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बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay in Hindi)

बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी और प्रदर्शन संबंधी समस्याएं कुछ ऐसे कारक हैं जो बेरोज़गारी का कारण बनती हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए भारत सरकार को प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है। विकासशील देशों के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं में से एक बेरोजगारी है। यह केवल देश के आर्थिक विकास में खड़ी प्रमुख बाधाओं में से ही एक नहीं बल्कि व्यक्तिगत और पूरे समाज पर भी एक साथ कई तरह के नकारात्मक प्रभाव डालती है।

बेरोजगारी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Unemployment in Hindi, Berojgari par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – भारत में बेरोजगारी को बढ़ाने वाले कारक.

बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है। इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। कई कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। यहां इन कारकों की विस्तार से व्याख्या की गई और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित समाधान बताये गये हैं।

भारत में बेरोजगारी को बढ़ाने वाले कारक

  • जनसंख्या में वृद्धि : देश की जनसंख्या में तेजी से होती वृद्धि बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • मंदा आर्थिक विकास : देश के धीमे आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप लोगों को रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।
  • मौसमी व्यवसाय : देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में जुड़ा हुआ है। मौसमी व्यवसाय होने के कारण यह केवल वर्ष के एक निश्चित समय के लिए काम का अवसर प्रदान करता है।
  • औद्योगिक क्षेत्र की धीमी वृद्धि : देश में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि बहुत धीमी है। इस प्रकार इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं।
  • कुटीर उद्योग में गिरावट : कुटीर उद्योग में उत्पादन काफी गिर गया है और इस वजह से कई कारीगर बेरोजगार हो गये हैं।

बेरोजगारी खत्म करने के संभव समाधान

  • जनसंख्या पर नियंत्रण : यह सही समय है जब भारत सरकार देश की आबादी को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए।
  • शिक्षा व्यवस्था : भारत में शिक्षा प्रणाली कौशल विकास की बजाय सैद्धांतिक पहलुओं पर केंद्रित है। कुशल श्रमशक्ति उत्पन्न करने के लिए प्रणाली को सुधारना होगा।
  • औद्योगिकीकरण : लोगों के लिए रोज़गार के अधिक अवसर बनाने के लिए सरकार को औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।
  • विदेशी कंपनियां : सरकार को रोजगार की अधिक संभावनाएं पैदा करने के लिए विदेशी कंपनियों को अपनी इकाइयों को देश में खोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • रोजगार के अवसर : एक निश्चित समय में काम करके बाकि समय बेरोजगार रहने वाले लोगों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए जाने चाहिए।

देश में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। हालाँकि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं पर अभी तक वांछनीय प्रगति हासिल नहीं हो पाई है। नीति निर्माताओं और नागरिकों को अधिक नौकरियों के निर्माण के साथ ही रोजगार के लिए सही कौशल प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द) – बेरोजगारी के विभिन्न प्रकार

भारत में बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी, खुले बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, चक्रीय बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी, घर्षण बेरोज़गारी और आकस्मिक बेरोजगारी सहित कई श्रेणियों में विभाजित की जा सकती है। इन सभी प्रकार की बेरोजगारियों के बारे में विस्तार से पढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि वास्तव में किसे बेरोजगार कहा जाता है? मूल रूप से बेरोजगार ऐसा व्यक्ति होता है जो काम करने के लिए तैयार है और एक रोजगार के अवसर की तलाश कर रहा है पर रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ है। जो लोग स्वेच्छा से बेरोजगार रहते हैं या कुछ शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण काम करने में असमर्थ होते हैं वे बेरोजगार नहीं गिने जाते हैं।

यहां बेरोजगारी के विभिन्न प्रकारों पर एक विस्तृत नज़र डाली गई है:

  • प्रच्छन्न बेरोजगारी : जब ज़रूरी संख्या से ज्यादा लोगों को एक जगह पर नौकरी दी जाती है तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है। इन लोगों को हटाने से उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है।
  • मौसमी बेरोजगारी : जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है यह उस तरह की बेरोजगारी का प्रकार है जिसमें वर्ष के कुछ समय में ही काम मिलता है। मुख्य रूप से मौसमी बेरोजगारी से प्रभावित उद्योगों में कृषि उद्योग, रिसॉर्ट्स और बर्फ कारखानें आदि शामिल हैं।
  • खुली बेरोजगारी : खुली बेरोजगारी से तात्पर्य है कि जब एक बड़ी संख्या में मजदूर नौकरी पाने में असमर्थ होते हैं जो उन्हें नियमित आय प्रदान कर सके। यह समस्या तब होती है क्योंकि श्रम बल अर्थव्यवस्था की विकास दर की तुलना में बहुत अधिक दर से बढ़ जाती है।
  • तकनीकी बेरोजगारी : तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल से मानवी श्रम की आवश्यकता कम होने से भी बेरोजगारी बढ़ी है।
  • संरचनात्मक बेरोजगारी : इस प्रकार की बेरोज़गारी देश की आर्थिक संरचना में एक बड़ा बदलाव की वजह से होती है। यह तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास का नतीजा है।
  • चक्रीय बेरोजगारी : व्यावसायिक गतिविधियों के समग्र स्तर में कमी से चक्रीय बेरोज़गारी होती है। हालांकि यह घटना थोड़े समय के ही लिए है।
  • शिक्षित बेरोजगारी : उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थता, रोजगार योग्य कौशल की कमी और दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली जैसे कुछ कारण हैं जिससे शिक्षित बेरोजगार रहता है।
  • ठेका बेरोज़गारी : इस तरह के बेरोजगारी में लोग या तो अंशकालिक आधार पर नौकरी करते हैं या उस तरह के काम करते हैं जिसके लिए वे अधिक योग्य हैं।
  • प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी : यह तब होता है जब श्रम बल की मांग और इसकी आपूर्ति उचित रूप से समन्वयित नहीं होती है।
  • दीर्घकालिक बेरोजगारी : दीर्घकालिक बेरोजगारी वह होती है जो जनसंख्या में तेजी से वृद्धि और आर्थिक विकास के निम्न स्तर के कारण देश में जारी है।
  • आकस्मिक बेरोजगारी : मांग में अचानक गिरावट, अल्पकालिक अनुबंध या कच्चे माल की कमी के कारण ऐसी बेरोजगारी होती है।

हालांकि सरकार ने हर तरह की बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं परन्तु अभी तक परिणाम संतोषजनक नहीं मिले हैं। सरकार को रोजगार सृजन करने के लिए और अधिक प्रभावी रणनीति तैयार करने की जरूरत है।

निबंध 3 (500 शब्द) – बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारी पहल

बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। व्यग्तिगत प्रभावों के साथ-साथ पूरे समाज पर इस समस्या के नकारात्मक नतीजे देखे जा सकते हैं। सरकार ने इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई तरह कदम उठाये हैं। इनमें से कुछ का उल्लेख विस्तार से इस प्रकार है।

बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारी पहल

  • स्वयं रोजगार के लिए प्रशिक्षण

1979 में शुरू किए गये इस कार्यक्रम का नाम नेशनल स्कीम ऑफ़ ट्रेनिंग ऑफ़ रूरल यूथ फॉर सेल्फ एम्प्लॉयमेंट (TRYSEM) था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के बीच बेरोजगारी को कम करना है।

  • इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IRDP)

वर्ष 1 978-79  में ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया। इस कार्यक्रम पर 312 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे और 182 लाख परिवारों को इससे लाभ हुआ था।

  • विदेशी देशों में रोजगार

सरकार विदेशी कंपनियों में रोजगार पाने में लोगों की मदद करती है। अन्य देशों में लोगों के लिए काम पर रखने के लिए विशेष एजेंसियां ​​स्थापित की गई हैं।

  • लघु और कुटीर उद्योग

बेरोजगारी के मुद्दे को कम करने के प्रयास में सरकार ने छोटे और कुटीर उद्योग भी विकसित किए हैं। कई लोग इस पहल के साथ अपनी जीविका अर्जित कर रहे हैं।

  • स्वर्ण जयंती रोजगार योजना

इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहरी आबादी के लिए स्वयंरोजगार और मजदूरी-रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसमें दो योजनाएं शामिल हैं:

  • शहरी स्वयं रोजगार कार्यक्रम
  • शहरी मजदूरी रोजगार कार्यक्रम
  • रोजगार आश्वासन योजना

यह कार्यक्रम देश में 1752 पिछड़े वर्गों के लिए 1994 में शुरू किया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब बेरोजगार लोगों को इस योजना के तहत 100 दिनों तक अकुशल मैनुअल काम प्रदान किया गया था।

  • सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP)

यह कार्यक्रम 13 राज्यों में शुरू किया गया और मौसमी बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से 70 सूखा-प्रवण जिलों को कवर किया गया। अपनी सातवीं योजना में सरकार ने 474 करोड़ रुपये खर्च किए।

  • जवाहर रोजगार योजना

अप्रैल 1989 में शुरू किए गये इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक गरीब ग्रामीण परिवार में कम से कम एक सदस्य को एक वर्ष तक पचास से सौ दिन रोजगार प्रदान करना था। व्यक्ति के आसपास के क्षेत्र में रोजगार का अवसर प्रदान किया जाता है और इन अवसरों का 30% महिलाओं के लिए आरक्षित है।

  • नेहरू रोज़गार योजना (NRY)

इस कार्यक्रम के तहत कुल तीन योजनाएं हैं। पहली योजना के अंतर्गत शहरी गरीबों को सूक्ष्म उद्यमों को स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। दूसरी योजना के अंतर्गत 10 लाख से कम की आबादी वाले शहरों में मजदूरों के लिए मजदूरी-रोजगार की व्यवस्था की जाती है। तीसरी योजना के तहत शहरों में शहरी गरीबों को अपने कौशल से मेल खाते रोजगार के अवसर दिए जाते हैं।

  • रोजगार गारंटी योजना

बेरोजगार लोगों को इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसे केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि सहित कई राज्यों में शुरू किया गया है।

इसके अलावा बेरोजगारी को कम करने के लिए कई अन्य कार्यक्रम सरकार द्वारा शुरू किए गए हैं।

हालांकि सरकार देश में बेरोजगारी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है पर इस समस्या को सही मायनों में रोकने के लिए अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

Essay on Unemployment in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – भारत में बेरोजगारी व इसके परिणाम

बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। कई कारक हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से कुछ में उचित शिक्षा की कमी, अच्छे कौशल और हुनर की कमी, प्रदर्शन करने में असमर्थता, अच्छे रोजगार के अवसरों की कमी और तेजी से बढ़ती आबादी शामिल है। आगे देश में बेरोजगारी स्थिरता, बेरोजगारी के परिणाम और सरकार द्वारा इसे नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों पर एक नज़र डाली गई है।

भारत में बेरोजगारी से संबंधित आकंडे

भारत में श्रम और रोजगार मंत्रालय देश में बेरोजगारी के रिकॉर्ड रखता है। बेरोजगारी के आंकड़ों की गणना उन लोगों की संख्या के आधार पर की जाती है जिनके आंकड़ों के मिलान की तारीख से पहले 365 दिनों के दौरान पर्याप्त समय के लिए कोई काम नहीं था और अभी भी रोजगार की मांग कर रहे हैं।

वर्ष 1983 से 2013 तक भारत में बेरोजगारी की दर औसत 7.32 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक 9.40% थी और 2013 में यह रिकॉर्ड 4.90% थी। वर्ष 2015-16 में बेरोजगारी की दर महिलाओं के लिए 8.7% हुई और पुरुषों के लिए 4.3 प्रतिशत हुई।

बेरोजगारी के परिणाम

बेरोजगारी की वजह से गंभीर सामाजिक-आर्थिक मुद्दे होते है। इससे न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है। नीचे बेरोजगारी के कुछ प्रमुख परिणामों की व्याख्या की गई हैं:

  • गरीबी में वृद्धि

यह कथन बिल्कुल सत्य है कि बेरोजगारी दर में वृद्धि से देश में गरीबी की दर में वृद्धि हुई है। देश के आर्थिक विकास को बाधित करने के लिए बेरोजगारी मुख्यतः जिम्मेदार है।

  • अपराध दर में वृद्धि

एक उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थ बेरोजगार आमतौर पर अपराध का रास्ता लेता है क्योंकि यह पैसा बनाने का एक आसान तरीका है। चोरी, डकैती और अन्य भयंकर अपराधों के तेजी से बढ़ते मामलों के मुख्य कारणों में से एक बेरोजगारी है।

  • श्रम का शोषण

कर्मचारी आम तौर पर कम वेतन की पेशकश कर बाजार में नौकरियों की कमी का लाभ उठाते हैं। अपने कौशल से जुड़ी नौकरी खोजने में असमर्थ लोग आमतौर पर कम वेतन वाले नौकरी के लिए व्यवस्थित होते हैं। कर्मचारियों को प्रत्येक दिन निर्धारित संख्या के घंटे के लिए भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

  • राजनैतिक अस्थिरता

रोजगार के अवसरों की कमी के परिणामस्वरूप सरकार में विश्वास की कमी होती है और यह स्थिति अक्सर राजनीतिक अस्थिरता की ओर जाती है।

  • मानसिक स्वास्थ्य

बेरोजगार लोगों में असंतोष का स्तर बढ़ता है जिससे यह धीरे-धीरे चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बदलने लगती है।

  • कौशल का नुकसान

लंबे समय के लिए नौकरी से बाहर रहने से जिंदगी नीरस और कौशल का नुकसान होता है। यह एक व्यक्ति के आत्मविश्वास काफी हद तक कम कर देता है।

भारत सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को कम करने के साथ-साथ देश में बेरोजगारों की मदद के लिए कई तरह के कार्यक्रम शुरू किए है। इनमें से कुछ में इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IRDP), जवाहर रोज़गार योजना, सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP), स्व-रोजगार के लिए प्रशिक्षण, नेहरू रोज़गार योजना (NRY), रोजगार आश्वासन योजना, प्रधान मंत्री की समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (PMIUPEP), रोजगार कार्यालयों, विदेशी देशों में रोजगार, लघु और कुटीर उद्योग, रोजगार गारंटी योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना का विकास आदि शामिल हैं।

इन कार्यक्रमों के जरिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा सरकार शिक्षा के महत्व को भी संवेदित कर रही है और बेरोजगार लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

बेरोजगारी समाज में विभिन्न समस्याओं का मूल कारण है। हालांकि सरकार ने इस समस्या को कम करने के लिए पहल की है लेकिन उठाये गये उपाय पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस समस्या के कारण विभिन्न कारकों को प्रभावी और एकीकृत समाधान देखने के लिए अच्छी तरह से अध्ययन किया जाना चाहिए। यह समय है कि सरकार को इस मामले की संवेदनशीलता को पहचानना चाहिए और इसे कम करने के लिए कुछ गंभीर कदम उठाने चाहिए।

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FAQs: Frequently Asked Questions on Unemployment (बेरोजगारी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- भारत विश्व का सबसे अधिक बेरोजगारों का देश है।

उत्तर- त्रिपुरा

उत्तर- गुजरात

उत्तर- भारत में अत्यधिक जनसंख्या एवं शिक्षा का अभाव बेरोजगारी का मुख्य कारण है।

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बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Unemployment Essay in Hindi

आज हम आपके लिए बेरोजगारी पर निबंध लेकर आये हैं, आज बेरोजगारी की समस्या बेहद गंभीर है इस विषय पर हमने निचे 100 शब्दों में, 150, 250 शब्दों में और 500 शब्दों में हिंदी निबंध लिखा हुआ है जो की आपके काम आ सकती है।

बेरोजगारी पर निबंध

प्रस्तावना:

आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो इस समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि उनके पास अपनी जीविका चलाने के लिए कोई काम धंधा नहीं है। यह ऐसा गंभीर मुद्दा है जिसको अगर सुलझाया ना जाए तो दिन पर दिन इससे लोग प्रभावित होते रहेंगे।

किसी भी देश की प्रगति तब तक संभव नहीं है जब तक वहां पर उचित रोजगार के अवसर ना हो। हमारी भारत सरकार हालांकि भारत से बेरोजगारी दूर करने के लिए बहुत से तरीके अपना रही है लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अभी भी भारी संख्या में लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।

बेरोजगारी बढ़ने के कारण:

हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ने के कई सारे कारण हो सकते हैं उसमे कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा का अभाव
  • जनसंख्या वृद्धि
  • कौशल की कमी
  • सरकारी नौकरी की इच्छा
  • स्वरोजगार के लिए जागरूक नहीं होना
  • व्यवसाय के लिए पूंजी और जानकारी का आभाव

आज के समय में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अधिक है उसका सबसे बड़ा कारण कौशल की कमी है। देश की शिक्षा व्यवस्था कुछ इस प्रकार है कि उसमें लोगों की कौशल विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता जिसकी वजह से लोग नौकरी की तलाश करते हैं और स्वरोजगार के लिए तैयार नहीं हो पाते।

berojgari par nibandh in hindi

बेरोजगारी पर निबंध 100 शब्दों में 

वर्तमान समय में हमारे देश में ऐसी स्थिति बनी हुई है कि ज्यादातर लोग बेरोजगार हैं। देखा जाए तो बेरोजगारी किसी भी देश के लिए अभिशाप से कम नहीं है क्योंकि इससे सभी लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बेरोजगारी की वजह से किसी भी इंसान का जीवन खुशहाल नहीं हो सकता क्योंकि इसके साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं। हमारे देश में आज ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनको उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता और ऐसे में उन्हें कोई छोटा मोटा काम करके गुजारा करना पड़ता है।

बहुत से युवाओं को तो नौकरी मिलती ही नहीं है जिसकी वजह से उनका जीवन काफी दुखदायी हो जाता है। इसके पीछे एक नहीं अनेकों कारण है जैसे की जनसंख्या का तेजी से बढ़ना, नौकरी पर अधिक निर्भर होना, मशीनीकरण, शिक्षा की कमी, कुटीर उद्योग में गिरावट इत्यादि। 

बेरोजगारी पर निबंध 150 शब्दों में 

भारत में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और यह समस्या बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। वैसे तो बेरोजगारी की समस्या के पीछे बहुत सारे कारण हैं लेकिन शिक्षा और कौशल की कमी एक बड़ी वजह है जिससे भी हर दिन बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भारत सरकार ने बहुत से कदम भी उठाए हैं लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पायी है। 

वैसे तो भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है लेकिन यहां बेरोजगारी ने अपने कदम जमाए हुए हैं। किसी भी देश के लिए बेरोजगारी में वृद्धि होना काफी खतरनाक होता है क्योंकि यह उसके विकास और उन्नति में काफी बुरा प्रभाव डालती है। 

बेरोजगारी दूर करने के उपाय 

बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं –

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहिए।
  • केवल नौकरी पर निर्भर नही रहना चाहिए लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि सभी वर्गों के लिए उचित रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराए। 
  • देश की शिक्षा और व्यवस्था को बेहतरीन तरीके से चलाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
  • शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सिमित नही होनी चाहिए बल्कि कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर ध्यान देना चाहिए।
  • औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाई जा सके। 

बेरोजगारी पर निबंध 250 शब्दों में 

बेरोजगारी की समस्या आम बन चुकी है जिसकी चपेट में हमारा पूरा देश आया हुआ है। देश का हर दूसरा तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है। हजारों लाखों लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की हुई है लेकिन फिर भी वो बेरोजगार हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अधिक पढ़ाई करने के बाद भी लोग चपरासी जैसी छोटी मोटी नौकरियां करके गुजारा कर रहे हैं। 

बेरोजगारी के मुख्य कारण 

देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी के अनेकों कारण हैं जिनमें से मुख्य कारण इस प्रकार से हैं –

  • लोगों में शिक्षा की कमी है जिसकी वजह से उन्हें रोजगार के नए अवसरों का लाभ नहीं मिल पाता।
  • लोग स्वरोजगार के लिए जागरूक नही हैं सिर्फ नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है।
  • भारत में औद्योगिकरण की गति काफी धीमी है जिसकी वजह से केवल कुछ ही लोगों को नौकरी के अवसर मिलते हैं। 
  • देश में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है ऐसे में रोजगार के उपलब्ध साधन सीमित हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी में भी तीव्रता आ रही है।
  • बहुत से लोगों की सरकारी नौकरी करने की चाह होती है जिसकी वजह से अगर उन्हें कोई अच्छी प्राइवेट नौकरी मिलती भी है तो वो उसमें रुचि नहीं लेते। लेकिन सरकारी नौकरी के लिए जो कंपटीशन होता है उसमें भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं और नौकरी केवल चुनिंदा लोगों को ही मिलती है। यह भी एक बहुत बड़ा कारण है बेरोजगारी को बढ़ाने के पीछे। 

बेरोजगारी के मुख्य प्रकार 

बेरोजगारी आमतौर पर दो तरह की होती है जो कि इस प्रकार से है –

  • स्वैच्छिक बेरोजगारी – स्वैच्छिक बेरोजगारी का मतलब होता है जब किसी इंसान को काम तो मिल जाए लेकिन उसकी काम करने की बिल्कुल भी इच्छा ना हो। ऐसे लोग किसी भी काम को करने के अधीन नहीं होते हैं और इसके अलावा वह अपने काम से किसी भी तरह का कोई भी समझौता नहीं करते। 
  • अनैच्छिक बेरोजगारी – अनैच्छिक बेरोजगारी कई तरह की होती है जैसे कि मौसमी बेरोजगारी, टेक्निकल बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी। 

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में 

बढ़ती हुई बेरोजगारी किसी भी देश के लिए बहुत ही ज्यादा चिंता की बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि देश में लोगों के पास रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में खुशहाली भी नहीं होगी। जब लोगों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं होती और उनके पास रोजगार भी नहीं होता तो ऐसे में उनके जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भारत में बेरोजगारी के जो आंकड़े हैं वो लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। यह हमारे देश के लिए एक अत्यधिक चिंता का विषय है क्योंकि जिस तरह से बीते कुछ सालों में बेरोजगारी की दर में उछाल आया है वो काफी गंभीर विषय है। 

बेरोजगारी का क्या अर्थ है 

बेरोजगारी का मतलब होता है कि जब कोई बहुत ज्यादा कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति किसी कारणवश उचित नौकरी हासिल नहीं कर पाता तो तब यह स्थिति बेरोजगारी को जन्म देती है। 

भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक 

हमारे देश भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –

  • हमारे देश भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • देश का आर्थिक विकास भी काफी धीमी गति से हो रहा है जिसकी वजह से लोगों को रोजगार के मौके बहुत ही कम मिल रहे हैं और ऐसे में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो रही है। 
  • मौजूदा समय में कुटीर उद्योग के उत्पादन में काफी ज्यादा गिरावट आई है और कहीं ना कहीं यह भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है। 
  • भारत में तकनीकी उन्नति काफी धीमी गति से हो रही है और इस वजह से भी बेरोजगारी बढ़ रही है। 
  • बहुत से लोग अपनी शिक्षा बीच में ही अधूरी छोड़ देते हैं और इस वजह से उन्हें नौकरी के उचित अवसर नहीं मिल पाते। 
  • कुछ लोग सरकारी नौकरी करने के चक्कर में भी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली समस्याएं 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली कुछ समस्याएं इस प्रकार से हैं –

  • बढ़ती हुई बेरोजगारी गरीबी को जन्म देती है। 
  • लोगों के पास यदि रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अपराध करने लगेंगे। 
  • बेरोजगारी की वजह से व्यक्ति मानसिक तनाव में रहने लगता है जिसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि व्यक्ति इतना परेशान हो जाता है कि वह आत्महत्या तक भी कर लेता है। 

हालांकि बेरोजगारी को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे कुछ कोशिशों के द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है – 

  • ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लघु उद्योगो को और छोटे छोटे बिजनेस को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • देश की बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि वह स्वरोजगार जैसी योजनाओं के द्वारा नागरिकों की सहायता करे।
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसलिए जरूरी है कि यहां की खेती बाड़ी में सुधार होना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
  • पुराने समय से जो शिक्षा नीति चली आ रही है उसमें बदलाव करना भी जरूरी है। छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा देने पर ज्यादा से ज्यादा जोर होना चाहिए। ‌

बेरोजगारी पर 10 लाइन निबंध

  • वर्तमान समय में बढती हुई बेरोजगारी सभी देशों के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या है।
  • बेरोजगारी के साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं।
  • जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • अशिक्षा, अयोग्यता और रोजगार के अवसर की कमी वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है।
  • आजकल शिक्षित बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण लोग स्वरोजगार की जगह नौकरी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
  • कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • जनसँख्या नियंत्रण के लिए उचित प्रबंध करने चाहिए।
  • लघु और कुटीर उद्योगों के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिये।

बेरोजगारी पर निबंध PDF Download

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  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • परोपकार पर निबंध
  • समय का महत्व पर निबंध

दोस्तों बेरोजगारी पर निबंध के इस आर्टिकल में हमने आपको बेरोजगारी से संबंधित सारी जानकारी दी। हमें पूरी उम्मीद है कि आपके लिए यह आर्टिकल काफी लाभदायक रहा होगा। हमारे इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। 

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Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष

Meghna

Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष : बेरोजगारी भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। ऐसे सैकड़ों और हजारों लोग हैं जिनके पास रोजगार नहीं है। इसके अलावा, बढ़ती आबादी और नौकरियों की मांग के कारण भारत में बेरोजगारी ( Berojgari Essay In Hindi ) की समस्या बहुत गंभीर है। इसके अलावा, अगर हम इस समस्या की उपेक्षा करते हैं तो यह राष्ट्र के विनाश का कारण बनने जा रहा है।

मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं- भोजन, घर और वस्त्र । इन सभी जरूरतों को ठीक से तभी पूरा किया जा सकता है जब व्यक्ति के पास पैसा हो। और इस धन को अर्जित करने के लिए व्यक्ति को नियोजित होना चाहिए, अर्थात उसके पास वेतनभोगी व्यवसाय होना चाहिए। हालाँकि, दुनिया में और हमारे देश में भी कई लोग ऐसे हैं जो नौकरी पाने में असफल रहे हैं। ( Essay On Unemployment )

सम्मानजनक जीवन जीने के लिए लोगों को पैसा कमाने और अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जरूरत है। बेरोजगारी उनसे यह अधिकार छीन लेती है और उनका जीवन स्तर खराब हो जाता है। बेरोजगारी के कारण पैसे की कमी के कारण पौष्टिक भोजन की कमी हो जाती है, जिस वजह से उनका स्वस्थ्य भी प्रभावित होता है| जब बेरोजगार व्यक्तियों ( Berojgari Essay In Hindi )के बच्चों को उचित आहार नहीं मिल पाता है, तो ऐसे में वे तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। उनके जीवन की गुणवत्ता समय के साथ काफी कम हो जाती है।

तो आइये बेरोजगारी के मुद्दे पर बात करें, और जानें आखिर वो क्या वजह है जो बेरोजगारी ( Berojgari Essay In Hindi )को जन्म देती है, और इस परेशानी से निवारण कैसे पाएं| सभी जानकारियां हासिल करने के लिए पोस्ट के साथ अंत तक बने रहें|

Berojgari Essay In Hindi

बेरोजगारी क्या है? इसे एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक व्यक्ति जो नौकरी करने को तैयार है, उसके पास सभी आवश्यक कौशल हैं, लेकिन वह नौकरी पाने में विफल रहता है जिससे उसे आजीविका मिलती है। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जो नौकरी की तलाश में नहीं हैं। ( Berojgari Essay In Hindi )

बेरोजगारी के प्रकार

अब हम जानते हैं कि बेरोजगारी क्या है लेकिन बेरोजगारी का मतलब केवल यह नहीं है कि व्यक्ति के पास नौकरी नहीं है। इसी तरह, बेरोजगारी में वे लोग भी शामिल हैं जो अपनी विशेषज्ञता से बाहर के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी में प् रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी ( Best Essay On Unemployment ) शामिल हैं।

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बेरोजगारी के कारण

स्कूलों और कॉलेजों में कौशल आधारित शिक्षा की कमी बेरोजगारी का मुख्य कारण है। हमारी शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से व्यावहारिक आधारित कार्यों से अधिक गुणवत्ता और ज्ञान और लिखित परीक्षा से संबंधित है।

इन्हीं कारणों से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इंटरव्यू का सामना करने के दौरान छात्र अपने आप में आत्मविश्वास और कौशल की कमी महसूस करते हैं। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि भी खेती पर बोझ, कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता, दोषपूर्ण आर्थिक नियोजन, पूंजी की कमी आदि भी बेरोजगारी के कुछ प्रमुख कारण हैं।

बेरोजगारी के प्रभाव

बेरोजगारी का प्रभाव श्रमिकों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दोनों द्वारा महसूस किया जा सकता है| बेरोजगारी के कारण श्रमिकों को वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ता है जो परिवारों, रिश्तों और समुदायों को प्रभावित करता है। जब ऐसा होता है, तो उपभोक्ता खर्च, जो कि अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख चालकों में से एक है, नीचे चला जाता है, जिससे मंदी या अवसाद भी हो जाता है।

बेरोजगारी के परिणामस्वरूप मांग, खपत और क्रय शक्ति में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसायों के लिए कम लाभ होता है और बजट में कटौती और कार्यबल में कमी आती है। यह एक ऐसा चक्र बनाता है जो चलता रहता है और उस पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना उलटना मुश्किल होता है।

बेरोजगारी का समाधान

  • बेरोजगारी का सबसे पहला उपाय हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना है। सरकार को लोगों को छोटे परिवार रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। भारत सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए पहल शुरू की है लेकिन फिर भी जनसंख्या बढ़ रही है
  • भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए
  • आज के युवाओं को उस संस्थान में शामिल होना चाहिए या उस पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए जहां उचित प्रशिक्षण दिया जाता है और पाठ्यक्रम वर्तमान उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार है। अपनी रुचि के अनुसार पाठ्यक्रम लें, जो आपका भविष्य उज्ज्वल करेगा
  • सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित और विकसित करना चाहिए ताकि ग्रामीण उम्मीदवार शहरी क्षेत्रों में पलायन न करें
  • तीव्र औद्योगीकरण का सृजन किया जाना चाहिए
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से ग्रामीण लोगों का शहरों की ओर पलायन रुकेगा और इससे शहरी नौकरियों पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा
  • सरकार को अधिक विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाई खोलने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें

बेरोजगारी एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है जिसके परिणामस्वरूप हर चीज पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके कारणों को निर्धारित करने और इसे बेहतर तरीके से कैसे संबोधित किया जाए, इसके लिए बेरोजगारी के आकलन की एक मजबूत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं बेरोजगारी के ऊपर इस निबंध ( Berojgari Essay In Hindi )ने आपको इस विषय पर बहुत सी नयी जानकारियां उपलब्ध कराई होंगी|

बेरोजगारी आज की बढ़ती महंगाई के ज़माने में एक गंभीर समस्या है, और इस पर विचार किया जाना बहुत ही आवश्यक है| कई नयी जानकारियों के लिए पेज के साथ बने रहें, और अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्स द्वारा भेजें|

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi!

बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्‌ध करती है । यहाँ पर बेरोजगार युवक-युवतियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं ।

बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है । हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं । अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है । देश के 90% किसान अपूर्ण या अर्द्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है । वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं ।

शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है । यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या है । हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्‌धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।

इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है । वर्षो से हमारी शिक्षा पद्‌धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारी वर्तमान शिक्षा पद्‌धति का आधार प्रायोगिक नहीं है । यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है ।

बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्‌योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है । इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं ।

आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ । इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा ।

यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्‌धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ । उन्हें आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें । विद्‌यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्‌योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें ।

इस दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है । अपनी पंचवर्षीय व अन्य योजनाओं के माध्यम से लघु उद्‌योग के विकास के लिए वह निरंतर प्रयासरत है ।

सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्‌यालयों में तकनीकी तथा व्यवसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है । बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रण में लेने हेतु विभिन्न परिवार कल्याण योजनाओं को लागू किया गया है । सभी बड़े शहरों में रोजगार कार्यालय खोले गए हैं जिनके माध्यम से युवाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान की जाती है ।

परंतु विभिन्न सरकारों ने यह स्वीकार किया है कि रोजगार कार्यालयों के माध्यम से बहुत थोड़ी संख्या में ही बेराजगारों को खपाया जा सकता है क्योंकि सभी स्थानों पर जितने बेकार हैं उसकी तुलना में रिक्तियों की संख्या न्यून है । इस कारण बहुत से लोग असंगठित क्षेत्र में अत्यंत कम पारिश्रमिक पर कार्य करने के लिए विवश हैं ।

वर्तमान में सरकार इस बात पर अधिक बल दे रही है कि देश के सभी युवक स्वावलंबी बनें । वे केवल सरकारी सेवाओं पर ही आश्रित न रहें अपितु उपयुक्त तकनीकी अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर स्वरोजगार हेतु प्रयास करें ।

नवयुवकों को उद्‌यम लगाने हेतु सरकार उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर रही है तथा उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी सहयोग कर रही है । हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि बदलते परिपेक्ष्य में हमारे देश के नवयुवक कसौटी पर खरे उतरेंगे और देश में फैली बेरोजगारी जैसी समस्या से दूर रहने में सफल होंगे ।

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Berojgari Ki Samasya Par Nibandh: ऐसे लिखें बेरोजगारी की समस्या पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में

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  • Updated on  
  • जनवरी 2, 2024

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh

छात्रों को अध्ययन के अपने चुने हुए क्षेत्र में रोजगार के बारे में पता होना चाहिए। बेरोजगारी दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने से उन्हें अपने करियर और भविष्य की नौकरी की संभावनाओं के बारे में भी निर्णय लेने में सहायता मिल सकती है। बेरोजगारी किसी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक प्रमुख संकेतक है। यह किसी भी देश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिए कई बार छात्रों को बेरोजगारी की समस्या पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

बेरोजगारी की समस्या पर 100 शब्दों में निबंध, बेरोजगारी की समस्या पर 200 शब्दों में निबंध, बेरोजगारी को समझें, बेरोजगारी के प्रकार, बेरोजगारी के कारण, बेरोजगारी के परिणाम, बेरोजगारी पर सरकार के द्वारा उठाए गए कदम, बेरोजगारी की समस्या पर 10 लाइन्स.

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 100 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत में बेरोज़गारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि जो कोई भी काम करना चाहता है उसके लिए पर्याप्त नौकरियाँ नहीं हैं। कई लोग इस समस्या से प्रभावित हैं, बेरोजगारी का कारण मुख्य रूप से नौकरी के विकल्पों की कमी, लोगों के कौशल और नियोक्ताओं को उनकी आवश्यकता के बीच एक मेल न होना। तेजी से बढ़ती आबादी के कारण यह मुद्दा और भी अधिक गंभीर हो गया है। 

इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार अधिक नौकरियाँ पैदा करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और प्रधान मंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) जैसे कार्यक्रम पेश किए हैं। इन पहलों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और नियोक्ताओं को नौकरी की तलाश कर रहे अधिक लोगों को नौकरी पर रखने के लिए बढ़ावा देना है।

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में बेरोजगारी की समस्या को हल करना है तो हमें लोगों के कौशल को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति काम करने के लिए तैयार और इच्छुक होता है लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल पाती है, जिससे गरीबी और सामाजिक अशांति जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।

भारत में बेरोजगारी का एक बड़ा कारण नौकरी के अवसरों की कमी है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि अर्थव्यवस्था पर्याप्त तेज़ी से नहीं बढ़ रही है, कुछ उद्योगों को अधिक निवेश की आवश्यकता है, या विशिष्ट नौकरियों के लिए बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसके अलावा, भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, इसलिए नौकरी बाजार में प्रवेश करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को बनाए रखने के लिए अधिक नौकरियों की आवश्यकता है।

बेरोज़गारी का एक अन्य कारण लोगों के पास मौजूद कौशल और नियोक्ता के बीच बेमेल होना है। भारत में कई लोगों को उपलब्ध नौकरियों के लिए क्वालिफिकेशन प्राप्त करने के लिए नए कौशल सीखने या अधिक शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, जिससे उनके लिए काम ढूंढना कठिन हो जाता है। कुछ नौकरियों के लिए विशिष्ट कौशल की भी आवश्यकता होती है जो कई लोगों के पास नहीं होता है।  हालाँकि, भारत सरकार विभिन्न कार्यक्रमों, नीतियों, निवेश और शिक्षा को बढ़ावा देकर बेरोजगारी को दूर करने के लिए काम कर रही है।

भारत सरकार ने लोगों को कौशल प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना जैसे अभियान भी चलाएं हैं जिसमें लोगों को तीन महीने तक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा भी सरकार कई प्रकार के अलग अलग आयोजन करती है जैसे की रोजगार मेला इत्यादि। 

यह भी पढ़ें : Essay on Vikram Sarabhai in Hindi : पढ़िए विक्रम साराभाई पर 500 शब्दों में निबंध

बेरोजगारी की समस्या पर 500 शब्दों में निबंध

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

बेरोजगारी, एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक चुनौती है। जैसे-जैसे व्यक्ति अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए सार्थक रोजगार की तलाश करते हैं, बेरोजगारी में योगदान की जटिल परस्पर क्रिया सामने आती है। भारत को बढ़ती जनसंख्या के साथ यह मुद्दा और भी बढ़ता जा रहा है। 

इस जटिल मुद्दे से निपटने के लिए, आर्थिक संरचनाओं, तकनीकी बदलावों और नीति ढांचे की समझ जरूरी है। 

बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि यह देश के विकास को धीमा कर देती है। जब लोगों के पास नौकरियां नहीं होती हैं, तो इससे विभिन्न समस्याएं पैदा हो सकती हैं। रोजगार के बिना, व्यक्ति देश को नुकसान पहुंचाने वाली अनुचित गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं।

बेरोज़गारी में वृद्धि अक्सर कई युवाओं को आपराधिक व्यवहार की ओर धकेलती है और पूरे देश को इसके परिणामों से जूझना पड़ता है। अधिक लोगों के बेरोजगार होने से देश भर में चोरी, डकैती, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में वृद्धि हो रही है। इन अपराधों को कम करने का सबसे प्रभावी उपाय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है।

बेरोज़गारी का मतलब सिर्फ लोगों के पास नौकरियों की कमी नहीं है। इसमें वे स्थितियाँ भी शामिल हैं जहाँ लोग ऐसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जो उनके कौशल से मेल नहीं खाते। बेरोजगारी विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी और संरचनात्मक बेरोजगारी। इसके अतिरिक्त, चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, अल्परोजगार, घर्षणात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी है।

इनमें से भारत में सबसे आम प्रकार मौसमी बेरोजगारी, अल्परोज़गारी और छिपी हुई बेरोज़गारी हैं।

भारत एक महत्वपूर्ण बेरोजगारी चुनौती का सामना कर रहा है, और कई कारक इस समस्या में योगदान करते हैं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक प्रमुख कारक है, क्योंकि अधिक लोग कार्य क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, जिससे नौकरियों के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है। यह स्थिति विशेषकर युवाओं में उच्च बेरोजगारी दर का कारण बन सकती है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए भारत को अपनी जनसंख्या वृद्धि का प्रबंधन चाहिए। अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए स्टार्टअप इंडिया योजना जैसी पहल को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

दूसरा कारण तकनीकी शिक्षा की कमी है। भारत में कई स्कूल और कॉलेज पुराने पाठ्यक्रम पेश करते हैं जो मौजूदा नौकरी बाजार की मांगों के अनुरूप नहीं हो सकते हैं। आज की दुनिया में तकनीकी कौशल के महत्व को देखते हुए, युवाओं को शुरुआत में ही तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे बाद में उपयुक्त रोजगार पा सकें।

देश में धीमी होती आर्थिक वृद्धि भी चिंता का विषय है। धीमी गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था पर्याप्त नई नौकरियाँ पैदा नहीं कर सकती है, जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है। इससे निपटने के लिए सरकार को आर्थिक विकास में तेजी लाने, रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए काम करना चाहिए।

खेती जैसे मौसमी व्यवसायों पर भारत की निर्भरता बेरोजगारी में योगदान कर सकती है क्योंकि ये गतिविधियाँ केवल वर्ष के विशिष्ट समय में ही नौकरियाँ प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, औद्योगिक क्षेत्र की सुस्त वृद्धि और कुटीर उद्योग में गिरावट ने नौकरी के अवसरों को और सीमित कर दिया है।  इसका मुकाबला करने के लिए, इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार संभावनाएं पैदा करने के लिए सरकारी समर्थन की आवश्यकता है।

नौकरियों के बिना, लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अवैध गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं।  बेरोजगारी को कम करना न केवल आर्थिक विकास के बारे में है, बल्कि गरीबी और अपराध से जुड़े सामाजिक मुद्दों को रोकने के बारे में भी है।

यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन सकती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए कई अन्य समस्याएं लेकर आएगी।  इसमें गरीबी में वृद्धि, अधिक अपराध, श्रमिकों के साथ अनुचित व्यवहार, राजनीतिक अस्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य में चुनौतियाँ और मूल्यवान कौशल का नुकसान शामिल है।  ये सभी कारक मिलकर अंततः राष्ट्र के पतन का कारण बन सकते हैं।

सरकार बेरोजगारी के मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और इसे धीरे-धीरे कम करने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। इनमें से कुछ पहलों में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई), प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई), राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) परियोजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीनरेगा), गरीब कल्याण रोजगार अभियान (पीएमजीकेआरए), आजीविका – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई), पीएम- स्वनिधि योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस), उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, पीएम गतिशक्ति – मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान शामिल हैं। 

डिजिटल इंडिया, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत),मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटीज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन, राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर, स्टैंड अप इंडिया योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी, स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (एसबीएम-यू), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई), लघु और कुटीर उद्योगों के लिए समर्थन, विदेशों में रोजगार को बढ़ावा देना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना और कई अन्य योजनाएं इसमें शामिल हैं। 

इसके अतिरिक्त, सरकार ने निजी क्षेत्र में भी रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ नियमों को और अधिक लचीला बना दिया है।

संक्षेप में कहें तो भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर हो गई है।  हालाँकि, सरकार और स्थानीय अधिकारी अब बेरोजगारी को दूर करने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। समस्या को पूरी तरह से हल करने के लिए, मूल कारण, जो कि भारत की बड़ी आबादी है, पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बाद बाद बेरोजगारी की समस्या पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
  • यह समस्या बहुआयामी है, जिसमें मौसमी और संरचनात्मक सहित विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी है।
  • भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर्याप्त नौकरियां उपलब्ध कराने की चुनौती को बढ़ा देती है।
  • तकनीकी शिक्षा की कमी और बेमेल कौशल बेरोजगारी में योगदान करते हैं।
  • सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए मनरेगा और पीएमआरपीवाई जैसी योजनाएं लागू की हैं।
  • धीमी आर्थिक वृद्धि और मौसमी व्यवसायों पर निर्भरता बेरोजगारी संकट को बढ़ाती है।
  • औद्योगिक और कुटीर उद्योग क्षेत्रों में गिरावट से नौकरी के अवसर और सीमित हो गए हैं।
  • बढ़ती बेरोजगारी से गरीबी, अपराध दर और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
  • इस मुद्दे के समाधान के लिए जनसंख्या नियंत्रण और कौशल विकास सहित समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • जबकि प्रयास किए जा रहे हैं, भारतीय बेरोजगारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए निरंतर और व्यापक रणनीतियाँ आवश्यक हैं।

भारत में बेरोजगारी नौकरी के अवसरों की कमी, धीमी आर्थिक वृद्धि, बेमेल कौशल और देश की तेजी से बढ़ती आबादी जैसे कारकों के कारण होती है।

सरकार ने रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए मनरेगा, पीएमआरपीवाई और अन्य जैसी विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं। इसके अतिरिक्त, कौशल विकास को प्रोत्साहित करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

भारत में बेरोजगारी को निम्न प्रकारों में बांट सकते हैं, छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और घर्षण बेरोजगारी शामिल है। प्रत्येक प्रकार की विशेषता नौकरी की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले विशिष्ट कारकों से होती है।

बेरोजगारी से गरीबी, उच्च अपराध दर और सामाजिक अशांति में वृद्धि हो सकती है। यह व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और इसके परिणामस्वरूप कार्यबल के लिए मूल्यवान कौशल का नुकसान हो सकता है।  समाज की समग्र भलाई और स्थिरता के लिए बेरोजगारी को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। सी प्रकार के  अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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बेरोजगारी पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi

Essay on Unemployment in Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत हैं आज हम तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर निबंध आपकों यहाँ बता रहे हैं. छोटी बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को हिंदी में बेरोजगारी की समस्या पर अनुच्छेद भाषण निबंध विभिन्न शब्द सीमा में बेरोजगारी का निबंध 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए निबंध लिखने को कहा जाता हैं. आप इस लेख की मदद से एक अच्छा निबंध लिख पाएगे.

बेरोजगारी पर निबंध Essay on Unemployment in Hindi

Thanks, And Most Welcome For the Short Essay on Unemployment in the Hindi Language For School Students And Kids, You Request We Are Fully Try To Fulfill Here.

बेकारी अथवा बेरोजगारी आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या हैं. Unemployment का अर्थ होता है काम करने की इच्छा करने वाले लोगों को  काम का न मिलना बेरोजगारी कहते हैं. एक युग था

जब हमारा देश सोने की चिड़ियाँ कहा जाता हैं सभी लोगों के पास कोई न कोई काम था लेकिन हजारो सालों की गुलामी तथा विदेशी सिस्टम को आयात कर अपने काम धंधों को खोकर अब काम कम और लोगों की कतार लग गई हैं. युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी पर छोटा बड़ा निबंध बता रहे हैं.

200 शब्द बेरोजगारी निबंध

अगर आबादी के अनुपात में रोजगार के अवसर कम हो तो यह बे रोजगारी की अवस्था होती हैं. इसका सीधा सा अर्थ रोजगार की कमी हैं. तेजी से बढ़ती जनसंख्या और मशीनीकरण इसके दो बड़े कारण गिनाएं जा सकते हैं.

जनसंख्या वृद्धि और बेकारी का प्रत्यक्ष सम्बन्ध हैं. जाहिर है जब लोगों की संख्या में बेहताशा वृद्धि होगी तो संसाधन एवं लाभ के अवसर सिमित हो जाएगे. भारत में प्राचीन समय में परम्परागत हस्त उद्योग के चलते ऐसे हालात कभी नहीं रहे, जब लोगों को काम न मिल पाया हो.

मगर औद्योगिकीकरण की आंधी के आगे सारे लघु एवं हस्त शिल्प उद्योग समाप्त हो गये और कलाकार बेरोजगार. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में बे रोजगारी की दर 8 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार वर्ष 2020-21 में 4.2 प्रतिशत हैं.

कोरोना महामारी के चलते भी देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई और लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा. समय समय पर आने वाली वैश्विक मंदी भी बाजार को बुरी तरह प्रभावित करती हैं जिससे रोजगार के अवसर कम होने लगते हैं.

इस समस्या को कम करने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकारें विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है जिनमें मनरेगा, स्वरोजगार की स्कीम्स तथा कौशल विकास जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. इसके अलावा सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण और स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहित करें.

बेरोजगारी निबंध 1 (400 शब्द)

वर्षों तक पराधीनता का कष्ट झेलकर जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तो तब अनेक समस्याएं सामने आई. प्रारम्भ में शरणार्थी समस्या, औद्योगिक विकास की समस्या और रियासतों के एकीकरण की समस्या प्रधान थी.

लेकिन अप्रत्याशित जनसंख्या वृद्धि होने से बेरोजगारी की समस्या इतनी व्यापक रूप से उभरी कि इसका समाधान अभी तक नहीं हो पाया हैं. वर्तमान में नगरों में शिक्षित तथा ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षितों की बेकारी का भयंकर रूप देखा जा सकता हैं.

बेरोजगारी एक जटिल समस्या

बेरोजगारी की समस्या व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को भयंकर रूप से प्रभावित कर रही हैं. देश के नवयुवक निराश होते जा रहे हैं. सामाजिक जीवन में रहन सहन के स्तर में गिरावट होती जा रही हैं. भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा हैं.

रिश्वतखोरी और दुराचार को प्रोत्साहन मिल रहा हैं. बेरोजगारी से युवावर्ग में भयंकर असंतोष पनप रहा हैं. जिससे देश में आंदोलन की प्रवृत्तियां अशांति और अराजकता का प्रसार हो रहा हैं.

बेरोजगारी के कारण

इस समस्या के समाधान के लिए इसके कारणों और निराकरण के उपायों पर विचार करना सार्थक सिद्ध हो सकता हैं. इस समस्या के मुख्यतया ये कारण है-

जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि, गलत आरक्षण नीति, रोजगारोन्मुख शिक्षा का अभाव आदि. इसके अलावा लघु कुटीर उद्योगों का हास तथा मशीनीकरण का अत्यधिक प्रचार भी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण हैं.

समस्या के समाधान के उपाय

बेरोजगारी की इस भयानक समस्या के समाधान हेतु उक्त कारणों का निवारण करना जरुरी हैं. इस दिशा में हमारा सर्वप्रथम कार्य बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करना व रोकना होगा. परिवार नियोजन और विवाह की आयु सीमा में वृद्धि कर इस समस्या का कुछ निवारण करने में सफल हो सकते हैं.

लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास करना होगा. कृषि उत्पादन को बढाने के लिए भी प्रयत्न करना होगा. मशीनीकरण के विकास को भी तीव्र गति से प्रसारित करना होगा.

शिक्षा प्रणाली में भी क्रांतिकारी परिवर्तनों के द्वारा उसे व्यवसायोंन्मुखी बनाकर स्वावलम्बन तथा स्वरोजगार कस प्रसार करना जरुरी हैं. देश में ऐसे आर्थिक कार्यक्रम लागू किये जाए, जिनमें अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध हो सके.

इस प्रकार हम समस्या के समाधान के लिए सरकारी और गैर सरकारी सभी स्तरों पर प्रयत्न किये जाने की आवश्यकता हैं. इस समस्या के समाधान के लिए जनता का सहयोग सबसे वांछनीय हैं. राष्ट्रव्यापी समस्या मानकर दृढ संकल्प से सभी इसके समाधान में जुट जाए तो कोई शक्ति इसमें बाधक नहीं हो सकती.

बेरोजगारी निबंध 2 (500 शब्द)

पढ़ लिखकर रोजगार की तलाश में हैं जो बेकार युवक कैसे हिंदोस्ता उठायेगे.

भारत में बेरोजगारी एक अनार सौ बीमार की मूर्तिमान कहानी हैं. शिक्षा संस्थानों से प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में डिग्री और डिप्लोमा लेकर निकलने वाले युवाओं की भीड़ के लिए नौकरियाँ और रोजगार कहाँ से आए, देश में करोड़पतियों और अरब पतियों की संख्या बढ़ रही हैं.

देशी कम्पनियाँ विदेशी कपनियों का अधिकरण कर रही हैं. विदेशी कम्पनियाँ देश में निवेश कर रही हैं. भारत महान आर्थिक शक्ति बनने जा रहा हैं.

दूसरी ओर इस महान भारत में करोड़ो लोग बीस पच्चीस रुपये रोज पर जीवन बिताने को मजबूर है सपनों से सच्चाई को नहीं ढका जा सकता हैं.

भारत में बेरोजगारी दिशा व दशा – देश में बेरोजगारी के कई स्वरूप देखने को मिलते हैं. एक हैं आंशिक अल्पकालिक बेरोजगारी और दूसरी पूर्ण बेरोजगारी. आंशिक बेरोजगारी गाँवों में अधिक देखने को मिलती हैं.

वहां फसल के अवसर पर श्रमिकों को काम मिलता हैं. शेष समय वे बेरोजगार रहते हैं. निजी प्रतिष्ठानों में कर्मचारी की नियुक्ति अनिश्चितता से पूर्ण रहती हैं.

बेरोजगारी का दूसरा स्वरूप शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगारों तथा अशिक्षित अकुशल बेरोजगारों के रूप में दिखाई देता हैं.

बेरोजगारी के कारण – भारत में दिनों दिन बढ़ती बेरोजगारी के निम्न कारण हैं.

  • जनसंख्या के घनत्व में वृद्धि – यह बेरोजगारी की समस्या का मुख्य कारण हैं. जनसंख्या जिस गति से बढ़ती हैं, रोजगार के अवसर उस गति से नहीं बढ़ते हैं.
  • व्यावसायिक शिक्षा का अभाव – आज की शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक परामर्श की कोई व्यवस्था नहीं हैं. आज का बालक जो शिक्षा पाता हैं वह उद्देश्यरहित होती हैं. इस प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी बेकारी की समस्या का मूल कारण हैं.
  • लघु एवं कुटीर उद्योगों का अभाव – सरकार की उद्योग नीति भी इस समस्या को विकराल बना रही हैं. हमारे यहाँ औद्योगिकीकरण के रूप में बड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा हैं. मशीनीकरण के कारण बेकारी की समस्या और बढ़ गई हैं. लघु अथवा कुटीर उद्योगों के विकास से रोजगार के जो अवसर उपलब्ध हो सकते हैं, वह बड़े उद्योगों के लगने से नहीं मिल सकते हैं.
  • राजनीतिक स्वार्थ – आज आरक्षण के नाम पर समाज के एक बड़े शिक्षित वर्ग की दुर्दशा हो रही हैं. राजनीतिक स्वार्थों के कारण शिक्षित बेरोजगारी की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही हैं.
  • कृषि की उपेक्षा- सरकार द्वारा उद्योगों पर विशेष ध्यान देने और कृषि क्षेत्र की उपेक्षा किये जाने से ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ रही हैं.
  • स्वरोजगार योजनाओं का दुरूपयोग – सरकार स्वरोजगार को प्रोत्साहन तथा सहायता दे रही हैं.किन्तु उनका लाभ वास्तविक पात्रों को नहीं मिल पाता हैं.

समस्या समाधान के प्रयास – किसी समस्या के कारण जान लेने के बाद निवारण का मार्ग स्वयं खुल जाता हैं. आज सबसे अधिक आवश्यकता सामाजिक क्रांति लाने की हैं.

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण आज के युग की मांग हैं. शिक्षा व्यवसाय केंद्रित हो, शिक्षार्थियों को शिक्षा के साथ साथ रोजगारपरक उचित परामर्श दिया जाय. लघु और कुटीर उद्योगों को विकसित किया जाय.

उपसंहार – बेरोजगारों की बढ़ती फौज देश की अर्थव्यवस्था और विकास के बड़े बड़े दावों की पोल खोल रही हैं. बेकारी भत्तों, मुफ्त अनाज बांटने के नाटकों आदि से यह विकट समस्या नहीं सुलझेगी. आर्थिक और सामाजिक स्तर पर क्रन्तिकारी बदलाव और नियंत्रण ही इसका उपचार हो सकता हैं.

बेरोजगारी निबंध 3 (600 शब्द)

रोजगार अनिवार्य आवश्यकता- मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए भोजन, वस्त्र, इत्यादि अनेक चीजों की आवश्यकता होती हैं. इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसको धन चाहिए.

धन का उपार्जन नौकरी, खेती अथवा व्यापार करके ही किया जाता हैं. समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को जीवन यापन के लिए कोई न कोई आजीविका का साधन या रोजगार अवश्य ही चाहिए. दुर्भाग्यवश हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या विकट होती जा रही हैं.

बेरोजगारी बढ़ने के कारण- हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ने के अनेक कारण हैं. जो संक्षेप में इस प्रकार हैं.

  • जनसंख्या बढ़ते जाने से बेरोजगारी भी बढ़ती जाती है, जिस गति से जनसंख्या बढ़ती है, उस गति से रोजगार के साधन नहीं बढ़ते हैं.
  • हमारा देश कृषि प्रधान देश हैं. लेकिन उद्योगों को आगे बढ़ाने और कृषि की उपेक्षा करने के कारण लोग खेती छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.
  • हमारी शिक्षा व्यवस्था समय के अनुकूल नहीं है. तकनीकी शिक्षा बहुत महंगी है नौकरी पर ही जोर हैं. स्वरोजगार का प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा हैं.
  • हमारी अर्थव्यवस्था विदेशों की नकल पर चल रही हैं. खेती की उपेक्षा हो रही हैं.
  • विदेशी बाजारों में होने वाली मंदी भी रोजगार को प्रभावित करती हैं.
  • नवम्बर 2016 में विमुद्रीकरण नोट्बन्दी ने भी बेरोजगारी बढ़ाई हैं.

बेरोजगारी के दुष्परिणाम- बेरोजगारी के बढ़ने के दुष्परिणाम दिन प्रतिदिन हमारे सामने आ रहे हैं. देश की अधिकांश पूंजी थोड़े से लोगों के हाथ में सिमटती जा रही हैं.

अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा हैं. बेरोजगार नौजवान अपराधों की ओर मुड़ रहे हैं. आम आदमी में भीतर ही भीतर वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध आक्रोश और असंतोष धधकने लगा हैं.

यह स्थिति कभी भी विस्फोट का रूप ले सकती हैं. इससे हमारी राष्ट्रीय एकता तथा स्वतंत्रता का भी संकट पैदा हो सकता हैं.

बेरोजगारी दूर करने के उपाय- बेरोजगारी बढ़ाने वाले कारकों का निवारण करके ही रोजगार की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती हैं. जनसंख्या पर नियंत्रण किया जाना चाहिए.

एक या दो बच्चों वाले परिवारों को रोजगार की सुविधा दी जानी चाहिए. शिक्षा प्रणाली सस्ती और रोजगार के योग्य बनाने वाली होनी चाहिए.

बड़े बड़े उद्योग पर ही जोर न देकर अतिलघु और कुटीर उद्योगों का जाल फैलाया जाना चाहिए. और उन्हें विशालकाय उद्योगों के मुकाबले सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.

हमारी अर्थव्यवस्था एवं योजनाओं में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाली होनी चाहिए.

सरकारी प्रयास- बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर भी काफी प्रयास किये जा रहे हैं. मनरेगा से भ्रष्टाचार की समाप्ति, स्वरोजगार के लिए बैंकों से सस्ते ऋण की व्यवस्था, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए जीएसटी आदि कर प्रणाली में सुधार, मुद्रा, स्टेंडअप उद्योगों की स्थापना में सरकारी अनुमतियों की सुलभता अनेक उपाय साकार ने किये हैं.

राज्य सरकारों का सहयोग तथा युवाओं को नौकरियों के पीछे भटकना छोड़ स्वरोजगार की ओर मुड़ना भी बेरोजगारी से मुक्ति दिलाने के लिए आवश्यक हैं.

बेरोजगारी निबंध 4 (700 शब्द)

Long Essay on Unemployment in Hindi In 700 Words

बेरोजगारी का अर्थ है, कार्य करने में पूर्ण सक्षम एवं इच्छित होने के उपरान्त भी उसे अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए काम नहीं मिलता हैं तथा काम की खोज में वह इधर उधर हाथ मारता रहता है.

तथा वह ऐसे अपराधों से घिर जाते है और अनिच्छा में कुछ गलत कदम उठाता है जो विधि नियमों के मुताबिक़ गलत होता है. आज बेरोजगारी या बेगारी न सिर्फ भारत की प्रमुख समस्या है बल्कि आज एक वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुकी है.

बेरोजगारी के मूल कारण जानने से पूर्व हमें इनकी स्थितियों के बारे में समझना होगा. आपकों जानकारी हो बेरोजगारी की कई स्थितियां है, भारत में बेरोजगारी की समस्या के प्रायः के रूप आम तौर पर देखने को मिलता हैं.

भारत में बेरोजगारी के प्रकार (types of unemployment in hindi)

  • खुली बेरोजगारी – इसका अर्थ उस तरह की बेरोजगारी से है, जिसमें व्यक्ति काम तो करना चाहता है, मगर उसे कोई कार्य नहीं मिल पाता है, यही वजह है कि खुली बेरोजगारी की समस्या के कारण बड़ी तादाद में लोग गाँवों से शहरों की ओर पलायन करने लगे हैं.
  • शिक्षित बेरोजगारी- मूल रूप से भारत में बेरोजगारी का यह स्वरूप सबसे अधिक दिखाई देता है. यह एक तरह से खुली बेरोजगारी ही है. जिसमें फर्क बस इतना है कि काम की चाहत रखने वाला व्यक्ति पढ़ा लिखा है तथा वह अपनी योग्यता के मुताबिक़ कार्य चाहता हैं.
  • घर्षणात्मक बेरोजगारी- यह वह स्वरूप है जिसके जिम्मेदार हमारे बाजार होते हैं, बाजार में आए दिन होने वाले उतार चढाव और मांग में होने वाली परिवर्तन के कारण बेरोजगारी का यह स्वरूप देखने को मिलता है.
  • मौसमी बेरोजगारी- भारत की अधिकांश जनता का मुख्य व्यवसाय कृषि है, जो अधिकतर पांच या छः माह का कार्य होता है. इस अवधि के बाद उसके करने के लिए कोई कार्य नहीं होता है जिसके चलते उत्पन्न बेरोजगारी को मौसमी बेरोजगारी का नाम दिया जाता हैं.
  • शहरी बेरोजगारी- आजकल शहरों और कस्बों को रोजगार का केंद्र माना जाता है, इसी कारण बड़ी संख्या में लोग अपने गाँवों को छोडकर शहरों का रूख करते है, मगर शहर में आने के बाद भी उन्हें रोजगार का कोई अवसर हाथ नहीं लगता है तो इस प्रकार की बेरोजगारी को शहरी बेरोजगारी के नाम से जाना जाता हैं.
  • ग्रामीण बेरोजगारी- प्राचीन भारत में कार्यों के आधार पर समाज में वर्ण व्यवस्था थी. जिसके अनुसार किसान के घर में जन्म लेने वाला कृषि कार्य, सुनार का बेटा सुनारी, लोहार का बेटा लुहारी का कार्य करता था. मगर आज यह व्यवस्था समाप्त हो चुकी हैं, जिसके कारण लोगों को अपने पुश्तैनी कार्य के प्रति लगाव नही रहा है और उन्हें बेरोजगारी से गुजरना पड़ रहा हैं.
  • संरचनात्मक बेरोजगारी- जब देश के उद्योग जगत में किसी तरह के मूलभूत बदलाव लाए जाते है तो उन उद्योगों के कर्मचारियों, मजदूरों में कमी कर दी जाती है इस तरह के बदलावों से बहुत से लोग बेरोजगार हो जाते है. बेरोजगारी का यह स्वरूप संरचनात्मक बेरोजगारी कहलाता हैं.
  • अल्प रोजगार – जिन्हें हम दहाड़ी मजदूरी कहते है यह एक ऐसे मजदूरों का तबका है जिन्हें नित्य कार्य मिलने की बजाय कुछ दिन का काम मिलता है, शेष अंतराल का समय उन्हें बेरोजगारी में बिताना पड़ता हैं.
  • छिपी हुई या अद्रश्य बेरोजगारी- मुख्य रूप से कृषि के क्षेत्र में बेरोजगारी का यह स्वरूप मुख्य रूप से पाया जाता है. कई बार आवश्यकता से अधिक लोग काम पर लगे होते है. आवश्यकता से अधिक काम पर लोगों को वहां से निकाल भी दिया जाए तो उत्पादन में कोई फर्क नहीं पड़ता है, इस तरह की प्रछन्न या छिपी हुई बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या हैं.

बेरोजगारी के कारण और निवारण (What is Unemployment? Its Main Causes, Effects and Solutions)

भारत में बेरोजगारी की समस्या के कई कारण है. जिनमें से सबसे बड़ा कारण जनसंख्या में तेजी से हो रही वृद्दि हैं. अधिक लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रोजगार के भी अधिक अवसर स्रजन करने होगे,

यदि हम इस तरह की व्यवस्था नही कर पाए तो स्वाभाविक तौर पर बेरोजगारी की दर तीव्र गति से बढ़ेगी. दूसरी कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था है. हमारी स्कूलों में बच्चों को सैद्धांतिक ज्ञान रटवाया जाता है न कि व्यवहारिक ज्ञान.

बच्चों को स्वयं के रोजगार आरम्भ कर पाने का सामर्थ्य पैदा कर पाने वाली शिक्षा व्यवस्था को अपनाना पड़ेगा. अंग्रेजों के आगमन के समय के साथ ही भारत के कुटीर उद्योगों को समाप्त करने के प्रयास हुए है. हमारी इस प्राचीन परम्परा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता हैं.

आजादी के बाद से ही लघु और कुटीर उद्योग पर ध्यान नहीं दिया गया है. बड़े उद्योगों को बढ़ावा मिलने के साथ ही कुटीर उद्योग समाप्त हो गये तथा इनके सहारे जीवन चलाने वाले लोग बेरोजगार बन गये.

भले ही भारत को कृषि प्रधान देश माना जाए, आज भी हमारी अधिकतर आबादी कृषि कार्य पर आश्रित है मगर कृषि सुधारों के अभाव में वे एक छोटी अवधि तक ही अल्प रोजगार प्राप्त कर पाते हैं.

बेरोजगारी के कई दुष्परिणाम आज हमारे सामने है. जहाँ एक तरफ बेरोजगारी की समस्या बढने से देश में गरीबों की संख्या में वृद्धि होती है. वही भूखमरी जैसी समस्या का जन्म भी हो जाता है.

एक बेरोजगार व्यक्ति की मानसिक स्थिति बड़ी दयनीय होती है वह काम की जुगाड़ में चोरी, डकैती तथा हिसा जैसे अपराधों की राह पर चल पड़ता हैं. बेरोजगारी की समस्या से तंग आकर लोग अपराध की दुनियां में प्रवेश कर लेते है,

कुछ लोगों में जीवन के प्रति हताशा इस हद तक घर कर जाती है कि वे आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला ही खत्म कर देते हैं. दूसरी तरफ अपराधी तथा राजनेता इन राह भ्रमित लोगों को अपने हित से उपयोग लेते है

तथा कोई भी मौका मिलने पर इनका शोषण करने से नहीं चुकता है. बेरोजगारी की इस समस्या के कारण देश के सामाजिक एवं राजनीतिक ढाँचे में कई समस्याएं जन्म लेने लगती हैं.

भारत में बेरोजगारी एक समस्या और इसका समाधान पर निबंध | Essay On Unemployment In India In Hindi

शताब्दियों की गुलामी के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो सभी नागरिकों को अपनी आर्थिक दशा सुधरे जाने की आशा होने लगी.

हमारे सविधान में सभी नागरिकों को समान रूप से भविष्य निर्माण करने का संकल्प व्यक्त किया गया. नव स्वतंत्र देशों में औद्योगिक विकास तथा शासन तन्त्र के विस्तार के कारण प्रारम्भ में रोजगार के साधन सुलभ बन गये.

यहाँ प्रथम पंचवर्षीय योजना के साथ ही शरणार्थी समस्या, जनसंख्या वृद्धि तथा उचित विकास दर न रहने से रोजगार की समस्या बढ़ने लगी और नागरिकों को योग्यता एवं श्रम शक्ति के अनुसार रोजगार न मिलने से बेरोजगारी का भयंकर संकट सामने आने लगा.

बेरोजगारी की समस्या (Problem of unemployment)

विकासशील देश भारत में जिस तीव्र गति से विकास होना चाहिए था, वह नही हो सका. इसका सबसे अधिक प्रभाव उन शिक्षित नवयुवकों पर पड़ा, जो रोजगार की तलाश में भटकने लगे और भविष्य के प्रति निराश होकर सरकार से असंतुष्ट रहने लगे.

वस्तुतः देश की जनसंख्या जिस तीव्रतम गति से बढ़ी है, उसके अनुरूप रोजगार के साधन उपलब्ध नही हुए है. सरकारी तन्त्र में लालफीताशाही, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार बढ़ता गया.

आम जनता के जीवन स्तर में काफी गिरावट आई तथा आर्थिक विषमता उतरोतर बढ़ती गई. इससे नई पीढ़ी में असंतोष बढ़ा. फलस्वरूप आंदोलनकारी प्रवृतियाँ, अशांति और अराजकता का भयंकर प्रसार होने लगा.

इन सब बुराइयों के मूल में बेरोजगारी की समस्या है. आज तो अच्छे पढ़े-लिखे एवं योग्य नवयुवकों को रोजगार मिल पाना अतीव कठिन हो गया है और आज के समय में बेरोजगारी एक ज्वलंत समस्या बनकर उभर रही है.

भारत में बेरोजगारी के कारण (problems caused due to unemployment in india)

हमारे देश में रोजगार के अवसर निरंतर घट रहे है. इसके प्रमुख कारण ये है.

  • जनसंख्या की अप्रत्याशित वृद्धि होने से रोजगार के उतने साधन नही है.
  • लघु कुटीर उद्योगों का हास और मशीनीकरण का प्रसार बेरोजगारी का एक अहम कारण भी है.
  • व्यावसायिक शिक्षा एवं स्वरोजगार की ओर पूरा ध्यान नही दिया गया है.
  • जातिवाद, क्षेत्रवाद तथा अन्य कारणों से नौकरी के लिए आरक्षण का गलत तरीका अपनाया जा रहा है.
  • सार्वजनिक उद्योगों की घाटे की स्थति और उत्पादकता का न्यून प्रतिशत रहने से रोजगार के नए अवसर नही मिल पा रहे है.
  • शासन तन्त्र पर स्वार्थी राजनीती एवं भ्रष्टाचार हावी हो रहा है.
  • पंचवर्षीय योजनाओं में मानव श्रम शक्ति का सही नियोजन नही हो पाया है.

इन सब कारणों से भारत में लगातार रोजगार के साधन घट रहे है और बेरोजगारी बढ़ रही है. इससे युवा वर्ग अत्यंत परेशान है.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान (Solution to unemployment problem)

रोजगार के घटते साधन और बेरोजगारी के बढ़ने के कारणों पर नजर डाले तो यह कहा जा सकता है कि इस समस्या का निराकरण किया जा सकता है.

इसके लिए सर्वप्रथम देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित करना होगा. लघु एवं कुटीर उद्योगों एवं कृषि प्रधान हस्तकलाओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. शिक्षा ऐसी हो जो स्वरोजगार एवं व्यावसायिक क्षमता प्रदान करे.

देश में वर्तमान में नौकरियों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था चल रही है. उसे समाप्त करके योग्यता को ही प्राथमिकता दी जावे और कृषि कार्यों के उचित प्रसार करने पर बल दिया जावे.

शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव परिवर्तन कर नवयुवकों को स्वावलम्बी बनाया जावें. शासन तन्त्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता एवं भ्रष्ट राजनीती पर अंकुश लगाया जावे.

पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण तथा क्रियान्वयन में इस बात का पूरा ध्यान दिया जावे तथा ऐसे आर्थिक उपाय किये जावे जिनसे रोजगार के साधनों में वृद्धि की जा सके.

बेरोजगारी निबंध का सार (essay on unemployment in hindi)

इस प्रकार के उपाय करने पर रोजगार के घटते साधनों पर न केवल अंकुश लगाया जा सकेगा, अपितु रोजगार सुलभ होंबे में परेशानी नही रहेगी. तथा युवाओ द्वारा विरोध नहीं किया जाएगा.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान सरकारी और गैर सरकारी सभी स्तरों पर प्रयास करने से ही हो सकता है. इसके लिए देश की युवा पीढ़ी का सहयोग नितांत अपेक्षित है.

क्योकि रोजगार की समस्या से अधिक वे ही प्रभावित हो रहे है. अतः उचित उपाय करने पर रोजगार के साधनों की वृद्धि निश्चित ही हो सकती है. जिसके लिए सरकार को कार्य करना चाहिए. तथा बेरोजगारों के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए.

एक बेरोजगार का उद्देश्य रोजगार प्राप्त करना होता है. भारत सरकार मेक इन इंडिया द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए कार्य कर रहा है. जिसमे नागरिको को रोजगार मिल सकेगा.

  • राजस्थान बेरोजगारी भत्ता
  • बेरोजगारी पर कविता – नौकरी की चाह में
  • नशा निषेध दिवस पर निबंध
  • निरक्षरता एक अभिशाप पर निबंध
  • भारत की सामाजिक समस्याएँ पर निबंध
  • देश के प्रति हमारा दायित्व निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों  Essay on Unemployment in Hindi का यह लेख आपकों पसंद आया होगा. यदि आपकों बेरोजगारी पर निबंध पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. आपकों यह लेख कैसा लगा अपनी राय व सुझाव कमेंट कर बताए.

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Berojgari Essay In Hindi | बेरोजगारी पर शानदार निबंध

Berojgari Essay In Hindi- बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज के लिए गंभीर परेशानी है। बेरोजगारी का मतलब है कि वे लोग जो काम करने के लिए तैयार हैं, वे नौकरी नहीं पा रहे हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जो न केवल व्यक्तिगत आर्थिक समस्याओं का कारण बन रही है बल्कि समाज के विकास को भी प्रभावित कर रही है।

इस लेख में हम Berojgari Essay In Hindi, बेरोजगारी पर शानदार निबंध लेखन करने वाले है तो अंत तक बने रहिएगा।

Berojgari Essay In Hindi

Table of Contents

Berojgari Essay In Hindi (बेरोजगारी पर निबंध 1000 शब्दों में)

लगभग दुनिया के सभी देशो में बढ़ती जनसँख्या ने बेरोजगारी को आज विस्फोटक स्तिथि में लाकर खड़ा कर दिया है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती है।

बेरोजगारी का अर्थ

एक कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति को कई कारणों से उचित नौकरी न मिलना ही बेरोजगारी है। अर्थात जब किसी व्यक्ति को अपनी जीविका के लिए कोई काम नहीं मिलता है, तो उसे बेरोजगारी कहते है और उसकी इस समस्या को बेरोजगारी कहते है।

बेरोजगारी के प्रकार

भारत में विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी है-

(1)- छिपी बेरोजगारी

(2)- अल्प बेरोजगारी

(3)- खुली बेरोजगारी/ अनैच्छिक बेरोजगारी

(4)- ऐच्छिक बेरोजगारी

(5)- मौसमी बेरोजगारी

(6)- शिक्षित बेरोजगारी

(7)- चक्रीय बेरोजगारी

(1)- छिपी बेरोजगार- यह बेरोजगारी प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिखाई देती है। इसीलिए इसे छिपी बेरोजगारी कहते है। यह बेरोजगारी कृषि छेत्र में दिखाई देती है। यहां आवश्यकता से अधिक लोग काम में लगे होते है। यदि उनमे से कुछ लोगो को दिया जाये, तब भी उत्पादन में कोई कमी नहीं होगी।

(2)- अल्प बेरोजगारी- जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता से कम कार्य मिलता है अथवा जब कुछ ही समय के लिए काम मिलता है, तो उस स्तिथि को अल्प बेरोजगारी कहा जाता है। यदि किसी इंजीनियर को क्लर्क का काम दिया जायेगा, तो उसकी योग्यता का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।

(3)- खुली बेरोजगारी/ अनैच्छिक बेरोजगार- जब कोई व्यक्ति काम करने को तैयार हो, लेकिन उसे काम न मिले, तो उस स्तिथि को पूर्ण या खुली बेरोजगारी कहते है। भारत में पूर्ण बेरोजगारी बहुत अधिक है। यहाँ करोड़ो की संख्या में बेरोजगार लोग है और इनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।

(4)- ऐच्छिक बेरोजगार- ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने को तैयार नहीं है अर्थात वह ज्यादा मजदूरी की मांग कर रहा है और ज्यादा मजदूरी मिल नहीं रही है इस कारण वह बेरोजगार है। ऐसी अवस्था ही ऐच्छिक बेरोजगारी कहलाती है।

(5)- मौसमी बेरोजगारी- जैसे फसल काटते समय मजदूरों को रख लिया जाता है। ऐसे ही भवन निर्माण के समय मजदूर रख लिए जाते है, बाद में वे बेरोजगार हो जाते है। अर्थात जब किसी व्यक्ति को वर्ष के कुछ ही महीनो के लिए काम मिलता है और शेष समय में वह बेकार रहता है, तो उस स्थिति को मौसमी बेरोजगारी कहते है।

(6)- शिक्षित बेरोजगार- शिक्षित बेरोजगारी शिक्षित या पढ़े लिखे लोगो में होती है क्योकि ये लोग शिक्षित नौकरी ही चाहते है। लेकिन नोकरिया की संख्या इतनी अधिक नहीं है की सभी को नौकरी दी जा सके। इस कारण भरी संख्या में शिक्षित लोग बेरोजगार है।

(7)- चक्रीय बेरोजगार- इस प्रकार की बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होती है। जब अर्थव्यवस्था में समृद्धि का दौर होता है तो उत्पादन बढ़ता है रोजगार के नए अवसर पैदा होते है और जब मंडी का दौर आता है तो उत्पादन कम होने से कम लोगो की जरुरत होती है जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ती है।

बेरोजगारी के कारण

जनसँख्या वृद्धि- तेजी से बढ़ती जनसँख्या बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है। देश की जनसँख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से उद्योग, नौकरिया और राष्ट्रीय आय में वृद्धि नहीं हो रही है। जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।

दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली- किसी भी देश की शिक्षा प्रणाली उस देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक स्तर पर अपना प्रभाव डालती है। बेरोजगारी की समस्या का एक प्रमुख कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली है। दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली से मतलब शिक्षा का आभाव यानि अशिक्षा से है। यही कारण है की भारत में बेरोजगारी जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही है।

नए रोजगारो की कमी- कई तकनीकी समस्याओ और बढ़ती जनसँख्या के कारण रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहे है। अंत लोगो को पर्याप्त रूप से रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाते है। क्योकि रोजगार बढ़ नहीं रहे है। इसीलिए रोजगारो की कमी हो रही है।

निर्धनता- निर्धनता किसी भी व्यक्ति के बेरोजगार होना एक प्रमुख कारण है। भारत में निर्धनता के कारण लोगो को उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते है। इसके आलावा निर्धन व्यक्ति एक अच्छी शिक्षा से भी वंचित रह जाता है जिससे वह एक अच्छा रोजगार प्राप्त नहीं कर पाटा है और बेरोजगार रह जाता है।

कृषि छेत्र का पिछड़ापन- भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी सम्पूर्ण जनसँख्या कृषि पर निर्भर है। वर्तमान में जनसँख्या विस्फोट के कारण कृषि छेत्र काफी पिछड़ गया है।

मशीनीकरण- आजकल कार्यो को पूरा करने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाने लगा है। पहले रोजगार के आधे से ज्यादा कार्य लोगो द्वारा पुरे किये जाते और बेरोजगार जैसी समस्या कम ही थी परन्तु वर्तमान में लगभग सभी कार्य मशीनों द्वारा ही किये जाते है। अत मशीनीकरण से कई लोगो का रोजगार छिन्न जाने के कारण देश में बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि होने लगी है।

बेरोजगारी दूर करने के उपाय

बेरोजगारी को सम्पूर्ण रूप से दूर नहीं किया जा सकता। सही दिशा में कुछ प्रयाश करने से वो कम हो सकती है। सबसे पहले हमे जनसँख्या को काबू करना होगा। जनसँख्या काबू में करने के लिए हमें खुद से जागरूक होना पड़ेगा। सरकार को छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए कई निति नियम बनाने होंगे। यदि ज्यादा मात्रा में छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा दिया जाये तो युवाओ को ज्यादा नौकरिया मिलेंगी।

स्वरोजगार को सरकारी सहायता के साथ और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है। सरकार को प्रत्येक छेत्र विशेष रूप से कृषि के सुधार पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर सिंचाई सुविधाएं, बेहतर कृषि उपकरण, बहु फसल चक्रण और फसल प्रबंधन के बारे में ज्ञान के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

हमें अपनी पुराणी शिक्षा निति को बदलना पड़ेगा। व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर देना होगा। भारत सरकार ने बेरोजगारी दर को कम करने के लिए कई कदम उठाये है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा ) और राजीव गाँधी स्वावलम्बन रोजगार योजना जैसी योजनाए भारत में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा की गयी पहल है।

बेरोजगारी एक अभिशाप

बेरोजगारी हमारे देश के लिए अभिशाप बन गयी है। वो देश के युवा लोगो की मानसिक शांति छीन लेती है। देश के युवाओ को तनावग्रस्त जीवन जीने पर मजबूर कर देती है। बेरोजगारी के कारण देश के कई लोग निर्धनता और भुखमरी के शिकार हो जाते है।

युवाओ में बढ़ता आक्रोश चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसे अपराध करने पर मजबूर कर देता है। बेरोजगारी निराशा और असंतोष का कारण बनती है और विनाशकारी दिशाओ में युवाओ की ऊर्जा को नस्ट कर देता है। बेरोजगारी के कारण मानसिक स्तिथि से बचने के लिए लोग ड्रग्स और शराब की बुरी आदतों से ग्रस्त है।

भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। भारत में शिक्षा का आभाव, रोजगार के लिए पर्याप्त उद्योगो की कमी, शासन की नाकामी जैसे कई कारणों से बेरोजगारी जन्म लेती है। आज बेरोजगारी की स्तिथि इतनी बढ़ चुकी है की अगर इस पर अंकुश न लगाया गया तो देश की आर्थिक, सामाजिक, भौतिक एवं राजनितिक दशा को हिला सकती है। यदि बेरोजगारी की बात भारत के परिपेक्ष में की जाये तो इसकी स्तिथि बहुत ही ख़राब है यदि इस स्तिथि में सुधार होता है तो निश्चित ही रूप से हमारा देश विकसित देशो की श्रेणी में आ सकता है। भारत सरकार बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है। समय आ गया है की भारत के लोग सरकार के साथ मिलकर एकता के साथ इस समस्या का सामना करे।

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क्या बेरोजगारी केवल आर्थिक समस्या है?

नहीं, बेरोजगारी आर्थिक, सामाजिक, और मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है।

क्या सरकार के पास बेरोजगारी के समाधान हैं?

हां, सरकार नौकरियों को प्रस्तुत करने के लिए कई योजनाएं चला रही है।

क्या उद्यमिता एक अच्छा समाधान है?

हां, उद्यमिता एक अच्छा समाधान हो सकता है क्योंकि यह लोगों को स्वयं रोजगार की अवसर प्रदान करता है

क्या शिक्षा का प्रसार बेरोजगारी को कम कर सकता है?

हां, शिक्षा का प्रसार लोगों के कौशल में सुधार कर सकता है और उन्हें बेहतर नौकरियों का मौका दिला सकता है।

कौशल विकास कार्यक्रम क्यों महत्वपूर्ण हैं?

कौशल विकास कार्यक्रम लोगों के कौशलों को सुधारने में मदद करते हैं और उन्हें नौकरी प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं।

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ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on Unemployment in Hindi – बेरोजगारी पर निबंध

October 28, 2017 by essaykiduniya

Here you will get Paragraphs and Short Essay on Unemployment in Hindi Language/ Berojgari Essay in Hindi Language for students of all Classes in 100, 250, 300 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध मिलेगा।

Essay on Unemployment in Hindi

Short Essay on Unemployment in Hindi Language – बेरोजगारी पर निबंध ( 100 words )

बेरोजगारी हमारे देश की एक गंभीर समस्या बन चुकी है जो कि देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। नौकरियों में कमी, जनसंख्या में वृद्धि, उच्च कौशल और शिक्षा में कमी आदि कुछ ऐसे कारण है जो बेराजगारी को बढ़ावा देते है। बेरोजगारी की वजह से देश में गरीबी और अपराध बढ़ रहे है। कौशल युवाओं का आत्मविश्वास कम हो रहा है साथ ही सरकार से भी भरोसा उठ जाता है। रोजगार दिलाने के लिए सरकार ने बहुत सी योजनाएँ भी चलाई है जैसे कि जवाहर रोजगार योजना,सटार्टप इंडिया योजना आदि। बेरोजगारी को खत्म करने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना होगा तभी देश विकास करेगा।

Berojgari Essay in Hindi – Essay on Unemployment in Hindi – बेरोजगारी पर निबंध ( 250 words )

भारत में आबादी में वृद्धि के साथ, बेरोजगारी की समस्या भी कई गुना बढ़ गई है। हर साल हजारों युवा महिलाएं और पुरुष बेरोजगारों की श्रेणी में शामिल होते हैं। विभिन्न रोजगार एक्सचेंजों में बेरोजगार युवाओं की लंबी प्रतीक्षा सूची मन-दमबाजी है यह मूल रूप से शिक्षित लोगों को उचित रोजगार नहीं मिल रहा है हमारी शिक्षा प्रणाली रोजगार उन्मुख शिक्षा पर कोई जोर नहीं देती है, इसके बजाय, यह केवल डिग्री प्रदान करने में विश्वास करता है।

बेरोजगारी में बढ़ोतरी का दूसरा सबसे आम कारण गांव के किसानों की बढ़ती जमीन की होल्डिंग है। बच्चों की बढ़ती संख्या के साथ, खेती के क्षेत्र में क्षेत्र काफी कम हो गया है। इसके अलावा, भवन और अन्य उद्देश्यों के लिए भूमि पर अधिक दबाव के साथ, किसानों को शहरों में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है। वह नौकरी पाने के लिए न तो योग्य है और तकनीकी रूप से कुशल नहीं है दूसरे शब्दों में वह बेरोजगार व्यक्तियों की रैंकों में शामिल होता है|

उन्होंने एक भाग के समय मजदूर, रिक्शा-चालक, आदि के रूप में विभिन्न रूप से अभिनय करके जीवित रहने का मौका दिया। बेरोजगारी में योगदान करने वाले तीसरे कारक, लगातार सरकारों की दोषपूर्ण नीतियां हैं। लोकलुभावन मत हासिल करने के लिए, ये गांव-स्तरीय उद्योगों के विकास को पूरी तरह से अनदेखी कर चुके हैं, पर्याप्त व्यावसायिक प्रशिक्षण कॉलेजों की अनुपस्थिति और कई अन्य रोजगार पैदा करने के अवसरों ने बढ़ती बेरोजगारी में भी प्रमुख भूमिका निभाई है। बेरोजगार युवाओं के विभिन्न रोजगार निर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के बजाय वित्तीय संस्थानों के अल्ट्रा-रूढ़िवादी रुख में बाधा बनी हुई हैं।

Essay on Berojgari in Hindi- Essay on Unemployment in Hindi – बेरोजगारी पर निबंध ( 300 words )

आज देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा बेरोजगारी है। इसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है। बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह देश के साथ साथ मनुष्य के निजी जीवन और समाज को भी बहुत प्रभावित करती है। उच्च शिक्षा की कमी,कौशल और रोजगार में कमी और जनसंख्या में वृद्धि कुछ ऐसे प्रमुख कारण है जिनसे बेरोजगारी की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी भी कई तरह की होती है। मौसमी बेरोजगारी जिसमें आपको कुछ समय के लिए ही काम मिलता है। तकनीकी बेराजगारी जिसमें मनुष्य की जगह मशीनों ने ले ली है। आक्समिक बेरोजगारी जिसमें अचानक से या तो माँग मैम गिरावट आ जाती है या फिर कच्चे माल में।

बेरोजगारी हम सबको बहुत ही प्रभावित करती है। इसकी वजह से बेरोजगार इंसान को अपनी जीविका चलानी कठिन हो जाती है। देश भी गरीब होता जा रहा है। बेरोजगार व्यक्ति पैसे कमाने के लिए गलत राह चुन लेता है। वह चौरी डकैती आदि करने लगता है। बेरोजगारी ही आंतकवाद को जन्म देती है। बिना रोजगार के व्यक्ति तनाव में रहने लगता है। घर चलाने रे लिए वह कम पैसे में ज्यादा काम करने को मजबूर होता है। कौशल युवाओं के आत्मविश्वास में भी कमी आती है। धीरे धीरे सरकार से भरोसा उठ जाता है जिससे की राजनैतिक अस्थिरता आती है।

बेरोजगारी की समस्या से मुक्ति पाने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। सरकार ने रोजगार दिलाने के लिए बहुत सी योजना भी शुरू की है जैसे कि जवाहर रोजगार योजना,नेहरू रोजगार योजना,सटार्टप इंडिया योजना आदि। सरकार ने विदेशों में भी रोजगार उपल्बध कराए है। बेरोजगारी को जड़ से खत्म करना होगा तभी देश का विकास होगा।

Long Essay on Unemployment in Hindi Language – बेरोजगारी पर निबंध ( 500 words )

हमारे देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है, जो गरीबी की ओर जाता है बहुत से लोग खुद को स्वयं के साथ ही उनके परिवारों के लिए नौकरी खोजने के लिए उत्सुक हैं लेकिन सभी के लिए पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं नतीजतन, बेरोजगारी की समस्या हर स्तर पर देखी जाती है। नौकरी के अवसरों की कमी ने हमारे युवाओं के बीच अवसाद और निराशा को लाया है।

यह उन्हें भटकने के लिए बना दिया है जो मादक पदार्थों की लत, पहचान संकट आदि जैसे कई अन्य समस्याएं पैदा करता है। हमें इस समस्या को हल करने के विभिन्न तरीकों और तरीकों पर चर्चा करने से पहले बेरोजगारी की समस्या के कारणों की जांच करनी चाहिए। हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या के कई कारण हैं उनमें से एक शिक्षित व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि के संबंध में हमारी अर्थव्यवस्था का धीमी विकास है। जब एक अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, तो सभी के लिए बहुत सी नौकरियां हैं।

हमारी अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है और विकास किया गया है, लेकिन पर्याप्त संख्या में नौकरियां पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। एक और पहलू जो बेरोजगारी के कारण हुआ है वह जनसंख्या में वृद्धि है हमारा एक घनी आबादी वाला देश है जो आबादी कई गुना बढ़ रहा है। लेकिन अनुपात में रोजगार और लाभदायक अवसर उत्पन्न नहीं किए जा सकते हैं। नौकरियों संख्या में प्रतिबंधित हैं, लेकिन उनके लिए आवेदन करने वाले लोग कई हैं। इसलिए, लोगों का एक बड़ा हिस्सा बिना नौकरी छोड़ दिया जाता है।

शिक्षा में वृद्धि के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को सफेद कॉलर की तलाश है, जो उपलब्ध नहीं हैं। फिर, शिक्षा का उद्देश्य अक्सर लोगों को व्यावसायिक कौशल प्रदान करने का नहीं होता है। तो रोजगार के लिए उनका दायरा सीमित रहता है।

साथ ही, उद्योग के विकास के लिए यंत्रीकरण और अधिक परिष्कृत मशीनरी का विकास महत्वपूर्ण है। लेकिन इसका अक्सर मतलब है कि विशिष्ट लोगों के लिए कुछ लोगों की आवश्यकता होती है। नतीजतन वहाँ अधिक बेरोजगारी है।

यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उन सभी के लिए रोजगार उपलब्ध कराएं जो काम करने में सक्षम हैं। इसने जवाहर रोज़गार योजना, स्वर्णजयंती, ग्राम स्वरोजगार योजना और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य योजनाएं शुरू की हैं। स्वयं रोजगार और लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण भी दिया जाता है।

तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। जब लोगों को तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा मिलती है, तो वे अपनी शिक्षा पूरी करने पर सेवाओं के बाद परेशान नहीं करेंगे। वे अपने पैरों पर खड़े रहने के लिए अच्छी तरह तैयार होंगे। वे अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार एक पेशे का चयन करेंगे। इससे बेरोजगारी की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।

हमारी जनसंख्या के तेजी से विकास की जांच करना भी आवश्यक है इस संबंध में परिवार नियोजन पर रखा जाना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रित होने के बाद, हम आसानी से बेरोजगारी की समस्या को दूर कर सकते हैं जब तक यह समस्या नियंत्रण में न हो, हमारे देश का हर दौर विकास संभव नहीं हो सकता। इसलिए, आम जन के बीच जागरूकता लाने के लिए आवश्यक है।

हम आशा करते हैं कि आप इस भाषण (  Berojgari Essay in Hindi –  Essay on Unemployment in Hindi – बेरोजगारी पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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Berojgari ki Samasya par Nibandh

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध: बेरोजगारी का अर्थ: बेरोजगारी की समस्या का कारण: Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है. महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटकते हुए नवयुवक के चेहरे पर निराशा और चिंता का भाव होना सामान्य बात हो गई है. जब रोजगार की तलाश में भटकते हुए, युवक को अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती, तो युवक अपनी डिग्रियां फाड़ने, जलाने के लिए विवश हो जाते हैं. उस समय घर एवं समाज के लोग उसे निकम्मा समझते हैं. बेरोजगारी की समस्या आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना गया है. तो आज हम आपसे बात करेंगे Berojgari ki Samasya par Nibandh के बारे में.

Table of Contents

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

प्रस्तावना .

आज देश में बेरोजगारी एक वायरस की तरह फैल चुका है, जिसका जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया, तो हालात बद से बदतर होने में देर नहीं लगेगा. देश की तरक्की के रास्ते में कई सारे कारक पाव पसारे खड़े हैं, लेकिन बेरोजगारी उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक है. महात्मा गाँधी जी ने बेरोजगारी को “समस्याओं का समस्या” कहा है.

युवाओं में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, जिससे तनाव भी बढ़ता जा रहा है. हमारा देश युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा युवा हैं, जो की अच्छी बात है. लेकिन जब युवा जनसंख्या ही बेरोजगार हो, तो देश के लिए कोई लाभ नहीं है. क्योंकि बेरोजगार युवा आखिर देश के विकास में क्या योगदान दे सकती है.

बेरोजगारी का अर्थ

बेरोजगारी का अर्थ है, योग्यता होने के बावजूद कोई काम न मिलना .आज देश में कई ऐसे युवक हैं जो ग्रेजुएशन, बीएड की डिग्री प्राप्त करके रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण स्नातक, परास्नातक, शिक्षा-स्नातक की पढाई करके गाँव के गलियों में भटक रहे हैं. बेरोजगार होने के कारण अक्सर युवाएं तनाव में रहते हैं, जिससे कई तरह के रोग उनके शरीर में घर बना लेते हैं.

एक बेरोजगार इंसान न सिर्फ अपने परिवार बल्कि, देश के भी किसी काम नहीं आ सकता. बेरोजगार लोगों को उनके परिवार वाले एक बोझ की तरह देखते हैं, और बेरोजगार लोग भी समाज के तानों से तंग आकर गलत रास्ते चुन लेते हैं. ताकि उनके माथे पर निकम्मे होने का कलंक ना रहे.  बेरोजगारी बहुत छोटा सा शब्द है, लेकिन इसके अर्थ और परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं.

बेरोजगारी के प्रकार 

अल्प बेरोजगारी.

अल्प बेरोजगारी का अर्थ है, क्षमता के अनुसार रोजगार न मिलना. यानि कुछ समय या घंटे का काम मिलना. उदहारण के लिए, एक व्यक्ति 8 घंटों तक कार्य करने में सक्षम होते हुए भी उसे सिर्फ 2-4 घंटे तक का हीं रोजगार मिल पा रहा है, तो इसे अल्प बेरोजगारी कहा जाता है. ये स्थिति मजदूरों में देखा जा सकता है. जैसे मान लीजिए उन्हें एक दीवार बनाना है जिसके लिए उन्हें लगभग 5 घंटे का समय लगेगा. इस हिसाब से उस मजदूर को मात्र 5 घंटे तक के लिए रोजगार उपलब्ध हुआ, बाकी समय वह बेरोजगार हीं कहलाएगा.

खुली बेरोजगारी 

खुली बेरोजगारी वह स्थिति है, जब एक व्यक्ति के पास पूरा समय कोई काम नहीं होता. इसमें व्यक्ति के पास किसी प्रकार का कोई भी रोजगार नहीं होता. ऐसे लोग अपने परिवार के किसी सदस्य के पर निर्भर होते हैं, खुली बेरोजगारी गाँव और शहर दोनों में हीं देखी जा सकती है. खुली बेरोजगारी की समस्या से अधिकतर युवा जूझ रहे हैं, जिन्हें कोई अच्छा काम उपलब्ध नहीं होता. और छोटी-मोटी काम को करने में ये लोग अपना अपमान समझते हैं.

मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी का मतलब होता है, एक मौसम के लिए काम का मिलना. इसमें एक इंसान के पास कोई निर्धारित काम नहीं होता, मौसम के आने पर काम का मिलना और मौसम के खत्म होते ही बेरोजगार हो जाए. जैसे अगर कोई व्यक्ति दीया बनाने का काम करता है, तो वह केवल दिपावली के समय तक हीं रोजी-रोटी कमा पा रहा है. बाकी समय वह बेरोजगार हीं रहेगा.

उसी तरह एक किसान को भी मौसमी बेरोजगारी का शिकार होना पड़ता है. जब मॉनसून आता है, तब किसान खेती का कार्य करते हैं, उसके बाद बाकी का समय उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है. भारत जैसी कृषि प्रधान देश में मौसमी बेरोजगारी विद्यमान है. क्योंकि यहाँ की अधिकांश जनसँख्या कृषि कार्य पर निर्भर रहते हैं.

Berojgari ke Karan: बेरोजगारी की का कारण

दूषित शिक्षा प्रणाली .

बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है, दूषित शिक्षा प्रणाली. हमारे देश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दिया जाता, यहाँ केवल साक्षारत दर में वृद्धि हो रहा है. शिक्षा के नाम पर छात्रों को रट के परीक्षा पास कैसे करना है? ये सिखाया जाता है. क्लास होते हीं दिमाग से रटंत ज्ञान भी निकल जाती हैं.ऐसी शिक्षा प्रणाली एक बेहतर शिक्षित जनसंख्या का निर्माण नहीं कर सकता.

गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव में विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता. क्योंकि    वर्त्तमान  समय में लगभग सभी कम्पनियाँ स्किल के अनुसार रोजगार देती है, और युवाओं में स्किल्स का अभाव होता है.

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उपलब्ध अवसर की कमीं हो जाती है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती. सभी के लिए रोजगार उपलब्ध न होना, सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता विषय बन गयी है.  बड़ी जनसंख्या के कारण न तो, शिक्षा पर ठीक से ध्यान दिया जाता है और ना हीं स्वास्थ्य पर. इसलिए अगर कम जनसंख्या होगा तो, अवसर सबको बराबर मिलेंगे और कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा.

पिछड़ी हुई कृषि 

ये तो सबको मालूम है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर कृषि कोई करना नहीं चहता. क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है. वही हल – फल और फसल लगाने की परंपारिक विधि, जिससे फसलों में मुनाफा नहीं दिखता और लोग कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाते.

यही कुछ बेरोजगारी की समस्या का कारण है. इस ज्वलंत समस्या का निदान किए बिना देश का विकास असंभव है. इसलिए बेरोजगारी की समस्या का निदान करना बेहद जरुरी है.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के उपाय 

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • देश की जनसँख्या में कमी होगी, तो सभी को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा.
  • शिक्षा प्रणाली में सुधार करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • लघु, कुटीर उद्योग, हस्तकरघा उद्योगों का विकास किया जाए, औधोगीकरण से सभी को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

इसे भी पढ़ें: खेल का महत्त्व पर निबंध 

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भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख निबंध Unemployment in India Essay (Bharat me berojgari ki samasya) in hindi

अगर हम बहुत ही सरल शब्दो मे समझना चाहे, तो बेरोजगारी का सीधा सीधा संबंध काम या रोजगार के अभाव से है. या कहा जा सकता है कि जब किसी देश की जनसंख्या का अनुपात वहा उपस्थित रोजगार के अवसरो से कम हो, तो उस जगह बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. बढ़ती बेरोजगारी के कई कारण हो सकते है जैसे बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा का अभाव, ओधगिकरण आदि.

Berojgari ki samasya

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भारत में बेरोजगारी की समस्या (Unemployment in India in hindi)

बेरोजगारी / बेकारि से तात्पर्य उन लोगो से है, जिन्हे काम नहीं मिलता ना कि उन लोगो से जो काम करना नहीं चाहते. यहा रोजगार से तात्पर्य प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए तैयार लोगो से है. यदि किसी समय किसी काम की मजदूरी 110 रूपय रोज है और कुछ समय पश्चात इसकी मजदूरी घटकर 100 रूपय हो जाती है और कोई व्यक्ति इस कीमत पर काम करने के लिए तैयार नहीं है, तो वह व्यक्ति बेरोजगार की श्रेणी मे नहीं आएगा. इसके अतिरिक्त बच्चे, बुड़े, अपंग, वृध्द या साधू संत भी बेरोजगारी की श्रेणी मे नहीं आते.

जनसंख्या वृध्दी और बढ़ती बेरोजगारी :

जनसंख्या वृध्दी और शिक्षा की कमी मे गहरा संबंध है जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती गयी, उनके हिसाब से न तो शिक्षा के साधनो की वृध्दी हुई ना ही परिवार मे हर बच्चे को ठिक से शिक्षा का अधिकार मिल पाया ना व्यवस्था. आज भी भारत मे अधिक्तर जनसंख्या अशिक्षित है. परिवार मे ज्यादा बच्चो के चलते हर किसी को शिक्षा देने मे माता पिता असमर्थ पाये गए, जिसके परिणाम यह हुये,कि या तो परिवार मे बेटियो से शिक्षा का अधिकार छीना जाने लगा या पैसो की कमी के चलते परिवार के बड़े बच्चो को अपनी पढ़ाई छोड़कर मजदूरी मे लगना पढ़ा| जिसके परिणाम उन्हे आगे जाकर बेरोजगारी के रूप मे भुगतने पड़े.

जिस हिसाब से जनसंख्या मे वृध्दी हुई उस हिसाब से उद्योग और और उत्पादन मे वृध्दी नहीं हुई| यह भी बढ़ती बेरोजगारी का एक कारण है. तेजी से ओध्योगीकरण भी बढ़ती बेरोजगारी का एक कारण है. पहले भारत मे हस्तकला का काम किया जाता था, जो विश्वप्रसिध्द था, परंतु ओध्योगीकरण के चलते यह कला विलुप्त सी हो गयी और इसके कलाकार बेरोजगार.

शिक्षा और बेरोजगारी :

शिक्षा और बेरोजगारी का भी गहरा संबंध है, हमने पहले ही कहा आज भी भारत की जनसंख्या काफी बड़े अनुपात मे अशिक्षित है, तो आशिक्षा के चलते बेरोजगारी का आना तो स्वभाविक बात है. परंतु आज कल अशिक्षा के साथ साथ एक बहुत बड़ी समस्या है, हर छात्र के द्वारा एक ही तरह की शिक्षा को चुना जाना. जैसे आज कल हम कई सारे इंजीनीयर्स को बेरोजगार भटकते देखते है, इसका कारण इनकी संख्या की अधिकता है. आज कल हर छात्र दूसरे को फॉलो करना चाहता है, उसकी अपनी स्वयं की कोई सोच नहीं बची वो बस दूसरों को देखकर अपने क्षेत्र का चयन करने लगा है . जिसके परिणाम यह सामने आए है कि उस क्षेत्र मे रोजगार की कमी और उस क्षेत्र के छात्र बेरोजगार रहने लगे. आज कल न्यूज़ पेपर मे यह न्यूज़ मे आम बात है कि छोटी छोटी नौकरी के लिए भी अच्छे पढे लिखे लोग आवेदन करते है, इसका कारण उनकी बेरोजगारी के चलते उनकी मजबूरी है.

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment):

  • संरचनात्मक बेरोजगारी : यदि किसी देश की अर्थव्यवस्था मे कोई परिवर्तन होता है और उसके कारण जो बेरोजगारी उत्पन्न होती है उसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहते है.
  • अल्प बेरोजगारी : जब कोई व्यक्ति जीतने समय काम कर सकता है, उससे कम समय उसे काम मिलता है या कह सकते है कि उसे अपनी क्षमता से कम काम मिलता है, उसे अल्प बेरोजगारी कहते है. इस अवस्था मे व्यक्ति वर्ष मे कुछ समय बेरोजगार रहता है. यह बेरोजगारी 2 प्रकार की है :
  • दृश्य अल्प बेरोजगारी
  • अदृश्य अल्प बेरोजगारी

दृश्य अल्प बेरोजगारी : इस बेरोजगारी मे व्यक्ति को अपनी क्षमता से कम समय काम मिलता है जिसके फलस्वरूप उसकी आय भी कम होती है.

अदृश्य अल्प बेरोजगारी : इस बेरोजगारी की अवस्था मे व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए काम के अनुपात मे कम वेतन मिलता है . मतलब वह ज्यादा समय काम करता है और वेतन कम होता है.

  • खुली बेरोजगारी : यह बेरोजगारी का वह रूप है, जिसमे व्यक्ति काम करने के योग्य भी है और वह काम करना भी चाहता है, परंतु उसे काम नहीं मिलता . इस तरह की बेरोजगारी समान्यतः कृषि श्रमिकों, शिक्षित व्यक्तियों या उन लोगो मे पायी जाती है, जो काम की तलाश मे गाव से शहर की तरफ आए हो और उन्हे काम नहीं मिलता.
  • मौसमी बेरोजगारी : भारत कृषि प्रधान देश है, यहा साल मे कुछ समय जैसे फसलों की बुआई कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता अधिक होती है, वही अन्य समय वे बेरोजगार हो जाते है. उसी प्रकार यदि किसान स्वयं भी साल मे केवल एक फसल लेता है, तो अन्य समय वह बेरोजगार हो जाता है.
  • छिपी बेरोजगारी : छिपी बेरोजगारी से तात्पर्य होता है, कि इसमे ऐसा लगता तो है कि व्यक्ति काम मे लगा है, परंतु वास्तविकता मे ईएसए नहीं होता और उसकी आय नहीं होती.

भारत में बेरोजगारी कैसे कम की जा सकती है

  • सरकार ने अनेक योजनायें शुरू की है, उनके तहत भारत में बेरोजगारी को कम किया जा सकता है. अगर इन योजनाओं का प्रसार सही से होता है तो बेरोगारी में कमी आ सकती है.
  • बढती जनसंख्या को कंट्रोल करना.
  • अपना खुद का व्यवसाय शुरू करें, अब सरकार भी बिजनेस लोन उपलब्ध करवा रही है.
  • भारत में डिग्री से ज्यादा अगर एक्सपीरिएंस को अहमियत दी जाए तो भारत में बेरोजगारी कम हो सकती है.
  • आरक्षण खत्म किया जाए, आज आरक्षण की वजह से अनेक प्रतिभाशाली लोग बेरोजगार हैं.

बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुये कई योजनाए लागू की गयी, उनमे से कुछ हम आपको बता रहे है:

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  • पुस्तकालय के लाभ पर लेख
  • खेल-कूद का महत्व पर लेख
  • प्रदूषण की समस्या के कारण प्रकार समाधान

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay On Berojgari In Hindi

इस पोस्ट Essay On Berojgari In Hindi में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Unemployment Essay) है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करती है। भारत एक विकासशील देश है और जनसंख्या के मामले में नम्बर 2 पर है। इतने बड़े देश में बेरोजगारी की समस्या अधिक है। आसान शब्दों में कहे तो बेरोजगारी एक गम्भीर समस्या है। बेरोजगारी केवल व्यक्तिगत किसी को आर्थिक रूप से प्रभावित नही करती है। यह पूरे देश और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

तो दोस्तो इस आर्टिकल Berojgari Par Nibandh Hindi Mein में बेरोजगारी क्या है? भारत में बेरोजगारी बढ़ने के मुख्य कारण क्या है ? बेरोजगारी के प्रभाव और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के उपाय बताये गए है।

बेरोजगारी पर निबंध Essay On Berojgari In Hindi

भारत में बेरोजगारी के आंकड़े जारी करने वाली संस्था राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के अनुसार बेरोजगारी को समझते है। वह व्यक्ति जो काम या रोजगार के अभाव में कार्य करने से वंचित रह जाता है, बेरोजगार कहलाता है। आसान शब्दों में कहे तो किसी भी व्यक्ति को उसकी योग्यता, ज्ञान और अनुभव के अनुसार सही काम या फिर नौकरी नही मिलना ही बेरोजगारी है। बशर्ते वह युवा काम करने का इच्छुक हो लेकिन काम नही मिले।

बेरोजगारी की इस श्रेणी में नाबालिक, बुजुर्ग, रोगी, दिव्यांग या अक्षम व्यक्ति को नही रखा गया है। और वह व्यक्ति जो काम करने का इच्छुक नही है। ऐसे व्यक्ति को बेरोजगार की श्रणी में शामिल नही किया जा सकता है। भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा हर 5 साल मे बेरोजगारी के आंकड़े को एकत्रित करके जारी किया जाता है।

दोस्तों, रोजगार योग्यता के मुताबिक होना चाहिए। नौकरियों का आलम यह है कि MBA या Btech किया हुआ शिक्षित युवा चपरासी तक कि नौकरी करने को मजबूर है।

किसी भी देश या समाज के लिए बेरोजगारी एक अभिशाप के समान है। बेरोजगारी से भुखमरी, निर्धनता फैलती है। यह युवा पीढ़ी में आक्रोश और अनुशासनहीनता को बढ़ावा देती है। चोरी, डकैती और आत्महत्या जैसी आपराधिक गतिविधियों के लिए बेरोजगारी भी जिम्मेददार है।

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Unemployment Essay In Hindi

बेरोजगारी ( Unemployment ) को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।

  • एक भाग में अशिक्षित लोग आते है। इन लोगों के पास विशेष काम नही होता और रोजमर्रा की चीजों के लिए भी ये भटकते रहते है। ऐसे बेरोजगार लोग आसानी से रोजी रोटी का भी इंतजाम नही कर पाते है। ये लोग रोजगार के लिए मजदूर का पेशा चुनते है।
  • दूसरा भाग शिक्षित लोगों का है। इन लोगो को अपनी योग्यता अनुसार काम नही मिल पाता है। इस वजह से शिक्षित लोग भी बेरोजगार रह जाते है। आजीविका चलाने के लिए शिक्षित व्यक्ति भी मजदूरी या छोटा मोटा काम शुरू करते है।

बेरोजगारी के मुख्य कारण क्या है Essay On Berojgari Causes In Hindi

1. अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि –.

बेरोजगारी की समस्या हर कालखंड में रही है। भारत की आजादी से लेकर अब तक भी बेरोजगारी अपने पैर पसारे हुए है। बेरोजगारी का मुख्य कारण अनियंत्रित जनसंख्या में वृद्धि है। भारत में पिछले कुछ दशक में जनसंख्या विस्फोट हुआ है।

भारत एक विकासशील देश है और देश में रोजगार की कमी है। इस कारण सभी युवाओं को रोजगार नही मिल पाता है। विकट परिस्थिति यह है कि देश में पूरे साल जितने लोगों को रोजगार मिलता है। उससे ज्यादा तो जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।

परिणाम स्वरूप बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही है। समय समय पर भारत सरकार ने जनसंख्या वृद्धि रोकने के कई प्रयास किये है। इससे कुछ हद तक जनसंख्या वृद्धि प्रभावित हुई है। परंतु यह प्रयास नाकाफी साबित हुआ है। इसलिए देश व्यापक जनसंख्या नीति की आवश्यकता है।

जनसंख्या के मामले में भारत पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है। 135 करोड़ भारतीयों का यह देश जनसंख्या विस्फोट से गुजर रहा है। इस कारण रोजगार की भयंकर कमी हुई है।

2. भारत की शिक्षा प्रद्धति –

बेरोजगारी का दूसरा मुख्य कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था है। भारत में मैकाले की शिक्षा प्रणाली है जो अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। इस शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। समय बदल गया है लेकिन इस किताबी शिक्षा प्रदति में बदलाव नही हुआ है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगारपरक शिक्षा की व्यवस्था नही है। आज की शिक्षा व्यवस्था से शिक्षा ग्रहण करने वाले लोगों के पास नॉकरी करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नही है। शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन से ही शिक्षित लोग अपने ज्ञान का उपयोग कर पाएंगे। इसलिए शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विभिन्न रोजगार कौशल विकास युवाओं में विकसित करें।

रोजगार उन्मुख शिक्षा होने से व्यक्ति बेरोजगार नही होगा। युवा नौकरी नही मिलने पर भी शिक्षा अनुरूप व्यवसाय कर लेगा।

3. व्यवसायिक प्रशिक्षण का अभाव –

व्यवसायिक प्रशिक्षण का अभाव होना भी बेरोजगारी बढ़ाता है। कई लोग नौकरी ना मिलने पर व्यवसाय करना चाहते है परंतु उनके पास सही व्यवसाय की शिक्षा नही होती है। ऐसे लोगों के लिए भारत सरकार ने हर जिले में कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र खोले है।

4. मशीनीकरण का बढ़ता प्रभाव –

आधुनिकरण के कारण औधौगिक क्षेत्रों में मशीनीकरण तीव्र गति से बढ़ा है। वर्तमान में कार्य कंप्यूटर और मशीनों की मदद से बहुत आसान और तीव्र गति से हो जाता है। इसलिए उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या में काफी कमी आयी है। जॉब एम्प्लॉयमेंट में आयी कमी में बढ़ता मशीनीकरण भी एक कारण है।

5. भारत में कुटीर उधोगों की दुर्दशा –

भारत के कुटीर उद्योगों में भी कमी आयी है। विगत कुछ वर्षों में कुटीर उद्योग में रोजगार घटा है। इसका प्रमुख कारण लघु उद्योग की सम्पूर्ण जानकारी ना होना, पर्याप्त पूंजी का अभाव , तीव्र मशीनीकरण इत्यादि है।

6. वैश्विक आर्थिक मंदी –

आर्थिक मंदी भी बेरोजगारी बढ़ने का एक बड़ा कारण है। आर्थिक मंदी आने पर बाजार से मांग कम होती है। बाजार में वस्तुओं की मांग कम होने से कम्पनियों को प्रोडक्शन कम करना पड़ता है। इस कारण कंपनियां कामगारों की छटनी करती है। आर्थिक मंदी से लोग बेरोजगार हो जाते है।

7. बेरोजगारी के अन्य कारण –

भारत में रोजगार के अवसर भी कम है। सम्पूर्ण शिक्षित या अशिक्षित युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार नही है। सरकारी या गैर सरकारी नौकरियों में इतने पद नही है कि सभी को रोजगार मिल सके। भारत कृषि प्रधान देश है जहां का एक बड़ा मजदूर वर्ग कृषि से जुड़ा हुआ है। कृषि मौसम पर निर्भर करती है। इसी कारण इससे जुड़े हुए मजदूरों के पास वर्षभर आजीविका नही होती है। कृषि में समस्या आने पर बेरोजगारी बढ़ती है।

बेरोजगारी के प्रभाव Unemployment Effects In Hindi

  • बेरोजगारी बढ़ने से समाज में आपराधिक मामले बढ़ते है। चोरी, डकैती, आत्महत्या का मूल भी काफी हद तक बेरोजगारी ही है।
  • बेरोजगार युवाओं में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता है। बेरोजगारी से निर्धनता और गरीबी बढ़ती है।
  • पारिवारिक जीवन में अशांति का प्रवेश बेरोजगारी से ही होता है। आय के साधन ना होने से परिवार में कलह बढ़ती है। घरेलू हिंसा के कई मामलों में आजीविका के पर्याप्त साधन नही होना भी है।
  • बेरोजगार व्यक्ति अपने परिवार का भरण पोषण नही कर पाता है। इस कारण भुखमरी बढ़ती है।
  • देश के आर्थिक विकास में बेरोजगारी एक बड़ी बाधा है। बेरोजगारी से देश में अराजकता भी बढ़ाती है।

बेरोजगारी रोकने के कारगर उपाय Essay On Berojgari In Hindi

बेरोजगारी (Unemployment) को जड़ से खत्म करना नामुमकिन है। परंतु इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। बेरोजगारी रोकने के कुछ कारगर उपाय है। खासकर भारत सरकार को बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।

1. बेरोजगारी रोकने में देश का युवा वर्ग अहम भूमिका निभा सकता है। अधिकतर शिक्षित व्यक्ति रोजगार के रूप में सिर्फ सरकारी नौकरी या प्राइवेट सेक्टर के जॉब ही चुनते है। जबकि देश के युवाओं को व्यवसाय को भी रोजगार के रूप में अपनाना चाहिए। परन्तु कटु सत्य यह है कि कुछ युवा वर्ग ही व्यवसाय करते है। व्यवसाय करने से अन्य बेरोजगारों को भी काम मिलता है।

2. जिस देश में उद्योग फलते फूलते है, वहां रोजगार के साधन ज्यादा होते है। औधोगिकरण बढ़ाने से भी बेरोजगारी की दर में कमी आ सकती है। भारत में विदेशी निवेश बढ़ाने से भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। विदेश कम्पनियां भारत में उधोग शुरू करेगी तो इससे भारतवासियों को ही रोजगार के अवसर सुलभ होंगे।

बेरोजगारी रोकने के कारगर उपाय

3. देश में लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलना चाहिए। स्कूली या कॉलेज की शिक्षा में कुटीर उद्योगों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। इससे युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलते है।

4. बेरोजगारी रोकने के मुख्य उपायों में कृषि व्यवस्था को सुचारू करना भी शामिल है। कृषि पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।

5. जनसंख्या वृद्धि की दर नियंत्रित करके भी बेरोजगारी दूर की जा सकती है। विकसित देशों में जनसंख्या कम और नियंत्रित होती है। इस कारण उन देशों में रोजगार की समस्या गम्भीर नही होती है। भारत सरकार जितना रोजगार पैदा करती है वह जनसंख्या वृद्धि की दृष्टि से कम पड़ जाता है। परिमाण स्वरूप बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही है।

6. शिक्षा व्यवस्था में सुधार करके भी बेरोजगारी पर काबू पाया जा सकता है। युवाओं को उनकी काबिलियत के अनुसार शिक्षा हासिल करनी चाहिए। किताबी ज्ञान से ज्यादा आवश्यक व्यवसायिक ज्ञान है।

बेरोजगारी पर निबंध Berojgari Par Nibandh Hindi Mein

भारत सरकार ने समय समय पर कई योजनाएं देश के युवाओं के लिए चलाई है। इन योजनाओं में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुद्रा लोन योजना इत्यादि प्रमुख है। मुद्रा लोन के जरिये युवाओं को बहुत कम ब्याज पर व्यवसायिक लोन मिलता है।

भारत सरकार की मनरेगा योजना भी बेरोजगारी दूर करने में कारगर सिद्ध हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का गारन्टी रोजगार देकर बेरोजगारों को आशा दी है। राज्य सरकारें बेरोजगार व्यक्तियों को बेरोजगारी भत्ता भी देती है। इससे वो कॉम्पिटिशन की तैयारी कर सके और उनकी बेसिक जरूरतें पूरी हो।

बेरोजगारी के काले बादलों से घिरा हुआ युवा वर्ग सरकार की तरफ आशावादी नजरों से देखता है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बेरोजगारी के दंश को खत्म करने की दिशा में काम करे। करोड़ो युवा डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे है।

नौकरी के आवेदन करते करते बेरोजगार युवा मानसिक तनाव से गुजरता है। पारिवारिक परिस्थितियों से गुजरता हुआ युवा बेरोजगारी का ठप्पा लगाये बैठा रहता है। इसलिए हम ऐसे आने वाले भविष्य की आशा करते है जहां पर बेरोजगार युवा को उसकी योग्यता के अनुसार काम मिल सके।

अन्य उपयोगी निबंध –

  • भारतीय गाँव पर निबंध
  • गरीबी पर निबंध
  • भारतीय किसान पर निबंध

Note – इस पोस्ट Essay On Berojgari In Hindi में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Berojgari Par Nibandh Hindi Mein) आपको कैसा लगा। यह आर्टिकल “Unemployment Essay In Hindi” अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करे।

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Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – essay on unemployment problem and solution in hindi.

संकेत बिंदु –

  • बेरोज़गारी के कारण
  • बेरोज़गारी के परिणाम
  • बेरोज़गारी का अर्थ
  • समाधान के उपाय

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ा है। इन समस्याओं में मूल्य वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी आदि प्रमुख हैं। इनमें बेरोजगारी का सीधा असर व्यक्ति पर पड़ता है। यही असर व्यक्ति के स्तर से आगे बढ़कर देश के विकास में बाधक सिद्ध होता है।

Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोज़गारी का अर्थ – ‘रोज़गार’ शब्द में ‘बे’ उपसर्ग और ‘ई’ प्रत्यय के मेल से ‘बेरोज़गारी’ शब्द बना है, जिसका अर्थ है वह स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास काम न हो अर्थात जब व्यक्ति काम करना चाहता है और उसमें काम करने की शक्ति, सामर्थ्य और योग्यता होने पर भी उसे काम नहीं मिल पाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में लाखों-हज़ारों नहीं बल्कि करोड़ों लोग इस स्थिति से गुजरने को विवश हैं।

Unemployment Problem And Solution Essay

बेरोज़गारी के कारण – बेरोज़गारी बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सर्वप्रमुख कारण हैं- देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा रोज़गार के जितने पद और अवसर सृजित किए जाते हैं वे अपर्याप्त सिद्ध होते हैं। परिणामतः यह समस्या सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती ही जाती है। बेरोज़गारी बढ़ाने के अन्य कारणों में अशिक्षा, तकनीकी योग्यता, सरकारी नौकरी की चाह, स्वरोज़गार न करने की प्रवृत्ति, उच्च शिक्षा के कारण छोटी नौकरियाँ न करने का संकोच, कंप्यूटर जैसे उपकरणों में वृद्धि, मशीनीकरण, लघु उद्योग-धंधों का नष्ट होना आदि है।

इनके अलावा एक महत्त्वपूर्ण निर्धनता भी है, जिसके कारण कोई व्यक्ति चाहकर भी स्वरोज़गार स्थापित नहीं कर पाता है। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी ऐसी है जो बेरोजगारों की फौज़ तैयार करती है। यह शिक्षा सैद्धांतिक अधिक प्रयोगात्मक कम है जिससे कौशल विकास नहीं हो पाता है। ऊँची-ऊँची डिग्रियाँ लेने पर भी विश्वविद्यालयों और कालेजों से निकला युवा स्वयं को ऐसी स्थिति में पाता है जिसके पास डिग्रियाँ होने पर भी काम करने की योग्यता नहीं है। इसका कारण स्पष्ट है कि उसके पास तकनीकी योग्यता का अभाव है।

समाधान के उपाय – बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार और बेरोज़गारों के साथ-साथ प्राइवेट उद्योग के मालिकों को सामंजस्य बिठाते हुए ठोस कदम उठाना होगा। इसके लिए सरकार को रोजगार के नवपदों का सृजन करना चाहिए। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नवपदों के सृजन से समस्या का हल पूर्णतया संभव नहीं है, क्योंकि बेरोजगारों की फ़ौज बहुत लंबी है जो समय के साथसाथ बढ़ती भी जा रही है। सरकार को माध्यमिक कक्षाओं से तकनीकी शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि युवा वर्ग डिग्री लेने के बाद असहाय न महसूस करे।

सरकार को स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत कम दरों पर कर्ज देना चाहिए तथा युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हुए इन उद्योगों का बीमा भी करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह लघु एवं कुटीर उद्योगों के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि को भी बढ़ावा दे। प्राइवेट उद्यमियों को चाहिए कि वे युवाओं को अपने यहाँ ऐसी सुविधाएँ दे कि युवाओं का सरकारी नौकरी से आकर्षण कम हो। युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए तथा उनकी उच्च शिक्षा बाधक नहीं बल्कि सफलता के मार्ग का साधन है जिसका प्रयोग वे समय आने पर कर सकते हैं। अभी जो भी मिल रही है उसे पहली सीढ़ी मानकर शुरुआत तो करें। इसके अलावा उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा अवश्य ग्रहण करें ताकि स्वरोजगार और प्राइवेट नौकरियों के द्वार भी उनके लिए खुले रहें।

बेरोज़गारी के परिणाम – कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बेरोज़गार व्यक्ति खाली होने से अपनी शक्ति का दुरुपयोग असामाजिक कार्यों में लगाता है। वह असामाजिक कार्यों में शामिल होता है और कानून व्यवस्था भंग करता है। ऐसा व्यक्ति अपना तथा राष्ट्र दोनों का विकास अवरुद्ध करता है। ‘बुबुक्षकः किम् न करोति पापं’ भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात भूखा व्यक्ति चोरी, लूटमार, हत्या जैसे सारे पाप कर्म कर बैठता है। अत: व्यक्ति को रोज़गार तो मिलना ही चाहिए।

उपसंहार – बेरोज़गारी की समस्या पूरे देश की समस्या है। यह व्यक्ति, समाज और देश के विकास में बाधक सिद्ध होती है। जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के साथ ही इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बेरोज़गारी कम करने में सरकार के साथ-साथ समाज और युवाओं की सोच में बदलाव लाना आवश्यक है।

गरीबी और बेरोजगारी पर निबंध

गरीबी और बेरोजगारी पर निबंध-garibi aur berojgari par nibandh.

प्रस्तावना : गरीबी एक अभिशाप से कम नहीं है। गरीबी और बेरोजगारी कहीं ना कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए है। गरीबी के कारण लोगो को जीवन में दुःख और असम्मान झेलना पड़ता है। अशिक्षा के कारण गरीबी अधिक जन्म लेती है।  हालांकि देश में साक्षरता दर की वृद्धि हुयी है। फिर भी एक हिस्सा फिर भी गरीबी और गरीबी रेखा से नीचे गुजारा कर रहे है। गरीब लोग जैसे तैसे गुजारा करने को मज़बूर है। दो वक़्त की रोटी के लिए उन्हें ठोकरे खानी पड़ती है।  उनका दर्द असहनीय है। अगर लोग शिक्षित नहीं होंगे तो काम नहीं मिलेगा , अगर रोजगार नहीं होगा तो पैसे नहीं आएंगे। गरीब लोगो के पास रोजगार के कुछ ख़ास माध्यम नहीं होते है। कई दिनों तक बिना भोजन उन्हें रहना पड़ता है जिसके कारण उनका  शारीरिक भरण पोषण नहीं हो पाता है।

देश में जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली  जा रही है। जिसके कारण सब को नौकरी और रोजगार नहीं मिल पा रहा है। गाँव में अक्सर लोग गरीबी से परेशान रहते है।  पर्याप्त रोजगार ना मिलने के कारण वह गाँव से शहरों की ओर पलायन करते है। गाँव में किसानो को भी गरीबी से जूझना पड़ता है जब कृषि करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते है। जब किसानो के किसी वर्ष फसल बर्बाद हो जाते है तो उन्हें भी भुखमरी से गुजरना पड़ता है। शिक्षित होना अत्यंत ज़रूरी है।  लोगो को व्यवहारिक और रोजगार संबंधित शिक्षा प्रदान करना बेहद आवश्यक है।

गरीबी से तंग आकर लोग शहरों में रोजगार के अवसर तलाश करते है। वह नगरों की सुख सुविधाओं को देखकर आकर्षित हो जाते है।  वहाँ छोटी मोटी नौकरी करते है और शहरों की महंगाई के कारण झुग्गियों में रहने को विवश है। गरीब लोगो को  शहरों में उन्हें  कुछ ख़ास अवसर प्राप्त नहीं होते है।  उन्हें जैसे तैसे गुजारा करना पड़ता है।

बेरोजगारी के कारण लोगो को जीवन में कठिनाईओं का सामना करना पड़ता है।  गरीब लोगो को  बेरोजगार होने के कारण  रहने और खाने पीने की   चीज़ें नहीं मिल पाती है। गरीब महिलाओं को शहरों में कुछ लोग नौकरी का झांसा देकर शहर लेकर आते है।  उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।  इसी तरह गरीब महिलाएं शोषण का शिकार बनती है।

अशिक्षा के कारण गरीब लोगो को मज़दूरी करनी पड़ती है और वहाँ भी उनका शोषण किया जाता है। गरीब लोगो को अच्छे बुरे का इतना ज्ञान नहीं होता है।  वह दो वक़्त के भोजन के लिए कोई भी काम करने को तैयार हो जाते है।  गरीबी उन्हें विवश कर देती है और उनका जीवन बेहद दर्दनाक बन जाता है।

कई जगहों पर शिक्षित गाँव वालो को भी अच्छी नौकरी नहीं मिलती है।  सरकार ने गरीब और ज़रूरतमंदो के लिए कोई ख़ास नौकरी के अवसर देने की योजना नहीं बनाई है। कुछ लोग जो गरीबी रेखा के नीचे आते है , उनकी हालत अत्यंत खराब होती है। उनके पास रहने के लिए एक छत तक नहीं होती है।  वह खुले स्थानों पर रहने के लिए विवश होते है।

गरीबी और बेरोजगारी से परेशान होकर कुछ लोग अपराधों के दल दल में फंस जाते है।  वह कुछ रुपयों के लिए गलत कार्य करने को मज़बूर हो जाते है। देश के सरकार के जन गणना के मुताबिक साल 1991 से साल 2001  तक करोड़ो लोगो ने गाँव से शहरों की ओर पलायन कर चुके थे। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से पलायन करने वाले लोगो की संख्या थोड़ी ज़्यादा है।गाँव में लोगो को मज़दूरी के कार्य भी नहीं मिल पाते है।  यही वजह है कि वह शहरों की ओर पलायन करते है।

सरकार ने गरीबी एवंग बेरोजगारी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाये लेकिन वह इतने पर्याप्त नहीं है।  कई जगहों पर भ्रष्टाचार इतना ज़्यादा है कि गरीबो को सहायता नहीं मिल पा रही है।गरीबी के कारण लोगो को अच्छा जीवन , संतुलित भोजन , शिक्षा नहीं मिल पाती है।  इन्ही के कारण वह बेरोजगारी जैसे समस्या से जूझते रहते है। लघु  कुटीर उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए ताकि बेरोजगारी को कम किया जा सके।

देश की आबादी पर नियंत्रण करना अत्यंत ज़रूरी है।  गाँव में सुख सुविधाओं का भरपूर विकास होना चाहिए।  सरकार को और अधिक ठोस कदम उठाने होंगे। गाँव में   शिक्षा और रोजगार  व्यवस्था का विकास करना चाहिए ताकि लोगो को शहरों की ओर पलायन ना करना पड़े। देश सम्पूर्ण रूप से तभी उन्नति कर पायेगा जब वह गरीबी और बेरोजगारी को जड़ से मिटा पायेगा।

#सम्बंधित:- Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध।

  • गरीबी पर निबंध
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बेरोजगारी पर निबंध | Berojgari Par Nibandh

बेरोजगारी पर निबंध – आजादी के इतने साल बाद भी भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी है। इस समस्या के कारण व्यक्ति व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी नहीं होते और और न ही देश के विकास का विकास हो पता है।

भारत सरकार ने इस बेरोजगारी दूर करने के लिए कई कदम उठाये लेकिन अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है। देश में बेरोजगारी बढ़ने से भ्रष्टाचार, आतंकवाद, चोरी, डकैती, अशांति तथा अपहरण जैसी घटनाये होने लगती है। इसलिए अगर हम थोड़े नीति-नियम बनाकर चले तो यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।

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बेरोजगारी क्या है – What is Unemployment in Hindi

बेरोजगारी से तात्पर्य ऐसे लोगो से है, जिनके पास कोई काम नहीं है या फिर वो लोग जो काम नहीं करते है। जब कोई शिक्षित या अशिक्षित काम करने योग्य हो और उसे काम न मिले तो वह बेरोजगारी की क्षेणी में आ जाता है।

बेरोजगारी होने से किसी भी देश का आर्थिक विकास रुक जाता है। इसके अलावा बेरोजगारी व्यक्तिगत और पूरे समाज पर भी एक साथ कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव डालती है, जो बहुत चिंता का विषय है।

बेरोजगारी के कारण – Causes of Unemployment in Hindi

भारत भी एक विकासशील देश है फिर भी यहाँ पर बेरोजगारी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश में बेरोजगारी बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं है, जो निम्नलिखित हैं।

जनसंख्या में वृद्धि – आज हमारे देश में जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि हम दुनियाँ में जनता की दृष्टि से दूसरे स्थान हैं। और यदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया गया तो, वो दिन दूर नहीं जब जनसंख्या के मामले में भारत पहले नंबर पर हो जाएगा और इतनी अधिक जनसंख्या को रोजगार देना संभव नहीं है। इसलिए बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना चाहिए।

शिक्षा का अभाव – आजादी के इतने वर्ष बाद भी भारत शिक्षा का अभाव देशभर में है। शिक्षा का अभाव होने से रोजगार के नए अवसर लोगों को नहीं मिल पाते हैं। आज के समय में भी भारत में कई ऐसे गाँव और शहर है जहाँ पर स्कूल और कॉलेज नहीं हैं और लोगो को अपने घर से दूर जाना पड़ता है।

सभी लोग अपने बच्चों को दूर पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे पैसे का भाव, वाहन की सुविधा न होना आदि जिस वजह से वो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा हमें स्कूल और कॉलेजों में केवल किताबी ज्ञान के बारे में बताया जाता है, जब हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ एक कुशल श्रमिक या उद्यमी के रूप में तैयार करना चाहिए है।

औद्योगिकरण – बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए देश में औद्योगिक विकास को तेज करना चाहिए। छोटे-छोटे लघु उद्योग के उत्पादन को बड़े स्तर पर करना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगो को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

मौसमी व्यवसाय – हमारे देश में ज्यादातर मौसमी व्यवसाय किया जाता है और यह व्यवसाय कुछ दिनों या महीनो तक चलता है। उसके बाद इस व्यवसाय से जुड़े लोग बेरोजगार हो जाते हैं।

यातायात की सुविधा न होना – हमारे देश में आज भी कई ऐसे गाँव और शहर हैं जहाँ पर यातायात की सुविधा नहीं है। सड़क और रेल परिवहन का विकास न होने से जो व्यक्ति जहाँ पर है वहीं रुक जाता है जिससे लोगो को रोजगार नहीं मिल पाते।

बेरोजगारी रोकने के उपाय – Solution of Unemployment in Hindi

देश में बेरोजगारी एक अभिशाप है। इससे कारण देश और लोगो की तरक्की नहीं होती है। इसलिए इसे संगठित एवं योजनाबद्ध तरीके से दूर करने का प्रयास करना चाहिए। बेरोजगारी निवारण में निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं।

जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रित करना – हमारे देश में जिस अनुपात में रोजगार के साधन उपलब्ध उससे कई गुना जनसंख्या है। इसीलिए बेरोज़गारी दूर करने के लिए सबसे पहले जनसंख्या में वृद्धि रोकना चाहिए है। भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर एक शक्त क़ानून लाना चाहिए और देश की जनता को छोटे परिवार के प्रति चेतना जागृत करनी चाहिए।

कृषि का विकास – भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है। इसलिए सरकार आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही लोगो को बीज, खाद्य, सिचाई के साधन जैसे सुविधाएं लोगो को उपलब्ध कराना चाहिए।

शिक्षा-पद्धति में सुधार – बेरोजगारी दूर करने के लिए शिक्षा-पद्धति में सुधार लाना बहुत जरुरी है। विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों में केवल किताबी ज्ञान होता है, जबकि किताबी ज्ञान के साथ-साथ एक कुशल श्रमिक या उद्यमी के रूप में छात्रों को तैयार करना चाहिए है।

लघु और कुटीर उद्योगों का विकास – इस प्रकार के उद्योग ज्यादातर छोटे शहर व ग्रामीण इलाकों में किये जाते हैं। इन उद्योगों को करने के लिए कम पूजी के आवश्यकता पड़ती हैं और परिवार के सदस्यों द्वारा आसानी से संचालित होते हैं। सरकार को लघु और कुटीर उद्योगों का विकास और पूंजी उपलब्ध करवाना चाहिए, ताकि लोग अपनी क्षमता, श्रम, कला-कौशल के अनुसार खुद का रोजगार साधन पा सकें। अतः सरकार को इनके विकास के लिये पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।

औद्योगिकीकरण – सरकार को लोगों के लिए रोजगार के नए-नए अवशर प्रदान करना चाहिए। साथ ही अपने व्यापार को ज्यादा से ज्यादा दूसरे देशों में भी निर्यात करना चाहिए।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम – Bad effect Of Unemployment in Hindi

बेरोजगारी न केवल एक व्यक्ति परेशान रहता है बल्कि पूरा समाज इससे प्रभावित होता है। एक बेरोज़गार व्यक्ति अनुशासनहीन, चरित्रहीन और अपराधिक प्रवृति का होने लगता है। इस प्रकार से बेरोजगारी से व्यक्ति, परिवार, समाज और सम्पूर्ण राष्ट्र प्रभावित होता है। बेरोजगारी के दुष्परिणाम निम्नलिखित होते हैं।

पारिवारिक विघटन – एक बेरोजगार व्यक्ति केवल खुद आहत नही होता है बल्कि उसके साथ-साथ उसका परिवार भी परेशान रहता है। बेरोजगार होने से घर पर हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है जिससे परिवार को भरपेट भोजन, पहनने के लिए कपड़े, रहने के लिए घर और भी कई सारी चीजों से वंचित रहना पड़ता है। इसके अलावा परिवार में चिंता और कलह का माहोल बना रहता है।

आतंकवाद को बढ़ावा – बेरोजगारी आतंकवाद को बढ़ावा देती है। एक बेरोजगार व्यक्ति पैसे की तंगी को दूर करने के लिए अपराधिक प्रवृति को अपनाता है। वह पैसा बनाने के लिए आसान उपाय ढूँढने लगता है चोरी, डकैती और अन्य खतरनाक अपराधों को अंजाम देने लगता है।

राष्ट्र का नुकसान – बेरोज़गार व्यक्ति जो अपने लिए कुछ नहीं कर सकता है वो राष्ट्र के लिए क्या योगदान देगा। और जब देश में ऐसे बेरोज़गार लोगों की संख्या बढ़ने लगती है तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

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बेरोजगारी पर निबंध – Berojgari Essay In Hindi

नमस्कार दोस्तों Top kro पर आपका स्वागत है। आज की पोस्ट में हम berojgari पर निबंध पढ़ेंगे। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत एक विशाल देश है और यहां पर बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है I

ऐसे में अगर आप बेरोजगारी पर निबंध लिखना चाहते हैं लेकिन आपको मालूम नहीं है कि इस पर आप निबंध कैसे लिखेंगे तो हम आपसे अनुरोध करेंगे कि आर्टिकल को अंत तक पढ़ें ताकि आपको पूर्ण जानकारी मिल सके तथा आप बेरोजगारी पर आसानी से निबंध लिख सकें।

इस पोस्ट में आपको बेरोजगारी पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे बेरोजगारी एस्से इन हिंदी 100 शब्दों में, बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्दों में, बेरोजगारी पर लम्बा निबंध, बेरोजगारी पर 10 लाइनों में निबंध तथा बेरोजगारी से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न आपको इस पोस्ट में पढ़ने को मिलेंगे।

बेरोजगारी पर निबंध 100 शब्दों में – Berojgari essay in hindi

बेरोजगारी का मतलब होता है कि बिना रोजगार वाला व्यक्ति यानी जिसके पास कोई भी काम ना हो किसी भी देश में अगर बेरोजगारी अधिक है तो उस देश के लिए यह काफी घातक बीमारी है I इसके परिणाम काफी घातक होते हैं और ऐसे देशों में अशांति और अराजकता जैसा माहौल बहुत जल्द ही उत्पन्न हो जाता है तो जो देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है I

इसके अलावा अगर किसी भी देश को उन्नति के रास्ते पर चलना है उसे सबसे पहले अपने देश में बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करना होगा क्योंकि आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा है I सबसे बड़ी बात है कि बूढ़े बच्चे को बेरोजगारी कैटेगरी में गिनती नहीं किया जाता है I

बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्दों में – Berojgari par nibandh

भारत में बेरोजगारी बढ़ने के निम्नलिखित प्रकार के कारण है जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे जो इस प्रकार है आइए जानते हैं-

जनसंख्या का बढ़ना: किसी भी देश में अगर जनसंख्या निरंतर दर से बढ़ रही है तो ऐसे में उस देश में बेरोजगारी की समस्या का उत्पन्न होना स्वाभाविक है इसके पीछे की वजह है कि जब देश में अधिक लोग होंगे और किसी भी जगह पर अगर नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली जाएगी तो वहां पर अधिक लोगों के द्वारा आवेदन किया जाएगा।

ऐसे में सभी लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा जिसके कारण देश में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी इसलिए किसी भी देश में जनसंख्या का बढ़ना बेरोजगारी की समस्या को उत्पन्न करने का सबसे प्रमुख कारण है I

धीमी गति से आर्थिक विकास : दुनिया का कोई भी देश है अगर धीमी गति से आर्थिक विकास करता है तो उसके परिणाम स्वरूप देश में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी I

छोटे छोटे उद्योगों का पतन होना: भारत जैसे देश में कई ऐसे उद्योग थे जो छोटे-मोटे पैमाने पर संचालित जाते हैं जिससे लोगों को रोजगार मिलता है लेकिन जिस प्रकार कोरोनावायरस की महामारी का प्रकोप भारत में आया उसके कारण कई छोटे-मोटे उद्योगों का पतन हो चुका है जिसके कारण देश में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है I

शिक्षा प्रणाली का पुराना होना: भारत एक विशाल देश है और यहां की शिक्षा प्रणाली अभी भी पुरानी दिनों के शिक्षा प्रणाली पर ही काम कर रही है जिसके कारण आज भारत में जिस प्रकार का शिक्षा छात्रों को दिया जा रहा है उसका व्यवहारिक कोई भी महत्व नहीं है क्योंकि दुनिया तेजी के आधुनिकीकरण की तरफ जा रहा है ऐसे में छात्रों को टेक्नोलॉजी से जुड़ी हुई शिक्षा देनी होगी ताकि उन्हें रोजगार पाने में आसानी हो इसलिए भारत को अपने शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बदलना होगा I

बेरोजगारी पर लम्बा निबंध – Unemployment essay in hindi

बेरोजगारी के प्रकार: बेरोजगारी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे जो इस प्रकार है –

चक्रीय बेरोजगारी

जब व्यवसाय चक्र में गिरावट दर्ज की जाती है तभी जाकर चक्रीय बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है इसके कारण कई श्रमिक अपना रोजगार गवा देते हैं I

मांग में कमी बेरोजगारी

इस प्रकार की बेरोजगारी तब घटित होती है जब मांग में कमी आती है मार्केट में जिसके कारण कई कंपनियां अपने यहां से श्रमिकों की सफाई करनी शुरू कर देती है क्योंकि उनके प्रोडक्ट मांग मार्केट में कम हो जाती है ऐसे में उन्हें कम श्रमिक के द्वारा ही अपने कंपनी को संचालित करना पड़ता है ताकि उनको अधिक पैसे खर्च ना करने पड़े I

संरचनात्मक बेरोजगारी

इस प्रकार के बेरोजगारी तब घटित होती है जब मार्केट में कुछ कंपनियों में तेजी के साथ गिरावट दर्ज की जाती है I

मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी का मतलब होता है कि कुछ ऐसे उधोग हैं जो निश्चित समय पर ही अपने अपने प्रोडक्ट का उत्पादन करते हैं और उसे बेचते हैं उदाहरण के तौर पर खेती और पर्यटन से जुड़े हुए उद्योग।

प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी

प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी का मतलब होता है कि जिसमें अगर किसी व्यक्ति की रोजगार चली गई है तो वह दुबारा से रोजगार खोजता है इसके अलावा अगर आप एक विद्यार्थी है आपकी पढ़ाई पूरी हो गई है तो ऐसे में आप अपने लिए रोजगार ढूंढ रहे हैं तो इस प्रकार की गतिविधियां प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी कैटिगरी में आती है I

बेरोजगारी को दूर करने के उपाय

  • देश में बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून का निर्माण करना देश में बढ़ रही जनसंख्या को रोका जा सके।
  • शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से बदलना होगा क्योंकि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली काफी पुरानी है और आज की तारीख के मुताबिक नहीं है इसलिए आपको सबसे पहले शिक्षा प्रणाली को ऐसा करना होगा ताकि कोई भी व्यक्ति पढ़ाई लिखाई करने के बाद प्राप्त शिक्षा के माध्यम से कोई भी रोजगार प्राप्त कर सकें।
  • देश में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया को और भी तेजी के साथ संचालित करना ताकि अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है।
  • भारत में निवेश के लिए अच्छा और पारदर्शी माहौल बनाना ताकि अधिक से अधिक विदेशी कंपनियां भारत में पैसे निवेश करें ताकि यहां पर उनके द्वारा कई प्रकार के उद्योग धंधे स्थापित करे जाएंगे जिसके माध्यम से हाथ लोगों को रोजगार मिलेगा।
  • सरकार के द्वारा देश में बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के रोजगार संबंधित कार्यक्रम संचालित करना ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके।

देश में बेरोजगारी की समस्या काफी लंबे समय से बनी हुई है। हालाँकि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं पर अभी तक कुछ बेहतर परिणाम हासिल नहीं हो पाए है। नीति निर्माताओं और नागरिकों को अधिक नौकरियों के निर्माण के साथ ही रोजगार के लिए सही कौशल प्राप्त करने के लिए प्रयास करने चाहिए।

बेरोजगारी पर 10 लाइन – 10 Lines on Berojgari in hindi

  • देश में बढ़ती जनसंख्या बेरोजगारी का प्रमुख कारण है I
  • देश में पढ़े लिखे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है और उसके मुकाबले रोजगार ना के बराबर है ऐसे में जिन युवाओं के पास रोजगार नहीं है उनको बेरोजगार कहा जाता है I
  • पढ़े-लिखे युवा अपने घर के माली हालत को सुधारने के लिए चाय की दुकान या होटल पर काम करते हैं क्योंकि देश में नौकरी नहीं।
  • लोगों के मन में एक भूल धारणा है कि वह जितना अधिक पढ़ाई करेंगे उतना अधिक अच्छी नौकरी उन्हें प्राप्त होगा जो कि बिल्कुल गलत है क्योंकि यह नौकरी आपकी योग्यता के आधार पर तो मिलती है लेकिन उसके साथ-साथ पड़ेगी यहां पर होना आवश्यक है।
  • अपने सभी लोग सरकारी नौकरी करना चाहते हैं लेकिन सरकारी नौकरी की एक सीमा है उससे अधिक सरकारी नौकरी भारत में कभी भी सरकार के द्वारा जारी नहीं की जा सकती है इसलिए आप सरकारी नौकरी के अलावा प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने के बारे में सोचें।
  • अगर सभी व्यक्ति नौकरी पाने के बारे में सोचेंगे तो नौकरी बचेगी नहीं इसलिए नौकरी खोजने के बजाय आप नौकरी देने वाला बने यानी खुद का बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
  • अच्छी नौकरी या व्यवसाय के लिए अच्छे अनुभव की जरूरत होती है जो पसंदीदा क्षेत्र में कार्य करने से मिलता है इसलिए आपकी रूचि जिस विषय या क्षेत्र में है उसी का चुनाव करना चाहिए।
  • बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण का शिक्षा भी है क्योंकि जब आपके पास इच्छा नहीं होगी तो आपको नौकरी कहां से मिलेगी जिसके कारण कई युवा अनपढ़ रह जाते हैं और वह मजदूरी का काम करते हैं।
  • बेरोजगारी मिटाने के लिए सरकार ने कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की है ताकि युवा कौशल से जुड़े हुए कोर्स करवाया जा सके।
  • कंप्यूटर ने सबसे ज्यादा बेरोजगारी को बढ़ावा दिया है क्योंकि एक ही कंप्यूटर हजारों लोगों का कार्य कर देता है।

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उम्मीद करता हूं दोस्तों की “बेरोजगारी पर निबंध ( Berojgari essay in hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें बेरोजगारी से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ about Berojgari in hindi

Q: भारत के किस राज्य में सबसे अधिक बेरोजगारी है.

Ans: भारत के त्रिपुरा राज्य में सबसे अधिक बेरोजगारी है।

Q: भारत के किस राज्य में सबसे कम बेरोजगारी है?

Ans: गुजरात राज्य में सबसे कम बेरोजगारी है।

Q: भारत का विश्व में बेरोजगारी में कौनसे नम्बर पर है?

Ans: विश्व बेरोजगारी में भारत 93 नम्बर पर है।

Q: बेरोजगारी प्रमुख कारण क्या है?

Ans: बेरोजगारी में बढ़ोतरी का सबसे मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होना है।

Q: बेरोजगारी को रोकने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए

Ans: बेरोजगारी को रोकने के लिए सरकार जनसंख्या को नियंत्रित करना होगा और साथ में अनेकों प्रकार के रोजगार संबंधित कार्यक्रम संचालित करेंगे ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके इसके अलावा देश में उद्योग धंधों को प्रोत्साहित करना होगा I

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Berojgari ki samasya essay in Hindi बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

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Berojgari ki samasya essay in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – रूपरेखा

  • बेरोजगारी से आशय
  • भारत में बेरोजगारी के कारण
  • बेरोजगारी रोकने के उपाय
  • देश में बेरोजगारी से होने वाली समस्याएं

 1. प्रस्तावना –  भारत मेें आज जब हम भारत देश की समस्याओं की गणना करते हैं तब हम उन में बेरोजगारी की समस्या को  प्रथम स्थान देते हैं।  आज भारत विकासशील देश से विकसित देश की  श्रेणी में केवल इसलिए पीछे हैं क्योंकि हमारे देश में बेरोजगारी की मुख्य समस्या  है। देश के लोगो को रोजगार नही मिल रहा है। 

ऐसे देश जहां युवा शिक्षित है एवं कार्य करने में सक्षम है  और इन्हें कार्य क्षमता के अनुरूप कार्य मिले तो वह अपने कार्य को पूर्ण मन से करते हैं और वह देश निरन्‍तर उन्नति के मार्ग पर बढ़ता जाता है, और यदि किसी देश  मैं इसके विपरीत होता है तो हर देश विध्वंस की गति में चला जाता है और उसे पुनः विकसित होने में लंबा समय लगता है। बेरोजगारी की समस्‍या में जनसंख्‍या वृद्धि का होना एक बहुत बडा कारण साबित होता है। यदि बेरोजगारी की समस्‍या से निपटना है तो जनसंख्‍या नियंत्रण प‍र अधिक बल देना ही होगा। इसके अलावा देश में प्रत्‍येक व्‍यक्ति की शिक्षा को लेकर सजगता एक महत्‍वपूर्ण विषय भी है।

 2. बेरोजगारी से आशय – 

बेरोजगारी शब्द का सामान्य अर्थ बिना रोजगार के होता है । परंतु यदि इसका व्यापक अर्थ में व्याख्या करें तो हम पाएंगे कि हम व्यक्ति जो कार्य एवं श्रम करने में सक्षम हैं परंतु उसे उसकी कार्य क्षमता के अनुरूप कार्य की प्राप्ति नहीं होती है । इसका एक अन्‍य अर्थ भी है जब लागो को काम नही मिलता और वे घर पर फ्री बैठे रहते है, तो उन्‍हे बेरोजगार कहते है और तब इस स्थिति को बेरोजगारी की श्रेणी में गिना जाता है

यहां पर बेरोजगार होना एक ऐसी मनोधारा को भी माना जाता है जिसके अंतर्गत जो लोग यह सोचते हैं कि उन्‍हे कोई काम नहीं मिल रहा है। और स्‍वयं के दोष को ना देखकर वह अन्‍य पर दोषारोपण करते हैं परन्‍तु उन व्‍यक्तियों को यह भी देखना चाहिए। कि उनमें वह कौशल है जिसके लिये उन्‍हे रोजगार दिया जाये। सामान्य रूप में बेरोजगारी निम्न प्रकार की होती है – 

  •  सामान्य बेरोजगारी
  •  शिक्षित बेरोजगारी
  •  श्रम कार्य बेरोजगारी

Berojgari ki samasya essay in Hindi

3. बेरोजगारी के कारण – बेरोजगारी के कई कारण हो सकते हैं। जैसे शारीरिक दुर्बलता, शिक्षा पूर्ण रूप से प्राप्‍त ना होना, पारिवारिक समस्‍याओं के कारण, जनसंख्‍या वृद्धि के कारण, मशीनों के बढते उपयोग के कारण, इसके अलावा जिस कार्य को करने के लिए 100 मजदूर की जरूरत होती थी उस कार्य को आज एक मशीन आसानी से कर देती है।

बेरोजगारी बढ़ने के  पीछे मशीनीकरण  का एक महत्वपूर्ण योगदान  है।  यहां कार्य तो जल्दी हो जाता है किंतु 100 लोगों का रोजगार छिन जाता जैसे देश में निरंतर  समस्या बढ़ती ही जा रही  बेरोजगारी का  प्रमुख कारण तो रोजगार की प्राप्ति ना होना है परंतु इसके अलावा भी कई कारण हैं जिनके कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है  बेरोजगारी के निम्नलिखित कारण है –

उद्योगों का अभाव –  

हमारे भारत देश में बहुत कम उद्योग हैं और इन उद्योगों में बहुत कम लोगों को रोजगार मिल पाता है उद्योग के अभाव में बहुत से मजदूर श्रमिक अपने घर पर बैठे हुए हैं उद्योगों के अभाव में आज श्रमिक घर में बैठे हुए हैं और उन्हें रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं।

आज हम देखते हैं कि जहां देखों प्रत्‍येक व्‍यक्ति को इन विचारों से संचित किया जाता है कि वह नौकरी करें और इन्‍ही विचारों के चलते वह नौकर बनने की ओर अग्रसर होता है। एवं जहां उसे किसी उद्योग, किसी कम्‍पनी, व्‍यवसाय की स्‍थापना करनी चाहिए थी। वो नहीं हो पाता है इसलिये आज के समय में उद्योगों का आभाव बहुत ही बढता जा रहा है।

 पूंजी का  अभाव – आमतौर पर देखा जाता है की  कोई नया रोजगार शुरू करने के लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी नहीं होती और यदि हम लघु एवं कुटीर उद्योग प्रारंभ करने के लिए लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो इसके लिए भी एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसके कारण हम अपना स्वरोजगार हेतु  पूंजी की व्यवस्था नहीं कर पाते और हमें बेरोजगार रहना पड़ता है । आज हमारे पास पूंजी का भाव है जिसके कारण हम छोटे स्तर पर लघु एवं कुटीर उद्योगों को खोलने में सक्षम नहीं है जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ रही है । 

शिक्षा नीति

आज हमारी शिक्षा नीति कार्य पूर्ण नहीं है जिसमें सभी लोग सिर्फ मानसिक श्रम को महत्व देते हैं। हम देखते हैं कि जनसंख्‍या वृद्धि इतनी तेज गति से बढती जा रही है। जिसको भविष्‍य में बहुत सी समस्‍याओं का कारण माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इसका शिक्षा नीति में बहुत ही गिरावट आई है। आज जो शिक्षा दी जानी चाहिए। वह सही रूप में नहीं दी जाती है। कई स्‍थानों पर तो शिक्षा का मजाक बनाया जाता है। जिसमें बच्‍चों के भविष्‍य के साथ खिलवाड किया जाता है। चाहे बच्‍चों को कुछ आये या ना आये उन्‍हे पास करके आगे की ओर भेज दिया जाता है। जिससे बेरोजगारी की समस्‍या भविष्‍य में देखने को मिलती है।

4. बेरोजगारी रोकने के उपाय –

आज बेरोजगारी की स्थिति इतनी बढ़ चुकी है कि इस हेतु हमें सतत प्रयास करने होंगे सर्वप्रथम हमें शिक्षा नीति में बदलाव करना होगा बेरोजगारी रोकने हेतु अपनी शिक्षा नीति में केवल मानसिक श्रम को ही नहीं महत्व दिया जाना चाहिए बल्कि शारीरिक श्रम को भी मार देना चाहिए। बेरोजगारी से निपटने के लिये लोगों को जनसंख्‍या नियंत्रण के विषय में जागरूक होना चाहिए एवं इसके लिये पहल भी करना चाहिए। इसके अलावा बेरोजगारी की समस्‍या भविष्‍य में ना हो इसके लिये व्‍यक्तियों को चाहिए कि वह अपने बच्‍चों को ऐसी विचारधारा से परिपूर्ण करें जिससे उनके जीवन में नौकरी करना लक्ष्‍य ना हो बल्कि कोई ऐसा पद प्राप्‍त करना हो जिससे कि वह अन्‍य लोगों को नौकरी दे सके। इससे स्‍वत: ही नौकरियों की समस्‍या भी समाप्‍त होगी। एवं बेरोजगारी भी नहीं बढेगी।

  • नवीन उद्योगों की स्थापना- बेरोजगारी की समस्या को दूर करने हेतु लोगों को उनकी कार्य क्षमता के अनुरूप कार्य मिल सके इसके लिए शासन को नए नए उद्योग की स्थापना की जानी चाहिए।  देश में ही विकसित होगा जिसमें  नवीन उद्योग स्थापित होंगे ।

 6. उपसंहार भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्‍या हैा भारत में शिक्षा का आभाव, रोजगार के लिए पर्याप्‍त उघोगो की कमी शासन की नाकामी जैसे कई कारणों से बेरोजगारी जन्‍म लेती है। आज बेरोजगारी की स्थिति इतनी बढ़ चुकी है कि अगर इस पर अंकुश न लगाया गया तो देश की आर्थिक सामाजिक भौतिक एवं राजनीतिक दशा को हिला सकती हैं यदि बेरोजगारी की बात भारत के परिपेक्ष में की जाए तो इसकी स्थिति बहुत ही खराब है यदि इस स्थिति में सुधार होता है तो निश्चित ही रूप से हमारा देश विकसित देशों की श्रेणी में आ सकता है

 ”आतंकवाद आंदोलनों की एक ही है जननी। इसे विवसता कहे या मजबूरी हमारी ।। आज बेरोजगारी खड़ी सक्षम हमारी । नव उद्योग पूंजी लगाकर करे नई तैयारी” ।।

5. बेरोजगारी से होने वाली समस्याएं –  जो देश में बेरोजगारी की समस्या होती है वह देश कवि विकसित नहीं हो सकता!  यहां के अधिकतर लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने लगते हैं ! शारीरिक एवं मानसिक रूप से व्यक्ति बीमार होने लगता है !  जिस देश में बेरोजगारी की समस्या अधिक होती है वहां शिक्षा पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है! बेरोजगारी से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है जब व्यक्ति को रोजगार नहीं मिलता है और वह पूरे टाइम घर पर रहता है तो घरेलू हिंसा होती है, अन्य कई प्रकार की समस्या बेरोजगारी से उत्पन्न होती है

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Hindi Essay on “Berojgari aur Aaj ka Yuva Varg”, “बेरोजगारी और आज का युवा वर्ग” Complete Paragraph, Nibandh for Students

बेरोजगारी और आज का युवा वर्ग, berojgari aur aaj ka yuva varg.

संकेत बिंदु – समस्या का स्वरूप – बेरोजगारी के कारण – दूर करने के उपाय

हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। इसी कारण आज के युवा वर्ग करताप की भावना विकसित होती जा रही है। आज के युवा वर्ग को अपना भविष्य अंधकार मय प्रतीत हो रहा है। बढ़ बरोजगारी शिक्टिव अशिक्षित वर्ग दोनों में दिखाई देती है। इस बेरोजगारी के अनेक कारण हैं। सरकारी नौकरी के अवसर लगभग समाप्त हो मार हैं। आज की शिक्षा को व्यवसाय के साथ नहीं जोड़ा गया है अत: पढ़ा-लिखा युवा वर्ग स्वयं कोई कार्य नहीं कर पाता है। उसे स्वावलंबी बनाने की आवश्यकता है। यदि सरकार व्यवसायोन्मुखी शिक्षा की व्यवस्था कर दे तो युवा वर्ग अपनी उत्पादन इकाई लगा सकता है। युवा वर्ग को बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बेरोजगार युवक ही समाज एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं। अत: उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करना सरकार और समाज की जिम्मेदारी है। इस समस्या को दूर करने के लिए एक योजनाबद्ध ढंग से काम करने की आवश्यकता है। सेवा-काल में वृद्धि न करके युवा वर्ग को नौकरी के अवसर दिए जाने चाहियें।

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Nibandh

बेरोजगारी पर निबंध - Essay on Unemployment in Hindi - Berojgari Essay in Hindi - Berojgari par Nibandh

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बेरोजगारी पर हिंदी निबंध

रुपरेखा : प्रस्तावना - बेरोजगारी की बढ़ती संख्या - अशिक्षित होने के कारन - व्यापार में गिरावट - सरकार की नीतियाँ - सरकारी विभागों में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण - बढ़ती बेरोजगारी का समाधान - उपसंहार।

जहाँ रोजगार नहीं होता तथा जिन लोगों के पास रोजगार नहीं होता उन्हें बेरोजगार कहते है। बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना को भी बेरोजगारी कहते है। आज भारत में बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। बेरोजगारी के कारन बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती। आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

उद्योग धंधो की अवनति के कारण भी बेरोजगारी बढती जा रही है। आकलन के मुताबिक हर साल लाखों लोग बेरोजगार होते थे लेकिन अब इनकी संख्या करोंड़ों से भी ऊपर हो गई है। देश में महंगाई के कारन व्यापार में गिरावट हो गयी है। जिसके चलते रोजगार मिलना कम हो गया है। हमारे देश में बहुत अधिक जनसंख्या है जिस वजह से उद्योग धंधों में उन्नति की बहुत अधिक आवश्यकता है। उद्योग धंधों को सार्वजनिक क्षेत्रों में ही स्थापित किया गया है , जब तक घरेलू दस्तकारों को प्रोस्ताहन नहीं दिया जाएगा तब तक बेरोजगारी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। सरकार कारखानों की संख्या में वृद्धि कर रही है। उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। उत्पादन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है जिससे बेरोजगारी की संख्या कम हो सके।

बेरोजगारी की समस्या शहर और गाँव दोनों में उत्पन्न हो रही है। कई लोग गाँव के लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है। गांवों में लोग कृषि करना पसंद नहीं करते जिसकी वजह से गांवों की आधी जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है। पुराने समय में वर्ण व्यवस्था में पैतृक व्यवसाय को अपना लिया गया था जिस वजह से बेरोजगारी कभी पैदा ही नहीं होती थी। जब वर्ण-व्यवस्था के भंग हो जाने से पैतृक व्यवसाय को नफरत की नजर से देखा जाता है तो बेटा पिता के व्यवसाय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है। औद्योगिक शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षित लोगों की बेरोजगारी को कम किया जा सके। शिक्षा से लोग स्वालम्बी होते हैं। उन लोगों में हस्तकला की भावना पैदा नहीं होती है। आधे से भी ज्यादा लोग रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं और बेरोजगारों की लाइन और लंबी होती चली जाती है।

सरकारी विभागों में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है। आज के समय में ऋषियों और साधुओं को भिक्षा देना पुण्य की बात मानी जाती है। जब स्वस्थ लोग दानियों की उदारता को देख कर भिक्षावृत्ति पर उतर आते हैं। इस प्रकार से भी बेरोजगारी की परेशानी बढती जा रही है। हमारे यहाँ के सामाजिक नियमों, वर्ण-व्यवस्था के अनुसार विशेष-विशेष वर्गों के लिए कई विशेष कार्य होते हैं। सरकारी विभागों में वर्ण-व्यवस्था के अनुसार काम दिए जाते हैं। अगर उन्हें काम मिलता है तो करते हैं वरना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। इस तरीके की सामाजिक व्यवस्था से भी बेरोजगारी बढती है। युवाओं में असंतोष ने समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैला रखी हैं। हमें सरकारी नौकरियों के मोह को छोडकर उस काम को करना चाहिए जिसमें श्रम की जरूरत होती है। आज लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय को छोडकर रोजगार की खोज में इधर-उधर घूम रहे है।

जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा। देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बढ़ती बेरोजगारी का समाधान है स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, अपने देश में अधिक से अधिक उत्पाद बनेंगे तो देश में रोजगार की संख्या बढ़ेगी जिससे बेरोजगारी का मसला हल होगा।

बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। बेरोजगारी व्यक्ति की सच्चाई, ईमानदारी और दया का गला घोट देती है। बेरोजगारी लोगों को अनेक प्रकार के अत्याचार करने के लिए मजबूर करती है। सरकार को नव युवकों को उद्यम लगाने के लिए ऋण दे रही है और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी साथ दे रही है। देश के नागरिक आशा कर रहे है की आने वाले कल में बेरोजगारी की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाए और देश की अर्थव्यवस्था और विकास मजबूत रहे।

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