पक्षियों पर निबंध

Essay on Birds in Hindi: पक्षियों की कई जातियां भारत में निवास करती है। अलग-अलग प्रजाति के पक्षी अलग-अलग वातावरण में रहने में सक्षम होते हैं। आज का यह आर्टिकल जिसमें हम पक्षियों पर निबंध के बारे में डिटेल में जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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पक्षियों पर निबंध | Essay on Birds in Hindi

पक्षियों पर निबंध (250 शब्द).

पक्षी आकाश मे उड़ने वाले जीव होते है, विभिन्न प्रकार के पक्षी आसमान मे पंख फैला कर उड़ते है। पक्षीयों के दो पैर होते है, जिससे वह धरती पर चल सकते हैं और दो आंख, जिसकी सहायता से सब कुछ देख सकते हैं। एक चोंच होती है, जिसकी सहायता से वह भोजन निगलता है। सभी तरह के पक्षियों की आवाज़ सूरज के निकलते ही सुबह-सुबह पक्षियों के चाहकने की आवाज़ सुनाई देने लगती है।

कुछ पक्षियों को हरियाली बहुत पसंद होती है। अगर उनको कही पर भी हरियाली दिख गई तो वह वहीँ पर अपना बसेरा बनाकर रहना शुरू कर देते है। संसार में सभी पक्षी उड़ सकते है। लेकिन कुछ पक्षी जैसे-शुतुरमुर्ग, कीवी आदि पक्षी आसमान में उड़ नहीं सकते है। लेकिन ये पक्षी ज़मीन में बहुत तेज गति से चलते है और बाज पक्षी बहुत उँचाई तक आसमान में उड़ सकता है।

संसार में सभी पक्षियों के रंग अलग-अलग होते है। कुछ ऐसे पक्षी होते है, जो पानी में तैर सकते पाते है। कुछ ऐसे पक्षी भी होते है, जिनको लोग अपने घरों में पिंजरो मे कैद करके पालते है। पक्षी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के होते है। शुतुरमुर्ग एक ऐसा पक्षी होता है, जो आसामन मे उड़ नहीं सकता है लेकिन जमीन में दौड़ सकता है। मोर एक ऐसा पक्षी होता है ज़ब भी वर्षा होती है, वह बारिश में नृत्य जरूर करता है। मोर राष्ट्रीय पक्षी है।

जैसे-जैसे पर्यावरण में बदलाव आया, वैसे-वैसे पक्षियों के घर उजड़ते गये। पेड़ पर ही पक्षी अपना घोंसला बना कर रहते है और पेड़ों के काटने से पक्षियो की जातियाँ विलुप्त होती चली गई है।

pakshiyon per nibandh

मेरे घर आने वाले पक्षी पर निबंध 400 शब्द (Mere Ghar Aane Wale Pakshi per Nibandh)

दुनिया भर में विभिन्न प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं और सभी पंछियों में अलग-अलग गुण होते हैं। हालांकि उड़ने का गुण तो सभी पंछियों में समान ही होता है लेकिन कुछ पंछी या आसमान की बहुत ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है लेकिन कुछ पंछी कुछ ही दूर तक उड़ान भर पाती है।

कुछ पक्षी बहुत तेजी से उड़ते है तो कुछ बहुत धीरे से उड़ते हैं। कुछ पंछी तो ऐसे भी होते हैं, जो उल्टे भी उड़ सकते हैं। इन विभिन्न प्रकार के पक्षी में नए-नए गुण होते हैं और इनके कुछ विशेष गुण तो कई मानव को आश्चर्यचकित कर देते हैं।

तोता जो किसी की भी नकल कर सकता है या नकल करने के विशेष गुण से ही जाना जाता है। गरुड़ पंछी जिसके बारे में तो वेद और पुराणों में भी लिखा गया है। इसे पंछियों का राजा माना जाता है। यह पंछी आसमान में बहुत दूर उचाई से भी अपने शिकार को देख पाता है और देखते ही उस पर झपट्टा मारता है।

मोर बहुत खूबसूरत पंछी है या अपने पंखों के लिए देश भर में जाना जाता है। मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोर का पंख भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक है। मोर के पंखों का प्रयोग अनेकों प्रकार के सजावटी चीजों के लिए होता है।

पंछी तो पर्यावरण की शोभा है। पंछियों के चहकान से प्रकृति गूंज उठता है। पंछियों के कारण ही तो लगता है मानो प्रकृति बोल रही है। पंछियों का असली घर तो खुला आसमान होता है। खुले आसमान में पंछी अपने दोनों पंखों को फैलाए आसमान की सैर करते हैं। लेकिन दुख की बात है कि आज का मानव सभी जीव जंतुओं के प्रति बहुत क्रूर हो चुका है।

मानव के द्वारा उत्पन्न विभिन्न प्रकार के प्रदूषण और तकनीक पंछियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पहले तो पंछी खुले आसमान में बेफिक्र पंख फैलाए उड़ सकते थे मानो पूरा आसमान ही उनका हो, वहां और कोई नहीं आ सकता। वे जहां चाहे वहां उड़ सकते हैं। लेकिन उन्हें क्या पता था कि मानव खुले आसमान को भी नहीं छोड़ेंगे। मानव के कारण पंछियों के उड़ान में बाधाएं पड़ती है। यहां तक कि हर दिन कई पंक्षियां मानव की गतिविधियों के कारण अपना जान गवा बैठती हैं।

मानव ने पक्षियों का प्रयोग हमेशा से ही अपने स्वार्थ के लिए किया है। पक्षियों ने हमेशा ही मानव के कई गतिविधियों में सहायता की है, उन्हें मनोरंजन भी किया है। तोता जो किसी भी मानव की आवाज का नकल कर सकता है, इसके लिए लोग उन्हें अपने घर पर पालते भी हैं और उनसे मनोरंजन भी उठाते हैं।

मुर्गी पालन करके मानो मुर्गी के अंडे और उसके मांस से व्यवसाय करता है। आज दुनियाभर में लाखों की संख्या में लोग मुर्गी पालन करके व्यवसाय कर रहे हैं और अपनी जीविका चला रहे हैं। कबूतर जैसे शांति का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन काल से कबूतर का प्रयोग संदेशवाहक की तरह किया जाता था।

मोर जिसके खूबसूरत पंखों के तो हर कोई दीवाने हैं उसके पंखों को बेचकर दुनिया भर में लोग बहुत पैसा कमा रहे हैं। इस तरह यह पक्षियों मानव को आर्थिक रूप से मदद कर रही है, उनके मनोरंजन के काम में आ रही है। लेकिन उसके बावजूद मानव अपनी गलतियों से बाज नहीं आता।

पक्षियों पर निबंध (800 शब्द)

पक्षी उड़ने वाले जीव हैं। पक्षी आसमान में स्वतंत्र विचरण करते हैं तो बहुत ही सुंदर आकर्षक दृश्य उत्पन्न होता हैं। प्रभात और सांयकाल में इनकी चहचहाहट से धरती गुंजित हो जाती है। उनके निवास से वन प्रांतों की शोभा और बढ जाती हैं। इनके आकर्षक रंगों से हर कोई मोहित हो जाता हैं।

पक्षियों में विभिन्नता

विविध प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। कोई काला, कोई लाल तो कोई हरा रंग-बिरंगे और अलग-अलग रंगों के होते हैं। विभिन्न प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। जैसे चिड़िया, कौवा, कोयल, तोता आदि कई प्रजाति होती हैं।

यह सभी घोसले में रहते हैं और स्वतंत्र रूप से आसमान में विचरण करते हैं। इनकी आवाज बहुत ही ज्यादा मधुर होती हैं। प्रातः काल और शायद उनको इनकी आवाज सुनने को मिलती हैं।

पक्षी की संरचना

सभी पक्षियों की संरचना लगभग एक जैसी होती है। परंतु इनमे कुछ विभिनताए भी पाई जाती हैं। परंतु एक समानता सब में है कि पहला यहां पंखों की सहायता से आसमान में उड़ सकते हैं और दूसरा की है सभी अंडे देते हैं।

पक्षी बहुत ज्यादा हल्के होते हैं। सभी पक्षियों के दौ पैर होते हैं। इनके रंग बिरंगे पंख होते हैं। रंग रंगीली चौंच होती हैं। पंखों की सहायता से आसमान में उड़ते हैं और अपने पैरों की सहायता से भरोसा विचरण करते हैं।

पक्षियों की प्रकृति से संबंध

सभी पक्षी प्रकृति से बहुत ही ज्यादा जुड़े होते हैं। यह वृक्ष, वनों तथा जंगलों में अपना घोंसला बनाकर रहते हैं। जहां थोड़ी सी हरियाली देखी वही है, अपना बसेरा बना लेते हैं। विभिन्न प्रकार के तिनकों कचरे को मिलाकर अपने घोसले का निर्माण करते हैं। कुछ पक्षी तो घोंसला बनाने में बहुत ज्यादा निपुण होते हैं जैसे बया। सभी पक्षी अपने बच्चों और घौसले रक्षा स्वयं करते हैं और स्वयं के लिए खुद ही दाना चूगते हैं।

कुछ पक्षी घोंसला ना बनाकर पेड की कोटर में ही अपना बसेरा बना लेते हैं। जैसे कि कठ फोड़वा। मोर जैसे बड़े पक्षी तो झाड़ियों में ही अपना घर बसा लेते हैं। कुछ पक्षियों की मधुर आवाज हमें बहुत ज्यादा आकर्षित करती हैं। जैसे कोयल, तोता, मैना इनकी वाणी बहुत ज्यादा मधुर होती हैं। साहित्य में इनका बखान किया गया हैं। परंतु कुछ पक्षियों की बोली को कर्कश माना जाता हैं जैसे कौवा।

पक्षियों का राजा

गरुड़ को पक्षियों का राजा माना जाता हैं। विभिन्न प्रकार के धार्मिक साहित्यों व पौराणिक कथाओ में इसका उल्लेख पाया जाता हैं। यह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होता है। यह अत्यधिक ऊंचाई से भी आसमान से अपने शिकार को देख सकता हैं। यह बहुत ही जल्दी से अपने शिकार को झपट लेते हैं।

पक्षी पालना

पक्षी आजाद होते हैं, इन्हें आसमान में स्वतंत्र विचरण करना बहुत अच्छा लगता हैं। यह पेड़ों, वनों तथा जंगलों में अपना घोंसला बनाकर रहते हैं। यह प्रकृति से बहुत ही करीब होते हैं। परंतु वर्तमान में बहुत से लोग इन्हें पाल कर अपने घर में पिंजरे रखते हैं। कबूतर, मोर का तोता आदि को पाल का घर में रखा जा सकता हैं।

तोता तो अधिकांश लोगों के घर में होता हैं। यह मनुष्य की आवाज की नकल निकाल सकता हैं। इसे घरों से पिंजरे में रखा जाता हैं। कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाता हैं और प्राचीनकाल में कबूतर संदेशवाहक का कार्य करते थे। कई लोग मुर्गी का पालन करते हैं। यह व्यावसायिक तौर पर बहुत ही लाभदायक हैं।

राष्ट्रीय पक्षी

मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी हैं। यह बहुत ही सुंदर होता हैं। इसके रंग बिरंगे पंख होते हैं। यह पंखो को फैलाकर बहुत ही सुंदर नाचता हैं। इसके पंखो से बहुत ही आकर्षक वस्तुएं बनाई जाती हैं। यह बहुत ही साहसी पक्षी है। यह लड़ाई में सांपों को मात दे देता हैं।

दुर्लभ पक्षी

कुछ पक्षी दुर्गम स्थानों पर निवास करते हैं। जैसे कि पेंगविन यह ठंडे स्थानों पर रहता है। यह वही जीवित रह सकता हैं। इस प्रकार के पक्षी बहुत कम देखने को मिलते है।

जल में निवास करने वाले पक्षी

बहुत से पक्षी जल में निवास करते हैं जैसे बगुला सारस यह पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं, मछलियों को खाकर अपना जीवनयापन करते हैं।

प्रकृति मैं विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। पक्षियों के लिए कोई सीमा सरहद नहीं होती हैं। कई पक्षी शीत ऋतु में झुंड बनाकर गर्म प्रदेशों की ओर चल पड़ते हैं और गर्मी में ठंडे प्रदेशों की ओर चल पड़ते हैं। इन्हें प्रवासी पक्षी कहां जाता हैं। भारत में प्रतिवर्ष साइबेरिया से प्रवासी पक्षियों का आगमन होता हैं।

पक्षी किस प्रकार से अपना जीवन व्यतीत करते हैं, उसके बारे में हमने इस आर्टिकल में आपको बताया है। इस आर्टिकल में हमने पक्षियों पर निबंध (Essay on Birds in Hindi ) के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाई है।

हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar

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Essay on Birds in Hindi

इस पूरे पृथ्वी पर ऐसे बहुत सारे जीव और जातियां हैं जो कि हमारे पर्यावरण और प्राकृतिक सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। हमारे प्राकृतिक वातावरण के अंदर बहुत सारे पेड़ पौधे नदी पहाड़ पक्षी और पशु आते हैं। यह सब मिल करके हमारे पूरे पृथ्वी को सुंदर बनाने का कार्य करते हैं। यदि इन सब चीजों में से एक भी चीज हट जाए तो हमारी पूरी पर्यावरण और वातावरण में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है जो कि आगे चलकर हानिकारक होगा। एक पर्यावरण को स्थिर रखने के लिए इन सब की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। हर चीज का अपना अलग-अलग महत्व है।ऐसे ही हमारे पृथ्वी पर रहने वाले सैकड़ों पक्षी भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पक्षी (Essay on Birds in Hindi) अपनी छोटी-छोटी चीजों से ही पृथ्वी के संतुलन को बनाने में मदद करती है।

Table of Contents

पक्षी का स्वरूप:-

पक्षी केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पाए जाते हैं। दुनिया के प्रत्येक पक्षी के पास दो पैर होते हैं जिनसे वे जमीन पर आसानी से चल सकती हैं और साथ ही उनके पास दो बड़े बड़े पंख होते हैं जिससे वह आकाश की ऊंचाइयों को छू सकती है। पक्षी के पास एक चीज होता है जिससे वह अपना भोजन को निगल सकती है और प्रत्येक जीवो की तरह दो आंखें होती है जिससे वह दुनिया का दर्शन कर सकती है। इस पृथ्वी में लगभग सारे पक्षी यही उरते है परंतु कुछ ऐसी पक्षियाँ है जो केवल जमीन पर चलती है उर नहीं सकती। इन पक्षियों के गणना में पेंगुइन, कीवी, शुतुरमुर्ग आदि आते हैं। परंतु ये पक्षियाँ जमीन पर दौड़ने में ज्यादा माहिर होती हैं और अपने शिकार को वे जमीन से ही पकड़ती हैं। सभी प्रकार के पक्षी अंडा देते हैं परंतु स्तनधारी होने के कारण चमगादर अंडे नहीं देता। पक्षी बहुत रंग-बिरंगे होते हैं और उनके शरीर पर बहुत सारे अलग-अलग रंग पाए जाते हैं जिससे वह अपने आप को बहुत ज्यादा सुंदर बनाते हैं।

पक्षी का खाना :-

आमतौर पर पक्षी को दो प्रकारों में देखा जाता है पहला मांसाहारी और दूसरा शाकाहारी। पक्षियों भी मांस का सेवन करती है मांस का सेवन करने वाली पक्षियों को ही मांसाहारी कहते हैं। इसके अलावा घास फूस पत्तियां फल आदि चीजों को ग्रहण करने वाली पक्षियों को शाकाहारी पक्षी के प्रकार में लिया जाता है। दोनों ही पक्षियों के बीच बहुत अंतर होता है मांस खाने वाली पक्षियों के चोंच लंबे और नुकीले होते हैं जबकि साग सब्जी खाने वाली पक्षियों के चोंच छोटे छोटे होते हैं। कुछ पक्षियाँ ऐसी भी है जो इन दोनों चीजों को खा कर अपना जीवन जीती है। मांस खाने वाली पक्षियों के प्रकार में चिल, काग, बगुला, बतख, आदि। शाकाहारी पक्षियों के प्रकार के अंदर तोता, मैना, कबूतर, मोर आदि पक्षी आते हैं। और सर्वाहारी जो सब खाते हैं उन पक्षियों के अंदर इस दुनिया की बहुत सारी पक्षियों आती है जिनमें से कुछ है कोयल, मुर्गा, मैना आदि आते है।

पक्षियों का घर:-

यह तो हम सब जानते हैं कि पक्षी ज्यादातर घोसला में ही रहते हैं जिसके लिए वे दिन भर मेहनत करके व घोंसला बनाते हैं। घोसला बनाने के लिए भी छोटी-छोटी लकड़ियां घास और सूखी पत्तियों का उपयोग करते हैं। इतना ही नहीं कई ऐसे पक्षी भी है जो केवल पेड़ पर रहते हैं। कुछ पक्षी ऐसे भी होते हैं जो घर में अपना बसेरा बनाते हैं और एक ही स्थान पर हमेशा रहते हैं। पक्षियों के अंदर यह आदत होती है कि वे समय पर किसी भी जगह पर नहीं ठहरती। यही कारण है कि उनको हमेशा अपना घोंसला (Essay on Birds in Hindi) तैयार करना पड़ता है। पक्षियों का कोई एक निश्चित बसेरा नहीं होता वे आसमान की ऊंची ऊंची और बादलों को चीरते हुए उड़ते हैं और समय-समय पर अपने बसेरे को बदलते रहते हैं। कई सारे ऐसे पक्षी भी है जो अपने रहने के लिए अपना व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं और उसमें ही रह कर अपना जीवन चलाते हैं। पक्षियों के घोंसले बनाने का सबसे बड़ा कारण होता है कि उन्हें अंडों को स्थाई रखने के लिए एक निश्चित स्थान की जरूरत होती है।

पक्षियों का जीवन काल:-

इस धरती पर हर किसी का एक निश्चित जीवन वर्ष पहले से ही निर्धारित किया गया है। उसी जीवन काल के आधार पर पक्षियों का पूरा जीवन चलता है। पक्षियों का जीवन 3 से 5 साल का होता है जिसमें वे यदि बिना किसी का शिकार हुए जीते रहे तो पुनः 3 से 5 साल पूरी आयु होगी। कई बार ऐसा भी होता है कि शिकारी के आक्रमण और शिकार हो जाने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। यही नहीं कई बार ऐसा भी होता है कि सर्दी या फिर बहुत ज्यादा गर्मी के वजह से भी पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। पक्षियों (Essay on Birds in Hindi) की जीवन तिथि और वर्ष पहले से ही निर्धारित होती है परंतु कई बार ऐसा भी होता है कि पक्षी अपने समय से ज्यादा जी लेते हैं यह सब भी प्राकृतिक चक्र के वजह से होता है। यही नहीं पक्षियों की मृत्यु कई बार बड़े पक्षियों का शिकार हो जाने की वजह से भी होती है। इसके अलावा कई बार शिकारी भी उनका शिकार कर लेते हैं जिस कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।

वैसे तो हमारे पर्यावरण में ऐसे कई सारे जीव जंतु है जो कि हमारे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं परंतु पक्षियों का इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। यह पक्षियों हमारे पर्यावरण को ना केवल साफ और शुद्ध रखने में मदद करती है बल्कि इससे और भी कई सारी मदद मिलती हैं। परंतु आज के समय में हर कोई पक्षियों का शिकार करने लगा है और यही कारण है कि पक्षी धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। बड़ी-बड़ी इमारतें और प्रदूषण से भरी हुई फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं इन पक्षियों (Essay on Birds in Hindi) को हानि पहुंचाते हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो 1 दिन पक्षियों का अस्तित्व पूरी तरीके से मिट जाएगा और पर्यावरण में बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा जो कि आने वाले समय के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।

1. पक्षियों का स्वरूप कैसा होता है?

उत्तर:- पक्षियों का स्वरूप बहुत सुंदर होता है उनके पास दो पैर दो आंख एक चोंच और दो पंख होते हैं उनके पर कई सारे रंग बिरंगे रंग के होते हैं जो कि उन्हें और भी ज्यादा सुंदर बनाते हैं।

2. पक्षी घोंसला क्यों बनाते हैं?

उत्तर:- पक्षियों के घोंसले बनाने का सबसे बड़ा कारण होता है कि उन्हें अंडों को स्थाई रखने के लिए एक निश्चित स्थान की जरूरत होती है।

3.मांसाहारी पक्षियों में कौन-कौन से पक्षी आती है?

उत्तर:- मांस खाने वाली पक्षियों के प्रकार में चिल, काग, बगुला, बतख, आदि।

4. शाकाहारी पक्षियों के अंदर कौन-कौन सी निशानियां होती है?

उत्तर:- साकारी पक्षियों की चोंच छोटे-छोटे होते हैं और उनके पंजे भी छोटे छोटे होते हैं।

5. पक्षियों का जीवनकाल कितना होता है?

उत्तर:- आमतौर पर सभी पक्षियों का जीवनकाल 3 से 5 वर्ष का होता है जिसमें वह अपने औसत आयु जी लेती है।

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पक्षियों पर निबंध

मनुष्य से पक्षियों का प्रेम सदियों से चला आ रहा है। कई लोग अपने घर पर पक्षियों को पालते है और उनकी देखभाल करते है। आज जितना प्रेम मनुष्य पक्षियों से करते है उससे कई ज़्यादा प्रेम पक्षी मनुष्य से करते है। कई प्रकार के पक्षियों को मनुष्य पालते है जैसे तोता, कबूतर, मोर आदि। भले ही पक्षी बोलते ना हो फिर भी पक्षी मनुष्य से ज्यादा चालाक होते है। इस वर्ग में पक्षी पर निबंध लिखा गया है, जहाँ पक्षी से जुड़े हर विषय पर निबंध का संग्रह तैयार किया हैं। जो आपको परीक्षाओं में अधिक अंक लाने में आपकी सहायता करेगा तथा पक्षी का हमारे जीवन में कितना महत्व है वह इस वर्ग में बताया गया है। ऐसे ही अन्य विषय पर निबंध के लिए भी आप हमारी वेबसाइट का बड़ी सरलता से उपयोग कर लाभ उठा सकते हैं। अगर कोई निबंध ऐसा है जिसकी आपको आवश्सकता है और यहाँ उपलब्ध नहीं है तो आप उस विषय का निबंध का नाम हमे मेल (Mail) द्वारा भेज दे, हम जल्द ही उस विषय का निबंध यहाँ उपलब्ध करा देंगे। पक्षी पर निबंध - चिड़िया पर हिंदी निबंध - पक्षियों पर निबंध - Birds essay in hindi - Essay on Birds in hindi - Name of Birds in Hindi - About Birds information

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The Bird “पक्षी” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph for Class 8, 9, 10, 12 Students.

उड़ने वाले जीवों को पक्षी कहा जाता है । पक्षियों के पंख सन्दर और -बिरंगे होते हैं । पंखों की सहायता से ये आसानी से उड़ सकते हैं । आसमान में उड़ते पक्षियों को देखना बहुत अच्छा लगता है । माना जाता है कि पक्षी को उड़ता देख मनुष्यों को वायुयान बनाने की प्रेरणा मिली होगी । पक्षी संसार के सुन्दर जीवों में से एक होते हैं।

पक्षी पेड़ों पर रहते हैं । वे पेड़ की शाखा पर अपना घोंसला बनाते हैं । वे यहाँ अंडे देते हैं तथा आराम करते हैं । अंडों से पक्षी के नन्हे-नन्हे बच्चे निकल आते हैं । पक्षी अपने बच्चों को अनाज के दाने, फल आदि खिलाते हैं। वे बच्चों को उडना सिखाते हैं । बच्चे उडना सीखकर भोजन की खोज में निकल जाते हैं। धीरे-धीरे वे माता-पिता से अलग होकर रहने लगते हैं।

पृथ्वी पर पक्षियों की अनेक जातियाँ पाई जाती हैं । कौआ, मैना, बुलबुल, तोता, मुर्गा, गौरेया, मोर, कोयल, बाज आदि प्रमुख पक्षी हैं । पक्षियों में कोयल की बोली सबसे मीठी होती है । बसंत ऋतु में कोयल की मीठी आवाज सबका मन मोह लेती है । मोर हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी है । इसक रंग-बिरंगे पंखों की शोभा निराली हेती है । इसका नृत्य बड़ा मनमोहक होता है । तोता, कबूतर आदि कुछ पक्षियों को हम लोग पालते हैं । कबूतर पक्षी शांति का प्रतीक माना जाता है । तोता अपनी बोली से हमारा मनोरंजन करता है कुछ लोग इसे पिंजड़े में रखकर पालते हैं।

कुछ पक्षी जल में रहते हैं । इन्हें जल-पक्षी कहा जाता है । जलमुर्गी, हस, बत्तख, बगला आदि प्रमुख जल-पक्षी हैं । जल-पक्षी तालाब, झील आदि जलाशयों की शोभा बढ़ाते हैं । जल-पक्षी छोटी मछलियाँ तथा जल के छोटे-छोटे जीवों को खाकर अपना गुजारा करते हैं।

पक्षियों का शरीर हल्का होता है । इससे उन्हें उड़ने में आसानी होती है। पक्षियों के मजबूत पंजे उन्हें देर तक उड़ने की शक्ति कुछ पक्षी लंबी यात्रा करते हुए दूसरे देशों में पहुँच जाते हैं । ये प्रवासी पक्षी कहलाते हैं। भारत में हर वर्ष हजारों प्रवासी पक्षी हजारों मील की यात्रा करते हुए आते हैं । वे यहाँ अत्यधिक ठंड से बचने के लिए आते हैं । दो-तीन महीने रहकर वे वापस अपने देश लौट जाते हैं।

पक्षियों का भोजन बहुत सामान्य होता है । छोटे पक्षी फल-मूल या अनाज के दाने खाकर अपना गुजारा कर लेते हैं । कुछ पक्षी मांसाहारी होते हैं । कौआ, बाज, बगला आदि मांसाहारी पक्षी हैं । ये कीड़े-मकोड़े तथा मरे हुए जन्तुओं का मांस खाकर जीवित रहते हैं । मांसाहारी पक्षियों में से कुछ शिकारी होते हैं । ये अपने नुकीली चोंच के मदद से छोटे-छोटे जीवों का शिकार करके खाते हैं । अलग-अलग पक्षियों के चोंच भी अलग-अलग होते हैं । चोंच के आकार का प्रभाव इनके भोजन के ढंग तथा घोंसले की बनावट पर स्पष्ट देखा जा सकता है। मांसाहारी पक्षियों की चोंचें कुछ अलग प्रकार की होती है।

इस प्रकार पक्षियों का संसार बहुत अद्भुत है । ये हमारे पर्यावरण के आवश्यक अंग हैं । पक्षियों का कलरव बहुत आनंददायी होता है । ये जंगल को मंगल कर देते हैं । हमें इस सुन्दर जीव को पूरा संरक्षण देना चाहिए। पक्षियों के इलाज और रखरखाव के लिए बहुत से स्थानों पर पक्षीशालाओं की स्थापना की गई है। हमें बीमार पक्षियों को यहाँ इलाज के लिए पहुँचा देना चाहिए । पालतू पक्षियों की देखभाल पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।

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हमारा राष्ट्रीय पक्षी: मोर पर निबंध | Essay on Our National Bird – Peacock in Hindi

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हमारा राष्ट्रीय पक्षी: मोर पर निबंध | Essay on Our National Bird – Peacock in Hindi!

मोर हमारे जंगल का अत्यन्त सुन्दर, चौकन्ना, शर्मीला और चतुर पक्षी है । भारत सरकार ने 1963 में जनवरी के अन्तिम सप्ताह में इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया । सौन्दर्य का यह मूर्त रूप भारत में जनसाधारण को भी प्रिय है ।

कवि कालिदास ने भी (छठी शताब्दी) इसे उस जमाने में राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया था । देवी-देवताओं से सम्बन्ध होने के कारण हिन्दू समाज इसे दिव्य पक्षी मानता है । जो सम्मान गौ को दिया जाता है, वही मोर को भी देते हैं । इसी भावना से ओतप्रोत होकर कोई भी हिन्दू उसका वध नहीं करता । मोर देवताओं के सेनापति और शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन है ।

मोर जब मस्त होकर नाचता है तो अपनी पूंछ को उठाकर पंखे की तरह फैला लेता  है । मोर के शरीर में कई रंगों तथा उनकी छायाओं का अद्‌भुत सम्मिश्रण होता है । गले और छाती का रंग नीला होता है । गरदन की नीलिमा के कारण संस्कृत में कवियों ने उसे ‘नीलकण्ड’ नाम दिया ।

सारे शरीर की खूबसूरती के मुकाबले मोर की टांगे बदसूरत होती है । इस विषय में एक लोक कथा प्रसिद्ध है । किस्सा यह था कि मैना को किसी की शादी में जाना था उसे अपने बदसूरत पैरों का ध्यान आया ।

वह मोर के पास गई और बोली मामा मुझे तनिक शादी मैं जाना है अपनी टाँगे बदल लो तो मैं शादी में चली जाऊं । मोर ने मैना की बात मान ली । बाद में मैना ने उसकी टाँगे वापिस नहीं की । मोर को तब से इस बात का मलाल रहता है ।

ADVERTISEMENTS:

मोर प्राय: वर्षा ऋतु में नृत्य करते हैं । बहुत दूर की आवाज को यह सुन लेता है । गर्मी में मोर सुस्त पड़ जाते हैं । मोर साँपों को मारकर खाता है । इसलिए संस्कृत में मोर को ‘भुजंगभुक’ कहते हैं । लेकिन यह मनुष्य को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचाता । मोर टमाटर, घास, अमरूद, केला, अफीम की फसल के कोमल अंकुर, हरी और लाल मिर्च चाव से खाता है ।

जंगल में मोर, मानव के समक्ष नहीं नाचता । कहा जाता है, नाचते समय मोर इतना बेसुध हो जाता है, कि दुश्मन उसे आसानी से पकड़ लेते हैं । यह चौकन्ना और डरपोक पक्षी है, यदि कोई इसके पास चला जाए तो यह झाड़ियों में तेजी से भाग जाता है ।

मोर के सौन्दर्य से प्रभावित होकर शाहजहां ने एक मयूरासन बनवाया । मोर को फारसी में ‘ताऊस’ कहते हैं । इसलिए उसने अपने सिंहासन का नाम ‘तख्त ए ताऊस’ रखा । वह बेशकीमती जवाहरातों से लगभग सात साल में बनकर तैयार हुआ ।

अफगान लुटेरा नादिरशाह इसे लूटकर ईरान ले गया । एक मयूरासन और भी है, जिसका सम्बन्ध योग से है । यह मयूरासन पेट के रोगों को दूर करता है । देवी-देवताओं के मन्दिर में मोर पंख चढ़ाए जाते हैं । सजावट के लिए मोर पंखों की मांग रहती है ।

गुलदानों में इन्हें सजाया जाता है । पंखों को वृत्ताकार बनाकर उनके पंखे बनाए जाते हैं, जो गर्मियों में हवा करने के काम आते हैं । जादू-टोनों में इसका प्रयोग होता है । बुरी-नजर से बचाने के लिए मोर पंखों से बच्चों को हवा करते हैं और उसके गले में बांधते हैं ।

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पक्षी के बारे में 10 लाइन | 10 Lines on Bird in Hindi

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10 Lines on Bird in Hindi : इस लेख में, मैंने यहाँ पक्षी के बारे में 10 लाइन में उपलब्ध कराई हैं। यह आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। ग्रह पर जानवरों की वे प्रजातियां हैं जो अपने पंखों की मदद से उड़ सकती हैं।

पक्षी बहुत ही खास जानवर होते हैं जिनमें विशेष विशेषताएं होती हैं। पक्षी कोई आश्चर्य नहीं कि ग्रह पर सबसे प्रिय जानवर हैं। मुर्गियां सबसे लोकप्रिय पक्षी हैं जिन्हें मनुष्यों ने दुनिया भर में पालतू बनाया है।

पक्षियों में बहुत हल्की हड्डियाँ होती हैं जो उनके लिए उड़ना आसान बनाती हैं। कीवी दुनिया का इकलौता ऐसा पक्षी है जिसके पंख नहीं होते। जलवायु परिवर्तन और मानव शिकार के कारण पक्षियों की कई प्रजातियां लुप्त हो गई हैं।

10 Lines on Bird

Table of Contents

5 Lines on Bird in Hindi

Pattern 1  –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 1, 2, 3, 4, and 5 Students.

  • पक्षियों के पंख और पंख होते हैं।
  • पक्षी आकाश में उड़ने वाले जीव हैं।
  • वे खाने के लिए अपनी चोंच का उपयोग करते हैं।
  • पक्षी एक बहुत ही सुंदर प्राणी है।
  • मुझे पिंजरे के पक्षी बहुत पसंद हैं।

5 Lines on Bird

10 Lines on Bird in Hindi

Pattern 2  –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 6, 7, 8, and 9 Students.

  • दुनिया में बहुत सारे रंग-बिरंगे पक्षी मौजूद हैं।
  • इन सभी के दो पंख, दो पैर और एक सख्त चोंच होती है।
  • कबूतर, गौरैया और मुर्गियाँ जैसे पक्षी अनाज खाते हैं।
  • पक्षी शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी होते हैं।
  • शुतुरमुर्ग ग्रह पर सबसे लंबा और सबसे भारी पक्षी है।
  • पक्षी एक हल्के कंकाल से बने होते हैं जो उन्हें उड़ने के लिए आदर्श बनाता है।
  • पक्षी दुनिया भर में पाए जाने वाले सबसे आम हैं।
  • पक्षी एक घोंसले में रहते हैं जो वे पेड़ों पर बनाते हैं।
  • पक्षी बहुत डरपोक जानवर होते हैं, उनके साथ सबसे अधिक सावधानी से व्यवहार किया जाता है।
  • मुर्गा और मोर जैसे पक्षी ऊंची उड़ान नहीं भर सकते।

10 Lines on Bird in Hindi

Short Essay on Bird in Hindi

Pattern 3 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams Students.

दुनिया में बहुत सारे रंग-बिरंगे पक्षी मौजूद हैं। इन सभी के दो पंख, दो पैर और एक सख्त चोंच होती है।कबूतर, गौरैया और मुर्गियाँ जैसे पक्षी अनाज खाते हैं। पक्षी शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी होते हैं।

शुतुरमुर्ग ग्रह पर सबसे लंबा और सबसे भारी पक्षी है। पक्षी एक हल्के कंकाल से बने होते हैं जो उन्हें उड़ने के लिए आदर्श बनाता है। पक्षी दुनिया भर में पाए जाने वाले सबसे आम हैं।

पक्षी एक घोंसले में रहते हैं जो वे पेड़ों पर बनाते हैं। पक्षी बहुत डरपोक जानवर होते हैं, उनके साथ सबसे अधिक सावधानी से व्यवहार किया जाता है। मुर्गा और मोर जैसे पक्षी ऊंची उड़ान नहीं भर सकते।

10 Lines on Bird in English

Pattern 4 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • There are many colorful birds in the world.
  • They all have two wings, two legs and a hard beak.
  • Birds like pigeons, sparrows and chickens eat grains.
  • Birds are herbivores, carnivores and omnivores.
  • Ostrich is the tallest and heaviest bird on the planet.
  • Birds are made of a lightweight skeleton that makes them ideal for flight.
  • Birds are the most common found around the world.
  • The birds live in a nest that they build on trees.
  • Birds are very timid animals, they are best treated with caution.
  • Birds like cock and peacock cannot fly high.

10 Lines on Bird in Odia

Pattern 5 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • ଦୁନିଆରେ ଅନେକ ରଙ୍ଗୀନ ପକ୍ଷୀ ଅଛନ୍ତି |
  • ସମସ୍ତଙ୍କର ଦୁଇଟି ଡେଣା, ଦୁଇଟି ଗୋଡ ଏବଂ ଏକ କଠିନ ବିକ୍ ଅଛି |
  • କପୋତ, ଚାରା ଏବଂ କୁକୁଡ଼ା ପରି ପକ୍ଷୀମାନେ ଶସ୍ୟ ଖାଆନ୍ତି |
  • ପକ୍ଷୀମାନେ ହେଉଛନ୍ତି b ଷଧୀୟ ଜୀବ, କାର୍ନିଭୋରସ୍ ଏବଂ ସର୍ବଭାରତୀୟ |
  • ଓଟପକ୍ଷୀ ହେଉଛି ପୃଥିବୀର ସବୁଠାରୁ ଉଚ୍ଚ ଏବଂ ଭାରୀ ପକ୍ଷୀ |
  • ପକ୍ଷୀମାନେ ଏକ ହାଲୁକା କଙ୍କାଳରେ ତିଆରି ଯାହା ସେମାନଙ୍କୁ ଉଡ଼ାଣ ପାଇଁ ଆଦର୍ଶ କରିଥାଏ|
  • ପକ୍ଷୀମାନେ ପୃଥିବୀରେ ସବୁଠାରୁ ଅଧିକ ଦେଖାଯାଏ |
  • ପକ୍ଷୀମାନେ ଏକ ବସା ମଧ୍ୟରେ ବାସ କରନ୍ତି ଯାହାକି ସେମାନେ ଗଛ ଉପରେ ନିର୍ମାଣ କରନ୍ତି |
  • ପକ୍ଷୀମାନେ ଅତ୍ୟଧିକ ଭୟଭୀତ ପ୍ରାଣୀ, ସେମାନଙ୍କୁ ସତର୍କତାର ସହିତ ବ୍ୟବହାର କରାଯାଏ |
  • କୁକୁଡ଼ା ଏବଂ ମୟୂର ପରି ପକ୍ଷୀମାନେ ଉଚ୍ଚରେ ଉଡିପାରିବେ ନାହିଁ |

10 Lines on Bird in Telugu

Pattern 6 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • ప్రపంచంలో చాలా రంగురంగుల పక్షులు ఉన్నాయి.
  • వారందరికీ రెండు రెక్కలు, రెండు కాళ్లు మరియు గట్టి ముక్కు ఉన్నాయి.
  • పావురాలు, పిచ్చుకలు, కోళ్లు వంటి పక్షులు ధాన్యాన్ని తింటాయి.
  • పక్షులు శాకాహారులు, మాంసాహారులు మరియు సర్వభక్షకులు.
  • నిప్పుకోడి గ్రహం మీద ఎత్తైన మరియు బరువైన పక్షి.
  • పక్షులు తేలికైన అస్థిపంజరంతో తయారు చేయబడ్డాయి, అవి విమానయానానికి అనువైనవిగా ఉంటాయి.
  • పక్షులు ప్రపంచవ్యాప్తంగా అత్యంత సాధారణమైనవి.
  • పక్షులు చెట్లపై నిర్మించే గూడులో నివసిస్తాయి.
  • పక్షులు చాలా పిరికి జంతువులు, అవి జాగ్రత్తగా చికిత్స పొందుతాయి.
  • కాక్ మరియు నెమలి వంటి పక్షులు ఎత్తుగా ఎగరలేవు.

10 Lines on Bird in Marathi

Pattern 7 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • जगात अनेक रंगीबेरंगी पक्षी आहेत.
  • त्या सर्वांना दोन पंख, दोन पाय आणि कडक चोच आहेत.
  • कबूतर, चिमण्या आणि कोंबड्यांसारखे पक्षी धान्य खातात.
  • पक्षी शाकाहारी, मांसाहारी आणि सर्वभक्षक आहेत.
  • शहामृग हा ग्रहावरील सर्वात उंच आणि वजनदार पक्षी आहे.
  • पक्षी हलक्या वजनाच्या सांगाड्याचे बनलेले असतात जे त्यांना उड्डाणासाठी आदर्श बनवतात.
  • जगभरात पक्षी सर्वात जास्त आढळतात.
  • पक्षी झाडांवर बांधलेल्या घरट्यात राहतात.
  • पक्षी अतिशय भित्रा प्राणी आहेत, त्यांना सावधगिरीने वागवले जाते.
  • कोंबडा, मोर यांसारखे पक्षी उंच उडू शकत नाहीत.

Last word on Bird in Hindi

इस लेख में, मैंने यहां हिंदी में पक्षी के बारे में 10 लाइन प्रदान की हैं। यह आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। प्रिय बच्चों और छात्रों के लिए यह निबंध बहुत ही सरल और याद रखने में आसान है।

ये टिप्स और ट्रिक्स छात्रों को पक्षियों पर एक संपूर्ण निबंध लिखने में मदद करेंगे।

यह निबंध छात्रों को अपना होमवर्क करने में बहुत मदद करता है जो एक प्रभावी तरीका है। मुझे आशा है कि यह निबंध आपके लिए और आप की तरह बहुत उपयोगी है।

अन्य पोस्ट देखें –  Short Essay  /  10 Lines Essay .

नीचे टिप्पणी अनुभाग में किसी भी संबंधित प्रश्न या सुझाव को बेझिझक छोड़ें। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए मूल्यवान है! यदि आपको यह जानकारी दिलचस्प लगती है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करने में संकोच न करें, जो इसे पढ़ने का आनंद भी ले सकते हैं। साझा करना देखभाल है!

References Links:

  • https://en.wikipedia.org/wiki/Bird
  • https://www.britannica.com/animal/bird-animal
  • https://www.nationalgeographic.com/animals/birds

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पक्षी बचाओ पर निबंध save birds essay in hindi

Save birds essay in hindi.

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं पक्षी बचाओ पर हमारे द्वारा लिखित निबंध. आप इसे जरूर पढ़ें. हमारे पर्यावरण की रक्षा की दृष्टि से ही यह निबंध आप सभी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि पक्षी हमारे पर्यावरण में होते हैं वो हमारे लिए जरूरी होते हैं चलिए पढ़ते हैं हमारे द्वारा लिखित निबंध को

save birds essay in hindi

बदलते आधुनिक युग में सब कुछ बदल रहा है हम सभी विकास के पथ पर तेजी से बढ़ना चाहते हैं. विकास की इस सोच के साथ हम पर्यावरण का कई तरह से नुकसान भी कर रहे हैं आज हम देखें तो हम पक्षियों को नुकसान पहुंचा रहे है, पक्षी जो हमारे पर्यावरण के लिए अति आवश्यक है उनकी स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है वो धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं. जब गर्मियों के दिन आते हैं तो पक्षियों के जीवन में एक बहुत बड़ा संकट आ जाता है वह प्यास एवं धूप की वजह से मारे जाते हैं. हम सभी का कर्तव्य है कि हम पक्षियों की रक्षा के लिए अपनी घरों की छतों पर, छाये वाले स्थान पर पानी रखे जिससे पक्षी अपनी प्यास बुझा के अपने जीवन को जी सकें.

हमें पक्षियों को बचाने का प्रयत्न करना चाहिए आज हम देखें कि इस आधुनिक युग में तेजी से हर एक क्षेत्र में विकास हो रहा है लेकिन कई तरह की हानिकारक किरणों की वजह से पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वो अपनी जान को हवा देते हैं वो धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो अपने खेतों फसल काटने के बाद अपने खेत में आग लगा देते हैं जिससे भूमि की उर्वरा क्षमता भी नष्ट होती है और खेतों में उपस्थित कई तरह के पक्षी मारे जाते हैं. पक्षी जो अंडे देते हैं वह भी जलकर खाक हो जाते हैं उनका अस्तित्व नष्ट हो जाता है इस तरह की कई समस्याएं हैं जिस वजह से पक्षियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

आज हम देखें तो मनुष्य के क्रियाकलापों की वजह से पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है जिसकी वजह से नदी नाले सूखते जा रहे हैं बेचारे पक्षी पानी ना मिलने की वजह से मारे जाते हैं वहीं पर्यावरण प्रदूषण की वजह से कभी-कभी इतनी तेज धुप पड़ती है की पशु पक्षी उस तेज तापमान को सहन नहीं कर पाते और मारे जाते हैं. हम सभी को चाहिए कि हम पर्यावरण को दूषित ना करें और जीवन को सही ढंग से जिए, थोड़े से फायदे के लिए हम किसी को नुकसान ना पहुंचाएं यही हमारा कर्तव्य है.

आज हम देखें तो ग्रामीण इलाकों में कई तरह के पशु पक्षी हमें भ्रमण करते हुए दिखते हैं उनकी चहचाहत हमारा मन मोह लेती है लेकिन शहरों में यह सब देखने को नहीं मिलता क्योंकि शहरों में पेड़ पौधे भी बहुत ही कम देखने को मिलते हैं. आज हम देखें तो पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई हुई है जिस वजह से मनुष्य, जीव जंतु, पशु सभी पर बुरा असर पड़ा है. पक्षी जो पेड़ पौधों के ऊपर अपना घोसला बनाकर रहते थे पेड़ पौधों की कटाई होने की वजह से उन्हें हौसला बनाने के लिए भी स्थान प्राप्त नहीं हो पाता.

पेड़ पौधों की कटाई उनके लिए एक अभिशाप बन गई है. हम सभी को चाहिए कि हम इस ओर विशेष ध्यान दें और वृक्षारोपण करें साथ में थोड़े से लालच के चलते पक्षियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करें, उनकी जीवन को बचाएं क्योंकि वह हमारे लिए, हमारे इस प्यारे से पर्यावरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.

  • पशु पक्षी पर कविता Pashu pakshi par kavita in hindi

दोस्तों हमें बताएं कि पक्षी बचाओ पर आना द्वारा लिखित निबंध save birds essay in hindi कैसा लगा पसंद आए तो हमें सब्सक्राइब जरूर करें

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बाज पक्षी पर निबंध Essay on Eagle in Hindi 1000 W

बाज पक्षी पर निबंध Essay on Eagle in Hindi 1000 W

इस लेख में हमने बाज पक्षी पर निबंध (Essay on Eagle in Hindi) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, इस पक्षी के विषय में जानकारी, कहां रहता है? क्या खाता है? इसका महत्व, तथ्य, तथा बाज पक्षी पर 10 लाइन लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बाज पक्षी पर निबंध Essay on Eagle in Hindi)

पूरे विश्व में पक्षियों की बहुत सी प्रजाति पाई जाती है जिनमें से बाज एक विशाल पक्षी है। इसे अंग्रेजी में ईगल कहते हैं। परंतु यह गरुड़ पक्षी से छोटा होता है। बाज पक्षी बहुत ही ऊंची उड़ान भरता है। बाज उड़ते समय बादलों के अंदर तक भी चला जाता है। उसे आसमान का राजा भी माना जाता है।

बाज के विषय में जानकारी Information About Eagle in Hindi

यह एक ऐसा पक्षी है जो दुनिया में दो बार जन्म लेता है। जब वह पैदा होता है और दूसरा जब वह वृद्धावस्था के मुकाम पर पहुंचकर यह निर्णय लेता है कि उसे जीना है या अपनी मौत की प्रतीक्षा करनी है। बाज एक तेज तर्रार पक्षी माना जाता है लेकिन उसे भी एक भारी मुकाम से गुजरना पड़ता है जब वह खुद को कमजोर महसूस करने लगता है।

बाज की नजर बहुत ही तेज होती है। यह 5 किलोमीटर तक अपने शिकार को देख सकता है। यह बहुत ही तेज शिकारी पक्षी है, पल भर में ही आकाश की गहरी ऊंचाई से ही यह अपना शिकार देख कर उस पर आक्रमण कर देता है।

ईगल एक ऐसा पक्षी है जिसकी उड़ान और नजर बहुत ही तेज होती है। यह गिद्ध की तरह ही दिखता है। यह दुनिया भर में पाया जाता है।

बाज अपना भोजन स्वयं करता है। गिद्ध की तरह मारे गए जीवो को वह नहीं खाता है। बाज के पंख पतले और मुड़े हुए होते हैं जिसके कारण वह बहुत तेज उड़ सकता है, और उसे दिशा बदलने में मदद मिलती है। उनके पंजे और नाखून बहुत ही मजबूत होते हैं जिससे उन्हें शिकार करने में मदद मिलती है।

यह अद्भुत पक्षी आकाश में 12000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। मादा बाज ज्यादा अंडे नहीं देती है वह 3 या 5 अंडे देती है। माता बाज अपने अंडों के उपर 36 दिन बैठकर उसे सेंक देती है। उसके बाद उसमें चूजे निकलते हैं।

बाज 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आसमान में उड़ सकता है। बाज आसमान में ही तेजी से नहीं उठ सकता बल्कि वह जमीन पर भी तेजी से दौड़ सकता है।

बाज पक्षी का पुनर्जन्म Rebirth of Eagle in Hindi

बाज का पुनर्जन्म Rebirth of Eagle in Hindi

ईगल पक्षी लगभग 70 से 100 वर्ष की आयु तक जीवित रहता है। लेकिन 40 कि उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उसके पंख कमजोर होते जाते हैं और उसे उड़ान भरने में परेशानी होने लगती है। 40 की उम्र पार करते ही बाज के पंजे कमजोर हो जाते हैं और वह शिकार करने में असमर्थ हो जाते हैं।

बाज पक्षी की चोंच जो कभी नुकीली थी वह भी मुड़ने लगती है। बाज का शरीर मोटा हो जाने के कारण उसके पंख भी शरीर से चिपकने लगते हैं जिसकी वजह से यह अच्छे से उड़ान नहीं भर पाता है।

यह वह समय होता है जब उसके पास दो विकल्प मौजूद होते हैं या तो वह चुपचाप मौत को गले लगा ले या दोबारा जीवन को अपनाकर फिर से खुले आकाश में उड़ने लगे। मृत्यु का इंतजार करना आसान हो सकता है लेकिन फिर से जीवन जीना जितना दर्दनाक होता है।

वह 5 महीने की लम्बी प्रक्रिया से गुजरता है। बाज जीवन के इस लंबी प्रक्रिया में ऊंची चट्टान और पहाड़ों पर जा पहुंचता है। उस ऊंची पहाड़ी पर जा पहुंचकर वह घोंसला बनाकर वहां रहना शुरू कर देता है, वह उस ऊंची चट्टान पर दिन-रात अपना चोंच मारते रहता है और वहां यह तब तक करते रहता है जब तक कि उसकी जांच टूट ना जाए।

चोच टूट जाने के बाद वह अपने पंजों को तोड़ता है। वह खुद अपने पंखों को नोच नोच कर फेंक देता है ।ऐसा करने से बाज का शरीर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है अब दोबारा पहले जैसे स्वस्थ अवस्था में पहुंचने के लिए बाज को 5 महीने इंतजार करना पड़ता है।

इसके बाद उसके शरीर में नए पंजे, चोंच और पंख आ जाते हैं। उसके बाद वह दोबारा 30-40 साल तक जी पाता है।

बाज पक्षी कहां रहता है? Where Does the Eagle Bird Live in Hindi?

बाज पक्षी अपना घोंसला ऊंचे पेड़ों पर तथा पहाड़ों एवं चट्टानों पर बनाता है और यह ज्यादातर दूसरे पक्षी के घोसले पर शिकार के लिए आक्रमण करने के लिए वहीं पर अपना घोंसला बनाते हैं। यह अंटार्टिका के अलावा सभी महाद्वीपों में पाया जाता है। हालांकि यह एक लुप्त कगार में पहुंच गए हैं।

बाज पक्षी क्या खाता है? What Does an Eagle Bird Eat in Hindi?

यह एक मांसाहारी पक्षी है। यह सांप, चूहा, मेंढक, मछली खाते है।

बाज पक्षी का महत्व The Importance of the Eagle Bird in Hindi

बाज पक्षी को पौराणिक काल से साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। बाज को आसमान में सबसे ताकतवर पक्षी माना जाता है। बाज के मजबूत मांस पेशियां, लंबे पंख और तेजी से हवा में उड़ने की शक्ति के कारण इसे फ्लाइट मशीन भी कहा जाता है।

प्राचीन काल से लेकर द्वितीय विश्वयुद्ध तक दुश्मनों को कबूतर के संदेश से आदान-प्रदान को रोकने के लिए बाज का ही प्रयोग किया जाता था। बाज की देखने की क्षमता अद्भुत होती है।

एक बाज मनुष्य की तुलना में 2.6 गुना अधिक देख सकता है। बाज को प्राचीन काल से लोग पालते आ रहे हैं। आप इसे की राजा महारजाओं की कहानियों और चित्रों मे भी देख सकते हैं। इनके अन्य छोटे पक्षियों के शिकार करने की क्षमता के कारण भी इन्हे पाल जाता था।

बाज पक्षी पर तथ्य Facts About Eagle in Hindi

  • बाज पक्षी आकाश में 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी उड़ सकता है।
  • यह पक्षी मांसाहारी होता है।
  • इनका जीवन काल 70-75 वर्ष तक की होती है।
  • मादा बाज की अपेक्षा नर का आकार बड़ा होता है।
  • इनके शरीर की लंबाई 13 से 23 इंच की होती है तथा इसकी पंख की लंबाई 29 से 47 इंच होती है।
  • बाज आसमान का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी ही नहीं धरती पर तेज दौड़ने वाला पक्षी भी है।
  • यह अंटार्टिका के अलावा सभी महाद्वीपों पर पाए जाते हैं।
  • बाज उचे पहाड़ों और घने जंगलों तथा रेगिस्थान में रहना पसंद करते हैं।
  • यह यह छोटे से माध्यम आकर के पक्षियों जैसे बतक और चमगादड़ को अपना शिकार बनाते हैं।
  • बाज के नाक पर ट्यूबर सेल होते हैं जो उड़ान के दौरान सांस लेने में मदद करते हैं।
  • बाज की 1500 से 2000 प्रजातियां पाई जाती है।
  • मादा बाज एक साल में 3 से 5 अंडे देती है।
  • बाज को सबसे अच्छा फ्लाइंग मशीन कहा जाता है।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध में कबूतरों के द्वारा भेजे हुए संदेश को रोका जाने के लिए बाज पक्षी का प्रयोग किया जाता था।
  • बाज की आंखें बहुत ही तेज होती है वह 5 किलोमीटर के दौर से ही अपने शिकार को देख सकता है।
  • दुनिया की सबसे छोटी प्रजाति का बाज का आकार 45 से 55 सेंटीमीटर है तथा बड़ी प्रजाति का बाज का आकार 2 से 2.5 मीटर है।

बाज पक्षी पर 10 लाइन 10 Lines on the Eagle Bird in Hindi

  • बाज एक विशाल पक्षी होता है परंतु यह गरुड़ से छोटा होता है।
  • ईगल पक्षी बहुत ही तेजी से उड़ता है और वह उड़ते समय बादल के अंदर भी चला जाता है।
  • यह एक ऐसा पक्षी है जो दुनिया में दो बार जन्म लेता है। जब वह पैदा होता है और दूसरा जब वह वृद्धावस्था के मुकाम पर पहुंचता है।
  • बाज की नजर बहुत ही तेज होती है। यह 5 किलोमीटर से अपने शिकार को देख सकता है।
  • यह बहुत ही तेज शिकारी पक्षी है, पल भर में ही आकाश की गहरी ऊंचाई से ही यह अपना शिकार कर लेती है। 
  • बाज एक ऐसा पक्षी है जिसकी उड़ान और नजर बहुत ही तेज होती है। 
  • यह दुनिया भर में पाया जाता है।
  • बाज अपना भोजन स्वयं करता है। गिद्ध की तरह मारे गए जीवो को वह नहीं खाता है। 
  • बाज के पंख पतले और मुड़े हुए होते हैं जिसके कारण वह बहुत तेज उड़ सकता है, और उसे दिशा बदलने में मदद मिलती है।
  • उनके पंजे और नाखून बहुत ही मजबूत होते हैं जिससे उन्हें शिकार करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बाज पक्षी के विषय में की जानकारी पढ़ा। अन्य सभी पक्षियों की तरह ही बाज का भी हमारे प्रकृति में बहुत महत्व है। आपको बाज पक्षी पर निबंध Essay on Eagle in Hindi कैसा लगा कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताएं।

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Home » Essay Hindi » राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध लेखन | Essay On Peacock In Hindi

राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध लेखन | Essay On Peacock In Hindi

इस लेख Essay On Peacock In Hindi Language में राष्ट्रीय पक्षी (National Bird) मोर पर निबंध हिंदी भाषा में विद्यार्थियों के लिए दिया गया है। मोर भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी है। सुंदरतम पक्षियों में शामिल मोर उसके पंखों के कारण संसारभर में जाना जाता है। भारत में मोर का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।

स्कूली विद्यार्थियों को अध्यापक “Mor Pakshi Par Nibandh” लेखन अक्सर देते रहते है। यह आर्टिकल विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित होगा जिससे की मोर या मोरनी पर निबंध लिखने में दिक्कत नही आये। तो आइए दोस्तों, मोर पर निबंध ( Essay On National Bird Peacock In Hindi For Class 6, 7, 8, 9, 10 ) पढ़ते है।

मोर पक्षी पर निबंध – Essay On National Bird Peacock In Hindi

मोर को मयूर भी कहा जाता है। सुंदर मयूर पक्षी का नृत्य मन मोह लेता है। मूलतः एशिया महाद्वीप में पाया जाने वाला मयूर पक्षी अक्सर आपने देखा होगा। भारत में मोर प्रमुखता से मिलते है। ग्रामीण अंचलों में मयूर देखे जा सकते है। पक्षी विहार में मोर को देखा जा सकता है। घरों की छत पर और पेड़ की डालियों पर मोर अमूमन दिख जाते है।

मोर शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर इस पक्षी के लिए करते है परंतु ऐसा नही है। नर को मोर जबकि मादा को मोरनी कहा जाता है। मोर के पर्यायवाची शब्दों में मयूर, सारंग, कलापी प्रमुख है। मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है।

भारत में मिलने वाले मोर पक्षी मुख्यतः नीले रंग के होते है। वैसे दुनिया में सफेद मोर भी मिलते है। भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया में सफेद रंग के मयूर मिल जाते है। मोर की दुनियाभर में तीन प्रजातियां पायी जाती है। तीन प्रजातियों के नाम (Peafowl Species) इस प्रकार से है –

  • भारतीय मोर (नीला मोर) – गर्दन नीले रंग की होती है। यह आमतौर पर भारत में पेड़ों पर देखा जा सकता है। भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों में भी नीला मोर पाया जाता है।
  • हरा मोर (जावा मोर) – गर्दन हरे रंग की होती है। यह मोर जावा द्वीप, म्यामार में मिलता है।
  • कांगो मोर – अफ्रीका के कांगो बेसिन इलाके में यह मोर प्रजाति पायी जाती है। इस मोर की पूंछ छोटी और गोलाकार होती है। कोंगो मोर ऊंचाई पर उड़ने में अक्षम होते है।

मोर भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी भी है जिसे 26 जनवरी, 1963 को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। आपकी जानकारी ले लिए बता दु की मोर भारत के अलावा एशिया के अन्य देश श्रीलंका और म्यामांर का भी राष्ट्रीय पक्षी है।

मोर की विशेषता क्या है? (Characteristics Of Peacock Bird)

मोर में नर और मादा दोनों होते है। नर मोर की पहचान उसके सुंदर चन्द्र आकृति वाले पंख है जबकि मादा के चन्द्र आकृति वाले पंख नही होते है। इसका एक अर्थ यह भी है कि नर मोर मादा से ज्यादा सुंदर होता है। नर का आकार भी मादा मोर से ज्यादा होता है।

नीले रंग की लम्बी गर्दन और सर पर सुंदर कलगी भारतीय मोर की पहचान है। सिर पर मौजूद कलगी ताज जैसी प्रतीत होती है। यही कारण है कि इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। मुख्यतः हरे रंग के मोर पंख पर अर्द्ध चन्द्र की आकृति (मयूर पंख) सुंदरता को चार चांद लगा देती है। मयूर पंख में हरे, नीले, पीले, बेंगनी, आसमानी इत्यादि रंगों का समावेश होता है। मोर के पंखों की संख्या करीब 200 हो सकती है जोकि गुच्छे के रूप में होते है। मोर के पंख प्रत्येक वर्ष गिरते है और नए आ जाते है।

खूबसूरत मोर के केवल पैर बदसूरत होते है। मोर के पैर दिखने में बदसूरत लेकिन मजबूत होते है। मोर की आवाज कर्कश, भारी और तेज होती है जो करीब 2 से 3 किलोमीटर तक सुनी जा सकती है। इसकी चोंच शरीर की तुलना में छोटी लेकिन मजबूत होती है।

मोर एक शांत स्वभाव वाला पक्षी है। मोर एक ऐसा पक्षी है जिसके पंख भी है लेकिन यह ज्यादा दूर तक उड़ नही पाता है। ज्यादातर समय यह चलकर बिताता है। लम्बे समय तक उड़ नही पाने का मुख्य कारण इसके शरीर का बड़ा आकार और ज्यादा वजन है।

मोर पक्षी का महत्व (Importance Of Peacock Bird Essay In Hindi)

मोर को पक्षियों का राजा भी कहते है। इसके सौंदर्य और मनमोहक नृत्य ने मोर को पक्षियों का राजा बनाया है। वर्षा ऋतु में बादलों का गरजना और मोर का नृत्य किसी आकर्षण से कम नही है। सुंदर पंखों को फैलाकर मोर मन को लुभा दे, ऐसा नृत्य करता है। आपके मन में एक सवाल जरूर होगा कि मोर नाचता क्यों है? इसका जवाब है, मोरनी को रिझाने और आकर्षित करने के लिए मोर नाचता है।

  • यह भी पढ़े – वर्षा ऋतु पर निबंध

ऐसा माना जाता है कि मोर को किसी भी प्राकृतिक आपदा का पूर्वाभास हो जाता है। इसलिए मोर तेज आवाज में पीकॉक की ध्वनि निकालते है।

मोर का भारतीय संस्कृति में धार्मिक महत्व है। भगवान कृष्ण के मुकुट में मोर पंख का लगा होता है जो इसके धार्मिक महत्व को बताता है। हिन्दू मान्यता के मुताबिक कार्तिकेय भगवान की सवारी मोर ही है। वास्तुशास्त्र के अनुसार मोर पंख में नवग्रहों का वास है।

मोर पंख को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भारतीय इतिहास में कई ऐसे राजाओं का जिक्र है जो मोर को पंसद किया करते थे। मुग़ल बादशाह शाहजहां के तख्ते ताउज को मयूर सिंहासन भी कहा जाता है। इस सिंहासन में 2 नाचते हुए मोर देखे जा सकते है।

मोर का निवास, भोजन, आयु और प्रजनन क्या है?

मोर का निवास स्थान जंगली पेड़ होते है लेकिन मोरनी अंडे झाड़ियों में देती है। इनका घोंसला सूखी पत्तियों और टहनीयों से मिलकर बना होता है। मोर और मोरनी दोनों के मिलन (Mating) के बाद मोरनी 5 से 12 अंडे देती है। मोरनी ही अंडो को सेहती है जिनसे बच्चें निकलते है। नर और मादा क्लोअका ( Cloaca ) नामक अंग से आपसी सबंध बनाते है। नर शुक्राणुओं को मादा के अंडो से निषेचन कराता है।

मोर एक सर्वाहारी पक्षी है जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों होता है। जमीन पर रेंगने वाले कीड़े मकोड़े के साथ ही चना, गेंहू अनाज भी मोर का भोजन है। मोर को फल सब्ब्जियाँ भी पसन्द है जिन्हें वह बड़े चांव से खाता है। वैसे दोस्तों, मोर पक्षी छोटे आकार के सांप भी खा जाता है। मोर का का जीवनकाल (आयु) 20 वर्ष तक होता है।

मोर पक्षी का संरक्षण (Essay On Peacock In Hindi)

मोर को पालतू बनाकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है। यह भारत में संरक्षित पक्षी है जिसे किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाने पर जेल हो सकती है। वर्ष 1972 में बने मोर संरक्षण कानून के तहत मोर पक्षी की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस कानून की मदद से मोर की जनसंख्या में तेज गिरावट को रोका जा सका है।

दोस्तों, मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है जिसकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार के साथ हमारी भी है। “Save Peacock”

मोर पर निबंध हिंदी ( Long Essay On Peacock In Hindi ) लेख में मोर पक्षी की विशेषता, महत्व, निवास, भोजन इत्यादि के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी? यह पोस्ट “Essay On National Bird Peacock In Hindi For Class 6, 7, 8, 9, 10” पसंद आयी हो तो इसे शेयर भी करे।

यह भी पढ़े – 

  • पक्षियों का महत्व पर निबंध
  • चिड़ियाघर पर निबंध

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1 thought on “राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध लेखन | Essay On Peacock In Hindi”

राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में आपने बहुत अच्छी जानकारी दी

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कोयल पक्षी पर निबंध Essay on the Cuckoo Bird in Hindi

कोयल पक्षी पर निबंध (Essay on the Cuckoo Bird in Hindi)

इस लेख में आप कोयल पक्षी पर निबंध (Essay on Cuckoo Bird in Hindi) हिन्दी में पढेंगे। इसके साथ कोयले के विषय में जानकारी, विशेषताएं, भोजन, पाए जाने वाले जगह, तथ्य, बताए गए हैं।

कक्षा 4 से 8 तक परीक्षाओं में कोयल पक्षी से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। अगर आप मधुर आवाज वाली पक्षी कोयल के ऊपर हिंदी में निबंध खोज रहें हैं तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है।

Table of Content

कोयल पक्षी पर निबंध Essay on Cuckoo Bird in Hindi

हर कोई मधुर आवाज के लिए कोयल पक्षी का उदाहरण देता है। कोयल पक्षी का रंग कौवे के सामान काला ही होती है लेकिन रंग में कौवे से फीके होते हैं। यह आकार में भी थोड़े छोटी होते है। नर कोयल का रंग थोड़ा नीला और काला तथा मादा कोयल का रंग काले तीतर के समान होता है।

इनकी आंखें लाल-लाल और पंख पीछे की तरफ लम्बे होते है। कोयल ही एक ऐसी चिड़िया है, जो अपना घोंसला न बनाकर दूसरे पक्षियों के घोसले में अंडे देती है और जब इन अंडों से बच्चे निकल जाते हैं तो वे दूसरे पक्षियों के अंडों को घोसले से गिरा देते है।

कोयल का वैज्ञानिक नाम युडाइनेमिस स्कोलोपेकस है और लोग उसे प्यार से कुक्कू कहकर भी बुलाते है। कोयल ही एक ऐसी पक्षी है, जो दुनिया भर में अपने रंग रूप के कारण नहीं बल्कि अपनी मधुर आवाज के लिए जानी जाती है।

इसकी आवाज में इतनी मधुरता होती है जितनी किसी अन्य पक्षी में सुनने को नहीं मिलती। जब यह कूकती है, तो अपनी मधुर आवाज के कारण हर किसी को आकर्षित कर लेती है।

कोयल पक्षी की विशेषताएं Characteristics of Cuckoo Bird

पूरी दुनिया में कोयल पक्षी की लगभग सैकड़ों प्रजातियाँ देखने को मिलती है, इसकी मधुर बोली हमें भी सभी के साथ विनम्रता से बात करने की सीख देती है। कालिमा धारण किए तथा मीठी आवाज वाली पक्षी कोयल जितनी आकर्षक देखती है, उससे कई ज्यादा यह पक्षी चतुर भी होती है।

कोयल की सबसे प्रमुख विशेषता है की यह अधिकतर कौवों के घोसले में अंडे देती है और कौवों के अंडों को या तो खा जाती है या नीचे गिरा देती है। कोयल हमेशा अपना जीवन वृक्षों पर ही व्यतीत करती है वह कभी कभार ही वह नीचे उतरती है।

सिर्फ दूसरों के घोंसलों को ही नहीं बल्कि यह ऊँचे-ऊँचे पेड़ो के कोटरों और शाखाओं को भी अपने अंडों के लिए चुनती है। इसके पीछे इसके आलसी तथा शर्मीले स्वभाव को माना जाता है। भारत तथा अन्य देशों में सुन्दरता के लिए मोर तथा मधुरता का उदाहरण देने के लिए कोयल का ही उदाहरण दिया जाता है।

कोयल पक्षी क्या खाते है? What Do Cuckoo Birds Eat?

कोयल एक सीधी-साधी और शर्मीली पक्षी है, जो अकेले तथा छुपकर रहना पसंद करती है। इसलिए यह ज़मीन पर ना उतरने के कारण वृक्षों पर ही रहने वाले छोटे मोटे कीड़ों, सुडियों तथा चींटियों को अपना भोजन बनाती है।

सिर्फ कीड़े-मकोड़े ही नहीं कोयल पक्षी कंद मूल, फल आदि भी खाती है इसकी चोंच घुमावदार और तीखी होती है जो मजबूत फलों को तोड़ने तथा कीड़े चींटियों आदि को पकड़ने में मदद करती है।

कोयल पक्षी कहाँ पाए जाती है? Where Are Cuckoo Birds Found?

कोयल पक्षी सभी महाद्वीपों में पायी जाती है लेकिन अंटार्कटिक महाद्वीप पर यह लगभग न के बराबर पाई जाती है। क्योंकि अंटार्कटिक में बर्फ और ठंडे मौसम के कारण वहाँ पर इनके लिए जीवन संभव नहीं हो पाता। लेकिन भारत में कोयल बसंत ऋतु में हरे वृक्षों, बागों तथा जंगलों में सभी जगह देखीं जा सकती है।

कोयल को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे जापान में काक-को, फ्रांस में कोकु और भारत में कोयल।

कोयल पक्षी के विषय में कुछ तथ्य Some Facts About Cuckoo Birds

कोयल पक्षी जितना चर्चित अपनी मधुर आवाज के कारण है उससे कई गुना चौकाने वाले कई रोचक तथ्य है जो निम्न हैं-

  • कोयल वह पक्षी है जिसमें मधुर आवाज़ के साथ भेड़ियों स छल भी होता है।
  • उत्तर कोरिया में कोयल को कैद करने या मारने पर बहुत ही ज्यादा सजा दी जाती है यहाँ तक की प्राण दंड भी कई लोगों को दिया जा चूका है। 
  • कोयल पक्षी में केवल नर ही कुहू-कुहू की मधुर आवाज में गाता है, जबकि मादा नहीं गाती है।
  • कोयल पक्षी की विश्व में अभी तक कुल ज्ञात 120 प्रजातियाँ है।
  • कोयल पक्षी सर्व हारी है क्योंकि यह वृ क्षों पर उगे कंद मूल फल के साथ वृक्षों पर रहने वाले छोटे मोटे कीड़ों को भी खाता है।
  • कोयल पक्षी ज़मीन पर नाममात्र का ही उतरता है। यह बड़े-बड़े वृक्षों की टहनियों पर मुख्यतः बसंत ऋतु में आसानी से कुहू-कुहू की आवाज करता हुआ देखा जा सकता है।
  • कोयल भारत में बसंत ऋतु के आगमन पर ही दिखाई देता है अन्य ऋतुओं में इसे ना के बराबर ही देखा जा सकता है, अतः इसे प्रवासी पक्षी भी कहते है।
  • कोयल की लम्बाई 17 इंच के आसपास होती है।
  • संसार की सबसे बड़ी कोयल channel Billed cuckoo है। जिसकी लम्बाई 25 इंच तथा वज़न 600 ग्राम जितना होता है, जो आस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया, आदि देशों में पायी जाती है।
  • सबसे छोटी कोयल का नाम little bronze cuckoo है, जो 6 इंच लम्बी तथा वज़न में मात्र 17 ग्राम की होती है। यह मलेशिया, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में पायी जाती है।

कोयल के बारे में एक प्रसिद्द कहावत है :-

गुण के गाहक सहस नर, बिन गुण लहे ना कोय। जैसे कागा कोकिला, शब्द सुने सब कोय।

अर्थात सभी अपने गुण के कारण पहचाने जाते है जैसे कौवा और कोयल का रंग एक होता है किन्तु कोयल को सभी मीठी आवाज के कारण पसंद करते है जबकि कौवे की काँव-काँव कोई नहीं सुनता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने कोयल पर निबंध हिंदी में (Essay on the Cuckoo Bird in Hindi) पढ़ा जिसमें आपने कोयल के विषय पूरी जानकारी पढ़ा। अगर आपको इस सुरीली पक्षी के विषय में यह लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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Peacock Essay in Hindi- राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध

In this article, we are providing a Peacock Essay in Hindi | Rashtriya Pakshi Mor Par Nibandh मोर पर निबंध in 100, 150, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों आज हमने Essay about Peacock in Hindi लिखा है मोर पर निबंध हिंदी में कक्षा | class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। National Bird Peacock information in Hindi Essay.

( Essay-1 ) 10 Lines Essay on Peacock in Hindi ( 100 words )

1. मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।

2. मोर का आकार-प्रकार साधारण पक्षियों से बड़ा होता है।

3. इसकी पूँछ रंग-बिरंगे पंखों से भरी रहती है।

4. पंखों के बीच में गोल-गोल आकृतियाँ होती हैं।

5. सिर के ऊपर एक बहुत सुन्दर कलगी होती है।

6. मोर का नृत्य बहुत ही मोहक होता है।

7. मोर अपनी पूँछ के लम्बे पंखों को फैलाकर नाचता है।

8. मोर बहुत शांत और सरल स्वभाव का पक्षी है।

9. मोर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों है।

10. मोर कीड़े-मकोड़े, हरी सब्जियाँ, अनाज के दाने आदि खाता है।

10 Lines on Peacock in Hindi

Information About Peacock In Hindi

( Essay-2 ) मोर पर निबंध- Short Peacock Essay in Hindi ( 150 words )

My Favourite Bird Peacock Essay in Hindi

मोर एक अत्यंत सुन्दर पक्षी है। यह अन्य पक्षियों से बड़ा होता है। सुन्दरता में यह पक्षियों का राजा कहलाता है।

मोर का पूरा शरीर चमकीले नीले रंग का होता है । इसके पंख लंबे और रंग-बिरंगे होते हैं । मोर के सिर पर एक कलंगी होती है । यह अधिक ऊँचाई तक उड़ नहीं सकता है।

मोर जंगल में पेड़ पर रहता है । कुछ लोग इसे पालते हैं । इसकी आवाज बड़ी तेज होती है। यह खेतों से दाना तथा कीड़े निकाल कर खाता है। मोर साँप को अपनी चोंच से नोंच-नोंच कर मार डालता है। इसीलिए साँप मोर से डरता है।

बारिश के दिनों में आकाश काले मेघ से ढंक जाता है। तब मोर मग्न। होकर अपने पंखों को फैलाकर नाचने लगता है । तब यह बहुत सुंदर दिखता है । मोर के पंख से अनेक प्रकार की सजावट की वस्तुएँ बनती हैं। भगवान कृष्ण अपने मुकुट में मोर का पंख लगाया करते थे। बच्चे इसके पंख को अपनी पुस्तकों में संभाल कर रखते हैं।

आजकल मोर चिड़ियाघरों में देखे जाते हैं । मोर भारत का ‘राष्ट्रीय पक्षी’ है।

( Essay-3 ) राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध- National Bird Peacock Hindi Essay ( 200 words )

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह बहुत ठंडे प्रदेशों को छोड़कर प्रायः सारे भारत में पाया जाता है। इसका रंग बहुत सुन्दर होता है इसका कंठ नीला होता है तथा इसके सिर पर एक कंलगी होती है। इसके पंख लम्बे, नीले और सुनहरे रंग के होते हैं और उन पर छोटे-छोटे चकते होते हैं। मोर की सुन्दरता को देखकर ही कवि रवीन्द्रनाथ ने कहा था – हे मोर ! तू इस मृत्युलोक को स्वर्ग के समान बनाने के लिए ही यहाँ आया है।

मोर का नृत्य बहुत ही मोहक होता है। जब वर्षा-काल में आकाश में बादल छा जाते हैं। तो उन्हें देखकर यह मस्त होकर नाचने लगता है, किन्तु जब नाचते हुए इसकी दृष्टि अपने पैरों पर पड़ती है तो इसका नृत्य समाप्त हो जाता है क्योंकि इसके पाँव बहुत ही असुन्दर होते हैं।

मोर के पंखों से पंखे बनती हैं। श्रीकृष्ण भी अपने मुकुट पर मोर पंख लगाते थे। शरद में इसके पंख गिर जाते हैं, जब लोग उन्हें एकत्रित कर लेते हैं। पुनः बसन्त आने पर उसके पंख निकल आते हैं। मोर साँपों का शत्रु है। जहाँ मोर होता है वहाँ साँप नहीं होते। वस्तुतः मोर सुन्दर और उपयोगी पक्षी है।

10 Lines Peacock Hindi Essay | Hindi Essay on Peacock

Peacock Essay in Hindi

( Essay-4 ) राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध | Hindi Essay About Peacock ( 300 words )

पक्षियों में मोर सबसे सुन्दर पक्षी है। यह हमारे देश भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यही कारण है। कि मोर को पकड़ना, इसका शिकार करना अपराध माना जाता है। बरसात के दिनों में आकाश में छाए काले बादलों को देखकर जब मोर नाचता है तो सबका मन मोह लेता है।

मोर का कद अधिक ऊँचा नहीं होता। मोरनी की अपेक्षा मोर की लम्बाई अधिक होती है। इसके पंख बहुत ही सुन्दर रंग के होते हैं। इसके पंखों में सूर्य की किरणों जैसा पीलापन पाया जाता है। मोर की गर्दन अधिक लम्बी नहीं होती। यह पंखों से ढकी रहती है। मोर तथा मोरनी दोनों के सिरों पर रंग-बिरंगी चमकीली कलगी होती हैं। इसकी चोंच लम्बी तथा नुकीली होती है। मोर का सारा शरीर सुन्दर है, परन्तु इसकी टाँगें थोड़ी भद्दी होती हैं। कहते हैं मोर अपनी टाँगों को देखकर रोता है। मोरनी के पंख मोर जैसे नहीं होते।

नाचते हुए मोर का दृश्य बड़ा ही मन मोहक होता है। जब मोर नाचता है तो यह अपने पंखों को अर्ध गोलाकार रूप में फैला लेता है। नाचते हुए मोर के चारों ओर मोरनी चक्कर लगाती रहती है। उसके विषय में कहा गया है-जंगल में मोर नाचा किसने देखा?

मोर अधिक ऊँचाई तक तथा अधिक दूरी तक नहीं उड़ सकता। यह हरे-भरे जंगलों तथा हरे-भरे खेतों के आस-पास ही रहता है तथा रात पेड़ पर बिताता है। यह कीड़े-मकौड़े तथा अनाज के दाने खाता है। मोर साँप को भी मार देता है। मोर की आवाज सुनते ही साँप बिलों में छिप जाते हैं। कुछ आयुर्वैदिक दवाइयाँ बनाने में मोर के पंख का प्रयोग किया जाता है। भगवान कृष्ण मोर के पंख को अपने मुकुट में धारण करते थे। इसलिए मोर पंख बहुत पवित्र माना जाता है। प्राचीन काल में मोर के पंख का उपयोग कलम के रूप में भी होता था। मोर के पंखों से पंखे भी बनाए जाते हैं।

मोरनी की चाल बड़ी सुन्दर होती है। इसलिए कवियों ने सुन्दर युवतियों की चाल की उपमा मोरनी की चाल से दी है। हिन्दी तथा संस्कृत के कवियों ने अपनी कविताओं में मोर का काफी उपयोग किया है। कालिदास ने इसे स्वर्ग का पक्षी कहा है। इसकी रक्षा करना हमारा धर्म तथा परम कर्त्तव्य है।

( Essay-5 ) National Bird Peacock Essay in Hindi | भारत का राष्ट्रीय पक्षी-मोर ( 400 Words )

भारत की सरकार ने मोर को अपने देश के राष्ट्रीय-पक्षी के चुना है। यह बहुत ही सुन्दर पक्षी है। इसे हम सब बहुत पसन्द करते रू में हैं। इसे ‘पक्षियों का राजा’ कहा जाना भी गलत नहीं होगा।

मोर लम्बी गर्दन वाला पक्षी है। इसकी दो छोटी-छोटी आँखें तथा दो भद्दे पैर होते हैं। इसका कंठ नीला होता है। मोर के सिर पर एक सुन्दर कलगी होती है जिसे ‘मोर छत्र’ भी कहा जाता है। इसके लम्बे और सुन्दर दो पंख होते हैं। ये हरे, नीले तथा सुनहरे रंग के होते हैं। मोर के पंखों पर छोटे-छोटे चकत्ते होते हैं। इनसे मोर की सुन्दरता बहुत बढ़ जाती है। मोर का शरीर भारी होता है इसलिए वह दूसरे पक्षियों की तरह आकाश में ऊँचा नहीं उड़ सकता है। वह केवल नीची और छोटी उड़ान भरता है।

मोर साँपों को मारकर बड़े चाव से खाता है। कहा जाता है कि साँप मोर का शत्रु है। इसलिए जहाँ मोर होते हैं वहाँ साँप नहीं होते हैं। मोर दाना, कीड़े-मकोड़े आदि भी खाता है। मोर लाल मिर्च खाने का भी बहुत शौकीन होता है।

मयूर का नृत्य

मोर एक नृत्य करने वाला पक्षी है। इसका नृत्य बहुत मनमोहक होता है। इसके नृत्य करने का एक विशेष समय होता है। जब आकाश में काली घटाएँ छाती हैं तो मोर बहुत खुश होता है। उस खुशी में पंख फैलाकर वह नृत्य करने लगता है। कहा जाता है कि जब खुशी में नाचते हुए मोर की नजर उसके अपने पैरों पर पड़ जाती है तो वह बहुत उदास हो जाता है। फिर वह नाचना बन्द कर देता है। हम मोर को प्रायः वर्षा ऋतु में जंगलों या खेतों में नाचते हुए देख सकते हैं। मोरनी के पंख नहीं होते हैं अतः वह नृत्य नहीं कर सकती है।

मोर की अन्य विशेषताएँ

मोर के पंखों के पंखे भी बनाए जाते हैं। ये प्रायः मुकुट रूप में सजाए जाते हैं। श्रीकृष्ण जी भी अपने मुकुट पर मोर पंख लगाते थे। शरद् ऋतु आने पर इसके पंख गिर जाते हैं। तभी लोग उन्हें एकत्रित कर पाते हैं। मोर प्रायः पेड़ों पर रहते हैं। मोर की आवाज बहुत मधुर होती है। वह जब बोलता है तो बहुत अच्छा लगता है। मोर हानिरहित पक्षी होता है। यह पक्षी कभी किसी को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाता है। इसमें सुनने की तीक्ष्ण/ विलक्षण शक्ति होती है। इसे स्त्री, पुरुष, बच्चे व बूढ़े सभी बहुत पसन्द करते हैं। इन सब विशेषताओं के कारण इसे ‘राष्ट्रीय पक्षी’ माना गया है।

( Essay-6 ) मोर पर निबंध | Long Essay on Peacock in Hindi ( 500 to 600 words )

पशु की भाँति पक्षी भी मनुष्य के लिए उपयोगी होते हैं। मनुष्य के साथ उनका भी उतना ही पुराना सम्बन्ध है जितना पशुओं के साथ । संसार में भाति-भाति के पक्षी पाए जाते हैं। मोर इन पक्षियों में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

साधारण परिचय

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह अन्य पक्षियों से बहुत निराला और अनोखा पक्षी है। यह सबसे मन मोहक और आकर्षक पक्षी है। हमारे देश में यह बहुतायता से पाया जाता है।

आकार-प्रकार

मोर का आकार-प्रकार साधारण पक्षियों से बड़ा होता है। इसकी पूँछ बहुत लम्बी होती है। इसकी पूँछ रंग-बिरंगे पंखों से भरी रहती है। पंखों के बीच में गोल-गोल आकृतियाँ होती हैं। जो चन्द्रमा के समान दिखाई पड़ती हैं। ये आकृतियाँ अनेक सुन्दर रंगों वाली होती हैं। पूँछ को छोड़कर मोर के शरीर की लम्बाई 40-50 इंच और ऊँचाई पैर से सिर तक तीन-साढ़े तीन फुट होती है। इसका सिर छोटा और गोलाकार होता है। सिर के ऊपर एक बहुत सुन्दर कलगी होती है। मोर की चोंच छोटी होती है। इसकी गर्दन लम्बी होती है। इसके पैरों में पाँच–पाँच उँगलियाँ होती हैं। इसकी हर उँगली में तेज और लम्बे नाखून होते हैं। मोर के पैर भद्दे होते हैं। इसके शरीर का रंग हल्के हरे रंग का होता है जो रोओं से ढंका रहता है। मोर के शरीर पर काले धब्बे होते हैं। मोर अपनी पूँछ के लम्बे पंखों को फैलाकर नाचता है।

प्राप्ति स्थान

मोर भारत और श्रीलंका में विशेष रूप से पाए जाते हैं। ये जंगलों में रहना अधिक पसंद करते हैं। नदियों के किनारे के जंगलों में ये अधिक पाए जाते हैं। जलाशयों के पास रहना इन्हें अधिक पसंद है। आजकल जंगलों के अभाव में बागों और खेतों में भी रहने लगे हैं। मोर प्रायः जन संकुल अंचल में रहना पसंद नहीं करते हैं।

स्वभाव एवं खाद्य पदार्थ

मोर मुख्य रूप से जंगली पक्षी है। बहुत कोशिश करने पर यह पालतू भी बन जाता है। यह बहुत शांत और सरल स्वभाव का पक्षी है। इसके उड़ने वाले पंख बहुत कमजोर होते हैं। बहुत आवश्यकता पड़ने पर यह थोड़ी दूर तक उड़ भी लेता है किन्तु अधिक दूर तक नहीं। यह बहुत ऊँचाई तक नहीं उड़ सकता है। रात में यह पेड़ों पर रहता है। वर्षाकाल में यह बहुत प्रसन्न रहता है। वर्षा होने या बादलों को गरजने पर यह प्रसन्न हो जाता है। इस समय यह मोरनी के आस-पास अपने पंख फैलाकर नाचने लगता है। इसका नृत्य बहुत मन मोहक और आकर्षक होता है। मोर झुण्ड में रहना पसंद करता है। प्रायः आदमियों को देख यह डर कर भाग जाता है। गर्मी में इसके पंख झड़ जाते हैं और ठंडक की शुरुआत में नए पंख आने लगते हैं। मोरनी एक बार में दो से दस अण्डे देती है वह अण्डों को बहुत सावधानी से सेती है। मोर-मोरनी से सुन्दर और आकर्षक होता है।

मोर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों है। आवश्यकतानुसार वह दोनों प्रकार के आहार ग्रहण करता है। मोर साँप का शत्रु है। यह साँप को मारकर खा जाता है। साँप मोर से बहुत डरते हैं। साधारणत: मोर कीड़े-मकोड़े, हरी सब्जियाँ, अनाज के दाने आदि खाता है।

मोर मनुष्य के लिए मनोरंजन के साधन हैं। बहुत से लोग इसकी सुन्दरता के कारण पालते हैं। पालतू मोर बगीचों, मैदानों आदि में आराम से रहते हैं। साँप जैसे विषैले कीड़ों को खाकर यह मानव जाति की रक्षा करता है। मोर का नाच देखकर लोग मनोरंजन करते हैं। मोर के पंख से अनेक उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। नृत्य, नाटक आदि में मोर के पंखों का मुकुट बनाकर पहनते हैं। श्रीकृष्ण मोर का मुकुट धारण करते थे। इसके पंख से सुन्दर पंखे बनाए जाते हैं। इससे झाड़न भी बनाया जाता है।

मोर की इन्हीं विशेषताओं के कारण भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय पक्षी स्वीकार किया। इसकी लोकप्रियता का रहस्य यह है कि यह संसार के सभी चिड़िया खानों में रखा गया है। मोर का पौराणिक महत्व भी है। हिन्दू मोर को श्रद्धा की दृष्टि देखते हैं। उनके देवता कार्तिकेय मोर पर सवारी करते हैं। श्रीकृष्ण मोर मुकुट धारण करते हैं। इन उदाहरणों से मोर की पवित्रता प्रमाणित होती है। मोर का इतना महत्व उसकी सुन्दरता, मनमोहक रूप के कारण ही है।

FAQs- about Peacock | Mor

Q-मोरनी अंडे कहां देती है? उत्तर- मोरनी अंडे जमीन पर या फिर झाड़ियों के अंदर देती है।

Q-भारत में मोर कहां कहां पाए जाते हैं? उत्तर-ब्रजभूमि, तथा राजस्थान और चित्रकूट के आस पास पाए जाते हैं।

Q-मोर का प्रिय आहार क्या है? उत्तर-मोर का प्रिय आहार मेंढक और सांप है।

Q-मोर को झील या नदी के पास क्यों रहना पसंद होता है? उत्तर-ऐसा इसलिए क्योंकि मोर को प्यार और गर्मी बहुत जल्दी लगती हैl इसलिए वह नदी के पास रहना पसंद करते हैं।

Q- मोर अपनी खुशी कैसे प्रकट करता है? उत्तर- मोर अपनी खुशी नाच कर बयां करता है।

Q-मोर और मोरनी के रंग रूप में क्या अंतर होता है? उत्तर -मोर और मोरनी में बहुत अंतर होता है l मोर के सिर पर एक लंबी कलंगी होती है और इसकी गर्दन चमकीली और गहरे नीले रंग की होती है और इसके पंख लंबे और नीले रंग के होते हैंl लेकिन मोरनी के पंख भूरे रंग के होते हैं और इनका रंग मोर की तरह चमकीला और आकर्षक नहीं होता है।

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इस लेख के माध्यम से हमने Mor Par Nibandh | Peacock Essay in Hindi  का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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Hindi Yatra

Essay on Peacock in Hindi – भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध

दोस्तो आज हमने Essay on Peacock in Hindi लिखा है मोर पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. Peacock Essay in Hindi की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते है. इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि मोर कितना महत्वपूर्ण और पक्षी है इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी है और यह हमारे देश का राष्ट्रीय कब और क्यों बना.

Essay on Peacock in Hindi for Class 2

मोर भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी है यह पक्षियों में सबसे सुंदर है. मोर का आकार सभी पक्षियों में सबसे बड़ा होता है. मोर आमतौर पर पीपल बरगद और नीम के पेड़ पर पाया जाता है मोर को ऊंची जगह पर बैठना बहुत पसंद है. मोर के इतना सुंदर होने के पीछे उसका कई रंगों से सुसज्जित होना है.

Essay on Peacock in Hindi

Get Some Essay on Peacock in Hindi for Student – 150, 250, 400 or 1000 words.

मोर का मुंह है और गला बैंगनी रंग का होता है इसके पंखों का रंग हरा होता है जिसमें चांद जैसी बैंगनी, आसमानी, हरे, पीला, रंगों से बनी आकृति होती है.

मोर के पंख इतने कोमल होते हैं कि जैसे कि कोई मखमल का वस्त्र हो. मोर की गर्दन पतली और सुराहीदार जैसी होती है . मौत के पैरों का रंग मटमैला सफेद होता है. मोर की आंखें और मोहे छोटा होता है.

Peacock के बढ़ते शिकार के कारण भारत सरकार ने वन्य-जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत पूर्ण संरक्षण दिया है जिसके बाद मोरों की शिकार में कमी आई है.

Essay on National Bird Peacock in Hindi

मोर बहुत ही शांत और शर्मिला किस्म का पक्षी होता है. मोर हमेशा तीन -चार मोरों के साथ रहता है . मोर सामान्यतः पूरे भारत देश में पाया जाता है लेकिन इस की प्रजाति ज्यादा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में फैली हुई है. मोर हमेशा इंसानों से दूर ही रहना पसंद करता है यह अक्सर बड़े पेड़ों की ऊंची डाल पर या फिर जंगलों में पाया जाता है.

मोर की आवाज बहुत तेज होती है जिसको 2 किलोमीटर दूर से ही सुना जा सकता है लेकिन इसकी आवाज कर्कस भरी होती है. मोर के शरीर का रंग चटक नीले और बैंगनी कलर का होता है.

यह पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी होता है इसके पंख बहुत बड़े होते हैं जिसके कारण यह ज्यादा दूरी तक उड़ने ही पाता है और यह है ज्यादातर चलना ही पसंद करता है.

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इसके पंख खोखले होते है साथ ही पंखों पर पेड़ों के पत्तों की तरह छोटी-छोटी पंखुड़ियां होती है, पंखों के अंत में चटक रंगों की चांद जैसी आकृति बनी होती है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगती है. Peacock प्राकृतिक आपदा आने से पहले ही जोर-जोर से आवाज करके उसके बारे में अवगत करा देता है.

मोर बारिश के मौसम में बहुत खुश होता है और इतनी खुशी के कारण वह अपने पंख फैलाकर धीरे-धीरे गोल-गोल घूम कर नाचता है. मोर के नाचते समय के पंखों की आकृति आधे चांद के जैसी होती है. मोर इतना सुंदर पक्षी होता है कि इसको देख कर कोई भी मोहित हो सकता है.

Essay on Peacock in Hindi for Class 3, 4,5,6,7,8

मोर कई चटकीले रंगों से सुसज्जित एक सुंदर पक्षी होता है. मोर ज्यादातर सभी देश और विदेशों में पाया जाता है लेकिन सबसे सुंदर प्रजाति इसकी भारत देश में ही पाई जाती है. मोर का जीवनकाल 15 से 25 वर्ष की अवधि का होता है . मोर राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुतायत में पाया जाता है. मोर भोजन में अनाज, सब्जियां और कीट-पतंगों को खाता है इसके साथ-साथ समय आने पर वह जहरीले सांप को भी मार कर खा सकता है.

मोर के कानों की सुनने की क्षमता बहुत अधिक होती है एक छोटी सी भी आहट हो बहुत दूरी से सुन सकता है. मोर आम पक्षियों की तरह इंसानों के साथ घुलता मिलता नहीं है वह शर्मीले स्वभाव का होता है जिसके कारण वह ज्यादातर पेड़ों और जंगलों में ही पाया जाता है.

मोर पुल्लिंग होता है जबकि मोरनी स्त्रीलिंग होती है. मोर का शरीर नीली और बैंगनी रंग से सजा हुआ होता है , जब की मोरनी इतनी सुंदर नहीं होती है उसके बड़े-बड़े पंख भी नहीं होते हैं साथ ही वह भूरे और मटमैले सफेद रंग की होती है.

मोर बारिश के दिनों में बारिश आने से पहले ही जोर जोर से आवाज करके उसका संकेत दे देता है और साथ ही जब बारिश का मौसम आता है तो मोर अपने पंख फैलाकर ऐसे नाचता है कि मानो वह बारिश का स्वागत कर रहा हो.

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मोर का नृत्य धीमी गति का होता है वह एक ही जगह पर पंख फैलाकर धीरे-धीरे घूमकर अपना नृत्य दिखाता है.

Peacock के सिर पर चांद जैसी आकृति में छोटी-छोटी पंखुड़ियां बनी हुई होती हैं लोगों के अनुसार यह उसका ताज है इसीलिए पक्षियों में इसे राजा कहा जाता है. मोर का वजन भारी होने के कारण यह है ज्यादा ऊंचाई तक और ज्यादा देर तक उड़ नहीं पाता है इसलिए यह ज्यादातर चलना ही पसंद करता है.

मोर बहुत अधिक सुंदर पक्षी है इसलिए इसके पंखों का इस्तेमाल सजावट के लिए भी किया जाता है और साथ ही इसके पंखों से कुछ दवाइयां भी बनाई जाती हैं इसलिए इसका शिकार बहुत अधिक बढ़ गया है इसलिए बार सरकार ने मोर को संरक्षण देते हुए वन्य अधिनियम 1972 के तहत इसके शिकार को गैरकानूनी करार कर दिया गया और शिकार करने पर सजा का प्रावधान भी है.

इस कानून के बनने के बाद मोर की शिकार में कुछ हद तक कमी आई है लेकिन लोग आप भी इसका शिकार कर रहे है.

Essay on Peacock Information in Hindi

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी 26 जनवरी 1963 में घोषित किया गया था क्योंकि मोर भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है और यह देखने में भी बहुत सुंदर है साथ ही इसकी भारतीय परंपराओं और संस्कृति में इसकी झलक दिखाई देती है. मोर देखने में इतना सुंदर है कि कोई भी इसको एक बार देख ले तो इसकी सुंदरता पर मोहित हो जाता है.

मोर की अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन सबसे सुंदर प्रजाति भारत में ही पाई जाती है. मोर पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है और साथ ही यह वजन में भी सबसे भारी है. मोर का मुंह छोटा होता है लेकिन शरीर बहुत बड़ा होता है. मोर की गर्दन सुराही की तरह पतली और लंबी होती है.

मोर ज्यादातर शुष्क क्षेत्रों में ही रहना पसंद करता है इसलिए यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में बहुतायत में पाया जाता है. मोर मौसम और वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल सकता है इसीलिए बर्फीले और पहाड़ी क्षेत्रों में भी बड़ी ही सहजता से अपना जीवन यापन करता है.

Peacock का वजन 5 से 10 किलो का होता है. यह सुंदर होने के साथ-साथ चतुर, सतर्क और शर्मीले स्वभाव का होता है यह ज्यादातर अकेले रहना ही पसंद करता है यह हमेशा इंसानों से एक निश्चित दूरी बनाए रखता है. उसके पैरों का रंग मटमैले सफेद रंग का होता है और इसके पंजे तीखे और नुकीले होते है.

इसके शरीर का रंग नीले और बैंगनी रंग से मिलकर बना होता है जो की बहुत ही चमकीला होता है. गर्दन के इस नीले रंग के कारण मोर को नीलकंठ भी कहा जाता है. इसकी आंखें छोटी और काले रंग की होती है. इसके सिर पर छोटे-छोटे पंखों का आधे चांद के आकार का ताज बना होता है

इसीलिए इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है . मोर ज्यादातर हरियाली वाले क्षेत्र और खेतों में ही पाया जाता है और यह पानी के निश्चित स्त्रोत के पास अक्सर नजर आता है इसलिए यह भारतीय गांव में ज्यादा देखा जाता है. मोर किसानों का अच्छा दोस्त भी होता है क्योंकि यह फसलों में लगने वाले कीट-पतंगों को खा जाता है.

मोर का जीवनकाल 15 से 25 वर्ष का होता है इसके पंखों की लंबाई करीब 1 मीटर से भी ज्यादा होती है. मोर के लगभग 200 पंख होते हैं जिनके अंत में चांद के आकार की आकृति बनी हुई होती है जिसमें सतरंगी रंग भरे हुए होते है. इसके पंख खोखले होते हैं जिनको पुराने जमाने में स्याही में डुबोकर लिखने के काम में भी लिया जाता था. इसके पंख कितने कोमल होते हैं जैसे कि कोई मखमल का कपड़ा हो.

यह सामान्यत: ऊंचे पेड़ों की शाखाओं पर जैसे पीपल, बरगद, नीम पर ही बैठते है यह समूह में रहने वाला पक्षी है. मोर का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि मोर के पंख को भगवान श्री कृष्ण ने अपने सिर पर धारण किया हुआ है और मोर भगवान शिव के बेटे कार्तिक का वाहन भी है.

मुगल सम्राट शाहजहां ने मोर की सुंदरता से प्रभावित होकर मोर के पंखों की तरह ही सिहासन बनाने का आदेश दिया था यह सिहासन बनने में कुल 6 साल लगे इसमें देश और विदेश से लाकर बहुमूल्य रतन जड़े गए थे. सिहासन को तख्त ए ताऊस नाम दिया गया.

इसके हर साल नए पंख आते हैं और पुराने पंख झड़ जाते हैं उसके पंखों का उपयोग सजावटी गुलदस्तों, गर्मियों में हवा खाने के लिए हाथ पंखे बनाए जाते है और आजकल तो इसका उपयोग तरह-तरह की मॉडर्न डिज़ाइनों में भी उपयोग किया जाता है इसके साथ ही इसके पंखों से कुछ जड़ी बूटियां भी बनाई जाती है जिसके कारण इनके पंखों की बाजार में मांग रहती है.

इसीलिए लोग इनका शिकार करने लगे और धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने लगी तब भारत सरकार ने मोर को संरक्षण देते हुए वन्य अधिनियम 1972 के तहत इसके शिकार पर रोक लगा दी अब अगर कोई शिकार करता है तो उसको जुर्माने के साथ कठोर कारावास की सजा होती है. लेकिन आज भी इस पक्षी का शिकार किया जाता है इस पर सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

मोर नर होता है जबकि मोरनी मादा होती है मोरनी दिखने में इतनी सुंदर नहीं होती है उसके बड़े-बड़े पंख भी नहीं होते हैं मोरनी के पंख छोटे होते हैं और उनका रंग भूरा घुसर होता है. यह शरीर में भी मोर से छोटी होती है. मोरनी के गर्दन का थोड़ा सा हिस्सा हरे रंग का पाया जाता है. मोरनी हर साल दो बार 4 से 5 अंडे देती है जिनमें से एक या दो ही सही सलामत रह पाते है.

भारत में जब मानसून आता है तो मोर बहुत खुश होता है और वह खुश होकर अपने पंखों को फैलाकर धीमी गति से नाचता है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगता है साथ ही जल्दी से मादा मोरनी को खुश करना होता है तो यह उसके सामने पंख फैलाकर नाचता है यह नृत्य करते समय नाचने में इतना मगन हो जाता है कि उसे आसपास क्या हो रहा है इसका पता नहीं रहता है और शिकारी इसी का फायदा उठाकर मोर को पकड़ लेते है.

मोर पक्षी इतना सतर्क होता है जी जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उसका उसे पहले ही पता चल जाता है और वह तेज आवाज में आवाज करके सभी पक्षियों और लोगों को इस बारे में सूचित कर देता है आपने देखा होगा भी कई बार भूकंप आने से पहले और तेज आवाज में बोलने लग जाता है.

मोर पक्षी चतुर भी होता है वह रात को या फिर उसे जब भी खतरा महसूस होने पर वह पेड़ों की ऊंची शाखाओं पर जाकर बैठ जाता है जिसे शिकारी उसका शिकार नहीं कर पाते है.

मोर पर कवियों द्वारा कविताओं के माध्यम से इसकी सुंदरता का जिक्र किया गया है और साथ ही भारत की पुरानी संस्कृति में इसकी झलक दिखाई देती है

मोर हमारे भारत देश की आन-बान और शान है कृपया इसका शिकार होने से बचाएं क्योंकि दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या कम होती जा रही है इसलिए लोगों को मोर के महत्व के बारे में आप लोग अवगत कराएं.

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24 thoughts on “Essay on Peacock in Hindi – भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध”

it was helpful me for a project thank you so much mam or sir and mam gave me full marks in my activities

Thank you Pratheeka K for appreciation.

It is awesome it help my exam to score better the result is 50/50

Congratulations Annantika, Thank you for appreciation.

आपने बहुत अच्छा निबंध लिखा है मुझे बहुत मदद मिली है आपका धन्यवाद

Thank you rohit for appreciation

It helped with my class project grade 6. Thx so much 😁😁

Welcome Prisha goon and thank you for appreciation.

Your writing skills are amazing it is unbale to express in words

Thank you Vedant for appreciation

मेरे,बचेका,निबंद,पुरा,होगया,नमसते

Santosh Biradar ji आप को निबंध अच्छा लगा हमें खुशी हुई, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे धन्यवाद.

It’s amazing I love the way you have written

Thank you Sweta for appreciation.

Please write hindi eassy on all common animals for grade 3 – 4 TIA

Dear Afshan, We have written essays on some animals, links are given below, you can see them and soon we will write essays on other animals as well.

Diasha Datta It helped in my project Grade – 6th It was a project of 10 marks . I was the only one to get 10 on 10 , just for you. Thankyou 😍 🤗 very much . I love your nibandhs .

Thank you Diasha Datta for appreciation.

yeh meri class 7 ki exam mey bohut help karena.Thanks😊.Aur jitni jaldi ho “varsa ritu” par nibandh post karna…..😊😊

Welcome Debraj, hame khushi hai ki aap ko peacock par nibandh pasand aaya or hamne varsa ritu par nibandh likha hua hai aap es link वर्षा ऋतु पर निबंध par click kar ke padh sakte hai

Bahut bahut dhanyavad mere bacche 3th class ka project complet ho gya..

Rupesh kumar vishwakarma aap ko nibandh pasand aaya ye hame bhut khushi hui, aise hi hindiyatra par aate rahe, dhanyavad.

It helped in my project 8th std

Thank you Aniketan for appreciation, keep visiting hindi yatra

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यदि मैं पक्षी होता पर निबंध if i was a bird essay in hindi.

Many people on internet is searching for “यदि मैं पक्षी होता पर निबंध” or “If I Was A Bird Essay in Hindi”. So today we gave information on topic “If I Was A Bird Essay in Hindi”. Read If I Was A Bird Essay in Hindi.

If I Was A Bird Essay in Hindi

If I Was A Bird Essay in Hindi 800 Words

शैशव के सुकुमार क्षणों में किसी को गाते हुए सुना था – “मै वन का पक्षी बनकर, वनवन डोलँ रे। तभी से मन-मस्तिष्क में अनजाने ही यह इच्छा उत्पन्न हो गई थी कि – काश! मैं भी पक्षी बन कर पैदा हुआ होता, तो कितना मज़ा आता। जब जी चाहता, पंख फैला कर आकाश में ऊँचे उड़ जाता। जब जी चाहता, लौट कर फिर वापिस वृक्ष की डाली पर आ बैठता। इच्छा होने पर चोंच ऊपर उठा कर अपने मधर स्वर से चहचहाने-गाने लगता। किसी भी पेड के घने पत्तों में बैठ कर सुख से गाता-मुस्कराता रहता। किसी नदी, सरोवर या झरने के स्वच्छ पानी में चोंच डुबो कर पानी पीता और फिर पँख फड़फड़ा कर चहक-लहक उठता। किसी भी बाग-बागीचे में पहुँच, वहाँ उगे रस भरे मीठे फल अपनी चोंच मार-मार कर फोड़ डालता और माली या किसी के भी आने की आहट पाकर फुर्र से उड़ जाता। तब मुझे भी इस स्वतंत्रता से सारा व्यवहार करते और उड़ते हुए देख कर कोई अन्य वही गीत गा उठता जो मैंने सुना था – “मै वन का पक्षी बन कर, वन-वन डोलूँ रे !

किन्तु कहाँ पूर्ण हो पाती हैं सब की सभी तरह की इच्छाएँ। नहीं हो पाती न। सो मेरी भी वह इच्छा आज तक पूरी नहीं हो पाई अर्थात् मैं आज तक तो पक्षी बन कर आकाश में ऊँचा और स्वतंत्र उड़ पाया नहीं। कभी उड़ पाऊँगा; इस बात की कोई सम्भावना भी नहीं। फिर भी बचपन से उत्पन्न हुई वह इच्छा आज तक मरी नहीं कि काश, मैं पक्षी बना होता। मान लो, यदि मैं पक्षी बन ही गया होता या आज ही अभी पक्षी बन जाऊँ, तो क्या करूँगा वैसा बन कर? निश्चय ही वह सब तो करूँगा ही कि जिस की कल्पना बचपन में की थी और ऊपर लिख भी आया हूँ; और भी बहुत कुछ करने की इच्छा रह-रह कर मन-मस्तिष्क में अंगड़ाइयाँ लेती रहा करती है।

यदि मैं पक्षी होता, तो सब से पहले किसी घने वन में कल-कल कर बहती नदी, या झर-झर झरते झरने के आस-पास उगे किसी सघन और रसदार फलों वाले वृक्ष पर अपना नन्हा-सा नीड़ (घोंसला) बनाता। वहाँ मेरे संग मेरी प्रिया एक विहगी (पक्षिणी) भी होती। हम दोनों उस वृक्ष पर लगे मधुर और रसदार फल खाकर अपना पेट भरते। नदी या झरने का ताज़ा निर्मल पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते। इस से हमारा स्वर और भी मधुर, सरस, तरल और सरल हो उठता। फिर हम दोनों स्वर-से-स्वर मिला कर स्वतंत्र जीवन की मधुरता और सुख-सौरभ से भरा ऐसा मोहक गीत गाते, जो सुनने वाले सभी का मन मोह लेता। सभी के मन मस्ती और सुख से भर उठते। परतंत्रों-पराधीनों के मन-मस्तिष्क में भी स्वाधीन-स्वतंत्र होने-रहने की इच्छा जाग उठती। सभी को जीवन जीने का सुख-संगीतमय सन्देश मिल पाता।

यदि मैं पक्षी होता, तो प्रति सूर्योदय के समय आस-पास की बस्तियों में पहुँच कर, अपने मधुर स्वरों से चहककर लोगों को नींद से जगाया करता कि उठो ! कर्म करने का सन्देश लेकर एक नया दिन आ गया है। इसलिए आलस्य त्याग कर अब जाग जाओ। सुबह की सभी क्रियाओं से निवृत्त होकर अपने-अपने कार्य-पथ पर निकल चलो और इसके साथ-साथ मैं स्वयं भी दाना-दुनका चुगने के लिए पंख पसार किसी दिशा में उड़ जाता। जाते हुए रास्ते में यदि मुझे कहीं कोई दीन-दुःखी और धूप से पीड़ित व्यक्ति दिखाई दे जाता, तो अपने नन्हें पँख पसार कर उसे छाया प्रदान करने की चेष्टा करता, ताकि उसे कुछ राहत मिल सके। यदि कहीं कोई भूख से व्याकुल व्यक्ति या जीव दीख जाता, तो वह सारा दाना दुनका मैं उसे अर्पित कर देता कि जो मैंने अपने घोंसले में ले जाने के लिए चोंच में दबाया होता। इस प्रकार दुःखी एवं पीड़ित प्राणियों की अपनी शक्ति के अनुसार सेवा-सहायता करके मैं अपना जीवन सफल बनाता।

यदि मैं पक्षी होता, तो धरती-आकाश की लम्बाई-ऊँचाई और गहराई नाप कर, वहाँ के प्रत्येक प्राणी और पदार्थ से अपना निकट का सम्बन्ध जोड़ कर, उनके परिचय और रहस्यों से परिचित होकर उन्हें बताता कि धरती पर निवास कर रहे, पेड़ों पर रहने वाले, सागर के वासी, नगर-ग्रामवासी या वनवासी सभी प्राणियों में एक ही आत्मा, एक ही चेतना काम कर रही है; इस कारण आत्म तत्त्व की दृष्टि से सभी एक ही हैं। अतः किसी को किसी से घृणा नहीं करनी चाहिए। किसी को भी अपने से अलग, छोटा-बड़ा या पराया नहीं मानना चाहिए किसी को किसी का अधिकार नहीं छीनना चाहिए। किसी को कष्ट देना या कष्ट का कारण नहीं बनना चाहिए।

इस प्रकार यदि मैं पक्षी होता, तो कविवर राजेश शर्मा की एक कविता की यह पंक्ति सभी के कानों में गुनगुना आता- विश्व का इतिहास मेरा दास है, प्रेयसि; मैं हूँ विहंगम प्यार का।

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यदि मैं पक्षी होता पर निबंध (If I Am A Bird Essay In Hindi)

यदि मैं पक्षी होता पर निबंध (If I Were A Bird Essay In Hindi)

आज हम यदि मैं पक्षी होता पर निबंध (Essay On If I Were A Bird In Hindi) लिखेंगे। यदि मैं पक्षी होता इस विषय पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

यदि मैं पक्षी होता विषय पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On If I Were A Bird In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

यदि मैं पक्षी होता पर निबंध (If I Were A Bird Essay In Hindi)

यदि मैं पक्षी होता तो अपने पंख फैलाकर खुले आसमान में उड़ता। पक्षी सभी प्राणियों में सबसे कोमल और भोले होते है। आसमान में चहचहाते हुए पक्षियों को देखकर मन खुश हो जाता है। ऐसा लगता है बस उनके जैसे पंख फैलाकर आसमान में उड़ जाऊं।

पक्षिओं का जीवन इतना सरल नहीं होता है। हर समय एक भय सताता है कि कोई उन्हें पकड़ ना ले और उन्हें पिंजरे में बंद ना कर दे। जब पक्षी छोटा होता है तब उसकी माँ उसे दाना देती है, लेकिन उसे धीरे धीरे उड़ना उसकी माँ सीखाती है। जब वह यह सारे कार्य करने में सक्षम हो जाता है तो उसे उसका जीवन स्वयं जीना पड़ता है।

सभी सुन्दर और प्यारे पक्षियों को देखकर सभी को ऐसा लगता है की काश मैं एक पक्षी होता और मेरी कोई सीमाएं ना होती। मैं चाहता हूँ कि पक्षी बनकर आसमान में मौजूद बादलो को छू सकूँ।

यदि मैं एक पंछी होता तो मैं गगन में उड़कर बादलो के बीच खेलता, ठंडी हवा का मज़ा लेता। हमे आये दिन यातायात के साधनो का उपयोग करना पड़ता है, यदि मैं पक्षी होता तो एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुँच जाता।

स्वतंत्रता का आनंद उठाता

यदि मैं पक्षी होता तो स्वतंत्र रूप से यहां से वहाँ उड़ता और झूम उठता। एक डाल से दूसरे डाल और एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक उड़कर पहुँच जाता। जैसा कि हम सब जानते है मनुष्य को चलकर जाने में बड़ा समय लगता है। यदि मैं पक्षी होता तो कुछ ही पलो में उड़कर चला जाता। मैं कहीं भी बैठता और प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाता। मैं बगीचों में वृक्षों, पौधों और फूलों के बीच खेलता।

आसमान के ऊपर उड़ने की चेष्टा करता

यदि मैं पक्षी होता तो मैं आकाश के ऊपर उड़ने की कोशिश करता, जहां वायुयान उड़ते हैं। मैं पायलट की ओर इशारा करते हुए अपने पंखो को लहराता। यदि मैं एक पक्षी होता तो मैं  बड़े आम, जामुन के पेड़ के ऊपर भी उड़ सकता। मैं अपने गाँव के पास की झील में गोता लगा सकता था और एक ठन्डे स्नान का लुफ्त उठाता।

पक्षी बनने का सपना

एक पक्षी बनने का मेरा सपना तब विकसित हुआ, जब मैंने पक्षियों को अपनी अपनी भाषा में एक दूसरे से बात करते देखा। मैं उनकी भाषा नहीं समझ पा रहा था लेकिन उनके प्यार भरी आवाज़ों को समझ रहा था।

पक्षी की मधुर आवाज़

प्रातःकाल में पक्षी की चहचहाट सभी के मन को प्रसन्न करती है। यदि मैं पक्षी होता तो पहाड़ो की चोटी पर बैठता और मधुर आवाज़ में गुनगुनाता। मेरी आवाज़ को सुनकर सब मेरी ओर खींचे चले आते। मैं अपनी मन मोहक धुनों से सभी को भाव विभोर कर देता।

पक्षी की उपमा

पक्षियों की सुंदरता का गवाह हर कोई है। यही कारण है कि उसे शास्त्रों में विभिन्न स्थानों पर सुंदरता का वर्णन करने के लिए उपमा दी जाती है। कोयल, मोर, चकोर इत्यादि कई पक्षियों का उपयोग काव्य रचना में किया जाता है। यदि मैं पक्षी होता तो कहीं ना कहीं मेरी भी उपमा दी जाती और इससे मुझे ख़ुशी महसूस होती।

मनुष्यो से मित्रता

यदि मैं पक्षी होता तो मैं मनुष्यो से दोस्ती करता। मैं फसलों की रक्षा करता और हानिकारक कीड़े मकोड़ो से बचाता।

पिंजरे में बंद ना होना

मेरा यह मानना है सबको अपनी आजादी पसंद है। यह देश भी लोकतान्त्रिक है। सबको स्वतंत्र रूप से रहने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। पक्षिओं के लिए भी ऐसा ही होना चाहिए।

पक्षियों को पिंजरे में बंद होना पसंद नहीं है। यदि मैं पक्षी होता तो पिंजरे में बंद होना कभी स्वीकार नहीं करता। सबको अपनी आज़ादी प्यारी है उसी तरह पक्षियों को भी अपनी आज़ादी प्यारी है। मनुष्यो को यह समझना चाहिए कि पक्षियों को साथ रखने के लिए उन्हें पिंजरे में बंद रखना ज़रूरी नहीं होता।

यदि मनुष्यो को कैद कर लिया जाए, तो उन्हें कैसा महसूस होगा। इसलिए पक्षियों को व्यापार का साधन बनाना गलत है। उनसे उनकी आज़ादी छीन लेने का हक़ किसी को भी नहीं है।

पक्षी के खिलौनों से खेलना

यदि मैं पक्षी होता तो मेरे आकार के बने हुए खिलौनों से बच्चे खेलते और बहुत प्रसन्न होते। बच्चो को पक्षियों से बड़ा स्नेह होता है। यदि मैं पक्षी होता तो वह अपने पोशाक में मेरे चित्र चाहते। यदि मैं पक्षी होता तो लोग घरो में मेरे आकृति की बनी मूर्तियों को रखते और उसे प्यार से सजाते।

देवी और देवताओं के वाहन

कुछ चुनिंदा पक्षी ईश्वर के वाहन होते है। भगवान् विष्णु के वाहन गरुड़ है। उल्लू देवी लक्ष्मी जी के वाहन और मोर कार्तिकेय भगवान् के वाहन है। यदि मैं पक्षी होता तो मेरी भी यही अभिलाषा होती कि मैं देवी देवताओं का वाहन बनकर सौभाग्य प्राप्त कर सकूँ। यदि मैं पक्षी होता तो देवताओ का वाहन बनने में मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती।

अगर मैं पक्षी होता तो बहुत ही बेहतरीन होता। मेरे सुन्दर और लोगो को मंत्रमुग्ध कर देने वाले पंख होते। मैं अगर मोर होता तो पंख फैलाकर नाच उठता। यदि मैं कोयल होता तो अपनी मधुर वाणी से सबके ज़िन्दगी में मीठा रस घोल देता।

यदि मैं पक्षी होता तो अत्याधिक उत्साहित हो जाता और सोचता कि मैं पहाड़ो की सैर करूँ या पेड़ो की। इंसान बनकर तो बादलो को छूना असंभव है। यदि मैं पक्षी होता तो बादलो के बीच से अपनी उड़ान भरता और पहाड़ो की चोटी पर उछल कूद करता।

वर्षा के बाद यदि इंद्रधनुष निकलता तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना होता, मैं बस इंद्रधनुष की खूबसूरती को पास से निहारता।

आज़ादी और बेरोक टोक ज़िन्दगी

यदि मैं पक्षी होता तो बेरोक टोक ज़िन्दगी जीता। अपने इच्छा के मुताबिक़ भोजन खोजता। हमे तो बाहर जाने के लिए बड़ो की इज़ाज़त लेनी पड़ती है। यदि मैं पक्षी होता तो जब चाहे घोसले से बाहर उड़ सकता।

मैं कहीं पर भी घूम सकता और घूमने के लिए मुझे टिकट की आवश्यकता नहीं पड़ती। यदि मैं पक्षी होता तो किसी भी देश में चला जाता और कोई भी सीमा मुझे रोक नहीं पाती। किसी भी देश में जाकर भ्रमण करता।

परिश्रम अवश्य करनी पड़ती

यदि मैं पक्षी होता तो मुझे फल और दाने इत्यादि खाने के लिए स्वयं परिश्रम करनी पड़ती। जब आराम करना होता तो मैं पेड़ो पर सो जाता।

प्रदूषण का संकट

यदि मैं पक्षी होता तो मुझे यह भय सताता की कहीं बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण हमारी प्रजातियां विलुप्त ना हो जाए। मनुष्य जिस तरीके से पेड़ो और वनो को काट रहा है, मुझे यह डर रहता कि हम पक्षी अब कहाँ रहेंगे और हमारा क्या होगा।

जिस प्रकार से पेड़ काटे जा रहे है, हम पक्षियों के रहने की जगह नहीं बची है। वृक्षों को काटने की वजह से पक्षियों को फल नहीं मिल पा रहे है। यदि मैं पक्षी होता तो मुझे भी प्रदूषण के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता।

प्राकृतिक आपदाओं के कारण बढ़ती मुश्किलें

प्राकृतिक आपदाएं जैसे जब सूखा पड़ता है, तो सिर्फ इंसानो को ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जब सूखा पड़ता है, तो पक्षियों को एक बूंद पानी के लिए दर- दर भटकना पड़ता है।

यदि मैं पक्षी होता तो मुझे भी इन तकलीफो को झेलना पड़ता। मनुष्य को पर्यावण को संतुलित रखने में अपना योगदान देना चाहिए, ताकि इस प्रकार की प्राकृतिक विपदाएं ना आये।

पक्षियों का पृथ्वी पर होना उतना ही आवश्यक है, जितना अन्य जीवो का होना। यदि मैं पक्षी होता तो अपने आपको भाग्यशाली समझता। यदि मैं पक्षी होता तो कोशिश करता कि मेरे मधुर गीतों से सबकी परेशानी दूर हो जाए। हवा में उड़ना और लम्बी उड़ान भरना मुझे बहुत पसंद है, इसलिए पक्षी बनकर मैं प्रसन्न रहता।

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तो यह था यदि मैं पक्षी होता पर निबंध, आशा करता हूं कि यदि मैं पक्षी होता  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On If I Were A Bird ) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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A Few Words About Nests

A photograph of two cardinals feeding their chicks in a nest.

By Margaret Renkl

Ms. Renkl is a contributing Opinion writer who covers flora, fauna, politics and culture in the American South.

Spring is proceeding apace in this yard, despite my worst fears. For 28 of the 29 years that my husband and I have lived in this house, the elderly widow next door mostly shared our commitment to a natural yard. And because her house backed up to a little patch of woods, too, between us we managed to create a miniature wildlife sanctuary. I could sit outside in springtime and hold very still while a tufted titmouse pulled hairs from my head and carried them to her nest in the yard next door.

After my neighbor’s death last year, a backhoe demolished the house and nearly all the old trees along with it. I worried about what would happen to the birds now that so many nesting sites were gone.

In most ways, it’s been a glorious spring anyway, despite the ceaseless hammering next door. The spring beauties and woodland violets are nearly bloomed out now, but already other flowers have taken their place. It will be this way till frost.

And yet, all spring, our yard has been bereft of nests. By mid-April we would normally have bluebirds in the nest box in the front yard , chickadees in at least one of the boxes in the side yards , and Carolina wrens in the pots hanging from the eaves out back (or, last year, in the bag where I keep my clothespin s). There’s almost always a robin nest in the cherry tree, a mockingbird nest in the holly beside the driveway, and a cardinal nest in one of the foundation plants.

One year a pair of cardinals nested in a shrub so close to the house it brushed our bedroom window. I left the curtains closed to keep from bothering the birds, but every now and then I would poke the lens of my camera through the crack where the curtains came together. In that way I watched the female sit patiently on her eggs through cold nights and spring rains. I was watching, too, when both babies took their first flight.

Most songbird nests are miracles of architecture and engineering. A mourning dove is a sloppy engineer, but nearly everybody else goes to great lengths to create the perfect nursery. Bluebirds weave pine straw into a shallow cup so perfect you would swear opposable thumbs were involved. Carolina wrens build elaborate domed nest s embellished with skeletonized leaves.

My favorite backyard nest-builder may be the tufted titmouse, who braves the wrath of all manner of mammals to pluck out their fur for nest-lining. Can you imagine a titmouse, weighing less than an ounce, daring to gather nest materials from the living bodies of raccoons, opossums, dogs, squirrels, groundhogs and essayists? And yet they do. For the sake of the young they hope to raise safely, they do.

This year there were no nests, at least no obvious ones. I saw a pair of house finches chasing a cowbird out of the yard once, which may mean there’s a house finch nest nearby, though I haven’t noticed it. And back in mid-February, a pair of bluebirds seemed to be making plans to move into the front-yard box but ultimately decided against it. I finally checked the box last week and found it inhabited by an ant colony. They were house ants, who pose no risk to baby birds, but perhaps bluebirds can’t tell the difference between native house ants and invasive fire ants, which are widespread in the South. Whatever the reason, no ant-occupied nest box in this yard has ever been chosen by house-hunting birds.

Fortunately, it’s easy to get ants to move their own nest. I opened the box, let the light in, and left them alone long enough to move their eggs to a new site. In this place where developers keep mowing down trees, and tree services keep ruthlessly pruning deadwood, cavity-nesters have little to work with. I figured the birds would be back within days.

So far, no luck, but I was happy that the Carolina chickadees were also nowhere to be found. Chickadees, who live here year-round, get a head start on nest building, but house wrens, who spend the winter much farther south, will destroy any chickadee nest they find in territory they’ve claimed for their own. And in recent years they have claimed this yard. To persuade the chickadees to nest somewhere else, I never cleaned last year’s wren nests out of the boxes.

I thought my plan was working. House wrens construct their nests from sticks, and all three of our chickadee boxes still had sticks poking out the bottom. Once, I did see a chickadee emerging from the nest box hanging in the rose arbor, but the sticks told me all was well. Chickadees in this yard have always built their nests out of moss.

Then, last week, I heard the unmistakable courtship song of a house wren. I can’t help rooting for the chickadees, it’s true, but I also can’t bear the thought of house wrens trying to raise their young in a dirty box colonized by ants or mites. It was time to remove the old nests.

The first box held only the sticks from last year’s nest. The second box held an old house wren nest and also a house ant nest. The third box, the one high in the rose arbor, held a mossy chickadee nest, carefully built on top of last year’s house wren nest. When I opened the box, the brooding female shot out the door. I peeked inside. A tiny bald nestling raised its head and gaped at me .

Installing a nest box comes with certain responsibilities. A natural cavity is part of a natural system, but a nest box is a human contrivance, one that sticks out like a sore thumb in a world of soft borders and dappled light. A human being who installs a nest box is obliged to make every effort to keep it safe. During nesting season, I check my boxes every few days to be sure they haven’t been taken over by wasps or mites, or to remove any dead chicks. It’s even possible to install a wren guard on certain styles of nest boxes, though ours are not among them. I might need to replace all my chickadee boxes next year, and move them to new places in the yard, too.

I have not heard the house wren singing since the day he arrived. He may have kept flying north. Even so, I won’t be checking the chickadee nest again. Right now it is somewhat camouflaged by leafy rose canes, and I don’t want curious wren eyes to follow me and my ladder right to where it is hidden. I won’t know how those baby birds are faring unless I see the remnants of a mossy nest caught in the rose thorns.

That uncertainty, the knowing of a very few things in the context of all the things I cannot know, is inevitably the way of things in this yard, and nearly everywhere else, too. Are my nest boxes compensating for the loss of natural tree cavities in a city in the grip of convulsive growth? Or are they merely luring defenseless birds to nest in dangerous places?

I don’t know the answer to this question, and I may never know it. All I know is that there are baby birds in my yard again at last. And, God help me, I will never cease rejoicing.

Margaret Renkl , a contributing Opinion writer, is the author of the books “ The Comfort of Crows: A Backyard Year, ” “ Graceland, at Last ” and “ Late Migrations .”

The Times is committed to publishing a diversity of letters to the editor. We’d like to hear what you think about this or any of our articles. Here are some tips . And here’s our email: [email protected] .

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Pulicat bird sanctuary

Facts for prelims (ffp).

Source: The New Indian Express

  Context: The Tamil Nadu government is considering denotifying a significant portion of the Pulicat bird sanctuary , potentially excluding Patta land in 13 revenue villages from the sanctuary area.

  • This move follows a process under the Wildlife (Protection) Act of 1972 , where people were invited to submit written claims for the land within a two-month period.
  • The denotification process involves settling claims of affected individuals before issuing a final notification under the Wildlife (Protection) Act.

About Pulicat Bird Sanctuary:  

Pulicat Lake Bird Sanctuary is a wildlife refuge in the Tirupati district of Andhra Pradesh and the Thiruvallur District of Tamil Nadu, India.

It’s a popular birding spot in South India and is known for its greater flamingos, White Ibis, Grey Pelicans, Grey Herons, Open Billed Storks, Egrets, Spot Billed Ducks, Reef Herons, Painted Storks, Spoon Bills, and Cormorants.

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