नारी सशक्तिकरण पर निबंध 100, 150, 200, 500 शब्दों में | Women Empowerment Essay in Hindi

बदलते हुए समय को देखते हुए संपूर्ण विश्व में नारी सशक्तिकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।आज के इस लेख के द्वारा हम आपको नारी सशक्तिकरण पर निबंध बताने जा रहे हैं। नारी सशक्तिकरण को महिला सशक्तिकरण के नाम से भी जानते हैं। समाज और देश की प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरुरी है। निचे हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में, 100, 150, 500 शब्दों में दिया है। उम्मीद है की यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध आपके काम आएगी।

नारी सशक्तिकरण निबंध (100 शब्द) 

नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ

सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर यह नारी सशक्तिकरण होता क्या है? नारी सशक्तिकरण का अर्थ है कि किसी भी नारी की क्षमता को उस स्तर तक ले जाना जहां पर वह अपने निर्णय स्वयं ले पाने में सक्षम हो सके।

नारी अपने जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर सोच समझ के सही ढंग से स्वयं निर्णय ले सके। हमारे समाज में नारी को भी पुरुष के समान सभी अधिकार प्राप्त हो। महिलायें दूसरों पर आश्रित रहने की जगह खुद आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। यही नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ है। 

सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो एक नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वयं के लिए सही गलत का निर्णय खुद ले पाए। यह नारी सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ होता है।

नारी सशक्तिकरण निबंध (150 शब्द)

महिलाओं का सशक्त बनना जरूरी

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले हमारे समाज में व्याप्त महिला विरोधी सोच को मारना बहुत जरूरी है समाज में व्याप्त बुराई जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी ऐसे बहुत से अपराध है, जिन पर सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है।

भारत के संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सभी महिलाओं को सशक्त बनाना एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभावशाली उपाय माना गया है क्योंकि इस तरह के प्रयास से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत महत्वपूर्ण वाक्य महिलाओं को जागृत करने के लिए कहा था कि ‘हमारे समाज में लोगों को जगाने के लिए सभी महिलाओं को जागना बहुत जरूरी है।’

एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब नारी के साथ पूरा समाज जागरूक और सशक्त होगा तो इससे राष्ट्र भी मजबूत होगा। माता के रूप में एक बच्चे की पहली गुरु नारी होती है। जॉर्ज हरबर्ट ने कहा कि “एक अच्छी मां 100 शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए मां का सम्मान होना बहुत जरूरी है।”

नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश में सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा लैंगिक असमानता माना गया है। इसमें सभी महिलाएं पुरुषवादी प्रभुत्व देश में जैसे पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिलाओं को एक समान बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए नारी सशक्तिकरण की हमारे देश में सख्त आवश्यकता है।

महिला विरोधी मान्यताएं और मानसिकताएं बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं, जो समाज के विकास में तो रुकावट बनती ही है, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। महिलाओं का यह हमेशा से जन्मसिद्ध अधिकार रहा है कि उनको भी पुरुषों के समान ही समाज में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण जरुरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।

महिलाओं को ना केवल घरेलू व पारिवारिक जिम्मेदारियों में ही निपुण होना चाहिए, बल्कि हर क्षेत्र में उनको जागरूकता के साथ सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। सभी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में देश में विदेश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी से भी अवगत होना जरूरी है।

एक महिला अपने परिवार में सभी चीजों के लिए बहुत जिम्मेदार मानी जाती है, क्योंकि हर समस्या का सामना वह बड़ी समझदारी से कर सकती है। महिलाओं की सशक्त होने की वजह से आज पूरा समाज अपने आप सशक्त हो सकता है।

 पिछले कुछ ही सालों से सभी लोगों को महिला सशक्तिकरण का बहुत फायदा मिल रहा है। महिला अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, नौकरी सभी की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है। इसके अलावा देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को लेकर वह अक्सर सचेत रहती हैं। सभी महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी रुचि का प्रदर्शन बहुत अच्छे से करती है और कई सालों के संघर्ष के बाद सभी नारी जाति को सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल पा रहा है।

नारी सशक्तिकरण निबंध – 500 words

हमारे देश में आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में तो नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है। वहां देवता भी निवास करते हैं। 

कोई भी समाज राज्य तब तक प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव हीन भावना का त्याग वह नहीं करेगा। इसलिए नारी का सम्मान बहुत जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी जरूरी है।

  नारी सशक्तिकरण का अर्थ

नारी सशक्तिकरण का सही शब्दों में यह अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके यह ही नारी सशक्तिकरण का सही और आसान अर्थ है। प्राचीन समय से ही महिलाओं को समाज और परिवार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था। पहले के समय में सभी स्त्रियां शिक्षित और समर्थ भी होती थी। वह राज्य के संचालन के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभा लेती थी।

भारत की संस्कृति में नारी का स्थान

 समय के साथ जैसे जैसे बदलाव आता गया वैसे वैसे नारी का पतन भी शुरू हो गया। भारत मे नारी की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। उसके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया। देश और समाज के प्रति जो उसके कर्तव्य पालन थे, उनसे भी महिला को वंचित कर दिया गया था। नारी सशक्त और असमर्थ हो चुकी थी

भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ नारी ने भी अपने स्वरूप को पहचाना और वह अपने पहले के गौरव और अपने अस्तित्व को पाने के लिए पूरी तरह बेचैन हो उठी नारी आज शिक्षा व्यवस्था विज्ञान सैनिक सेवा चिकित्सा कला राजनीति हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ हो चुकी है।

समय के साथ-साथ अब वर्तमान समय में नारी को सशक्त बनाने की पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय शासन में भी अब 33% का आरक्षण महिलाओं को मिल चुका है। महिलाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से अपने आप सशक्त होती रहेंगी।

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि यहां पर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली थी और यहां पुरुष प्रधान समाज भी था। परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों से और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। महिलाओं के साथ में अनेक तरह की हिंसा होती थी। यह सब वारदात भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी होते थे।

 प्राचीन समय से चलते आ रहे इस पुराने प्रचलन ने रीति रिवाज का रूप ले लिया। भारत में एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी के रूप में पूजने की परंपरा है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां महिलाओं को पूजने से ही देश के विकास की हर जरूरत को पूरा किया जाये। देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत जरूरी है। महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। तभी देश का विकास का सही आधार बनेगा।

महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार की भूमिका

भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से बहुत सी योजनाएं चल रही है…

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान योजना
  • महिला शक्ति केंद्र योजना
  • उज्जवला योजना
  • पंचायती राज्य योजना में महिलाओं का आरक्षण
  • महिला हेल्पलाइन योजना
  • सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन

भारत जिस तेज गति से प्रगतिशील देश की श्रेणी में रखा जा रहा है। उस तेजी से ही महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। आज की इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको “ नारी सशक्तिकरण पर निबंध ” छोटे से बड़े रूप में लिखना बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जरूर पसंद आएगा। अगर आपको इससे जुड़ी किसी भी जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़े रह सकते हैं।

  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध 
  • मेरा घर पर निबंध 10 लाइन

आपको यह नारी सशक्तिकरण निबन्ध कैसा लगा? हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध Essay on Modern Indian Women in Hindi

आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध Essay on Modern Indian Women in Hindi

इस लेख में आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध (Essay on Modern Indian Women in Hindi) दिया गया है। आज नारी शक्ति हर क्षेत्र में प्रगति कर रही है और उसमें भी भारतीय नारी काफी तीव्र गति से प्रगति कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रही हैं। आधुनिक नारी पर दिया गया यह निबंध बेहद सरल भाषा में है। 

Table of Content

प्राचीन काल से ही भारत भूमि पर स्त्रियों को देवी तुल्य माना गया गया है। प्राचीन काल की नारियाँ समाज तथा देश के महत्वपूर्ण कार्यों में भी अपना विशेष स्थान रखती थी। प्राचीन काल में तो नारियाँ, राज-महराजाओं की सभा में उपस्थित होकर विभिन्न प्रकार के विषयों पर बोलने का अधिकार रखतीं थी।

किंतु समय के साथ नारियों की स्थिति विचारणीय होती गयी और नारी केवल पुरुषों के लिए उनकी इक्षापूर्ती की वस्तु मात्र बनकर रह गयी। आजादी के बाद से भारत सरकार के साथ ज्योतिबा फुले, सावित्रि बाई फुले आदि समाज सेवकों के अथाह प्रयासों के कारण आज की नारी अपने आप को स्वतंत्र महसूस कर रही है। ( पढ़ें: भारत के कुछ महान समाज सुधारक )

भारतीय संविधान के द्वारा नारी तथा पुरुषों को प्रत्येक क्षेत्र में समान अधिकार प्रदान करने पर आज की नारी शिक्षित और जागरूक हैं। वर्तमान युग में आज की नारी का एक महत्वपूर्ण स्थान है, आज भी वह श्लोक सर्वविदित है। 

“यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु, तत्र रमन्ते देवताः” 

अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है देवता भी वहीँ प्रसन्न होकर निवास करते हैं। इसलिए भारत में नारियों को समाज और देश में सम्मान देने का रिवाज चलता आया है।

आज की भारतीय नारी पुरुषों के साथ हर एक क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहीं हैं। क्योंकि वह अपने अधिकारों के लिए लड़ना तथा आत्मनिर्भर बनना भलीभांति जानती है। 

आज की नारी अब रसोई तक सिमट कर नहीं रह गयी, वह अपने परिवार का ख्याल रखने के साथ ही बिज़नेस, नौकरी करती है और देश – विदेश में होने वाली अच्छी बुरी गतिविधियों के बारे में जानकारी भी रखती हैं।

वर्तमान समाज में नारी की भूमिका Role of Women in Current Society in Hindi

एक बार एक महिला ने एक संत से पूछा की कोई भी स्त्री अपनी होने वाली संतान को सुसंस्कारी और ज्ञान वान कैसे बना सकती है? 

तो संत ने कहा की “स्त्री स्वयं ज्ञानी और संस्कार वान होकर” और साथ ही यह भी कहा किसी भी स्त्री में ही वह शक्ति होती है, की वह समाज को सही दिशा दे सके लेकिन शुरुवात उसे स्वयं से तथा अपनी संतान से करनी होगी।

नारी को ही बच्चों का पथ प्रदर्शक और पहला गुरु माना गया है। नारी ही शिशु के संस्कार और शिक्षा के लिए उत्तरदायी है। जहाँ एक तरफ नारी अपने घर परिवार को एकता के सूत्र में बांधने की अहम भूमिका निभाती है तो वहीं दूसरी तरफ नारी बच्चों को एक आदर्श और अच्छा इंसान बनने की शिक्षा प्रदान करती है।

नारी में जो संवेदना और सहनशीलता होती है, वह किसी और में नहीं हो सकती है। यहाँ तक कि यह भी कह सकते हैं, की नारी की भूमिका के बिना हमारा समाज बिन आत्मा सा प्रतीत होगा।

नारी और नौकरी Women and Job

नारी के उत्थान के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं, जिनमें महिला सशक्तिकरण के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, जैसे नारी उत्थान के कार्यक्रमों ने प्रमुख भूमिका निभाई है। 

इन कार्यक्रमों के कारण आज हम देख सकते है, की भारतीय नारी कहाँ-कहाँ अपने शौर्य का प्रदर्शन कर रही है? अब नारी घर में सिर्फ चूल्हा-चौका नहीं करती, अपितु भारत के किसी भी क्षेत्र या विभाग में अपना फ़र्ज़ निभा सकने में सक्षम हो रही हैं।

भारत सरकार ने नारी को पुरुष के सदृश: लाने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है। नारियों को नौकरी में आरक्षण दिया, प्रत्येक विभाग में उनके पदों की संख्या बढ़ायी, ताकि नारी की स्थिति में परिवर्तन हो इसके परिणामस्वरूप हम देख सकते हैं, की आज की भारतीय नारी हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर ही सेवाएँ दे रहीं हैं।

इस दृश्य को देखकर बहुत से पुरानी रीति-नीतियों वाले वाले मनुष्यों की आंखे भी खुल गयी हैं और वे भी अपनी बच्चियों को पढ़ा लिखा कर एक अच्छे पद पर नौकरी करता देखना चाहते हैं। अमीर हो या गरीब सभी अपनी बच्चियों को बेहतर शिक्षा देने की इच्छा जता रहे हैं।

भारतीय समाज में नारी का स्थान Woman’s Place in Indian Society

प्राचीन काल में नारी पुरुष की पूरक मानी जाती थी और कोई भी धार्मिक कार्य नारी की अनुपस्थिति में असंभव होता था। क्योंकि नारी तथा पुरुषों को एक समान अधिकार प्राप्त थे।

हमारे धर्मग्रंथों में बहुत सी नारियां सर्वोच्च पद यानी ऋषिकाएं तथा महान विदुषीका के पद पर आसीन थीं, जिनमें मैत्रेयी, गार्गी, अनुसुइया आदि प्रमुख थीं, जिन्होंने अपने ज्ञान व कौशल से बड़े-बड़े पंडितो और विद्धवानो को भी परास्त कर दिया था।

किंतु समय बदलता गया और समय के साथ भारत पर तमाम आक्रान्ताओं और मुग़ल दुष्ट लुटेरों की गन्दी नज़र पड़ने लगी। परिणाम यह आया की उनके राक्षसी प्रवृत्ति के कारण भारत के लोग अपने धन तथा अपनी स्त्रियों को घर के अन्दर सुरक्षित रखने लगे।

मुगलों की गन्दी नज़रों से बचाने के लिए बाल विवाह , पर्दा प्रथा, सती प्रथा ने अंधेरों की बेड़ियों में जकड कर रख दिया और यह परंपरा का रूप लेता चला गया। ऐसी कुरीतियों के कारण ही नारियों की स्थिति अंधकारमय हो गयी थी।

किंतु आधुनिक काल में नारियों की स्थिति आशाजनक है, स्वतंत्रता संग्राम में नारियों की अभूतपूर्व भूमिका रही रानी लक्ष्मीबाई , झलकारी बाई आदि नारियों ने अपनी वीरता और त्याग का परिचय दिया। सरोजिनी नायडू , कस्तूरबा गाँधी , राजा राममोहन राय , स्वामी दयानन्द सरस्वती आदि ने नारियों की दशा सुधारने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जिससे आज की नारी को समाज तथा देश के प्रत्येक विषय में बोलने के पूर्ण अधिकार है, अब वे केवल भोग विलासिता की वस्तु मात्र नहीं रही, आज उनका स्वतंत्र व्यक्तित्व है और स्वतंत्र सत्ता है।

जो क्षेत्र सिर्फ मजबूत पुरुषों के लिए माने जाते थे, जैसे आर्मी , नेवी या एयरफोर्स इत्यादि। आज इन सभी में नारियों की ऊँचे-ऊँचे पदों पर मौजूदगी है। यहीं नहीं हमारे देश में जब स्त्रियों को घरों में बंद रखने का रिवाज चरम पर था, तब एक स्त्री ही देश के सबसे ऊँचे पद प्रधानमंत्री बनकर देश का संचालन किया था।

नारीशक्ति का विकास Development of Woman Power

आज भी स्त्री प्रताड़ना तथा बलात्कार जैसे हेय कृत्य की ख़बरों से अखबार और न्यूज़ चैनल भरे होते हैं। इसलिए नारी सशक्तिकरण सिर्फ नारों से नहीं बल्कि कुछ क्रांतिकारी कदम उठाने से पूर्ण होगा। क्योंकि जहाँ के अपराधी प्रवृत्तियों के लोगों को कानून का डर न होगा, तो वे स्त्रियों को सिर्फ खिलवाड़ की वस्तु ही समझेंगे।

अगर वास्तव में नारी को अपनी जगह बनानी है, तो नारी शक्ति को अपनी ताकत का आभास करना ही पड़ेगा। क्योंकि कोई अन्य व्यक्ति किसी को सिर्फ सहानुभूति ही दे सकता है।

शक्ति उसे स्वयं प्राप्त करनी होती है। ठीक उसी प्रकार स्त्रियों को भी अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध करना ही होगा और अपनी सुरक्षा के स्थान पर अपने हक की बात करनी होगी, क्योंकि सुरक्षा उनका अधिकार है। 

आज स्त्रियों को पुरुषों की भांति समान अधिकार देना ही होगा यह उनका हक है और उनके हक के अनुसार उन्हें समाज में उचित स्थान मिलना ही चाहिए। हमें शुरुवात अपने घर की नारियों से करना होगा और उन्हें सहायता के साथ प्रोत्साहन भी देना होगा, तब जाकर कही नारी शक्ति का उदय हो सकेगा।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने आज की आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध पढ़ा। जिसमें नारियों के उत्थान के लिए जरूरी मुद्दों को शामिल किया गया है। आशा है यह निबंध आपको सरल लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

In this article, we are providing information about Nari Shakti in Hindi- A Short Essay on Nari Shakti in Hindi Language. नारी शक्ति पर निबंध, Nari Shakti Par Nibandh in 300 words.

जरूर पढ़े – Women Empowerment Essay in Hindi

Essay on Nari Shakti in Hindi

( Essay-1 ) Nari Shakti Essay in Hindi

नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।

प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।

आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।

हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।

10 lines on My Mother in Hindi

( Essay-2 ) Nari Shakti Par Nibandh in 500 words| नारी शक्ति पर 500 शब्दों में निबंध

प्रस्तावना यह बात तो हम सभी जानते ही हैं कि नारी शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। पहले समय की बात कुछ और थी, जब नारी को कमजोर समझा जाता था। लेकिन आज 20वीं सदी की नारी बहुत तरक्की कर रही है। आज की महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।

हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम। अगर हमें समाज को बदलना होगा, तो समाज का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए सरकार के द्वारा शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण पहलू के रूप में माना गया है। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छी परफॉर्मेंस कर रही है। स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आज की नारियां अच्छी जगह पर जॉब कर रही है। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभाग में भी महिलाएं नौकरी कर रही है। जब महिलाएं पढ़ लिख रही हैं, तो उनकी स्थिति में भी सुधार हो गया है। काफी विभाग ऐसे हैं, जहां पर नौकरी पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लेकिन महिलाएं अपनी मेहनत और बलबूते पर वहां भी नौकरियां पा चुकी हैं।

महिलाएं किसी से कम नहीं है। पहले जमाना कुछ और था, जब महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझा जाता था। कहा जाता था कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, महिलाएं काफी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाएं पुरुषों पर निर्भर होती थी, आज महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। पढ़ लिखकर अच्छे महकमे में नौकरियां कर रही है और अच्छा पैसा कमा रही हैं। देखा जाए तो महिलाएं आज के समय में पुरुषों से किसी भी काम में पीछे नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह काम महिलाएं भी कर रही हैं।

महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। पहले जमाने में महिलाओं पर अत्याचार होता रहता था और महिलाएं अत्याचार सहती रहती थी। लेकिन आज के समय में महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं। अगर महिलाओं को कोई भी समस्या है या कोई भी महिलाओं का शोषण करता है, तो महिलाएं उसके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं। जैसे-जैसे समय बदला है, महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में महिलाएं अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेसनल जिंदगी से जुड़े हर निर्णय खुद ले रही है। पहले समय में परिवार और पति के द्वारा उन पर अत्याचार किया जाता था। फैसले थोप दिए जाते थे, जिन्हें महिलाओं को मानना ही पड़ता था। लेकिन आज की महिला बिल्कुल बदल चुकी हैं। महिलाएं अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय लेना सीख चुकी हैं और वह समाज में भागीदारी भी कर रही है। बहुत महिलाएं ऐसी हैं, जो समाज के लिए काफी अच्छे-अच्छे काम भी कर रही हैं और समाज के लिए मिसाल बन रही है।

# Nari Shakti Essay in Hindi

Essay on Women in Indian society in Hindi

Essay on Women Education in Hindi

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Essay on Nari Shakti in Hindi Language (Article)आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

6 thoughts on “नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language”

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I love it. It is very very very nice essay

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Hi I like the essay

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Very good 👌👌

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Nari Shakti Sacha Mein Sabpar Bhari Ha

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नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi Pdf

आज का यह लेख  नारी सशक्तिकरण पर निबंध ( Women Empowerment Essay In Hindi Pdf ) के रूप में दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण जिन्हें नारी सशक्तिकरण के नाम से जाना जाता हैं, यहाँ पढ़िए यहाँ छोटा बड़ा नारी महिला वीमेन एम्पावरमेंट हिंदी एस्से यहाँ स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं.

नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi

नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi

Get Here Free Short Essay On Women Empowerment Essay In Hindi Pdf For School Students & Kids

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध महिला सशक्तिकरण पर निबंध Women Empowerment Essay In Hindi पर दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण अर्थात वीमेन एम्पोवेर्मेंट अर्थ महत्व पर आसान भाषा में स्टूडेंट्स के लिए यहाँ निबंध दिया गया हैं.

यह जानना आवश्यक हैं आखिर  महिला सशक्तिकरण हैं क्या ? सरल शब्दों में कहा जाए तो नारी (स्त्री,महिला) को उस स्तर तक ले जाना जहाँ से वह अपने निर्णय स्वय कर सके.

वे अपने करियर, शादी, रोजगार, परिवार नियोजन सहित सभी विषयों पर बिना किसी के मदद व दवाब के निर्णय ले सके.

उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हो जो पुरुष वर्ग को हैं, वह किसी के भरोसे जीने की बजाय इस काबिल बन जाए कि स्वय अपना कार्य कर सकने में सक्षम हो, यही महिला सशक्तिकरण हैं.

चलिए महिला सशक्तिकरण (वीमेन एम्पोवेर्मेंट) के छोटे निबंध को.

150 शब्द, नारी सशक्तिकरण निबंध

यदि हम अपने देश की ही बात करे तो आए दिन प्रति हजार लोगों पर स्त्रियों की संख्या निरंतर कम ही होती जा रही हैं. इसका दूसरा पहलु सरकार की ओर से कथित दलीले हैं. सरकार के कथनानुसार गाँव के लोगों तक 100 फीसदी शिक्षा पहुच चुकी हैं.

जिससे कारण बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के विषय में लोगों में जागरूकता बढ़ रही हैं. मगर आज की स्थति बया करती है, आज भी कई जातिया ऐसी हैं जहाँ लडको की संख्या अधिक और लड़कियों की संख्या में कमी हैं.

मजबूरन अब लोगों को अपनी जाति की परिधि से बाहर निकलकर शादी ब्याह करना पड़ता हैं. सभव हैं अभी भी स्थति नियंत्रित की जा सकती हैं. फिर भी हम नही जगे, तो जिस तरह जीवो की प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं. जिनमे कल बेटियों का नाम भी आ सकता हैं.

बेटी हम सभी के घर में उजाले का दीपक हैं, भला वो भी तो इंसान हैं. वह इस संसार की जगत जननी हैं. जिनकी रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य भी हैं. इसलिए आज हम सभी यह सकल्प करे कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाते हुए, इन्हे भी बेटों की तरह जीने का अधिकार देगे.

नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध 300 शब्द ( Essay On Women Empowerment In Hindi)

संकट एवं चुनौतियों का मुकाबला करने में महिलाएं अपने शौर्य और पराक्रम में कभी पीछे नही रही हैं. इन्होने सदा ही आगे बढ़कर चुनौतियों का न केवल समझदारी के साथ सामना किया हैं, बल्कि इन्हें अपने साहस एवं सूझ बुझ से परास्त भी किया हैं.

जब भी राष्ट्र एवं विश्व मानवता पर संकट के बादल छाएँ है युवतियों के शौर्य ने ही प्रचंड प्रभजन बनकर इन्हें छिन्न भिन्न किया हैं.

कथाएँ वैदिक इतिहास की हो या फिर उपनिषदों की अथवा आधुनिक समय की, सभी ये ही सच बताती हैं कैकेय राज्य की राजकुमारी अप्रतिम यौद्धा था. एक भीषण युद्ध में कैकेयी ने अपनी जान पर खेलकर अपने पति दशरथ की जान बचाई थी. जगन्माता सीता युद्धकला में अत्यंत निपुण थी. रणचंडी दुर्गा और महाकाया काली का शौर्य तो सर्वविदित हैं.

वैदिककाल में महिलाओं को न केवल ज्ञान प्रदान किया जाता था, बल्कि उन्हें युद्ध की कला एवं कुशलता में पारंगत होने के लिए विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाता था.

अतः वैदिक काल की महिलाएं किसी भी पराक्रमी युवा से कम नही होती थी. अपने देश का प्राचीन इतिहास महिलाओं के शौर्य एवं पराक्रम से भरा पड़ा हैं.

ऐसी अनगिनत घटनाएं है जिनमें महिलाओं ने अपनी रणकुशलता एवं समझदारी से हारी बाजी को जीत में बदल दिया और इतिहास की धारा को मोड़ने में सक्षम और समर्थ हो सकी.

घुड़सवारी, तलवारबाजी, धनुषविद्या जैसी अनेक युद्धकलाओं में पारंगत अनेकों वीरांगनाओं के नाम इतिहास में दर्ज है अमर हैं.

भारत में नारी सशक्तिकरण का इतिहास ( Women Empowerment in hindi)

भारत के स्वतंत्र होने का इतिहास भी इस तथ्य का साक्षी हैं वर्ष 1857 से वर्ष 1947 तक लम्बे स्वतंत्रता संघर्ष में देशवासियों के ह्रदय में देशभक्ति एवं क्रांति की भावों को आरोपित करने वाले युवाओं के साथ युवतियों की भूमिका भी सराहनीय रही. वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी थी.

उनके समान अद्भुत साहस, शौर्य, पराक्रम एवं जज्बा आज भी किसी में देख पाना संभव नही हैं. जबकि रानी लक्ष्मीबाई तो तब मात्र 30 वर्ष की थी. उनकी सेना की एक और जाबाज झलकारीबाई युवती ही थी.

उन्ही की प्रेरणा से सुंदर, मुंदर, जूही, मोतीबाई जैसी नृत्यांगनाएं क्रांति की वीरांगनाएँ बन गई. स्वाधीनता की बलिवेदी पर स्वयं का सर्वस्व लुटाने वाली ये वीरांगनाएं आज भी किसी प्रेरणा से कम नही हैं.

निबंध (400 शब्द) Women Empowerment Hindi Essay

हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत में महिलाओं का अति प्राचीनकाल से ही सम्मानजनक स्थान रहा हैं. वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रो में पुरुषो के बराबर अधिकार प्राप्त थे.

लेकिन उत्तरवैदिक काल आते-आते पर्दा-प्रथा, अशिक्षा तथा अन्य कुरुतिया फैलती गईं और नारी सिर्फ घर की चारदीवारी में कैद होने लगी तथा पुरुषो के निजी स्वामित्व वाली वस्तु मानी जाने लगी. सामाजिक अंधविश्वास,पाखंड, अशिक्षा तथा पितर प्रधान समाज में महिलाओं की स्थति बद से बदतर होती चली गईं.

आधुनिक काल में शिक्षा के प्रचार, समाज सुधारकों के प्रयासों से महिला के सम्मान तथा अधिकारों के लिए आवाज उठने लगी.

महिला सशक्तिकरण जोर पकड़ने लगा. महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओ की सकारात्मक सहभागिता आवश्यक हैं. महिलाओं के प्रति समन्वयात्मक द्रष्टिकोण अपनाकर पुराने रूढ़ सामाजिक मूल्यों के रूपांतरण की आवश्यकता हैं.

नारी / महिला सशक्तिकरण का अर्थ (Women Empowerment Meaning In Hindi)

महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य ऐसा वातावरण सर्जित करने से हैं जिसमे प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओ का पूर्ण उपयोग करते हुए अपने जीवन व कार्यो के लिए निर्णय स्वय ले सके. वर्तमान में नारी विकास के लिए हमारे सविधान में मूल अधिकारों व निति निर्देशक तत्वों में भी कई प्रावधान हैं. जिनमे नारी को पुरुष के समान अधिकार दिए हैं.

2005 में हिन्दू उतराधिकार कानून में संशोधन से बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार प्रदान किये गये हैं. राजनितिक क्षेत्र में भी नारी ने पुरुषो के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर अपनी पहचान बनाई हैं.

देश के प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति व राज्यों के मुख्यमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष आदि पदों पर स्त्रियों अपना स्थान बना रही हैं. सामाजिक क्षेत्र में भी नारी आगे रही हैं. जिनमे रमाबाई पंडित ने स्त्री शिक्षा पर कार्य किया तो मदर टरेसा ने सर्वधर्म समभाव से सभी गरीबो के लिए मुक्त में सेवा कार्य किया हैं.

आर्थिक क्षेत्रो में भी पुरुषो के बराबर व्यापार में हाथ आजमा रही हैं. व सफल भी हो रही हैं. इनमे चंदा कोचर, इंद्रा नूरी आदि महिलाओं के नाम आते हैं.

साहित्यिक क्षेत्र में मानवीय संवेदना को गहराई तक महसूस कर लिखने में महादेवी वर्मा, सरोजनी नायडू जैसी महिला लेखिकाओं के नाम मुख्य हैं. खेल के क्षेत्र में भी सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, अपुर्वी चन्देल जैसी खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय कार्य किया हैं.

महिला सशक्तिकरण के प्रयास (Effort Of Women Empowerment In Hindi)

सरकार द्वारा भी महिला सशक्तिकरण के लिए 8 मार्च 2010 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रिय मिशन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा शुरू किया गया था.

राज्य सरकारों ने भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ शुरू की गईं. जैसे स्वास्थ्य सखी योजना, कामधेनु योजना, स्वावलम्बन योजना, स्वशक्ति योजना आदि वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के बारे में स्वय महिलाए भी जागरूक हो गईं हैं. यह शिक्षा के प्रचार का प्रभाव हैं.

नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध 500 शब्द (Hindi Essay About Women Empowerment )

भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान

आदिकाल से हमारा देश नारीपूजक रहा हैं, तभी तो नारायण से पूर्व लक्ष्मी, शंकर से पूर्व भवानी, राम के पूर्व सीता और कृष्ण के पूर्व राधा का नामोच्चार होता हैं.

भारतीय समाज में विदुषी महिलाओं की कोई भी कमी नहीं रही. रणभूमि में भारतीय नारी ने अपने जौहर दिखाए, लेकिन दैनिक जीवन में भारतीय नारी कभी नर के समकक्ष सम्मान की अधिकारिणी नहीं बन पाई.

नारी की वास्तविक स्थिति

समाज का पचास प्रतिशत वर्ग नारी वर्ग हैं. किन्तु समाज के निर्माण में उसकी भूमिका को प्रायः नजरअंदाज किया जाता हैं. सच तो यह है कि समाज का पुरुष वर्ग नारी की भूमिका का विस्तार नहीं चाहता है.

उसे भय है कि नारी अभ्युदय से उसका महत्व और एकाधिकार समाप्त हो जाएगा. अशिक्षा और रुढ़िवादी दृष्टिकोण ने नारी की भूमिका की स्थिति को शौचनीय बना रखा हैं.

नारी शिक्षा का महत्व

शिक्षित नारी तो दो कुलों का उद्धार करती हैं. नारी को अशिक्षित रखकर राष्ट्र की आधी क्षमता का विनाश किया जा रहा हैं. शिक्षित नारी ही बच्चों का लालन पोषण ठीक ढंग से कर पाती हैं.

वह बच्चों में अच्छे संस्कार उत्पन्न कर सकती हैं. उसे समाज में सभ्य ढंग से जीना आता हैं. शिक्षा, नारी में आत्मविश्वास पैदा करती हैं. और बुरे दिनों में उसकी सबसे विश्वसीय सहायिका बनती हैं.

शिक्षित नारी की भूमिका

नारी शिक्षा का देश में जितना प्रचार प्रसार हुआ हैं. उसका श्रेष्ठ परिणामों सभी के सामने हैं. आज नारी जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने की क्षमता रखती हैं. शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, धर्म, समाज सेवा और सेना में भी आज नारी प्रशन्सनीय भूमिका निभा रही हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी नारी चेतना करवट ले रही हैं. उनको स्थायी स्वशासन में 30 प्रतिशत भागीदारी का अधिकार मिल गया हैं. किन्तु यहाँ भी अशिक्षा ने उसकी भूमिका को पृष्टभूमि में डाल रखा हैं. पंचायतों में उसके प्रतिनिधि ही भाग ले रहे हैं.

नारी आज सफल व्यवसायी हैं, प्रबन्धक, अध्यापक है, वकील है, मंत्री है, प्रधानमंत्री है, राज्यपाल है, मुख्यमंत्री हैं, वैज्ञानिक है तथा साहसिक अंतरिक्ष अभियानों में पुरुषों से होड़ लेती हैं. कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.

शिक्षित नारी का आदर्श स्वरूप

भारतीय नारी ने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को प्रमाणित किया हैं. कुछ महिलाएं शिक्षित होने का अर्थ कतिपय हास्यास्पद क्रियाकलापों से जोड़ लेती हैं. उनके अनुसार विशेष वेशभूषा अपनाना, फैशन परेडो और किटी पार्टियों में भाग लेना ही शिक्षा और प्रगतिशीलता की निशानी हैं.

भारतीय नारी के कुछ महत्वपूर्ण दायित्व हैं. उसे अपने विशाल नारी समाज को आगे बढ़ाना हैं. देश की ग्रामीण बहिनों को उनके अज्ञान एवं अंधविश्वासों से मुक्ति दिलानी हैं. हमें अपनी खेल सम्बन्धी महान परम्पराओं की पुनः स्थापना करनी हैं.

600 शब्द नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध (Short Empowerment Of Women Hindi Essay)

नारी सशक्तिकरण से आशय (Meaning of women empowerment)

प्राचीन भारत में नारी को समाज तथा परिवार में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था. उस समय स्त्रियाँ सुशिक्षित और समर्थ होती थी. समाज और राज्य के संचालन में भी उनका योगदान होता था. भारत में पराधीनता के प्रवेश के साथ ही नारी का पतन आरम्भ हो गया.

उनकी स्वतंत्रता प्रतिबंधित हो गई, उनको शिक्षा प्राप्त करने तथा देश समाज के प्रति कर्तव्यपालन से रोक दिया गया. वह अशक्त और असमर्थ हो गई. स्वाधीन भारत के लिए नारी की अशक्तता कदापि हितकर नहीं. वह देश के नागरिकों की आधी संख्या हैं.

उनके बिना देश का भविष्य उज्ज्वल हो ही नहीं सकता. अतः नारी के संबल, शिक्षित और समर्थ बनाने की आवश्यकता को गहराई से महसूस किया गया, उसको शिक्षा प्राप्त करने, घर से बाहर जाकर काम करने, समाज और राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने के लिए अवसर दिया जाना जरुरी हो गया.

घर से बाहर कार्यालयों, उद्योगों, राजनैतिक संस्थाओं में नारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाना राष्ट्र की आवश्यकता बन चूका हैं. नारी को सशक्त बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा हैं. परन्तु संसद तथा विधान सभाओं में उसके लिए स्थान आरक्षित होना अभी भी शेष हैं.

नारी को सशक्त बनाने के प्रयास हो रहे हैं. उद्योग, व्यापार, उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक शोध एवं प्रशासन के क्षेत्र में वह निरंतर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. स्थानीय शासन में उसे 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हो चूका हैं.

संसद और विधानसभाओं भी उसे आरक्षण प्राप्त होना सुनिश्चित हैं. अच्छी शिक्षा प्राप्त होने पर वह स्वयं ही सशक्त हो जायेगी.

वर्तमान समाज में नारी की स्थिति (Status of women in present society)

स्वतंत्र भारत में नारी ने अगड़ाई ली हैं. वह फिर से अपने पूर्व गौरव को पाने के लिए बैचेन हो उठी हैं. शिक्षा व्यवस्था, विज्ञान, सैन्य सेवा, चिकित्सा, कला, राजनीति हर क्षेत्र में वह पुरुष से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.

वह सरपंच है, जिला अध्यक्ष है, मेयर है, मुख्यमंत्री है, प्रधानमंत्री है, राष्ट्रपति हैं. लेकिन अभी तक तो यह सौभाग्य नगर निवासिनी नारी के हिस्से में ही दिखाई देता हैं. उसकी ग्रामवासिनी करोड़ों बहिनें अभी तक अशिक्षा, उपेक्षा और पुरुष के अत्याचार झेलने को विवश हैं.

एक ओर नारी के सशक्तिकरण की, उसे संसद और विधानसभाओं में ३३ प्रतिशत आरक्षण देने की बातें हो रही हैं तो दूसरी और पुरुष वर्ग उसे नाना प्रकार के पाखंडों और प्रलोभनों से छलने में लगा हुआ हैं.

सशक्तिकरण हेतु किये जा रहे प्रयास- भारतीय नारी का भविष्य उज्ज्वल हैं. वह स्वावलम्बी बनना चाहती हैं. अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाना चाहती हैं. सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराना चाहती हैं.

देश की प्रमुख सशक्त नारियों का परिचय (Introduction of the country’s main empowered women)

स्वतंत्रता के लिए होने वाले आंदोलन में अनेक नारियों ने अपना योगदान देकर नारी शक्ति का परिचय दिया था. रानी लक्ष्मीबाई से कौन अपरिचित हैं. सरोजनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, सचेत कृपलानी, राजकुमारी अमृतकौर, अरुणा आसफअली आदि को कौन नहीं जानता.

भारत की इंदिरा गांधी, जय ललिता, मायावती, महादेवी, मन्नू भंडारी, लता मंगेशकर, सानिया मिर्जा, बछेंद्री पाल, कल्पना चावना, सुनीता विलियम्स आदि नारियों ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की हैं.

देशीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारतीय नारियों ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं. इनमें मल्ल विद्या का उल्लेख विशेष उल्लेखनीय हैं.

पुरुष और नारी के संतुलित सहयोग में ही दोनों की भलाई हैं. दोनों एक दूसरे को आदर दे तथा एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहयोग करे. इसी से ही भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा.

(700 शब्द) महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay On Women Empowerment In Hindi

इसी गौरवगाथा में आज की युवा नारियां थल सेना, वायु सेना एवं जलसेना में भी प्रवेश कर अपने साहस का परिचय दे रही हैं. बीकानेर की तनुश्री पारिक वह पहली महिला हैं. जो सीमा सुरक्षाबल जैसे संघर्षपूर्ण क्षेत्र में एसिस्टेंट कमांडेंट के रूप में नियुक्त हुई. तेईस वर्ष की तनुश्री स्वयं को इस पद पर पाकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस करती हैं.

उनका कहना है कि यदि नारी संकल्पित हो जाये तो उसको कोई शक्ति नही डिगा सकती हैं. बचपन से उनके मन में एक अदम्य इच्छा जागती थी. कि राष्ट्र के लिए उनका जीवन उत्सर्ग हो.

स्वयं के लिए तो सब जीते है पर राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र को अपनी हर साँस में महसूस करना, दिल की हर धड्कन में इसे बसा लेना ही जीवन की सार्थकता है वे कहती है कि bsf में जाकर उनका यह सपना पूरा हुआ हैं.

सीमा सुरक्षा बल में पुरुष सैनिकों का वर्चस्व है कठिन से कठिन परिस्थियों में स्वयं को ढाल लेना एवं अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम देना उनके अनुकूल होता हैं. परन्तु इन भीषण एवं विषम परिस्थियों में महिलाओ का कार्य करना अत्यंत कठिन एवं दुष्कर होता हैं.

परन्तु तनुश्री ने इन असम्भव जैसे कठिन कार्य को आसान बना दिया. और उन युवा नारियों के लिए प्रेरणा बन गई, जो इस दिशा में सोचती है और इस क्षेत्र में अपना शौर्य और पराक्रम लगाना चाहती हैं.

crpf में बकायदा दो महिला बटालियन नियुक्त हैं और अपने साहस का शानदार परिचय दे रही हैं. दरअसल पुलिस एवं सेना क्षेत्र को महिलाओं के लिए उपयुक्त नही माना जाता,

परन्तु आज की नारियो ने इस तथ्य को न केवल झूठला दिया हैं, बल्कि अपनी समझदारी एवं अप्रितम शौर्य से सबको अचम्भित भी कर दिया हैं.

नारियों के इन अद्भुत कारनामों में एक और नाम अनीता पुरोरा का जुड़ता हैं, जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर तैनात रही हैं. उन्होने इस पद को अपनी कुशलता और विशेषज्ञता से सुशोभित किया था.

उनका कहना है कि यह उनके लिए सपना सच होने जैसा था. बचपन से ही उमंग और उत्साह उनके मन में कुचाले मारा करते थे.

युवावस्था में कदम धरते ही उनकी असीमित मानसिक एवं शारीरिक ऊर्जा एक पथ खोज रही थी. जो इस चुनौतीपूर्ण पद को पाकर सही दिशा में बहने लगी. राष्ट्र के प्रति उनका यह जज्बा एवं समर्पण निसंदेह अविस्म्रिय एवं अद्भुत हैं.

भारतीय वायुसेना में नारियों का प्रवेश और उनका योगदान महत्वपूर्ण हो रहा हैं. इस क्षेत्र में उनकी अभिरुचि यह दर्शाती हैं कि आज की युवा नारियां युवाओं से किसी भी क्षेत्र में कमतर या कमजोर नही हैं.

बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का जज्बा रखती हैं. उनकी इस अभिरुचि के कारण वर्ष 1991 में ही युवा नारियों को पायलट की भूमिका देनी शुरू हो गई थी.

मगर अब तक ये सिर्फ हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान ही उड़ाती रही हैं. इस कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2016 के अवसर पर एयर इंडिया की से चलाई गई दुनिया की सबसे लम्बी वीमेन फ्लाईट का नेतृत्व उतराखंड की बेटी क्षमता वाजपेयी ने किया.

उनके निर्देशन में पूरी टीम, जो युवा लड़कियों से सुसज्जित थी, ने 17 घंटे में 14500 किलोमीटर का सफर तय कर नया विश्व रिकॉर्ड बना डाला.

नई दिल्ली से सेनफ्रांसिस्को तक विमान का संचालन करने वाली क्षमता वाजपेयी को भारत की तीसरी और उत्तराखंड की पहली महिला कमांडर होने का गर्व प्राप्त हैं.

परन्तु इन सबके बावजूद अब युवा नारियों की चुनौती और भी बड़ी होने वाली हैं, भारत के इतिहास में पहली बार तीन कैडेट वाला महिला लड़ाकू पायलटों का पहला बैच भारतीय वायुसेना में शामिल हो रहा हैं. यह पल बेहद अहम एवं गौरवशाली हैं.

अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ महिला पायलटों के इन जत्थों में शामिल हैं. ये तीनों ही युवा वय की हैं. और इनकी आँखों में दुश्मनों के लिए विनाश और विप्लव का सपना सजोया हुआ हैं.

इन तीनों अधिकारियों ने आसमान में बीजली की रफ्तार से विमान उड़ाने की साहसिक भूमिका में आने के साथ ही इस क्षेत्र में पुरुषों के आधिपत्य को चुनौती दे दी हैं.

देश की वीरांगनाओं में एक नाम निवेदिता का भी हैं, जो स्वामी विवेकानंद की मानसपुत्री के नाम से जानी जाती थी. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया था.

उनके गुरु स्वामी विवेकानंद ने नारियों के लिए कहा था- नारी शक्ति का प्रतीक हैं सरष्टि में ऐसी कोई शक्ति नही, जो उन्हें शक्ति प्रदान कर सके. उन्हें तो केवल बोध भर कराने की आवश्यकता हैं. शेष तो वे स्वयं अपना कार्य कर लेगी.

आज भी स्वामी जी का यह अग्निमंत्र सर्वकालिक हैं. आज भी प्रेरक हैं और कल भी रहेगा. इस अग्निमंत्र के सहारे युवा नारी को स्वयं को सबल बनाकर अपने शौर्य पराक्रम को राष्ट्रहित में लगा देना चाहिए.

Q. आज के भारत में महिलाओं की स्थिति क्या हैं?

Ans: आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति काफी संतोषजनक हैं. हर क्षेत्र में देश की बेटिया आगे आ रही है तथा पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं.

Q. महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों हैं?

Ans: 21 वीं सदी के दौर में एक तरफ हम चाँद पर जीवन की सम्भावनाओं को खोज रहे है तो दूसरी तरफ आधी आबादी को पीछे रखकर विकास नहीं कर सकते. महिलाओं की भागीदारी से ही समाज, देश और विश्व का कल्याण सम्भव हैं.

Q. महिला सशक्तिकरण पर निबंध कैसे लिखे?

Ans: यहाँ आसान भाषा में महिला सशक्तिकरण पर एकाधिक निबंध दिए गये हैं, इनकी रुपरेखा के अनुरूप आप चाहे तो मौलिक निबंध भी लिख सकते हैं.

  • महिला आरक्षण निबंध
  • कामकाजी महिलाओं पर निबंध
  • नारी/महिला सुरक्षा पर निबंध
  • नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन

मैं उम्मीद करता हूँ दोस्तों यहाँ दिए गये नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi आपकों पसंद आए होंगे यदि आपकों यहाँ दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

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नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi)

नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi Language)

आज   हम नारी शक्ति पर निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) लिखेंगे। नारी शक्ति पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

नारी शक्ति पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

नारी में सहनशीलता, प्रेम, धैर्य और ममता जैसे गुण मौजूद है। किसी भी समाज की कल्पना नारी के बिना नहीं की जा सकती है। जब कोई नारी कोई भी चीज़ करने की ठान लेती है, तो वह कर दिखाती है।

नारी की हिम्मत और सहनशीलता पुरुषो से भी अधिक है। नारी अपने वादे से पीछे नहीं हटती है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है।

देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ो के खिलाफ निडर होकर जंग लड़ी थी। उन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी।

नारी ने अपने हर रूप में यह साबित किया है कि वह अबला नारी नहीं है। वक़्त आने पर वह अपने हालातों से लड़ भी सकती है और उसे काबू में भी ला सकती है। नारी चाहे वह माँ हो, या बहन, या फिर पत्नी, उसके हर रूप में उसका सम्मान करना चाहिए।

घर संभालना और अपनों की देखभाल

नारी के गर्भ से जीवन का आरम्भ होता है। नारी अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाती है। वह एक दिन में बिना थके घंटो काम करती है। वह अपने परिवार के सदस्यों की देख रेख करती है। परिवार के लोगो को अच्छी सलाह देती है।

जब परिवार का कोई भी सदस्य कभी बीमार पड़ता है, तो वह उसकी देख भाल करती है। जब घर का कोई सदस्य थक कर घर आता है, तो महिलाएं खाना परोसती है और कोई भी परिवार के सदस्य की चिंता और थकान अपने बातों से दूर कर देती है।

वह बच्चो की शिक्षक बन जाती है और उन्हें पढ़ाती है और अपने घरेलू  नुस्खों से परिवार के सदस्यों का इलाज़ भी करती है। वह बिना शर्त रखे सभी काम करती है और अपनों को खुश रखती है। वह औरो के जिन्दगी में ख़ुशी लाने के लिए बलिदान भी करती है।

महिलाएं अब नहीं है कमज़ोर

आज महिलाएं कमज़ोर नहीं है। वह शिक्षित हो रही है। वह अपने विचारो को घर – बाहर निडर होकर रखती है। वह सम्मान और मर्यादा में रहना जानती है। वह संस्कारो का पालन करती है। उन्हें कोई भी असम्मान करे, तो अब वह चुप नहीं रहती है। महिलाओं ने अपने अधिकारों को पहचान लिया है और हर क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है।

प्रेरणादायक स्रोत

इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला, सरोजिनी नायडू जैसी महान शख़्सियत ने अपने आपको अपने क्षेत्र में ना केवल साबित किया, बल्कि लोगो के लिए वे प्रेरणादायक स्रोत भी बनी।

आत्मनिर्भर और स्वयं निर्णय लेना

पहले के जमाने में लड़कियों का पढ़ना लिखना अच्छा नहीं माना जाता था। उन्हें घर के चार दीवारों में जैसे कैद कर लिया जाता था। वह अपना कोई भी निर्णय खुद नहीं ले पाती थी। आज नारी शिक्षित हो रही है।

ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं काम ना कर रही हो। आज महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। पुरुषो से किसी मामले में वह कम नहीं है। किसी किसी स्थान में महिलाओं ने पुरुषो को पीछे छोड़ दिया है।

आजकल महिलाएं उच्च पदों पर काम कर रही है और घर चला रही है। वह घर और दफ्तर दोनों को बराबर संभाल रही है। महिलाएं खुद अपने पाँव पर खड़ी हो रही है और घर का खर्चा चला रही है।

आत्मविश्वास के साथ जिन्दगी जीना

नारी शिक्षित हो गयी है और आज देश में महिलाओं के प्रगति के लिए अभियान चलाये जा रहे है। नारी आत्मविश्वास के साथ सभी मुश्किलों का सामना करके आगे बढ़ रही है। हर क्षेत्र में वह सफलता प्राप्त कर रही है।

अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना

जिस देश में जहां देवी की पूजा की जाती है, वहाँ कुछ लोग ऐसे भी है जो महिलाओं का असम्मान करते है। कुछ घरो और समाज में आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार होता है। आज वर्त्तमान युग में नारी पहले से अधिक जागरूक और समझदार हो गयी है।

जब उनपर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह उसके खिलाफ विरोध करना भी जानती है। बेवक़ूफ़ है वह लोग जो महिलाओं को कमज़ोर समझते है।अब वक़्त आ गया है कि पुरुष भी महिलाओं के सोच और उनके विचारधाराओ का सम्मान करे। महिलाओं को जो इज़्ज़त मिलनी चाहिए, उसे समाज और घर उन्हें अवश्य दे।

जब जब महिलाओं पर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह काली माँ जैसा रूप धारण कर लेती है और अपराधियों का सर्वनाश कर देती है। जो लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते है और उन्हें कमज़ोर समझते है, वह नारी शक्ति के प्रभावशाली शक्ति से परिचित नहीं होते है।

नारी शक्ति के कई उदहारण है और वर्त्तमान युग में महिलाओं ने अपनी शक्ति और मज़बूती का परिचय भी समय समय पर दिया है।

नारी और उसका स्वभाव

नारी बहुत ही साधारण और मीठे स्वभाव की होती है। जितनी सहनशीलता नारी में है, उतनी सहनशीलता पुरुषो में नहीं है। वह हर हालत को सोच समझ कर और धैर्य के साथ संभाल लेती है। पहले के जमाने में लड़की को सिर्फ बोझ समझा जाता था।

पहले के ज़माने में लोग नारी को घर के कामो में संलग्न कर देते थे। घर वाले सोचते थे की लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी, आगे जाकर उन्हें शादी करनी है और घर संभालना है। उस ज़माने में लड़कियों के सोच को अहमियत नहीं दी जाती थी।

संघर्ष करने की शक्ति

नारी में संघर्ष करने की अपार शक्ति होती है। वह हर परिस्थिति के अनुसार अपने आपको ढाल लेती है। जब भी घर में मुश्किल हालत पैदा होते है, तो महिलाएं सभी सदस्यों को संभालती है और संयम के साथ सबको सलाह देती है।

जब कोई उनके संयम की परीक्षा लेना चाहता है और उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा परेशान करता हैं, तो वह नारी शक्ति का रूप धारण कर लेती है। पहले के ज़माने में महिलाओं को अपने ससुराल में रहकर ताने सुनने पड़ते थे।

वह सहमी हुयी रहती थी। अशिक्षित होने के कारण वह विवश रहती थी। लेकिन आज इक्कीसवी सदी में हालातों में परिवर्तन आ गया है। अब महिलाओं को बोझ नहीं उन्हें एक प्रभावशाली नारी शक्ति के रूप में देखा जाता है।

रानी लक्ष्मीबाई नारी शक्ति का जीता जागता उदाहरण है। उनका विवाह कम उम्र में हो गया था। वह बचपन से ही अन्याय के विरुद्ध लड़ना जानती थी। जब उनके पति की मृत्यु हुयी, तब उन्होंने झांसी को संभाला और अंग्रेज़ो के खिलाफ आखरी दम तक जंग लड़ी। उन्होंने अंग्रेज़ो के विरुद्ध लड़ते हुए अपने साहस का परिचय दिया।

आज की नारी मज़बूत है और उनके आँखों में कई सपने है। आज की नारी शिक्षित और वह पहले के कुप्रथाओ से बाहर निकलकर आ चुकी है। आज नारी डॉक्टर है, इंजीनियर है, शिक्षक भी है।

वह पुरुषो से किसी मामले में ना तो कमज़ोर है और ना ही कम है। आजकल कई जगहों में महिलाओं के साथ अत्याचार और अन्याय हो रहे है और वह चुप चाप सहन कर रही है। नारी आगे बढ़ रही है और कई क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन कर रही है। अब वक़्त आ गया कि सभी पुरुष नारी और उनके सोच का सम्मान करे।

नारी को देवी माँ का स्वरुप माना जाता है। अब परिवारों और समाज को भी नारी और उसके अस्तित्व का सम्मान करना होगा। आज नारी हर कार्य में पुरुषो से भी बेहतर साबित हो रही है और अपनी एक अलग पहचान बना रही है। सदियों से चल रही कुप्रथाओ को तोड़कर वह हौसलों की नई उड़ान भर रही है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध (Bhartiya Samaj Me Nari Ka Sthan Essay In Hindi)
  • स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi)
  • नारी शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (Beti Bachao Beti Padhao Hindi Essay)

तो यह था नारी शक्ति   पर निबंध (Women Power Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि नारी शक्ति पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Nari Shakti) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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युग-युग से नर की दासी बन, जिसने सही यातना भारी। शूर सपूतों की हो जननी, महापीड़िता भारत नारी॥ रही सदा अनुरूप नरों के, किन्तु उपेक्षित दास अभी है। जब नारी सम्मान बढ़ेगा, भारत का कल्याण तभी है।

Indian Woman Essay In Hindi

प्रस्तावना- यदि मानव समाज को एक गाड़ी मान लिया जाये तो स्त्री-पुरुष उसके दो पहिये हैं। दोनों स्वस्थ और मजबूत होने आवश्यक हैं। दोनों में से यदि एक भी कमजोर हुआ तो गाड़ी-गाड़ी न रहकर ईंधन हो जायेगी। ‘चलती का नाम गाड़ी है। समाज का कर्तव्य है कि वह नारी और नर, समाज के इन दोनों पक्षों को सबल और उन्नत बनाने का प्रयत्न करे।

भारतीय नारी का अतीत-प्राचीन काल में भारत के ऋषि-मुनियों ने नारी के महत्त्व को भली-भांति समझा था। उस समय यहाँ नारी का सर्वांगीण विकास हुआ था। सीता जैसी साध्वी, सावित्री जैसी पतिव्रता, गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने इस देश की भूमि को अलंकृत किया था। इनका नाम लेते ही हमारा मस्तक गौरव से ऊँचा हो जाता है। उस समय यहाँ का आदर्श था–‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता। अर्थात जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता रमण करते हैं।

मध्यकाल में भारतीय नारी-समय परिवर्तित हुआ। हमारे समाज में अनेक कुप्रथा फैलनी शुरू हुईं और नारी का महत्त्व घटना शुरू हुआ। स्त्री देवी न रह कर विलास की सामग्री बनने लगी। उसके प्रति श्रद्धा घटती चली गयी। विदेशियों के आगमन ने उसमें और भी नमक-मिर्च लगाया। परिणाम यह हुआ कि नारी पुरुष की एक ऐसी बपौती बन गयी कि जिसको वह घर की चारदीवारी के अन्दर बन्द करके सुरक्षित रखने लगा। उसे न शिक्षा का अधिकार रहा, न बोलने का। पुरुष के किसी भी काम में दखल देना उसके लिए अपराध हो गया।

वह पुरुष की अतृप्त वासनाओं को तृप्त करने का साधन मात्र रह गयी। नारी जाति का इतना घोर पतन हुआ कि वह स्वयं अपने को भूल गयी। समाज में उसका भी कुछ महत्त्व है-इसका नारी को स्वयं भी ध्यान न रहा। उसके हृदय से विकास की भावना ही लुप्त हो गयी। पति की मनस्तृप्ति करने, उसकी उचित-अनुचित प्रत्येक इच्छा के सामने सिर झुकाने के लिए मानो विधाता ने उसकी सृष्टि की हो। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने नारी के उस स्वरूप का बड़ा ही स्वाभाविक वर्णन किया है-

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आँखों में पानी।”

Essay On Indian Woman In Hindi

नारी की वर्तमान स्थिति- बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ ही सामाजिक आन्दोलन भी आरम्भ हुआ। समाज में एक जागृति की लहर दौड़ी। राजा राममोहन राय तथा महर्षि दयानन्द के द्वारा समाज की कुप्रथाओं को समाप्त किया जाने लगा। नारी समाज की ओर विशेष ध्यान दिया गया। आगे चलकर महात्मा गांधी के नेतृत्व में सामाजिक क्रान्ति हुई। जनता ने नारी के महत्त्व को समझना शुरू किया तथा उसके बन्धन शिथिल होने लगे। नारी ने पुन: शिक्षित होना सीखा। यहाँ तक कि राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक नारियों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया।

सरोजिनी नायडू तथा विजयलक्ष्मी पण्डित जैसी मान्य महिलाओं ने आगे बढ़कर नारी समाज का पथ-प्रदर्शन किया। 1947 ई० में भारत स्वतन्त्र हुआ, तब से भारत में सभी क्षेत्रों में विकास कार्य प्रारम्भ हुआ। समाज के दोषों को दूर करने का भरसक प्रयत्न शुरू हुआ। नारी समाज में कुछ जागृति हुई। सबसे महत्त्वपूर्ण घटना यह हुई कि भारत के संविधान में नारी को पुरुषों के समान अधिकार दिये गये।

इस प्रकार की वैधानिक समानता नारी को सम्भवत: प्रथम बार मिली थी। हर्ष है कि शिक्षा, कला, विज्ञान तथा राजनीति आदि क्षेत्रों में आज नारी का प्रवेश है। अनुभव इस बात को बताता है कि नारी किसी भी दृष्टि से पुरुष से कम नहीं है। आज हम देखते हैं कि भारत के स्त्री समाज में तेजी से जागृति आ रही है।

पुरुषों ने भी नारी के महत्त्व को समझना शुरू कर दिया है। थोड़े ही समय में भारतीय नारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की नारी संसार की किसी भी जाति अथवा देश की नारी से विद्या, बुद्धि, सौन्दर्य और वीरता में कम नहीं है।

नारी का भविष्य-यह ठीक है कि नारी की स्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ है किन्तु यह विकास अभी पूर्ण नहीं कहा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अभी बहुत कम चलन है। शिक्षा के अभाव में विकास असम्भव है। इसमें सन्देह नहीं है कि गाँव में स्त्री शिक्षा में काफी प्रगति होती जा रही है। आशा है, कुछ ही समय में भारत के सभी बालक व बालिकाएं शिक्षित होंगे।

उस शिक्षित समाज में पुरुष और नारी एक-दूसरे के महत्त्व को समझेंगे। वह दिन दूर नहीं जब भारत में नर और नारी दोनों समान रूप से उन्नति के पथ पर साथ-साथ चलेंगे और स्कूल, दफ्तर, प्रयोगशाला तथा सेना तक में समान रूप से कार्य करते पाये जायेंगे।

उपसंहार- बिना नारी के विकास के यह समाज अधूरा है। जैसे पत्नी-पति की अर्धांगिनी है, ठीक इसी प्रकार नारी समाज का अद्धांग है। आधे अंग के अस्वस्थ तथा अविकसित रहने पर पूरा अंग ही रोगी और अविकसित रहता है। यदि मनुष्य शिव है तो नारी शक्ति है, यदि पुरुष विश्वासी है तो नारी श्रद्धामयी है, यदि पुरुष पौरुषमय है तो नारी लक्ष्मी है-किसी भी दृष्टि से वह पुरुष से कम नहीं है।

वह पुत्री के रूप में पोषणीय, पत्नी के रूप में अभिरमणीय तथा माता के रूप में पूजनीय है। उसमें संसार की अपूर्व शक्ति निहित है। प्रसन्न होने पर वह कमल के समान कोमल और क्रुद्ध होने पर साक्षात चण्डी भी है। वस्तुत: नारी अनेक शक्तियों से युक्त अनेकरूपा है, उसके कल्याण एवं विकास की कामना करना प्रत्येक भारतीय का पवित्र कर्तव्य है।

दा इंडियन वायर

नारी शक्ति पर निबंध

essay in hindi nari

By विकास सिंह

women नारी शक्ति

वह लगभग सभी भावों में ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति है। जीवन उसके गर्भ में शुरू होता है और यह उसके मार्गदर्शक हाथों और कोमल देखभाल की बदौलत है कि यह फल फूल पाता है। उसकी ममता से बुरे से बुरे रोग ठीक हो जाते हैं।

वह लगातार काम करती है; अक्सर एक ही दिन में लगातार घंटों तक काम करती है  जैसे सफाई, खाना पकाना, नर्सिंग और फिर भी हर समय कुछ करने को तत्पर। वह एक ही बार में माँ, पत्नी, बेटी, दोस्त, सलाहकार, की विभिन्न भूमिकाएँ निभाती हैं; इसी वजह से उसे शक्ति माना जाता है।

वह मल्टीटास्क कर सकती है – फोन पर एक कान, टेलीविजन पर एक आंख, दूसरा कान स्टोव पर रखे सूप पर, एक कान लगातार चेतावनी पर सिर्फ बच्चे के जागने पर, और एक हाथ से आटा मिलाते हुए। निश्चित रूप से वह अलौकिक, है और एक देवी, से बिलकुल कम नहीं है। उसके विविध गुण देखकर विस्मय होता हैं।

जब आप बीमार होते हैं तो वह आपका पालन-पोषण करती है, आपको प्यार से खाना खिलाती है, दवाएं देती है और जल्दी से जल्दी आपको ठीक कर देती है। जब आप थके हुए घर आते हैं और हारे होते हैं तो वह आपको अपनी बाहों में ले लेती है और आपकी थकान शांत करती है।

वह आपको फिर से जीवंत करती है, और आपको जीवंत बनाती है। वह आपको सुकून देती है, आपके आत्मविश्वास का निर्माण करती है और आपको उसकी दुनिया का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस करती है। वह आपको अपने लक्ष्यों के लिए निर्देशित करती है, और अपनी ज़िन्दगी में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपको उसकी मदद चाहिए होती है तो हमेशा सहारा बनके आपके पीछे कड़ी होती है।

एक माँ के रूप में, वह बच्चों की मनोचिकित्सक, डॉक्टर, नौकरानी और विश्वासपात्र की भूमिका निभाती हैं। चाहे वह उनका पसंदीदा लंच हो या स्कूल में कोई प्रोजेक्ट या फिर क्रिकेट मैच वह हमेशा उनके लिए भी होता है। हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है, हाँ, एक माँ, एक बेटी, एक दोस्त या शायद एक बहन उनके पीछे सफलता का राज होता है।

वह बिना शर्त के देती है, बिना कारण के वह प्यार करती है, और आपको गलतियों के लिए बार बार क्षमा करती है। वह आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाने के लिए अपने सपनों का त्याग कर देती है। वह आपकी उपलब्धियों पर गर्व करती है और आपकी निराशा के माध्यम से आपके हाथ पकड़ती है।

विषय-सूचि

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (100 शब्द)

महिलाएं हमारे समाज में उनके जन्म से लेकर जीवन के अंत तक विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं। आधुनिक समाज में कुशल भूमिका में सभी भूमिकाएं और समय पर नौकरी करने के बाद भी, वह कमजोर है क्योंकि पुरुष अभी भी समाज का सबसे मजबूत लिंग हैं।

सरकार द्वारा समाज में बहुत सारे जागरूकता कार्यक्रमों, नियमों और विनियमों के बाद भी, उसका जीवन एक आदमी की तुलना में अधिक जटिल है। उसे बेटी, पोती, बहन, बहू, पत्नी, माँ, सास, दादी, आदि के रूप में अपना और परिवार के सदस्यों का ख्याल रखना पड़ता है। स्वयं, परिवार और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बाहर आने और नौकरी करने में वह सक्षम है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (150 शब्द)

भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार, पुरुष की तरह ही सभी क्षेत्रों में समाज में महिलाओं को समानता प्रदान करना एक कानूनी बिंदु है। महिला और बाल विकास विभाग भारत में महिलाओं और बच्चों के समुचित विकास के लिए इस क्षेत्र में अच्छा काम करता है।

महिलाओं को प्राचीन समय से भारत में एक शीर्ष स्थान दिया जाता है, हालांकि उन्हें सभी क्षेत्रों में भाग लेने के लिए सशक्तिकरण नहीं दिया गया था। उन्हें अपने विकास और विकास के लिए हर पल मजबूत, जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। महिलाओं को सशक्त बनाना विकास विभाग का मुख्य उद्देश्य है क्योंकि बच्चे के साथ सशक्त मां किसी भी राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाती है।

महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कई तैयार करने वाली रणनीतियाँ और पहल प्रक्रियाएँ हैं। पूरे देश की आबादी में महिलाओं की आधी आबादी है और महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने की जरूरत है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (200 शब्द)

पिछले कुछ सालों में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध काफी हद तक बढ़ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, यह पाया गया है कि तीन में से प्रत्येक महिला ने पिछले वर्ष में लगभग दो से पांच बार यौन उत्पीड़न का सामना किया है। महिलाओं के सर्वेक्षण के अनुसार, यह पाया गया कि महिलाएं पुलिस पर अपना विश्वास खो रही हैं। दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग के सर्वेक्षण से, राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 80% महिलाओं को अपनी सुरक्षा के बारे में डर है।

महिलाओं को न केवल रात या शाम को बल्कि उनके घर, कार्य स्थलों, या अन्य स्थानों जैसे सड़क, क्लब, आदि में दिन के समय में परेशान किया जाता है, यह सर्वेक्षण के माध्यम से पाया गया है कि यौन उत्पीड़न का कारण लिंग की कमी है खुले वातावरण और अनुचित कार्यात्मक बुनियादी ढांचे जैसे कि खुले क्षेत्र में शराब और ड्रग्स की खपत, पर्याप्त प्रकाश की कमी, सुरक्षित सार्वजनिक शौचालय, फुटपाथ, प्रभावी पुलिस सेवा की कमी, ठीक से काम करने वाले हेल्पलाइन नंबरों की कमी आदि, महिलाओं की समस्याओं में एक अहम भूमिका निभाते हैं।

कोई भरोसा नहीं कि पुलिस ऐसे उत्पीड़न के मामलों पर अंकुश लगा सकती है। महिला सुरक्षा की इस समस्या को समझने और हल करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि वे भी अपने देश में पुरुषों की तरह समान रूप से विकसित हो सकें।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना :.

देश की उचित सामाजिक और आर्थिक वृद्धि के लिए महिला शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। पुरुष और महिला दोनों सिक्के के दो पहलू की तरह हैं और समाज के दो पहियों की तरह समान रूप से चलते हैं। इसलिए दोनों देश में विकास और विकास के महत्वपूर्ण तत्व हैं और इस प्रकार शिक्षा में समान अवसर की आवश्यकता है। यदि दोनों में से कोई भी नकारात्मक पक्ष लेता है, तो सामाजिक प्रगति संभव नहीं है।

भारत में महिला शिक्षा के लाभ:

भारत में महिला शिक्षा देश के भविष्य के लिए अत्यधिक आवश्यक है क्योंकि महिलाएं अपने बच्चों की पहली शिक्षिका का अर्थ है राष्ट्र का भविष्य। यदि महिलाओं की शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है, तो यह राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य से अनभिज्ञ होगा।

एक अशिक्षित महिला सक्रिय रूप से परिवार को संभालने, बच्चों की उचित देखभाल और इस तरह कमजोर भविष्य की पीढ़ी में भाग नहीं ले सकती है। हम नारी शिक्षा के सभी फायदे नहीं गिना सकते।

एक शिक्षित महिला अपने परिवार को आसानी से संभाल सकती है, प्रत्येक परिवार के सदस्य को जिम्मेदार बना सकती है, बच्चों में अच्छे गुणों को विकसित कर सकती है, सामाजिक कार्यों में भाग ले सकती है और सभी उसे सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र की ओर ले जाएंगे।

एक आदमी को शिक्षित करके, केवल एक आदमी को शिक्षित किया जा सकता है, लेकिन एक महिला को शिक्षित करने से, पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। महिला शिक्षा का अभाव समाज के शक्तिशाली हिस्से को कमजोर करता है। तो, महिलाओं को शिक्षा के लिए पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से नीच नहीं माना जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत अब महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी देश है। भारत का इतिहास बहादुर महिलाओं के लिए कभी खाली नहीं है, लेकिन यह गार्गी, विश्वबारा, मैरिट्रेई (वैदिक युग की) जैसी महिला दार्शनिकों से भरा है और अन्य प्रसिद्ध महिलाएं जैसे मीराबाई, दुर्गाबाती, अहल्याबी, लक्ष्मीबाई, आदि हैं। भारत की सभी प्रसिद्ध ऐतिहासिक महिलाएं। इस उम्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। हम समाज और देश के लिए उनके योगदान को कभी नहीं भूलेंगे।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (300 शब्द)

आधुनिक भारतीय समाज में महिलाएं वास्तव में आगे हैं यदि हम उनकी तुलना प्राचीन काल से करते हैं लेकिन अगर हम महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करते हैं, तो हम कह सकते हैं कि वास्तव में सभी क्षेत्रों में महिलाएं सशक्त नहीं हैं। इतना आगे होने के बाद भी, महिलाओं को कठिन परिस्थितियों को हराते हुए लंबे रास्ते से जाने की जरूरत है।

दो लिंगों के बीच संतुलन बनाए रखने तक महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में बहुत प्रभाव प्राप्त किया है। हम कह सकते हैं कि महिलाओं को पहले की तुलना में अधिक स्वतंत्रता है, हालांकि कई मामलों में सच नहीं है क्योंकि समाज में पूर्वाग्रह अभी भी बना हुआ है।

आत्मरक्षा तकनीक सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज है, जिसके लिए प्रत्येक महिला को अपनी सुरक्षा के लिए उचित आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। उन्हें कुछ प्रभावी रक्षा तकनीकों के बारे में पता होना चाहिए जैसे कि किक टू ग्रोइन, ब्लॉकिंग पंच, आदि।

आम तौर पर ज्यादातर महिलाओं को छठी इंद्रिय भेंट की जाती है, जो कि जब भी किसी समस्या में बनती है, तो उन्हें इस्तेमाल करनी चाहिए। उन्हें एक बार किसी भी स्थिति से बचना चाहिए जो उन्हें उनके लिए बुरा लगता है।

जब भी वे समस्या में होते हैं महिलाओं के कुछ जोखिमों को कम करने के लिए पलायन और दौड़ भी एक अच्छा तरीका है। उन्हें कभी भी किसी अनजान जगह पर किसी अनजान व्यक्ति के साथ नहीं जाना चाहिए। महिलाओं को अपनी शारीरिक शक्ति को समझना और महसूस करना होगा और उसके अनुसार उपयोग करना होगा।

वे कभी भी खुद को पुरुषों से कमजोर नहीं महसूस करते और कुछ आत्मरक्षा प्रशिक्षण लेते हैं। साइबरस्पेस में इंटरनेट पर किसी के साथ संवाद करते समय उन्हें सावधान रहना चाहिए। काली मिर्च स्प्रे को एक उपयोगी आत्म-रक्षा उपकरण के रूप में भी साबित किया जा सकता है, हालांकि इसमें एक खामी है कि कुछ लोगों को फुल-फेस स्प्रे के बाद भी इसके माध्यम से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है।

यह हमलावर को रोक नहीं सकता है इसलिए महिलाओं को इस पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए और अन्य तकनीकों का भी उपयोग करना चाहिए। उनके पास सभी आपातकालीन नंबर होने चाहिए और यदि संभव हो तो व्हाट्सएप भी ताकि वे तुरंत अपने परिवार के सदस्यों और पुलिस को बता सकें।

महिलाओं को कार चलाते समय और किसी भी यात्रा पर जाते समय बहुत सचेत रहना चाहिए। उन्हें स्वयं या निजी कार से यात्रा करते समय कार के सभी दरवाजों को बंद करना होगा।

महिला सुरक्षा एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है जिसे सभी के प्रयास से तत्काल हल करने की आवश्यकता है। यह देश के विकास और विकास को बाधित कर रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश की आधी आबादी को सभी पहलुओं (शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से) में नुकसान पहुंचा रहा है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (400 शब्द)

महिलाएं समाज के विकास और विकास में एक महान भूमिका निभाती हैं और इसे एक उन्नत और आधुनिक समाज बनाती हैं। ब्रिघम यंग द्वारा एक प्रसिद्ध कहावत है कि, “आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं; आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। आप एक महिला को शिक्षित करते हैं; आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।

”महिलाओं को शिक्षित करना और उन्हें शक्ति देना बहुत महत्वपूर्ण है जिसका समाज में महिला सशक्तिकरण और समाज के विकास के लिए अनुसरण करने की आवश्यकता है। क्योंकि यह सच है कि, अगर कोई पुरुष शिक्षित और सशक्त हो रहा है, केवल तभी उसे लाभान्वित किया जा सकता है, जबकि अगर एक महिला शिक्षित और सशक्त हो रही है, तो पूरे परिवार और समाज को फायदा हो सकता है।

महिलाएं ऐसी चीजें नहीं हैं जिन्हें उनकी कम शक्ति और अधिकार के कारण उपेक्षित किया जा सकता है बजाय इसके कि उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सशक्त और प्रोत्साहित किया जाए। महिलाएं दुनिया की आधी आबादी हैं जिसका मतलब है दुनिया की आधी ताकत।

अगर किसी भी देश की महिलाओं को सशक्त नहीं किया जाता है तो इसका मतलब है कि देश में आधी शक्ति का अभाव है। स्वभाव से, महिलाएं अपनी सभी भूमिकाएं बड़ी जिम्मेदारियों के साथ निभाती हैं और एक स्वस्थ परिवार, ठोस समाज और शक्तिशाली देश बनाने की क्षमता रखती हैं। बहुत सारे प्रयास किए गए हैं लेकिन अभी भी महिलाएं पिछड़ी हुई हैं और घरेलू गतिविधियों तक सीमित हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अगर एक अशिक्षित महिला घर को ठीक से संभाल सकती है तो एक अच्छी शिक्षित महिला पुरुषों की तरह पूरे देश का नेतृत्व क्यों नहीं कर सकती है।

महिलाओं के बिना पुरुषों के लिए कुछ भी संभव नहीं है, वे समाज की मूल इकाई हैं, वे एक परिवार बनाते हैं, परिवार एक घर बनाते हैं, एक घर समाज बनाते हैं और अंततः समाज एक देश बनाते हैं। तो एक महिला का योगदान हर जगह जन्म लेने और बच्चे को जन्म देने से लेकर पूरे जीवन और अन्य क्षेत्रों की देखभाल के लिए होता है।

महिलाओं की सभी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समाजों द्वारा कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शिक्षा और महिला सशक्तीकरण के बिना परिवार, समाज और देश में कोई विकास संभव नहीं है। महिलाओं को अच्छी तरह से पता है कि कैसे बात करना है, कैसे व्यवहार करना है, विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना है, आदि।

वह सभी स्थितियों को संभालना जानती हैं क्योंकि वह एक अच्छे समाज की बुनियादी बातों को अच्छी तरह से जानती हैं और मुख्य भूमिका के रूप में विनम्रता से अपनी भूमिका निभाती हैं। एक मजबूत समाज का निर्माण। इससे पहले, जब महिलाओं का जीवन दासों से भी बदतर था, तो महिलाओं को जानवरों के रूप में माना जाता था और सेक्स खिलौने के रूप में उपयोग किया जाता था।

महिलाओं के लिए एक लड़की को जन्म देना एक पाप था, या तो उन्हें मार दिया गया, जिंदा दफना दिया गया या परिवार के पुरुष मुखिया द्वारा फेंक दिया गया। हालाँकि, समाज में कुछ हद तक सुधार देखा गया है लेकिन आज भी कई पिछड़े इलाकों में यह चला आ रहा है और महिलाओं को इन कृत्यों को सहना पड़ रहा है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (800 शब्द)

प्रस्तावना:.

महिला सशक्तिकरण को बहुत ही सरल शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि यह महिलाओं को शक्तिशाली बना रहा है ताकि वे अपने जीवन और परिवार और समाज में अच्छी तरह से होने के बारे में अपने निर्णय ले सकें। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें समाज में उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

हमें भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है जहाँ हर क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व है और महिलाओं को केवल परिवार की देखभाल के लिए जिम्मेदार माना जाता है और अन्य कई प्रतिबंधों सहित घर में रहते हैं। भारत में लगभग 50% आबादी केवल महिला द्वारा कवर की जाती है इसलिए देश का पूर्ण विकास आधी आबादी का मतलब महिलाओं पर निर्भर करता है, जो कि सशक्त नहीं हैं और अभी भी कई सामाजिक वर्जनाओं द्वारा प्रतिबंधित हैं।

ऐसी स्थिति में, हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारा देश भविष्य में अपनी आधी आबादी के सशक्तीकरण के बिना विकसित होगा अर्थात महिलाओं के बिना। यदि हम अपने देश को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले पुरुषों, सरकार, कानूनों और महिलाओं के प्रयासों से भी महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत आवश्यक है।

प्राचीन समय से भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव और पुरुष वर्चस्व के कारण महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता उत्पन्न हुई। महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया जा रहा है। उन्हें भारत और अन्य देशों में परिवार और समाज में पुरुष सदस्यों द्वारा कई प्रकार की हिंसा और भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए लक्षित किया गया है।

प्राचीन समय से समाज में महिलाओं के लिए गलत और पुरानी प्रथाओं ने अच्छी तरह से विकसित रीति-रिवाजों और परंपराओं का रूप ले लिया है। भारत में कई महिला देवी की पूजा करने की परंपरा है, जिसमें समाज में महिलाओं को मां, बहन, बेटी, पत्नी और अन्य महिला रिश्तेदारों या दोस्तों को सम्मान दिया जाता है।

लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि केवल महिलाओं का सम्मान या सम्मान करने से देश में विकास की जरूरत पूरी हो सकती है। उसे जीवन के हर पड़ाव में देश की बाकी आधी आबादी के सशक्तिकरण की जरूरत है।

भारत एक प्रसिद्ध देश है जो एकता और विविधता का प्रतीक है ’जैसी सामान्य कहावत साबित करता है, जहां भारतीय समाज में कई धार्मिक मान्यताओं के लोग हैं। महिलाओं को हर धर्म में एक विशेष स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को कवर करने वाले एक बड़े पर्दे के रूप में काम कर रही है और उम्र से एक आदर्श के रूप में महिलाओं के खिलाफ कई बीमार प्रथाओं (शारीरिक और मानसिक सहित) की निरंतरता में मदद करती है।

प्राचीन भारतीय समाज में सती प्रथा, नागर वधू प्रणाली, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, क्षमा प्रार्थना, पत्नी को जलाने, कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न, बाल विवाह, बाल श्रम, देवदाशी प्रथा का रिवाज था। इस प्रकार की सभी कुप्रथाएं समाज की पुरुष श्रेष्ठता जटिल और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण हैं।

सामाजिक-राजनीतिक अधिकार (काम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खुद तय करने का अधिकार, आदि) महिलाओं के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंधित थे। महिलाओं के खिलाफ कुछ कुकृत्य को खुले दिमाग और महान भारतीय लोगों द्वारा समाप्त किया गया है जो महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए आवाज उठाते हैं।

राजा राम मोहन राय के निरंतर प्रयासों के माध्यम से, अंग्रेजों को सती प्रथा की कुप्रथा को खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में, भारत के अन्य प्रसिद्ध समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोबा भावे, स्वामी विवेकानंद, आदि) ने भी अपनी आवाज उठाई थी और भारतीय समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की थी। भारत में, विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ईश्वर चंद्र विद्यासागर के निरंतर प्रयासों से देश में विधवाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।

हाल के वर्षों में, भारत सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए विभिन्न संवैधानिक और कानूनी अधिकारों को लागू किया गया है। हालांकि, इतने बड़े मुद्दे को हल करने के लिए, महिलाओं सहित सभी के निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

आधुनिक समाज की महिला अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक हो रही है जिसके परिणामस्वरूप इस दिशा में काम करने वाले कई स्वयं सहायता समूहों, गैर सरकारी संगठनों आदि की संख्या बढ़ रही है। अपराधों के साथ-साथ होने के बाद भी सभी आयामों में अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को खुले दिमाग से और सामाजिक बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ाया जा रहा है।

संसद द्वारा पारित कुछ अधिनियम समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976, दहेज प्रतिषेध अधिनियम -1961, अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम -1956, गर्भावस्था अधिनियम-1971 की चिकित्सा समाप्ति, मातृत्व लाभ अधिनियम -1961, सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम-1987, बाल विवाह निषेध अधिनियम -2016, पूर्व-गर्भाधान और पूर्व-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम-1994, कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, संरक्षण और अधिनियम) -2016, आदि। कानूनी अधिकारों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए।

भारत में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने और महिलाओं के खिलाफ अपराध को कम करने के लिए, सरकार ने एक और अधिनियम जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक, 2015 (विशेषकर निर्भया कांड के बाद जब एक आरोपी किशोर को रिहा किया गया था) पारित किया है। यह अधिनियम जघन्य अपराधों के मामलों में 18 से 16 वर्ष की आयु को कम करने के लिए 2000 के पहले किशोर अपराध कानून (किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000) का प्रतिस्थापन किया है।

भारतीय समाज में महिला सशक्तीकरण को वास्तव में लाने के लिए, समाज की पितृसत्तात्मक और पुरुष प्रधान प्रणाली वाली महिलाओं के खिलाफ कुप्रथाओं के मुख्य कारण को समझना और समाप्त करना होगा। इसे खुले मन से और संवैधानिक और अन्य कानूनी प्रावधानों के साथ महिलाओं के खिलाफ स्थापित पुराने दिमाग को बदलने की जरूरत है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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नारी शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi

Essay on Nari Shiksha in Hindi : दोस्तों आज हम ने नारी शिक्षा पर निबंध लिखा है क्योंकि हमारे भारत देश में आज भी नारी शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके कारण हमारे समाज का एक तबका पिछड़ा हुआ रह जाता है. यह बहुत ही दुख की बात है कि 21वीं सदी के भारत में भी महिलाओं को शिक्षित करने के लिए बढ़ावा नहीं मिल रहा है.

हमें महिलाओं को शिक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे तभी जाकर हमारे देश का सही मायनों में विकास हो पाएगा.

अक्सर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 और 12 के विद्यार्थियों को परीक्षाओं में Nari Shiksha पर निबंध लिखने को दिया जाता है इस निबल की सहायता से भी परीक्षाओं में अच्छा लेख लिख पाएंगे.

Essay on Nari Shiksha in Hindi

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Best Essay on Nari Shiksha in Hindi 200 Words

हमारे भारत देश शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कि रूढ़िवादी विचारधारा गरीबी और लोगों की गलत सोच इसी के कारण आज हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी में आता है आज किसी सदी के भारत में शिक्षा के क्षेत्र में फिर भी सुधार हुआ है लेकिन नारी आज भी क्षेत्र में पिछड़ी हुई है.

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पुराने जमाने से ही हमारे देश में नारी की शिक्षा को अहमियत नहीं दी गई है जिसके कारण आज नारी को शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हमारे समूचे देश में पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर है लेकिन जब शिक्षा क्षेत्र की बात आती है तो महिलाएं पिछड़ जाती है.

हमें नारी शिक्षा पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि अगर महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो वह अपने बच्चों को भी साक्षर बनाएंगी और समाज में फैली महिलाओं के प्रति कुरुतिया भी कम होगी. महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो उनको अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी होगी.

पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने भी नारी शिक्षा पर ध्यान दिया है और इसको लेकर कई योजनाएं भी चलाई है जिनसे कई महिलाओं को शिक्षा प्राप्त हुई है. नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के कारण ही आज की नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

Essay on Woman Education in Hindi 500 Words

रूपरेखा –

किसी भी देश के विकास में महिलाओं और पुरुषों का बराबर का स्थान होता है उसी प्रकार महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार दिए जाने चाहिए तभी उस देश का आर्थिक और सामाजिक विकास हो पाएगा. कई वर्षों तक हमारा भारत देश विदेशी ताकतों का गुलाम रहा है जिसके कारण नारी शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पाया है.

इसी कारण हमारा भारत देश आज भी पिछड़ा हुआ है हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं मिलने और अन्य सामाजिक कुरूतियो के कारण नारी शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पाया है. हमें किसी सदी के भारत में महिलाओं को शिक्षा देने का पूरा प्रयास करना चाहिए.

नारी शिक्षा का महत्व –

(1) वर्तमान में नारी शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है. जिस प्रकार जीवन जीने के लिए किसी व्यक्ति को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार किसी देश को अगर विकसित होना है तो सबसे पहले वहां की महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.

(2) नारी शिक्षा के महत्व को हमने नीचे महत्वपूर्ण बिंदुओं की सहायता से समझाया है जो कि निम्नलिखित है –

(3) अगर महिलाएं शिक्षित होगी तो वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे जिसके कारण वे समाज में क्षेत्र में आगे होंगी.

(4) महिलाओं के शिक्षित होने के कारण कोई उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं कर पाएगा.

(5) नारी अगर शिक्षित होगी तो समाज में व्याप्त लोगों की रूढ़िवादी विचारधारा समाप्त होगी साथ ही लोगों की सोच में बदलाव आएगा.

(6) नारी के शिक्षित होने के कारण उनका कोई शोषण नहीं कर पाएगा.

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(7) नारी अगर पढ़ी लिखी होगी तो वह निर्भीक होकर अपना जीवन यापन कर सकती है.

(8) महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो समाज का सामाजिक स्तर सुधरेगा क्योंकि एक बच्चे की पहली गुरु नारी ही होती है अगर वहीं से बच्चों को अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ तो हमारे समाज का सामाजिक स्तर स्वत: अच्छा हो जाएगा.

(9) नारी शिक्षित होगी तो दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का अंत हो जाएगा.

(10) नारी पढ़ी लिखी होगी तो वह हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर पाएगी जिसे देश का आर्थिक विकास होगा साथ ही परिवार का रहन सहन भी अच्छा होगा.

(11) नारी के पढ़े-लिखे होने के कारण व अपना भविष्य खुद बना पाएगी और उसे किसी और के भरोसे जीवन यापन नहीं करना होगा.

(12) अगर हमारे देश की महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो हमारा देश जल्दी विकासशील देशों की श्रेणी से निकलकर विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.

निष्कर्ष –

हमारे देश में नारी शिक्षा की बहुत कमी है अगर हमारे समाज और सरकार द्वारा प्रयास किया जाए तो हमारे देश की सभी महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी. जिससे देश का विकास दुगनी तेजी से होगा. हमें हमारी समाज के लोगों को नारी शिक्षा के प्रति जागरूक करके अपना सहयोग देना चाहिए.

अगर महिलाएं पढ़ी लिखी होगी तो संपूर्ण समाज पढ़ा लिखा होगा जिससे लोगों भ्रष्ट मानसिकता में सुधार आएगा और महिलाएं अपना जीवन शोषण मुक्त और सशक्त होकर जी पाएंगी.

हमारी राज्य और केंद्र सरकार द्वारा तो महिलाओं को बढ़ाने का प्रयास किया ही जा रहा है लेकिन जब तक हम जागरुक नहीं होंगे तब तक महिलाओं को पढ़ने लिखने का संपूर्ण अधिकार नहीं मिल पाएगा.

Essay on Nari Shiksha in Hindi 1900 words

प्रस्तावना –

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व होता है जिस देश के लोग शिक्षित नहीं होते है वहां पर आर्थिक और सामाजिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है. हमारे देश में भी शिक्षा की कमी है हमारे भारत देश के पुरुष प्रधान देश होने के कारण ज्यादा मात्रा में पुरुष पड़े हुए हैं लेकिन महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलने के कारण आज शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं पिछड़ी हुई है.

हमारे देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है लेकिन जब बात शिक्षा की आती है तो रूढ़िवादी विचारों पारंपरिक परंपराएं बीच में आ जाती है यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जिस देश में पौराणिक में महिलाओं का सम्मान किया जाता था.

आज उसी देश में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है. नारी की शिक्षा के महत्व को विकसित देशों ने पहले ही पहचान लिया था इसलिए उन्होंने सभी को चाहे वो पुरुष हो या फिर नारी सबको समान शिक्षा का अधिकार दिया इसी कारण उन देशों ने दुगनी तेजी से तरक्की की और आज भी विकसित देशों की श्रेणी में आते है.

हमें भी नारी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा वैसे तो सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं और कहीं ना कहीं यह प्रयास सफल भी हो रहे हैं जिसके कारण आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

नारी शिक्षा के लाभ –

नारी शिक्षा का हमारे देश में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह दो परिवारों को बढ़ा सकती है और अच्छे संस्कार दे सकती है. अपने बच्चों की प्रथम गुरु भी एक महिला की होती है इसलिए अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने बच्चों को सही शिक्षा दे पाएगी.

नारी शिक्षा के लाभ को हमने बिंदुबध तरीके से नीचे लिखा है –

(1) महिलाओं का जागरूक होना – अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगी जिसके कारण उनसे कोई धोखा या छल कपट नहीं कर पाएगा और इसके कारण भी हर क्षेत्र में अपने कदम + पाएगी और एक नए भारत के निर्माण में सहयोग कर पाएगी.

(2) कन्या भ्रूण हत्या में कमी आना – कन्या भ्रूण हत्या के मामले ज्यादातर महिलाओं की अशिक्षित होने के कारण भी होते हैं क्योंकि उन्हें परंपराओं और रूढ़िवादी विचारधाराओ की बातों में उलझा कर उनके परिवार वाले उन्हें कन्या भ्रूण हत्या के लिए मना लेते है. लेकिन जब महिला पढ़ी लिखी होगी तो उसे पता होगा बेटा हो या फिर बेटी दोनों समान होते है इसलिए वे कन्या भ्रूण हत्या का विरोध करेगी और कन्या भूण हत्या में गिरावट आएगी.

(3) लैंगिग भेदभाव में कमी आना – हमारे देश में आज भी लैंगिकता के आधार पर भेदभाव किया जाता है यह सामान्य तौर पर गांव में ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं होती है इसलिए भी अपने अधिकारों के लिए सचेत नहीं होती हैं अगर वे शिक्षित होगी अपने अधिकारों के प्रति लड़ पाएंगे और लैंगिक भेदभाव जैसी समस्या को जड़ से उखाड़ फेकेंगी.

(4) दहेज प्रथा में कमी आना – वर्तमान में दहेज प्रथा को बढ़ावा इसलिए मिल रहा है क्योंकि ज्यादातर लड़कियां पढ़ी लिखी नहीं होती है और कुछ लड़कियां कम पढ़ी लिखी होती है तो उन्हें अपने भविष्य की फिक्र रहती है कि वे बढ़ती महंगाई में अपना जीवन यापन कैसे कर पाएंगी.

इसलिए उनके माता पिता दहेज देकर उनका विवाह करते है. अगर लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी तो उन्हें दहेज प्रथा जैसी किसी भी प्रथा का सामना नहीं करना पड़ेगा और भी अपना जीवन निर्भीक होकर अपने चुने हुए साथी के साथ सहजता से जी पाएंगी.

(5) रूढ़िवादी विचारधाराओं से छुटकारा – हमारे भारत में पुरुष प्रधान देश होने के कारण महिलाओं को रूढ़िवादी विचारधारा का हवाला देकर शिक्षित नहीं किया जाता है उन्हें कहा जाता है कि मैं ज्यादा पढ़ लिख कर या फिर शिक्षित होकर क्या करेंगे उन्हें आगे जाकर भोजन ही तो बनाना है इसलिए ज्यादातर लोग उनकी शिक्षा पर ध्यान नहीं देते है.

अगर महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपनी बेटियों को भी पढ़ाएंगे जिसके कारण रूढ़िवादी विचारधारा का अंत हो जाएगा.

(6) हर क्षेत्र में कार्य करने का अवसर प्राप्त होना – वर्तमान में महिलाओं को अच्छी शिक्षा मिलने के कारण आप देख पा रहे होंगे कि हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल गई है यह सिर्फ शिक्षा के कारण ही हो पाया है अगर भी शिक्षित नहीं होती तो शायद आज महिलाएं इतनी तरक्की नहीं कर पाती.

(7) संपूर्ण परिवार शिक्षित होगा – हमारे देश में ज्यादातर महिलाएं ही अपने बच्चों का पालन पोषण करती है और ज्यादा समय उनके साथ रहती हैं इसलिए अगर महिलाएं शिक्षित होगी तो वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगी जिससे आगे आने वाली पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी.

(8) देश के सामाजिक स्तर में सुधार – महिलाएं अगर शिक्षित होगी तो वे अपने बच्चों को भी शिक्षित करेंगे और साथ ही उन्हें अच्छे और बुरे के बारे में बता पाएंगी. आपने देखा होगा कि अशिक्षित महिलाओं के बच्चे या तो भीख मांगते हैं या फिर मजदूरी करते है जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीता है कभी-कभी तो वे गरीबी से तंग आकर चोरी-चकारी करने लग जाते है. और अगर वही महिलाएं शिक्षित होगी तो सामाजिक स्तर में सुधार आएगा.

(9) देश के आर्थिक स्तर में सुधार – वर्तमान में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम पढ़ी लिखी है लेकिन जब महिलाओं को पढ़ने का पूर्ण अधिकार दिया जाएगा तो वे भी पुरुषों की तरह हर क्षेत्र में काम करेंगे जिससे बेबी कुछ आमद नहीं कर पाएंगे और अधिक बचत होगी और इसी से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आना प्रारंभ हो जाएगा.

अशिक्षित नारी के दुष्परिणाम –

(1) महिलाओं का शोषण होना – अगर महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो उनका हर क्षेत्र में शोषण किया जाएगा उन्हें हर जगह पर नीचा दिखाने की कोशिश की जाएगी साथ ही उनके साथ कुछ लोग क्रूरुर व्यवहार भी करेंगे इसलिए वर्तमान में महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.

(2) रूढ़ीवादी विचारधाराओं का हावी होना – नारी अगर शिक्षित नहीं होगी तो पुराने ख्यालों के लोग अपने विचार धाराएं उन पर थोपेंगे. जिससे नारी का विकास कभी भी नहीं हो पाएगा और हमारे समाज में हमेशा पुरुषों का प्रभुत्व कायम रहेगा.

(3) लैंगिग भेदभाव बढना – नारी पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो लैंगिक भेदभाव का बढ़ना तय है क्योंकि कुछ लालची लोग महिलाओं को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते है और कुछ लोग अपने घर में केवल बेटा ही चाहते है शिक्षित नारी को बहलाना फुसलाना आसान होता है जिसके कारण वह भी उनकी बातों में आकर अनजाने में लैंगिग भेदभाव को बढ़ावा देगी.

(4) सामाजिक स्तर गिरना – एक अच्छे समाज की कल्पना तभी की जा सकती है जब वहां की महिलाएं शिक्षित हो क्योंकि अगर वे शिक्षित नहीं होंगी तो उनके बच्चे भी शिक्षित नहीं हो पाएंगे और भी गलत विचारधाराओं को अपना लेंगे जिससे समाज का सामाजिक स्तर नीचे गिर जाएगा.

(5) देश के आर्थिक विकास में रुकावट – हमारे देश की लगभग आधी जनसंख्या महिलाएं ही है और अगर भी शिक्षक नहीं होंगी तो कुछ काम नहीं कर पाएंगी जिसके कारण देश की आधी आबादी सिर्फ खाने का काम करेगी जिसे देश में पैसों की कम बचत हो पाएगी और देश का विकास धीमा पड़ जाएगा.

नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उपाय –

(1) अपने घर से शुरुआत करना – नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमें आज जरूरत है कि हम अपने ही घर से शुरुआत करें. जब लोग अपने घरों में महिलाओं को बनाने की शुरुआत कर देंगे तो हमें किसी भी योजना या जागरूकता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

(2) नारी शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना – आज भी हमारे समाज में महिलाओं और बेटियों को पढ़ाना फालतू का खर्चा माना जाता है जिसके कारण बेटियां पढ़ नहीं पाती है और भविष्य में कुछ नहीं कर पाती है इसलिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा कि एक नारी शिक्षित होकर कुछ भी कर सकती है

उन्हें कल्पना चावला, सीता साहू, चंदा कोचर, शांति तिग्गा, आशा रॉय, दुर्गा शक्ति नागपाल,पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा जैसी महिलाओं के उदाहरण देने होंगे जिन्होंने हमारे देश का नाम रोशन किया है.

(3) सरकार द्वारा प्रयास करना – वर्तमान में सरकार द्वारा प्रयास तो काफी किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उनको सही से लागू नहीं किया जा सका है जिसके कारण आज भी महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी हुई है हमारी सरकार को और ज्यादा अच्छी योजनाएं ला कर उन्हें सही प्रकार से अमल में लाकर महिला शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए.

नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजनाएं – इंदिरा महिला योजना, राष्ट्रीय महिला कोष, सर्व शिक्षा अभियान, रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र, महिला समृधि योजना, बालिका समृधि योजना इत्यादी है.

उपसंहार –

अगर हमारे भारत देश को आगे बढ़ना है तो हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित होना होगा इनमें हमें महिलाओं को भी शामिल करना होगा क्योंकि वह भी हमारे देश किसी सदस्य के रूप में है आती हैं और उनके बिना देश का विकास होना संभव नहीं है.

21वीं सदी के भारत में पढ़ी लिखी महिलाओं ने अपने अपने क्षेत्र में हमारे देश का नाम रोशन किया है यह बात बताती है कि अगर सभी महिलाएं शिक्षित होगी तो आने वाले वर्षों में भारत सभी देशों में नई पहचान बना लेगा. हमें महिलाओं की शक्ति को कम नहीं आंकना चाहिए.

अगर उन्हें सही अवसर दिया जाए तो वे पुरुषों से भी अधिक कार्य कर सकती हैं इसलिए नारी शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Nari Shiksha in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

7 thoughts on “नारी शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi”

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Thank you Priyangshu kar for appreciation.

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Bhupendra ji aap ke sujhav par jald hi kaam kiya jayega Dhanyawad.

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Nibandh

नारी शिक्षा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - लड़कियों की वर्तमान स्थिति - लड़कियों की शिक्षा का महत्व - सरकार द्वारा उठाए गए कदम - उपसंहार ।

हमारा समाज पुरुष-शासित है। यहाँ माना जाता है कि पुरुष बाहर जाएँ तथा अपने परिवारों के लिए कमाएँ। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे घर में रहें और परिवार की देखभाल करें। पहले इस व्यवस्था का समाज में सख्ती से पालन किया जाता था। आज भी थोड़ी-बहुत ऐसी मानसिकता देखी जा सकती है। जनसँख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है और भारत में लड़कियों की शिक्षा की दर बहुत कम है। इस कारण नारीओं की शिक्षा को बहुत क्षति हुई । उन्हें अध्ययन के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। नारी की शिक्षा को अनुपयोगी समझा जाता था।

परंतु, अब समय बदल गया है। सामाजिक परिस्थितियाँ और आवश्यकताएँ बदल गई हैं। हमारा देश विकसित देश बनने की दौर में है। अब नारी-शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। हमारी लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए लड़कों के साथसाथ उनकी शिक्षा समान रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाती है। किसी नारी को शिक्षित करने के बहुत-से लाभ हैं। वह परिवार की देखभाल करती है। यदि वह शिक्षित है, तो वह घर पर वित्त की व्यवस्था कर सकती है, अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती है। वह अपने बच्चों को पढ़ा सकती है। मुद्रा-स्फीति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आजकल सिर्फ एक व्यक्ति की आय से ही घर को चलाना अत्यंत कठिन है। अतएव, वह इस ओर भी योगदान कर सकती है।

देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलायें अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं जो देश का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकती और बच्चों की उचित देखभाल करने में नाकाम रहती हैं। इस प्रकार भविष्य की पीढ़ी कमजोर हो सकती है। लड़कियों की शिक्षा में कई फायदे हैं। एक सुशिक्षित और सुशोभित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है। एक शिक्षित लड़की की अगर कम उम्र में शादी नहीं की गई तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा कर सकती हैं। इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है।

शिक्षित लड़कियाँ बच्चों में अच्छे गुण प्रदान करके परिवार के प्रत्येक मेंबर को उत्तरदायी बना सकती हैं। शिक्षित महिला सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक-आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक बड़ा योगदान हो सकता है। एक आदमी को शिक्षित करके केवल राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा की कमी ने समाज के शक्तिशाली भाग को कमजोर कर दिया है। इसलिए महिलाओं को शिक्षा का पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से कमजोर नहीं मानना चाहिए।

आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में एक मध्यवर्गीय परिवार की जरूरतों को पूरा करना वास्तव में कठिन है। शादी के बाद अगर एक शिक्षित लड़की काम करती है तो वह अपने पति के साथ परिवार के खर्चों को पूरा करने में मदद कर सकती है। अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह काम करके पैसा कमा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, चाहे वह लड़का हो या लड़की सभी के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। लेकिन हमारे समाज में अभी भी शिक्षा को लेकर लैंगिक भेदभाव किया जाता है जहां लड़कों की शिक्षा को तवज्जो दी जाती है वहीं लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है।

शिक्षा महिलाओं के सोच के दायरे को भी बढ़ाती है जिससे वह अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है। इससे वह यह भी तय कर सकती है कि उसके और उसके परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है। शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले।

सरकार ने नारी-शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बहुत-से उपाय किए हैं। बच्चों को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए । 'सर्वशिक्षा अभियान' आरंभ किया गया है। बहुत-से नारी विद्यालय खोले गए हैं। छात्राओं को विद्यालय-पोशाक और साइकिलें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है। बहुत-से संगठन भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।

लड़कों की तरह लड़कियों को भी विभिन्न प्रकार की शिक्षा देना जरूरी है। उनकी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सके। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि नारी की शिक्षा को अब अनुपयोगी नहीं समझा जा सकता। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी कन्याएँ भी अनिवार्य रूप से विद्यालय जाएँ। वे न सिर्फ उन्हें उनकी गृहस्थी चलाने में, बल्कि राष्ट्र को भी मजबूत बनाने में मदद करेंगी।

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Essay on bhartiya nari in hindi भारतीय नारी पर निबंध indian women essay in hindi.

Know information about Essay on Indian Woman in Hindi (भारतीय नारी पर निबंध) or Essay on Bhartiya Nari in Hindi. People are also searching for आज की भारतीय नारी or Essay on Modern Indian Woman in Hindi (Adhunik Nari essay in Hindi). Many are also searching for Bhartiya samaj me Nari essay in Hindi. Read Essay on Indian Woman in Hindi (भारतीय नारी पर निबंध) for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.

Today we are sharing some essay on Bhartiya Nari in Hindi (भारतीय नारी पर निबंध) under headings required by our users. In this article, we are writing articles on these essays –

  • Essay on Bhartiya Nari in Hindi – भारतीय नारी पर निबंध
  • Essay on Modern Indian Woman in Hindi – आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध

Essay on Bhartiya Nari in Hindi

भारतीय नारी पर निबंध Essay on Bhartiya Nari in Hindi

Essay on Bhartiya Nari in Hindi 700 Words

भारत में प्राचीन काल से नारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जैसा कि श्लोक में कहा भी गया है ‘यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:’ अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत ने नारी को देवी, मां, सहचरी, सखी और प्राण कहकर श्रद्धा के सुकोमल सुमन अर्पित किए हैं। किसी भी पुण्य कार्य को बिना नारी के कर पाना संभव नहीं होता है। नारी को नर से पहले स्थान दिया गया है। लेकिन वर्तमान समय में भारतीय समाज में उसका आदर्श और यथार्थ क्या है? आइए इसकी गहराई में पहुँचने का प्रयास करें।

महाभारत काल में द्रौपदी के साथ जो व्यवहार किया गया वह आगे के वर्षों में भी जारी रहा है। जोरू अथात नारी का क्लेश का कारण माना जता रहा है। नारियों के कारण युद्ध हुए, घर-परिवार नष्ट हुए, इस प्रकार की बातें हमेशा से होती आई हैं। मध्यकाल में भारत पर विदेशी आक्रमण हुए, जिसक परिणामस्वरूप नारियों की सुरक्षा के लिए उन्हें पूर्णतया पर्दे के पीछे सरका दिया गया। प्राचीन काल में जो नारी वनों में घूमती-फिरती रहती थी तथा तपस्या करती थी वह मध्यकाल में पूर्णतया भोग्या बन गई। रीतिकाल में नारी की छवि रसीली, छबीली, मदिरा सी बन गई।

इसके बाद आया ब्रिटिश शासन और उसके साथ-साथ आधनिक काल और अंग्रेजी शिक्षा साहित्य के अध्ययन और पाश्चात्य सभ्यता-संस्कृति के साथ हुए संपर्कों ने नारी जाति को खुले व्यवहार के लिए बाध्य कर दिया। ब्रिटिशशासन काल में सती प्रथा, बाल-विवाह, विधवाविवाह आदि कुरीतियों को खत्म किया गया तथा नारी को कुछ सम्मानजनक दर्जा प्रदान किया गया। उसे पिता-पति संपत्ति में हिस्सेदारी भी दी गई। साथ ही साथ, उसे नौकरी करने तथा अन्य व्यवसाय अपनाने की छूट दी गई।

स्वतंत्रता आंदोलन में नारी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। नारी पर से पाबंदी स्वतंत्रता आंदोलन के समय हटा ली गई। स्वतंत्र भारत में इसी सब वजह से आज वह चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक सब कुछ रही और आगे भी रह सकती है। आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहाँ नारी ने अपनी प्रबल कर्मठता का परिचय न दिया हो। आज समाज का हर वर्ग और प्राय: व्यक्ति नारी स्वतंत्रता और समानता का समर्थन करता है। लेकिन प्रशन यह है कि संविधान में नारी को जो स्वतंत्रता या समानता प्राप्त है; क्या भारतीय समाज में वास्तव में उसे वही स्थिति प्राप्त हो गई है? इसका उत्तर दे पाना बहुत ही कठिन है; क्योंकि भारतीय समाज हमेशा से पुरुष प्रधान ही रहा है तथा नारी को भोग्या के रूप में ही देखा जाता रहा है। आज भी स्थिति पूरी तरह से बदली नहीं है। शहरों में भले ही नारी आज हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किए हुए है लेकिन गाँवों में स्थिति एकदम अलग है। वहां नारी केवल कठपुतली ही बनी हुई है। उदाहरण के लिए राजनीतिक चुनाव में नारी को आरक्षण की कुछ सीटें मिली हुई हैं। लेकिन उसमें नारी केवल खड़ी होती है, उसका नाम होता है, बाकी की सारी प्रक्रिया पुरुष ही सम्पन्न करता है। आज पुरुष अपने आपको भले ही बहुत आधुनिक सिद्ध करना चाहता है, लेकिन वह मध्ययुगीन मानसिकता से उबर नहीं पाया है। आज वह कदम-कदम पर नारी को प्रश्नभरी दृष्टि से ही देखता है तथा उसे केवल भोग्या मात्र मान कर व्यवहार करता है। आज वह पुरुप की तृष्णाओं की आग में जल रही है। अन्य कई मामलों में भी उसे जलाया जाता है। ऐसे में सफलता और स्वतंत्रता कैसी?

आज भी नारी जीवन का आदर्श यही है कि – आंचल में है दूध और आंखों में पानी। जब तक पुरुष समाज की मानसिकता में बुनियादी तौर पर परिवर्तन नहीं आ जाता, तब तक नारी की स्थिति में कोई स्थायी परिवर्तन नहीं हो सकता।

लेकिन फिर भी अगर हम पिछले कुछ वर्षों पर नज़र डालें तो देखेंगे नारी ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। प्रशासन के क्षेत्र में आइ. पी. एस. अधिकारी किरण बेदी का नाम कौन नहीं जानता है; जिन्होने भारतीय नारी के सामने ऐसा यथार्थ आदर्श रखा है जो आगे के वर्षों में भी नारी को प्रेरणा देता रहेगा। वहीं खेल-कूद के क्षेत्र में कर्णम मल्लेश्वरी द्वारा पदक जीता जाना नारी को प्रेरित करने के लिए काफी है। सानिया मिर्जा भी एक जीता जागता उदाहरण हैं । आशा है, भारतीय नारी इन सबसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ती रहेगी। तमाम सामाजिक कठिनाइयों को पार करती हुई अपने लिए सम्मानजनक स्थिति प्राप्त करेगी तथा भारतीय समाज में महत्वपूर्ण स्थान बनायेगी।

आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध Essay on Modern Indian Woman in Hindi 800 Words

पाश्चात्य सभ्यता-संस्कृति ने यों तो भारतीय जीवन और समाज के किसी भी अंग को अछूता नहीं रहने दिया; पर लगता है कि भारतीय नारी-समाज, उसका प्रत्येक अंग उससे सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। इसी कारण वह आज सर्वाधिक प्रताड़ित एवं प्रपीड़ित भी है। पाश्चात्य नारी समाज और उसकी सभ्यता-संस्कृति, पाश्चात्य शिक्षा और रीति नीतियों के प्रभाव से आज की नारी ने स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली है; पर सखेद स्वीकार करना पड़ता है कि उसने न तो स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ ही समझा है और न अनुशासन ही सीखा है। फलस्वरूप वह मक्खन की उस टिकिया के समान हो गई है कि जो तनिक गर्मी बढ़ने से पिघल और सर्दी बढ़ने से जम जाया करती है। या फिर इत्र की उस शीशी की-सी हो गई है कि जो लगातार बन्द रहने से भीतर-ही-भीतर सड़ कर बदबूदार हो जाया करती है और ज़रा-सी खुली रह जाने पर उड़ कर खाली हो जाती है। दोनों स्थितियाँ अच्छी नहीं कही जा सकतीं।

शिक्षा, स्वावलम्बन, आर्थिक स्वतंत्रता, घर से बाहर निकल कर जीवन-समाज को नेतृत्व दे पाने की क्षमता, घर की चार-दीवारी और चूल्हे-चौके तक ही अपने को सीमित न रख जीवन के किसी भी उद्योग-धंधे या, व्यवसाय में अपनी दक्षता का परिचय देना जैसी अनेक बातें भारतीय नारी ने पश्चिम से सीखी हैं। उन सभी बातों को शुभ परिणामदायक कहा जा सकता है। इस से भारतीय नारी के जीवन में नया आत्मविश्वास जागा है। उसे नये क्षितिजों के उद्घाटन करने में काफ़ी सफलता प्राप्त हुई है। यह भी पश्चिम का ही प्रभाव है कि आज भारतीय नारी घूँघट के भीतर सिकुडी छुई मुई बनी रहने वाली नहीं रह गई, न ही वह कल की तरह पुरुषों को देख कर लज्जा से सिकुड़ कुमड़े की बेल-सी ही बनी रह गई हैं। आज वह धड़ल्ले से हर विषय पर, हर किसी के साथ बातचीत कर सकती है। वह पुरुषों की तरह एवरेस्ट की चोटी पर तो अपने पाँव रख ही आई है, चन्द्रलोक की यात्रा भी कर आई है। इन सभी बातों को भारतीय नारी-जीवन के लिए अच्छा एवं सुखद कहा जा सकता है।

इन अच्छाइयों के साथ-साथ भारतीय नारी ने पश्चिम से कुछ ऐसी बातें भी सीखीं या ऐसे प्रभाव भी ग्रहण किए हैं, जिन्हें भारतीय सभ्यता-संस्कृति की दृष्टि से उचित एवं अच्छा नहीं माना या कहा जा सकता। उस तरह के पाश्चात्य प्रभावों ने नारी को एक प्रकार का चलता-फिरता मॉडल इश्तिहार या पोस्टर या फिर उपभोक्ता सामग्री बना कर रख दिया है। परम्परागत शब्दों में कहा जाए, तो एक बार फिर वह भोग्या मात्र बन कर रह गई है। एक शब्द में पश्चिम से आए उस प्रभाव को ‘फैशन’ कहा जा सकता है। फैशन में अंधी आज की नारी ने आज अपना अंग-प्रत्यंग तक सभी कुछ उधाड़ कर रख दिया है। इस सीमा तक वह उघड़ने लगी है कि उस का सौन्दर्य भदेस, सुकुमारता माँस का लजीज टुकड़ा और तन-बदन नग्न होकर अश्लीलता का प्रतिरूप-सा प्रतीत होता है। वह किसी भी तरह से अपने उपयोग करने देने के लिए तैयार हो जाती है कि जब उसे कड़क नोटों की खड़क या चमकीले सिक्कों की खनक सुन पड़ती है। आधुनिक भाषा में जिस ‘मॉडल’ एवं ‘मॉडलिंग’ कहा जाता है, अपने मॉडर्न होने का सबूत देने के लिए उसके नाम पर वह खुली सड़क पर अर्द्ध नग्न अवस्था में नाचने, किसी भी पुरुष की बाँहों में समा जाने, जाँघिए के खले और सिगरेट-शराब के साथ भी अपने पोज़ देने को तैयार हो जाती है कि जिन का सेवन वह अपने जीवन में शायद ही कभी करती हो। तात्पर्य यह है कि आर्थिक स्वतंत्रता के नाम पर पाश्चात्य प्रभावित नारी चड्डी-चोली तक उतारती हुई दिखाई दे रही है।

पाश्चात्य प्रभावित नारी-समाज में एक अन्य शब्द य वाक्य प्रचलित है। वह है-व्यक्तित्व या आकर्षक व्यक्तित्व। इस के साथ एक अन्य शब्द जुड़ जाता है-‘प्रदर्शन’, यानि जब बनाने वाले ने आकर्षक व्यक्तित्व या सौन्दर्य-यौवन प्रदान किया ही है, तो उसके दिखाने या प्रदर्शन करने में हर्ज ही क्या है। जो स्वाभाविक वस्तु है, यदि उसे प्रदर्शित कर ही दिया जाता है, तो उससे उसका अपना या किसी का क्या बन-बिगड़ जाता हैं फिल्मी नायिकाओं के बनावटी जीवन से सीखे गए इस प्रकार माँसल एवं माँसाहारी जुमले जब हम आम नारियों के मुख से भी सुनते हैं, तो सोचने को विवश हो जाना पड़ता है कि आधुनिकता के नाम पर भारतीय नारी आखिर अपने पेटी कोट से किस सीमा तक बाहर जाएगी। इस प्रकार की बातों और लक्षणों को तो शुभ नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार की बातों में न तो वास्तव में किसी प्रकार का व्यक्तित्व है, न विकास है और न सौन्दर्य ही है।

इस प्रकार कुल मिला कर यही कहा जा सकता है कि अभी तक तो भारतीय नारी न तो पूर्णतया पाश्चात्य ही बन पाई है और न अपने भारतीय स्वरूपाकार को ही निखार पाई है। वह एक ऐसे दोराहे पर पहुँच चुकी है, जहाँ से आगे किधर अच्छा या बुरा है; वह न तो अभी तक समझ पा रही है और न निर्णय ही कर पा रही है । भविष्य को ही वास्तविक निर्णायक बनना है।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

  • by Rohit Soni
  • 14 min read

इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi

महिला सशक्तिकरण क्या है.

महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?

महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।

जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।

>यह भी पढ़ें Essay Environment in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)

महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment

नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।

महिला सशक्तिकरण के उपाय

महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –

  • सुकन्या समृध्दि योजना
  • बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
  • वन स्टॉप सेंटर
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना
  • फ्री सिलाई मशीन योजना

एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।

>यह भी पढ़ें दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)

[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”

प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

महिलाओं का अतीत

वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी,  अर्द्धांगिनी,  लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”   यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।

भारत में महिलाओं का सम्मान

भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।

वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार

महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।

शासन तथा समाज का दायित्व

महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।

शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ

  • सुकन्या समृद्धि योजना

नारी जागरण की आवश्यकता

यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।

वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।

  • रिश्तों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में जानें

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

  • महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
  • हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
  • महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
  • बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
  • बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
  • 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
  • वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
  • महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
  • महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।

यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।

FAQ Mahila Sashaktikaran Essay

Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.

Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।

Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?

Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?

Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।

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3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”

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Bahut achcha nibandh lika hai🙏

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धन्यवाद भाई 💖

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi)

महिला सशक्तिकरण

‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।

महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Women Empowerment in Hindi, Mahila Sashaktikaran par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – महिलाओं को सशक्त बनाना जरुरी क्यों है.

पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है

लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है।

सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है।

निबंध 2 (400 शब्द) – महिला सशक्तिकरण: लैंगिक समानता की ओर एक कदम

लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिला को बराबरी पर लाने के लिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरुरत है। सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिये। महिला और पुरुष के बीच की असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा के रुप में सामने आ सकती है। ये महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें समाज में पुरुषों के बराबर महत्व मिले। वास्तव में सशक्तिकरण को लाने के लिये महिलाओं को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिये। न केवल घरेलू और पारिवारिक जिम्मेदारियों बल्कि महिलाओं को हर क्षेत्रों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। उन्हें अपने आस-पास और देश में होने वाली घटनाओं को भी जानना चाहिये।

महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है। वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती है। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ किसी भी प्रभावकारी हिंसा को संभालने में सक्षम है चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक।

महिला सशक्तिकरण के द्वारा ये संभव है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के महिला-पुरुष समानता वाले वाले देश को पुरुषवादी प्रभाव वाले देश से बदला जा सकता है। महिला सशक्तिकरण की मदद से बिना अधिक प्रयास किये परिवार के हर सदस्य का विकास आसानी से हो सकता है। एक महिला परिवार में सभी चीजों के लिये बेहद जिम्मेदार मानी जाती है अत: वो सभी समस्याओं का समाधान अच्छी तरह से कर सकती है। महिलाओं के सशक्त होने से पूरा समाज अपने आप सशक्त हो जायेगा।

मनुष्य, आर्थिक या पर्यावरण से संबंधित कोई भी छोटी या बड़ी समस्या का बेहतर उपाय महिला सशक्तिकरण है। पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है। महिलाएँ अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी, तथा परिवार, देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है। वो हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है। अंतत: कई वर्षों के संघर्ष के बाद सही राह पर चलने के लिये उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है।

निबंध  3 (500 शब्द): भारत में महिला सशक्तिकरण की जरुरत

महिला सशक्तिकरण क्या है ?

महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है।

भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है ?

महिला सशक्तिकरण की जरुरत इसलिये पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वार कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। महिलाओं के लिये प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नये रिती-रिवाजों और परंपरा में ढ़ाल दिया गया था। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला देवियो को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरुरत पूरी हो जायेगी। आज जरुरत है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए जो देश के विकास का आधार बनेंगी।

भारत एक प्रसिद्ध देश है जिसने ‘विविधता में एकता’ के मुहावरे को साबित किया है, जहाँ भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते है। महिलाओं को हर धर्म में एक अलग स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को ढ़के हुए बड़े पर्दे के रुप में और कई वर्षों से आदर्श के रुप में महिलाओं के खिलाफ कई सारे गलत कार्यों (शारीरिक और मानसिक) को जारी रखने में मदद कर रहा है। प्राचीन भारतीय समाज दूसरी भेदभावपूर्ण दस्तूरों के साथ सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह तथा देवदासी प्रथा आदि परंपरा थी। इस तरह की कुप्रथा का कारण पितृसत्तामक समाज और पुरुष श्रेष्ठता मनोग्रन्थि है।

पुरुष पारिवारिक सदस्यों द्वारा सामाजिक राजनीतिक अधिकार (काम करने की आजादी, शिक्षा का अधिकार आदि) को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया। महिलाओं के खिलाफ कुछ बुरे चलन को खुले विचारों के लोगों और महान भारतीय लोगों द्वारा हटाया गया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों के लिये अपनी आवाज उठायी। राजा राम मोहन रॉय की लगातार कोशिशों की वजह से ही सती प्रथा को खत्म करने के लिये अंग्रेज मजबूर हुए। बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोभा भावे, स्वामी विवेकानंद आदि) ने भी महिला उत्थान के लिये अपनी आवाज उठायी और कड़ा संघर्ष किया। भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने लगातार प्रयास से विधवा पुर्न विवाह अधिनियम 1856 की शुरुआत करवाई।

पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किये गये है। हालाँकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिये महिलाओं सहित सभी का लगातार सहयोग की जरुरत है। आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरुक है जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे स्वयं-सेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे है। महिलाएँ ज्यादा खुले दिमाग की होती है और सभी आयामों में अपने अधिकारों को पाने के लिये सामाजिक बंधनों को तोड़ रही है। हालाँकि अपराध इसके साथ-साथ चल रहा है।

कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है – एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976, दहेज रोक अधिनियम 1961, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956, मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, लिंग परीक्षण तकनीक (नियंत्रक और गलत इस्तेमाल के रोकथाम) एक्ट 1994, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013।

भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिये महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा जो कि समाज की पितृसत्तामक और पुरुष प्रभाव युक्त व्यवस्था है। जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।

Women Empowerment Essay

निबंध – 4 (600 शब्द): महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं

आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक चर्चा का विषय है, खासतौर से पिछड़े और प्रगतिशील देशों में क्योंकि उन्हें इस बात का काफी बाद में ज्ञान हुआ कि बिना महिलाओं तरक्की और सशक्तिकरण के देश की तरक्की संभव नही है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को उंचा कर सकती है।

भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं

1) सामाजिक मापदंड

पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण भारत के कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं के घर छोड़ने पर पाबंदी होती है। इस तरह के क्षेत्रों में महिलाओं को शिक्षा या फिर रोजगार के लिए घर से बाहर जाने के लिए आजादी नही होती है। इस तरह के वातावरण में रहने के कारण महिलाएं खुद को पुरुषों से कमतर समझने लगती है और अपने वर्तमान सामाजिक और आर्थिक दशा को बदलने में नाकाम साबित होती है।

2) कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण

कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण भी महिला सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है। नीजी क्षेत्र जैसे कि सेवा उद्योग, साफ्टवेयर उद्योग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या से सबसे ज्यादे प्रभावित होते है। यह समाज में पुरुष प्रधनता के वर्चस्व के कारण महिलाओं के लिए और भी समस्याएं उत्पन्न करता है। पिछले कुछ समय में कार्यक्षेत्रों में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़ने में काफी तेजी से वृद्धि हुई है और पिछले कुछ दशकों में लगभग 170 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है।

3) लैंगिग भेदभाव

भारत में अभी भी कार्यस्थलों महिलाओं के साथ लैंगिग स्तर पर काफी भेदभाव किया जाता है। कई सारे क्षेत्रों में तो महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के लिए बाहर जाने की भी इजाजत नही होती है। इसके साथ ही उन्हें आजादीपूर्वक कार्य करने या परिवार से जुड़े फैलसे लेने की भी आजादी नही होती है और उन्हें सदैव हर कार्य में पुरुषों के अपेक्षा कमतर ही माना जाता है। इस प्रकार के भेदभावों के कारण महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक दशा बिगड़ जाती है और इसके साथ ही यह महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को भी बुरे तरह से प्रभावित करता है।

4) भुगतान में असमानता

भारत में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है और असंगठित क्षेत्रो में यह समस्या और भी ज्यादे दयनीय है, खासतौर से दिहाड़ी मजदूरी वाले जगहों पर तो यह सबसे बदतर है। समान कार्य को समान समय तक करने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों के अपेक्षा काफी कम भुगतान किया जाता है और इस तरह के कार्य महिलाओं और पुरुषों के मध्य के शक्ति असमानता को प्रदर्शित करते है। संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के तरह समान अनुभव और योग्यता होने के बावजूद पुरुषों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है।

महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएं भी महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएं है। वैसे तो शहरी क्षेत्रों में लड़किया शिक्षा के मामले में लड़को के बराबर है पर ग्रामीण क्षेत्रों में इस मामले वह काफी पीछे हैं। भारत में महिला शिक्षा दर 64.6 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत है। काफी सारी ग्रामीण लड़कियां जो स्कूल जाती भी हैं, उनकी पढ़ाई भी बीच में ही छूट जाती है और वह दसवीं कक्षा भी नही पास कर पाती है।

6) बाल विवाह

हालांकि पिछलें कुछ दशकों सरकार द्वारा लिए गये प्रभावी फैसलों द्वारा भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया है लेकिन 2018 में यूनिसेफ के एक रिपोर्ट द्वारा पता चलता है, कि भारत में अब भी हर वर्ष लगभग 15 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है, जल्द शादी हो जाने के कारण महिलाओं का विकास रुक जाता है और वह शारीरिक  तथा मानसिक रुप से व्यस्क नही हो पाती है।

7) महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध

भारतीय महिलाओं के विरुद्ध कई सारे घरेलू हिंसाओं के साथ दहेज, हॉनर किलिंग और तस्करी जैसे गंभीर अपराध देखने को मिलते हैं। हालांकि यह काफी अजीब है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के अपेक्षा अपराधिक हमलों की अधिक शिकार होती हैं। यहां तक कि कामकाजी महिलाएं भी देर रात में अपनी सुरक्षा को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नही करती है। सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की प्राप्ति तभी की जा सकती है जब महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और पुरुषों के तरह वह भी बिना भय के स्वच्छंद रुप से कही भी आ जा सकें।

8) कन्या भ्रूणहत्या

कन्या भ्रूणहत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्तें में आने वाले सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। कन्या भ्रूणहत्या का अर्थ लिंग के आधार पर होने वाली भ्रूण हत्या से है, जिसके अंतर्गत कन्या भ्रूण का पता चलने पर बिना माँ के सहमति के ही गर्भपात करा दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या के कारण ही हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसे प्रदेशों में स्त्री और पुरुष लिंगानुपात में काफी ज्यादे अंतर आ गया है। हमारे महिला सशक्तिकरण के यह दावे तब तक नही पूरे होंगे जबतक हम कन्या भ्रूण हत्या के समस्या को मिटा नही पायेंगे।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है। इन्हीं में से कुछ मुख्य योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।

1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना

2) महिला हेल्पलाइन योजना

3) उज्जवला योजना

4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)

5) महिला शक्ति केंद्र

6) पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण

जिस तरह से भारत सबसे तेजी आर्थिक तरक्की प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।

संबंधित जानकारी:

महिला सशक्तिकरण पर स्लोगन

महिला सशक्तिकरण पर भाषण

FAQs: Frequently Asked Questions on Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- पारिवारिक और सामाजिक प्रतिबंध के बिना खुद का निर्णय लेना महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

उत्तर- शिक्षा, महिला सशक्तिकरण का सबसे मुख्य स्रोत है।

उत्तर- डेनमार्क

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भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | नारी शक्ति पर निबंध | essay on Indian woman in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | नारी शक्ति पर निबंध | essay on Indian woman in hindi पर निबंध प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) नारी शक्ति और भारतीय समाज पर निबंध (2) आधुनिक नारी पर निबंध (3) नारी शिक्षा की समस्याएँ पर निबंध (4) समाज के उत्थान में नारी का योगदान पर निबंध (5) भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति पर निबंध (6) आधुनिक समाज में नारी का स्थान पर निबंध (7) स्त्री शिक्षा की उपयोगिता पर निबंध (8) नारी सशक्तिकरण पर निबंध

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पहले जान लेते है भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | नारी शक्ति पर निबंध | essay on Indian woman in hindi पर निबंध की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना

(2) भारतीय नारी का अतीत

(3) मध्य काल में भारतीय नारी

(4) नारी की वर्तमान स्थिति

(5) नारी का भविष्य

(6) उपसंहार

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भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में,नारी शक्ति पर निबंध,essay on Indian woman in hindi,

यदि मानव समाज को एक गाड़ी मान लिया जाये तो स्त्री-पुरुष उसके दो पहिये हैं। दोनों स्वस्थ और मजबूत होने आवश्यक हैं। दोनों में से यदि एक भी कमजोर हुआ तो गाड़ी-गाड़ी न रहकर ईंधन हो जायेगी।

‘चलती का नाम गाड़ी है। समाज का कर्तव्य है कि वह नारी और नर, समाज के इन दोनों पक्षों को सबल और उन्नत बनाने का प्रयत्न करे ।

युग-युग से नर की दासी बन, जिसने सही यातना भारी। शूर सपूतों की हो जननी, महापीड़िता भारत नारी॥ रही सदा अनुरूप नरों के, किन्तु उपेक्षित दास अभी है। बढ़ेगा, जब नारी सम्मान भारत का कल्याण तभी है।

भारतीय नारी का अतीत

प्राचीन काल में भारत के ऋषि-मुनियों ने नारी के महत्त्व को भली-भांति समझा था। उस समय यहाँ नारी का सर्वांगीण विकास हआ था।

सीता जैसी साध्वी, सावित्री जैसी पतिव्रता, गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने इस देश की भूमि को अलंकृत किया था। इनका नाम लेते ही हमारा मस्तक गौरव से ऊँचा हो जाता है।

उस समय यहाँ का आदर्श था- यत्र नार्यस्तु पूज्यत्ते, रमन्ते त्र देवता।

जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता रमण करते है ।

मध्यकाल में भारतीय नारी

समय परिवर्तित हुआ। हमारे समाज में अनेक कुप्रथा फैलनी शुरू हुई और नारी का महत्त्व घटना शुरू हुआ। स्त्री देवी न रह कर विलास की सामग्री बनने लगी। उसके प्रति श्रद्धा घटती चली गयी।

विदेशियों के आगमन ने उसमें और भी नमक-मिर्च लगाया। परिणाम यह हुआ कि नारी पुरुष की एक ऐसी बपौती बन गयी कि जिसंको वह घर की चारदीवारी के अन्दर बन्द करके सुरक्षित रखने लगा। उसे न शिक्षा का अधिकार रहा, न बोलने का।

पुरुष के किसी भी काम में दखल देना उसके लिए अपराध हो गया। वह पुरुष की अतृप्त वासनाओं को तृप्त करने का साधन मात्र रह गयी ।

नारी जाति का इतना घोर पतन हुआ कि वह स्वयं अपने को भूल गयी। समाज में उसका भी कुछ महत्त्व है-इसका नारी को स्वयं भी ध्यान न रा। उसके हृदय से विकास की भावना ही लुप्त हो गयी ।

पति की मनस्तृप्ति करने, उसकी उचित-अनुचित प्रत्येक इच्छा के सामने सिर झुकाने के लिए मानो विधाता ने उसकी सृष्टि की हो।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने नारी के उस स्वरूप का बड़ा ही स्वाभाविक वर्णन किया है-

“अबला-जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी।”

नारी की वर्तमान स्थिति

बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ ही सामाजिक आन्दोलन भी आरम्भ हुआ। समाज में एक जागृति की लहर दौड़ी।

राजा राममोहन राय तथा महर्षि दयानन्द के द्वारा समाज की कुप्रथाओं को समाप्त किया जाने लगा । नारी समाज की ओर विशेष ध्यान दिया गया। आगे चलकर महात्मा गांधी के नेतृत्व में सामाजिक क्रान्ति हुई। जनता ने नारी के महत्त्व को समझना शुरू किया तथा उसके बन्धन शिथिल होने लगे ।

नारी ने पुनः शिक्षित होना सीखा। यहाँ तक कि राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक नारियों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया। सरोजिनी नायडू तथा विजयलक्ष्मी पण्डित जैसी मान्य महिलाओं ने आगे बढ़कर नारी समाज का पथ – प्रदर्शन किया। 1947 ई० में भारत स्वतन्त्र हुआ, तब से भारत में सभी क्षेत्रों में विकास कार्य प्रारम्भ हुआ।

समाज के दोषों को दूर करने का भरसक प्रयत्न शुरू हुआ। नारी समाज में कुछ जागृति हुई। सबसे महत्त्वपूर्ण घटना यह हुई कि भारत के संविधान में नारी को पुरुषों के समान अधिकार दिये गये। इस प्रकार की वैधानिक समानता नारी को सम्भवतः प्रथम बार मिली थी।

हर्ष है कि शिक्षा, विज्ञान तथा राजनीति आदि क्षेत्रों में आज नारी का प्रवेश है। अनुभव इस बात को बताता है कि नारी कला, किसी भी दृष्टि से पुरुष से कम नहीं है।

आज हम देखते हैं कि भारत के स्त्री समाज में तेजी से जागृति आ रही है। पुरुषों ने भी नारी के महत्त्व को समझना शुरू कर दिया है। थोड़े ही समय में भारतीय नारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की नारी संसार की किसी भी जाति अथवा देश की नारी से विद्या, बुद्धि, सौन्दर्य और वीरता में कम नहीं है।

आज भी हमारे देश में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। महिला आरक्षण बिल तथा सशक्तीकरण बिल ने महिलाओं में जागरूकता एवं शक्ति सम्पन्नता पैदा की है।

नारी का भविष्य

यह ठीक है कि नारी की स्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ है किन्तु यह विकास भी पूर्ण नहीं कहा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अभी बहुत कम चलन है।

शिक्षा के अभाव में विकास असम्भव है। इसमें सन्देह नहीं है कि गाँव में स्त्री शिक्षा में काफी प्रगति होती जा रही है। आशा है, कुछ ही समय में भारत के सभी बालक व बालिकाएँ शिक्षित होंगे। उस शिक्षित समाज में पुरुष और नारी एक-दूसरे के महत्त्व को समझेंगे।

वह दिन दूर नहीं जब भारत में नर और नारी दोनों समान रूप से उन्नति के पथ पर साथ-साथ चलेंगे और स्कूल, दफ्तर, प्रयोगशाला तथा सेना तक में समान रूप से कार्य करते पाये जाएँगे।

बिना नारी के विकास के यह समाज अधूरा है । जैसे पत्नी-पति की अर्धागिनी है, ठीक इसी प्रकार नारी समाज का अद्धांग है। आधे अंग के अस्वस्थ तथा अविकसित रहने पर पूरा अंग ही रोगी और अविकसित रहता है।

यदि मनुष्य शिव है तो नारी शक्ति है, यदि पुरुष विश्वासी है तो नारी श्रद्धामयी है, यदि पुरुष पौरुषमय है तो नारी लक्ष्मी है- किसी भी दृष्टि से वह पुरुष से कम नहीं है।

वह पुत्री के रूप में पोषणीय, पत्नी के रूप में अभिरमणीय तथा माता के रूप में पूजनीय है। उसमें संसार की अपूर्व शक्ति निहित है। प्रसन्न होने पर वह कमल के समान कोमल और कुद्ध होने पर साक्षात चण्डी भी है।

वास्तव में नारी अनेक शक्तियों से युक्त अनेकरूपा है, उसके कल्याण एवं विकास की कामना करना प्रत्येक भारतीय का पवित्र कर्तव्य है।

नारी अनेक रूपा हैं-

“सरस्वती दुर्गा कमला ये, नारी के ही रूप हैं। रत्न-प्रसविनी जग में नारी, इसके रूप अनूप

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नारी शिक्षा पर निबंध – Nari Shiksha Essay

Nari Shiksha Essay in Hindi

आज महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा का खास ध्यान दिया जा रहा है। वहीं आज महिलाओं की साक्षरता दर भी पिछले सालों की तुलना में काफी सुधर गई है, जहां पहले महिलाओं को घर की रसोई तक ही सीमित रखा जाता था, और उनको शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहर नहीं जाने दिया जाता था।

वहीं अब महिलाओं को शिक्षित करने के लिए हमारे समाज के लोगों की सोच विकसित हो रही है, और महिलाओं की शिक्षा अब एक राजनीतिक और सामाजिक मुख्य मुद्दा बन चुका है।

महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में कदम उठाना महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देना है। लोगों को नारी शिक्षा के लिए जागरूक करने और इसके महत्व को समझऩे के लिए आजकल स्कूलों में नारी शिक्षा पर निबंध भी लिखवाए जाते हैं।

इसी कड़ी में आज हम आपको नारी शिक्षा से संबंधित अलग-अलग शब्द सीमा के निबंध अपने इस लेख में उपलब्ध करवाएं, जिनका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

नारी शिक्षा पर निबंध – Nari Shiksha Essay

Nari Shiksha Essay

नारी शिक्षा पर निबंध नंबर 1 (550 शब्द)- Eassy on Women Education (550 Word)

महिलाओं को शिक्षित करने से न सिर्फ एक सभ्य परिवार का निर्माण होता है बल्कि एक सभ्य समाज का भी निर्माण होता है, और देश के विकास को गति मिलती है, इसलिए किसी ने कहा है कि –

”अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता हैं तब एक आदमी ही शिक्षित होता है लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तब पीढ़ी शिक्षित होती है”

महिलाएं यानि की आधी आबादी का शिक्षित होना बेहद जरूरी है, तभी हमारा देश पूरी तरह से विकसित देश हो सकेगा। भारतीय समाज के आर्थिक सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए हर किसी को महिलाओं की शिक्षा पर महत्व देना चाहिए।

महिला शिक्षा का महत्व – Importance of Nari Shiksha

वैसे तो सभी के लिए शिक्षा का सामान रुप से महत्व है, लेकिन महिलाओं की शिक्षा, कई मायनों में बेहद महत्व रखती हैं, इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है।

  • शिक्षित महिला एक मां के रुप में न सिर्फ अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देती है, बल्कि एक शिक्षित महिला समाज के विकास में और राष्ट्र की उन्नति में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • शिक्षा से महिलाओं के अंदर बढ़ता है आत्मविश्वास और आत्मसम्मान
  • महिलाओं को शिक्षित करने से न सिर्फ उनका आत्मसम्मान बढ़ता है, बल्कि उनमें आत्मनिर्भर बनने का भाव भी पैदा होता है, जिससे उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • शिक्षा के माध्यम से ही महिलाओं को अपने सामर्थ्य को समझने का मौका मिलता है और वे अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर खुद को बेहतर साबित कर सकती है।
  • इसके साथ ही वे पुरुष प्रधान देश में भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं।

शिक्षा से महिला सशक्तिकरण को मिलता है बढ़ावा – Women Empowerment

शिक्षा से ही आज महिलाओं को स्थिति मजबूत हुई है, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है।

एक शिक्षित महिला अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद करने में सक्षम होती हैं, अर्थात एक शिक्षित महिला किसी भी तरह से पुरुषों पर निर्भर नहीं रहती हैं और अपने जिंदगी से जुड़े अहम फैसले खुद करती है।

शिक्षा से महिलाओं को आर्थिक रुप से मिलती है मजबूती

एक शिक्षित महलिाओं के लिए आज हर क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं, जहां वह नौकरी कर न सिर्फ पैसा कमा सकती हैं, बल्कि एक पुरुष की तरह अपने परिवार का खर्चा भी उठा सकती हैं।

महिलाओं के शिक्षित होने से घरेलू हिंसा के मामलों में भी कमी आयी है।

शिक्षित महिलाओं से परिवार को मिलती है मजबूती

एक शिक्षित महिला न सिर्फ अपने परिवार को सही तरीके से चलाती है बल्कि अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देती है और उनके आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रशक्त करती है जिससे परिवार की उन्नति होती है, वहीं कामकाजी महिला से आर्थिक रुप से भी परिवार मजबूत बनता है।

शिक्षित महिलाएं समाज के विकास में निभाती हैं महत्वपूर्ण भूमिका

एक शिक्षित महिला समाज के हर पहलू पर बारीकी से ध्यान देती है। इसके साथ ही सामाजिक स्थिरता से जुड़ी परेशानियों को ढूढंने में भी मदत करती हैं, जिससे समाज के विकास को बढ़ावा मिलता है।

वहीं महिलाओं के शिक्षित होने से माता-शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है और जीवन रक्षा दर, सामुदायिक उत्पादकता और स्कूली शिक्षा में बढ़ोतरी हुई है।

राष्ट्र की उन्नति के लिए भी महिलाओं की शिक्षा है बेहद जरूरी

शिक्षित महिलाएं आज इंजीनियरिंग,मेडिकल, टीचिंग, पर्यटन, मनोरंजन समेत तमाम क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं और आर्थिक रुप से मजबूत बन रही हैं। इसके साथ ही पुरुषों के बराबर ही किसी कंपनी के विकास में समान रुप से अपना सहयोग दे रही हैं, जिससे राष्ट्र की उन्नति हो रही है और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही हैं। इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है।

अगले पेज पर और भी नारी शिक्षा पर निबंध…..

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आज की नारी पर निबंध aaj ki nari essay in hindi

Aaj ki nari essay in hindi.

आज की नारी पूरी दुनिया में सफलता प्राप्त कर रही हैं । आज कहीं पर भी नारी समाज किसी काम में पीछे नहीं है । वह अपनी मेहनत और लगन से पुरुषों को भी पीछे छोड़ रही हैं । आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं एवं सफलता प्राप्त कर रही हैं। महिलाओं के बढ़ते कदम और सफलता को आज हम सभी भली-भांति देख रहे हैं । आज हम आपको यह बताने वाले हैं कि आज की नारी किस तरह से अपने आप को सफल बना रही हैं और अपने परिवार के साथ खुद को भी सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा रही हैं।

aaj ki nari essay in hindi

पुराने समय से ही महिलाओं और लड़कियों पर कई तरह के अत्याचार किए जाते रहे हैं । पहले की जो महिलाएं थी वह अपनी इज्जत और अपने परिवार के मान सम्मान को बचाने के लिए अपने ऊपर किए गए जुल्म को छुपा लेती थी । यह सब इसलिए होता था क्योंकि पुराने समय में लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता था । उनको सिर्फ घर में रोटी बनाने का काम सिखाया जाता था । जब वह बड़ी हो जाती थी तो उनकी शादी कर दी जाती थी ।

शादी करने के बाद वह अपने बच्चों का पालन पोषण में ही पूरा जीवन बिता देती थी लेकिन आज समय बदल चुका है क्योंकि आज लड़कियां लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं ,शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे बढ़ रही हैं । महिलाएं जब शिक्षित होती हैं तो उनको अपने अधिकार मालूम होते हैं जब कोई व्यक्ति महिलाओं के ऊपर अत्याचार करता है तो वह उस व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठाने से पीछे नहीं हटती । आज हम देख रहे हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं । अब हम बात करते हैं पढ़ाई की तो पढ़ाई में भी महिलाएं पीछे नहीं हैं ।

पहले घर को चलाने के लिए पुरुष मेहनत करके पैसा कमाते थे और महिलाएं घर पर खाना बनाना, बच्चों को पालने में ही अपना जीवन बिता देती थी लेकिन आज हर महिला अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है । आज हम देखते हैं कि सरकारी ऑफिसों में और कई ऐसे प्राइवेट सेक्टरों में भी महिलाएं काम कर रही हैं और नारी के सम्मान को बढ़ा रही है ।

आज की नारी हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही हैं जैसे की डॉक्टरी लाइन में , वकील , इंजीनियर , जज, कलेक्टर और एयरलाइंस में भी कई महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं । आजकल की नारी तो ट्रेन , ट्रक, और हेलीकॉप्टर भी चलाने से पीछे नहीं हट रही है। आजकल की नारी तो फौज में भी अपना योगदान दे रही है । यह सब बदलते समाज के कारण ही संभव हो पाया है ।

पहले हमारे समाज में यह गंदी सोच फैली थी कि यदि लड़की को पढ़ाया जाए तो हमारे परिवार का नाम खराब हो जाएगा । वह अपने घर की लड़कियों को घर से बाहर नहीं जाने देते थे जिसके कारण लड़की अपनी कामयाबी को साबित नहीं कर पाती थी लेकिन आज समय बदल चुका है और नारी हर क्षेत्र में कदम रख कर नारी के सम्मान को बढ़ा रही हैं ।

हमारे देश की सरकार भी नारी को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम करवाती है । उन कार्यक्रमों में कई तरह की प्रदर्शनी लगाई जाती हैं और नाटक , नौटंकी के माध्यम से लोगों को जागरुक किया जाता है कि जब तक हम हमारे देश की नारी का सम्मान नहीं करेंगे तब तक हमारा देश आगे नहीं बढ़ सकता है ।

हर क्षेत्र में महिलाओं को छूट दी जाती है सरकारी सेक्टर की जो नौकरियां होती हैं उन नौकरियों में महिलाओं को विशेष छूट देकर उनको आगे बढ़ाकर तरक्की करने का मौका दिया जाता है और वह इस मौके को छोड़ती नहीं है एवं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं । आज की नारी विकास की ओर बढ़ रही है , शिक्षा की ओर बढ़ रही है,अपने परिवार को भी ठीक तरह से चला रही हैं ।

मैं कभी-कभी सोचता हूं कि यह महिलाएं किस तरह से अपना घर चलाने के साथ साथ अपने आप को एक सफल नारी बना लेती हैं । शादी से पहले जब लड़की स्कूलों मैं पढ़ने के लिए जाती है तो उसको खुद की हिफाजत करना पड़ता है क्योंकि जिस जगह पर वह महिला काम करती है , पढ़ाई करती है वहां पर कई ऐसे बुरे लोग होते हैं जो उनको परेशान करते हैं ।

आज हम देख रहे हैं कि महानगरों में महिलाओं के ऊपर अत्याचार ,बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं फिर भी आज की नारी सफलता के रास्ते पर चलती हैं और अपने जीवन को सफल बनाती हैं ।

दोस्तों यह आर्टिकल aaj ki nari essay in hindiआपको अच्छा लगे तो सब्सक्राइब जरूर करें धन्यवाद ।

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स्त्री शिक्षा का महत्व क्या है?

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  • Updated on  
  • नवम्बर 21, 2022

स्त्री शिक्षा का महत्व

प्राचीन काल से कई शासकों, योद्धा अर्थात पुरुष प्रधान समाज के कारण स्त्री शिक्षा का महत्व नहीं था किन्तु एक शताब्दी पहले राजा राममोहन रॉय और ईश्वरचंद विद्यासागर ने नारी शिक्षा का प्रचलन किया। इन्हें कई विरोध एवं हिंसा का सामना करना पड़ा परन्तु लोगों में स्त्री शिक्षा के महत्व को लेकर परिवर्तन आया। जैसे जैसे समय बढ़ता चला गया और नारी शिक्षा में बदलाव और विकास होने लगा। जिस प्रकार पुरुष को इस देश के प्रगति, विकास एवं उन्नति के लिए विद्या मिल रही है तो नारी भी इस देश की नागरिक है और उसे भी शिक्षा प्राप्ति का पूरा हक़ है। जब दोनों को संविधान में समान अधिकार मिला है तो शिक्षा के क्षेत्र में भी समान अधिकार हो। तो आइये पढ़तें हैं कि स्त्री शिक्षा का महत्व प्राचीनकाल से वर्तमान तक कैसा उतार-चढ़ाव रहा है।

The Blog Includes:

स्त्री शिक्षा का अर्थ, स्त्री शिक्षा का स्वरुप , स्त्री शिक्षा का महत्व, स्त्री शिक्षा का समाज पर प्रभाव, स्त्री शिक्षा के प्रति जागरूकता , स्त्री शिक्षा की आवश्यकता , स्त्री शिक्षा के महत्व पर कविता , सिखने सिखाने की क्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा के ज़रिए मनुष्य के ज्ञान एवं कला कौशल में वृद्धि करके उसके अनुवांशिक गुणों को निखारा जा सकता है और उसके व्यवहार को अर्जित किया जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की बुद्धि, बल और विवेक को उत्कृष्ट बनाती है वहीं एक अशिक्षित व्यक्ति जानवर के समान है।प्राचीन काल में स्त्रियों को केवल घर और विवाहित जीवन गुजारने की सलाह दी जाती थी परन्तु समाज के विकास के साथ-साथ नारी शिक्षा को भी अलग आकर और पद प्राप्त हुआ है। पुरुषप्रधान समाज से ही स्त्री अपने काम का लोहा मनवा रही हैं। कहते हैं कि एक अशिक्षित नारी गृहस्थी की भी देखभाल अच्छे से नहीं कर सकती है।  .

एक कहावत है कि ‘एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति को शिक्षित कर सकते हैं लेकिन एक नारी को शिक्षित करके हम पूरे देश को शिक्षित कर सकते हैं’। किसी देश और समाज की तो छोड़िये हम अपने परिवार के उन्नति की कल्पना भी स्त्री शिक्षा के बिना नहीं कर सकते हैं। किसी भी लोकतंत्र की यह नींव है कि स्त्री और पुरुष को बराबर शिक्षा प्राप्त करने का हक़ हो। एक पढ़ी लिखी स्त्री ही समाज में ख़ुशी और शांति ला सकती है। कहते हैं कि बच्चे इस देश का भविष्य हैं और एक नारी ही माँ के रूप में उसके पहले शिक्षा का श्रोत है। इसी कारणवस एक स्त्री का शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है। एक शिक्षित नारी ना केवल अपने गृह का बल्कि पूरे समाज को सही दिशा प्रदान करती है। हर एक स्त्री को अपनी इच्छानुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक़ है और उस क्षेत्र में कार्य कर सकें जिनमे वह कुशल हैं। स्त्री शिक्षा का महत्व विभ्भिन तरीके से समाज के काम आता है जैसे कि –

स्त्री शिक्षा का महत्व

  • समाज के विकास और देश के आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए नारी का शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है।       
  • स्त्री शिक्षा का बहिष्कार देश के हित के खिलाफ होगा। 
  • सर्व शिक्षा अभियान
  • इंदिरा महिला योजना
  • बालिका समृधि योजना
  • राष्ट्रीय महिला कोष
  • महिला समृधि योजना
  • दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961
  •  कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984
  • महिलाओं का अशिष्ट रूपण ( प्रतिषेध) अधिनियम 1986
  • सती निषेध अधिनियम 1987
  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990, गर्भधारण पूर्वलिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम 1994
  • घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005

आज के युग में ऐसे लाखों उदहारण हैं जिनमें महिलाओं ने अपने काम और गौरव का लोहा मनवाया है – रानी लक्ष्मीभाई ,एनी बेसेंट,मदर टेरेसा,लता मंगेशकर,कल्पना चावला,पीवी सिंधु , आदि।

यह भी पढ़ें : महिला सशक्तिकरण पर निबंध

पुरुष और स्त्री इस समाज के एक सिक्के के दो पहलु हैं तो फिर शिक्षा भी एक समान प्राप्त होनी चाहिए। जिस तरह पुरुष का शैक्षिक जीवन इस समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है उसी प्रकार नारी शिक्षा भी देश के हित के लिए आवश्यक है। किसी भी तरह की नकारात्मक सोच इस समाज के विकास का रोड़ा बन सकती है। आज के इस युग में स्त्री पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर रही हैं। हर एक क्षेत्र में नारी आज कुशल है, वह घर की देखभाल के साथ साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अडिग है। 

शिक्षा के बिना संस्कार का कोई स्थान नहीं है और एक शिक्षित माँ ही संस्कार का उपचार है। संस्कृत में एक उक्ति प्रसिद्ध है-“नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ती मातृ समोगुरु” इसका मतलब है की इस दुनिया में विद्या के समान कोई क्षेत्र नही है और माता के समान कोइ गुरु नही है| देखा जाए तो कई जमाने से नारी के प्रति हमारा देश बढ़ा ही श्रद्धापूर्ण और सम्मानजनक रहा है परन्तु समय काल से शोषण नारी को क्षति पहुंचाता रहा है।स्त्री शिक्षा के महत्व ने ऐसी लड़ाइयों पर विजय पाई है। आजकल समाज के ये दोनों पहलु स्त्री शिक्षा के महत्व को समझकर एक विकसित देश की नींव दे रहे है।   

यह भी ज़रूर पढ़ें : निबंध लेखन

एक स्त्री शिक्षित होती है तो वह अपनी शिक्षा का उपयोग समाज और परिवार के हित के लिए करती है। एक शिक्षित स्त्री के कारण देश कि आर्थिक स्थिति और घरेलु उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है। एक शिक्षित नारी घरेलु हिंसा और अन्य अत्याचारों से सक्षमता से निजाद पा सकती है। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि स्त्री शिक्षा का प्रभाव परिवार,समाज और देश के हर क्षेत्र में अहम योगदान देता है। देश के हर उच्च पद पर आज महिलाओं ने महत्वपूर्ण फ़र्ज़ निभाया है।  

अभी भी इस समाज में स्त्री को शिक्षा का समान दर्ज़ा दिलाने की जागरूकता है। कहीं न कहीं आज भी कुछ घरों में भेदभाव की प्रचलन है जिसके चलते सिर्फ लड़कों को ही शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति होती है। इस देश में महिला सशक्तिकरण को और मजबूत करने की ज़रूरत है। जब महिलाएं अपने अधिकारों से परिचित होंगी तभी वह सही कदम उठा पाएंगी। कई सामाजिक एवं राजनितिक संगठन और संस्थानों को स्त्री शिक्षा के महत्व के लिए इस समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है।    

एक स्त्री शिक्षा के बिना एक विकसित समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। स्त्री शिक्षा की आवश्यकता इस समाज और देश को कुछ यूँ है –

  • स्त्री शिक्षा से बौद्धिक विकास प्राप्त होगा जिससे समाज के व्यवहार में सरसता आएगी। 
  • मानसिक और नैतिक शक्ति के विकास में महिलाएं पुरूषों का सम्पूर्ण योगदान दे रही हैं। 
  • एक शिक्षित नारी गृहस्थ-जीवन में शांति और खुशहाली का स्रोत होती है।
  • स्त्री शिक्षा हमारे संस्कृति के ऊर्जा और विकास का संचार है। 
  • जब कभी नए समाज की स्थापना की जाती है तो शिक्षित महिलाएं एक बेहतर अकार और व्यवस्था प्रदान करती हैं।    

स्त्री शिक्षा का महत्व

नारी तेरे रूप अनेक, सभी युगों और कालों में है तेरी शक्ति का उल्लेख । ना पुरुषों के जैसी तू है ना पुरुषों से तू कम है।। स्नेह,प्रेम करुणा का सागर शक्ति और ममता का गागर । तुझमें सिमटे कितने गम है।। गर कथा तेरी रोचक है तो तेरी व्यथा से आंखे नम है। मिट-मिट हर बार संवरती है।। खुद की ही साख बचाने को हर बार तू खुद से लड़ती है। आंखों में जितनी शर्म लिए हर कार्य में उतनी ही दृढ़ता।। नारी का सम्मान करो ना आंकों उनकी क्षमता। खासतौर पर पुरुषों को क्यों बार बार कहना पड़ता।। हे नारी तुझे ना बतलाया कोई तुझको ना सिखलाया। पुरुषों को तूने जो मान दिया हालात कभी भी कैसे हों।। तुम पुरुषों का सम्मान करो नारी का धर्म बताकर ये । नारी का कर्म भी मान लिया औरत सृष्टि की जननी है ।। श्रृष्टि की तू ही निर्माता हर रूप में देखा है तुझको । हर युग की कथनी करनी है युगों युगों से नारी को ।। बलिदान बताकर रखा है तू कोमल है कमजोर नहीं । पर तेरा ही तुझ पर जोर नहीं तू अबला और नादान नहीं ।। कोई दबी हुई पहचान नहीं है तेरी अपनी अमिटछाप । अब कभी ना करना तू विलाप चुना है वर्ष का एक दिन ।। नारी को सम्मान दिलाने का अभियान चलाकर रखा है । बैनर और भाषण एक दिन का जलसा और तोहफा एक दिन का ।। हम शोर मचाकर बता रहे हम भीड़ जमाकर जता रहे । ये नारी तेरा एक दिन का सम्मान बचाकर रखा है ।। मैं नारी हूं है गर्व मुझे ना चाहिए कोई पर्व मुझे । संकल्प करो कुछ ऐसा कि अब सम्मान मिले हर नारी को, बंदिश और जुल्म से मुक्त हो वो अपनी वो खुद अधिकारी हो।। -प्रतिभा तिवारी  

भारत का बाकी देशों  से पीछे होने का कारण महिलाओं को शिक्षा न मिलना ही है। प्राचीनकाल से स्त्रियों पर अत्याचार और पाबंधियाँ बढ़ती रही हैं जिसका मुख्य कारण स्त्री शिक्षा को महत्व ना देना ही है।  

नारी शिक्षा परिवार में विनम्रता और सहनशीलता प्रदान करती है बल्कि समाज और देश में सामाजिक और आर्थिक मजबूती को सही दिशा देती है। सरकार को महिलाओं के विकास के लिए बेहतर विद्यालय और विश्वविद्यालयों का निर्माण कराना चाहिए ताकि स्त्री शिक्षा को मजबूती मिल सके। 

भारत में महिलाओं की स्थिति समय के हिसाब से बदलती रही है जिसमें अनेक उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। वैदिक युग में महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्राप्त था परन्तु तमाम अत्याचारों के कारण वे उससे वंछित रहती थी। परन्तु इस आधुनिक युग में स्त्री शिक्षा के महत्व को सही दिशा मिली है जिससे वह कई अत्याचारों से छुटकारा पा चुकी हैं। 

इसके अतिरिक्त अनैतिक व्यापार( निवारण) अधिनियम 1956, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984, महिलाओं का अशिष्ट रूपण ( प्रतिषेध) अधिनियम 1986, सती निषेध अधिनियम 1987, राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990, गर्भधारण पूर्वलिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम 1994, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 जैसे आदि कदम सरकार द्वारा उठाए गए हैं। 

उम्मीद है कि स्त्री शिक्षा का महत्व आपको समझ आया होगा तथा आपकी परीक्षाओं में आप स्त्री शिक्षा के महत्व पर निबंध इस ब्लॉग की सहायता से ज़रूर लिख पाएंगे। यदि आप इसी तरह के ब्लॉग पढ़ने के लिए  Leverage Edu  की वेब साइट पर बनें रहें।

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नारी शक्ति पर निबंध हिंदी में

Photo of Sachin Sajwan

दोस्तों क्या आप नारी शक्ति पर निबंध – Nari Shakti Essay in Hindi जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट एकदम सही है आपके लिए

इस पोस्ट में मैंने आपको नारी शक्ति पर हिंदी में दो निबंध बताए हैं. आपको जो अच्छा लगे आप उसे चुन सकते हैं तो आइए पढ़ते हैं

1) नारी शक्ति पर निबंध – Essay on Nari Shakti in Hindi

“हर पथ को रोशन करने वाली शक्ति का नाम नारी है काबिलता के साथ निभाती वो हर इक जिम्मेदारी है”

जीवन के हर पथ को रोशन करने वाली वो शक्ति है एक नारी, आज भी नारी के हाथों में घर चलाने की डोर हैं. महिलाओं के बिना मनुष्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. नारी के बिना इस सृष्टि को चलाने में पुरुष पूर्णतः असमर्थ है

हमारा देश भारत एक विकासशील देश है और देश की आर्थिक स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है. भारत में पुरुष प्रधान समाज का प्रचलन है. पुरुषों को यह समझना जरूरी है कि महिलाएं भी इस देश की आधी शक्ति है और पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने से देश की पूरी शक्ति बन सकती है

एक दिन जब देश की पूरी शक्ति काम करना शुरु कर देगी, तो कोई भी अन्य देश भारत से अधिक शक्तिशाली नहीं होगा. पुरुष ये नहीं जानते कि भारतीय महिलाएं कितनी शक्तिशाली हैं

सभी भारतीय पुरुषों के लिए बहुत आवश्यक है कि वो महिलाओं की शक्ति को समझे और उन्हें स्वंय को आत्मनिर्भर और देश, परिवार की शक्ति बनाने के लिए आगे बढ़ने दें

भारत में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए लैंगिक समानता पहला कदम है. पुरुषों को ये नहीं सोचना चाहिए कि महिलाएं केवल घर व परिवार संभालने के लिए हैं. पुरुषों को भी उनकी जिम्मेदारियों में हाथ बटाना चाहिए जिससे महिलाओं को खुद के और अपने कैरियर के बारे में सोचने के लिए कुछ समय मिल सके

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बहुत से कानून भी हैं किंतु कुछ प्रभावशाली और कड़े नियम होने चाहिए जिनका सभी के द्वारा अनुसरण किया जाए. ये केवल हमारी सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, ये प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है

प्रत्येक भारतीय को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने और महिला सशक्तिकरण के लिए बनाये गए नियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है

महिलाओं को पूरी स्वतंत्रता देने की आवश्यकता है ये उनका जन्मसिद्ध अधिकार है. महिलाओं को भी अपनी पूर्वधारणाओं को बदलने की जरुरत है कि वो कमजोर हैं

इसके बजाय उन्हें ये सोचने की आवश्यकता है कि उनमें पुरुषों से अधिक शक्ति है और वो पुरुषों से बेहतर कर सकती हैं. वो योग, मानसिक कला, कूगं-फू, कराटे आदि को अपने सुरक्षा मानकों के रुप में सीखकर शारीरिक रुप से भी शक्तिशाली हो सकती हैं

देश में विकास को आगे बढ़ाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण तत्व है. समाज में महिलाओं के अहम योगदान को भूलना नहीं चाहिए और समाज हम सब लोगों से मिलकर बना हैं. अगर हम औरत का सम्मान करेंगे, उनकी इज्जत करेंगे तो वे समाज को यानि हमारी दुनिया को खूबसूरत बना सकती हैं

“दुनिया को मिला इक खूबसूरत उपहार है समाया इक नारी में सम्पूर्ण सृष्टि का सार है”

2) नारी शक्ति पर निबंध – Nari Shakti Essay in Hindi

Nari Shakti Essay in Hindi

“नारी गौरव है, सम्मान है आदि शक्ति का दूजा नाम है नारी के ही द्वारा रचा ये विधान है हे नारी शक्ति तुझे शत-शत प्रणाम है”

नारी समाज का एक अभिन्न अंग है. नारी के बिना हम समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे अनगिनत गुण विद्यमान होते हैं

वह बहुत से क्षेत्रों में पुरुषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है. नारी हमारे समाज और राष्ट्र के विकास की धुरी है. नारी का विकास किए बिना राष्ट्र विकास असम्भव है इसीलिए नारी को जगत जननी कहा जाता हैं

नारी ही माता के रूप में बच्चों को पालती हैं, पत्नी और बेटी के रूप में सेविका का कार्य करती हैं और देश की आन-बान शान के लिए वह वीरांगना के रूप में रक्षा भी करती है. इसीलिए सम्पूर्ण नारी जाति को “नारी शक्ति” की संज्ञा दी जाती है

प्राचीन काल में नारी शक्ति

प्राचीन समय से ही स्त्री ने समाज के विकास एवं संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हालांकि उस समय स्त्री की दशा बहुत शोचनीय थी. बहुत सी सामाजिक कुरीतियां उनपर थोपी गयी थी

उस समय राजा राम मोहन राय, ईश्वरचंद विद्यासागर जैसे महान समाज सुधारकों ने नारी स्वाधीनता हेतु आवाज़ उठाई जिससे स्त्रियां जागृत हुईं एवं अपनी विद्या, बुद्धि एवं कर्तव्य शक्ति के बल पर उन्होंने समाज में विशेष पहचान बनाई

झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है

“अबला नहीं सबला है, शक्ति का नाम नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी उससे हारी है”

आधुनिक युग की नारी शक्ति

आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है

आज की महिला कोमल और मधुर होने के साथ-साथ जागरूक भी है उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है. लेकिन फिर भी वह आज पूर्णतया सुरक्षित नहीं है

आज भी पुरुष वर्ग के कुछ लोग नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझते हैं. वह नारी को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देते हैं, नारी का पल-पल अपमान करते हैं लेकिन ऐसे लोगों को यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि अगर नारी की सहनशीलता कहीं खत्म हो गई और नारी ने शक्ति का रूप ले लिया तो उसके अस्तित्व को मिटाने से कोई भी नही बचा सकता

इतिहास गवाह है जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय अवश्य आई है. आज रूढ़िवादी मान्यताओं और पुरुष प्रधान विचारों को महिलायें लगातार चुनौती दे रही हैं और हर क्षेत्र में अपने हुनर को आजमा रही हैं

आज समाज के पढ़े लिखे लोग लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं और शिक्षित महिलायें देश के विकास में अपना अहम योगदान दे रही हैं

भारत देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है. वेद पुराणों में कहा गया है किसी देश की संस्कृति को समझना है तो सबसे पहले हमें उस देश की महिलाओं के बारे में जरूर जानना चाहिए

आज के युग में नारी शक्ति एक अहम विषय बन चुका हैं. जिस देश की महिलाओं का विकास नहीं हुआ, वह देश आगे विकास ही नहीं कर सकता

देश और समाज का उन्नति का एक ही रास्ता है वह है महिलाओं और बेटियों को जागरूक करना. एक शिक्षित नारी अपने परिवार के साथ समाज का भी उद्धार करती है अतः नारी शक्ति को सशक्त बनाकर देश के विकास में योगदान करना चाहिए

“मुस्कुरा के, दर्द भुला के, रिश्तों में बांध के दुनिया सारी हर पथ को रोशन करने वाली वो शक्ति है एक नारी”

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संक्षेप में

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