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Data Representation in Hindi | डाटा रिप्रजेंटेशन क्या है?

Data Representation in Hindi | डाटा रिप्रजेंटेशन क्या है?

  • 1.1 Definition of Data Representation –
  • 2 एनालॉग क्रियाएँ  (Analog Operation) –
  • 3 बाइनरी या द्वि-आधारी संख्‍या प्रणाली (Binary Number System) –
  • 4 दशमलव या दाशमिक संख्‍या प्रणाली(Decimal Number System)-
  • 5 ऑक्‍टल या अष्‍ट –आधारी संख्‍या प्रणाली(Octal Number System)-
  • 6 हेक्‍सा-डेसीमल या षट्दशमिक संख्‍या प्रणाली (Hexa-decimal Number System) –

Introduction –

Data Representation क्रमश: दो शब्‍दों से मिलकर बना है पहला Data जिसे हम आसान शब्‍दों में कहें तो डिजिटल Information या जानकारी कहते हैं । तथा Representation का अर्थ  निरूपण, दर्शाना या वर्णन करना होता है ।

कम्‍प्‍यूटर में हम विभिन्‍न प्रकार के डाटा जैसे कि audio, video, text, graphics numeric आदि को स्‍टोर करते है । चूं‍कि कम्‍प्‍यूटर एक मशीन है जो human language नहीं समझता है ।  वह यूज़र द्वारा दिये गये अलग-अलग निर्देशों तथा डाटा को एक ही भाषा में संग्रहित करता है । जो कि 0 व 1 होती है जिसे हम बाइनरी लैंग्‍वेज कहते है ।

Definition of Data Representation –

कम्‍प्‍यूटर या इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस में यूज़र द्वारा दिये गये सभी प्रकार के डाटा व निर्देश 0 व 1 इन दो अंको में परिवर्तित हो जाते हैं । इस प्रक्रिया को ही Data Representation कहते हैं ।   अर्थात् यूज़र द्वारा Input किया गया Data कम्‍प्‍यूटर जिस रूप में (0,1) ग्रहण करता है उसे Data Representation कहते हैं ।

Data Representation करने की दो क्रियायें है ।

  • एनालॉग क्रियाएँ (Analog Operation)
  • डिजिटल क्रियाएँ (Digital Operation)

एनालॉग क्रियाएँ  (Analog Operation) –

वे क्रियाएँ जिनमें अंको का प्रयोग नहीं किया जाता है, एनालॉग क्रियाएँ कहलाती है । एनालॉग क्रियाएं भौतिक मात्राओं जैसे- दाब, ताप, आयतन, लम्‍बाई आदि को उनके पूर्व परिभाषित मानों के एक वर्णक्रम के साथ परिवर्तनीय बिन्‍दुओं में व्‍यक्‍त किया जाता है । एनालॉग क्रियाओं का प्रयोग मुख्‍यत: इन्‍जीनियरिंग तथा विज्ञान के क्षेत्रों में किया जाता है ।

Example – स्‍पीडामीटर, थर्मामीटर, वोल्‍टमीटर, इत्‍यादि एनालॉग क्रियाओं के उदाहरण है ।

डिजिटल क्रियाएँ  (Digital Operation) –

आधुनिक कम्‍प्‍यूटर डिजिटल इलेक्‍ट्रॉनिक परिपथ से निर्मित होते हैं । इस परिपथ का मुख्‍य भाग ट्रांजिस्‍टर होता है । जो दो अवस्‍थाओं  क्रमश: 0,1 के रूप में  कार्य करता है ।

कम्‍प्‍यूटर में डाटा  को इन दो अवस्‍थाओं 0 व 1 के रूप में व्‍यक्‍त करते है तथा इन दो अंको या अवस्‍थाओं के सम्‍मलित रूप को बाइनरी संख्‍या-प्रणाली कहते है जिसे इंग्‍लिश में Binary Number System कहते हैं । Binary Number System को संक्षिप्‍त में bit कहा जाता है ।

कम्‍प्‍यूटर में डाटा की सबसे छोटी इकाई bit कहलाती है जो कि दो अंको के समूह 0 व 1 से मिलकर बनी होती है ।

4 बिट्स – 1 निबल

1024 बाइट्स – 1 किलोबाइट (KB)

1024 किलोबाइट्स  – 1 मेगाबाइट (MB)

1024 मेगाबाइट्स – 1 गीगा बाइट्स (GB)

1024 गीगाबाइट्स – 1 टेराबाइट (TB)

बाइनरी या द्वि-आधारी संख्‍या प्रणाली (Binary Number System) –

Binary Number System जैसा की नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि इसमें binary (जिसका अर्थ दो होता है) अंको 0 व 1 का प्रयोग होता है । इस प्रणाली में केवल दो अंक 0 (शून्‍य) व 1 (एक) का प्रयोग होता है जिस कारण इसे द्वि-आधारी प्रणाली भी कहते हैं । यह एक स्विच की तरह कार्य करती है जिसमें केवल दो स्थिति होती है एक ऑन की और दूसरी ऑफ की, इसके अतिरिक्‍त तीसरी स्थिति संभव नहीं है । इस आधार पर ही कम्‍प्‍यूटर संख्‍या प्रणाली में 0 (शून्‍य) का अ‍र्थ ऑफ से तथा 1 (एक) का अर्थ ऑन से लगाया जाता है । बाइनरी का अर्थ दो होने के कारण उसके स्‍थानीय मान दाईं से बाई ओर क्रमश: दोगुने होते जाते हैं । अर्थात् 2, 4, 8, 16, 32, 64 आदि ।

दशमलव या दाशमिक संख्‍या प्रणाली(Decimal Number System)-

दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली संख्‍या प्रद्धति को दशमिक या दशमलव संख्‍या प्रणाली कहा जाता है । Decimal Number System में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 व 9 दस संकेत मान होते हैं । जिस कारण इस संख्‍या प्रणाली का आधार 10 होता है ।

Decimal Number System का स्‍थानीय मान संख्‍या के दायीं से बायीं दिशा में आधार 10 की घात के क्रम में बढ़ते हुये होता है । दशमलव प्रणाली के स्‍थानीय मान क्रमश: निम्‍न प्रकार है ।

इस उदाहरण से स्‍पष्‍ट है कि दशमलव संख्‍या प्रणाली में स्‍थानीय मान दायीं ओर से बायीं ओर 10 के घात के रूप  में बढ़ते जाते हैं ।

इसी प्रकार दशमलव बिन्‍दु के दाई ओर स्‍थानीय में 10 की घातों के रूप में ही घटते जाते हैं । जैसे –  1/10, 1/100, 1/1000, 1/10000 आदि । किसी भी संख्‍या के वास्‍तविक मान का पता करने के लिये उसके प्रत्‍येक अंक के मुख्‍य मान को उसके स्‍थानीय मान से गुणा करते हैं और उन्‍हें जोड़ लेते हैं ।

ऑक्‍टल या अष्‍ट –आधारी संख्‍या प्रणाली(Octal Number System)-

Octal Number System प्रणाली में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 इन आठ अंको का उपयोग किया जाता है । आठ अंको का प्रयोग होने के कारण ही इसका आधार आठ होता है । इन अंको के मुख्‍य मान दशमलव संख्‍या प्रणाली की तरह ही होते है । ऑक्‍टल संख्‍या प्रणाली में किसी भी बाइनरी संख्‍या को छोटे रूप में लिख सकते है । इसलिये ऑक्‍टल संख्‍या प्रणाली का उपयोग सुविधाजनक होता है ।

ऑक्‍टल संख्‍या प्रणाली का उपयोग मुख्‍यत: माइक्रो कम्‍प्‍यूटर में किया जाता है ।आधार आठ होने के कारण ऑक्‍टल संख्‍या प्रणाली में अंको के स्‍थानीय मान दायीं ओर से बायीं ओर क्रमश: आठ गुने होते जाते हैं, अर्थात् 1, 8, 64, 512 आदि  ।

ऑक्‍टल संख्‍या का उदाहरण – (144) 8

Note – कोई संख्‍या बाइनरी में है अथवा डेसिमल में या ऑक्‍टल में लिखी गयी है इसे प्रदर्शित करने के लिये संख्‍या को कोष्‍ठक में लिखकर उसके दाई ओर नीचे उस संख्‍या का आधार लिख दिया जाता है । जिसे हम पहचान लेते हैं कि वह संख्‍या किस System के अंतर्गत लिखी गयी है ।

बाइनरी संख्‍या प्रणाली (101) 2  

दशमलव संख्‍या प्रणाली (100) 10

ऑक्‍टल संख्‍या प्रणाली (144) 8  आदि ।

हेक्‍सा-डेसीमल या षट्दशमिक संख्‍या प्रणाली (Hexa-decimal Number System) –

हेक्‍सा-डेसीमल या षट्दशमिक संख्‍या प्रणाली जैसे कि नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि हेक्‍सा-डे‍सीमल दो शब्‍दों से मिलकर बना हुआ है । हेक्‍सा + डेसीमल  हेक्‍सा का तात्‍पर्य छ: तथा डेसीमल से तात्‍पर्य दस से होता है । अत: इस संख्‍या प्रणाली में कुल 16 अंको होते हैं ।  जो निम्‍न प्रकार से है 0,1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F. हेक्‍सा-डेसीमल संख्‍या प्रणाली में अंको के स्‍थानीय मान दायीं ओर से बायीं ओर 16 के गुणको में बढ़ते जाते हैं ।

हेक्‍सा-डेसीमल का उदाहरण – (F6A4) 16

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Data Representation in Hindi / डाटा रिप्रजेंटेशन क्या है?

आज के इस पोस्ट में हम आपको डाटा रिप्रजेंटेशन के बारें में विस्तार से बताएँगे. इसके साथ डाटा प्रोसेसिंग, डाटा, डाटा मापने की इकाई, डाटा स्टोरेज स्टेज इत्यादि को विस्तार से बताएँगे. डाटा रिप्रजेंटेशन के बारें में पूरी जानकरी के लिए पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें.

डाटा रिप्रजेंटेशन क्या है? – Data Representation in Hindi

Data representation का अर्थ हैं कैसे हम किसी डाटा को represent करते हैं अर्थात् कैसे किसी डाटा को दर्शाते हैं, यहां पर डाटा representation दो शब्दों से मिलकर बना हैं डाटा+representation, यहां डाटा का मतलब हैं information से या कहें तो fact से, डाटा किसी भी form में हो सकता हैं जैसे audio, video, pictures, gif etc. और इन्हीं डाटा को किस तरह से represent किया जाए, ये डाटा का representation कहलाता हैं।

Computer में सभी डाटा मतलब audio, video, pictures ये सभी बाइनरी के फॉर्म में स्टोर किए जाते हैं computer में होने वाले इसी प्रोसेस को data representation कहते हैं।

डाटा क्या हैं ?

डाटा एक raw fact होता हैं जो अपने raw form में किसी काम का नहीं होता है. लेकिन उसी data को जब हम process और interpret करते हैं तब जाकर उनका सही मतलब सामने आता है, और जो की हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं. इन्ही processed data को Information भी कहा जाता है. इसी information को computer में audio, video, pictures, MP3 के फॉर्म में save किया जाता है। जिसे हम डाटा कहते हैं।

Data Representation in Hindi

  • डाटा मापने की इकाई

Computer में कितना डाटा रख सकते है, उसे मापने के लिए कुछ स्टैंडर्ड का उपयोग करते हैं। डाटा को अलग अलग तरीके से मापा जा सकता हैं अर्थात् उसकी कैपेसिटी और space के हिसाब से उसे मापा जाता हैं जिसे लिए कुछ यूनिट्स use किए जाते हैं जैसे –

data unit types in hindi

Bit यानी ‘Binary Digit’, यह मापन की सबसे छोटी इकाई हैं इसमें एक बिट की वैल्यू केवल एक ही बाइनरी डिजिट हो सकती हैं चाहे वो 0 हो या 1. अर्थात् 1 bit = binary digit (0,1), इस तरह से कंप्यूटर में जितना अक्षर लिखेंगे उतना बीट का जगह मेमोरी में लेगा. एक Bit का सिर्फ एक ही मान हो सकता है। कंप्यूटर बाइनरी कोड्स की ही भाषा को समझता है। इन बाइनरी कोड्स को ही Bit कहा जाता है।

bit kya hai hindi

बिट दो तरह से ही जानकारी को सेव कर सकती है जैसे – On Or Off (0 Or 1) कंप्यूटर की सभी बड़ी से बड़ी और छोटी Activities बिट के द्वारा ही संपन्न होती है। Bit को English के Small Letter ‘b’ से दर्शाया जाता है।

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यह मापन की दूसरी सबसे छोटी इकाई हैं। यहां 4 bit = 1 nibble होता हैं अर्थात् 1 nibble की value 4 bit होती है।

nibble kya hai hindi

ये 8 बिट मैमोरी से मिलकर बनता हैं अर्थात् 8bit = 1byte, मतलब 1byte 2 nibble से मिलकर बना हैं। ये एक स्टैंडर्ड unit होती हैं मैमोरी की। अर्थात् कोई भी डाटा स्टोर करते हैं तो कम से कम 1 बाइट का स्पेस occupy करता ही हैं। बाइट information की 256 स्टेटस को स्टोर कर सकती हैं। computer में बाइट, बिट से आगे की इकाई हैं एक ‘B’ को हमेशा बाइट कहा जाता हैं। और स्मॉल ‘b’ का मतलब bit होता हैं।

byte kya hai hindi

यह 1024 बाइट से मिलकर किलोबाइट बनता हैं। Kilobytes को अक्सर इस्तमाल किया जाता है छोटे files के size को measure करने के लिए. उदाहरण के लिए, एक plain text document में होते हैं 10 KB की data और इसलिए इसकी एक file size होती है करीब 10 kilobytes की जितनी. यह माप अक्सर मेमोरी क्षमता और डिस्क स्टोरेज का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है।

kilobyte kya hai hindi

यहा megabytes का मतलब हैं 1024 KB अर्थात् 1024 kb मिलकर मेगाबाइट बनता है ,

Mb के पास KB के मुकाबले डाटा स्टोर करने की कैपेसिटी ज्यादा होती है। Megabyte का उपयोग अक्सर बड़ी फ़ाइलों के आकार को मापने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक High Resolution वाली JPEG इमेज फ़ाइल एक से पांच मेगाबाइट तक की हो सकती है।

megabyte in hindi

एक डिजिटल कैमरे से Uncompressed raw images को 10 से 50 एमबी डिस्क स्थान की आवश्यकता हो सकती है। एक Compressed format में सहेजा गया तीन मिनट का गीत आकार में लगभग तीन मेगाबाइट हो सकता है, मीडिया के अधिकांश अन्य रूपों की क्षमता, जैसे फ्लैश ड्राइव और हार्ड ड्राइव , को आमतौर पर गीगाबाइट या टेराबाइट्स में मापा जाता है।

यह 1024 मेगा बाइट मिलकर 1 गीगाबाइट होता है. यह MB के मुकाबले  GB का साइज बड़ा होता है। 1 GB 1024 MB के बराबर होता है। इसमें बड़ी फाइल्स कि स्टोरेज आ जाती हैं। अगर 1 जीबी की क्षमता की बात करें तो 230 Mp3 Songs को Store किया जा सकता है।

gigabyte in hindi

Terra byte (TB)

यह 1024 गीगाबाइट मिलकर एक टेराबाइट होता है.TB full form Terabyte होता है। Terabyte GB का के मुकाबले ज्यादा बड़ा होता है। बता दूं कि 1TB, 1024 GB से मिलकर बना होता है। इसमें बहुत सारा डाटा को स्टोर करने की क्षमता होती है।

terrabyte in hindi

Petabyte (PB )

यह 1024 TB मिलकर एक Peta byte  होता है. PB full form Petabyte होता है। 1024 TB और 1000000 GB के बराबर एक Petabyte होता है. इसका मतलब कि एक Petabyte 1024 TB से मिलकर बना हुआ होता है। लेकिन बता दू कि अभी तक इतनी बड़ी मात्रा में कोई भी device उपलब्ध नहीं है।

petabyte (PB) in hindi

Exabyte (EB)

यह 1024 PB  मिलकर एक EXA BYTE  होता है. यह बहुत बड़ी स्टोरेज यूनिट हैं इसमें बहुत अधिक मात्रा में डाटा स्टोर करके रखा जा सकता है या कहा जाए तो 5 Exabyte में हम पूरी मानव जाति द्वारा बोले गए सभी शब्दों को स्टोर कर सकते है।

exabyte (EB) in hindi

Zettabyte (ZB)

Zetta Byte (ZB) यह 1024 EB मिलकर एक ZETTA BYTE  होता है. 1024 EB = 1 ZB इसकी तुलना हम किसी से नहीं कर सकते क्योंकि ये बहुत ही ज्यादा बड़ा स्टोरेज प्रोवाइड कराता हैं।

zettabyte (ZB) kya hai hindi

Yettabyte (YB )

यह 1024 ZB मिलकर एक Yetta Byte  होता है.1024 ZB =1 YB.

yettabyte (YB) kya hai hindi

इनफार्मेशन क्या हैं? (Information kya hai)

किसी को कोई जानकारी बताना या सुनाना, या किसी माध्यम से उसके पास पहुँचाना ही Information कहलाता है।information एक बहुत ही जरूरी यूनिट होता हैं, किसी भी चीज की information के जरिए हम उसके बारे में जान पाते हैं और बेहतर जानकारी के लिए हम और भी information इकट्ठा करते हैं ताकि उसकी पूरी जानकारी हो सकें।Information एक प्रकार का डेटा होता है। जिसे हमारे द्वारा समझने में और उपयोग करने के अनुरूप बनाया जाता है। information के जरिए हम किसी काम को कैसे करना हैं उसकी जानकारी ले सकते हैं।

information kya hai hindi

  • कई महान व्यक्तियों ने Information को अलग-अलग प्रकार से व्यक्त किया।
  • एन बैल्किन के अनुसार — Information उसे कहा जाता हैं, जिसमें आकार को परिवर्तित करने की क्षमता होती है।
  • हाफमैन ने कहा — Information वक्तव्यों, तथ्यों अथवा आकृतियों का संकलन होती है।
  • जे बीकर का मानना है। – किसी विषय से सम्बंधित तथ्यों को ही Information कहते हैं।

Information की जरूरत सभी काम को बेहतर बनाने के लिए होती हैं। जब तक हमे इन्फोर्मेशन नही होगी हम किसी काम को proper नही कर सकतें। जैसे – हमने स्टूडेंट्स से कहा की project बनाना है तो जब तक हम उनको information नहीं देंगे की कैसे बनाना है क्या बनाना हैं. तो students कैसे बनाएंगे बिना किसी information के।

डाटाबेस क्या है? (Database)

Database एक ऐसा स्थान है जहां पर data को स्टोर करके रखा जाता हैं ताकि डाटा सुरक्षित रहें और कोई भी बाहरी लोग उसे ऐक्सेस ना कर पाए। तथा हमे जब भी जरूरत हो database से अपना data ले सकें, डाटाबेस में डाटा टेबल के फॉर्म में रखा जाता हैं। आजकल बहुत बड़े डाटा में काम होता हैं जैसे किसी बड़ी कंपनी में हजारों employs होते हैं उन सभी का डाटा अगर हमको manage करना हैं तो उसे database में स्टोर करके रख दीया जाता हैं और easily जब जरूरत हो ऐक्सेस कर लिया जाता हैं।

ठीक इसी तरह ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे Flipkart, Amazon आदि की हम बात करें तो वहां पर भी इसका उपयोग होता है। कस्टमर की जानकारी, product detail से लेकर हर एक जानकारी डेटाबेस में ही stored रहते हैं।

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  • डाटा को कैसे स्टोर करते हैं?

Data को  सुरक्षित रखने के लिए हमें उसे स्टोर करना होता है. डाटा को स्टोर करने के लिए जरुरत पड़ती है स्टोरेज की. जब हम डाटा को स्टोर करके रखते हैं तो उसे आवश्यकतानुसार कभी भी उपयोग में ला सकते हैं. Physical World में डाटा को कागजों में लिखकर उसकी एक फाइल बनाकर स्टोर किया जाता है।

आज का युग Digital Marketing युग है, इसलिए अब डाटा को कागजों में स्टोर करने के बजाय कंप्यूटर के माध्यम से डाटाबेस में स्टोर किया जाता है. ताकि हम इसे कही से भी और कभी भी ऐक्सेस कर सकें।

इस Digital दुनिया में हम डाटा को 2 प्रकार से स्टोर कर सकते हैं।

  • Temporary Storage
  • Permanent Storage

#1 – Temporary Storage (अस्थायी भंडारण)

Temporary Storage में डाटा को Temporary रूप से RAM में स्टोर किया जाता है. इसमें Data Temporary रूप से स्टोर होता है. जब तक कंप्यूटर को Power Supply मिलती है तो RAM में डाटा Temporary रूप से स्टोर होता है. Power Supply बंद होने पर RAM में स्टोर डाटा भी Delete हो जाता है. जब भी हम Current Time में कंप्यूटर में कोई कार्य करते हैं तो उसका डाटा RAM में स्टोर रहता है.

#2 – Permanent Storage (स्थायी भंडारण)

Permanent Storage में डाटा को हमेशा के लिए स्टोर किया जाता है. डाटा को Permanent स्टोर करने के लिए हार्ड डिस्क ड्राइव, SSD आदि के इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा कुछ External Device जैसे कि पैन ड्राइव, मेमोरी कार्ड आदि में भी डाटा को Permanent Store किया जाता है.

अगर आपके पास कोई महत्वपूर्ण डाटा है तो आप उसे Permanent Store कर सकते हैं ताकि जब आपको जरूरत पड़े तो आप उस डाटा को Access कर सकें.

डाटा कितने प्रकार के होते है? (Data Types)

डाटा अलग अलग प्रकार के होते हैं जैसे audio, video, pictures, gif आदि

  • Alphabetic data (अक्षरात्मक डाटा) – ये डाटा alphabets (अक्षर) में होते हैं। ये अक्षरों के समूह से बनते हैं। इसमें सिर्फ alphabets होते हैं numbers नहीं होते। जैसे – A,B,C,D आदि।
  • Numeric data (संख्यात्मक डाटा) – ये डाटा numbers में होता हैं अर्थात् ये numerical (संख्यात्मक ) होता हैं । जैसे – 1,2,3,4 आदि।
  • Video data (विडियो डाटा)- ये डाटा वीडियो फॉर्म में होता हैं अर्थता ये वीडियो वाले डाटा होते हैं, जैसे की video clip, movie आदि।
  • Alpha numeric data (चिन्हात्मक डाटा) – इसमें डाटा special characters के रूप में होता हैं। उसे चिन्हात्मक डाटा कहते हैं, जैसे- @,#,$ आदि।
  • Graphical data (ग्राफिकल डाटा)-   ये डाटा ग्राफिकल रूप में होता हैं. इसमें ग्राफिक्स उपयोग किए जाते हैं इसलिए इसे ग्राफिकल data कहते हैं, जैसे – image, pictures आदि।
  • Sound data (ध्वनि डाटा) – ये डाटा ध्वनि के रूप में होता है. इसे ध्वनि डाटा कहते है। जैसे – गाने, ऑडियो आदि।

डाटा प्रोसेसिंग क्या हैं ? (Data Processing)

Data processing एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमे raw डाटा को check किया जाता हैं ताकि वह आगे प्रोसेस की जा सके या आगे जिसको उसकी जरूरत हैं वह उसे उपयोग कर सके data के रुप में। ये process डाटा साइंटिस्ट लोग करते हैं, जिससे डाटा की सही तरीके से जांच की जा सके। डाटा scientist एक्सपर्ट होते हैं जिससे कोई गलती ना हों,ताकि आगे प्रोसेसिंग में दिक्कत ना आए। इसी प्रोसेस को हम डाटा प्रोसेसिंग कहते हैं।

डाटा को Process करने के लिए सबसे पहले हम किसी भी Data को Collect करते हैं Filter करते हैं तथा उसे Short भी करते हैं उसके बाद उस data का प्रोसेस करते हैं और इसके बाद उस डाटा को स्टोर किया जाता है।

डाटा प्रोसेसिंग के स्टेज (Stage)

डाटा प्रोसेसिंग  पहले manual तरीके से किया जाता था जिससे बहुत अधिक टाइम लग जाया करता था तथा errors की संभावना रहती थी और समय भी अधिक लगता था। लेकिन अब ये काम computer automated तरीको का use किया जा रहा हैं  जिसमें data processing बहुत फास्ट होता हैं तथा errors की संभावना भी कम हो जाती हैं। डाटा प्रोसेसिंग निम्न stages में किया जाता हैं –

  • Data collection

Preparation

Data collection.

डाटा कलेक्शन Data Processing करने की सबसे पहली प्रक्रिया है इसमें हम अपने Raw Data को अलग-अलग माध्यम से Collect करते हैं और हम यह सुनिश्चित करते हैं कि Data सही और विश्वसनीय है या नही। और जब चेक कर लेते हैं तो आगे प्रोसेस में डाल देते हैं।

डाटा Preparation को हम Data Cleaning भी कहते हैं इस Process में हम अपने Raw Data को Short करते हैं  जिससे उसमे जो unnecessary data होता हैं उसे remove कर देते हैं तथा उसे Filter करते हैं और फिर हमारा यह Data अगले Step के लिए तैयार हो जाता है।

इस प्रक्रिया में हम Filter किए गए Data को Computer के अंदर मशीनी भाषा में Enter करते हैं यानी इस Data को Processing करने वाले Program के अनुसार तैयार करते हैं ताकि यह Processing के लिए आसानी से तैयार हो सके और Data Processing करने में काफी आसानी हो।

इस Step में सबसे पहले Input किये गए Data की जांच की जाती है और डाटा को अर्धपूर्ण जानकारी के लिए तैयार किया जाता है। इसमें Data Processing के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिथम का Use किया गया है जिससे हमें एक अच्छा Output मिल सके।

इस Step में Process किए गए Data का परिणाम हमें प्राप्त होता है यानी Process किए गए Raw Data की अर्धपूर्ण जानकारी हमें दिखाई देती है। इस Output को User अलग-अलग फॉर्मेट में ( जैसे Graph, Table, Audio, Video, Document आदि) के रूप में देख सकता है।

ये डाटा प्रोसेसिंग का सबसे last stage है यहां पर हम प्रोसेस किए डाटा को अपने future use के लिए स्टोर करके रखते हैं। यहां ये डाटा safely store रहता है ताकि हमें जब भी जरूरत हैं इसे use कर सकते हैं।

डाटा प्रोसेसिंग के क्या विधि है? (Data Processing Method)

data processing निम्न तरीकों से किया जा सकता हैं .

Manual data processing

Mechanical data processing, batch processing, real time processing, data mining.

Manual डाटा प्रोसेसिंग एक ऐसी प्रोसेसिंग तकनीक हैं जिसमे डाटा मैनुअली प्रोसेस होता हैं यहां किसी भी tools या डिवाइस से नहीं की जाती बल्कि यहां डाटा प्रोसेसिंग कुछ software की मदद से की जाती हैं जैसे calculations, logical operations के हेल्प से डाटा प्रोसेसिंग की जाती हैं।

Mechanical डाटा प्रोसेसिंग में डाटा को मैकेनिकल device की मदद से प्रोसेस किया जाता हैं जैसे type writer, प्रिंटर आदि से। ये काफी fast होता हैं जिससे समय की बचत होती हैं और accurate डाटा मिल जाता हैं।

बैच प्रोसेसिंग (Batch Processing) में डाटा एक निश्चित समयावधि में संकलित (Collected) किया जाता है और इस डाटा पर प्रक्रिया बाद में एक बार में होती है, यह डाटा प्रोसेसिंग की बहुत पुरानी विधि हैं। जिससे बहुत कम समय में बहुत सारे डाटा में काम हो जाता हैं। बैच प्रोसेसिंग सिस्टम में प्रत्येक user अपना प्रोग्राम ऑफ-लाइन में तैयार करता है और फिर उसे कम्प्यूटर सेंटर को दे देता है।

Real time processing का उपयोग तब किया जाता है जब हमे रिजल्ट तुरंत चाहिए होता हैं, यह प्रोसेस बहुत जल्दी रिजल्ट देता हैं तथा कोई काम को continue चल रहा हो उसके लिए इस प्रकार के system का use किया जाता हैं।

ये एक ऐसा प्रोसेस हैं जिसमे डाटा को माइनिंग किया जाता हैं अर्थात् डाटा को खोज करके निकाला जाता हैं, जिससे आगे उसको प्रोसेस किया जा सके। और डाटा को filter करके निकाला जा सके। यह एक बहुत ही important पार्ट होता हैं डाटा प्रोसेसिंग का।

  • कंप्यूटर नंबर सिस्टम क्या है – हिन्दी नो ट्स
  • ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? और कैसे काम करता है?

कंप्यूटर में डाटा प्रेजेंटेशन क्या है?

कंप्यूटर में डाटा प्रेजेंटेशन डाटा को रिप्रेजेंट करने का एक तरीका है. जिसमे डाटा को प्रस्तुत किया जाता है. डाटा को ग्राफ, इमेज या विसुअल रूप में दिखाना ही डाटा का प्रेजेंटेशन है.

डाटा कितने प्रकार के होते हैं?

डाटा 6 प्रकार के होते है. डाटा अलग अलग प्रकार के होते हैं जैसे audio, video, pictures, gif आदि Alphabetic data (अक्षरात्मक डाटा) जैसे – A, B, C, D आदि। Numeric data (संख्यात्मक डाटा) – जैसे – 1,2,3,4 आदि। Video data (विडियो डाटा)- जैसे की video clip, movie आदि। Alpha numeric data (चिन्हात्मक डाटा) – जैसे- @,#,$ आदि। Graphical data (ग्राफिकल डाटा)-   जैसे – image, pictures आदि। Sound data (ध्वनि डाटा) – जैसे – गाने, ऑडियो आदि।

  • डाटा क्या हैं?

इनफार्मेशन के समूह को डाटा कहा जाता है जो एक रॉ फैक्ट होता है. डाटा को प्रोसेस करके इन्टरप्रेट करने पर उसका अर्थ पता चलता है.

डेटा प्रतिनिधित्व में कितने नंबर सिस्टम का उपयोग किया जाता है?

डेटा प्रतिनिधित्व के लिए बाइनरी नंबर सिस्टम का उपयोग किया जाता है. बाइनरी नंबर सिस्टम का बेस 2 होता है. इसमें डाटा को रिप्रेजेंट करने के लिए (01) का उपयोग किया जाता है.

अधिक जानकरी के लिए विडियो देखें :-

आज आपने सिखा

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  • Data Representation in Hindi
  • इनफार्मेशन क्या हैं?
  • डाटा कितने प्रकार के होते है?
  • डाटा प्रोसेसिंग के क्या विधि है?
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इस लेख में, जानिए डाटा क्या है (What is Data in Hindi), डेटा के प्रकार (types of data), और डेटा और सूचना के बीच के अंतर को भी समझाया गया है।

Data in Hindi : डेटा जानकारी का संग्रह होता है जो कंप्यूटर या मनुष्य द्वारा प्राप्त या बनाई जाती है। यह नंबर, फॉर्म, टेक्स्ट आदि हो सकता है और इसका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है।

अगर आपको डाटा कम्युनिकेशन , डेटाबेस , या डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) के बारे में विवरण में समझना और सीखना चाहते है, तो आपके लिए पहले डाटा क्या है? इसके बारे में पूरी जानकारी को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।

इस लेख में, आप जानेंगे की डेटा क्या है (What is Data in Hindi), डेटा का उदाहरण, इसके प्रकार, Data और Information में difference क्या होता है, कंप्यूटर सिस्टम में data कैसे stored होता है आदि।

Table of Contents

डाटा क्या है (What is Data in Hindi)?

“ डाटा ” या “ डेटा ” औपचारिक तरीके से तथ्यों , अवधारणाओं या निर्देशों के प्रतिनिधित्व के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। कंप्यूटर में, डेटा टेक्स्ट, चित्र, विडीओ, ऑडियो, संख्या, प्रतीकों, आंकड़े या ग्राफ़ आदि के रूप में हो सकता है।

What is Data in Hindi (डाटा क्या है)?

मूल रूप से, डाटा (Data) जानकारी का एक टुकड़ा होता है। यानी डेटा विभिन्न प्रकार की जानकारी है जिसे आमतौर पर एक विशेष तरीके से स्वरूपित (formatted) किया जाता है।

Latin word में, Data का मूल अर्थ “ Datum ” है। लेकिन English में इसका used बहुत काम होता है। इसी लिए datum से data बना है। और एक डाटा Numbers को refers करता है, जिसमे words, text, sounds, images, videos आदि शामिल होता है।

आसान भासा में कहा जाये तो, डेटा का इस्तेमाल आप किसी सब्द को पूरा करने के लिए कर सकते हो। जैसे की “400” एक डाटा है। और “exam result marks 400” लिखने से information (जानकारी) बन जाता है।

यानि डेटा कुछ भी और किसी भी format में हो सकता है। जैसे की text, numbers, images, file, folder, audio, आदि।

डेटा का उदाहरण (Example of Data in Hindi)

डाटा को तथ्यों (facts) या आंकड़ों या उन information के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कंप्यूटर द्वारा संग्रहीत या उपयोग की जाती हैं। जैसे की डेटा के उदाहरण ‘ employee names, weights, addresses, product names, tax codes, exam marks, roll number ‘ आदि हैं।

डाटा के प्रकार (Types of Data in Hindi)

Types of Data in Hindi - डाटा के प्रकार

कंप्यूटर सिस्टम विभिन्न प्रकार डाटा के साथ काम करते हैं। जैसे की text , numbers , images , audio , video और graphics , लेकिन कंप्यूटर में इन सभी data types को binary digits जैसे “ 1 ” और “ 0 ” में ही stored होता है।

यहाँ कुछ सामान्य प्रकार के डेटा हैं:

  • वर्णमाला डेटा (Alphabetic Data) ।
  • संख्यात्मक डेटा (Numerical Data) ।
  • अल्फान्यूमेरिक डेटा (Alphanumeric Data) ।
  • विशेष वर्ण (Special Characters) ।
  • ध्वनि डेटा (Sound/audio Data) ।
  • ग्राफिक्स डेटा (Graphics Data) ।
  • वीडियो डेटा (Video Data) ।

आइए इन सभी को अच्छी तरह से समझते है –

कंप्यूटर में डाटा कैसे Store किया जाता है?

  • सबसे पहले data सरल संख्या में convert किया जाता है।
  • इससे कंप्यूटर में डाटा स्टोर करने में आसानी होता है।
  • और कंप्यूटर hardware stored numbers को record कर लेता है।
  • फिर संख्या को organized करके, temporary storage में move किया जाता है।

उसके बाद ही software द्वारा manipulated होता है। बहुत सारे अलग-अलग तकनीक का उपयोग करके कंप्यूटर में डाटा स्टोर किया जाता है।

डेटा और सूचना के बीच अंतर क्या है?

Data : सबसे पहली बात कंप्यूटर सिस्टम में Data और Information एक चीज़ नहीं है। इन दोनों का मतलब अलग-अलग होता है। क्यूंकि डाटा जानकारी (information) का टुकड़ा है, और Information डेटा का संग्रह है।

Information : बहुत सारे डाटा के संग्रह को सूचना (Information) कहा जाता है। बहुत सारे डाटा मिलके Information बनते है। जैसे, आसान शब्द में सूचना (information) की परिभाषा समाचार या ज्ञान प्राप्त करना या किसी को देना होता है।

संचार (information) डेटा के लिए context प्रदान करती है। यानि अगर आपके कंप्यूटर में information stored करना है, तो पहले आपको डाटा input करना होगा, फिर डाटा प्रोसेसिंग होने के बाद जो output होगा वह information के रूप में आएगा।

उदाहरण के लिए, जब डाटा interpreted, organized, आदि के लिए processed होता है, तब डाटा को सार्थक (meaningful) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

डेटा और सूचना के अंतर तालिका:

What is data communication in hindi.

डाटा का exchange 0 और 1 के form में एक सिस्टम से दूसरा सिस्टम में transfer हो जाये तो इससे data communication (DC) कहा जाता हैं।

यानि दो या अधिक कंप्यूटरों के बीच डेटा भेजने  या  प्राप्त करने की प्रक्रिया को डेटा कम्युनिकेशन कहा जाता है। डाटा कम्युनिकेशन के प्रकार, Components, लाभ और नुकसान, और कैसे काम करता है? पूरी जानकारी हिंदी में जानें के लिए “ Data Communication Kya Hai ” लेख पढ़े।

FAQs about Data in Hindi:

डेटा विश्लेषण या संदर्भ के लिए एकत्र किए गए तथ्यों, आंकड़ों या जानकारी को संदर्भित करता है। यह विभिन्न रूपों में हो सकता है जैसे संख्याएँ, पाठ, चित्र या ध्वनि।

कंप्यूटिंग में, डेटा वह सूचना है जिसे एक ऐसे रूप में अनुवादित किया गया है जो संचार या processing के लिए कुशल है। आज के कंप्यूटर और ट्रांसमिशन मीडिया के सापेक्ष, डेटा बाइनरी डिजिटल (1 और 0) रूप में परिवर्तित सूचना है। डेटा को एकवचन विषय या बहुवचन विषय के रूप में उपयोग करने के लिए यह स्वीकार्य है।

डेटा को संरचित डेटा (जैसे डेटाबेस), असंरचित डेटा (जैसे टेक्स्ट दस्तावेज़), अर्ध-संरचित डेटा (जैसे XML या JSON), और बड़े डेटा में वर्गीकृत किया जा सकता है।

डेटा को सर्वेक्षण, सेंसर, अवलोकन, लेनदेन और डिजिटल इंटरैक्शन सहित विभिन्न तरीकों से एकत्र किया जा सकता है।

डेटा कच्चे, असंसाधित तथ्य हैं, जबकि सूचना वह डेटा है जिसे सार्थक तरीके से संसाधित, व्यवस्थित या व्याख्या किया गया है।

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DBMS in Hindi

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Data और information दोनों अलग-अलग हैं। डाटा information का एक दुकड़ा होता है और information बहुत सारे data से information बनता हैं। डाटा useful हो भी सकता है और नहीं भी, लेकिन Information हमेशा useful ही होता हैं।

इस लेख “What is Data in Hindi” में, अपने सिखा की डाटा क्या है , डाटा types, डाटा और जानकारी के बीच अंतर क्या होता हैं।

मुझे उम्मीद है, आपको data के बारे में पूरी जानकारी समझ में आगिया होगा। अगर आपको data सम्बंधित कोई भी information चाहिए या फिर सवाल है। तो हमारे Fb page पर या फिर निचे comments के माध्यम से हमें पता सकते है।

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Data क्या है और इसके प्रकार?

डाटा क्या है (What is Data in Hindi) ? आप कोई भी background से क्यूँ न हो, हम सभी ने कभी न कभी तो data शब्द का इस्तमाल जरुर किया होगा। लेकिन उसके वाबजूद भी हमारे मन में कई बार ये सवाल जरुर उठता है की आखिर में ये Data क्या है, और सभी जगहों में इस data को इनता ज्यादा महत्वपूर्ण क्यूँ माना जाता है।

यदि आप भी data के सच्चे अर्थ के बारे में जानना चाहते हैं तब आपको ये article Data क्या है और इसके types क्या हैं जैसे सभी जानकारी जो की Data से जुड़ी हुई हो उसे मैंने इस article के जरिये आपको समझाने की कोशिश करी है।

वैसे data सिर्फ एक computer से सम्बंधित term नहीं है बल्कि data plain facts को कहा जाता है. ये शब्द ‘ data ’ plural होता है ‘ datum ’ का. ये data कुछ भी हो सकता है जैसे की किसी देश की आबादी, अस्पतालों में मरीजों की संख्या, किसी school का ठीकाना इत्यादि। ये सभी चीज़ें इनके natural form में organized या structured नहीं होती है इसलिए इनका ज्यादा इस्तमाल नहीं किया जा सकता।

वहीँ अगर इसी data को processes, organized, structured कर present किया जाये किसी एक particular context में उन्हें useful बनाने के लिए तब इसे Information कहा जाता है. ये तो बस एक simple definition थी data और information की, पूरी details में जानने के लिए आपको यह article Data क्या है? पूरा पढना होगा।

डाटा क्या है (What is Data in Hindi)

Data को हम ऐसे कह सकते हैं की ये एक representation होता है facts, concepts, या instructions का एक formalized manner में, जो की suitable होता है communication, interpretation, या processing के लिए इन्सान या electronic machine के द्वारा।

Data Kya Hai Hindi

Data को हम characters के मदद से represent कर सकते हैं जैसे की alphabets ( A-Z, a-z ), digits (0-9) या कोई special characters ( +,-,/,*,<,>,= ) इत्यादि।

ये data कुछ भी हो सकता है कोई character, text, numbers, pictures, sound, या फिर video भी. वहीँ अगर data को कोई context में डाला न गया तब इसका कोई काम नहीं होता है चाहे वो किसी इन्सान के लिए या फिर कोई computer के लिए।

Data अपने raw form में किसी काम का नहीं होता है. लेकिन उसी data को जब हम process और interpret करते हैं तब जाकर उनका सही मतलब सामने आता है, और जो की हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं. इन्ही processed data को Information भी कहा जाता है।

Analog vs. Digital Data

Data को represent करने के दो general ways होते हैं : Analog और digital. Analog data प्राय तोर से continuous होते हैं – ये ‘ analogous’ होते हैं उनके actual facts के प्रति जिन्हें की ये represent करते हैं. Digital data बहुत ही discrete और उन्हें broken up किया जाता है limited number of elements में. उदहरण के लिए Nature (प्रकृति) analog होता है, वहीँ computers digital होते हैं।

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हमारे natural world प्राय चीजें continuous होती हैं nature में. उदहरण के लिए, आप इन्द्रधनुष के colors को देख सकते हैं. इसमें इन्द्रधनुष continuous होता है और infinite number के shades प्रदान करता है. वहीँ Computer systems में, वो continuous तो होते हैं लेकिन finite होते हैं. वो सभी data जिन्हें की आप binary digits में store करते हैं, इनमें ये limit है की कितने data को represent किया जा सकता है।

Data के प्रकार

Computer systems काम करते हैं अलग अलग प्रकार के digital data के साथ।

Computing के पहले के दिनों में data primarily केवल text और numbers ही हुआ करता था; लेकिन वहीँ modern day computing की बात करें तब, अभी बहुत सारे प्रकार के multimedia data हैं, जैसे की audio, images, graphics और video. लेकिन ultimately, सभी data types को binary digits के हिसाब से ही store किया जाता है।

प्रत्येक data type के लिए, कुछ बहुत ही specific techniques होते हैं उन्हें convert करने के लिए binary language के बिच computers में और उन्हें कैसे हम अपने senses से interpret करें उन data को जैसे की sight और sound।

डाटाबेस क्या है

हम data के बारे में ज्यादा बोल नहीं सकते बिना database का नाम लिए. हाँ एक database एक organized collection of data होता है. Data को ऐसे ही किसी list में random order में न डालकर एक database के मदद से उन्हें एक structure प्रदान किया जाता है, उन data को organize करने के लिए।

एक बहुत ही common data structures होता है database table. इस table में मुख्य रूप से rows और columns होते हैं. प्रत्येक row को typically एक record कहा जाता है, वहीँ प्रत्येक column को typically एक field कहा जाता है।

Information क्या है?

Information एक ऐसा प्रकार का data होता है जिसे की पूरी तरह से process किया गया होता है कुछ इसप्रकार से की वो बहुत ही meaningful होता उस person के लिए जो की इसे receive करते हैं. ये कोई भी चीज़ हो सकता है जिसे की communicate किया जा सके।

जहाँ Data raw facts को कहा जाता है वहीँ information processed data को कहा जाता है. उदहरण के लिए किसी class के students के subject marks, roll number, age, rank इत्यादि को data कहा जा सकता है।

वहीँ अगर आपको कहा जाये की उन students में से best 5 students के maths के marks को लाया जये तब आपको पहले उन students के सभी data को categorize करना होगा और फिर उसे process कर ही आप मांगे गए data को प्रदान कर सकते हैं. यहीं तो data आप results के तोर पर पाते हैं उसे information कहते हैं ।

Information बहुत ही organized और classified data होता है, जिसकी कुछ meaningful values होती है receiver के लिए. Information एक प्रकार का processed data होता है जिसके ऊपर decisions और actions based होता है।

Decision को meaningful बनाने के लिए, processed data must qualify करने चाहिए कुछ characteristics, जो की हैं

यदि किसी processed data में ये सभी characteristics होते हैं तब उन्हें ही असल में Information कहा जाता है.

Data कैसे Store किया जाता है?

Data और Information को typically computer में store करने के लिए hard drive या कोई दूसरा storage device का इस्तमाल किया जाता है।

Data जो की computer memory/storage में store किया जाता है उन्हें मुख्य रूप से दो हिस्सों में categorized किया जाता है।

1. Permanent storage ( Hard disk / Hard drive) 2. Temporary storage (RAM – Random Access memory )।

इन दोनों में मुख्य अंतर है वो ये की permanent storage data को retain करता है power failure के case में भी, ये तब तक उसे retain कर सकता है जब तक की आप उसे intentionally delete न कर दें वहीँ temporary memory data तुरंत ही lost हो जाते हैं जब power failure होता है और इसे automatically manage किया जाता है computer के CPU के द्वारा।

Temporary memory को ज्यादातर computer applications इस्तमाल करते हैं processes को run करने के लिए. एक बार process complete हो जाये, तब इसका इस्तमाल दुसरे नए processes को run कराने के लिए किया जाता है. इसका इस्तमाल मुख्य रूप से temporary files को store करने के लिए किया जाता है।

जब हम bits को एकसाथ group करते हैं तब उसे computer industry में एक नाम दिया जाता है. ज्यादातर references के तोर से computers number of bytes का इस्तमाल एक measure के तरह करता है computer’s memory (primary storage) capacity और storage (secondary) capacity को लेकर।

Computer memory को partitioned (divided) किया जाता है बहुत सारे number of data containers में जिन्हें की memory cells कहते हैं।

सभी cell एक specific amount of data को ही store कर सकते हैं जिन्हें की word कहा जाता है (उदहरण के लिए 8 bits data का इस्तमाल)

सभी cell में एक associated location identifier होता है जिसे की address कहते हैं।

Data जिन्हें की process किया जाता है, उन्हें coded किया जाता है binary (base-2 number) form में जिसके लिए बहुत से अलग प्रकार के encoding schemes का इस्तमाल होता है, चलिए उनके बारे में आगे discuss करते हैं।

शुरुवात करने के लिए, digits 0 और 1 binary digits होते हैं और प्रत्येक को short में bit कहा जाता है. वहीँ, 0 represent करता है OFF state को और 1 represent करता है ON state को।

अगर n bits किसी cell में हों, और 2n (जिसे की “2 to the power or n”) ways हों जिसमें zeros और ones को arrange किया जाता है, उदहरण के लिए 2 binary digits (either 1 or 0), इसे सभी arrangements (22 or 2×2 or 4) possibilities हो सकते हैं जो की हैं -00, 01, 10 और 11।

किसी computer’s memory की capacity को determine करने के लिए उनके दो पहलूवों को गौर किया जाता है, जो की हैं पहला की कितने number of bits per cell हैं और number of cells जिसमें memory को partitioned किया जाता है, उदहरण के लिए computer memory depend करता है कितने bits प्रत्येक cell में stored हैं और कितने cells available हैं।

Computer industry के हिसाब से sequence of 8-bits (जिसे की byte भी कहा जाता है), यह ही basic unit of memory होती है।

Units for Measuring Memory (Data Storage) Capacity:

डाटा के प्रकार.

Programming की बात करें तब data type को हम कह सकते हैं की, यह एक classification होता है जो की ये specify करता है की किस type की value एक variable के पास है और कोन से प्रकार के mathematical, relational या logical operations उनपर apply किया जायेगा जिससे कोई भी error नहीं होगा।

उदहरण के लिए, एक string ऐसा data type है जिसका इस्तमाल text को classify करने के लिए किया जाता है वहीँ एक integer ऐसा data type है जिसका इस्तमाल whole numbers को classify करने के लिए किया जाता है।

वहीँ इसके अलावा भी कई और प्रकार के data होते हैं. जिनके बारे में मैंने नीचे बताया हुआ है।

संख्यात्मक (Numerical) Data

इस तरह के Data में 0-9 तक की संख्याए यानी Decimal Numbers रहते हैं. Computer में खासकर इसी numerical data का ही इस्तमाल होता है. Excel sheet में हम data के तोर पर numerical data का ही इस्तमाल करते हैं।

अक्षर (Alphabetic) Data

किसी भी तरह की वर्णमाला चाहे Hindi के (क, ख, ग) या इंग्लिश के (A, B, C) हो वो सभी इसी Alphabetic Data के अंतर्गत आते हैं।

चिन्हात्मक (Alpha Numeric) Data

सुनने में जैसा लगता है ठीक वैसे ही ये data में सभी प्रकार के चिन्ह जैसे @, #, $ आदि आते हैं।

ऑडियो Data | ध्वनि (Audio data)

ये Data में सभी प्रकार के गाने, Recording आदि होते हैं जो ऑडियो फॉर्मेट जैसे MP3, WAV, format में इस्तमाल किये जाते हैं।

विडियो Data | चलचित्र (Video data)

इस प्रकार के Data में सभी प्रकार की विडियो होते हैं और वो video format जैसे की MP4, MKV आदि format में इस्तमाल किये जाते हैं।

Graphical Data | रेखाचित्र

इस तरह के Data के अंतर्गत Images, pictures, Graphical Data आदि JPG, PNG format में इस्तमाल किये जाते हैं।

Data Processing क्या है?

चलिए जानते हैं Data Processing क्या है? Data processing एक ऐसा process है जिसमें raw data को meaningful information में convert किया जाता है एक process के माध्यम से. Data को manipulate किया जाता है जिससे वो results produce करे और जिससे एक problem का resolution किया जा सके या कोई मेह्जुदा problem का situation improve किया जा सके।

एक production process के तरह ही ये भी एक cycle का पालन करता है जहाँ पर inputs (raw data) को एक process (computer systems, software, etc.) में डाला जाता है जिससे output (information and insights) produce हो सके।

Data Processing के Basic Stages

Basic stages में मुख्य रूप से तीन steps होते हैं data processing cycle के।

  • Input इस step में, input data को एक convenient form में prepare किया जाता है processing के लिए. ये form processing machine के ऊपर निर्भर करता है. उदहारण के लिए, जब electronic computers का इस्तमाल किया जाता है, तब input data को किसी एक मेह्जुदा medium में store किया जाता जैसे की magnetic disks, tapes, या और कुछ.
  • Processing इस step में, input data को produce data में बदला जाता है जो की ज्यादा useful form होता है. उदहारण के लिए, किसी company में sales की summary calculate करने के लिए sales orders को देखा जाता है.
  • Output इस step में, इसके पूर्व के processing step के result को collect किया जाता है. Output data का कोई particular form इसके ऊपर निर्भर करता है की उस data को किस तरह से इस्तमाल किया जाता है. उदहारण के लिए, output data में कोई employees के pay-checks भी हो सकते हैं.

चलिए अब Data Processing के Basic Stages को Details में समझते हैं

इस input प्रक्रिया में डाटा को collect कर कहीं store किया जाता है. Store का मतलब है की कहीं इकठ्ठा किया जाता है वो चाहे तो आप computer में भी store कर सकते हैं या कोई paper में भी लिख सकते हैं. Input के दुसरे process को समझते हैं।

a) Collection Input करने से पहले हमें data की collection करने की आवश्यकता है. Data को अलग अलग Sources से collect किया जाता है, जैसे एक शहर में कितने schools हैं यह जानने के लिए सभी schools को जाना होता है तथ्य को collect किया जाता है. एक class में कितने student 50% से ज्यादा marks रखे हैं. इस Information को जानने के लिए भी हर student की मार्क sheet collect करने की आवश्यकता है।

b) Verification अब अगला जो step है वो है Verification, जहाँ यह confirm किया जाता है की जो data input के लिए लिया गया है वह सही है या गलत. जैसे जब result PUBLISH करने से पहले सबसे पहले उसे Verify किया जाता है. आप भी किसी को कोई report देने से पहले एक बार verify जरुर करते हैं।

c) Coding इस step में डाटा को Coding किया जाता है, इसका मतलब है उसे Machine form में बदला जाता है यानि की Computer Readable Form में Convert करना. जिसे computer Input data को आगे आसानी से Process कर सके।

d) Storing अब जो data Computer के excel या word में enter किया गया है. उस डाटा को Computer में स्टोर किया जाता है. इसके लिए कोई Storage Device का इस्तेमाल किया जाता है. जब डाटा कंप्यूटर में स्टोर हो जाता है तभी अगला जो step है Processing के लिए भेजा जाता है।

2. Processing

यह वो step हैं जहाँ Information बनाने की प्रक्रिया का आरंभ होता है. यहाँ इन निचे दिए गए सभी Techniques का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे की Classification, Sorting, calculation, summarizing।

a) Classification इस प्रक्रिया में, data को समूहों और उपसमूहों में classify किया जाता है. जिससे डाटा को ठीक तरीके से समझने में आसानी होगी. जैसे college में students डाटा को अगर classify करेंगे तो, science श्रेणी के डाटा को अलग, commerce श्रेणी के data को अलग और arts श्रेणी के data को अलग अलग रखेंगे जिसे Data Analysis करने में आसानी होती है।

b) Sorting यहाँ पर data को एक व्यवस्तित order में arrange करके रखा जाता है. जिससे हमें डाटा को access करने में आसानी होगी. Sorting Order कुछ भी हो सोकता है Ascending या Descending. ये user पर निर्भर करता है वो data को किस हिसाब से sort करना चाहता है. जैसे Class में roll number को Alphabetical Order में रखा जाता है. Marks को Highest mark से Lowest Mark।

c) Calculation Calculation Process में दिए गए data के उपर कोई arithmetic Operation को Perform किया जाता है. जैसे वो Operation इनमे से कुछ भी हो सकते हैं sum, average, percentage. EX- एक क्लास में students के average marks कितने हैं, male और female का अनुपात, ये सब calculation Steps में आते हैं. इसके जरिए हमें एक सही summarised information मिलती है।

d) Summarising Input data के ऊपर दिए गए सारे operation Perform करने के बाद एक summarised Report को Produce किया जाता है. कोई Company में मैनेजमेंट को कभी भी पूरी जानकारी नहीं दी जाती, वहां बस शारांस को भेजा जाता है।

ऐसा इसलिए क्यूंकि उनके पास सभी चीज़ों के लिए समय नहीं होता है और इसमें समय की बचत भी होती है. जैसे doctor, बहुत सारे test करने के बाद एक रिपोर्ट देते हैं की इस आदमी को ये बीमारी है. रिपोर्ट कार्ड भी exam result की summary होती है. शायद आप समझ गए होंगे data को Processing के लिए कैसे भेजा जाता है और कैसे होता है।

जब Processing के सभी Steps ख़तम हो जाते है, तब Output result प्राप्त होता है जिसे जानकारी कह सकते हैं. Processing step का एक ही मकसद रहता है सठिक Result निकलना और user को देना. ज्यादातर समय Output इनफार्मेशन को कोई Storage device में Store किया जाता है. जैसे हार्ड डिस्क, pen drive, CD, DVD।

Output (Output Result पे होने वाली गतिविधियों)

a) Retrieval भविस्यत में, जब चाहें तब output result को Storage Media से Retrieve किया जा सकता है. जैसे एक student का 7 semester exam का result जब चाहें तब किसी भी कोई से भी semester का marks देख सकते हैं. इस प्रक्रिया को Retrieval कहते हैं।

b) Conversion Output result को अलग अलग Form में परिवर्तन किया जा सकता है. शायद आप देखे होंगे डाटा को Processing करने के बाद जो Output result प्राप्त होता है उन्हें इनमे से किसी भी रूप में देख सकते हैं जैसे Output Information – Graph, Flowchart, chart, Table, Diagram, Report. India का Population का GRAPH, Population growth chart, College Time table ये सभी Output result के उदहारण हैं।

c) Communication data को processed करने के बाद जो भी output निकलता है, वह एक Information है. जिसे Share करना अति आवश्यक है, जैसे news paper में जो information सबके पास आसानी से पहुँचाना. अगर बात करें College Time table कि जिसको Peon Notice Board पे छापता है।

जिससे ये जानकारी सारे Students को मिले, इसी को Communication कहते हैं. Output result को share करने की प्रक्रिया को Communication कहते हैं. ( आजकल जब से Camera आया है, sharing तो photos को wahtsapp group में डालते ही हो रहा है जैसे time table फोटो, result, Notice )

Data Processing के Methods क्या है?

पुरे विश्व में ये data जितना भी best हो काम नहीं आता जब तक की उसे ठीक तरीके से process न किया जाये. Data processing उस process को कहा जाता है जिसमें की कुछ methods का इस्तमाल कर raw data को usable information में तब्दील कर दिया जाता है.

हाँ इस काम के लिए paper और pencil का उपयोग किया जा सकता है लेकिन चूँकि हम 21st century में हैं और यहाँ पर data की कोई कमी नहीं है, मतलब की data की quantity बहुत ज्यादा है और ऐसे में हमें नए innovation technology जैसे की computer का इस्तमाल कर सकते हैं।

Computer का इस्तमाल data को process करने के लिए उन्हें पहले collect किया जाता है, accuracy के लिए check और भी तभी जाकर उन्हें computer में enter किया जाता है. तो चलिए ऐसे ही कुछ Data processing methods के बारे में जानते हैं।

Batch Processing

Batch processing एक बड़ा ही grunt work होता है, ये data processing का simplest form होता है. ये तब ज्यादा उपयोगी होता है जब किसी organization के large volume of data होते हैं और उन्हें एक या दो categories में clump (एक जगह में) किया जा सके।

उदहारण के लिए एक store में, जहाँ की batch-process के मदद से transactions को एक जगह में categorize किया जा सकता है. अगर कोई information को बदला न जाये तब batch processing बहुत ही fast होता है।

Real-Time Processing

कुछ batch-processing इतने ज्यादा fast भी नहीं होते हैं. Real-time processing methods data को handle करते हैं जब इन्हें instant turn-around time की जरुरत होती है. उदहारण के लिए अगर कोई यात्री airline ticket खरीदता है और उसे cancel भी कर देता है तब airline को अपने records को instantly ही update करना होता है।

इस process से records instantly update हो जाते हैं. जहाँ batch processing में बहुत सारे data को specified time में process करना होता है, वहीँ real-time processing एक continuous process होता है।

Data Mining

Data mining में data multiple sources और pools से लिया जाता है और उन्हें combine कर correlations की तलाश करता है. उदहारण के लिए एक grocery chain को customer के purchase को analyse करना होता है और ये खोजना होता है की customer जो की अनाज खरीदते हैं, अक्सर उसके बाद वो केले ही खरीदते हैं।

तब ये chain इस information का इस्तमाल कर sales को increase कर सकता है, इसलिए sales को बढ़ाने के लिए, ऐसे joint purchases का होना उनके sales लिए काफी अच्छा सिद्ध हो सकता है।

Statistical Processing

Statistical processing में heavy number-crunching होती है. एक company जिनको पता है की वो सप्ताह के एक दिन में थोडा ज्यादा busy होते हैं. ऐसे इसलिए होता है क्यूंकि बहुत से customers आखिरी वक़्त में ही अपने request देते हैं इसलिए ऐसे problem अक्सर होते हैं।

कारण का पता होने से company ऐसे problem से निपट सकते हैं. Statistics के मदद से data को compare करने में आसानी होती है फिर चाहे वो अलग अलग size के companies हों या अलग अलग सहर हों।

Data और Information में अंतर क्या है?

क्या आपको पता है Data और Information में अंतर क्या है?

Memory data वापस लेना है ?

अगर आपके Memory card से डाटा delete हो गया है चाहे वो कोई फोटो हो या कोई गाना हो, इसके लिए आपको computer में पहले recovery software install करना होगा. फिर अपने mobile से memory card को निकालकर उसे computer के साथ connect करना होगा. फिर software को run कर आप अपने delete हुए data को दुबारा प्राप्त कर सकते हैं.

MS dos में save किये हुए data को edit करने का command क्या होगा ?

यदि आपने MS Dos File में कुछ लिखा हुआ है और उसे आप चाहते हैं की कैसे edit करें तब आपको इसके लिए उस document को पहले open करना होगा, ऐसा करते ही आपको उसे edit करने का अवसर मिलेगा. इसे फिर आप बाद में save कर सकते हैं.

Display ख़राब हुआ Mobile का Data कैसे निकले या Laptop से कैसे Connect करे ?

यदि आपका Mobile का display ख़राब हो गया है और आप उसके data को इस्तमाल करना चाहते हैं तब आपको उसे अपने system के साथ connect करना होगा. इसके लिए internet पर बहुत से data recovery software का उपलब्ध है आप उनका इस्तमाल data recovery के लिए कर सकते हैं.

District data assistant का work क्या होता है?

District data assistant (DDA) का काम होता है की district level में जो भी technical काम होते हैं और official काम जिसमें की computer का इस्तमाल ही वो ये assistant करते हैं. साथ में अगर कोई excel के काम, कोई graphs बनाना है, यहाँ तक की बहुत ही official data को categorize करने का काम भी करना होता है.

Data SD Card में कैसे Save करे?

चूँकि phone की phone memory बहुत ही कम होती है इसलिए अक्सर users को data SD card में save करना होता है और साथ में ये data को SD card में transfer भी करना पड़ सकता है. इसलिए google playstore में ऐसे बहुत से apps हैं जिनका इस्तमाल आप data transfer के लिए कर सकते हैं.

Computer के किस भाग से Data Input किया जाता है?

Computer में अगर आपको कुछ input करना है तब आपको input devices का इस्तमाल करना होगा. जैसे की keyboard, mouse, OCR, OMR. इसके साथ अगर आप क्कुह data computer में डालना चाहते हैं तब आप कोई pendrive या CD को insert कर ऐसा कर सकते हैं.

MS Word में Data कैसे Insert करे?

MS Word में data insert करने के लिए insert menu का इस्तमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप youtube में MS words को इस्तमाल करने के video बिलकुल ही मुफ्त देख सकते हैं और सीख भी सकते हैं.

Keyboard Data Input करता है उससे क्या कहते हैं?

Keyboard के माध्यम से computer में user data input कर सकता है. ऐसा इसलिए क्यूंकि Keyboard एक input device होता है.

आज आपने क्या सीखा

मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को डाटा क्या है (What is Data in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को Data क्या है के बारे में समझ आ गया होगा।

यदि आपके मन में इस Data in hindi को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।

यदि आपको मेरी यह post डाटा क्या होता है हिंदी में अच्छा लगा हो या इससे आपको कुछ सिखने को मिला हो तब अपनी प्रसन्नता और उत्त्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये।

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Prabhanjan Sahoo

Prabhanjan Sahoo

मैं Prabhanjan, HindiMe का Technical Author & Co-Founder हूँ। Education की बात करूँ तो मैं एक Enginnering Graduate हूँ। मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है।

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श्रीमान एडमिन, Subject: quary/request एक सवाल का जवाब ढूंढते हुए मै आपके इस लेख पर आया, सभी जानकारी और आपके बताने का अंदाज बड़ा सहज लगा, किंतु मेरी जिज्ञासा या सवाल का उत्तर यहां भी नही मिल सका। कृपया मार्गदर्शन करें ।

मै दो दिनों से सो नही पा रहा हूं, कृपया तुरंत रिप्लाई देंगे तो बड़ी कृपा होगी आपकी

यदि आप बता सकें कि, यदि सभी Data Facts हैं, तो क्या Audio, Video, Images, Special Characters facts कैसे हैं ?

या कहीं Facts & figures को डेटा बताया जाता है, तब भी Audio, Video, Images, Special Characters, figures हैं या facts और कैसे ?

Om Prakhas ji, Raw facts and Figures ko Data kaha jata hai. Raw yani ki in facts ko abhi tak process nahin kiya gaya hai. ye facts and figures kisi bhi rup mein ho sakte hain jaise ki Audio, Video, Images, Special Characters ityadi. inhe achhe tarike se process kiya jata hai tabhi isse valuabel information prapt hota hai.

no resullet faound

Aapka sawal kya hai ?

row data and big data,open data ,dark data ye sare types ke andar nhi aate kya please conform krna hai

Thanks prabhajan sir we love you

Lajvab information Bhai .. maja aa gya padhke .. gyan m vardhi huii h

this is nyc post sir thanks for the sharing this type of information

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presentation of data meaning in hindi

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Bcom 1st statistics diagrammatic presentation data study material notes in hindi, bcom 1st statistics diagrammatic presentation data study material notes in hindi.

Table of Contents

BCom 1st Statistics Diagrammatic Presentation Data Study Material Notes in Hindi:  Utility of Diagrams Limitations of Diagrams General rules of Constructing diagrams Kinds of Diagram One Dimensional Diagrams Two Dimensional Diagrams Sort answered Questions Long Answer Questions multiple Bar Sub Divided Bar Diagram :

Diagrammatic Presentation Data

BCom 3rd Year Origin Growth Auditing Study Material Notes in Hindi

समंकों का चित्रमय प्रदर्शन

(diagrammatic presentation of data).

सांख्यिकी का प्रमुख कार्य जटिल व विस्तृत समंकों को सरलतम ढंग से प्रस्तुत करना है। इस उद्देश्य की पर्ति के लिए वर्गीकरण, सारणीयन व माध्य इत्यादि विधियों का प्रयोग किया जाता है। फिर भी साधारण व्यक्तियों के लिए ये विधियाँ पर्याप्त नहीं हो पातीं क्योंकि इन सभी रीतियों में तथ्यों को समंकों में ही व्यक्त किया जाता है। जबकि सांख्यिकी का ज्ञान न रखने वाला व्यक्ति समंकों में कोई रुचि नहीं रखता और न ही उसमें समंकों द्वारा निष्कर्ष निकालने की क्षमता होती है। अतः समंकों को अति सरल और बोधगम्य बनाने के लिए चित्रों एवं बिन्दु-रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

इस सम्बन्ध में प्रो० मोरोने ने लिखा है कि “बहुधा साधारण व्यक्तियों के लिए समंक नीरस होते हैं । चित्र किसी जटिल स्थिति के स्वरूप को दिखाने में सहायक होते हैं। जिस प्रकार एक मानचित्र हमें विशाल देश का विस्तृत दृश्य प्रदान करता है उसी प्रकार चित्र एक ही दृष्टि में समंकों से सम्बन्धित जटिल तथ्यों का सम्पूर्ण अर्थ समझने में सहायक सिद्ध होते हैं।”

समंकों को प्रदर्शित करने के लिए चित्रों व बिन्दु रेखाओं का सांख्यिकी में सर्वप्रथम प्रयोग विलियम प्लेफेयर ने 1786 में किया। चित्रमय प्रदर्शन तथ्यों को सर्वाधिक रोचक एवं सरल बनाने की एक प्रक्रिया है। इसमें es सांख्यिकीय तथ्यों को सरल व आकर्षक ज्यामितीय आकृतियों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

चित्रों की उपयोगिता

(utility of diagrams).

प्रो० William Playfair ने चित्रों की उपयोगिता बताते हुए लिखा है कि “रेखीय-चित्र पांच मिनट में इतनी जानकारी दे देते हैं जितनी कि समंकों की सारणी द्वारा मस्तिष्क पर छापने के लिए कई दिन लगते हैं।” सांख्यिकी में चित्र की निम्न उपयोगितायें हैं :

1 आकर्षक व प्रभावशाली साधन ( Attractive and effective means of presentation)- चित्र अत्यन्त आकर्षक और रोचक होते हैं तथा मानव-मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव डालते हैं। एक सामान्य व्यक्ति संख्याओं में दिलचस्पी नहीं रखता क्योंकि उन्हें समझने में उसे कठिनाई होती है, किन्तु विभिन्न रंगों में बने चित्र अनायास ही उसका ध्यान आकर्षित करते हैं।

2. सरल व बुद्धिगम्य बनाना ( To make data simple and intelligible)- चित्रों द्वारा जटिल तथ्य अधिक सरल और बुद्धिगम्य बन जाते हैं तथा उनकी सभी विशेषताएँ स्पष्ट हो जाती हैं। जैसे पंचवर्षीय योजनाओं की प्रगति, जनसंख्या वृद्धि अथवा मूल्य वृद्धि के समंक सरलता से समझ में नहीं आते; परन्तु यदि समंकों को सांख्यिकीय चित्रों के रूप में प्रस्तुत किया जाये तो सारी स्थिति एक ही दृष्टि में स्पष्ट हो जाती है। मोरोने के अनुसार अधिकांश व्यक्तियों के लिए कोरे समंक नीरस होते हैं,चित्र किसी जटिल स्थिति के स्वरूप को दिखाने में हमारी सहायता करते हैं।

3. तुलना में सहायक होना ( To facilitate comparison)- चित्रों द्वारा विभिन्न समंकों की पारस्परिक तुलना में मदद मिलती है। जैसे पंचवर्षीय योजनाओं में विभिन्न क्षेत्रों में किये जाने वाले विनियोग की तुलना उपयुक्त सांख्यिकीय चित्रों द्वारा सरलता से की जा सकती है।

4. समय व श्रम की बचत ( Saving of time and labour)- चित्रों को समझने तथा उनसे परिणाम निकालने में विशेष अध्ययन व परिश्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्हें समझने के लिए किसी विशेष ज्ञान की भी आवश्यकता नहीं होती। अतः चित्रों द्वारा श्रमय की बचत होती है।

5. सार्वभौम उपयोगिता ( Universal Utility) – व्यापार , वाणिज्य तथा विज्ञापन के क्षेत्र में चित्र बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण होते हैं।

इस प्रकार सांख्यिकीय चित्रों की उपयोगिता सार्वभौमिक है। वे सभी क्षेत्रों में समंकों को नवजीवन प्रदान करते हैं।

चित्रों की परिसीमाएँ

(limitations of diagrams).

सांख्यिकीय चित्रों की प्रमख सीमाएँ इस प्रकार हैं

1 चित्रों द्वारा प्रदर्शित सामग्री को गम्भीर व महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है । यह केवल सामान्य व्यक्ति के लिए है,विशेषज्ञ के लिए इसकी कोई विशेष उपयोगिता नहीं है।

2. चित्रों द्वारा प्रदर्शित करने के लिए बड़ी सारणियों को निकटतम संख्याओं में प्रस्तुत करना पड़ता है।

3. चित्र सारणियों के अनुपूरक हैं, स्थानापन्न नहीं क्योंकि चित्रों के द्वारा बहुगुणी सूचनाएँ प्रदर्शित नहीं की।

4. चित्रों द्वारा विभिन्न मूल्यों के सूक्ष्म अथवा अत्यधिक अन्तर को स्पष्ट नहीं किया जा सकता।

5. यदि गलत मापदंड लिया जाता है तो चित्र भ्रमात्मक होंगे, अत: चित्रों का सरलता से दुरुपयोग किया जा सकता है।

6. केवल सजातीय समंकों का ही चित्रों द्वारा तुलनात्मक प्रदर्शन सम्भव हो सकता है।

चित्र – रचना के सामान्य नियम

(general rules for constructing diagrams).

सांख्यिकीय चित्रों को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित सामान्य नियमों का पालन करना आवश्यक है

1 चित्र इतने रोचक व आकर्षक हों कि वे अनायास ही दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर लें।

2. आकर्षण के साथ ही चित्रों में शुद्धता भी होनी चाहिए।

3. चित्रों का आकार उपयुक्त होना चाहिए,चित्र न तो बहुत बड़ा होना चाहिए और न बहुत छोटा।

4. प्रत्येक चित्र के ऊपर स्पष्ट,पूर्ण एवं संक्षिप्त शीर्षक होना चाहिए जिससे यह ज्ञात हो जाये कि चित्र में क्या प्रकट किया गया है।

5. चित्र रचना से पहले उचित मापदंड या पैमाने का निर्धारण कर लेना चाहिए।

6. चित्र सदैव पेंसिल, पैमाना तथा अन्य ज्यामितीय उपकरणों की सहायता से बनाना चाहिए। चित्र के विभिन्न भागों-उपभागों को बिन्दुओं,रेखाओं और चारखानों आदि द्वारा स्पष्ट कर देना चाहिए।

7. चित्र में प्रयोग किये गये बिन्दुओं,रेखाओं व चारखानों के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए चित्र के ऊपर एक कोने में संकेत देना चाहिए जिससे विभिन्न भागों को समझने व तुलना करने में आसानी हो।

8. समंकों के प्रदर्शन के लिए उपयुक्त प्रकार के चित्रों का चुनाव करना चाहिए।

चित्रों के प्रकार

(kinds of diagrams).

मुख्य रूप से सांख्यिकीय चित्र निम्न प्रकार के होते हैं

1 एक – विमा चित्र ( One -Dimensional Diagrams)

2. द्वि – विमा चित्र ( Two -Dimensional Diagrams)

3. त्रि – विमा चित्र ( Three-Dimensional Diagrams)

4. चित्र – लेख ( Pictograms or Pictures)

5. मानचित्र ( Cartograms of Map Diagrams) इनमें व्यावहारिक दृष्टि से केवल एक-विमा तथा द्वि-विमा चित्र ही अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

एक – विमा चित्र

(one-dimensional diagrams).

एक-विमा चित्रों में केवल ऊंचाई का ही प्रयोग किया जाता है, चौड़ाई अथवा मोटाई का इसमें कोई महत्व

समंकों का चित्रमय प्रदर्शन / 115 नहीं होता। इन चित्रों में यद्यपि चौडाई रखी जा सकती है तथापि इसका मादंड से कोई सम्बन्ध नहीं होता। एक-विमा चित्रों का प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ न्यूनतम व अधिकतम मूल्यों में अन्तर अधिक न हो।

एक विमा चित्र निम्न प्रकार के होते हैं

(i) रेखा चित्र (Line Diagram)

(ii) सरल दण्ड चित्र (Simple Bar Diagram)

(iii) बहुदण्ड चित्र (Multiple Bar Diagrams)

(iv) अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (Sub-divided Bar Diagrams)

(v) अन्तर प्रदर्शित करने वाले अन्तर्विभक्त चित्र (Sub-divided Bar Showing Differences)

(vi) प्रतिशत अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (Percentage Sub-divided Bar Diagram)

(vii) द्वि-दिशा दण्ड चित्र (Duo-Directional Bar Diagram)

(i) रेखाचित्र ( Line Diagrams)- इस विधि में आँकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए समान मोटाई वाली सीधी खड़ी रेखाओं का प्रयोग किया जाता है। यह विधि उस समय प्रयोग में लायी जाती है जबकि पदों या मूल्यों की संख्या अधिक हो तथा मूल्यों में अधिक अन्तर न हो । किसी एक मूल्य को पड़ी रेखा पर तथा दूसरे मूल्य को खड़ी रेखा पर दिखाया जाता है।

Illustration 1

Monthly income of 10 persons in a locality are given below. Represent them by a line diagram.

(ii) सरल दण्ड चित्र ( Simple Bar Diagram)— इसमें मूल्यों को समान चौड़ाई वाले दंड चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। सरल दण्ड चित्र बनाने के लिए सबसे अधिक मूल्य के आधार पर मापदंड निश्चित कर लिया जाता है और सभी दंड इस पैमाने के अनुसार बनाये जाते हैं । इसमें मूल्यों को आरोही या अवरोही क्रम में दिखाने से आकृति में शुद्धता व आकर्षण आ जाता है । इन चित्रों में बराबर अन्तर का होना आवश्यक है।

Illustration 2 –

Represent diagrammatically the following infant mortality in different towns.

Solution : Bar Diagram showing Infant Mortality in different towns.

(iii) बहुदंड चित्र ( Multiple Bar Diagram)-जब दो या दो से अधिक तथ्यों या गुणों का समय या स्थान के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करना हो तो बहुदंड चित्र बनाये जाते हैं । ये सभी दंड चित्र एक दूसरे से सटाकर बनाये जाते हैं। यदि दो तथ्यों या गुणों का तुलनात्मक अध्ययन करना है तो युगल दंड चित्र तथा यदि तीन का अध्ययन करना है तो त्रि-दंड चित्र आदि बनाये जाते हैं।  

(iv) अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र ( Sub-divided bar diagram)- जब संकलित समंक गुण एवं विशेषताओं के आधार पर विभिन्न भागों व उपविभागों में बँटा हुआ है तथा एक दंड चित्र में इन समस्त गुणों, तथ्यों व उप-विभागों को दर्शाना हो तो अन्तर्विभक्त दंड चित्र का प्रयोग किया जाता है। इसमें सर्वप्रथम दिए हुए पद मूल्या के अनुसार विभिन्न दंड बनाये जाते हैं और प्रत्येक दंड को उसके विभागों के अनुपात में विभक्त कर दिया जाता।

(v) अन्तर प्रदर्शित करने वाले अन्तर्विभक्त चित्र ( Sub-divided Bar showing Differences) अन्तर्विभक्त चित्रों द्वारा दो प्रकार के समंकों तथा पारस्परिक अन्तर को प्रदर्शित किया जा सकता है। उदाहरणार्थ आयात-निर्यात व व्यापार शेष,जीवन दर,मृत्यु-दर आदि । इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम दोनों मूल्यों में से बड़े मूल्य को लेकर सरल दंड चित्र की रचना करके उसमें से छोटे मूल्य के बराबर भाग को काट देने पर उनमें पाया जाने वाला अन्तर स्वतःही स्पष्ट हो जाता है

(vi) प्रतिशत अन्त – विभक्त दंड चित्र ( Percentage Sub-divided Bar Diagram)- इन चित्रों का निर्माण करने के लिए सबसे पहले मूल्यों के कुल योग को 100 मानकर सभी विभागों के प्रतिशत निकाल लिये जाते हैं, इसके पश्चात उनका संचयी प्रतिशत निकाला जाता है । सरल दंड चित्र बनाकर उसमें संचयी प्रतिशतों के बराबर भाग काट लिए जाते हैं। ये चित्र उस दशा में बनाये जाते हैं जब एक तथ्य के विभिन्न भागों से सम्बन्धित समंकों में होने वाले सापेक्ष परिवर्तनों की आपस में तुलना करनी हो।

(viii) विचलन दण्ड चित्र ( Deviation Bar Diagram)- इस प्रकार के दण्ड चित्रों का प्रयोग समय या के कारण समंकों में होने वाले परिवर्तन या विचलन को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इन चित्रों में मुख्य राशियों को न दिखाकर केवल उनके अन्तरों को दिखाया जाता है जैसे आय और व्यय के अन्तर के रूप में शुद्ध लाभ या हानि, आयात और निर्यात के अन्तर के रूप में शुद्ध व्यापार शेष इत्यादि । ऐसे दण्डों के मान धनात्मक और ऋणात्मक दोनों प्रकार के हो सकते हैं । अतः आधार रेखा के ऊपर धनात्मक शेषों को तथा आधार रेखा से नीचे ऋणात्मक शेषों को प्रदर्शित किया जाता है। इसीलिए इनको द्वि-पक्षीय दण्ड चित्र (Bi-lateral Bar Diagram) भी कहते हैं।

(ix) स्तूप चित्र ( Pyramid Diagram)- इस चित्र की आकृति स्तूप जैसी होती है । इस चित्र में आधार रेखा को बीच में खड़ी हुई (Vertical) मानते हैं और उनके दोनों ओर क्षैतिज दण्ड की रचना एक दूसरे से सटाकर की जाती है। जनसंख्या का आयु, शिक्षा, लिंग इत्यादि के आधार पर वितरण इस चित्र के द्वारा काफी प्रभावशाली ढंग से दिखाया जा सकता है।

Illustration 9 निम्न तालिका भारत के कुछ राज्यों में जनसंख्या को लिंग के अनुसार प्रदर्शित करती हैं। इस सूचना को स्तूप चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।

The table given below shows that sex-v * pulation of a few states of India. Represent the same by Pyramid Diagram.

द्वि – विमा चित्र

(two-dimensional diagrams).

एक विमा चित्रों में केवल दंडों की लम्बाई को ही ध्यान में रखा जाता है और समस्त दंडों की चौड़ाई बराबर। मान ली जाती है,यदि दण्डों की लम्बाई और चौडाई दोनों को ध्यान में रखकर आँकडे प्रदर्शित किये जाये तो ये द्वि-विमा चित्र कहलायेंगे अर्थात् इन चित्रों में दंडों की लम्बाई व चौडाई का बराबर महत्व होता है । ये तीन प्रकार के होते हैं

(1) आयत चित्र (Rectangular Diagrams)

(2) वर्ग चित्र (Square Diagrams)

(3) वृत्त चित्र (Circular or Pie Diagrams)

(1) आयत चित्र ( Rectangular Diagrams )-आयत के क्षेत्रफल द्वारा भी समंकों की तुलना की जाती है। इनका प्रयोग उन दशाओं में होता है जब समंकों के दो गुणों को एक साथ प्रदर्शित करना होता है। आयत चित्र भी निम्न प्रकार के होते हैं

( क ) साधारण

( ख ) विभाजित

( ग ) प्रतिशत अन्तर्विभक्त

( क ) साधारण आयत चित्र ( Simple Rectangular Diagram)-इन चित्रों में समंकों के दो गणों को एक साथ प्रदर्शित किया जाता है। जैसे यदि किसी कारखाने में मजदूरों की उत्पादकता ज्ञात करनी हो तो आयत चित्र की रचना के लिए इसकी एक भुजा को प्रतिदिन की औसत उत्पादकता और दूसरी को मजदूरों की संख्या मानकर आयत का क्षेत्रफल ज्ञात कर लेते हैं जो एक दिन की सम्पूर्ण उत्पादकता प्रकट करता है।

( ख ) विभाजित आयत चित्र ( Sub-divided Rectangular Diagram )-जब किसी वस्तु की प्रति इकाई व कुल बिक्री, प्रति इकाई व कुल लागत या प्रति इकाई व कुल लाभ इत्यादि को प्रदर्शित करना हो तो अलग-अलग लम्बाई व अलग-अलग चौड़ाई वाले आयत बनाये जाते हैं। जैसे किसी वस्तु का प्रति इकाई मूल्य उसकी बिक्री की मात्रा तथा विक्रय राशि के विभिन्न तत्वों को साथ-साथ विभाजित आयत के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। ऐसे चित्र में प्रति इकाई मूल्यों के अनुपात में चौड़ाई तथा विक्रय की मात्राओं के अनुपात में ऊँचाई रखी जाती है। इस प्रकार कुल विक्रय-मूल्य आयत के क्षेत्रफल (ऊँचाई x चौड़ाई) के अनुपात से व्यक्त हो जाता है । इस क्षेत्रफल में से विक्रय मूल्य के अलग-अलग तत्वों के अनुसार क्षेत्रफल के खण्ड कर लिए जाते हैं।

Illustration 10 – Represent the following data by sub-divided rectangular diagram.

( ग ) प्रतिशत अन्तर्विभक्त आयत चित्र ( Percentage Sub-divided Rectangular Diagram) इन आय त चित्रों का प्रयोग अधिकतर पारिवारिक बजट की तुलनात्मक समीक्षा करने के लिए किया जाता है। इसमें समस्त आयतों की ऊँचाई बराबर रखी जाती है किन्तु चौड़ाई आय के अनुपात में कम या अधिक कर दी जाती है। इसमें आयतों की चौड़ाई आय के अनुपात को प्रदर्शित करती है तथा लम्बाई व्ययों के प्रतिशत को प्रकट करती है। इसके लिए समस्त आय को 100 मानकर उसके व्ययों का प्रतिशत कर लेते हैं। इस प्रकार के चित्र से दो समंकों की तुलना सुगम व स्पष्ट हो जाती है।

Illustration 11 – Represent the following data by a two dimensional diagram.

(2) वर्ग चित्र ( Square Diagram)- जब दिये हुए तथ्यों के अधिकतम व न्यूनतम मूल्यों में अधिक अन्तर होता है तो हम दण्ड चित्र की रचना नहीं कर सकते । जैसे यदि न्यूनतम व अधिकतम मूल्य क्रमश:50 और 2.500 हों तो सबसे बड़ा दण्ड सबसे छोटे दण्ड का 50 गुना होगा। अतः ऐसी स्थिति में वर्ग चित्रों किया जाता है। वर्ग चित्रों द्वारा समंकों को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न मूल्यों के वर्गमूल ज्ञात किये जाते हैं और समंकों को प्रदर्शित करने के लिये विभिन्न मूल्यों के वर्गमूल ज्ञात किये जाते हैं और प्राप्त वर्गमूल्यों के अनुपात में वर्ग चित्र बनाये जाते हैं। ऐसा करने में दो आँकड़ों के आकार का वृहद् अन्तर समाप्त हो जाता है और चित्र भी आकर्षक बन जाता है । इस विधि में चित्र की प्रत्येक भुजा प्राप्त वर्गमूल के अनुपात के आकार की होती

Illustration 12 –

From the following information, draw the suitable diagram.

Commodities                   A                   B                        C

D Exports (In crore Rs.) 256                64                       16

16 Solution :

प्रस्तुत समंकों के आकार में बहुत अन्तर है, अतः इनको वर्ग चित्रों की सहायता से प्रदर्शित किया जायेगा। यहाँ सर्वप्रथम समंकों का वर्गमूल ज्ञात किया जायेगा तथा वर्गमूल के अनुपात के आकार में वर्ग चित्रों का निर्माण किया जायेगा।

(3) वृत्त चित्र ( Circular or Pie Dlagram)- वृत्त चित्र वर्ग चित्रों के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किये। जाते हैं । वृत्तों व उसके खंडों द्वारा सम्पूर्ण आँकड़ों व उसके भागों को प्रदर्शित कर सकते हैं । वर्ग चित्रों की अपेक्षा । वृत्त चित्रों की रचना सरल होती है तथा इसमें समंकों के विभाजन को भी प्रदर्शित करना सम्भव रहता है । वृत्त चित्र । दो प्रकार के होते हैं

( क ) साधारण वृत्त चित्र ( Simple Circular Diagram) – साधारण वृत्त चित्र बनाते समय पद-मूल्यों का वर्गमूल निकाल कर उनके अनुपातों में वृत्तों के अर्धव्यास ज्ञात कर लिये जाते हैं। उदाहरण नं. 10 में वर्ग-मूल्यों का अनुपात 4 : 2 : : 1 : 75 है। इनमें 2 का भाग देकर इस प्रकार अर्धव्यास ज्ञात करेंगे :2 cm, 1 cm, .5 cm, .375 cm. अर्धव्यास के आधार पर क्रमशःचार वृत्त बनाये जा सकते हैं।

वृत्त चित्र का पैमाना ज्ञात करना:

यदि किसी वृत्त का अर्धव्यास 2 cm. है और उसमें 256 करोड़ दर्शाये गये हैं तो पैमाना इस प्रकार ज्ञात किया जायेगा

( ख ) कोणिक चित्र ( Angular Diagram)- जब कुल समंक को उसके विभिन्न उपविभागों सहित प्रदर्शित करना होता है तो कोणिक चित्र अधिक उपयुक्त होते हैं । वृत्त के केन्द्र बिन्दु पर 360° का कोण होता है, अतः सम्पूर्ण समंक को 360° मान कर उसके उप-विभागों के कोणों की डिग्री मालूम करके वृत्त को उसी अनुपात में विभाजित कर देते हैं।

Illustration 13:

Represent the following data by a sub-divided circular diagram.

Solution : (Three-Dimensional Diagram)

समस्त देशों की जनसंख्या का कुल योग 185 Crores हुआ। 185 करोड़ को 360° मानकर विभिन्न देशों समंकों का चित्रमय प्रदर्शन / 125 की जनसंख्या को प्रदर्शित करने के लिए कोणों की डिग्री इस प्रकार ज्ञात की जायेगी

त्रि – विमा चित्र – जब आँकड़ों में बहुत अधिक विषमता होती है तो त्रि-विमा चित्रों का प्रयोग किया जाता है इनको तीन विस्तार वाले चित्र कहते हैं,क्योंकि इनमें चित्र के तीनों विस्तारों अर्थात् लम्बाई, चौड़ाई व ऊँचाई का महत्व होता है । इसमें आँकड़े घनों (Cubes) की मदद से प्रदर्शित किये जाते हैं और भुजाएँ दी हुई राशियों के घनमूल (Cube Roots) के अनुपात में रखी जाती हैं।

इनका प्रयोग बहुत सीमित है क्योंकि साधारण ज्ञान वाला व्यक्ति न तो घन तैयार कर सकता है और न घनफल की गणना ही कर सकता है।

घन बनाने के लिए पहले घन की भुजा के आधार पर एक वर्ग बनाया जाता है, फिर उसी क्षेत्रफल का दूसरा वर्ग इस प्रकार बनाया जाता है कि उसका बायाँ निचला कोना पहले वर्ग के लगभग बीच में हो और भुजाएँ समानान्तर हों । दोनों वर्गों के कोनों को मिला देने से घन पूरा बन जाता है । घन का पैमाना वर्ग पैमाने की भाँति ही ज्ञात किया जाता है. अन्तर केवल इतना है कि घन की भुजा का घन निकाल कर घन-चित्र का आयतन निकाला जाता है और इसी आधार पर 1 cubic cm. द्वारा प्रदर्शित मूल्य ज्ञात किया जाता है।

Illustration 14 –

The following table shows the daily salaries of A and B. Show them by suitable diagrams.

A                   B

Daily Salary                                                         27                 64

Cube Roots                                                            3                   4

Solution : Diagram showing salaries of A and B. Scale 1 cubic cm. = Rs. 4.

(4) चित्र – लेख ( Pictogram)- चित्र -लेखों की मदद से भी समंकों की विशेषता को प्रदर्शित किया जा सकता है । चित्र-लेखों द्वारा समंकों को प्रदर्शित करने का मुख्य लाभ यह है कि इससे समंकों को शीघ्रता से समझा जा सकता है । एक अशिक्षित व्यक्ति भी चित्र-लेखों की मदद से आँकड़ों की तुलना कर सकता है । चित्र-लेख उसी अनुपात में बनाये जाते हैं जिस अनुपात में संख्याएँ होती हैं।

Illustration 15 –

Represent the following data by Pictogram.

Population – China 72 Crores and India 56 Crores.

Solution: Pictogram showing populations of India and China.

Scale 1 person = 8 Crores

China att India that

(5) मानचित्र ( Cartograms)- सांख्यिकी व आँकड़ों को मानचित्रों द्वारा बहुत ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। मानचित्रों में प्रायः जनसंख्या का घनत्व,वर्ण,उपज,तापमान,भाषा,खनिज पदार्थ इत्यादि का वितरण प्रदर्शित किया जाता है। इन्हें विभिन्न रंगों व चिन्हों द्वारा दर्शाया जाता है। सांख्यिकीय मानचित्र संख्यात्मक तथ्यों को भौगोलिक आधार पर प्रस्तुत करता है।

सैद्धान्तिक प्रश्न

1 . चित्रों द्वारा अंकों के प्रदर्शन की उपयोगिता का वर्णन कीजिए और वृत्त चित्र बनाने की विधि की व्याख्या कीजिए।

Discuss the usefulness of diagrammatic presentation of facts and explain how you would construct circular diagrams.

2. चित्रों द्वारा सांख्यिकीय समंकों के प्रदर्शन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए। उचित उदाहरण देकर सरल दंड चित्र,प्रतिशत अन्तर्विभक्त दंड चित्र तथा कोणीय चित्र के प्रयोग को दर्शाइए।

Discuss the usefulness of diagrammatic presentation of statistical data. By taking suitable example, illustrate the use of simple bar diagram, percentage sub-divided bars and angular diagrams.

3. सांख्यिकी में चित्रों की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए। एक उत्तम चित्र की रचना में किन-किन सावधानियों को रखना पड़ता है?

Show clearly the necessity and importance of diagrams in statistics. What precautions should be taken in drawing a good diagram?

4. चित्रों द्वारा समंकों के प्रदर्शन के लाभ बताइये। एक सरल दण्ड-चित्र, आयत चित्र एवं वृत्त चित्र का उदाहरण दीजिए।

State the advantages of a diagrammatic representation of statistical data. Give examples of a simple Bar Diagram, a rectangle diagram and a Pie-diagram.

5 . निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए

Write short notes on the following:

(i) दण्ड एवं वृत्त चित्र (Bars and Pie Diagrams)

(ii) द्विदिशा दण्ड चित्र (Duo-Directional Bar Diagrams)

(iii) चित्र लेख एवं मानचित्र (Pictograms and Cartograms)

(iv) अन्तर्विभक्त दण्ड एवं वृत्तचित्र (Sub-divided Bars and Circles)

(v) द्वि-विमीय चित्र (Two-dimensional diagram)

(vi) बहुदण्डीय चित्र (Multiple Bar Diagram)

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  • Graduates must be in full academic dress at the presentation of certificates .

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Definitions and meaning of presentation in english, presentation noun.

  • demonstration , presentment
  • "he gave the customer a demonstration"
  • "the presentation of new data"
  • "she gave the trophy but he made the presentation"
  • "Cesarean sections are sometimes the result of abnormal presentations"
  • "he prepared his presentation carefully in advance"
  • intro , introduction

Synonyms of presentation

presentation of data meaning in hindi

A presentation conveys information from a speaker to an audience. Presentations are typically demonstrations, introduction, lecture, or speech meant to inform, persuade, inspire, motivate, build goodwill, or present a new idea/product. Presentations usually require preparation, organization, event planning, writing, use of visual aids, dealing with stress, and answering questions. “The key elements of a presentation consists of presenter, audience, message, reaction and method to deliver speech for organizational success in an effective manner.” Presentations are widely used in tertiary work settings such as accountants giving a detailed report of a company's financials or an entrepreneur pitching their venture idea to investors. The term can also be used for a formal or ritualized introduction or offering, as with the presentation of a debutante. Presentations in certain formats are also known as keynote address. Interactive presentations, in which the audience is involved, are also represented more and more frequently. Instead of a monologue, this creates a dialogue between the speaker and the audience. The advantages of an interactive presentation is for example, that it attracts more attention from the audience and that the interaction creates a sense of community.

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What is presentation meaning in hindi.

The word or phrase presentation refers to a show or display; the act of presenting something to sight or view, or the activity of formally presenting something (as a prize or reward), or a visual representation of something, or (obstetrics) position of the fetus in the uterus relative to the birth canal, or the act of making something publicly available; presenting news or other information by broadcasting or printing it, or the act of presenting a proposal. See presentation meaning in Hindi , presentation definition, translation and meaning of presentation in Hindi. Find presentation similar words, presentation synonyms. Learn and practice the pronunciation of presentation. Find the answer of what is the meaning of presentation in Hindi. देखें presentation का हिन्दी मतलब, presentation का मीनिंग, presentation का हिन्दी अर्थ, presentation का हिन्दी अनुवाद।

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डेटा और इनफॉर्मेशन मे क्या अंतर है? (Data and Information in Hindi)

Difference Between Data and Information in Hindi: यदि आप कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट है तो, आपने डेटा (Data) और जानकारी (Information) जैसे शब्दों को जरूर सुना होगा. कंप्यूटर के क्षेत्र से जुड़ा कोई भी व्यक्ति इन दो शब्दों से भलीभांति परिचित रहता है. लेकिन कई बार कंप्यूटर यूजर इंफॉर्मेशन को डाटा और डाटा को इंफॉर्मेशन बोल देते हैं.

Data और Information दो ऐसे शब्द है, जिसे समझने के लिए हमें इनके डेफिनेशन को समझना होगा, तो चलिए इस पोस्ट में हम डाटा और इंफॉर्मेशन के बीच के अंतर (Difference Between Data And Information In Hindi) को विस्तार से समझते हैं.

Table of Contents

Data और Information मे मुख्य क्या अंतर है.

वर्तमान समय में कंप्यूटर का विकास किस तरीके से हो चुका है कि, जो कोई यूजर कीबोर्ड के माध्यम से कंप्यूटर में डाटा इनपुट करता है और आउटपुट के बदले यूजर को रिजल्ट मिलता है, अब सवाल आता है की Data और Information क्या है, नीचे दिए गए टेबल मे समझते हैं कि डाटा इनफार्मेशन से किस प्रकार अलग है.

डेटा (Data) और सूचना (Information) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

यदि आपने ऊपर के टेबल में दिए गए डाटा और इंफॉर्मेशन के अंतर को पढ़ा होगा तो आप बहुत ही आसानी से समझ गए होंगे कि डाटा और इंफॉर्मेशन में क्या अंतर है. चलिए अब हम डाटा और इंफॉर्मेशन को थोड़ी विस्तार से जानते और समझते हैं.

जिस प्रकार लोहे की खान से लोहे का अयस्क निकाला जाता है, और उस लोहे के अयस्क को रिफाइंड करके लोहे का रूप दिया जाता है ठीक उसी प्रकार कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले डेट और इंफॉर्मेशन एक दूसरे के पूरक हैं.

यदि हम आसान भाषा में समझे तो, डाटा एक अयस्क है, जिसे रिफाइन करने के बाद हमें लोहा यानी इंफॉर्मेशन प्राप्त होता है. इस संदर्भ में हम यह समझ सकते हैं कि, लोहा बनाने के लिए अयस्क जरूरी है लेकिन, अयस्क का अपना एक अलग ही रूप है.

Difference Between Data and Information in Hindi

जिस प्रकार अयस्क लोहे का raw material है, ठीक उसी प्रकार डाटा भी इंफॉर्मेशन का raw material है, बेटा हमेशा और अन ऑर्गेनाइज्ड होता है, लेकिन एक इंफॉर्मेशन प्रोसेस के माध्यम से निकाली जाती है इसलिए वह ऑर्गेनाइज होती है.

जिस प्रकार एक लौह अयस्क में कई सारे धातु, मिश्र धातु, मिट्टी जैसे अवांछित तत्व होते हैं उसी प्रकार डाटा में भी कई प्रकार के ऐसे डाटा होते हैं जो बिल्कुल बेकार होते हैं, और उसे डाटा को उपयोगी बनाकर इंफॉर्मेशन मे बदल दिया जाता है.

Data और Information मे अंतर – निष्कर्ष

डाटा और इंफॉर्मेशन का उपयोग ना सिर्फ कंप्यूटर क्षेत्र में बल्कि कई प्रकार के व्यवसाय, स्टॉक मार्केट, बाजार को प्रभावित करने वाले कारक, जनसंख्या की गणना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए किया जाता है. हालांकि कंप्यूटर का आविष्कार होने से पहले भी डाटा और इंफॉर्मेशन मनुष्य के लिए काफी उपयोगी होता था.

कंप्यूटर के आविष्कार के बाद प्रोग्राम इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी जैसे कई क्षेत्रों में इसका उपयोग किया जाने लगा, ऊपर की पोस्ट को पढ़कर आपने “Data और Information ” के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की, हमें उम्मीद है कि “डेटा (Data) और जानकारी (Information) के बीच के अंतर” से जुड़ा यह पोस्ट आपके लिए हेल्पफुल और इनफॉर्मेटिव साबित हुआ होगा

इस पोस्ट से जुड़े कोई भी सलाह सुझाव या डाउट हो तो हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके उसे बताएं, आप कंप्यूटर, टेक्नोलॉजी, मोबाइल और गैजेट से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें

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About the author.

प्रिय पाठकों, मैं Ady, Unhindi.com का तकनीकी लेखक एवं सह-संस्थापक हूँ. मै एक Blogger, के साथ-साथ ग्राफिक्स डिजाइनर और डिजिटल मार्केटर भी हूँ. और मैं Internet पर Deep Research करके Computer, Technology, Internet, Make money से जुड़ी नईं-नईं जानकारी लोगो तक blogging के माध्यम से पहुँचाता हूँ. इसलिए इस ब्लॉग को पढ़ने और इस ब्लॉग से जुड़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

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Comments (3).

thanks to share such a informative post

valuable post about data and information

data aur information ke baare me informative post lagi

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Presentation of statistical data मीनिंग : Meaning of Presentation of statistical data in Hindi - Definition and Translation

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PRESENTATION OF STATISTICAL DATA MEANING IN HINDI - EXACT MATCHES

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Presentation meaning in hindi, other related words, definition of presentation.

  • the activity of formally presenting something (as a prize or reward); "she gave the trophy but he made the presentation"
  • the act of making something publicly available; presenting news or other information by broadcasting or printing it; "he prepared his presentation carefully in advance"
  • a show or display; the act of presenting something to sight or view; "the presentation of new data"; "he gave the customer a demonstration"

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Opposite words (antonyms) of presentation:, hinkhoj english hindi dictionary: presentation.

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  16. PRESENTATION MEANING IN HINDI

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  18. Data meaning in Hindi

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    Dr Malvika Kandpal. Graphical Representation of data helps to show distribution in easy manner. (Hindi) Research Methods- UGC. 30 lessons • 6h 25m. 1. Graphic Presentation Of Data (in Hindi) 8:02mins. 2. Today's Topic Is Ogive And Pie Diagram (in Hindi)

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  22. Diagramatic Presentation of data (in Hindi)

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  23. Presentation- Meaning in Hindi

    the act of making something publicly available; presenting news or other information by broadcasting or printing it; "he prepared his presentation carefully in advance". a show or display; the act of presenting something to sight or view; "the presentation of new data"; "he gave the customer a demonstration". Prev Next.