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तकनीकी शिक्षा पर निबंध - Essay on Technical Education in Hindi - Technical Education Essay in Hindi - Takniki Shiksha par Nibandh

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रूपरेखा : प्रस्तावना - तकनीकी शिक्षा क्या है - तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता - तकनीकी शिक्षा की समस्याएं - तकनीकी शिक्षा की समस्याओं का समाधान - तकनीकी शिक्षा की विशेषता - तकनीकी शिक्षा के लाभ - तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य - तकनीकी शिक्षा का महत्व - उपसंहार।

किसी व्यावसाय के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल एवं अभिवृतियों की शिक्षा देना तकनीकी शिक्षा है। तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रुप है जिनका व्यक्ति और समाज के साथ अभिन्न समन्वय है। जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह सामान्य पारंपरिक शिक्षा से अलग है। यह छात्रों को कृषि, कम्प्यूटर, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, ड्राइविंग आदि क्षेत्रों में कुशल बनाती देती है। जो लोग विशेष तकनीकी कौशल और ज्ञान रखते हैं, उन्हें तकनीशियन कहा जाता है जैसे बढ़ई, ड्राइवर, यांत्रिकी, इंजीनियर, डॉक्टर, पायलट आदि तकनीशियन हैं। तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है।

तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रुप है जिनका व्यक्ति और समाज के साथ अभिन्न समन्वय है। जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह शिक्षा विशेष प्रकार के वृत्तिमुखी एवं तकनीकी कार्य करने के लिए परिकल्पित मानव संपदा की सृष्टि में भाग लेती है, इसलिए इस शिक्षा को वृत्तिमुखी तथा तकनीकी शिक्षा कहा जाता है। अर्थात जो शिक्षा शिक्षार्थी को किसी विशेष वृत्ति के समन्वय में ज्ञान एवं कुशलता अर्जित करने में सहायक होती है और पूर्व एवं नव अर्जित दक्षता का प्रयोग कर उस वृत्ति को सुंदर ढंग से संपन्न करने में सक्षम होता है, उसे ही वृत्तिमूलक एवं तकनीकी शिक्षा कहते है।

आज हमारा भारत विकास की ओर बढ़ रहा है कई सुख सुविधाएं हमारे देश को मिल चुकी हैं। अब हमारे देश की तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि जिस देश में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है वह देश विकास की ओर बढ़ता हैं। हमारे पास ऐसे युवा व्यक्ति नहीं हैं जो इन साधनों का उचित प्रकार से उपयोग कर सके। सिर्फ तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा ही हमें विशेषज्ञ इंजीनियर और तकनीशियन देती है। हमारे देश में बड़ी मात्रा में इनकी आवश्यकता है। तकनीकी शिक्षा के माध्यम से देश के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको हुनर सीखा कर आगे बढ़ाया जाता है । जब देश के युवा आगे बढ़ेंगे तब हमारे देश का विकास होगा । हमें सभी व्यवसायों में योग्य और प्रशिक्षित कार्य करने वालों की आवश्यकता है। यह तब ही सम्भव हो सकता है जब हम उन्हें व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण दें। सरकार भी इस विषय को गंभीरता से ले रही है क्योंकि सरकार भी जानती है कि हमारे देश में तकनीकी शिक्षा का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है । तकनीकी शिक्षा को बढ़ाने के लिए हमारे देश में कई इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोले गए हैं जहां से युवा प्रशिक्षण लेकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है ।

तकनीकी शिक्षा की कई समस्याएं हमें देखने को मिलती है जैसे

  • अनुचित दृष्टिकोण की समस्या

हमारे देश में इस शिक्षा के प्रति लोगों का दृष्टिकोण उचित नहीं है। यहाँ मानसिक श्रम की अपेक्षा शारीरिक श्रम को हेय दृष्टि से देखा जाता है।

  • शिक्षा में अनुपयुक्त माध्यम की समस्या

तकनीकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है। इससे छात्रों को विषय समझने में कठिनाई होती है।

  • संकीर्ण पाठ्यक्रम की समस्या

इस तरह के विद्यालय का पाठ्यक्रम संकीर्ण होता है। ऐसी शिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्तियों के दृष्टिकोण प्राय: भौतिकवादी हो जाता है और वे समाज की विभिन्न रुचियों, प्रवृतियों तथा आवश्यकताओं को नहीं समझ पाते हैं।

  • विद्यालयों का अभाव

स्वतंत्र भारत में अनेक तकनीकी शिक्षा संस्थान स्थापित किये जा चुके हैं। फिर भी व्यापक माँग की अपेक्षा उनकी संख्या कम है। शिक्षा प्राप्त नवयुवक तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने में विशेष रुप से इच्छुक होते हैं, किन्तु विद्यालयों की कमी के कारण उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता है।

  • प्रशिक्षित अध्यापकों का अभाव

तकनीकी शिक्षा संस्थाओं के लिए सुयोग्य प्रशिक्षित अध्यापक नहीं मिल पा रहे हैं जिससे इस शिक्षा के विस्तार-कार्य को काफी धक्का पहुँच रहा है। तकनीकी शिक्षा में जिन विद्यार्थीयों को अच्छे अंक प्राप्त होते हैं, वे आर्थिक कारणों से अन्य संस्थाओं में चले जाते हैं। जिसके कारण औसत मान के विद्यार्थी ही शिक्षकीय पेशा को अपनाते हैं।

  • प्रायोगिक शिक्षा की उपेक्षा

तकनीकी शिक्षा में प्रयोगों का विशेष महत्व है, किन्तु विद्यालयों में सैद्धांतिक शिक्षा पर ही विशेष बल दिया जाता है। तकनीकी विषयों को श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) पर ही समझा दिया जाता है। प्रायोगिक शिक्षा के अभाव में विद्यार्थी विषय को अच्छी तरह नहीं समझ पाते और शिक्षा समाप्ति के पश्चात उन्हें व्यावहारिक क्षेत्र में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य की सुविधाओं का अभाव है।

तकनीकी शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए प्रमुख सुझाव कुछ इस प्रकार है -

  • दृष्टिकोण में परिवर्तन (Change in attitude)

शारीरिक श्रम के प्रति जनता का दृष्टिकोण बदलना आवश्यक है। इसके लिए सरकार एवं समाज संस्थाओं का कर्तव्य है कि वे जनता को शारीरिक श्रम के महत्व से अवगत कराएं।

  • पर्याप्त संख्या में विद्यालयों की स्थापना (Increase in the number of Vocational schools)

सरकार को विभिन्न स्तर की तकनीकी शिक्षा संस्थाओं का स्थापना करनी चाहिए। जिससे की तकनीकी शिक्षा की महत्वता को लोग जान सके।

  • विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का प्रोत्साहन (Encouragement to the teachers for teaching in Vocational schools)

तकनीकी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस शिक्षा के अभाव की समस्या तभी हल की जा सकती है, जब सरकार इन विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन में सुधार लाकर उनके समस्याओं का समाधान करे। इन्हें सुधारने से शिक्षकों को प्रोत्साहन मिलेगा।

  • पाठ्यचर्या में सामान्य शिक्षा का स्थान (General Education in curriculum)

तकनीकी शिक्षा के पाठ्यचर्या में सामान्य शिक्षा को भी उचित स्थान देना चाहिए। पाठ्यचर्या का जीवन के साथ सामंजस्य होना आवश्यक है।

  • राष्ट्रीय भाषा एवं मातृभाषा शिक्षा का माध्यम (National language or Mother tongue is the medium of the instruction)

हिंदी को तकनीकी शिक्षा का माध्यम बनाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि हिन्दी भाषा में समस्त तकनीकी पुस्तकों का अनुवाद कराया जाए।

  • प्रायोगिक शिक्षा का तकनीकी विद्यालयों में महत्वपूर्ण स्थान (Importance place of Technical education in technical school)

तकनीकी विद्यालयों में प्रायोगिक शिक्षा पर विशेष बल देना चाहिए।

  • इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है। यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व का ध्यान रखती है। इस शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाता है।
  • जीवन से संवंधित-यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार, श्रम तथा कार्य से संबंधित है।
  • इस शिक्षा का आधार व्यक्तित्व का विकास करना है।
  • तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट शिक्षा है।
  • तकनीकी शिक्षा का रुप स्थिर नहीं रहता है। समय की गति एवं सभ्यता के विकास के साथ इसके रुप में परिवर्तन आता है।
  • यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान न प्रदान कर जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी होती है। यही तकनीकी शिक्षा की विशेषता है।

बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए तकनीकी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। कुशल लोग बेरोजगार नहीं हो सकते। यदि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं, तो वे अन्य शिक्षित लोगों को नौकरी के अवसर प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा हमें बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता को कम करने में मदद करती है। तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है। कारखानों, सड़कों, पुलों, नहरों, भवनों, हवाई अड्डों आदि को बनाने के लिए तकनीशियनों की आवश्यकता होती है। तकनीकी शिक्षा निर्विवाद रूप से राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देती है। यदि किसी देश में माल का अधिक उत्पादन होता है, तो वह अपने लोगों को आसानी से खिला सकता है। अन्य देशों को अतिरिक्त उत्पादन बेचकर विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। इसी प्रकार और भी कई तकनीकी शिक्षा के लाभ होते है।

  • इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक होना चाहिए

यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए।

  • स्थायी ज्ञान की प्राप्ति

इस शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक कार्य को वैज्ञानिक ढ़ंग से सिखाया जाता है। विभिन्न क्रियाओं में सक्रिय भाग लेने तथा क्रियाओं के रुचि के अनुकूल होने से इससे प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।

  • व्यक्ति को आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बन एवं आत्मनिर्भर बनाना

इस शिक्षा प्रणाली में स्वावलम्वन एवं आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त को अपनाया जाता है।

  • सर्वागीण विकास

यह शिक्षा बालक के सर्वागीण विकास पर बल देता है।

  • जीवन से संबंधित

यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार,श्रम तथा कार्य से संबंधित है।

  • देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य है।

तकनीकी शिक्षा का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है। दैनिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इस शिक्षा के महत्व का आभास होता है और होना भी चाहिए। आधुनिक युग में तो किसी विशेषधर्मी शिक्षा के अभाव में जीवन निर्वाह ही कठिन है। यातायात वाहनों के प्रयोग, विभिन्न वेश-भूषा की संरचना, रोगों के उपचार, रहन-सहन, सांस्कृतिक परिवेश का संरक्षण, मानसिक विकास, संगीत नृत्य नाट्य, चित्राकंन जैसे कार्य के लिए यह शिक्षा अनिर्वाय है। जीविकोपार्जन सम्बन्धी कार्य करने के लिए यह शिक्षा प्रशिक्षण देता है। कहा जाता है कि मनुष्य रोटी के बिना नहीं रह सकता। रोटी कपड़ा और मकान अनिर्वाय है। इसके लिए मनुष्य को कार्य करना ही पड़ता है। किन्तु बिना समुचित प्रशिक्षण के यह कार्य कठिन है।

तकनीकी शिक्षा के द्वारा व्यक्ति विभिन्न प्रशिक्षण माध्यम से अपना आवश्यकता को पूर्ण कर सकती है। सांस्कृतिक अभिरुचि की पूर्ति के लिए यह शिक्षा आवश्यक है। संस्कृति ही उसे आत्मिक सौंदर्य एवं उल्लास प्रदान करती है। संगीत साहित्य कला के माध्यम से व्यक्ति सुसंस्कृत एवं सभ्य बनता है। उनका रचनात्मक प्रभाव मानवीय आचार-विचार पर पड़ता है। इस शिक्षा का महत्व इसलिए भी है कि यह व्यक्ति की उन्नति का साधन मात्र न होकर समाज एवं राष्ट्र की उन्नती, राष्ट्रीय एकता, अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व जैसे कार्यों में भी योगदान देती है। समाज, जाति तथा राष्ट्र तभी विकास करती है जब उसमें ड़ाक्टर, इंजीनियर, तकनीशियन, कारीगर आदि हों क्योंकि इन लोगों का विशेष ज्ञान , दक्षता एवं अभिज्ञता ही समाज एवं जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति के कारण बन जाते हैं। कला-कौशल, वाणिज्य-व्यवसाय तथा तकनीकी इंजीनियरिंग दृष्टि से विकसित राष्ट्र सहज ही आधुनिक विश्व मंच पर महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। इसीलिए तकनीकी शिक्षा का अधिक महत्व माना जाता है।

तकनीकी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव से परिपूर्ण प्रशिक्षित प्रतिभा का सृजन करने का एक स्वच्छंद, स्थिर एवं अपरंपरागत माध्यम है। यह प्रसन्नता का संकेत है कि सरकार इस समस्या को लेकर गंभीर हैं। स्वतंत्रता से लेकर अब तक हजारों तकनीकी शिक्षण संस्थान खोले जा चुके हैं। किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति कुशल लोगों के हाथों पर निर्भर करती है। राष्ट्र की समृद्धि के उत्थान के लिए हर देश को तकनीकी शिक्षा पर उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। देश में बढ़ती बेरोजगारी, युवाओं में जन्मती दुष्प्रवृत्तियाँ तथा उनका असामाजिक कृत्यों की ओर झुकाव देश को अराजकता की ओर भधकेल रहा है। इसलिए अनिवार्य है कि हमारी शिक्षा का तकनीकी के साथ सामंजस्य हो, संतुलन हो।

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तकनीकी शिक्षा का महत्व निबंध। Essay on Technical Education in Hindi

तकनीकी शिक्षा का महत्व निबंध। Essay on Technical Education in Hindi : जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह सामान्य पारंपरिक शिक्षा से अलग है। यह छात्रों को कृषि, कम्प्यूटर, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, ड्राइविंग आदि क्षेत्रों में कुशल बनाती देती है। जो लोग विशेष तकनीकी कौशल और ज्ञान रखते हैं, उन्हें तकनीशियन कहा जाता है। बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए तकनीकी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। कुशल लोग बेरोजगार नहीं हो सकते। यदि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं, तो वे अन्य शिक्षित लोगों को नौकरी के अवसर प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा हमें बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता को कम करने में मदद करती है।

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शिक्षा का महत्व पर निबंध in hindi

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Essay on technical education in hindi तकनीकी शिक्षा का महत्व पर निबंध.

Learn an Essay on Technical Education in Hindi language. तकनीकी शिक्षा का महत्व पर निबंध। Technical education essay in Hindi was asked many school exams. Now write an essay on technical education in Hindi 1000 words for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.

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Essay on Technical Education in Hindi

हमारा देश आज एक स्वतन्त्र और विकासशील देश है। इसे स्वतन्त्र हुए 59 वर्षों का समय बीत चुका है। परन्तु हमारी शिक्षा-व्यवस्था में अभी तक भी पूर्ण परिवर्तन नहीं आया है। प्रतिवर्ष हजारों स्नातक और मास्टर डिग्री-धारक लड़के और लड़कियां विश्वविद्यालयों से निकल रहे हैं जो हमेशा सरकारी नौकरी की तलाश में मारे-मारे फिरते रहते हैं। ये सभी क्लर्क, ऑफिस कर्मचारी या नौकरशाह बनना चाहते हैं परन्तु आज हमें ऐसे लोगों की आवश्यकता नहीं है। हमें डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक, नर्से, कम्प्यूटर प्रोफेशनल, अंतरिक्ष वैज्ञानिक, कुशल कारीगर, सैनिक, शिल्पी, कलाकार आदि की आवश्यकता है। स्पष्टत: इन डिग्री या डिप्लोमा धारकों में से अधिकतर व्यक्ति इस दृष्टि से किसी काम के नहीं हैं।

हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाये, स्वरोजगार के लिये स्वावलम्बी बनाये। हमें ऐसे शिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता है जो अपने कल-कारखाने खोल सकें। हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों और अवसरों की कमी नहीं है परन्तु ऐसे व्यक्तियों की कमी है जो इन संसाधनों का दोहन कर सकें। नये-नये आविष्कार और अन्वेषण कर सकें तथा समाज और राष्ट्र को कुछ नया, मौलिक और सार्थक दे सकें । शिक्षा का ध्यान व्यक्ति को पुरुषार्थी, स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनाना होना चाहिये न कि परजीवी, पराश्रित और पंगु बनाना।

भारत लम्बे समय तक अंग्रेजों की दासता में रहा। अंग्रेज निरन्तर देश के शोषण में लगे रहे और कभी इसकी शिक्षा, उन्नति, विकास और औद्योगिक प्रगति के बारे में नहीं सोचा। अपनी सत्ता के चलाने में बनाये रखने के लिए उन्हें केवल क्लर्क और नौकरशाह चाहिए थे। अत: उन्होंने ऐसी शिक्षा प्रणाली व नीतियां अपनाई जो केवल ऐसे ही लोग पैदा कर सकती थीं। नौकरशाहों में न आत्मविश्वास होता है न स्वतन्त्र बुद्धि। वे तो केवल अपने अधिकारियों की हाँ में हाँ मिलाना और लकीर पीटना ही जानते हैं। उनमें मौलिक समझ, सोच और बुद्धि का अत्यन्त अभाव रहता है। उनके हर श्वास में गुलामी भरी रहती है। दुर्भाग्यवश आज भी हमारे विश्वविद्यालयों से निकलकर ऐसे ही स्नातक आ रहे हैं। सदियों पहले अंग्रेजों ने अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये जो शिक्षा व्यवस्था शुरू की थी, वह आज भी बहुत हद तक वैसी ही है। इसमें तुरंत बुनियादी परिवर्तन की आवश्यकता है।

हमारी दोषपूर्ण शिक्षा नीति के कारण बेरोजगारों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। दूसरी तरफ ऐसे अनेक पद और स्थान हैं जो खाली पड़े हैं क्योंकि उनके लिए योग्य और प्रशिक्षित व्यक्ति नहीं है। यह बड़ी विषम स्थिति है। इसमें शीघ्र परिवर्तन लाया जाना चाहिये। उच्च शिक्षा बहुत योग्य तथा प्रतिभावान व्यक्तियों और छात्रों तक सीमित रहनी चाहिये। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि दसवीं या बारहवीं कक्षा तक छात्र अपने पैरों पर खड़ा होना सीख जायें। वह इस योग्य हो जाएं कि स्वरोजगार अपना सकें या तकनीकी दृष्टि से पूरी तरह प्रशिक्षित हों।

तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा आज की सबसे बड़ी जरूरत है। इसके लिए अधिकाधिक तकनीकी स्कूल, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आई. टी. आई.), पॉलिटेकनीक, इंजीनीयरिंग महाविद्यालय आदि खोले जाने चाहिये। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर छात्र-छात्राओं को व्यावसायिक शिक्षा दी जानी चाहिये। देश की तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप हमें अपनी शिक्षा-व्यवस्था में सुधार करना चाहिए।

आज का युग उद्योगों, व्यापार और तकनीक का है। इनमें उन्नति और विकास के लिए हमें ऐसे प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता है जो सरलता से इनमें सहयोग दे सकें। तकनीकी विकास ही हमें एक प्रगतिशील राष्ट्र बना सकता है। संसार के सभी विकसित राष्ट्र इसीलिए ऐसे हैं क्योंकि तकनीकी क्षेत्र में उन्होंने अथाह प्रगति की है। वहां पर तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण पर बहुत ध्यान दिया जाता है।

केवल किताबी शिक्षा और पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करने से कोई लाभ नहीं। ऐसी शिक्षा किताबी कीड़े और नौकरशाहों से अधिक कुछ नहीं दे सकती। हमें आज ऐसे वैज्ञानिक चाहिये जो दूसरी और तीसरी हरित तथा श्वेत क्रांतियां लाने में सहायता कर सकें, हमारा तिरंगा चाँद पर फहराने में सक्षम हों, हमारे कल-कारखाने को बेहतर ढंग से चला सकें। आज का युग हर क्षेत्र में विशेषज्ञता का है।

हमें चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसे डॉक्टर और शल्य विशेषज्ञ चाहिये जो एड्स, कैंसर पर विजय पा सकें। मलेरिया और तपेदिक का नाश कर सकें या फिर कृत्रिम मानवीय अंग पैदा कर सकें और उनका सफलतापूर्वक रोपण कर सकें। ऐसे कर्मचारी और तकनीशियन हमें केवल तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से ही मिल सकते हैं।

देश के औद्योगिक विकास, प्रोद्योगिक उन्नति के लिए जिन हाथों और बुद्धि की हमें आवश्यकता है, वे तकनीकी संस्थाओं, संस्थानों और प्रशिक्षण केन्द्रों में ही उत्पन्न किये जा सकते हैं। विदेशों में भी ऐसे भारतीयों की बहुत मांग है जो वहां तकनीकी विकास और प्रोद्योगिकी में विशेष योगदान दे सकें।

आज हमारा देश कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में विश्व के सबसे अग्रणी देशों में से एक है। इस क्षेत्र में हमारी सेवाओं से हम पर्याप्त विदेशी मुद्रा कमा रहे हैं परन्तु इस स्थान और पद को बनाये रखने के लिए हमें निरन्तर सजग और सक्रिय बने रहना है। अपने ज्ञान और तकनीक को लगातार विकसित करते रहना है। आज कड़ी प्रतियोगिता और तेजी से बदलती व विकसित होती तकनीक व प्रोद्योगिकी का युग है।

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Technical Education Essay in Hindi

किसी व्यावसाय के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल एवं अभिवृतियों की शिक्षा देना तकनीकी शिक्षा है। तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रुप है जिनका व्यक्ति और समाज के साथ अभिन्न समन्वय है। जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह सामान्य पारंपरिक शिक्षा से अलग है। यह छात्रों को कृषि, कम्प्यूटर, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, ड्राइविंग आदि क्षेत्रों में कुशल बनाती देती है। जो लोग विशेष तकनीकी कौशल और ज्ञान रखते हैं, उन्हें तकनीशियन कहा जाता है जैसे बढ़ई, ड्राइवर, यांत्रिकी, इंजीनियर, डॉक्टर, पायलट आदि तकनीशियन हैं। तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है।

तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रुप है जिनका व्यक्ति और समाज के साथ अभिन्न समन्वय है। जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह शिक्षा विशेष प्रकार के वृत्तिमुखी एवं तकनीकी कार्य करने के लिए परिकल्पित मानव संपदा की सृष्टि में भाग लेती है, इसलिए इस शिक्षा को वृत्तिमुखी तथा तकनीकी शिक्षा कहा जाता है। अर्थात जो शिक्षा शिक्षार्थी को किसी विशेष वृत्ति के समन्वय में ज्ञान एवं कुशलता अर्जित करने में सहायक होती है और पूर्व एवं नव अर्जित दक्षता का प्रयोग कर उस वृत्ति को सुंदर ढंग से संपन्न करने में सक्षम होता है, उसे ही वृत्तिमूलक एवं तकनीकी शिक्षा कहते है।

आज हमारा भारत विकास की ओर बढ़ रहा है कई सुख सुविधाएं हमारे देश को मिल चुकी हैं। अब हमारे देश की तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि जिस देश में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है वह देश विकास की ओर बढ़ता हैं। हमारे पास ऐसे युवा व्यक्ति नहीं हैं जो इन साधनों का उचित प्रकार से उपयोग कर सके। सिर्फ तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा ही हमें विशेषज्ञ इंजीनियर और तकनीशियन देती है। हमारे देश में बड़ी मात्रा में इनकी आवश्यकता है। तकनीकी शिक्षा के माध्यम से देश के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको हुनर सीखा कर आगे बढ़ाया जाता है । जब देश के युवा आगे बढ़ेंगे तब हमारे देश का विकास होगा । हमें सभी व्यवसायों में योग्य और प्रशिक्षित कार्य करने वालों की आवश्यकता है। यह तब ही सम्भव हो सकता है जब हम उन्हें व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण दें। सरकार भी इस विषय को गंभीरता से ले रही है क्योंकि सरकार भी जानती है कि हमारे देश में तकनीकी शिक्षा का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है । तकनीकी शिक्षा को बढ़ाने के लिए हमारे देश में कई इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोले गए हैं जहां से युवा प्रशिक्षण लेकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है ।

तकनीकी शिक्षा की कई समस्याएं हमें देखने को मिलती है जैसे-

  • अनुचित दृष्टिकोण की समस्या

हमारे देश में इस शिक्षा के प्रति लोगों का दृष्टिकोण उचित नहीं है। यहाँ मानसिक श्रम की अपेक्षा शारीरिक श्रम को हेय दृष्टि से देखा जाता है।

  • शिक्षा में अनुपयुक्त माध्यम की समस्या

तकनीकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है। इससे छात्रों को विषय समझने में कठिनाई होती है।

  • संकीर्ण पाठ्यक्रम की समस्या

इस तरह के विद्यालय का पाठ्यक्रम संकीर्ण होता है। ऐसी शिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्तियों के दृष्टिकोण प्राय: भौतिकवादी हो जाता है और वे समाज की विभिन्न रुचियों, प्रवृतियों तथा आवश्यकताओं को नहीं समझ पाते हैं।

  • विद्यालयों का अभाव

स्वतंत्र भारत में अनेक तकनीकी शिक्षा संस्थान स्थापित किये जा चुके हैं। फिर भी व्यापक माँग की अपेक्षा उनकी संख्या कम है। शिक्षा प्राप्त नवयुवक तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने में विशेष रुप से इच्छुक होते हैं, किन्तु विद्यालयों की कमी के कारण उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता है।

  • प्रशिक्षित अध्यापकों का अभाव

तकनीकी शिक्षा संस्थाओं के लिए सुयोग्य प्रशिक्षित अध्यापक नहीं मिल पा रहे हैं जिससे इस शिक्षा के विस्तार-कार्य को काफी धक्का पहुँच रहा है। तकनीकी शिक्षा में जिन विद्यार्थीयों को अच्छे अंक प्राप्त होते हैं, वे आर्थिक कारणों से अन्य संस्थाओं में चले जाते हैं। जिसके कारण औसत मान के विद्यार्थी ही शिक्षकीय पेशा को अपनाते हैं।

  • प्रायोगिक शिक्षा की उपेक्षा

तकनीकी शिक्षा में प्रयोगों का विशेष महत्व है, किन्तु विद्यालयों में सैद्धांतिक शिक्षा पर ही विशेष बल दिया जाता है। तकनीकी विषयों को श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) पर ही समझा दिया जाता है। प्रायोगिक शिक्षा के अभाव में विद्यार्थी विषय को अच्छी तरह नहीं समझ पाते और शिक्षा समाप्ति के पश्चात उन्हें व्यावहारिक क्षेत्र में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य की सुविधाओं का अभाव है।

तकनीकी शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए प्रमुख सुझाव कुछ इस प्रकार है-

  • दृष्टिकोण में परिवर्तन (Change in attitude)

शारीरिक श्रम के प्रति जनता का दृष्टिकोण बदलना आवश्यक है। इसके लिए सरकार एवं समाज संस्थाओं का कर्तव्य है कि वे जनता को शारीरिक श्रम के महत्व से अवगत कराएं।

  • पर्याप्त संख्या में विद्यालयों की स्थापना (Increase in the number of Vocational schools)

सरकार को विभिन्न स्तर की तकनीकी शिक्षा संस्थाओं का स्थापना करनी चाहिए। जिससे की तकनीकी शिक्षा की महत्वता को लोग जान सके।

  • विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का प्रोत्साहन (Encouragement to the teachers for teaching in Vocational schools)

तकनीकी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस शिक्षा के अभाव की समस्या तभी हल की जा सकती है, जब सरकार इन विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन में सुधार लाकर उनके समस्याओं का समाधान करे। इन्हें सुधारने से शिक्षकों को प्रोत्साहन मिलेगा।

  • पाठ्यचर्या में सामान्य शिक्षा का स्थान (General Education in curriculum)

तकनीकी शिक्षा के पाठ्यचर्या में सामान्य शिक्षा को भी उचित स्थान देना चाहिए। पाठ्यचर्या का जीवन के साथ सामंजस्य होना आवश्यक है।

  • राष्ट्रीय भाषा एवं मातृभाषा शिक्षा का माध्यम (National language or Mother tongue is the medium of the instruction)

हिंदी को तकनीकी शिक्षा का माध्यम बनाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि हिन्दी भाषा में समस्त तकनीकी पुस्तकों का अनुवाद कराया जाए।

  • प्रायोगिक शिक्षा का तकनीकी विद्यालयों में महत्वपूर्ण स्थान (Importance place of Technical education in technical school)

तकनीकी विद्यालयों में प्रायोगिक शिक्षा पर विशेष बल देना चाहिए।

तकनीकी शिक्षा की विशेषता-

  • इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है। यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व का ध्यान रखती है। इस शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाता है।
  • जीवन से संवंधित-यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार, श्रम तथा कार्य से संबंधित है।
  • इस शिक्षा का आधार व्यक्तित्व का विकास करना है।
  • तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट शिक्षा है।
  • तकनीकी शिक्षा का रुप स्थिर नहीं रहता है। समय की गति एवं सभ्यता के विकास के साथ इसके रुप में परिवर्तन आता है।
  • यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान न प्रदान कर जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी होती है। यही तकनीकी शिक्षा की विशेषता है।

बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए तकनीकी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। कुशल लोग बेरोजगार नहीं हो सकते। यदि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं, तो वे अन्य शिक्षित लोगों को नौकरी के अवसर प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा हमें बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता को कम करने में मदद करती है। तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है। कारखानों, सड़कों, पुलों, नहरों, भवनों, हवाई अड्डों आदि को बनाने के लिए तकनीशियनों की आवश्यकता होती है। तकनीकी शिक्षा निर्विवाद रूप से राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देती है। यदि किसी देश में माल का अधिक उत्पादन होता है, तो वह अपने लोगों को आसानी से खिला सकता है। अन्य देशों को अतिरिक्त उत्पादन बेचकर विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। इसी प्रकार और भी कई तकनीकी शिक्षा के लाभ होते है।

तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य-

  • इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक होना चाहिए

यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए।

  • स्थायी ज्ञान की प्राप्ति

इस शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक कार्य को वैज्ञानिक ढ़ंग से सिखाया जाता है। विभिन्न क्रियाओं में सक्रिय भाग लेने तथा क्रियाओं के रुचि के अनुकूल होने से इससे प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।

  • व्यक्ति को आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बन एवं आत्मनिर्भर बनाना

इस शिक्षा प्रणाली में स्वावलम्वन एवं आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त को अपनाया जाता है।

  • सर्वागीण विकास

यह शिक्षा बालक के सर्वागीण विकास पर बल देता है।

  • जीवन से संबंधित

यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार,श्रम तथा कार्य से संबंधित है।

  • देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य है।

तकनीकी शिक्षा का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है। दैनिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इस शिक्षा के महत्व का आभास होता है और होना भी चाहिए। आधुनिक युग में तो किसी विशेषधर्मी शिक्षा के अभाव में जीवन निर्वाह ही कठिन है। यातायात वाहनों के प्रयोग, विभिन्न वेश-भूषा की संरचना, रोगों के उपचार, रहन-सहन, सांस्कृतिक परिवेश का संरक्षण, मानसिक विकास, संगीत नृत्य नाट्य, चित्राकंन जैसे कार्य के लिए यह शिक्षा अनिर्वाय है। जीविकोपार्जन सम्बन्धी कार्य करने के लिए यह शिक्षा प्रशिक्षण देता है। कहा जाता है कि मनुष्य रोटी के बिना नहीं रह सकता। रोटी कपड़ा और मकान अनिर्वाय है। इसके लिए मनुष्य को कार्य करना ही पड़ता है। किन्तु बिना समुचित प्रशिक्षण के यह कार्य कठिन है।

तकनीकी शिक्षा के द्वारा व्यक्ति विभिन्न प्रशिक्षण माध्यम से अपना आवश्यकता को पूर्ण कर सकती है। सांस्कृतिक अभिरुचि की पूर्ति के लिए यह शिक्षा आवश्यक है। संस्कृति ही उसे आत्मिक सौंदर्य एवं उल्लास प्रदान करती है। संगीत साहित्य कला के माध्यम से व्यक्ति सुसंस्कृत एवं सभ्य बनता है। उनका रचनात्मक प्रभाव मानवीय आचार-विचार पर पड़ता है। इस शिक्षा का महत्व इसलिए भी है कि यह व्यक्ति की उन्नति का साधन मात्र न होकर समाज एवं राष्ट्र की उन्नती, राष्ट्रीय एकता, अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व जैसे कार्यों में भी योगदान देती है। समाज, जाति तथा राष्ट्र तभी विकास करती है जब उसमें ड़ाक्टर, इंजीनियर, तकनीशियन, कारीगर आदि हों क्योंकि इन लोगों का विशेष ज्ञान , दक्षता एवं अभिज्ञता ही समाज एवं जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति के कारण बन जाते हैं। कला-कौशल, वाणिज्य-व्यवसाय तथा तकनीकी इंजीनियरिंग दृष्टि से विकसित राष्ट्र सहज ही आधुनिक विश्व मंच पर महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। इसीलिए तकनीकी शिक्षा का अधिक महत्व माना जाता है।

तकनीकी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव से परिपूर्ण प्रशिक्षित प्रतिभा का सृजन करने का एक स्वच्छंद, स्थिर एवं अपरंपरागत माध्यम है। यह प्रसन्नता का संकेत है कि सरकार इस समस्या को लेकर गंभीर हैं। स्वतंत्रता से लेकर अब तक हजारों तकनीकी शिक्षण संस्थान खोले जा चुके हैं। किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति कुशल लोगों के हाथों पर निर्भर करती है। राष्ट्र की समृद्धि के उत्थान के लिए हर देश को तकनीकी शिक्षा पर उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। देश में बढ़ती बेरोजगारी, युवाओं में जन्मती दुष्प्रवृत्तियाँ तथा उनका असामाजिक कृत्यों की ओर झुकाव देश को अराजकता की ओर भधकेल रहा है। इसलिए अनिवार्य है कि हमारी शिक्षा का तकनीकी के साथ सामंजस्य हो, संतुलन हो।

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शैक्षिक तकनीकी का अर्थ, विशेषताएं, प्रकृति एवं क्षेत्र | Educational Technology in Hindi

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ (meaning of educational technology).

‘ एजुकेशनल टेक्नॉलॉजी ’ (Educational Technology) शब्द, दो शब्दों से मिलकर बना है- एक, ‘ एजुकेशन ’ और दूसरा, ‘ टेक्नॉलॉजी ’। एजुकेशन का अर्थ है शिक्षा देना, पढ़ाना या प्रशिक्षित करना। अतः जब शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए विभिन्न तकनीकी साधनों की मदद लेता है जिससे शिक्षण एवं अधिगम दोनों प्रभावित होते हैं तो उसे शिक्षण तकनीकी कहा जाता है।

शिक्षा से तात्पर्य बालक के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाना है। शिक्षा से बालक की मूलप्रवृत्तियाँ परिमार्जित होती हैं। मूलप्रवृत्तियों के परिमार्जन में मनोविज्ञान, तकनीकी तथा विज्ञान अपना प्रभावपूर्ण योगदान शिक्षा के क्षेत्र में प्रदान करता है। अतः शिक्षा स्वयं में एक आत्मनिर्भर (Independent) प्रत्यय नहीं है वरन् यह तकनीकी विज्ञान से सम्बन्धित है। वैज्ञानिक व्यवस्थाओं तथा प्रविधियों का प्रयोगात्मक रूप ही तकनीकी या तकनीकी विज्ञान है। आज विज्ञान के युग में वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी अविष्कारों ने मानव जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है जिनसे शिक्षा, शिक्षण तथा अधिगम भी बहुत प्रभावित हुए हैं। शैक्षिक तकनीक में मुख्यतः दो बिंदु निहित है।

  • शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति करना
  • शिक्षण की क्रियाओं का यंत्रीकरण करना।

शैक्षिक तकनीकी की अवधारणा (Concept Of Educational Technology)

आज के युग में मानव जीवन का प्रत्येक पक्ष वैज्ञानिक खोज तथा अविष्कारों से प्रभावित है। शिक्षा का क्षेत्र भी इसके प्रभाव से मुक्त नहीं रह सका है। रेडियो, टेप रिकॉर्डर, टेलीविजन, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर आदि का बढ़ता हुआ उपयोग शिक्षा को तकनीकी के निकट लाता जा रहा है। शिक्षा शास्त्र का कोई भी अंग चाहे वह विधियों-प्रविधियों का हो, चाहे उद्देश्यों का हो, चाहे शिक्षा प्रक्रिया का हो, चाहे शोध का हो बिना तकनीकी के अपंग सा महसूस होता है। तकनीकी विज्ञान इतना समृद्ध और शक्तिशाली होता जा रहा है कि बिना इसके अध्ययन किए छात्राध्यापकों का शिक्षण संबंधी ज्ञान या उनके परीक्षण तथा प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान और कौशल अधूरे रह जाते हैं। शैक्षिक तकनीकी ने शिक्षा के क्षेत्र में पुरानी अवधारणाओं में आधुनिक संदर्भ के साथ अभूतपूर्व क्रांतिकारी परिवर्तन कर उन्हें एक नवीन स्वरूप प्रदान किया है।

शिक्षा में तकनीकी का इस्तमाल तो होना ही चाहिए इसमें कोई शंक़ा नहीं है लेकिन इसके साथ में आपको टाइम टेबल की भी काफ़ी ज़्यादा ज़रूरत पड़ सकती है। बहुत से छात्रों को ये ही नहीं पता की टाइम टेबल कैसे बनाएं ? टाइम टेबल के होने से आपका कार्य बहुत ही आसान हो जाता है और आपकी दक्षता भी बढ़ जाती है।

Recommended Book

Educational technology and ict, शैक्षिक तकनीकी की परिभाषाएँ (definition of educational technology).

1. डॉ. एस. एस. कुलकर्णी के अनुसार , “शैक्षिक तकनीकी उन सभी प्रणालियों, विधियों एवं माध्यमों का विज्ञान है जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।”

2. जे. पी. डिसिको के अनुसार , “शैक्षिक तकनीकी व्यावहारिक शिक्षण की समस्याओं में अधिगम मनोविज्ञान के विस्तृत प्रयोग का एक रूप है।” 

3. बी. एफ. स्किनर के अनुसार , “शिक्षण तकनीकी वह शास्त्र है जो शिक्षा की प्रभावशीलता में वृद्धि करता है तथा संपूर्ण शिक्षण प्रक्रिया के अपेक्षाकृत अधिक समुन्नत करता है।” 

4. आई. के. डेविस के अनुसार , “शैक्षिक तकनीकी का संबंध शैक्षिक और प्रशिक्षण के संदर्भ में समस्याओं से होता है और उसमें अधिगम के स्रोतों के संगठन में अनुशासित और प्रणाली उपागम के प्रयोग की क्षमता विशेष होती है।”

शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य (Objectives of Educational Technology)

शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं-

  • पाठ्यवस्तु का विश्लेषण करना जिससे उसके तत्वों अथवा घटकों को क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित किया जा सके.
  • विद्यार्थियों की उपलब्धियों को निर्धारित उद्देश्यों के संबंध में मूल्यांकन कर शिक्षण में सुधार लाना.
  • पुनर्बलन की प्रविधियों का चयन करना तथा उनका प्रयोग करना.
  • शिक्षण को सरल, स्पष्ट, रुचिकर, वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ट, बोधगम्य एवं प्रभाव उत्पादक बनाना.
  • ज्ञान का संचय, विकास एवं प्रसार करना.
  • शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अपेक्षित सुधार लाना.
  • शिक्षकों में शिक्षण कौशलों का विकास कर उनकी योग्यता एवं क्षमताओं में वृद्धि करना.
  • शिक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण करना जिससे शिक्षण तथा जांच में सुगमता हो सके.
  • छात्रों के गुणों, क्षमताओं, उपलब्धियों एवं कौशलों का विश्लेषण करना.
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  • इण्टरनेट क्या है?
  • Over Head Projector (OHP) in hindi

शैक्षिक तकनीकी की विशेषताएं (Characteristics of Educational Technology)

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर शैक्षिक तकनीकों की निम्न विशेषताएं हैं-

  • शैक्षिक तकनीकों का उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का विकास करना है।
  • शैक्षिक तकनीकी शिक्षा से विज्ञान एवं तकनीकी का अनुप्रयोग है।
  • शैक्षिक तकनीकी समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, भाषा, भौतिक विज्ञान इत्यादि का उपयोग करती है।
  • शैक्षिक तकनीकी को शैक्षिक साधनों (रेडियो, टेपरिकार्डर, दूरदर्शन) के साथ मिलाया नहीं जा सकता। यह तो एक अभिगमन है।
  • शैक्षिक तकनीकी में विज्ञान के व्यावहारिक पक्ष पर बल दिया जाता है।
  • यह निरन्तर प्रयोगात्मक एवं विकासशील विषय है।
  • यह वातावरण संसाधनों, विधियों के नियन्त्रण द्वारा अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाती है।
  • इसमे शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये अधिगम दशाओं का संगठन शामिल होता है।
  • शैक्षिक तकनीकी का सम्बन्ध शिक्षा की समस्याओं उनके विश्लेषण, निराकरण से होता है।
  • शैक्षिक तकनीकी शिक्षण को सरल, स्पष्ट, रुचिकर, बोधगम्य एवं प्रभावशाली बनाती हैं।
  • शैक्षिक तकनीकी शिक्षण की विभिन्न विधियों प्रविधियों युक्तियों का विकास पर शिक्षा को छात्र केन्द्रित बनाने में योगदान देती है।
  • शैक्षिक तकनीकी के द्वारा शिक्षा के तीनों प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव हो पाती है।

शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति (Nature of Educational Technology)

  • शैक्षिक तकनीकी शिक्षा को दूर-दराज के इलाकों में फैलाने में सहायता देती है।
  • यह शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अधिगम की परिस्थितियों में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन लाने में सहायक है।
  • शैक्षिक तकनीकी स्वयं से सीखने को बढ़ावा देती है।
  • शैक्षिक तकनीकी अधिगम की प्रक्रिया को अधिक सरल और सशक्त बनाती है।
  • शैक्षिक तकनीकी के विकास के फल स्वरुप शिक्षण में नवीन शिक्षण विधियों तथा नवीन शिक्षण तकनीकी का विकास हुआ है।
  • शैक्षिक तकनीकी शिक्षा पर विज्ञान तथा तकनीकी के प्रभाव को प्रदर्शित करती है।
  • शैक्षिक तकनीकी निरंतर विकसित होती रहती है इसमें शिक्षक छात्र तथा तकनीकी प्रक्रियाएँ है जो एक साथ मिलकर काम करते हैं।
  • शैक्षिक तकनीकी का उद्देश्य सीखने सिखाने की प्रक्रिया को विकसित करना है।
  • यह मनोविज्ञान, इंजीनियरिंग आदि विज्ञानों के नियम से सहायता लेती है।
  • इसमें क्रमबद्ध उपागम को प्रधानता दी जाती है।

शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र (Scope of Educational Technology)

शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र इसकी अवधारणा के अनुरूप है। यदि हम शैक्षिक तकनीकी को श्रव्य-दृश्य साधनों के रूप में लेते हैं तो इसका क्षेत्र, शिक्षा में केवल श्रव्य-दृश्य साधनों तक ही सीमित रहता है। यदि शैक्षिक तकनीकी का तात्पर्य हम अभिक्रमित अध्ययन लेते हैं तो इसके क्षेत्र में अभिक्रमित-अधिगम अध्ययन सामग्री ही आती है। यदि शैक्षिक तकनीकी का अर्थ हम व्यवस्था उपागम के रूप में लेते हैं तो इसका क्षेत्र काफी बढ़ जाता है। डैरक रौन्ट्रा ने इसके निम्नांकित क्षेत्र बताये हैं-

  • अधिगम के लक्ष्य तथा उद्देश्य चिन्हित करना।
  • अधिगम वातावरण का नियोजन करना।
  • विषय-वस्तु की खोज करना तथा उन्हें संरचित (Structuring) करना।
  • उपयुक्त शिक्षण व्यूह रचनाओं (Teaching Strategies) तथा अधिगम संचार (Learning Media) का चयन करना।
  • अधिगम व्यवस्था की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।
  • भविष्य में प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये मूल्यांकन के आधार पर वांछित सूझ-बूझ प्राप्त करना।

शैक्षिक तकनीकी को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Educational Technology)

किसी भी राष्ट्र में शैक्षिक तकनीकी का विकास अनेक कारकों पर निर्भर रहता है। इन कारकों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ

1. राजनैतिक कारक (Political Factors)— राजनैतिक कारकों से तात्पर्य है वे कारक जो राष्ट्र की राजनीतिक परिस्थितियों, राजनीतिक नीतियों तथा वैज्ञानिक अन्वेषणों एवं राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति से सम्बन्धित होते हैं। यदि शासन करने वाली पार्टी को लगता है कि किन्हीं तकनीकी विशेष के प्रयोग से उन्हें ज्यादा लाभ सम्भव है तो वह उनके विकास के लिये भरपूर प्रयास करेगी। टेलीविजन तथा दूरसंचार के क्षेत्र में छुपे अभिनव प्रयोगों में तथा उनके प्रचार-प्रसार में राजनीतिक कारकों का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हाथ रहा है।

2. मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors)— मनोवैज्ञानिक कारकों के अन्तर्गत शिक्षकों, छात्रों तथा शिक्षालयों की रुचि, स्तर, प्रवृत्तियों आदि का समावेशन होता है। शिक्षकों की अभिप्रेरणा, सीखने-सिखाने की इच्छा-शक्ति, ध्यान एवं रुचि आदि का प्रभाव मनोवैज्ञानिक कारकों के अन्तर्गत समावेशित होते हैं।

3. शैक्षिक कारक (Educational Factors)— शैक्षिक कारकों में शिक्षकों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण मुख्य कारक हैं। यदि शिक्षकों को शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्र में उचित स्तर का सुनियोजित प्रशिक्षण प्रदान किया जाये तो ये शिक्षक शैक्षिक तकनीकी के विकास में मील के पत्थर सिद्ध हो सकते हैं। ये शिक्षक शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न उपागमों का प्रयोग करने के लिये प्रयोगशाला का कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं।

4. आर्थिक कारक (Economic Factors)— शैक्षिक तकनीकी के विकास में आर्थिक कारक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। किसी भी प्रयोग, अन्वेषण तथा खोज की रीढ़ ‘धन’ होता है। बिना समुचित धन के किसी भी तकनीकी का विकास, प्रसार तथा प्रशिक्षण सम्भव नहीं। शैक्षिक तकनीकी में श्रव्य-दृश्य साधनों तथा अन्य उपकरणों के लिये तथा शैक्षिक तकनीकी की प्रयोगशाला निर्माण करने के लिये भी आर्थिक अनुदान चाहिये। बिना अर्थ के न तो उपकरण खरीदे जा सकते हैं और न ही प्रयोग हो सकते हैं और न ही किसी प्रकार के परिष्करण व अन्वेषण का कार्य सम्भव है।

5. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors)— समाज एवं संस्कृति शिक्षा का दर्पण है। जैसा समाज होगा, जैसी संस्कृति होगी वैसी ही वहाँ की शिक्षा होगी। यदि समाज में शैक्षिक तकनीकी के प्रति जागरूकता है, वांछित नेतृत्व का बोलबाला है तथा संस्कृति की नस-नस में तकनीकी का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है तो निःसंदेह शैक्षिक-तकनीकी के क्षेत्र में भी भविष्य उज्ज्वल रहेगा।

शैक्षिक तकनीकी की सीमाएँ (Limitation Of Educational Technology)

  • यह ज्ञानात्मक क्षेत्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रही है लेकिन भावात्मक एवं क्रियात्मक क्षेत्र में योगदान सीमित ही है।
  • इसके प्रारंभिक प्रयोग में अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरण एवं सामग्री खरीदनी पड़ती है।
  • इसके प्रयोग के लिए विशेष प्रकार के शिक्षण की आवश्यकता होती है।
  • इसके माध्यम से सभी प्रकार के समस्याओं का समाधान करना संभव नहीं होता है।
  • शैक्षिक तकनीकी कठोर शिल्प की मशीनों के निर्माण से संबंधित नहीं है।
  • शैक्षिक तकनीकी इंजीनियरिंग की तकनीकी शिक्षा नहीं है।

शैक्षिक तकनीकी की उपयोगिता (Utility of Educational Technology)

शैक्षिक तकनीकी की उपयोगिता आज दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्व का प्रत्येक देश इसे अपना रहा है। कोठारी कमीशन (1966) ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है, पिछले कुछ सालों में भारत के विद्यालयों में कक्षा-अध्ययन को फिर से जीवन-दान देने या उसे अनुप्रमाणित करने की प्रविधियों पर काफी ध्यान दिया गया है। बुनियादी शिक्षा का पहला उद्देश्य प्राइमरी स्कूलों के सारे जीवन और कार्य-कलापों में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना एवं बच्चे के मन, शरीर तथा आत्मा का सर्वोत्तम तथा सर्वांगीण विकास करना था। इस दृष्टि से भी शैक्षिक तकनीकी का अपना महत्त्व स्वयंसिद्ध है।

1. शिक्षक के लिए उपयोगिता:- शैक्षिक तकनीको पर शिक्षक का पूर्ण अधिकार होता है। यदि शिक्षक, शैक्षिक तकनीकी का ज्ञान प्राप्त कर उसे व्यवहार में लाता है तो वह अपने छात्रों के व्यवहार का अध्ययन भली-भाँति कर सकता है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को शिक्षण व्यूह रचनाओं के ज्ञान के साथ-साथ व्यवहार अध्ययन और व्यवहार सुधार की प्रणालियों से भी अवगत कराती है तथा वैज्ञानिकता का ज्ञान प्रदान करती हैं। शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को यह बताने में सहायता प्रदान करती है कि किस समय किस प्रकरण को स्पष्ट करने के लिए कौन सी दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग किया जाये, रेडियो, टेलीविजन का उपयोग कर किस प्रकार से रेडियोविजन तथा कैसेट विजन का प्रयोग किया जाये तथा छात्रो की अध्ययन गति से अनुसार, उनके लिए कैसे अभिक्रमित अध्ययन सामग्री तैयार की जाये। माइक्रो टीचिंग, मिनी टीचिंग, समिलेटेड टीचिंग आदि नवीन विधियों का प्रयोग करने के लिए शैक्षिक तकनीकी शिक्षक का उचित मार्ग प्रदर्शन करती है।

2. प्रणाली उपागम का उपयोग:- शैक्षिक प्रशासन तथा प्रबन्ध से सम्बन्धित अनेक समस्याये शिक्षक के सामने आती हैं जिनका अध्ययन करने के लिए शिक्षक प्रणाली उपागम का प्रयोग कर सकता है। शिक्षक का कार्य किसी भी प्रकार का हो जैसे पाठ योजना बनाने का शिक्षण बेन्दुओं के चयन का या अन्य कोई कार्य हो वह शैक्षिक तकनीकी के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकता है। उसे निरन्तर शैक्षिक तकनीकी की सहायता लेनी पड़ेगी। आधुनिक तकनीकी युग में शिक्षकों में शैक्षिक तकनीकी की इस कारण भी आवश्यकता पड़ती है ताकि वह छात्रों के जीवन में शिक्षा के उद्देश्य तथा मनोविज्ञान की खामियो का अध्ययन करा सकें। छात्रों के व्यक्तित्व की भिन्नताओं को ध्यान में रखकर शिक्षक अभिक्रमित अनुदेशन का उपयोग करता है। अतः आधुनिक तकनीकी युग में शिक्षकों को शैक्षिक तकनीकी की अत्यन्त आवश्यकता है।

3. अधिगम के क्षेत्र में उपयोगिता:- शैक्षिक तकनीकी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली और सार्थक बनाने में योगदान देती है। जिससे शिक्षा को एक अर्थपूर्ण दिशा की ओर ले जाया जा सकता है। अधिगम के क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकों की उपयोगिता विशेष रूप से सिद्ध हो रही है। शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षण तथा प्रशिक्षण की प्रभावपूर्ण विधियों तथा सिद्धान्तों की जानकारी प्राप्त होती है। इस क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकी छात्रों को उनकी शिक्षण क्षमता के अनुसार ही ज्ञान कराती है। यह शिक्षण तथा प्रशिक्षण इन दोनों ही प्रक्रिया का वैज्ञानिक विवेचन करती है। सीखने के नये प्रतिमान, शैक्षिक तकनीकी की ही देन हैं। अत: हम कह सकते हैं कि शैक्षिक तकनीकी शिक्षण तथा प्रशिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाने में सहायक है।

4. समाज के लिए उपयोगिता:- आधुनिक समय में जनसाधारण के पास रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेप रिकॉर्डर, टेलीविजन आदि की सुविधायें है। शैक्षिक तकनीकी के द्वारा इनका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहा है। अतः कहा जा सकता है कि शैक्षिक तकनीकी आज के तकनीकी युग में शिक्षक की उपादेयता बढ़ाती है तथा जनसाधारण के ज्ञानात्मक, प्रभावात्मक तथा मनोगत्यात्मक पक्षों का विकास करती है। शैक्षिक तकनीकी समाज के लिए ज्ञान के संचयन प्रचार प्रसार तथा विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी है। शैक्षिक तकनीकी के द्वारा किसी शिक्षक नेता या समाज सुधारक को ज्ञान तथा कौशल को टेलीविजन, रेडियो तथा अभिभाषण आदि के द्वारा समाज के प्रत्येक भाग में सरलता से पहुंचाया जा सकता है। अत: इसको उपयोगिता समाज के लिए महत्त्वपूर्ण है।

शैक्षिक तकनीकी का प्रयोग शिक्षक को अनेक त्रुटियों से बचाता है। इस सन्दर्भ में गैरीसन का कथन निम्नलिखित है " यदि हम तकनीशियन हैं तो पहले से हो हमको जानकारी हो जाती है कि अमुक विधियाँ गलत होंगी। अतएव हमें त्रुटियों से बचाती हैं और मानवीय प्रेरकों का स्पष्टीकरण करती हैं। इस प्रकार व्यक्ति तथा समूह की समझ को प्राप्त करना सम्भव हो जाता है। "

शैक्षिक तकनीकी आज के तकनीकी युग में शिक्षक की उपादेयता बढ़ाती है, छात्रों व छात्राध्यापकों को प्रभावशाली विधि से सिखाती है और समाज के लिए ज्ञान के संचयन, प्रचार, प्रसार तथा विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी है। शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से एक प्रभावशाली शिक्षक, नेता या समाज-सुधारक के ज्ञान तथा कौशल का उपयोग, टेलीविजन, टेप तथा रेडियो, अभिभाषण आदि के द्वारा समाज के प्रत्येक वर्ग तथा प्रत्येक भाग तक सरलता से पहुँचाया जा सकता है।

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टेक्नोलॉजी पर निबंध – Essay on Technology in Hindi

Essay on Technology in Hindi

टेक्नोलॉजी ने हमारा जीवन इतना आसान बना दिया है और हमें इतनी सुख-सुविधाएं प्रदान की है, जिसके बारे में हम इससे पहले कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। वहीं टेक्नोलॉजी से न सिर्फ मनुष्य का जीवन स्तर सुधरा है, बल्कि देश-दुनिया के विकास के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं, हालांकि, बढ़ती टेक्नोलॉजी का बुरा प्रभाव वातावरण और मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है।

इसलिए टेक्नोलॉजी का सही तरीके से इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने के लिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में टेक्नोलॉजी के विषय पर निबंध ( Essay on Technology) उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Essay on Technology

आज टेक्नोल़ॉजी ने लोगों के जीवन स्तर पर काफी हद तक सुधार दिया है और देश-दुनिया के विकास को एक नया आयाम प्रदान किया है। इसके अनगिनत फायदों को देखकर अब लोग इसके आदि हो चुके हैं।

वहीं टेक्नोलॉजी से लोगों को अपनी मानसिक क्षमता का आकलन करने में भी मद्द मिली है। वहीं व्यक्ति अथवा देश का विकास सीधे तौर पर टेक्नोलॉजी से ही जुड़ा है।

प्रौद्योगिकी / टेक्नोलॉजी का अर्थ – Technology Meaning

टेक्नोलॉजी से तात्पर्य उन सभी मेथड, सिस्टम अथवा डिवाइसेस से है, जिसका इस्तेमाल विज्ञान की दुनिया में किसी खोज के प्रयोग के लिए किया जाता है। हालांकि, विज्ञान की दुनिया में इसका उपयोग करने के लिए उचित कौशल, ज्ञान और सामर्थ्य की जरूरत होती है।

प्रौद्योगिकी / टेक्नोलॉजी का महत्व – Importance of Technology

आज टेक्नोलॉजी का हर किसी के जीवन में खास महत्व है क्योंकि यह न सिर्फ व्यक्ति के विकास में मद्द करती है, बल्कि देश-दुनिया के विकास में भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाती है।

वहीं अगर किसी भी देश की विकास की दर धीमी है तो इसका मतलब साफ है कि उस देश की टेक्नोलॉजी काफी पिछड़ी हुई है। टेक्नोल़ॉजी की मद्द से पिछड़ी हुई औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं की सामाजिक व्यवस्था को भी सुधार लाने में मद्द मिलती है।

आज जिंदगी से संबंधित हर काम टेक्नोलॉजी से जुड़ गया है, जिससे जीवन स्तर में न सिर्फ सुधार हुआ है, बल्कि विकास को एक नई दिशा मिली है।

टेक्नोलॉजी की आर्थिक विकास में भूमिका:

टेक्नोलॉजी और आर्थिक विकास एक-दूसरे के पूरक हैं। आर्थिक विकास की दर को सिर्फ और सिर्फ टेक्नोलॉजी के द्धारा ही बढ़ाया जा सकता है।

टेक्नोलॉजी की मद्द से ही नए-नए उपकरण बनाना और नई खोजें करना संभव हो सका है। इसलिए तकनीकी उन्नति ही आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार है।

जाहिर है कि विकसित देश इसलिए संपन्न हैं, क्योंकि वहां की उन्नत टेक्नोलॉजी ने उन्हें विकास के नए आयाम प्रदान किए हैं और आर्थिक दर को बढ़ाने में मद्द की है।

विज्ञान और टेक्नोलॉजी – Science And Technology

विज्ञान और टेक्नोलॉजी एक-दूसरे के पूरक है, अथवा उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल कर ही आज विज्ञान नई-नई खोजें कर रहा है और विकास की दर को बढ़ाने में मद्द कर रहा है। वहीं आज का युग विज्ञान और तकनीकी का युग है, जिसमें मानव जीवन पूरी तरह विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो चुका है।

आज टेक्नोलॉजी और विज्ञान की मद्द से ही इंसान समुद्र की गहराइयों से लेकर आसमान की ऊंचाई तक को माप सकता है। यही नहीं विज्ञान और तकनीकी ने इंसान की पहुंच अंतरिक्ष तक बना दी है।

निष्कर्ष –

टेक्नोलॉजी ने आज मानव जीवन को जितना आसान बना दिया और देश -दुनिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना पूर्ण रुप से सहयोग दिया है तो वहीं दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी के इस बढ़ते इस्तेमाल ने मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है, इसलिए हम सभी को जरूरत के वक्त ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

टेक्नोलॉजी पर निबंध – Technology Par Nibandh

प्रस्तावना-

आज का युग विज्ञान और तकनीकी का युग है। आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां टेक्नोलॉजी और आधुनिक उपकरणों का इ्स्तेमाल नहीं किया जा रहा है क्योंकि टेक्नोलॉजी ने न सिर्फ मानव जीवन को विकास की नई गति प्रदान की है, बल्कि उसे सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया।

टेक्नोलॉजी के फायदे – Benefits of Technology

टेक्नोलॉजी के फायदे ही फायदे हैं, यही वजह है कि आज का इंसान इसका आदि हो चुका है। आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

टेक्नोलॉजी ने स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, व्यापार, पर्यटन, यातायात, कृषि आदि क्षेत्रों के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी अदा की है।

इसकी वजह से कई ऐसे उपकरण और साधनों का इजाद किया गया है, जिससे मानव जीवन बेहद आसान हो गया है तो वहीं आज मनुष्य घर पर बैठे-बैठे ही देश-दुनिया के किसी भी कोने का हाल कुछ ही सैकेंड्स में जान सकता है। टेक्नोलॉजी के कुछ फायदे इस प्रकार हैं –

औद्योगिक उत्पादन में बढ़़ोतरी:

टेक्नोलॉजी से कई ऐसी मशीनें, सॉफ्टवेयर अथवा उपकरण बनाए गए हैं, जिससे माल बनाने की प्रक्रिया में तेजी आई है और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है।

खाद्य उत्पादन में बढ़ोतरी:

टेक्नोलॉजी की मद्द से कृषि के क्षेत्र में कई ऐसे उपकरण बनाए गए हैं, जिससे सिंचाई व्यवस्था और खेती में सुधार हुआ, जिससे खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई है।

कृषि की स्थिति में सुधार:

टेक्नोलॉजी ने कृषि के क्षेत्र को विकास की एक नई गति दी है, आज खेती में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर अच्छी पैदावर की जा रही है। वहीं कई ट्रैक्टर समेत कई ऐसे उपकरण बनाए गए हैं, जिसने खेती करना आसान हो गया है।

व्यापार में विकास:

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से व्यापार में अभूतपूर्व विकास हुआ है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कई ऐसी मशीने बनाईं गईं हैं, जिससे शारीरिक क्षम बेहद कम हो गया है, और उत्पादन में वृद्धि हुई है।

टेक्नोलॉजी की माध्यम से माल-खरीदना बेचना अथवा ग्राहकों तक पहुंचाना आसान हो गया, साथ ही कैलकुलेटर, कम्यूटर आदि की सहायता से गणना करना अथवा लेन-देन का रिकॉर्ड रखना भी आसान हो गया है।

शिक्षा का स्तर सुधरा:

आधुनिक एवं मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बच्चों को स्मार्ट क्लासेस में पढ़ाया जाने लगा है, यही नहीं बच्चे अब कंप्यूटर और इंटरनेट की मद्द से किसी भी विषय की जानकारी हासिल कर सकते है, इसके साथ ही घर बैठे-बैठे ही ई-लेक्चर, अथवा ई-रीडिंग कर सकते हैं।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव:

आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से चिकित्सा के क्षेत्र में कई गंभीर बीमारियों की इलाज ढूंढ लिया गया है, वहीं कई ऐसे चिकित्सक यंत्र बनाए गए हैं, जिसकी सहायता से मनुष्य के शरीर से संबंधित हर चीज का पता आसानी से लगाया जा सकता है।

अर्थात, टेक्नोलॉजी ने चिकित्सा को विकास की नई दिशा प्रदान की है।

यातायात में आसानी:

टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही आज घंटों की दूरी मिनटों में तय की जाने लगी है। अब दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचना बेहद आसान हो गया है।

टेक्नोलॉजी की माध्यम से ही आज मनुष्य हेलीकॉप्टर, हवाईजहाज, ट्रेन, बस, गाड़ी आदि का लाभ ले रहे हैं।

संचार के क्षेत्र में विकास:

टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही आज संसार के किसी भी कोने में बैठे शख्स से न सिर्फ बात कर सकते हैं, बल्कि सैंकेडों में अंतरिक्ष में भी अपना संदेश भेज सकते हैं।

जीवन स्तर में सुधार:

टेक्नोलॉजी से टीवी, फ्रिज, एसी, कूलर, गाड़ी, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर, इंटरनेट समेत कई ऐसी सुख-सुविधाएं प्रदान की हैं, जिससे न सिर्फ मनुष्य का जीवन बेहद आसान हो गया है, बल्कि उसके रहन-सहन और खान-पान का स्तर भी सुधरा है।

मनोरंजन के क्षेत्र में योगदान:

टेक्नोलॉजी के माध्यम से आज मनोरंजन जगत को एक नई पहचान मिल गई है। आज हम टीवी में प्रोग्राम देख सकते हैं, म्यूजिक सुन सकते हैं और वीडियो देख सकते हैं।

टेक्नोलॉजी के नुकसान – Disadvantages of Technology

टेक्नोलॉजी से एक तरफ जहां कई सारे फायदे हैं, तो दूसरी तरफ कई नुकसान भी हैं। जो कि इस प्रकार हैं-

प्रदूषण का स्तर बढ़ा:

टेक्नोलॉजी से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला है, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योगों से निकलने वाली दूषित गैसें पर्यावरण के संतुलन को बुरी तरह प बिगाड़ रही हैं और प्रदूषण को बढ़ावा दे रही हैं।

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ी:

विज्ञान और टेक्नोलॉजी की मद्द से बनाए गए तमाम आधुनिक संसाधन जैसे एसी, वाहनों आदि के इस्तेमाल और फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं से पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़़ रहा है, जिससे धरती का तापमान बढ़ रहा है, और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा हो रही है।

समय की बर्बादी:

मॉडर्न टेक्नोलॉजी ने कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल, टीवी आदि ऐसे उपकरण प्रदान किए हैं, जिसका इस्तेमाल अब इंसान जरूरत के लिए नहीं बल्कि मनोरंजन के लिए करने लगा है, जिससे अनावश्यक समय की बर्बादी होती है।

टेक्नोलॉजी पर निर्भर मनुष्य आलसी बन रहा है:

टेक्नोलॉजी के माध्यम से अब घर बैठे-बैठे ही दुनिया की सभी चीजों को इंटरनेट एवं तमाम आधुनिक उपकरण के माध्यम से करना संभव हो गया है, जिससे मनुष्य में आलसीपन बढ़ रहा है।

क्राइम रेट में बढ़ोतरी:

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोग गलत तरीके से भी कर रहे हैं, इंटरनेट के माध्यम से कई गलत अफवाह फैलाकर संप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे दंगे – फसाद आदि हो रहे हैं। इसके अलावा कई परमाणु, बिस्पोटक आदि का निर्माण किया जा रहा है, जिससे आतंकी हमलों को भी बढ़ावा मिला है।

बढ़ती टेक्नोलॉजी से स्वास्थ्य पर प्रभाव:

आज का मनुष्य टेक्नोलॉजी का इतना आदि हो चुका है कि, घंटों मोबाइल फोन पर बातें करता है, कंप्यूटर, टीवी आदि पर गेम खेलता है, जिससे उसकी आंखों पर तो बुरा असर पड़ता है साथ ही कई तरह की बीमारियों का भी शिकार हो रहा है।

एक तरफ टेक्नोलॉजी ने जहां देश-दुनिया को तरक्की का नया आयाम प्रदान किया है और मानव जीवन को विकास की एक नई दिशा दी है,तो दूसरी तरफ यह मानव के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक है, इसलिए हम सभी को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बेहद जरूरत के वक्त ही करना चाहिए।

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  • Who Invented Television
  • Technology quotes
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Note: Hope you find this post about ”Essay on Technology in Hindi” useful. if you like this articles please share on Facebook & Whatsapp.

2 thoughts on “टेक्नोलॉजी पर निबंध – Essay on Technology in Hindi”

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It is so useful for me.I have to give a speech in my school about this topic so thank.

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Thanks for these great artical Really easy to understand

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सूचना एवं संचार तकनीकी (ICT)

Contents in the Article

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का शैक्षिक महत्व

(Educational Importance of I.C.T)

शिक्षक के लिए शिक्षण कार्य में महत्व-

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी एक सफल शिक्षक के लिए छात्रों को उनकी क्षमता तथा कुशलता के साथ अध्ययन कराने में; यथा—अभिक्रमित अध्ययन सामग्री पाठ्यक्रमों के प्रभावशाली शिक्षण हेतु नयी-नयी विधियाँ तैयार करने; जैसे—माइक्रो टीचिंग, सिम्युलेटेड टीचिंग, मिनी-टीचिंग के माध्यम अध्ययन कराने के लिए नवीन आधार प्रदान करते हैं, अर्थात् सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षण कार्य में एक शिक्षक के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है।

अधिगम कार्य में महत्वपूर्ण-

शिक्षक की ज्ञान वृद्धि हेतु ict का उपयोग.

(Use of I.C.T. to Increase the Teacher’s Knowledge)

व्यवहारिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचार करें तो हमें जान पड़ता है कि इस प्रौद्योगिकी के द्वारा एक तरफ शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को महत्व दिया गया है तथा दूसरी ओर शिक्षा का दायरा विस्तृत हुआ है। अध्यापकों के विषयगत उत्तरदायित्वों को पूरा करने में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है।

आधुनिक समय में अध्यापक, छात्र एवं शिक्षा के क्षेत्र से सम्बद्ध प्रत्येक व्यक्ति सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अभाव में अपनी ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा को तृप्त नहीं कर सकता। आधुनिक युग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग व्यापकता ग्रहण करता जा रहा है। हम देखते हैं कि आज प्रायः एक विषय विशेष पर अनेका लेखकों, विद्वानों के विचारों को सी. डी., फोन तथा इण्टरनेट के माध्यम से प्राप्त करक उक्त विषय पर पूर्ण रूप से विचार-विमर्श के आधार पर एक सिद्धान्त या नियम का निर्माण किया जाता है तथा उक्त विषय पर विस्तृत आधार प्रदान किया जाता है।

आज सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रभाव शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर पूरी तरह से सबको ज्ञात हो चुका है। वर्तमान में सीखने के सिद्धान्तों की अपेक्षा शिक्षण तकनीक के नियमों एवं सिद्धान्तों को अत्यधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

शिक्षण सिद्धान्तों के पूर्व के स्तर तथा उनसे सम्बन्धित तकनीकों को ही इस क्षेत्र में उजागर किया गया। यह खोजें सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सम्भव हो सकी हैं। अर्थात् यह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ही परिणाम है।

कक्षा में अध्यापकों द्वारा छात्रों को पढ़ाने के लिए वर्तमान समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी किस स्तर तथा रूप में उपयोगी हो रही है उसका विस्तृत वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं-

शिक्षण कार्य की कार्यकुशलता में वृद्धि –

शिक्षण कार्य में सरलता-, गुणात्मक उन्नति में सहायक –, समय की बचत –, विशिष्टीकरण में सहायक –, प्रौद्योगिकी दूर शिक्षा ( दूरस्थ शिक्षा ) में सहायक –, महत्वपूर्ण लिंक.

  • संरचनात्मक तथा योगात्मक मूल्यांकन- इन दोनों के बीच का अंतर
  • साक्षात्कार (Interview) की कार्यविधिऔर महत्व एवं उपयोग
  • मौखिक अभिव्यक्ति- उद्देश्य, महत्व, आवश्यकता, शिक्षण विधियाँ
  • उत्तम परीक्षण- विशेषताएँ, व्यावहारिक कसौटियाँ, तकनीकी कसौटियाँ
  • निदानात्मक परीक्षण- विशेषताएँ, उपलब्धि परीक्षण और निदानात्मक परीक्षण में अंतर
  • क्रियात्मक अनुसन्धान (Action Research)- अर्थ, क्षेत्र (Scope), महत्व, लाभ
  • क्रियात्मक शोध के चरण या सोपान (Steps of Action Research)
  • शैक्षिक नवाचार- अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, क्षेत्र, परिवर्तन और नवाचार में सम्बन्ध
  • शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता और महत्व
  • संचार (Communication) की विशेषताएँ एवं बाधाएँ | सूचना के गुण
  • सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (I.C.T.) का विद्यालय में अनुप्रयोग एवं लाभ
  • शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी- क्षेत्र और उपयोगिता (Scope & Use of ICT)

Disclaimer: wandofknowledge.com केवल शिक्षा और ज्ञान के उद्देश्य से बनाया गया है। किसी भी प्रश्न के लिए, अस्वीकरण से अनुरोध है कि कृपया हमसे संपर्क करें। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे। हम नकल को प्रोत्साहन नहीं देते हैं। अगर किसी भी तरह से यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है, तो कृपया हमें [email protected] पर मेल करें।

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Thank u so much sir …for ur efforts …

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भारत में शिक्षा प्रणाली पर निबंध 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे (Education System In India Essay in Hindi)

technical education essay in hindi

भारत में शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Education System In India Essay in Hindi) -एक बच्चे की शिक्षा माता-पिता द्वारा लिए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है। जबकि कई अलग-अलग प्रकार के शैक्षिक विकल्प उपलब्ध हैं, सभी को समान नहीं बनाया गया है। कई उत्कृष्ट स्कूलों की बदौलत, भारत में बच्चों के पास विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का अनूठा अवसर है। प्राचीन काल से ही भारत अपनी महान शिक्षा व्यवस्था के लिए जाना जाता रहा है। देश का पहला विश्वविद्यालय, नालंदा, 1,000 साल पहले स्थापित किया गया था। आज, भारत में हजारों स्कूल हैं, जिनमें से कई दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में से हैं।

भारतीय शिक्षा क्या है?

भारतीय शिक्षा एक शब्द है जिसका उपयोग उस शिक्षा को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो मुख्य रूप से अमेरिकी भारतीय छात्रों को दी जाती है। 1972 के भारतीय शिक्षा अधिनियम ने इसके उद्देश्य को “अमेरिकी भारतीय बच्चों की अद्वितीय शैक्षिक और सांस्कृतिक रूप से संबंधित शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए” परिभाषित किया।

भारत में शिक्षा प्रणाली पर 100 शब्दों में निबंध (Essay on Education System in India in 100 words in Hindi)

 भारत में शिक्षा प्रणाली में चार स्तर शामिल हैं: पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक प्रणाली; ये सभी स्तर अच्छी तरह से संरचित हैं और छात्रों को व्यवस्थित रूप से विषय वस्तु से परिचित कराने, उनकी भाषा और संज्ञानात्मक कौशल विकसित करने और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए तैयार करने के लिए विकसित किए गए हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली ज्ञान आधारित शिक्षा के साथ-साथ सह-पाठ्यचर्या को भी समान महत्व देती है। देश अब शिक्षा तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। आजकल, स्कूल में होना पहले जैसी बात नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति निर्धारित पाठ्यक्रम पर उचित ध्यान देने के साथ विभिन्न क्षेत्रों और रुचियों में कुशल है। हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है जो संतुलित व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास की दिशा में अधिक उन्नत हो। 

भारत में शिक्षा प्रणाली पर 150 शब्दों में निबंध (Essay on Education System in India in 150 words in Hindi)

भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली अभी भी छात्रों को वे पेशेवर कौशल नहीं दे रही है जिनकी उन्हें अपने करियर में प्रगति करने के लिए आवश्यकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश स्कूल केवल उन्हें पढ़ना और लिखना सिखाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि उन्हें सोचने और समस्याओं को हल करने के तरीके सिखाने पर।

शिक्षा की वर्तमान प्रणाली को बदलने की जरूरत है ताकि छात्रों को सर्वोत्तम संभव शिक्षा मिल सके। सरकार को शिक्षकों और स्कूलों के लिए अधिक धन उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि उनके पास बेहतर सुविधाएं और संसाधन जैसे कंप्यूटर, प्रयोगशालाएं आदि हो सकें।

शिक्षा की इस नई प्रणाली के लिए, सभी माता-पिता को इसमें शामिल होने और अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने के लिए समर्थन देने की आवश्यकता है। इसके बजाय उन्हें पूरे दिन घर पर रहने दें, वीडियो गेम खेलें या टीवी देखें। यदि सभी माता-पिता अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजते हैं, तो भारत में एक अच्छी शिक्षा प्रणाली होने से हमें कुछ अच्छे परिणाम दिखाई देने लगेंगे!

इनके बारे मे भी जाने

  • Noise Pollution Essay
  • Nature Essay
  • India Of My Dreams Essay
  • Gender Equality Essay
  • Bhagat Singh Essay
  • Essay On Shivratri

भारत में शिक्षा प्रणाली पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Education System in India in 200 words in Hindi)

भारत में शिक्षा प्रणाली काफी पुरानी है जो अभी भी कई प्रतिभाओं का निर्माण करती है लेकिन इसे और अधिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बदलना होगा। मेरी राय में, वर्तमान शिक्षा प्रणाली को बदलने की आवश्यकता है क्योंकि यह छात्रों और शिक्षकों के भविष्य के जीवन को अच्छा मूल्य नहीं देती है।

प्रणाली इतनी जटिल और जटिल है कि एक छात्र इसे आसानी से नहीं समझ सकता है। इसलिए, मुझे लगता है कि भारत सरकार को अपनी शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव करने चाहिए क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी और उच्च शिक्षा के लिए निम्न स्तर के स्कूल जैसी बहुत सारी समस्याएं हैं।

एक और समस्या शिक्षकों की है, ज्यादातर सरकारी स्कूलों में आपको बहुत सारे शिक्षक मिल जाएंगे जो अवैध रूप से शामिल हुए थे। जब ये शिक्षक अच्छी तरह से नहीं जानते तो वे अपने छात्रों को क्या पढ़ाएंगे? इसलिए मुझे लगता है कि यह हमारी शिक्षा प्रणाली के प्रमुख मुद्दों में से एक है।

सबसे पहले हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी फिर शिक्षा प्रणाली को बदलने की जरूरत है। इन फर्जी शिक्षकों को बदले बिना हमारी शिक्षा व्यवस्था नहीं बदलेगी।

भारत में शिक्षा प्रणाली पर 250 शब्दों में निबंध (Essay on Education System in India in 250 words in Hindi)

भारत के संविधान द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का समान अधिकार है। यह प्रणाली अच्छी तरह से काम करती है क्योंकि यह छात्रों को अध्ययन के अपने पाठ्यक्रम चुनने की अनुमति देती है और शिक्षक जो कुछ भी पढ़ाना चाहते हैं उसे पढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं।

आजकल, भारत में शिक्षा प्रणाली काफी पुरानी है लेकिन अभी भी कई चीजें हैं जो हर साल बदलती हैं। नई तकनीक और नई तकनीक की वजह से हम अपने करियर के बारे में अधिक सोचते हैं और भविष्य में हम क्या करना चाहते हैं, इसके बारे में हमें अधिक जानकारी भी देते हैं।

भारतीय शिक्षा प्रणाली हमें केवल पाठ्यक्रम पढ़ाती है। जो इस आधुनिक दुनिया से संवाद करने के लिए बहुत ही खराब है। हालांकि निजी स्कूल कुछ हद तक शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता प्रदान करते हैं। यही वजह है कि कई लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिफ्ट कर रहे हैं।

भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार की सख्त जरूरत है। कम उम्र से ही रटकर सीखने के माध्यम से याद करना सिखाया जाता है। इस प्रकार की शिक्षा मेधावी दिमाग पैदा कर सकती है लेकिन उन्हें नए विचारों, तकनीकों या दृष्टिकोणों से अवगत कराने में विफल रहती है।

और भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक बड़ी समस्या यह भी है कि यह हमें केवल यह सिखाती है कि नौकरी कैसे प्राप्त करें। लेकिन इस शिक्षा प्रणाली ने हमें कभी पैसा कमाना नहीं सिखाया। जब आखिर हम सभी को इस दुनिया में जीवित रहने के लिए पैसा कमाना ही होगा।

तो यह एक सबसे महत्वपूर्ण बात है जो हमारी शिक्षा प्रणाली को हमें सिखानी चाहिए।

भारत में शिक्षा प्रणाली पर 300 शब्दों में निबंध (Essay on Education System in India in 300 words in Hindi)

भारतीय शिक्षा प्रणाली को पुरानी और सांसारिक कहा जाता है। ऐसे समय में, जब संगठन रचनात्मक और उत्साही व्यक्तियों की तलाश कर रहे हैं, भारतीय स्कूल युवा दिमागों को एक निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करने और व्यवहार करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं, जैसा कि उन्हें अपने जीवन के लगभग पंद्रह वर्षों तक बताया जाता है। सुझाव देने या विचार साझा करने की कोई स्वतंत्रता नहीं है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की गंभीर आवश्यकता है जो बदले में स्मार्ट व्यक्तियों को विकसित करने में मदद करती है।

लीक से हटकर सोचने की जरूरत है

अगर हम नए आविष्कार करना चाहते हैं, समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं और व्यक्तिगत स्तर पर समृद्ध होना चाहते हैं तो लीक से हटकर सोचने की सख्त जरूरत है। हालाँकि, दुर्भाग्य से हमारे स्कूल हमें अन्यथा प्रशिक्षित करते हैं। वे हमें एक निर्धारित अध्ययन कार्यक्रम से बांधते हैं और हमें असाइनमेंट पूरा करने और सैद्धांतिक पाठ सीखने में इतना व्यस्त रखते हैं कि रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं बचती है।

रचनात्मक सोच के लिए रास्ता बनाने के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा। स्कूलों को उन गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए जो छात्रों के दिमाग को चुनौती देती हैं, उनके विश्लेषणात्मक कौशल को निखारती हैं और उनकी रचनात्मक सोच क्षमता को जगाती हैं। इससे उन्हें बड़े होने पर विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी।

सर्वांगीण विकास की आवश्यकता

भारतीय शिक्षा प्रणाली का प्राथमिक ध्यान शिक्षाविदों पर है। यहाँ भी ध्यान अवधारणा को समझने और ज्ञान को बढ़ाने पर नहीं है, बल्कि केवल अच्छे अंक प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ या बिना समझे हुए पाठों को रटने पर है। भले ही कुछ स्कूलों में पाठ्येतर गतिविधियाँ होती हैं, लेकिन इन गतिविधियों के लिए प्रति सप्ताह मुश्किल से एक कक्षा होती है।

भारतीय स्कूलों में शिक्षा को केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करने तक सीमित कर दिया गया है जो एक बुद्धिमान और जिम्मेदार व्यक्ति को विकसित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है।

सत्ता में बैठे लोगों को यह समझना चाहिए कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में गंभीर सुधारों की आवश्यकता है। छात्रों को आध्यात्मिक, नैतिक, शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित करने के लिए प्रणाली को बदलना होगा।

भारत में शिक्षा प्रणाली पर 500 शब्दों में निबंध (Essay on Education System in India in 500 words in Hindi)

भारतीय शिक्षा प्रणाली काफी पुरानी शिक्षा प्रणाली है जो अभी भी मौजूद है। इसने बहुत सारे प्रतिभाशाली दिमाग पैदा किए हैं जो भारत को पूरी दुनिया में गौरवान्वित कर रहे हैं। हालाँकि, जबकि यह सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक है, यह अभी भी दूसरों की तुलना में विकसित नहीं हुई है, जो वास्तव में नई हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अन्य देश विकास और उन्नति के दौर से गुजरे हैं, लेकिन भारतीय शिक्षा प्रणाली अभी भी पुराने जमाने में अटकी हुई है। इसे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसे इसे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचाने के लिए हल करने की आवश्यकता होती है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली की समस्याएं

हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली में बहुत सारी समस्याएं हैं जो इसे समृद्ध नहीं होने देती हैं और अन्य बच्चों को जीवन में सफल होने में मदद करती हैं। सबसे बड़ी समस्या जिसका सामना करना पड़ता है वह खराब ग्रेडिंग सिस्टम है। यह शिक्षाविदों के आधार पर एक छात्र की बुद्धिमत्ता का न्याय करता है जो परीक्षा के प्रश्नपत्रों के रूप में होता है। यह उन छात्रों के लिए बहुत अनुचित है जो अपने समग्र प्रदर्शन में अच्छे हैं लेकिन विशिष्ट विषयों में उतना अच्छा नहीं है।

इसके अलावा, वे जो पढ़ाया जाता है उसे समझने पर ध्यान न देकर केवल अच्छे अंक प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। दूसरे शब्दों में, यह रटने के माध्यम से अच्छे अंक प्राप्त करने को प्रोत्साहित करता है और वास्तव में अवधारणा को कुशलता से नहीं समझता है।

इसके अलावा, हम देखते हैं कि कैसे भारतीय शिक्षा प्रणाली सिद्धांत पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है। प्रैक्टिकल के लिए कुछ प्रतिशत ही दिया जाता है। यह उन्हें किताबी ज्ञान के पीछे भागता है और वास्तव में इसे वास्तविक दुनिया में लागू नहीं करता है। व्यावहारिक ज्ञान की कमी के कारण जब वे वास्तविक दुनिया में जाते हैं तो यह अभ्यास उन्हें भ्रमित कर देता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली खेल और कला के महत्व पर पर्याप्त बल नहीं देती है। छात्रों को हमेशा हर समय अध्ययन करने के लिए कहा जाता है जहां उन्हें खेल और कला जैसी अन्य गतिविधियों के लिए समय नहीं मिलता है।

हम भारतीय शिक्षा प्रणाली को कैसे सुधार सकते हैं?

जैसा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रही है, हमें प्रभावी समाधानों के साथ आने की जरूरत है ताकि यह बेहतर हो और छात्रों के उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सके। हम छात्रों के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करके शुरुआत कर सकते हैं। स्कूलों और कॉलेजों को न केवल रैंक और ग्रेड पर बल्कि बच्चों के विश्लेषणात्मक और रचनात्मक कौशल पर भी ध्यान देना चाहिए।

इसके अलावा, विषयों को केवल सैद्धांतिक रूप से नहीं बल्कि व्यावहारिक रूप से पढ़ाया जाना चाहिए। यह व्यावहारिक ज्ञान की कमी के कारण पूरी बात को रटने के बिना विषय की बेहतर समझ में मदद करेगा। साथ ही, पाठ्यक्रम को बदलते समय के साथ अद्यतन किया जाना चाहिए और वृद्धावस्था पैटर्न का पालन नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा सरकारी और निजी कॉलेजों को अब शिक्षकों का पेरोल बढ़ाना होगा। जैसा कि वे स्पष्ट रूप से वे जो पेशकश करते हैं उससे अधिक के लायक हैं। पैसे बचाने के लिए, स्कूल ऐसे शिक्षकों को नियुक्त करते हैं जो पर्याप्त योग्य नहीं हैं। यह एक बहुत ही खराब कक्षा का माहौल और सीखने का निर्माण करता है। यदि वे नौकरी के लिए फिट हैं तो उन्हें काम पर रखा जाना चाहिए न कि इसलिए कि वे कम वेतन पर काम कर रहे हैं।

अंत में, भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतरी के लिए बदलना होगा। इसे छात्रों को भविष्य में बेहतर चमकने के समान अवसर देने चाहिए। हमें पुराने और पारंपरिक तरीकों को छोड़ने और शिक्षण मानकों को बढ़ाने की जरूरत है ताकि हमारे युवा एक बेहतर दुनिया बना सकें।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 भारतीय शिक्षा प्रणाली को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

A.1 भारतीय शिक्षा बहुत पुरानी और पुरानी है। यह छात्रों के समग्र प्रदर्शन को अनदेखा करते हुए अंकों और ग्रेड के आधार पर छात्रों का न्याय करता है। यह अकादमिक साइड-लाइनिंग कला और खेल पर केंद्रित है।

Q.2 हम भारतीय शिक्षा प्रणाली को कैसे सुधार सकते हैं?

A.2 कॉलेजों और स्कूलों को अच्छे और योग्य शिक्षकों को नियुक्त करना चाहिए। उन्हें केवल पूरे विषय को रटने के बजाय अवधारणा को समझने में छात्रों की मदद करनी चाहिए।

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शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। पूरे शिक्षा तंत्र को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा जैसे को तीन भागों में बाँटा गया है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। हम सभी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

शिक्षा का महत्व पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Importance of Education in Hindi, Shiksha Ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – शिक्षा का महत्व.

जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करता है।

पूरी शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान हम सभी और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है। यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न दरवाजे खोलती है जिससे कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बहुत से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। यह समाज में सभी व्यक्तियों में समानता की भावना लाती है और देश के विकास और वृद्धि को भी बढ़ावा देती है।

शिक्षा का महत्व

आज के समाज में शिक्षा का महत्व काफी बढ़ चुका है। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैं परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है। हम अपने जीवन में शिक्षा के इस साधन का उपयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों की सामाजिक और पारिवारिक सम्मान तथा एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है, यहीं कारण है कि हमें शिक्षा हमारे जीवन में इतना महत्व रखती है।

आज के आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा काफी अहम है। आजकल के समय में  शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके सारे तरीके अपनाये जाते हैं। वर्तमान समय में शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल चुका है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क में प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं। यह उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक यंत्र होने के साथ ही देश के विकास और प्रगति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह, उपयुक्त शिक्षा दोनों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती है। वो केवल शिक्षित नेता ही होते हैं, जो एक राष्ट्र का निर्माण करके, इसे सफलता और प्रगति के रास्ते की ओर ले जाते हैं। शिक्षा जहाँ तक संभव होता है उस सीमा तक लोगों बेहतर और सज्जन बनाने का कार्य करती है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली

अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे; व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वस्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना और अन्य सामाजिक मुद्दे आदि। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रयोग के कारण, आजकल शिक्षा प्रणाली बहुत साधारण और आसान हो गयी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली, अशिक्षा और समानता के मुद्दे को विभिन्न जाति, धर्म व जनजाति के बीच से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है।

विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और नाही कोई छीन सकता। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि की इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। हमने देखा होगा कि हमारे समाज में जो शिक्षित व्यक्ति होते हैं उनका एक अलग ही मान सम्मान होता है और लोग उन्हें हमारे समाज में इज्जत भी देते हैं। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो प्रशिक्षित हो इसीलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है। इसीलिए आपको यह याद रखना है कि शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है इसकी वजह से हमें हमारे समाज में सम्मान मिलता है जिससे हम समाज में सर उठा कर जी सकते हैं।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को हटाने में मदद करती है। यह हमारी अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में भी हमारी सहायता करता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – शिक्षा की मुख्य भूमिका

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है । हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा क्या है ?

यह लोगों की सोच को सकारात्मक विचार लाकर बदलती है और नकारात्मक विचारों को हटाती है। बचपन में ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था में हमारा दाखिला कराकर हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। यह हमें तकनीकी और उच्च कौशल वाले ज्ञान के साथ ही पूरे संसार में हमारे विचारों को विकसित करने की क्षमता प्रदान करती है। अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने का सबसे अच्छे तरीके अखबारों को पढ़ना, टीवी पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखना, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ना आदि हैं। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह समाज में बेहतर पद और नौकरी में कल्पना की गए पद को प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।

शिक्षा की मुख्य भूमिका

आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा मुख्य भूमिका को निभाती है। आजकल, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके हैं। शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल दिया गया है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क पर प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

यह हमें जीवन में एक अच्छा चिकित्सक, अभियंता (इंजीनियर), पायलट, शिक्षक आदि, जो भी हम बनना चाहते हैं वो बनने के योग्य बनाती है। नियमित और उचित शिक्षा हमें जीवन में लक्ष्य को बनाने के द्वारा सफलता की ओर ले जाती है। पहले के समय की शिक्षा प्रणाली आज के अपेक्षा काफी कठिन थी। सभी जातियाँ अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकती थी। अधिक शुल्क होने के कारण प्रतिष्ठित कालेज में प्रवेश लेना भी काफी मुश्किल था। लेकिन अब, दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ना बहुत ही आसान और सरल बन गया है।

Importance of Education Essay in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

घर शिक्षा प्राप्त करने पहला स्थान है और सभी के जीवन में अभिभावक पहले शिक्षक होते हैं। हम अपने बचपन में, शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेष रुप से माँ से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं। जब हम 3 या 4 साल के हो जाते हैं, तो हम स्कूल में उपयुक्त, नियमित और क्रमबद्ध पढ़ाई के लिए भेजे जाते हैं, जहाँ हमें बहुत सी परीक्षाएं देनी पड़ती है, तब हमें एक कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण मिलता है।

एक-एक कक्षा को उत्तीर्ण करते हुए हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, जब तक कि, हम 12वीं कक्षा को पास नहीं कर लेते। इसके बाद, तकनीकी या पेशेवर डिग्री की प्राप्ति के लिए तैयारी शुरु कर देते हैं, जिसे उच्च शिक्षा भी कहा जाता है। उच्च शिक्षा सभी के लिए अच्छी और तकनीकी नौकरी प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

हम अपने अभिभावकों और शिक्षक के प्रयासों के द्वारा अपने जीवन में अच्छे शिक्षित व्यक्ति बनते हैं। वे वास्तव में हमारे शुभ चिंतक हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद की। आजकल, शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं ताकि, सभी की उपयुक्त शिक्षा तक पहुँच संभव हो। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व और लाभों को दिखाने के लिए टीवी और अखबारों में बहुत से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढ़ाई करना नहीं चाहते हैं।

गरीबों और माध्यम वर्ग के लिए शिक्षा

पहले, शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। समाज में लोगों के बीच बहुत अन्तर और असमानता थी। उच्च जाति के लोग, अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया और विषय में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। इस विषय में भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं।

सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, दूरस्थ शिक्षा प्रणाली ने उच्च शिक्षा को सस्ता और सुगम बनाया है, ताकि पिछड़े क्षेत्रों, गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भविष्य में समान शिक्षा और सफलता प्राप्त करने के अवसर मिलें। भलीभाँति शिक्षित व्यक्ति एक देश के मजबूत आधार स्तम्भ होते हैं और भविष्य में इसको आगे ले जाने में सहयोग करते हैं। इस तरह, शिक्षा वो उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असंभव स्थितियों को संभव बनाती है।

शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को बड़े स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है तथा इसके साथ ही यह समाज में लोगों के बीच के सभी भेदभावों को हटाने में भी सहायता करती है। यह हमें अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में हमारी सहायता करती है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Education (शिक्षा का महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- तथागत बुध्द के अनुसार शिक्षा व्यक्ति के समन्वित विकास की प्रक्रिया है।

उत्तर- शिक्षा तीन प्रकार की होती है औपचारिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा।

उत्तर- शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है।

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Essay on Technical Education in English for Students

technical education essay in hindi

In today’s modern times, it is easy for students to get education in many ways. Due to this technical education, it makes students skilled in different fields like agriculture, computer, engineering, medicine, driving etc. In this modern time technical education plays an important role and technicians are very much needed in the field of construction.

Whatever education provides for us especially practical and skillful, at this time there are still many poor people in our country of India who do not know how to use the resources like technology properly. Such people should be able to get acquainted with the technology of today’s era. This technology is very much needed in our country.

Technology is such an integral part which definitely helps in establishing coordination between an individual and society.

Need for Technical Education

As everyone knows how much the need of technology has increased in today’s times or in this changing era? Due to this new technology, we are getting many facilities so that even children sitting at home are able to complete their education. The education of this technology should be promoted in our India country because the more educated we are, the faster our country will move towards development, because people will have their skills along with technology.

By the way, we also have such person who can use all these resources in the best possible way. This technology is very important in our country because this technology will help in improving the future of the country. This technology gives us for the future as technicians especially as engineers.

When our country’s youth adopts this technology, then surely the future of our country will be golden. For all the young or interested people, the government is also running training centers in many ways so that every person can be trained and help in further education in technical form.

The government is taking this thing very seriously because it also knows how important technical education is in the future, because till that time everything will not be able to live without technology.

Problems of Technical Education

Let us look at some of the problems related to technical education –

  • By the way, if seen in our India country, education is very less than people; people give more effort only on physical labor, due to this their thinking power decreases.
  • Technical education should be popularized in all languages, which will make it easier for people to understand. Due to education technology, everything is visible in English medium, due to which it is difficult for people to understand.
  • Due to the problem of the attitude of some narrow people, people do not understand their needs due to different tendencies, interests in the society.
  • Many types of educational institutions have been established in our country of India, then according to the widespread demand of all, their number is less. Because of this, the interested students who want to get or take admission in technical education remain deprived because of all this.
  • Lack of trained teachers is also becoming its problem because its qualified teachers are not available. Due to which the students are not able to get the education properly.
  • The problem of technical education is one of the main reasons that education is not practical. Education is understood correctly and smoothly only because of experimentation. Nowadays, due to lack of practical arrangement by the teachers, all the technical subjects are explained on the blackboard itself.

Features of Technical Education

  • It has become an important basis of technical education. This is also considered important on the basis of psychological; it mainly takes care of the tendencies, qualities and personality of all the students in education. In this technical education, all the students are given special attention to their teachers and books.
  • In our life this education is related to life which is related to mental labor and their work.
  • It helps to develop the life of human beings based on their education.
  • This technique is based on a kind of special education.
  • Technical education not only provides bookish knowledge but also proves useful at every turn in our life. This is one of the characteristics of technical education.

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Benefits of Technical Education

Due to technical education, it helps to solve the problem of unemployment of the people, it makes them efficient in their work. If the student achieves this technical education well, then he can do his own business. Due to this, more opportunities of job opportunities are also provided to the educated people.

It helps to accelerate the development of the country in the future. There are many such areas in our country where there is a dire need of technical technicians, because of this technical education helps in boosting the economic condition of the nation.

Importance of Technical Education

Talking about today’s time, technical education has a lot of importance in the life of man. The importance of this technical education is known in our daily life, when we go somewhere, we get to see the work related to it.

In this modern time, it is becoming very difficult to survive without technical education. Its use is seen in many things, such as in the use of traffic, traffic signals, vehicles, the creation of various types of artwork, in the treatment of complex diseases, in mental development, dance drama etc. The essentials of this technical education can be seen in everything. Is .

Fully trained people with the knowledge and experience of this technical education are needed to pursue education. This is a serious problem of this time which remains a challenge for the middle class. The government needs to take all this seriously. Availability of technical education will improve the future of the people; it will help in cutting their life ahead easily and easily.

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  4. Essay on Technical Education in Hindi तकनीकी शिक्षा का महत्व पर निबंध

    Hindi In Hindi | April 8, 2019 | Essay In Hindi | No Comments. Learn an Essay on Technical Education in Hindi language. तकनीकी शिक्षा का महत्व पर निबंध। Technical education essay in Hindi was asked many school exams. Now write an essay on technical education in Hindi 1000 words for students ...

  5. Technical Education Essay in Hindi

    Technical Education Essay in Hindi. किसी व्यावसाय के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल एवं अभिवृतियों की शिक्षा देना तकनीकी शिक्षा है। तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट ...

  6. Essay on Technical Education in Hindi

    तकनीकी शिक्षा पर निबंध । Essay on Technical Education in Hindi. किसी भी जरुरी चीज के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल जैसे चीज की शिक्षा प्राप्त करना ही एक तकनीकी ...

  7. शैक्षिक तकनीकी का ...

    शैक्षिक तकनीकी का अर्थ (Meaning of Educational Technology) 'एजुकेशनल टेक्नॉलॉजी' (Educational Technology) शब्द, दो शब्दों से मिलकर बना है- एक, 'एजुकेशन' और दूसरा, 'टेक्नॉलॉजी'। एजुकेशन का ...

  8. टेक्नोलॉजी पर निबंध

    Essay on Technology in Hindi. टेक्नोलॉजी ने हमारा जीवन इतना आसान बना दिया है और हमें इतनी सुख-सुविधाएं प्रदान की है, जिसके बारे में हम इससे पहले कभी ...

  9. तकनीकी गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्‍यूआईपी)

    तकनीकी गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्‍यूआईपी) [Technical Quality Improvement Programme (TEQIP) in Hindi] मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक की सहायता से चरणबद्ध तरीके से ...

  10. प्रौद्योगिकी पर निबंध 10 lines (Technology Essay in Hindi) 100, 150

    भगत सिंह पर निबंध 10 lines (Bhagat Singh Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, 600, शब्दों में; जीवन में मेरा उद्देश्य पर निबंध 200, 500, शब्दों मे (My Aim In Life Essay in Hindi) 10 lines

  11. एआईसीटीई के उद्देश्य

    Download as PDF. Overview. Test Series. एआईसीटीई (AICTE) का पूर्ण रूप अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education in Hindi) है। यह नवंबर 1945 में स्थापित किया गया था ...

  12. सूचना एवं संचार तकनीकी (Ict) का शैक्षिक महत्व तथा उपयोग

    सूचना एवं संचार तकनीकी (ict)- शिक्षा जगत में शिक्षण कार्य अत्यन्त ...

  13. भारत में शिक्षा प्रणाली पर निबंध 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों

    भारत में शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Education System In India Essay in Hindi)-एक बच्चे की शिक्षा माता-पिता द्वारा लिए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है। जबकि कई अलग ...

  14. शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi)

    शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi) किसी भी व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है, और मां को पहली गुरु कहा गया है। शिक्षा वो अस्त्र है ...

  15. शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

    शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 13, 2017. बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए ...

  16. Essay on Technical Education in English for Students

    Importance of Technical Education. Talking about today's time, technical education has a lot of importance in the life of man. The importance of this technical education is known in our daily life, when we go somewhere, we get to see the work related to it. In this modern time, it is becoming very difficult to survive without technical education.

  17. Technical Education Essay In Hindi

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