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पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण पर निबंध कैसे लिखें

पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) - पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में पूछे जाने वाले प्रश्नों में सामान्य प्रश्न है। पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay in hindi) लिखना आसान काम है। इसे और आसान बनाने तथा पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day hindi) को अधिक प्रभावी तथा सुव्यवस्थित करने में इस लेख से आपको मदद मिलेगी। इसके साथ ही विभिन्न स्तर पर आयोजित किए जाने वाले पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay hindi) प्रतियोगिता या फिर विद्यालय में पर्यावरण दिवस से संबंधित होमवर्क को पूरा करने में भी इससे सहायता होगी। इसके साथ ही आप पर्यावरण दिवस पर निबंध पीडीएफ़ के तौर पर इस लेख को डाउनलोड भी कर सकते हैं, ताकि आपको भविष्य में संदर्भ के तौर पर इसकी मदद ली जा सके। चूंकि पर्यावरण दिवस पर लेख (Essay on Environment Day in hindi) लिखना काफी कठिन है क्योंकि यह विषय काफी व्यापक है। ऐसे में पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) के इस लेख में हम उन सभी पहलुओं का समायोजन करने का प्रयास कर रहें है, जो इस विषय के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण पर निबंध कैसे लिखें

पर्यावरण पर निबंध (paryavaran diwas par nibandh) का यह लेख उन सभी छात्रों के लिए लाभदायक होगा जो पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (environment day essay in hindi) लिखना चाहते हैं या इस विषय के प्रति अपनी जानकारी में बढ़ोतरी करना चाहते है। इस लेख में दिए गए पर्यावरण दिवस पर निबंध के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण दिवस जैसे विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। पर्यावरण दिवस पर हिंदी में निबंध (Essay on Environment Day in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से छात्र निबंध लिखने की कला सिख पाएंगे। इसके साथ ही ऐसे स्कूल में अध्ययनरत छात्रों को भी इस लेख से मदद मिलेगी जो विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध हिन्दी में (Essay on Environment Day in hindi) लिखने में किसी प्रकार का संदर्भ या सहायता की तलाश कर रहे हैं।

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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण क्या है?

इस प्रश्न ने स्वतः में बहुत से तत्वों का समावेश कर रखा है। मूलतः पर्यावरण हमारे आस-पास का परिवेश है, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। सरल शब्दों में कहें तो सभी तत्व तथा परिस्थितियां जो प्राकृतिक तौर पर हमारे चारों ओर मौजूद हैं पर्यावरण (Environment) कहलाती हैं। पर्यावरण (Environment) को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास, जनसंख्या पारिस्थितिकी एवं जीवमंडल जैसी शब्दावली से जाना जाता है। पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – परि और आवरण। परि का तात्पर्य है 'हमारे चारों ओर' तथा आवरण का अर्थ है 'परिवेश'। अर्थात हमारे चारों ओर पृथ्वी पर फैली प्रत्येक वस्तु हमारे पर्यावरण (Environment) का हिस्सा है। यह मूलतः मौलिक और जैविक तत्वों के पारस्परिक संबंध से बना है। पर्यावरण (Environment) के मौलिक तत्वों में स्थान, भू आकृतियाँ, जलाशय, जलवायु, जलअपवाह, शैल, मृदा, खनिज संपत्ति आदि सम्मिलित है, जबकि जैविक तत्व में मानव, पशु, पक्षी एवं वनस्पति सम्मिलित हैं।

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पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment Day in Hindi)

पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून, 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना तथा साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया। साल 2021 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की मेजबानी “पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण” विषय के साथ की थी।

पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण विषय के साथ साल 2021 से साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र दशक की घोषणा भी की गई थी, जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण (Environment) को हुई क्षति की भरपाई करना हैं। चाहे वह जंगल हो, पहाड़ हो, मरुभूमि या सागर हो, प्रत्येक का पुनर्निर्माण करना इस दशक का उद्देश्य रखा गया।

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय या थीम भूमि पुनर्स्थापन मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार, दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत भूमि वर्तमान में क्षरण के दायरे में है, जो सीधे दुनिया के आधे निवासियों को प्रभावित कर रही है और दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत आर्थिक उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रही है, जो लगभग 44 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। 2000 के बाद से सूखे की आवृत्ति और लंबाई में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। त्वरित हस्तक्षेप के बिना, सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और सऊदी अरब ने घोषणा की कि भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे के लचीलेपन पर ध्यान देने के साथ सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और पिछले पांच दशकों में यह दिन पर्यावरण जागरूकता के लिए सबसे बड़े वैश्विक मंचों में से एक बन गया है।

हमें विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाने की आवश्यकता क्यों है?

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की शुरुआत: मानव द्वारा अपने हित के लिए लगातार पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस (Environment Day) की शुरुआत की गई। मानव ने पिछले 200 वर्षो में अपनी उन्नति और प्रगति के नाम पर प्रकृति का जो शोषण किया है, उसी का परिणाम है जो आज हम अपने पर्यावरण में परिवर्तन देख रहें है। यदि इस पर अब भी दृढ़ता के साथ विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हमें इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे। इस विषय को लेकर विश्व में जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण करने के लिए हर वर्ष 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।

पर्यावरण दिवस (Environment Day) विषय की गंभीरता - मानव ने हमेशा अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का प्रयास किया है, इसके लिए विश्व के सभी देश अपनी प्रगति के लिए प्रकृति के संसाधनों का वहन कर रहें है, जिसका परिणाम है कि प्रदूषण का स्तर काफी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। हम अपनी सुख-सुविधा के लिए अधिकाधिक पेट्रोलियम जैसे पदार्थो का उपयोग करते हैं, घर को वातानुकूलित रखने के लिए ए.सी का उपयोग करते हैं तथा साथ ही कारखानों से निकलने वाले जैविक पदार्थ जो सुविधा के अनुसार कहीं भी छोड़ दिए जाते हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे रहें हैं, जिससे पृथ्वी का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यदि इसे अभी भी कम न किया गया, तो मानव सभ्यता को नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगेगा। इस प्रदूषण का भयानक परिणाम यह हो सकता है कि इस पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना करना भी असंभव हो जाएगा।

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सौजन्य:- NCERT

इस विषय की गंभीरता बेहद चिंताजनक है, यदि इस पर अभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो मानव-जाति का पृथ्वी पर जीवित रहना ही मुश्किल हो जायेगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार ग्लेसियर पिघल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्र में जल का स्तर बढ़ रहा है, यदि ऐसे ही चलता रहा तो कुछ समय पश्चात् धरती के ज्यादातर शहर जलमग्न हो जाएगा। इस पर किसी कवि की लिखी गई यह पंक्तियाँ सच साबित होती नजर आती है (कविता NCERT से ली गई है) -

प्रक्रति ने अच्छा दृश्य रचा

इसका उपभोग करें मानव

प्रक्रति के नियमों का उल्लंघन करके

हम क्यों बन रहें है दानव

ऊँचें वृक्ष घने जंगल ये

सब है प्रकृति के वरदान

इसे नष्ट करने के लिए

तत्पर खड़ा है क्यों इंसान

कक्षा 10वीं के बाद करियर बनाने में सहायक कुछ महत्वपूर्ण लेख पढ़ें

  • बी.टेक क्या है? (फुल फार्म)
  • एचसीएल टेकबी कार्यक्रम के माध्यम से आईटी में कैरियर

पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन - पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें कहा गया, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन हुआ है।" सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।

मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन - इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने ‘एक ही पृथ्वी’ का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई थी।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम - 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं -

पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।

पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।

पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।

पेरिस जलवायु समझौता - इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर से 12 दिसंबर को पारित किया गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था। पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

अन्य लेख देखें:

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भारत द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम - भारतीय पर्यावरण दिवस

भारतीय पर्यावरण दिवस या फिर कहें तो भारत में पर्यावरण दिवस का साल 2021 का विषय “बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईधन को बढ़ावा देना है, इसके लिए भारत सरकार ने पूरे देश में इथेनाल के उत्पादन और वितरण के लिए E-100 नामक प्रमुख योजना की शुरुआत की हैं। सरकार E-20 अधिसूचना जारी कर रही है जो तेल कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल और इथेनॉल मिश्रण E12 तथा E15 को BIS विनिर्देशों के आधार पर बेचने की अनुमति प्रदान करेगी।

इसके अलावा भारत सरकार ने राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत पूरे देश में वनों के आस-पास के क्षेत्र में पुनर्वास तथा वन रोपण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाएगा।

हरित भारत राष्ट्रीय मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य योजना है, जिसमे जलवायु परिवर्तन को जलवायु अनुकूलन में परिवर्तित करना तथा इसकी शमन रणनीति के रूप में अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना हैं ।

राष्ट्रिय जैव विविधता कार्य योजना के अंतर्गत प्राकृतिक आवासों के क्षरण तथा हानि में कमी लाने के लिए नीतियों का कार्यान्वयन करना है।

यूज़ एंड थ्रो की प्रक्रिया को छोड़कर रिसायकल की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए

वर्षा जल-संचयन प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए

जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए

जहाँ भी संभव हो पेड़-पौधे लगाएं और उनका संरक्षण करें

अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें

प्लास्टिक का उपयोग न करें

वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने के लिए सौर उर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करें

जल का संतुलित प्रयोग करें

तीन आर अर्थात रीसायकल, रिड्यूस और रियूज़ के सिद्धांत का पालन करें

निष्कर्ष - यह पृथ्वी सिर्फ हमारा घर ही नहीं, बल्कि हमारी माता भी है, इसके शोषण और दोहन को रोकना हमारा कर्तव्य है। यदि अभी भी इसे नहीं रोका गया, तो इसका परिणाम स्वयं मानव जाति को ही भोगने होंगे। पर्यवरण दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तथा उतना ही उपयोग करें जितना हमारे लिए आवश्यक है। साथ ही अपनी अस्मिता के साथ साथ इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों की अस्मिता का आदर करें तथा पर्यवरण को संरक्षित करने का प्रयास करें।

महत्वपपूर्ण लेख:

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  • डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor)
  • इंजीनियरिंग क्या है? (What is Engineering? Hindi

Frequently Asked Question (FAQs)

छात्र इस लेख की मदद से पर्यावरण दिवस पर निबंध लिखना सीख भी सकते हैं और पर्यावरण दिवस पर निबंध pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखने की कला सिखने के लिए आप इस लेख की सहायता ले सकते हैं, पर्यावरण दिवस की महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख में उपलब्ध हैं।

वह सभी मौलिक तत्व और परिस्थितियां जो हमारे चारों ओर विद्यमान हैं वही हमारा पर्यावरण है।

पर्यावरण का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है -

भौतिक पर्यावरण

सांस्कृतिक पर्यावरण

जैविक पर्यावरण

संज्ञात पर्यावरण

पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।

 पहली बार पर्यावरण दिवस 5 जून, 1974 को मनाया गया था।

पहले पर्यावरण दिवस का विषय “केवल एक पृथ्वी” था।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर, 1986 को लागू किया गया।

पर्यावरण दिवस 2021 का विषय “पारिस्थितिकी तंत्र का पुननिर्माण”  था।

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का थीम- भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है। सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। 

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Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Geotechnical engineer

The role of geotechnical engineer starts with reviewing the projects needed to define the required material properties. The work responsibilities are followed by a site investigation of rock, soil, fault distribution and bedrock properties on and below an area of interest. The investigation is aimed to improve the ground engineering design and determine their engineering properties that include how they will interact with, on or in a proposed construction. 

The role of geotechnical engineer in mining includes designing and determining the type of foundations, earthworks, and or pavement subgrades required for the intended man-made structures to be made. Geotechnical engineering jobs are involved in earthen and concrete dam construction projects, working under a range of normal and extreme loading conditions. 

Cartographer

How fascinating it is to represent the whole world on just a piece of paper or a sphere. With the help of maps, we are able to represent the real world on a much smaller scale. Individuals who opt for a career as a cartographer are those who make maps. But, cartography is not just limited to maps, it is about a mixture of art , science , and technology. As a cartographer, not only you will create maps but use various geodetic surveys and remote sensing systems to measure, analyse, and create different maps for political, cultural or educational purposes.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Product Manager

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Operations manager.

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Bank Probationary Officer (PO)

Investment director.

An investment director is a person who helps corporations and individuals manage their finances. They can help them develop a strategy to achieve their goals, including paying off debts and investing in the future. In addition, he or she can help individuals make informed decisions.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

An expert in plumbing is aware of building regulations and safety standards and works to make sure these standards are upheld. Testing pipes for leakage using air pressure and other gauges, and also the ability to construct new pipe systems by cutting, fitting, measuring and threading pipes are some of the other more involved aspects of plumbing. Individuals in the plumber career path are self-employed or work for a small business employing less than ten people, though some might find working for larger entities or the government more desirable.

Construction Manager

Individuals who opt for a career as construction managers have a senior-level management role offered in construction firms. Responsibilities in the construction management career path are assigning tasks to workers, inspecting their work, and coordinating with other professionals including architects, subcontractors, and building services engineers.

Urban Planner

Urban Planning careers revolve around the idea of developing a plan to use the land optimally, without affecting the environment. Urban planning jobs are offered to those candidates who are skilled in making the right use of land to distribute the growing population, to create various communities. 

Urban planning careers come with the opportunity to make changes to the existing cities and towns. They identify various community needs and make short and long-term plans accordingly.

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Naval Architect

A Naval Architect is a professional who designs, produces and repairs safe and sea-worthy surfaces or underwater structures. A Naval Architect stays involved in creating and designing ships, ferries, submarines and yachts with implementation of various principles such as gravity, ideal hull form, buoyancy and stability. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Veterinary Doctor

Pathologist.

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Speech Therapist

Gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

Hospital Administrator

The hospital Administrator is in charge of organising and supervising the daily operations of medical services and facilities. This organising includes managing of organisation’s staff and its members in service, budgets, service reports, departmental reporting and taking reminders of patient care and services.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Videographer

Multimedia specialist.

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Linguistic meaning is related to language or Linguistics which is the study of languages. A career as a linguistic meaning, a profession that is based on the scientific study of language, and it's a very broad field with many specialities. Famous linguists work in academia, researching and teaching different areas of language, such as phonetics (sounds), syntax (word order) and semantics (meaning). 

Other researchers focus on specialities like computational linguistics, which seeks to better match human and computer language capacities, or applied linguistics, which is concerned with improving language education. Still, others work as language experts for the government, advertising companies, dictionary publishers and various other private enterprises. Some might work from home as freelance linguists. Philologist, phonologist, and dialectician are some of Linguist synonym. Linguists can study French , German , Italian . 

Public Relation Executive

Travel journalist.

The career of a travel journalist is full of passion, excitement and responsibility. Journalism as a career could be challenging at times, but if you're someone who has been genuinely enthusiastic about all this, then it is the best decision for you. Travel journalism jobs are all about insightful, artfully written, informative narratives designed to cover the travel industry. Travel Journalist is someone who explores, gathers and presents information as a news article.

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

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Merchandiser.

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

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A metallurgical engineer is a professional who studies and produces materials that bring power to our world. He or she extracts metals from ores and rocks and transforms them into alloys, high-purity metals and other materials used in developing infrastructure, transportation and healthcare equipment. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

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ITSM Manager

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Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

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पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध

lifestyle for environment essay in hindi

By विकास सिंह

environment and human health essay in hindi

विषय-सूचि

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (200 शब्द)

प्रस्तावना:.

मानव स्वास्थ्य को मानव स्थिति के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं के संबंध में कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है। बीमारी की अनुपस्थिति के कारण किसी व्यक्ति को केवल स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है; वह या वह वास्तव में स्वस्थ होने के लिए सभी तरह से अच्छा करने की जरूरत है।

कई कारक हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण करने में भूमिका निभाते हैं – जैविक, पोषण, मनोवैज्ञानिक और रासायनिक। ये कारक आंतरिक और बाहरी स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं। बाह्य रूप से, हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक हमारा पर्यावरण है।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य:

हमारा पर्यावरण केवल उस हवा में नहीं है जिसे हम सांस लेते हैं, हालांकि यह एक प्रमुख घटक है; यह उस पानी से होता है जिसे हम पीते हैं, यह उस मिटटी में होता है जिसे हम अपने आसपास पाते हैं एवं उस भोजन में होता है जिसे हम खाते है। प्रत्येक भाग हमें प्रभावित करता है और इस प्रकार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

वाहनों, कारखानों और आग से उत्सर्जन के साथ, हमारी वायु आपूर्ति विषाक्त रसायनों से भरी हुई है जो फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और अस्थमा का खतरा पेश करती है। हम जो भोजन करते हैं, वह कीटनाशकों में शामिल होता है जो मिट्टी को कम उपजाऊ बनाता है और हमारे लिए कैंसरकारी हो सकता है। मानव शरीर को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे जल स्रोत मानव और औद्योगिक कचरे से भरे होते हैं जो गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों को पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:

हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हमें अपने पर्यावरण के साथ तालमेल में रहना होगा। हम इसमें जो डालेंगे वह हमारे पास वापस आ जाएगा। जब तक हम कुछ नहीं करेंगे, पृथ्वी बहुत जल्द एक रहने के लिए योग्य हो जायेगी।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (400 शब्द)

डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषा के अनुसार, “मानव स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है और न केवल बीमारी और दुर्बलता की अनुपस्थिति”। यह आंतरिक के साथ-साथ बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। आंतरिक कारकों में मानव शरीर के अंदर की समस्याएं जैसे कि प्रतिरक्षा की कमी, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक या जन्मजात विकार शामिल हैं।

बाहरी कारकों में आमतौर पर तीन प्रकार के स्वास्थ्य खतरे शामिल होते हैं: पराबैंगनी और रेडियोधर्मी विकिरण, ध्वनि प्रदूषण, कार्बन मोनोऑक्साइड और सीएफसी जैसे शारीरिक खतरे; औद्योगिक खतरों, भारी धातुओं, कीटनाशकों और जीवाश्म ईंधन दहन जैसे रासायनिक खतरों; और परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस जैसे जैविक खतरे।

इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक, हमारे पर्यावरण पर निर्भर है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक ज्यादातर मनुष्यों द्वारा बनाए गए हैं। हम अपने ईको-सिस्टम में जो जारी करते हैं वह अंततः हमें वापस मिल जाता है।

पर्यावरण मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है:

चूंकि हम जीवित रहने के लिए पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भर हैं, इसलिए यह कहना सुरक्षित है कि पर्यावरण में कोई भी परिवर्तन मानव कल्याण को प्रभावित करेगा। हालाँकि, इन दोनों के बीच वास्तविक संबंध हमारे विश्वास से अधिक जटिल है और इसका आकलन करना हमेशा आसान नहीं होता है। सबसे स्पष्ट प्रभाव जो हमने देखा है वह बिगड़ते पानी की गुणवत्ता, वायु प्रदूषण और विषम परिस्थितियों से हैं। विकिरण विषाक्तता भी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक परिणाम है।

इन मुद्दों की प्रतिक्रिया हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को साफ करने का एक समग्र प्रयास रही है। जबकि यह कुछ देशों के लिए काम किया है, ज्यादातर विकसित दुनिया में, यह दुनिया के विकासशील देशों में अच्छी तरह से लागू नहीं किया गया है। देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते वायुसेना में सीएफसी के उत्सर्जन और उनके द्वारा ओजोन परत को हुए नुकसान जैसी कुछ और तात्कालिक चिंताओं को दूर करने में कामयाब रहे हैं।

कॉरपोरेट जगत अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और हरित ’समाधान की ओर भी प्रयास कर रहा है। हालाँकि, कई चिंताएँ हैं जिन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया जा सका है और जैव विविधता जैसे नियंत्रण से बाहर हो रही हैं; हर दिन औसतन एक प्रजाति मर जाती है। इसके अलावा, भोजन की उचित आपूर्ति बनाए रखना कठिन होता जा रहा है, ताकि दुनिया भूखे न रहे।

हम अपने आस-पास के वातावरण में होने वाले किसी भी बदलाव के प्रभावों के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए बस अपने परिवेश में बहुत अच्छी तरह से जुड़े होने चाहिए। समस्या यह है कि क्योंकि स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच संबंध जटिल है, इसलिए हम बड़े बदलाव करने के लिए प्रेरित नहीं हुए हैं; हम अकाट्य प्रमाणों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब तक हम इसे प्राप्त करें, तब तक बहुत देर हो सकती है।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (500 शब्द)

अस्वास्थ्यकर पर्यावरण अस्वस्थ जीवन:, पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:, मानसिक स्वास्थ्य:, जल संदूषण प्रभाव:, संकल्प के लिए दृष्टिकोण:.

  • पृथ्वी पर निम्नांकित और प्राकृतिक प्रणालियाँ जो दबाव में हैं, पारिस्थितिकी तंत्र, जो कि रोग के प्रकोप, भोजन की कमी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपदाओं की संभावना है।
  • अपर्याप्त स्वच्छता, खराब स्वच्छता और असुरक्षित पानी जो घातक बीमारियों, खराब मानसिक स्वास्थ्य और यहां तक ​​कि आर्थिक उत्पादकता को बुरी तरह से प्रभावित करने का कारण हैं।
  • गरीब पोषण शारीरिक गतिविधि के गिरते स्तर के साथ संयुक्त, गैर-संचारी रोगों के प्रसार के लिए अग्रणी।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, एक स्वस्थ वातावरण का मतलब स्वस्थ लोगों से है। यह कहना नहीं है कि बीमारी और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा लेकिन इन घटनाओं की घटनाओं में कमी आएगी और हर साल लाखों मानव जीवन नहीं खोएंगे।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (600 शब्द)

मानव स्वास्थ्य या मानव कल्याण दो मुख्य कारकों से प्रभावित होता है – व्यक्तिगत लक्षण या आंतरिक कारक और पारिस्थितिक कल्याण या बाहरी कारक। हालांकि, ज्यादातर समय, जब मानव स्वास्थ्य की स्थिति पर शोध किया जाता है, इन दो कारकों की एक दूसरे से अलगाव में जांच की जाती है। यदि कोई सही मायने में इस सवाल का जवाब देना चाहता है – पर्यावरण व्यक्तिगत स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है – किसी को मिलकर दोनों कारकों को देखना होगा। जलवायु परिवर्तन की चेतावनी और उनके प्रति सरकारी उदासीनता के मद्देनजर यह अब विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण का प्रभाव:

स्वास्थ्य संबंधी पर्यावरणीय अध्ययन या पर्यावरण से संबंधित स्वास्थ्य अध्ययनों में कमी के साथ, विशेष रूप से पश्चिम में उन लोगों ने, विशेष एलर्जीनिक, संक्रामक या विषाक्त एजेंटों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया है। वे व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं जो मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों को भी कवर करते हैं।

कुछ शोधकर्ता इस बात से सहमत हैं कि मानव स्वास्थ्य का अध्ययन करते समय अध्ययन किए जा रहे लोगों के पर्यावरण के प्रभाव को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। यह प्रभाव इस तथ्य में देखा जा सकता है कि भूगोल के अनुसार स्वास्थ्य असमानताएं मौजूद हैं। वास्तव में, स्वास्थ्य सामाजिक और भौतिक वातावरण से प्रभावित होता है।

अतिरिक्त शोध से यह भी पता चला है कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और हरित स्थानों के प्रसार के बीच सीधा संबंध है; हरे रंग की जगह के लिए अधिक निकटता, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य।

पर्यावरणीय प्रभाव में सामाजिक-आर्थिक अंतर:

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, यह रिश्ता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से काम करता है। दूसरे शब्दों में, इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुनिया में कहां हैं, तत्काल स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और उन चिंताओं को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक विविध हो सकते हैं।

विकासशील देशों में शिशु मृत्यु दर, कुपोषण और संक्रामक रोगों जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इन देशों में तात्कालिक पर्यावरण संबंधी चिंताएँ स्वच्छता, स्वच्छता, खनन, अयस्क प्रसंस्करण, तेल उत्पादन और जल की गुणवत्ता हैं। हालांकि, जब कोई विकसित राष्ट्रों को देखता है, तो स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं कैंसर, फेफड़े की बीमारी और हृदय रोग जैसे मुद्दों पर घूमती हैं। इन देशों में उद्योगों के आसपास अर्थव्यवस्थाएं बनी हैं और वे उद्योग अपने खतरनाक कचरे को जिम्मेदारी से नहीं हटाते हैं, जिससे आसपास के जल निकायों और मिट्टी को दूषित होता है।

इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि उन रोगों के पीछे के कारणों की तुलना में बीमारियों पर अधिक जोर दिया जाता है। कारण अलग-अलग होते हैं; बीमारियां जरूरी नहीं हो सकती हैं।

विश्व भर में स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव के उदाहरण:

दुर्भाग्य से, दुनिया का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जो पर्यावरणीय क्षति से मुक्त हो, यहां तक ​​कि ध्रुवीय क्षेत्र भी नहीं। यदि कोई देख रहा है, तो एक लगभग हमेशा उन पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का पता लगाएगा। यह मदद नहीं करता है कि चीन और भारत जैसे देश बहुत तेज़ी से विकसित हो रहे हैं। उनकी गति ऐसी है कि पर्यावरण संबंधी चिंताएँ विकास को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं।

मानव अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपवाह और सिर्फ सादे पुराने डंपिंग दोनों देशों में पारिस्थितिकी के साथ कहर खेल रहे हैं। फिर पूर्वी यूरोपीय देश हैं, जिनमें से कई पूर्व सोवियत संघ के राज्य हैं। पिछले दशकों में, भारी धातु और नाइट्रेट जैसे खतरनाक कचरे को बिना किसी योजना या एहतियात के फेंक दिया गया था। परिणाम भूजल और सतही जल बुरी तरह से दूषित है, न कि मिट्टी की निचली गुणवत्ता का उल्लेख करने के लिए।

अंत में कुछ कार्रवाई की जा रही है जहां ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जा रही है और ऐसे स्थानों में मिट्टी और सतह के पानी को फिर से बनाने, पुनः प्राप्त करने और पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया गया है; हाल्नाकी इस कदम को उठाने में बहुत देर लगाई गयी है लेकिन अभी भी बहुत देर नहीं हुई है और हमारे वातावरण को बचाया जा सकता है।

यदि कोई वास्तव में जानना चाहता है कि स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव कैसा दिखता है, तो उन्हें हमें बुलबुले से बाहर निकलना होगा और पूरे पर्यावरण पर ध्यान देना होगा नाकि बीएस घर के आसपास के वातावरण को। उन्हें एक व्यक्ति के साथ-साथ एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से स्वास्थ्य विकारों का अध्ययन करना चाहिए।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

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पर्यावरण पर 5 लाइन का छोटा निबंध (5 Lines On Environment in Hindi)

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हमारे आसपास मौजूद हर चीज पर्यावरण है, जिसमें हवा, पानी, पेड़-पौधे व अन्य सभी सजीव और निर्जीव शामिल हैं। दुनिया में जीवन आने के बाद से विकास शुरू हुआ और हर दौर के लोगों ने पर्यावरण का अपने अनुरूप प्रयोग किया। समय के साथ आधुनिकीकरण भी बढ़ता गया और हम मनुष्यों ने भविष्य की चिंता न करते हुए प्राकतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पर्यावरण खतरे में आ गया और उसके साथ-साथ अब हम सब का जीवन भी खतरे में है। इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी और हम सभी को मिलकर लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।

नीचे हिंदी में दिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध के जरिए आप बेहतर रूप से पर्यावरण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने बच्चे को भी शिक्षित कर सकते हैं। क्योंकि आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण की डोर आपके बच्चे के हाथों में होगी।

निबंध लिखने की शुरुआत छोटे क्लास से ही शुरू हो जाती है। क्लास 1, 2 या 3 के बच्चों को एंवायरमेंट पर हिंदी एस्से लिखना है, तो वो किस तरह से लिख सकते हैं नीचे 5 लाइन में बताया गया है।

  • हमारे आसपास और चारों ओर जो कुछ भी सजीव और निर्जीव है, वह पर्यावरण है।
  • इंसान और जानवरों को जीने के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण की जरूरत है।
  • स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल मिलकर पर्यावरण बना है।
  • प्लास्टिक और अन्य हानिकारक घटक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
  • पर्यावरण में सुधार के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण हम सब के जीवित रहने के लिए जरूरी है और इसे जीवित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। जिसकी जानकारी आने वाली जनरेशन को होना चाहिए। नीचे दिए गए 10 लाइन के पर्यावरण पर लेख से आप इसके बारे में आसानी से समझ सकते हैं।

  • हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से पर्यावरण बना है।
  • स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख घटक है।
  • विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
  • पर्यावरण दूषित होने से इंसान और जानवरों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
  • स्वस्थ जीवन के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण का होना जरूरी है।
  • पर्यावरण के दूषित होने के कारण लोगों में बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
  • हमें लोगों में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए।
  • पर्यावरण बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
  • प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर देना चाहिए।
  • पुनःउपयोग और पुनःचक्रण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

निबंध लिखने की शुरुआत क्लास 1, 2 और 3 के बच्चों से कर दी जाती है, जैसे-जैसे क्लास बढ़ता है निबंध और विस्तार में लिखा जाने लगता है। बड़ों के लिए निबंध लिखना आसान होता है, लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह एक चुनौती हो सकता है। इस चुनौती को आसान बनाने के लिए हिंदी में पर्यावरण पर दिए गए निबंध को पढ़ें।

पर्यावरण का मतलब होता है हमारे आसपास मौजूद सभी चीजें जो कही न कहीं हमे प्रभावित कर रही हैं। जैसे कि हवा, पानी, पेड़, जानवर, गंदगी, आदि। अगर आपका पर्यावरण स्वच्छ है तो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित चीजें जैसे कि मनुष्य, जानवर को बढ़ने और विकास करने में मदद मिलेगी। लेकिन अब कई इंसानों द्वारा विकसित की गई तकनीकों के कारण हमारी पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो हमारा पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ रहा है। ऐसे कर के इंसान बिना भविष्य के बारें में सोचकर अपने ही जीवन को खतरे में डाल रहा है। क्योंकि पर्यावरण हमें वो सभी जरूरतमंद संसाधन प्रदान करता है जो हमारे बढ़ने और विकास के लिए बेहतर माने जाते हैं। पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए हमें पर्यावरण को दूषित करने वाले सभी कार्यों को रोकने का प्रयास करते रहना चाहिए ताकि बच्चों के आने वाले भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाएं

पर्यावरण हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से मिलकर बना है। स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख अंग है। पर्यावरण का महत्व समझते हुए हम सब को पर्यावरण बचाने का प्रयास करना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शामिल करें, क्योंकि अब भविष्य इन्हे ही तय करना है, और उसकी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए। कुछ नीचे बताए बिंदुओं से पर्यावरण के बारे में हम विस्तार में हम जानेंगे।

पर्यावरण क्या है? (What Is the Environment?)

पर्यावरण का अर्थ है ‘’चारों ओर से घिरा हुआ’’ जिसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि हमारे आसपास मौजूद लगभग हर चीज पर्यावरण के दायरे में आती है। प्राकृतिक और मानवीय पर्यावरण मिलकर एक संपूर्ण पर्यावरण का निर्माण करते हैं। जिसमें भूमि, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी तथा जीव जन्तु आदि शामिल है।

पर्यावरण का महत्व (Significance of Environment)

  • मनुष्य जीवन का निर्भर होना: हम इंसानों का जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर करता है। जैसे भोजन, पानी हवा आदि।
  • प्राकृतिक संसाधन का बेहतरीन स्रोत: पर्यावरण हमारी रोज की दिनचर्या को चलाने के लिए वो सभी प्राकृतिक तत्व प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जिंदा रहने वाले सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।
  • रोजगार का माध्यम: लाखों-करोड़ों किसान अपनी रोजी-रोटी के लिए पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं। जो किसानी कर के फसलों को उगाने और बेचने का काम कर रहे हैं और इससे उनका घर चल रहा है।
  • खाने का मुख्य स्रोत: पर्यावरण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका है, इसके जरिए हमे वो मिलता है जिसके बिना जीवन मुमकिन नहीं है और वो है भोजन, हमारा खाना जो हमारी सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है।
  • औषधियों का स्रोत: हमारी प्रकृति औषधियों का एक समृद्ध स्रोत है। सालों से ही लोगों के इलाज लिए जड़ी-बूटी और आयुर्वेद का सहारा लिया जाता रहा है और अभी इसका उपयोग जारी है।

पर्यावरणीय अवनयन या पर्यावरण ह्रास के प्रमुख कारण (Major Causes Of Environmental Degradation)

पर्यावरणीय ह्रास के दो प्रमुख कारण हैं पहला प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित, जिसकी वजह से हमारे नेचुरल रिसोर्सेज और इकोसिस्टम प्रभावित हो रहे हैं। प्राकृतिक कारणों के पीछे भी कही न कहीं हम ही जिम्मेदार हैं। इसे समय रहते रोकना बहुत जरूरी है। हमारे द्वारा पैदा किया जाने वाले प्रदूषण, फैक्ट्री और वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों से पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा लड़कियों से बनने वाले सामानों की बढ़ती मांग के चलते पेड़ों को तेजी से काटा जा रहा है, जंगल खत्म किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बिगड़ने लगा है। इतना ही नहीं इन दिनों नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरों की वृद्धि के कारण रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ाया जा रहा है, जो हमारी मिटटी की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल रहा और फसलों पर भी।

पर्यावरण को बचाने के उपाय (Measures To Protect The Environment)

हम पर्यावरण को बचाने के लिए यह आसान उपाय अपने जीवन में लागू कर सकते हैं:

  • पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
  • नहाते वक्त या घर के अन्य कामों के लिए सिर्फ जरूरत भर पानी का इस्तेमाल करें।
  • जरूरत न होने पर घर के पंखें और लाइट को बंद कर दें।
  • बिजली बचाने वाले उपकरणों का प्रयोग करें।
  • इको-फ्रैंडली चीजों का जितना हो सके प्रयोग करें।
  • लोगों के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाएं।
  • हर दिन लगभग 27,000 से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
  • प्लास्टिक के कारण हर साल लगभग 1,000,000 समुद्री जानवरों की मौत हो जाती है।
  • पृथ्वी का केवल 1% पानी ही पीने योग्य है।
  • ऑक्सीजन हर जीवित प्राणियों के लिए जरूरी है।
  • पेड़ से बनाए गए पेपर को 6 बार रीसायकल किया जा सकता है।

हमारा पर्यावरण अगर बेहतर होगा तो हमारी पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवित लोग भी सुरक्षित रहेंगे। बच्चे आने वाले कल का भविष्य हैं और इसलिए बच्चों को इसके महत्व के बारे में जानकारी होना जरूरी है। ध्यान रहे कि प्लास्टिक और पर्यावरण को दूषित करने वाली हर वस्तु के प्रयोग से हमे बचना चाहिए और एको फ्रैंडली चीजों का उपयोग करना चाहिए साथ साथ जितना हो सके उतने ज्यादा पेड़ लगाएं।

1. प्रथम पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था ?

प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया था।

2. भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट किसे कहा जाता है?

श्रीमती सुनीता नारायण को भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट कहा जाता है। यह एक भारतीय एनवीरोंमेंटलिस्ट और राजनीतिक कार्यकर्ता थी।

3. पर्यावरण में क्या-क्या शामिल होता है?

पर्यावरण में सभी तरह की जीवित और निर्जीव चीजें शामिल होती हैं, जैसे पेड़, जीव-जंतु, वायु, स्थल, जल आदि जिसके आधार पर मानव जीवन टिका हुआ है।

यह  भी पढ़ें:

गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi) प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)

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lifestyle for environment essay in hindi

Essay on Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध हिंदी में

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के बिना इंसानों का पृथ्वी पर जीवित रहना नामुमकिन है।

लेकिन फिर भी इन सबको सुरक्षित और साफ रखने में हम दिलचस्पी नही दिखाते। हमें लगता है यह सब कुदरती वरदान है जो कभी खत्म नही होगा, पर यह सही नही है।

कुदरत ने हमें यह सब वरदान के तौर पर जरूर दिया है लेकिन यदि हमने पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का ही ध्यान रखना छोड़ दिया तो यह सब भी हमसे छिन जाएगा।

Essay on Environment in Hindi में हमने इस विषय को गहराई से समझाया है। आप इन निबंधों का उपयोग अपनी परीक्षा में भी कर सकते हैं।

Table of Contents

Long And Short Essay on Environment in Hindi (300 words)

हमारी पृथ्वी पर जितने भी जीवधारी मौजूद है उन सब मे सबसे शक्तिशाली हम इंसान है लेकिन यदि प्रकृति के सभी घटक नही हो तो हम इंसानों का इधर जीवित रह पाना नामुमकिन है। प्रकृति के बाकी घटक मिलकर जिसका निर्माण करते हैं वह पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण के बारे में आज दुनियाँ में बहुत ज्यादा बातें होने लगी है क्योंकि हमारी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।

पर्यायवरण का महत्व (Importance of Environment)

इंसान स्वस्थ रहें और एक अच्छा जीवन जिये इसमे पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का बहुत अधिक महत्व है। यह कहना बिलकुल गलत नही होगा कि पृथ्वी पर जीवन की एक मात्र वजह यहाँ का पर्यावरण है।

जिस दिन यह नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगा उसी दिन से पृथ्वी पर जीवन कठिन हो जाएगा। पर्यावरण के कारण ही हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए निर्मल जल और खाने के लिए अनाज मिलता है।

पेड़-पौधे पर्यावरण का एक अहम भाग है। इनकी मौजूदगी न सिर्फ हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा करती है बल्कि मानसिक शांति के द्वार भी खोलती है।

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक हो सकें और पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के महत्व को समझ सकें इसके लिए प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की नही है बल्कि सभी लोगो को यह समझना होगा कि पर्यावरण है तो ही जीवन है।

हम सब जानते हैं कि पृथ्वी के अलावा पूरे ब्रम्हांड में दूसरे किसी ग्रह पर जीवन नही है और यदि होगा भी तो हम अब तक वहाँ नही पहुँच सकें हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि पर्यावरण बचाने के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। अन्यथा यह ग्रह हमारे रहने लायक नही बचेगा और एक बार स्थिति हमारे हाथ से निकल जाने के बाद हम कुछ नही कर सकेंगे।

हमें अपने जलस्त्रोतों को स्वच्छ बनाकर रखना जरूरी है। पॉलीथिन के उपयोग से भी वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे छोटे छोटे प्रयास एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, इसलिए सबको कोशिश करना चाहिए।

Speech On Environment in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सभी माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों.

आज मुझे खुशी हो रही है किसी मंच पर बैठकर हम सब पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) जैसे गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे हैं। और इससे भी ज्यादा हर्ष की बात यह है कि मुझे भी इस अवसर पर बोलने योग्य समझकर अपना वक्तव्य पेश करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं आभारी हूँ।

एक तरफ खुशी इस बात की है आज हम कम से कम यह तो मान रहे हैं कि हमारी पृथ्वी जिसे हम भारतीय माँ का दर्जा देते हैं, वह मुश्किल में हैं।

लेकिन दुख इस बात को लेकर है कि हम कितने गैर जिम्मेदार लोग है जो यह भी नही सोचते कि यह पृथ्वी जितनी हमारी है उतनी ही वन्य जीवों की है। इस पर उन्हें भी उतना ही अधिकार है जितना हमें।

लेकिन भगवान ने हमें बुध्दि दी है और इसी बुध्दि का उपयोग कर हमने सभी को अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया।

पृथ्वी के सभी मूल्यवान तत्वों का दोहन करने लगे, पेड़ पौधों को काटने लगें, कचरा फैलाने लगे, हवा दूषित करने लगे और जिसका नतीजा हुआ कि आज हमें यहाँ पर्यावरण को सुरक्षित करने जैसे विषय पर चर्चा करने की जरूरत पड़ रही है।

हमें यह मानना होगा कि इस पृथ्वी पर सबसे ताकतवर हम नही है। क्योंकि यदि इस पर्यावरण का योगदान हमें न मिलें तो पृथ्वी पर हम सब 1 दिन भी जिंदा नही रह पायेंगे।

पर्यावरण से हमें खाना, पानी, हवा, खनिज, लवण सब कुछ मिलता है लेकिन बदलें में हम पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) को क्या देते है?

प्रदूषित जल, जहरीली हवा, पेड़ों की कटाई, समुद्रों में फैलता प्रदूषण ये सब? कहते हैं कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से चलता है। अब आप ही बताइए हम पर्यावरण को बुरी चीज़े दे रहे हैं तो पर्यावरण हमारा भला कब तक सोचता रहेगा?

दुनियाँ की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन कोई इस पर बात नही करता। इतनी बड़ी जनसंख्या रहेगी कहाँ? वनों को काटकर? खाएगी क्या? क्या हमने कभी इस बारे में विचार किया है ?

हम सब इस वक़्त सिर्फ अपना लाभ ही सोच रहे हैं लेकिन सोचिए हमारी अगली पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी? हमारे पूर्वजों ने हमें एक स्वच्छ पृथ्वी दी थी लेकिन हम भावी पीढ़ियों के लिये एक दूषित पृथ्वी बनाने में जुटे हुए हैं।

लेकिन अब वक्त आ चुका है। यदि अभी भी नही जागे तो बहुत देर हो जाएगी। फिर हाथ मलने के अलावा और कुछ बचेगा नही। इसलिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

देश की सरकारें जो कर रही है वो उन्हें करने दीजिए, साथ मे हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ अपनी तरफ से करें। सब कुछ सरकारों के ऊपर नही छोड़ सकते।

हमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण को रोकने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह हमारे हाथ मे है। आज संकल्प करें कि कभी भी पानी मे किसी भी तरह से गंदगी नही फेकेंगे।

यदि संभव हो सकें तो घर मे सोलर पैनल लगवाएं। इससे ऊर्जा का उत्पादन भी साफ तरीके से हो पाएगा साथ मे आपके ऊपर पड़ने वाला बिजली बिल का बोझ भी कम हो जाएगा।

यकीन मानिए यदि हम सब मिलकर अपनी जीवनशैली में कुछ छोटे छोटे बदलाव कर लें तो एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है। इसके लिए जरूरी है बस इच्छाशक्ति की।

अपने वक्तव्य को मैं कुछ खूबसूरत पंक्तियों के साथ विराम दूंगा की

प्रण करो उन मंजिलों के,काँटे हम हटाएँगे ,

अपने “Environment Day” पर उसमे नए फूल हम लगाएँगे ,

हो सकेगा तो खुद को इतना मज़बूत हम बनाएँगे , कि पहले की तरह ही “Nature” में जीना फिर से हम अपनाएँगे ॥

Essay on Save Fuel for Environment and Health (500 Words)

कहते हैं हमारी पृथ्वी के नीचे प्राकृतिक संसाधन का भंडार है। इन्ही संसाधनों का उपयोग हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं।

इन्हें पहले हम जमीन से निकालते हैं, फिर शोधन प्रक्रिया के द्वारा उपयोग योग्य बनाते है, फिर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये सभी प्राकृतिक संसाधन सीमित मात्रा में ही मौजूद है। एक न एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब जीवाश्म ईंधन समाप्त जो जाएगा।

जीवाश्म ईंधन क्या है? (What is Fossil Fuel)

जब पेड़-पौधे, जीव-जंतु करोड़ो-अरबो साल तक पृथ्वी के नीचे दबे रहते हैं तो उच्च ताप और दाब के कारण वो ईंधन में परिवर्तित हो जाते हैं यही जीवाश्म ईंधन कहलाता है।

जीवाश्म ईंधन को बनने में करोड़ों वर्ष का वक़्त लगता है। जीवाश्म ईंधन एक ऐसा ऊर्जा स्त्रोत है जो एक न एक दिन समाप्त हो जाएगा।

ईंधन का संरक्षण क्यों है जरूरी? (Why is Fuel Conservation Impoartant)

हम सब को ईंधन का संरक्षण ठीक उसी तरह से करना चाहिये जैसे जल का करते हैं। हमारे ईंधन पूर्ति के मुख्य स्त्रोत जीवाश्म ईंधन है। लेकिन इसकी मात्रा तो सीमित है।

उद्योग के लिए मिलने वाली बिजली जीवाश्म ईंधन से बनती है, भारीभरकम वाहन जीवाश्म ईंधन की मदद से चलते हैं।

कहने के लिए तो आज हम पवनचक्की, सोलर पैनल जैसी कई चीज़े बना चुके हैं जो हवा, पानी और सूर्य की गर्मी से बिजली बना सकते हैं लेकिन इनसे उत्पादित होने वाली ऊर्जा की मात्रा इतनी ज्यादा नही होती कि पूरे विश्व की जरूरत को पूरा कर सकें।

इसलिए इस वक़्त सबसे बेहतर विकल्प यही है कि जीवाश्म ईंधन की बचत करें। ताकि इसका उपयोग हम लंबे वक्त तक कर सकें।

ईंधन का कम उपयोग करने पर होता है स्वास्थ्य बेहतर (Health is Better by using less Fuel)

जीवाश्म ईंधन भले ही हमारी ऊर्जा की जरूरतें पूरी करता है लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत हानिकारक है। इसके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैस निकलती हैं जो सांस संबंधी कई बीमारियों को जन्म देती हैं।

वातावरण में जब इन गैसों की अधिकता हो जाती है तो सांस लेने में घुटन महसूस होने लगती है, त्वचा में जलन होने लगती है, घबराहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याएं जन्म लेने लगती है।

पर्यावरण के लिए भी है नुकसानदायक (Harmful of the Environment)

कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन आदि गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है। इसकी वजह से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट होने लगता है जिससे वातावरण ज्यादा गर्म हो जाता है।

इन गैसों की खास बात होती है कि ये ऊष्मा को अपने अंदर संग्रहित कर लेती है और गर्म हो जाती है। इसी वजह से जब इनकी मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है तो ग्लोबल वार्मिंग होने लगता है।

ईंधन बचाने के उपाय (Ways to Save Fuel)

ईंधन बचाने के लिए हम कुछ जरूरी उपाय कर सकते हैं जैसे कि :-

  • गाड़ी हमेशा धीमी गति में चलाएं। इससे हम ईंधन की खपत होगी।
  • गाड़ी चलाते वक्त बार बार क्लच न दबाएं।
  • जब भी सड़क में चलें तो कोशिश करना चाहिए कि गाड़ी एक ही रफ्तार में चले, इससे ईंधन की बचत होती है।
  • जब भी रेड सिग्नल में खड़ें हो तो गाड़ी बंद कर दें।
  • गाड़ी का तभी उपयोग करें जब बहुत जरूरी हो, पास जाने के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग करें।
  • समय समय पर गाड़ी की सर्विसिंग जरूर करना चाहिए।
  • शाम या रात के वक़्त रास्तों में ज्यादा भीड़ नही रहती है इसलिए गाड़ी को बार बार रोकना नही पड़ता। तो कोशिश करें कि रात में गाड़ी का उपयोग ज्यादा हो दिन की तुलना में।

हमें अपने सभी निर्णय भविष्य को ध्यान में रखकर लेना चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है कि भविष्य में ऊर्जा उत्पादन के कई तरीके आ जाएंगे लेकिन अभी जितने भी तरीके मौजूद है उन सब मे जीवाश्म ईंधन सबसे ज्यादा दक्ष है। इसलिए इसका उपयोग कम से कम करें तो बेहतर है ताकि लंबे समय जीवाश्म ईंधन बचा रहे।

Essay on Environment Pollutions in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध. (2000 Words)

पर्यावरण प्रदूषण आज की एक बड़ी समस्या है। हमारी ही गतिविधियों के कारण कई ऐसे हानिकारक तत्व वातावरण में सम्मलित हो जाते हैं जिनके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कई अलग अलग प्रकार है। हर तरह के प्रदूषण का हमारे ऊपर पड़ने वाला प्रभाव भी अलग-अलग है।

पर्यावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव न सिर्फ हमारे जीवन मे पड़ रहा है बल्कि साथ में वन्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज कई जीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं।

पर्यावरण का अर्थ (Environment Meaning in Hindi)

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘परि+आवरण’ जिसका अर्थ है हमारे चारों तरफ मौजूद आवरण. पर्यावरण असल मे हमारे चारों तरफ मौजूद एक आवरण है जिसमे, चल-अचल, सजीव-निर्जीव, प्राकृतिक-अप्राकृतिक सभी चीजें आती है।

पर्यावरण की यह परिभाषा इंसानों की दृष्टि से है। अर्थात इंसान खुद को बीच मे रखकर देखता है तब पर्यावरण को इस तरह वर्णित किया जा सकता है।

हम खुद भी पर्यावरण का ही हिस्सा है। क्योंकि इस पृथ्वी में संतुलन बनाने का काम इंसान भी करते हैं। हालांकि इंसान एक बुद्धिमान जीव होने के नाते अपने हिसाब से पर्यावरण का दोहन भी कर लेता है, जिसके दुष्परिणाम सबको भुगतने पड़ते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है? (What is Environmental Pollution)

जब पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्व मिल जाते हैं जो हमारे ऊपर और प्रकृति के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं, यही घटना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्व प्रदूषक कहलाते हैं। प्रदूषक हमेशा ही मौजूद रहते हैं। ऐसा नही है कि पहले जमाने मे प्रदूषक नही होते थे लेकिन इनकी मात्रा इतनी ज्यादा नही होती थी, की हमारे ऊपर बुरा प्रभाव पड़े।

लेकिन पिछले 100 सालों में इंसानों की गतिविधियों ने प्रदूषकों की मात्रा में बहुत ज्यादा इज़ाफ़ा किया है। इसी का प्रभाव आज हमें जल, वायु, मृदा आदि प्रदूषण के तौर पर दिखाई दे रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental Pollution)

प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

प्रदूषण के जितने भी रूप में मौजूद हैं उनमें सबसे खतरनाक और सामान्य वायु प्रदूषण है। दुनिया में लोगों की तेजी से बढ़ती शहरीकरण की इच्छा इस प्रदूषण की कहीं ना कहीं एक मुख्य वजह है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ईंधन का दहन है फिर चाहे वह उद्योग धंधों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या घरेलू कामों में, वाहनों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या फिर बिजली के उत्पादन में उपयोग होने वाला ईंधन, यह सभी मिलकर पर्यावरण में मौजूद वायु को प्रदूषित कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण का स्तर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि हमारे पास आज भी जीवाश्म ईंधन का कोई विकल्प नहीं है। इस वजह से हम ना चाहते हुए भी अपने ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर है।

जीवाश्म ईंधन के दहन से कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फरडाइऑक्साइड जैसे विषैली गैस निकालती हैं, जिसका बहुत बुरा असर वातावरण पर पड़ता है।

वातावरण में इनकी मौजूदगी से ना सिर्फ हमें सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है इसके साथ ही इन गैसों की वजह से तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्रभाव वायु प्रदूषण के स्तर का बखान करने के लिए काफी है।

वायु प्रदूषण के कारण ही हमें अस्थमा, हृदय से संबंधित कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित होती है।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

कहा जाता है जल ही जीवन है लेकिन जब जीवन देने वाला यह जल ही प्रदूषित हो जाए तो फिर जीवन भला किस तरह जीवित रह पाएगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमने यह देखा है कि जल प्रदूषण की समस्या बहुत तेजी से उभर कर सामने आई है। कई सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि आज विश्व की आधी आबादी स्वच्छ जल के अभाव में अपना जीवन जी रही है।

दुनियाँ में कई ऐसे देश है जहाँ पर लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है यह सब जल प्रदूषण का एक छोटा सा उदाहरण है।

यदि जल प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो इसके दुष्परिणाम कितने भयावह होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है, इसकी छोटी सी तस्वीर हमें आज से ही दिखाई देनी शुरू हो गई है।

लेकिन असली समस्या जल प्रदूषण के कारणों को लेकर है। जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योगों से निकलने वाला औद्योगिक कचड़ा है, जिसको जल स्रोतों में ही निर्वासित कर दिया जाता है।

इसका बुरा प्रभाव ना सिर्फ जलीयजीवो के ऊपर पड़ता है बल्कि इंसानों के ऊपर भी काफी विपरीत असर पड़ता है । हम सब पीने के पानी के लिए नदियों के जल पर ही निर्भर है पर जब यही जल दूषित हो जाएगा तो इस जल को पी कर हमारे अंदर भी कई तरह की बीमारियां हो जाएगी।

जल प्रदूषण का दूसरा कारण कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है। ऐसी दवाएँ जमीन के द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं और यह सब भूमिगत जल में मिल जाती हैं।

जिससे कि वह जल भी प्रदूषित हो जाता है। समुद्री जल के प्रदूषित होने का एक सबसे बड़ा कारण पेट्रोलियम पदार्थों का पानी में मिल जाना है।

अधिकतर देशों के लिए पेट्रोलियम के आवाजाही का काम समुद्री मार्गों के द्वारा ही होता है लेकिन कभी-कभी पेट्रोलियम पदार्थ ले जाने वाले जहाजों में खराबी आ जाती हैं जिससे पूरा पेट्रोलियम पदार्थ समुद्री जल में मिल जाता है।

पेट्रोलियम और जल अघुलनशील होते हैं इसलिए यह हमेशा के लिए मौजूद रहता है।

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

मृदा प्रदूषण से तात्पर्य भूमि की उर्वरक क्षमता का घटना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज हमने कई उन्नत रसायनों का निर्माण कर लिया है जिसकी सहायता से हम फसल की पैदावार कई गुना बढ़ा सकते हैं।

लेकिन इसका दुष्प्रभाव भूमि की उर्वरक क्षमता पर दिखाई देता है। भूमि पर प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन जैसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो भूमि की उर्वरक क्षमता को बरकरार रखते हैं।

लेकिन कीटनाशकों और उत्पादन बढ़ाने वाली रसायनों के उपयोग से धीरे-धीरे यह नाइट्रोजन तत्व खत्म होते जाते हैं जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता बहुत कम हो जाती है।

भूमि की उर्वरक क्षमता घटने का दूसरा कारण है उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा है। हमें देखते हैं कि औद्योगिक कचड़े का निवारण सही तरह से नहीं किया जाता है।

उन्हें किसी जगह पर इकट्ठा करके रखा जाता है लेकिन यह कचड़ा इतना खतरनाक होता है कि किसी उपजाऊ भूमि को बंजर भूमि में बदल सकता है।

बारिश के मौसम में यही खिचड़ा बहकर अपने आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है। इन दो कारणों के अलावा तीसरा कारण वनों की कटाई है जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेड़ों में क्षमता होती है कि वह अपने आसपास की भूमि को बांध कर रखते हैं जिसे भूमि का कटाव नहीं होता पर वृक्षों की कटाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसकी वजह से भूमि का कटाव भी बढ़ने लगा है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

जब सुनने में भद्दी लगने वाली आवाज की तीव्रता 80Db से ज्यादा हो जाती है तो इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। इतनी तीव्र आवाज हमारी मनःस्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। मानसिक अशांति इसका एक बड़ा उदाहरण है। बच्चे और बुजुर्ग के ऊपर ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा असर देखने को मिलता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

यह प्रदूषण परमाणु कचरे के कारण होता है। इसे बहुत खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव एक पीढ़ी तक ही सीमित नही रहता, बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियाँ इसके बुरे प्रभाव से पीड़ित रहती हैं।

इससे कैंसर, बांझपन, अंधापन जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती है। ऐसा प्रदूषण अधिकतर परमाणु संयंत्रों के आसपास होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण का सबसे बड़ा भुक्तभोगी देश जापान है, जहाँ दो परमाणु बम 1945 में गिराए गए थे लेकिन उसका दुष्प्रभाव आज की पीढ़ियाँ भी भुगत रही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारक (Main Factors of Environmental Pollution)

पर्यावरण प्रदूषण के कई कारक होते हैं, जिनमे से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष होते हैं। कुछ कारक स्पष्ट तौर पर दिखाई दे जाते हैं जबकि कुछ कारक सीधे तौर पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नही होते लेकिन उनकी वजह से प्रदूषण करने वाले तत्व पैदा होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ कारक निम्नलिखित है:-

उद्योगों से निकलने वाला कचरा (Industrial Waste)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचरा है। जब से दुनियाँ में औधोगिकीकरण की शुरुआत हुई है तब से पर्यावरण में असंतुलन बहुत ज्यादा बढ़ा है।

अधिकतर उद्योगों में हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है , जो पानी मे मिल होता है। जब यह पानी किसी उपयोग के लायक नही बचता तब इसे नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे कि नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता है।

फिर इसी प्रदूषित जल का उपयोग हम सब करते हैं, विभिन्न प्रकार के जानवर करते हैं, जिसके फलस्वरूप हम कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

वाहनों के होने वाला प्रदूषण (Vehicle pollution)

वाहनों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है जिससे डीजल, पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत भी बढ़ रही है। इससे निकलने वाला धुंआ वातावरण में इकट्ठा हो जाता है जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पड़ रहा है।

आज हम देखते हैं कि दिल्ली जैसे कई बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या जन्म ले रही है। इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बहुत बड़ा कारण है। हालांकि सरकारी अपनी तरफ से कई तरह का प्रयास कर रही है।

भूमि पर बढ़ता केमिकल और खादो का उपयोग (Increased use of chemical and fertilizers on land)

जिस तरह से दुनियाँ की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ठीक उसी भांति खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

इसका बुरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहा है। भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह के हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मृदा की न सिर्फ उर्वरक क्षमता घट रही है बल्कि उस भूमि में उगने वाले अनाज में भी केमिकल के हानिकारक प्रभाव चले जाते हैं जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और भूमि पर पड़ता है।

तेजी से होता शहरीकरण (Rapid Urbanization)

शहर और गाँव की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। हमने देखा है कि गाँव की जीवनशैली पर्यावरण से सामजंस्य बैठाकर चलने वाली होती है, जबकि शहरों में ऐसा नही होता।

शहरों में हर व्यक्ति सिर्फ अपने सुख-सुविधाओं की फिक्र करता है। लेकिन चिंता की बात यह है आज हर कोई शहरों की तरफ भाग रहा है। इसी वजह से दुनियाँ में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।

भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि जो लोग जहाँ हैं वही रहें। लेकिन शहरीकरण की एक मात्र वजह सुख की चाह नही है, बल्कि रोजगार की जरूरत भी लोगो को शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर रही है।

जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)

1960 में पूरी दुनियाँ की आबादी 3.5 बिलियन के करीब थी, जो आज बढ़कर 8 बिलियन के करीब पहुँच चुकी है। पिछले 60 वर्षों में दुनियाँ की आबादी दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है।

इस बढ़ी हुई आबादी का दुष्प्रभाव पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) पर देखने को मिला है। लोगो के रहने के लिए जगह की जरूरत होगी, लिए वनों को काटा जा रहा है।

खाने के लिए अनाज की जरूरत होगी, इसके लिए उर्वरक बढ़ाने वाले रसायनों का उपयोग किया जा रहा है।

दुनियाँ में आज इतनी ज्यादा आबादी मौजूद है, जिनके लिए संसाधन कम पड़ रहे हैं। यदि आबादी कम होती तो इतना ज्यादा जीवाश्म ईंधन की भी खपत नही होती, जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहता।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Measures for environmental protection)

विश्व आज इस बात को समझ रहा है कि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के उपाय करना बहुत जरूरी है नही तो निकट भविष्य में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी। पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि:-

औद्योगिक कचरे का निवारण (Industrial waste disposal)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा ही है। यह कचड़ा जल, हवा, मृदा सबको प्रदूषित करता है। यदि इसका निवारण सही तरीके से किया जाने लगे तो प्रदूषण से संबंधित आधी समस्याओं का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।

लेकिन इसके पहले यह जरूरी है कि यह कचड़ा पानी मे न मिले। पानी मे मिलने के बाद यह जल प्रदूषण का कारण बनता है। इसलिए इस पर रोकथाम लगाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग (Use of Clean Energy)

वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण कोयला है और कोयले का सबसे ज्यादा उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। आज ऊर्जा उत्पादन के कई नवीनीकरण स्त्रोत है लेकिन उन्हें इतना ज्यादा उपयोग नही किया जाता।

पर अब वक्त आ गया है कि देश की सरकारों को हर घर मे सोलर पैनल लगवाने के लिए जरूरी सुविधा देनी चाहिए। लोगो को प्रोत्साहित करना चाहिये कि वो सोलर पैनल लगवाएं और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें।

वृक्षारोपण को बढ़ावा मिलें (Increased Tree Planting)

अधिक से अधिक वृक्ष (Essay on Environment in Hindi) लगाएं क्योंकि पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने में वृक्ष सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी पर्यावरण में असंतुलन का एक बड़ा कारण है।

लोग अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों की लकड़ियों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इसके लिए पूरे वृक्ष को काट देना बिल्कुल भी जायज नहीं है। इसलिए पूरे विश्व को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और पेड़ों की कटाई पर रोकथाम लगानी चाहिए

भूमिगत जल का हो संरक्षण (Protection Of Ground Water)

भूमिगत जल का स्तर लगातार (Essay on Environment in Hindi) नीचे जा रहा है इसका एक प्रमुख कारण है नलकूपों और घर-घर में बोरिंग की व्यवस्था। आज हम शहरों में देखते हैं कि घर बनने से पहले सभी व्यक्ति अपने घर में बोरिंग करवाते हैं। लेकिन इसका दुष्परिणाम यह होता है कि पानी का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। बहुत सारा व्यर्थ हो जाता है जिसका असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है। भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन घटता जा रहा है।

सामान का पुनरावृत्ति करना (Recycle Goods)

पॉलीथिन, प्लास्टिक जैसे कई अन्य चीज़े हैं जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इनका अपघटन जल्दी नही होता। यदि ये 100 वर्ष तक भी ऐसे ही खुले में पड़े रहे तो भी इसके स्वरूप में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही आएगा।

ऐसी चीज़ें धीरे धीरे मिट्टी को प्रदुषित बनाती हैं। इसलिए इनका उपयोग कम से कम करें। ऐसी चीजों का उपयोग ज्यादा करें जिन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

पानी की कम खपत करना (Low Water Consumption)

पीने योग्य पानी की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। इसलिए कहा जाता है कि जल को बचाना जरूरी है लेकिन हम आज भी जल को बर्बाद करते हैं। जहाँ जितने पानी की जरूरत होती है उससे कई गुना ज्यादा पानी उपयोग करते हैं और इस तरह पानी बर्बाद होता है। इसलिए जरूरी है कि हम सब मिलकर पानी बचाएं।

पर्यावरण पदूषण पर रोकथाम लगाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए हम सबको मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। साथ ही साथ विश्व के बड़े और विकसित देश यदि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण की दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाएं तो स्थिति बहुत जल्दी बदल सकती है।

Poems On Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविता

# 1. अपने ही घर मे डाका डाला.

रत्न प्रसविनी हैं वसुधा, यह हमको सब कुछ देती है। माँ जैसी ममता को देकर, अपने बच्चों को सेती है।

भौतिकवादी जीवन में, हमनें जगती को भुला दिया। कर रहें प्रकृति से छेड़छाड़, हम ने सबको है रुला दिया।

हो गयी प्रदूषित वायु आज, हम स्वच्छ हवा को तरस रहे वृक्षों के कटने के कारण, अब बादल भी न बरस रहे

वृक्ष काट – काटकर हम ने, माँ धरती को विरान कर डाला। बनते अपने में होशियार, अपने ही घर में डाका डाला।

बहुत हो गया बन्द करो अब, धरती पर अत्याचारों को। संस्कृति का सम्मान न करते, भूले शिष्टाचार को।

आओ हम सब संकल्प ले, धरती को हरा – भरा बनायेगे। वृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर, पर्यावरण को शुद्ध बनायेगे।

आगे आने वाली पीढ़ी को, रोगों से मुक्ति करेगे हम। दे शुद्ध भोजन, जल, वायु आदि, धरती को स्वर्ग बनायेगे।

जन – जन को करके जागरूक, जन – जन से वृक्ष लगवायेगे। चला – चला अभियान यही, बसुधा को हरा बनायेगे।

जब देखेगे हरी भरी जगती को, तब पूर्वज भी खुश हो जायेंगे। कभी कभी ही नहीं सदा हम, पर्यावरण दिवस मनायेगे।

हरे भरे खूब पेड़ लगाओ, धरती का सौंदर्य बढाओ। एक बरस में एक बार ना, 5 जून हर रोज मनाओ।

#2.. करके ऐसा काम दिखा दो…

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे। इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे। हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो, खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे। सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे। वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना, दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे। हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे। जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो, जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे। जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे। जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा, कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

#3 रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो। रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।

आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है। हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।

उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है। पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।

तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है। मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।

हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे। हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।

शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान। हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।

कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो। लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।

हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा। त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।

तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है। हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।

गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

Slogan On Environment in Hindi | पर्यावरण पर स्लोगन.

पर्यावरण के महत्व को समझाने वाले कुछ स्लोगन.

  • वृक्ष नही कटने पाएँ, हरियाली न मिटने पाए, लेकर एक नया संकल्प, हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
  • समय बर्बाद करना बेकार है पर्यावरण की सफाई सबसे अच्छा है।
  • ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये सब हैं प्रकृति के वरदान।इसे नष्ट करने के लिए तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
  • यदि हम पृथ्वी को सुंदरता और आनंद उत्पन्न करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह अंत में भोजन का उत्पादन नहीं करेगी।
  • यदि मानवता को लंबे समय तक रहना है, तो आपको पृथ्वी की तरह सोचना होगा, पृथ्वी के रूप में कार्य करना होगा और पृथ्वी होना होगा क्योंकि ये वैसी ही है जैसे आप हैं।
  • जो हम दुनिया के जंगलों (Essay on Environment in Hindi) के लिए कर रहे हैं, दरअसल वो हम अपने और एक दूसरे के लिए कर रहे हैं. ये उसका दर्पण प्रतिबिंब है।

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हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

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प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

#Environment Protection In Hindi #Hindi Essay On Environment Protection

  • पेड़ लगाओ पृथ्वी बचाओ निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण का अर्थ व परिभाषा
  • प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरा पर निबंध
  • वनों के महत्व पर निबंध इन हिंदी में

आशा करता हूँ दोस्तों  Environment Conservation Essay in Hindi के इस लेख में पर्यावरण संरक्षण पर निबंध में दी गई जानकारी आपकों पसंद आई हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर जरुर बताए.

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मनुष्य और पर्यावरण पर निबंध | Essay on Man and the Environment in Hindi

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Essay # 1. मानव तथा पर्यावरण का परिचय (Introduction to Man and the Environment):

भूगोल में प्रायः मानव तथा पर्यावरण के पारस्परिक संबंध का अध्ययन किया जाता है । अमेरिका की प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता मिस सेम्पल के अनुसार ‘मानव अपने पर्यावरण की उत्पत्ति है’ ‘Man is the Product of Environment’ । सन् 1859 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) के अनुसार मानव अपने पर्यावरण में संघर्ष करके वर्तमान स्वरूप में पहुँचा है ।

भूगोल में डार्विन के संघर्ष सिद्धान्त का सबसे पहले एफ. रेटजिल (F.Ratzel) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ऐंथरोपोज्योग्राफी (Anthropogeography) में किया था । रेटजिल महोदय ने मानव एवं पर्यावरण के संबंध में निश्चयवाद विचारधारा (Determinism) को जन्म दिया । निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार मानव एवं पारस्परिक संबंध में पर्यावरण एवं प्रकृति (Nature) सक्रिय है और मानव निष्क्रिय (Passive) अर्थात् मानव की उन्नति, अवनति एवं विकास की दर पर्यावरण पर निर्भर रहती है । दूसरे शब्दों में, मानव के भाग्य का निर्धारण प्रकृति एवं पर्यावरण करता है ।

निश्चयवाद विचारधारा की मुख्यतः दो कारणों से आलोचना हुई । रेटजिल महोदय के अनुसार यदि दो देशों की अवस्थिति समान हो तो उन लोगों की जीवनशैली, इतिहास तथा संस्कृति भी समान होगी । वास्तव में ऐसा नहीं है, क्योंकि जीवन-शैली पर संस्कृति एवं सभ्यता का भी भारी प्रभाव पडता है ।

ADVERTISEMENTS:

दूसरे, मानव निष्क्रिय नहीं वह अपने कर्म से अपने भाग्य का निर्माण करता है । मानव जीवन को पर्यावरण प्रभावित करता है और, मानव भी पर्यावरण को प्रभावित करता है । इन्हीं आलोचनाओं के कारण निश्चयवाद विचारधारा का खंडन किया गया ।

निश्चयवाद की आलोचना विशेष रूप से फ्रांस के भूगोलवेत्ताओं ने की । निश्चयवाद के आलोचक विडाल डी लाब्लाश (Vidal de Lablache) ने एक नई विचारधारा को जन्म दिया जिसको संभववाद (Possibilism) के नाम से संबोधित किया जाता है । संभववाद विचारधारा के अनुसार मानव अपने संसाधनों का उपयोग करने में स्वतंत्र है । मानव अपने व्यवहार में स्वतंत्र है । पर्यावरण, संसाधनों के उपयोग की बहुत-सी संभावनाएँ प्रस्तुत करता है और मानव अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाज के अनुसार अपने संसाधनों (पर्यावरण) के बारे में निर्णय लेता है । मानव सक्रिय है जो अपने भाग्य का स्वयं निर्धारण करता है ।

विडाल डी लाब्लाश महोदय संभववाद के प्रमुख प्रचारक थे । उन्होंने जीवन-शैली (Genres de vie) शब्दावली का उपयोग किया । उनके अनुसार आचार-व्यवहार (Attitude), धर्म-विश्वास (Religion), आदत (Habits), मूल्य (Value) इत्यादि का मानव के व्यवहार एवं संसाधनों के उपयोग पर भारी प्रभाव पड़ता है । यही अवधारणा संभववाद की आधारशिला है ।

यद्यपि संभववाद फ्रांस में काफी लोकप्रिय विचारधारा रही, परंतु इस विचारधारा की भारी आलोचना भी हुई । संभववाद के आलोचकों के अनुसार मानव कभी भी अपने भौतिक पर्यावरण से पूर्णरूप से मुक्ति नहीं पा सकता । मानव प्रकृति के विरुद्ध अपने संसाधनों का उपयोग नहीं कर सकता और यदि मानव ऐसा करता है तो उसको भारी आर्थिक मूल्य चुकाना पडेगा ।

इसके अतिरिक्त जहाँ तक संभावनाओं (Possibilities) का प्रश्न है वह विश्व के कुछ प्रदेशों तक संभावित है । आलोचको के अनुसार विषुवतरेखीय प्रदेशों, टुंड्रा (Tundra) मरुस्थलों (Deserts) तथा ऊँचे पर्वतीय प्रदेशों में पर्यावरण की कठोरता के कारण संभावनाएँ बहुत सीमित हैं । वास्तव में मानव भौतिक पर्यावरण के विरुद्ध कुछ भी करने में असमर्थ है ।

निश्चयवाद (Determinism) तथा संभववाद (Possibilism) के अतिरिक्त, मानव एवं पारस्परिक संबंध की विवेचना के लिए एक तीसरी विचारधारा सांस्कृतिक निश्चयवाद (Cultural Determinism) के रूप में प्रचलित हुई । सांस्कृतिक निश्चयवाद में मानव की सक्रियता पर बल दिया गया है ।

उनके अनुसार मानव स्वयं अपना इतिहास रचता है । ‘हमारी संस्कृति हमारी वर्तमान परिस्थितियों व आर्थिक उन्नति को निर्धारित करती है । इस विचारधारा को संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A) में विशेष रूप से लोकप्रियता प्राप्त हुई । सांस्कृतिक निश्चयवाद के जनक प्रो. कार्ल ओ. सावर (Carl O. Sauer) थे ।

प्रो. सावर ने संस्कृति के आधार पर विश्व का सांस्कृतिक प्रादेशीकरण किया । मानव अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपनी टेस्नोलॉजी (Technology) का विकास करता तथा अपने संसाधनों का उपयोग करता है । जैसे-जैसे समय गुजरता है, टेक्नोलॉजी में सुधार होता जाता है और मानव अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक व सामाजिक विकास करता है ।

उपरोक्त विचारधाराएँ भूगोल में रूढ़िवादी (Conventional) विचारधाराएँ मानी जाती हैं, परंतु निश्चयवाद, संभववाद तथा सांस्कृतिक निश्चयवाद पूर्ण रूप से और शुद्धता के साथ मानव तथा पर्यावरण की पारस्परिक संबंध की व्याख्या नहीं करतीं । दूसरे महायुद्ध के पश्चात भूगोल में संख्यात्मक क्रांति (Humanism) जैसी विचारधाराएँ प्रचलित हुई ।

Essay # 2. पर्यावरण का मानव पर प्रभाव ( Influence of Environment on Man):

विश्व की पूर्ण ग्रामीण तथा नगरीय जनसंख्या, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भौतिक पर्यावरण से प्रभावित होती है । पर्यावरण के भौतिक तत्व में सबसे अधिक प्रभाव जलवायु का मानव समाज और उनकी जीवन-शैली पर पड़ता है । जलवायु का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से प्रजातियों (Races) के रंगरूप, आँख, नाक, शरीर की बनावट, बाल, ठोढ़ी, कपाल तथा चेहरे की आकृति पर पड़ता है ।

अरस्तू महोदय (Aristotle) के अनुसार ठंडे प्रदेशों के लोग बुद्धिमान परंतु आलसी होते हैं । प्रसिद्ध अरब इतिहासकार इबने-खल्दून, के अनुसार ठंडी जलवायु के लोगों में सजीवता (Vivacity) का अभाव है, जबकि ऊष्णकटिबंध के लोग सजीव तथा हँस-मुख तथा मिलनसार होते हैं ।

जलवायु का मानव समाज पर प्रभाव का अध्ययन उचित ढंग से अमेरिका के हंटिंगटन महोदय ने किया । हंटिंगटन महोदय के अनुसार शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में जहाँ चक्रवाती मौसम रहता है तापमान 20°C के आस-पास और सापेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity) 60 प्रतिशत से अधिक रहती है, वहाँ के लोगों की कार्यक्षमता बढी रहती है और अधिक एकाग्रता (Concentration) के साथ कार्य करते हैं ।

यही कारण है कि शीतोष्ण जलवायु के लोगों का उत्पादन अधिक एवं उच्च कोटि का होता है । मानव भूगोल के विशेषज्ञों के अनुसार मौसम तथा अपराधों में भी एक घनिष्ठ संबंध है । उदाहरण के लिए आत्महत्या, कल्ल जैसे अपराध एक विशेष समय तथा मौसम में होते हैं ।

कल्ल जैसे अपराध प्रायः गर्मी के मौसम में अधिक होते है जबकि बलात्कार की घटनाएँ शीतऋतु में संध्या के समय अधिक होती हैं । बहुत-से भूगोलवेत्ताओं ने मानव के सुखद एवं दुःखद जीवन का भी जलवायु के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करने का प्रयास किया है ।

मानव अपने प्रयास तथा टेस्नोलॉजी की सहायता से मौसम व जलवायु के प्रभाव को परिवर्तित कर सकता है, परंतु फिर भी मानव अपने भोजन, कपडे तथा मकान जैसी आवश्यक आवश्यकताओं की आपूर्ति अपनी जलवायु तथा संसाधनों के अनुसार करता है ।

वास्तव में विश्व की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या गाँव में रहती है और उनमें से अधिकतर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि इत्यादि (Primary Activities) पर निर्भर करते है । कृषि और कृषि संबंधित कारोबार पर मौसम एवं जलवायु का भारी प्रभाव पड़ता है ।

संक्षिप्त में कहा जा सकता है कि मानव की आवश्यक और आरामदेह आवश्यकताएँ, टेक्नोलॉजी तथा आर्थिक उन्नति, सामाजिक प्रगति पर जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है ।

Essay # 3. मानव का पर्यावरण पर प्रभाव ( Man’s Impact on the Environment):

पर्यावरण में निरंतर परिवर्तन होता रहता है अर्थात् पर्यावरण सदैव गतिशील है । लगभग 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व जब पृथ्वी की उत्पत्ति हुई तब ही से पृथ्वी के धरातल एवं पर्यावरण में परिवर्तन होता है । पृथ्वी के अधिकतर इतिहास में पृथ्वी के अंतर्जात तथा बर्हिजात बलों के कारण तब्दीली होती रही है परंतु वर्तमान में पृथ्वी और पर्यावरण में भारी परिवर्तन मानव के द्वारा हो रहा है । वास्तव में वर्तमान समय में मानव पर्यावरण का सबसे प्रमुख कारक है ।

मानव अब अपने पर्यावरण की उत्पत्ति नहीं, वरन् वह पर्यावरण का एक ऐसा महत्वपूर्ण अंग है जो तीव्र गति से इसमें परिवर्तन कर रहा है । यूँ तो मानव आदि काल से पर्यावरण को तब्दील करता रहा है, फिर भी आज के युग में परिवर्तन की गति में भारी तीव्रता देखी जा सकती है ।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Technology) की सहायता से मानव अपने पर्यावरण में तीव्रता से परिवर्तन करने में सक्षम हो गया है । महानगरों एवं सन्त नगरों में मानव द्वारा लाई गई तब्दीली विशेष रूप से देखी जा सकती है । महानगरों ने प्राकृतिक पर्यावरण को पूर्ण रूप से परिवर्तन कर दिया है ।

मानव भूगोल के विशेषज्ञ, वास्तविक (Objectives) पर्यावरण तथा ज्ञानात्मक (Cognitive) पर्यावरण में अंतर करते हैं । उनके अनुसार मानव अपने संसाधनों का उपयोग अपने ज्ञानात्मक पर्यावरण के आधार पर करता है । उदाहरण के लिये एक खेत (संसाधन) को विभिन्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है ।

उस खेत में कोई सब्जी बोना चाहता है तो कोई उसमें गेहूँ, चावल अथवा गन्ने की खेती करना चाहता है और कोई ऐसे खेत में पशु-पालन करना चाहता है अर्थात् वास्तविक पर्यावरण एक है परंतु उसका उपयोग करने वाले उसका उपयोग अपने-अपने ज्ञानात्मक पर्यावरण के आधार पर करता है ।

वर्तमान समय में भूगोलवेत्ता , पर्यावरण के संबंध में निम्न विषयों का विशेष रूप से अध्ययन कर रहे हैं:

(i) मानव द्वारा पर्यावरण में तापमान वृद्धि ।

(ii) वायुमंडल में तापमान वृद्धि तथा जलवायु परिवर्तन ।

(iii) ओजोन परत (Ozone Layer) का ह्रास ।

(iv) महानगरों तथा अन्य स्थानों पर वायु प्रदूषण ।

(v) प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन, विशेष रूप से भूकंप, सुनामी (Tsunami), ज्वालामुखी, ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात, हरिकेन (Hurricanes), टाइफून (Typhoons), सागरीय लहरों का थल में चढ़ना (Sea Surge), भू-स्थलन (Land Slide), सूखा (Drought), बाढ (Floods) इत्यादि ।

(vi) मानव द्वारा जंगलों का विनाश ।

(vii) जैविक-विविधता का ह्रास ।

(viii) नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) उत्पादन केंद्रों में होने वाली दुर्घटनाएँ, जैसे- 1986 में चर्नोबिल (Chernobyl) दुर्घटना तथा 11 मार्च, 2011 में जापान की भूकंप-सुनामी दुर्घटना जिसमें फूकुशिया-डायशी (Fukushima-Daiichi) न्यूक्लियर प्लांट नष्ट हो गए थे ।

(ix) जैविक-विविधता (Biodiversity) का विनाश तथा उसका संरक्षण (Conservation) ।

(x) संसाधनों का सदुपयोग तथा उनका संरक्षण ।

(xi) प्राकृतिक संसाधनों का लेखा-जोखा तैयार करना ।

(xii) जैविक-विविधता का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना ।

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पर्यावरण और विकास पर निबंध (Environment and Development Essay in Hindi)

विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने सकरात्मक और नकरात्मक नतीजे होते है। लेकिन जब निवासियो के लाभ के लिए विकास किया जा रहा हो, तो पर्यावरण का ख्याल रखना भी उतना ही जरुरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया गया तो पर्यावरण पर इसके नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होंगे, जिससे यह उस स्थान पर रहने वाले निवासियो पर भी हानिकारक प्रभाव डालेगा।

पर्यावरण और विकास पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment and Development in Hindi, Paryavaran aur Vikas par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

पर्यावरण और आर्थिक विकास एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए है, वही दूसरी तरफ एक देश की आर्थिक तरक्की भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। उसी तरह पर्यावरण संसाधनो में गिरावट भी आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। ऐसे कई सारी पर्यावरण नीतियां है। जिन्हे अपनाकर हम अपने पर्यावरण को भी बचा सकते है और अपनी आर्थिक उन्नति भी सुनिश्चित कर सकते है।

पर्यावरण और आर्थिक विकास

आर्थिक विकास एक देश के उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है। एक देश तभी विकसित माना जाता है जब वह अपने नागरिको को पार्याप्त मात्रा में रोजगार मुहैया करवा पाये। जिससे वहा के निवासी गरीबी से छुटकारा पाकर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सके। इस तरह का विकास आय में असमानता को कम करता है। जितना ज्यादे मात्रा में एक देश आर्थिक तरक्की करता है, उसके राजस्व कर में भी उतनी ही वृद्धि होती है और सरकार के बेराजगारी और गरीबी से जुड़ी कल्याण सेवाओं के खर्च में उतनी ही कमी आती है।

पर्यावरण एक देश के आर्थिक उन्नति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक राष्ट्र के विकास का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ा होता है। प्राकृतिक संसाधन जैसे कि पानी, जीवाश्म ईंधन, मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनो की उत्पादन क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रो में आवश्यकता होती है। हालांकि, उत्पादन के परिणामस्वरूप पर्यावरण द्वारा प्रदूषण का भी अवशोषण होता है। इसके अलावा उत्पादन के लिए संसाधनों के ज्यादे इस्तेमाल के वजह से पर्यावरण में संसाधनों की कमी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

प्राकृतिक संसाधनो के लगातार हो रहे उपभोग तथा बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण पर्यावरण संसाधनो की गुणवत्ता खराब हो जायेगी, जिससे ना सिर्फ उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। बल्कि की इसके उत्पादन में लगे मजदूरो में भी तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होंगी  और इसके साथ यह उनके लिए भी काफी हानिकारक सिद्ध होगा, जिनके लिए यह बनाया जा रहा है।

आर्थिक विकास का आंनद लेने के लिए यह काफी जरूरी है कि हम पर्यावरण संसाधनो के संरक्षण को विशेष महत्व दे। पर्यावरण और आर्थिक विकास के संतुलन के मध्य संतुलन स्थापित करना काफी आवश्यक है, इस प्रकार से प्राप्त हुई तरक्की का आनंद ना सिर्फ हम ले पायेंगे बल्कि की हमारी आने वाली पीढ़ीया भी इससे लाभान्वित होंगी।

निबंध – 2 (400 शब्द)

सतत विकास स्थिरता के तीन स्तंभो पर टिका हुआ है – आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक यह तीन चीजे इसकी आधारशिला है। पर्यावरणीय स्थिरता का तात्पर्य वायु, जल और जलवायु से है, सतत विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू उन गतिविधियों या उपायों को भी अपनाना है जो स्थायी पर्यावरणीय संसाधनों में मदद कर सके। जिससे ना केवल हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ीयों की भी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित कर सकेंगे।

पर्यावरण और सतत विकास

सतत विकास की अवधारणा 1987 में बनी ब्रुटलैंड कमीशन से ली गयी है। इस वाक्यांश के अनुसार सतत विकास वह विकास है जिसके अंतर्गत वर्तमान की पीढ़ी अपनी जरूरतो को पूरा करे, लेकिन इसके साथ ही संसाधनो की पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा सुनिश्चित करे। जिससे आने वाले समय में भविष्य की पीढ़ी के मांगो को भी पूरा किया जा सके। 2015 के यूनाइटेड नेशन सतत विकास शिखर सम्मेलन ( यू.एन. सस्टेनबल डेवलपमेंट समिट) में विश्व प्रमुखो ने सतत विकास के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए है, वे कुछ इस प्रकार से है-

1.पूरे विश्व से गरीबी का खात्मा किया जाये।

2.सभी को पूरे तरीके से रोजगार और अच्छा कार्य प्रदान करके सतत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जाये।

3.महिलाओं के लैगिंग समानता और सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना।

4.पानी की स्थिरता को बनाए रखना और सभी के लिए स्वच्छता के उपायो को सुनिश्चित करना।

5.बिना उम्र का भेदभाव किये सभी के लिए स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना।

6.सभी के लिए आजीवन पढ़ने और सीखने के अवसर को बढ़ावा देना।

7.स्थायी कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देना और सभी के लिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

8.देशो के बीच असमानता कम करना।

9.सभी के लिए सुरक्षित और सतत मानव आवास प्रदान करना।

10.जल स्त्रोतों का संरक्षण करना और उनका सतत विकास करना।

11.सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्स्थापित करना।

12.वस्तुओं का सही उत्पादन और उपभोग करना।

13.सभी को सतत ऊर्जा मुहैया करवाना।

14.नविचार को बढ़ावा देना और सतत औद्योगिकरण का निर्माण करना।

15.जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों को अपनाना।

16.स्थलीय तथा वन पर्यावरण तंत्र को पुनरस्थापित किया जाये, जिससे मिट्टी में हो रही गिरावट को रोका जो सके।

17.प्रभावी और जिम्मेदार संस्थानो का निर्माण करना, जिससे सभी को हर स्तर पर न्याय मिल सके।

ऊपर दिए गये लक्ष्यो का निर्धारण गरीबी के उन्मूलन के लिए किया गया है, इसके साथ ही 2030 तक जलवायु परिवर्तन तथा अन्याय से लड़ने के लिए भी इन कदमो को निर्धारित किया गया है। यह फैसले इसलिए लिये गये है ताकी हम अपने भविष्य के पीढ़ी के जरुरतो के लिए अपने इन प्राकृतिक संसाधनो को संजोकर रख सके।

सतत विकास की अवधारणा हमारे संसाधनो के उपभोग से जुड़ी है। अगर प्राकृतिक संसाधनो का उनके पुनरभंडारण से पहले इसी तरीके से तेजी से उपयोग होता रहा। तो यह हमारे पर्यावरण का स्तर पूरी तरह से बिगाड़ देगा और अगर इसपर अभी से ध्यान नही दिया गया तो इस प्रदूषण के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त मत्रा में नही बच पायेंगे, जिससे आनेवाले समय में यह हमारे विनाश का कारण बन जायेगा। इसलिए यह काफी आवश्यक है, जब हम अपने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सतत विकास के लक्ष्य को पाने का प्रयास करे।

Essay on Environment And Development in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

सतत विकास के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण का प्रयास किया जाता है, जिससे उन्हे आने वाली पीढ़ीयों के जरुरतो को पूरा करने के लिए बचाया जा सके। सबसे जरुरी यह है कि हमे अपने आने वाले पीढ़ीयो के सुरक्षा के लिए हमे सतत विकास को इस प्रकार से बरकरार रखने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास

वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण से जुड़ी कुछ मुख्य समस्याएं है। ग्लोबल वार्मिंग का तात्पर्य पृथ्वी में हो रहे स्थायी जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक प्रदूषण पृथ्वी पर बढ़े रहे पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैसो के उत्सर्जन और ओजोन परत में हो रहे क्षरण आदि कारणो से पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि के समस्या से है। वैज्ञानिको ने भी इस तथ्य को प्रमाणित किया है की पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए यदि आवश्यक कदम नही उठायें गये तो यह समस्या और भी ज्यादे गंभीर हो जायेगी, जिसके नकरात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर होंगे।

प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से हो रहा दोहन भी एक प्रमुख चिंता बन गया है। जनसंख्या ज्यादे होने के कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों पुनर भंडारण होने के पहले ही उनका खपत हो जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कृषि उत्पादों के उत्पादन की कम दर तथा प्राकृतिक संसाधनों में होती कमी के कारण उत्पन्न हो रही है। अगर ऐसा ही रहा तो  आने वाले समय में जल्द ही धरती की जनसंख्या न केवल भोजन की कमी का सामना करेगी, बल्कि किसी भी विकास प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसाधनों की कमी से भी जूझना होगा।

खाद्य और कृषि उत्पादन की कमी को दूर करने के लिए, इनके उत्पादन में रसायनों का उपयोग किया जाता है। यह न केवल मिट्टी के गुणवत्ता को कम करता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। अगर यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है तो पृथ्वी के लोगो को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इन बीते वर्षो में पृथ्वी के पर्यावरण और इसके संसाधनों को इन्ही कारणो से कई नुकसान हुए हैं। यदि पर्यावरण संकट के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम नही उठाये गये तो इस समस्या के और ज्यादे भयावह होने की संभावना है।

ग्लोबल वार्मिंग के समस्या को रोकने के लिए वनो और झीलो की सुरक्षा भी आवश्यक है। पेड़ो को तब तक नही कटा जाना चाहिये जब तक बहुत ही आवश्यक ना हो। इस समय हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की पआवश्यकता है, हमारे इतने बड़े आबादी द्वारा उठाया गया एक छोटा सा कदम भी पर्यावरण की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे सकता है। यह पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, और वन्य जावो के सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पृथ्वी के प्रत्येक निवासी को ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए अपने ओर से महत्वपूर्ण योगदान देने की आवश्यकता है।

ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार पदार्थो का उपयोग ज्यादेतर रेफ्रीजरेटरो और एयर कंडीशनरो में होता है जिसमें हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)  रेफ्रीजरेंट के तौर पर इस्तेमाल किये जाते है। यह वह मुख्य तत्व है जिनके कारण ओजोन परत का क्षरण हो रहा है।

इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम HCFC  और CFC का उपयोग रेफ्रीजरेंट के तौर ना करे, इसके अलावा हमें ऐरोसोल पदार्थो का भी उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इनके द्वारा भी HCFC  और CFC का उपयोग किया जाता है। ऊपर दिए गये उपायो को अपनाकर और सावधानी बरतकर हम पर्यावरण में कार्बन के उत्सर्जन को कम कर सकते है।

सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह काफी जरुरी है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें। इस तरीके से यह सिर्फ ना वर्तमान के जनसंख्या के लिए लाभकारी होगा बल्कि की आने वाले पीढीया भी इसका लाभ ले सकेंगी और यही सतत विकास का मुख्य लक्ष्य है। इसलिए सतत विकास पर्यावरण की रक्षा के लिए यह काफी अहम है।

निबंध – 4 (600 शब्द)

पर्यावरण संरक्षण से अर्थ है पर्यावरण और इसके निवासियों की सुरक्षा, बचाव, प्रबंधन और इसके हालात को सुधारना। सतत विकास का मुख्य लक्ष्य भविष्य के पीढ़ी के लिए पर्यावरण और संसाधनो का संरक्षण और इसका इस तरह से उपयोग करना कि हमारे उपयोग के बाद भी यह भविष्य के पीढ़ी के बचा रह सके। इसलिए यह सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करे।

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास

पर्यावरण संरक्षण के दो तरीके है- प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा करना या इस तरीके से रहना जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। पर्यावरण का तात्पर्य वायु, जल और भूमि तथा मनुष्यो के साथ इसके परस्पर संबध है। अगर एक व्यापक पहलू में कहे तो इसमें पेड़, मिट्टी, जीवाश्म ईंधन, खनिज आदि शामिल है। पेड़ बाढ़ और बारिश से मिट्टी के कटाव की होने वाली घटना को कम करते है, इसके साथ ही अनके द्वारा हवा को भी स्वच्छ किया जाता है।

जल का उपयोग ना सिर्फ मनुष्यों द्वारा, बल्कि कृषि, पौधों और जानवरों जैसे जीवित प्राणियों के अस्तित्व और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। सभी जीवित प्राणियों के साथ-साथ कृषि उत्पादन के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसलिए पेड़, मिट्टी और पानी के हर स्रोत के संरक्षण की आवश्यकता है। ये तीनो तत्व जीवित प्राणियों के अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि यह संसाधन इसी प्रकार प्रदूषित होते रहे तो यह ना सिर्फ हमें नुकसान पहुंचायेंगे, बल्कि की हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बड़ा संकट बन जायेगें।

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ सिर्फ प्राकृतिक संसाधनो का संरक्षण नही है। इसका तात्पर्य ऊर्जा के संसाधनो का संरक्षण करना भी है जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा यह दो प्रकार की नवकरणीय उर्जायें जीवाश्म ईंधन और गैस जैसे गैर-नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतो की रक्षा करने में हमारी सहायता करेगा। अगर सभी तरह के गैर नवकरणीय ऊर्जा को नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से बदल दिया जाये, तो यह पृथ्वी के पर्यावरण के लिए काफी सकरात्मक सिद्ध होंगे। क्योंकि गैर नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों को पुनर स्थापित होने में काफी समय लगता है, यही कारण है कि हमे नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों को इस्तेमाल करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के अलावा इस्तेमाल हो रहे संसाधनो के पुनःपूर्ति के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए वनीकरण तथा जैविक रुप से बनी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना आदि कुछ ऐसे अच्छे उपाय है। जिनके द्वारा हम प्राकृतिक स्रोतों के पुनःपूर्ति का प्रयास कर सकते है। ये उपाय निश्चित रूप से पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में हमारी मदद करेंगे।

इसके अलावा पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने के लिए और कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जाने चाहिए। जिसके अंतर्गत तेल और गैस से चलने वाले वाहनो के जगह इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनो का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी तरह कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए साईकल चलाने, वाहनो के शेयरिंग या पैदल चलने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है। इसके अलावा जैविक खेती इस सकरात्मक पहल का एक और विकल्प है, इसके द्वारा मिट्टी तथा खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहे और रासायनिक खेती के कारण पर्यावरण तथा हमारे सेहत पर होने वाली हानि को कम किया जा सके।

धूम्रपान छोड़ना और रसायनिक उत्पादो का उपयोग बंद करना ना सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा बल्कि की पर्यावरण पर भी इसके सकरात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। एक व्यक्ति द्वारा नल के पानी को बंद करके या वर्षा के पानी को इकठ्ठा करके, कपड़े या बर्तन धोने जैसे अलग-अलग कामों में इस्तेमाल करके भी हम जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। जल इलेक्ट्रानिक उत्पाद उपयोग में ना हो तो इनका उपयोग बंद करके और उर्जा बचाने वाले इलेक्ट्रानिक उत्पादो का उपयोग करके भी हम ऊर्जा बचा सके है। इसके अलावा एक व्यक्ति के रुप में हम वस्तुओं की पुनरावृत्ति तथा पुनरुपयोग करके और पुरानी वस्तुओं का उपयोग करके तथा प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग ना करके भी हम पर्यावरण संरक्षण में अपना सकरात्मक योगदान दे सकते है।

सतत विकास को सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण करके प्राप्त किया जा सकता है। इससे ना सिर्फ हमारे पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आयेगी बल्कि की यह हमारे आने वाली भविष्य की पीढ़ीयों के लिए प्राकृतिक संसाधनो की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा।

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Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education
  • 11 min read

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य अथवा पर्यावरण प्रदूणण समस्या और निदान पर निबंध।

Table of Contents

पर्यावरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित

पर्यावरण शब्द ‘ परि ‘ + ‘ आवरण ‘ से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों ओर तथा आवरण का अर्थ घेरा होता है। अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। दूसरे शब्दों में हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।

Essay Environment in Hindi पर्यावरण पर निबंध (पर्यावरण संरक्षण / प्रदूषण)

इसके कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार से हैं जिस पर इस निबंध को लिखा जा सकता है-

  • प्रदूषण की समस्या
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • पर्यावरण प्रदूषण समस्या और निदान
  • प्रदूषण कारण और निदान
  • पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्व
  • पर्यावरण का जीवन में महत्व

Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

पर्यावरण – हमारा जीवन

  • पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।
  • धरती पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है।
  • पर्यावरण के अंतर्गत हवा, पानी, पेड़-पौधे इत्यादि आते हैं।
  • किसी सजीव प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।
  • प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा के वजह से दिन प्रति दिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
  • वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के कारगर उपाय है।
  • यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
  • 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

यह भी जानें चंद्रयान-3 कब पहुचेगा चाँद पर

पर्यावरण पर निबंध 600 शब्द (Paryavaran par Nibandh)

“पर्यावरण है जीवन का आधार। इसके बिना है जीवन बेकार।।”

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]

प्रस्तावना-

प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। जो जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषण के विभिन्न प्रकार-

प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं

(1) वायु प्रदूषण – वायु मण्डल में गैसों का एक निश्चित अनुपात होता है, और जीव-जंतु अपनी क्रियाओं तथा साँस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। किन्तु मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहा है। वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि विभिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। जो विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, तथा मुहासे जैसे रोग फैलाता है।

(2) जल प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात में बदलाव हो जाता है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि जल प्रदूषण के कारण हैं। प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग के कारण बनते हैं।

(3) रेडियो धर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जातीं हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।

(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।

(5) रासायनिक प्रदूषण – आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। अतः जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के पर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम होते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर गत प्रदूषण को रोकथाम के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है वनों का संरक्षण। साथ ही, नए वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना भी वन संरक्षण ही है। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय हैं।

पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो उपहार दिया है उसे हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें सभी तरह उपाय करने चाहिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सके। इस विषय में किसी कवि ने अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।

“प्रकृति का अनमोल खजाना, सब कुछ है उपलब्ध यहाँ। लेकिन यदि यह नष्ट हुआ तो, जायेगा फिर कौन कहाँ ॥”

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) – Essay on Environment in Hindi

“जब सुरक्षित होगा पर्यावरण हमारा, तभी सुरक्षित होगा जीवन हमारा। “

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) पर्यावरण प्रदूषण, (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण संरक्षण (5) उपसंहार ।]

प्रस्तावना –

ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। परन्तु मानव प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को भारी क्षति पहुँचा रहा है। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले फल-फूल, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते पक्षी, अब उसके आकर्षण के केन्द्र बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: चार रूपों में दिखायी पड़ता है –

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण समस्या-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और यह जीवो के लिए यह किसी भी प्रकार से हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है – प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।

पर्यावरण प्रदूषण –

“साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है, पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”

मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमि क्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।

“वृक्ष धरा के भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं।। “

कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे । विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और सायरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा । कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण व्यक्तिगत लापरवाही और लोगों की अज्ञानता है। हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं, अनावश्यक वस्तुओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं और इससे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। हम अपनी बदलती जीवनशैली के चलते इसे नजरंदाज कर रहे हैं, जिसका परिणाम हमारे पर्यावरण का बिगड़ता हुआ स्वरूप है।

हमारी तरही की भ्रांतियों ने हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की महत्वपूर्णता से अनजान रखा है। हम वनों को कटते हैं, नदियों को प्रदूषित करते हैं, वायुमंडल में विषाणुओं को छोड़ते हैं और पृथ्वी की खाद्य संसाधनों को उचित तरीके से उपयोग नहीं करते हैं। हमने पर्यावरण को अपने आनंदों और आवश्यकताओं की भूमिका से बाहर निकाल दिया है।

हमारी लापरवाही और संघर्ष के बिना, पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, संघर्ष करना चाहिए, और समुदाय के साथ मिलकर संघर्ष करना चाहिए। हमें अपनी आदतों को परिवर्तित करना चाहिए, प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए और समृद्ध और स्वच्छ पृथ्वी के लिए समर्पित होना चाहिए। हमारी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य के लिए, चलो हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों को दूर करने का संकल्प लें और हमारी प्रकृति को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करें।

प्रदूषण का घातक प्रभाव –

आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ प्रदूषण का जहर शरीर में प्रवेश होता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी, प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और जीवों का ग्रह पृथ्वी एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।

पर्यावरण संरक्षण –

दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिए संपूर्ण मानव जाति को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। पेड़-पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।

उपसंहार –

पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की परम आवश्यका बन गई है। यदि हम शुद्ध वातावरण में जीने की आकांक्षा रखते हैं तो पृथ्वी तथा पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ बनाना होगा, तभी स्वस्थ नागरिक बन सकेंगे और सुखी, शान्त तथा आनन्दमय जीवन बिता सकने में समर्थ होंगे। इस प्रकार शुद्ध पर्यावरण का जीवन में विशेष महत्व है।

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

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FAQ Environmental

पर्यावरण के प्रकार.

1. भौतिक पर्यावरण या प्राकृतिक पर्यावरण 2. जैविक पर्यावरण 3. मनो-सामाजिक पर्यावरण

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें? इसके लिए हमारी इस पोस्ट को देखें।

चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

4 thoughts on “Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)”

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Sakshi kushwaha Thank You for comment.

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Thanks sir nice essay

Welcome to my blog and keep reading.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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It’s really awesome essay

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Very Nice Article Helpful post for All people.

Sabbd milan apne accha nahi kiya hai Aur soch badiya hai

Pls give reply in English b’coz I can’t understand

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Thank you i have gain 12 out of 12 marks from my examination thank u

Very excellent essay

Thanks for Writing here !

I am student , It has helped in my SA-01 examination . The paper is for 90 marks but essay is for 5 marks I have got full marks . I have learned and wrote b’coz I don’t know Hindi it has helped me much. Thank you.

क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

Ji bilkul, But you have to say that you have taken help from 1hindi.com

This essay is very good and interesting thx

The best essay thank you sir

U r studing this but not doing work that is planting ts.why .plzZ plant to save our earth

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Please explain every paragraph deeply and neetly

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apne prudushan ki puri jankari di hai uske liye dhanywad

I am a student This is for my project This article is very helpful to me Thank you

Thank it helped me a lot in my exams

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COMMENTS

  1. पर्यावरण के लिये जीवनशैली (LiFE) आंदोलन

    भारत ने वर्ष 2021 में ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (cop26) के दौरान पर्यावरण के लिये जीवनशैली (life) का विचार पेश किया था, यह पर्यावरण ...

  2. पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment in Hindi, Paryavaran par Nibandh Hindi mein) पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे ...

  3. पर्यावरण पर निबंध

    Essay on Environment in Hindi, & Paryavaran par Nibandh For Any Class Students, Kids. Read Paragraph On Pollution Essay - पर्यावरण पर निबंध ... Environment And Life. पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात ...

  4. पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

    प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi) प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और ...

  5. पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली कैसी हो?

    पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली कैसी हो? हम में से कई लोग रोज टहलने जाते हैं। बाज़ार के लिये निकले, किसी दोस्त से मिलने निकले या यूँ ही सेहत ...

  6. पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Save Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Save Environment Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / June 3, 2023. पर्यावरण का संबंध उन जीवित और गैर जीवित चीजो से है, जो कि हमारे आस-पास मौजूद ...

  7. पर्यावरण पर निबंध हिन्दी में। Essay on Environment in Hindi

    मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। - Essay on Environment in ...

  8. पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi)

    पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment Day in Hindi) पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते ...

  9. Essay on Environment : पर्यावरण पर हिन्दी में रोचक निबंध

    पर्यावरण (Environment) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, परि और आवरण जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास या कह लें कि जो हमारे चारों ओर है। - Essay on Environment in Hindi

  10. Essay on environment in hindi, article, paragraph: पर्यावरण पर निबंध, लेख

    पर्यावरण पर निबंध, long essay on environment in hindi (400 शब्द) पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाली सभी प्राकृतिक चीजों में जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, भूमि ...

  11. पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध: environment and human health essay

    पर्यावरणीय प्रभाव में सामाजिक-आर्थिक अंतर: पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है ...

  12. पर्यावरण पर निबंध

    December 27, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त ...

  13. पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

    पर्यावरण पर निबंध 200-300 शब्दों मे (Short Essay on Environment in Hindi 200-300 Words) निबंध लिखने की शुरुआत क्लास 1, 2 और 3 के बच्चों से कर दी जाती है, जैसे-जैसे क्लास ...

  14. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, नारे Save Environment Essay Slogans Hindi

    January 4, 2023 by बिजय कुमार. इस लेख में हमने पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, बेहतरीन नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) प्रस्तुत किया है।. पर्यावरण सुरक्षा ...

  15. Essay on Environment in Hindi

    By. Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के बिना ...

  16. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

    पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi. प्रस्तावना - मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित ...

  17. मनुष्य और पर्यावरण पर निबंध

    मनुष्य और पर्यावरण पर निबंध | Essay on Man and the Environment in Hindi! Essay # 1. मानव तथा पर्यावरण का परिचय (Introduction to Man and the Environment): भूगोल में प्रायः मानव तथा पर्यावरण के पारस्परिक संबंध का ...

  18. पर्यावरण की समस्या पर हिंदी निबंध Essay On Environmental Issues In Hindi

    Essay On Environmental Issues In Hindi पर्यावरण की समस्या इन दिनों चिंता का विषय हैं। प्रदूषण के स्तर के बढ़ने और ओजोन परत के घटने से दुनिया के सभी देश पर्यावरण को लेकर चिंतित ...

  19. पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi

    StoriesRevealers on Diwali Essay in Hindi; Ramadhir on Diwali Essay in Hindi; Ram on Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi; Srikanth on ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध Dr. APJ Abdul Kalam Essay in Hindi; aduq on Global Warming Essay in Hindi 500+ Words

  20. पर्यावरण और विकास पर निबंध (Environment and Development Essay in Hindi)

    पर्यावरण और विकास पर निबंध (Environment and Development Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / August 25, 2018. विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने ...

  21. Essay Environment in Hindi

    पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य

  22. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

    इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल ...

  23. पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) तथा भारत

    ESG लक्ष्य कंपनी के संचालन के लिये मानकों का एक समूह है जो कंपनियों को बेहतर शासन, नैतिक प्रथाओं, पर्यावरण के अनुकूल उपायों और सामाजिक ...