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विविधता में एकता पर निबंध | Unity in Diversity Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Unity in Diversity in Hindi

By: savita mittal

विविधता में एकता पर निबंध | Unity in Diversity Essay in Hindi

विभिन्न धर्मावलम्बियों के बीच एकता, भौगोलिक दृष्टि से एकता, राजनीतिक दृष्टि से एकता, स्वाधीनता आन्दोलन में एकता, सांस्कृतिक एकता, धार्मिक दृष्टि से एकता, भाषायी विविधता में एकता, कला, संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में एकता, विविधता में एकता पर निबंध । essay on unity in diversity in hindi । vividhata mein ekta par nibandh video.

भारत एक विविधतापूर्ण देश है। इसके विभिन्न भागों में भौगोलिक अवस्थाओं, निवासियों और उनकी संस्कृतियों में काफी अन्तर है। कुछ प्रदेश अफ्रीकी रेगिस्तानों जैसे तप्त और शुष्क है तो कुछ ध्रुव प्रदेश की तरह अति ठण्डे है। कहीं वर्षा का अतिरेक है तो कहीं उसका नितान्त अभाव। तमिलनाडु, पंजाब और असम के निवासियों को एक साथ देखकर कोई उन्हें एक नस्ल या एक संस्कृति का अंग नहीं मान सकता।

देश के निवासियों के अलग-अलग धर्म, विविधतापूर्ण भोजन और वस्त्र उतने ही भिन्न हैं, जितनी उनकी भाषाएँ या बोलियाँ। इतनी और इस कोटि की भिन्नता के बावजूद सम्पूर्ण भारत एकता के सूत्र में बँधा हुआ है। इस सूत्र की अनेक विषाएँ हैं, जिनकी जड़े देश के सभी कोनी तक पत्नवित और पुष्पित है। भारत की बाहरी विभिन्नताएँ एवं विविधताएँ भौतिक हैं, किन्तु भारतीयों के अभ्यन्तर में प्रवाहित एकता की भावना की धारा ने देश के जन-मन को एक सूत्र में पिरो रखा है। भारत की एकता के सन्दर्भ में कुछ निम्न पंक्तियाँ द्रष्टव्य है-

“हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं।

रंग, रूप, भेष, भाषा चाहे अनेक है।”

भारत विविधता में एकता का देश है। यहाँ हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई एवं पारसी आदि अनेक धर्मों के मानने भाले लोग निवास करते हैं। इनकी भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, आचार-विचार व्यवहार, धर्म तथा आदर्श इन्हें एक-दूसरे से अलग करते हैं। इसके बाबजूद भारत के लोगों में एकता देखते ही बनती है। आज भारत के लोगों ने आचार्य. माने की इस पंक्ति को अपने जीवन में अच्छी तरह से बैठा लिया है “सबको हाथ की पाँच अंगुलियों की तरह रहना चाहिए।”

यदि हम भारतीय समाज एवं जनजीवन का गहन अध्ययन करें तो हमें स्वतः हो पता चल जाता है कि इन विविधताओं और विषमताओं के पीछे आधारभूत अखण्ड मौलिक एकता ही भारतीय समाज एवं संस्कृति की अपनी एक विशिष्ट विशेषता है। बाहरी तौर पर तो विषमता एवं अनेकता झलकती है, पर इसकी गहराइयों में आधारभूत एकता शाश्वत सत्य की भाँति प्रकाशमान है।

भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत को कई क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता है, परन्तु सम्पूर्ण देश भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है। उत्तर में पर्वतराज हिमालय अपने विराट रूप में स्थित है, तो दक्षिण में हिन्द महासागर भारत के चरणों को पखारता है। इन दोनों ने भारत में एक विशेष प्रकार की ऋतु पद्धति बना दी है। 

ग्रीष्म ऋतु में जो बादल बनकर उठती है, वह हिमालय की चोटियों पर बर्फ के रूप में जम जाती है और गर्मियों में ये पिघलकर नदी की धाराएँ बनकर पुन: समुद्र में वापस चली आती है। सनातनकाल से समुद्र और हिमालय में एक-दूसरे पर पानी फेंकने का यह अद्भुत खेल चल रहा है। एक निश्चित क्रम के अनुसार ऋतुएँ परिवर्तित होती रहती है एवं यह ऋतु चक्र समूचे देश में एक जैसा है।

Unity in Diversity Essay in Hindi

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भारत में अनेक राजवंशों ने शासन किया है, परन्तु भारत के सभी महत्त्वाकांक्षी सम्राटों का ध्येय सम्पूर्ण भारत पर अपना एक छत्र साम्राज्य स्थापित करने का रहा है एवं इसी ध्येय से राजसूय वाजपेय, अश्वमेष आदि यश किए जाते थे तथा सम्राट स्वयं को राजाधिराज व चक्रवर्ती आदि उपाधियों से विभूषित कर इस अनुभूति को व्यक्त करते थे कि वास्तव में, भारत का विस्तृत भूखण्ड राजनीतिक तौर पर एक है।

राजनीतिक एकता और राष्ट्रीय भावना के आधार पर ही राष्ट्रीय आन्दोलनों एवं स्वतन्त्रता संग्राम में देश के विभिन्न प्रान्तों के निवासियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। स्वतन्त्र भारत में राष्ट्रीय एकता की परख चीनी और पाकिस्तानी आक्रमणों के समय भी खूब हुई। समकालीन राजनीतिक इतिहास में एफ युगान्तस्कारी परिवर्तन का प्रतीक बन चुके 11वीं लोकसभा (1996) के चुनाव परिणाम यद्यपि किसी दल विशेष को स्पष्ट जनादेश नहीं दे पाए, फिर भी राजनीतिक एकता की कड़ी टूटी नहीं। हमारे शास्त्र में भी “संधे शक्ति कलयुगे” अर्थात् कलयुग में संघ में शक्ति की बात कही गई है।

भारत में विभिन्न धर्मावलम्बियों एवं जातियों के होने पर भी उनकी संस्कृति भारतीय संस्कृति का ही एक अंग बनकर रही है। समूचे देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का मौलिक आधार एक-सा है। वास्तव में, भारतीय संस्कृति की कहानी एकता एवं समाधानों का समन्वय तथा प्राचीन एवं नवीन परम्पराओं के पूर्ण संयोग की उन्नति की कहानी है। यह प्राचीनकाल से लेकर आज तक और आगे आने वाले समय में भी सदैव बनी रहेगी।

ऊपरी तौर पर भारत में अनेक धर्म सम्प्रदाय तथा मत हैं, लेकिन सूक्ष्म अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि बे सभी समान दार्शनिक एवं नैतिक सिद्धान्तों पर आधारित हैं। एकेश्वरवाद, आत्मा का अमरत्व, कर्म, पुनर्जन्म, मायावाद, मोक्ष, निर्वाण, भक्ति आदि प्राय: सभी धर्मों की समान निधियाँ हैं। इस प्रकार भारत की सात पवित्र नदियाँ (गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, सिन्धु, नर्मदा एवं कावेरी), विभिन्न पर्वत आदि देश के विभिन्न भागों में स्थित हैं, तथापि देश के प्रत्येक भाग के निवासी उन्हें समान रूप से पवित्र मानते हैं और उनके लिए समान श्रद्धा और प्रेम की भावना रखते हैं।

विष्णु एवं शिव की उपासना तथा राम एवं कृष्ण की गाथा का गुणगान सम्पूर्ण भारत में एकसमान है। हिमालय के शिखरों से लेकर कृष्णा-कावेरी समतल डेल्टाओं तक सर्वत्र शिव एवं विष्णु के मन्दिरों के शिखर प्राचीनकाल से आकाश से बातें करते और धार्मिक एकता की घोषणा करते आ रहे हैं।

इसी प्रकार चारों दिशाओं के चार धाम-उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथपुरी और पश्चिम में द्वारका भारत की धार्मिक एकता एवं अखण्डता के पुष्ट प्रमाण है। सभी हिन्दू गाय को पवित्र मानते हैं और ‘ उपनिषद्’, ‘वेद’, ‘गीता’, ‘रामायण’, ‘महाभारत’, ‘धर्मशास्त्र’, ‘पुराण ‘ आदि के प्रति समान रूप से श्रद्धा भाव रखते हैं। सम्पूर्ण भारतवर्ष में सर्वत्र संयुक्त परिवार की प्रणाली प्रचलित है। जाति प्रथा का प्रभाव किसी-न-किसी रूप में भारत के सभी स्थानों एवं लोगों पर पड़ा है। रक्षाबन्धन, दीपावली, दशहरा, ईद, होली आदि त्योहारों का फैलाव समूचे भारत में है। सारे देश में जन्म-मरण के संस्कारों एवं विधियों, विवाह प्रणालियों, शिष्टाचार, आमोद-प्रमोद, उत्सव, मेलों, सामाजिक रूढ़ियों और परम्पराओं में पर्याप्त समानता देखने को मिलती है।

भारत में भाषाओं की बहुलता है, पर वास्तव में ये सभी एक ढाँचे में ढली हुई है। अधिकांश भाषाओं की वर्णमाला एक ही है। सभी भाषाओं पर संस्कृत भाषा का प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है, जिसके फलस्वरूप भारत की प्राय: सभी भाषाएँ अनेक अर्थों में समान बन गई है। समस्त धर्मों का प्रचार संस्कृत एवं पाली भाषा के द्वारा ही हुआ है। 

संस्कृत के ग्रन्थ आज भी देश में रुचिपूर्वक पढ़े जाते हैं। रामायण और महाभारत नामक महाकाव्य, तमिल तथा अन्य दक्षिण प्रदेशों में उतनी ही श्रद्धा एवं भक्ति से पढ़े जाते हैं, जितने में पश्चिमी पंजाब में तक्षशिला की विद्रुत मण्डली एवं गंगा की ऊपरी घाटी में स्थित नैमिषारण्य में समस्त देश के विद्वत समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम पहले ‘प्राकृत’ एवं ‘संस्कृत भाषा में बाद में ‘अंग्रेजी’ और आज ‘हिन्दी’ के द्वारा पूर्ण हो रहा है। भाषा की एकता की इस निरन्तरता को कभी खण्डित नहीं। किया जा सकता। महात्मा गाँधी ने कहा था।

“जब तक हम एकता के सूत्र में बँधे हैं, तब तक मज़बूत है और जब तक खण्डित है तब तक कमजोर है।”

स्थापत्य कला, मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य, संगीत, सिनेमा आदि के क्षेत्र में हमें एक अखिल भारतीय समानता देखने को मिलती है। इन सभी क्षेत्रों में देश की विभिन्न कलाओं का एक अपूर्व मिलन हुआ है। देश के विभिन्न भागों में निर्मित मन्दिरों, मस्जिदों, चर्चा एवं अन्य धार्मिक इमारतों में इस मिलन का आभास होता है। दरबारी, मियाँ मल्हार, ध्रुपद, भजन, ख्याल, टप्पा, ठुमरी, गंजल के अतिरिक्त पाश्चात्य घुनों का भी विस्तार सारे भारतवर्ष में है।

दक्षिण में निर्मित फिल्मों को डबिंग के साथ हिन्दी भाषा क्षेत्र में तथा हिन्दी फिल्मों को डबिंग के साथ देश के कोने-कोने में दिखाया जाता है। इसी प्रकार भरतनाट्यम, कथकली, कत्थक, मणिपुरी आदि सभी प्रकार के नृत्य भारत के सभी भागों में प्रचलित है। भारत प्रजातियों का एक अजायबघर है, लेकिन चाहर से आई द्रविड, शक, सिथियन, हूण, तुर्की, पठान, मंगोल आदि प्रजातियाँ हिन्दू समाज में अब इतनी घुल-मिल गई हैं कि उनका पृथक् अस्तित्व आज समाप्त हो गया है। हिन्दुओं, मुसलमानों और ईसाइयों के अनेक रीति-रिवाज, उत्सव, मेले, भाषा, पहनावा आदि में समानता है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि बाहरी तौर पर भारतीय समाज, संस्कृति एवं जनजीवन में विभिन्नताएँ दिखाई देने पर भी भारत की संस्कृति, धर्म, भाषा, विचार एवं राष्ट्रीयता मूलतः एक है। इस एकता को बिखण्डित नहीं किया जा सकता है। हजारों वर्षों की अग्नि परीक्षा और विदेशी आक्रमणों ने इस सत्य को प्रमाणित कर दिया है। भारतीय एकता के सन्दर्भ में रिचर्ड निक्शन’ का यह कथन बिल्कुल सत्य प्रतीत होता है. “हमारी एकता के कारण हम शक्तिशाली है, परन्तु हम अपनी विविधता के कारण और भी शक्तिशाली है।”

सामाजिक मुद्दों पर निबंध

reference Unity in Diversity Essay in Hindi

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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भारत में विविधता में एकता पर निबंध | Unity in Diversity in India

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भारत में विविधता में एकता पर निबंध (दो निबंध) | Read These Two Essays on Unity in Diversity in India in Hindi.

#Essay 1: भारत में विविधता में एकता पर निबंध | Unity in Diversity in India!

भारत एक विविधतापूर्ण देश है’। इसके विभिन्न भागों में भौगोलिक अवस्थाओं, निवासियों और उनकी संस्कृतियों में काफी अन्तर है । कुछ प्रदेश अफ्रीकी रेगिस्तानों जैसे तप्त और शुष्क हैं, तो कुछ ध्रुव प्रदेश की भांति ठण्डे है ।

कहीं वर्षा का अतिरेक है, तो कहीं उसका नितान्त अभाव है । तमिलनाडु, पंजाब और असम के निवासियों को एक साथ देखकर कोई उन्हें एक नस्ल या एक संस्कृति का अंग नहीं मान सकता । देश के निवासियों के अलग-अलग धर्म, विविधतापूर्ण भोजन और वस्त्र उतने ही भिन्न हैं, जितनी उनकी भाषाएं या बोलियां ।

इतनी और इस कोटि की विभिन्नता के बावजूद सम्पूर्ण भारत एकता के सूत्र में निबद्ध है । इस सूत्र की अनेक विधायें हैं, जिनकी जडें देश के सभी कोनों तक पल्लवित और पुष्पित हैं । बाहर विभिन्नताएं और विविधताएं भौतिक हैं, किन्तु भारतीयों के अभ्यन्तर में प्रवाहित एकता की अजस्र धारा भावनात्मक एवं रोगात्मक है । इसी ने देश के जन-मन को एकता के सूत्र में पिरो रखा है ।

भारत की एकता का यह भारतीय संस्कृति का स्तम्भ है । भारतीय संस्कृति अति प्राचीन है और वह अपनी विशिष्टताओं सहित विकसित होती रही है । इसके कुछ विशेष लक्षण हैं, जिन्होंने भारतीय एकता के सूत्र की जड़ों को और भी सुदृढ़ किया है ।

कुछ विशेष लक्षणों की कुछ विशेषताओं का उल्लेख नीचे किया जाता है:

I. भारतीय संस्कृति की धारा अविच्छिन्न रही है ।

II. यह धर्म, दर्शन और चिन्तन प्रधान रही है । यहां धर्म का अर्थ न ‘मजहब’ है और न ‘रिलीजन’ है । भारतीय संस्कृति का यह धर्म अति व्यापक, उदार एवं जीवन के सत्यों का पुंज है ।

III. भारतीय संस्कृति का एक अलौकिक तत्व इसकी सहिष्णुता है । यहां सहिष्णुता का सामान्य अर्थ सहनशीलता नहीं वरन् गौरवपूर्ण शान्त विशाल मनोभाव है, जो स्वकीय-परकीय से ऊपर और समष्टिवाचक है ।

ADVERTISEMENTS:

IV. यह जड़ अथवा स्थिर नहीं, बल्कि सचेतन और गतिशील है । इसने समय-काल के अनुरूप अपना कलेवर (आत्मा नहीं) बदला ही नहीं, वरन् उसे अति ग्रहणशील बनाया है ।

V. यह एकांगी नहीं, सर्वांगीण है । इसके सब पक्ष परिपक्व, समुन्नत, विकसित और सम्पूर्ण हैं । इसमें न कोई रिक्तता है और न संकीर्णता ।

भारतीय संस्कृति की इन्हीं विशेषताओं ने इस देश को एक सशक्त एवं सम्पूर्ण भावनात्मक एकता के सूत्र में बांध रखा है ।

भारत में सदैव राजनैतिक एकता रही । राष्ट्र व सम्राट, महाराजाधिराज जैसी उपाधियां, दिग्विजय और अश्वमेध व राजसूय यज्ञ भारत की जाग्रत राजनैतिक एकता के द्योतक रहे हैं । महाकाव्यकाल, मौर्यकाल, गुप्तकाल और उसके बाद मुगलकाल में भी सम्पूर्ण भारत एक शक्तिशाली राजनैतिक इकाई रहा ।

यही कारण है कि देश के भीतर छोटे-मोटे विवाद, बड़े-बड़े युद्ध और व्यापक उथल-पुथल के बाद भी राजनैतिक एकता का सूत्र खण्डित नहीं हुआ । साम्प्रदायिकता, भाषावाद, क्षेत्रीयता और ऐसे ही अन्य तत्व उभरे और अन्तर्राष्ट्रीय शक्तियों ने उनकी सहायता से देश की राष्ट्रीय एकता को खण्डित करने का प्रयास किया, किन्तु वे कभी भी सफल नहीं हो पाये ।

जब देश के भीतर युद्ध, अराजकता और अस्थिरता की आंधी चल रही थी तब भी कोटि-कोटि जनता के मन और मस्तिष्क से राजनैतिक एकता की सूक्ष्म, किन्तु सुदृढ़ कल्पना एक क्षण के लिए भी ओझल नहीं हो पाई । इतिहास साक्षी है कि राजनैतिक एकता वाले देश पर विदेशी शक्तियां कभी भी निष्कंटक शासन नहीं चला पाई । भारत का इतिहास इसी की पुनरोक्ति है ।

भारतीय संस्कृति का एक शक्तिशाली पक्ष इसकी धार्मिक एकता है । भारत के सभी धर्मों और सम्प्रदायों मे बाह्य विभिन्नता भले ही हो, किन्तु उन सबकी आत्माओं का स्रोत एक ही है । मोक्ष, निर्वाण अथवा कैवल्य एक ही गन्तव्य के पृथक-पृथक नाम हैं । भारतीय धर्मों में कर्मकाण्डों की विविधता भले ही हो किन्तु उनकी मूल भावना में पूर्ण सादृश्यता है ।

इसी धार्मिक एकता एवं धर्म की विशद कल्पना ने देश को व्यापक दृष्टिकोण दिया जिसमें लोगों के अभ्यन्तर को समेटने और जोड़ने की असीम शक्ति है । नानक, तुलसी, बुद्ध, महावीर सभी के लिए अभिनन्दनीय हैं । देश के मन्दिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों के समक्ष सब नतमस्तक होते है; तीर्थों और चारों धामों के प्रति जन-जन की आस्था इसी सांस्कृतिक एकता का मूल तत्व है ।

भारत की एकता का सबसे सुदृढ़ स्तम्भ इसकी संस्कृति है । रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा और त्योहारों-उत्सवों की विविधता के पीछे सांस्कृतिक समरसता का तत्व दृष्टिगोचर होता है । संस्कारों (जन्म, विवाह, मृत्यु के समय अन्तिम संस्कार आदि) के एक ही प्रतिमान सर्वत्र विद्यमान हैं । सामाजिक नैतिकता और सदाचार के सूत्रों के प्रति समान आस्था के दर्शन होते हैं ।

मनुष्य जीवन पुरुष, स्त्रियों और लड़कों-लड़कियों के लिए आचरण, व्यवहार, शिष्टाचार, नैतिकता और जीवन-दर्शन की अविचल एकरूपता देश की सांस्कृतिक एकता का सुदृढ़ आधार है । भाषाओं के बीच पारस्परिक सम्बन्ध व आदान-प्रदान, साहित्य के मूल तत्वों, स्थायी मूल्यों और ललित कलाओं की मौलिक सृजनशील प्रेरणाएं सब हमारी सांस्कृतिक एकता की मौलिक एकता का प्रमाण है । सब ‘सत्यं’ ‘शिवं’ और ‘सुन्दरं’ की अभिव्यक्ति का माध्यम है ।

भारत की गहरी और आधारभूत एकता देखने की कम और अनुभव करने की वस्तु अधिक है । देश सबको प्यारा है । इसकी धरती, नदियों, पहाड़ों, हरे-भरे खेतों, लोक-गीतों, लोक-रीतियों और जीवन-दर्शन के प्रति लोगों में कितना अपनापन, कितना प्यार-अनुराग और कितना भावनात्मक लगाव है इसकी कल्पना नहीं की जा सकती । किसी भारतीय को इनके सम्बन्ध में कोई अपवाद सहय नहीं होगा क्योंकि ये सब उसके अपने है ।

भारत में इतनी विविधताओं के बावजूद एक अत्यन्त टिकाऊ और सुदृढ़ एकता की धारा प्रवाहित हो रही है इस सम्बन्ध में सभी भारतीयों के अनुभव एवं अहसास के बाद किसी बाह्य प्रमाण या प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं हैं । लेकिन फिर भी यहां बी॰ए॰ स्मिथ जैसे सुविख्यात इतिहासवेत्ता के कथन का हवाला देना अप्रासंगिक न होगा । उसने कहा कि भारत में ऐसी गहरी आधारभूत और दृढ़ एकता है, जो रंग, भाषा, वेष-भूषा, रहन-सहन की शैलियों और जातियों की अनेकताओं के बावजूद सर्वत्र विद्यमान है ।

#Essay 2: विविधता में एकता पर निबंध | Essay on Unity in Diversity in Hindi

”हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं

रंग, रूप, भेष, भाषा चाहे अनेक हैं ।”

उक्त पंक्तियाँ भारतवर्ष के सन्दर्भ में शत-प्रतिशत सही है भारत विविधता में एकता का देश है । यहाँ हिन्दू मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी आदि विविध धर्मों को मानने बाले लोग निवास करते हैं । इनकी भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, आचार-विचार, व्यवहार, धर्म तथा आदर्श इन्हें एक-दूसरे से अलग करते हैं । इसके बावजूद भारत के लोगों में एकता देखते ही बनती है ।

आज भारतवासियों ने ‘आचार्य विनोबा भावे’ की इस पंक्ति को अपने जीवन में अच्छी तरह चीरतार्य कर लिया है- ”सबको हाथ की पाँच अँगुलियों की तरह रहना चाहिए ।”

यदि हम भारतीय समाज एवं जन-जीवन का गहन अध्ययन करें, तो हमें स्वतः ही पता चल जाता है कि इन विविधताओं और विषमताओं के पीछे आधारभूत अखण्ड मौलिक एकता भी भारतीय समाज एवं संस्कृति की अपनी एक विशिष्ट विशेषता है बाहरी तौर पर तो विषमता एक अनेकता ही झलकती है, पर इसकी तह में आधारभूत एकता भी एक शाश्वत-सत्य की भाँति झिलमिलाती है ।

भारत को भौगोलिक दृष्टिकोण से कई क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता है, परन्तु सम्पूर्ण देश भारतवर्ष के नाम से विख्यात है । इस विशाल देश के अन्दर न तो ऐसी पर्वतमालाएँ है और न ही ऐसी सरिताएँ या सघन बन, जिन्हें पार न किया जा सके । इसके अतिरिक्त, उत्तर में हिमालय की विशाल पर्वतमाला तथा दक्षिण में समुद्र ने सारे भारत में एक विशेष प्रकार की ऋतु पद्धति बना दी है ।

ग्रीष्म ऋतु में जो भाप बादल बनकर उठती है, बह हिमालय की चोटियों पर बर्फ के रूप में जम जाती है और गर्मियों में पिघलकर नदियों की धाराएँ बनकर वापस समुद्र में चली जाती है । सनातन काल से समुद्र और हिमालय में एक-दूसरे पर पानी फेंकने का यह अद्‌भुत खेल चल रहा है । एक निश्चित क्रम के अनुसार ऋतुएँ परिवर्तित होती हैं एवं यह ऋतु चक्र सपने देश में एक जैसा है ।

भारत में सदैव अनेक राज्य विद्यमान रहे है, परन्तु भारत के सभी महत्वाकांक्षी सम्राटों का ध्येय सम्पूर्ण भारत पर अपना एकछत्र साम्राज्य स्थापित करने का रहा है एवं इसी ध्येय से राजसूय वाजपेय, अश्वमेध आदि यश किए जाते थे तथा सम्राट स्वयं को राजाधिराज व चक्रवर्ती आदि उपाधियों से विभूषित कर इस अनुभूति को व्यक्त करते थे कि वास्तव में भारत का विस्तृत भूखण्ड राजनीतिक तौर पर एक है ।

राजनीतिक एकता और राष्ट्रीय भावना के आधार पर ही राष्ट्रीय आन्दोलनों एवं स्वतन्त्रता संग्राम में, देश के विभिन्न प्रान्तों के निवासियों ने दिल खोलकर सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया । स्वतन्त्र भारत में राष्ट्रीय एकता की परख चीनी एवं पाकिस्तानी आक्रमणों के दौरान भी खूब हुई ।

समकालीन राजनीतिक इतिहास में एक युगान्तरकारी परिवर्तन का प्रतीक बन चुके ग्यारहवीं लोकसभा (1966) के चुनाव परिणाम यद्यपि किसी दल विशेष को स्पष्ट जनादेश नहीं दे पाए, फिर भी राजनीतिक एकता की कड़ी टूटी नहीं । हमारे शास्त्र में भी ‘संघे शक्ति कलियुगे’ अर्थात् कलियुग में संगठन (एकता) में ही बल है कहा गया है ।

भारत में विभिन्न धर्मावलम्बियों पद जातियों के होने पर भी उनकी संस्कृति भारतीय संस्कृति का ही एक अंग बनकर रही है । समूचे देश के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन का मौलिक आधार एक-सा है वास्तव में, भारतीय संस्कृति की कहानी, एकता व समाधानों का समन्वय है तथा प्राचीन परम्पराओं एवं नवीन मानो के पूर्ण संयोग की उन्नति की कहानी है ।

यह प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान तक और भविष्य में भी सदैव रहेगी । ऊपर से देखने पर तो लगता है कि भारत में अनेक धर्म, धार्मिक सम्प्रदाय एवं मत हैं, लेकिन गहराई से देखने पर पता चलता है कि बे सभी समान दार्शनिक एवं नैतिक सिद्धान्तों पर आधारित हैं । एकेश्वरवाद, आत्मा का अमरत्व, कर्म, पुनर्जन्म, मायावाद, मोक्ष निर्वाण, भक्ति आदि प्रायः सभी धर्मों की समान निधियाँ है ।

इस प्रकार भारत की सात पवित्र नदियाँ लगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, सिन्ध, नर्मदा एवं कावेरी विभिन्न पर्वत आदि देश के विभिन्न भागों में स्थित है, तथापि देश के प्रत्येक भाग के निवासी उन्हें समान रूप से पवित्र मानते है और उनके लिए समान श्रद्धा एवं प्रेम की भावना रखते हैं । विष्णु व शिव की उपासना तथा राम एवं कृष्ण की गाथा का गुणगान सम्पूर्ण भारत में एक समान है ।

हिमालय के शिखरों से लेकर कृष्णा-कावेरी समतल डेल्टाओं तक सर्वत्र शिव एवं विष्णु के मन्दिरों के शिखर प्राचीनकाल से आकाश से बातें करते और धार्मिक एकता की घोषणा करते आ रहे हैं । इस प्रकार चारों दिशाओं के चार धाम-उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम्, पूर्व में जगन्नाथपुरी और पश्चिम में द्वारिका भारत की धार्मिक एकता एक अखण्डता के पुष्ट प्रमाण हैं ।

सभी हिन्द गाय को पवित्र मानते है और ‘उपनिषद’, ‘वेद’, ‘गीता’, रामायण’, ‘महाभारत’, ‘धर्मशास्त्र’, ‘पुराण’ आदि के प्रति समान रूप से श्रद्धा भाव रखते हैं । सम्पूर्ण भारत में सर्वत्र संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलित हे । जाति प्रथा का प्रभाव किसी-न-किसी रूप में भारत के सभी स्थानों एवं लोगों पर पड़ा है ।

रक्षाबन्धन, दशहरा, दीपावली, होली आदि त्योहारों का फैलाव समूचे भारत में है सारे देश में जन्म-मरण के संस्कारों एवं विधियों, विवाह प्रणालियों, शिष्टाचार, आमोद-प्रमोद, उत्सव, मेलों, सामाजिक रूढ़ियों और परम्पराओं में पर्याप्त समानता देखने को मिलती है ।

भारत में भाषाओं की बहुलता है, पर वास्तव में वे सभी एक ही साँचे में ढली हुई हैं । अधिकांश भाषाओं की वर्णमाला एक ही हे । सभी भाषाओं पर संस्कृत भाषा का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है, जिसके फलस्वरूप भारत की प्रायः सभी भाषाएं अनेक अर्थों में समान बन गई हैं ।

समस्त धर्मों का प्रचार संस्कृत एक पाली भाषा के द्वारा ही हुआ । संस्कृत के ग्रन्थ आज भी समस्त देश में रुचि पूर्वक पड़े जाते है । रामायण और महाभारत नामक महाकाव्य तमिल तथा अन्य दक्षिण प्रदेशों के राजदरबारों में उतनी ही श्रद्धा एवं भक्ति से पढे जाते थे, जितने बे पश्चिमी पंजाब में तक्षशिला की विद्वत मण्डली एवं गंगा की ऊपरी घाटी में स्थित नैमिषारण्य में ।

समस्त देश के विद्वत समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम पहले ‘प्राकृत’ एवं ‘संस्कृत’ भाषा ने, बाद में ‘अंग्रेजी’ और आज ‘हिन्दी’ के द्वारा पूर्ण हो रहा है । भाषा की एकता की इस निरन्तरता को कभी भी खण्डित नहीं किया जा सकता ।

‘महात्मा गाँधी’ ने कहा था-

”जब तक हम एकता के सूत्र में बँधे हैं, तब तक मजबूत हैं

और जब तक खण्डित हैं तब तक कमजोर हैं ।”

स्थापत्य कला, मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य, संगीत, सिनेमा आदि के क्षेत्र में हमें एक अखिल भारतीय समानता देखने को मिलती है । इन सभी क्षेत्रों में देश की विभिन्न कलाओं का एक अपूर्व मिलन हुआ है । देश के विभिन्न मार्गों में निर्मित मन्दिरों, मस्जिदों, चर्चो एवं अन्य धार्मिक इमारतों में इस मिलन का आभास होता है ।

दरबारी, मियाँ मल्हार, ध्रुपद, भजन खयाल, दमा, ठुमरी, गजल के अतिरिक्त पाश्चात्य धुनों का भी विस्तार सारे भारतवर्ष में है । दक्षिण में निर्मित फिल्मों को डबिंग के साथ हिन्दी भाषी क्षेत्र में तथा हिन्दी फिल्मों को डबिंग के साथ देश के कोने-कोने में दिखाया जाता है । इसी प्रकार भरतनाट्यम, कथकली, कत्थक, मणिपुरी आदि सभी प्रकार के नृत्य भारत के सभी भागों में प्रचलित है ।

भारत प्रजातियों का एक अजायबघर है लेकिन बाहर से आई द्रविड, शक, सिथियन, हूण, तुर्क, पठान, मंगोल आदि प्रजातियाँ हिन्दू समाज में अब इतनी धुल-मिल गई हैं कि उनका पृथक अस्तित्व आज समाप्त हो गया है । हिन्दुओं, मुसलमानों और ईसाइयों के अनेक रीति-रिवाज, उत्सव, मेले, भाषा, पहनावा आदि में समानता है ।

इस प्रकार, कहा जा सकता है कि बाहरी तौर पर भारतीय समाज, संस्कृति एवं जन-जीवन में विभिन्नताएँ दिखाई देने पर भी भारत की संस्कृति, धर्म, भाषा, विचार एवं राष्ट्रीयता मूलतः एक है । इस एकता को विखण्डित नहीं किया जा सकता । हजारों वर्षों की अग्नि-परीक्षा और विदेशी आक्रमणों ने इस सत्य को प्रमाणित कर दिया है ।

‘रिचर्ड निल्दान’ का यह कथन भारत के सन्दर्भ में बिल्कुल सत्य प्रतीत होता है-

”हमारी एकता के कारण हम शक्तिशाली हैं परन्तु हम

अपनी विविधता के कारण और भी शक्तिशाली हैं ।”

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विविधता में एकता

Vividhta Me Ekta 

                 भारत विभिन्न संस्कृति, नस्ल, भाषा और धर्म का देश है। ये “विविधता में एकता” की भूमि है जहाँ अलग-अलग जीवन-शैली और तरीकों के लोग एकसाथ रहते हैं। वो अलग आस्था, धर्म और विश्वास से संबंध रखते हैं। इन भिन्नताओं के बावजूद भी वो भाईचारे और मानवता के संबंध के साथ रहते हैं। “विविधता में एकता” भारत की एक अलग विशेषता है जो इसे पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध करती है। आमतौर पर, अपनाने और उदार होने के महान प्राचीन भारतीय संस्कृति का अनुसरण भारत के लोग करते हैं जो स्वाभाव में उन्हें समाविष्टक बनाता है। “विविधता में एकता” समाज के लगभग सभी पहलुओं में पूरे देश में मजबूती और संपन्नता का साधन बनता है। अपनी रीति-रिवाज़ और विश्वास का अनुसरण करने के द्वारा सभी धर्मों के लोग अलग तरीकों से पूजा-पाठ करते हैं बुनियादी एकरुपता के अस्तित्व को प्रदर्शित करता है। “विविधता में एकता” विभिन्न असमानताओं की अपनी सोच से परे लोगों के बीच भाईचारे और समरसता की भावना को बढ़ावा देता है।

                   भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिये प्रसिद्ध है जो कि विभिन्न धर्मों के लोगों के कारण है। अपने हित और विश्वास के आधार पर विभिन्न जीवन-शैली को अलग-अलग संस्कृति के लोग बढ़ावा देते हैं। ये दुबारा से विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में जैसे संगीत, कला, नाटक, नृत्य (शास्त्रिय, फोक आदि), नाट्यशाला, मूर्तिकला आदि में वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। लोगों की आध्यात्मिक परंपरा उन्हें एक-दूसरे के लिये अधिक धर्मनिष्ठ बनाती है। सभी भारतीय धार्मिक लेख लोगों की आध्यात्मिक समझ का महान साधन है। लगभग सभी धर्मों में ऋषि, महर्षि, योगी, पुजारी, फादर आदि होते हैं जो अपने धर्मग्रंथों के अनुसार अपनी आध्यात्मिक परंपरा का अनुसरण करते हैं।

                     भारत में हिन्दी मातृ-भाषा है हालाँकि अलग-अलग धर्म और क्षेत्र (जैसे इंग्लिश, ऊर्दू, संस्कृत, पंजाबी, बंगाली, उड़िया आदि) के लोगों के द्वारा कई दूसरी बोली और भाषाएँ बोली जाती है; हालाँकि सभी महान भारत के नागरिक होने पर गर्व महसूस करते हैं।

                   भारत की “विविधता में एकता” खास है जिसके लिये ये पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ये भारत में बड़े स्तर पर पर्यटन को आकर्षित करता है। एक भारतीय होने के नाते, हम सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिये और किसी भी कीमत पर इसकी अनोखी विशेषता को कायम रखने की कोशिश करनी है। यहाँ “विविधता में एकता” वास्तविक खुशहाली होने के साथ ही वर्तमान तथा भविष्य की प्रगति के लिये रास्ता है।

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Tuesday 26 January 2021

विविधता में एकता पर निबंध vividhata mein ekta essay in hindi.

essay in hindi vividhata mein ekta

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essay in hindi vividhata mein ekta

अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे समृद्ध एवं संपन्न संस्कृति है जिसकी मूल पहचान अनेकता में एकता ( Anekta Me Ekta ) है।

हमारे देश में अलग-अलग जाति और धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं, जिनके खान-पान, पहनावा और बोली, परंपरा-रीति-रिवाजों आदि में काफी अंतर है, लेकिन फिर भी यहां सभी लोग मिलजुल कर प्रेम और भाईचारे के साथ रहते हैं, और यही भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग बनाता है।

भारत की आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो, राज करो नीति भी अपनाई, ताकि भारतीय एकता कमजोर पड़ जाए, लेकिन विदेशी ताकतों का भारतीय एकता और अखंडता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

बाबजूद इसके सभी भारतीयों ने एकजुट होकर देश को आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, और अपने देश को आजाद करवाने में सफल हुए, जो कि अपने आप अद्धितीय है।

और इस तरह अनेता में एकता की शक्ति का भारत देश सबसे बड़ी मिसाल है। वहीं एकता के महत्व को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को “अनेकता में एकता” के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में इस विषय पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Anekta Me Ekta

प्रस्तावना-

हमारा देश भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, अनेकता में एकता ही इसकी अखंड पहचान है जो इसे विश्व के अन्य देशों से अलग बनाती है क्योंकि अन्य देशों में भारत की तरह अलग-अलग मजहब और धर्म को मानने वाले लोग एकजुट होकर इस तरह प्रेम, भाईचारे और सद्भाव से नहीं रहते हैं।

इसलिए भारतीय संस्कृति की मिसाल विश्व भर में दी जाती है। यहां अलग-अलग धर्मों के रहने वाले लोगों के त्योहार, रीति-रिवाज, पहनावा, बोली आदि में काफी विविधिता होने के बाबजूद भी सभी मजहब के लोग अपने-अपने तरीके से रहते हैं और अपनी परंपरा और रीति-रिवाजों के साथ अपने त्योहार मनाते हैं।

भारत एक ऐसा देश है, जहां दीपावली और ईद में जितनी रौनक रहती है, उतनी ही रौनक क्रिसमस औऱ गुरु पर्व में भी देखने को मिलती है। भले ही सभी धर्मों के अपने-अपने सिद्धांत हो, लेकिन यहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों का सिर्फ एक ही लक्ष्य भगवान की प्राप्ति है।

अनेकता में एकता ही भारत की पहचान:

भारत में “अनेकता में एकता” इसकी मूल पहचान है और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को सबसे अलग एवं समृद्ध बनाने में मद्द करती है। हमारा देश भारत अनेकता में एकता की मिसाल है क्योंकि भारत ही एक ऐसा देश है जो इस अवधारणा को बेहतरीन तरीके से साबित करता है।

सही मायने में अनेकता में एकता ही भारत की अखंड शक्ति और मजबूती है, जो भारत को विकास के पथ पर आगे बढ़ाती है और इसकी एक अलग पहचान बनाती हैं।

भारत में कई अलग-अलग प्रांत हैं, जिसमें रहने वाले सभी लोगों की भाषा, जाति, धर्म, परंपरा, पहनावा आदि में काफी अंतर है जो कि (बंगाली, राजस्थानी, मारवाड़ी, पंजाबी, तमिलीयन, महाराष्ट्रीयन) आदि के रुपो में जाने जाते हैं, जो अपने आप को भारतीय कहते हैं और यही भारत में अनेकता में एकता को दर्शाता है।

भारत के लोगों की सोच, उनका आचरण, व्यवहार, चरित्र, उनके मानवीय गुण, आपसी प्रेम, संस्कार, कर्म आदि भारत की विविधता को एकता को बनाए रखने में मद्द करते हैं।

भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी धर्म के लोग आपस में प्रेम, भाईचारे और सद्भाव के साथ रहते हैं और एक-दूसरे के मजहब, धर्म, परंपरा और भाषा का आदर करते हैं, एक – दूसरे को प्यार से अपनाते हैं, यही भारत की सबसे बड़ी विशेषता है, जो कि अपने आप में अद्धितीय और अनूठी है।

अनेकता में एकता का महत्व – Anekta Mein Ekta Ka Mahatva

देश की आजादी से पहले जब भारत, अंग्रेजों का गुलाम था और अंग्रजों के अत्याचारों और असहनीय पीड़ा को सह रहा था, उस दौरान सभी भारतीयों के अंदर स्वतंत्रता पाने की इच्छा जागृत हुई और फिर आजादी पाने के लिए काफी सालों तक संघर्ष की लड़ाई लड़ी।

इस लड़ाई में सभी भारतीयों ने एकता को अपना सबसे बड़ा हथियार मानकर जिस तरह अंग्रेजों को भारत से खदेड़ कर बाहर फेंका और स्वाधीनता हासिल की, इसे अनेकता में एकता के महत्व का पता लगाया जा सकता है।

  • अनेकता में एकता बुरी से बुरी परिस्थिति से उभरने में मद्द करता है।
  • इससे लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना विकसित होती है और लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं।
  • आपसी रिश्तों और भावनाओं को और अधिक मजबूती मिलती है, इससे जीवन शैली, कार्यकुशलता, और उत्पादकता में सुधार आता है और देश के विकास को बल मिलता है।
  • “विविधता में एकता” से लोगों को टीम वर्क करने में मद्द मिलती है और उनके अंदर आत्मविश्वास एवं मनोबल बढ़ता है।
  • विविधता में एकता से ही लोगों को एक – दूसरे के साथ प्रेम भाव से रहने में मद्द मिलती है और मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत मिलती है।
  • विविधिता में एकता से आपसी रिश्तों में सुधार आता है।
  • विविधता में एकता ही भारतीय संस्कृति की अखंडता एवं प्रभुता को बनाए हुए है।

जिस तरह बाग में अलग-अलग तरह के सुंदर और आर्कषक फूल होते हैं, लेकिन सभी का काम वातावरण को सुगन्धित करना होता है, उसी तरह भारत में रहने वाले सभी लोग अलग-अलग हैं, लेकिन सभी की भावना और आत्मा एक है।

इसलिए हम सब एक है और यही हमारे देश की असली पहचान है। वहीं हम सभी को इस पहचान को बरकरार रखने में इसकी अखंडता के महत्व को समझना चाहिए और अपना सहयोग करना चाहिए।

अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay

अलग-अलग असामानताओं के बाद भी अखंडता का अस्तित्व ही विविधिता में एकता का अर्थ है। और भारत देश इसका सर्वोत्तम उदाहरण है, सिर्फ भारत देश में ही अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय आदि के लोगों के अलग-अलग आर्कषक रंग देखने को मिलते हैं, जो अपने आप में अद्धितीय और अनुपम है।

जाति-धर्म की असामानता के बाद भी हम सब एक हैं:

हमारा भाऱत देश, एक ऐसा देश है, जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी समेत कई अलग-अलग मजहब और धर्म को मानने वाले लोग आपस में प्रेम और भाईचारे के साथ रहते हैं।

जिनकी रीति-रिवाज, परपंरा, संस्कृति, दर्शन-शास्त्र एक दूसरे से भिन्न है, लेकिन सभी के मजहब का एक ही उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना है।

खान-पान अलग होने के बाद भी हम सब एक हैं:

भारत जैसी विविधता विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलती है, यहां जितने तरह के लोग उतने ही तरह का खान-पान है। यहां अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग धर्म के लोग अपने त्योहारों में पारंपरिक पकवान बनाते हैं और एक-दूसरे को खिलाकर खुशियां मनाते हैं।

वेशभूषा अलग होने के बाद भी हम सब भारतीय एक हैं:

यहां अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग तरीके का पहनावा है, जो लोगों को अपनी तरफ आर्कषित करता है। वहीं भारतीय परिधान को लेकर सभी के मन में एक अदब और सम्मान है।

विविध तरीके की बोली होने के बाबजूद भी हम सब भारतीय एक हैं:

हमारे देश भारत में हिन्दी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी, उडि़या, तमिल,तेलुगू, गुजराती, कन्नड़, असमिया, मराठी, मलयालयम आदि भाषाएं बोली जाती हैं। इन सभी भाषाओं के माध्यम से लोग अपनी भावों को एक-दूसरे के साथ सांझा करते है, लेकिन भावना सबकी एक ही है, इसलिए हम सभी भारतीय एक है, क्योंकि हम सभी की भावना और आत्मा एक है।

अलग-अलग प्रांतों की अलग-अलग रीति-रिवाज होने के बाद भी हम सब एक हैं:

हमारे भारत देश में पंजाब, उड़ीसा, हरियाणा, पंजबा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश समेत अलग-अलग 29 राज्य है। ये सब एक दूसरे से हर तरीके से अलग होते हुए भी एक है, जो कि भारत में विविधता में एकता को दर्शाते हैं।

जहां अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति को विश्व में सबसे अलग और समृद्ध बनाती हैं, वहीं आजकल कुछ भ्रष्टाचारी राजनेता, वोट बैंक के लालच में जाति, धर्म और संप्रदाय आदि की राजनीति कर भारतीय एकता की शक्ति को कमजोर बना रहे हैं, जो कि निंदनीय हैं।

भारतीय समाज में संपत्ति के लालच में भाई-भाई की हत्या कर रहा है और महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में इजाफा हो रहा है, जो कि भारतीय संस्कृति की छवि को पूरे विश्व में धूमिल कर रहा है, इस तरह के विकार को हमें दूर करने की जरूरत है, और यह तभी संभव है जब हम सब एकजुट होकर इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

3 thoughts on “अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay in Hindi”

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एकता में अटूट शक्ति है पर निबंध (United we Stand Divided we fall Essay in Hindi)

यह वाक्यांश “एकता में अटूट शक्ति है” आमतौर पर अलग-अलग स्थानों पर प्रयोग किया जाता है ताकि यह महसूस किया जा सके की एकजुट रहना कितना महत्वपूर्ण है। यहाँ पर टीम के काम के महत्व पर जोर दिया गया है। “एकता में अटूट शक्ति है” एक वाक्यांश है जो एकता और टीम के काम को प्रेरित करता है। इस वाक्यांश के अनुसार यदि किसी समूह के सदस्य एक टीम के रूप में काम करने की बजाए अपने व्यक्तिगत हितों की सेवा करने के लिए स्वयं के लिए काम करते हैं तो वे बर्बाद और पराजित हो सकते हैं।

एकता में अटूट शक्ति है पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on United we Stand Divided we fall in Hindi, Ekta me Atut Shakti hai par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (250 शब्द).

“एकता में अटूट शक्ति है” इसका अर्थ है कि एक दूसरे के खिलाफ़ काम करने के बजाय एक साथ रहना और दूसरों के सहयोग से काम करना बुद्धिमानी है। एक टीम के रूप में कार्य करने से सफलता निश्चित है।

वाक्यांश की उत्पत्ति – एकता में अटूट शक्ति है

ग्रीक कथाकार एशॉप द्वारा प्राचीन युग के दौरान इस वाक्यांश को खोजा गया था। कथाकार ने इसका अपनी कथा “द चार ऑक्सन एंड द लायन” में प्रत्यक्ष रूप से और “द बंडल ऑफ स्टिक्स” में अप्रत्यक्ष रूप से उल्लेख किया था।

ईसाईयों के धार्मिक नियमों की पुस्तक में भी ऐसे ही शब्द शामिल हैं जिनमें प्रमुख हैं “अगर एक घर को विभाजित कर दिया जाता है तो वह घर दोबारा खड़ा नहीं हो सकता” इसी पुस्तक के दूसरे वाक्यांश हैं ” यीशु अपने विचारों को जानते थे और कहते थे ” हर राज्य जिसमें फूट पड़ी है वह उजड़ गया है और हर एक नगर या घर जो विभाजित है वह खुद पर निर्भर नहीं रहता।

एक दूसरे के साथ समन्वय में काम करने के महत्व को बल देने के लिए यह वाक्यांश आमतौर पर उपयोग किया जाता है। यह वाकई सच है कि एक व्यक्ति एक मुश्किल काम पूरा नहीं कर सकता है या उसे ऐसा करने में बहुत अधिक समय और ऊर्जा लग सकती है लेकिन अगर यह काम अधिक लोगों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है तो यह आसानी से पूरा किया जा सकता है।

निबंध – 2 (300 शब्द)

प्राचीन ग्रीक कथाकार एशॉप द्वारा खोज गया यह वाक्यांश एक टीम के रूप में एक साथ काम करने के महत्व को बताता है। “एकता में अटूट शक्ति है” का अर्थ है कि यदि हम एक टीम के रूप में कुछ कार्य करते हैं और एक दूसरे के साथ एकजुट रहते हैं तो हम जीवन में सफल होंगे और यदि हम एक दूसरे के खिलाफ होकर अकेले काम करने की कोशिश करते हैं तो हम उसमें असफल हो जायेंगे।

उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण

“एकता में अटूट शक्ति है” वाक्यांश आमतौर पर कई स्थानों पर उपयोग किया जाता है। इसे एक किसान और उसके बेटों की कहानी के माध्यम से अच्छी तरह समझाया गया है। किसान के बेटे, जब उन्हें व्यक्तिगत रूप से लकड़ियों के एक बंडल को तोड़ने के लिए कहा गया तो वे उसे नहीं तोड़ सके लेकिन जब उन्हें यही कार्य संयुक्त रूप से करने के लिए कहा गया तो वे इसे आसानी से कर पाए। यह स्पष्ट रूप से बताता है कि जब लोग एक साथ खड़े होते हैं तो वे आसानी से एक मुश्किल काम भी कर सकते हैं।

विभिन्न स्थानों पर वाक्यांश का उपयोग

  • यू.एस. के इतिहास में यह वाक्यांश पहले क्रांतिकारी युद्ध के अपने पूर्व गीत “द लिबर्टी सॉन्ग” में जॉन डिकिन्सन द्वारा इस्तेमाल किया गया था। यह जुलाई 1768 में बोस्टन गैजेट में प्रकाशित हुआ था।
  • दिसंबर 1792 में पहली केंटकी जनरल असेंबली ने राष्ट्रमंडल की आधिकारिक मुहर को राज्य के आदर्श वाक्य के साथ अपनाया “एकता में अटूट शक्ति है”।
  • 1942 से वाक्यांश केंटकी की आधिकारिक गैर-लैटिन राज्य का आदर्श वाक्य बन गया है।
  • यह वाक्यांश मिसौरी ध्वज पर सर्कल केंद्र के चारों ओर लिखा गया है।
  • यह ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भारत में लोकप्रिय हुआ। इसका उपयोग लोगों को एक साथ आने और स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए किया गया था।
  • अल्टर वफादारों ने भी इस वाक्यांश का इस्तेमाल किया है। इसे कुछ वफादार उत्तरी आयरिश भित्ति चित्रों में देखा जा सकता है।
  • वाक्यांश “एकता में अटूट शक्ति है” का उपयोग विभिन्न कलाकारों द्वारा कई गानों में भी किया गया है।

“एकता में अटूट शक्ति है” यह कथन सौ प्रतिशत सच है। ऐसा कई बार होता है जब जीवन में हम घर, स्कूल, कार्यालय और अन्य जगहों पर ऐसी परिस्थितियां देखने को मिलती हैं जहाँ यह वाक्यांश सही पाया जाता है। हमें सबके साथ मिलकर काम करना चाहिए और दूसरों के साथ सद्भावना में रहना चाहिए।

Essay on United We Stand Divided We Fall in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

“एकता में अटूट शक्ति है” यह एक प्रसिद्ध कहावत है जिसे लगभग हर कोई जानता है। इसका मतलब है कि जो लोग एकजुट हैं वे खुश हैं और जीवन में कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं लेकिन अगर हम लड़ते रहते हैं और एक दूसरे से दूर रहते हैं तो हम विफल हो जाते हैं। हमारे जीवन के हर चरण में एकता को बहुत महत्व दिया जाता है चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक हो। खेल में, कार्यालय में, परिवार में हर जगह खुशी और सफलता एकता का ही नतीजा है।

एकता का मतलब संघ या एकजुटता से है। ताकत मूल रूप से एकता का प्रत्यक्ष परिणाम है। एकजुट रहने वाले लोगों का समूह हमेशा एक व्यक्ति की तुलना में अधिक सफलता प्राप्त करता है। यही कारण है कि समूह लगभग हर क्षेत्र जैसे कार्यालय, सैन्य बलों, खेल आदि में बनाए जाते हैं। हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी हम परिवार में एक साथ रहते हैं जो हमें अपने दुखों को सहन करने और हमारी खुशी का जश्न मनाने की शक्ति प्रदान करते हैं। कार्यालय में टीम किसी वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए बनाई जाती हैं। इसी तरह खेल और सैन्य बलों में भी समूह बनाए जाते हैं और कुछ हासिल करने के लिए रणनीतियों का निर्माण होता है।

पुराने दिनों में मनुष्य अकेला रहता था। वह खुद लम्बा सफ़र तय करके शिकार करता था या कभी-कभी भयंकर जानवरों को हमले के लिए अवसर प्रदान करके उसे मार देता था फिर मनुष्य ने यह महसूस किया कि अगर वह अन्य शिकारियों के साथ हाथ मिला लेता है तो वह कई आम खतरों और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। इस तरीके से गांवों का निर्माण हुआ जो बाद में कस्बों, शहरों और देशों में विकसित हुए। एकता हर जगह आवश्यक है क्योंकि यह एक अस्वीकार्य प्रणाली को बदलने के लिए इच्छा और शक्ति को मजबूत करती है।

संगीत या नृत्य मंडली में भी यदि समूह एकजुट है, सद्भाव में काम करते हैं और सुर-ताल बनाए रखते हैं तो परिणाम आशावादी होंगे वहीं अगर हर व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा दिखाने शुरू करता है तो परिणाम अराजक और विनाशकारी हो सकते हैं। एकता हमें अनुशासित होना सिखाती है। यह हमारे लिए विनम्र, विचारशील, सद्भाव और शांति में एक साथ रहने के लिए सबक है। एकता हमें चीजों की मांग और परिणाम प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास और शक्ति देती है। यहां तक ​​कि कारखानों आदि में भी मजदूरों को यदि उनके मालिकों द्वारा प्रताड़ित या दबाया जाता हैं तो वे समूह के रूप में यूनियन बनाकर काम करते हैं। जो लोग अकेले काम करते हैं उन्हें आसानी से हराया जा सकता है और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए आत्मविश्वास से काम नहीं कर सकते लेकिन अगर वे समूहों में काम करते हैं तो नतीज़े चमत्कारी हो सकते हैं।

सबसे बड़ा उदाहरण हमारे राष्ट्र की स्वतंत्रता है। महात्मा गांधी ने विभिन्न जाति और धर्म से संबंधित सभी नागरिकों को एकजुट किया और अहिंसा आंदोलन शुरू किया। दुनिया जानती है यह उनकी इच्छा और महान स्वतंत्रता सेनानियों तथा नागरिकों की एकता के कारण ही हो सका जो अंततः भारत की स्वतंत्रता के रूप में सबके सामने आया।

एकता मानवता का सबसे बड़ी गुण है। जो एक टीम या लोगों के समूह द्वारा हासिल किया जा सकता है वह कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं प्राप्त कर सकता है। असली ताकत एकजुट होने में निहित है। जिस देश का नागरिक एकजुट है तो वह देश मजबूत है। जिस परिवार के सदस्य एक साथ रहते हैं तो वह परिवार भी मजबूत है। कई उदाहरण हैं जो यह साबित करते हैं कि एकता में अटूट शक्ति है। इस प्रकार हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एकता बहुत महत्वपूर्ण है।

निबंध – 4 (600 शब्द)

“एकता में अटूट शक्ति है” यह एक प्रसिद्ध कहावत है जो दर्शाती है कि यदि हम एकजुट और एक साथ रहें तो हमें कभी हार पराजय का मुँह नहीं देखना पड़ेगा लेकिन अगर हम लगातार संघर्ष करते हैं और आपसी गलतफहमी को बढ़ावा देते रहे तो बाहरी लोग हमारा फायदा उठा सकते हैं जो अंततः हमारी विफलता का कारण बनेगा। यह कथन स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि एकता ताकत का स्रोत है और जो लोग एकजुट हैं वे किसी भी तरह की स्थिति से निपटने की क्षमता रखते हैं क्योंकि वे एक दूसरे के बोझ और कठिनाइयों को साझा करते हैं।

एकता एक साथ रहने का मतलब है। लोगों के जीवन के प्रत्येक पहलू में एकता का महत्व बहुत कीमती है। खेल मैदान में चाहे वह क्रिकेट हो या फुटबॉल, बेसबॉल, बास्केट बॉल या किसी भी प्रकार का खेल हो एक संयुक्त टीम और उपयुक्त रणनीति ही टीम की सफलता में सही परिणाम दे सकती है लेकिन यदि टीम के सदस्यों के बीच संघर्ष या अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा होती है या उनके बीच अनावश्यक गलतफहमी होती है तो वे विरोधी उस कमी का फायदा उठा कर खेल को जीत सकते हैं। इसी तरह यदि परिवार के सदस्य एक साथ रहते हैं और जीवन के प्रत्येक चरण में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं तो कोई भी बाहरी व्यक्ति परिवार को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।

प्रसिद्ध कहानी

एक प्रसिद्ध कहानी है जो “एकता में अटूट शक्ति है” कहावत का आधार है। एक बूढ़ा आदमी था जो अपने तीन बेटों के साथ एक गांव में रहता था। उसके बेटे हमेशा एक-दूसरे के साथ लड़ते रहते थे और अपने पिता की बात पर कोई ध्यान नहीं देते थे। एक बार वह आदमी बीमार हो गया और उसे लगा कि वह जल्द ही मर जाएगा। वह इस तथ्य के बारे में बहुत चिंतित था कि अगर वह मर गया तो लोग उसके बेटों के विवादों का फायदा उठाना शुरू कर देंगे। उसने अपने सभी पुत्रों को बुलाया और उन्हें एक एक करके लकड़ियों के बंडल को तोड़ने के लिए कहा। उनमें से कोई भी ऐसा नहीं कर सका। फिर उसने लड़कियों के बंडल को खोल दिया और उनमें से हर एक को तोड़ने के लिए कहा जिसे उन सभी ने आसानी से कर दिखाया। उसने अपने बेटों से कहा कि उन्हें इस लकड़ी के बंडल की तरह रहना चाहिए ताकि कोई भी उन्हें तोड़ न सके लेकिन अगर वे लड़ते रहे और अलग-थलग रहे तो वे बाहरी लोग उनका आसानी से फ़ायदा उठा लेंगे।

हमारे जीवन के प्रत्येक चरण में एकता महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति निश्चित रूप से अकेले जीवित रह सकता है लेकिन खुश रहने या खुशी का जश्न या जीवन के कष्टों को सहन करने के लिए हर किसी को एक साथी और परिवार की जरूरत होती है। यहां तक ​​कि एक कंपनी भी तब तक सफल नहीं हो सकती है जब तक कंपनी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बनाई गई टीम में एकता नहीं होगी। अगर देशवासी सरकार का समर्थन करते है तो देश भी आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है।

इस बात के कोई मायने नहीं कि हम कितने सफल हैं हमें हमेशा उन लोगों की आवश्यकता होती है जो हमारे साथ खड़े रहे और हमें समर्थन दे। वाक्यांश ‘एकता में अटूट शक्ति है’ आने वाले वर्षों में लोगों को सबक देता रहेगा। एकता सफलता का आधार है और यह लोगों को समझने में भी मदद करता है। लड़ना और एक-दूसरे से अलग रहना बहुत आसान है परन्तु एकजुट रहना सबसे ज़रूरी है।

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Hindi Essay on “Bharat ki Vividhta” , “भारत की विविधता” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

भारत की विविधता

Bharat ki Vividhta

कुछ खास बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा जी हाँ। सच ही है मेरा देश भारत–सबसे निराला, सबसे प्यारा जो समय के थपेड़ों को खाता हुआ भी निरंतर गतिशील है। भारत भूमि स्वर्ग से भी महान है, लहराता सागर इसके चरण चूमता है, गगनचुंबी हिमालय इसके मुकुट हैं, गंगा, यमुना जैसी नदियाँ इसके गले का हार हैं और ऐसा हो भी क्यों न, मेरे भारत की सभ्यता और संस्कृति है ही ऐसी गौरव एवं महिमामंडित । भारत ही है जिसने विश्व को सभ्यता का पाठ पढ़ाया, ज्ञान-विज्ञान के चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया, मानवीयता के उच्च गुणों से परिचित कराया। ज्ञान-विज्ञान, धर्म, संस्कृति सभी क्षेत्रों में भारतवासी सबसे आगे रहे हैं। यह स्वाभाविक ही था कि ऐसे निराले देश पर अनेक आक्रमण हुए और इसे लूटने तथा नष्ट करने के प्रयास हुए। लंबी दासता के कारण हमें अनेक समस्याओं से जूझना पड़ा और पराधीनता की बेड़ियों में जकड़े भारत को स्वतंत्र होने के बाद अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त करने के लिए निरंतर जूझना पड़ा लेकिन यह मेरे देशवासियों की ही क्षमता और सामर्थ्य है कि हम बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रगति कर रहे हैं। अनेक समस्याएँ जो देश में हैं, उनसे जूझते हुए देश पुनः विकास की ओर अग्रसर है।

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अनेकता में एकता पर निबंध Anekta mein ekta essay in hindi

Anekta mein ekta essay in hindi.

essay on vividhata mein ekta in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल अनेकता में एकता पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है. हमारे आज के इस आर्टिकल में हम भारत की अनेकता में भी एकता के बारे में जानेंगे.हमारे द्वारा लिखा आज का निबंध हर किसी के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण निबंध साबित होगा.स्कूल,कॉलेज के विद्यार्थी निबंध इस विषय पर लिखना चाहते हैं तो वह हमारे इस निबंध से जानकारी ले सकते हैं चलिए पढ़ते है हमारे आज के इस आर्टिकल को

Anekta mein ekta essay in hindi

हमारा देश एक ऐसा देश है जहां पर लोग अपनी मातृभूमि को माता समझते हैं लोग भारत देश से प्रेम करते हैं.हमारे देश में अनेक तरह के लोग रहते हैं जिनमें कई तरह के भेदभाव हैं फिर भी वह मिलजुल कर रहते हैं. स्वतंत्रता के बाद देश में कई बदलाव आए और हमें स्वतंत्रता मिली और हम आजादी के साथ जीने लगे.देश में जब भी कोई आपदा आती है तो हम सभी भारतवासी मिलकर उसका सामना करते हैं वास्तव में पूरा देश अनेकता में भी एकता का ज्ञान कराता है

धर्म और जाति

हमारे देश में अनेक धर्म और जाति के लोग रहते हैं फिर भी इन धर्मों के होते हुए भी हम सभी एक हैं हमारे देश में सबसे ज्यादा हिंदू हैं,मुस्लिम हैं, ईसाई हैं, जैनी है और भी कई तरह के धर्मों के लोग हैं जिनमें कई तरह के भेदभाव होते हैं यह सभी धर्म के लोग एक ही समाज में मिल जुल कर रहते हैं .

देश में अनेक जाति के लोग भी रहते हैं ब्राह्मण,कुशवाहा, रघुवंशी, यादव, बनिया, श्रीवास्तव ऐसी कई जातियां होती हैं लेकिन अलग-अलग जाति होने के बाद भी एक ही जगह,एक ही समाज में, एक ही मोहल्ले में रहते हैं उनमें कोई विशेष भेदभाव नहीं है.

हमारे देश में अनेक तरह की भाषा बोली जाती है लेकिन हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा और मातृभाषा हिंदी है सबसे ज्यादा लोग हिंदी ही बोलते हैं लेकिन देश में और भी कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं जैसे कि गुजराती, पंजाबी, तमिल, मलयालम, उर्दू और भी कई तरह की भाषाएं देश में बोली जाती हैं लेकिन देश मे अलग अलग भाषाएं होने के बावजूद भी हम सब एक हैं हमारा देश एक है .

वैसे देखा जाए तो अलग-अलग धर्म के लोग अपने अलग-अलग देशों को मानते हैं.लोगों की मान्यताओं के अनुसार हिंदुओं के भगवान शिव शंकर, पार्वती, विष्णु, ब्रह्मा,गणेश आदि होते हैं वही मुस्लिमों के भगवान को अल्लाह कहते हैं अलग अलग धर्मों के भगवान को अलग अलग नाम से पुकारा जाता है लेकिन वास्तव में भगवान एक ही होता है बस उनके नाम अलग-अलग होते हैं.

अच्छाई और सत्य का नाम ही भगवान होता है जहां पर सत्य और अच्छाई और अच्छे कर्म होते हैं वहां पर भगवान विराजमान होते हैं भगवान का स्थान अलग अलग माना जाता हैं लेकिन भगवान एक ही है उनके रहने का स्थान भले ही मंदिर-मस्जिद यानी अलग-अलग बना दिया गया है लेकिन फिर भी भगवान एक ही माना जाता है .

जैसे की हम सभी जानते हैं की अलग अलग धर्मों में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं दीपावली,होली, रक्षाबंधन, क्रिसमस, ईद आदि यह सब तो आप लोग किसी अच्छे महान पुरुष या ईश्वर की स्मृति में मनाते हैं लेकिन ऐसा भी होता है की अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग त्योहारों को भी मनाते हुए देखे जाते हैं वो अनेकता में भी लोग एक होकर मिल जुलकर रहते हैं .

हमारे देश में खानपान के तौर पर भी हम लोगों को अलग-अलग कर सकते हैं यहां पर भी लोग अनेकता में एक होकर रहते हैं कोई शाकाहारी होता है और कोई मांसाहारी होता है तरह-तरह के भोजन सामग्री होती है देश में बहुत सारी भिन्नताएं होती हैं लेकिन फिर भी भारत देश एक है .

देश के प्रांत

देश में बहुत सारे प्रांत हैं जैसे की मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि बहुत सारे प्रांत हैं लेकिन पर प्रान्त भले ही अलग-अलग है लेकिन इन प्रांतों में रहने वाले लोगों की जुबान पर एक ही नाम आता है जय हिंद जय भारत.सब लोग अलग-अलग प्रांतों में रहने के बावजूद भी एक जैसे ही होते हैं

भारत में अनेक तरह की वेशभूषा पहनी जाती है पुराने लोग जो कुर्ता पजामा,धोती कुर्ता पहनते हैं लेकिन आजकल के नए लोग पेंट शर्ट पहनते हैं.आजकल की लड़कियों,औरतों के पहनावे में भी अंतर है कोई कुर्ती सलवार पहनना पसंद करती हैं तो कोई साड़ी पहनती हैं कुछ लड़कियां नए जमाने के मॉडल कपड़े यानी जींस टी-शर्ट पहनती हैं. वेशभूषा की दृष्टि से देखें तो यह सब अलग-अलग भारतवासी हैं लेकिन भारत देश एक है .

वास्तव में हम देखें हमारे भारत देश में धर्म जाति, संस्कृति, देश के प्रांत, वेशभूषा, त्योहारों आदि में अनेकता है लेकिन फिर भी अनेकता में भी एकता है सभी जाति धर्म,वेशभूषा वाले लोग मिल जुलकर रहते हैं साथ में मिलकर खुशियां मनाते हैं,समाज में मिलकर एक साथ रहते हैं.लोग अलग-अलग राज्य के निवासी होते हैं लेकिन वो हमेशा राष्ट्र हित के बारे में सोचते है वह भारत भूमि के बारे में सोचते हैं उनके लिए भारत माता ही सबसे बढ़कर है इसलिए हम कह सकते हैं कि देश में अनेकता में भी एकता के दर्शन होते है ।

  • अनेकता में एकता पर स्लोगन और विचार Anekta mein ekta slogan and quotes in hindi
  • अनेकता में एकता पर कविता Anekta mein ekta hindi kavita

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