नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi : देश की शिक्षा में 34 सालों के बाद नई प्रस्तावित शिक्षा नीति लागू हो गई हैं.

स्वतंत्र भारत की तीसरी और वर्तमान की शिक्षा नीति के मुख्य बिदु प्रावधान उद्देश्य बदलाव, शिक्षा सुधार, नवाचार नवीन शिक्षण पद्धति आदि का विस्तृत विवेचन न्यू एजुकेशन पालिसी 2020 एस्से में किया गया हैं.

हमें उम्मीद हैं भारत की नई शिक्षा नीति के सम्बन्ध में जो जानकारी चाहते हैं वह इस निबंध में मिल जाएगी. वर्तमान शिक्षा नीति पर आधारित निबंध, भाषण, अनुच्छेद को अपने मुताबिक़ आप इस लेख की मदद से लिख सकते हैं.

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति को कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिली यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है इससे पहले 1968 तथा 1986 में शिक्षा नीतियां लागू की गई थी. 1986 के बाद इस शिक्षा नीति को आने में 34 वर्ष लग गए शिक्षा नीति एक विजन होता है.

सरकार के लिए जिसमें आगामी समय के उद्देश्य तथा लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है वर्तमान में तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य तथा सामाजिक संरचना में होते आमूलचूल परिवर्तनों के मद्देनजर प्रत्येक 10 वर्ष में शिक्षा नीति की समीक्षा तथा आवश्यक बदलाव करने चाहिए.

शिक्षा समाज की दिशा तथा दशा का निर्धारण करती है कहा जाता है. कि अगर किसी देश तथा समाज में बड़े परिवर्तन करने हो तो शिक्षा में समय के साथ परिवर्तन आवश्यक है.

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के आम चुनाव में अपना चुनावी वादा शिक्षा नीति में परिवर्तन भी रखा था. जून 2017 में इसरो के प्रमुख डॉक्टर के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 11 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था,

जिसने मई 2019 में शिक्षा नीति से संबंधित प्रारूप तैयार किया नई शिक्षा नीति 2020 की परामर्श प्रक्रिया विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया रही यह जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2019 तक व्यापक स्तर पर सभी पहलुओं को सम्मिलित करते हुए चर्चा की गई तथा सुझाव लिए गए.

29 जुलाई 2020 को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नई शिक्षा नीति के प्रारूप को पेश किया तथा इसे नई युग की शुरुआत कहा वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री तथा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस नवीन शिक्षा नीति को ऐतिहासिक फैसला बताया.

भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति जुलाई 1968 में घोषित की गई यह कोठारी प्रतिवेदन पर आधारित थी दूसरी शिक्षा नीति 1986 में घोषित हुई.

जिसमें 1990 में गठित आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता वाली कमेटी तथा 1993 में गठित प्रोफेसर यशपाल समिति की समीक्षाओं के आधार पर संशोधन भी किए गए.

शिक्षा वर्तमान में समवर्ती सूची का विषय है इसे 42 वें संविधान संशोधन 1976 को राज्य सूची से समवर्ती सूची में जोड़ा गया अर्थात शिक्षा संबंधी नियम राज्य तथा केंद्र  दोनों बना सकते हैं.

इस शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है कि केंद्र तथा राज्य के बीच टकराव की स्थिति में दोनों आम सहमति से निर्णय लेंगे.

स्वतंत्रता के समय भारत में शिक्षा की स्थिति काफी कमजोर थी उस समय भारत की साक्षरता 15 से 18% थी  2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता 74.04% है.

जो विश्व की साक्षरता 84% से काफी कम है भारत में महिला साक्षरता की स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण 65.46 प्रतिशत है.

नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख प्रावधान

नई शिक्षा नीति 2020 के द्वारा शिक्षा के सभी स्तरों तथा गतिविधियों से संबंधित प्रावधान किए गए हैं शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण तथा सार्वभौमिक शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक शिक्षा पर भी बल दिया गया है. इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता का उचित समावेश किया गया है.

नई शिक्षा नीति 2020 मे 2030 तक सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा  तथा इस नीति को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है.

इसमें छात्रों की क्षमताओं का आकलन करने पर जोर दिया गया ना कि छात्रों को कितना याद रहता है जैसी रटा फिकेशन पद्धति.

भारत में शिक्षा संबंधी परिवर्तनों में 2009 का शिक्षा का अधिकार अधिनियम महत्वपूर्ण है 2010 से लागू जिसमें निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान 5 से 14 वर्ष के बालकों के लिए किया गया इस शिक्षा नीति द्वारा इसे 3 से 18 वर्ष करने का प्रावधान है.

मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया बता दे 1986 से पहले इसे शिक्षा मंत्रालय के नाम से ही जाना जाता था.

शिक्षा नीति में शिक्षा को वरीयता देने का प्रावधान किया गया है जिसमें कहा गया है की जीडीपी का 6%  शिक्षा पर खर्च किया जाएगा इसके अलावा दो करोड़ के लगभग ड्रॉपआउट बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा.

12 वर्ष की स्कूली शिक्षा प्रणाली के स्थान पर 5+3+3+4 फार्मूला लागू किया जाएगा जिसमें शुरुआती 3 वर्ष प्री प्राइमरी एजुकेशन के होंगे जिसमें आंगनवाड़ी शामिल होंगे.

इस प्रकार पहले 5 वर्ष में 3 वर्ष की प्री प्राइमरी शिक्षा तथा पहली व दूसरी क्लास को शामिल किया गया है. उसके बाद तीसरी चौथी और पांचवी क्लास को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करते हुए मातृभाषा पर जोर दिया गया है

तथा क्लास 6 से 8 तक के 3 वर्षों में मैथ साइंस पर बल देते हुए व्यवसायिक शिक्षा का आरंभ किया जाएगा तथा स्कूली शिक्षा के अंतिम 4 वर्ष अर्थात 9वीं 10वीं 11वीं तथा 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए वैकल्पिक विषय का चुनाव करने की छूट दी गई है तथा 12वीं तक मैथ साइंस की अनिवार्यता को लागू किया जाएगा.

3 से 6 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन का प्रावधान किया गया है. नवी से बारहवीं तक सेमेस्टर प्रणाली आधारित मूल्यांकन होंगे.

कक्षा 6 से प्रैक्टिकल बच्चों का विकल्प रहेगा प्राथमिक शिक्षा के बच्चों के लिए बस्ते का बोझ कम करने तथा मातृभाषा के साथ गैर शैक्षणिक गतिविधियां खेल व योग पर बल दिया जाएगा.

इस शिक्षा नीति के अनुसार रिपोर्ट कार्ड में विद्यार्थी के स्किल्स अन्य गतिविधियों में उसकी भूमिका अर्थात 360 डिग्री समग्रता रिपोर्ट कार्ड बनेगा, जिसमें अध्यापकों के साथ-साथ छात्र की फ्रेंड्स सर्कल का भी मूल्यांकन निहित होगा.

उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री तथा मल्टीपल एग्जिट की सुविधा होगी mphil को समाप्त करने की बात कही गई है. क्योंकि भारत अब रिसर्च के अमेरिकी मॉडल की ओर बढ़ रहा है.

इससे पहले एमफिल करने वाले विद्यार्थियों को किसी प्रकार की अतिरिक्त योग्यता नहीं मिलती थी यानी नेट और एमफिल दोनों योग्यता धारी पीएचडी कर सकते थे.

SRA -State School Regulatory Authority के गठन का प्रावधान है जिसके प्रमुख शिक्षा जगत से होंगे

4 ईयर इंटेग्रेटेड बीएड यानी 3 साल के ग्रेजुएशन के साथ 1 साल की B.Ed, 2 ईयर बीएड or 1 ईयर B Ed course संचालित किए जाएंगे 1 वर्षीय बीएड पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद की जा सकती हैं

 TET यानी अध्यापक पात्रता परीक्षा  होगा के बाद दसवीं तक के अध्यापक इस एग्जाम को पास करने के बाद योग्यता अनुसार अध्यापक बन सकेंगे

इस शिक्षा नीति में  शिक्षकों के द्वारा किए जाने वाले गैर शैक्षणिक कार्य जिनसे  शिक्षा की गुणवत्ता में कमी देखी गई  से शिक्षकों को  हटाया जाएगा, सिर्फ चुनाव ड्यूटी लगेगी, BLO ड्यूटी से शिक्षकों का कार्यभार कम किया जाएगा

उच्च शिक्षा में सकल नामांकन को वर्तमान 26.5% से बढ़ाकर 50%  का लक्ष्य रखा है  साथ ही  3.50 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएगी.

उच्च शिक्षा हेतु एक ही रेगुलेटर तथा  समान एंट्रेंस एग्जाम का प्रावधान किया गया है, शिक्षा में तकनीकी को बढ़ावा देने के साथ दिव्यांग जनों हेतु शिक्षा में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे.

ग्रेजुएशन को 4 वर्ष तथा पोस्ट ग्रेजुएशन को 1 वर्ष  किया जाएगा उसके उपरांत रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिए राह आसान की है तथा ग्रेजुएशन बीच में छोड़ देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी प्रावधान किया गया है,

कि 1 वर्ष के बाद उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा तथा 2 वर्ष ग्रेजुएशन करने के बाद डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा तथा अंतिम वर्ष के बाद डिग्री प्रदान की जाएगी.

नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षक बनने के लिए एग्जाम के साथ-साथ डेमो तथा साक्षात्कार का भी प्रावधान किया गया

इस शिक्षा नीति में शिक्षकों के स्थानांतरण संबंधित  मुख्य प्रावधान किया गया है जिसमें शिक्षकों का स्थानांतरण पर लगभग रोक लग जाएगी और पदोन्नति के समय ही स्थानांतरण किया जा सकेगा.

इस प्रावधान को शामिल करने का प्रमुख उद्देश्य दुर्गम तथा कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या से निजात पाना है आमतौर पर देखा गया है

की ऐसी जगहों पर नियुक्त होने वाले अध्यापक गण अपना स्थानांतरण करवाने को इच्छुक रहते हैं तथा वे क्षेत्र लगातार शिक्षा केेे क्षेत्र में  पीछे रह जाते हैं

नवीन शिक्षा नीति के जारी होने के बाद देश  बुद्धिजीवी वर्ग ने स्वागत किया तथा देश के लिए सबसे जरूरी कदम बताया कुछ आलोचकों ने इसे आर एस एस का एजेंडा बताया यहां यह जाना आवश्यक है.

कि आरएस एस की प्रमुख मांगों में भारतीय प्राचीन परंपरागत शिक्षा जैसे वैदिक गणित तथा दर्शन पर बल देना तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करना प्रमुख था.

इसके अलावा r.s.s. में भारतीय विश्वविद्यालयों में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित करने का विरोध किया था  जिसे सरकार ने नहीं माना.

इस नीति से संबंधित दूसरा प्रमुख मुद्दा मातृभाषा को लेकर है,  नीति के समीक्षक बताते हैं कि पहले  की शिक्षा नीतियों में भी मातृभाषा पर बल देने की बात कही गई थी.

लेकिन धरातल पर क्रियान्वित नहीं हो पाई तो सवाल  यह है कि क्या नवीन शिक्षा नीति में किए गए प्रावधान के अनुरूप मातृभाषा को बढ़ावा देने में सफल हो पाएंगे इसका दूसरा कारण मातृ भाषाओं में शिक्षण सामग्री की उपलब्धता का ना होना भी है.

कुछ बुद्धिजीवी लोग यह भी तर्क देते हैं कि आगे चलकर जब विद्यार्थियों को कॉन्पिटिशन के एग्जाम हिंदी तथा इंग्लिश में फेस करने हैं तो मातृभाषा कहां तक उपयोगी है उन्हें यह भी जानना चाहिए कि मातृभाषा संस्कृति का दर्पण होती है तथा  हमारे पूर्वजों के ज्ञान को स्थानांतरण करने में महत्वपूर्ण होती है

भारत में भाषाई आधार पर स्वतंत्रता के बाद से ही विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. नवीन शिक्षा नीति के जारी होते ही तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों के कुछ संगठनों ने उन पर हिंदी थोपे जाने के आरोप लगाएं परंतु उल्लेखनीय है.

कि इस नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इसके अंतर्गत त्रिभाषा पैटर्न में  अंग्रेजी तथा हिंदी के साथ संस्कृत तथा तमिल भाषाओं तथा क्षेत्रीय भाषाओं को भी शामिल किया जाएगा.

इस प्रकार बहस के  मुद्दों की एक लंबी श्रंखला है परंतु नवीन शिक्षा नीति शिक्षा के भारतीय करण तथा बदलते समय के अनुसार ज्ञान कौशल तथा मूल्यों का सामंजस्य स्थापित करने में अहम भूमिका अदा करेगी. 

वर्तमान में शिक्षा जगत से जुड़ी प्रमुख समस्याओं में शिक्षकों की कमी विद्यालयों की कमी कमी शिक्षा सुधार कार्यक्रमों का सफल ना हो पाना ग्रामीण शिक्षा की गुणवत्ता में कमी का होना

उच्च शिक्षा में प्रोफेसर की जवाबदेही व प्रदर्शन का फार्मूला निर्धारित ना होना तथा विश्व की टॉप 200 यूनिवर्सिटीज  की लिस्ट में कम संख्या में भारतीय विश्वविद्यालयों का शामिल होना यह सब कारण है जो शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े परिवर्तन  की गुंजाइश को दर्शाते हैं तथा नवीन शिक्षा नीति इस दिशा में सराहनीय कदम है.

21वीं सदी के विश्व में भारत को प्रमुख महाशक्ति बनने में इस शिक्षा नीति का समुचित क्रियान्वयन मील का पत्थर साबित होगा तथा भारत अपने प्राचीन ज्ञान तथा संस्कृति को नई दिशा प्रदान कर विश्व गुरु बनने में नवीन शिक्षा नीति उपयोगी साबित होगी.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 | National Education Policy In Hindi

1968 और 1986 की शिक्षा नीति.

राष्ट्र की स्वतंत्रता के लगभग 21 वर्षों के बाद जब पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति कि घोषणा कि गई तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 का विशेष ख्याल रखा गया था, जिसके अनुसार 14 वर्ष की आयु तक अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है।

इस पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से समूचे देश में समान संरचना 10 + 2 + 4 की बात हुई। देश के सभी जाति, धर्म या क्षेत्र के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्ति के सामान अवसर पर जोर दिया गया था।

1968 की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सरकारों को समय – समय पर देश में शिक्षा की प्रगति की समीक्षा करने का प्रावधान था, यह देखते हुए 18 वर्षों के प्रश्चात 1986 में दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई.

जिसको 1992 की श्री पी वी नरसिंह राव की सरकार में संशोधित किया गया जिसमें शिक्षा के आधुनिकीकरण और आवश्यक सुविधाओं पर जोर दिया गया था।

इस शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने पर रोक लगाने, 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा और पिछड़े, दिव्यांगों तथा अल्पसंख्यकों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया था।

महिलाओं की साक्षरता दर बढ़ाने तथा इनके व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा के लिए व्यापक प्रावधान किये गए थे।

इस शिक्षा नीति के माध्यम से कंप्यूटर तथा पुस्तकालय को बढ़ावा देने का कार्य किया गया तथा गैर सरकारी संगठनों को देश में शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रावधान था।

नयी शिक्षा नीति

आइये अब हम बात करते हैं राष्ट्र की तृतीय शिक्षा नीति जिससे विगत 29 जुलाई को देश की समक्ष प्रस्तुत किया गया।

यह शिक्षा नीति भारत में 34 सालों बाद आयी है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2015 से ही इस शिक्षा नीति को लेकर के तैयारियां शुरू कर दी थी।

नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्‍टूबर, 2015 को सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी. एस. आर. सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमिटी बनायी, कमिटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी लेकिन सरकार को यह रिपोर्ट पसंद नहीं आयी।

इसके बाद 24 जून, 2017 को इसरो के प्रमुख रहे वैज्ञानिक के कस्तूरीगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यों की कमेटी को नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई। 31 मई, 2019 को ये ड्राफ्ट मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया।

ड्राफ्ट पर मानव संसाधन मंत्रालय ने लोगों के सुझाव आमंत्रित किये थे साथ ही शायद यह पहली बार हुआ की शिक्षा नीति को बनाने के लिए देश के 676 जिलों के 6600 ब्लाक की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों के सभी वर्ग के लोगों की सलाह ली गई हो।

इन सुझावों और सलाहों के आधार पर ही 66 पन्नों के ड्राफ्ट की तृतीय शिक्षा नीति को केद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

नयी शिक्षा नीति की कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • इस शिक्षा नीति में पूर्वत जारी संरचना 10 + 2 को 5 + 3 + 3 + 4 में बदल दिया गया। जहाँ पहले ‘पांच’ को 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों लिए बनाया गया जिसमें बच्चा प्री स्कूल के साथ प्रथम और द्वितीय कक्षा में शिक्षा ग्रहण करेगा। वहीँ 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन किया गया, जहाँ 3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को प्री-स्कूल के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने तथा 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 और 2 में शिक्षा प्रदान करने की योजना है। इसी प्रकार अगले चरण के ‘तीन’ को तृतीय से पांचवीं कक्षा के लिए बनाया गया। वहीँ अगले चरण के ‘तीन’ को छटवीं से आठवीं कक्षा के लिए बनाया गया है, जिसमें अब बच्चों को रोजगारपरक कौशल की शिक्षा दी जाएगी एवं इनकी स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। अंतिम चरण के ‘चार’ को नवीं से बारहवीं कक्षा के लिए बनाया गया जिससे विद्यार्थियों को दो बोर्ड परीक्षाओं से छुटकारा मिल सकेगा।
  • प्रारंभिक शिक्षा को बहु-स्तरीय खेल और गति-विधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी गयी है।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय किया गया। देश की स्वतंत्रता से लेकर १९८५ तक शिक्षा मत्रालय ही हुआ करता था लेकिन श्री राजीव गाँधी सरकार ने इसका नाम बदल कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय रखा था।
  • नयी नीति में मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा पर ज्यादा जोर दिया गया।
  • मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट पालिसी जोड़ी गयी है, जो की कॉलेजों में पढ़ रहे बच्चों के लिए है। जिसका उद्देश्य १ साल की पढ़ाई कर चुके छात्र को सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा और तीन साल पर डिग्री देने का प्रावधान है।
  • अभी ग्रेजुएशन कोर्स तीन साल के होते हैं। अब नई सिख्स नीति में दो तरह के विकल्प होंगे, जो नौकरी के लिहाज से पढ़ रहे हैं, उनके लिए 3 साल का ग्रेजुएशन और जो रिसर्च में जाना चाहते हैं, उनके लिए 4 साल का ग्रेजुएशन। चार साल की ग्रेजुएशन के बाद एक साल का पोस्ट ग्रेजुएशन और 4 साल का पीएचडी। एमफिल कोर्स को समाप्त कर दिया गया है।
  • अब कोई भी विद्यार्थी मनचाहे विषय चुन सकेगा यानि फिजिक्स में ग्रेजुएशन कर रहा है और उसकी म्यूजिक में रुचि है, तो म्यूजिक भी साथ में पढ़ सकता है। आर्ट्स और साइंस वाला मामला अलग अलग नहीं रखा जाएगा। इसका नाम दिया गया है मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन।
  • नयी शिक्षा नीति में यूनिवर्सिटी की साथ साथ सबंध कॉलेज को भी परीक्षा कराने की स्वायत्ता दी जा सकेगी।
  • उच्च शिक्षा के लिए एकल रेग्युलेटर – भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा। अब यूजीसी, एआईसीटीई जैसी कई संस्थाएं, मेडिकल और लॉ लॉ की पढ़ाई के अलावा सभी प्रकार की उच्च शिक्षा के लिए एक ही रेग्युलेटर बॉडी होगी।
  • नई शिक्षा नीति का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है।
  • सेंट्रल यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी या फिर डीम्ड यूनिवर्सिटी सहित देशभर की प्रत्येक यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षा के मानक एक समान ही होंगे।
  • नई शिक्षा नीति के अनुसार प्राइवेट संस्थान से लेकर सरकारी संस्थान सभी के लिए अधिकतम फ़ीस का माप दंड बनाया जायेगा।
  • नई शिक्षा नीति में अमेरिका की तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन भी बनाएं जाने का प्रावधान है, जो साइंस से लेकर आर्ट्स के विषयों पर हो रही रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फण्ड करेगा।
  • विश्व की टॉप यूनिवर्सिटीज को देश में अपने कैम्पस खोलने की अनुमति प्रदान की जाएगी।
  • बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन सिर्फ टीचर ही नहीं बल्कि छात्र स्वयं तथा उसका सहपाठी भी मूल्यांकन करेंगे।
  • इस नीति में बच्चों को रोजगारपरक कौशल की शिक्षा के साथ-साथ इनकी स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।
  • नई शिक्षा नीति को 2040 तक पूर्ण रूप से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • नई नीति के अंतर्गत 2030 तक देश के प्रत्येक जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान बनाने के साथ स्कूलों तथा शिक्षण संस्थानों को डिजिटल संसाधनों, विर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं से लैश करने एवं शिक्षकों को भी नई तकनीकी के ज्ञान से लैश करने की बात की गई है।
  • छात्रों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर प्रशिक्षण करने के लिए नेशनल असेसमेंट सेंटर बनाये जाने का प्रावधान भी इस नयी शिक्षा नीति में जोड़ा गया है।
  • नई नीति में शिक्षा पर सरकारी खर्च 43 प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी के 6 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है।
  • स्कूल के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए एक कॉमन इंट्रेस एक्जाम कराने की बात की गयी है।
  • रोजगार के लिए विभिन्न परीक्षाओं से निजात दिलाने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन किया जायेगा। जो ग्रुप बी और ग्रुप सी (गैर-तकनीकी) पदों के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) आयोजित करेगी।

  • नारी शिक्षा पर निबंध
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  • शिक्षा का अर्थ महत्व व परिभाषा

लेखक परिचय: 

HIHINDI के लिए “ नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi ” का यह लेख   sher singhद्वारा लिखा गया. आप वेबसाइट के सह सम्पादकों में से एक हैं.

वर्तमान में राजस्थान विश्विद्यालय से इतिहास विभाग से मास्टर ऑफ़ आर्ट्स में अध्ययनरत हैं. आप अपने व्यस्त समय से HIHINDI के पाठकों के लिए शिक्षा से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं.

यदि आप भी स्वरचित कोई मौलिक लेख प्रकाशन चाहते है कृपया [email protected] पर सम्पर्क करें.

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नई शिक्षा नीति पर निबंध

Essay on New Education Policy in Hindi: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020 को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी की गई। शिक्षा नीति में यह बदलाव कुल 34 वर्षों के बाद हुअ है, इससे पहले जो राष्ट्र में शिक्षा नीति चल रही थी वो नीति सन 1986 में बनी थी।

शिक्षा किसी भी देश और समाज के विकास की महत्वपूर्ण आधार होता है। शिक्षा के बलबूते ही किसी भी देश का विकास तेजी से किया जा सकता है। हालांकि समय के साथ-साथ हर चीजों में बदलाव आता है और उसके अनुसार शिक्षा में भी बदलाव किया जाना चाहिए।

क्योंकि पहले के समय में टेक्नोलॉजी का इतना विकास नहीं हुआ था लेकिन अब दिन प्रतिदिन टेक्नोलॉजी का विकास होते जा रहा है, लोग मॉडर्न टेक्नोलॉजी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे में बालकों को न केवल किताबी ज्ञान बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान और टेक्निकल ज्ञान भी दिया जाना चाहिए ताकि अपनी योग्यताओं को बढ़ा सकें और उसके बलबूते अपने भविष्य को बेहतर बना सके।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए साल 2020 को संसद में नई शिक्षा नीति को लाने के लिए बिल पास किया गया। यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। इससे पहले दो बार शिक्षण के तरीके में बदलाव हो चुका है पहला इंदिरा गांधी के दौरान और दूसरा राजीव गांधी के दौरान। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए इस नई शिक्षा नीति के बारे में हर बच्चे और उनके माता-पिता को जानकारी होनी चाहिए।

Essay on New Education Policy in Hindi

इस आर्टिकल में हमने एक निबंध के रूप में नई शिक्षा नीति के बारे में पूरी जानकारी शेयर की है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध 250 शब्दों में (nai shiksha niti par nibandh)

समय के साथ शिक्षा नीति में परिवर्तन आवश्यक होता है ताकि देश की उन्नति सही तरीके से और तेजी से हो सके। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति को 34 वर्षों के बाद लाया गया है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य पालको केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान भी देकर उनकी मानसिक बौद्धिक क्षमता को और भी ज्यादा प्रबल बनाना है।

इस नई शिक्षा के माध्यम से बच्चों के मन में नए-नए चीजों को सीखने के प्रति रुचि जगाना है। ताकि बच्चे जीवन में अपनी योग्यताओं के बलबूते एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकें। इसके अतिरिक्त अपने मातृभाषा को बढ़ावा देना भी इस शिक्षा नीति का उद्देश्य हैं। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के पाठ्यक्रम को 5+ 3+ 3+ 4 के मॉडल में तैयार किया जाएगा। पहले यह 10+2 के अनुसार था।

इस मॉडल के अनुसार प्रथम 5 वर्षों को फाउंडेशन स्टेज के रूप में रखा गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों के बेहतरीन भविष्य के लिए मजबूत नींव को तैयार करना है। इन 5 वर्षों के पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी के द्वारा तैयार किया जाएगा। इसमें प्राइमरी के 3 और पहली और दूसरी कक्षाओं को सम्मिलित किया जाएगा। इस नई मॉडल के कारण बच्चों के लिए किताबों का बोझ हल्का हो जाएगा अब वे आनंद लेते हुए सीख पाएंगे।

इसके अगले 3 वर्षों में तीसरी, चौथी और पांचवी कक्षाओं को शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना है और इन कक्षाओं के बच्चों को गणित, कला, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाया जाएगा। इसके बाद के 3 वर्षों को मध्यम स्तर की तरह माना जाएगा, जिसमें 6, 7, और 8 वीं कक्षाओं को शामिल किया जाएगा। इन कक्षाओं के बालकों को एक निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाया जाएगा।

इतना ही नहीं इन पाठ्यक्रम के अतिरिक्त बच्चो को टेक्निकल ज्ञान भी दिए जाएंगे। बच्चों को कोडिंग भी सिखाया जाएगा, जिससे वे भी चाइना के बच्चों की तरह ही छोटी उम्र में ही सॉफ्टवेयर और ऐप बनाना सीख पाएंगे। आगे के 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं को अंतिम स्तर में रखा जाएगा, जिसके दौरान बच्चे अपने मनपसंद विषयों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर पाएंगे।

इस तरीके से नई शिक्षा नीति के माध्यम से न केवल बालकों के पाठ्यक्रम में बदलाव होगा बल्कि बच्चों के शिक्षण के तरीके में भी सुधार है।

nai shiksha niti par nibandh

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 निबंध 850 शब्दों में (nayi shiksha niti 2020 essay in hindi)

बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, इसीलिए समय के साथ शिक्षण प्रणाली में बदलाव करते रहना चाहिए। इसीलिए साल 2020 में बच्चों के शिक्षण प्रणाली को और भी ज्यादा बेहतर बनाने के लिए नई शिक्षा नीति को लाई गई, जो पहले की 10 + 2 मॉडल पर ना होकर 5 + 3 + 3 + 4 के फॉर्मेट में तैयार किया जाएगा।

इस फॉर्मेट में प्रथम 5 वर्षों को फाउंडेशन स्टेज की तरह माना गया है, जिसमें बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए मजबूत नींव तैयार करना है। अगले 3 वर्षों का उद्देश्य बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना है, जिसमें तीसरी से पांच कक्षा को सामिल किया गया है।

इसकी अगले तीन वर्षों में छठी से आठवी कक्षा को शामिल किया गया है, जिससे मध्यम स्तर माना जाएगा। उसके बाद के नौवी से बारवी कक्षा को अंतिम स्तर में शामिल किया गया है।

नई शिक्षा नीति का बच्चों पर प्रभाव

नई नीति के बाद ग्यारवी और बारहवीं के पाठ्यक्रम में स्ट्रीम सिस्टम खत्म हो जाएगा। अब बच्चे अपने मनपसंद के अनुसार कोई भी विषय का चयन कर सकते हैं। जैसे यदि कोई साइंस स्ट्रीम का विद्यार्थी हैं और वह आर्ट स्ट्रीम के किसी विषय को पढ़ने की रूचि राखता है तो वह उसे भी पढ़ सकता है।

इन सबके अतिरिक्त नौवीं से 12वीं तक की परीक्षा सेमेस्टर वाइज ली जाएगी, जिसके अनुसार साल में दो बार परीक्षा होगी और दोनों सेमेस्टर के मार्क्स को जोड़कर फाइनल रिजल्ट पेश किया जाएगा। ऐसे में अब बालकों को पूरे साल पढ़ाई करनी पड़ेगी। क्योंकि पहले ज्यादातर बच्चे जिन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता था, वे एग्जाम में पास होने के लिए सिर्फ फाइनल एग्जाम के कुछ दिन पहले तैयारी करते थे और रटा मारकर पासिंग मार्क्स तक ले आते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

अब बच्चे को परीक्षा में पास होने के लिए रखना नहीं बल्कि समझ कर पढ़ना होगा। इसके साथ ही यदी बच्चे को किसी भी विशेष विषय में रुचि है और वह उसका प्रैक्टिकल ज्ञान लेना चाहता है तो वह इंटर्नशिप भी प्राप्त कर पाएगा। अपने इंटर्नशिप कार्य को वह स्कूल के दौरान ही कर सकता है।

इससे यह फायदा होगा कि कोई भी बालक जिस विषय में उसको रूचि है, उस विषय में वह स्कूली शिक्षा के दौरान ही बेहतर बनने की तैयारी कर सकता है। अब बोर्ड की परीक्षाओं के तरीके भी काफी बदल जाएंगे। बोर्ड का परीक्षा बच्चों के लिए बोझ नहीं रहेगा, बच्चे अपने मनपसंद भाषा में बोर्ड का परीक्षा दे पाएंगे।

इसके अतिरिक्त मार्कशीट भी पहले की तरह तैयार नहीं की जाएगी, उसमें भी काफी बदलाव होगा। अब जो मार्कशीट तैयार होगा, उसमें ना केवल बच्चों के विषय के मार्क्स बल्कि उसके व्यवहार, मानसिक क्षमता और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी को भी ध्यान में रखा जाएगा। इससे यह फायदा होगा कि अब बच्चो को केवल पढ़ाई के प्रति ही नहीं बल्कि अन्य गतिविधियों में रुचि लेने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।

कॉलेज के छात्रों पर नई शिक्षा नीति का प्रभाव

सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति न केवल स्कूली बच्चों के लिए है बल्कि यह कॉलेज के छात्रों के लिए भी लागू होता है। जो बच्चे अपने स्कूल पास आउट कर चुके हैं और अब वे कॉलेज में एडमिशन कराने वाले हैं तो उनके लिए यह नीति काफी फायदेमंद होने वाली है। क्योंकि अब कॉलेज के पाठ्यक्रम भी पहले की तुलना में काफी बदल जाएंगे।

स्कूली बच्चों की तरह अब कॉलेज के बच्चे भी अपने मनपसंद के अनुसार विषय का चयन कर पाएंगे। यही नहीं बल्कि जो बच्चे बारवी में खराब मार्क्स लाने के कारण अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाते थे। अब उनको एक और मौका दिया जाएगा। जो बच्चे 12वीं में अच्छे मार्क्स नहीं लाए हैं, वे कोमन एप्टिट्यूड टेस्ट दे सकते हैं और फिर इस टेस्ट में जो मार्क्स लाया जाएगा, उससे उनके बारहवीं कक्षा के मार्क्स के साथ जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाएगा और फिर इस अनुसार वे अपने मनपसंद और अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले पाएंगे।

यही नहीं अब ग्रेजुएशन कोर्स को 3 और 4 साल में बांट दिया गया है। पहले ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के लिए पूरे 3 साल या 4 साल के कोर्स को कंप्लीट करना पड़ता था, उसके बाद ही ग्रेजुएशन की डिग्री मिलती थी। बीच में यदि कोई विद्यार्थी शिक्षा छोड़ देता था तो उसे ग्रेजुएशन की डिग्री नहीं मिलती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

अब जो बालक अपने ग्रेजुएशन कोर्स के दौरान यदि 1 साल में पढ़ाई छोड़ देते हैं तो उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वहीं यदि वे 2 साल के बाद फोर्स को छोड़ते हैं तो उन्हें डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा, वहीं यदि 3 साल के कोर्स को पूरा करने के बाद छोड़ते हैं तो उन्हें बैचलर की डिग्री दी जाएगी।

यदि कोई बालक ग्रेजुएशन की डिग्री 4 साल में करता है तो उसे रिसर्च सर्टिफिकेट के साथ बैचलर डिग्री दी जाती है। इससे उन बालकों के लिए फायदा होगा, जो कॉलेज के दौरान किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे होते हैं।

इस तरीके से अब ग्रेजुएशन के दौरान बच्चे किसी परिस्थितियों के कारणवश चाहे तो वह अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ भी सकते हैं और उसके अनुसार उन्हें सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा और फिर बाद में परिस्थिति ठीक होने के बाद यदि वे आगे दुबारा पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं और ग्रेजुएशन की डिग्री पूरा कंप्लीट करना चाहते हैं तो उन्हें दोबारा शुरुआत से पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि जहां उन्होंने ड्रॉप किया था उसके बाद से ही उन्हें पढ़ने को मौका मिलेगा।

नई शिक्षा नीति से स्कूल कॉलेज के फीस पर प्रभाव

नई शिक्षा नीति से न केवल स्कूल कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदलाव आएंगे बल्कि मनमाने ढंग से बच्चों से फीस वसूलने का काम भी बंद हो जाएगा। अब कोई भी स्कूल या उच्च शिक्षा संस्थान अपने अनुसार बच्चों से फीस नहीं लेगा बल्कि एक निश्चित अमाउंट फीस के तौर पर तय किए जाएंगे और उस निश्चित माउंट से ज्यादा कोई भी स्कूल या कॉलेज बच्चों को फीस देने के लिए बाध्य नहीं कर पाएगी।

स्कूल कॉलेज में अन्य विषयों के अतिरिक्त संस्कृत के पढ़ाई पर भी जोर दिया जाएगा। उच्च शिक्षा संस्थानों में भी आर्ट्स और ह्यूमनिटीज के विषय पढ़ाए जाएंगे, जिससे विज्ञान के बालक भी अन्य क्षेत्रों में अपनी योग्यता से कुछ बेहतर कर पाएंगे। इस तरीके से नई शिक्षा नीति के कारण बच्चे व्यवहारिक ज्ञान लेकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएंगे।

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध 1800 शब्दों में (Essay on New Education Policy in Hindi)

“शिक्षा करेगी नव युग का निर्माण, आने वाला समय देगा इसका प्रमाण।”

पूरे 34 वर्षों के अंतराल के बाद शिक्षा नीति में बदलाव लाया गया है और बदलाव लाना जरूरी भी था। समय की जरूरत के अनुसार यह पहले ही हो जाना चाहिए था। लेकिन कोई नहीं पहले ना सही अब नई नीति को मंजूरी मिल चुकी है। उचित बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।

सूखी जीवन जीने के लिए तैयार होने के लिए एक बच्चे के विकास में शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण तत्व है। भारत सरकार द्वारा 2030 तक नीतिगत पहलुओं को प्राप्त करने के उद्देश्य से नई शिक्षा नीति तैयार की गई है। यह विद्यार्थी की आत्म-क्षमताओं और अवधारणा पर आधारित सीखने की प्रक्रिया है न कि रटने वाली प्रक्रिया।

इसके साथ ही केन्द्रीय सरकार ने एक और फैसला लिया, मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है।

‘शिक्षा’ क्या है?

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया। मगर केंद्र सरकार द्वारा 1986 की शिक्षा नीति के अंदर ना तो कोई सीखने को मिला और ना ही कोई सिखाने वाली वस्तु। केवल उस नीति के अंदर बच्चे ने रटने का ज्ञान लिया और कक्षा उत्तीर्ण (पास) करने के डर लगा रहता था।

शिक्षा के शाब्दिक अर्थ को सार्थक करते हुए और बच्चे के सर्वांगीण विकास वाली नई शिक्षा नीति 2020 (Rashtriya Shiksha Niti 2020) को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है।

नई शिक्षा नीति 2020 की आवश्यकता क्यों आई?

पहले की शिक्षा नीति 1986 मूल रूप से परिणाम देने पर ही केंद्रित थी, मतलब कि विद्यार्थियों का आकलन उनके द्वारा अर्जित अंकों के आधार पर किया जाता था, जो कि एक एकल दिशा दृष्टिकोण है।

नई शिक्षा नीति 2020 ठीक इसके विपरीत है, यानि Nai Shiksha Niti बहुल दिशा दृष्टिकोण पर केंद्रित है। जिसके द्वारा विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होगा और यही इस नीति का उद्देश्य है।

इसके अलावा नई शिक्षा नीति में छात्र किताबी ज्ञान के अलावा भौगोलिक/बाहरी ज्ञान को भी अच्छे से समझ व सीख पाएगा। बच्चे को कुशल बनाने के साथ-साथ, जिस भी क्षेत्र में वह रुचि रखता हैं, उसी क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षित करना है। इस तरह, सीखने वाले अपने उद्देश्य और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होंगे। बस इसी उद्देश्य के कारण शिक्षा नीति में बदलाव लाने की आवश्यकता पड़ी।

नई शिक्षा नीति का गठन

नई शिक्षा नीति पहले की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का पुनर्मूल्यांकन है। यह नई संरचनात्मक रूपरेखा द्वारा शिक्षा की संपूर्ण प्रणाली का परिवर्तन है।

नई शिक्षा नीति (National Education Policy) में रखी गई दृष्टि प्रणाली को एक उच्च उत्साही और ऊर्जावान नीति में देखा जा रहा है। शिक्षार्थी को उत्तरदायी और कुशल बनाने का प्रयास होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में शिक्षक की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं के सुधार पर भी जोर दिया गया है। इस नीति को लाने में कितने साल लगे वो निम्नलिखित है:

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वर्तमान नीति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ले चुकी है।
  • नई शिक्षा नीति के बारे में चर्चा जनवरी 2015 में कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमणियन के नेतृत्व में समिति द्वारा शुरू की गई थी और 2017 में समिति द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
  • 2017 की रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मसौदा, 2019 में पूर्व इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) प्रमुख कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में नई टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जनता और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद मसौदा नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई थी।
  • नई शिक्षा नीति 29 जुलाई, 2020 को अस्तित्व में आई।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिन्दु

नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु निम्न है:

स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान

नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है।

  • पाँच वर्ष की फाउंडेशनल स्टेज – 3 साल का प्री-प्राइमरी स्कूल और ग्रेड 1, 2
  • तीन वर्ष का प्रीपेट्रेरी स्टेज – ग्रेड 3, 4, 5
  • तीन वर्ष का मध्य (या उच्च प्राथमिक) चरण – ग्रेड 6, 7, 8
  • 4 वर्ष का उच्च (या माध्यमिक) चरण – ग्रेड 9, 10, 11, 12

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत HHRO द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।

भाषायी विविधता का संरक्षण

नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।

मोटे तौर पर कहे तो अगर कोई छात्र अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ना चाहे तो वो बेझिझक उस भाषा में पढ़ पाएगा।

स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा। परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।

शारीरिक शिक्षा

विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।

पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार

  • इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
  • कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप की व्यवस्था भी की जाएगी।
  • राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
  • छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में परख (PARAKH) नामक एक नए राष्ट्रीय आकलन केंद्र की स्थापना की जाएगी।
  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाएगा।

शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार

  • शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (NPST) का विकास किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFTE) का विकास किया जाएगा।
  • वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।

उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।

विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा, ताकि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।

नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया, क्योंकि एम. फिल. का पाठ्यक्रम पीएचडी से मिलता-जुलता है।

Read Also: आत्मनिर्भर भारत पर निबंध

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग

नई शिक्षा नीति में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये एक एकल नियामक अर्थात् भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) का गठन किया जायेगा, जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्यक्षेत्र होंगे। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में कार्य करेगा।

HECI के कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु चार निकाय-

  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatroy Council-NHERC): यह शिक्षक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक नियामक का कार्य करेगा।
  • सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council – GEC): यह उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिये अपेक्षित सीखने के परिणामों का ढाँचा तैयार करेगा अर्थात् उनके मानक निर्धारण का कार्य करेगा।
  • राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council – NAC): यह संस्थानों के प्रत्यायन का कार्य करेगा जो मुख्य रूप से बुनियादी मानदंडों, सार्वजनिक स्व-प्रकटीकरण, सुशासन और परिणामों पर आधारित होगा।
  • उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council – HGFC): यह निकाय कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के लिये वित्तपोषण का कार्य करेगा।

नोट: गौरतलब है कि वर्तमान में उच्च शिक्षा निकायों का विनियमन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) जैसे निकायों के माध्यम से किया जाता है।

देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERU) की स्थापना की जाएगी।

कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (दोनों नई और पुरानी नीतियों के बारे में)

पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986.

  • इस नीति का उद्देश्य असमानताओं को दूर करने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये शैक्षिक अवसर की बराबरी करने पर विशेष ज़ोर देना था।
  • इस नीति ने प्राथमिक स्कूलों को बेहतर बनाने के लिये “ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड” लॉन्च किया।
  • इस नीति ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के साथ ‘ओपन यूनिवर्सिटी’ प्रणाली का विस्तार किया।
  • ग्रामीण भारत में जमीनी स्तर पर आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिये महात्मा गांधी के दर्शन पर आधारित “ग्रामीण विश्वविद्यालय” मॉडल के निर्माण के लिये नीति का आह्वान किया गया।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

  • अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था।
  • वर्तमान नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
  • नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक अच्छी नीति है। क्योंकि इसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को समग्र, लचीला, बहु-विषयक बनाना है। जिसमे नीति का आशय कई मायनों में आदर्श प्रतीत होता है। लेकिन यह वह कार्यान्वयन है, जहां सफलता की कुंजी निहित है।

नई शिक्षा नीति कई उपक्रमों के साथ रखी गई है, जो वास्तव में वर्तमान परिदृश्य की जरूरत है। नीति का संबंध अध्ययन पाठ्यक्रम के साथ कौशल विकास पर ध्यान देना है। किसी भी चीज के सपने देखने से वह काम नहीं करेगा, क्योंकि उचित योजना और उसके अनुसार काम करने से केवल उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी। जितनी जल्दी एनईपी के उद्देश्य प्राप्त होंगे, उतना ही जल्दी हमारा राष्ट्र प्रगति की ओर अग्रसर करेगा।

नई शिक्षा नीति पर निबंध PDF (Essay on New Education Policy in Hindi PDF)

हमने  नई शिक्षा नीति पर निबंध PDF  में भी उपलब्ध किया है, जिसे आप प्रिंट करके अपने प्रोजेक्ट या फिर किसी अन्य काम में उपयोग में ले सकेंगे।

Essay on New Education Policy in Hindi Video

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  • ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध
  • कोरोना वायरस पर निबंध
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Comments (4).

Thanku sir itna achha content provide krne k liye… Although isme koi kami nii h sir but phir bhi agr aap starting me slogan se krte to or bhi accha hota

Akanksha verma जी, आपके सुझाव के लिए धन्यवाद! आपके सुझाव के अनुसार हमने शुरूआत में स्लोगन जोड़ दिया है।

Krishna जी, प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद! हमने यह निबंध पीडीऍफ़ (PDF) के रूप संलग्न कर दिया है, अब आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं। ऐसी और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग पर जरूर लौटते रहे।

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  • UPSC FAQs /

New Education Policy : नई शिक्षा नीति क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 9, 2023

New Education Policy

हमने देखा होगा कि करेंट अफेयर्स से जुड़े सवाल सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह सेक्शन सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि करेंट अफेयर्स से जुड़े सवाल लिखित परीक्षा के साथ-साथ इंटरव्यू राउंड में भी पूछे जाते हैं। ऐसे में अगर आप UPSC या किसी अन्य कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो ये ब्लॉग आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। New Education Policy in Hindi के इस ब्लाॅग में हम आपको नई शिक्षा नीति (New Education Policy) क्या है के बारे में जानेंगे, जिसे आप अपनी तैयारी में जोड़ सकते हैं।

नई शिक्षा नीति क्या है?

नई शिक्षा नीति (NEP in Hindi) 2020 को प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने के बाद लागू किया गया है। New Education Policy in Hindi का मुख्य उद्देश्य इंडिया में एजुकेशन को ग्लोबल लेवल पर लाना है जिससे इंडिया महाशक्ति बन सके। New Education Policy के तहत स्कूल से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। इसके तहत नाॅलेज के साथ ही उनकी हेल्थ और स्किल डेवलपमेंट शामिल है।

क्या आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में अपनी रचनात्मकता को दिखाने के लिए तैयार हैं? "एनईपी की समझ" लघु वीडियो प्रतियोगिता में शामिल होकर अपनी कल्पना को नई उड़ान दें और पुरस्कार जीतने का मौका पाएं। 🎬 यह अवसर विशेष रूप से भारत में रहने वाले सभी 18-23 वर्ष के युवाओं के लिए है।… pic.twitter.com/2Ez6TwL1ko — Ministry of Education (@EduMinOfIndia) July 3, 2023

New Education Policy in Hindi PDF

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य क्या है?

New Education Policy जानने के साथ-साथ हमें उसके उद्देश्य जानने चाहिए। New Education Policy in Hindi में नई शिक्षा नीति के उद्देश्य इस प्रकार हैंः

  • बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना
  • एजुकेशन को फ्लेक्सिबल बनाना
  • बच्चों को अनुशासन सिखाना और सशक्तिकरण करना
  • एजुकेशन पाॅलिसी को पारदर्शी बनाना
  • इवैलुएशन पर जोर देना
  • ओपन एजुकेशन सिस्टम में इन्वेस्ट करना
  • बच्चों की सोच को क्रिएटिव करना
  • गुणवत्तापूर्ण एजुकेशन डेवलप करना
  • रिसर्च पर ज्यादा ध्यान देना
  • एक साथ कई लैंग्वेज पर फोकस रखना।

यह भी पढ़ें- Uniform Civil Code : क्या है यूनिफाॅर्म सिविल कोड और इससे क्या होंगे बदलाव

National Education Policy 2023 की विशेषताएं

New Education Policy में तय किया गया है कि स्टेट नई शिक्षा नीति में जरूरत के हिसाब से बदलाव कर सकते हैं। New Education Policy in Hindi में नई शिक्षा नीति की विशेषताएं इस प्रकार हैंः

  • नई शिक्षा नीति के बाद से मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय अब एजुकेशन मिनिस्ट्री के नाम से जाना जाएगा।

New Education Policy के अंतर्गत 5+3+3+4 पैटर्न फॉलो किया जाएगा, इसमें 12 साल की स्कूल शिक्षा होगी और 3 साल की फ्री स्कूल शिक्षा होगी।

  • नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल में 5वीं तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में दी जाएगी।
  • 3 साल की फ्री स्कूल शिक्षा होगी।
  • छठी कक्षा से बिजनेस इंटर्नशिप स्टार्ट कर दी जाएगी।
  • न्यू एजुकेशन पाॅलिसी आने के बाद कोई भी सब्जेक्ट चुन सकते हैं और स्टूडेंट्स फिजिक्स के साथ अकाउंट या फिर आर्ट्स का भी सब्जेक्ट पढ़ सकते हैं।
  • स्टूडेंट्स को छठी कक्षा से कोडिंग सिखाना भी शामिल है।
  • सभी स्कूल डिजिटल इक्विटी किए जाएंगे।
  • वर्चुअल लैब डेवलप की जाएंगी।
  • ग्रेजुएशन में 3 या 4 साल लगता है, जिसमें एग्जिट ऑप्शन होंगे। यदि स्टूडेंट्स ने एक साल ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा और 2 साल बाद एडवांस डिप्लोमा।

यह भी पढ़ें- Artemis Program : NASA का आर्टेमिस प्रोग्राम क्या है?

न्यू एजुकेशन पाॅलिसी (New Education Policy 1986 in Hindi)

न्यू एजुकेशन पाॅलिसी New Education Policy 1986 in Hindi के अनुसार स्कूली पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं को एक समान शिक्षा देने के अलावा विज्ञान व गणित को अनिवार्य विषय बनाया गया और कार्यानुभव को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। 1.7 खातक स्तर की कक्षाओं के पाठ्यक्रम बदलने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हुई। स्नातकोत्तर शिक्षा तथा शोध के लिए उच्च अध्ययन के केन्द्र स्थापित किए गए थे।

New Education Policy 1986 in Hindi

NEP की फुल फाॅर्म National Education Policy है। 

नई शिक्षा नीति को इंग्लिश में नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी कहते हैं। 

उम्मीद है कि इस ब्लॉग से आपको New Education Policy की जानकारी मिल गयी होगी। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ।

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स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu में सीखने की प्रक्रिया जारी है। शुभम को 4 वर्षों का अनुभव है, वह पूर्व में Dainik Jagran और News Nib News Website में कंटेंट डेवलपर रहे चुके हैं। न्यूज, एग्जाम अपडेट्स और UPSC में करंट अफेयर्स लगातार लिख रहे हैं। पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद शुभम ने एजुकेशन के अलावा स्पोर्ट्स और बिजनेस बीट पर भी काम किया है। उन्हें लिखने और रिसर्च बेस्ड स्टोरीज पर फोकस करने के अलावा क्रिकेट खेलना और देखना पसंद है।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध | Essay on New Education Policy In Hindi 

05/03/2022 by thegkstudy

नई शिक्षा नीति पर निबंध | राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध हिंदी में | New Shiksha Niti Par Nibandh | नई शिक्षा नीति पर निबंध 200 शब्दों में | Nai Shiksha Niti Par Nibandh in hindi  | नई शिक्षा नीति पर निबंध पीडीएफ | New Education Policy In Hindi | NEP पर निबंध हिंदी में | Essay On New Education Policy In Hindi |

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध 

नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया जिसे कि 34 वर्षों के बाद लाया गया है समय के साथ साथ शिक्षा नीति में परिवर्तन भी आवश्यक होता है ताकि देश की तेजी से उन्नति हो सके पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव कर आने वाली पीढ़ियों को मानसिक और बौद्धिक स्तर पर और अधिक प्रबल करना है जिससे कि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके क्योंकि कहा जाता है कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार होता है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं इसीलिए समय के साथ-साथ नई शिक्षा नीति को लागू करना भी आवश्यक होता है।

नई शिक्षा नीति का पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति में 10+2 के पाठ्यक्रम को समाप्त करके अब 5+ 3+ 3+ 4 मॉडल तैयार किया गया है जिसमें पहले 5 साल के अध्ययन को फाउंडेशन स्टेज के रूप में माना जाता है इसके साथ ही अब हमें कक्षा 9वी में ही विषय का चयन करने का विकल्प भी दिया जाएगा और साथ ही प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता दी जाएगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध – pdf 

यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है इसके पहले 1968 में इंदिरा गांधी के द्वारा, 1986 में राजीव गांधी के द्वारा नई शिक्षा नीति लागू की गई थी इस नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को जीवन को शर्मनाक और सशक्त बनाना है इसमें विद्यार्थी अपने विषय सूची के अनुरूप शिक्षण प्राप्त कर सकता है इस शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा मातृभाषा को भी सम्मिलित किया गया है जिसमें कि अब विद्यार्थी अपनी स्थानीय भाषा में भी अध्ययन कर सकता है नई शिक्षा नीति में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम भी बदल दिया गया है और इसका नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध | Essay on New Education Policy In Hindi 

पुरानी शिक्षा नीति वर्तमान मैं उतनी प्रभावी नहीं थी जिसका मूल आधार विद्यार्थियों को सिखाना था ना की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना था जो कि वर्तमान समय के अनुरूप नहीं था  जिस कारण से नई शिक्षा नीति को लागू करना अत्यंत ही आवश्यक हो गया था क्योंकि पूरा विश्व तेजी से शिक्षा में सुधार करके अधिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर तेजी से विकसित हो रहा है इसलिए हमें भी जरूरत थी कि हम भी नई शिक्षा लागू करें विद्यार्थी युवाओं को शिक्षित करके देश के विकास में भागीदार बनाएं ।

Nai Shiksha Niti Par Nibandh in Hindi

इसके साथ ही पुरानी शिक्षा नीति का दृष्टिकोण एक ही दिशा में था जिसके कारण विद्यार्थी अपने रुचि के अनुरूप विषय का चयन नहीं कर पाता था।

नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य सबको समान शिक्षा का अवसर प्रदान करना है अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा मिल सके ताकि छात्र और देश तेजी से विकास कर सकें तथा जिन छात्रों या विद्यार्थी के द्वारा स्कूल छोड़ दिया गया है उन्हें फिर से शिक्षा की मुख्यधारा मैं जोड़कर उन्हें शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना।

इस शिक्षा नीति में छात्र को केवल सिखाना ही नहीं बल्कि उसे अधिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराना और साथ में पुणे कौशल विकास व्यवसायिक शिक्षा भी देना है।

नई शिक्षा नीति की विशेषता इसमें प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाएगी इसके साथ ही इसमें कौशल विकास और व्यवसाय शिक्षा का भी प्रावधान किया गया है जिससे कि विद्यार्थियों को अत्यधिक लाभ होगा इसके साथ ही विद्यार्थियों को अपने विषय चुनने की आजादी होगी जिससे कि विद्यार्थी अपने रुचि के अनुरूप अध्ययन कर सकेगा तथा विद्यार्थी पर से मानसिक दबाव भी कम होगा।

नई शिक्षा नीति पर निबंध पीडीएफ

निष्कर्ष :- नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन यदि सही से हुआ तो हमारा देश भी अन्य देशों के समान अधिक उन्नत गुणवत्ता युक्त शिक्षा और शिक्षित समाज की स्थापना होगी जो हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा और हमें आप पूरा विश्वास है कि यह शिक्षा नीति सफल तरीके से कार्यान्वित होकर हमारे देश को एक नई बुलंदियों पर ले जाएगी।

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नई शिक्षा नीति पर निबंध 2022 -23 Essay on New Education Policy in Hindi Pdf

new education policy essay in hindi

New Education Policy 2020: मोदी जी द्वारा लांच की गयी नई शिक्षा नीति से हमारे देश के साथ विद्यार्थियों का भी विकास होने जा रहा है| इसी नीति के अनुसार वह अनेक सुधारों और योजनाओं को कार्यान्वित करने का प्रयास करता है जिससे भावी पीढ़ी को लक्ष्य के अनुसार मानसिक एवं बौद्‌धिक रूप से तैयार किया जा सके । देश की शिक्षा में 34 सालों के बाद नई प्रस्तावित शिक्षा नीति लागू कर दिया गया है | स्वतंत्र भारत की तीसरी और वर्तमान की शिक्षा नीति के मुख्य उद्देश्य बदलाव, शिक्षा सुधार, नई शिक्षा नीति का सामान्य उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है | आज हम आपको भारत की नई शिक्षा नीति पर निबंध, नई शिक्षा नीति पर निबंध, नीति के नियम, पर सुझाव, का मसौदा, का प्रारूप पीडीएफ की सम्पूर्ण जानकारी|

शिक्षा जीवन चलाने का एक साधन मात्र ही नहीं वरन जीवन जीने की एक कला भी है शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। रतकी हम अपने जीवन को नई देशा दिखा सके हैं। बिना शिक्षा के हम कुछ भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते। आजकल अपने जीवन में आगये बढ़ने के लिए आपका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। आज की पीढ़ी का बिना पढ़े-लिखे भला नहीं हो सकता।

नई शिक्षा नीति क्या है

नई शिक्षा नीति में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाएगा , एक वर्ग अभिरुचिया को विकसित करने व उनके उचित मार्ग – दर्शन का कार्य करेंगे । खेल – कूद , योगाभ्यास व अन्य गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगावना के स्थान पर राष्ट्रीय भावना पर बल दिया जाएगा , परंतु आंचलिक स्थिति को कायम रखा जाएगा | इस विधान के अनुसार अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।शिक्षा का अधिकार कानून विद्यार्थी-शिक्षक-अनुपात (प्रति शिक्षक बच्चों की संख्या), कक्षाओं, लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, स्कूल-कार्य दिवसों की संख्या, शिक्षकों के काम के घंटे से संबंधित मानदंड और मानक देता है। साथ ही आप Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi भी देख सकते हैं|

नई शिक्षा नीति क्या है

नई शिक्षा नीति के नियम

  • भारत में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय (प्राथमिक विद्यालय + मध्य विद्यालय) को शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक बनाए रखने के लिए इन मानदंडों का पालन करना है।जो बच्चे किसी कारणवश उचित समय पर विद्यालय नहीं जा पाते, उन्हें भी उचित कक्षा में प्रवेश देने का नियम है।
  • नई शिक्षा नीति में बुनियादी स्तर पर ठोस उपाय किए गए हैं । उसके तहत प्रत्येक गाँव में अनिवार्य रूप ये विद्‌यालय खोलने का प्रसताव है तथा सभी वर्ग के लोगों को कम से कम बुनियादी शिक्षा देने का प्रावधन है । इसमें पिछड़े वर्ग के लोगों को कम से कम बुनियादी सिक्षा देने का प्रावधान है |
  • 12 वर्ष की स्कूली शिक्षा प्रणाली के स्थान पर 5+3+3+4 फार्मूला लागू किया जाएगा जिसमें शुरुआती 3 वर्ष प्री प्राइमरी एजुकेशन के होंगे जिसमें आंगनवाड़ी शामिल होंगे. इस प्रकार पहले 5 वर्ष में 3 वर्ष की प्री प्राइमरी शिक्षा तथा पहली व दूसरी क्लास को शामिल किया गया है. उसके बाद तीसरी चौथी और पांचवी क्लास को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करते हुए मातृभाषा पर जोर दिया गया है तथा क्लास 6 से 8 तक के 3 वर्षों में मैथ साइंस पर बल देते हुए व्यवसायिक शिक्षा का आरंभ किया जाएगा तथा स्कूली शिक्षा के अंतिम 4 वर्ष अर्थात 9वीं 10वीं 11वीं तथा 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए वैकल्पिक विषय का चुनाव करने की छूट दी गई है तथा 12वीं तक मैथ साइंस की अनिवार्यता को लागू किया जाएगा
  • 4 ईयर इंटेग्रेटेड बीएड यानी 3 साल के ग्रेजुएशन के साथ 1 साल की B.Ed, 2 ईयर बीएड or 1 ईयर B Ed course संचालित किए जाएंगे 1 वर्षीय बीएड पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद की जा सकती हैं
  • ग्रेजुएशन को 4 वर्ष तथा पोस्ट ग्रेजुएशन को 1 वर्ष किया जाएगा उसके उपरांत रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिए राह आसान की है तथा ग्रेजुएशन बीच में छोड़ देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी प्रावधान किया गया है, कि 1 वर्ष के बाद उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा तथा 2 वर्ष ग्रेजुएशन करने के बाद डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा तथा अंतिम वर्ष के बाद डिग्री प्रदान की जाएगी.प्राथमिक स्तर तक किसी भी विद्यार्थी को फेल नहीं किया जाएगा तथा योग्यता का आंकलन सतत , मूल्यांकन वारा होगा संपूर्ण राष्ट्र में एक साथ ‘ ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड ‘ चालू किया जाएगा जिसके अंतर्गत विद्यालयों के लिए पर्याप्त भवन , शिक्षा सामग्री व शिक्षक वर्ग का प्रबंध किया जाएगा

नई शिक्षा नीति पर विशेषताये

ऊपर दिए हुए एस्से में हमने आपको essay on new education policy in hindi, english की जानकारी प्रदान की है जो की class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, and class 10 तक के बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है| यह नई शिक्षा नीति 2020 निबंध, नई एजुकेशन पॉलिसी इन हिंदी या nayi shiksha neeti par nibandh, essay 100 words, 200 words, 300 words, 400 words, 500 words को आप pdf download भी कर सकते है|

शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है ताकि हमारे आने वाले जीवन हुमए कोई तकलीफ न हो शिक्षा किसी राष्ट्र अथवा समाज की प्रगति का मापदंड है । जो राष्ट्र शिक्षा को जितना अधिक प्रोत्साहन देता है वह उतना ही विकसित होता है ।

इसी नीति के अनुसार वह अनेक सुधारों और योजनाओं को कार्यान्वित करने का प्रयास करता है जिससे भावी पीढ़ी को लक्ष्य के अनुसार मानसिक एवं बौद्‌धिक रूप से तैयार किया जा सके ।

नई शिक्षा नीति 2020 के द्वारा शिक्षा के सभी स्तरों तथा गतिविधियों से संबंधित प्रावधान किए गए हैं शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण तथा सार्वभौमिक शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक शिक्षा पर भी बल दिया गया है. इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता का उचित समावेश किया गया है|

नई शिक्षा नीति 2020 मे 2030 तक सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा तथा इस नीति को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है इसमें छात्रों की क्षमताओं का आकलन करने पर जोर दिया गया ना कि छात्रों को कितना याद रहता है जैसी रटा फिकेशन पद्धति.|बोर्ड परीक्षा के महत्व और तनाव को कम करने के लिए, परीक्षा दो भागों में आयोजित की जाएगी: उद्देश्य और वर्णनात्मक। परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित की जा सकती है। बोर्ड परीक्षा में रट्टा सीखने के बजाय ज्ञान आवेदन को बढ़ावा देना चाहिए।

9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई बोर्ड आधारित होगी, लेकिन इसे खासा सरल नई शिक्षा नीति में बनाया गया है। शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव अनीता करवाल ने कहा कि इसके लिए बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव है, जिसके तहत साल में दो हिस्सों में बोर्ड की परीक्षा ली जा सकती है। इससे बच्चों पर परीक्षा का बोझ कम होगा और वह रट्टा मारने की बजाय सीखने और आंकलन पर जोर देंगे।”

छात्रों को 360 डिग्री समग्र रिपोर्ट कार्ड मिलेगा, जो न केवल विषयों में उनके द्वारा प्राप्त अंकों के बारे में सूचित करेगा, बल्कि उनके कौशल और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी बताएगा।

नई शिक्षा नीति 2020 को समान, समावेशी और जीवंत बनाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हम माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं। एचआरडी मंत्री रमेश पोखारियला ने कहा कि मेरा मानना है कि नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से हम भारत को गुणवत्ता परक, नवाचार युक्त, भारत केंद्रित शिक्षा दे पाने में सफल रहे|

नई शिक्षा में ये बदलाव आये हैं जो की हमने ऊपर बताये हैं| यह एस्से आपको in english,in hindi, in sanskrit language,in kannada,in marathi,in urdu,in punjabi,small essay ,long essay में भी उपलब्ध है।आप इस निबंध को for class 5 और for class 8 के लिए भी use कर सकते हो or इससे जुड़ी pdf भी download कर सकते हैं।

2020 update

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Essay on New Education Policy in Hindi

Essay on New Education Policy in Hindi: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध

दोस्तों अगर आप भी Essay on new education policy in hindi के लिए सबसे बेस्ट निबंध ढूंढ रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही वेबसाइट essayduniya.com पर आए हैं। क्योंकि आज इस आर्टिकल में हम आपको Best Essay on new education policy (राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध ) प्रदान करने वाले हैं, जो आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक और लाभदायक साबित हो सकता है। 

Essay on New Education Policy in Hindi (राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध)

हम अपनी वेबसाइट पर Essay on new education policy in hindi Pdf (राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध) उपलब्ध करा रहे हैं। यह निबंध विशेष रूप से कक्षा 4,5,6,7, 8, 9, 10, 11 और 12 तक के विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी साबित होने वाला है। यदि आप आपको भी अपने स्कूल में निबंध लिखने के लिए या प्रतियोगिता के लिए New education policy का टॉपिक मिला है, तो यह निबंध आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।

Short Essay on New Education Policy 200 Words

राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली (National Education Policy) का बेहतर होना देश के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश में जितने भी बच्चे राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा प्राप्त करेंगे वे आगे चलकर देश के विकास में अपना योगदान देंगे। पिछले कई दशकों से भारत में चलने वाली शिक्षा प्रणाली अंग्रेजी शिक्षा नीति पर आधारित है। जो ना तो देश के लिए लाभदायक साबित हो रही है, और ना ही देश के विद्यार्थियों के लिए। देश की पहली शिक्षा नीति 1986 में लॉर्ड मैकाले द्वारा बनाई गई थी, जो की अंग्रेजी नीति पर आधारित थी। समय के साथ-साथ यह शिक्षा नीति भारत के विकास में असफल साबित होने लगी, इसलिए 2020 में नई शिक्षा नीति लागू की गई।

34 वर्षों के अंतराल के बाद जुलाई 2020 में केंद्रीय सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई है। इस नई शिक्षा नीति के माध्यम से छात्रों की सोच और रचनात्मक क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ भौतिक ज्ञान भी प्रदान किया जाएगा जिससे उनके कौशल में वृद्धि होगी। इस नई शिक्षा नीति को इस सिद्धांत पर आधारित किया गया है, कि शिक्षा से बच्चो में न केवल साक्षरता, उच्च स्तर की तार्किक और समस्या समाधान संबंधित संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए, बल्कि नैतिक, सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी बच्चों का विकास होना चाहिए।

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New Education Policy Essay in Hindi 300 Words 

शिक्षा सभी लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा से ही व्यक्ति जीवन जीने का तरीका सिखाता है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है, पढ़ने-लिखने और सीखने की क्रिया। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं, कि शिक्षा का अर्थ है, समाज में रहने वाले इंसानों की आंतरिक शक्तियों का विकास करना, उन्हें सामाजिक ज्ञान प्रदान करना एवं उनके व्यवहार में सुधार लाना। शिक्षा का प्रथम उद्देश्य इंसान के ज्ञान और कौशल में वृद्धि करना होता है। शिक्षा से ही मनुष्य एक योग्य नागरिक बनता है। बात अगर भारत की शिक्षा नीति की की जाए तो हमारी शिक्षा नीति काफी पुरानी है। हम कई सालों से एक ही तरह की शिक्षा नीति के अनुसार बच्चों को ज्ञान प्रदान कर रहे हैं, जो की सही नहीं है।

शिक्षा नीति में बदलाव लाकर छात्रों को नए-नए तरीकों से ज्ञान प्राप्त करने का मौका देना चाहिए। आजादी के बाद भारत में पहली शिक्षा नीति सन 1986 में बनाई गई थी, जिसे लॉर्ड मैकाले की अंग्रेजी आधारित शिक्षा नीति पर बनाया गया था। इस शिक्षा नीति में सन 1992 में कुछ संशोधन किया गया था परंतु इसका मूल ढांचा अंग्रेजी माध्यम शिक्षा पर ही आधारित रहा। आज के समय के अनुसार लोगों को यह महसूस हो रहा है,कि 1986 में बनी शिक्षा नीति में कुछ कमियां है। जिसके कारण बच्चे सही मायने में ज्ञान हासिल नहीं कर पा रहे हैं।

शिक्षा से प्राप्त होने वाला ज्ञान बच्चों को भविष्य में रोजगार दिलाने में असफल साबित हो रहा है। इन्हीं सभी कमियों को दूर करने के लिए 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई थी। नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-21वीं सदी की ऐसी पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए आने वाले आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस नई शिक्षा नीति में भारत की परंपरा और उसकी संस्कृति के मूल्यों को बरकरार रखते हुए 21वीं की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्य जिसके अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था एवं उसके नियमों में सुधार करना है।

नई शिक्षा नीति पर निबंध 500 Words 

वास्तव में शिक्षा वही बेहतर मानी जाती है, जो एक विद्यार्थी को ज्ञान के साथ-साथ कौशल भी प्रदान करें। शिक्षा से न केवल व्यक्ति का ज्ञान बढ़ना चाहिए, बल्कि उससे व्यक्ति में कौशल की वृद्धि भी होना चाहिए। हमारे भारत में पिछले कई सालों से एक ही प्रकार की शिक्षा प्रणाली चल रही है, जिसके अंतर्गत देश के लाखों विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जा रही है।

पुरानी शिक्षा प्रणाली में ऐसी कई खामियां हैं, जिनके कारण यह शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को भविष्य में रोजगार प्रदान करने में असमर्थ है। भारत की केंद्र सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को मंजूरी दे दी गई है। यह राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनाई गई है। इस नई शिक्षा प्रणाली को वर्ष 2030 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।

नई शिक्षा नीति की विशेषताएँ

केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई इस नई राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में कई सारी विशेषताएं हैं। यह शिक्षा प्रणाली न केवल बच्चों के ज्ञान में वृद्धि करेगी इसके साथ-साथ उन्हें व्यवहारिक शिक्षा और भौतिक शिक्षा में भी वृद्धि करेगी। इस नई शिक्षा नीति में छात्रों को अपने अनुसार पाठ्यक्रम चुनने की अनुमति प्रदान की जाएगी।

पुरानी शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों को अपनी रुचि के अनुसार विषय पढ़ने की स्वतंत्रता प्रदान नहीं की गई थी, लेकिन इस नई शिक्षा प्रणाली में छात्रों को पाठ्यक्रम के विषयों के साथ-साथ सीखने की इच्छा रखने वाले पाठ्यक्रमों का चयन करने की स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी। इस तरह से कौशल विकास को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदल देता है, जिसमें बच्चों के लिए 12 साल की स्कूली शिक्षा पर 3 साल की प्री-स्कूलिंग होती है।

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य

नई शिक्षा नीति बनाने का मुख्य उद्देश्य एक बच्चे को कुशल बनने के साथ-साथ वह जिस भी क्षेत्र में रुचि रखता है, उसे उसी क्षेत्र में प्रशिक्षित करना है। इस तरह से सभी बच्चे सिखाने वाले अपने उद्देश्य, और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होंगे। नई शिक्षा नीति आने के बाद से शिक्षक भर्ती में भी काफी सुधार किया जाएगा। बच्चों को पढ़ने वाले सभी शिक्षकों की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं में सुधार किया जाएगा, जिससे बच्चों को अच्छे से अच्छा प्रशिक्षण मिल सके। विद्यार्थी देश का भविष्य होते हैं, उन्हें यदि शिक्षा के दौरान सही ज्ञान नहीं दिया गया, तो इससे न सिर्फ उनमें ज्ञान की कमी होती है, बल्कि देश के विकास में भी रुकावट आती है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली वर्ष 1986 में बनाई गई शिक्षा नीति में किए गए कुछ परिवर्तनों का परिणाम है। देश की केंद्र सरकार का मानना है, कि शिक्षार्थी और देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए नई शिक्षा नीति की पहल को बढ़ावा दिया जा रहा है। नई शिक्षा नीति को लागू कर विद्यार्थियों को अपनी रुचि अनुसार पढ़ने की स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी। जिससे उनमें सीखने की इच्छा के साथ-साथ कौशल की भी वृद्धि होगी। विद्यार्थी ज्ञान अर्जित कर स्वयं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने में सक्षम होंगे, जिससे वे अपने साथ-साथ देश के विकास में योगदान देंगे। नई शिक्षा नीति से बच्चों को पूरी तरह विकसित करने की कोशिश की जाएगी इस नई शिक्षा नीति को 2030 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।

Essay on New Education Policy in Hindi 1000 Words 

भारत के संविधान के अनुसार उचित शिक्षा प्राप्त करना हर विद्यार्थी एवं हर व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है। शिक्षा सभी लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण है, इसीलिए भारत सरकार द्वारा अपने संविधान में लोगों को शिक्षा का जन्मसिद्ध अधिकार दिया गया है। शिक्षा न केवल एक व्यक्ति को ज्ञान प्रदान करती है। इसके अलावा वह उसे सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान प्रदान कर एक योग्य नागरिक बनाती है।

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा एकमात्र रास्ता है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा देश के विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए जुलाई 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है। सुखी जीवन जीने के लिए तैयार होने के लिए एक बच्चे के विकास में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 21वीं सदी में 1986 के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है।

नई शिक्षा नीति का नजरिया

केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति को पहले की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पुनर्मूल्यांकन कहा जाता है। यह नई संरचनात्मक रूपों का द्वारा शिक्षा की संपूर्ण प्रणाली में किया गया परिवर्तन है। पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई सारी खामियां देखी गई है। पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आजादी के बाद लॉर्ड मैकाले ने बनाया था, जो की पूरी तरह अंग्रेजी शिक्षा पर आधारित थी।

पुरानी शिक्षा नीति से विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान प्राप्त हो रहा था, बच्चों में भौतिक ज्ञान की काफी कमी थी। इसके अलावा पुरानी शिक्षा नीति बच्चों को भविष्य में रोजगार दिलाने में भी असफल साबित हुई है। इसलिए पुरानी शिक्षा नीति को नई उच्च उत्साही और ऊर्जावान नीति में बदल दिया गया है। इस नई शिक्षा प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थी को कुशल और उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ढांचा

वर्तमान में बनाई गई शिक्षा नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ले चुकी है। नई शिक्षा नीति के बारे में सबसे पहले चर्चा जनवरी 2015 में कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम के नेतृत्व में समिति द्वारा शुरू की गई थी और 2017 में समिति द्वारा नई शिक्षा नीति से जुड़ी एक रिपोर्ट पेश की गई। 2017 में पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा नीति का एक मसौदा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन प्रमुख कृष्ण स्वामी कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में नई टीम द्वारा 2019 में प्रस्तुत किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जनता और हितधारकों के परामर्श के बाद नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई है। नई शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020 को अस्तित्व में आई है। नई शिक्षा नीति आने के बाद शिक्षा नीति में इस तरह के बदलाव किए गए हैं।

विद्यालय शिक्षा

नई शिक्षा नीति में 10+2 को 5+3+3+4 मॉडल द्वारा बदल दिया गया है। इसके अलावा कुछ बदलाव इस प्रकार किए गए हैं:

  • फाउंडेशन स्टेज इसमें 3 साल की प्रीस्कूलिंग शामिल होगी।
  • प्रारंभिक चरण – यह चरण 8 से 11 वर्ष की आयु के साथ कक्षा 3 से 5 का गठन करता है।
  • मध्य चरण–यह चरण 11 से 14 वर्ष की आयु के साथ कक्षा 6 से 8 का गठन करता है।
  • माध्यमिक चरण– यह चरण 14 से 19 वर्ष की आयु के साथ कक्षा 9 से 12 तक का गठन करेगा।
  • इन चारों चरणों को बहुविषयक अध्ययन के विकल्प के लिए जोड़ा जाएगा अब केवल एक अनुशासन में अध्ययन करना विद्यार्थियों के लिए आवश्यक नहीं होगा।
  • नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को केवल तीन बार यानी की कक्षा तीन कक्षा 5 कक्षा 8 में परीक्षाएं देनी होगी।
  • बच्चों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए फर्क “परख”, निकाय की स्थापना की जाएगी।

उच्च शिक्षा

  • स्नातक कार्यक्रम एक लचीले निकाय के साथ चार सालों का कार्यक्रम होगा। जिसमें एक वर्ष का पाठ्यक्रम समाप्त होने के बाद छात्रों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा 2 वर्षों का पाठ्यक्रम समाप्त होने के बाद डिप्लोमा की डिग्री, स्थानक की डिग्री 3 वर्ष के बाद और 4 वर्ष का पाठ्यक्रम पूरा होने पर शोध कार्य और अध्ययन के लिए विषय से संबंधित खोज के साथ एकत्रित किया जाएगा।
  • विद्यालयों और कॉलेजों को धन और वित्त सहायता प्रदान करने के लिए उच्च शिक्षा अनुदान परिषद रहेगी। यह एआईसीटीई और यूजीसी की जगह लेगा।
  • एनईईटी और जेईई आयोजित करने के साथ-साथ विश्वविद्यालय और कॉलेज के लिए आम प्रवेश परीक्षा का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा किया जाएगा।
  • नई शिक्षा नीति में मास्टर आफ फिलासफी पाठ्यक्रम बंद कर दिया जाएगा क्योंकि यह परास्नातक और पीएचडी के बीच एक मध्यवर्ती पाठ्यक्रम है।
  • अनुसंधान और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्र अनुसंधान फाउंडेशन विकसित किया जा रहा है।
  • विदेशी विश्वविद्यालय के परिसर हमारे देश में स्थापित किए जाएंगे और विदेश में हमारे विद्यालय परिसर स्थापित किए जाएंगे।

नई शिक्षा नीति 2020 के फायदे

नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के विकास पर केंद्रित है। नई शिक्षा नीति आने के बाद से विद्यार्थियों को निम्नलिखित लाभ होंगे।

  • इस शिक्षा नीति ने 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदल दिया है जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की प्रीस्कूलिंग होती है, इस प्रकार बच्चों को पहले चरण में स्कूली शिक्षा का बेहतर अनुभव प्राप्त होगा।
  • बच्चों के लिए परीक्षाएं केवल 3,5 और 8वीं कक्षा में आयोजित की जाएगी अन्य कक्षाओं का परिणाम नियमित मूल्यांकन के तौर पर किया जाएगा।
  • विद्यार्थियों के लिए बोर्ड परीक्षा को भी आसान बनाया जाएगा 1 वर्ष में दो बार परीक्षाएं आयोजित की जाएगी ताकि बच्चों को अच्छा प्रदर्शन करने के दो मौके मिल सके।
  • नई नीति में पाठ्यक्रम से बाहर निकालने के अधिक लचीलेपन के साथ स्नातक कार्यक्रम के लिए अनुशासनात्मक और एकीकृत दृष्टिकोण की कल्पना की जा रही है।
  • नई शिक्षा नीति को पुस्तकों का बोझ बढ़ाने के लिए लागू नहीं किया जा रहा है। इससे बच्चों में व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ाने के लिए लागू किया जा रहा है।
  • छात्रों को पाठ्यक्रम के विषयों के साथ-साथ उन्हें जिस विषय में अत्यधिक रुचि होगी, उसे पढ़ने की स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी।
  • बच्चे अपनी सीखने की क्षमता और कौशल को पहचानने के काबिल होंगे।

देश के विकास के लिए देश की शिक्षा व्यवस्था का सही होना अति आवश्यक है। देश की शिक्षा व्यवस्था जितनी अच्छी और सरल होगी विद्यार्थियों को ज्ञान अर्जित करने में उतनी ही आसानी होगी। यदि शिक्षा व्यवस्था से विद्यार्थियों के कौशल में वृद्धि नहीं होती है, तो उन्हें भविष्य में रोजगार संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भारत सरकार द्वारा यह निर्णय अपने देश के विद्यार्थियों के हित में लिया गया है। केंद्र सरकार का मानना है, की पुरानी शिक्षा नीति में कई सारी खामियां हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल है। उन्हीं खामियों से सीख लेकर नई शिक्षा प्रणाली बनाई गई है। जिसे इस तरह बनाया गया है, कि बच्चों में व्यावहारिक ज्ञान के साथ-साथ भौतिक ज्ञान की बुद्धि भी होगी। शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत सभी विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने में काफी सारी सुविधाएं प्रदान की जाएगी।

तो हमारे नन्हें पाठकों और मित्रों! यह था हमारा Essay on new education policy in hindi (राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध) आप इस निबंध को लेकर क्या सोचते हैं, और यह निबंध आपको कैसा लगा, इसके बारे में हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिख भेजिए। ऐसे ही निबंध, स्पीच और एप्लीकेशन पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट के साथ बने रहिए।

FAQ About New Education Policy in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 कब लागू की गई?

केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 को 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दे दी गई है।

नई शिक्षा नीति कब तक लागू होगी?

नई शिक्षा नीति 2030 तक पूरी तरह से लागू कर दी जाएगी।

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नई शिक्षा नीति 2020 New Education Policy India 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 New Education Policy India 2020 in Hindi

आईए जानते हैं नई शिक्षा नीति (2020 New Education Policy India 2020 in Hindi) क्या है? साथ ही इसकी मुख्य विशेषताएं, ज़रूरत, फ़ायदे, लागू कब होगा, मुख्य चुनौतियों के विषय में बताया गया है।

Table of Content

भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कुछ बड़े बदलाव हुए हैं जिन्हें नई शिक्षा नीति 2020 का नाम दिया गया है। 11 सितम्बर को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में नई शिक्षा निति के बारे में बताया जिसमें 34 साल पुराने शिक्षा नीति में परिवर्तन कर नई शिक्षा नीति को भारत में जल्द लागू करने की बात कही।

उन्होंने कहा की पुरानी शिक्षा नीति यह सिर्फ मार्कशीट तक सिमित हो गयी है जिसे बदलने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री जी ने यह भी कहा की आज मार्कशीट का मतलब “मेंटल प्रेशर शीट” हो गयी है।

जिससे विद्यार्थियों की क्रिएटिविटी ख़त्म हो रही है इसलिए नई शिक्षा नीति यह बेहद जरुरी हो गयी थी। साथ ही इससे विद्यार्थियों का मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।

पुरानी शिक्षा नीति क्या थी? What was the Old Historical Education Policy in India

भारत की प्रथम शिक्षा नीति का गठन 24 जुलाई 1968 में किया गया था जिसमें राष्ट्रीय एकता और समाजवाद का प्रतिबिम्ब मुख्य था। दूसरी बार 1986 में शिक्षा नीति में बदलाव किया गया।

उसके बाद 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति पर कार्य करना शुरू किया और लगभग तीन सालों के मेहनत और दूरदर्शिता के बाद नई शिक्षा नीति 2020 का गठन किया गया।

नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताएं Important Features of New Education Policy India 2020 in Hindi

(NEP) New Education Policy 2020 में शिक्षा की पुरानी पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन करके एक नई शिक्षा पालिसी डॉक्यूमेंट को तैयार किया गया है जिसमें Read to Learn के बदले Learn to Read की नीति पर ख़ास जोर दिया गया है।

  • रीड टू लर्न यानी किसी भी बच्चे को पहले पढ़ कर सीखने के बजाय अनुभव के आधार पर पहले सीख कर पढ़ने यानी लर्न टू रीड पर ज्यादा जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति में निम्न बदलाव किए गए हैं।
  • नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कुल बजट का 6% लगाने का प्रावधान है।
  • नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शुरुवाती पढ़ाई मातृभाषा और स्थानीय भाषा में देने का नियम बनाया गया है।
  • नविन शिक्षा नीति के तहत 10+2 के शिक्षा मॉडल के जगह 5+3+3+4 मॉडल में विभाजित करने का प्रावधान है।
  • इस शिक्षा नीति में दिव्यांगों के शिक्षा लिए तकनिक के उपयोग पर अधिक जोर दिया गया है।
  • नई शिक्षा नीति के तहत MHRD – Ministry of human resource development के नाम को बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) रखा गया।
  • इस शिक्षा नीति में पुराने पाठ्यक्रम में कमी करके अनुभव के साथ शिक्षा ग्रहण करने पर जोर दिया गया है।
  • नई शिक्षा पद्दति में कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा (Business Education) को शामिल करने का प्रावधान है।
  • विद्यार्थियों के रिपोर्ट कार्ड सिस्टम में बदलाव किये गए हैं जिसमें रिपोर्ट कार्ड को वे स्वयं के आंकलन और अपने साथियों के द्वारा मूल्यांकन के आधार तैयार करने का नियम बनाया गया है। इस नई शिक्षा पद्धति में अंग्रेजी को सिर्फ एक भाषा के तौर पर पढ़ाये जाने पर जोर दिया गया है।
  • इस नई नीति में विद्यार्थीयों के लिए स्किल डेवलपमेंट तथा इंटर्नशिप का प्रावधान है।
  • नविन शिक्षा नीति के तहत तकनिकी पढाई जैसे कृतिम बुद्धि AI – Artificial intelligence तथा रोबोटिक्स पर जोर दिया गया है।
  • इस शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार ( RTE) Right to education के लिए 6 से 14 वर्ष की सीमा को बढ़ा कर 3 से 18 साल कर दिया गया।

नई शिक्षा नीति क्यों जरुरी थी? Why NEP India 2020 is Important?

पुरानी शिक्षा नीति पढ़ाई के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से अच्छी थी लेकिन वर्तमान के आधुनिकीकरण की स्पर्धा में पुरानी शिक्षा नीति सिर्फ व्यवधान ही बन रही थी क्योंकि पुरानी शिक्षा नीति में अनुभव व ज्ञान को नहीं सिर्फ मार्क्स को महत्व दिया जा रहा था।

शिक्षा के पाठ्यक्रम में अधिकता और असंतुलन के कारण विद्यार्थी के ऊपर अनावश्यक भार स्वरुप बन रहा था। जहाँ कला और कौशल को आधार बनाना चाहिए था वहाँ किसी भी प्रकार उत्तीर्ण हो जाने की होड़ लगी हुई थी। बच्चे पाठ को समझने के बजाय रटने पर ध्यान अधिक केन्द्रित करते थे और परिणाम स्वरुप एक बड़ी मात्रा में समय और धन का सही उपयोग नहीं हो पाता था।

कॉलेज के विद्यार्थी कुछ नया सीखने और अनुभव प्राप्त करने के बजाय नौकरियों को अपने जीवन का लक्ष्य मानने लगे थे जिसके कारण नौकरी के क्षेत्रों में स्पर्धा बढ़ गयी थी और डीग्री होने के बावजूद भी बेरोजगारी का सामना करना पड़ता था।

नई शिक्षा नीति के फायदे? Benefits of this 2020 New Education Policy in Hindi?

शिक्षा को जीवन का आधार  कहा गया है शिक्षा का सही अर्थ चीजों की वास्तविकता को जानना है ना कि कुछ किताबों को याद कर उन्हें कुछ पन्नों पर उतारना।

नई शिक्षा नीति के अनेक फायदे हो सकते हैं क्योंकि नई शिक्षा नीति 2020 में मार्कशीट सिस्टम में बड़े बदलाव किए गए हैं तथा कक्षा 6 से ही कोई एक स्किल पर ज्ञान लेने का विकल्प भी है नई शिक्षा नीति के निम्न फायदे हो सकते हैं।

नई शिक्षा नीति के अनुसार छोटे बच्चों को अतिरिक्त भार से मुक्ति मिलेगी और उन्हें प्रारंभिक ज्ञान अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में मिलेगी जिसके कारण उनका शुरुआती विकास त्वरित होगा।

शिक्षा नीति 2020 में अंग्रेजी को सिर्फ एक भाषा की तरह पढ़ाया जाएगा जिससे शिक्षार्थियों का मातृभाषा के प्रति रुझान बढ़ेगा ।

इस नई शिक्षा नीति में पढ़ने से ज्यादा सीखने पर जोर दिया गया है ताकि शिक्षार्थी आगे चलकर अपने लिए कोई एक व्यवसाय खड़ा कर सकें।

नई शिक्षा पद्धति के अंतर्गत व्यवसायिक पाठ्यक्रम को कक्षा 6 से ही शामिल किया गया है तथा इंटर्नशिप की भी व्यवस्था है ताकि विद्यालय खत्म होते-होते विद्यार्थी किसी एक कौशल में पारंगत हो सके और अपने लिए आजीविका खोज सकें।

शिक्षा नीति में  विद्यार्थी के जिज्ञासा को प्राथमिकता दी गई है  रीड टू लर्न के स्थान पर लर्न टू रीड  पर विशेष जोर दिया गया है।

नई शिक्षा नीति के तहत इतिहास के विद्यार्थी विज्ञान शाखा को भी चुन सकेंगे तथा किसी भी दिक्कत के आने पर सब्जेक्ट ड्रॉप भी कर सकेंगे।

नई शिक्षा नीति कब से लागू होगी? Implementation of New Education Policy in India

नई शिक्षा नीति के अध्यक्ष टी.एस.आर सुब्रमण्यम जी ने 2016 में मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौपी थी जिसमें 20 अगस्त 2020  तक इसे लागू करने का प्रावधान था लेकिन आपदा के कारण इसमें देरी हुई।

नई शिक्षा नीति 2020 की सभी पॉलिसीस को लागू करने में कई साल लगेंगे क्योंकि भारत की स्कूल व्यवस्था बहुत ही पुरानी है। सरकार ने न्यू-प्री प्राइमरी एजुकेशन को 3 से 5 साल के विद्यार्थियों को 2025 तक उपलब्ध कराने का तानाबाना बुना है।

नई शिक्षा नीति को सन 2030 तक पुरे भारत में लागू करने का प्रावधान है जिसमें 3 से 18 वर्ष की आयु वाले सभी विद्यार्थियों को इस NEP- 2020 के अन्दर लाने का प्रयास होगा।

नई शिक्षा नीति के मार्ग की चुनौतियां Challenges in Implementation of NEP (New Education Policy) of India

इस 34 साल पुरानी शिक्षा पद्धति के कारण शिक्षकों तथा विद्यार्थियों की मानसिकता में परिवर्तन इस नीति के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। शिक्षकों पर इस नीति को समझने तथा अमल में लाने का दबाव बढ़ेगा जिसके लिए उन्हें आवश्यक ट्रेनिंग की जरूरत होगी।

न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत 3 से 6 वर्ष के बच्चों को शुरुवाती पढ़ाई देने के लिए नए प्रशिक्षण केंद्र बनाने पड़ेंगे क्योंकि आंगनवाड़ी की समर्थता बेहद कम होती है। इस नई शिक्षा नीति में व्यवसायिक ज्ञान को भी शामिल किया गया है।

इस नई शिक्षा नीति को आत्मसात्करण करने में समय लग सकता है।  इसके प्रयासों में बड़े समय तथा साधनों की आवश्यकता होगी।

इस नई शिक्षा नीति को कारगर बनाने के लिए अनुभवी तथा क्रियात्मक शिक्षकों की आवश्यकता होगी जिन की भर्ती की गुणवत्ता को पहचानना एक मुख्य काम तथा चुनौती  होगी।

न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 में विद्यार्थियों को तकनीकी सक्षमता प्रदान करने का प्रावधान है लेकिन जो विद्यार्थी आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है उनके लिए यह बहुत बड़ी चुनौती होगी।

निष्कर्ष Conclusion

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने संबोधन में न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के बारे में विस्तार से बताया है। आशा है यह नई शिक्षा नीति 2020 भारत के शिक्षा प्रणाली को और भी आसान और बेहतर बनाने में मदद करे।

उन्ही को इस लेख में शामिल किया गया है यह लेख अगर आपको जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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भारत की नयी शिक्षा नीति निबंध New Education Policy India

इस आर्टिकल में आप जानेंगे भारत की नयी शिक्षा नीति 2020 (NEP) के बारे में | Essay on New Education Policy India 2020 in Hindi. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से भारत की शिक्षा व्यवस्था पर क्या फर्क पड़ेगा, यह आपको इस हिंदी इनफार्मेशन ऑन न्यू एजुकेशन पॉलिसी पढने के बाद समझ आ जाएगा |

भारत की नयी शिक्षा नीति पर निबंध(NEP)

भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 1986 में अपनाया गया था और अंतिम बार इसे 1992 में संशोधित किया गया था। तब से आज तक सभी भारतीय इसी पुरानी शिक्षा नीति के तहत ही पढ़ रहे थे | इतने लम्बे अंतराल, ३४ साल के बाद, भारत के नेताओं ने शिक्षा प्रणाली में बहुत बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं |

नयी शिक्षा नीति में बदलाव के कारण

  • तीन से अधिक दशकों से भारत के बच्चे पुराने और आउटडेटिड तरीके से ही पढाई कर रहे थे|
  • इंडिया का एजुकेशनल सिस्टम केवल परीक्षा में लाये गए अंकों पर ही आधारित था | भारत के स्कूलों में केवल रटने पर जोर दिया जाता था |
  • ज्ञान और समझ पर इतना जोर नहीं दिया जाता था जितना दिया जाना चाहिए था|
  • अधिकतर रटने वाले बच्चे नंबर लाकर आगे निकल जाते थे |और पढ़ाई पूरी होने के बाद विद्यार्थियों के हाथ में डिग्री और सर्टिफिकेट तो होते थे पर उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती थी | ऐसा लाइफ स्किल्स की कमी के कारण होता है | लाइफ स्किल अर्थ – बदलती परिस्थिति और हालात का सामना करने की कला
  • नयी नीति में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देकर भारतीय स्टूडेंट्स को वैश्विक स्तर की प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी |
  • न्यू एजुकेशन पालिसी इन हिंदी में हुए बदलाव पढ़ते रहिये|

न्यू एजुकेशन पालिसी हिंदी निबंध

भारत की नयी शिक्षा नीति पर निबंध

स्कूली शिक्षा में मुख्य बदलाव.

  • पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। पहले यह 10+2 था |
  • पहली से पाँचवी तक जहाँ तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाये। जहाँ घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है। इससे तमिलनाडू के बच्चों को हिंदी भाषा पढना कंपल्सरी नहीं होगा
  • तीन भाषा फार्मूला में संस्कृत पर ध्यान दिया जाएगा |
  • पहली व दूसरी कक्षा में भाषा व गणित पर जोर दिया जाएगा |
  • चौथी व पाँचवीं के बच्चों के लेखन कौशल (Writing Skills) पर ध्यान दिया जाएगा |
  • लोक विद्या (LOK VIDYA) – कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ा जाएगा। ताकि बच्चे अपने ज्ञान से पैसा कमाना सीख सकें |व्यवहारिक ज्ञान को केन्द्रित किया जाएगा |
  • छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा.
  • कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय को बढ़ाकर 12वीं तक करने का सुझाव किया गया है।

नयी शिक्षा नीति में भाषा का क्या मसला है – NEP|विश्लेषण- मातृभाषा, हिंदी या अंग्रेजी

बोर्ड की परीक्षाओं में क्या बदलाव हुए.

क्लास 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी लेकिन बोर्ड परीक्षा को फिर से डिज़ाइन किया जाएगा |ताकि,ट्यूशन और कोचिंग कक्षाओं की आवश्यकता को समाप्त किया जा सके|समग्र विकास (ALL ROUND DEVELOPMENT) को प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। अपने व्यक्तिगत हितों के आधार पर बच्चे उन विषयों में से किसी भी विषय को चुन सकते हैं जिसमें वे बोर्ड परीक्षा देना चाहते हैं |

दो बोर्ड परीक्षा, एक सुधार के लिए एनईपी के अनुसार, सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी, एक मुख्य परीक्षा और एक सुधार के लिए, (यदि आवश्यकता है तो)

कॉलेज की पढ़ाई में बदलाव

Tell me about yourself (how to answer in job interview).

  • 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं।
  • इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।
  • अब कला, संगीत, शिल्प(art & craft), खेल, योग, आदि विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम ( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।
  • मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।

मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम क्या है

Multiple Exit Option in Degrees – जो विद्यार्थी किसी भी कारणवश अपनी कॉलेज की पढाई बीच में ही छोड़ देते हैं, या पूरे कोर्स के बीच में ब्रेक लेना चाहते हैं उनके लिए अच्छी खबर है अब शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, एक वर्ष पूरा करने के बाद सर्टिफिकेट, दो साल पूरे करने के बाद डिप्लोमा और तीन साल के बाद डिग्री का प्रमाण पात्र मिल जाएगा | 4-वर्षीय बैचलर प्रोग्राम, हालांकि, पसंदीदा विकल्प होगा और शोध (research)के साथ डिग्री देगा, यदि किसी छात्र ने कोर्स को पूरे चार साल का समय दिया है|

बदलावों को लागू करने के लिए ज़रूरी कदम

  • शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।
  • कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है।
  • बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। जिससे स्टूडेंट्स इनमे इंटरेस्ट भी लेंगे और बच्चों में लाइफ स्किल्स का विकास भी हो सकेगा। 
  •  प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है। 
  • राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा।
  • सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43% है। इसमें बढ़ोतरी करके शिक्षा का क्षेत्र बढ़ाया जाएगा। 

शिक्षा का डिजिटलीकरण करने पर जोर

  • ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे।
  • वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है |
  • इसमें कहानी सुनाने, रंगमंच, समूह में पठन, लेखन व बच्चों के बनाये चित्रों व लिखी हुई सामग्री का डिसप्ले करने पर ध्यान देने की बात कही गई है।
  • कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के नए कौशल (जैसे कोडिंग) को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50% सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य और एक से ज्यादा प्रवेश/एग्ज़िट का प्रावधान शामिल है |
  •  2030 तक, हर जिले में एक बड़ा बहु-विषयक महाविद्यालय (Multi-Disciplinary College)
  •  एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट सभी की उच्च शिक्षा का रिकॉर्ड रखेगा |

नयी शिक्षा प्रणाली से फायदा

भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा। इससे भारतीय बच्चे दूसरे देशों से बेहतर मुकाबला कर पायेंगे| रटने की प्रथा का अंत हो कर व्यवाहरिक ज्ञान को बढ़ावा मिलेगा |

नयी शिक्षा नीति की (कमियाँ) को आसान शब्दों में समझें

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नई शिक्षा नीति पर निबंध। Essay on New Education Policy in Hindi

नई शिक्षा नीति पर निबंध। Essay on New Education Policy in Hindi : भारतीय संसद ने मई 1986 में शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति के प्रारूप को अनुमोदन करना प्रदान कर दिया। तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री श्री पी वी नरसिंह राव ने संसद को आश्वासन दिया कि वित्तीय कमी के कारण इस नीति के कार्यान्वयन को कठिनाई में नहीं पड़ने दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा सबके लिए अत्यावश्यक मानी गई है। यह हमारे चहुमुखी विकास¸ भौतिक एवं आध्यात्मिक के लिए आवश्यक है। शिक्षा वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही अद्वितीय विनियोग है। यह सिद्धांत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कुंजी है।

नई शिक्षा नीति पर निबंध। E ssay on New Education Policy in Hindi

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  • शिक्षा क्या है ?

भारत केंद्रित शिक्षा

समग्र शिक्षा

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 

ज्ञान आधारित समाज

‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ होता हैं सीखने-सिखाने की सतत प्रक्रिया। किसी भी मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। शिक्षा ना सिर्फ मनुष्य को ज्ञान की राह दिखाती है बल्कि शिक्षा मनुष्य का व्यक्तिगत , भौतिक , आध्यात्मिक , सामाजिक विकास भी करती है।

यानि हम यह कह सकते हैं कि शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है। और अगर यही शिक्षा अपने देश की संस्कृति , ज्ञान , विद्या और मातृभाषा से जुड़ जाय तो , उस शिक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है। हमारे देश की नई शिक्षा नीति अब हम सभी को यह अवसर प्रदान करने जा रही हैं। और शायद नई शिक्षा नीति , शिक्षा के क्षेत्र में समय की मांग तथा देश की जरूरत भी थी। 

शिक्षा क्या है ? (Essay On New Education Policy 

शिक्षा शब्द उत्पत्ति संस्कृत के ‘शिक्ष’ शब्द से हुए है जिसका अर्थ होता है सिखना या सिखाना। अर्थात वह प्रक्रिया जिसमें शिक्षक द्वारा शिक्षा देना (अध्यापन कार्य ) और छात्रों द्वारा उसे ग्रहण करना (अध्ययन कार्य) किया जाता हैं। शिक्षा कहलाती है। 

लेकिन आज तक हमारे देश में जो शिक्षा व्यवस्था चली आ रही थी। उसे सही शिक्षा नहीं कहा जा सकता हैं। रवींद्र नाथ टैगोरजी ने अपने विचार इस शिक्षा व्यवस्था में कुछ  इस तरह दिए थे।

 “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित , परीक्षा पास करने के संकीर्ण मक़सद से प्रेरित , यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों , परिभाषाओं , तथ्यों और विचारों को बचपन से रटना की दिशा में धकेल दिया है। यह न तो हमें वक़्त देती है  और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।”

और महात्मा गांधी कहते थे कि  “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक , बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और लोगों को कुछ करने के लिए प्रेरित करती है”। यानी जो शिक्षा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करें , वही सार्थक शिक्षा हैं। नई शिक्षा नीति 2020 , महात्मा गांधी के इसी सपने को पूर्ण करती हैं। 

यह हम सब के लिए बड़ी खुशी की बात यह हैं कि पहली बार हमारे देश की शिक्षा नीति “भारत केंद्रित” बनी है। भारत सरकार ने पुरानी शिक्षा नीति को बदल कर “नई शिक्षा नीति 2020”  को लागू करने का फैसला किया है जो सही अर्थों में सच्ची शिक्षा होगी।

इसका महत्व तब और भी बढ़ जाता हैं जब नई शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह से “भारत केंद्रित शिक्षा” बनाया जा रहा हैं।

इसमें मातृ भाषा , स्थानीय भाषा पर जोर दिया जायेगा। और विषयों का चयन विद्यार्थियों पर छोड़ दिया जायेगा। अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी। भारतीय विद्याओं को शिक्षा के केंद्र में लाया जायेगा और संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति संबंधित ज्ञान को बढ़ावा दिया जाएगा। लचीलापन इस शिक्षा नीति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।

भारत केंद्रित शिक्षा से ही हम भारतीय मूल्यों को पुन: स्थापित कर सकते हैं। और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी पूरा कर सकते हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें अपनी जड़ों से दुबारा जुड़ने और फलने फूलने के ढेर सारे अवसर प्रदान करेगी ।  भारत की शिक्षा भारत केन्द्रित ही होनी चाहिए। 

नई शिक्षा नीति 2020 में “मानव संसाधन विकास मंत्रालय” का नाम बदल कर “शिक्षा मंत्रालय” कर दिया गया है।और वर्तमान में रमेश पोखरियाल निशंक शिक्षा मंत्री हैं। 34 साल पहले यानि सन 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी। तीन दशक से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।इस नई शिक्षा नीति में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% भाग खर्च किया जायेगा। 

नई शिक्षा नीति में समग्र शिक्षा को खास महत्व दिया गया है। समग्र यानी संपूर्ण या समस्त। सभी शिक्षक अपने विषयों और उनके पाठ्यक्रमों के बारे में छात्रों के हित ध्यान में रखकर खुद निर्णय ले सकेंगे। भाषा की बाध्यताओं भी दूर होगी। 

आज तक की शिक्षा व्यवस्था में इंटरमीडिएट पास करने के बाद ही टेक्निकल शिक्षा या व्यवसायिक शिक्षा में प्रवेश लिया जा सकता था। लेकिन अब स्कूल से ही छात्र अपनी रुचि के विषयों में प्रवेश लेकर उनकी पढ़ाई कर सकेंगे। अब इसे पाठ्यक्रम का अंग बना दिया गया है।

छटी (6) कक्षा के बाद छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं। और 8वीं से 11वीं तक के छात्र अपनी पसंद के विषय भी चुन सकते हैं। अब किसी भी स्ट्रीम का छात्र कोई भी विषय ले सकता है यानी विज्ञान के छात्र संगीत या कोई अन्य विषय भी ले सकते हैं। 

त्रिभाषा फार्मूला लागू होगा और उच्च शिक्षा तक संस्कृत को विकल्प के रूप में दिया जाएगा। सभी राज्य बिना किसी दबाव के अपनी पसंद की भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे ।

कॉलेज या उच्च शिक्षा में प्रवेश और निकासी ,  दोनों में ही लचीलापन होगा। भारत में यह सुविधा बिलकुल नई है।अगर कोई विद्यार्थी किसी कारण वश अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देता हैं। तो वह  कुछ समय बाद अपनी पढ़ाई दुबारा शुरू कर सकता है। उसका पुराना क्रेडिट कायम रहेगा। 

नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। न सिर्फ शिक्षा बल्कि विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता और उनको बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। क्योंकि अगर शिक्षा में गुणवत्ता होगी तो , वह रोजगार के द्वार भी खोलेगी और व्यक्ति व राष्ट्र के विकास में भी सहायक होगी। 

यानि एक ऐसी शिक्षा है जो हर बच्चे के सम्पूर्ण जीवन के हर पहलू का विकास करें और उसके साथ ही बच्चे की क्षमताओं का भी संपूर्ण विकास करे। 

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के द्वारा शिक्षा का स्तर सुधारने और शिक्षा में तकनीकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जायेगा ।  इसमें विद्यार्थी और शिक्षकों को अधिक सशक्त बनाया जायेगा। पहली कक्षा से कक्षा 12वीं तक के विद्यार्थीयो पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अब छठी कक्षा से ही बच्चे को व्यवसायिक व कौशलपूर्ण शिक्षा दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।

सिर्फ डिग्री लेने वाली शिक्षा के बजाय रचनात्मकता , तार्किकता , तकनीकी और रोजगार परक शिक्षा पर बल दिया जाएगा। ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एक “राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF)” बनाया जायेगा , जहाँ वर्चुअल लैब विकसित की जाएंगी। 

शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए नई शिक्षा नीति को बनाने से पहले देश की लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतें , 6600 ब्लॉक और 650 जिलों के शिक्षाविदों , अध्यापकों , अभिभावकों , जनप्रतिनिधियों एवं व्यापक स्तर पर छात्रों से भी सुझाव लिए गए थे ।उसके बाद नई शिक्षा नीति सामने आयी। 

अब सभी विश्वविद्यालयों पर एक समान नियम लागू होंगे। यानि अब डीम्ड यूनिवर्सिटी , सेंट्रल यूनिवर्सिटी आदि का अस्तित्व खत्म हो जायेगा। अब सभी विश्वविद्यालय ही कहलाएंगे। सभी महाविद्यालयों को निश्चित समय-सीमा में स्वायत्त बनना पड़ेगा। महाविद्यालय या तो स्वायत्त होंगे या फिर किसी विश्वविद्यालय का हिस्सा होंगे। 

महाविद्यालय तीन प्रकार के होंगे। पहले प्रकार के वो विश्वविद्यालय होंगे जो शोध पर जोर देंगे। दूसरे शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगे और तीसरे महाविद्यालय बिना किसी के दबाव के स्वायत्त ढंग से अपने फैसले ले सकेंगे। 

एफफिल और पीएचडी के कोर्स लगभग एक जैसे ही थे। इसलिए अब एमफिल को खत्म कर दिया गया है।

शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे किसी भी व्यक्ति , समाज व राष्ट्र को ताकतवर बनाया जा सकता है और जब वह शिक्षा अपनी जड़ों से जुड़ी हुई हो या अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई हो तो , वह चहँमुखी विकास करती है। रोजगार के नए अवसरों को पैदा करती है।

शिक्षा व्यक्ति व समाज को विनम्र , सहनशील , सभ्य और शिष्ट बनाती हैं। नई शिक्षा नीति इन सभी मापदंडों में खरी उतरती हैं जो भविष्य में छात्रों को एक नई दिशा प्रदान करेगी। यह शिक्षा नीति भारत की प्रतिभाओं को और निखारने व तराशने का काम करेगी। भारत की यह नई शिक्षा व्यवस्था भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी।

Essay On New Education Policy 2020 , नई शिक्षा नीति 2020 पर हिंदी निबंध

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लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति , राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था.

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Essay on New Education Policy 2020

500+ words essay on new education policy 2020.

Education is a fundamental need and right of everyone now. In order to achieve our goals and help develop a just society, we need education. Similarly, education plays a great role in the national development of a nation. As we are facing a major change in terms of knowledge globally, the Government of India approved the National Education Policy 2020. This essay on new education policy 2020 will help you learn how this new policy has replaced the National Education Policy 1986 that is 34 years old.

essay on new education policy 2020

Aim of the New Education Policy 2020

This new policy has the aim of universalizing education from pre-school to secondary level. It plans to do that with a 100% GRE (Gross Enrollment Ratio) in schooling. The plan is to achieve it by 2030.

This essay on new education policy 2020 will highlight the changes brought in by this new policy. Firstly, the policy proposes to open Indian higher education in foreign universities.

It aims to introduce a four-year multidisciplinary undergraduate program with various exit options. Thus, this new policy will strive to make the country of India a global knowledge superpower.

Similarly, it also aims to make all universities and colleges multi-disciplinary by the year 2040. Finally, the policy aims to grow employment in India and also bring fundamental changes to the present educational system.

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Advantages and Disadvantages of New Education Policy 2020

The policy gives an advantage to students of classes 10 and 12 by making the board exams easier. In other words, it plans to test the core competencies instead of mere memorization of facts.

It will allow all the students to take the exam twice. Further, it proposes that an independent authority will be responsible for regulating both public and private schools . Similarly, the policy aims to diminish any severe separation between the educational streams and vocational streams in the schools.

There will also be no rigid division between extra-curriculum. Vocational education will begin at class sixth with an internship. Now, the essay on new education policy 2020 will tell you about the disadvantages of the policy.

Firstly, it can make the education system expensive. Meaning to say, admission to foreign universities will probably result in this. Further, it will create a lack of human resources.

If we look at the present elementary education, we notice that there is a lack of skilled teachers. Thus, keeping this in mind, the National Education Policy 2020 can give rise to practical problems in implementing the system that is for elementary education.

Finally, there is also the drawback of the exodus of teachers. In other words, admission to foreign universities will ultimately result in our skilled teachers migrating to those universities.

To conclude the essay on New Education Policy 2020, we can say that this policy is an essential initiative to help in the all-around development of our society and country as a whole. However, the implementation of this policy will greatly determine its success. Nonetheless, with a youth dominant population, India can truly achieve a better state with the proper implementation of this education policy.

FAQ of Essay on New Education Policy 2020

Question 1: What does the New Education Policy 2020 aim to achieve by 2030?

Answer 1: This new policy has the aim of universalizing education from pre-school to secondary level. It plans to do that with a 100% GRE (Gross Enrollment Ratio) in schooling. The plan is to achieve it by 2030.

Question 2: Give two challenges the New Education Policy 2020 may face?

Answer 2: Firstly, it can make the education system expensive. Meaning to say, admission to foreign universities will probably result in this. Further, it will create a lack of human resources.

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-Essay on New Education Policy in Hindi

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 निबंध

Essay on New Education Policy in Hindi :भारत में नई शिक्षा नीति 2020, या राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में 34 वर्षा के अंतराल के बाद केन्द्रीय सरकार के द्वारा नई शिक्षा नीति को लागू किया गया है। 

इस artical के माध्यम से  हमने इस नई शिक्षा नीति से सम्बन्धित जानकारी दिया है नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 | Essay on New Education Policy in Hindi इस नीति का उद्देश्य यह है कि छात्रों की सोच और रचनात्मक क्षमता को बढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना है। 

Essay on New Education Policy in Hindi

New Education Policy शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने के लिए, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के विकास एवं राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मूलभूत आवश्यकता है। ज्ञान के परिदृश्य में पूरा विश्व तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इसी सन्दर्भ में भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई, 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को मंजूरी प्रदान की गई तथा मानव संसाधन विकास मन्त्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मन्त्रालय करने की भी मंजूरी दी गई। यह नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 को प्रतिस्थापित करेगी।

Essay on New Education Policy in Hindi

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पृष्ठभूमि | New Education Policy in Hindi

देश में नई शिक्षा नीति की आवश्यकता अधिक समय से महसूस की जा रही थी। भारत में अब तक तीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लाया गया है राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968, 1986 तथा 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 को वर्ष 1992 में संशोधित किया गया था। शिक्षा पर पिछली नीतियों का जोर मुख्य रूप से शिक्षा तक पहुँच के मुद्दों पर था।

नई शिक्षा नीति को बिगत शिक्षा नीति की कमियों को दूर करने तथा वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लाया गया है जिससे स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूपान्तकारी सुधार के मार्ग प्रशस्त हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिए जून, 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने मई, 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा प्रस्तुत किया था।

नई शिक्षा नीति के आधारभूत सिद्धान्त

New Education Policy शैक्षिक प्रणाली का उद्देश्य उत्तम मस्तिष्क का विकास करना है, जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें करुणा, सहानुभूति, साहस एवं लचीलापन, वैज्ञानिक चिन्तन और रचनात्मक कल्पनाशक्ति, नैतिक मूल्य और आधार हो। इसका उद्देश्य ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को तैयार करना है जो कि अपने संविधान द्वारा परिकल्पित समावेशी बहुलताबादी समाज के निर्माण में बेहतर तरीके से योगदान करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के विषय में

इस नीति का विजन छात्रों में भारतीय होने का गर्व न केवल विचारों में बल्कि व्यवहार, बुद्धि और कार्यों में भी और साथ ही ज्ञान, कौशल, मूल्यों और सोच में भी होना चाहिए, जो मानवाधिकारों, स्थायी विकास और जीवनयापन तथा वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो, जिससे वे सही मायने में वैश्विक नागरिक बन सकें। सबके लिए आसान पहुँच, समानता, गुणवत्ता, बहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत सिद्धान्त पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है।

नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 क्या है? 

Essay on New Education Policy in Hindi  यह नीति वर्तमान की 10+2 बाली स्कूली व्यवस्था को 8 से 18 वर्ष के सभी बच्चों के पाठ्यचर्या और शिक्षण शास्त्रीय आधार 5+3+3+4 की एक नई व्यवस्था में पुनर्गठित करने की बात करती है। वर्तमान में 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चे 10+2 वाले ढांचे में शामिल नहीं है, क्योंकि 6 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 में प्रवेश दिया जाता है।

पुनर्गठित ढाँचे के अन्तर्गत 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 की उम्र के विभिन्न पड़ावों पर विद्यार्थियों के विकास की अलग-अलग अवस्थाओं के अनुसार उनकी रुचियों और विकास की आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाएगा। यह पाठ्यक्रम रूपरेखा 5+3+3+4 डिजाइन से मार्गदर्शित होगी। यहाँ 5+3+3+4 से आशय है।

‌ 5-फाउंडेशन स्टेज इसे दो भागों में विभाजित किया गया है। पहले तीन वर्ष बच्चे आँगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। इसके बाद अगले दो वर्ष कक्षा 1 व 2 में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे इन 5 वर्षों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। इसमें 3 से 8 वर्ष तक के बच्चे शामिल होंगे।

‌ 3- प्रिपरेटरी स्टेज इस स्टेज में कक्षा 3 से 5 तक की पढ़ाई होगी। इस दौरान प्रयोगों (Practicals) के माध्यम से बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। इसमें 8 से 11 वर्ष तक के बच्चों को कवर किया जाएगा। 

‌ 3- मिडिल स्कूल स्टेज इस स्टेज में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई होगी। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। कक्षा 6 से ही वोकेशनल कोर्स भी शुरू हो जाएँगे, जिसमें बच्चों को अनेक तरह के स्किल्स सिखाए जाएँगे। इसके अतिरिक्त कक्षा 6 से ही प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग भी प्रारम्भ हो जाएगी। इसमें 11 से 14 वर्ष तक के बच्चों को कवर किया जाएगा।

‌ 4-सेकेंडरी स्टेज इस स्टेज में कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई दो चरणों में होगी। प्रथम चरण में कक्षा 9 और 10 तथा द्वितीय चरण में कक्षा 11 और 12 की पढ़ाई होगी। छात्रों को विषयों को चुनने की भी आजादी होगी। यहाँ कुछ ऐसे विषय होंगे जो सबके लिए कॉमन होंगे, परंतु साथ ही कुछ ऐच्छिक विषय; जैसे कला, संगीत, व्यावसायिक विषय आदि होंगे, जिनमें से छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चयन कर सकेंगे। इस स्टेज में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों को कवर किया जाएगा।

Essay on New Education Policy in Hindi

इस तरह अब 12 वर्ष की स्कूली शिक्षा और 3 वर्ष की आंगनबाड़ी / प्री-स्कूलिंग / बाल बाटिका प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ( Early Childhood Care and Education , ECCE )) के लिए एक नई स्कूली पाठ्यक्रम व्यवस्था लागू की जाएगी। 6 से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी। नई नीति के अन्तर्गत 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio, GER) के साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक स्तर की शिक्षा के सार्वभौमीकरण का लक्ष्य रखा गया है। स्कूल से दूर रह रहे 2 करोड़ बच्चों को पुनः मुख्य धारा में लाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। इसमें पढ़ने-लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता पर बल देने, स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येत्तर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच समानता लाने; इण्टर्नशिप के साथ कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू करने के प्रावधान किए गए हैं।

नई नीति में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही तरीके से सीखने के लिए मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Foundational Literacy and Numercy, NMFLN) की स्थापना किए जाने पर विशेष बल दिया गया है। राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 8 तक के सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और सकारात्मक ज्ञान प्राप्त करने हेतु इस मिशन के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जाएगी। 

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद् (National Council of Educational Research and Training, NCERT ) द्वारा एक नई और व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (National Curricuar Framework for School Education NCFSE) 2020-21 तैयार की जाएगी। इसके अतिरिक्त वर्ष 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इण्टीग्रेटेड बी एड डिग्री हो जाएगी साथ ही गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षा संस्थानों के विरुद्ध कठिन कार्यवाही की जाएगी।

समान और समावेशी शिक्षा

नई शिक्षा नीति में जेण्डर इंक्लूजन फण्ड (Gender Inclusion Fund) और बंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर बल दिया गया है। इसके अन्तर्गत बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए ‘बालक-बालिका समावेशी कोष’ और ‘विशेष शिक्षा जोन’ स्थापित करना भी शामिल है।

भाषायी विविधता को बढ़ावा और संरक्षण

नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 तक की शिक्षा में मातृभाषा / स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा 8 और आगे की शिक्षा के लिए प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है। बंधिर छात्रों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा (Indian Sign Languages) को पूरे देश में मानवीकृत किया जाएगा।

शिक्षा नीति, 2020 में भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिए एक भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान ( Indian Institute of Translation and Interpretation, IITI) , फारसी, पाली और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान स्थापित करने की बात कही गई है। इस नीति में पाठ्यक्रम के भार को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिन्तन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

नई नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येत्तर गतिविधियों में बहुत अधिक अन्तर नहीं होगा

नई शिक्षा नीति मूल्यांकन

नई शिक्षा नीति में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धान्तिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। छात्र कक्षा 3.5 और 8 के स्तर पर स्कूली परीक्षाओं में भाग लेंगे जिन्हें उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाएगा।

पाठ्येत्तर गतिविधियों में बहुत अधिक अन्तर नहीं होगा। नई शिक्षा नीति में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा 10 और कक्षा 12 की परीक्षा पद्धति में परिवर्तन किए जाएँगे। इसके अन्तर्गत भविष्य में सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।

छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिए मानक निर्धारक निकाय के रूप में परख (PARAKH) नामक एक नए राष्ट्रीय आकलन केन्द्र (National Assesment Centre, NAC) की स्थापना किए जाने का प्रावधान है। छात्रों की प्रगति मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence. AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाएगा।

उच्चतर शिक्षा|High Education

‌उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को वर्ष 2035 तक 50% तक बढ़ाने तथा उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ने की बात कही गई है।

‌नीति के अन्तर्गत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एण्ट्री एण्ड एक्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है। इसके लिए 3 या 4 बर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम छोड़ सकेंगे और इसी के अनुरूप उन्हें डिग्री या प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

‌विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (Academic Bank of Credit, ABC) दिया जाएगा, जिससे अलग-अलग संस्थानों के छात्रों को प्रदर्शन के आधार पर डिग्री दी जा सके।नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत एम. फिल (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है।

भारत उच्च शिक्षा आयोग

चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India, HECI) का गठन करने का प्रावधान किया गया है। भारत उच्च शिक्षा आयोग के कार्यों को प्रभावी एवं प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिए चार संस्थानों एवं निकायों के गठन का प्रावधान किया है, जैसे

‌चिनियमन हेतु राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद् ( National Higher Education Regulatory Council, NHERC) 

‌मानक निर्धारण हेतु सामान्य शिक्षा परिषद् ( General Education Council, GEL )

‌वित्त पोषण हेतु-उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद् ( Higher Education Grants Council, HEGL )

 परत्यायन हेतु-राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद् ( National Accreditation Council, NAC )

इस नीति में देश में आई आई टी (IIT) और आई आई एम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के अनुरूप बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसन्धान विश्वविद्यालय (Multidisciplinary Education and Research University, MERU) की स्थापना की बात कही गई है

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शिक्षा में प्रौद्योगिकी

विद्यालयी एवं उच्चतर शिक्षा दोनों क्षेत्रों में शिक्षण, मूल्यांकन, नियोजन, प्रशासन आदि में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचारों के मुक्त आदान-प्रदान को एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (National Education Technology Forum, NETF) का निर्माण किया जाएगा। इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने और किसी क्षेत्र विशेष में उसके उपयोग से सम्बन्धित निर्णयों को सुगम बनाना होगा।

खुली एवं दूरस्थ शिक्षा

नई शिक्षा नीति में सकल नामांकन अनुपात को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने हेतु खुली और दूरस्थ शिक्षा के विस्तार की बात कही गई है। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और डिजिटल संग्रहों, अनुसन्धान के लिए वित्त पोषण, बेहतर छात्र सेवाएँ, एम ओ ओ सी द्वारा क्रेडिट आधारित मान्यता आदि जैसे उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाया जाएगा कि ये उच्चतम गुणवत्ता वाले इन क्लास कार्यक्रमों के समतुल्य हों।

प्रौढ़ शिक्षा

बुनियादी साक्षरता प्राप्त करना, शिक्षा प्राप्त करना और जीविकोपार्जन का अवसर प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। प्रौढ़ शिक्षा के लिए सुदृढ एवं नवाचारी सरकारी पहलों विशेषकर समुदाय की भागीदारी को सुगम बनाना तथा प्रौद्योगिकी के सुचारु और लाभकारी एकीकरण को शीघ्र अति शीघ्र लागू किया जाएगा, जिससे कि वर्ष 2030 तक 100% साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

भारत में उत्कृष्टता के साथ शिक्षा के लक्ष्य को पाने के लिए तथा देश एवं अर्थव्यवस्था से जुड़े लाभों की बहुलता के कारण यह शिक्षा नीति, केन्द्र तथा सभी राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा में निवेश को पर्याप्त रूप से बढ़ाने का समर्थन करती है। शिक्षा में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकारें मिलकर काम करेंगी जिससे कि शिक्षा निवेश को सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product, GDP) के 6% तक पहुँचाया जा सके।

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नई शिक्षा नीति प्रमुख चुनौतियाँ

इस नीति के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं 

महँगी शिक्षा नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश से शिक्षण व्यवस्था के महंगी होने की सम्भावना है। साथ ही इससे शिक्षा चुनौतीपूर्ण होगी। 

शिक्षकों का पलायन विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश से भारतीय दक्ष अध्यापकों पलायन की सम्भावना बनेगी।

 भारतीय संसद की अवहेलना विपक्ष का आरोप है कि भारतीय शिक्षा की दिशा एवं दशा तय करने वाली इस नीति को अनुमति देने में संसद की प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है।

 मानव संसाधन का अभाव वर्तमान प्रारम्भिक शिक्षा में कुशल शिक्षकों का अभाव है। ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत प्रारम्भिक शिक्षा हेतु की गई व्यवस्था के क्रियान्वयन में व्यावहारिक समस्याएँ देखी जा रही हैं।

Essay on New Education Policy in Hindi :किसी भी समाज व देश के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा एक आवश्यक व अनिवार्य तत्व है तथा इस अत आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक राष्ट्र के द्वारा व्यापक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण किया जाता है। भारत सरकार द्वारा स्वीकृत राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 इसी दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। 

नई नीति को पुरानी शिक्षा नीतियों की कमियों को दूर करने एवं वर्तमान में 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने का प्रयास किया गया है जिसमें स्कूली व उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम, परीक्षा पद्धति, मूल्यांकन, नए पहलुओं का समावेश संरचनागत विस्तार, भाषा विकास व संरक्षण, विषय एकरूपता, अनुसन्धान, प्रौद्योगिकी आदि तथ्यों पर विशेष बल दिया गया है, जिससे कि देश की समृद्ध प्रतिभा और संसाधनों का सर्वोत्तम विकास व संबर्द्धन तथा व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व की भलाई की जा सके। इस शिक्षा नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इनका क्रियान्वयन किस प्रकार से किया जाता है। 

Essay on New Education Policy in Hindi  अतः यह कहा जा सकता है कि भारत सबसे युवा जनसंख्या वाला देश है और इन युवाओं को उच्चतर गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक अवसर उपलब्ध कराने पर ही भारत का भविष्य निर्भर करेगा। 

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new education policy essay in hindi

नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

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शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi)

शिक्षा

किसी भी व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है, और मां को पहली गुरु कहा गया है। शिक्षा वो अस्त्र है, जिसकी सहायता से बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सकते है। वह शिक्षा ही होती है जिससे हमें सही-गलत का भेद पता चलता है। शिक्षा पर अनेकों निबंध लिखे गयें हैं, आगे भी लिखे जायेंगे। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, एक वक़्त की रोटी ना मिले, चलेगा। किंतु शिक्षा जरुर मिलनी चाहिए। शिक्षा पाना प्रत्येक प्राणी का अधिकार है।

शिक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Education in Hindi, Shiksha par Nibandh Hindi mein)

शिक्षा पर निबंध – निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शिक्ष’ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, सिखना या सिखाना। शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी है। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है।

शिक्षा की परिभाषाएं

गीता से अनुसार, “सा विद्या विमुक्ते”। अर्थात शिक्षा या विद्या वही है जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलु पर विस्तार करे।

महात्मा गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”

स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”

शिक्षा का उद्देश्य

शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं है अपितु मानव का सर्वांगीण विकास है। शिक्षा एकमात्र ऐसा धन है जिसे एकबार अर्जित करने पर वह कभी खर्च नहीं होती बल्कि बढ़ती ही रहती है। शिक्षा हमें आदम से मनुष्य बनाती है, यह हमें अन्य जीवों से श्रेष्ठ बनाती है।

शिक्षा मनुष्यों को सशक्त बनाती है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है। शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। सरकार को नई शिक्षा नीति को जल्द से जल्द  सभी शिक्षण संस्थानों में लागू करने की आवश्यकता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Education in Hindi

शिक्षा का अधिकार – निबंध 2 (400 शब्द)

शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। जीवन को नयी दशा और दिशा दे सकते हैं। बिना शिक्षा के हम कुछ भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते। आजकल जीविकोपार्जन करना हर किसी की जरुरत है, जिसके लिए आपका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। आज की पीढ़ी का बिना पढ़े-लिखे भला नहीं हो सकता।

शिक्षा से ही रोजगार के अवसरों का सृजन होता है। आज वही देश सबसे ताकतवरों की श्रेणी में आता है, जिसके पास ज्ञान की शक्ति है। अब वो दिन गये, जब तलवार और बंदूकों से लड़ाईयां लड़ी जाती थी, अब तो केवल दिमाग से खून-खराबा किए बिना ही बड़ी-बड़ी लड़ाईयां जीत ली जाती हैं।

शिक्षा का अधिकार

वैसे शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार है। लेकिन अब इस पर कानून बन गया है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि अब हर किसी को अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य है। ‘निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम’ के नाम से यह कानून 2009 में लाया गया। शिक्षा का अधिकार’ हमारे देश के संविधान में वर्णित मूल अधिकारों में से एक है।

46वें संविधान संशोधन, 2002 में मौलिक अधिकार के रुप में चौदह साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का नियम है। शिक्षा का अधिकार (आरटीआई एक्ट) संविधान के 21अ में जोड़ा गया है। यह 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी है। आरटीआई एक्ट में निम्न बातें बतायी गयीं हैं।

  • इस विधान के अनुसार अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।
  • शिक्षा का अधिकार कानून विद्यार्थी-शिक्षक-अनुपात (प्रति शिक्षक बच्चों की संख्या), कक्षाओं, लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, स्कूल-कार्य दिवसों की संख्या, शिक्षकों के काम के घंटे से संबंधित मानदंड और मानक देता है।
  • भारत में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय (प्राथमिक विद्यालय + मध्य विद्यालय) को शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक बनाए रखने के लिए इन मानदंडों का पालन करना है।
  • जो बच्चे किसी कारणवश उचित समय पर विद्यालय नहीं जा पाते, उन्हें भी उचित कक्षा में प्रवेश देने का नियम है।
  • साथ ही यह प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति भी करता है।

यह संविधान में उल्लेख किए गये मूल्‍यों के हिसाब से पाठ्यक्रम के विकास के लिए प्रावधान करता है। और बच्‍चे के समग्र विकास, बच्‍चे के ज्ञान, सम्भावना और प्रतिभा निखारने तथा बच्‍चे की मित्रवत प्रणाली एवं बच्‍चा केन्द्रित ज्ञान प्रणाली के द्वारा बच्‍चे को डर, चोट और चिंता से मुक्‍त करने को संकल्पबध्द है।

शिक्षा पर आधुनिकीकरण  का प्रभाव – निबंध 3 (500 शब्द)

हमारा देश प्राचीनकाल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। भारत में शिक्षा का समृद्ध और दिलचस्प इतिहास रहा है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन दिनों में, शिक्षा को संतों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता था और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जानकारी को प्रेषित किया जाता था।

पत्रों के विकास के बाद, यह ताड़ के पत्तों और पेड़ों की छाल का उपयोग करके लेखन का रूप ले लिया। इससे लिखित साहित्य के प्रसार में भी मदद मिली। मंदिरों और सामुदायिक केंद्रों ने स्कूलों की भूमिका बनाई। बाद में, शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली अस्तित्व में आई।

शिक्षा पर आधुनिकीकरण  का प्रभाव

शिक्षा समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा ही हमारे ज्ञान का सृजन करती है, इसे छात्रों को हस्तांतरित करती है और नवीन ज्ञान को बढ़ावा देती है। आधुनिकीकरण सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। यह मूल्यों, मानदंडों, संस्थानों और संरचनाओं को शामिल करने वाली परिवर्तन की श्रृंखला है। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षा व्यक्ति की व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से नहीं होती है, बल्कि यह उस समाज की जरूरतों से उत्पन्न होती है, जिसमें व्यक्ति सदस्य होता है।

एक स्थिर समाज में, शैक्षिक प्रणाली का मुख्य कार्य सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाना है। लेकिन एक बदलते समाज में, इसका स्वरुप पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदलते रहता हैं और ऐसे समाज में शैक्षणिक व्यवस्था को न केवल सांस्कृतिक विरासत के रुप में लेना चाहिए, बल्कि युवा को उनमें बदलाव के समायोजन के लिए तैयार करने में भी मदद करनी चाहिए। और यही भविष्य में होने वाली संभावनाओं की आधारशिला रखता है।

आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में कुशल लोग तैयार होते हैं, जिनके वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान से देश का औद्योगिक विकास होता है। व्यक्तिवाद और सार्वभौमिकतावादी नैतिकता आदि जैसे अन्य मूल्यों को भी शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार शिक्षा आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण अस्त्र हो सकता है। शिक्षा के महत्व को इस तथ्य से महसूस किया जा सकता है कि सभी आधुनिक समाज शिक्षा के सार्वभौमिकरण पर जोर देते हैं और प्राचीन दिनों में, शिक्षा एक विशेष समूह के लिए केंद्रित थी। लेकिन शिक्षा के आधुनिकीकरण के साथ, अब हर किसी के पास अपनी जाति, धर्म, संस्कृति और आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा है।

आधुनिकीकरण का असर विद्यालयों में भी देखा जा सकता है। आधुनिक दिन के विद्यालय पूरी तरह से तकनीकी रूप से ध्वनि उपकरणों से लैस हैं जो बच्चों को अधिक स्पष्ट तरीके से अपनी विशेषज्ञता विकसित करने में मदद करते हैं। प्रभावी सुविधाएं विकलांग व्यक्तियों के लिए बाधा मुक्त साधन प्रदान करती हैं, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों से मुक्त होती हैं, छात्रों और शिक्षकों के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करती हैं, और कक्षा और निर्देशात्मक उपयोग के लिए उपयुक्त तकनीक से लैस होती हैं।

वर्तमान शिक्षण प्रणाली को एक कक्षा प्रणाली की तुलना में कक्षा के स्थानों में अधिक लचीलेपन की जरुरत होती है। उदाहरण के लिए, छोटे समूहों में एक साथ काम करने वाले छात्र, जिले के कुछ नए प्राथमिक विद्यालयों में कक्षाओं के बीच साझा स्थानों का उपयोग कर सकते हैं।

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