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जीएसटी पर निबंध (GST Essay in Hindi)

कर एक ऐसा साधन है जो किसी भी देश के सरकार एवं कानून को मूर्त रूप प्रदान करता है क्योंकि कराधान ही सरकार के आय का मुख्य स्रोत है। सभी देश अपने-अपने कानूनों के अनुसार नागरिकों से कर की वसूली करते हैं और उसका उपयोग राष्ट्र की उन्नति में करते हैं। कर सामान्यतः दो प्रकार का होता है- प्रत्यक्ष कर व अप्रत्यक्ष कर। जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) एक अप्रत्यक्ष कर है, जो किसी वस्तु को खरीदने पर या किसी सेवा का लाभ उठाने पर चुकाना पड़ता है। भारत में जीएसटी को लागू हुए लगभग 4 वर्ष से भी ज्यादा समय हो गया है फिर भी लोगों को इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है।

जीएसटी पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essay on GST in Hindi, GST par Nibandh Hindi mein)

आप सभी की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हम यहां जीएसटी पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं, हमें आशा है कि ये निबंध आपको पसंद आयेगा और जीएसटी पर आपकी समझ को विकसित करेगा।

जीएसटी पर छोटा निबंध – 400 शब्द

प्रस्तावना (जीएसटी का अर्थ)

जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) एक समन्वित कर प्रणाली है अर्थात भारत में पहले से लगे हुए बहुत से करों को हटाकर उनके जगह पर सिर्फ एक कर, जीएसटी लगाया गया है। भारत में जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था, तब से लेकर अब तक इसमें बहुत से परिवर्तन किए जा चुके हैं।

जीएसटी की आवश्यकता

भारतीय संविधान ने उत्पादन एवं सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केन्द्र सरकार को तथा वस्तु की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य को दिया था, जिसके आधार पर सभी ने अपने-अपने हिसाब से कर बनाए थे। इस प्रणाली में एक वस्तु पर कई प्रकार के कर लद जाते थे, कभी-कभी तो कर के ऊपर कर वाली स्थिति भी बन जाती थी। इन समस्याओं से निपटने के लिए जीएसटी को लागू किया गया है। 

जीएसटी के लाभ

जीएसटी से लगभग सभी क्षेत्र के लोगों को लाभ हुआ है जिनमें से कुछ निम्नवत हैं-

सामान्य लोगों को लाभ

  • एक वस्तु पर लगने वाले अनेक करों से छुटकारा मिल गया।
  • प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाले वस्तुओं के कर दर में कमी ।
  • सरकार की आमदनी में वृद्धि से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि सेवाओं में सुधार के आसार, इत्यादि

व्यवसायियों को लाभ

  • हर राज्य के अलग-अलग करों एवं चुंगियों से छुटकारा।
  • कारोबार एवं मुनाफे में वृद्धि।
  • केन्द्र एवं राज्य सरकारें मिलकर लघु उद्योगों एवं उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए कारोबार में रियायत दे रही हैं। इत्यादि

जीएसटी की प्रमुख विशेषताएं

पुराने कर सिस्टम में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए भारत सरकार ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी के रूप में एक नये कर प्रणाली को लागू किया जिसकी कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • इस कर प्रणाली में उत्पादन के जगह उपभोग पर कर लगता है।
  • इसमें कर के ऊपर कर नहीं चढ़ता है।
  • पूरी तरह से ऑनलाइन सिस्टम होने के कारण इसमें धांधली की आशंका कम हो जाती है।
  • राज्य सरकारें मनमानी कर नहीं लगा सकती हैं। इत्यादि

जीएसटी से हानियां

किसी भी प्रणाली के फायदे के साथ-साथ कुछ नुकसान भी होते हैं। जीएसटी के भी अपने कुछ नुकसान है, जो निम्नलिखित हैं-

  • व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए जीएसटी सॉफ्टवेयर खरीदना
  • जीएसटी के कारण निम्न वस्तुओं के दामों में वृद्धि हुई है:-
  • स्कूल की फीस।
  • कूरियर सेवाएं।
  • मोबाइल बिल में।
  • निवेश और बैंकिंग प्रबंधन सेवाएं।
  • मकानों का किराया।
  • तंबाकू और सिगरेट उत्पाद
  • स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं।
  • रेल या मेट्रो से यात्रा करना, इत्यादि

जीएसटी के फायदे के साथ-साथ अपने कुछ नुकसान भी है लेकिन अगर इसके नुकसानों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो पता चला है कि जीएसटी का प्रारूप इस प्रकार से तैयार किया गया है कि यह व्यवसायियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करता है। यह केन्द्र एवं राज्य सरकारों के कई अप्रत्यक्ष करों जैसे- मूल्य वर्धित कर, केन्द्रीय मूल्य वर्धित कर, उत्पाद कर, सीमा शुल्क, राज्य उत्पादन शुल्क इत्यादि का स्थान लेता है।

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जीएसटी और भारत की अर्थव्यवस्था व विकास पर इसका प्रभाव पर बड़ा निबंध – 1000 शब्द

प्रस्तावना (जीएसटी की परिभाषा)

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यापक, गंतव्य आधारित, बहु-स्तरीय कर है। जो अप्रत्यक्ष रूप से वस्तु एवं सेवाओं के उपयोग पर लगाया जाता है। माल एवं सेवा कर अधिनियम को 29 मार्च 2017 को भारतीय संसद में पारित किया गया तथा 1 जुलाई 2017 को इसे भारत में लागू कर दिया गया था। यह एक एकीकृत कर प्रणाली है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लिया है।

जीएसटी के प्रकार

वैसे तो जीएसटी एक एकीकृत कर प्रणाली है, परन्तु भारत में इसे 4 अलग-अलग नामों से जाना जाता है-

  • केंद्रीय माल और सेवा कर

जब कोई कारोबार एक ही राज्य के दो या अधिक कारोबारियों के बीच होता है, तो कर के रूप में उनके द्वारा केंद्र को दी गई धनराशि CGST कहलाती है।

  • राज्य वस्तु एवं सेवा कर

जब कोई कारोबार एक ही राज्य के दो या अधिक कारोबारियों के बीच होता है , तो उनके द्वारा राज्य सरकार को दिया जाने वाला कर, SGST कहलाता है।

  • केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर

जब कोई कारोबार किसी केन्द्र शासित राज्य के दो व्यापारियों के बीच होता है, तो व्यापारियों द्वारा केन्द्र शासित राज्य को दिया गया कर, UTGST/ UGST कहलाता है।

  • एकीकृत माल और सेवा कर

अगर कोई व्यापार दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच किया जाता है, तो उससे मिलने वाले कर पर केन्द्र एवं राज्य दोनों का अधिकार होता है, इस प्रकार के कर को, जीएसटी कहते हैं।

जीएसटी की दरें

अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं के लिए जीएसटी की दरें अलग-अलग निर्धारित की गई है-

  • 00% जीएसटी दर- जीवन के लिए मौलिक सेवाओं एवं वस्तुओं पर, जैसे- अनाज, सब्जियां, नमक, गुड़ आदि
  • 05% जीएसटी दर- जीवन के लिए आवश्यक सेवाओं एवं वस्तुओं पर , जैसे – काफी, तेल, मसाला, चाय, चीनी आदि
  • 12% जीएसटी दर- प्रतिदिन इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे- छाता, दंत मंजन, नमकीन, दवाइयां आदि
  • 18% जीएसटी दर- मध्य स्तरीय जीवन शैली में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे- शैंपू, डिटरजेंट, आइसक्रीम, रेफ्रिजरेटर आदि
  • 28% जीएसटी दर- विलासितापूर्ण जीवन शैली में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे- ऑटोमोबाइल, पान मशाला इत्यादि

जीएसटी रिटर्न के प्रकार

जीएसटी रिटर्न निम्नलिखित प्रकार का होता है-

  • माल और सेवा कर रिटर्न 1

इसमें व्यापारियों को पूरे महीने की बिक्री का ब्यौरा, अगले माह की 11 तारीख से पहले तक दाखिल करना होता है। जिन कारोबारियों की सालाना बिक्री 1.5 करोड़ से कम होती है उन्हे यह रिटर्न हर तिमाही दाखिल करना पड़ता है।

  • माल और सेवा कर रिटर्न 2

यह रिटर्न खुद की खरीदारी का ब्यौरा देने के लिए बनाया गया था परन्तु फिलहाल में इसे स्थगित रखा गया है।

  • माल और सेवा कर रिटर्न 3

इस रिटर्न को फाइल करते समय इसमें समस्त बिक्री एवं खरीदों के साथ-साथ चुकाए गए करों का भी विवरण देना होता था। वर्तमान में इसे भी वर्तमान में स्थगित कर दिया गया है।

  • माल और सेवा कर रिटर्न 4

प्रारम्भ में GSRT-3 को लागू करने में कुछ समस्या थी, तो भारत सरकार ने उसके विकल्प में GSTR-3B जारी किया है। इसमें पूरे महीने का क्रय, विक्रय तथा चुकाए गए कर का विवरण संक्षिप्त में देना होता है।

जीएसटी की अनिवार्यता

जीएसटी की अनिवार्यता की सीमा वस्तु तथा सेवा के लिए भिन्न – भिन्न हैं-

सेवाओं से संबंधित ऐसे व्यवसाय जिनका सालाना टर्नओवर 20 लाख से अधिक होता है उनका जीएसटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है तथा वहीं वस्तु से संबंधित व्यवसायों के लिए यह सीमा 40 लाख से अधिक है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में यह सीमा 20 लाख रुपये है।

जीएसटी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अनुकूल प्रभाव-

  • उपभोग पर कर लगने के कारण, उत्पादकों पर कर का बोझ कम हुआ जिससे वो ज्यादा उत्पादन को प्रेरित हुए।
  • सिस्टम की पारदर्शिता ग्राहकों को जागरूक करती हैं।
  • जीएसटी ने सरकार के राजस्व क्षेत्र को बढ़ा दिया हैं।

प्रतिकूल प्रभाव-

1 जुलाई 2017 से पहले बाजार में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, परन्तु 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होते ही कारोबार जगत में मानो चुनौतियों की लहर सी आ गई। शुरुआती दौर में इसकी कमियों पर बहुत काम किया गया मगर ऐसा जान पड़ता है की अभी भी यह अपने उद्देश्य को पाने में असफल है।

एक रिपोर्ट यह बताता है कि जीएसटी लागू होने से पहले, अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में वृद्धि दर 21.33% था परन्तु 2017-18 में यह 5.80% हो गया।

जीएसटी और भारत का विकास

जीएसटी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों को प्रभावित किया है-

  • जीएसटी ने भारत के कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेकर कर संग्रह संरचना को बदल कर एकीकृत कर प्रणाली में ढाल दिया।
  • निर्यात में अधिक प्रतिस्पर्धा आ जाएगी।
  • जीएसटी ने कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, सकल घरेलू उत्पाद में इसका लगभग 16 प्रतिशत तक योगदान है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी को जीएसटी ने कई नये अवसर प्रदान किए। जैसे- करों के दोगुना कर प्रभाव को हटाना, व्यापार पुनर्गठन, जीएसटी के लिए सॉफ्टवेयर बनाने में अवसर इत्यादि।
  • जीएसटी ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को भी प्रभावित किया।
  • होटलों एवं पर्यटनों से प्राप्त आय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा होता है, यह GDP को बढ़ाने में मदद करता है। जीएसटी ने उनको भी प्रभावित किया है।
  • जीएसटी द्वारा मनोरंजन उद्योग भी प्रभावित हुए है।
  • जीएसटी के कारण निर्यात एवं आयात दोनों प्रभावित हुए है। इत्यादि

जीएसटी भारत के अप्रत्यक्ष करों का रीढ़ है, इस अकेले में भारत के कई कर समाये हुए हैं। यह दोहरे कराधान एवं कर के ऊपर कर को रोकने के लिए लाया गया है। जीएसटी उपभोक्ताओं द्वारा चुकाया जाने वाला अप्रत्यक्ष कर है, जो उत्पादन पर न लग के उपभोग पर लगता है। प्रारम्भ में इसमें कुछ कमियां थी परन्तु सरकार के निरंतर प्रयास से इसकी अधिकतर कमियों को दूर किया जा चुका है, वर्तमान में इसका लाभ सभी क्षेत्र के लोग उठा रहे हैं।

जीएसटी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on GST in Hindi)

उत्तर- 1 जुलाई 2017 को (1 July 2017)।

उत्तर- असम राज्य में,12 अगस्त 2016 को ।

उत्तर- नई दिल्ली (New Delhi) में।

उत्तर- जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) ।

उत्तर- जीएसटी विश्व के लगभग 164 देशों में लागू है।

उत्तर – फ्रांस ने, 1954 में ।

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जी एस टी(GST) या वस्तु एवं सेवा कर : एक आसान व्याख्या | GST in Hindi

Updated on : Jan 12th, 2022

16 min read

वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो  1 जुलाई 2017 से लागू हो रही है | लेकिन जी एस टी क्या है और यह वर्तमान टैक्स संरचना को कैसे सुधार देगा? इससे भी महत्वपूर्ण सवाल यह है कि भारत को एक नए टैक्स सिस्टम की आवश्यकता क्यों है? हम इन सवालों के जवाब इस विस्तृत लेख में करेंगे |

जी एस टी (GST) गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है। भारत में जीएसटी लागू करने का इरादा व्यापार के लिए अनुपालन को आसान बनाना था। इस लेख में जी एस टी (GST),  उसकी प्रमुख अवधारणाओं और जहां यह वर्तमान में है, उसका पूरा अवलोकन दिया गया है।

जी एस टी क्या है?

वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्य में जोड़ पर लगाया जाएगा। इसे समझने के लिए, हमें इस परिभाषा के तहत शब्दों को समझना होगा। आइए हम ‘बहु-स्तरीय’ शब्द के साथ शुरू करें | कोई भी वस्तु निर्माण से लेकर अंतिम उपभोग तक कई चरणों के माध्यम से गुजरता है | पहला चरण है कच्चे माल की खरीदना | दूसरा चरण उत्पादन या निर्माण होता है | फिर, सामग्रियों के भंडारण या वेर्हाउस में डालने की व्यवस्था है | इसके बाद, उत्पाद रीटैलर या फुटकर विक्रेता के पास आता है | और अंतिम चरण में, रिटेलर आपको या अंतिम उपभोक्ता को अंतिम माल बेचता है | यदि हम विभिन्न चरणों का एक सचित्र विवरण देखें, तो ऐसा दिखेगा:

gst

इन चरणों में जी एस टी लगाया जाएगा, और यह एक बहु-स्तरीय टैक्स होगा। कैसे? हम शीघ्र ही देखेंगे, लेकिन इससे पहले, आइए हम ‘वैल्यू ऐडिशन‘ के बारे में बात करें। मान लें कि निर्माता एक शर्ट बनाना चाहता है | इसके लिए उसे धागा खरीदना होगा। यह धागा निर्माण के बाद एक शर्ट बन जाएगा | तो इसका मतलब है, जब यह एक शर्ट में बुना जाता है, धागे का मूल्य बढ़ जाता है। फिर, निर्माता इसे वेयरहाउसिंग एजेंट को बेचता है जो प्रत्येक शर्ट में लेबल और टैग जोड़ता है | यह मूल्य का एक और संवर्धन हो जाता है | इसके बाद वेयरहाउस उसे रिटेलर को बेचता है जो प्रत्येक शर्ट को अलग से पैकेज करता है और शर्ट के विपणन में निवेश करता है। इस प्रकार निवेश करने से प्रत्येक शर्ट के मूल्य में बढ़ौती होती है |

gst

इस तरह से प्रत्येक चरण में मौद्रिक मूल्य जोड़ दिया जाता है जो मूल रूप से मूल्य संवर्धन होता है। इस मूल्य संवर्धन पर जी एस टी लगाया जाएगा | परिभाषा में एक और शब्द है जिसके बारे में हमें बात करने की आवश्यकता है – गंतव्य-आधारित। पूरे विनिर्माण श्रृंखला के दौरान होने वाले सभी लेनदेन पर जी एस टी लगाया जाएगा। इससे पहले, जब एक उत्पाद का निर्माण किया जाता था, तो केंद्र ने विनिर्माण पर उत्पाद शुल्क या एक्साइस ड्यूटी लगाता था | अगले चरण में, जब आइटम बेचा जाता है तो राज्य वैट जोड़ता है। फिर बिक्री के अगले स्तर पर एक वैट होगा। तो, पहले टैक्स लेवी का स्वरूप इस तरह था:

gst

अब, बिक्री के हर स्तर पर जीएसटी लगाया जाएगा। मान लें कि पूरे निर्माण प्रक्रिया राजस्थान में हो रही है और कर्नाटक में अंतिम बिक्री हो रही है। चूंकि जी एस टी खपत के समय लगाया जाता है, इसलिए राजस्थान राज्य को उत्पादन और वेयरहाउसिंग के चरणों में राजस्व मिलेगा | लेकिन जब उत्पाद राजस्थान से बाहर हो जाता है और कर्नाटक में अंतिम उपभोक्ता तक पहुंच जाता है तो राजस्थान को राजस्व नहीं मिलेगा | इसका मतलब यह है कि कर्नाटक अंतिम बिक्री पर राजस्व अर्जित करेगा, क्योंकि यह गंतव्य-आधारित कर है | इसका मतलब यह है कि कर्नाटक अंतिम बिक्री पर राजस्व अर्जित करेगा, क्योंकि यह गंतव्य-आधारित कर है और यह राजस्व बिक्री के अंतिम गंतव्य पर एकत्र किया जाएगा जो कि कर्नाटक है।

वस्तु एवं सेवा कर इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

अब हम जी एस टी समझ गए हैं तो हम देखते हैं कि यह वर्तमान टैक्स संरचना को और अर्थव्यवस्था को बदलने में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका क्यों निभाएगा। वर्तमान में, भारतीय कर संरचना दो करों में विभाजित है – प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर | प्रत्यक्ष कर या डायरेक्ट टैक्स वह हैं जिसमें देनदारी किसी और को नहीं दी जा सकती। इसका एक उदाहरण आयकर है, जहां आप आय अर्जित करते हैं और केवल आप उस पर कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। अप्रत्यक्ष करों के मामले में, टैक्स का भार किसी अन्य व्यक्ति को दिया जा सकता है।  भूतपूर्व कर प्रणाली को ध्यान में रखते हुए, इसका मतलब यह है कि जब दुकानदार अपनी बिक्री पर वैट देता है तो वह अपने ग्राहक पर कर का भार ट्रान्सफर सकता है |उसके अनुसार, भूतपूर्व कर प्रणाली के तहत, ग्राहक आइटम की कीमत और वैट का भुगतान किया करते थे ताकि दुकानदार वैट को एकत्र कर सरकार को भुगतान कर सके। मतलब ग्राहक न केवल उत्पाद की कीमत का भुगतान करता है, बल्कि उसे कर भी देना पड़ता है, और इसलिए, जब वह किसी आइटम को खरीदता है तो उसे अधिक कीमत देनी पड़ती है। यह इसलिए होता है क्योंकि दुकानदार ने जब वह आइटम थोक व्यापारी से खरीदा था तब उसे कर का भुगतान करना पड़ा था। वह राशि वसूल करने के लिए और साथ ही सरकार को भुगतान किए गए वैट की भरपाई के लिए, वह अपने ग्राहक को टैक्स का भार दे देता है जिसकी वजह से ग्राहक को अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ता है।लेन-देन के दौरान दुकानदार अपनी जेब से जो भी भुगतान करता है, उसके लिए रिफंड का दावा करने का कोई दूसरा तरीका नहीं है और इसलिए, उसके पास ग्राहक को टैक्स का भार देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

जी एस टी कैसे काम करेगी?

सख्त निर्देशों और प्रावधानों के बिना एक देशव्यापी कर सुधार काम नहीं कर सकता है। जी एस टी कौंसिल ने इस नए कर व्यवस्था को तीन श्रेणियों में विभाजित करके, इसे लागू करने का एक नियम तैयार किया है। 

जी एस टी में 3 प्रकार के टैक्स हैं :

  सीजीएसटी: जहां केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा 

एसजीएसटी : राज्य में बिक्री के लिए राज्य सरकारों द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा  आईजीएसटी : जहां अंतरराज्यीय बिक्री के लिए केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा ज्यादातर मामलों में, नए शासन के तहत कर संरचना निम्नानुसार होगी:

उदाहरण महाराष्ट्र में एक व्यापारी ने 10,000 रुपये में उस राज्य में उपभोक्ता को माल बेच दिया। जीएसटी की दर 18% है जिसमें सीजीएसटी 9% की दर और 9% एसजीएसटी दर शामिल है।ऐसे मामलों में डीलर 1800 रूपए जमा करता है और इस राशि में 900 रुपए केंद्र सरकार के पास जाएंगे और 900 रुपए महाराष्ट्र सरकार के पास जाएंगे। इसलिए अब डीलर को आईजीएसटी के रूप में 1800 रूपये चार्ज करना होगा। अब सीजीएसटी और एसजीएसटी को भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।

भारत और आम आदमी की मदद जी एस टी कैसे करेगा?

जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट मूल्य संयोजन श्रृंखला के एक सहज प्रवाह पर आधारित है।विनिर्माण प्रक्रिया के हर चरण में, व्यवसायों को पिछले लेनदेन में पहले से ही चुकाए गए टैक्स का दावा करने का विकल्प होगा। इस प्रक्रिया को समझना व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है | यहां विस्तृत विवरण दिया गया है।

इसे समझने के लिए, पहले समझ लें कि इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है।यह वह क्रेडिट है जो निर्माता को उत्पाद के निर्माण में इस्तेमाल किए गए इनपुट पर दिया गया कर के लिए प्राप्त होता है।इसके बाद शेष राशि सरकार को जमा करनी होगी | हम इसे एक काल्पनिक संख्यात्मक उदाहरण के साथ समझते हैं। एक शर्ट निर्माता कच्चे माल खरीदने के लिए 100 रुपये का भुगतान करता है। यदि करों की दर 10% पर निर्धारित है, और इसमें कोई लाभ या नुकसान नहीं है, तो उसे कर के रूप में 10 रूपये का भुगतान करना होगा। तो, शर्ट की अंतिम लागत अब (100 + 10 =) 100 रुपये हो जाती है | अगले चरण में, थोक व्यापारी 110 रुपये में निर्माता से शर्ट खरीदता है, और उस पर लेबल जोड़ता है। जब वह लेबल जोड़ रहा है, वह मूल्य जोड़ रहा है। इसलिए, उसकी लागत 40 रुपए (अनुमानित) से बढ़ जाती है | इसके ऊपर, उसे 10% कर का भुगतान करना पड़ता है, और अंतिम लागत इसलिए हो जाती है (110 + 40 =) 150 + 10% कर = 165 रूपये | 

अब, फुटकर विक्रेता या रिटेलर थोक व्यापारी से शर्ट खरीदने के लिए 165 रुपये का भुगतान करता है क्योंकि कर दायित्व उसके पास आया था। उसे शर्ट पैकेज करना पड़ता है, और जब वह ऐसा करता है, तो वह फिर से मूल्य जोड़ रहा है। इस बार, मान लें कि उनका मूल्य अतिरिक्त 30 रूपये है। अब जब वह शर्ट बेचता है, तो वह इस मूल्य को अंतिम लागत (और वैट जिसे वह सरकार को देना होगा) में जोड़ता है | इसके साथ ही उसे सरकार को देय वैट जोड़ना होगा | तो, शर्ट की लागत 214.5 रुपए हो जाती है | इस का एक ब्रेक अप देखते हैं: लागत = रु 165 + मान जोड़ = रु 30 + 10% कर = रु 195 + 19.5 =  214.5 रुपये इसलिए, ग्राहक एक शर्ट के लिए 214.5 रुपये का भुगतान करता है, जिसकी कीमत मूल रूप से केवल 170 रुपये (110 + 40 + 30 रुपये) थी। 

ऐसा होने के लिए, कर दायित्व हर बिक्री पर पारित किया गया था और अंतिम दायित्व ग्राहक के पास आ गया। इसे करों का व्यापक प्रभाव कहा जाता है जहां टैक्स के ऊपर टैक्स का भुगतान किया जाता है और आइटम का मूल्य हर बार बढ़ता रहता है।

जीएसटी के तहत, इनपुट टैक्स क्रेडिट भुगतान किए गए कर के लिए क्रेडिट का दावा करने का एक तरीका है। इसमें, जिस व्यक्ति ने कर चुकाया है, वह व्यक्ति अपने करों को जमा करते समय,  भुगतान किये हुए कर के क्रेडिट का दावा कर सकता है। हमारे उदाहरण में, जब थोक व्यापारी उत्पादक से खरीदता है, तो वह अपनी लागत क़ीमत पर 10% कर देता है क्योंकि उसके पास एक देय राशि है | फिर उन्होंने 100 रुपये की लागत मूल्य में 40 रुपये का मूल्य जोड़ा और इससे उनकी आइटम क़ी क़ीमत  140 रुपये हो गई। अब उसे इस कीमत का 10% सरकार को  कर के रूप में देना होगा। लेकिन उन्होंने पहले ही निर्माता को एक कर का भुगतान किया है। इसलिए, इस बार वह क्या करता है, सरकार को टैक्स के रूप में (140% के 10% = 14) का भुगतान करने की बजाय वह पहले से भुगतान की गई राशि को घटा देता है | इसलिए उसकी 14 रुपए की नई  देय राशि से वह 10 रुपए कटौती करता है और सरकार को केवल 4 रुपए का भुगतान करता है | तो 10 रुपए उसका इनपुट क्रेडिट हो जाता है। जब वह सरकार को 4 रुपये का भुगतान करता है, तो वह रिटेलर को 14 रुपए का देय राशि ट्रांसफर करता है, ।अगले चरण में, रिटेलर ने अपने लागत मूल्य में 30 रुपये का मूल्य जोड़ा और सरकार को इस पर 10% कर का भुगतान किया। जब वह मूल्य जोड़ता है, तो उसकी कीमत 170 रुपये हो जाती है | अब, अगर उसे उस पर 10% कर देना पड़ता है, तो वह वह अपने ग्राहक को टैक्स का भार दे देता है। लेकिन रिटेलर के पास इनपुट क्रेडिट है क्योंकि उसने थोक व्यापारी को टैक्स के रूप में 14 रुपये में भुगतान किया है। इसलिए, अब वह अपनी कर देय राशि को  (170% = 170) = 17 रूपए से 14 रुपए तक  कम कर देता है और उसे सरकार को केवल 3 रुपए का भुगतान करना पड़ता है।और इसलिए, वह अब ग्राहक को यह शर्ट (140 + 30 + 17 =) 187 रुपये में बेच सकता है।

अंत में, हर बार जब कोई व्यक्ति इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में सक्षम होता है, तो उसके लिए बिक्री मूल्य कम हो जाता है | और उसके उत्पाद पर कम कर दायित्व के कारण  लागत मूल्य भी कम हो जाता है। शर्ट का अंतिम मूल्य भी 214.5 रुपये से 187 रुपये कम हो गया, इस प्रकार अंतिम ग्राहक पर कर का बोझ कम हो गया। इसलिए अनिवार्य रूप से, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स में दो तरह से लाभ होता है। पहला, यह करों के व्यापक प्रभाव को कम करेगा और दूसरा, इनपुट कर क्रेडिट की अनुमति के द्वारा, यह कर के बोझ को कम करेगा और, उम्मीद है, कीमतें भी कम हो जाएंगी |

क्या आपको जीएसटी पंजीकरण की आवश्यकता है?

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जीएसटी सभी व्यवसायों पर लागू होगा |   व्यवसायों में शामिल हैं – व्यापार, वाणिज्य, निर्माण, पेशे, व्यवसाय या किसी अन्य समान कार्यवाही, इसकी पसार या प्रायिकता के बावजूद। इसमें व्यवसाय शुरू करने या बंद करने के लिए माल / सेवाओं की आपूर्ति भी शामिल है। सेवाओं का मतलब वस्तु के अलावा कुछ भी है | यह संभावना है कि सेवाएं और सामान एक अलग जीएसटी दर होगी। 

जीएसटी सभी व्यक्तियों पर लागू होगा | व्यक्तियों में शामिल हैं – व्यक्तियों, एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) , कंपनी, फर्म, एलएलपी (सीमित दायित्व भागीदारी), एओपी, सहकारी सोसायटी, सोसाइटी, ट्रस्ट आदि। हालांकि, जीएसटी कृषक विशेषज्ञों पर लागू नहीं होगी। कृषि में फूलों की खेती, बागवानी, रेशम उत्पादन, फसलों, घास या बगीचे के उत्पादन शामिल हैं। लेकिन डेयरी फार्मिंग (दूध का व्यापार), मुर्गी पालन, स्टॉक प्रजनन (पशु-अभिजननक्षेत्र), फल या संगमरमर या पौधों के पालन में शामिल नहीं है। जीएसटी पंजीकरण की आवश्यकता कब होगी जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने के लिए पैन अनिवार्य है। हालांकि, अनिवासी व्यक्ति सरकार द्वारा अनिवार्य अन्य दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी पंजीकरण प्राप्त कर सकता है एक पंजीकरण प्रत्येक राज्य के लिए आवश्यक होगा। करदाता राज्य में अपने अलग-अलग बिजनेस वर्टिकल (व्यापार ऊर्ध्वाधर) के लिए अलग-अलग पंजीयन प्राप्त कर सकते हैं। 

निम्नलिखित मामलों में जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य है – कारोबार आधार वित्तीय वर्ष में आपके कारोबार की सीमा 20 लाख रुपए (कुछ मामलों में रु. 40 लाख) से अधिक होने पर जीएसटी एकत्र करना और भुगतान करना होगा। [कुछ विशेष श्रेणी राज्यों के लिए सीमा 10 लाख है] यह सीमा जीएसटी के भुगतान के लिए लागू होती है। “कुल कारोबार” का मतलब सभी कर योग्य आपूर्ति, मुक्ति की आपूर्ति, वस्तुओं के निर्यात और / या सेवाओं और एक समान पैन वाले व्यक्ति की अंतर-राज्य की आपूर्ति को सभी भारत के आधार पर गणना करने और करों को शामिल करने के लिए (यदि कोई हो) सीजीएसटी अधिनियम, एसजीएसटी अधिनियम और आईजीएसटी अधिनियम के तहत देय होगा। अन्य मामले [कारोबार के बावजूद जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य है]

  • माल / सेवाओं की अंतर-राज्य आपूर्ति करने वाले
  • कोई भी व्यक्ति जो एक कर योग्य क्षेत्र में माल / सेवाओं की आपूर्ति करता है और इसमें व्यवसाय का कोई निश्चित स्थान नहीं है – जिसे आकस्मिक कर योग्य व्यक्तियों के रूप में संदर्भित किया जाता है | ऐसे व्यक्ति को जारी किए गए पंजीकरण 90 दिनों की अवधि के लिए वैध है।
  • कोई भी व्यक्ति जो माल / सेवाओं की आपूर्ति करता है और भारत में व्यापार का कोई निश्चित स्थान नहीं है – जिसे अनिवासी कर योग्य व्यक्ति कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति को जारी किए गए पंजीकरण 90 दिनों की अवधि के लिए वैध है।
  • रिवर्स प्रभारी तंत्र के तहत कर का भुगतान करने वाले व्यक्ति को | रिवर्स चार्ज तंत्र का मतलब है कि जहां सामान / सेवाओं को प्राप्त करने वाले व्यक्ति को आपूर्तिकर्ता के बजाय कर का भुगतान करना पड़ता है।
  • एजेंट या किसी अन्य व्यक्ति जो अन्य पंजीकृत कर योग्य व्यक्तियों की ओर से आपूर्ति करता है
  • वितरक या इनपुट सेवा वितरक | इस व्यक्ति के पास आपूर्तिकर्ता के कार्यालय के रूप में एक ही पैन है। यह व्यक्ति आपूर्तिकर्ता के एक अधिकारी है, वह सीजीएसटी / एसजीएसटी / आईजीएसटी के ऋण को वितरित करने के लिए आपूर्ति और टैक्स चालान को प्राप्त करता है।
  • ई-कॉमर्स ऑपरेटर (इ-व्यवसाय)
  • ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से आपूर्ति करने वाले व्यक्ति (ब्रांडेड सेवाएं को छोड़कर)
  • एग्रीगेटर जो अपने ब्रांड नाम के तहत सेवाएं प्रदान करता है
  • भारत में एक व्यक्ति को भारत से बाहर एक जगह से ऑनलाइन सूचना और डेटाबेस पहुंच या पुनर्प्राप्ति सेवाओं की आपूर्ति करने वाले व्यक्ति (एक पंजीकृत कर योग्य व्यक्ति के अलावा)

जीएसटी के लिए पंजीकरण कैसे करें

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के लिए पंजीकरण एक काफी आसान प्रक्रिया है। नीचे इन्फोग्राफिक में जीएसटी के लिए पंजीकरण करने की प्रक्रिया की बारे में बताया गया है |

gst

जीएसटी पंजीकरण करने के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं:

  • करदाता का संविधान
  • व्यापार स्थान के सबूत
  • बैंक खाता विवरण
  • प्राधिकरण फार्म

जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं होने के लिए दंड

कोई भी अपराधी जो टैक्स का भुगतान नहीं कर रहा है या कम भुगतान करता है, उसे देय कर राशि का 10%  (जिसमें से 10000 न्यूनतम राशि है) जुर्माना देना होगा | जहां एक संकल्पित करवंचन देखा गया  वहां अपराधी को देय कर राशि का 100% जुर्माना देना होगा | हालांकि, अन्य वास्तविक त्रुटियों के लिए, जुर्माना कर का 10% है।

GST के तहत नए अनुपालन क्या हैं?

जीएसटी रिटर्न के ऑनलाइन फाइलिंग के अलावा, जीएसटी शासन ने इसके साथ कई नई प्रणालियों को पेश किया है।

ई-वे (e-Way) बिल

जीएसटी ने “ई-वे बिल” की शुरुआत के द्वारा एक तरह से केंद्रीकृत प्रणाली शुरू की।  इस प्रणाली को 1 अप्रैल 2018 को सामान की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए और 15 अप्रैल 2018 को सामान की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए शुरू किया गया था।

ई-वे बिल प्रणाली के तहत, निर्माता, व्यापारी और ट्रांसपोर्टर्स प्लेस ऑफ़ ओरिजिन से डेस्टिनेशन तक ले जाने वाले सामान के लिए ई-वे बिल जेनरेट कर सकते हैं जो कि एक आम पोर्टल पर आसानी से उपलब्ध हैं। कर अधिकारियों को भी इससे लाभ होता है क्योंकि इस प्रणाली से चेकपोस्ट पर कम समय लगता है और कर चोरी को कम करने में मदद मिलती है।

ई- इनवॉइसिंग (e-Invoicing)

ई-इनवॉइसिंग प्रणाली को 1 अक्टूबर 2020 से उन व्यवसायों के लिए लागू किया गया था, जिनका किसी भी पिछले वित्तीय वर्ष (2017-18 से) में 500 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कुल कारोबार है। इसके अलावा, 1 जनवरी 2021 से, इस प्रणाली को उन लोगों के लिए बढ़ा दिया गया, जिनका वार्षिक कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक है। वर्तमान में, इसे 1 अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक के वार्षिक कुल कारोबार वाले लोगों के लिए बढ़ाया गया है।

इन व्यवसायों को GSTN के चालान रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अपलोड करके प्रत्येक बिज़नेस-to-बिज़नेस चालान के लिए एक यूनिक इनवॉइस रिफरेन्स नंबर प्राप्त करनी चाहिए। पोर्टल चालान की सत्यता और वास्तविकता की पुष्टि करता है। इसके बाद, यह एक क्यू आर कोड के साथ डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करने को अधिकृत करता है।

ई-इनवॉइसिंग इनवॉइस की इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति देता है और डाटा एंट्री एरर्स को कम करने में मदद करता है। इसे आईआरपी से सीधे जीएसटी पोर्टल और ई-वे बिल पोर्टल पर चालान की जानकारी ट्रांसफर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसलिए, यह GSTR-1 दाखिल करते समय मैन्युअल डाटा एंट्री की आवश्यकता को समाप्त कर देगा और ई-वे बिल के निर्माण में भी मदद करेगा।

आगे पढ़ने और समझने के लिए, हमारे लेख देखें:

Gst.gov.in के बारे में जानें

जीएसटी कौंसिल

नियमों के लिए EWay बिल गाइड

GSTN पर लॉगिन करने के लिए गाइड

जी एस टी रजिस्ट्रेशन

भारत में बेस्ट जीएसटी सॉफ्टवेयर

जी एस टी रिटर्न

नया जी एस टी रिटर्न

ई-इनवॉइसिंग

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जीएसटी पर निबंध – Essay On GST In Hindi

Essay On GST In Hindi

Essay On GST In Hindi :   इस लेख में 3 अलग-अलग प्रकार के जीएसटी पर निबंध  लिखे गए हैं। यह निबंध हिंदी भाषा में लिखा गया है और शब्द गणना के अनुसार व्यवस्थित किया गया है। आप नीचे दिए गए पैराग्राफ में 100 शब्दों, 200 शब्दों, 400 शब्दों, 500 और 1000 शब्दों तक के निबंध प्राप्त कर सकते हैं।

हमने अपने जीएसटी पर निबंध   के बारे में बहुत सी बातें तैयार की हैं। यह कक्षा 1, 2,3,4,5,6,7,8,9 से 10वीं तक के बच्चों को जीएसटी पर निबंध  लिखने में मददगार होगा।

जीएसटी को समझना

GST अप्रत्यक्ष संघीय बिक्री कर है जो माल और सेवाओं की लागत पर लागू होता है। व्यवसाय उत्पाद की कीमत में जीएसटी जोड़ता है, और उत्पाद खरीदने वाला ग्राहक बिक्री मूल्य और जीएसटी का भुगतान करता है। GST का हिस्सा व्यवसाय या विक्रेता द्वारा एकत्र किया जाता है और सरकार को अग्रेषित किया जाता है। इसे कुछ देशों में मूल्य वर्धित कर के रूप में भी जाना जाता है।

जीएसटी सिस्टम कैसे काम करता है?

अधिकांश देशों में, GST में एकीकृत एकल GST प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि पूरे देश में एक ही कर दर लागू होती है। जीएसटी प्लेटफॉर्म में, सभी प्रकार के केंद्रीय कर यानी बिक्री कर, उत्पाद शुल्क कर और सेवा कर राज्य-स्तरीय करों के साथ एकीकृत हैं। ]

ये कर मनोरंजन कर, प्रवेश कर, स्थानांतरण कर, विलासिता कर आदि एक ही कर में हैं और सरकार द्वारा एकत्र किए जाते हैं। अधिकांश देश लगभग सभी चीजों पर एक ही दर से कर लगाते हैं।

दोहरी माल और सेवा कर संरचनाएं

कनाडा और ब्राजील जैसे गिने-चुने देशों में ही दोहरी जीएसटी संरचना है। एक एकीकृत जीएसटी अर्थव्यवस्था की तुलना में जहां संघीय सरकार द्वारा कर एकत्र किया जाता है और फिर राज्यों को वितरित किया जाता है। एक दोहरी प्रणाली में, बिक्री कर के अतिरिक्त संघीय जीएसटी लागू होता है।

उदाहरण के लिए, कनाडा में, संघीय सरकार 5% कर लगाती है, और कुछ प्रांत/राज्य प्रांतीय राज्य कर (PST) भी लगाते हैं, जो 7% से 10% तक भिन्न होता है। ऐसे में उपभोक्ता की रसीद पर स्पष्ट रूप से जीएसटी होगा

कौन से देश माल और सेवा कर एकत्र करते हैं?

GST को लागू करने वाला पहला देश 1954 में फ्रांस था, और तब से, अनुमानित 160 देशों ने इस कर प्रणाली को किसी न किसी रूप में अपनाया है। जीएसटी वाले कुछ देशों में कनाडा, वियतनाम, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, मोनाको, स्पेन, इटली, नाइजीरिया, ब्राजील , दक्षिण कोरिया और भारत शामिल हैं।

भारत द्वारा माल और सेवा कर को अपनाना

भारत में 2017 में दोहरी जीएसटी संरचनाएं स्थापित की गईं, जिसे दशकों में देश के कर ढांचे में सबसे बड़ा सुधार माना जाता है। जीएसटी को शामिल करने का मुख्य उद्देश्य कर या दोहरे कराधान पर कर को खत्म करना था, जो विनिर्माण स्तर से खपत स्तर तक फैला हुआ है।

1 जुलाई 2017 को जीएसटी लॉन्च करने के बाद से भारत ने निम्नलिखित कर दरों को लागू किया है। चार प्रकार की कर दरें हैं जो भारतीय 5%, 12%, 18% और 28% में लागू की गईं।

1)किताबों, अखबारों, खाद्यान्न, सूती कपड़े और होटल सेवाओं जैसी कुछ आवश्यक जरूरतों पर 0% कर की दर लागू की गई थी।

2)घरेलू जरूरतों जैसे चीनी, मसाले, चाय, कॉफी आदि पर 5% कर की दर लागू की गई थी।

3)इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, प्रसंस्कृत भोजन आदि पर 12% कर की दरें लागू की गईं।

4)बालों के तेल, टूथपेस्ट, साबुन, औद्योगिक बिचौलियों आदि पर 18% कर की दरें लागू की गईं।

5)अंतिम ब्रैकेट, 28% पर टैक्सिंग सामान, रेफ्रिजरेटर, सिगरेट, कार और मोटरसाइकिल सहित लक्जरी उत्पादों पर लागू होता है।

पिछली प्रणाली में, बिना जीएसटी का अर्थ है कि उत्पादन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में माल के मूल्य और मार्जिन पर कर का भुगतान किया जाता है। जो भुगतान की गई कुल फीस की अधिक राशि में अनुवाद करेगा, जो बदले में, वस्तुओं और सेवाओं के लिए उच्च लागत के रूप में अंतिम उपभोक्ता की ओर ले जाएगा? इस प्रकार भारत में जीएसटी प्रणाली का कार्यान्वयन दीर्घावधि में मुद्रास्फीति को कम करने का एक उपाय है, क्योंकि उत्पादों की कीमतें कम होंगी।

Essay On GST In Hindi

वे-बिल शिपिंग माल के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक परमिट है। 1 जून 2018 से माल के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए 10 किलोमीटर से अधिक दूरी तक माल ले जाने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है और इसकी सीमा रुपये है। 50,000/-।

यह नकदी के आधार पर किए जाने वाले कर चोरी और व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए एक कागज रहित तकनीक और चोरी-रोधी उपकरण है। लेन-देन के लिए आवश्यक प्रत्येक ई-वे बिल के लिए एक अद्वितीय संख्या उत्पन्न होती है, जो आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर द्वारा उत्पन्न की जाती है।

रिवर्स चार्ज तंत्र

जीएसटी में, एक रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म है जहां रिसीवर अपंजीकृत छोटी सामग्री की ओर से कर का भुगतान करता है

यह एक शीर्ष निकाय है जिसके पास भारत में माल और सेवा कर के किसी भी संदर्भ के आधार पर किसी भी कानून या विनियमन को संशोधित करने, मिलान करने या प्राप्त करने का अधिकार है। परिषद का नेतृत्व भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा किया जाता है, जिसे भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। भारत में वस्तुओं और सेवाओं के लिए करों के किसी भी दर परिवर्तन के संशोधन और अधिनियमन के लिए यह परिषद की जिम्मेदारी है।

माल और सेवा कर नेटवर्क

इंफोसिस टेक्नोलॉजीज और सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क द्वारा माल और सेवा नेटवर्क के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था जो एनआईसी द्वारा बनाए गए कंप्यूटिंग संसाधन प्रदान करता है।

यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो एक परिष्कृत नेटवर्क बनाकर बनाया गया है जो एकल स्रोत पोर्टल से जानकारी तक पहुँचने के लिए हितधारकों, सरकार और करदाताओं के लिए सुलभ है। पोर्टल प्रत्येक लेन-देन को ट्रैक करने के लिए कर अधिकारियों के लिए सुलभ है, जबकि करदाता अपने कर रिटर्न के लिए जुड़ सकते हैं।

जीएसटीएन की अधिकृत पूंजी रुपये है। दस करोड़ जिसमें शुरू में केंद्र सरकार के पास 24.5% शेयर थे जबकि राज्य सरकार के पास 24.5% शेयर थे। गैर-सरकारी वित्तीय संस्थानों में शेष 51%, एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक की 20%, आईसीआईसीआई बैंक की 10%, एनएसई रणनीतिक निवेश की 10% और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस की 11% हिस्सेदारी है।

हालाँकि, इसे बाद में केंद्र और राज्य सरकारों के लिए समान शेयरों वाली पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कंपनी बना दिया गया।

भारत में लागू जीएसटी की तकनीकीताओं की वैश्विक वित्तीय संस्थान और उद्योगों, मीडिया के वर्ग और भारत में विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा आलोचना की गई थी।

इसे विश्व बैंक द्वारा बहुत जटिल बताया गया था और अन्य देशों में प्रचलित GST प्रणाली की तुलना में विभिन्न खामियों को देखा गया था। भारतीय व्यवसायियों ने टैक्स रिफंड में देरी, बहुत अधिक दस्तावेज़ीकरण, और आवश्यक प्रशासनिक प्रयास जैसी समस्याओं के लिए इसकी और आलोचना की है।

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essay on gst in hindi

Essay on GST in Hindi – गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) निबंध

Essay on GST in Hindi: दोस्तो आज हमने वस्तु एवं सेवा कर पर निबंध or गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी)  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

500+ Words Essay on GST in Hindi

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी)  एक अप्रत्यक्ष कर को संदर्भित करता है। इस कर का कार्यान्वयन भारत में है। इस कर का संग्रह उपभोग की दृष्टि से होता है। यह पिछले करों की तरह मूल बिंदु से संग्रह के विपरीत है। इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया में यह कर लागू होता है। रिफंड उत्पादन के विभिन्न चरणों में सभी पक्षों के लिए है। इसके अलावा, जीएसटी में लगभग सभी अप्रत्यक्ष कर शामिल हैं।

जीएसटी की व्याख्या

सबसे पहले,  माल और सेवा कर (GST)  एक एकल कर प्रणाली है। इस कर का अधिरोपण केंद्र और राज्य द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। इसके अलावा, निरोध संघीय परिषद की सिफारिश के साथ होता है।

जीएसटी में, वस्तुओं और सेवाओं को पांच अलग-अलग टैक्स स्लैब में विभाजित किया गया है। यह कर संग्रह के उद्देश्य के लिए है। इन सबसे ऊपर, टैक्स स्लैब हैं – 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा, पेट्रोलियम उत्पाद, मादक पेय और बिजली जीएसटी के अंतर्गत नहीं आते हैं। किसी न किसी कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों में 0.25% की विशेष दर होती है। सोने में 3% की विशेष दर भी होती है।

जीएसटी ने निश्चित रूप से कई कर और शुल्क वसूल किए। इनमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क शामिल हैं। इसके अलावा,  राज्य-स्तरीय वैट  , अधिभार और ऑक्ट्रोई भी जीएसटी के अंतर्गत आते हैं। जीएसटी शासन ने लेवी के साथ दूर किया है। इसके अलावा, ये लेवी माल के अंतर-राज्य परिवहन पर लागू थे। सबसे उल्लेखनीय, जीएसटी का आवेदन सभी लेनदेन पर है। ये लेनदेन बिक्री, खरीद, हस्तांतरण, पट्टे और आयात हैं।

जीएसटी के फायदे

सबसे पहले, कैस्केडिंग कर प्रभाव टैक्स पर एक कर को संदर्भित करता है। सबसे उल्लेखनीय, जीएसटी टैक्स के व्यापक प्रभावों को समाप्त करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएसटी एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। यह निश्चित रूप से एक छाता के तहत लगभग सभी अप्रत्यक्ष कराधान लाता है।

जीएसटी का एक और उल्लेखनीय लाभ पंजीकरण के लिए सीमा में वृद्धि है। इससे पहले, टर्नओवर 5 लाख रुपये से अधिक होने पर  वैट  लागू किया गया था। वैट का यह आवेदन एक व्यवसाय पर था। इसके अलावा, टर्नओवर 10 लाख रुपये से कम होने पर सेवा कर नहीं था। इसके विपरीत, जीएसटी के तहत यह सीमा 20 लाख रुपये है। इसलिए, इसका अर्थ है कई छोटे व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं के लिए छूट।

जीएसटी के तहत छोटे व्यवसायों को निश्चित रूप से काफी लाभ हो सकता है। इसके अलावा, इन छोटे व्यवसायों का कारोबार 20 से 75 लाख रुपये है। इन छोटे व्यवसायों का लाभ कंपोजिशन स्कीम के कारण होता है। जीएसटी के तहत छोटे व्यवसायों के लिए करों को कम करने का विकल्प है। वे कंपोजिशन स्कीम का इस्तेमाल करके ऐसा कर सकते हैं।

जीएसटी की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन उपलब्ध है। सबसे उल्लेखनीय, यह एक आसान और सरल ऑनलाइन प्रक्रिया है। इसलिए, यह स्टार्ट-अप व्यवसायों के लिए वास्तव में फायदेमंद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें अलग-अलग पंजीकरण प्राप्त करने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता है। अंत में, जीएसटी भारत के लिए एक क्रांतिकारी कर प्रणाली रही है। सबसे उल्लेखनीय, कई विशेषज्ञ इसे सबसे बड़े कर सुधारों में से एक मानते हैं। जीएसटी निश्चित रूप से भारत की पूरी आबादी के लिए फायदेमंद है।

1000+ Words Essay on GST in Hindi

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स क्या है.

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी विधेयक पर विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को लागू करने की प्रचलित कराधान प्रणाली को समाप्त करने और एक नई प्रणाली को लागू करने के लिए संसद में लंबाई में चर्चा की गई थी, जिसमें से अधिकांश करों को एक छतरी के नीचे कवर किया जाएगा।

8 सितंबर, 2016 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस विधेयक को मंजूरी दी, जिससे यह एक अधिनियम बन गया।

जीएसटी अधिनियम की विशेषताओं और उद्देश्यों को समझने के लिए, पहले हमें पिछले कराधान प्रणाली पर एक त्वरित नज़र डालने की आवश्यकता है।

पहले हर चरण में कर वसूला जाता था। निर्माण पर उत्पाद शुल्क, बिक्री पर वैट / सीएसटी, स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर प्रवेश कर आदि।

ये कर मूल कीमत के साथ जमा होते हैं क्योंकि पहले से भुगतान किए गए कर के लिए इनपुट क्रेडिट उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं है। वस्तुओं या सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी पर कर के परिणाम पर कर के कर का प्रभाव पड़ता है।

ये कर भारत के संविधान में सूचियों के अनुसार केंद्र और राज्य द्वारा अलग-अलग लगाए गए थे।

अब GST की नई अवधारणा यह है कि GST एक एकल कर प्रणाली होगी जो वस्तुओं और सेवाओं की ‘आपूर्ति’ पर लगाया जाएगा और यह कर संयुक्त रूप से बनाए गए संघीय संस्थान की सिफारिश के साथ केंद्र और राज्य द्वारा लगाया जाएगा जो जीएसटी काउंसिल है।

GST: संख्याओं में व्याख्या की गई

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि कोई व्यक्ति शर्ट खरीदना चाहता है। अब शर्ट की कीमत निर्धारित करने के लिए, हमें पहले चरण यानी कच्चे माल की खरीद से शुरुआत करनी होगी।

गैर-जीएसटी प्रक्रिया:

कच्चे माल को रुपये के लिए खरीदा गया था। 100 (कर के रूप में 10 रुपये सहित)। रुपये का मूल्य। निर्माता द्वारा इसमें 50 जोड़ा जाता है।

यह गुड थोक विक्रेता को रु। में बेचा जाता है। 165 (10% कर सहित)। अब थोक व्यापारी अपना रु। 20 को यह और फुटकर विक्रेता को रु। में बेचता है। 203.5 (10% कर सहित)।

इसके बाद रिटेलर अपना रु। 20 और उपभोक्ता को यह रु। में बेचता है 245.85 (10% कर सहित)।

इसलिए अच्छी लागत रु। उपभोक्ता को 245.85 रु। 65.85 कर के रूप में भुगतान किया।

जीएसटी प्रक्रिया:

कच्चे माल को रुपये के लिए खरीदा गया था। 100 (कर के रूप में as 10 का समावेश)। रुपये का मूल्य। निर्माता द्वारा इसमें 50 जोड़ा जाता है।

यह गुड थोक विक्रेता को रु। में बेचा जाता है। 150 (150 पर 10% कर 15 है, लेकिन 10 रुपये की गणना पहले से ही कच्चे माल पर की जाती है, इसलिए इस पर प्रभावी कर सेट केवल RS 5 है। (रु। 15-10)

अब थोक व्यापारी अपने of 20 के मार्जिन को इसमें जोड़ते हैं और खुदरा विक्रेता को इसे रु। में बेचते हैं। 170 (रु। 170 पर 10% कर 17 है, लेकिन 15 पहले से ही अलग रखा गया है, इसलिए इस चरण में प्रभावी कर अलग से हमें रु। 2)।

इसके बाद रिटेलर अपना रु। 20 और उपभोक्ता को यह रु। में बेचता है 209 (सभी पहले के करों को मिलाकर। रु। 10 + रु। 5 + रु। 2 + रु। 2 {10% कर अलग से रिटेलर स्टेज पर)}।

इसलिए अच्छी लागत रु। उपभोक्ता को 209 रु। 19 को कर के रूप में भुगतान किया।

इस प्रकार, जीएसटी अवधारणा के माध्यम से, वस्तु अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि कोई कैस्केडिंग प्रभाव नहीं है।

जीएसटी के 5 कानून

जीएसटी में कुल 5 कानून शामिल हैं जो हैं; केंद्रीय जीएसटी कानून, राज्य जीएसटी कानून, केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी कानून, एकीकृत जीएसटी कानून और माल और सेवा (राज्य के लिए मुआवजा) कानून।

इसमें  केंद्रीय जीएसटी कानून  वस्तुओं और सेवाओं, उनके संग्रह और व्यवस्था पर सभी करों के एकीकरण से संबंधित है।

इसी प्रकार  राज्य जीएसटी कानून  राज्य स्तर पर (29 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश: दिल्ली और पुडुचेरी, जो अपनी विधानसभा है)। केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी सीजीएसटी के प्रावधानों को शामिल करता है और इसे शेष केंद्र शासित प्रदेशों और भारतीय क्षेत्रों पर लागू करता है जो क्षेत्रीय जल से परे हैं।

एकीकृत जीएसटी  2 राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के बीच आयात और लेनदेन से संबंधित है।

IGST के तहत उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद का केंद्र द्वारा या किसी भी राज्य (विवाद में पक्षकार के अलावा अन्य) द्वारा न्याय किया जाएगा।

अंतिम रूप से, द गुड्स एंड सर्विसेज (राज्य के लिए मुआवजा) कानून उन राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए क्षतिपूर्ति उपकर बनाए रखने से संबंधित है, जो जीएसटी के कार्यान्वयन के पहले पांच वर्षों के लिए नुकसान उठाते हैं।

जीएसटी एक प्रगतिशील कर है  अर्थात इसमें विभिन्न वस्तुओं के लिए अलग-अलग कर की दर होगी क्योंकि उदाहरण के लिए सभी उत्पाद पर एक समान कर की दर एक टूथब्रश और एक मर्सिडीज कार संभव नहीं है और अनुशंसित नहीं है क्योंकि संबंधित उपभोक्ता समूह विभिन्न उत्पादों के लिए अलग है।

जैसा कि 29 मार्च, 2017 को लोक सभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उल्लेख किया है, खाद्यान्न पर 0% कर लगाया जाएगा। 5%, 12%, 18% और 28% के अन्य कर कोष्ठक बनाए गए हैं।

इन कोष्ठकों का उपयोग इस तरह से किया जाएगा जैसे उदाहरण के लिए किसी उत्पाद पर 13% का कर था, इसलिए अब इसे 12% ब्रैकेट यानी निकटतम ब्रैकेट के तहत रखा जाएगा।

पाप उत्पाद  अर्थात वे उत्पाद जो तम्बाकू, सिगरेट जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, जो पहले 40% 50% 65% का कर हुआ करते थे, पर अब से 28% का कर लगेगा और अंतर अर्थात् 65% -28% होगा। क्षतिपूर्ति उपकर में जोड़ा जाएगा।

इसी तरह अतिरिक्त राशि (28% कर से ऊपर) जो लक्जरी वस्तुओं या वस्तुओं पर लगाया जाता है जो कोयले की तरह पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, उन्हें क्षतिपूर्ति उपकर में भी जोड़ा जाएगा।

यदि, 5 वर्षों के बाद, क्षतिपूर्ति उपकर में कुछ राशि बची है, तो उस राशि को केंद्र और राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा। फिलहाल, रियल एस्टेट को जीएसटी से बाहर रखा गया है और इस मुद्दे पर पहले चर्चा की जाएगी। साल।

इसके बहिष्कार के पीछे कारण यह था कि कुछ राज्य स्टांप ड्यूटी के माध्यम से अपने राजस्व संग्रह पर इसके प्रभाव के बारे में चिंतित थे।

इसी तरह, पेट्रोलियम उत्पादों और पोर्टेबल शराब को भी बाहर रखा गया था। बाद में इस पर सहमति हुई कि संवैधानिक रूप से, पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे में आएंगे, लेकिन जीएसटी में इसकी कर दर 0% होगी और बाद में जीएसटी परिषद द्वारा 75% के बहुमत के साथ इसका निर्णय लिया जाएगा।

यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होता है  क्योंकि केंद्र के पास ऐसा करने की शक्ति नहीं है। जम्मू और कश्मीर को अपना समान कानून बनाना होगा और फिर उस कानून को जीएसटी अधिनियम के साथ एकीकृत किया जाएगा ताकि वे भी उसी से लाभान्वित हो सकें। वह क्या हैं

जीएसटी के फायदे?

जीएसटी का बहुत मूल लाभ यह है कि इससे अधिकारियों द्वारा कर में हेरफेर की संभावना कम हो जाएगी क्योंकि पहले की व्यवस्था में कई करों के विपरीत केवल एक ही कर का भुगतान किया जाना है।

यह विधि या प्रणाली बहुत अधिक पारदर्शी है। इससे महंगाई धीरे-धीरे मिटेगी और मुआवजा उपकर जैसे विभिन्न प्रावधानों से राज्य को भी लाभ होगा।

उपभोक्ताओं को सबसे अधिक फायदा पार्टी को होगा और उन्हें होना चाहिए क्योंकि उपभोक्ताओं को राजा माना जाता है। GST के नुकसान क्या हैं?

यह कहते हुए विभिन्न विचार हैं कि जीएसटी नया नाम और कुछ नए प्रावधानों के साथ लागू किया गया पुराना कानून नहीं है। GST फिर से CGST और SGST के बीच विभाजित हो गया। इससे राज्य और केंद्र के बीच विवाद हो सकता है।

इसके अलावा कई वस्तुओं पर अधिक शुल्क लिया जाएगा क्योंकि कुछ उत्पादों पर कर लगाया जाएगा, जिन पर पहले कोई कर नहीं था या उनकी कर की दर बढ़ाकर या तो 12% या 18% या 28% होगी, यदि उनसे पहले उदाहरण के लिए 10% के लिए कहा गया था। क्रमशः 16% या 26% कर।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

जीएसटी एक बहुत लंबी और बोझिल प्रक्रिया है जिसमें समय और मैन पावर लगेगा।

जीएसटी में 29 राज्य 2 केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र शामिल हैं। इसलिए कई राय अनावश्यक रूप से फैसलों में देरी करेंगे और इस तरह जीएसटी के पीछे मुख्य मकसद गायब हो जाएगा।

हर अवधारणा के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं। बस कुछ नकारात्मक पहलुओं के आधार पर, एक प्रणाली को केवल फाड़ा नहीं जा सकता है, जिसमें कई बड़े दीर्घकालिक लाभ हैं।

इस प्रकार जीएसटी को व्यापक रूप से स्वीकार और समर्थन किया जाना चाहिए क्योंकि डिमोनेटाइजेशन पॉलिसी के समान, यह भी उड़ने वाले रंगों के साथ आएगा।

जैसा कि सही कहा गया है, “  जीएसटी ऐसा ही है कि विभिन्न गोलियों के बजाय डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली थोड़ी महंगी और कड़वी गोली। अब यह आपकी कॉल है कि क्या आप उस एक गोली को लेना चाहते हैं या कई के लिए जाना चाहते हैं  ।

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‘जीएसटी पर निबंध’

Essay on GST

भारत जैसे देश मे जहाँ पर बहुत सारे राज्य मौजूद है, इस स्थिती मे राजस्व मे सुधार हेतू नई प्रणाली लागू करने का निर्णय बहुत पहले से लिया गया था। पर कुछ कारणवश इस नए राजस्व प्रणाली को लागू साल २०१७ मे लागू किया गया जिसे ‘जी.एस.टी'(GST) यानि के ‘गुड्स एंड सर्विस टैक्स’ के नामसे जाना जाता है।

‘जीएसटी’ पर निबंध – Essay on GST in Hindi

Essay on GST

आम तौर पर जी.एस.टी का हिंदी अनुवाद ‘वस्तू और सेवा कर’ होता है, जिसमे वस्तू निर्माण से लेकर उसे अंतिम उपभोक्ता तक पहुचने तक क्रमबध्द तरीके से लागू किया गया होता है।

बात करे जी.एस.टी के इतिहास की तो साल १९९९ मे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल के दौरान जी.एस.टी कर प्रणाली प्रस्तावित की गई थी। इस हेतू भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्तमंत्री असीम दास गुप्ता के मार्गदर्शन मे जी.एस.टी समिती का गठन हुआ था जिसमे इस कर प्रणाली का एक मॉडेल भी पेश किया गया था।

पर इसके बाद साल २००४ से केंद्र मे काँग्रेस सरकार के आने से इस करप्रणाली को लागू नही किया गया, जिसको अंत मे १ जुलाई २०१७ से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा लागू किया गया।

मुख्य रूप से जी.एस.टी एक अप्रत्यक्ष कर होता है, जो के केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण भारत मे लागू किया गया है। इसके अलावा इस कर प्रणाली को चार प्रकारो में बाँटा गया है जिसमे

  • केंद्र वस्तू और सेवा कर (CGST)
  • राज्य माल और सेवा कर (SGST)
  • केंद्र शासित प्रदेशो के सामान और सेवा कर (UTGST)
  • एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) इत्यादि शामिल है।

इसे ठीक तरह से समझने का अब हम प्रयास करेंगे, जिससे ये कर कैसे लागू होता है ये स्पष्ट तौर पर जानने मे मदद मिलेगी।

१. केंद्र वस्तू और सेवा कर (CGST): मुख्य रूप से भारत के सभी राज्यो और केंद्रशासित प्रदेशो मे वस्तू निर्माण तथा सेवा के दौरान खरीद-बिक्री पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जानेवाला ये कर होता है। जैसे के केंद्र सरकार द्वारा पहले से देश के राज्यो और केंद्रशासित प्रदेशो मे कुछ कर लागू थे जिसमे कस्टम ड्युटी, केंद्रीय बिक्री कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुल्क इत्यादी शामिल थे अब ये सभी कर जी.एस.टी अंतर्गत सी.जी.एस.टी मे शामिल किए गए है।

२. राज्य माल और सेवा कर (SGST): जैसा के प्रत्येक राज्य मे केंद्र सरकार का सी.जी.एस.टी लागू किया गया है उसी प्रकार प्रत्येक राज्य सरकार के शुरु से स्वतंत्र कर मौजूद थे जो वैट, मनोरंजन कर इत्यादी शामिल थे। जी.एस.टी के आने के बाद राज्य अंतर्गत कर का रूपांतरण एस.जी.एस.टी के तौर पर हुआ। यहाँ पर राज्य के सभी कर हटाकर केवल मात्र एस.जी.एस.टी को लागू किया गया है, जो के संबंधित राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है।

३. केंद्र शासित प्रदेशो के सामान और सेवा कर (UTGST): भारत मे मौजूद कुल केंद्र शासित प्रदेशो मे से चंडीगढ , दमन , दादरा और नगर हवेली , अंडमान और निकोबार तथा लक्ष्वद्वीप आदि जगहो पर जी.एस.टी के आने के बाद वस्तू और सेवाओ पर यु.टी.जी.एस.टी कर लागू किया गया। इसके अनुसार पुराने सभी करो को रद्द कर इस कर को लिया जाता है।

४. एकीकृत माल और सेवा कर(IGST): जैसा के राज्य के अंतर्गत वस्तू और सेवाओ के लिए एस.जी.एस.टी होता है उसी प्रकार से अगर राज्यो के बिच वस्तूओ और सेवाओ हेतू आई.जी.एस.टी लागू किया गया है। इस कर को वसुलने के अधिकार केंद्र सरकार के पास होते है, जिसको बादमे संबंधित राज्यो को बाँट दिया जाता है।

आम तौर पर जी.एस.टी कर को पाँच स्तर पर विभाजित किया गया है जिसके दर 0%, 5%, 12%, 18% और 28% है। जी.एस.टी का मुल उद्देश्य व्यवसायी और उपभोक्ता दोनो को लाभ पहुचाना है, जिसके लिए इसके आने से अन्य सभी कर हटाकर केवल इसे लागू किया गया है।

जी.एस.टी का महत्वपूर्ण फायदा ये माना जाता है के संपूर्ण भारत मे एक प्रकार का कर देना होता है, जिसमे विशिष्ट उत्पाद का निर्माण तथा उसकी सेवा आपूर्ति मे एक सी कर प्रणाली लागू हुई है।

निष्कर्ष : भारतीय अप्रत्यक्ष कर प्रणाली मे सुधार हेतू जी.एस.टी को लागू किया गया है, जिसमे उत्पाद के प्रत्येक स्तर से लेकर सेवा आपूर्ति तक इसका प्रभाव दिखाई देता है। जी.एस.टी कर प्रणाली को विभिन्न प्रकारो मे तथा दरो मे लागू किया गया है, जिससे केवल अप्रत्यक्ष कर प्रभावित है इसका प्रत्यक्ष कर से कोई भी संबंध नही है।

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जीएसटी पर निबंध

essay on gst in hindi

By विकास सिंह

essay on gst in hindi

विषय-सूचि

जीएसटी पर निबंध, Essay on gst in hindi (100 शब्द)

जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है, जो कि भारत सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति श्रृंखला के सभी पक्षों पर लगाया गया एक अप्रत्यक्ष कर है। 1 जुलाई 2017 से, जीएसटी भारत के संविधान के एक सौ एक वें संशोधन द्वारा लागू हुआ।

जीएसटी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि, यह पूरे भारत में विशिष्ट उत्पादों के लिए एक समान कर नियम का पालन करता है। जीएसटी एक समान अप्रत्यक्ष कर है जिसने सभी केंद्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष करों को बदल दिया है, पूरे भारत को एक ही बाजार माना है। सामान और सेवा कर भी आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है।

जीएसटी पर निबंध, easy essay on gst in hindi (150 शब्द)

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत एक सामान और सेवाओं पर लगाया गया एक समान कर है, जो पूरे भारत को एक बाजार मानता है। टैक्स 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ और मौजूदा मल्टी लेवल केंद्रीय और राज्य करों को बदल दिया गया। जीएसटी वस्तुओं और सेवाओं को पांच टैक्स स्लैबों में विभाजित करता है – 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। हालांकि, पेट्रोलियम उत्पाद, शराब और बिजली जैसे उत्पाद अभी भी पुरानी कर व्यवस्था का पालन करते हैं।

जीएसटी परिषद एक शासी निकाय है जो नियम और विनियमों के साथ कर दरों को तैयार करता है। इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ-साथ राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं।

जीएसटी विभिन्न चरणों में केंद्र और राज्य दोनों द्वारा लगाए गए कई अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है, जिसके परिणामस्वरूप कर का बोझ कम हो जाता है, करों का कैस्केडिंग समाप्त हो जाता है और कम समय का नुकसान होता है। जीएसटी से पहले, अधिकांश सामान 26.5% की कर सीमा में थे, लेकिन जीएसटी के बाद, वे ज्यादातर 18% की कर सीमा के अंतर्गत आते हैं।

जीएसटी पर निबंध, gst essay in hindi (200 शब्द)

GST गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत का एक संक्षिप्त नाम है। यह एक समान अप्रत्यक्ष कर है, जो विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को अलग-अलग चरणों में बदलकर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा लगाया जाता है। जीएसटी पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था के बाद भारत को एक बड़ा बाजार मानता है, चाहे जो भी हो।

यद्यपि जीएसटी अगले ग्राहक से आपूर्ति श्रृंखला (कच्चे माल आपूर्तिकर्ता, निर्माता, थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता, उपभोक्ता) में सभी पंजीकृत डीलरों द्वारा वसूला जाता है, लेकिन कर का अंतिम बोझ अंतिम ग्राहक यानी उपभोक्ता पर होता है।

जीएसटी में पंजीकृत अन्य सभी डीलर बिचौलियों के रूप में कार्य करते हैं, जो उपभोक्ता से जीएसटी वसूलते हैं और सरकार को इसे देते हैं, बदले में टैक्स क्रेडिट प्राप्त करते हैं। इस कर क्रेडिट को “इनपुट टैक्स क्रेडिट” कहा जाता है और इसे डीलर द्वारा ग्राहक को वसूले जाने वाले जीएसटी के विरुद्ध रखा जाता है, जिसमें वह माल की आपूर्ति करता है।

कोई पंजीकृत डीलर टैक्स रिफंड के लिए भी योग्य है यदि इनपुट टैक्स क्रेडिट आउटपुट टैक्स क्रेडिट से अधिक है, जैसा कि इस संबंध में कानून द्वारा प्रदान किए गए प्रावधानों के अनुसार है। इसके अलावा, छूट वाले सामानों की खरीद के लिए किसी भी GST क्रेडिट का दावा नहीं किया जा सकता है। जीएसटी सभी प्रकार की सब्जियों, जैविक खाद, गर्भ निरोधकों, मुद्रित पुस्तकों, स्टांप पेपर, कृषि उपकरणों आदि पर नहीं लगाया जाता है।

वस्तु एवं सेवा कर पर निबंध, Goods and services tax essay in hindi (250 शब्द)

gst essay in hindi

प्रस्तावना :

भारत में वस्तु एवं सेवा कर, वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के साथ-साथ विदेशी गंतव्यों से माल के आयात पर पूरे भारत में एक समान कर लगाया जाता है। जीएसटी ने विशेष वस्तुओं और सेवाओं को एक समान कर स्लॉट के तहत विभाजित किया है, जो शुरू में एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न था।

जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है यानी जीएसटी के साथ पंजीकृत व्यापारी बिचौलियों के रूप में कार्य करते हैं, अंतिम ग्राहक से कर एकत्र करते हैं, जो उपभोक्ता है, जो अंततः कर का अंतिम बोझ वहन करता है।

जीएसटी कैसे काम करता है :

जीएसटी के तहत कराधान का मूल तंत्र यह है कि यह आपूर्ति प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में लगाया जाता है। यह बाद में निर्माता, थोक व्यापारी, खुदरा और उपभोक्ता द्वारा भुगतान किया जाता है। हालांकि, पंजीकृत डीलर (निर्माता, थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता) जीएसटी वसूलते हैं, लेकिन वे इस राशि को नहीं रखते हैं, बल्कि इसे कर चालान के साथ सरकार को वापस भुगतान करते हैं और इस प्रकार एकत्र किए गए कर के लिए क्रेडिट का दावा करते हैं।

यह अंतिम उपयोगकर्ता यानी ग्राहक को छोड़ देता है जो कर का अंतिम बोझ वहन करता है। अंतिम ग्राहक को रिटर्न या क्रेडिट का दावा करने के किसी प्रावधान के बिना खरीदी गई सेवाओं पर या खरीदी गई सेवाओं पर निर्धारित जीएसटी का भुगतान करना होगा।

निष्कर्ष :

एक सामान और सेवा कर अन्य केंद्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है जैसे – वैट (मूल्य वर्धित कर), सेनवैट (केंद्रीय मूल्य वर्धित कर), उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क कर, राज्य उत्पाद शुल्क आदि। एक तरह से, जीएसटी एकीकृत हो गया है। एक समान कर व्यवस्था में केंद्रीय और राज्य कराधान प्रणाली। आम आदमी के कार्यकाल में, किसी विशेष उत्पाद के निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं को अब पूरे भारत में एक समान कर देना होगा।

जीएसटी पर निबंध, GST essay in hindi (300 शब्द)

जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत है। यह वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर सरकार द्वारा लगाया गया एक व्यापक कर है। यह एक अप्रत्यक्ष कर भी है, जो अन्य केंद्रीय और राज्य के अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है। जीएसटी ने पूरे भारत को एक कर व्यवस्था के तहत लाया है, जिससे समय की बचत होती है और परिणामस्वरूप कर का बोझ कम होता है।

जीएसटी के प्रकार:

मूल रूप से माल और सेवा कर चार प्रकार के होते हैं, जैसा कि नीचे वर्णित है-

1) केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)

सीजीएसटी एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के साथ वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाने वाला जीएसटी है। CGST अन्य केंद्रीय करों की जगह लेता है जैसे – केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय बिक्री कर, कस्टम ड्यूटी और SAD (विशेष अतिरिक्त शुल्क) टैक्स।

2) राज्य माल और सेवा कर (SGST)

एसजीएसटी राज्य द्वारा राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर लगाया जाने वाला जीएसटी है। यह एक राज्य के भीतर लगाए गए दो करों में से एक है, अन्य सीजीएसटी है। राज्य जीएसटी राज्य द्वारा लगाए गए करों की जगह लेता है – मूल्य वर्धित कर, विलासिता कर, प्रवेश कर, मनोरंजन कर इत्यादि। इस प्रकार एसजीएसटी के तहत एकत्र राजस्व केवल संबंधित राज्य सरकार द्वारा दावा किया जाता है।

3) एकीकृत माल और सेवा कर (IGST)

जबकि सीजीएसटी और एसजीएसटी वस्तुओं और सेवाओं के अंतर्राज्यीय (राज्य के भीतर) लेनदेन पर लगाए गए जीएसटी हैं; IGST का अर्थ वस्तुओं और सेवाओं के अंतर्राज्यीय (दो राज्यों के बीच) लेनदेन पर लगाया गया GST है। हालांकि, IGST को केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है और बाद में संबंधित राज्य को प्रतिपूर्ति की जाती है।

4) केंद्र शासित प्रदेशों के सामान और सेवा कर (UTGST)

UTGST भारत के इन पांच केंद्र शासित प्रदेशों – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में वस्तुओं और सेवाओं के लेन-देन पर लगाया गया GST है। केंद्रशासित प्रदेश में कुल जीएसटी सीजीएसटी और यूटीजीएसटी का योग है। राज्य जीएसटी संघ शासित प्रदेशों पर लागू नहीं होता, क्योंकि इसके लिए विधायिका की आवश्यकता होती है। केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली और पांडिचेरी में SGST है, क्योंकि उनके पास अपनी विधायिका है।

जीएसटी का मुख्य कारण पूरे भारत को एक समान कर व्यवस्था के तहत लाना है। इसने डीलरों पर विभिन्न राज्य और केंद्रीय करों के अनावश्यक कर बोझ को कम कर दिया है और दोनों हितधारकों और उपभोक्ता के लिए सामान सस्ता कर दिया है।

जीएसटी पर निबंध, Essay on gst in hindi (400 शब्द)

परिचय.

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत संक्षिप्त रूप में जीएसटी पूरे भारत में वस्तुओं या सेवाओं की खपत के आधार पर एक टैक्स है। जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने पिछले अप्रत्यक्ष करों को बदल दिया है। प्रत्यक्ष कर जैसे – आयकर, कॉर्पोरेट कर आदि, जीएसटी से प्रभावित नहीं हैं।

जीएसटी का संक्षिप्त इतिहास  :

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में प्रस्तावित किया गया था। इसके अलावा, एक समिति की स्थापना प्रधान मंत्री वाजपेयी द्वारा पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता द्वारा जीएसटी मॉडल तैयार करने के लिए की गई थी। तब से, GDA को लागू नहीं किया जा सका, हाल ही में 1 जुलाई 2017 को NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के नेतृत्व में सरकार बनाई।

भारत में जीएसटी का महत्व :

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स भारत में एक आवश्यक अप्रत्यक्ष कर सुधार है। जीएसटी से पहले, भारत में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा क्रमशः कई अप्रत्यक्ष कर लगाए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप उच्च मात्रा में करों को भी अपने संग्रह के लिए उच्च मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती थी और रिकॉर्ड बनाए रखती थी।

केंद्रीय और राज्य दोनों करों का एकीकरण, एक कर प्रणाली के कई प्रतिकूलताओं यानी कई कराधान, कैस्केडिंग, समय और संसाधनों की हानि आदि को पीछे छोड़ देगा। इसके अलावा, जीएसटी पूरे भारत को एक एकीकृत बाजार के रूप में मानता है, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलता है।

विभिन्न स्तरों पर कर की कैस्केडिंग को समाप्त करके, जीएसटी पंजीकृत डीलरों के लिए माल को सस्ता बनाता है और साथ ही अंत में उपभोक्ता राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए अग्रणी होता है।

भारत एक विकासशील राष्ट्र है, अभी भी बेरोजगारी के मुद्दे से जूझ रहा है। जीएसटी से विनिर्माण क्षेत्र में रिक्तियों के साथ कराधान और अकाउंटेंसी के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

माल के अंतरराज्यीय परिवहन के दौरान एक केंद्रीयकृत जीएसटी के परिणामस्वरूप विभिन्न चेक पोस्ट समाप्त हो गए हैं। अंतरराज्यीय माल परिवहन वाहनों की यात्रा का समय, चेक पोस्टों की अनुपस्थिति के कारण 20% तक कम हो गया है। साथ ही, जीएसटी में बहु पक्षीय भागीदारी अनुपालन स्तर में सुधार करेगी।

जीएसटी से अधिक पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त कराधान प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा। जीएसटी को इस तरह से तैयार किया गया है, जिससे यह व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभान्वित करे। भारत को वस्तु और सेवा कर जैसे अप्रत्यक्ष कर पर बेहतर कर सुधार की आवश्यकता थी।

जीएसटी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बातचीत के लिए भारत को बेहतर स्थान पर रखता है। इसके अलावा, एसएमई (स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) और अन्य संगठित क्षेत्र को अपने गैम्बिट के तहत लाने से, जीएसटी एक अधिक स्थिर भारतीय औद्योगिक क्षेत्र और एक बेहतर अर्थव्यवस्था की ओर जाता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भूमिका – वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यकश कर है जो कि भारतीय सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को लागु किया गया था। बहुत सारे देश तो पहले ही वस्तु एवं सेवा कर के इस नियम को अपना चुके थे। यह कर वस्तुओं जैसे कि फर्नीचर, मोबाइल आदि जो भी समान हम खरीदते हैं और जिन भी सेवाओं का लाभ हम ले रहे है सभी पर लगता है। इस कर का भुगतान हम अप्रत्यकश रूप से करते है जैसे हमने कुछ सामान खरीदा उसके बिल में ही टैक्स जुड़ा हुआ होता है। अगर हम किसी होटल में बिल देते है तो उसमें सर्विस टैक्स जुड़ा होता है। वस्तु एवं सेवा कर को जी. एस. टी के नाम से जाना जाता है। हर एक तरह के सामान के लिए कर प्रतिशत अलग-अलग है। सबसे ज्यादा कर आरामदायक सामानों पर लगाया जाता है जो कि 28% है। सभी चीजों के लिए एक ही कर अदा करना होता है जो कि जी. एस.टी. है। हालांकि कुछ चीजों को इससे बाहर भी रखा गया है जैसे कि शराब। देश को आर्थिक मजबूती देने और देश के विकास के लिए जी.एस.टी. को अपनाना बहुत ही जरूरी था।

जी.एस.टी. के प्रकार – कर जमा करने का हक राज्य सरकार और केंदर सरकार दोनों को होता है इसी कारण जी. एस.टी. भी अलग अलग तरह के है-

1. स्टेट जी.एस.टी. 2.सैंटरल जी.एस.टी. 3.इंटिगरेड जी.एस.टी.

अगर कोई सामान एक ही राज्य में खरीदा और बेचा जाता है तो उस पर राज्य और सैंटरल दोनों ही कर लगते हैं जो कि राज्य और केंदरीय सरकार द्वारा तय अनुपात में जमा किया जाता है। अगर कोई सामान दुसरे राज्यों में बेचा जाता है तो उस पर इंटिगरेड कर लगता है जो केंदर सरकार द्वारा जमा किया जाता है। जी.एस. टी. बेचने या बनाने वाले पर नहीं लगता बल्कि खरीदने वाले पर लगता है।

जी.एस. टी. के लाभ – जी.एस.टी.के वजह से बहुत से कर खत्म हुए है जैसे कि वैट,सर्विस टैक्स, अंटरटेंमेंट टैक्स आदि जिससे की लोगों को बहुत सुविधा हुई। वस्तु एवं सेवा कर के निम्नलिखित लाभ है-

1. लोगों को सुविधा- एक कर होने की वजह से व्यापारियों को कर भरने में आसानी होने लगी। 2. जमा हुए कर में वृद्धि- एक कर होने की वजह से लोग कर भरने लगे है जिससे की कर की चोरी में कमी हुई है और सरकार के पास कर में वृद्धि हुई है। 3. सामान की कीमत में गिरावट-  जी.एस.टी.के बाद बहुत से सामान सस्ते भी हुए।

जी.एस.टी की हानियाँ – इससे जहाँ बहुत से समान सस्ते हुए वहीं बहुत से जरूरी सामानों का दाम बढ़ा भी है जिसका एक उदाहरण सैनेटरी नैपकिन्स है। वही कुछ चीजों के दाम गिरने से व्यापारियों को बहुत नुकसान भी हुआ।

निष्कर्ष – जी.एस.टी. देश की तरक्की के लिए जरूरी है। एक कर होने की वजह से लोग कर चोरी नहीं करेंगे और काला धन भी नही बनेगा।

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जी एस टी पर निबंध (GST Essay In Hindi)

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आज   हम जी एस टी पर निबंध (Essay On GST In Hindi) लिखेंगे। जी एस टी पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

जी एस टी पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On GST In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

जीएसटी का अर्थ है गुड्स और सर्विस टैक्स। यह एक वस्तु और सेवा कर है। गुड्स का अर्थ है सामान, यानी टीवी, बेड, कपड़े  इत्यादि। कई प्रकार की सेवाएं जिन पर टैक्स लगता है, वह है मोबाइल नेटवर्क, बैंकिंग इत्यादि।

कर दो प्रकार के होते है जो है डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स, अर्थात प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर। देश में डायरेक्ट टैक्स वह भरते है, जो नौकरी करते है। अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स सभी लोगो को सामान और सेवाओं के लिए देना पड़ता है।

सभी लोग खरीदारी और सेवाओं का इस्तेमाल करते है। इसके अनुसार यह कर यानी टैक्स उन्हें भुगतान करना होता है। इस कर का कार्यान्वयन भारत में एक जुलाई साल 2017 में हुआ है।

इस कर का संग्रह उपभोग की दृष्टि से होता है। यह पिछले करों की तरह मूल बिंदु से संग्रह के विपरीत है। इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया में यह कर लागू होता है। रिफंड उत्पादन के विभिन्न चरणों में सभी पक्षों के लिए है।

जीएसटी में लगभग सभी अप्रत्यक्ष कर शामिल हैं। जीएसटी एक ऐसा कर है जो हर मूल्य पर जोड़ा जाता है। यह एक व्यापक और बहु -स्तरीय कर यानी मल्टीलेवल टैक्स है। यह एक ऐसा कर है जो देश में हर सामान और सेवाओं यानी सर्विसेस पर लगाया जाता है।

इस कर को देश के सभी बाज़ारो में मान्यता दी गयी है। यह जीएसटी टैक्स दरअसल निर्धारित वस्तुओं और सर्विसेज को टैक्स विभागों जैसे 0  प्रतिशत, पांच प्रतिशत, बारह प्रतिशत, अठारह प्रतिशत और अट्ठाईस प्रतिशत में वितरित किया गया है।

पूरे देश में जीएसटी एक समान कर व्यवस्था है, जो देश को एक बड़ा बाजार बनाता है। देश में प्रत्यक्ष कर जैसे आयकर, कॉर्पोरेट कर आदि जीएसटी से प्रभावित नहीं हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्य वित्त मंत्री भी सारे नियमो का अनुकरण करते हुए जीएसटी करो के दरों को निर्धारित करते है। देश में वस्तुओं और सेवाओं पर कर के साथ विदेशो से माल के आयात  पर सम्पूर्ण देश में एक जैसा कर लगाया जाता है।

जीएसटी की सरल शब्दों में परिभाषा

कोई भी उत्पाद या वस्तु निर्माण के आरम्भ से लेकर अंतिम चरण तक कई तरह के दौर से गुजरती है। वह सारे चरणों को विषय में समझना ज़रूरी है। पहला चरण होता है, उत्पाद को  बनाने के लिए कच्चे माल को खरीदना। दूसरे चरण में उत्पादों का निर्माण होता है।

तीसरे चरण में उत्पादों का भण्डारण यानी स्टोरेज का प्रबंध किया जाता है। चौथे चरण प्रोडक्ट रिटेलर के समक्ष जाता है। आखरी चरण में रिटेलर ग्राहकों को शेष माल बेचता है।

कर दरों को जीएसटी परिषद् नियमो के संग तैयार करता है। केंद्र और राज्य दोनों के माध्यम से कई अप्रत्यक्ष करो का स्थान जी एस टी लेता है। इसका नतीजा यह होता है कि कर का दबाव कम हो जाता है। कर यानी टैक्स का कैस्केडिंग खत्म हो जाता है।

ज़्यादातर कर GST से पहले 26/5 प्रतिशत कर के अंतर्गत आते थे। जीएसटी आने के पश्चात अठारह फीसदी कर के अंतर्गत, यानी लिमिट में आता है। कैस्केडिंग कर प्रभाव का तात्पर्य कर पर कर से है। जीएसटी टैक्स इन व्यापक प्रभावों को समाप्त करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएसटी एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है।

पेट्रोलियम उत्पाद, शराब पेय और बिजली जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं। किसी न किसी कीमती पत्थरों में 0/25% की विशेष दर होती है। सोने में 3% की विशेष दर भी होता है।जीएसटी ने निश्चित रूप से कई कर और शुल्क वसूल किए है।

इसके अंतर्गत केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क शामिल हैं। जीएसटी शासन ने लेवी यानी कर लगाने को खत्म कर दिया है। इसके साथ ही ये लेवी माल के अंतर-राज्य परिवहन पर लागू थे। जीएसटी का आवेदन सभी लेनदेन पर है। ये सारे लेन-देन, बिक्री, खरीद, हस्तांतरण और आयात हैं।

जीएसटी कैसे कार्य करता है?

जीएसटी सभी ज़रूरी प्रक्रियाओं के चरण में लगाया जाता है। निर्माता, थोक व्यापारी और उपभोक्ता के माध्यम से कीमत को चुकाया जाता है। यह सभी रजिस्टर्ड डीलर जीएसटी कर वसूलते है।

परन्तु वह इस पैसे को रखते नहीं है। वे इसका कर चालान के संग देश की सरकार को वापस चुकाते है और फिर क्रेडिट की मांग करते है। आखरी चरण में ग्राहक को कर का बोझ उठाना पड़ता है। आखरी में ग्राहक को खरीदी गयी सेवाओं पर जीएसटी की कीमत चुकानी पड़ती है।

जीएसटी की प्रबलता

यह जीएसटी विभिन्न स्तरों पर टैक्स की कैस्केडिंग को मिटाते है और माल को डीलरों के लिए कम दामों में उपलब्ध करवाते है। जीएसटी एकाउंट्स और बैंक जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाती है।

देश को बेहतर और अच्छे वस्तु और सेवा कर की ज़रूरत थी, जिसे जीएसटी ने सुलझाया है। अंतराष्ट्रीय स्तर और बाजार में हमारे देश को एक अच्छे स्तर पर रखता है। उम्मीद है यह कर सेवा उद्योग क्षेत्र और देश के अर्थव्यवस्था की उन्नति में योगदान देगा।

जैसा कि हम जानते है जब व्यापार होता है तब उत्पादों को बेचने और सर्विसेज पर टैक्स लगता है। यह अलग अलग टैक्स होते थे, लेकिन जीएसटी के आने के पश्चात सारे टैक्स खत्म हो गए।

मान लीजिये कि अगर कोई कपंनी पोशाक बनाती है, तो उसके लिए कच्चा माल चाहिए तो उसपर टैक्स देगी। कच्चा माल खरीदने से लेकर फैक्ट्री में बनाने तक फिर से टैक्स देगी, फिर बेचने पर टैक्स लगेगा।

इन सभी करो को जोड़कर एक नयी कीमत बनेगी। जीएसटी टैक्स ने टैक्स के इस प्रणाली को खत्म कर दिया है। इसका अर्थ है टैक्स कम हो गया है। मगर हर क्षेत्र में ऐसा मुमकिन नहीं है। जीएसटी आने के पश्चात किसी उत्पाद और सेवा पर दाम ज़्यादा तो किसी पर कम हुआ है। इसलिए जीएसटी के कर दरों को निर्धारित किया गया है।

जीएसटी के विभिन्न प्रकार

केंद्रीय वस्तु सेवा कर

यह कर राज्य सरकार के साथ उत्पादों और सर्विसेज के लेन देन के लिए है। यह कर केंद्र सरकार के माध्यम से लगाया जाता है। यह दूसरे केंद्र करो की जगह लेता है, जैसे केंद्रीय वस्तु पर टैक्स, केंद्र बिक्री कर, कस्टम ड्यूटी। इस कर को CGST कहा जाता है।

राज्य माल और सेवा कर

इसे अंग्रेजी में SGST कहा जाता है। यह जीएसटी कर राज्यों में होने वाले विभिन्न तरह के उत्पादों और सेवाओं पर लगाया जाता है। राज्य के उत्पादों और सेवाओं पर लगाया जाने वाला यह दूसरा जीएसटी है। इस तरह के जीएसटी लक्ज़री टैक्स, प्रवेश कर और मनोरंजन कर के जगह पर लगाया जाता है।

समन्वित माल और सर्विस यानी सेवा कर

आपको बता दे सीजीएसटी और एसजीएसटी जैसे कर राज्यों के अंदर वस्तुओं और सर्विसेज पर लगाए जाते है। लेकिन आईजीएसटी का तापर्य है दो राज्यों के बीच उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी लगाया जाना। आईजीएसटी कर को सेंट्रल गवर्नमेंट लगाती है और संग्रह करती है। इसके पश्चात राज्यों को प्रतिदान किया जाता है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन और दिव, दादरा और नगर हवेली, चंडीगढ़ और लक्षदीप जैसे देश के कुछ यूनियन टेरिटरी यानी केंद्र शासित प्रदेश है। इस प्रकार का जीएसटी कर इन केंद्र शासित प्रदेशो के उत्पादों और सेवाओं पर लगाया जाता है।

यह जीएसटी दूसरे प्रदेशो में जारी नहीं होता है। इसका कारण यह है कि इसके लिए विधायिका की ज़रूरत होती है। सिर्फ दो यूनियन टेरिटरी यानी दिल्ली और पांडिचेरी में एसजीएसटी लागू होती है। इसकी वजह है उनके पास विधायिका होती है।

जीएसटी का पुराना इतिहास

साल 1999 में देश के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में जीएसटी को प्रस्थापित किया गया था। इस समिति का प्रतिष्ठापन वाजपेयी जी द्वारा पश्चिम बंगाल के वित् मंत्री असीम दासगुप्ता के माध्यम से किया गया था।

इस समिति का उद्देश्य जीएसटी मॉडल बनाना था। लेकिन तब इसे जारी नहीं किया गया था। इसे जुलाई 2017 में भाजपा सरकार यानी बीजेपी के नेतृत्व में निर्माण और लागू किया गया था।

केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार की दृष्टि से

अभी के कर प्रक्रिया की तुलना में जीएसटी के आदेशों के पालन में दिक्कतें कम होगी। इससे केंद्र और राज्य दोनों लेवल पर रजिस्ट्रेशन की दिक्कतों से राहत मिलेगी।

व्यवसाय और उद्योग जगत की दृष्टि से

व्यापार जगत हमेशा इसी इंतज़ार में रहता है कि जीएसटी परिषद वस्तुओं के टेरिफ के बारें में क्या कहती है। यह व्यापार जगत के कई उद्योगों में प्रतिस्पर्धा के माहौल को तेज़ करेगी।

उपभोक्ताओं पर जीएसटी का असर

जीएसटी का आखरी अप्रत्यक्ष कर का भुगतान ग्राहकों को करना पड़ेगा। इससे ग्राहकों को भी फायदा होगा। वस्तुओं और सेवाओं के प्राइस रेट में कमी आएगी। लेकिन ऐसा सभी क्षेत्रों में नहीं हुआ है।

जीएसटी को लेकर कुछ लोगो की धारणा

जीएसटी कर उत्पादन और वितरण प्रणाली के लिए उम्दा है। मगर कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक देश के रियल स्टेट मार्किट पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। कुछ जानकारों का मानना है कि सीजीएसटी, एसजीएसटी इत्यादि जीएसटी के बस अलग अलग नाम है।

इससे कुछ विशेष तरीके से कई स्थानों में कर की दृष्टि से कोई कमी नहीं आएगी। पहले के मुकाबले यह देश के मार्किट में ज़्यादा मुकाबला करवाएगा। यह उद्योग जगत में देखने को मिलेगा। कुछ लोगो ने जीएसटी से होने वाले कई नुकसान के बारें में अवगत करवाया है। यह उद्योग जगत की नज़र से ज़्यादा फायेमंद नहीं है।

जीएसटी का कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह भाजपा सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आगे चलकर देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत को बेहतर बनाएगी।जीएसटी टैक्स ग्राहकों के कर के बोझ की वृद्धि करता है।

जीएसटी कैस्केडिंग के दबाव को कम करता है। जीएसटी प्रक्रिया में सभी करो को एक साथ लाकर उसे बराबर से वितरित किया जाता है। इससे कर निर्धारण का जो दबाव है, वह काफी कम हो जाता है।

जीएसटी से कई लोगो को लाभ होगा। इससे दामों में गिरावट आएगी। कंपनियों को जीएसटी से सहायता मिलेगी। जीएसटी का मकसद सम्पूर्ण भारत में एक समान कर व्यवस्था लाना है। जीएसटी अलग अलग डीलरों से अलग अलग राज्यों और केंद्रीय टैक्स को कम करने में मदद करता है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • धन अथवा पैसो पर निबंध (Money Essay In Hindi)

तो यह था जी एस टी पर निबंध , आशा करता हूं कि जी एस टी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On GST) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – Gst One Nation One Tax Essay In Hindi

एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – essay on gst one nation one tax in hindi.

सहकारी संघवाद का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।”

–प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी

  • प्रस्तावना,
  • सबसे बड़ा कर सुधार,
  • जी०एस०टी० की विशेषताएँ,
  • जी०एस०टी० की श्रेणियाँ,
  • जी०एस०टी० के लाभ,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना– भारत में टैक्स व्यवस्था की जड़ें काफी पुरानी हैं। टैक्स अथवा कर का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थ ‘मनुस्मृति’ और चाणक्यरचित ‘अर्थशास्त्र’ में भी मिलता है। विभिन्न ग्रन्थों में उल्लेख है कि कर प्रणाली का अन्तिम उद्देश्य अधिक–से–अधिक सामाजिक कल्याण होना चाहिए। लोक–कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य भी यही है।

इसी उद्देश्य की परिपूर्ति के लिए माल एवं सेवा कर (Goods and Service Tax = GST) जो भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है, को 01 जुलाई, 2017 से सम्पूर्ण देश के भू–भाग पर लागू कर दिया गया। इसी के साथ राष्ट्र के इतिहास में सबसे बड़ा कर सुधार एक वास्तविकता के रूप में सामने आया। 1920 के दशक में जर्मनी के एक व्यवसायी विल्हेम वॉन सीमेंस ने जी०एस०टी० का विचार दिया था। आज संसार के 160 से अधिक देशों ने इस कर प्रणाली को अपना लिया है।

सबसे बड़ा कर सुधार– स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत का सबसे बड़ा कर सुधार माल एवं सेवा कर (जी०एस०टी०) का 30 जून, 2017 की मध्यरात्रि को संसद के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में शुभारम्भ किया गया। इसमें राष्ट्रपति प्रणव मुकर्जी व प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सहित अधिकांश गणमान्य लोग उपस्थित थे। राष्ट्रपति प्रणव मुकर्जी ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण दिसम्बर 2002 में शुरू हुई लम्बी यात्रा की सुखद परिणति है।

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने जी०एस०टी० को अच्छा व सरल टैक्स बताया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के समय सरदार पटेल ने 500 से अधिक रियासतों को मिलाकर राष्ट्र का एकीकरण किया था। उसी प्रकार जी०एस०टी० के द्वारा देश का आर्थिक एकीकरण हो रहा है। अब गंगानगर (राजस्थान) से ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश). तक ‘एक टैक्स–एक देश’ का नारा गूंजेगा।

जी०एस०टी० की विशेषताएँ– देश की स्वतन्त्रता के 70 वर्ष बाद 14 टैक्सों को समाप्त कर एक टैक्स जी०एस०टी० में बदल दिया गया है। जी०एस०टी० लागू होने से अब किसी भी सामान की देशभर में समान कीमत होगी; क्योंकि इस पर पूरे देश में एकसमान कर लग रहा है। इससे उद्योग, सरकार और ग्राहक सभी को लाभ होगा। इससे सरकार के ‘मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम को भी तीव्रता प्राप्त होगी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं-

  • आसान कर का अनुपालन,
  • घर–परिवार के लिए वरदान,
  • एक सशक्त आर्थिक भारत का निर्माण,
  • सरल कर व्यवस्था,
  • अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक तथा
  • व्यापार और उद्योग के लिए लाभप्रद।

जी०एस०टी० की श्रेणियाँ– आम उपभोग की अधिकांश वस्तुओं की कीमतों में इस एकल व्यवस्था से कमी आएगी। जी०एस०टी० को वस्तुवार चार श्रेणियों में रखा गया है। निम्न और मध्यम वर्ग के इस्तेमाल की अधिकांश वस्तुओं पर जी०एस०टी० की दर शून्य रखी गयी है। कुछ वस्तुओं और सेवाओं को जी०एस०टी० के दायरे से बाहर रखा गया है। जैसे खुला खाद्य अनाज, ताजी सब्जियाँ, आटा, दूध, अण्डा, नमक, फूल की झाड़, शिक्षा सेवाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि को कर मुक्त किया गया है। चीनी, चायपत्ती, खाद्य तेल, घरेलू एल०पी०जी० आदि पर 5% जी०एस०टी० लगेगा।

मक्खन, घी, सब्जी, फलों से निर्मित खाद्य पदार्थ, मोबाइल आदि पर 12% जी०एस०टी० लगाया गया है। केश तेल, टूथपेस्ट, साबुन, आइसक्रीम, कम्प्यूटर, प्रिंटर आदि पर 18% जी०एस०टी० लगाया गया है। विलासिता वाली कुछ विशेष वस्तुओं के साथ ही कुछ अन्य वस्तुओं पर 28% की सर्वाधिक दर लागू की गयी है। इस श्रेणी की वस्तुओं पर 5 वर्षों तक उपकर भी लागू रहेगा ताकि जी०एस०टी० को लागू करने से राज्यों को होनेवाले किसी भी तरह के राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके।

लगभग 81 प्रतिशत वस्तुओं पर जी०एस०टी० की दर 18% या इससे कम है।

केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय जी०एस०टी० (CGST) लागू किया गया है जबकि राज्यों द्वारा राज्य जी०एस०टी० (SGST) लगाया गया है। विधायिका वाले केन्द्रप्रशासित प्रदेशों में भी राज्य जी०एस०टी० लागू होगा। बिना विधायिकावाले केन्द्रप्रशासित प्रदेशों में केन्द्रप्रशासित प्रदेश जी०एस०टी० (UGST) लागू होगा।

अन्तर्राज्य आपूर्ति पर एकीकृत जी०एस०टी० (IGST) लगाया गया है।

जी०एस०टी० में शामिल केन्द्रीय कर हैं–

  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क,
  • सीमा शुल्क,
  • उपकर और अधिभार।

जी०एस०टी० में शामिल राज्य कर हैं–

  • विलासिता कर,
  • मनोरंजन कर,
  • विज्ञापनों/लाटरियों/सट्टे व जुए पर कर।

जी०एस०टी० के लाभ–कर की इस एकल प्रणाली के बहुआयामी लाभ हैं

  • इस प्रणाली के लागू होने पर एकीकृत सामान राष्ट्रीय बाजार का सृजन हो सकेगा, जिससे विदेशी निवेश और ‘मेक इन इण्डिया’ जैसे अभियानों को गति प्राप्त होगी।
  • इससे आम जनता पर करों का बोझ कम होगा।
  • इससे रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे जिससे घरेलू उत्पाद जीडीपी में वृद्धि होगी।
  • देश के उत्पाद अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
  • IGST और SGST की दरें समान होने के कारण अन्तर्राज्य कर चोरी की घटनाएँ समाप्तप्राय हो जाएँगी।
  • कम्पनियों का औसत कर भाग घटेगा तो वस्तुओं की कीमत भी घटेगी और उपभोग बढ़ेगा। इससे भारत एक ‘औद्योगिक केन्द्र’ के रूप में उभरकर सामने आएगा।
  • कानूनी प्रक्रियाओं और कर दरों में एकरूपता आएगी।

उपसंहार– इस प्रकार यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि जी०एस०टी० हर परिवार के लिए सौगात लेकर आएगा और राष्ट्र आर्थिक रूप से अधिक सबल व प्रगतिगामी होकर उभरेगा। शुरूआत में इसे लागू करने के दौरान कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं लेकिन ‘एक देश एक टैक्स प्रणाली’ देश के विकास में मील का पत्थर सिद्ध होगी। इस सरल कर प्रणाली से व्यापार जगत का भी हित होगा।

वास्तव में जी०एस०टी० का प्रभाव देश की सीमाओं से परे भी दिखाई देगा। विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अन्तर्गत सम्बन्धित देश इसका लाभ उठा सकते हैं कि वे अपने यहाँ से निर्यात होनेवाली वस्तुओं को अप्रत्यक्ष करों में रियायत देकर उन्हें आयात से सम्बद्ध कर लें। देश के विकास की दूरगामी सोच को ध्यान में रखते हुए विलासिता की महँगी वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर कर ढाँचे को प्रगतिशील रूप दिया गया है।

गिरधर की कुंडलियाँ Summary in Hindi

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जीएसटी पर निबंध हिंदी में : gst essay in hindi,  जीएसटी पर निबंध हिंदी में (gst essay in hindi).

जीएसटी (GST) का अर्थ गुड्स और सर्विसेज टैक्स (Goods and Services Tax) है। जहां गुड्स का अर्थ समान अथवा वस्तु से है। जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था ।

            कर दो प्रकार के होते हैं पहला डायरेक्ट टैक्स और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स अर्थात प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रत्यक्ष कर वे भरते हैं जो लोग नौकरी करते हैं और अप्रत्यक्ष कर सभी लोगों को सामान और सेवाओं के लिए देना पड़ता है।

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जीएसटी (GST) :- 

जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांधकर रखना है। यह संपूर्ण भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाने वाला एकल राष्ट्रीय एक समान कर है। जीएसटी वस्तुओं और सेवाओं को 5 टैक्स ( 0%, 5%, 12%, 18% और 28%) में विभाजित किया गया है।

  जीएसटी (GST) के अंतर्गत पंजीकरण :-

1 ऑनलाइन पंजीकरण

2 एक राज्य के लिए पंजीकरण

3 प्रत्येक व्यापार क्षेत्र के लिए अलग-अलग पंजीकरण

   जीएसटी के अंतर्गत किसको पंजीकरण करना चाहिए।

(a) जिसका वित्तीय वर्ष के दौरान कर योग्य आपूर्ति 20 लाख से अधिक हो।

(b) ई-कॉमर्स ऑपरेटर और उनके आपूर्तिकर्ताओं के लिए विभिन्न राज्यों के बीच की आपूर्ति कर्ताओं के लिए जीएसटी होना आवश्यक है। 

 (c) आकस्मिक एवं अनिवासी व्यवसायी

    जीएसटी (GST) कैसे काम करता है।

 जीएसटी सभी जरूरी प्रक्रियाओं के चरण में लगाया जाता है। यह बाद में निर्माता, थोक व्यापारी, खुदरा और उपभोक्ता द्वारा भुगतान लिया जाता है।  और इस जीएसटी को पंजीकृत डीलर द्वारा वसूला जाता है। तथा डीलर इस राशि को कर चलाने के रूप में सरकार को वापस भुगतान करते हैं।

    जीएसटी (GST) के प्रकार

 मूल रूप से जीएसटी चार प्रकार के होते हैं।

(क) केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) :- 

सीजीएसटी एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के साथ वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाला कर है इसके अंतर्गत केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय बिक्री कर, कस्टम ड्यूटी आदि टैक्स आते हैं ।

(ख) राज्य माल और सेवा कर (SGST) :- 

एसजीएसटी राज्य द्वारा राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर लगाए जाने वाला कर है इस तरह के GST प्रवेश कर और मनोरंजन कर आदि कर के जगह पर लगाया जाते हैं। 

(ग) एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) :-  

सीजीएसटी और एसजीएसटी वस्तुओं और सेवाओं के राज्य के भीतर लेनदेन पर लगाए गए कर है। वही आईजीएसटी(IGST) वस्तुओं और सेवाओं के दो राज्यों के बीच लेनदेन पर लगाए जाने वाला कर है। आईजीएसटी को केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता है।

 (घ) केंद्र शासित प्रदेशों के सामान और सेवा कर (UTGST) :- 

यूटीजीएसटी भारत के 5 केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार दीप समूह, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, चंडीगढ़ तथा लक्ष्यद्वीप में वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर लगाए गए कर है । केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पांडिचेरी में एसजीएसटी(SGST) है क्योंकि उनके पास अपनी विधायिका है।

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जीएसटी (gst) का संक्षिप्त इतिहास :- 

जीएसटी 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के सरकार में प्रस्तावित किया गया था। इस समिति का प्रतिपादन बाजपेई जी द्वारा पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता के माध्यम से किया जाना था। इस समिति का उद्देश्य GST मॉडल बनाना था। लेकिन तब इसे जारी नहीं किया गया इसे 1 जुलाई 2017 में भाजपा सरकार के नेतृत्व में लागू किया गया था।

भारत में जीएसटी (gst) का महत्व :-

 गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स भारत में एक आवश्यक अप्रत्यक्ष कर सुधार है। जीएसटी से पहले भारत में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई अप्रत्यक्ष कर लगाए गए थे GST से पहले अधिकांश सामान 26.5 प्रतिशत की कर सिमा में थे। लेकिन जीएसटी के बाद वे ज्यादातर 18% की कर सिमा के अंतर्गत आ गए।

निष्कर्ष :- 

 जीएसटी का कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह भाजपा सरकार द्वारा लिए गए एक महत्वपूर्ण कदम है। जो आगे चलकर देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत को बेहतर बनाएगी।

जीएसटी प्रक्रिया में सभी करो को एक साथ लाकर उसे बराबर से वितरित किया जाता है

 जीएसटी से कई लोगों को लाभ होगा।

 इससे दामों में गिरावट आएगी जीएसटी का मकसद है संपूर्ण भारत में एक समान कर का व्यवस्था लाना।

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जीएसटी पर निबंध

Essay on GST in Hindi : नमस्कार दोस्तों, यहाँ पर हमने जीएसटी पर निबंध (Essay on GST in Hindi) शेयर किया है। इस निबन्ध में जीएसटी पर विस्तार जानकारी प्रदान की है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।

Essay on GST in Hindi

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

जीएसटी पर निबंध | Essay on GST in Hindi

जीएसटी पर निबंध (200 शब्दों में).

जीएसटी का नाम तो आपने अवश्य सुना होगा लेकिन आपको जानकारी के लिए बता दें कि जीएसटी एक प्रकार का कर होता हैं, जो कि सामान और सेवा पर लगाया जाता हैं। जीएसटी की शुरुआत 2017 में हुई थी। जीएसटी से पहले हमारे देश में सभी अलग-अलग सामान और अलग-अलग सेवा पर कई भिन्न-भिन्न प्रकार के कर लगाए जाते थे।

केंद्र सरकार ने 2017 में जीएसटी को शुरू किया था और इस जीएसटी के अंतर्गत सभी सामान और सेवाओं पर केवल एक ही कर लगाया जाता है, जो कि जीएसटी हैं। जीएसटी को अलग-अलग भागों में बांटा गया हैं।

 जीएसटी तीन प्रकार की होती है:

जीएसटी को अलग-अलग सामान के अनुसार अलग-अलग प्रतिशत में डिवाइड किया गया है और जीएसटी को इस प्रकार विभाजित किया हैं।

वर्तमान समय में हर किसी सामान पर जीएसटी अनिवार्य हो चुका है और अगर कोई भी दुकान या कंपनी जीएसटी में रजिस्टर है तो उसे जीएसटी का पूरा हिसाब किताब भी रखना पड़ता हैं।

जीएसटी पर निबंध (1000 शब्दों में)

GST – वस्तु एवं सेवा कर GST एक बहु-चरण कर प्रणाली है, जो व्यापक प्रकृति की है और वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर लागू होती है। इस कराधान प्रणाली का मुख्य उद्देश्य अन्य अप्रत्यक्ष करों के व्यापक प्रभाव को रोकना है और यह पूरे भारत में लागू है।

GST क्या है?

GST वस्तु एवं सेवा कर के लिए खड़ा है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने मूल्य वर्धित कर, सेवा कर, खरीद कर, उत्पाद शुल्क आदि जैसे कई अन्य अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित करने के लिए शुरू किया है। भारत में कुछ वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला GST। यह एक ऐसा कर है, जो पूरे भारत में लागू है।

नीचे दिया गया है कि GST कैसे काम करेगा

निर्माता:- निर्माता को खरीदे गए कच्चे माल और उत्पाद बनाने के लिए जोड़े गए मूल्य पर GST का भुगतान करना होगा।

सर्विस प्रोवाइडर:- यहां सर्विस प्रोवाइडर को प्रोडक्ट के लिए चुकाई जाने वाली रकम और उसमें जोड़े गए वैल्यू पर GST देना होगा। हालांकि निर्माता द्वारा भुगतान किए गए कर को समग्र जीएसटी से कम किया जा सकता हैं, जिसका भुगतान किया जाना चाहिए।

रिटेलर:- रिटेलर को डिस्ट्रीब्यूटर से खरीदे गए प्रोडक्ट के साथ-साथ जो मार्जिन जोड़ा गया है, उस पर जीएसटी देना होगा। हालांकि रिटेलर ने जो टैक्स चुकाया है, उसे ओवरऑल जीएसटी से कम किया जा सकता है, जिसका भुगतान किया जाना जरूरी है।

उपभोक्ता:- खरीदे गए उत्पाद पर जीएसटी का भुगतान किया जाना चाहिए।

GST का इतिहास

1 जुलाई 2017 को भारत में वस्तु एवं सेवा कर लागू किया गया। लेकिन नई कर व्यवस्था को लागू करने की प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो गई थी। 2000 में भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने GST कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया। 2004 में एक टास्क फोर्स ने निष्कर्ष निकाला कि उस समय कर व्यवस्था को बढ़ाने के लिए नई कर संरचना को लागू किया जाना चाहिए।

2006 में 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी की शुरूआत का प्रस्ताव रखा और 2011 में GST कानून की शुरूआत को सक्षम करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किया। 2012 में स्थायी समिति ने GST के बारे में चर्चा शुरू की और एक साल बाद GST पर अपनी रिपोर्ट पेश की। 2014 में उस समय के नए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में GST विधेयक को फिर से पेश किया और 2015 में लोकसभा में विधेयक पारित किया। फिर भी कानून के कार्यान्वयन में देरी हुई क्योंकि इसे राज्यसभा  में पारित नहीं किया गया था।

जीएसटी 2016 में शुरू हो गया और संशोधित मॉडल जीएसटी कानून दोनों सदनों में पारित हो गया। भारत के राष्ट्रपति ने भी सहमति दी। 2017 में लोकसभा में 4 पूरक GST विधेयकों को पारित करने के साथ-साथ कैबिनेट द्वारा उसी की मंजूरी। राज्यसभा ने तब 4 पूरक GST विधेयक पारित किए और 1 जुलाई 2017 को लागू नई कर व्यवस्था।

GST लागू होने से पहले कर कानून

केंद्र और राज्य अलग-अलग टैक्स वसूल करते थे। राज्य के आधार पर, कर व्यवस्थाएं भिन्न थीं। भले ही एक व्यक्ति पर आयात कर लगाया गया था लेकिन बोझ दूसरे व्यक्ति पर लगाया गया था। प्रत्यक्ष कर के मामलों में करदाता को कर का भुगतान करना होगा। जीएसटी लागू होने से पहले भारत  में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स मौजूद थे।

GST के प्रकार

GST के मुख्य रूप से 3 प्रकार है, जोकि निम्नलिखित दिए गए हैं:

  • C GST:- यह एक प्रकार का केंद्र सरकार का टैक्स होता है, जो राज्य सरकार के टैक्स के साथ जुड़कर लगता है अगर कोई पार्टी अपने कस्टमर को सामान बेच रही है और वह कस्टमर उसी राज्य का है तो उस स्थिति में सी जीएसटी टैक्स लगाया जाता है और इसके साथ एस जीएसटी भी लगता हैं।
  • S GST:- यह एक प्रकार का राज्य सरकार का टैक्स होता है और इस टैक्स को केंद्र सरकार के टैक्स के साथ जोड़कर लगाया जाता हैं। यह टेक्स्ट भी एक राज्य कि दो पार्टियों के बीच सामान को खरीदने या बेचने पर लगाया जाता हैं।
  • I GST:- टैक्स केंद्र सरकार का होता है और यह टेक्स एक राज्य से दूसरे राज्य के पार्टियों के बीच सामान को खरीदने और बेचने पर लगाया जाता है, इस टैक्स को इंटीग्रेटेड टैक्स भी कहा जाता हैं।

GST के लिए कौन पात्र है?

  • ई-कॉमर्स एग्रीगेटर
  • E-commerce एग्रीगेटर्स के माध्यम से आपूर्ति करने वाले व्यक्ति
  • व्यक्ति जो REVERSE CHARGE MECHANISM के अनुसार कर का भुगतान करते हैं।
  • INPUT सेवा वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं के एजेंट
  • ऐसे व्यवसाय जिनका TURNOVER सीमा से अधिक हैं।
  • GST कानून से पहले पंजीकरण कराने वाले व्यक्तियों को पेश किया गया था।

GST का पंजीकरण

कोई भी कंपनी जो GST के तहत पात्र है, उसे भारत सरकार द्वारा बनाए गए GST पोर्टल में अपना पंजीकरण कराना होगा। पंजीकृत संस्थाओं को एक विशिष्ट पंजीकरण संख्या मिलेगी जिसे GSTIN कहा जाता है।

सभी सेवा प्रदाताओं, खरीदारों और विक्रेताओं के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य है। एक व्यवसाय जो एक वित्तीय वर्ष में कुल 20 लाख रुपये या उससे अधिक की आय करता है, उसे GST पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी। इसे संसाधित करने में 2-6 कार्य दिवस लगते हैं।

GSTIN को जानें – GST पहचान संख्या

प्रत्येक करदाता को प्रदान किया गया एक 15-अंकीय विशिष्ट कोड GSTIN है। आप जिस राज्य में रहते हैं और पैन के आधार पर GSTआईएन प्रदान किया जाएगा।

GSTIN के कुछ मुख्य उपयोगों का उल्लेख नीचे किया गया है:

  • नंबर की मदद से कर्ज लिया जा सकता है।
  • GSTआईएन के साथ रिफंड का दावा किया जा सकता है।
  • GSTIN की मदद से सत्यापन प्रक्रिया आसान है।
  • सुधार किए जा सकते हैं।
  • GST प्रमाणपत्र

GST प्रमाणपत्र एक आधिकारिक दस्तावेज है, जो संबंधित अधिकारियों द्वारा उस व्यवसाय के लिए जारी किया जाता हैं। जिसे GST प्रणाली के तहत नामांकित किया गया है। 20 लाख रुपये या उससे अधिक के वार्षिक कारोबार वाले किसी भी व्यवसाय और कुछ विशेष व्यवसायों को इस प्रणाली के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है।

GST पंजीकरण प्रमाणपत्र फॉर्म GST REG-06 में जारी किया जाता है। यदि आप इस प्रणाली के तहत एक पंजीकृत करदाता हैं तो आप आधिकारिक GST पोर्टल से GST प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकते हैं। प्रमाण पत्र भौतिक रूप से जारी नहीं किया जाता है। यह केवल डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध है।

GST प्रमाणपत्र में GSTIN, कानूनी नाम, व्यापार का नाम, व्यवसाय का संविधान, पता, दायित्व की तिथि, वैधता की अवधि, पंजीकरण के प्रकार, अनुमोदन प्राधिकारी का विवरण, हस्ताक्षर, अनुमोदन करने वाले GST अधिकारी का विवरण और प्रमाणपत्र जारी करने की तिथि शामिल है।

GST रिटर्न एक दस्तावेज है, जिसमें उस आय के बारे में जानकारी होती हैं, जिसे करदाता को अधिकारियों के पास दाखिल करना चाहिए। यह जानकारी करदाता की कर देयता की गणना करने के लिए उपयोग की जाती है। माल और सेवा कर के तहत, पंजीकृत डीलरों को अपनी खरीद, बिक्री, इनपुट टैक्स क्रेडिट और आउटपुट GST के विवरण के साथ अपना GST रिटर्न दाखिल करना होगा। व्यवसायों से 2 मासिक रिटर्न के साथ-साथ वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की उम्मीद की जाती है।

GST परिषद ने विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए GST दरें निर्धारित की हैं। जबकि कुछ उत्पाद बिना किसी GST के खरीदे जा सकते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो 5% GST, 12% GST, 18% GST और 28% GST पर आते हैं। जुलाई 2017 में नई कर व्यवस्था लागू होने के बाद से वस्तुओं और सेवाओं के लिए GST दरों में कुछ समय के लिए बदलाव किया गया है।

जैसा कि हमने आपको बताया है कि जीएसटी एक प्रकार का गुड्स एंड सर्विस टैक्स होता हैं। वर्तमान समय में यह एक टेक्स्ट संपूर्ण भारत में लागू होता है साथ ही अगर आप किसी भी प्रकार के प्रोडक्ट को खरीदते हैं तो उस पर केवल एक ही टैक्स लगाया जाता है जो कि जीएसटी है।

आज के इस लेख “जीएसटी पर निबंध (Essay on GST in Hindi)” के माध्यम से हमने आप सभी को जीएसटी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करवाई है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको आज की यह जानकारी अवश्य पसंद आई होगी।

  • नरेंद्र मोदी पर निबंध
  • मौलिक अधिकार पर निबंध
  • डोमिनेशन पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Essay on GST in Hindi Language – जीएसटी पर निबंध

June 25, 2018 by essaykiduniya

Get information about GST in Hindi Language. Get Paragraph and Short Essay on GST in Hindi Language / Goods and Service Tax GST par Nibandh Hindi Mein for students of all Classes in 250, 300, 400, 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में जीएसटी पर निबंध मिलेगा।

Essay on GST in Hindi Language

जीएसटी पर निबंध – Essay on GST in Hindi 250 words 

1 जुलाई, 2017 में सरकार द्वारा अलग अलग कर हटाकर एक कर की व्यवस्था कर दी गई है जिसे वस्तु एवं सेवा कर का नाम दिया गया है। सभी लोग इसे जी. एस.टी. के नाम से जानते है। जी.एस.टी. की वजह से लोगों को काफी सुविधा हुई है क्योंकि अब उन्हें हर चीज का अलग अलग नहीं देना पड़ता था और एक कर की वजह से लोग ज्यादा से ज्यादा कर देने लगे जिससे काले धन में गिरावट हुई और देश के कोष में धन आने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है ।

एक कर की व्यवस्था होने से बहुत से लाभ हुए है और उन्हें अलग अलग तरह से विभाजित किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर सामान बेचने वालों पर नहीं लगता है बल्कि वह अप्रत्यक्ष रूप से सामान खरीदने वाले पर लगता है। राज्य के अंदर राज्य वस्तु एवं सेवा कर लगता है। जी.एस.टी. लागु होने से कुछ चीजे सस्ती हुई है तो कुछ के दाम में बढ़ोतरी हुई है। सरकार की इस नीति से देश को बहुत लाभ हुआ है और यह देश के लिए बहुत ही कल्याणकारी है। हम सबको मिलकर कर अदा करना चाहिए और देश को मजबूत बनाने में सहयोग देना चाहिए।

Essay on GST in Hindi Language – जीएसटी पर निबंध ( 300 words )

जीएसटी अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली का नवीनतम रूप है जिसे पहली बार 2006 में संसद में प्रस्तावित किया गया था, और अंततः 1 जुलाई, 2017 को माल और सेवा कर अधिनियम द्वारा भारत सरकार द्वारा लागू किया गया था। इसने जगह ले ली है और इसे समाप्त कर दिया गया है वैट और बिक्री कर की पूर्ववर्ती जटिल प्रणाली। माल और सेवा कर दुनिया भर में 140+ देशों में पहले से मौजूद है और इसे पहली बार फ्रांस 1954 में पेश किया गया था। भारत के अधिकांश देशों के विपरीत, हमारे पास दोहरी कर प्रणाली है, यानी, दो कर चुकाने होंगे – केंद्र सरकार (अब केंद्रीय जीएसटी) और कर सरकार को कर (अब राज्य जीएसटी के रूप में जाना जाता है) कर।

केंद्रीय जीएसटी या सीजीएसटी सभी पूर्व मौजूदा केंद्रीय स्तर करों को हटा देगा – केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, केंद्रीय सेवा कर, सीमा शुल्क के अतिरिक्त शुल्क, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा सरचार्ज। राज्य जीएसटी या एसजीएसटी सभी पूर्व मौजूदा करों को राज्य सरकार, अर्थात् – वैट, बिक्री कर, खरीद कर, मनोरंजन कर, लक्जरी कर, लॉटरी कर, विविध राज्य सेस और सरचार्जों को प्रतिस्थापित करेगा। अभी भी कुछ कर हैं जो जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं जिनमें सीमा शुल्क, स्टाम्प ड्यूटी, पेट्रोलियम कर, बिजली कर और शराब कर शामिल है।

“उपभोक्ता आज राजा है, और जीएसटी के साथ, हम करों में समानता लाने का इरादा रखते हैं” – संसद द्वारा संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित होने पर ये प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शब्द थे। किसी ने भविष्य को नहीं देखा है और इस समय, हम केवल अनुमान लगा सकते हैं कि हमारे दैनिक जीवन और भविष्य में जीएसटी का क्या असर होगा।

GST Par Nibandh – Essay on GST in Hindi Language in 400 words 

कर किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रचलित है। अप्रत्यक्ष कर बेहद कुटिल और सार्वभौमिक प्रकृति होने के कारण निचले वर्ग को प्रभावित करते हैं। इसलिए, उनमें सुधार वांछनीय है। भारत सरकार ने कर सुधार के लिए 122 वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसे 1 जुलाई 2017 से स्तर स्तर पर लागू किया जाएगा। देश, बाजार और कर पर आधारित यह कर प्रणाली माल और सेवाओं की लागत को स्थिर करेगी। जीएसटी कार्यान्वयन पर, उत्पाद शुल्क, बिक्री कर, सेवा कर जीएसटी में शामिल किया जाएगा, जो घरेलू और दैनिक वस्तुओं की वस्तुओं को कम करेगा।

यह खपत में वृद्धि करेगा, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन, विनिर्माण उद्योग और विदेशी निवेश में वृद्धि होगी जो रोजगार के अवसरों में वृद्धि करेगी। यह एक तीन-स्तरीय-सीजीएसटी, एसजीएसटी और आईजीएसटी कर संरचना है जो केंद्रीय, राज्य और मध्यवर्ती व्यापार द्वारा किया जाएगा। यह संघीय संरचना को मजबूत करेगा। कर निर्धारण के लिए जीएसटी परिषद भी स्थापित की गई है, जिसका अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होगा।

हालांकि, वर्ष की शुरुआत में, राज्यों की राजस्व हानि, विवादों का निपटान, नई कर प्रणाली के कर्मचारियों के प्रशिक्षण, थ्रेसहोल्ड सीमा निर्धारण के लिए इस तरह के बड़े आर्थिक सुधार को लागू करने में कुछ बड़ी चुनौतियां हैं कुछ सेवाएं महंगा होने की संभावना है जीएसटी कार्यान्वयन के लिए और अंतर-राज्य व्यापार शुल्क में कमी के कारण, व्यवसायी और निवेशक क्षेत्रीय विकास और स्थानीय रोजगार के बजाय क्षेत्रीय आसानी को महत्व देंगे। हालांकि, इसे अच्छी रणनीति और न्यायिक प्रणाली द्वारा सरकार द्वारा कुशल बनाया जा सकता है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा और व्यापार सुविधा के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की पहचान के लिए ऐसे प्रभावी परिवर्तन आवश्यक हैं।

What is Tax? कर क्या है?

जीएसटी को पूरी तरह से समझने के लिए, हमें पहले भारत में कराधान प्रणाली की मूल बातें के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है। करों को व्यापक रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

प्रत्यक्ष कर –

हमारे आयकर और संपत्ति कर शामिल हैं। यह कर किसी व्यक्ति द्वारा बिना किसी व्यक्ति के सीधे सरकार को भुगतान किया जाता है; यहां नागरिक भुगतानकर्ता है और सरकार कलेक्टर है।

अप्रत्यक्ष कर –

जीएसटी, सीमा शुल्क कर, लक्जरी कर जैसे अन्य कर शामिल हैं। यह कर सीधे ग्राहक द्वारा सरकार को भुगतान नहीं किया जाता है; इसके बजाय यह कर भुगतान की एक श्रेणीबद्ध प्रक्रिया का पालन करता है जिसमें प्रत्येक भाग लेने वाले व्यक्ति (जैसे ग्राहक, खुदरा विक्रेता, संपूर्ण विक्रेता और निर्माता) कर के अपने हिस्से का भुगतान करते हैं।

जीएसटी पर निबंध – Long Essay on GST in Hindi Language 5oo words

जीएसटी या वस्तु एवं सेवा कर सरकार द्वारा लगाया जाने वाला बहु स्तरीय, गंतव्य आधारित कर है जिसकी शुरुआत 1 जुलाई, 2017 से की गई थी। जीएसटी के आने से लोगों को अब सभी सुविधाओं के लिए एक ही कर देना पड़ता है जबकि पहले विभिन्न प्रकार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर देना पड़ता था। जीएसटी ने कर अदा करने की प्रक्रिया को पहले से सरल बना दिया है और व्यापारियों को विभिन्न कर से मुक्ति दिला एक कर का प्रावधान रखा है। जीएसटी को यदि सरल भाषा में समझा जाए तो यह वह कर है जो किसी भी वस्तु, सामान या सेवा पर लगाया जाता है।

जीएसटी के प्रकार-

जीएसटी विभिन्न स्तरों पर लागू की जाती है और वो भी अलग अलग दरों पर। जब कभी भी कोई भी व्यापार किसी एक राज्य के अंतर्गत किया जाता है तो उस पर राजकीय जीएसटी और केंद्रीय जीएसटी लगती है और यदि व्यापार दो राज्यों के बीच में किया जाए तो उसपर अंतरराज्यीय वस्तु एवं सेवा कर लगता है।

जीएसटी का लागू क्षेत्र-

वस्तु एवं सेवा कर हमेशा उन क्षेत्रों में लागू होता है जहाँ पर उसका उपभोग किया जाता है। जीएसटी उस राज्य से लिया जाता है जहाँ पर सामान बेचा गया है ना कि उस राज्य में जहाँ से सामान खरीदा गया है। यदि देखा जाए तो अप्रत्यक्ष रुप से ग्राहक को ही कर अदा करना पड़ता है। ग्राहक को किसी भी वस्तु की कीमत उसमें जीएसटी जोड़ कर ही बताई जाती है। इसका मतलब ग्राहक को सामान की कीमत के साथ साथ जीएसटी भी भरना पड़ता है जिससे दुकानदार सरकार को कर का भुगतान करता है। शराब और पैट्रोल के पांच तत्वों को जीएसटी से बाहर रखा गया है। सबसे ज्यादा जीएसटी 28 प्रतिशत आरामदायक और भोग विलास की चीजों पर लगता है और बाकी सभी क्षेत्रों में भी जीएसटी की दरें अलग अलग है।

जीएसटी के लाभ-

जीएसटी लागू होने की वजह से सबके लिए एक कर की व्यवस्था हुई है जिसका सीधा लाभ आम आदमी को हुआ है क्योंकि अब वह पूरे देश में किसी भी सामान को एक ही दाम पर खरीद सकता है। जीएसटी लागू होने की वजह से अलग अलग तरह के कर खत्म हो गए है जिससे कर विभाग में हेरा फेरी कम हुई है और कर की पारदर्शिता बढ़ी है। अलग अलग प्रकार का कर न होने के कारण व्यापार सरल हुआ है और व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। व्यापारियों को अब कम कर देना पड़ता है जिससे उन पर से कर का बोझ हट गया है।

जीएसटी ने जहाँ एक तरफ कर व्यवस्था को सरल और सहज बना दिया है वहीं दुसरी तरफ इसके आने से राज्य को बहुत सी हानियाँ भी हुई है। केंद्र सरकार ने 5 साल तक राज्य को होने वाले नुकसान का भुगतान करने का भुगतान किया है लेकिन उसके बाद जीएसटी सबके लिए ही लाभकारी सिद्ध होगी और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी जिससे देश प्रगति की राह पर अग्रसर होगा। हम सबको जीएसटी को स्वीकार करके कर अदा करना चाहिए और देश को उन्नत बनाना चाहिए।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on GST in Hindi Language – जीएसटी पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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  • UPSC FAQs /

GST in Hindi | जीएसटी क्या है और यह क्यों जरूरी है?

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  • Updated on  
  • अगस्त 10, 2023

GST in Hindi

प्रतियोगी परीक्षाओं में करंट अफेयर्स से जुड़े क्वेश्चन पूछे जाते हैं, क्योंकि करंट अफेयर्स का उद्देश्य मनुष्य की समझ को विस्तार करना है। UPSC में प्री और मेंस एग्जाम के अलावा इंटरव्यू का भी महत्वपूर्ण रोल है, इसलिए कैंडिडेट्स को रोजाना हो रहीं आसपास और देश-दुनिया की घटनाओं को समझना होगा। आज हम इस ब्लाॅग GST in Hindi में जीएसटी क्या है और यह क्यों जरूरी है के बारे में जानेंगे, जिसे आप अपनी तैयारी में जोड़ सकते हैं।

जीएसटी क्या है? 

जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विस टैक्स है। हिंदी में इसे माल एवं सेवा कर कहा जाता है। जीएसटी को वस्तुओं की खरीदारी और सेवाओं का उपयोग करने के लिए देना होता है। 2017 से पहले कई तरह के टैक्स चलन में थे। टैक्स GST के नाम से लागू हो गया है। जीएसटी को 1 जुलाई 2017 से इसे इंडिया के सभी स्टेट्स और यूनियन टेरिटेरीज में लागू कर दिया है।

GST in Hindi महत्वपूर्ण क्यों है?

भारत में टैक्स संरचना में बदलाव की जरूरत बताते हुए केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी को लागू किया गया है। GST in Hindi महत्वपूर्ण क्यों है के बारे में यहां प्वाइंट्स में बताया गया हैः

  • जीएसटी के आने से पहले के सभी कर का चलन खत्म किया गया।
  • जीएसटी में 2 कर शामिल हैं- प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर।
  • पहले राज्यों और केंद्र सरकार के कर अलग-अलग थे, लेकिन जीएसटी के आने के बाद एक ही कर है।
  • जीएसटी के लागू होने से इंडिया में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा।
  • जीएसटी सभी व्यवसायों और व्यक्तियों पर लागू होगा।
  • जीएसटी ने विभिन्न कर लाइनों को एकीकृत किया है। 
  • जीएसटी करों के बोझ को कम करता है और कर भुगतान का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
  • जीएसटी व्यापार करने में आसानी में मदद करता है।

इस तरह वसूल लिया जाता है GST 

GST in Hindi जानने के साथ ही यह समझना जरूरी है कि यह कैसे वसूल किया जाता है और इसमें 4 प्वाइंट्स शामिल हैंः 

  • CGST- सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Central Goods and Service Tax)
  • SGST- स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (State Goods and Service Tax)
  • UTGST/UGST- यूनियन टेरेटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Union Territory Goods and Service Tax)
  • IGST- इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Integrated Goods and Service Tax).

ऑफिशियल वेबसाइट से।

गुड्स एंड सर्विस टैक्स।

एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu में सीखने की प्रक्रिया जारी है। शुभम को 4 वर्षों का अनुभव है, वह पूर्व में Dainik Jagran और News Nib News Website में कंटेंट डेवलपर रहे चुके हैं। न्यूज, एग्जाम अपडेट्स और UPSC में करंट अफेयर्स लगातार लिख रहे हैं। पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद शुभम ने एजुकेशन के अलावा स्पोर्ट्स और बिजनेस बीट पर भी काम किया है। उन्हें लिखने और रिसर्च बेस्ड स्टोरीज पर फोकस करने के अलावा क्रिकेट खेलना और देखना पसंद है।

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What is gst in hindi and essay on gst in hindi.

What is GST in Hindi/ Gst kya hai Hindi me? We are going to write an essay on GST in Hindi which will help you enhance information about GST in Hindi. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और विद्यार्थियों के लिए जीएसटी पर निबंध हिंदी में। After reading article on GST in Hindi most of you will get to what is GST in India in Hindi.

Good and Service Tax in Hindi language was as in exams. You make get questions like what is GST benefits in Hindi, GST history in Hindi, Types of GST in Hindi , GST details in Hindi, GST notes in Hindi and all about GST in Hindi. Now you can describe GST in Hindi and give GST knowledge/ information in Hindi to your family and friends. Read Essay on GST in Hindi.

Essay on GST in Hindi जीएसटी पर निबंध

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Essay on GST in Hindi 300 Words

‘एक देश, एक टैक्स’

GST यानी वस्तु एवं सेवा कर इसके तहत भारत एक सिंगल टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बन जायगा। जीएसटी के लागू होने से सामानों और सेवाओं पर लगने वाले अलग अलग टैक्स खत्म हो जायेंगे और देश के सभी लोग सिर्फ एक तरह का टैक्स देंगे जिसे जीएसटी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने कर सुधार हेतु 122 संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी और 1 July 2017 से पूरे देश में जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर लागू कर दिया गया। मुख्य भाग

जीएसटी की आवश्यकता

GST के लागू होने से पहले पूरे भारत में कई सामानों की कीमत अलग अलग राज्यों में अलग अलग होती थी क्योंकि उस समय पूरे भारत में कर ढांचा बहुत ही जटिल था। उस स्थिति में हमें किसी भी वस्तु पर करीब 30 से 35% तक कर चुकाना पड़ता था। कुछ वस्तुओं पर तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से लगाया जाने वाला यह कर 50% तक पहुंच जाता था।

“जीएसटी से बदलेगा देश, यही है जीएसटी का सन्देश”

पूरे देश में किसी वस्तु की कीमत एक जैसी करने के लिए जीएसटी की आवश्यकता है और इससे सरकार के राजस्व में तीव्र वृद्धि की संभावना है।

जीएसटी के लाभ

जीएसटी लगने के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाले अलग अलग टैक्स खत्म हो गए और ‘एक देश, एक टैक्स’ का नियम लागू हो गया। जीएसटी के तहत 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब बनाए गए।

एक ही कर लगने से भारत के सभी राज्यों के मध्य व्यापार करना सरल हो जाएगा। GST के लागू होने से जीडीपी में 2% की वृद्धि हो सकती है। इसके लागू हो जाने से टैक्स की चोरी में कमी आएगी तथा टैक्स पर टैक्स वाली दोहरी टैक्स व्यवस्था से भी छुटकारा मिल जाएगा।

जीएसटी के नुक्सान

GST विधेयक के लागू होने से राज्यों को व्यापक तौर पर नुकसान होने की संभावना है क्योंकि जीएसटी के लागू होने के बाद वे कई प्रकार के कर जैसे वैट एंट्री टैक्स चुंगी वसूल नहीं पाएंगे। इससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक उचित व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक राज्य को पहले तीन वर्षों के लिए 100% मुआवजा दिया जाएगा जबकि चार वर्ष के बाद 75% और पांच वर्ष के बाद 50% राजस्व क्षति पर क्षतिपूर्ति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।

“जीएसटी बिल का करो स्वागत, इससे मिलेगी अर्थव्यवस्था को ताकत”

कर प्रणाली किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होती है। यह जितनी ज्यादा मजबूत होगी आर्थिक ढांचा उतना ही अधिक मजबूत होगा। यह विधेयक आज आम आदमी के लिए काफी फायदेमंद है क्योंकि जी एस टी लगने के बाद सभी जगह वस्तुएं एक समान दाम पर मिलेंगे।

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Introduction

GST is an acronym for goods and services tax. The GST has been introduced as a part of the reforms in India's taxation system to make the process simplified and more transparent. In this essay, we will discuss what GST is, how it is applied, the problem faced by businesses as well as common people due to GST implementation and the possible solutions that the government can take to mitigate those problems.

What is GST?

GST stands for Goods and Services Tax, and it is a tax that is levied on the manufacture, sale, or consumption of goods and services at a national level. The GST replaces all the indirect taxes that are currently being levied in India, such as service tax, value-added tax (VAT), central excise duty, etc.

The GST is levied on every transaction that takes place within India's territory, and it will be the responsibility of the buyer to pay the applicable taxes for any goods or services purchased. GST aims to do away with all indirect taxes like service tax, VAT, etc., making India a single market.

How is GST Applied?

The GST is a destination-based tax, and it will be levied on the value of the goods or services that are consumed within India's territory. The tax will be collected by the person who is responsible for the final consumption of the good or service. For example, if an item is produced in India and is sold to a consumer in another state, the GST will be levied by the state in which the final consumption takes place.

The GST is a multi-stage tax, and it will be levied at every stage of production and distribution of goods and services. The rate of GST at each stage will be based on the value addition that has taken place at that stage.

The GST aims to simplify the taxation system by ensuring a single tax rate across India's territory, thus making sure that goods and services are not taxed multiple times at different rates even if they cross through multiple states before reaching their destination.

Essay on GST

GST was firstly launched in 1954 in France. Currently, 160 countries in the world have implemented GST. As the Canadian model of GST has a federal structure, India has chosen the Canadian model of dual GST. GST stands for goods and service tax which has been applicable in India since July 1st 2017, so July 1st is declared as 'GST day. More specifically, Asam was the first state to get applied with GST. During the passing of the 'GST Bill' in the parliament, 336 votes were with it, and 11 votes were against it. The previous structure of indirect taxes in India was very complex, and quantitative taxes were levied by the central government and state government on goods and services. It has been a long-pending issue to streamline a variety of indirect taxes and implement a 'single taxation' system. 

GST requires businesses who have exceeded the prescribed threshold value to register and must keep records of all inputs and outputs. It is exempted from a few products such as alcohols, natural gas, motor spirits and crude petroleum products. GST is simple in a calculation, simply multiplying taxable amount by GST rate. GST rates are covered under 5 tax slabs as 0%, 5%, 12%, 18% and 28%. Most goods fall under the tax slab of 5%, 12% and 18%, while certain services are under 18%. Cement, tobacco lies under the highest tax slab of 28%.

The GST system is categorised into Central GST, also known as CGST, State GST known as SGST and Integrated GST known as IGST. CGST is levied by the central government, SGST by the state government and IGST by the central government on inter-state supplies. In short, while selling within the same state, CGST and SGST need to be paid, and in Inter-state, IGST is.

Due to the implementation of GST, the count of incidences of tax evasion came down in the country, which brings an increase in tax collection for the government. GST has been implemented under Article 279 of the Indian Constitution. The existence of sales tax, service tax, customs duty, excise duty, VAT, Octroi tax etc., vanished. Moreover, A very common procedure for registration of taxpayers, refund of taxes, uniform format of tax returns. With minimum tax or even no tax, the exporters are encouraged to export with the best quality and increase the economy. 

GST proved beneficial with more transparency, efficient compliance to central and state manufactures. GST assists in the growth of the Gross Domestic Products (GDP). GDP is expected to increase by 2%. Before the implementation of GST, the prices of the commodity were varying state to state. But, the prices became uniform throughout the country as the GST applied. The implementation of GST has proven a great decision for the country's people. The common man has gained momentum in life due to GST. True life is lived when a few changes occur in it. In addition, GST makes the Indian companies more compatible with the foreign companies and the Indian market more stable than the previous one.

GST is a country-wide tax and was introduced as The Constitution (One Hundred and First Amendment) Act 2017. GST had brought uniformity in the indirect taxation system, which had differently levied by states and centres before now. Different taxes, such as central excise duty, state VAT, etc., have been unified under one single umbrella of GST. Now, businesses do not have to pay taxes as per the state they belong to. Moreover, it has simplified tax calculation as well as returns filing. Under GST, businesses that exceed the prescribed threshold value must register themselves, keep records of input and output, and file their GST returns regularly.

GST is a 'one country-one tax' system. It requires businesses that have exceeded the prescribed threshold value to register and keep records of all inputs and outputs. There are five tax slabs under GST, that is 0%, 5%, 12%, 18% and 28%. Most goods fall under the 5%, 12%, and 18% tax slab, while certain services are subject to 18%. Cement, tobacco lies under the highest tax slab of 28%.

GST is governed by three different acts: The Central Goods and Services Tax Act 2017, Integrated Goods and Services Tax Act 2017, and Union Territory Goods and Services Tax Act 2017. It includes central excise duty that falls under One Hundred and the First Amendment of the Constitution of India.

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FAQs on GST Essay

1.What is GST?

GST stands for Goods and Services Tax, a tax that has been applicable in India since July 1st, 2017. It is a single tax that is levied on goods and services, and it replaces the previous structure of indirect taxes in India, which were very complex. GST simplifies the calculation of taxes by multiplying the taxable amount by the GST rate. The tax rates are covered under 5 tax slabs which are 0%, 5%, 12%, 18% and 28%. One of the benefits of GST is that it brings more transparency and efficiency to the compliance of taxes by both central and state manufacturers. Businesses that exceed the prescribed threshold value are required to register and must keep records of all inputs and outputs.

2.How is GST beneficial?

There are many benefits of GST, such as the implementation of a simple taxation system that enables businesses to calculate their taxes easily. It eliminates the indirect taxes, including VAT, CST, Excise Duty and Service Tax. Also, it encourages exports which in turn leads to an increase in GDP. The government's revenue also increases since there is a reduction in tax evasion and the expenses on tax collection and compliance drop. Moreover, GST makes goods and services more affordable as most of them are now under the 18% tax slab. Businesses are no longer required to register multiple times for different indirect taxes, which means that the compliance process becomes easier, and there is less chance of error.

3.What is the difference between Central and State GST?

Central GST is also known as CGST, and State GST is also known as SGST. The main difference between the two is that CGST is levied by the Central Government, and SGST is levied by the State government. IGST is levied by the Central government on inter-state supplies. All three taxes (CGST, SGST and IGST) are collected by the Government of India and then distributed among the states. One should know that the tax rates for CGST, SGST and IGST are different. Different states have different tax slabs. One should be aware of the tax slab for their state in order to pay the correct GST. This will ensure that one is not required to pay more than the amount due.

4.What is the impact of GST on businesses?

The implementation of GST has positively impacted businesses as it has brought more transparency and efficiency to the compliance process. Businesses are now required to register only once and keep track of all input and output transactions. The tax rates are also clearer, making it easier for businesses to calculate their taxes. There is a reduction in tax evasion and the overall expenses on tax collection and compliance. GST has also made Indian businesses more competitive in the global market as it is now aligned with international taxation standards.

5.What are the benefits of GST for consumers?

The main benefit of GST for consumers is that it makes goods and services more affordable as most of them are now under the 18% tax slab. GST has also removed the cascading effect of taxes, which means that there is no tax on tax. This results in a decrease in the prices of goods and services. Consumers are now required to pay tax only on the amount they receive from the business. The benefits of GST for consumers also include a reduction in turn-around time for businesses since there is no need to register multiple times. This means that they receive their goods and services faster. The implementation of GST has had a positive impact on most sectors. The transportation, banking and insurance, telecom and IT sectors have all received benefits from GST.

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Essay on GST In Hindi | जीएसटी पर निबंध

नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता पर आने के बाद से ही कई बड़े फैसले लिए। इन बड़े फैसलों में जीएसटी भी अहम रहा। नोटबंदी के बाद जीएसटी पर सबसे अधिक बहस की गई। जीएसटी को पूरे देश में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था।

इतना तो हम सभी जानते हैं कि जीएसटी एक ऐसा टैक्स है जिसकी दर पूरे देश में एक जैसी है। लेकिन हम में से बहुत से लोग जीएसटी के इतिहास, इसके प्रकारों और जीएसटी से जुड़ी कई जानकारियों के बारे में नहीं जानते। तो चलिए इस लेख के जरिए जानते हैं, जीएसटी के बारे में संपूर्ण जानकारी।

टैक्स क्या होता है?

हम में अधिकतर लोग ये जानते हैं कि जीएसटी एक तरह का टैक्स होता है। लेकिन जीएसटी के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए आपको टैक्स के बारे में समझ होना जरूरी है। दरअसल, टैक्स दो तरह का होता है। एक डायरेक्ट टैक्स, दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स। जो लोग नौकरी करते हैं, उनकी सैलरी में से जो पैसे टैक्स के तौर पर काटे जाते हैं, वे डायरेक्ट टैक्स की श्रेणी में आते हैं। डायरेक्ट टैक्स को देने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 4% है क्योंकि नौकरी पेशा लोगों की संख्या कम है।

वहीं इनडायरेक्ट टैक्स उन उत्पाद और सेवाओं पर लगाया जाता है जिनकी खरीद बिक्री आप करते हैं। आइए एक नजर डालते हैं, उन टैक्सों पर जो जीएसटी के आने से पहले लगाए जाते थे।

  • सेंट्रल एक्साइज टैक्स – यह टैक्स किसी भी उत्पाद के प्रोडक्शन पर लगाया जाता है जैसे कि स्टील की कीमत असल में कुछ और होती है, लेकिन जब इसी स्टील से पंखा बना लिया जाता है, तब इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो जाती है। इस टैक्स को केंद्र सरकार वसूलती थी।
  • सेल्स टैक्स – यह टैक्स सामान की बिक्री पर लगाया जाता है। जब एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान की बिक्री की जाती है, तब इसे केंद्र सरकार वसूलती है। लेकिन अगर एक राज्य में तैयार किया गया सामान उसी राज्य में बेचा जाता है, तब इसे राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है।
  • सर्विस टैक्स – यह टैक्स 90 के दशक से ही लगाया जाता था। इस टैक्स की ये खासियत थी कि इसे जबरदस्ती बढ़ाया नहीं जा सकता था। अब तक इस टैक्स को सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता था, लेकिन जीएसटी के बाद से इसे राज्य सरकार भी वसूलती है।

यह थे कुछ प्रमुख टैक्स जो कि जीएसटी के आने से पहले लगाए जाते थे। हालांकि इसके अलावा भी कई छोटे-बड़े टैक्स भी लगाए जाते थे।

जीएसटी क्या है?

जीएसटी का फुल फॉर्म ‘वस्तु और सेवा कर’ है। अंग्रेजी में इसका फुल फॉर्म ‘Central Goods and Service Tax’ है। जीएसटी को अगर आसान शब्दों में समझें तो ये ‘एक देश, एक टैक्स’ व्यवस्था है। यानी कि जब भी आप किसी उत्पाद को खरीदते हैं या फिर सर्विस लेते हैं, तब हमें उस उत्पाद का टैक्स भरना पड़ता है।

जीएसटी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि उत्पाद पर लगने वाले इस टैक्स की दर पूरे देश में एक ही होती है। यानी कि देश के किसी भी हिस्से पर बैठे कंजूमर और उपभोक्ता को उस वस्तु या सेवा पर एक समान टैक्स देना पड़ता है।

बहुत से लोग ये समझते हैं कि जीएसटी नए जमाने की उपज है। लेकिन जीएसटी की धारणा कई सालों पहले ही आ चुकी थी। समय-समय पर जीएसटी को लेकर अलग-अलग सरकारों ने कई प्रस्ताव भी पारित किए और इसके परिणामस्वरूप साल 2017 में वर्तमान बीजेपी सरकार द्वारा जीएसटी का प्रस्ताव पारित किया गया।

जीएसटी का इतिहास

आप में से बहुत से लोग ये सोचते होंगे कि जीएसटी का भला क्या इतिहास होगा? क्योंकि यह तो कुछ समय पहले ही लागू की गई है। हालांकि हम आपको बता दें, जीएसटी साल 1999 में ही प्रस्तावित कर दी गई थी। दरअसल, उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने जीएसटी का प्रस्ताव रखा था जिसे लेकर उस दौरान पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री रहे असीम दासगुप्ता ने जीएसटी समिति का भी गठन किया था।

जीएसटी को लागू करने की कवायत लंबे समय से चली आ रही थी और साल 2004 में कांग्रेस की सरकार के आ जाने से जीएसटी लागू नहीं की जा सकी। हालांकि कांग्रेस के शासनकाल के दौरान भी कई बार जीएसटी को लेकर प्रस्ताव पेश किए गए, तो कभी समितियों का गठन किया गया। लेकिन तब भी यह पारित नहीं की जा सकी और अंततः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 को जीएसटी को आखिरकार लागू किया गया।

जीएसटी के प्रकार

आप यह तो जानते होंगे कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को भारत के केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण देश में लागू किया गया है। हालांकि जीएसटी को भी 3 प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है। आइए इन भागों के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं:-

  • केंद्र वस्तु और सेवा कर ( CGST) – जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, केंद्र वस्तु और सेवा कर को केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया है। ये भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। वस्तुओं के निर्माण और खरीद बिक्री पर यह कर लगाया जाता है।
  • राज्य माल और सेवा कर ( SGST) – इस तरह का टैक्स राज्य के अंदर आने वाले वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। यानी कि जब कोई व्यापारी अपने ही राज्य के अन्य व्यापारी से कोई सामान खरीदता है या फिर सेवा हासिल करता है, तो उसे ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को SGST देना पड़ता है।
  • इंटीग्रेटेड जीएसटी ( IGST) – CGST और SGST के संयोजन से IGST तैयार होता है। इस तरह का टैक्स उस समय लगाया जाता है, जब दो अलग-अलग राज्यों के व्यापारियों के बीच वस्तु और सेवा से संबंधित कोई डील की जाती है। इस तरह का टैक्स व्यापारी सिर्फ केंद्र सरकार को देते हैं। लेकिन IGST को भी दो भागों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा रखा जाता है, वही इसका दूसरा हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा रखा जाता है। लेकिन आईजीएसटी टैक्स को रखने का मूल अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास होता है।

यह तो रहे जीएसटी के प्रमुख प्रकार, इसके अलावा भी जीएसटी का एक प्रकार है जिसे सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बनाया गया है। इस जीएसटी का नाम है केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर (UTGST) है। इस तरह का जीएसटी देश में मौजूद केंद्र शासित प्रदेशों जैसे कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन द्वीप, चंडीगढ़, लक्षद्वीप आदि पर लगाया जाता है।

जीएसटी की क्या आवश्यकता है?

जैसा कि आप जानते हैं टैक्स सिस्टम सामान के बनने, उसके सप्लाई होने तथा रिटेल में बिकने पर लगाया जाता है। पहले जीएसटी के साथ यह समस्या थी कि हर राज्य में सामान पर लगने वाले टैक्स हो कभी घटाया तो कभी बढ़ाया जाता था।

ऐसे में अब पुराने टैक्स के बजाय जीएसटी सामानों और सेवाओं पर लगाया जाता है, तो इसकी दरें एक समान रहती हैं। वैसे तो इससे जनता को कोई डायरेक्ट लाभ नहीं पहुंचेगा, लेकिन जो लोग व्यापार करते हैं उन्हें और साथ ही सरकार को भी टैक्स को कैलकुलेट करने में आसानी रहेगी।

जीएसटी का पंजीकरण

वर्तमान समय में व्यवसाय चलाने के लिए जीएसटी का पंजीकरण करना जरूरी है। जीएसटी पंजीकरण के लिए फोटो, व्यापार स्थान का सबूत, बैंक खाते का विवरण और एक फॉर्म भरने की आवश्यकता होती है। जो व्यक्ति जीएसटी का पंजीकरण नहीं करता, इसका भुगतान नहीं करता उस पर जुर्माना लगाया जाता है।

जीएसटी के लाभ

जीएसटी के कई लाभ हैं। यह लाभ व्यापारियों, जनता और राज्य व केंद्र सरकारों के लिए अलग-अलग हैं। लेकिन एक दृष्टि में देखा जाए तो जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ राज्य और केंद्र सरकारों को होता है।

  • व्यापारियों के लिए – व्यापारी और निर्माताओं के लिए जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें टैक्स की दरें समान होती है जिससे प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होती है।
  • राज्य और केंद्र सरकार के लिए – विभिन्न राज्य और केंद्र सरकारों के लिए जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उन्हें टैक्स को कैलकुलेट करने में आसानी होती है। उन्हें बेहतर रेवेन्यू भी मिलता है।
  • उपभोक्ता के लिए – उपभोक्ता के लिए जीएसटी का कोई डायरेक्ट लाभ है। हालांकि अब उपभोक्ता को एक से ज्यादा टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

जीएसटी का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि जब पहले जब टैक्स लगाए जाते थे, तब कई बार लोग और व्यापारी इस टैक्स की चोरी करते थे। लेकिन जीएसटी के आ जाने के बाद टैक्स की चोरी की स्थिति कम देखने को मिलती है। इसके साथ ही अब प्रत्येक व्यापारी को जीएसटी के लिए पंजीकरण करवाना जरूरी होता है।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा जीएसटी पर निबंध (Essay on GST In Hindi) , उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।

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Essay on GST for Students and Children

500+ words essay on gst.

Goods and Services Tax (GST) refers to an indirect tax. The implementation of this tax is in India. The collection of this tax takes place from the point of consumption. This is in contrast to collection from the point of origin like previous taxes. Furthermore, this tax’s imposition is at every step in the production process. The refund is for all the parties in the various stages of production. Also, GST includes almost all indirect taxes.

Essay on GST

Explanation of GST

First of all, Goods and Services Tax (GST) is a single tax system. The imposition of this tax takes place jointly by the center and the state. Furthermore, the imposition happens with the recommendation of a federal council.

In GST, the goods and services are divided into five different tax slabs. This is for the purpose of the tax collection. Above all, the tax slabs are – 0%, 5%, 12%, 18% and 28%. Also, petroleum products, alcoholic drinks, and electricity do not come under GST. Rough precious and semi-precious stones carry a special rate of 0.25%. Gold also carries a special rate of 3%.

GST certainly subsumed several taxes and levies. These include central excise duty, services tax, and additional customs duty. Furthermore, state-level VAT , surcharges, and Octroi also come under GST. The GST regime has done away with levies. Also, these levies were applicable to inter-state transportation of goods. Most noteworthy, the application of GST is on all transactions. These transactions are sale, purchase, transfer, lease, and import.

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Benefits of GST

First of all, the cascading tax effect refers to a tax on tax. Most noteworthy, GST eliminates the cascading effects of Tax. This is because GST is a comprehensive indirect tax. It certainly brings almost all indirect taxation under one umbrella.

Another notable advantage of GST is the increase in the threshold for registration. Earlier, a VAT was applied if the turnover was more than Rs 5 lakh. This VAT’s application was upon a business. Furthermore, there was no service tax when turnover was less than Rs 10 lakh. In contrast, under GST this threshold is Rs 20 lakh. Hence, this means an exemption for many small traders and service providers.

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Small businesses can certainly benefit significantly under GST. Furthermore, these small businesses have a turnover of Rs 20 to 75 lakh. The benefit of these small businesses takes place due to the composition scheme. Under GST, there is an option for small businesses to lower taxes. They can do so by utilizing the composition scheme.

The entire process of GST is available online. Most noteworthy, it is an easy and simple online process. Therefore, it is really beneficial for start-up businesses. This is because they don’t have to struggle to get different registrations. In conclusion, GST has been a revolutionary tax system for India. Most noteworthy, many experts hail it as one of the biggest tax reforms. GST certainly is beneficial for the entire population of India.

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Gst essay in hindi – वस्तु एवं सेवा कर क्या है वस्तु एवं सेवा कर पर निबंध, essay on gst in hindi – वस्तु एवं सेवा कर क्या है.

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वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत में १ जुलाई २०१७ से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है। इससे केन्द्र एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू की जाएगी जिससे भारत को एकीकृत साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय संविधान में इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है।

GST Essay in Hindi & GST Par Nibandh : जीएसटी पर निबंध

Gst kya hai hindi me जीएसटी के बारे में.

1 जुलाई 2017 से पूर्व किसी भी सामान पर केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा कई तरह के अलग-अलग कर लगाती हैं लेकिन जीएसटी आने से सभी तरह के सामानों पर एक जैसा ही कर लगाया जाएगा पूर्व में किसी भी सामान पर 30 से 35% तक कर देना पड़ता था कुछ चीजों पर तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से लगाया जाने वाला कर 50% से ज्यादा होता था जीएसटी आने के बाद यह कर अधिकतम 28 प्रतिशत हो जाएगा जिसमें कोई भी अप्रत्यक्ष कर नहीं होगा जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था को एक देश एक कर वाली अर्थव्यवस्था बना देगा। फिलहाल भारतवासी 17 अलग-अलग तरह के कर चुकाते हैं जबकि जीएसटी लागू होने के बाद केवल एक ही तरह का कर दिया जाएगा इसके लागु होते ही एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी कर जैसे बहुत सारे कर खत्म हो जाएंगे|

जीएसटी लागू होने के बाद किसी भी सामान और सेवा पर कर वहां लगेगा जहां वह बिकेगा | जीएसटी अलग-अलग स्तर पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी,सेंट्रल सेल्स टैक्स, वैट, लक्ज़री टैक्स, सर्विस कर, इत्यादि की जगह अब केवल जीएसटी लगेगा। जीएसटी परिषद ने 66 तरह के प्रोडक्ट्स पर टैक्स की दरें घटाई हैं |

GST Full Form in Hindi जीएसटी का फुल फॉर्म

जीएसटी एक मूल्य वर्धित कर है जो कि विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ता तक वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्‍येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्‍य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्‍ध होगा जो प्रत्‍येक चरण में मूल्‍य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्‍यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्‍ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्‍त हो जायेंगे।

चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फी, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स इत्यादि अनेकों करों के स्थान पर अब यह एक ही कर लागू किया जा रहा है।

Explain GST in Hindi वस्तु एवं सेवा कर पर निबंध

व्‍यापार और उद्योग के लिए

आसान अनुपालन, पारदर्शिता: एक मजबूत और व्‍यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्‍यवस्‍था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्‍ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा। कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता: जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्‍यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्‍यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्‍दों में जीएसटी देश में व्‍यापार के कामकाज को कर तटस्‍थ बना देगा फिर चाहे व्‍यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये। करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति- मूल्‍य श्रृंखला और समस्‍त राज्‍यों की सीमाओं से बाहर टैक्‍स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्‍यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी। प्रतिस्‍पर्धा में सुधार – व्‍यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्‍यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्‍पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा। विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ – जीएसटी में केन्‍द्र और राज्‍यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्‍तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्‍यापक रूप से समाहित होने और केन्‍द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्‍थानीय रूप से निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्‍तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्‍पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्‍ता तय करना होगा।

केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के लिए

सरल और आसान प्रशासन – केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर बहुआयामी अप्रत्‍यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्‍य प्रत्‍यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा। कदाचार पर बेहतर नियंत्रण – मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुपालन परिणाम प्राप्‍त होंगे। मूल्‍य संवर्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट कर क्रेडिट कर सुगम हस्‍तांतरण जीएसटी के स्‍वरूप में एक अंत:निर्मित तंत्र है, जिससे व्‍यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्‍साहन दिया जाएगा। अधिक राजस्‍व निपुणता – जीएसटी से सरकार के कर राजस्‍व की वसूली लागत में कमी आने की उम्‍मीद है। इसलिए इससे उच्‍च राजस्‍व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।

उपभोक्‍ताओं के लिए

वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍य के अनुपा‍ती एकल एवं पारदर्शी कर – केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्‍यक्ष करों या मूल्‍य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्‍ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्‍ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। समग्र कर भार में राहत – निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्‍ता वस्‍तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्‍ताओं को लाभ मिलेगा।

जीएसटी काउंसिल ने चार तरह के कर निर्धारित किये हैं ये 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत | हालांकि बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी गई है उन वस्तुओं पर कोई भी कर नहीं लगेगा या जीएसटी नहीं लगेगा जबकि लग्जरी एवं महंगे सामान पर जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा। सरकार के अनुसार इसमें से 81 प्रतिशत चीजें जीएसटी की 18 प्रतिशत की श्रेणी तक आएंगी |

GST Bill in Hindi जीएसटी नियम हिंदी

आदर्श स्थिति में इस व्यवस्था में समस्त कर एक ही दर पर लगाए जाने चाहिएँ, किन्तु भारत में राज्य व केन्द्र तथा एक ही वस्तु या सेवा पर भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न दरें आदि होने से प्रारम्भ में ४ दरें निर्धारित की गईं ताकि वर्तमान राजस्व में अधिक अंतर न पड़े। ये चार दरें 5%, 12‍%, 18‍% तथा 28‍% हैं। आवश्यक वस्तुओं जैसे कि दूध, लस्सी, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ताजा मीट, मछली, चिकन, अंडा, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप, न्यायिक दस्तावेज, छपी पुस्तकें, समाचार पत्र, चूड़ियाँ और हैंडलूम आदि वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगेगा। २० लाख से कम की वार्षिक बिक्री वाले व्यापारियों को इस कर व्यवस्था से छूट दी गई है।

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