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असाइनमेंट meaning in hindi
[सं-पु.] - किसी विशेष घटना या समाचार से संबंधित समाचार के संकलन हेतु संवाददाता को सौंपी गई जिम्मेदारी।
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असाइनमेंट - मतलब हिंदी में.
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प्रतिवेदन किसे कहते हैं? इसके लिखने के तरीके, प्रकार, विशेषता और महत्व
प्रतिवेदन किसे कहते हैं? इसके लिखने के तरीके, प्रकार, विशेषता और महत्व | Prativedan Meaning, Type, likhane Ka tarika in Hindi
प्रतिवेदन का अर्थ | Prativedan Meaning In Hindi
प्रतिवेदन (प्रति + विद) शब्द के जुड़ने से बना है जिसका अर्थ है समस्त अर्थात पूरी जानकारी रखना. प्रतिवेदन में विशेष कार्य की जानकारी तो दी जाती है साथ ही विभिन्न सुझाव और साथ ही संतुष्टि भी दी जाती है. हम जानते हैं कि देश – विदेश में कई घटनाएं हो होती रहती हैं जिसको जानने के लिए हम उत्सुक रहते हैं जिसके लिए उस घटना का निरीक्षण या छानबीन की आवश्यकता होती है जो सरकारी और गैर सरकारी संस्था या उसके द्वारा नियुक्त एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा की जा सकती है. ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत परिपूर्ण विवरण को प्रतिवेदन कहा जाता है.
प्रतिवेदन लिखते समय कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:-
- प्रतिवेदन हमेशा संक्षिप्त में होना चाहिए.
- प्रतिवेदन का शीर्षक स्पष्ट और शिष्ट होना चाहिए.
- प्रतिवेदन की भाषा सरल और साफ़-साफ़ होना चाहिए.
- शीर्षक ऐसा होना चाहिए जो मुख्य विषय को रेखांकित करता हो.
- घटना, प्रकरण आदि जो भी हुआ हो उसकी तिथि और समय की सूचना दी जानी चाहिए.
- प्रतिवेदन में केवल महत्वपूर्ण बातों को ही लिखना चाहिए.
- कोई घटना, प्रकरण या किसी छानबीन की मुख्य बातें प्रतिवेदन में अवश्य लिखी जानी चाहिए.
- व्याख्या सही क्रमानुसार रूप में हो.
- निर्णयों की जानकारी देना चाहिए.
- प्रतिवेदन लिखते समय भाषा में प्रथम पुरुष का प्रयोग नहीं होना जाना चाहिए.
प्रतिवेदन के प्रकार | Type Of Prativedan
प्रतिवेदन के तीन प्रकार होते हैं :
- व्यक्तिगत प्रतिवेदन
- संगठनात्मक प्रतिवेदन
- विवरणात्मक प्रतिवेदन
व्यक्तिगत प्रतिवेदन –
जैसे: 8.09.2001
मैं सुबह छह बजे उठा. सारे काम करके सात बजे मैं पढ़ने बैठा. अचानक से सिर घुमने लगा दर्द से तो बिस्तर पर लेट गया और आँखें बंद कर लीं तो नींद आ गयी. एक घंटे बाद जगा पर दर्द फिर भी था. डॉक्टर के पास गया और दवा लेकर घर लौटा. दवा खाकर फिर लेट गया तो दर्द दूर हो गया. भोजन किया और स्कूल के लिए मैं चल पड़ा एक बजे दोपहर में सिर दर्द फिर शुरू हुआ इसलिये छुट्टी लेकर घर लौट आया.
संगठनात्मक प्रतिवेदन –
प्रतिवेदन : स्कूल का वार्षिकोत्सव
हमारा स्कूल सन् 1980 में स्थापित हुआ था. शुरुआत में जहाँ चार शिक्षक और चालीस छात्र थे वही आज शिक्षकों की संख्या पच्चीस और छात्रों की संख्या आठ सौ तक पहुँच गयी है.
यहाँ शिक्षकों को समय पर वेतन मिलता है. सभी बड़ी निष्ठा से काम करते हैं है. इस वर्ष से सिलाई और बुनाई की शिक्षा की भी व्यवस्था की गयी है छात्र इसके महत्व से घरेलू रुचि ले रहे हैं. इस वर्ष प्रवेशक परीक्षा में चालीस छात्र प्रथम श्रेणी में ग्यारह द्वितीय श्रेणी में और तीन तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए. इस विवरण से यह स्पष्ट है कि यह स्कूल हर दिशा में विकास कर रहा है.
दिनांक 21.05.2009
राजीव सिंह
प्रधानाध्यापक
विवरणात्मक प्रतिवेदन –
जैसे : मेला
सोनारपुर में हर साल सबसे बड़ा मेला लगता है यह कार्तिक की पूर्णिमा के दो दिन पहले से बीस दिनों तक लगता है. पूर्णिमा के दिन यात्रियों की भारी भीड़ भगवान के दर्शन के लिए होती है. इस वर्ष भी मंदिर के सामने दर्शनार्थियों की एक लंबी कतार थी.
भगवान के दर्शन कर लोग दुकानों की ओर बढ़े उनकी सजावट मनमोहक थी तथा देश भर के व्यापारी आये थे. दूसरे स्थानों पर साधु, संन्यासी अपनी-अपनी कुटी में थे. तीसरे स्थान पर सरकसवाले कई तरह के खेल – तमाशे दिखा रहे थे. रात में बिजली की रोशनी में सारा मेला जगमगा रहा था तथा सारा दृश्य मनमोहक और सुखद था.
दिनांक 30.09.2001
प्रतिवेदन की विशेषताएँ | Prativedan Characteristics
- प्रतिवेदन में किसी प्रकरण, घटना या कार्य योजना प्रसंग की प्रमुख बातें ही लिखी जाती हैं.
- प्रतिवेदन में बातें एक क्रमानुसार में लिखी जाती हैं.
- प्रतिवेदन में बातें विस्तार में नहीं संक्षेप में लिखी जाता हैं.
- उनको समझने में दिक्कत न हो उनका एक ही अर्थ और परिणाम होता है तथा स्पष्टता एक अच्छे प्रतिवेदन की विशेषता होती है.
- प्रतिवेदन में लेखक या प्रतिवेदन लिखने वाले की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की जाती तथा इसमें ऐसी कोई बात नहीं कहा जा सकता जिससे संदेह पैदा हो.
- प्रतिवेदन सच्ची बातों का विवरण होता है. अर्थात यही कारण है कि इसमें कल्पना, पक्षपात और भावना के लिए स्थान नहीं होता है.
- प्रतिवेदन की भाषा साहित्य-संबंधी नहीं होता. यह सरल और दिलचस्प होती है.
- प्रतिवेदन किसी प्रकरण, घटना या विषय की साफ तथा जीवित तस्वीर सुनने या पढ़ने वाले के मन पर खींच देता है.
प्रतिवेदन का महत्व | Prativedan Significance
प्रतिवेदन का उद्देश्य बीते हुए समय के विशेष प्रत्यक्ष ज्ञान का संक्षिप्त एकत्र करना है ताकि वह आगे किसी तरह की भूल या दुविधा न हो पाये. प्रतिवेदन में उसी सत्य की चर्चा रहती है जिसका अच्छा या बुरा अनुभव हुआ है. प्रतिवेदन का दूसरा लक्ष्य भूतकाल को वर्तमान से जोड़ना भी है. लेकिन प्रतिवेदन डायरी या पत्रिका नहीं है. प्रतिवेदन में उचित तस्वीर रहती है और डायरी में यथार्थ के साथ लेखक की भावना, कल्पना और प्रतिक्रिया भी व्यक्त किया हुआ होता है.
आजकल प्रतिवेदन लेखन एक महत्त्वपूर्ण कार्य के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. प्रतिवेदन लिखने वाले विभिन्न सच्चाई से संबंध की जाँच, निरीक्षण, खोज तथा छानबीन करके आदि से जो परिणाम निकलता है उन्हें ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत करता है. अर्थात जब भी कोई विषय, मुद्दा, मामला सामान्य लोगों के विरुद्ध होता है तो उस विषय की छानबीन करना आवश्यक हो जाता है इसीलिए ऐसी स्थिति में ही प्रतिवेदन की ज़रूरत पड़ती है. सरकारी या गैर सरकारी कार्यालयों और संस्थाओं में छोटी-बड़ी नियमों का उल्लंघन, घोटाला और विवादों की जाँच तथा उनकी प्रतिवेदन आदि की आवश्यकता बना ही रहती है.
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महिला सशक्तिकरण मुद्दे पर कई तरह की चर्चाएं और कई तरह की राय लोगों द्वारा दी जाती है. अक्सर कहा जाता है कि किसी भी देश की तरक्की तभी हो सकती है. जब उस देश की महिलाओं का विकास सही से किया जाए. वहीं इस वक्त महिलाओं के विकास के लिए पूरी दुनिया में कई तरह के कार्य भी किए जा रहे हैं. ताकि नारी शक्ति को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन किया जा सके. वहीं इस सदी में भी महिला सशक्तिकरण करने के मुद्दे का जिक्र करना, इस बात को साबित करता है कि अभी भी महिलाओं का विकास पूरी तरह से नहीं किया जा सका है.
वहीं अगर आप लोगों को ऐसा लगता है कि केवल भारत ही ऐसा देश है. जहां पर महिलाएं अभी भी केवल एक गृहणी के रूप में जानी जाती हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. भारत के अलावा अभी भी दुनिया के नक्शे में ऐसे कई देश मौजूद हैं. जहां पर महिलाओं का विकास ना के बराबर है.
महिला सशक्तिकरण में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका (women’s empowerment role)
संयुक्त राष्ट्र के द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन दुनिया भर में हर साल किया जाता है. जिसके जरिए नारी शाक्ति को अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया जा सके. वहीं ये काफी दुख की बात है कि अभी तक हम लोगों को महिलाओं और पुरुषों को समान पहचान और अधिकार देने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ रही है.
भारत में महिलाओं की स्थिति (condition of women’s in India)
हमारे देश में नारियों की क्या परिस्थिति है, इस बात का अंदाजा इस चीज से ही लगाया जा सकता है, कि अभी भी भारत में ऐसे कई गांव हैं. जहां की महिलाओं का जीवन घर की चार दीवारों तक ही सीमित है. इतना ही नहीं हमारे देश में काम (नौकरी) करने वाली महिलाओं की संख्या भी अन्य देशों के मुकाबले कम हैं. हमारे देश की ज्यादातर पढ़ी-लिखी महिलाएं भी इस वक्त अपने हक के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही हैं. उनको ना चाहते हुए भी ऐसा जीवन जीना पड़ रहा है, जिसके वो विरूद्ध हैं.
भारत का महिला आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill) –
किसी भी देश को चलाने के लिए सभी महत्वपूर्ण फैसले उसकी संसद में ही लिए जाते हैं. वहीं हमारी संसद में अगर महिला सांसदों की संख्या देखी जाए, तो वो ना के सामान ही है. हमारे देश की महिलाओं की भूमिका देश को चलाने में ज्यादा खास नहीं है. वहीं संसद में महिलाओं की इतनी कम संख्या को देखते हुए भारत की सरकार ने साल 2010 में महिला आरक्षण बिल का संसद में सबके सामने प्रस्ताव रखा. इस बिल के मुताबिक संसद की 33 % सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने के नियम का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन उस समय कांग्रेस सरकार केवल राज्यसभा से ही इस बिल को पास करवाने में कामयाब रही थी. लोकसभा में इस बिल को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण इसे पास नहीं किया जा सका था.
वहीं साल 1993 में भारत सरकार ने एक संवैधानिक संशोधन पारित किया गया था. जिसमें ग्रामीण परिषद स्तर के होने वाले चुनावों में एक तिहाई सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित थी. जिसकी वजह से आज हर गांव में होने वाले चुनाव में महिला चुनाव लड़ती हैं.
महिला सशक्तिकरण का महत्व (women empowerment importance and principles in hindi)
आप लोगों के मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर क्यों महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को विश्व के कई संगठनों द्वारा इतना महत्व दिया जाता है. वहीं इन सब सवालों के जवाब आपको नीचे दिए गए हैं.
- समाज का विकास ( development of society)
महिला सशक्तिकरण का मुख्य लाभ समाज से जुड़ा हुआ है. अगर हम लोगों को अपने देश को एक शक्तिशाली देश बनाना है, तो उसके लिए हम लोगों को समाज की महिला को भी शक्तिशाली बनाने की जरूरत है. महिलाओं के विकास का मतलब होता है कि आप एक परिवार का विकास का कार्य कर रहे हैं. अगर महिला शिक्षित होगी, तो वो अपने परिवार को भी पढ़ा-लिखा बनाने की कोशिश करेगी. जिसके चलते हमारे देश को पढ़े-लिखे नौजवान मिलेंगे. जो कि देश की तरक्की में अपनी योगदान दे सकेंगे.
- घरेलू हिंसा में कमी : ( violence against women in India)
घरेलू हिंसा एक ऐसी चीज है, जो कि किसी भी महिला के साथ हो सकती है. ये जरूरी नहीं है कि घरेलू हिंसा केवल अनपढ़ महिलाओं के साथ ही होती है. शिक्षित महिलाएं भी इस तरह की हिंसा का शिकार होती हैं. बस फर्क इतना होता है कि जहां पढ़ी-लिखी महिलाएं इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत रखती हैं. वहीं अनपढ महिलाएं ऐसी हिंसा के विरुद्ध अपनी आवाज उठाने से डरती हैं. वहीं अगर महिलाओं का विकास किया जा सके तो हमारे देश में होने वाली घरेलू हिंसा में ना केवल कमी आएगी. बल्कि महिलाएं घरेलू हिंसा करने वाले आदमी को सजा भी दिलावाने के लिए आगे आएंगी.
- आत्म निर्भर बनाना – ( campaign for female education)
हमारे देश में लड़कियों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि उन्हें आगे जाकर केवल घर की ही देखभाल करनी हैं. अभी भी गांव में पढ़ाई करने से ज्यादा लड़कियों को घर के काम सिखाए जाते हैं. जो ना सिर्फ लड़कियों के भविष्य के लिए गलत हैं. बल्कि देश के लिए भी नुकसानदेह है. देश में अशिक्षित लड़कियां होने का मतलब है कि देश की करीब 40% आबादी का अशिक्षित होना. अगर हम अपने देश की लड़कियों को आत्म निर्भर नहीं बननें देंगे, तो हमारे देश की महिलाएं केवल रसोई तक ही समिति रह जाएंगी.
- गरीबी कम करने ( family structure its effect on women’s role in India)
महिला सशक्तिकरण का जो अगला सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है, वो गरीबी से जुड़ा हुआ है. अक्सर देखा गया है कि इतनी महंगाई के जमाने में कभी-कभी, परिवार के पुरुष सदस्य द्वारा अर्जित धन परिवार की मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है. वहीं महिलाओं की अतिरिक्त आय परिवार को गरीबी के रास्ते से बाहर आने में मदद करता है. इसलिए गरीबी को कम करने के लिए भी महिलाओं का शिक्षित होने के साथ-साथ कामकाजी होना भी जरूरी है.
- प्रतिभाशाली ( empowering women through skill development challenges and opportunities):
कई ऐसी लड़कियां होती है, जिनमें कई प्रतिभा होती हैं. लेकिन सही मागर्दशन और शिक्षा ना मिल पाने के चलते वो अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं. इसलिए अगर महिलाओं का सहीं से सशक्तिकरण कर दिया जाए, तो महिला अपने हुनर की पहचान कर सकेंगी. जिससे देश को भी प्रतिभाशाली महिलाएं मिलेंगे. जो कि देश के विकास के लिए कार्य करेंगी.
समाज में समानता मिलना – ( what is the importance of gender equality)
महिला सशक्तिकरण करने का जो सबसे बड़ा लक्ष्य है. वो महिलाओं को पुरुष के समान इस समाज में समानता देना है. अभी भी दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां पर महिला को पुरुषों की तरह अधिकार नहीं दिए गए हैं. महिलाएं अभी भी केवल गुलामों की तरह कार्य करती हैं. उनको ना अपनी बात कहने की और ना कुछ निर्णय लेनी की आजादी दी गई है. वहीं महिला सशक्तिकरण के जरिए ऐसी महिलाओं का विकास करने पर ही जोर दिया जाता है. ताकि ये महिलाएं बोलने की आजादी का लाभ उठा सकेंगी. अपनी राय खुलकर समाज के सामने रख सकें.
भारत में महिलाओं के लिए चलाई गई योजना (W omen Empowerment schemes in India)
भारत सरकार ने देश की महिलाओं के विकास के लिए कई सारी योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं की मदद से सरकार महिलाओं की मदद कर उनका सशक्तिकरण करना चाहती हैं. वहीं इन योजना का बारे में नीचे जानकारी दी गई है.
- नेशनल मिशन फॉर इम्पॉवरमेंट ऑफ वूमन ( National Mission for Empowerment of Women )
इस मिशन को महिलाओं का सशक्तिकरण करने के लक्ष्य से भारत सरकार ने शुरू किया था. 15 अगस्त 2011 को शुरू किए गए इस मिशन को राष्ट्रीय और राज्य दोनों लेवल पर शुरू किया गया था. इस मिशन की मदद से महिलाओं को आत्म निर्भर बनाया जा रहा है.
- स्वाधार गृह योजना ( SWADHAR Greh Scheme )
इस योजना के अंतर्गत 18 वर्ष के ऊपर की आयु वाली लड़कियों को रहने के लिए आवास दिए जाते हैं. ये योजना उन लड़कियों के लिए चलाई गई है, जो कि बेघर हो गई हैं. आवास के अलावा इस योजना के अंतर्गत भोजन, कपड़े, स्वास्थ्य सुविधाएं और उनकी आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाती है.
- वन स्टॉप सेंटर योजना ( One Stop Centre Scheme )
इस योजना की मदद से घरेलू हिंसा का सामना कर रही महिलाओं को सहायता प्रदान की जाती है. इतना ही नहीं इस हिंसा से ग्रस्त महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श सहित अन्य सहायता भी दी जाती हैं. ये योजना महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
- बेटी पढ़ाओ , बेटी बचाओ योजना ( Beti Padhao, Beti Bachao Scheme )
लड़कियों के कल्याण और उनकी पढ़ाई के प्रति लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लक्ष्य से बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ योजना को शुरू करा गया था. साल 2015 में इस योजना की चलाया गया था. इस योजना के जरिए लड़कियों के परिवार वालों को उन्हें शिक्षित करने के लिए प्रोत्सहित किया जाता है.
- कार्य महिला छात्रावास योजना ( Working Women’s Hostel )
जो महिलाएं अपने परिवार से दूर रहकर कार्य कर रही हैं, उन महिलाओं के लिए इस योजना को शुरू किया गया है. इस योजना के अंतर्गत कोई भी कामकाजी महिला को रहने की सुविधा सरकार द्वारा मुहैया कराई जाती है. महिला बिना किसी डर के सरकार द्वारा खोले गए इन छात्रावास में रहकर अपनी नौकरी जारी रख सकती हैं.
- महिला हेल्पलाइन योजना ( Women helpline scheme )
साल 2015 में शुरू की गई इस योजना को हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए बनाया गया है. इस योजना की मदद से घरेलू हिंसा से प्रभावित कोई भी महिला 24 घंटे टोल-फ्री टेलीकॉम सेवा पर फोन कर मदद मांग सकती है. कोई भी महिला कभी भी 181 नंबर पर फोन कर किसी भी प्रकार की सहायता पुलिस से ले सकती है.
- राजीव गांधी राष्ट्रीय आंगनवाड़ी योजना (Rajiv Gandhi National creche scheme)
ऑफिसों में काम करने वाली माताओं के लिए इस योजना को चलाया गया है. अक्सर कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को लेकर परेशान रहती हैं. इस योजना के जरिए कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को नर्सरी में छोड़ सकती हैं. जहां पर उनके बच्चों की देखभाल की जाएगी. वहीं शाम को अपना काम खत्म करके महिलाएं अपने बच्चों को वापस अपने साथ घर ले जा सकती हैं. देखभाल की सुविधा के अलावा इन नर्सरियों में बच्चों को बेहतर पोषण, प्रतिरक्षण सुविधाओं, सोने के लिए सुविधा और इत्यादि सुविधा प्रदान की जाती हैं.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (what is International Women’s Day)
दुनियाभर में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बहुत सारे कामों एवं योजनाओं को लागू किया जा रहा है. वहीं आठ मार्च के दिन को महिलाओं के लिए अर्पित किया हुआ है. इस दिन दुनिया के हर कोने में महिलाओं के लिए कई कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है. इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के नाम से मनाए जाता है. वहीं हर देश में विशेष रूप आयोजित किए जान वाले कार्यक्रमों के जरिए महिलाओं के विकास पर जोर दिया जाता है.
निष्कर्ष (W omen Empowerment conclusion)
आप लोगों ने महिला आयोग और महिला की सहायता के लिए बनाए गए कई संगठनों के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या आप ने कभी पुरुष के लिए बनाए गए किसी संगठन के बारे में सुना है. जो कि उनकी मदद के लिए बनाया गया हो. महिलाओं के लिए बनाए गए संगठनों की आखिर हमें क्यों जरूरत पड़ती है? क्यों हमारे देश की महिला इतनी ताकतवर नहीं है कि वो अपने आप ही हर चीज से निपट सकें.
वहीं जब हमारे देश की महिलाएं शिक्षित हो जाएंगी. अभी हम कहे सकते हैं कि हमारे देश में महिलाओं के हालात बेहतर होते जा रहे हैं. जिस तरह पुरुषों को किसी भी मदद की जरूरत नहीं होती है. ठीक उसी तरह एक ऐसा दिन भी आएगा जब महिलाओं को भी किसी भी चीज का हल निकालने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना होगा. और उस दिन महिलाओं के सशक्तिकरण का देखा गया ये सपना सच हो सकेगा.
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