environmental sanitation essay in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

environmental sanitation essay in hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
  • प्रकृतिक वातावरण
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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

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पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

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Hindi Essay

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Environmental Pollution Essay in Hindi 1000 Words | PDF

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Environmental Pollution Essay in Hindi (Download PDF) पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे कि पर्यावरण प्रदूषण पर एक अच्छा निबंध कैसे लिखे तो शुरू करते है।

पर्यावरण प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषकों की शुरूआत से है। प्राकृतिक दुनिया और जीवों की गतिविधियों पर इसका खतरनाक प्रभाव पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण हैं।

वनों की कटाई और खतरनाक गैसीय उत्सर्जन से पर्यावरण प्रदूषण भी होता है। पिछले 10 वर्षों के दौरान, दुनिया में पर्यावरण प्रदूषण में गंभीर वृद्धि हुई है।

हम सभी ग्रह पृथ्वी पर रहते हैं, जो एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसे पर्यावरण के लिए जाना जाता है, जहां हवा और पानी दो बुनियादी चीजें हैं जो जीवन को बनाए रखती हैं। हवा और पानी के बिना पृथ्वी अन्य ग्रहों की तरह होगी – कोई आदमी नहीं, कोई जानवर नहीं, कोई पौधे नहीं। जीवमंडल जिसमें जीवित प्राणियों के पास जीविका है, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन और जल वाष्प है।

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ये सभी पशु दुनिया में जीवन के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने और मदद करने के लिए अच्छी तरह से संतुलित हैं। यह संतुलन न केवल जानवरों और पौधों के जीवन-चक्र की मदद करता है, बल्कि यह खनिजों और ऊर्जा के बारहमासी स्रोतों को भी बनाता है, जिसके बिना दिन की मानव सभ्यता का निर्माण नहीं किया जा सकता था। यह इस संतुलन के लिए है कि मानव जीवन और अस्तित्व के अन्य रूप इतने सारे हजारों वर्षों से पृथ्वी पर फले-फूले हैं।

ये भी देखें – Essay on women emporment in Hi ndi

लेकिन आदमी, सबसे बुद्धिमान जानवर के रूप में, न तो जिज्ञासु होना बंद कर दिया, और न ही वह प्रकृति की सीमाओं के साथ संतुष्ट था। ज्ञान के लिए उनकी खोज और सुरक्षा की खोज नए और व्यापक रहस्यों का पता लगाने में सफल रही जो इतने लंबे समय तक चकरा देने वाले रहे। रहस्य के सबसे अंधेरे क्षेत्रों में मनुष्य की यात्रा ने शानदार सभ्यता के लिए नींव रखी, पुरुषों की विजय के लिए उनकी दुनिया में अपना वर्चस्व सुनिश्चित किया और उन्हें प्रकृति की सभी ताकतों को नियंत्रित करने की कुंजी दी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग की शुरुआत के साथ, मानव क्षमता में भारी वृद्धि और विकास हुआ है। और, यह यहां है कि आदमी ने पहले नियंत्रण खोना शुरू कर दिया और अपनी खुद की रचनाओं का कैदी बन गया।

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत और कारण

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों और कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

• औद्योगिक गतिविधियाँ: पूरे विश्व में उद्योग जो समृद्धि और समृद्धि लाते हैं, जीवमंडल में व्याप्त हैं और पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ते हैं। धुएं का गुबार, घूमता हुआ गैस, औद्योगिक अपशिष्ट और वैज्ञानिक प्रयोगों का गिरना वायु और जल दोनों को प्रदूषित और दूषित करता है। औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान मिट्टी और जल प्रदूषण के स्रोत हैं।

• वाहन: पेट्रोल और डीजल का उपयोग करने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं और खाना पकाने वाला कोयला पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है। वाहनों का गुणन, काले धुएं का उत्सर्जन करता है, जो मुक्त और अनियंत्रित हो रहा है, बाहर फैलता है और जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसके साथ मिश्रण होता है। इन वाहनों के निकलने वाले  हानिकारक धुएं से वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा, इन वाहनों द्वारा निकलने वाले ध्वनियाँ ध्वनि-प्रदूषण का कारण बनती हैं।

• तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण: शहरीकरण और औद्योगीकरण का तेजी से विकास पर्यावरण प्रदूषण के माध्यम से पौधे के जीवन को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है, जो बदले में पशु साम्राज्य और मानव जीवन को नुकसान पहुंचाता है।

• जनसंख्या में वृद्धि: जनसंख्या में वृद्धि के कारण, विशेष रूप से विकासशील देशों में, बुनियादी भोजन, व्यवसाय और आश्रय की मांग में वृद्धि हुई है। दुनिया ने बढ़ती आबादी और उनकी मांगों को अवशोषित करने के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई देखी है।

ये भी देखें – Essay on poverty in India in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण ने मनुष्य और जानवरों दोनों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। औद्योगिक प्रगति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे लाभ के लगभग सभी हमारे स्वास्थ्य की कीमत पर अब तक महसूस किए गए थे। यहां तक ​​कि हमारे वनस्पतियों और जीवों को भी विलुप्त होने का खतरा पाया गया था।

यह सब वास्तव में हमें आश्चर्यचकित करता है यदि हमारी सभी उपलब्धियां और औद्योगिक सभ्यता वास्तव में हमें समृद्धि की चोटियों पर चढ़ने में मदद करती हैं या बस हमें प्रतिकूल परिस्थितियों के अंधे गलियों में ले जाती हैं।

यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में – यहाँ तक कि यूरोप और यू.एस.ए. में भी है – यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे औद्योगिक विकास और प्रगति के साथ सब ठीक है। पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ कई अपराधियों ने विकास के नाम पर रोजाना हो रहे अंधाधुंध उल्लंघनों का विरोध किया है।

पर्यावरण प्रदूषण केवल परमाणु परीक्षणों या उद्योगों से गिरने के कारण नहीं है। ऑटोमोबाइल और अन्य वाहनों के ट्रैफ़िक को पीछे छोड़ दिया, सिंथेटिक डिटर्जेंट, नाइट्रोजन उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से हवा और पानी दोनों दूषित होते हैं।

• हम जो पानी सब्जियां पीते हैं वे सभी दिन के लिए दूषित हैं। इस संदूषण के परिणामस्वरूप हमारी दुनिया काफी लाइलाज बीमारियों से ग्रसित है।

• इस दुनिया में कुछ भी प्रतिरक्षा नहीं है, कोई भी जीवन सुरक्षित नहीं है और इस दुनिया का भविष्य अंधकारमय है।

• कारखानों को ज्यादातर आबादी वाले क्षेत्रों में बनाया जाता है और धुंए से निकलने वाले वाहनों को भीड़भाड़ वाले इलाकों से होकर निकाला जाता है। अपार गड़बड़ी पैदा करने के अलावा, फुफ्फुसीय तपेदिक और घनास्त्रता और मस्तिष्क और हृदय की जटिलताओं के विभिन्न प्रकार के बढ़ते मामले हैं।

• वायु-प्रदूषण से फेफड़े-गंभीर रोग, अस्थमा, मस्तिष्क-विकार रोग आदि हो सकते हैं।

• मृदा-प्रदूषण का कृषि उत्पादन अनुपात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह भूजल को भी दूषित कर सकता है।

• शोर-प्रदूषण का श्रवण या श्रवण इंद्रिय अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे बहरापन, थकान और मानसिक नुकसान भी हो सकता है।

• उद्योगों और वाहनों द्वारा उत्पन्न गर्मी आसपास के क्षेत्रों के पर्यावरणीय तापमान को बढ़ाकर थर्मल प्रदूषण का कारण बनती है।

मिलों और कारखानों का जन्म इस मशीन-पूर्वनिर्मित युग में उद्योग की वृद्धि का परिणाम है। जब तक वे वहां रहेंगे, उन्हें धुएं का उत्सर्जन करना होगा, हवा को प्रदूषित करना होगा और धीमे-धीमे जहर देकर हमारा अंत करना होगा।

ये भी देखें – Essay on my family in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण के उपाय

फिर क्या उपाय है? निश्चित रूप से कोई भी कट्टरपंथी समाधान नहीं हो सकता है, क्योंकि मौजूदा कारखानों को शारीरिक रूप से आबादी वाले क्षेत्र से दूर जगह पर नहीं उठाया जा सकता है। हालाँकि, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं।

• सरकार कम से कम यह देख सकती है कि भविष्य के कारखानों को दूर के स्थान पर स्थापित किया गया है, जो बस्ती से दूर एक औद्योगिक परिसर है।

• शोधकर्ता यह पता लगा सकते हैं कि दौड़ने वाले वाहनों के हानिकारक धुएं से कैसे बचा जाए।

• वनों की कटाई को रोका जाना चाहिए और वानिकी का विकास किया जाना चाहिए।

• नदियों में फैक्ट्री कचरे के निर्वहन पर रोक लगाई जानी चाहिए ताकि नदी-जल को प्रदूषण से मुक्त किया जा सके।

हम बहुत अच्छी तरह से मौसम के असामान्य व्यवहार को नोटिस कर सकते हैं – चक्र अपने पहियों में मोज़री विकसित कर रहा है; और चिंतित विशेषज्ञों को डर है कि जीवमंडल में गड़बड़ी के संतुलन ने इतना गंभीर अनुपात ग्रहण कर लिया है कि बहुत जल्द ही हमारी दुनिया 1945 के हिरोशिमा की तरह निर्जन हो जाएगी।

लेकिन यह पूरी दुनिया को पता है कि इस खतरे के बारे में पता चल रहा है। कुछ उन्नत देशों ने इससे मिलने के लिए पहले ही कुछ उपाय कर लिए हैं। अगर हम अभी पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने में विफल रहते हैं, तो कल बहुत देर हो जाएगी।

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FAQs. Environmental Pollution in Hindi

प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.

उत्तर- इसे नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जैसे पेड़-पौधे पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि संभव हो तो, पेड़ों को कम से कम काटा जाना चाहिए। धुएं को कम करने और वायु प्रदूषण को रोकने में मदद करने के लिए ट्रैफ़िक टूल का उपयोग किया जाना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?

उत्तर- 6 प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – 1. जल प्रदूषण, 2. शोर प्रदूषण, 3. वायु प्रदूषण, 4. भूमि प्रदूषण, 5. प्रकाश प्रदूषण, 6. तापीय प्रदूषण।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environment Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environment Pollution in Hindi

आज के इस लेख में हमने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environment Pollution in Hindi) प्रकाशित है। जिसे विद्यार्थी 100, 300, 500, 700, 900 शब्दों में अपने ज़रुरत अनुसार लिख कर मदद ले सकते हैं।

आप सभी जानते हो कि, हमारा पर्यावरण कितना प्रदूषित हो रहा है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों और तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। आज इस आर्टिकल में हमने आपको पर्यावरण प्रदूषण के बारे में तथा इसे रोकने के उपाय बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना Introduction

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। आज के दिन में पर्यावरण प्रदूषण हमारे लिए एक अभिशाप बन गया है।

प्रदूषण का अर्थ क्या होता है?  Definition of Pollution

प्रदूषण का अर्थ होता है हमारे पर्यावरण का दूषित होना। आज के दिन में हमारे पर्यावरण में कई प्रकार के प्रदूषण हैं।  यह एक ऐसी परिस्तिथि होती है जिसमे – ना हमें शुद्ध जल मिल पाता है, ना हमें अच्छा खाना मिल पाता है,ना हम शुद्ध वायु सांस ले पाते हैं और ना ही हम अच्छे से अपने वातावरण में रह पाते हैं।

अब आईये निचे हम आपको बताते है पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, उनके होने के कारण, पर्यावरण पर उनके प्रभाव तथा उन्हें रोकने के उपाय।  

प्रदूषण के प्रकार Types of Pollution

प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, उष्मीय प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण।

जल प्रदूषण Water pollution

कल कारखानों से निकलने वाले दूषित जल को नदियों नालों में बहा दिया जाता है। मरे हुए जीव जंतुओं की शरीर को तालाबों में नदी नालों में बहा दिया जाता है।  जिससे हमारे नदी नाले प्रदूषित हो जाते हैं। जिसके कारण लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियां होती है और कई लोगों की मौत भी हो जाती है।

जल प्रदूषण का मुख्य कारण हमारे औद्योगिक कल कारखाने हैं। खेतो के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों का उपयोग किया जाता है जिससे बारिश के दिनों में वह रासायनिक खाद्य हमारे नदी नाले तालाबों तक पहुंच जाते हैं और हमारे पानी को दूषित कर देते हैं।

वायु प्रदूषण Air Pollution

शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या अधिक होती है। कल कारखानों से निकलने वाले काले धुएं, मोटर गाड़ी आदि वाहनों से निकलने वाले काले धुएं, हमारे फेफड़े तक जाकर हमें नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या है बढ़ती हुई जनसंख्या। लोग रहने के लिए घर बनाने को हमारे वनों को काट रहे हैं जिसके कारण यह वायु प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहा है।

ध्वनि प्रदूषण Sound Pollution

कल कारख़ानों, मोटर वाहनों और लाउडस्पीकर से निकलने वाले आवाज़ से हमारे वातावरण में ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरेपन और तनाव जैसी बीमारियाँ देखने को मिल रही है।

उष्मीय या थर्मल प्रदूषण Thermal Pollution

जब एक बिजली संयंत्र मरम्मत तथा अन्य कारणों से खोला जाता है या बंद किया जाता है तो इसकी वजह से मछलियां या अन्य प्रकार के जीवाणुओं जो कि एक विशेष प्रकार के तापमान के आदी होते हैं अचानक तापमान में हुई बढ़ोतरी से मर जाते हैं। इसे थर्मल झटका कहा जाता है या उष्मीय प्रदूषण कहते है।

मिट्टी प्रदूषण Soil Pollution

मृदा प्रदूषण मानव निर्मित रासायनिक खादो कल कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ हो जो सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी में मिल कार मिट्टी को प्रभावित करते हैं जो भूमि में उर्वरकता को कम करने का कारण बनते हैं और इसे फसल के लिए अयोग्य बनता है।

प्रकाश प्रदूषण Light Pollution

प्रकाश प्रदूषण, जिसे फोटो पॉल्यूशन या चमकदार प्रदूषण के रूप में भी जाना जाता है यह कृत्रिम बाहरी प्रकाश का अत्यधिक गलत प्रयोग या आक्रमक उपयोग है। गलत तरीके का प्रकाश व्यवस्था रात के आगमन के रंग को धुँधला कर देता है। प्राकृतिक तारों का प्रकाश और सकैंडियन की लय ( ज्यादातर जीवों की 24 घंटे की प्रक्रिया) को बाधित करता है। यह पर्यावरण ऊर्जा संसाधन, वन्य जीव मानव और खगोल विज्ञान के शोध को प्रभावित करता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण Radioactive Pollution

रेडियोधर्मी पदार्थ जब, ठोस, तरल और गैस के रूप में पर्यावरण को दूषित करते हैं तो उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। इसके सबसे बड़े कारण परमाणु हथियारों का परीक्षण, एक्स रे मशीन, परमाणु विस्फोट वैज्ञानिक अनुसंसाधन एवं परमाणु इंधन के प्रयोग हैं।

निर्माण के समय होने वाले दुर्घटना के कारण यह प्रदूषण फैलता है। जिससे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो जाता है। इस प्रदूषण के कारण जीव जंतु और मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रदूषण के दुष्परिणाम Bad effects of Pollution

इन सब प्रदूषण के कारण हमारे जीवन में बहुत सारियां तकलीफ है हो रही हैं। कल कारखानों से निकलने वाले धुएं हमारे फेफड़ों तक जाकर हमें बीमार कर रही हैं। दूषित जल पीकर आदमी आज बहुत ही बीमार पड़ रहा है। हम शुद्ध सांस लेने को तरस जाते हैं।

वातावरण के इन सब प्रदूषण के कारण कोई भैरा हो रहा है ,कोई अपंग हो रहा है, सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है, और लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ना वर्षा टाइम पर हो रही है, ना सर्दी और गर्मी का ऋतु भी टाइम पर नहीं आ रहा है। प्रदूषण के कारण सूखा,  बाढ़, भूकंप, ओला आदि हो रहे हैं।

प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution

बढ़ती हुए जनसंख्या हमारे पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य करण है। कल कारखानों से निकलने वाले गैस ,विगानिका साधनों का अत्यधिक उपयोग हमारे वातावरण में प्रदूषण का करण है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जिसके कारण हमारा वायु प्रदूषित हो रहा है और हमें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। 

प्रदूषण को रोकने के उपाय Tips to Control Pollution

  • जो भी बनाये गए कारखाने हैं उन्हें अब हटाया तो नहीं जा सकता लेकिन आगे बनाए जाने वाले कारख़ानों को शहर से दूर बनाने दिया जाना चाहिए।
  • ऐसे योजनाएं और इको-फ्रेंडली गाड़ियाँ बनाना चाहिए जिससे कम धुआँ निकले और हम हमारे वायु प्रदूषण को रोक सके।
  • कार पूलिंग कर भी एक ही गाडी में कई लोग ऑफिस जा सकते हैं इससे इंधन भी बचेगा और ।
  • जंगलों के पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई को रोकना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • नदी नालों के पानी में कचरा फेंक कर दूषित नहीं करना चाहिए।
  • प्लास्टिक का उपयोग ना करके रिसाइकल होने वाले बैग, या कपड़े का थैला इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि भारत में प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है परन्तु अभी भी कई जगह छुप कर कंपनियां प्लास्टिक की थैलियाँ बना रहें हैं। ऐसे कारख़ानों को बंद कर किया जाना चाहिए।
  • किसानों को अपने खेतों में रसायानिक खादों का उपयोग बंद करना चाहिए जिससे मृदा प्रदूषण में कमी आये।

आशा करते है आपको पर्यावरण प्रदूषण पर ये निबंध अच्छा लगा होगा। हम सबको मिलकर पृथ्वी में प्रदूषण को रोकना होगा और एक सुन्दर और पर्यावरण बनाना होगा।

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पर्यावरण के मुद्दें और जागरूकता पर निबंध (Environmental Issues and Awareness Essay in Hindi)

पर्यावरण के मुद्दें और जागरूकता

आधुनिक तकनीकी संसार में बहुत से पर्यावरण के मुद्दें हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और दिनचर्या को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। पर्यावरण के सभी मुद्दों को इस ग्रह के सभी व्यक्तियों के प्रयासों के द्वारा तत्काल आधार पर सुलझाने की आवश्यकता है। सामान्य जनता विशेषरुप से युवाओं (क्योंकि वो स्थिति को बेहतर समझते और संभाल सकते है) के बीच में जागरुकता को बढ़ावा देना बहुत आवश्यक है।

निबंध लेखन प्रतियोगिता बहुत आम है जिसे स्कूल के कैंपस या कैंपस के बाहर विद्यालय के प्राधिकरी या सरकार के द्वारा, छात्रों की एक विशेष विषय पर जागरुकता में सुधार के साथ ही ज्ञान में वृद्धि के लिये आयोजित किया जाता है। हमने छात्रों की मदद के लिये पर्यावरण के मुद्दों पर बहुत से निबंध उपलब्ध कराये हैं। उनमें से कुछ विषय है जैसे: पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग, जनसंख्या, वनों की कटाई, जल प्रदूषण आदि।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Environment Conservation Essay in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध हिंदी में जानेगे.

हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words

प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

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आशा करता हूँ दोस्तों  Environment Conservation Essay in Hindi के इस लेख में पर्यावरण संरक्षण पर निबंध में दी गई जानकारी आपकों पसंद आई हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर जरुर बताए.

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  • निबंध ( Hindi Essay)

environmental sanitation essay in hindi

Essay on Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध हिंदी में

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के बिना इंसानों का पृथ्वी पर जीवित रहना नामुमकिन है।

लेकिन फिर भी इन सबको सुरक्षित और साफ रखने में हम दिलचस्पी नही दिखाते। हमें लगता है यह सब कुदरती वरदान है जो कभी खत्म नही होगा, पर यह सही नही है।

कुदरत ने हमें यह सब वरदान के तौर पर जरूर दिया है लेकिन यदि हमने पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का ही ध्यान रखना छोड़ दिया तो यह सब भी हमसे छिन जाएगा।

Essay on Environment in Hindi में हमने इस विषय को गहराई से समझाया है। आप इन निबंधों का उपयोग अपनी परीक्षा में भी कर सकते हैं।

Table of Contents

Long And Short Essay on Environment in Hindi (300 words)

हमारी पृथ्वी पर जितने भी जीवधारी मौजूद है उन सब मे सबसे शक्तिशाली हम इंसान है लेकिन यदि प्रकृति के सभी घटक नही हो तो हम इंसानों का इधर जीवित रह पाना नामुमकिन है। प्रकृति के बाकी घटक मिलकर जिसका निर्माण करते हैं वह पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण के बारे में आज दुनियाँ में बहुत ज्यादा बातें होने लगी है क्योंकि हमारी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।

पर्यायवरण का महत्व (Importance of Environment)

इंसान स्वस्थ रहें और एक अच्छा जीवन जिये इसमे पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का बहुत अधिक महत्व है। यह कहना बिलकुल गलत नही होगा कि पृथ्वी पर जीवन की एक मात्र वजह यहाँ का पर्यावरण है।

जिस दिन यह नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगा उसी दिन से पृथ्वी पर जीवन कठिन हो जाएगा। पर्यावरण के कारण ही हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए निर्मल जल और खाने के लिए अनाज मिलता है।

पेड़-पौधे पर्यावरण का एक अहम भाग है। इनकी मौजूदगी न सिर्फ हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा करती है बल्कि मानसिक शांति के द्वार भी खोलती है।

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक हो सकें और पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के महत्व को समझ सकें इसके लिए प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की नही है बल्कि सभी लोगो को यह समझना होगा कि पर्यावरण है तो ही जीवन है।

हम सब जानते हैं कि पृथ्वी के अलावा पूरे ब्रम्हांड में दूसरे किसी ग्रह पर जीवन नही है और यदि होगा भी तो हम अब तक वहाँ नही पहुँच सकें हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि पर्यावरण बचाने के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। अन्यथा यह ग्रह हमारे रहने लायक नही बचेगा और एक बार स्थिति हमारे हाथ से निकल जाने के बाद हम कुछ नही कर सकेंगे।

हमें अपने जलस्त्रोतों को स्वच्छ बनाकर रखना जरूरी है। पॉलीथिन के उपयोग से भी वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे छोटे छोटे प्रयास एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, इसलिए सबको कोशिश करना चाहिए।

Speech On Environment in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सभी माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों.

आज मुझे खुशी हो रही है किसी मंच पर बैठकर हम सब पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) जैसे गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे हैं। और इससे भी ज्यादा हर्ष की बात यह है कि मुझे भी इस अवसर पर बोलने योग्य समझकर अपना वक्तव्य पेश करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं आभारी हूँ।

एक तरफ खुशी इस बात की है आज हम कम से कम यह तो मान रहे हैं कि हमारी पृथ्वी जिसे हम भारतीय माँ का दर्जा देते हैं, वह मुश्किल में हैं।

लेकिन दुख इस बात को लेकर है कि हम कितने गैर जिम्मेदार लोग है जो यह भी नही सोचते कि यह पृथ्वी जितनी हमारी है उतनी ही वन्य जीवों की है। इस पर उन्हें भी उतना ही अधिकार है जितना हमें।

लेकिन भगवान ने हमें बुध्दि दी है और इसी बुध्दि का उपयोग कर हमने सभी को अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया।

पृथ्वी के सभी मूल्यवान तत्वों का दोहन करने लगे, पेड़ पौधों को काटने लगें, कचरा फैलाने लगे, हवा दूषित करने लगे और जिसका नतीजा हुआ कि आज हमें यहाँ पर्यावरण को सुरक्षित करने जैसे विषय पर चर्चा करने की जरूरत पड़ रही है।

हमें यह मानना होगा कि इस पृथ्वी पर सबसे ताकतवर हम नही है। क्योंकि यदि इस पर्यावरण का योगदान हमें न मिलें तो पृथ्वी पर हम सब 1 दिन भी जिंदा नही रह पायेंगे।

पर्यावरण से हमें खाना, पानी, हवा, खनिज, लवण सब कुछ मिलता है लेकिन बदलें में हम पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) को क्या देते है?

प्रदूषित जल, जहरीली हवा, पेड़ों की कटाई, समुद्रों में फैलता प्रदूषण ये सब? कहते हैं कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से चलता है। अब आप ही बताइए हम पर्यावरण को बुरी चीज़े दे रहे हैं तो पर्यावरण हमारा भला कब तक सोचता रहेगा?

दुनियाँ की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन कोई इस पर बात नही करता। इतनी बड़ी जनसंख्या रहेगी कहाँ? वनों को काटकर? खाएगी क्या? क्या हमने कभी इस बारे में विचार किया है ?

हम सब इस वक़्त सिर्फ अपना लाभ ही सोच रहे हैं लेकिन सोचिए हमारी अगली पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी? हमारे पूर्वजों ने हमें एक स्वच्छ पृथ्वी दी थी लेकिन हम भावी पीढ़ियों के लिये एक दूषित पृथ्वी बनाने में जुटे हुए हैं।

लेकिन अब वक्त आ चुका है। यदि अभी भी नही जागे तो बहुत देर हो जाएगी। फिर हाथ मलने के अलावा और कुछ बचेगा नही। इसलिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

देश की सरकारें जो कर रही है वो उन्हें करने दीजिए, साथ मे हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ अपनी तरफ से करें। सब कुछ सरकारों के ऊपर नही छोड़ सकते।

हमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण को रोकने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह हमारे हाथ मे है। आज संकल्प करें कि कभी भी पानी मे किसी भी तरह से गंदगी नही फेकेंगे।

यदि संभव हो सकें तो घर मे सोलर पैनल लगवाएं। इससे ऊर्जा का उत्पादन भी साफ तरीके से हो पाएगा साथ मे आपके ऊपर पड़ने वाला बिजली बिल का बोझ भी कम हो जाएगा।

यकीन मानिए यदि हम सब मिलकर अपनी जीवनशैली में कुछ छोटे छोटे बदलाव कर लें तो एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है। इसके लिए जरूरी है बस इच्छाशक्ति की।

अपने वक्तव्य को मैं कुछ खूबसूरत पंक्तियों के साथ विराम दूंगा की

प्रण करो उन मंजिलों के,काँटे हम हटाएँगे ,

अपने “Environment Day” पर उसमे नए फूल हम लगाएँगे ,

हो सकेगा तो खुद को इतना मज़बूत हम बनाएँगे , कि पहले की तरह ही “Nature” में जीना फिर से हम अपनाएँगे ॥

Essay on Save Fuel for Environment and Health (500 Words)

कहते हैं हमारी पृथ्वी के नीचे प्राकृतिक संसाधन का भंडार है। इन्ही संसाधनों का उपयोग हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं।

इन्हें पहले हम जमीन से निकालते हैं, फिर शोधन प्रक्रिया के द्वारा उपयोग योग्य बनाते है, फिर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये सभी प्राकृतिक संसाधन सीमित मात्रा में ही मौजूद है। एक न एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब जीवाश्म ईंधन समाप्त जो जाएगा।

जीवाश्म ईंधन क्या है? (What is Fossil Fuel)

जब पेड़-पौधे, जीव-जंतु करोड़ो-अरबो साल तक पृथ्वी के नीचे दबे रहते हैं तो उच्च ताप और दाब के कारण वो ईंधन में परिवर्तित हो जाते हैं यही जीवाश्म ईंधन कहलाता है।

जीवाश्म ईंधन को बनने में करोड़ों वर्ष का वक़्त लगता है। जीवाश्म ईंधन एक ऐसा ऊर्जा स्त्रोत है जो एक न एक दिन समाप्त हो जाएगा।

ईंधन का संरक्षण क्यों है जरूरी? (Why is Fuel Conservation Impoartant)

हम सब को ईंधन का संरक्षण ठीक उसी तरह से करना चाहिये जैसे जल का करते हैं। हमारे ईंधन पूर्ति के मुख्य स्त्रोत जीवाश्म ईंधन है। लेकिन इसकी मात्रा तो सीमित है।

उद्योग के लिए मिलने वाली बिजली जीवाश्म ईंधन से बनती है, भारीभरकम वाहन जीवाश्म ईंधन की मदद से चलते हैं।

कहने के लिए तो आज हम पवनचक्की, सोलर पैनल जैसी कई चीज़े बना चुके हैं जो हवा, पानी और सूर्य की गर्मी से बिजली बना सकते हैं लेकिन इनसे उत्पादित होने वाली ऊर्जा की मात्रा इतनी ज्यादा नही होती कि पूरे विश्व की जरूरत को पूरा कर सकें।

इसलिए इस वक़्त सबसे बेहतर विकल्प यही है कि जीवाश्म ईंधन की बचत करें। ताकि इसका उपयोग हम लंबे वक्त तक कर सकें।

ईंधन का कम उपयोग करने पर होता है स्वास्थ्य बेहतर (Health is Better by using less Fuel)

जीवाश्म ईंधन भले ही हमारी ऊर्जा की जरूरतें पूरी करता है लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत हानिकारक है। इसके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैस निकलती हैं जो सांस संबंधी कई बीमारियों को जन्म देती हैं।

वातावरण में जब इन गैसों की अधिकता हो जाती है तो सांस लेने में घुटन महसूस होने लगती है, त्वचा में जलन होने लगती है, घबराहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याएं जन्म लेने लगती है।

पर्यावरण के लिए भी है नुकसानदायक (Harmful of the Environment)

कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन आदि गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है। इसकी वजह से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट होने लगता है जिससे वातावरण ज्यादा गर्म हो जाता है।

इन गैसों की खास बात होती है कि ये ऊष्मा को अपने अंदर संग्रहित कर लेती है और गर्म हो जाती है। इसी वजह से जब इनकी मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है तो ग्लोबल वार्मिंग होने लगता है।

ईंधन बचाने के उपाय (Ways to Save Fuel)

ईंधन बचाने के लिए हम कुछ जरूरी उपाय कर सकते हैं जैसे कि :-

  • गाड़ी हमेशा धीमी गति में चलाएं। इससे हम ईंधन की खपत होगी।
  • गाड़ी चलाते वक्त बार बार क्लच न दबाएं।
  • जब भी सड़क में चलें तो कोशिश करना चाहिए कि गाड़ी एक ही रफ्तार में चले, इससे ईंधन की बचत होती है।
  • जब भी रेड सिग्नल में खड़ें हो तो गाड़ी बंद कर दें।
  • गाड़ी का तभी उपयोग करें जब बहुत जरूरी हो, पास जाने के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग करें।
  • समय समय पर गाड़ी की सर्विसिंग जरूर करना चाहिए।
  • शाम या रात के वक़्त रास्तों में ज्यादा भीड़ नही रहती है इसलिए गाड़ी को बार बार रोकना नही पड़ता। तो कोशिश करें कि रात में गाड़ी का उपयोग ज्यादा हो दिन की तुलना में।

हमें अपने सभी निर्णय भविष्य को ध्यान में रखकर लेना चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है कि भविष्य में ऊर्जा उत्पादन के कई तरीके आ जाएंगे लेकिन अभी जितने भी तरीके मौजूद है उन सब मे जीवाश्म ईंधन सबसे ज्यादा दक्ष है। इसलिए इसका उपयोग कम से कम करें तो बेहतर है ताकि लंबे समय जीवाश्म ईंधन बचा रहे।

Essay on Environment Pollutions in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध. (2000 Words)

पर्यावरण प्रदूषण आज की एक बड़ी समस्या है। हमारी ही गतिविधियों के कारण कई ऐसे हानिकारक तत्व वातावरण में सम्मलित हो जाते हैं जिनके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कई अलग अलग प्रकार है। हर तरह के प्रदूषण का हमारे ऊपर पड़ने वाला प्रभाव भी अलग-अलग है।

पर्यावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव न सिर्फ हमारे जीवन मे पड़ रहा है बल्कि साथ में वन्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज कई जीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं।

पर्यावरण का अर्थ (Environment Meaning in Hindi)

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘परि+आवरण’ जिसका अर्थ है हमारे चारों तरफ मौजूद आवरण. पर्यावरण असल मे हमारे चारों तरफ मौजूद एक आवरण है जिसमे, चल-अचल, सजीव-निर्जीव, प्राकृतिक-अप्राकृतिक सभी चीजें आती है।

पर्यावरण की यह परिभाषा इंसानों की दृष्टि से है। अर्थात इंसान खुद को बीच मे रखकर देखता है तब पर्यावरण को इस तरह वर्णित किया जा सकता है।

हम खुद भी पर्यावरण का ही हिस्सा है। क्योंकि इस पृथ्वी में संतुलन बनाने का काम इंसान भी करते हैं। हालांकि इंसान एक बुद्धिमान जीव होने के नाते अपने हिसाब से पर्यावरण का दोहन भी कर लेता है, जिसके दुष्परिणाम सबको भुगतने पड़ते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है? (What is Environmental Pollution)

जब पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्व मिल जाते हैं जो हमारे ऊपर और प्रकृति के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं, यही घटना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्व प्रदूषक कहलाते हैं। प्रदूषक हमेशा ही मौजूद रहते हैं। ऐसा नही है कि पहले जमाने मे प्रदूषक नही होते थे लेकिन इनकी मात्रा इतनी ज्यादा नही होती थी, की हमारे ऊपर बुरा प्रभाव पड़े।

लेकिन पिछले 100 सालों में इंसानों की गतिविधियों ने प्रदूषकों की मात्रा में बहुत ज्यादा इज़ाफ़ा किया है। इसी का प्रभाव आज हमें जल, वायु, मृदा आदि प्रदूषण के तौर पर दिखाई दे रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental Pollution)

प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

प्रदूषण के जितने भी रूप में मौजूद हैं उनमें सबसे खतरनाक और सामान्य वायु प्रदूषण है। दुनिया में लोगों की तेजी से बढ़ती शहरीकरण की इच्छा इस प्रदूषण की कहीं ना कहीं एक मुख्य वजह है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ईंधन का दहन है फिर चाहे वह उद्योग धंधों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या घरेलू कामों में, वाहनों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या फिर बिजली के उत्पादन में उपयोग होने वाला ईंधन, यह सभी मिलकर पर्यावरण में मौजूद वायु को प्रदूषित कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण का स्तर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि हमारे पास आज भी जीवाश्म ईंधन का कोई विकल्प नहीं है। इस वजह से हम ना चाहते हुए भी अपने ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर है।

जीवाश्म ईंधन के दहन से कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फरडाइऑक्साइड जैसे विषैली गैस निकालती हैं, जिसका बहुत बुरा असर वातावरण पर पड़ता है।

वातावरण में इनकी मौजूदगी से ना सिर्फ हमें सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है इसके साथ ही इन गैसों की वजह से तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्रभाव वायु प्रदूषण के स्तर का बखान करने के लिए काफी है।

वायु प्रदूषण के कारण ही हमें अस्थमा, हृदय से संबंधित कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित होती है।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

कहा जाता है जल ही जीवन है लेकिन जब जीवन देने वाला यह जल ही प्रदूषित हो जाए तो फिर जीवन भला किस तरह जीवित रह पाएगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमने यह देखा है कि जल प्रदूषण की समस्या बहुत तेजी से उभर कर सामने आई है। कई सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि आज विश्व की आधी आबादी स्वच्छ जल के अभाव में अपना जीवन जी रही है।

दुनियाँ में कई ऐसे देश है जहाँ पर लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है यह सब जल प्रदूषण का एक छोटा सा उदाहरण है।

यदि जल प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो इसके दुष्परिणाम कितने भयावह होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है, इसकी छोटी सी तस्वीर हमें आज से ही दिखाई देनी शुरू हो गई है।

लेकिन असली समस्या जल प्रदूषण के कारणों को लेकर है। जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योगों से निकलने वाला औद्योगिक कचड़ा है, जिसको जल स्रोतों में ही निर्वासित कर दिया जाता है।

इसका बुरा प्रभाव ना सिर्फ जलीयजीवो के ऊपर पड़ता है बल्कि इंसानों के ऊपर भी काफी विपरीत असर पड़ता है । हम सब पीने के पानी के लिए नदियों के जल पर ही निर्भर है पर जब यही जल दूषित हो जाएगा तो इस जल को पी कर हमारे अंदर भी कई तरह की बीमारियां हो जाएगी।

जल प्रदूषण का दूसरा कारण कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है। ऐसी दवाएँ जमीन के द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं और यह सब भूमिगत जल में मिल जाती हैं।

जिससे कि वह जल भी प्रदूषित हो जाता है। समुद्री जल के प्रदूषित होने का एक सबसे बड़ा कारण पेट्रोलियम पदार्थों का पानी में मिल जाना है।

अधिकतर देशों के लिए पेट्रोलियम के आवाजाही का काम समुद्री मार्गों के द्वारा ही होता है लेकिन कभी-कभी पेट्रोलियम पदार्थ ले जाने वाले जहाजों में खराबी आ जाती हैं जिससे पूरा पेट्रोलियम पदार्थ समुद्री जल में मिल जाता है।

पेट्रोलियम और जल अघुलनशील होते हैं इसलिए यह हमेशा के लिए मौजूद रहता है।

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

मृदा प्रदूषण से तात्पर्य भूमि की उर्वरक क्षमता का घटना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज हमने कई उन्नत रसायनों का निर्माण कर लिया है जिसकी सहायता से हम फसल की पैदावार कई गुना बढ़ा सकते हैं।

लेकिन इसका दुष्प्रभाव भूमि की उर्वरक क्षमता पर दिखाई देता है। भूमि पर प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन जैसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो भूमि की उर्वरक क्षमता को बरकरार रखते हैं।

लेकिन कीटनाशकों और उत्पादन बढ़ाने वाली रसायनों के उपयोग से धीरे-धीरे यह नाइट्रोजन तत्व खत्म होते जाते हैं जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता बहुत कम हो जाती है।

भूमि की उर्वरक क्षमता घटने का दूसरा कारण है उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा है। हमें देखते हैं कि औद्योगिक कचड़े का निवारण सही तरह से नहीं किया जाता है।

उन्हें किसी जगह पर इकट्ठा करके रखा जाता है लेकिन यह कचड़ा इतना खतरनाक होता है कि किसी उपजाऊ भूमि को बंजर भूमि में बदल सकता है।

बारिश के मौसम में यही खिचड़ा बहकर अपने आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है। इन दो कारणों के अलावा तीसरा कारण वनों की कटाई है जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेड़ों में क्षमता होती है कि वह अपने आसपास की भूमि को बांध कर रखते हैं जिसे भूमि का कटाव नहीं होता पर वृक्षों की कटाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसकी वजह से भूमि का कटाव भी बढ़ने लगा है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

जब सुनने में भद्दी लगने वाली आवाज की तीव्रता 80Db से ज्यादा हो जाती है तो इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। इतनी तीव्र आवाज हमारी मनःस्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। मानसिक अशांति इसका एक बड़ा उदाहरण है। बच्चे और बुजुर्ग के ऊपर ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा असर देखने को मिलता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

यह प्रदूषण परमाणु कचरे के कारण होता है। इसे बहुत खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव एक पीढ़ी तक ही सीमित नही रहता, बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियाँ इसके बुरे प्रभाव से पीड़ित रहती हैं।

इससे कैंसर, बांझपन, अंधापन जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती है। ऐसा प्रदूषण अधिकतर परमाणु संयंत्रों के आसपास होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण का सबसे बड़ा भुक्तभोगी देश जापान है, जहाँ दो परमाणु बम 1945 में गिराए गए थे लेकिन उसका दुष्प्रभाव आज की पीढ़ियाँ भी भुगत रही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारक (Main Factors of Environmental Pollution)

पर्यावरण प्रदूषण के कई कारक होते हैं, जिनमे से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष होते हैं। कुछ कारक स्पष्ट तौर पर दिखाई दे जाते हैं जबकि कुछ कारक सीधे तौर पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नही होते लेकिन उनकी वजह से प्रदूषण करने वाले तत्व पैदा होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ कारक निम्नलिखित है:-

उद्योगों से निकलने वाला कचरा (Industrial Waste)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचरा है। जब से दुनियाँ में औधोगिकीकरण की शुरुआत हुई है तब से पर्यावरण में असंतुलन बहुत ज्यादा बढ़ा है।

अधिकतर उद्योगों में हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है , जो पानी मे मिल होता है। जब यह पानी किसी उपयोग के लायक नही बचता तब इसे नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे कि नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता है।

फिर इसी प्रदूषित जल का उपयोग हम सब करते हैं, विभिन्न प्रकार के जानवर करते हैं, जिसके फलस्वरूप हम कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

वाहनों के होने वाला प्रदूषण (Vehicle pollution)

वाहनों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है जिससे डीजल, पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत भी बढ़ रही है। इससे निकलने वाला धुंआ वातावरण में इकट्ठा हो जाता है जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पड़ रहा है।

आज हम देखते हैं कि दिल्ली जैसे कई बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या जन्म ले रही है। इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बहुत बड़ा कारण है। हालांकि सरकारी अपनी तरफ से कई तरह का प्रयास कर रही है।

भूमि पर बढ़ता केमिकल और खादो का उपयोग (Increased use of chemical and fertilizers on land)

जिस तरह से दुनियाँ की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ठीक उसी भांति खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

इसका बुरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहा है। भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह के हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मृदा की न सिर्फ उर्वरक क्षमता घट रही है बल्कि उस भूमि में उगने वाले अनाज में भी केमिकल के हानिकारक प्रभाव चले जाते हैं जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और भूमि पर पड़ता है।

तेजी से होता शहरीकरण (Rapid Urbanization)

शहर और गाँव की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। हमने देखा है कि गाँव की जीवनशैली पर्यावरण से सामजंस्य बैठाकर चलने वाली होती है, जबकि शहरों में ऐसा नही होता।

शहरों में हर व्यक्ति सिर्फ अपने सुख-सुविधाओं की फिक्र करता है। लेकिन चिंता की बात यह है आज हर कोई शहरों की तरफ भाग रहा है। इसी वजह से दुनियाँ में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।

भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि जो लोग जहाँ हैं वही रहें। लेकिन शहरीकरण की एक मात्र वजह सुख की चाह नही है, बल्कि रोजगार की जरूरत भी लोगो को शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर रही है।

जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)

1960 में पूरी दुनियाँ की आबादी 3.5 बिलियन के करीब थी, जो आज बढ़कर 8 बिलियन के करीब पहुँच चुकी है। पिछले 60 वर्षों में दुनियाँ की आबादी दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है।

इस बढ़ी हुई आबादी का दुष्प्रभाव पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) पर देखने को मिला है। लोगो के रहने के लिए जगह की जरूरत होगी, लिए वनों को काटा जा रहा है।

खाने के लिए अनाज की जरूरत होगी, इसके लिए उर्वरक बढ़ाने वाले रसायनों का उपयोग किया जा रहा है।

दुनियाँ में आज इतनी ज्यादा आबादी मौजूद है, जिनके लिए संसाधन कम पड़ रहे हैं। यदि आबादी कम होती तो इतना ज्यादा जीवाश्म ईंधन की भी खपत नही होती, जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहता।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Measures for environmental protection)

विश्व आज इस बात को समझ रहा है कि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के उपाय करना बहुत जरूरी है नही तो निकट भविष्य में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी। पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि:-

औद्योगिक कचरे का निवारण (Industrial waste disposal)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा ही है। यह कचड़ा जल, हवा, मृदा सबको प्रदूषित करता है। यदि इसका निवारण सही तरीके से किया जाने लगे तो प्रदूषण से संबंधित आधी समस्याओं का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।

लेकिन इसके पहले यह जरूरी है कि यह कचड़ा पानी मे न मिले। पानी मे मिलने के बाद यह जल प्रदूषण का कारण बनता है। इसलिए इस पर रोकथाम लगाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग (Use of Clean Energy)

वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण कोयला है और कोयले का सबसे ज्यादा उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। आज ऊर्जा उत्पादन के कई नवीनीकरण स्त्रोत है लेकिन उन्हें इतना ज्यादा उपयोग नही किया जाता।

पर अब वक्त आ गया है कि देश की सरकारों को हर घर मे सोलर पैनल लगवाने के लिए जरूरी सुविधा देनी चाहिए। लोगो को प्रोत्साहित करना चाहिये कि वो सोलर पैनल लगवाएं और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें।

वृक्षारोपण को बढ़ावा मिलें (Increased Tree Planting)

अधिक से अधिक वृक्ष (Essay on Environment in Hindi) लगाएं क्योंकि पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने में वृक्ष सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी पर्यावरण में असंतुलन का एक बड़ा कारण है।

लोग अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों की लकड़ियों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इसके लिए पूरे वृक्ष को काट देना बिल्कुल भी जायज नहीं है। इसलिए पूरे विश्व को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और पेड़ों की कटाई पर रोकथाम लगानी चाहिए

भूमिगत जल का हो संरक्षण (Protection Of Ground Water)

भूमिगत जल का स्तर लगातार (Essay on Environment in Hindi) नीचे जा रहा है इसका एक प्रमुख कारण है नलकूपों और घर-घर में बोरिंग की व्यवस्था। आज हम शहरों में देखते हैं कि घर बनने से पहले सभी व्यक्ति अपने घर में बोरिंग करवाते हैं। लेकिन इसका दुष्परिणाम यह होता है कि पानी का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। बहुत सारा व्यर्थ हो जाता है जिसका असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है। भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन घटता जा रहा है।

सामान का पुनरावृत्ति करना (Recycle Goods)

पॉलीथिन, प्लास्टिक जैसे कई अन्य चीज़े हैं जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इनका अपघटन जल्दी नही होता। यदि ये 100 वर्ष तक भी ऐसे ही खुले में पड़े रहे तो भी इसके स्वरूप में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही आएगा।

ऐसी चीज़ें धीरे धीरे मिट्टी को प्रदुषित बनाती हैं। इसलिए इनका उपयोग कम से कम करें। ऐसी चीजों का उपयोग ज्यादा करें जिन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

पानी की कम खपत करना (Low Water Consumption)

पीने योग्य पानी की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। इसलिए कहा जाता है कि जल को बचाना जरूरी है लेकिन हम आज भी जल को बर्बाद करते हैं। जहाँ जितने पानी की जरूरत होती है उससे कई गुना ज्यादा पानी उपयोग करते हैं और इस तरह पानी बर्बाद होता है। इसलिए जरूरी है कि हम सब मिलकर पानी बचाएं।

पर्यावरण पदूषण पर रोकथाम लगाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए हम सबको मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। साथ ही साथ विश्व के बड़े और विकसित देश यदि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण की दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाएं तो स्थिति बहुत जल्दी बदल सकती है।

Poems On Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविता

# 1. अपने ही घर मे डाका डाला.

रत्न प्रसविनी हैं वसुधा, यह हमको सब कुछ देती है। माँ जैसी ममता को देकर, अपने बच्चों को सेती है।

भौतिकवादी जीवन में, हमनें जगती को भुला दिया। कर रहें प्रकृति से छेड़छाड़, हम ने सबको है रुला दिया।

हो गयी प्रदूषित वायु आज, हम स्वच्छ हवा को तरस रहे वृक्षों के कटने के कारण, अब बादल भी न बरस रहे

वृक्ष काट – काटकर हम ने, माँ धरती को विरान कर डाला। बनते अपने में होशियार, अपने ही घर में डाका डाला।

बहुत हो गया बन्द करो अब, धरती पर अत्याचारों को। संस्कृति का सम्मान न करते, भूले शिष्टाचार को।

आओ हम सब संकल्प ले, धरती को हरा – भरा बनायेगे। वृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर, पर्यावरण को शुद्ध बनायेगे।

आगे आने वाली पीढ़ी को, रोगों से मुक्ति करेगे हम। दे शुद्ध भोजन, जल, वायु आदि, धरती को स्वर्ग बनायेगे।

जन – जन को करके जागरूक, जन – जन से वृक्ष लगवायेगे। चला – चला अभियान यही, बसुधा को हरा बनायेगे।

जब देखेगे हरी भरी जगती को, तब पूर्वज भी खुश हो जायेंगे। कभी कभी ही नहीं सदा हम, पर्यावरण दिवस मनायेगे।

हरे भरे खूब पेड़ लगाओ, धरती का सौंदर्य बढाओ। एक बरस में एक बार ना, 5 जून हर रोज मनाओ।

#2.. करके ऐसा काम दिखा दो…

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे। इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे। हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो, खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे। सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे। वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना, दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे। हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे। जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो, जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे। जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे। जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा, कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

#3 रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो। रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।

आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है। हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।

उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है। पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।

तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है। मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।

हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे। हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।

शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान। हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।

कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो। लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।

हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा। त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।

तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है। हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।

गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

Slogan On Environment in Hindi | पर्यावरण पर स्लोगन.

पर्यावरण के महत्व को समझाने वाले कुछ स्लोगन.

  • वृक्ष नही कटने पाएँ, हरियाली न मिटने पाए, लेकर एक नया संकल्प, हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
  • समय बर्बाद करना बेकार है पर्यावरण की सफाई सबसे अच्छा है।
  • ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये सब हैं प्रकृति के वरदान।इसे नष्ट करने के लिए तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
  • यदि हम पृथ्वी को सुंदरता और आनंद उत्पन्न करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह अंत में भोजन का उत्पादन नहीं करेगी।
  • यदि मानवता को लंबे समय तक रहना है, तो आपको पृथ्वी की तरह सोचना होगा, पृथ्वी के रूप में कार्य करना होगा और पृथ्वी होना होगा क्योंकि ये वैसी ही है जैसे आप हैं।
  • जो हम दुनिया के जंगलों (Essay on Environment in Hindi) के लिए कर रहे हैं, दरअसल वो हम अपने और एक दूसरे के लिए कर रहे हैं. ये उसका दर्पण प्रतिबिंब है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Environmental Pollution Essay in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (essay on environmental pollution in hindi), पर्यावरण प्रदूषण-समस्या और समाधान। – environmental pollution – problems and solutions.

  • प्रस्तावना,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण (वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण),
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं का वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थाओं तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुँचाता है।

तात्पर्य यह है कि जीवधारी अपने विकास, बुद्धि और व्यवस्थित जीवन-क्रम के लिए सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। किन्तु कभी-कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण-प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ हुआ है। विकासशील देशों में वायु और पृथ्वी भी प्रदूषण से ग्रस्त हो रही है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल को बहाने का प्रश्न भी एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है।

1. वायु प्रदूषण- वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। श्वांस द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं। हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं।

इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के लिए वनों को काटता है, परिणामत: वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है।

मिलों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें बढ़ती जा रही हैं। औद्योगिक चिमनियों से निष्कासित सल्फर डाइऑक्साइड गैस का प्रदूषकों में प्रमुख स्थान है। इसके प्रभाव से पत्तियों के किनारे और नसों के मध्य का भाग सूख जाता है।

वायु प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वसन सम्बन्धी बहुत-से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं।

2. जल प्रदूषण- सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक-अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं जो साधारणतया जल में उपस्थित नहीं होते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है और प्रदूषित जल कहलाता है।

3. रेडियोधर्मी-प्रदूषण- परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणविक परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है जो आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। विस्फोट के स्थान पर तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है।

एक विस्फोट के समय रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं जहाँ पर ये ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बाद में ठोस अवस्था में बहुत छोटे-छोटे धूल के कणों के रूप में वायु में फैलते रहते हैं और वायु के झोकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से अनेक मनुष्य अपंग हो गये थे। इतना ही नहीं, जापान की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गयी।

4. ध्वनि प्रदषण- अनेक प्रकार के वाहन, मोटरकार, बस जेट विमान टैक्टर आदि तथा लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन, मशीनों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि की लहरें जीवधारियों की क्रियाओं पर प्रभाव डालती हैं। .

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की सुनने की शक्ति में कमी होती है, उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती है और नाड़ी संस्थान सम्बन्धी एवं अनिद्रा का रोग उत्पन्न हो जाता है, यहाँ तक कि कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है। कुछ ध्वनियाँ छोटे-छोटे कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं, परिणामत: अनेक पदार्थों का प्राकृतिक रूप से परिपोषण नहीं हो पाता है।

5. रासायनिक प्रदूषण- प्राय: कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, घासनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

आधुनिक पेस्टीसाइडों का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि पहुँचा रहा है। जब ये वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो वहाँ पर रहने वाले जीवों पर ये घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, मानव देह भी इनसे प्रभावित होती है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण-पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने तथा उनके समुचित संरक्षण के प्रति गत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में चेतना आयी है। आधुनिक युग के आगमन व औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी, और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों तथा अन्य लोगों का इतना ध्यान ही गया था। औद्योगीकरण और जनसंख्या की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी, दोनों ही स्तरों पर पूरा प्रयास आवश्यक है। जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 के ‘जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया तथा इस कार्य हेतु बोर्ड बनाये। इन बोर्डों ने प्रदूषण के नियन्त्रण की अनेक योजनाएँ तैयार की हैं। औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक तैयार किये गये हैं।

उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नये उद्योगों को लाइसेंस दिये जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निवारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

वनों की अनियन्त्रित- कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाये गये हैं। इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि नये वनक्षेत्र बनाये जायें और जन-सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

इस प्रकार स्पष्ट है कि सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है। पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर ही हम आने वाले समय में और अधिक अच्छा और स्वास्थ्यप्रद जीवन जी सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

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स्वास्थ्य और पर्यावरण (Health and Environment)

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बाहरी प्रदूषण

वायु और स्वास्थ्य, जल और स्वास्थ्य, ध्वनि और स्वास्थ्य, घरेलू पर्यावरण और प्रदूषण, सुगंध का स्वास्थ्य पर प्रभाव.

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दा इंडियन वायर

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध

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By विकास सिंह

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विषय-सूचि

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (200 शब्द)

प्रस्तावना:.

मानव स्वास्थ्य को मानव स्थिति के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं के संबंध में कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है। बीमारी की अनुपस्थिति के कारण किसी व्यक्ति को केवल स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है; वह या वह वास्तव में स्वस्थ होने के लिए सभी तरह से अच्छा करने की जरूरत है।

कई कारक हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण करने में भूमिका निभाते हैं – जैविक, पोषण, मनोवैज्ञानिक और रासायनिक। ये कारक आंतरिक और बाहरी स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं। बाह्य रूप से, हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक हमारा पर्यावरण है।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य:

हमारा पर्यावरण केवल उस हवा में नहीं है जिसे हम सांस लेते हैं, हालांकि यह एक प्रमुख घटक है; यह उस पानी से होता है जिसे हम पीते हैं, यह उस मिटटी में होता है जिसे हम अपने आसपास पाते हैं एवं उस भोजन में होता है जिसे हम खाते है। प्रत्येक भाग हमें प्रभावित करता है और इस प्रकार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

वाहनों, कारखानों और आग से उत्सर्जन के साथ, हमारी वायु आपूर्ति विषाक्त रसायनों से भरी हुई है जो फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और अस्थमा का खतरा पेश करती है। हम जो भोजन करते हैं, वह कीटनाशकों में शामिल होता है जो मिट्टी को कम उपजाऊ बनाता है और हमारे लिए कैंसरकारी हो सकता है। मानव शरीर को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे जल स्रोत मानव और औद्योगिक कचरे से भरे होते हैं जो गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों को पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:

हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हमें अपने पर्यावरण के साथ तालमेल में रहना होगा। हम इसमें जो डालेंगे वह हमारे पास वापस आ जाएगा। जब तक हम कुछ नहीं करेंगे, पृथ्वी बहुत जल्द एक रहने के लिए योग्य हो जायेगी।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (400 शब्द)

डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषा के अनुसार, “मानव स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है और न केवल बीमारी और दुर्बलता की अनुपस्थिति”। यह आंतरिक के साथ-साथ बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। आंतरिक कारकों में मानव शरीर के अंदर की समस्याएं जैसे कि प्रतिरक्षा की कमी, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक या जन्मजात विकार शामिल हैं।

बाहरी कारकों में आमतौर पर तीन प्रकार के स्वास्थ्य खतरे शामिल होते हैं: पराबैंगनी और रेडियोधर्मी विकिरण, ध्वनि प्रदूषण, कार्बन मोनोऑक्साइड और सीएफसी जैसे शारीरिक खतरे; औद्योगिक खतरों, भारी धातुओं, कीटनाशकों और जीवाश्म ईंधन दहन जैसे रासायनिक खतरों; और परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस जैसे जैविक खतरे।

इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक, हमारे पर्यावरण पर निर्भर है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक ज्यादातर मनुष्यों द्वारा बनाए गए हैं। हम अपने ईको-सिस्टम में जो जारी करते हैं वह अंततः हमें वापस मिल जाता है।

पर्यावरण मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है:

चूंकि हम जीवित रहने के लिए पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भर हैं, इसलिए यह कहना सुरक्षित है कि पर्यावरण में कोई भी परिवर्तन मानव कल्याण को प्रभावित करेगा। हालाँकि, इन दोनों के बीच वास्तविक संबंध हमारे विश्वास से अधिक जटिल है और इसका आकलन करना हमेशा आसान नहीं होता है। सबसे स्पष्ट प्रभाव जो हमने देखा है वह बिगड़ते पानी की गुणवत्ता, वायु प्रदूषण और विषम परिस्थितियों से हैं। विकिरण विषाक्तता भी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक परिणाम है।

इन मुद्दों की प्रतिक्रिया हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को साफ करने का एक समग्र प्रयास रही है। जबकि यह कुछ देशों के लिए काम किया है, ज्यादातर विकसित दुनिया में, यह दुनिया के विकासशील देशों में अच्छी तरह से लागू नहीं किया गया है। देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते वायुसेना में सीएफसी के उत्सर्जन और उनके द्वारा ओजोन परत को हुए नुकसान जैसी कुछ और तात्कालिक चिंताओं को दूर करने में कामयाब रहे हैं।

कॉरपोरेट जगत अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और हरित ’समाधान की ओर भी प्रयास कर रहा है। हालाँकि, कई चिंताएँ हैं जिन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया जा सका है और जैव विविधता जैसे नियंत्रण से बाहर हो रही हैं; हर दिन औसतन एक प्रजाति मर जाती है। इसके अलावा, भोजन की उचित आपूर्ति बनाए रखना कठिन होता जा रहा है, ताकि दुनिया भूखे न रहे।

हम अपने आस-पास के वातावरण में होने वाले किसी भी बदलाव के प्रभावों के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए बस अपने परिवेश में बहुत अच्छी तरह से जुड़े होने चाहिए। समस्या यह है कि क्योंकि स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच संबंध जटिल है, इसलिए हम बड़े बदलाव करने के लिए प्रेरित नहीं हुए हैं; हम अकाट्य प्रमाणों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब तक हम इसे प्राप्त करें, तब तक बहुत देर हो सकती है।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (500 शब्द)

अस्वास्थ्यकर पर्यावरण अस्वस्थ जीवन:, पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:, मानसिक स्वास्थ्य:, जल संदूषण प्रभाव:, संकल्प के लिए दृष्टिकोण:.

  • पृथ्वी पर निम्नांकित और प्राकृतिक प्रणालियाँ जो दबाव में हैं, पारिस्थितिकी तंत्र, जो कि रोग के प्रकोप, भोजन की कमी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपदाओं की संभावना है।
  • अपर्याप्त स्वच्छता, खराब स्वच्छता और असुरक्षित पानी जो घातक बीमारियों, खराब मानसिक स्वास्थ्य और यहां तक ​​कि आर्थिक उत्पादकता को बुरी तरह से प्रभावित करने का कारण हैं।
  • गरीब पोषण शारीरिक गतिविधि के गिरते स्तर के साथ संयुक्त, गैर-संचारी रोगों के प्रसार के लिए अग्रणी।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, एक स्वस्थ वातावरण का मतलब स्वस्थ लोगों से है। यह कहना नहीं है कि बीमारी और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा लेकिन इन घटनाओं की घटनाओं में कमी आएगी और हर साल लाखों मानव जीवन नहीं खोएंगे।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (600 शब्द)

मानव स्वास्थ्य या मानव कल्याण दो मुख्य कारकों से प्रभावित होता है – व्यक्तिगत लक्षण या आंतरिक कारक और पारिस्थितिक कल्याण या बाहरी कारक। हालांकि, ज्यादातर समय, जब मानव स्वास्थ्य की स्थिति पर शोध किया जाता है, इन दो कारकों की एक दूसरे से अलगाव में जांच की जाती है। यदि कोई सही मायने में इस सवाल का जवाब देना चाहता है – पर्यावरण व्यक्तिगत स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है – किसी को मिलकर दोनों कारकों को देखना होगा। जलवायु परिवर्तन की चेतावनी और उनके प्रति सरकारी उदासीनता के मद्देनजर यह अब विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण का प्रभाव:

स्वास्थ्य संबंधी पर्यावरणीय अध्ययन या पर्यावरण से संबंधित स्वास्थ्य अध्ययनों में कमी के साथ, विशेष रूप से पश्चिम में उन लोगों ने, विशेष एलर्जीनिक, संक्रामक या विषाक्त एजेंटों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया है। वे व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं जो मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों को भी कवर करते हैं।

कुछ शोधकर्ता इस बात से सहमत हैं कि मानव स्वास्थ्य का अध्ययन करते समय अध्ययन किए जा रहे लोगों के पर्यावरण के प्रभाव को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। यह प्रभाव इस तथ्य में देखा जा सकता है कि भूगोल के अनुसार स्वास्थ्य असमानताएं मौजूद हैं। वास्तव में, स्वास्थ्य सामाजिक और भौतिक वातावरण से प्रभावित होता है।

अतिरिक्त शोध से यह भी पता चला है कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और हरित स्थानों के प्रसार के बीच सीधा संबंध है; हरे रंग की जगह के लिए अधिक निकटता, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य।

पर्यावरणीय प्रभाव में सामाजिक-आर्थिक अंतर:

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, यह रिश्ता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से काम करता है। दूसरे शब्दों में, इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुनिया में कहां हैं, तत्काल स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और उन चिंताओं को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक विविध हो सकते हैं।

विकासशील देशों में शिशु मृत्यु दर, कुपोषण और संक्रामक रोगों जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इन देशों में तात्कालिक पर्यावरण संबंधी चिंताएँ स्वच्छता, स्वच्छता, खनन, अयस्क प्रसंस्करण, तेल उत्पादन और जल की गुणवत्ता हैं। हालांकि, जब कोई विकसित राष्ट्रों को देखता है, तो स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं कैंसर, फेफड़े की बीमारी और हृदय रोग जैसे मुद्दों पर घूमती हैं। इन देशों में उद्योगों के आसपास अर्थव्यवस्थाएं बनी हैं और वे उद्योग अपने खतरनाक कचरे को जिम्मेदारी से नहीं हटाते हैं, जिससे आसपास के जल निकायों और मिट्टी को दूषित होता है।

इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि उन रोगों के पीछे के कारणों की तुलना में बीमारियों पर अधिक जोर दिया जाता है। कारण अलग-अलग होते हैं; बीमारियां जरूरी नहीं हो सकती हैं।

विश्व भर में स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव के उदाहरण:

दुर्भाग्य से, दुनिया का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जो पर्यावरणीय क्षति से मुक्त हो, यहां तक ​​कि ध्रुवीय क्षेत्र भी नहीं। यदि कोई देख रहा है, तो एक लगभग हमेशा उन पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का पता लगाएगा। यह मदद नहीं करता है कि चीन और भारत जैसे देश बहुत तेज़ी से विकसित हो रहे हैं। उनकी गति ऐसी है कि पर्यावरण संबंधी चिंताएँ विकास को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं।

मानव अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपवाह और सिर्फ सादे पुराने डंपिंग दोनों देशों में पारिस्थितिकी के साथ कहर खेल रहे हैं। फिर पूर्वी यूरोपीय देश हैं, जिनमें से कई पूर्व सोवियत संघ के राज्य हैं। पिछले दशकों में, भारी धातु और नाइट्रेट जैसे खतरनाक कचरे को बिना किसी योजना या एहतियात के फेंक दिया गया था। परिणाम भूजल और सतही जल बुरी तरह से दूषित है, न कि मिट्टी की निचली गुणवत्ता का उल्लेख करने के लिए।

अंत में कुछ कार्रवाई की जा रही है जहां ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जा रही है और ऐसे स्थानों में मिट्टी और सतह के पानी को फिर से बनाने, पुनः प्राप्त करने और पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया गया है; हाल्नाकी इस कदम को उठाने में बहुत देर लगाई गयी है लेकिन अभी भी बहुत देर नहीं हुई है और हमारे वातावरण को बचाया जा सकता है।

यदि कोई वास्तव में जानना चाहता है कि स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव कैसा दिखता है, तो उन्हें हमें बुलबुले से बाहर निकलना होगा और पूरे पर्यावरण पर ध्यान देना होगा नाकि बीएस घर के आसपास के वातावरण को। उन्हें एक व्यक्ति के साथ-साथ एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से स्वास्थ्य विकारों का अध्ययन करना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पर्यावरण प्रदूषण और इसके विभिन्न प्रकार

Environmental Pollution in Hindi : ईश्वर ने इस पृथ्वी कि रचना इस प्रकार से कि हैं की इस पर जीवन संतुलित रूप से चलता रहे। धरती का संतुलन बनाने में वायु, भूमि, जल, वनस्पति, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों के साथ साथ मनुष्यों का अहम योगदान हैं। लेकिन दुर्भाग्य से धरती पर असंतुलन के कारन आज पर्यावरण प्रदूषण जैसी विकट परिस्थिति पैदा हो गयी हैं। जो की हम मनुष्यों के साथ-साथ अन्य प्राणियों के लिए भी खतरे कि घंटी हैं।

पिछले कुछ वर्षों कि तुलना में आज पर्यावरण को नुकसान अधिक हो रहा हैं। जहाँ पहले पेड़-पौधों, खेत व जल स्रोतों कि संख्या अधिक थी, वहीँ अब उसकी जगह बड़े बड़े मकान, उद्योग और फैक्ट्रियों ने ले ली हैं। बड़े-बड़े बिल्डर भी अधिक से अधिक जंगलों कि कटाई करके वहां कॉलोनियां बसा रहे हैं, जिसकी वजह से पर्यावरण में बहुत ही नुकसान हो रहा हैं। सड़कों पर पहले कि तुलना में वाहनों कि संख्या में भी भारी इजाफा हुआ हैं। यह भी एक बड़ा कारण है।

Environmental Pollution in Hindi

निरंतर हमारे आसपास का वातावरण दूषित होता जा रहा हैं। वायु के साथ साथ जल प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा हैं, इन सबके साथ-साथ जगह जगह कचरे कि बदबू व ध्वनि यंत्रों कि तेज आवाजें निरंतर पर्यावरण को दूषित करने के काम काम कर रहे हैं।

आज बड़े-बड़े शहरों के साथ छोटे शहर व गाँवों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा हैं। आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि इन सबके ही कारण स्वास्थ्य से संबंधित कई नयी व पुरानी बीमारियाँ व्यापक रूप से फ़ैल रही है। इसके लिए हम सभी को नए सिरे से और सृजनात्मक विचारधारा के साथ इसका स्थायी समाधान खोजने कि जरुरत हैं। इसके लिए हम इस आर्टिकल में पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) के निवारण से सम्बन्धित ऐसे उपायों के बारे में चर्चा करेंगे।

Read Also: पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करते नारे

पर्यावरण प्रदूषण और इसके प्रकार – Environmental Pollution in Hindi

प्रदूषण क्या है.

आपके मन में यह सवाल जरुर आता होगा कि प्रदूषण का अर्थ क्या हैं? अथवा प्रदूषण क्या है? (Environmental Pollution in Hindi) तो इसका उत्तर यह हैं जब पर्यावरण में कोई भी पदार्थ कि मात्र सामान्य से अधिक हो जाती हैं तब वह पर्यावरण को दूषित करने का काम करता हैं। ऐसे में उसे प्रदूषण कहा जाता हैं।

नदियों का पानी दूषित हो जाता हैं तब वह मानव उपयोग के लिए असुरक्षित होता हैं, अधिक धुआं व धुल के कारण हमारे आसपास कि वायु दूषित हो जाती है उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु के दूषित होने से स्वांस लेने में परेशानी होने लगती हैं।

आप जानते होंगे कि फैक्ट्रियों और चिमनियों के धुंए के कारण वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता हैं। उद्योगों के कारण मृदा भी प्रदूषित होती है, इसके अलावा ध्वनि भी वातावरण को दूषित करने का काम करती है।

प्रदूषक क्या होता है?

जिन प्रदार्थों के कारण प्रदूषण होता हैं, उसको प्रदूषक कहते हैं। इसको गलत जगह, समय और मात्रा के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता हैं। प्रदूषक मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक होते हैं। हमारे नदी में नहाने और कपड़े धोने कि वजह से शरीर से निकला मैल व कपड़ों के साबून के नदियों में जाने से नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता हैं।

प्रदूषण के प्रकार – Types of Pollution in Hindi

प्रदूषण का वर्गीकरण (Environmental Pollution in Hindi) निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

  • वायु प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण 
  • ध्वनी प्रदूषण

वायु प्रदूषण क्या है – Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण प्रस्तावना – Environmental Pollution in Hindi

हम सबको ज्ञात हैं की मानव जीवन के लिए आक्सीजन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, केवल मानव जीवन ही क्यों सभी प्राणियों के लिए आक्सीजन आवश्यक चीज है। हम ऑक्सीजन को स्वांस के रूप में लेते हैं और कार्बनडाईऑक्साइडओक्सिद को छोड़ते है। पेड़ पौधों में यही प्रक्रिया उलटी होती हैं। वे दिन के समय कार्बडाईआक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

इससे वायु में ऑक्सीजन तथा कार्बनडाईआक्साइड का संतुलन बना रहता हैं। वर्तमान में अधिकांश जगह अलग-अलग प्रकार के प्रदूषक होते है जो मानव स्वास्थ के लिए नुकसानदायक होते हैं।

वायु प्रदूषण के स्रोत – Sources of Air Pollution in Hindi

मनुष्य कि अनेक गतिविधियाँ वायु प्रदूषण का कारण होती हैं, इसलिए इनकी विशेष रूप से जांच होनी चाहिए। वायु प्रदूषण जैसे वाहनों से निकलने वाले धुंए, पटाखों के जलने और कोयले आदि के धुंए से कई क्षेत्रों में जहरीला पदार्थ फैलता है।

अगर वास्तविक सच्चाई देखी जाये तो इस प्रदूषण का मुख्य कारण मनुष्य खुद ही हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे प्राकृतिक स्रोत भी जिसके कारण प्रदूषण फैलता हैं, जैसे ज्वालामुखी, जंगलों में लगने वाला आग जो कि वायु के साथ फैलकर प्रदूषण फैलाती हैं, हालाँकि यह मनुष्य के द्वारा फैलने वाले प्रदूषण कि तुलना में बेहद कम हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव – Chief Air Pollutant & their effects in Hindi

आइए, अब vayu pradushan के कुछ प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करते है।

पेड़-पौधों में भोजन प्रणाली सूर्य के प्रकाश के कारण संचालित होती है। ऐसे में जब प्रदूषण होता हैं तो पेड़ पौधों के पत्तियों के छिद्र बंद हो जाते है और उनकी स्वांस लेने कि प्रक्रिया बंद हो जाती है। जैसा कि हमने पहले चर्चा कि हैं कि मनुष्य कि स्वांस प्रणाली में पेड़ पौधों का अहम योगदान होता हैं, ऐसे में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए एक प्रकार से यह खतरा साबित होते है।

क्‍या आप जानते हैं?

1990-91 में खाड़ी युद्ध के दौरान तेल के कुओं में आग लग गयी थी। इससे अधिक मात्रा में धुआं निकला था जिस वजह से वहां के आसपास के तापमान का स्तर बढ़ गया था। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में वनस्पति नष्ट हो जाने के साथ प्राकृतिक सौन्दर्य भी समाप्त हो गया था।

वायु प्रदूषण के निवारण –  Air pollution prevention measures in Hindi

यदि हम नीचे दिए गये उपायों के सम्बन्ध में विचार करेंगे, तो जरुर इस प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं।

  • घर के अंदर धुंए तो बाहर निकलने के लिए चूल्हे पर बड़ी चिमनी का प्रयोग करें, और धुंए रहित चूल्हे का उपयोग करें।
  • आप घर में बायोगैस का प्रयोग कर सकते हैं, यहाँ धुआं रहित इंधन हैं।
  • सूर्य कि उर्जा से चलने वाला सौलर कुकर भी इसमें बहुत उपयोगी हैं।
  • बड़ी फैक्ट्रियों के चिमनियों में फिल्टर होने चाहिए ताकि विषैले पदार्थ बाहर हवा में न फैलकर अंदर ही रह जाएं।
  • जहाँ रिहायशी इलाके हो वहां फैक्ट्रियों को लगाने कि इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
  • वाहनों पर ऐसे यंत्र लगने चाहिए, जिनसे वाहनों के धुंए में प्रदूषक पदार्थों कि मात्रा कम हो सके।
  • सीसा रहित पेट्रोल का प्रयोग तथा सीएनजी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
  • कूड़े-कचरे का निपटन साफ़ तरीके से करना चाहिए, ना कि उसे जलाना चाहिए। इसका प्रयोग भूमि भराव में भी किया जा सकता हैं।
  • वातावरण में धुल न उड़े इसके लिए पक्की सडकों का निर्माण होना चाहिए। ताकि हवा साफ़ रह सके।
  • वातावरण को शुद्ध रखने में वृक्षों का अहम योगदान होता हैं, इसलिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए।
  • मृदा को सुरक्षित रखने के लिए पूरे साल कोई न कोई फसल उगाते रहना चाहिए।

जल प्रदूषण क्या है – Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण का अर्थ – Environmental Pollution in Hindi

आमतौर पर हमारे घरों में उपलब्ध होने वाला पेय जल सुरक्षित व कीटाणु रहित होता है। क्योंकि इसे नगर निगम प्राधिकारियों द्वारा फिल्टर करने के बाद ही घरों में आपूर्ति के लिए भेजा जाता हैं। इस पानी कि यह विशेषता होती हैं कि इसमें कोई गंध, स्वाद, कीटाणु व धूल नहीं होती हैं। यह पानी पीने के लिए उपयुक्त होता।

हर प्रकार का जल पीने योग्य नहीं होता हैं। आमतौर पर घर में अन्य कार्यों के लिए उपयोग होने वाला जल भी सुरक्षित नहीं होता हैं। न पीने योग्य पानी में ठोस कण पाए जाते हैं जो पानी को दूषित करते हैं।

क्या आप जानते हैं?

प्रदूषित जल रंगयुक्त हो सकता है इसमें धूल के कण हो सकते हैं, इसमें दुर्गन्ध हो सकती है और इसमें स्वाद भी हो सकता है।

जल प्रदूषण के स्रोत

इन वस्तुओं को जल में डालने के कारण जल प्रदूषित हो जाता है।

घरेलू अपशिष्ट – Domestic effluents

अलग-अलग प्रकार कि घरेलु गतिविधियों के कारण घरेलु अपशिष्ट पैदा होता हैं। वही जल जब नदियों व तालाबों के आसपास फैलता हैं या उनमें जाकर मिलता हैं तो नदियों का साफ़ पानी भी दूषित हो जाता हैं।

ओद्योगिक अपशिष्ट – Industrial effluents

विभिन्न प्रकार कि फैक्टरियों से निकलने वाला हानिकारक जल तालाबों व नदियों तथा समुन्द्रों में मिलता हैं तो इससे भी जल प्रदुषण होता है।

कृषि अपशिष्ट – Agricultural effluents

सामान्य तौर पर कृषि में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता हैं वर्ष के दौरान खेतों में बहने वाला कटाव वाला पानी साफ़ जल्द में मिल जाता हैं। बाद में वही जल नदियों, तालाबों में मिल जाता हैं, जो जल्द प्रदूषण का कारण बनता हैं।

तेल का रिसाव – Oil Pollution

कई बार ऐसा होता हैं कि तेल के टैंकरों से तेल का रिसाव होता हैं, जिसकी वजह से समुन्द्र का पानी दूषित हो जाता हैं और उसमें मौजूद समुंद्री जीव व पौधों के लिए नुकसानदायक होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव – Harmful effects of water pollution in Hindi

जो भी प्रदूषित जल का सेवन करते है, वे सभी इस जल प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। उनमें से मनुष्य, पशु और पेड़-पौधे शामिल हैं। कई बार महामारियां फैलती हैं, जिसका मुख्य कारण जल प्रदूषण भी होता हैं।

पानी में रहने वाले जीव और पेड़-पौधे भी समुंद्री जल के दूषित होने से प्रभावित होते हैं। क्योंकि समुन्द्र के पानी में ऑक्सीजन कि मात्रा कम हो जाती हैं इससे समुन्द्र में मौजूद जीव मर जाते हैं।

जल प्रदूषण के निवारण – Water pollution prevention and control in Hindi

Jal Pradushan को रोकने के लिए नीचे कुछ उपाय दिए गये हैं, जो उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

  • हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वच्छ जल स्रोत में गन्दा जल न मिले।
  • उद्योगों को वेस्ट जल को नदियों व तालाबों में डालने कि अनुमित नहीं देनी चाहिए।
  • जल स्रोत के पास और खुले में शौच नहीं करना चाहिए और इसके लिए शौचालय का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • स्वच्छ जल स्रोतों के नजदीक नहाना, कपड़े धोना तथा पशुओं को नहलाना नहीं चाहिए इसके लिए विशेष रूप से बनाये गये स्रोतों का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • कचरे को समुन्द्रों व नदियों में नहीं डालना चाहीये।
  • जल स्रोत के रूप में उपयोग लाये जाने वाले तालाब या कुएं के चारों और पक्की फर्श व मुंडेर होनी चाहिए।

मृदा प्रदूषण क्या है – Soil Pollution in Hindi

भौतिक, रासायनिक व जैविक रूप से होने वाले परिवर्तन को मृदा प्रदूषण हैं जो जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। फैक्ट्रियों के अपशिष्ट को फेंका जाता हैं तब मृदा प्रदूषित हो जाती हैं इससे वह भूमि बंजर बन जाती हैं।

इसके अलावा भूमि में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों व उर्दरकों का प्रयोग करने से यह पौधों व फलों और सब्जियों में मिल जाते हैं। इसके बाद वही रसायन हमारे भोजन के माध्यम से पेट में जाकर पाचनतंत्र को नुकसान पहुंचाता हैं।

हमारे देश में खुले में शौच और पेशाब करना सामान्य बात हैं, इसमें मौजूद कीटाणु मृदा को दूषित कर देते हैं। बारिश के समय वही मृदा स्वच्छ जल स्रोतों में जाकर मिल जाती हैं जिससे, साफ़ जल भी दूषित हो जाता हैं।

मृदा प्रदूषण के निवारण – Soil pollution control and prevention measures in Hindi

यहाँ हम मृदा प्रदूषण के कुछ निवारणों के बारे में चर्चा करेंगे जो इस प्रकार हैं।

कूड़े-कचरे का उचित निपटान

घर में ढक्कनयुक्त कूड़े दान का प्रयोग करना चाहिए, ताकि इस पर मक्खियाँ, मच्छर व कॉकरोच पैदा न हो सके। इसके साथ कूड़े के निपटान के लिए घरमे उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

कूड़े-कचरे का निपटान शहर से बाहर करना

घर के अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढे में भर दिया जाता है और इन्हें टहनियों और पौधों से ढक दिया जाता हैं ताकि इन पर मक्खियाँ और मच्छर न पनप सकें। जब ये गड्ढे भर जाते हैं तो इन्हें मिट्टी से ढक दिया जाता है।

खाद बनाना (कंपोस्टिंग)

घर के बगीचे में कूड़े को एक जगह गड्ढा खोदकर डाल देना चाहिए और उसे राख और पत्तियों से ढक देना चाहिए। धीरे-धीरे इसके नीचे कि परतें खाद बनती जाती है, बाद में उस खाद को बागवानी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

कूड़े-कचरे को जलाना

कूड़े-कचरे को इकठ्ठा जला देना उचित समाधान हैं, इसे कचरे कि मात्रा कम हो जाती हैं और उसमें मौजूद रोगाणु समाप्त हो जाते हैं।

कूड़े से निपटने के लिए भस्मीकरण तरीका बहुत अच्छा हैं लेकिन यह महंगा हैं, इसमें भारी मात्रा में इंधन का इस्तेमाल होता हैं। इसमें एक भट्टी में कचरा भरकर जला दिया जाता हैं। धीरे-धीरे कचरा राख के छोटे-छोटे ढेर में बदल जाता हैं।

हालाँकि ऊपर बताये गये तरीकों में से कोई भी कचरे से निपटने के लिए उचित तरीका नहीं हैं। प्रय्तेक तरीके के अपने-अपने गुण और दोष हैं। लेकिन हम घरों से निकलने वाले कचरे के सम्बन्ध में आसपास के लोगों को शिक्षित करके वातावरण को साफ़ सुधरा रख सकते हैं।

मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने के कुछ अन्य उपाय हैं:

  • स्वच्छ शौचालयों का प्रयोग
  • कीटनाशक तथा उर्वरकों का सीमित प्रयोग
  • पर्यावरणसहिष्णु वस्तुओं का प्रयोग

ध्वनि प्रदूषण क्या है

ध्वनि यंत्रों को तेज आवाज में चलाने से ध्वनि प्रदुषण फैलता हैं। जब भी हम संगीत अथवा मित्रों के साथ तो वार्ता का आनंद लेते हैं, लेकिन जब मशीनों और लाउडस्पीकर के शोर और यातायात कि ध्वनि सुनते हैं तो इसकी आवाज अधिक होती हैं। यह ध्वनि परेशान कर देने वाली होती हैं। और इससे ध्वनि प्रदूषण फैलता है।

ध्वनि प्रदूषण के स्रोत

अपने आस-पास देखिए और पहचानिए कि dhwani pradushan ध्वनि प्रदूषण के कौन-कौन से स्रोत आपके आस-पास विद्यमान हैं। इसमें से कुछ स्रोत इस प्रकार हो सकते हैं:

  • मोटर-वाहन, रेलगाड़ियाँ और विमान
  • लाउडस्पीकर, रेडियों तथा टेलीविजन, जब वे ऊँची आवाज में चल रहे हों।
  • उद्योग तथा मशीनें

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव

लम्बे समय तक तेज आवाजें सुनते रहने से हमारे कानों कि नसों पर दबाव बनने लगता हैं और सिरदर्द होता हैं। निरंतर ऐसा होने से धीरे-धीरे हमारे सुनने कि क्षमता कम हो जाती है। अक्सर ऐसा देखा गया हैं जो लोग फैक्ट्रियों में काम करते है या ड्राईवर, पायलट ये लोग अधिक आवाज सुनने के आदि होते हैं उनको धीमी आवाजें कम सुनाई देती है।

उनके कान का परदा खराब हो जाता है और कभी- कभी वे बहरे भी हो जाते हैं। अधिक शोर के कारण तनाव बढ़ता है और मानसिक अस्थिरता की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

ध्वनि प्रदूषण के निवारण

ध्वनि प्रदूषण पर हम पूरी तरह से तो छुटकारा नहीं पा सकते हैं, किन्तु कुछ निश्चित रूप से इसकी मात्रा को कम कर सकते हैं। इसके लिए कुछ सुझाव इस प्रकार से है।

  • रेडियो तथा टेलीविजन धीमी आवाज में चलाना।
  • लाउडस्पीकर इस्तेमाल न करना।
  • अत्यंत आवश्यक होने पर ही वाहन का हॉर्न बजाना।
  • फैक्टरियों को रिहायशी इलाकों से दूर बनाना।
  • हवाईअड्डों का निर्माण शहर से बाहर करना।

इस लेख “Environmental Pollution in Hindi” में आपने विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों तथा सभी जीवों पर उनके हानिकारक प्रभावों का अध्ययन किया है। आप इन प्रदूषणों को नियंत्रित करने के कुछ उपायों के बारे में भी जान चुके हैं। इतने अध्ययन के बाद हम यह कह सकते हैं कि प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रण में करना हमारे ही हाथ में है।

इन छोटे-छोटे प्रयासों से हम लोगों को अंधेपन व साँस के रोगों से बचा सकते हैं। हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम ध्वनि के प्रदूषण को भी बहुत कम कर दें और लोगों को बहरा होने तथा मानसिक तनावों से बचा लें। हम जल प्रदूषण को राकने के लिए सख्त नियम बना सकते हैं और इस प्रकार लोगों को दस्त, आंत्रशोथ तथा हेपेटाइटिस जैसे रोगों से बचा सकते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi)- इस पृथ्वी पर जो सबसे अनमोल और बेशकीमती चीज़ से है, वो है हमारा पर्यावरण। ईश्वर और कुदरत दोनों ने ही मिलकर हमारे पर्यावरण (Environment) और प्रकृति (Nature) को इस ढंग से रचा है कि इसका अनुमान लगा पाना मनुष्य के लिए शायद नामुमकिन है। हम मनुष्यों के ऊपर प्रकृति का जो एहसान है, उसे तो शायद हम कभी चुका नहीं पाएंगे लेकिन प्रकृति से जो कुछ भी हमें मिला है उसमें से कुछ अंश अगर हम प्रकृति को लौटा सकते हैं, तो यह हमारा सौभाग्य होगा। लौटाने से हमारा तात्पर्य है प्रकृति और पर्यावरण (Nature & Environment) की रक्षा करना, जिसकी प्रकृति को आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi)

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Environmental Pollution Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना.

दुनिया के शुरू होने के साथ ही प्रकृति के अद्भुत संतुलन की वजह से ही इस धरती पर जीवन बना हुआ है लेकिन आज के इस आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी की वजह से यह पूरी तरह से खतरे में है। वायु, जल और धरती ये सभी धीरे-धीरे दूषित हो रहे हैं। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे रोकने के लिए विभिन्न प्रयास भी किए जा रहे हैं। यह प्रयास हम चार भागों में विभाजित कर सकते हैं, जैसे- प्रकृति के पूरे चक्र को समझना, प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना, प्रकृति की खूबसूरती को कायम रखना और उन तरीकों से काम करना जिससे धरती का पर्यावरण साफ, शुद्ध और ताजा बना रहे तथा पर्यावरण में किसी भी तरह की कोई मिलावट न हो।

यह निबंध भी पढ़ें-

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ

पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को तो हम समझेंगे ही, लेकिन साथ में यह भी जानेंगे कि पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है? सबसे पहले पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को समझते हैं कि जिसमें किसी भी घटको में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन, जिसका हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, वह पर्यावरण कहलाता है। इस पर्यावरण में उद्योग, नगर और मानव विकास की जो प्रक्रिया होती है, उसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। पर्यावरण प्रदूषण को हम कई अलग-अलग रूपों में बांटकर देख सकते हैं। आसान शब्दों में समझें तो पर्यावरण प्रदूषण का सीधा सा अर्थ है पर्यावरण का विनाश। ऐसे कई कारण हैं जिनसे हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है। जिस पर्यावरण को हम देखते हैं वह प्रकृति और मानव द्वारा निर्मित चीजों से बना हुआ है और इन्हीं में से कुछ तत्व ऐसे हैं जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं जोकि भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।

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पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को समझने के बाद अब हम जानेंगे कि पर्यावरण प्रदूषण क्या है? या पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं? पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब हमारे द्वारा की गई अलग-अलग गतिविधियों से दूषित सामग्री पर्यावरण में मिल जाती है। यह हमारी दिनचर्या की प्रक्रिया को मुख्य रूप से बाधा पहुँचाती है और इस वजह से पर्यावरण में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। जो पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का काम करते हैं उन्हें प्रदूषक तत्व कहा जाता है। यह प्रदूषक तत्व प्रकृति में होने वाले पदार्थ भी होते हैं और मानव द्वारा की गई बाहरी गतिविधियों से भी निर्मित हो जाते हैं। यह प्रदूषक तत्व पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप में भी शामिल हो सकते हैं। इसे हम वायु प्रदुषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि कई अलग-अलग प्रदूषण के प्रकार में बांट सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

प्रकृति से हमें जीवन यापन के लिए, हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए तथा अपना विकास तेज गति से करने के लिए बहुत से प्राकृतिक संसाधन मुफ्त में मिले हैं। परंतु समय के साथ-साथ हम इतने स्वार्थी और लालची होते जा रहे हैं कि अपने उसी पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए उसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। इस बात को समझे बिना ही कि अगर हमारा पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा, तो फिर ये आने वाले समय में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य और भविष्य पर गंभीर रूप से अपना प्रभाव डालेगा। फिर एक समय ऐसा आएगा जब हम सभी के पास पृथ्वी पर जिंदा रहने के लिए कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं बचेंगे। इसीलिए हमें पर्यावरण प्रदूषण के कारण को गंभीरता से लेना होगा और जल्द से जल्द इन कारणों को दूर करना होगा। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं, जैसे-

  • औद्योगिक गतिविधियों का तेज होगा
  • वाहन का ज़्यादा इस्तेमाल 
  • तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण का बढ़ना 
  • जनसंख्या अतिवृद्धि 
  • जीवाश्म ईधन दहन 
  • कृषि अपशिष्ट 
  • कल-कारखाने 
  • वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग 
  • प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना 
  • वृक्षों को अंधा-धुंध काटना 
  • घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होना
  • खनिज पदार्थों क दोहन
  • सड़को का निर्माण 
  • बांधो का निर्माण 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार हैं। इन सभी का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। लेकिन पर्यारवण प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है, जैसे-

वायु प्रदूषण- हवा मानव, जानवर, पेड़-पौधे आदि सभी के जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हमारे इस वायुमंडल में अलग-अलग तरह की गैसें एक निश्चित मात्रा में मौजूद होती हैं और सभी जीव अपनी क्रियाओं और सांसों के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड में संतुलन बनाए रखते हैं परंतु अब ऐसा हो रहा कि मनुष्य अपनी भौतिक आवश्यकताओं की आड़ में इन सभी गैसों के संतुलन को नष्ट करने में लगा हुआ है। अगर हम शहर की वायु की तुलना, गांव की वायु से करें, तो हमें एक बहुत बड़ा अंतर दिखाई देगा। एक ओर जहाँ गांव की शुद्ध और ताजा हवा हमारे तन-मन को प्रसन्न कर देती है, तो वहीं दूसरी ओर हम शहर की जहरीली हवा में घुटन महसूस करने लगते हैं। इसके पीछ सबसे बड़ा कारण है शहरों में ऐसे संसाधनों की मात्रा में लगातार वृद्धि होना जो प्रदूषण को जन्म देते हैं।

जल प्रदूषण-  जल ही जीवन है और हम सभी के जीवन के लिए जल मुख्य घटकों में से एक है। जल के बिना हम में से कोई भी जीव जैसे मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि जिंदा रहने की कल्पना तक नहीं सकते। प्रकृति के जल में अनुचित पदार्थों या तत्वों के मिल जाने से जल की शुद्धता कम हो जाती है, जिसे हम जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण की वजह से गंभीर रोग पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और कई तरह के जीवाणु तथा वायरस पनपने लगते हैं। पानी में अलग-अलग प्रकार के खनिज, तत्व, पदार्थ और गैसें मिल जाती हैं, जिनकी मात्रा काफी होती है। अगर इन सभी की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। एक ओर तो हमने नदियों को माँ का दर्जा दिया हुआ है और उनकी पूजा करते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर हम इसमें प्रदूषित तत्वों को घोलकर कर जल की शुद्धता को नष्ट कर रहे हैं और माँ समान उन नदियों का अपमान भी कर रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण- गैर ज़रूरी और ज़रूरत से ज़्यादा आवाज़ जिसे हम शोर कहते हैं, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। अगर कोई आवाज़ हमारे लिए मनोरंजन का साधन बनती है, तो हो सकता है कि वही आवाज़ किसी दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो। बहुत ज़्यादा आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है, जिससे मनुष्य की सुनने की शक्ति धीरे-धीरे कम होती चली जाती है और अगर इसपर ध्यान न दिया जाए, तो व्यक्ति अपनी सुनने की शक्ति को पूरी तरह से भी खो सकता है। किसी भी आवाज़ को अगर एक सीमित मात्रा मैं सुना जाए, तो हमारी सेहत पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा लेकिन वही आवाज़ ज़रूरत से ज्यादा तेज हो, तो फिर उसे सहन कर पाना मुश्किल हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण से इंसान की एकाग्रता भंग होती है और फिर वह अपने किसी भी काम को पूरी तरह से एकाग्र होकर नहीं कर पाता।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण भारत में धीरे-धीरे एक चुनौती बनता जा रहा है। प्रदूषण की वजह से हम सभी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। वायु प्रदूषण के कारण वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हो रहा है। जल प्रदूषण होने की वजह से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हो रही है। मृदा प्रदूषण के होना का मतलब ऐसी मिट्टी से है जो अस्वास्थ्यकर या असंतुलित हो और जिससे पेड़-पौधे, खेत, फसल आदि की वृद्धि होने में कठिनाई हो। मृदा प्रदूषण से हरी-भरी ज़मीन भी बंजर हो जाती है। आज भारत एक नहीं बल्कि पर्यावरण प्रदूषण की तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है और उनका सामना कर रहा है। वक़्त रहते इसका समाधान मिलना बहुत ज़रूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो फिर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव से होने वाली हानि का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होगा।

पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर कई तरह से प्रभाव पड़ रहा है। यह बताना ज़रूरी नहीं है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों, पक्षियों, पेड़-पौधों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

अलग-अलग चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन और उद्योगों से निकलने वाली गैस, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैलना, प्लास्टिक डंप और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है। अगर ये तीनों तत्व ही दूषित होंगे, तो मानव शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालेंगे जिससे गंभीर रोग पैदा होंगे।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। इसलिए हमें समझना होगा कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से कैसे बचा जाए और कैसे इसका समाधान ढूंढा जाए।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान

ये तो हम सभी देख रहे हैं कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन किस कदर बढ़ती जा रही है और इसके जिम्मेदार भी सिर्फ और सिर्फ हम इंसान ही हैं। इसीलिए अब ये जिम्मेदारी भी हमारी ही बनती है कि इस समस्या का जल्द-से-जल्द ऐसा समाधान निकालें जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या जड़ से ही खत्म हो जाए। बढ़ते हुए मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों, कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से निकलने वाला अपशिष्ट और धुआँ, नालियों का गंदा पानी और वनों की अंधाधुन कटाई के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाला समय हम सभी के लिए दुःख और अशांति लेकर आएगा।

यह समस्या अगर ऐसे ही बढ़ती रही, तो इससे सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा देश प्रभावित होगा और हम सभी को एक ऐसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा, जिसके बारे में हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं वहाँ पर इस तरह की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। भारत का हर व्यक्ति आज प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या की मार तो झेल रहा है लेकिन इसे दूर करने के लिए ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो कोशिश में लगे हुए हैं। पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव बहुत ही गंभीर और हानिकारक साबित होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण हमारी सामाजिक स्थिति भी खंडित हो जाती है।

विश्व में जितनी भी प्राकृतिक गैसें मौजूद हैं उन सभी में संतुलन का बना रहना बहुत ही आवश्यक है, परन्तु आज इंसान अपने स्वार्थ और ज़रूरत के लिए पेड़ों और वनों को काटने में लगा हुआ है। आप ज़रा सोचिए अगर धरती पर एक भी पेड़ ही बचेगा, तो क्या हम ऑक्सीजन ले पाएंगे। जब हमें ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी, तो हमारा जीवित रहना मुश्किल है। पेड़ों की कमी से कार्बन-डाईआक्साइड की मात्रा ज्यादा हो जाएगी जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या अधिक बढ़ जाएगी। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों के साथ में कोई छेड़छाड़ करते हैं, तो फिर वह प्राकृतिक आपदाओं का रूप लेकर धरती पर विनाश करते हैं। यह विनाश बाढ़, आँधी, तूफान, ज्वालामुखी आदि के रूप में होता है। हम औद्योगिक विकास के लालच में प्रकृति के साथ अपने व्यवहार को भूल चुके हैं, जिस कारण हमें पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाओं, महामहारियों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर हम सही में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं, तो हमें निम्नलिखित समाधानों का प्रयोग अपने जीवन में करना होगा।

  • प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए जल्द ही हमें इस पर नियंत्रण करना होगा। हमें ज्यादा से ज्यादा वनीकरण की तरफ ध्यान देना होगा। हमें कम से कम पेड़ों की कटाई की कोशिश करनी होगी। पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे और इसके खिलाफ जाने वाले को सख्त से सख्त सजा देनी होगी।
  • सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि राजनेताओं, अभिनेताओं, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारत के हर नागरिक को पर्यावरण प्रदूषण दूर करने के प्रति ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता फैलानी होगी। जागरूकता फैलाने के लिए जनसंचार माध्यमों की मदद ली जा सकती है। आज के आधुनिक युग के वैज्ञानिकों को भी प्रदूषण को खत्म करने के लिए और भी ज़्यादा प्रयास करने होंगे।
  • हम सभी को इस बारे में सोच-विचार करना होगा कि हमारे आसपास कूड़े के ढेर और गंदगी जमा न होगा। हमें कोयला और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों का बहुत कम प्रयोग करना सीखना होगा और ऐसे विकल्प चुननें होंगे जो प्रदूषण मुक्त हों। हमें सौर ऊर्जा, सीएनजी, वायु ऊर्जा, बायोगैस, रसोई गैस, पनबिजली का ज़्यादा इस्तेमाल करना होगा। अगर हम ऐसा करते हैं, तो वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने में बहुत मदद मिल सकती है।
  • जिन कारखानों का निर्माण पहले हो चुका है अब तो उन्हें हटा पाना मुश्किल है लेकिन अब सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि जो भविष्य में बनने वाले कारखाने हैं, उन्हें शहर से दूर बनाया जाए। हम यातायात के ऐसे साधनों प्रयोग करें जिनमें से धुआं कम निकलता हो और जो वायु प्रदूषण को रोकने में मदद करें। सरकार को पेड़-पौधों और जंगलों को काटने पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए।
  • हमें नदियों में कचरे को फैकने से बचाना चाहिए। हमें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि पानी को रिसाइक्लिंग की मदद से पीने योग्य बनाएं। अगर हो सके तो प्लास्टिक के बैगों और थैलियों का इस्तेमाल करना बंद करके कपड़े और जूट के बने बैगों को प्रयोग में लाएं। पर्यावरण प्रदूषण को खत्म करने के लिए जागरूक नागरिक बने और सरकार तथा कानून द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन करते हुए इस नेक काम में अपनी भागीदारी दें।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि पिछले कई लाखों-करोड़ों वर्षों से धरती पर आज भी शुद्ध हवा और स्वच्छ बहता पानी मौजूद है, लेकिन हम कहीं न कहीं इसकी कद्र करना भूलते जा रहे हैं। हमारे दुरुपयोग के कारण ही आज सभी प्राकृतिक संसाधन प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं। जिन वैज्ञानिकों ने अपना जीवन पर्यावरण की रक्षा करने में समर्पित कर दिया है अब वह हमें समझा रहे हैं कि कैसे हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए उसकी शुद्धता को बचाना है। वह हम मनुष्यों को जागरूक कर रहे हैं कि हमें ऐसा कोई भी काम नहीं करना है जो प्रकृति का संतुलन बिगड़ने या वातावरण प्रदूषित होने का कारण बने। सबसे पहले हमें किसी भी हाल में अपने गांवों को प्रदूषित होने से रोकना होगा और इस बात का भी पूरा ख्याल रखना होगा कि शहरों का प्रदूषण गांवों के पर्यावरण को प्रदूषित न कर दे।

पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल– FAQ’s

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प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण क्या है निबंध? उत्तर- पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रूप में परिभाषित किया जाता है। सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती हैं। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से पदार्थ या ऊर्जा हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर उन्हें दूषित माना जाता है।

प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का क्या अर्थ है? उत्तर- ओडम के अनुसार, “वातावरण के अथवा जीवमंडल के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों के ऊपर जो हानिकारक प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है।” अन्य शब्दों मे हमारे पर्यावरण की प्राकृतिक संरचना एवं संतुलन मे उत्पन्न अवांछनीय परिवर्तन को प्रदूषण कह सकते हैं।

प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव क्या है? उत्तर- वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भयावह परिवर्तन होता है। वायुमंडल में हानिकारक गैसों से गले और आंखों में जलन, अस्थमा के साथ-साथ अन्य श्वसन समस्याएं और फेफड़े के कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।

प्रश्न- प्रदूषण क्या है इसके प्रकार बताइए? उत्तर- मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं, जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ये 4 तरह के प्रदूषण के होते हैं।

प्रश्न- विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है? उत्तर- विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है।

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Essay on cleanliness in hindi स्वच्छता पर निबंध.

Check out Essay on Cleanliness in Hindi or Essay on Sanitation in Hindi. What should we do to make India Clean? Today we are going to write an essay on cleanliness in Hindi and from this essay, you can take useful examples to write an essay on cleanliness in Hindi (Swachata ka Mahatva Essay in Hindi Language) स्वच्छता पर निबंध (Essay on Swachata ka Mahatva in Hindi) in a better way. Essay on Cleanliness in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.

Essay on Cleanliness in Hindi

hindiinhindi Essay on Cleanliness in Hindi

Essay on Cleanliness in Hindi 300 Words

स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण है क्योकि यह एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। अपने आस-पास स्वच्छता रखना खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वच्छ रखना है, जो हमे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। हमे हर समय खुद को शुद्ध, स्वच्छ और अच्छे कपडे पहन कर रखने चाहिए क्योकि यह समाज में आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। अपनी खुद की स्वच्छता से मनुष्य का स्वास्थ्य ढीक रहता है जिससे उसकी आयु बीमार लोगो के मुकाबले ओर बढ़ती है। इसी लिए हम सब को हमारी धरती के जीवन को संभव बनाने के लिये इसके पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को शुद्ध बनाये रखना चाहिए।

स्वच्छता के कारण ही हम मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरह से स्वस्थ रहते है। अपने भी अपने घर में यह देखा होगा कि पूजा करने से पहले माता-पिता स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होते है। माता-पिता स्वच्छता को हमारी आदत बनाना चाहते है किन्तु उनका तरीका गलत है क्योकि वो हमे स्वच्छता के उद्देश्य और फायदे तो बताते ही नहीं। हर अभिवावक को तार्किक रुप से स्वच्छता के फायदे जरूर बताने चाहिए ताकि सब स्वच्छता कि एहमियत को समझ सके। हमे रोज अपने नहाना चाहिए, नाखुनों को काटना चाहिए साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े ही पहनने चाहिए। हमे खाना खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोने चाहिए। हमे बहार के ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए।

हमे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए। हम अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध रखकर ही बहुत बीमारियों से बच सकते है। गंदगी से कई तरह के कीटाणु, बैक्टेरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते है, जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है और बीमार हो जाते है। हमे अपने माता-पिता से सीखना चाहिए कि कैसे हम अपने घर और आस-पास के वातावरण को कैसे ओर शुद्ध बना सकते है।

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Opinion: Skepticism is healthy — but in medicine, it can be dangerous

Skepticism and distrust of health practitioners is on the rise. how are doctors supposed to restore patient trust.

(Joe Hallisy/Michigan Medicine via AP)

I arrived at the hospital one recent morning to find a team of doctors gathered just outside a patient room. The patient was struggling — his breaths too fast and too shallow. For days we had been trying to walk the line between treating the pain caused by his rapidly growing cancer and prolonging his life.

Overnight he had worsened. His family, wrestling with the inevitability of his death, had come to a tentative plan, and I needed to make sure that his wife understood what was ahead. I explained that if we inserted a breathing tube, as she had decided overnight, her husband would be sedated. When the rest of their family arrived in Boston, we would take out the tube and he would die. We would not be able to wake him up — to do so would only cause him to suffer.

At this, his wife stiffened. Why wouldn’t he be able to wake up? I explained that his cancer was so advanced that to wake him would be to give him the conscious awareness of drowning. I watched as she took me in, this doctor she had never met before, telling her something she did not want to hear. Her expression shifted. “Why should I believe you?” she asked me. And then, her voice toughening: “I don’t think that I do.”

The room was silent. My patient’s wife looked into her bag, rooting around for a tissue. I glanced down at my feet. Why should she believe me? I was wearing sneakers with my scrub pants, and I found myself wondering whether she would have trusted me without question if I appeared more professional, or if I were older or male. Perhaps, but there was so much more at play in that moment. This was not just about one doctor and one family member, but instead, about a public for whom the medical system is no longer an institution to be trusted.

We are at a crossroads in medicine when it comes to public trust. After a pandemic that twisted science for political gain, it is not surprising that confidence in medicine is eroding. In fact, trust in medical scientists has fallen to its lowest levels since January 2019. As a result, more people are seeking out less conventional voices of “authority” that hew closer to their beliefs. Robert F. Kennedy Jr., a longtime vaccine skeptic campaigning for the presidency, is finding double-digit support in some polls and has made medical freedom a recurring theme of his candidacy.

But our medical system relies on trust — in face-to-face meetings as well as public health bulletins. Distrust can lead doctors to burnout and can encourage avoidable negative outcomes for our patients. This is partly what is driving increasing rates of measles among unvaccinated children , failure to follow recommended cancer screening and refusal to take lifesaving preventive medications . There are no easy solutions here. But if we do not find ways to restore and strengthen trust with our patients, more lives will be lost.

This is relatively new terrain for American physicians. When I was in medical training, we did not talk much about trust. During my early years as a doctor, I barely trusted myself and in fact felt uncomfortable with the responsibility I had to keep my patients alive. Only recently have I found myself thinking about what happens when this ephemeral ingredient in the doctor-patient relationship is lost.

Medical skepticism is not the same as medical nihilism. The data behind the drugs doctors prescribe and the decisions we make need not be the purview of us alone; the public has the right to review the numbers and to make their own decisions about risk and benefit. But when that skepticism shifts into abject and irreparable disbelief, we see some patients make dangerous decisions. And when doctors respond with frustration, that only further separates us from those patients.

Trust can sometimes be repaired by clearly presenting facts and figures, but it is about more than explaining numbers. We tell patients things about the body that are unseen. We recommend lifestyle changes and medication to treat or to prevent problems that may not be felt. Surgeons refer to a profound version of trust called the surgical contract: the idea that when people go under the knife, they are allowing their surgeon to make them sicker — to cut them open — in order to make them better. That trust must be earned.

In emergencies, patients don’t have the luxury to choose whom to trust, and medical decisions must happen hastily, in minutes even. So part of our job is to build rapport quickly. That becomes harder, impossible even, when we enter into the climax of a medical crisis to find that whatever trust our patient may have once had long ago has been eroded. Many of our patients started their medical journeys wanting to believe in their doctors. But then the medical system that they wanted to trust failed them, in small ways and large, from haphazardly rescheduled appointments to real medical error. How do we begin the process of repair, both as a profession and as individuals, when time is short?

In medicine, we talk about the idea of shared decision-making, in which medical decisions are arrived at jointly by doctor and patient, in contrast to the paternalistic tone of years gone by. As doctors, we do not tell our patients what to do — instead we offer them the information necessary for them to choose the path that is right for them.

For all our training, our medical knowledge is useless if our patients are unwilling or unable to believe what we have to offer. And that isn’t a fault of our patients, no matter how bothered we might become. This is a fault of a system that does not deserve our patients’ blind faith, of a surrounding political milieu that has turned scientific fact into fiction in many people’s minds.

That is how I found myself in that room, early that one morning, with my patient’s wife, her disbelief and the weight of the decision hanging between us. I knew so little about her. I did not know her history or her interactions with the medical system. I did not know the story of her husband’s diagnosis and treatment, or whether he had struggled to find care for his cancer. In our fractured system, I was just meeting her that day. I had no way to make her trust me, except to sit with her, to give her what little time with her husband we could. And to hope that regardless of what came before, she would choose to believe what I was telling her.

I am not certain what she believed, but she chose against intubation. Her husband lived until the rest of his family came anyway. And when he died, they left without a word, carrying with them his bags of belongings and — I can only hope — faith that we had done the best we could.

Daniela Lamas is a contributing Opinion writer and a pulmonary and critical-care physician at Brigham and Women’s Hospital in Boston. This article originally appeared in The New York Times .

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