent assembly after independence in 1947. Our language though is Hindustani, a mixture of Hindi and Urdu. 

Spoken English Guru English Speaking Course Kit

Hindi- Our mother tongue 

Now, though learning Hindi comes across less fashionable, people are getting more fascinated by foreign languages and forgetting the essence of Hindi. The emphasis on English is widely growing and that’s causing a major threat to the importance and the significance of Hindi. Hindi has become an alien language in its territory. 

Hindi is the language that keeps us connected to our roots. Yes, English is indeed a global language, it gives you a way to reach out to the diverse domains and spheres, but one should not forget the importance and the identity of Indians that is very much inherently rooted in the language- Hindi 

Conclusion of the essay

Hindi is comparatively a complex language, people far across from the world come to India and invest their time and lives in learning our language- Hindi. Considering that we should not forget that we should emphasize our learning in Hindi as equally as we do in English. 

Hope you loved this article. Your love and support is my motivation. Thank you so much. – Aditya sir

Aditya’s Trending Articles

  • Aditya’s Journey (2003-2019)
  • Students’ Queries & Aditya’s Answers
  • Grammar & Spoken Topics
  • English Speaking Practice
  • English Tips & Tricks
  • Essays in Hindi & English
  • Speech in Hindi & English
  • English Writing Practice
  • English Listening Practice
  • Interview Questions & Answers

90 Days इंग्लिश स्पीकिग कोर्स किट (Offline): CLICK HERE 90 Days इंग्लिश स्पीकिग कोर्स (Online): CLICK HERE सभी Books की PDF eBooks का सैट: CLICK HERE 6 months ऑनलाइन ब्लॉगिंग कोर्स: CLICK HERE 6 months ऑनलाइन कम्प्यूटर कोर्स: CLICK HERE YouTube: CLICK HERE Facebook: CLICK HERE Instagram: CLICK HERE Android App: CLICK HERE

अगर आपको ये आर्टिकल (Essay on Hindi) पसन्द आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ WhatsApp, Facebook आदि पर शेयर जरूर करिएगा। Thank you! – Aditya sir

2 thoughts on “Essay on Hindi Language in English (हिंदी भाषा पर निबंध)”

' src=

Very nice essay. Thanks for sharing

' src=

gst ke bare me

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on National Language Hindi in Hindi – राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध

June 23, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी पर निबंध मिलेगा। Get information about Hindi Language in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on National Language Hindi in Hindi Language for Students and Kids of all Classes in 200, 400 and 500 words.

Essay on Hindi - Our National Language in Hindi

Short Essay on National Language Hindi in Hindi Language – राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध ( 200 words )

भारत एक विशाल देश है जहां बहुत सी भाषाएं बोली जाती हैं। इन सभी भाषाओं को सीखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। हालांकि, मुझे लगता है कि यदि छात्र स्कूल में तीन भाषाओं को सीखते हैं, तो वे भारत के साथ-साथ इसके बाहर भी संवाद कर सकते हैं। सबसे पहले हमारी मातृभाषा स्कूल में पढाई जानी चाहिए। फिर स्कूलों में हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी पढ़ाया जाना चाहिए। स्कूलों में पढ़ा जाने वाला तीसरा भाषा, मुझे लगता है, अंग्रेजी होना चाहिए। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी आम भाषा थी।

पटेल, गांधी और नेताजी जैसे कई गैर-देशी हिंदी वक्ताओं ने हिंदी का समर्थन किया। यह बहुत निराशाजनक लग रहा है जब वर्तमान राजनेता हिंदी भाषा बोलने या प्रयोग करने के आधार पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर राजनीति करते हैं। सरकारी स्तरों के साथ-साथ आम आदमी के स्तर पर हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए, आम लोगों के लिए आसानी से संवाद करने के लिए इसे सरल बनाना चाहिए। गैर-हिंदी राज्यों में हिंदी को बढ़ावा देने और बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। भारत में भविष्य की पीढ़ी को हिंदी बोलना सीखना चाहिए।

Essay on National Language Hindi in Hindi – राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध ( 400 words )

हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। यह हमारे देश में सामान्य संचार की भाषा है। यह हमारे देश भारत की आधिकारिक भाषा है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। इसे 1947 में आजादी की उपलब्धि के तुरंत बाद संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। लेकिन भारत में लाखों लोग अभी भी हिंदी नहीं जानते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें संस्कृत शब्दों के परिचय से इसे मुश्किल बना दिया गया है। राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस की अवधारणा हिंदुस्तान-हिंदी और उर्दू का मिश्रण था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हम हिंदी में राष्ट्रीय भाषा की स्थिति नहीं दे पाए हैं।

हिंदी सीखना कम महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, व्यवसाय और प्रशासन के सभी ज्ञान ज्यादातर अंग्रेजी में उपलब्ध हैं। हिंदी हमारी स्वतंत्रता के साठ से अधिक वर्षों के बाद भी अंग्रेजी को बदलने में सक्षम नहीं है। उत्तरी भारत में भी दिल्ली जैसे दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अंग्रेजी अधिक से अधिक महत्व प्राप्त कर रही है। सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी बोलने को कम स्थिति का संकेत माना जाता है।

अगर हम उत्सुक हैं कि हिंदी की स्थिति को उठाया जाना है तो इस प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने की जरूरत है। हिंदी को अपना उचित सम्मान दिया जाना चाहिए, और फिर केवल हम अपने राष्ट्रीय चरित्र को बनाए रख सकते हैं। हमें इसे अपने आधिकारिक उपयोग में बढ़ावा देना चाहिए। हमें आधिकारिक तौर पर और अनधिकृत रूप से इसका अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। हम सरकारी कार्यालयों, अदालतों और संसदीय मामलों में पत्राचार, भाषण और अभिलेखों में अंग्रेजी के उपयोग को प्रतिबंधित कर सकते हैं। इसके बजाए, यह देखा गया है कि अंग्रेजी ने लगभग पूरी तरह से कार्यालयों, अदालतों और संसद में हिंदी को बदल दिया है।

हमें अपनी राष्ट्रीय भाषा को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे। इसे महत्व की जगह बहाल करना हमारी ज़िम्मेदारी है। ऐसे स्कूल हैं जहां हिंदी बिल्कुल पढ़ाया नहीं जाता है। हर माता-पिता को अपने बच्चे को हिंदी से पहले अंग्रेजी बोलना शुरू करने का गर्व होता है। हमें हिंदी को सरल बनाना होगा और इसे कठिन संस्कृत संस्करणों से मुक्त करना होगा। हिंदी में विशेष रूप से हिंदी में खड़े छात्रों को कुछ प्रोत्साहन भी पेश किए जाएंगे ताकि हिंदी को बढ़ावा दिया जा सके। अन्यथा हमें हिंदुस्तान की अपनी भूमि में हिंदी का विलुप्त होना होगा।

Rashtrabhasha Hindi Essay in Hindi – Essay on National Language Hindi in Hindi ( 500 words )

भारत एक बहुभाषीय देश है जहाँ पर बहुत सी भाषाएँ बोली जाती है। यहाँ के हर राज्य की अपनी एक अलग भाषा है। लेकिन 14 सितंबर, 1949 में हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था। राष्ट्रीय भाषा वह होती है जो सभी लोगों की भाषा होती है और सभी कार्य भी इसी भाषा में होते है। हिंदी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में चौथे स्थान पर है। पूरे विश्व में लगभग 500 मिलियन लोग हिंदी को बोल व समझ सकते हैं। हिंदी एक बहुत ही सरल भाषा है। यह जैसे लिखी जाती है वैसे ही पढ़ी जाती है।

हिंदी के पास अपना खुद का बहुत बड़ा शब्दकोश है। हिंदी के कुछ शब्द अंग्रेजी में ज्यों के त्यों प्रयोग किए जाते है। हिंदी की लिपी देवनागरी है जो कि देवों की लिपी है। हिंदी भारत के अलावा नेपाल, मोर्सियस आदि देशों में भी बड़ी संख्या में बोली जाती है। हिंदी भाषा में 11 स्वर और 33 व्यंजन है जिनके प्रयोग से हिंदी भाषा के सारे शब्दों का निर्माण होता है। भारत में सबसे पहले हिंदी को पूर्ण अधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने वाला राज्य बिहार था। हिंदी आज के समय में इंटरनेट पर भी बहुत ही तेजी से प्रयोग की जाती है।

Get information about Hindi Language in Hindi

भारत की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या हिंदी भाषा का ही प्रयोग करती है। हिंदी उन सात भाषाओं में से जिसमें वैब अड्रैस को बनाया जा सकता है। हिंदी शब्द को पर्सियन भाषा के शब्द हिंद से लिया गया है जिसका अर्थ है सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोग। हिंदी भाषा भिन्न भिन्न प्रकार की बोली जाती है जैसी की खड़ी बोली आदि। आधुनिक युग में बोली जाने वाली हिंदी को मानक हिंदी कहा जाता है। आज हर पाँचवा व्यक्ति इंटरनेट पर हिंदी भाषा का प्रयोग करना पसंद करता है। हिंदी इतनी प्रसिद्ध भाषा होने के बावजूद भी पिछड़ी हुई है। हिंदी सभी स्कूलों में पाठ्यक्रम के रूप में भी पढ़ाई जाती है। लोग आज भी अंग्रेजी बोलने में खुद की शान समझते है और हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हैं। हिंदी अधिकारिक भाषा होने के बावजुद भी सभी सरकारी कार्यों में अंग्रेजी का ही प्रयोग किया जाता है।

हम सभी को हिंदी को विश्व की सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा बनाना है और सर्वगुण संपन्न हिंदी को जन साधारण की भाषा बनाना है। हमें हिंदी को बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए। यह हमारी मातृभाषा है न कि मात्र एक भाषा है। हिंदी का साहित्य बहुत ही बढ़ा है। हिंदी के सबसे बड़े लेखक मुंशी प्रेमचंद हुए है। हिंदी में पहली कविता कवि आमिर खुसरों ने लिखी थी। हिंदी में सबसे ज्यादा बोले जाने वाला शब्द नमस्कार है। हिंदी को लोगों के सम्मुख पहुँचाने के लिए स्कूलों में हिंदी में वाद विवाद और निबंध लेखन की प्रतियोगिता करानी चाहिए। हिंदी के बिना सभी भाषा अधुरी है। जो व्यक्ति अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान नहीं करता उस व्यक्ति की कोई कदर भी नहीं करता हैं। सभी सरकारी कामों को भी हिंदी भाषा में किया जाना चाहिए।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Rashtrabhasha Hindi Essay in Hindi – Essay on National Language Hindi in Hindi – राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध ) को पसंद करेंगे।

More Articles: 

Speech on Hindi Language in Hindi – हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी पर निबंध

Essay on Rani Lakshmi Bai in Hindi – रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध

Indian Culture Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति पर निबंध

History of India in Hindi Language – भारत का इतिहास

Speech on Importance of Education in Hindi – शिक्षा के महत्व पर भाषण

Essay on Importance of Education in Hindi – शिक्षा का महत्व पर निबंध

दा इंडियन वायर

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

essay on national language in hindi

By विकास सिंह

importance of hindi language

विषय-सूचि

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language)

हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है।

हिंदी भाषा में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और इसे “देवनागरी” नामक एक लिपि में लिखा जाता है। हिंदी एक समृद्ध व्यंजन प्रणाली से सुसज्जित है, जिसमें लगभग 38 विशिष्ट व्यंजन हैं। हालाँकि, ध्वनि की इन इकाइयों के रूप में स्वरों की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती है, बड़ी संख्या में बोलियों की मौजूदगी के कारण, जो व्यंजन प्रदर्शनों की सूची के कई व्युत्पन्न रूपों को नियोजित करती हैं।

हालाँकि, व्यंजन प्रणाली का पारंपरिक मूल सीधे संस्कृत से विरासत में मिला है, जिसमें अतिरिक्त सात ध्वनियाँ हैं, जिन्हें फारसी और अरबी से लिया गया है।

हिंदी भाषा किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

500 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, चीनी के बाद हिंदी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी को भारत के “राजभाषा” (राष्ट्रभाषा) के रूप में अपनाने से पहले इसमें काफी बदलाव आया है।

इंडो-आर्यन भाषाई वर्गीकरण प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, हिंदी भाषाओं के मध्य क्षेत्र में रहती है। 1991 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी को “देश भर में एक भाषा” के रूप में भारतीय आबादी के 77% से अधिक द्वारा घोषित किया गया था। भारत की बड़ी आबादी के कारण हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।

1991 की भारत की जनगणना के अनुसार (जिसमें हिंदी की सभी बोलियाँ शामिल हैं, जिनमें कुछ भाषाविदों द्वारा अलग-अलग भाषाएं मानी जा सकती हैं – जैसे, भोजपुरी), हिंदी लगभग 337 मिलियन भारतीयों की मातृभाषा है, या भारत के 40% लोगों की है। उस वर्ष जनसंख्या।  एसआईएल इंटरनेशनल के एथनोलॉग के अनुसार, भारत में लगभग 180 मिलियन लोग मानक (खारी बोलि) हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं, और अन्य 300 मिलियन लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं।

भारत के बाहर, नेपाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या 8 मिलियन, दक्षिण अफ्रीका में 890,000, मॉरीशस में 685,000, अमेरिका में 317,000 है। यमन में 233,000, युगांडा में 147,000, जर्मनी में 30,000, न्यूजीलैंड में 20,000 और सिंगापुर में 5,000, जबकि यूके, यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी बोलने वालों और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की उल्लेखनीय आबादी है जो अंग्रेजी से हिंदी के बीच अनुवाद और व्याख्या करते हैं।

हिंदी भाषा का विकास (growth of hindi language)

1947 के विभाजन के बाद भारत सरकार द्वारा समर्थित संक्रांति दृष्टिकोण से हिंदी की वर्तमान बनावट बहुत प्रभावित है। स्वतंत्रता से पहले अपने मूल रूप में, हिंदी ने उर्दू के साथ मौखिक समानता की काफी हद तक साझा की है। हिंदी और उर्दू को अक्सर एक ही इकाई के रूप में संदर्भित किया जाता था जिसका शीर्षक था “हिंदुस्तानी”।

इसके साथ ही कई अन्य भाषाओं जैसे अवधी, बघेली, बिहारी (और इसकी बोलियाँ), राजस्थानी (और इसकी बोलियाँ) और छत्तीसगढ़ी। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वस्तुतः प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक सूचना के माध्यम की वकालत करता है, जो वाराणसी बोली की तर्ज पर भारतीय विद्वानों द्वारा विकसित एक संस्कृत-उन्मुख भाषा को रोजगार देता है।

लिपि:

देवनागरी लिपि

महत्वपूर्ण लेखक:

रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हरिवंश राय बच्चन, नागार्जुन, धर्मवीर भारती, अशोक बजाज, अशोक बजाज, अशोक बजाज चंद्र शुक्ला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई, रामवृक्ष बेनीपुरी, चक्रधर शर्मा गुलेरी, विष्णु प्रभाकर, अमृत लाल नागर, भीष्म साहनी, सूर्यकांत निराला आदि को हिंदी के सबसे मशहूर लेखकों में गिना जाता है ।

हिंदी स्थानीयकरण और सूचना प्रौद्योगिकी

हिंदी टाइपिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले कई लोकप्रिय फॉन्ट हैं; यूनिकोड, मंगल, क्रुतिदेव, आदि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर को विकसित करने और हिंदी को मानकीकृत करने के लिए काम कर रही है, हालाँकि वे इसके माध्यम से कोई बड़ा तोड़ नहीं बना पाए हैं।

हिंदी भाषा की बढ़ती प्रोफ़ाइल के प्रति हाल की चेतना ने लाखों हिंदी बोलने वालों को आशा दी है और आशा है कि आने वाले समय में हिंदी को मान्यता मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक भाषा बन जाएगी। यह समय हिंदी केंद्र, हिंदी विश्वविद्यालयों, हिंदी गैर सरकारी संगठनों और लाखों हिंदी भाषियों को हिंदी की रूपरेखा बढ़ाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हिंदी सिनेमा और बॉलीवुड ने पहले ही अच्छा योगदान दिया है, इसी तरह हिंदी मीडिया ने भी चमत्कार किया है।

वैश्विक मोर्चे पर हिंदी के बढ़ते महत्व के आधार पर, अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, भारतीय को अंग्रेज़ी शब्दकोश और अंग्रेज़ी से हिंदी शब्दकोश में ऑनलाइन हिंदी विकसित करने और ऑनलाइन हिंदी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता है।

[ratemypost]

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

Paper leak: लाचार व्यवस्था, हताश युवा… पर्चा लीक का ‘अमृत काल’, केंद्र ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल फ़ेलोशिप के लिए वन-स्टॉप पोर्टल किया लॉन्च, एडसिल विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ, 70 छात्रों को मिलेगी 5 करोड़ की छात्रवृत्ति, 5 thoughts on “हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध”.

धन्यवाद !

Finally I got a nice speech

thank you vikas singh bhai

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Election 2024: जलवायु परिवर्तन जैसे पर्यावरण संबंधी समस्याएं भारत मे चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बनतीं?

Katchatheevu island: प्रधानमंत्री मोदी आखिर इस ‘गड़े मुर्दे’ को क्यों उखाड़ रहे हैं, kangana ranaut row: महिलाओं के प्रति द्वेष वाली राजनीति का एक नमूना., मॉस्को में आतंकवादी हमला, isis ने ली जिम्मेदारी.

essay on national language in hindi

Call us @ 08069405205

essay on national language in hindi

Search Here

essay on national language in hindi

  • An Introduction to the CSE Exam
  • Personality Test
  • Annual Calendar by UPSC-2024
  • Common Myths about the Exam
  • About Insights IAS
  • Our Mission, Vision & Values
  • Director's Desk
  • Meet Our Team
  • Our Branches
  • Careers at Insights IAS
  • Daily Current Affairs+PIB Summary
  • Insights into Editorials
  • Insta Revision Modules for Prelims
  • Current Affairs Quiz
  • Static Quiz
  • Current Affairs RTM
  • Insta-DART(CSAT)
  • Insta 75 Days Revision Tests for Prelims 2024
  • Secure (Mains Answer writing)
  • Secure Synopsis
  • Ethics Case Studies
  • Insta Ethics
  • Weekly Essay Challenge
  • Insta Revision Modules-Mains
  • Insta 75 Days Revision Tests for Mains
  • Secure (Archive)
  • Anthropology
  • Law Optional
  • Kannada Literature
  • Public Administration
  • English Literature
  • Medical Science
  • Mathematics
  • Commerce & Accountancy
  • Monthly Magazine: CURRENT AFFAIRS 30
  • Content for Mains Enrichment (CME)
  • InstaMaps: Important Places in News
  • Weekly CA Magazine
  • The PRIME Magazine
  • Insta Revision Modules-Prelims
  • Insta-DART(CSAT) Quiz
  • Insta 75 days Revision Tests for Prelims 2022
  • Insights SECURE(Mains Answer Writing)
  • Interview Transcripts
  • Previous Years' Question Papers-Prelims
  • Answer Keys for Prelims PYQs
  • Solve Prelims PYQs
  • Previous Years' Question Papers-Mains
  • UPSC CSE Syllabus
  • Toppers from Insights IAS
  • Testimonials
  • Felicitation
  • UPSC Results
  • Indian Heritage & Culture
  • Ancient Indian History
  • Medieval Indian History
  • Modern Indian History
  • World History
  • World Geography
  • Indian Geography
  • Indian Society
  • Social Justice
  • International Relations
  • Agriculture
  • Environment & Ecology
  • Disaster Management
  • Science & Technology
  • Security Issues
  • Ethics, Integrity and Aptitude

InstaCourses

  • Indian Heritage & Culture
  • Enivornment & Ecology

Print Friendly, PDF & Email

The debate on the national language:

GS Paper 2:

Topics Covered: Important Constitutional Amendments.

Remarks by a Hindi actor to the effect that Hindi is the national language of India sparked a controversy recently over the status of the language under the Constitution.

Is there any national language?

The Constitution of India has not given any language a national status.

What is the status of Hindi?

Under Article 343 of the Constitution , the official language of the Union shall be Hindi in Devanagari script. The international form of Indian numerals will be used for official purposes.

  • In the constituent assembly discussions, it was decided that English would continue to be used for a period of 15 years.
  • The Constitution said that after 15 years, Parliament may by law decide on the use of English and the use of the Devanagari form of numbers for specified purposes.

Article 351:

It is the Union government’s duty to promote the spread of Hindi so that it becomes “a medium of expression for all elements of the composite culture of India” and also to assimilate elements of forms and expressions from Hindustani and languages listed in the Eighth Schedule.

Why was there opposition to the imposition of Hindi?

  • The Official Languages Act, 1963 was passed in anticipation of the expiry of the 15-year period during which the Constitution originally allowed the use of English for official purposes.
  • Its operative section provided for the continuing use of English, notwithstanding the expiry of the 15-year period.
  • Jawaharlal Nehru had given an assurance in 1959 that English would remain in official use and as the language of communication between the Centre and the States.
  • The Official Languages Act, 1963, did not explicitly incorporate this assurance, causing apprehensions in some States as the January 1965 deadline neared.
  • At that time, PM Lal Bahadur Shastri reiterated the government’s commitment to move towards making Hindi the official language for all purposes.
  • It created an apprehension that Hindi would be imposed in such a way that the future employment prospects of those who do not speak Hindi will be bleak.

Imposing the Hindi language:

  • Can affect the learning ability of non-Hindi speakers thereby affecting their self-confidence.
  • Can also threaten other languages and reduce diversity.
  • Could also threaten the diversity and federalism of India.

What is the three-language formula?

Since the 1960s, the Centre’s education policy documents speak of teaching three languages — Hindi, English and one regional language in Hindi-speaking States, and Hindi, English and the official regional language in other States.

  • In practice, however, only some States teach both their predominant language and Hindi, besides English.
  • In States where Hindi is the official language, a third language is rarely taught as a compulsory subject.

InstaLinks:

Prelims Link:

  • Which states in India have the provision of optional use of Hindi in Court proceedings?
  • What is the Eighth schedule of the Indian Constitution?
  • What is Article 348 related to?
  • Governors’ powers to authorise the use of Hindu in High Court proceedings.
  • Who can add or remove languages from the 8th schedule?
  • Overview of the Official Languages Act of 1963.

Mains Link:

Discuss why the government should consider amending the Official Languages Act of 1963 to include more vernacular languages in governance, and not just confine it to Hindi and English.

Sources: the Hindu.

Left Menu Icon

  • Our Mission, Vision & Values
  • Director’s Desk
  • Commerce & Accountancy
  • Previous Years’ Question Papers-Prelims
  • Previous Years’ Question Papers-Mains
  • Environment & Ecology
  • Science & Technology

Academia.edu no longer supports Internet Explorer.

To browse Academia.edu and the wider internet faster and more securely, please take a few seconds to  upgrade your browser .

Enter the email address you signed up with and we'll email you a reset link.

  • We're Hiring!
  • Help Center

paper cover thumbnail

Revisiting the Making of Hindi as a ‘National’ Language

Profile image of Ganpat Teli

Related Papers

Ganpat Teli

During the freedom movement of India, the complex and controversial of the National Language was raised. In this controversy Gandhi supported the concept of Hindustani. Gandhi's thoughts on languages are discussed in this paper. This article will try to look on other dimensions of his thoughts on languages as well. Gandhi accepts religion as a base to consolidate his views on language. However, Gandhi's concept was an expression of exclusion in some sense, as non-northern and non-Hindu and non-Muslims weren't part of it. In addition to these features, Gandhi's contradictions regarding thoughts on language will also be discussed.

essay on national language in hindi

Language Spread and Language Policy ed by Peter H. Lowenberg, Georgetown University Roundtable (GURT) 1987

S. N. Sridhar

critical paper on the perspectives of Hindi language

DrJagannadha V Reddy

GLOBALISATION AND HINDI Globalization in true sense is not a challenge but an opportunity for every nation to keep pace with the progressing world. India is also not an exception to this. From the age- old centuries India is known for its rich and varied culture and heritage. From Vedic period to present computer age India is known for its fascinating traditions and culture. Because of this rich culture India is best known as “Karma Bhoomi”, “Gnana Bhoomi”, “Land of Action“ and “Land of Wisdom”. ‘Unity in diversity’ and ‘Diversity in unity’ are the two dimensions of Indian culture. Culture includes language also, which is believed to be the communication tool. Hindi is also one such age-old Indian language, which has got its origin from ‘Prakrit’, ‘Pali’, and ‘Apabhramsa’ sequentially. As India is marching ahead and globalization phenomenon influencing all walks of life, Indian languages are also passing through new circumstances. Especially in a country like India where divergent cultures and different languages exist, it is very important for people to have a common communicative or link language. With this vision only our constitution builders have given the status of link language to Hindi. Hindi is spoken and understood by more then 60% population of India. So it can serve as a link language. With the implementation of official language act in 1949 Hindi was made as ‘Official and State language’ of India. Since then September 14th is celebrated as Hindi day. Even though it was given the status of state language its implementation and usage is not satisfactory till today. With the advent of globalization English is suppressing Hindi and other Indian languages. But with rich literary treasure and cultural uniqueness Hindi as well as other Indian languages are showing their presence. In fact it is a concept developed to bring down the economic inequalities between the nations. Globalization gives wide range of opportunities in the field of economy. As India is very big market with over hundred crore population it is very essential for all the multinational companies to give equal importance to Hindi and other Indian languages to take hold off the Indian market. With the impact of globalization Hindi is also influenced very much and we can see the impact on Hindi following areas namely 1. Teaching of Hindi 2. Use of Hindi field of communication, 3.Use of Hindi in technological applications, 4. Use of Hindi in Media.

Sandeep Sharma

From Southern Theory to Decolonizing Sociolinguistics: Voices, Question and Alternatives.

Jaspal Naveel Singh

Mohammad Sajjad

This discussion paper attempts at making a re-appraisal of some of the works on linguistic identity politics around Hindi-Urdu-Hindustani, in twentieth century India. It calls into question certain assumptions about Urdu. It argues that Urdu, contrary to common perceptions, was shedding its Persianization and its literature was drawing upon local imageries. Urdu’s anti-colonial and anti-separatist articulations have been highlighted. It underlines that marginalization of Urdu in late-colonial and post-colonial India was more because of majoritarian discriminations. Gandhiji’s project of ‘Hindustani’ and the inclusive nationalism of the Congress, threw inadequate weight behind the project. They were rather inclined more towards Hindi, and some important leaders of the Congress, more particularly in UP, were not only pro-Hindi but also anti-Urdu. The exclusion of the Hindustani from the broadcast plan of the All India Radio, by 1944-45, and the ill-fated Hindustani Prachar Sabha (1942) testify the majoritarian assertion of Hindi against Urdu. It further argues that Urdu was wrongly vilified to have played role in dividing India; this perception held in popular as well as academic domain, had its bearings upon the fate of Urdu in sovereign India.

Contemporary Issues in Languages and Humanities An International Peer-reviewed Journal

Chavan Dilip

Kasturi Sinha

The present research paper entitled as 'Literature Instilling about the Decline of Hindi Language' discusses an issue which has been highlighted in the selected Bollywood films. It is to be said that the films show mirror to the cultural practices and reflects it on the silver screen. Nowadays , communicating in English is in vogue, more than as a medium of communication it is a style statement and matter of pride and because of this everyone wants to learn this language. English is a lingua franca and one must learn it to match with the pace of the world but not at the cost of ignoring one's native-tongue. The language of any region is not just a language but it is an inheritance of one's roots and unique identity. It must be preserved because it connects one with his culture. Culture is transmitted from generation to generation as tradition via one's native-tongue and at the same time, it is passed on as a legacy to the next generation. In the present research paper, the researchers have underscored the plight of the characters who feel second to other people of their own country because they can't speak English.

Rizwan Ahmad

Gender & History

Asha Sarangi

RELATED PAPERS

Haris Habibija

Animal Microbiome

alan walker

ahmad azizi

TAJ: Journal of Teachers Association

Quamruddin Ahmad

The Cancer Journal

rohit mehra

Yonaira Laínez Parra

Emmanuel Okechukwu Chukwumuanya

Joseph Asher Parada

Journal of Molecular Structure

JAMAL AL ABDULLAH

Entreciencias: Diálogos en la Sociedad del Conocimiento

José Roberto

fadli gunawan

Mathematical Biosciences and Engineering

Roberto Moreno Diaz

Journal of Applied Statistics

Éva Orbán-Mihálykó

British Journal of Educational Psychology

Osita Ossai

George Mpantes

Nour Kharboutly

archives of razi institute

Olga Arisheva

Agricultural Planning, Economics and Rural Development Research Institute (APERDRI),

Village and Development (Quarterly Journal)

Jurnal otomasi kontrol dan instrumentasi

Estiyanti Ekawati

IOP Conference Series: Materials Science and Engineering

IEEE Systems Journal

Cairo L. Nascimento Jr.

Gustavo Castañon

European Journal of Medicinal Chemistry

Angel Amado Recio Despaigne

hyutrTT hytutr

RELATED TOPICS

  •   We're Hiring!
  •   Help Center
  • Find new research papers in:
  • Health Sciences
  • Earth Sciences
  • Cognitive Science
  • Mathematics
  • Computer Science
  • Academia ©2024

National Pedia

India National Language: Understanding the Importance of Hindi

India, with its diverse cultural heritage, is a land of many languages but Hindi is the de facto India National Language. The country recognizes 22 official languages, out of which Hindi is the most widely spoken and understood language. In this article, we will explore the history, importance, and controversies surrounding Hindi as India’s national language.

Table of Contents

India National Language: Origins

Hindi is a language with roots dating back to ancient India. The earliest known form of Hindi was Prakrit, a language spoken in the 3rd century BCE. Prakrit eventually evolved into Apabhramsha, which further gave rise to several modern languages, including Hindi. Hindi, as we know it today, is a standardized version of the Khari Boli dialect, spoken in and around Delhi.

Hindi as India National Language

Hindi became the official language of India in 1965, replacing English. This move was made to promote Hindi as a unifying language that would bridge the linguistic divide in the country. However, this decision was met with resistance from some states where Hindi was not widely spoken. To address this concern, the Indian government recognized all 22 official languages, including Hindi, as equal in status.

Today, Hindi is the most widely spoken language in India, with over 40% of the population speaking it as their first language. Hindi is also the language used in the Indian parliament and judiciary, making it an important language for governance.

The Importance of Hindi

Hindi is not just a language but a means of cultural expression. It is the language of Bollywood, India’s thriving film industry, which has made Hindi films popular around the world. Hindi has also contributed to the enrichment of the Indian culture through its literature, poetry, and music.

Hindi is also a language of education and employment. Many schools and universities across India use Hindi as a medium of instruction. Knowledge of Hindi is often a requirement for employment in the Indian government and public sector.

Controversies Surrounding Hindi

Despite its widespread use, Hindi has been a subject of controversy in India. Some states have expressed concern that the promotion of Hindi as a national language would lead to the marginalization of other languages. This has led to protests and demands for greater recognition of regional languages.

Another controversy surrounding Hindi is its association with Hindu nationalism. The use of Hindi as a symbol of national identity has been criticized by some as a means of promoting the Hindu religion and culture, thereby marginalizing other religious and cultural groups in India.

Hindi is an important language in India, both for its cultural significance and its practical uses. It is the de facto national language and an important language for governance, education, and employment. However, its promotion as a national language has been met with resistance, with some states demanding greater recognition of regional languages. Despite the controversies, Hindi remains an integral part of the Indian identity and will continue to play a vital role in the country’s future.

  • Is Hindi the only official language of India?

No, India recognizes 22 official languages, of which Hindi is one.

  • How many people speak Hindi in India?

Over 40% of the population speaks Hindi as their first language.

  • What is the controversy surrounding Hindi as a national language?

Some states have expressed concern that the promotion of Hindi as a national language would lead to the marginalization of other languages. Additionally, its association with Hindu nationalism has been criticized by some as a means of promoting the Hindu religion and culture.

  • Is knowledge of Hindi required for employment in the Indian government?

Yes, in many cases, knowledge of Hindi is a requirement for employment in the Indian government and public.

  • Can I learn Hindi as a second language?

Yes, Hindi is widely taught as a second language in schools and universities across India. There are also many resources available for learning Hindi online.

  • Are there any other languages that are widely spoken in India besides Hindi?

Yes, India is a diverse country with many languages spoken. Besides Hindi, other widely spoken languages in India include Bengali, Telugu, Marathi, Tamil, and Urdu.

  • “Hindi Diwas 2021: What is the history behind celebrating Hindi Diwas?” India Today, 14 September 2021, https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/hindi-diwas-2021-what-is-the-history-behind-celebrating-hindi-diwas-1852341-2021-09-14.
  • “Languages of India.” Wikipedia, Wikimedia Foundation, 4 April 2023, https://en.wikipedia.org/wiki/Languages_of_India.
  • “Hindi Language.” Encyclopædia Britannica, Encyclopædia Britannica, Inc., 18 January 2022, https://www.britannica.com/topic/Hindi-language.

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

School Essay

Essay On Hindi Our National Language

  • Post category: Essay
  • Reading time: 4 mins read

Language is an important medium of communication. Every country has its own language which is used throughout that country. India is a vast country having different languages, costumes, religions, and castes. However, in spite of the diversity, we are united. There are different reasons why we remain united in spite of such varied cultures, the most important among them being our national language, Hindi .

A country cannot achieve success if there is no common language. We cannot think independently and no progress is possible without it. Keeping these points in mind, we accepted Hindi as our National language on 26th January 1950. Hindi is the pride of our nation. It has all the necessary qualities required for becoming a national language. It is the widely used and widely spoken language in the country. It is our strength that gives the message of unity and nationality. It awakens the feeling of self–respect, love, and nationalism among the citizens.

But unfortunately, we have failed to give Hindi a respected position and the government will have to seriously think about it. Though Hindi is our national language we feel proud to communicate in English. This is not good. We should try hard to propagate and make our national language popular. We should feel proud of using Hindi at every place. Even invitation cards, signboards, all kinds of bills, and legal documents should be in Hindi.

All government correspondence should be carried out in Hindi. Hindi should be made a compulsory subject up to graduation. We can make good use of newspapers and television for making people aware. Love for national language will automatically popularize the language. If other countries can progress through their national languages, why can’t we?

  • Essay On Republic Day Of India
  • Essay On Independence Day Of India
  • Essay On Our Capital Mumbai
  • Essay On Our Capital Delhi
  • Essay On India My Country

Please Share This Share this content

  • Opens in a new window

You Might Also Like

Read more about the article Essay on Raja Ram Mohan Roy

Essay on Raja Ram Mohan Roy

Essay on why walking is a miraculous exercise, essay on role of social reformers in india, essay on holidays and how to spend them.

Read more about the article Essay on Good Manners

Essay on Good Manners

Essay on the life of a salesman, leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Question and Answer forum for K12 Students

Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

upsc-online-classes

Hindi as the National language- advantages and disadvantages.

Introduction: Eighth Schedule of the Indian constitution recognized the 22 languages as the official language of India. Hindi, most number of people speaking language of India, gained the special status through the article 394 of the Indian constitution. But Hindi is not the National language of India. Since independence, there was a conflict in recognizing Hindi as the National Language. Till now, we did not have any language as the National language instead we have 22 official languages including English.

Essay Contest for UPSC Exam for IAS

Advantages and Disadvantages: Culture: India as a picture of "Unity in Diversity" can be best seen in her rich diversified culture and heritage. This rich and diversified culture is due to the large number of languages and dialects. According to census, more than 30 languages and more than thousand dialects are spoken by Indians. While recognizing the Hindi or any other language as the National Language, it promotes the growth of one. At the same time, it will lead to death of other languages. Language is not only for communication, it is a tool to understand the history and culture. The easiest way to destroy the country is to destroy its culture. The death of language leads to death of culture. The best example for this is death of Pali language. Despite Pali language was language of commons when recognizing the Sanskrit as the court language, it brings death to the Pali. Today, we are unable to decode the Pali and unable to understand the full history of our country.

Administration: When Hindi becomes the National Language, it improves the administration, will lead to fast response from the government side and faster implementation of Government schemes, since the majority of the people knows Hindi very well. But these benefits are only confined to people who know Hindi. This will create the discrimination between people who have Hindi knowledge and others in opportunities. It will destroy the basic structure of constitution- "equal opportunity for all".

English Language: When declaring the Hindi as the national language, it will provide the pathways to people to know one more language- Hindi in the Non Hindi speaking States and at the same time it will shut down the pathway to know English – Unofficial world Language in all states of India. This indirectly affects our growth in the International Market.

National Symbol The purpose of the National Symbol to manifests its culture history and to promote its national Integration. Government of India recognized Tamil, Sanskrit, Telugu, Kannada, Malayalam and Oriya as the classical language, not Hindi. While recognizing the Hindi as our National language, it will not manifest the culture history of India to the world.

When Hindi became the National Language, it will lead to the situation India only for people who knows Hindi. Instead of promoting the national integration, declaration of Hindi as national Language will create the Linguistic barrier among people and collapses the national Integration.

Conclusion: India is the birth place of many language and dialects. Duty of the government is to build bridges not the walls. When declaring the one among many as national language of India will not bridges the people instead it separates others. Instead of promoting Hindi, Government should take steps to promote other languages, it will save our culture.

Related Essay

  • Pros and cons of hindi as national language
  • Hindi as the National Language - Pros & Cons
  • Hindi as the National language- advantages and disadvantages

Top Pages for UPSC

  • IAS Coaching in Delhi
  • IAS Coaching in Mumbai
  • IAS Coaching in Chennai
  • IAS Coaching in Bangalore
  • IAS Coaching in Hyderabad
  • UPSC Syllabus
  • IAS Full Form
  • UPSC Post List
  • UPSC Subject List
  • UPSC Age Limit
  • UPSC Prelims Syllabus Pdf
  • UPSC Notes Pdf in English
  • IAS Exam Preparation
  • UPSC Final Results 2019 New
  • UPSC Mains Results 2022 [ New ]
  • Free CSAT Practice Test
  • Practice Prelims Test Series 2024 [ New ]
  • UPSC Videos
  • Daily UPSC Current Affairs Quiz [ Free ]
  • UPSC Results
  • Prelims Question Papers
  • Prelims Marks Distribution
  • General Studies Notes [ Free ]
  • Current Affairs
  • UPSC Prelims Syllabus
  • UPSC Mains Syllabus
  • UPSC Jobs List
  • UPSC Subjects
  • IAS Full form
  • Free UPSC Material
  • IAS Exam Book
  • How to prepare for prelims 2023
  • How to prepare for CSAT
  • UPSC Study Material
  • UPSC Interview Questions
  • UPSC IAS Exam Questions
  • Economic Survey 2020-21 Download
  • Union Budget 2020-21 Download
  • National Education Policy 2020 Download
  • Daily UPSC Current Affairs Quiz
  • Union Budget 2024-25 [ New ]  

Civil Service Essay Contest March 2024

  • Changing trends in the female workforce, how it can be harnessed for better growth.
  • How is the startup scene in India contributing to the GDP?

Civil Service Essay Contest (December 2023)

  • Is the caste barrier breaking due to increased love marriages in India? Views : 1468
  • Is the caste barrier breaking due to increased love marriages in India? Views : 1961

essay on national language in hindi

Current Affairs Analysis

Upsc civil service examination 2024 notification to be out on february 14, check details.

Views : 5720

Tsunamis are here to stay as it hits Japan

Views : 7463

Floods and the Monsoon in India

Views : 7309

Use of AI in the field of meteorological research

Views : 1263

Update on National TB Elimination Programme

Views : 8595

Goa Liberation Day

Views : 8241

essay on national language in hindi

About Civil Service India

Civil Service India is a website dedicated to the Civil Services Exam conducted by UPSC. It guides you through the entire gambit of the IAS exam starting with notification, eligibility, syllabus, tips, quiz, notes and current affairs. A team of dedicated professionals are at work to help you!

Stay updated with Us

Phone : +91 96000 32187 / +91 94456 88445

Email : [email protected]

Apps for Civil Services Preparation

HindiKiDuniyacom

राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

राष्ट्रीय ध्वज़

किसी राष्ट्र का “राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। इसी प्रकार से हमारे देश का भी राष्ट्र ध्वज है, जिसे तिरंगा कहते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा भारत का गौरव है और यह प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत महत्व रखता है। यह ज्यादातर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तथा भारत के लिए गर्व के क्षणों में लहराया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व पर 10 वाक्य || भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य

राष्ट्रीय ध्वज पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on National Flag in Hindi, Rashtriya Dhwaj par Nibandh Hindi mein)

राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

राष्ट्रीय ध्वज देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था। परन्तु उद्योगपति जिन्दल के न्यायपालिका में अर्जी देने के बाद ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया। कुछ निर्देशों के साथ निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज लहराने की अनुमति दी गई।

राष्ट्रध्वज की बनावट

इसकी प्रत्येक पट्टियां क्षैतिज आकार की होती हैं। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का अशोक चक्र अपनी 24 तीलियां के साथ तिरंगा की शोभा बढ़ा रहा है। जिसमें 12 तीलियां मनुष्य के अविद्या से दुःख तक तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) का प्रतीक है। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज में रंगों के मायने तथा महत्व

राष्ट्र ध्वज में तीन रंग सुशोभित हैं, इसकी अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया ने किया था। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग का उपयोग किया गया है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।

केसरिया – भगवाँ मतलब वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक है।

सफेद – शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा ईमानदारी का प्रतीक है।

हरा – हरा रंग खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है तथा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है आखों को सुकून देता है व बेरेलियम तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।

भारत का राष्ट्रध्वज देश का शान, गौरव तथा अभिमान होता है। इसकी अभिकल्पना महान पुरूषों द्वारा बहुत सोच समझ कर की गई है। जिसमें प्रत्येक रंग तथा चक्र देश की एकता, अखण्डता, विकास तथा खुशहाली को दर्शाता हैं।

Rashtriya Dhwaj par Nibandh – निबंध (400 शब्द)

“तिरंगा” नाम से ही जान पड़ता है, तीन रंगों वाला। हमारे राष्ट्रध्वज में तीन महत्वपूर्ण रंगों के साथ अशोक चक्र (धर्म चक्र) के रूप में तिरंगे की शोभा बनाए हुए हैं। इन सब के अपने- अपने अध्यात्मिक तथा दार्शनिक मायने है पर स्पष्ट रूप से बताया गया है की इसका कोई साम्प्रदायिक महत्व नहीं है। इस तिरंगे की शान में अनेक जान न्यौछावर हुए हैं। राष्ट्रध्वज के महत्व व उसकी गरिमा सदैव बनी रहे इस बात को मद्दे नज़र रखते हुए, तिरंगे के प्रदर्शन तथा प्रयोग पर विषेश नियंत्रण है।

भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता

26 जनवरी 2002 को, स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों पश्चात् राष्ट्रध्वज संहिता में संशोधन किया गया। राष्ट्रध्वज संहिता से आशय भारतीय ध्वज फहराने तथा प्रयोग को लेकर बताए गए निर्देश से है। इस संशोधन में आम जनता को अपने घरों तथा कार्यालयों में साल के किसी दिन भी ध्वज को फहराने की अनुमति दी गई पर साथ में, ध्वज के सम्मान में कोई कमी न आये इस बात का भी ख़ास खयाल रखने का निर्देश दिया गया।

सुविधा की दृष्टी से भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता को तीन भागों में बांटा गया है

पहले में, ध्वज के सम्मान की बात रखी गई। दुसरे भाग में, जनता निजी संस्थान तथा शैक्षिक संस्थान आदि द्वारा राष्ट्रध्वज के प्रदर्शन का विवरण दिया गया। तीसरे भाग में, केन्द्रीय तथा राज्य सरकार तथा उनके संगठनों को राष्ट्रध्वज के प्रयोग के विषय में जानकारी दी गई है।

राष्ट्रध्वज के सम्मान में

राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बनी रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के नज़र से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।

2005 से पूर्व तक इसका उपयोग किसी पोशाक तथा वर्दी के रूप में नहीं किया जा सकता था, पर 5 जुलाई 2005 के संशोधन के पश्चात से इसकी अनुमति दी गई। इसमें भी कमर के नीचे के कपड़े व रूमाल तथा तकिये के रूप में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। झण्डा डुबाया नहीं जा सकता है, तथा जान-बूझकर उल्टा नहीं रखा जा सकता है। राष्ट्रध्वज को फहराना एक पूर्ण अधिकार है, पर इसका पालन संविधान के अनुच्छेद 51ए के अनुसार करना होगा।

उद्योगपति सांसद नवीन जिन्दल द्वारा कोर्ट में याचिका रखा गया। जिसमें आम नागरिक द्वारा झण्डे के फहराने की मांग कि गई। तथा 2005 में ध्वज संहिता में संशोधन कर निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थान, कार्यालयों में झण्डे को फहराने की अनुमति दी गई। पर इसके साथ निर्देश द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया की झण्डे का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाए।

निबंध – 3 (500 शब्द)

सबसे पहले महात्मा गांधी ने 1921 में कांग्रेस के सम्मुख राष्ट्रीय ध्वज की बात रखी। पिंगली वैंकैया द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व ध्वज की अभिकल्पना की गई। 22 जुलाई 1947 के संविधान सभा बैठक में इसे अपनाया गया। राष्ट्रध्वज में तीन रंग सुशोभित है तथा मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र 24 आरों के साथ विद्यमान हैं। इन सब का अपना- अपना विशेष मायने तथा महत्व है।

राष्ट्रध्वज का इतिहास

  • सबसे पहला झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकत्ता में, फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पट्टी से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।
  • दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि अंकित किया गया।
  • तीसरा झण्डा 1917 में , जब भारत का राजनैतिक संघर्ष नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पट्टी के साथ बना हुआ था। जिसमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बाये से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।
  • चौथा झण्डा तथा गाँधी का सुझाव 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में, अन्द्रप्रदेश के एक युवक “पिंगली वैंकैया” ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। जिसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया इसमें अन्य धर्मों की भावनावों की कद्र करते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।
  • पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिला। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।
  • छठवां झंडा, तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः कांग्रेस पार्टी के झण्डे (तिरंगा) को राष्ट्र ध्वज के रूप में (वर्तमान ध्वज) को स्वीकार किया गया । केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।

तिरंगे का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति से बहुत समय पूर्व प्रारम्भ हो गया था। जिसमें समय-समय पर सोच विचार कर संशोधन किए गए। यह सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के ध्वज के रूप में था, पर 1947 में तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया और यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण था।

राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध 4 (600 शब्द)

झण्डे के अनेक संशोधन के पश्चात, 1947 में संविधान सभा के बैठक में, वर्तमान ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता दिया गया। इसे पिंगली वैंकैया ने डिज़ाइन किया था। प्रत्येक स्वतंत्र देश का एक अपना राष्ट्रध्वज होता है, जो उस देश का प्रतीक होता है।

माहात्मा गाँधी ने राष्ट्रध्वज के निर्माण में विषेश भूमिका निभाया, अतः उनके शब्दों में :

“ सभी राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा। ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिक के ध्वज पर बने सितारे और पट्टीयों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आवाहन करता है।”- महात्मा गाँधी

तिरंगे के उपलक्ष्य में

एक कहानी यह है की, महात्मा गाँधी ने झंडे पर चलते हुए चरखे का सुझाव दिया था। जो की सत्य है, पर चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को चुना गया। जिससे गाँधी के मन को ठेस पहुंचा तथा उन्होंने कहा मैं इस झंडे को सलामी नहीं दुंगा।

“ध्वाजारोहड़” प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण

करीब 200 साल की गुलामी और अनेकों नौजवान द्वारा अपने प्राणों की आहुति देने के पश्चात 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुआ। 15 अगस्त 1947 में लाल किले के प्राची से भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा ध्वज फहराया गया। ध्वज की शान प्रतिष्ठा तथा सम्मान को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है।

  • विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 1984 में, राष्ट्रध्वज को चांद पर लहराया।
  • राष्ट्रध्वज को लहराने का समय दिन में, सूर्योदय के बाद तथा सूर्यास्थ से पहले का है।
  • राष्ट्रध्वज निर्माण के लिए विषेश प्रकार से हाथ से काते गए खादी के वस्त्र का प्रयोग किया जाता है।
  • किसी राष्ट्रविभुति के निधन पर राष्ट्र शोक में कुछ समय के लिए तिरंगे को झुका दिया जाता है।
  • देश का संसद भवन एक मात्र ऐसा स्थान है जहां एक साथ तीन तिरंगे लहराये जाते है।
  • देश के लिए जान देने वाले महान पुरूषों के शव को तिरंगे में लपेटा जाता है जिसमें केसरिया सिर के ओर तथा हरा पैर के ओर रखा जाता है।
  • देश का सबसे ऊँचा झण्डा भारत पाकिस्तान के अटारी बोर्डर पर 360 फीट की ऊचाई पर लहराया गया है।
  • 21 फीट गुणा 14 फीट के झण्डे पूरे देश के केवल तीन किले पर फ़हराये जाते है, कार्नाटक का नारगुंड किला, मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित किला तथा महाराष्ट्र का पनहाल किला।
  • “फ्लैग कोड ऑफ इंडिया” भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता में ध्वज से संबंधित कानून का विवरण किया गया है।
  • झंडे पर किसी भी प्रकार की आकृति का बनाना या लिखना दंडनीय अपराध है।
  • राष्ट्रपति भवन के संग्रालय में एक लघु तिरंगा रखा गया है, जिसका स्तम्भ सोने से निर्मित है तथा अन्य स्थान पर हीरे जवाहरात लगे हैं।
  • राष्ट्रध्वज के समीप किसी अन्य ध्वज को राष्ट्रध्वज के बराबरी में या उससे ऊँचा नहीं फहराया जा सकता।
  • वीरों की शव पर लपेटे गए तिरंगे को पुनः लहराया नहीं जा सकता, उसे जला दिया जाता है या पत्थर से बांध कर जल में डाल दिया जाता है आदि।

अनेक पढ़ाव को पार कर राष्ट्रध्वज तिरंगा आज भारत की शान है। राष्ट्रध्वज का अपमान देश का अपमान है अतः इसका दोषी दंड का पात्र है। ध्वज के अपमान किए जाने पर दंड स्वरूप तीन वर्ष की कैद तथा जुर्माने का प्रावधान है। राष्ट्रध्वज से संबंधित अनेक रोचक तथ्य तथा निर्देश है जैसे झंडे का प्रयोग कैसे करें, कैसे न करें, कब झंडे को झुकाया जाता है आदि, इन सभी उपदेशों का हम सबको गंभीरता से पालन करना चाहिए।

Essay on National Flag in Hindi

संबंधित जानकारी:

भारतीय ध्वज संहिता पर निबंध

हर घर तिरंगा पर निबंध

राष्ट्रीय ध्वज पर भाषण

राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस पर निबंध

देश प्रेम/देशभक्ति पर निबंध

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

IMAGES

  1. Write an Essay on Importance Of Hindi Language

    essay on national language in hindi

  2. Importance Of Hindi Language Essay: A Comprehensive Guide

    essay on national language in hindi

  3. Essay on National Language

    essay on national language in hindi

  4. Importance Of Hindi Language Essay: A Comprehensive Guide

    essay on national language in hindi

  5. राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध

    essay on national language in hindi

  6. राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध

    essay on national language in hindi

VIDEO

  1. सफलता पर हिंदी में निबंध

  2. Mera Desh Bharat nibandh in hindi/Mera Desh par nibandh 10 line/Essay on My Country India in hindi

  3. Should Hindi Be Our National Language?

  4. हिंदी निबंध।अनुशासन ।Easy Hindi Essay ।Discipline Essay in Hindi

  5. India's National language क्या है? #shorts #Smfacts

  6. hindi is not a national language ? #education #amazingfacts #knowledge #motivation #business #tamil

COMMENTS

  1. राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध- Essay on National Language in Hindi

    An Essay on National Language in Hindi / Essay on Rashtrabhasha Hindi. राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध For class 3,4,5,6,7 ...

  2. हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध

    Article shared by: हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध | Essay on Hindi-Our National Language in Hindi! भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों को आदान-प्रदान करता है । अपनी बात ...

  3. राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध

    राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi! 1. भूमिका ...

  4. हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी निबंध Essay Hindi National Language

    Rashtrabhasha Hindi Essay In Hindi | राष्ट्र भाषा हिंदी पर निबंध. किसी राष्ट्र की सर्वाधिक प्रचलित एवं स्वेच्छा से आत्मसात की गई भाषा को राष्ट्र भाषा ...

  5. राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध

    Essay on National Language Hindi: 1947 में भारत आजाद हुआ। 14 सितम्बर 1949 को संविधान में यह स्वीकार किया गया कि राजभाषा हिन्दी और लिपि देव नागरी में होगी।

  6. भारत में राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषा Essay on National Language and

    Essay on National Language and Territorial Language in India हमारे भारत देश ... विश्व एड्स दिवस पर निबंध Essay on World AIDS Day in Hindi; रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi;

  7. हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध Hindi Essay on Our National

    हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध Hindi Essay on Our National Language: Hindi. admin September 16, 2017 Essays in Hindi 14,230 Views. भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों को आदान-प्रदान करता है ...

  8. Essay on Hindi Language in English (हिंदी भाषा पर निबंध)

    Conclusion of the essay Our national language Hindi is our mother-tongue, our national language. It is the language that most of the north Indians relate to. The majority of the north Indians speak Hindi. There are other vernacular and regional languages too, like Marathi, Kannada, Malayalam, etc. Well, Hindi is the language we use in ou daily ...

  9. National Language Hindi Essay In Hindi

    राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध - (Essay on National Language Hindi In Hindi) अन्य सम्बन्धित ...

  10. National Language Hindi Essay In Hindi

    राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | National Language Hindi Essay In Hindi. किसी राष्ट्र के लिए ...

  11. Essay on National Language Hindi in Hindi

    Essay on National Language Hindi in Hindi - राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध: Paragrapg & Short Essay on Our National ...

  12. Essay On Our National Language

    It is one of the official languages of India and is the most widespread language of India. Hindi is spoken by almost half a billion people in India and in other parts of the world. After Mandarin, Spanish and English, Hindi is the fourth most spoken language in the world. Hindi is mainly written in Devanagari script also called Nagari ...

  13. हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध: Importance of hindi language in hindi

    हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language) हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं ...

  14. The debate on the national language:

    Under Article 343 of the Constitution, the official language of the Union shall be Hindi in Devanagari script. The international form of Indian numerals will be used for official purposes. In the constituent assembly discussions, it was decided that English would continue to be used for a period of 15 years. The Constitution said that after 15 ...

  15. Revisiting the Making of Hindi as a 'National' Language

    In 1901, only 5.35 per cent people were literate. In 1931, when row over national language was on its peak, only around 9.5 per cent of the Indian population was literate. The literacy growth rate was also very low. Between 1941 and 1951 it grew to only around 16.1 and 16.67 per cent respectively (see-Chart).

  16. India National Language: Understanding the Importance of Hindi

    India, with its diverse cultural heritage, is a land of many languages but Hindi is the de facto India National Language. The country recognizes 22 official languages, out of which Hindi is the most widely spoken and understood language. In this article, we will explore the history, importance, and controversies surrounding Hindi as India's national

  17. Essay On Hindi Our National Language

    Hindi is the pride of our nation. It has all the necessary qualities required for becoming a national language. It is the widely used and widely spoken language in the country. It is our strength that gives the message of unity and nationality. It awakens the feeling of self-respect, love, and nationalism among the citizens.

  18. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन - Essays in Hindi on 100 Topics. January 31, 2024 January 31, 2024 by Veerendra. ... (National Language Hindi Essay) भारत में जल संकट ...

  19. Essay on Hindi as the National language- advantages and disadvantages

    People who support 'Hindi imposition' as the national language believe that Hindi language represents our culture.They also believe that promotion of hindi must be a matter of respect for all Indians. Also, if it is made the national language, it will gradually spread worldwide and gain recognition, as India ranks second in the population ...

  20. Essay on Hindi as the National language- advantages and disadvantages

    Hindi as the National language- advantages and disadvantages. Language is a medium and a means of putting one's thought and opinions to others. India has around 1,635 languages (as per the 2011 census) of which 22 languages mentioned in the eight schedule of the constitution have been recognized as national languages, but the recent note from ...

  21. Essay on Hindi as the National language- advantages and disadvantages

    While recognizing the Hindi or any other language as the National Language, it promotes the growth of one. At the same time, it will lead to death of other languages. Language is not only for communication, it is a tool to understand the history and culture. The easiest way to destroy the country is to destroy its culture.

  22. Essay on "Hindi Our National Language" Complete Essay for Class 10

    Hindi Our National Language. Essay No. 01. Hindi is our national language and English has been retained as Associate National Language, due to its insistent and persistent demand from South India where the people in Tamil Nadu, Andhra Pradesh. Karnataka and Kerala, do not Properly understand Hindi and they do not want the Hindi should be ...

  23. राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

    राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / August 12, 2023. किसी राष्ट्र का "राष्ट्रीय ध्वज" उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है ...